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फीचर

1- लखनऊ में अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक प्रारम्भ


2- युवाओं में भारत का गौरव व संस्कृति जानने की जिज्ञासा और समाज के लिए कुछ न कुछ करने की ललक - डॉ. मनमोहन वैद्य


3- बिना भेदभाव के नागरिक और राष्ट्रीय बोध जगाने का काम करता है संघ: श्री दत्तात्रेय होसबाले


4- विघटनकारी संदेश (आलेख) - एस. शंकर




माँ की पुकार
रोशन कर इस जहान में अपने नाम को,
आखिर किस जहान में चला गया रे तू?
सुरक्षित कर, पराए घर के चिरागों को,
मेरे घर के दिये को ही बुझा गया रे तू!

मर मिटा ख़ुशी से, अपनी धरती माँ के लिए,
पर जाते-जाते, अपनी माँ की हंसी को भी मिटा गया रे तू!
तू तो चला गया अपनी माँ की गोद में सोने,
पर ऐ धरती के सपूत,
अपनी इस माँ की गोद सूनी कर गया रे तू!

तू तोह हो चला अमर, मर मिट के भी,

अपनी माँ को तो जीवित लाश बना गया रे तू!
सुलाना चाहती थी में अपने चाँद को, ममता की छाँव में,
पर मेरी ममता को अमावस्या का अन्धकार बना गया रे तू!

तेरी लम्बी उम्र की दुआ भी ना मांग सकी में जी भर के,
मर-मिटने को तो इतना व्याकुल था रे तू!
तुझे रोकने के लिए हक़ भी ना जता पाई में तुझपर अपना,
मेरा नहीं अपनी धरती माँ का लाडला बीटा था रे तू!

अब बस शिकायत ही कर सकती हूँ, तेरी इस तस्वीर के आगे खड़े होकर,
की एक बार भी अपनी माँ के बारे में न सोच सका रे तू!
पर फिर भी फक्र है मुझे तुझ पर मेरे लाल,
की इस माँ का खून हो के भी केवल अपनी माँ का ही रहा रे तू!
- अनुजा गुरेले


खुले मांस एवं मांसाहार विक्रय पर उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला
विक्रय पर रोक कलेक्ट्रर डा.जटिया ने दिये संबधित अधिकारियों को निर्देश

Our Correspondent :09 May 2016
दमोह/माननीय उच्चन्यायालय द्वारा दिये गये एक ऐतीहासिक फैसले के परिपालन में दमोह कलेक्टर द्वारा जिले के समस्त संबधितों को कार्यवाही के निर्देश जारी कर दिये हैं। जिसके अनुसार अब अवैधानिक रूप से खुले में मांस का विक्रय नहीं किया जा सकेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार कलेक्ट्रर डा.जगदीश चन्द्र जटिया ने पुलिस अधीक्षक,परियोजना अधिकारी जिला शहरी विकास अभिकरण,अनुविभागीय अधिकारी राजस्व समस्त जिला दमोह,मुख्य नगर पालिका अधिकारी समस्त जिला को कार्यवाही के निर्देश जारी कर दिये हैं। ज्ञात हो कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा डब्लू पी 15800/2012 पर सुनवाई करते हुये दिये गये निर्णय के चलते अब प्रदेश में कहीं भी खुले में मांस विक्रय नहीं किया जा सकता है। ज्ञात हो कि गली-गली में मांस,अंडे,मुर्गे,मुर्गियों के मांस का विक्रय किया जा रहा था । जबकि एैसा किया जाना संबधित विभाग के कानून की मंशा के विपरीत भी बतलाया गया है।

2006 में भी हुआ था आदेश-

प्राप्त जानकारी के अनुसार बर्ष 2006 मेंं मध्यप्रदेश के उच्चन्यायालय के तत्कालीन चीफ जस्टिस ए.के.पटनायक एवं जस्टिस एस.सी.सिन्हा की युगल पीठ ने एक विशेष आदेश पारित करते हुये नगर निगम की सीमा एवं एैसे क्षैत्र जहां लोगों का निवास हो वहां पर मुख्य सडकों पर बिना लाईसेंस के मांस,अंडा,मछली के विक्रय को गैर कानूनी घोषित कर दिया था।

सूचना के अधिकार से हुआ था खुलासा-

पशु चिकित्सा विभाग से समाचार पत्र के इस प्रतिनिधि को सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार बर्ष 2001 से भेड,बकरे,बकरियों,मुर्गे एवं मुर्गियों के परीक्षण की जानकारी निरंक बतलाई गयी है। इनके अनुसार विभाग के पास नगर पालिका द्वारा एक भी पशु मृत्यू पूर्व परिक्षण हेतु नहीं उक्त अवधि में नहीं लाया गया।

क्या है एन्टीमार्टम नियम-

जानकारों की माने तो डाक्टरी भाषा मे इसे 'एन्टीमार्टमÓ कहा जाता है इसके बिना न तो उन पशुओं का वध किया जाता है जो मनुष्यों के खाये जाने योग्य बतलाया गया है एवं न ही मांस का विक्रय किया जाता है। नियमों के जानकारों की माने तो कत्लखाने में ले जाने के पूर्व नगर पालिका का अधिकारी उस पशु को पशु चिकित्सक के पास स्वास्थ्य परीक्षण के लिये ले जाता है उसके परीक्षण प्रमाण पत्र के आधार पर ही उसका वध किया जा सकता है। अगर वह इसकी सिफारिश नहीं करता तो पशु का न तो वध किया जा सकता है न ही उसका मांस विक्रय किया जा सकता है। उलंघन करने वालों के लिये दण्ड के प्रावधान बतलाये गये हैं। परन्तु क्या हो रहा है किसी से छिपा नहीं है देखा जाये तो खुले आम मांसाहारी व्यक्तियों का जीवन खतरे में डाला जा रहा है,दूषित,संक्रामक बीमारियों से ग्रसित जानवरों का मांस धडल्ले से विक्रय हो रहा है। जिले के अनेक होटलों में भी यहीं मांस परोसा जा रहा है।

नहीं है सिलाटर हाऊस-

अब अगर कत्ल खाने के बारे में चर्चा करें तो समाचार पत्र के इस प्रतिनिधि को दी गयी जानकारी के अनुसार जिले में अधिकृत रूप से कोई भी पशु कत्ल खाना नहीं है। फिर भी पशुओं का वध एवं वह भी बिना चिकित्सीय परीक्षण के जिला प्रशासन ,नपा के अधिकारियों की घोर लापरवाही एवं अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीनता नहीं तो क्या है?

सडकों पर अंडे और मुर्गे का विक्रय-

जिले सहित नगर के मुख्य मार्गों में मुर्गे और मांस को पकाकर एवं कच्चा बेचने की दुकाने आपको देखने मिल जायेंगी जबकि अंडो की ढिलियों की संख्या तो अनगिनित है। कानून के जानकारों की माने तो नगर निगम अधिनियम 1956 के सेक्सन 255 एवं 257 तथा खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1955 के रूल 50 में विहित प्रावधान के तहत विधिवत अनुज्ञप्ति हासिल किये बिना उक्त चीजों का निगम सीमा मेें विक्रय नहीं किया जा सकता है यह दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है। कितनों को लायसेंस दिया गया है इस प्रकार की जानकारी न तो नपा के पास है और न ही जिला प्रशासन के पास ? परन्तु खुलेआम नियम कानून की धज्जियां उडाई जा रही है?

इनका कहना है-

माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में संबधित अधिकारियों को कार्यवाही करने निर्देश लिखित रूप से पत्र के माध्यम से दे दिये गये हैं।
डा.जगदीश चन्द्र जटिया
कलेक्ट्रर दमोह


योग अनुसंधान परिषद का स्थापना दिवस आज
सिंहस्थ के संत समाज के लिए ब्लड डोनेशन कैंप

29 April 2016
भोपाल। योग अनुसंधान परिषद अपना 25वां स्थापना दिवस आज 30 अप्रैल 2016 को हर्षोल्लास के साथ मनाएगा। इस अवसर पर प्रात: 11 बजे से परिषद प्रांगढ़ में ही विशाल ब्लड डोनेशन शिविर का आयोजन किया जा रहा है। योग अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष श्री सिकंदर अहमद ने बताया कि 25वें स्थापना दिवस 30 अप्रैल से परिषद सालभर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगी। कल प्रात: बलड डोनेशन कैंप और सांध्यकालीन आतिशबाजी तथा सजावट की जाएगी। श्री अहमद ने बताया कि 30 अप्रैल 2016 से 30 अप्रैल 2017 तक दर्जनों सांस्कृतिक, सामाजिक, स्वास्थ्य शिविर तथा मनोरंजन के विभिन्न आयोजन होंगे। इस बीच योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार के लए संगोष्ठियां, कार्यशाला तथा संवाद के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। श्री अहमद ने बताया कि आज आयोजित ब्लड कैंप से जितने यूनिट ब्लड एकत्रित होगा उसे उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ महाकुंभ में संत समाज की सेवा के लिये भेजने का आग्रह उन्होंने हमीदिया अस्पताल के प्रबंधक से किया है। परिषद सिंहस्थ की सफलता एवं सभी सम्मानीय साधु-संतों के स्वास्थ्य तथा दीर्घायु होने की कामना करती है।



साईं बाबा की पालकी शोभायात्रा
12 February 2016
दिनांक 13 फरवरी 2016, शनिवार को दोपहर 12 बजे साहबानी परिवार द्वारा श्री साईंबाबा का स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में श्री साईं बाबा की पालकी यात्रा का आयोजन शिवशक्ति हनुमान मंदिर, कोटरा सुल्तानाबाद, भोपाल में किया जाएगा। शिवशक्ति हनुमान मंदिर से प्रारंभ होकर कोटरा मार्केट, शीतला माता मंदिर, मेयफ्लावर स्कूल, काली मंदिर होते हुए पालकी यात्रा का समापन श्री शिवशक्ति हनुमान मंदिर (तारा होटल) पर होगा।

कार्यक्रम का विवरणः

दिनांकः 13 फरवरी 2016, शनिवार
श्री साईं बाबा की भव्य पालकी यात्रा, दोपहर 12 बजे
महाआरतीः रात्रि 8.00 बजे

कार्यक्रम को कवर करने के लिए अपने संस्थान से संवाददाता, कैमरामैन एवं फोटोग्राफर भेजें।



सम्मान पाकर मैं बहुत अभिभूत हूं: किशन कालजयी
09 February 2016
पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान समारोह संपन्न संवेद के संपादक कालजयी को दिया गया सम्मान
भोपाल/ पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान 2016 से इस साल ‘संवेद’ पत्रिका के श्री किशन कालजयी को सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें शाल, श्रीफल, प्रतीक चिह्न और 11000 की नगद धनराशि प्रदान की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता संकठा प्रसाद सिंह ने की जबकि मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की। इस मौके पर डॉ. संजीव गुप्ता की पुस्तक श्रुति बुक्स, गाजियाबाद से प्रकाशित पुस्तक ‘मास कम्युनिकेशन का विमोचन किया। पं. बृजलाल द्विवेदी की स्मृति में यह आठवां सम्मान है। स्वागत भाषण मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक श्री संजय द्विवेदी ने किया।
संवेद पत्रिका के संपादक किशन कालजयी ने सम्मान से सम्मानित होने के बाद कहा कि संवेद को प्रारंभ करने के समय जो अनुभूति 25 साल पहले हुई थी वही अनुभूति आज सम्मान पाकर हो रही है। उन्होंने कहा कि सम्मान ने मेरी चुनौती को और बढा दिया है। गौरतलब है कि कालजयी पिछले 25 सालों से संवेद पत्रिका का संपादन कर रहे हैं जबकि वे सबलोग नामक पत्रिका के भी संपादक हैं। उन्होंने पत्रकारिता के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिनको लिखना अच्छा आता है वही पत्रकार बन सकता है।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने श्री किशन कालजयी एवं मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी को बधाई देते हुए कहा कि विचारों को उत्पन्न करना बड़ा काम है और वह साहित्य के माध्यम से होता है। भले ही वह जीवनी, नाटक, पत्र-पत्रिका कोई भी माध्यम हो। साहित्य विचारों को जन्म देता है। विचारों की उत्पत्ति प्रसव वेदना की तरह है। साहित्य की पत्रकारिता समुद्र मंथन की तरह है जिसमें विष के छीटे भी पड़ते हैं। और अमृत की बूंदें भी मिलती हैं। आज के समय में सद्भावना से विचार मंथन करने की आवश्यकता है जिससे एक बेहतर समाज की रचना की जा सके। शिक्षा के माध्यम से देश में परिवर्तन आए यह जरूरी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करने हेतु यह बात संकटा प्रसाद सिंह ने कही। उन्होंने मीडिया विमर्श पत्रिका के माध्यम से युवाओं को प्रेरणा देने का जो काम किया जा रहा है उसकी बधाई दी। इस मौके पर श्री लाजपत आहूजा, डॉ. सच्चिदानंद जोशी, श्री गिरीश पंकज, हिमांशु द्विवेदी, श्रीमती इंदिरा दांगी, डॉ. श्रीकांत सिंह, श्री राजन अग्रवाल, डॉ. सुभद्रा राठौर सहित दिल्ली, रायपुर, भोपाल समेत कई शहरों के पत्रकार, साहित्यकार, समाजसेवी, प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

सम्मान पाकर मैं बहुत अभिभूत हूं: किशन कालजयी
08 February 2016
पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान समारोह संपन्न संवेद के संपादक कालजयी को दिया गया सम्मान
भोपाल/ पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान 2016 से इस साल ‘संवेद’ पत्रिका के श्री किशन कालजयी को सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें शाल, श्रीफल, प्रतीक चिह्न और 11000 की नगद धनराशि प्रदान की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता संकठा प्रसाद सिंह ने की जबकि मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की। इस मौके पर डॉ. संजीव गुप्ता की पुस्तक श्रुति बुक्स, गाजियाबाद से प्रकाशित पुस्तक ‘मास कम्युनिकेशन का विमोचन किया। पं. बृजलाल द्विवेदी की स्मृति में यह आठवां सम्मान है। स्वागत भाषण मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक श्री संजय द्विवेदी ने किया।
संवेद पत्रिका के संपादक किशन कालजयी ने सम्मान से सम्मानित होने के बाद कहा कि संवेद को प्रारंभ करने के समय जो अनुभूति 25 साल पहले हुई थी वही अनुभूति आज सम्मान पाकर हो रही है। उन्होंने कहा कि सम्मान ने मेरी चुनौती को और बढा दिया है। गौरतलब है कि कालजयी पिछले 25 सालों से संवेद पत्रिका का संपादन कर रहे हैं जबकि वे सबलोग नामक पत्रिका के भी संपादक हैं। उन्होंने पत्रकारिता के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिनको लिखना अच्छा आता है वही पत्रकार बन सकता है।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने श्री किशन कालजयी एवं मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी को बधाई देते हुए कहा कि विचारों को उत्पन्न करना बड़ा काम है और वह साहित्य के माध्यम से होता है। भले ही वह जीवनी, नाटक, पत्र-पत्रिका कोई भी माध्यम हो। साहित्य विचारों को जन्म देता है। विचारों की उत्पत्ति प्रसव वेदना की तरह है। साहित्य की पत्रकारिता समुद्र मंथन की तरह है जिसमें विष के छीटे भी पड़ते हैं। और अमृत की बूंदें भी मिलती हैं। आज के समय में सद्भावना से विचार मंथन करने की आवश्यकता है जिससे एक बेहतर समाज की रचना की जा सके। शिक्षा के माध्यम से देश में परिवर्तन आए यह जरूरी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करने हेतु यह बात संकटा प्रसाद सिंह ने कही। उन्होंने मीडिया विमर्श पत्रिका के माध्यम से युवाओं को प्रेरणा देने का जो काम किया जा रहा है उसकी बधाई दी। इस मौके पर श्री लाजपत आहूजा, डॉ. सच्चिदानंद जोशी, श्री गिरीश पंकज, हिमांशु द्विवेदी, श्रीमती इंदिरा दांगी, डॉ. श्रीकांत सिंह, श्री राजन अग्रवाल, डॉ. सुभद्रा राठौर सहित दिल्ली, रायपुर, भोपाल समेत कई शहरों के पत्रकार, साहित्यकार, समाजसेवी, प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

केरल समाज की सेवा-भावना अनुकरणीय
11 January 2016
ऊर्जा, खनिज साधन एवं जनसंपर्क मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि केरल समाज की सेवा भावना अनुकरणीय है। पूरे देश में केरल की महिलाएँ नर्सिंग सहित विभिन्न चिकित्सा कार्य में संलग्न रहकर समर्पण भाव से पीड़ित मानवता की सेवा करती हैं। श्री शुक्ल आज रीवा में केरल समाज के गोल्डन जुबली समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि केरल देश का अदभुत राज्य है, जहाँ नैसर्गिक सम्पदा भरी हुई है। शिक्षा के क्षेत्र में भी यह अग्रणी राज्य है। उन्होंने अपने राज्य के प्र‍ति श्रद्धा, सम्मान और गौरव रखने के लिये रीवा के केरल समाज की सराहना की। उन्होंने समाज के लोगों का आव्हान किया कि वे रीवा नगर के विकास में अपनी रचनात्मक भूमिका निभाये। श्री शुक्ल ने विशिष्ट उपलब्धियाँ प्राप्त करने वाले समाज के लोगों को सम्मानित भी किया।ा।

समाज सेवा पुरस्कार हेतु आवेदन आमंत्रित
07 January 2016
रानी अवंतिबाई वीरता एवं राजमाता विजयाराजे सिंधिया समाज सेवा पुरस्कार हेतु आवेदन आमंत्रित

भोपाल। समाज में व्यापक सकारात्मक वातावरण बनाने एवं महिलाओं की व्यक्तिगत सेवा और योगदान को प्रोत्साहित करने, मान्यता देने एवं प्रतिष्ठा बढाने के उद्देश्य से वर्ष 2006 से राज्य स्तरीय पुरस्कार स्थापित किया गया है।
रानी अवंतिबाई वीरता पुरस्कार में साहसिक महिलाओं जिन्होने महिला और बच्चों को उत्पीड़न से बचाने और बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीति को रोकने के प्रमाणित कार्य किये हैं। इसी प्रकार राजमाता विजयाराजे सिंधिया समाज सेवा पुरस्कार में ऐसी समाजसेवी महिलाएं जिन्होने महिलाओं के विकास,कल्याण तथा सामाजिक उत्थान के उद्देश्य से प्रतिष्ठा मण्डित करने का प्रमाणिक कार्य किया हो। उक्त दोनों पुरस्कार 8 मार्च 2016को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रदान किया जायेंगे।

मध्यप्रदेश कला प्रदर्शनी-2016
07 January 2016
भोपाल। उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल द्वारा मध्यप्रदेश राज्य रूपंकर कला पुरस्कार प्रदर्शनी-2016 लगायी जा रही है। अकादमी द्वारा मध्यप्रदेश के ख्यातिलब्ध कलाकारों के नाम से स्थापित रूपंकर एवं ललित कलाओं के 10 पुरस्कार के लिए कलाकृतियाँ आमंत्रित की जा रही हैं। प्रत्येक पुरस्कार की राशि 21 हजार होगी। कलाकृतियाँ अब 15 जनवरी तक अकादमी कार्यालय में कार्यालयीन समय से प्राप्त की जायेंगी। पहले इसकी अंतिम तिथि 31 दिसम्बर थी। इसके बाद प्राप्त होने वाली कलाकृतियाँ स्वीकार नहीं की जायेगी।
कलाकृतियों के साथ प्रदर्शनी में प्रवेश शुल्क 200 रुपये नगद जमा करना होंगे। प्रदर्शनी में दो कलाकृतियाँ मान्य की जायेगी। प्रदर्शनी में 25 से 50 वर्ष तक की आयु के कलाकार भाग ले सकेंगे। कलाकारों की वर्ष 2013 के बाद सृजित मौलिक कलाकृतियाँ मान्य की जायेगी। कलाकृतियाँ अकादमी कार्यालय में अवकाश के दिनों में भी कार्यालयीन समय में जमा की जा सकेंगी। फेसबुक kalamitrabpl@gmail.com तथां facebook page और अन्य माध्यम से डाउनलोड आवेदन विवरणिका की फोटो प्रतियाँ (ए-4 साइज) भी प्रवेश-पत्र के रूप में स्वीकार की जायेगी।

पाँच तरीके से लिखी गई पाँच पुस्तकें

17 December 2015
उल्‍टे अक्षरों से लिख गई भागवत गीता ( Bhagwat Gita )

आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक्के रह जायेंगे। आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है। पर आप जैसे ही दर्पण ( शीशे‌ ) के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी। सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे। इस मिरर इमेज किताब को पीयूष ने लिखा है। मिलनसार पीयूष मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।

सुई से लिखी मधुशाला ( Madhushala )

पीयूष ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि देखने वालों आँखें खुली रह जाएगी और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श मात्र ही बहुत है। पीयूष ने पूछने पर बताया कि सुई से पुस्तक लिखने का विचार क्यों आया ? अक्सर मुझ से ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तकों को पढ़ने के लिए शीशे की जरूरत पड़ती है। पढ़ना उसके साथ शीशा, आखिर बहुत सोच समझने के बाद एक विचार दिमाग में आया क्यों न सूई से कुछ लिखा जाये सो मैंने सूई से स्वर्गीय श्री हरिवंशराय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक 'मधुशाला' को करीब 2 से ढाई महीने में पूरा किया। यह पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयी है और इसको पढ़ने लिए शीशे की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों के इतने प्यारे मोतियों जैसे पृष्ठों को गुंथा गया है, जिसको पढ़ने में आसानी रहती हैं और यह सूई से लिखी 'मधुशाला' दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सूई से लिखी गई है।

मेंहदी कोन से लिखी गई गीतांजलि ( Gitanjali )

पीयूष ने एक और नया कारनामा कर दिखाया है उन्होंने 1913 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति 'गीतांजलि' को 'मेंहदी के कोन' से लिखा है। उन्होंने 8 जुलाई 2012 को मेंहदी से गीतांजलि लिखनी शुरू की और सभी 103 अध्याय 5 अगस्त 2012 को पूरे कर दिए।इसको लिखने में 17 कोन तथा दो नोट बुक प्रयोग में आई हैं। पीयूष ने श्री दुर्गा सप्त शती, अवधी में सुन्दरकांड, आरती संग्रह, हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैं। 'रामचरितमानस' ( दोहे, सोरठा और चौपाई ) को भी लिख चुके हैं।

कील से लिखी 'पीयूष वाणी'

अब पीयूष ने अपनी ही लिखी पुस्तक 'पीयूष वाणी' को कील से ए-फोर साइज की एल्युमिनियम शीट पर लिखा है। पीयूष ने पूछने पर बताया कि कील से क्यों लिखा है ? तो उन्होंने बताया कि वे इससे पहले दुनिया की पहली सुई से स्वर्गीय श्री हरिवंशराय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक 'मधुशाला' को लिख चुके हैं। तो उन्हें विचार आया कि क्यों न कील से भी प्रयास किया जाये सो उन्होंने ए-फोर साइज के एल्युमिनियम शीट पर भी लिख डाला।

कार्बन पेपर की मदद से लिखी 'पंचतंत्र' ( Carbon paper written 'Panchatantra' )

गहन अध्ययन के बाद पीयूष ने कार्बन पेपर की सहायता से आचार्य विष्णुशर्मा द्वारा लिखी 'पंचतंत्र' के सभी ( पाँच तंत्र, 41 कथा ) को लिखा है। पीयूष ने कार्बन पेपर को (जिस पर लिखना है) के नीचे उल्टा करके लिखा जिससे पेपर के दूसरी और शब्द सीधे दिखाई देंगे यानी पेज के एक तरफ शब्द मिरर इमेज में और दूसरी तरफ सीधे।


अर्चना प्रकाशन रजत जयंती पर परिचर्चा, कार्यशाला, साहित्यिक समागम का आयोजन
17 December 2015
साहित्य साधना के गौरवषाली 25 वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष्य में अर्चना प्रकाषन भोपाल (म.प्र.) अर्चना प्रकाषन रजत जयंती वर्ष 2016 का आयोजन करेगा। रजत जयंती के समारोह 9 जनवरी 2016 को प्रदेष के प्रमुख साहित्यकारों, रचनाकारों की परिचर्चा आयोजित की जायेगी। कार्यषाला, परिचर्चा, विष्व संवाद केंद्र, षिवाजी नगर, भोपाल में आयोजित की जायेगी। संध्या समय रविन्द्र भवन में साहित्यिक समागम के आयोजन के साथ साहित्य मनीषियों का सम्मान किया जायेगा।
इस अवसर पर स्मारिका का अर्चना स्मारिका का प्रकाषन भी किया जायेगा। अर्चना प्रकाषन स्मारिका के लिए गठित समिति की बैठक में वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों पर विचार करते हुए आगामी सिंहस्थ में भी अर्चना प्रकाषन का मंडप आयोजित कर मंडप में आगन्तुक साहित्यकारों की सुविधा के लिए व्यवस्था करने पर विचार हुआ। बैठक में सर्वश्री माधव सिंह दांगी, जयकिषन गौड़, रामभुवन सिंह, अरविंद श्रीवास्तव, सुरेष शर्मा, राघवेन्द्र सिंह, आलोक सिंघई, मयंक चैबे, डाॅ. जीवन शर्मा ने भाग लिया।
स्मारिका के संपादक वरिष्ठ पत्रकार श्री भरतचन्द्र नायक ने बैठक में बताया कि देष संास्कृतिक आक्रमण के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में पुरातन संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन के लिए साहित्य अनुरागियों का दायित्व बढ़ गया है। स्मारिका के प्रकाषन के लिए लेख सामग्री में प्रसंगानुकूल गंभीरता और गरिमा आवष्यक रूप से अपेक्षित है। अरविंद श्रीवास्तव, से सिंहस्थ प्रभारी मंत्री से संपर्क कर सिंहस्थ परिसर में अर्चना प्रकाषन के मंडप के लिए भूमि आरक्षण जैसी आवष्यक व्यवस्था करने का आग्रह किया गया। अरविन्द श्रीवास्तव सिंहस्थ मंत्री भूपेन्द्र ंिसह से संपर्क कर शीघ्र व्यवस्था कर समिति को अवगत करायेंगे।


जन-कल्याण के लिये ऊर्जा मंत्री श्री शुक्ल ने की गोवर्धन पूजा
13 November 2015
ऊर्जा एवं जनसम्पर्क मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने आज रीवा के लक्ष्मण बाग गौशाला में जन-कल्याण के लिये गोवर्धन पूजा की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और गौ-वंश संरक्षण के लिये नागरिकों को प्रेरित किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति और समाज के संतुलित विकास से सही मायनों में सुख, शांति और समृद्धि आयेगी।
श्री शुक्ल ने कहा कि गौ-सेवा में हर तरह की परेशानी से मुक्ति दिलाने की शक्ति है। लक्ष्मण बाग गौ-शाला में गाय के संरक्षण के साथ भारतीय परम्परा को मजबूती देने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि बेसहारा गाय को कांजी हाउस ले जाने के बजाय गौ-शाला में लाकर सेवा की जाये। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि पशु-पालकों को उन्नत नस्ल की गाय प्रदान की जायेगी। यह गाय राजस्थान और गुजरात से बुलवायी जा रही हैं। ऊर्जा मंत्री श्री शुक्ल ने गौमूत्र के महत्व के बारे में बताया। कार्यक्रम को रीवा महापौर श्रीमती ममता गुप्ता ने भी संबोधित किया।


तीन दिवसीय केरला फेस्टिवल का आयोजन भोपाल हाट में
13 November 2015
केरल के पर्यटन विकास विभाग की ओर से तीन दिवसीय केरला फेस्टिवल का आयोजन भोपाल हाट में होने जा रहे है। यह फेस्टिवल दिनांक 13-15 नवम्बर में भोपाल हाट में आयोजित होंगे। दिनांक 13 नवम्बर को सायं 7.00 बजे श्री बाबुलालजी गौर, गृह मंत्री मध्य प्रदेष शासन द्वारा इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। केरल राज्य के गठन के 60वीं वर्षगाॅठ के अवसर पर केरल के पर्यटन विकास विभाग द्वारा भारत के 9 स्थानों में नवम्बर माह में केरला फेस्टिवल का आयोजन किये जा रहे है। केरल राज्य का गठन 1 नवम्बर 1956 में मध्य प्रदेष राज्य के गठन के साथ हुआ था। भोपाल में इस फेस्टिवल का आयोजन केरल संगीत नाटक अकादमी के एम.पी.चैप्टर के तत्वाधान में आयोजित किये जा रहे है।
इस तीन दिवसीय टूरिसम फेस्टिवल में मुख्य रूप से केरला आयुर्वेद दवाईयों एवं थेरापी, हैन्डलूम, हैन्डीक्राफ्ट का प्रदर्षन होंगे तथा केरल के रसीले व्यंजन सामग्री जैसे केरल पराथा, टपियोका आईटम, कई तरह के शाकाहारी एवं मांसाहारी व्यंजन भी इस अवसर पर उपलब्ध रहेंगे। केरल के विविध प्रकार के केले भी प्रदर्षन एवं विक्रय हेतु उपलब्ध रहेंगे।
प्रत्येक दिन विविध प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी इस अवसर पर होंगे। प्रथम दिन केरल के एक परंपरागत फाॅक डान्स पडयणी का आयोजन से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ होंगे। मेजिक शो, कथा प्रसंगम, कविता पारायण, फाॅक गीत, तेय्यम, विविध प्रकार के शास्त्रीय एवं फाॅल्क डान्स, गान आदि का मंचन इस अवसर पर होंगे। इस अवसर पर प्रत्येक दिन केरल से पथार रहे कलाकारों के परंपरागत कला के मंचन के अलावा भोपाल के कलाकारों द्वारा अपने प्रस्तुती देंगे।


ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार एवं विकास की अपार संभावनाएं रखता है रेशम उद्योगः वी. रमेश
भोपाल में सिल्क मार्क वन्या सिल्क एक्सपो 29 अक्टूबर से- 20% तक मिलेगी छूट

Our Correspondent :28 October 2015
रेशम उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार एवं विकास की अपार संभावनाएं रखता है और इसके विस्तार से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सीधे लाभ होगा। यह बात क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रेशम मार्क संगठन (केंद्रीय रेशम बोर्ड, वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार) के श्री वी. रमेश, उप निदेशक (निरी) एवं वरिष्ठ कार्यपालक ने मंगलवार को पत्र सूचना कार्यालय, 11, वैशाली नगर, भोपाल में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि भारतीय रेशम मार्क संगठन (सिल्क मार्क ऑर्गनाइजेश ऑफ इंडिया) द्वारा जहांनुमा पैलेस होटल, श्यामला हिल्स, भोपाल में 29 अक्टूबर से 02 नवंबर 2015 तक “सिल्क मार्क वन्या सिल्क एक्सपो 2015, भोपाल” का आयोजन किया जा रहा है। इसमें भारत के 11 राज्यों के दूर दराज के बुनाई केंद्र हिस्सा लेंगे।
श्री रमेश ने आगे कहा कि अक्सर ऐसा देखने में आता है कि कुछ बेईमान निर्माता लोगों को धोखा देकर नकली सिल्क असली सिल्क की कीमत में बेच रहे हैं, इसीलिए इस एक्सपो में रेशम की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी उत्पादों पर सिल्क मार्क का लेबल लगाया गया है। उन्होंने कहा कि इस एक्सपो में उपभोक्ताओं को शुद्ध सिल्क की विशाल श्रृंखला देखने को मिलेगी और उन्हें यहां उत्पादों की खरीदारी पर 20 फीसदी तक की छूट मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस एक्सपो में रेशम कीटपालन पर लाइव प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा।
पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए श्री राजेश कुमार खरे, संयुक्त निदेशक, केंद्रीय रेशम बोर्ड ने अपने विभाग के कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उनका विभाग किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण एवं उन्हें रेशम कीट पालन का मार्गदर्शन देता है।
विदित है कि 29 अक्टूबर से 02 नवंबर 2015 तक चलने वाले इस एक्सपो का उद्घाटन समारोह 29 अक्टूबर 2015 (गुरुवार) को शाम 4.00 बजे जहांनुमा पैलेस होटल, श्यामला हिल्स, भोपाल में आयोजित किया जाएगा। इस एक्सपो का उद्घाटन भोपाल जिले के कलेक्टर और मुख्य अतिथि श्री निशांत वरवड़े करेंगे। उद्घाटन समारोह में भोपाल शहर की पूर्व महापौर श्रीमती कृष्णा गौर भी शिरकत करेंगी।


राष्ट्रीय अभिलेखागार के 125 वां स्थापना वर्ष समारोह भोपाल में संपन्न
Our Correspondent :05 October 2015
राष्ट्रीय अभिलेखागार के 125 वें स्थापना वर्ष (1891-2016) के उपलक्ष में राष्ट्रीय अभिलेखागार, क्षेत्रीय कार्यालय, भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय समारोह गुरुवार को संपन्न हो गया। इस मौके पर मशहूर संरक्षणविद् श्री एआर एस.एम. हुसैन ने कहा कि सांस्कृति विरासतों का संरक्षण समय की जरूरत है। उन्होंने बेनजीर महल, ताज महल, जामा मस्जिद, मोती मस्जिद जैसे भोपाल के ऐतिहासिक स्मारकों के बेहतर रख-रखाव पर जोर दिया। इस अवसर पर बोलेते हुए इतिहासविद् श्री अख्तर हुसैन ने भोपाल के ऐतिहासिक आश्चर्यों का विवरण पेश किया और भोपाल में बेगमों द्वारा बनवाए गए मस्जिदों एवं मंदिरों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने विश्व विरासत सूची में शामिल भोपाल के भीमबेटका की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। इस मौके पर प्रांजना सिन्हा, सहायक निदेशक, राष्ट्रीय अभिलेखागार, क्षेत्रीय कार्यालय, भोपाल ने भी अपने विचार रखे। भोपाल के स्थानीय विद्यालयों एवं कॉलेजों के छात्रों ने इस अवसर पर आयोजित फोटो प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इस अवसर पर व्याख्यान श्रृंखला का भी आयोजन किया गया। “दरीचा- शाहजहां बेगम के समय की एक झलक मुख्यतः बेनजीर पैलेस पर” शीर्षक एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया।


राम चरित मानस से विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैल रहा है
Our Correspondent :15 September 2015
भोपाल। मप्र के राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने राजभवन में तुलसी जयंती कार्यक्रम के विदाई समारोह में कहा कि गोस्वामी तुलसी दास जी ने सरल भाषा में राम चरित मानस की रचना कर उसे पूरे विश्व में लोकप्रिय बनाने का काम किया है। राम चरित मानस से ही पूरे विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैल रहा है। यह हमें लालच से दूर रहने, चरित्र और नैतिक मूल्यों को आत्म-सात करने की प्रेरणा देता है। राम चरित मानस ने अनुशासन, मर्यादा, संस्कृति की जो सीख दी है, उसका पूरे विश्व में प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है। श्री यादव ने कहा कि दीदी मंदाकिनी, रामचरित मानस की जो सरिता बहा रही है वह अनुकरणीय है। राज्यपाल श्री यादव ने दीदी मंदाकिनी का शॉल, श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।
दीदी मंदाकिनी ने कहा कि आज के विज्ञान के युग में मनुष्य भौतिक सुख-सुविधा के बावजूद मानसिक और शारीरिक रूप से दुखी है तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। रामचरित मानस में सम्पूर्ण जीवन का दर्शन है। तुलसीदास ने राम चरित मानस को हिन्दी में प्रस्तुत कर जन-कल्याण किया है। पूर्व सांसद श्री रघुनंदन शर्मा ने स्वागत भाषण में कहा कि राजभवन में दीदी मंदाकिनी के सम्मान से हम अभिभूत हैं। राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री अजय तिर्की, सेवानिवृत्त मेजर श्री एस.आर. सिंहो और मानस भवन तथा तुलसी अकादमी के पदाधिकारी एवं मानस प्रेमी उपस्थित थे।


कविता संस्कार देती है: मेहरुन्निसा परवेज़ अरुण गीते का कविता संग्रह लोकार्पित
Our Correspondent :21 August 2015
भोपाल। जीवन मंे आप जो कुछ अनुभव करते हैं, उसकी सार्थक अभिव्यक्ति कविता में होती हो तो कविता सशक्त बन जाती है। अरुण गीते ने अपने अनुभव कविता में दर्ज कर दिये हैं।-ये उद्गार थे वरिष्ठ साहित्यकार श्री राजेश जोशी के, जो अरुण गीते की पुस्तक ‘उन्मादी हवाओं का दंश’ के लोकार्पण समारोह में बतौर अतिथि उपस्थित थे। समारोह को सम्बोधित करते हुए पद्मश्री मेहरुन्निसा परवेज़ ने कहा कि कविता हमें संस्कार देती है। अरुण गीते की कविताएं जहाँ मन को छूती हैं, वहीं सामाजिक विदू्रप पर अपनी असहमति भी दर्ज करवाती हैं। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए सांसद डाॅ. भागीरथ प्रसाद ने कहा कि कविता हृदय की सहज अभिव्यक्ति है। अरुण गीते की कवितायें सहज हैं, जो हर पाठक को अपनी-सी लगती है। उनकी कविताएं निराशा से बाहर निकालती है।
आरम्भ में दुष्यन्त कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय के निदेशक राजुरकर ने स्वागत वक्तव्य देते हुए आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। लोकार्पण के बाद कवि श्री अरुण गीते ने अपनी रचनाप्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कुछ कविताओं का पाठ भी किया। कृतज्ञता ज्ञापन श्रीमती जया आर्य ने किया।


मुंबई से दिल्ली की रथ यात्रा का भायंदर, सिलवासा, दमन और वापी में भव्य स्वागत
Our Correspondent :22 April 2015
मुंबई। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति द्वारा १९ जुलाई २०१५ को सुबह जे बी नगर, अंधेरी (ईस्ट) में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में एक विशाल हवन और पूजा का आयोजन किया गया था। जहाँ पर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र बारहठ, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री विजय कुमार जैन, राजस्थानी फिल्म और टी वी अभिनेता अरविंद कुमार- नीलू ( नाच बलिए फेम ) सनी मंडावरा ,अनुपमा दधिची और राजस्थानी समाज के प्रतिष्ठित लोग थे। कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी लोगों ने जोड़ों में बैठकर पूजा और हवन किया। जहाँ पर हज़ारों की संख्या में लोग उपस्थित थे और खासकर स्कूल और कॉलेज के बच्चों ने पूजा और हवन में सहभागी हुए और तरह-तरह के वेश भूषा में लोगों को प्रोत्साहित किया और उसके बाद लक्ष्मी नारायण के आशीर्वाद लेने के बाद यात्रा शुरू हुई।जोकि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा इत्यादि होते हुए २७ जुलाई को दिल्ली पहुंचेगी।
मीरा भायंदर में पास शिवजी पुतले के पास नंदू पोद्दार, नगर सेविका सुमन कोठारी, राजेश डालमिया और राजस्थानी समाज के लोगों द्वारा रथ यात्रा का भव्य स्वागत समारोह हुआ। इसके बाद यात्रा सिलवासा, दमन होते हुए और स्वागत समारोह को सम्बोधित करते हुए वापी पहुंची। जहाँ पर आर पी चौधरी, राजेश दुग्गड़ और प्रवासी राजस्थानी द्वारा विशाल और भव्य स्वागत समारोह का आयोजन किया गया था। जहाँ पर यात्रा के संयोजक और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री विजय कुमार जैन ने कहा," जिस तरह देशभर में लोग अपनी भाषा जैसे कि मराठी, तमिल, तेलगु और गुजराती पढ़ते है, उसी तरह हमारे बच्चे स्कूल और कॉलेज में राजस्थानी भाषा पढ़े। मैं उम्मीद करता हूँ कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हमारी मांगे पूरी करेंगे।"
प्रदेश अध्यक्ष डॉ.राजेंद्र बारहठ ने कहा,"राजस्थानियों ने देश के लिए हर समय अपना योगदान दिया और देते आ रहे है। लेकिन लोगों ने राजस्थानी भाषा को संवैधानिक भाषा का दर्ज़ा मिले इसपर ध्यान नहीं दिया। हम इसके जरिये अपनी तड़प और अपनी इच्छा को लोगों के सामने रख रहे हैं। इस कार्यक्रम का मुख्य मकसद यह है कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिले और इसे संविधान के आठवीँ अनुसूची में शामिल किया जाय।"
राजस्थानी फिल्म, टी वी और नाच बलिए फेम अभिनेता अरविंद कुमार कहते है," जिस तरह लोगो ने रास्ते में स्वागत किया है, वह तारीफे काबिल है। इससे हमे लगता कि जो हम लोग चाहते है, वही देश के हर राजस्थानी की इच्छा है। जोकि जल्दी पूरी होगी, ऐसा मुझे लगता है।"

 

 


"एथिक्स इन गवर्नेंस" विषय पर पब्लिक लेक्चर संपन्न
रिटायर्ड IAS अधिकारी श्री पदमवीर सिंह ने रखे अपने विचार

Our Correspondent :20 July 2015
स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी की मासिक पब्लिक लेक्चर सीरीज में आज "एथिक्स इन गवर्नेंस (प्रशासन में नैतिकता) " विषय पर आज रिटायर्ड IAS अधिकारी श्री पदमवीर सिंह ने अपने विचार रखे I
श्री सिंह वर्तमान में अटल बिहारी बाजपेई सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान भोपाल के महानिदेशक हैं तथा पूर्व में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी मसूरी के प्रमुख रह चुके हैं

कार्यक्रम विवरण इस प्रकार था

कार्यक्रम का नाम - पब्लिक लेक्चर
दिनांक - 19 जुलाई रविवार
स्थान - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी

विषय - प्रशासन में नैतिकता
वक्ता - श्री पदमवीर सिंह
पदमवीर सिंह जी ने क्या कहा :-

हम प्रतिदिन - प्रतिक्षण जो भी निर्णय लेते हैं वे सभी निर्णय नैतिक व्यवहार को व्यक्त करते हैं
हमारा नैतिक व्यवहार हमारे मूल्यों से बनता है
हर समय में कुछ मूल्य प्रमुखता प्राप्त कर लेते हैं - जैसे कि वर्तमान में तीन मूल्य सबसे प्रमुख है - पैसा, ताकत और प्रसिद्धि
वर्तमान में हम एक विभाजक समाज में रह रहे हैं जहाँ हर चीज़ हमें बाटनें का काम कर रही है ...हम कई आधार पर बंटते जा रहे हैं जबकि हम सबकी उत्त्पत्ति एक ही जगह से हुई है और हम सब बराबर हैं
आज अधिकांश लोग बोलते हैं कि अच्छे मूल्य क्या हैं उन्हें कहाँ से पढ़ें ....मैं कहता हूँ कि सबसे अच्छे मूल्य हमारे संविधान में हैं
पर संविधान हमारे लिए वह डॉक्यूमेंट है जिसे हम मानते तो हैं पर प्रैक्टिस नहीं करते ...यदि संबैधानिक मूल्यों को हम पूरी तरह अपने व्यवहार में उतार लें तो यह देश जन्नत बन जायेगा
संविधान के अलावा हर समाज की एक " बुक ऑफ़ विजडम" होती है जो उस समाज ने हज़ारों साल के अनुभवों से विकसित किया है ....समाज को चाहिए कि वह इस बुक ऑफ़ विजडम के हिसाब से चले
हममें से कई अच्छे सिद्धांतों को स्वीकार करते हैं और उन्हें मानते भी हैं पर उन्हें अपने व्यवहार में नहीं उतारते क्योंकि हम सब खंडित व्यक्ति हैं ....बोलने के लिए कुछ और और करने के लिए कुछ और
हम सब जानना चाहते हैं कि नैतिक क्या है - में कहता हूँ कि वह इस देश के हर क़ानून को मन्ना नैतिकता है , ऐसा काम करना जिससे आपको गौरव की अनुभूति हो वह नैतिकता है ...और ऐसे काम जिसमें सबकी जीत हो वह नैतिकता है


भोपाल की पहली "यंग ऑथर समिट" संपन्न
Our Correspondent :27 April 2015
क्लब इंक द्वारा आज स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में "यंग ऑथर्स समिट" का आयोजन किया गया जिसमें 25 साल से कम के 5 इंग्लिश ऑथर्स ने भाग लिया

कार्यक्रम में शामिल होने वाले 5 ऑथर्स
अंकिता श्रीवास्तव (बुक - आई होप वी लॉस्ट) I Hope we lost
ओशी ज़ोहरी (बुक - अ बिटर स्वीट सिम्फनी) A bitter sweet symphony
दिव्य कुमार गर्ग (बुक - लाइफ एट दा रेस टू आई आई टी) Life at the race to IIT
रुपेश मेश्राम (बुक - लाइफ कुड वी ईजियर) Life could be easier
देवांशी खेत्रपाल (बुक - कोमा टू से ) Comatose

कार्यक्रम में किसने क्या कहा

इस कार्यक्रम का संचालन क्लब इंक की प्रमुख देवांशी खेत्रपाल ने किया . देवांशी ने सभी ऑथर्स से बारी बारी सवाल पूंछे और उनके अनुभवों को पाठकों के सामने रखा
देवांशी के प्रश्न और यंग ऑथर्स के जवाब

देवांशी - आपके दिमाग में किताब लिखने का विचार कैसे आया
अंकिता - मेरे स्कूल में हर कोई कुछ ना कुछ बड़ा करता था जिसके कारण उन्हें प्रेयर में स्टेज पर बुलाकर सम्मानित किया जाता था . मेरी भी इच्छा थी कि मुझे स्टेज पर बुलाया जाए ...साथ ही बचपन से ही मुझे फेमस होने की इच्छा थी ...बस इसी कारण किताब लिखने का मन बना लिया
ओशी जोहरी - किताबें पढ़ते पढ़ते कई बार लगता था कि ऐसी कहानियाँ तो में भी लिख सकती हूँ ...बन मन बनाया और लिख डाली अपनी कहानी
दिव्य गर्ग - मैं और मेरे दोस्त IIT की तैयारी कर रहे थे , कितनी भी पढ़ा करें लोगों को लगता है मक्कारी करते हैं इसलिए सेलेक्ट नहीं होता ...सोचा लोगों को बताया जाए कि कितना मुश्किल है तैयारी का ये पूरा माजरा
रुपेश - मैने अपने आस पास इंजीनियरिंग के बाद लोगों को तरह तरह के स्ट्रगल करते देखा ...सोचा जिसने यह स्ट्रगल नहीं किया वह कैसे समझेगा कि हम पर क्या बीत रही है ...बस यही बात बताने के लिए किताब लिख दी
देवान्शी - अब जब किताब पब्लिश हो गयी है तो क्या करते हैं
अंकिता - मैंने किताब लिखने के बाद एक प्रकाशन में एडिटर का काम करना शुरू किया है साथ में दूसरी किताब पर काम कर रही हूँ जो अगले साल आपके हाथ में होगी
ओशी - मैं अब गाने लिखती हूँ ...दोस्तों का एक बैंड है - बंदिशें ...उसके लिए आजकल गाने लिख रही हूँ
दिव्य - मुझे आजकल पॉलिटिक्स में बहुत इंटरेस्ट आ रहा है इसलिए आजकल मैं एक पोलिटिकल ब्लॉग चलाता हूँ
रुपेश - दूसरी किताब लिख रहा हूँ जल्दी प्रकाशित होगी
देवांशी - इंडिया में यंग ऑथर्स को किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है

सभी के उत्तर :-

देश में अच्छी किताबों को पब्लिश करने वाले पब्लिशर्स की बहुत कमी है
पब्लिशर्स आप काम देखने की वजाय आपकी डिग्री देखकर बुक पब्लिश करते हैं
अधिकांश पब्लिशर्स के यहाँ स्क्रिप्ट रिव्यु करने का कोई सिस्टम ही नहीं है
अभी भी बहुत सारे पब्लिशर्स डिजिटल मार्केटिंग नहीं कर पाते

देश में एक भी ढंग की मैन स्ट्रीम लिटरेरी मैगज़ीन पब्लिश नहीं होती हमारे यहाँ किसी ऑथर्स से संपर्क करना बेहद मुश्किल है


अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस
Our Correspondent :22 April 2015
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आज दिनांक 19 मई 2015, अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रातः 8.30 बजे नगरवासियों के लिये “खजाने की खोज“ नामक प्रतियागिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का उद्देष्य प्रतिभागियों को शहर में स्थित सांस्कृतिक धरोहरों एवं विभिन्न संग्रहालयों की पहचान कराना है। इस प्रतियोगिता को शहर के छः संग्रहालयों ने संयुक्त रूप से आयोजित किया गया, जिसमे लगभग 80 लोगो ने भाग लिया। प्रतियोगिता का उद्घाटन मानव संग्रहालय के निदेशक, प्रोफ सरित कुमार चैधुरी ने हरी झंडी दिखा कर किया। इसमें प्रतिभागीयों ने दो-दो के दल में रहकर संग्रहालय द्वारा दी गयी संकेत-पत्रिका का प्रयोग कर प्रदर्शो की जानकारी देनी थी। विजेताओं को आकर्षक नकद पुरस्कार प्रदान दिये जायेंगें। इस कार्यक्रम के समन्वयक मानव संग्रहालय के प्रकाशन अधिकारी, श्री सुधीर श्रीवास्तव है।

 

 


मानव संग्रहालय में प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में द्वारा वर्तमान संचालित ग्रीष्मकालीन शैक्षणिक कार्यक्रम श्रृंखला ’करो और सीखो’ की पहली कडी के रूप “ओडिशा का पारंपरिक टेराकोटा“ पर प्रदर्शन सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज दिनांक 12 मई 2014 से संग्रहालय स्थित सिरेमिक कार्यशाला में शुरुवात हुई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ओडिशा के पारंपरिक टेराकोटा कलाकार श्री लोकनाथ राणा ने पंजीकृत प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान करना शुरू किया। पहले दिन 30 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया। पहले ही दिन बच्चो ने छोटे-छोटे कलाकृतियाँ जैसे की चूहे, गणेशजी, आदि बनाना सिखा। प्रशिक्षण हेतु पंजीयन शुल्क रू 100/- प्रति व्यक्ति है। प्रशिक्षण का समय प्रातः 11 बजे से 2 बजे तक रहेगा। अधिक जानकारी के लिये दूरभाष नम्बर 0755 2526548 पर संपर्क किया जा सकता है।


"कुछ और है ज़िद अपने मन की" हुई लॉन्च
Our Correspondent :22 April 2015
इंग्लिश की रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ रजनी पाण्डेय का कहानी संग्रह "कुछ और है ज़िद अपने मन की" आज स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में लॉन्च हुआ. भाल्व प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस बुक को श्री सत्य साईं कॉलेज की हिंदी की विभागाध्यक्ष 'बिनय राजाराम' ने लॉन्च किया .

कार्यक्रम में किसने क्या कहा

डॉ रजनी पाण्डेय (लेखिका)
यह पुस्तक मेरी ज़िन्दगी के कुछ अच्छे अनुभव हैं जिन्हें सालों से मेरी अच्छी स्मृतियों के तौर पर मौजूद थे उस ज़माने में लड़कियों का ज़िद करना बहुत बड़ी बात होती थी पर मैंने अपने आस पास कुछ ऐसी लड़कियों को देखा जिन्होंने ना केवल ज़िद की बल्कि तमाम परेशानियों के वाबजूद पानी ज़िद को पूरा भी किया ऐसी लड़कियों के प्रति मेरे मन में हमेशा से सम्मान का भाव रहा है
यह किताब वैसे तो कहानियों का संग्रह है पर असल में ये सब कहानियाँ मेरे आस पास के लोगों की ज़िद और उससे जुड़े अनुभव ही हैं


मेरी अधिकाँश कहानियां गंभीर हैं पर एक कहानी थोडा सा गुदगुदाने वाली भी है कहानी का नाम है "बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना" जो असल में अंतरजातीय विवाह करने वाले एक जोड़े की कहानी है

डॉ बिनय राजाराम

हेड हिंदी डिपार्टमेंट, श्री सत्य साईं कॉलेज

डॉ बिनय राजराम ने इस पुस्तक की सातों कहानियों व्याख्या की और इन्हें हिंदी साहित्य में अलग तरह की कहानियां बताया उनका कहना था कि आजकल हिंदी साहित्य में जिस तरह की कहानियां लिखी जा रहीं हैं उनसे डॉ रजनी पाण्डेय की कहानियां इस कारण अलग हैं क्योंकि ना तो इन कहानियों में कोई अलंकार हैं और ना ही साहित्यिक श्रृंगार सारी कहानियाँ सीधे दिल से निकली हैं और सहज तरीके से कह दी गईं हैं
इन कहानियों को पढ़कर शायद ही कोई विश्वास करे कि इन्हें इंग्लिश की प्रोफेसर ने लिखा है उन्होंने कहा कि हर रोज़ हमारे आस पास पचासों कहानियां जन्म लेतीं हैं पर हम उन्हें कहानी के रूप में प्रस्तुत नहीं कर पाते कहानी लिखने के लिए साहित्यिक क्षमता के अलावा घटनाओं में गहरी रूचि होना भी जरुरी है


बुक लॉन्च: "कुछ और है ज़िद अपने मन की"
Our Correspondent :20 April 2015
मंगलवार 21 अप्रैल को स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में इंग्लिश की रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ रजनी पाण्डेय की किताब "कुछ और है ज़िद अपने मन की" लॉन्च की जायेगी . इस अवसर "मन की ज़िद" नामक एक विशेष प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है . जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी ज़िद से जुड़े अनुभव सुना सकते हैं .सर्वश्रेष्ठ 5 अनुभवों को इस पुस्तक के अगले संस्करण में प्रकाशित किया जायेगा

कार्यक्रम विवरण :
दिनांक - 21 अप्रैल , मंगलवार
समय - सायं 5 बजे
स्थान - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी

कार्यक्रम क्या है

"कुछ और है ज़िद अपने मन की" नामक पुस्तक की लॉन्चिंग
"मन की ज़िद" प्रतियोगिता

बुक लॉन्च

बुक का नाम : "कुछ और है ज़िद अपने मन की"
लेखक : डॉ रजनी पाण्डेय (रिटायर्ड प्रोफेसर इंग्लिश)
विशेष अतिथि - डॉ बिनय राजराम (प्रोफेसर हिंदी)

पुस्तक के बारे में :

"कुछ और है ज़िद अपने मन की" एक कहानी संग्रह है जिसमें लेखिका ने अपने आस पास देखी घटनाओं को कहानी के रूप में लिखा है . हर कहानी में मुख्य पात्र महिलाएं हैं जिन्होंने अपने मन की ज़िद को सम्मान देते हुए जीवन जिया ....समाज के नियम और मान्यताओं के विपरीत अपनी ज़िद पर टिके रहने की प्रेरणा देती इस किताब में कुल 7 कहानियाँ हैं

लेखिका के बारे में :

डॉ रजनी पाण्डेय रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती शान्तिनिकेतन की स्टूडेंट रहीं हैं वे 25 वर्ष तक भोपाल के श्री सत्य साईं कॉलेज में अंग्रेजी की प्रोफेसर रहीं. तथा उसके बाद से ट्रेनिंग, एग्जामिनेशन एवं अनुवाद के कार्य से जुडी हुईं हैं

मन की ज़िद प्रतियोगिता

क्या है प्रतियोगिता : यह एक ओपन प्रतियोगिता है जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी ज़िद से जुड़े अनुभवों को हमारे साथ साझा कर सकता है
क्या करना है : यदि आपने कभी कोई ज़िद की है तो उस ज़िद से जुड़े अपने अनुभव को 100 शब्दों में लिखकर 21 अप्रैल को शाम 5 बजे से पहले स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में जमा कर दें .
कौन भाग ले सकता है - किसी भी आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति

प्रतियोगिता की भाषा - केवल हिंदी

पुरूस्कार -

सर्वश्रेष्ठ 5 एंट्रीज़ को मंगलवार को लाइब्रेरी में होने वाले कार्यक्रम में अनुभव सुनाने का मौका दिया जायेगा
इन 5 सर्वश्रेष्ठ एंट्रीज़ को "कुछ और है ज़िद अपने मन की" बुक के दूसरे संस्करण में शामिल किया जायेगा
मंगलवार के कार्यक्रम में 3 सर्वश्रेष्ठ अनुभवों को सम्मानित भी किया जायेगा


बुक लॉन्च एवं "मन की ज़िद" प्रतियोगिता
Our Correspondent :20 April 2015
मंगलवार 21 अप्रैल को स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में इंग्लिश की रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ रजनी पाण्डेय की किताब "कुछ और है ज़िद अपने मन की" लॉन्च की जायेगी . इस अवसर "मन की ज़िद" नामक एक विशेष प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है . जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी ज़िद से जुड़े अनुभव सुना सकते हैं .सर्वश्रेष्ठ 5 अनुभवों को इस पुस्तक के अगले संस्करण में प्रकाशित किया जायेगा

कार्यक्रम विवरण :

दिनांक - 21 अप्रैल , मंगलवार
समय - सायं 5 बजे
स्थान - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी

कार्यक्रम क्या है

"कुछ और है ज़िद अपने मन की" नामक पुस्तक की लॉन्चिंग
"मन की ज़िद" प्रतियोगिता

बुक लॉन्च

बुक का नाम : "कुछ और है ज़िद अपने मन की"
लेखक : डॉ रजनी पाण्डेय (रिटायर्ड प्रोफेसर इंग्लिश)
विशेष अतिथि - डॉ बिनय राजराम (प्रोफेसर हिंदी)

पुस्तक के बारे में :

"कुछ और है ज़िद अपने मन की" एक कहानी संग्रह है जिसमें लेखिका ने अपने आस पास देखी घटनाओं को कहानी के रूप में लिखा है . हर कहानी में मुख्य पात्र महिलाएं हैं जिन्होंने अपने मन की ज़िद को सम्मान देते हुए जीवन जिया ....समाज के नियम और मान्यताओं के विपरीत अपनी ज़िद पर टिके रहने की प्रेरणा देती इस किताब में कुल 7 कहानियाँ हैं

लेखिका के बारे में :

डॉ रजनी पाण्डेय रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती शान्तिनिकेतन की स्टूडेंट रहीं हैं वे 25 वर्ष तक भोपाल के श्री सत्य साईं कॉलेज में अंग्रेजी की प्रोफेसर रहीं. तथा उसके बाद से ट्रेनिंग, एग्जामिनेशन एवं अनुवाद के कार्य से जुडी हुईं हैं

मन की ज़िद प्रतियोगिता

क्या है प्रतियोगिता : यह एक ओपन प्रतियोगिता है जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी ज़िद से जुड़े अनुभवों को हमारे साथ साझा कर सकता है
क्या करना है : यदि आपने कभी कोई ज़िद की है तो उस ज़िद से जुड़े अपने अनुभव को 100 शब्दों में लिखकर 21 अप्रैल को शाम 5 बजे से पहले स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में जमा कर दें .
कौन भाग ले सकता है - किसी भी आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति

प्रतियोगिता की भाषा - केवल हिंदी

पुरूस्कार -

सर्वश्रेष्ठ 5 एंट्रीज़ को मंगलवार को लाइब्रेरी में होने वाले कार्यक्रम में अनुभव सुनाने का मौका दिया जायेगा
इन 5 सर्वश्रेष्ठ एंट्रीज़ को "कुछ और है ज़िद अपने मन की" बुक के दूसरे संस्करण में शामिल किया जायेगा
मंगलवार के कार्यक्रम में 3 सर्वश्रेष्ठ अनुभवों को सम्मानित भी किया जायेगा


मोटिवेशनल स्पीकर ब्रम्हाकुमारी सिस्टर शिवानी १ मार्च को भोपाल में
पर्पल मार्च - इंडो यूरोपियन चैम्बर ऑफ़ कामर्स अंतर्राष्ट्रीय स्वयं सेवी द्वारा संचालित एक सामाजिक फोरम और ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में मोटिवेशनल एवं आध्यात्मिक स्पीकर- वक्ता ब्रम्हा कुमारी सिस्टर शिवानी का एक वृहद कार्यक्रम " रिफ्रेशिंग एंड एनलाइटिंग टॉक बाय सिस्टर शिवानी " १ मार्च ,रविवार को सांय ५ बजे भोपाल स्कूल ऑफ़ सोशल साइंस -BSS college में आयोजित किया जा रहा है। सिस्टर शिवानी पिछले २० वर्ष से बेहतर जिंदगी के रहस्यों और ऊर्जावान व्यक्तिव पर केंद्रित कई महत्त्वपूर्ण प्रेरणादायक कार्यक्रम लगातार टीवी पर दे रही हैं जो विश्व प्रसिद्ध हैं एवं उनके फॉलोवर्स पूरे देश विदेश में हैं। यह कार्यक्रम पूर्णतः निशुल्क है। ( Invitation Letter enclosed)
कार्यक्रम के निशुल्क पास निम्न स्थानों से प्राप्त किये जा सकते हैं.

१. इंडो यूरोपियन चैम्बर ऑफ़ कामर्स, f-101 , रक्षा टावर,चुना भट्टी , मेन रोड ,डोमिनो पिज़ा के पास
,भोपाल 0755-4270989,7415707449
२. ब्रम्हा कुमारी राजयोग भवन , ई ५ अरेरा कॉलोनी ,भोपाल-9479319148
३. माय एफ एम स्टूडियो , प्रेस काम्प्लेक्स,भोपाल

कार्यक्रम में पेंटिंग और कविता लेखन प्रतियोगिता के बच्चों को सिस्टर शिवानी द्वारा पुरुस्कृत भी किया जायेगा ,साथ ही आशा निकेतन के मूक बधिर बच्चों द्वारा आकर्षक नृत्य भी प्रस्तुत किया जाएगा. इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों के लगभग २००० प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. पर्पल मार्च - इंडो यूरोपियन चैम्बर ऑफ़ कामर्स अंतर्राष्ट्रीय स्वयं सेवी द्वारा संचालित एक सामाजिक फोरम है जो लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करता है। इंडो यूरोपियन चैम्बर ऑफ़ कामर्स सामाजिक और आर्थिक विकास के क्षेत्र में भारत एवं अन्य देशों के बीच सेतु का कार्य कर रहा है।

विशेष अनुरोध : कृपया उक्त समाचार को अपने महत्वपूर्ण-प्रतिष्ठित समाचार पत्र में स्थान देने का कष्ट करें और कार्यक्रम में अवश्य पधारें।


मोटिवेशनल स्पीकर ब्रम्हाकुमारी सिस्टर शिवानी १ मार्च को भोपाल में
पर्पल मार्च - इंडो यूरोपियन चैम्बर ऑफ़ कामर्स अंतर्राष्ट्रीय स्वयं सेवी द्वारा संचालित एक सामाजिक फोरम और ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में मोटिवेशनल एवं आध्यात्मिक स्पीकर- वक्ता ब्रम्हा कुमारी सिस्टर शिवानी का एक वृहद कार्यक्रम " रिफ्रेशिंग एंड एनलाइटिंग टॉक बाय सिस्टर शिवानी " १ मार्च ,रविवार को सांय ५ बजे भोपाल स्कूल ऑफ़ सोशल साइंस -BSS college में आयोजित किया जा रहा है। सिस्टर शिवानी पिछले २० वर्ष से बेहतर जिंदगी के रहस्यों और ऊर्जावान व्यक्तिव पर केंद्रित कई महत्त्वपूर्ण प्रेरणादायक कार्यक्रम लगातार टीवी पर दे रही हैं जो विश्व प्रसिद्ध हैं एवं उनके फॉलोवर्स पूरे देश विदेश में हैं। यह कार्यक्रम पूर्णतः निशुल्क है। ( Invitation Letter enclosed)
कार्यक्रम के निशुल्क पास निम्न स्थानों से प्राप्त किये जा सकते हैं.

१. इंडो यूरोपियन चैम्बर ऑफ़ कामर्स, f-101 , रक्षा टावर,चुना भट्टी , मेन रोड ,डोमिनो पिज़ा के पास
,भोपाल 0755-4270989,7415707449
२. ब्रम्हा कुमारी राजयोग भवन , ई ५ अरेरा कॉलोनी ,भोपाल-9479319148
३. माय एफ एम स्टूडियो , प्रेस काम्प्लेक्स,भोपाल

कार्यक्रम में पेंटिंग और कविता लेखन प्रतियोगिता के बच्चों को सिस्टर शिवानी द्वारा पुरुस्कृत भी किया जायेगा ,साथ ही आशा निकेतन के मूक बधिर बच्चों द्वारा आकर्षक नृत्य भी प्रस्तुत किया जाएगा. इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों के लगभग २००० प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. पर्पल मार्च - इंडो यूरोपियन चैम्बर ऑफ़ कामर्स अंतर्राष्ट्रीय स्वयं सेवी द्वारा संचालित एक सामाजिक फोरम है जो लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करता है। इंडो यूरोपियन चैम्बर ऑफ़ कामर्स सामाजिक और आर्थिक विकास के क्षेत्र में भारत एवं अन्य देशों के बीच सेतु का कार्य कर रहा है।

विशेष अनुरोध : कृपया उक्त समाचार को अपने महत्वपूर्ण-प्रतिष्ठित समाचार पत्र में स्थान देने का कष्ट करें और कार्यक्रम में अवश्य पधारें।


दुष्यन्त कुमारसंग्रहालय का स्थापना दिवस आज (मंगलवार को)
राॅक शैली में प्रस्तुत की जायेंगी दुष्यन्त कुमार की ग़ज़लें


भोपाल। दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय मंगलवार (30 दिसम्बर) को अपना स्थापना दिवस मनायेगा। इस अवसर पर दुष्यन्त कुमार की ग़ज़लों की राॅक शैली में प्रस्तुति होगी। समारोह के मुख्य अतिथि माॅरीशस के वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. राज हीरामन होंगे।
यह जानकारी देते हुए दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज ने बताया कि 30 दिसम्बर 1997 को स्थापित संग्रहालय के स्थापना दिवस के अवसर पर अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत ‘साया बैंड’ के विकास सिरमोलिया और उनके साथियों द्वारा दुष्यन्त कुमार की ग़ज़लें राॅक शैली में प्रस्तुत की जायेंगी। इस अवसर पर माॅरीशस के वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. हीरामन को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।


महत्वपूर्ण साहित्यिक सरोकार
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राष्ट्रीय ख्याति के सत्रहवें अम्बिका प्रसाद दिव्य साहित्य पुरस्कार घोषित
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श्री पंकज परिमल, डा शशि वर्धन शर्मा शैलेश, श्री वनाफरचन्द्र, डा राकेश कुमार सिंह एवं
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श्री रवीन्द्र बडगैंया पुरस्कृत, एवं सात लेखकों को दिव्य प्रशस्ति पत्र।
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भोपाल। राष्ट्रीय ख्याति के बहुचर्चित अम्बिका प्रसाद दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कारों की घोषणा, मंगलवार 30 दिसम्बर 2014 को , साहित्य सदन, सांईनाथ नगर, सी-सेक्टर, कोलार, भोपाल में आयोजित एक साहित्यिक समारोह में की गई । पुरस्कारों की घोषणा डा. हरिसिंह गौर वि. वि. सागर के हिन्दी विभाग के प्राध्यापक एवं प्रसिद्ध विद्वान डा. आनन्द त्रिपाठी एवं इलाहाबाद की प्रसिद्ध कवयित्री श्रामती विजयलक्ष्मी विभा ने संयुक्त रूप से की। इक्कीस सौ रुपये राशि के दिव्य पुरस्कार, श्री पंकज परिमल (साहिबाबाद) को उनके खंडकाव्य “उत्तम पुरुष का गीत” डा. शशिवर्धन शर्मा शैलेश, (नागपुर) को उनके उपन्यास “वक्त की आँधयाँ,” श्री वनाफर चन्द्र (भोपाल) को उनके कहानी संग्रह “उसकी डायरी” डा. राकेश कुमार सिंह (आगरा)को उनके निबन्ध संग्रह “धनिया की कामधेनु” एवं श्री रवीन्द्र बडगैंया (बिलासपुर) को उनके व्यंग संग्रह “तो अंग्रेज क्या बुरे थे” , के लिए प्रदान किये जायेंगे। इसके अलावा श्री राघवेन्द्र तिवारी (भोपाल ) को उनके काव्य संग्रह “स्थापित होता है शब्द हर बार” , श्री हातिम जावेद मेहसी (चंपारण) को उनके गजल संग्रह, “वक्त की हथेली में “ ,श्री प्रेमचंद सहजवाला (दिल्ली) को उनके उपन्यास “नौकरीनामा बुद्धू का” ,श्रीमती रंजना फतेपुरकर (इंदौर) को उनके लघु कथा संग्रह “बूंदों का उपहार”श्री कृष्ण नागपाल (नागपुर ) को उनके निबन्ध संग्रह “अजगर और मेमने” श्री सदाशिव कौतुक (इंदौर) को उनके व्यंग संग्रह ”भगवान दिल्ली में’ के लिये तथा “शब्द प्रवाह “पत्रिका को श्रेष्ठ संपादन हेतु श्री संदीप सृजन (उज्जैन) को अम्बिका प्रसाद दिव्य प्रशस्ति पत्र प्रदान किये जायेंगे। दिव्य पुरस्कारों के संयोजक श्री जगदीश किंजल्क ने बताया कि इन पुरस्कारों हेतु देश के कोने-कोने से कुल 147 पुस्तकें प्राप्त हुई थीं ।सत्रहवे दिव्य पुरस्कारों के विद्वान निर्णायक हैं – प्रो. आनन्द त्रिपाठी,श्री माता चरण मिश्र, श्रीमती विजयलक्ष्मी विभा, श्री मयंक श्रीवास्तव, श्री राजेन्द्र नागदेव , श्री प्रियदर्शी खैरा, श्री संतोष खरे, प्रो.रामदेव भारद्वाज, श्री प्रभुदयाल मिश्र,श्री कुमार सुरेश, एवं श्री जगदीश किंजल्क । साहित्य सदन की व्यवस्थापक श्रीमती राजो किंजल्क ने बताया कि ये पुरस्कार शीघ्र ही विद्वानों को उपलब्ध कराये जायेंगे ।अठारहवे दिव्य पुरस्कारों हेतु भी पुस्तकें आमंत्रित कीगई हैं ।


महत्वपूर्ण साहित्यिक सरोकार
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राष्ट्रीय ख्याति के अम्बिका प्रसाद दिव्य पुरस्कारों हेतु पुस्तकें आमंत्रित
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भोपाल। साहित्य सदन भोपाल द्वारा राष्ट्रीय ख्याति के अठारहवें अम्बिका प्रसाद दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कारों हेतु साहित्य की अनेक विधाओं में पुस्तकें आमंत्रित की जाती हैं । उपन्यास, कहानी, कविता, व्यंग एवं निबन्ध विधाओं पर प्रत्येक के लिये इक्कीस सौ रुपये राशि के पुरस्कार प्रदान किया जायेंगे। दिव्य पुरस्कारों हेतु पुस्तकों की दो प्रतियाँ, लेखक के दो छाया चित्र एवं प्रत्येक विधा की प्रविष्टि के साथ दो सौ रुपये प्रवेश शुल्क भेजना होगा ।हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकों की मुद्रण अवधि 1 जनवरी 2013 से लेकर 31दिसम्बर 2014 के मध्य होना चाहिये। राष्ट्रीय ख्याति के इन प्रतिष्ठापूर्ण चर्चित दिव्य पुरस्कारों हेतु प्राप्त पुस्तकों पर गुणवत्ता के क्रम में दूसरे स्थान पर आने वाली पुस्तकों को दिव्य-प्रशस्ति पत्रों से सम्मानित किया जायेगा। अन्य जानकारी हेतु मोबाइल नं. 09977782777, दूरभाष-0755-2494777 एवं ईमेल:jagdishkinjalk@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। पुस्तकें भेजने का पता है-श्रीमती राजो किंजल्क, साहित्य सदन , 145-ए, सांईनाथ नगर सी-सेक्टर, कोलार रोड, भोपाल-462042 । पुस्तकें प्राप्ति की अंतिम तिथि है 30 अक्टूबर 2015 । कृपया प्रेषित पुस्तकों पर पेन से कोई भी शब्द न लिखें ।


शहरभर में रही क्रिसमस सेलीब्रेशन की धूम

भोपाल। गुरूवार को क्रिसमस का खास मौका था। कोहरे के बीच रंग बिरंगी रोशनी से नहाए हुए चर्च में खुशियां बांटने की होड़ मची थी।
सभी एक-दूसरे को गले लगा गिफ्ट भेंट कर मौके को यादगार बनाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे थे। शहर के चर्चो में प्रेम और खुंशी बांटने के संदेश दिया गया। चर्चो के अलावा स्कूलों में क्रिसमस फीवर दिखाई दिया और सामाजिक संस्थाओं ने क्रिसमस को सेलीब्रेट किया। बच्चों ने सेंटा क्लॉज के साथ खूब मौज बस्ती की। बच्चों को उपहार भेंट किए गए।
शहर के सभी चर्च में प्रभु यीशु के जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर प्रार्थना सभाएं हुईं और केरोल के माध्यम से प्रभु यीशु की आराधना की गई। इस शुभ अवसर पर गिरजाघरों में विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना भी की गई।
आर्चबिशप डॉ. लियो कार्नेलियो ने इस अवसर पर शहरवासियों को रोशनी के इस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी। इस दौरान उन्होंने सेंट फ्रांसिस चर्च जहांगीराबाद में समाज के लोगों को सेवा सद्भाव का संकल्प दिलाया। उन्होंने बताया कि असहाय निर्धन, दबे कुचले लोगों की मदद करने के अलावा प्रेम और खुंशियां बांटने का संदेश प्रभु जीसस ने दिया था। बाइबिल में लिखा है ‘जगत की रोशनी मैं हूं, मेरी ओर निहार मैं तुझको शांती दूंगा’। सभी ने शांतिपूर्वक उपदेशों को सुना तथा देश की उन्नति की प्रार्थना की।
यही नहीं, शहर के शॉपिंग मॉल्स के साथ-साथ अनाथालय में भी क्रिसमस का त्योहार मनाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। क्रिसमस कार्निवाल में बच्चों ने काफी लुत्फ उठाया। यहां प्रभु यीशु की झांकी भी सजाई गई , जिनमें मरियम, प्रभु यीशु, गडरिये और स्वर्ग से आए दूत दिखाए गए हैं।
25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इस दिन को क्रिसमस डे कहा जाता है और पूरे दिसंबर माह को क्राइस्टमास के नाम से जाना जाता है। क्राइस्टमास के खत्म होने के बाद ही ईसाई नववर्ष की शुरुआत होती है। मार्केट में क्रिसमस गिफ्ट, कार्ड, प्रभु ईशु के पिक्चर्स, सांता क्लॉज की टोपी की भरमार लग जाती है।


जरूरी है घर वापिसी - हरिहर शर्मा कार्यकारी निदेशक विश्व संवाद केंद्र
2 फरवरी 1835 को लार्ड मैकाले ने ब्रिटिश संसद में जो बयान दिया था उसके अनुसार हम उस समय भिखारी या चोर नहीं थे | हमारी नैतिकता, हमारा चरित्र वस्तुतः हमारी आध्यात्मिक चेतना के कारण सर्वोच्च शिखर पर स्थित था | आज के भौतिक वादी या यूँ कहें की बाजारवाद के युग में वह चेतना निष्प्राण होती जा रही है | यह मूल कमी है जिसकी और स्वतंत्र भारत में ध्यान देने की सोचना भी सांप्रदायिक कहलाने और गाली खाने का पर्याप्त कारण है |

मिटटी का जिस्म ले के, पानी के घर मैं हूँ,
मंज़िल है मौत मेरी, हर पल सफ़र मैं हूँ,

ब्रिटिश चेनल 4 स्ट्रिंग ऑपरेशन चलाकर मालूम करता है कि आईएस का ट्विटर एकाउंट भारत से संचालित हो रहा है | यह सामान्य बात हो सकती है, किन्तु चेनल के सम्मुख एकाउंट संचालक मेहदी मसरूर विश्वास ने जो कुछ कहा वह खतरे की घंटी है | मेहदी ने कहाकि उसे फक्र है कि वह इस्लाम परस्त है | साथ ही उसने कहा कि आईएस द्वारा बड़े पैमाने पर सर कलम किये जाना इस्लाम में जायज हैं | इस्लाम काफिरों के सर कलम किये जाने को न केवल मान्यता देता है, वरन उसके लिए फरमान भी सुनाता है |
उसकी इस मान्यता ने मुझे बरबस आपातकाल में एक वरिष्ठ संघ प्रचारक और एक मुस्लिम नेता की भोपाल केन्द्रीय जेल में हुई चर्चा की याद दिला दी | 1975 के आपातकाल में ये दोनों महानुभाव जेल में साथ साथ बंद थे और दोनों में पर्याप्त मित्रता भी हो गई थी | एक शाम जब दोनों साथ साथ टहल रहे थे, संघ प्रचारक ने मुस्लिम नेता से कहा कि जिस प्रकार आप यह मानते हो कि पैगम्बर साहब को खुदा ने इस धरती पर अपना दूत बनाकर भेजा, उसी प्रकार क्या यह नहीं हो सकता कि खुदा शरीफ ने अपने किसी बन्दे को भारत में भी भेजा हो ? आप लोग राम को खुदा का अवतार न सही पैगम्बर तो मान सकते हो ?

इस पर मुस्लिम नेता ने झल्लाकर कहा कि क्या काफिराना बात करते हो ? काफिराना सुनकर संघ प्रचारक अचंभित हो उठे | उन्होंने कहा कि आपको मेरी बात अगर काफिराना लगती है, तब तो आप मेरे साथ भी वही व्यवहार करोगे जो आपकी इस्लामी मान्यता के अनुसार काफिरों के साथ की जाना चाहिए, अर्थात जान लेना | मुस्लिम नेता ने तुर्की बतुर्की जबाब दिया, बेशक अगर हमारा राज होता तो हम यही करते | संघ प्रचारक ने सवाल किया कि तुम अपना राज आने पर हमारे साथ जैसा व्यवहार करना चाहते हो, बैसा ही व्यवहार अगर हम आज अपने राज में करें तो क्या ठीक होगा | मुस्लिम नेता ने पूरी ढिठाई से कहा, नहीं आप नहीं कर सकते, हमें तो बैसा करने को कुरआन शरीफ में आदेश दिया है, किन्तु आपके किस धर्मग्रन्थ में बैसा लिखा है | संघ प्रचारक निरुत्तर हो गए |
भारत की सांस्कृतिक विरासत जिस सर्वधर्म समभाव और सर्वे भवन्तु सुखिनः की बुनियाद पर खडी है, उसमें विरोधियों का सर कलम किया जाना शबाब का नहीं नरक का कारण है | आज आवश्यकता इस बात की है कि सहअस्तित्वपूर्ण आपसी भाईचारे की मानसिकता में वापस आया जाए | जो लोग पूर्व में विरोधियों की ह्त्या को जायज मानने वाली मानसिकता में चले गए हैं, वे पुनः वापस भारत की सहअस्तित्व की मानसिकता में लौटें | यह मतांतरण नहीं घर वापसी होगा |
मुझे स्मरण आ रहा है की अटल जी की सरकार में एक बार जार्ज साहब ने चाइना को भारत का दुश्मन नुम्बर एक करार दिया था | उनके इस बयान पर सदन में बखेड़ा खड़ा हो गया था | बात इतनी बढ़ी कि जार्ज साहब को अपने शब्द वापस लेने पड़े और एक प्रकार से माफ़ी मांगनी पड़ी | हमारे देश में देश हित गौण और दलगत हित प्रमुख हें |भारत की संप्रभुता और स्वतंत्रता गौण और दलों की विचारधारा महत्वपूर्ण है | क्षेत्रवाद, जातिवाद और धर्मनिरपेक्षता (अनीश्वरवाद ) हमारे अस्तित्व पर ही संकट खड़ा कर रहा है | भूषण की जिन कविताओं से युवाओं में देश भक्ति का ज्वार उठ सकता था , पाठ्यक्रम से बाहर हैं | ग से गधा पढाया जा सकता है गणेश नहीं | चारित्रिक और नैतिक शिक्षा बेमानी हैं | देशप्रेम के अभाव में आसन्न संकट और भी विकराल दिखाई दे रहा है | यह वही मानसिकता है, जिसके चलते बख्तियार खिलजी ने ज्ञान के अथाह भण्डार तक्षशिला विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को जलाकर राख कर दिया था |
वो जमाने और थे जब युद्ध सेना द्वारा हथियारों से लड़ा जाता था | आज तो लड़ाई के तरीके भी बदल गए हैं और हथियार भी | अमरीका ने रूस को कमजोर करने के लिए तालिबान का सृजन किया था | इसी प्रकार इरान को सबक सिखाने के लिए सद्दाम को मजबूत किया था | यह अलग बात हैकि ये प्रयोग अमरीका के ही गले की हड्डी साबित हुए | इंदिराजी ने भी तो बंगलादेश बनाकर पाकिस्तान की ताकत को आधा कर दिया था | आज वही तरकीब हम पर भी आजमाइ जा रही है | जातियों के नाम पर अथवा दलित या आदिवासियों के नाम पर चीन और पाकिस्तान पोषित तत्व भारत को कमजोर रखने की साजिश कर रहे हें | चीन पोषित नक्सलवाद और पाक पोषित आतंकवाद भी इसी की एक कड़ी है | इस काम के लिए हवाला और एन जी ओ के माध्यम से पेट्रो डॉलर का भी इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर होने की खबरें है | इसलिए मानसिकता बदलना आवश्यक है, विचारधारा बदलना आवश्यक है, घर वापिसी आवश्यक है |


ग़ज़लरॉक परफॉरमेंस से सदु ने किया सब को मदहोश और मन्त्रमुग्ध
03 November 2014
लोकप्रिय गायक संगीतकार सदु ने 12वीं राष्ट्रीय कार्डियोलॉजी कांफ्रेंस के पहले दिन की शाम की बैंक्वेट पार्टी में अपनी ग़ज़लरॉक की ख़ास अंदाज़ में अपनी मधुर आवाज़ से सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया. म्यूजिकल शाम देर रात तक चलती रही . 8 नवम्बर को आमेर ग्रीन्स में यह पार्टी रखी गई थी. सदु ने अपनी मुख्तलिफ अंदाज़ में दिग्गज गायक. जगजीत सिंह, गुलाम अली, मेहँदी हसन की गाई हुई ग़ज़लों को अपने ग़ज़लरॉक स्टाइल में पेश किया जो भारत के कोने - कोने से आये डॉक्टरों ने खूब पसंद किया और सराहा.
सदु ने कुछ ही दिनों पहले टाइम्स म्यूजिक से रिलीज़ किया गया ग़ज़लरॉक एल्बम "मोहोब्बत में" को भी पेश किया जो लोगों को बहोत पसंद आया. मोहोब्बत में विडियो एक ही महीने में यू-ट्यूब पर लांखो व्यूज पा चूका है.
गौरतलब है की सदु इस तरह का फ्यूज़न जिसमे ग़ज़लों में ड्रम्स, गिटार, बास गिटार और पस्चात्या संगीत वध्यों का प्रयोग इतनी अच्छी तरीके से पेश करने वाले और इजात करने वाले पहले गायक हैं .
सदु के आने वाले दिनों में कई लाइव कॉन्सर्ट्स सारी दुनिया में लाइन्ड अप है.


अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की बैठक में......
परिचय सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा की गई

03 November 2014
भोपाल-03 नवंबर/अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के 9 नवंबर को भोपाल के नेवरी मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले कायस्थ युवक-युवती परिचय सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा बैठकें क्षेत्रवार की गई। शहर के नंदन कानन पैलेस, आर्य समाज मंदिर, गुलमोहर सोसायटी एवं कोलार भोपाल में कार्यक्रम को लेकर बैठकें आयोजित की गई। बैठक में क्षेत्र के विवाह योग्य कायस्थ युवक-युवतियों के परिचय संबंधी तैयारियों साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रतिभागियों के नामों पर भी चर्चा हुई। बैठक में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेष अध्यक्ष, मध्यभारत श्री सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि समीक्षा बैठक में कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लिया गया एवं आवष्यक दिषा-निर्देष दिये गये। कार्यालय मंत्री मध्यभारत सुरेष श्रीवास्तव ने 9 नवंबर को आयोजित होने वाले परिचय सम्मेलन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम की रूपरेखा विस्तारपूर्वक बताई गयी। गुलमोहर सोसायटी में हुई बैठक में कायस्थ समाज की महिलाओं ने बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।


अखिल भारतीय कायस्थ महासभा युवक-युवती परिचय सम्मेलन की तैयारियां प्रारंभ
31 September 2014
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय मंत्री श्री अजय श्रीवास्तव (नीलू) ने बताया कि कायस्थ महासभा युवक-युवती परिचय सम्मेलन की तैयारियां प्रारंभ हो चुकी हैं। 9 नवंबर को भोपाल में आयोजित होने वाले युवक-युवती परिचय सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए आवेदन आमंत्रित किये जा रहे हैं। कायस्थ समाज विधवा, विदुर, तलाकषुदा, विकलांग एवं 35 वर्ष से अधिक उम्र के युवक-युवतियों का परिचय सम्मेलन कराने का अभिनव कार्य कर रही है। भोपाल के नेवरी मंदिर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए प्रदेष भर से विवाह हेतु आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि प्रातः 10 बजे से 5 बजे तक परिचय सम्मेलन का कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। सायंकाल में 5 बजे से 8 बजे तक सार्वजनिक, सामूहिक भगवान चित्रगुप्त पूजन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। तद्पश्चात् रात्रि 8.30 से 10 बजे तक रात्रि भोज आयोजित किया जायेगा।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के भोपाल मध्य भारत कार्यालय मंत्री श्री सुरेष श्रीवास्तव ने बताया कि कायस्थ महासभा ने विधवा, विदुर, तलाकषुदा, विकलांग एवं 35 वर्ष से अधिक उम्र के वर्गो के अपेक्षित युवक युवतियों के विवाह हेतु बायोडाटा एवं परिचय सम्मेलन के दौरान होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए आवेदन आमंत्रित किए है। उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि नृत्य/गायन प्रतियोगिता के साथ बालक-बालिकाओं के लिए आयोजित की जा रही है जिसमें उम्रवार गु्रप 3 से 10 वर्ष, 11 से 20 वर्ष एवं 21-30 वर्ष रहेगा। इस हेतु आॅडिषन उम्रवार किये जायेंगे। चयनित प्रतिभागियों में ग्रुप अनुसार नृत्य एवं गायन में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पाने वालों की प्रस्तुतियां सांस्कृतिक कार्यक्रम में होगी एवं पुरस्कार वितरित किये जायेंगे। बायोडाटा हेतु पंजीयन फार्म कायस्थ महासभा की वेबसाइट ंाीपदइींतंजपलंांलंेचींण्इसवहेचवजण्पद से आॅनलाईन प्राप्त कर सकते है एवं पंजीयन फार्म को 3 नवंबर के पूर्व ांलंेजी20/हउंपसण्बवउएचतंइीनातपचंण्ेीतपअंेजंअं/हउंपसण्बवउ पर भेज सकते है। युवक-युवती अपने बायोडाटा एवं सांस्कृतिक प्रस्तुति हेतु आवेदन पत्र के द्वारा पंजीयन फार्म 90/8 शीष महल, मोती मस्जिद के समक्ष स्थित अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के भोपाल कार्यालय में जमा कराने की व्यवस्था की गयी है। सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए प्रतिभागी डाॅ. रमेष श्रीवास्तव से 9893045598 पर संपर्क कर सकते हैं तंउमेीेीतपअंेजंअ5/हउंपसण्बवउ पर 3 नवंबर के पूर्व अपनी प्रविष्टि दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि युवक युवती परिचय सम्मेलन के अवसर पर कायस्थ महासभा एक कायस्थ स्मारिका का विमोचन भी करेगी, जिसमें आमंत्रित समस्त विवाह योग्य युवक युवतियों के बायोडाटा का उल्लेख किया जायेगा।


57 पेंटिंग्स 9 स्कल्पचर इन सर्कल
24 September 2014
जहाँ चाहा हैं वहा रहा यह बात आर्टिस्ट चौधरी बालू एन पर सटीक बैठती है । भारत भवन में मंगलवार को सोलो एग्जिविशन की शुरआत हुई । 29 सितम्बर तक चलने वाली इस एग्जिविशन में आर्टिस्ट चौधरी बालू ने एक से बढ़कर एक कलाचित्रों का प्रदर्शन किया हैं । प्रकृति और जीवन की उत्पति या किसी भी चीज़ के होने की सम्भावना को बालू ने सर्कल के माध्यम के बयां किया । बालू ने अपने चित्रों में थ्री डी के माध्यम से व्यक्त किया । एग्जिविशन में कुल 57 चित्रों को एग्जिविट किया गया इसके साथ ही 9 शिल्प एग्जिविट किए गए ।

दिखा जबरदस्त आर्ट

बालू ने भारत भवन पहली बार सोलो एग्जिविशन में पार्टीसिपेट किया । उनके चित्रों में सर्कल को विशेष रूप से जगह दी गई । बालू का कहना है कि सर्कल किसी भी चीज़ के उत्पति और नष्ट होने का प्रतीक है । उत्पति में जिस तरह चीजें जुड़कर एक रूप लेती हैं , उसी तरह टूटने और फूटने पर उसमें बिखराव भी उसी रूप में होता है । उन्हें नेचर और कल्चर से बहुत प्रेम है ।


सतीश चतुर्वेदी की पुस्तक “भोपाल एक ऐतिहासिक दर्पण” का लोकार्पण उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता करेंगे पुस्तक का लोकार्पण
15 September 2014
भोपाल के एक हजार वर्ष के इतिहास पर प्रकाश डालने वाली श्री सतीश चतुर्वेदी की पुस्तक “भोपाल एक ऐतिहासिक दर्पण” का लोकार्पण 16 सितम्बर 2014 को रविन्द्र भवन परिसर में स्थित स्वराज भवन में शाम 6.30 बजे होगा है । कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सांसद कैलाश सारंग करेंगे । कार्यक्रम में मुख्या अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता और विशेष अतिथि विधायक विश्वास सारंग रहेंगे ।
सुदित पब्लिकेशन्स भोपाल द्वारा प्रकाशित सतीश चतुर्वेदी की पुस्तक “भोपाल एक ऐतिहासिक दर्पण”राजधानी भोपाल के इतिहास पर लिखी गई पहली प्रमाणिक पुस्तक है ।यह पुस्तक लेखक के वर्षों के शोध पर आधारित है । लेखक नें समकालीन प्राप्त ग्रंथों, शिलालेखों या ताम्रपत्रों, समय-समय पर हुई खुदाई अथवा प्राप्त मूर्तियों, चित्रों के माध्यम से प्रमाणिक सन्दर्भ इस पुस्तक के माध्यमसे पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है । इस पुस्तक में लेखक नें जो भी लिखा है उसके प्रमाण प्रस्तुत कियें है और हर प्रमाण यथार्थ सन्दर्भों पर आधारित हैं।
इस पुस्तक की आवश्यकता इसलिए भी थी क्योंकि अब तक भोपाल के इतिहास पर शोध आधारित पुस्तकों का अभाव था । अब तक बाजार में जितनी पुस्तकें है वो लगभग तथ्यहीन और पूर्वाग्रह से ग्रषित है । अभी तक के समस्त लेखक नें रानी कमलापति के शासन की बात स्वीकार करनें के बाद भी भोपाल को बसानें का श्रेय दोस्तमोहम्मद खां को ही दिया । उन्होंने खुद शाहजहाँ बेगम द्वारा लिखित हयात-ऐ-कुदसिया में नामक पुस्तक (पृष्ठ –192,193) में लिखे गए उस तथ्य को भी नकार दिया जिसमें परमार काल में भोपाल को भोजपाल कहा जाता था, नगर के मध्य में भव्य सभामंडल और शिव मंदिर की बात कहते हुए, संस्कृत की एक भव्य पाठशाला होनें और उसमें 500 संस्कृत आचार्य संस्कृत की शिक्षा देतें थें लिखी है । तेरहवीं शताब्दी में सुल्तान इल्तुतमिश द्वारा सभा मंडल के विध्वंश और उन्नीसवीं शताब्दी में कुदसिया बेगम द्वारा इसी स्थान पर सभामंडल के अवशेषों पर जमा मस्जिद का निर्माण करवाया गया । पूर्व के लेखकों नें जो स्वयं को इतिहासकार होनें का दावा करते हैं, शाहजहाँ बेगम द्वारा बताये गए तथ्यों को स्वीकार भी किया तो विकृत करके किया ।
भोपाल की नबाब शाहजहाँ बेगम नें अपनी पुस्तक हयाते कुदसिया में जिस शिलालेख का वर्णन किया है उसके अनुसार भोपाल नगर की नींव राज भोज के उत्तराधिकारी उदयादित्य परमार नें रखी थी और यहाँ दुर्ग का निर्माण किया था । उदयादित्य और उसकी पत्नी श्यामली नें यहाँ संस्कृत विश्वविद्यालय और सभामंडप का निर्माण करवाया था । आज जिसे श्यामला हिल कहतें है संभवतः वहीँ रानी श्यामली निवास करती थीं और उन्हीं के नाम पर इस पहाड़ी का नाम पड़ा था ।
इस पुस्तक में भोपाल के संस्थापक राजा भोज का विस्तृत वर्णन है । उनके ज्ञान, कला एवं साहित्य प्रेम तथा वीरता के साथ-साथ पुरातत्व के क्षेत्र में किये गए महान कार्यों को विस्तार से उकेरा गया है। पुस्तक में विभिन्न प्रमाणों के आधार पर यह भी सिद्ध किया गया है कि भोपाल नगर का निर्माण स्वस्तिक चिन्ह की आकृति पर हुआ था और स्थापना से पूर्व ही विश्व की पहली सबसे विराट बाँध जल संरचना भोजताल (बड़ा तालाब) का निर्माण हो चुका था । नगर भोजपाल तथा तालाब भोजताल कहलाता था ।
श्री सतीश चतुर्वेदी द्वारा लिखित इस पुस्तक का लेखन बहुत सरल भाषा में किया गया है जिससे यह पुस्तक बहुत ही रुचिकर और पठनीय बन गयी है । यह पुस्तक इतिहासकारों एवं शोध छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी ।


मुख्यमंत्री निवास पर मना क्षमावाणी पर्व
15 September 2014
आचार्य विद्यासागर जी महाराज द्वारा लिखित मूक-माटी के अंश पाठयक्रम में शामिल होंगे
पाँच वर्ष में 50 हजार माता-बहनों को एक लाख गाय दी जायेंगी
मुख्यमंत्री श्री चौहान की क्षमावाणी पर्व कार्यक्रम में घोषणा
सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है मुख्यमंत्री निवास - श्रीमती स्वराज




सर्वधर्म समभाव की परम्परा को आगे बढ़ाते हुये आज यहाँ मुख्यमंत्री निवास में क्षमावाणी पर्व मनाया गया। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने इस पर्व पर समाज से बेटियों को बचाने और युवा पीढ़ी को व्यसन मुक्त करने का संकल्प लेने का आव्हान किया। उन्होंने पुन: कहा कि बेटी है तो दुनिया है। इस गरिमामय समारोह में विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज और केन्द्रीय रसायन तथा उर्वरक मंत्री श्री अनंत कुमार विशेष रूप से मौजूद थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वीर ही क्षमा मांग सकते हैं और दे सकते हैं। क्षमा करने वाला और देने वाला ही जैन है। सबको सच्चा और अच्छा जैन बनने की कोशिश करना चाहिये। श्री चौहान ने अपने संबोधन में आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज का विशेष उल्लेख करते हुये घोषणा की कि उनके द्वारा लिखित ग्रंथ मूक-माटी के प्रमुख अंश हिन्दी विश्वविद्यालय के उच्च शिक्षा पाठयक्रम में शामिल किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी प्रेरणा से मध्यप्रदेश में गौ-संवर्धन के कार्य चल रहे हैं। प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि आगामी पाँच वर्ष में 50 हजार माता-बहनों को एक लाख गाय दी जायेंगी। गाय आजीविका का श्रेष्ठ साधन बन सकती है। मुख्यमंत्री ने बताया कि बच्चों को नशामुक्त करने और व्यसन से बचाने के लिये प्रदेश में तम्बाखू-गुटखा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने कहा कि अहिंसा परम धर्म है। सबको जीने दो। केवल मनुष्य मात्र नहीं जलचर, थलचर, नभचर, कीट, पतंगे सबको जीने का हक है। उन्होंने कहा कि गाय को बचाने का संकल्प लें।
विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री निवास सर्वधर्म समभाव का प्रतीक बन गया है। इस निवास का सभा मंडप वह जगह है, जहाँ सभी धर्मों के त्यौहार मनाये जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिसे सजा देने का अधिकार है, ऐसा बड़ा और क्षमतावान क्षमा माँगे वही उत्तम क्षमा है।
केन्द्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री श्री अनंत कुमार ने अपने संबोधन में मुख्यमंत्री श्री चौहान की विनम्रता, सरलता, सहजता और कर्मठता का उल्लेख करते हुये कहा कि वे हर दिन प्रदेश सेवा में लगे हैं। विनम्रता से जिस तरह वे क्षमा मांगते हैं, वे जैन हैं। उन्होंने कहा कि जब तक रहूँगा मध्यप्रदेश की सेवा करूँगा।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि क्षमावाणी जैन परम्परा का अद्भुत पर्व है। यह पर्व मन को निर्मल करता है। सबके लिये अनुकरणीय है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में श्रीमती सुधा मलैया ने मंगलाचरण प्रस्तुत करते हुये क्षमा पर्व के महत्व का उल्लेख किया। कार्यक्रम में सिख धर्मगुरू ज्ञानी दिलीप सिंह, बौद्ध धर्म गुरू भन्ते जी, पूर्व मुख्यमंत्री द्वय श्री सुन्दरलाल पटवा तथा श्री कैलाश जोशी, मंत्री सर्वश्री जयंत मलैया, डॉ. नरोत्तम मिश्रा, डॉ. गौरीशंकर शेजवार, श्री रामपाल सिंह, राज्य मंत्री सर्वश्री सुरेन्द्र पटवा, शरद जैन, दीपक जोशी, अरविन्द मेनन, बाबूलाल जैन, सांसद श्री आलोक संजर, विधायक सर्व श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह, विष्णु खत्री, विश्वास सारंग, अनिल जैन सहित श्री आलोक शर्मा, श्री बृजेश लूणावत तथा बड़ी संख्या में जैन धर्मानुयायी उपस्थित थे।


मध्‍यभारत की आवाज़
10 August 2014
खुशनुमा मौसम के साथ जब सुरमयी संगीत गूंजा तो श्रोता भी खुद को झूमने से रोक नहीं पाए। सदाबहार गीतों से सजी इस शाम को प्रतिभागियों ने अपनु सुरीली आवाज से यादगार बना दिया। मौका था जी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के सिंगिंग कॉम्पटीशन "जी मध्य भारत की आवाज का जादू" ग्रेंड फिनाले का। इसमें बच्चों से लेकर युवाओं तक ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। कॉम्पटीशन में इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रायपुर और भोपाल से सिलेक्ट १० प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर डीजीपी नंदन दुबे, , Business Head, Regional Channels विनोद दास, Zee Media Corporation Ltd के रीजनल एडीटर एमपी-सीजी राजेंद्र शर्मा, Zee Media Corporation Ltd के AVP सेल्‍स जुबीन ठाकुर, सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।


संघर्ष की प्रतिमूर्ति थे रघुनाथ राव शिरढोणकर: श्री धर्माधिकारी र.वि.शिरढोणकर स्मृति समारोह सम्पन्न
भोपाल। ‘‘श्री रघुनाथ राव शिरढोणकर जुझारू और कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार थे। उन्होंने एक मिसाल कायम की। उनके पत्र ‘हितचिंतक’ का ‘पानीपत अंक’ आज भी मील का पत्थर बना हुआ है।’’-ये उद्गार थे श्री वि. गो. धर्माधिकारी के। वे दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के शिरढोणकर सभागृह में आयोजित र.वि.शिरढोणकर स्मृति समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
समारोह में वरिष्ठ पत्रकार श्री अभिलाष खाण्डेकर को र.वि.शिरढोणकर स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। श्री अभिलाष खाण्डेकर ने अपने अभिनन्दन के उत्तर में कहा कि इस सम्मान से जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उन्होंने शिरढोणकर की पत्रकारिता का उल्लेख करते हुए पत्रकारिता के मूल उद्देश्यों को भी रेखांकित किया।
इस अवसर पर ‘हितचिंतक’ के ‘पानीपत अंक’ के पुनर्मुद्रित अंक और र.वि.शिरढोणकर की पाण्डुलिपियों के डिजिटल स्वरूप का भी लोकार्पण किया।
समारोह के दूसरे चरण में इन्दौर निवासी वरिष्ठ रंगकर्मी श्री श्रीराम जोग के एकल अभिनय की प्रस्तुति ‘असेच काही तरी’ (ऐसे ही कुछ भी) को खूब सराहा गया।


'माता-पिता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नही है'

मानव संस्कृति हमें इस बात की प्रेरणा देती है कि हमें अपने माता-पिता की अच्छाईओं को ग्रहण करना चाहिये तथा उनके बताये सदमार्ग पर चलना चाहिये । कोई भी माता-पिता अपनी संतान केलिए कोई भी गलत रास्ता नही दिखाती है । माता -पिता की सेवा से बड़ा कोई तीर्थ स्थान नही है न ही कोई अन्य धर्म हैं । जब हम अपने माता-पिता की सेवा करेगें तो हमारे अन्दर अपने आप धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार जागृत होगें । हम घर-परिवार व समाज में सम्मान जनक स्थान प्राप्त करेगें । जो संतान माता -पता के उचित बचनों जो जीवन को सार्थक बनाने बाले है का पालन नहीं करते है वह अपना भबिष्य ख़राब तो करते है पारिवारिक संकट उठाते है एबं सामाजिक बहिष्कार सहते है। इसलिए माता -पिता ,के उपदेश -वचनो को विना विचार किये ही स्वीकार कर लेना चाहिए।
हमारी संस्कृति में माता-पिता का ऋण कोई संतान अदा नही कर पाती है लेकिन प्रत्येक संतान यही प्रयास करता है कि माता -पिता को हम अच्छी सेवा करें उन्हे सम्मान से जीने केलिए ऐसी व्यवस्था बनायें । जब तक संतान स्वंय माता-पिता नही बनती है जब तक वह माता-पिता के दायित्य को नही समझ पाते हे । इसलिए आप देंखते व सुनते होगें कि प्रत्येक कन्या भगवान के समक्ष यहीं प्रार्थना करती हैं उपवास करती हे कि उसे अच्छा बर (पति-स्वामी ) मिलें । जब कन्या परिवारिक जीवन में प्रवेश करती है तो वह भगवान से दूसरी इच्छा मात्र संतान प्राप्त करने की या कहें कि मॉ होने केलिए प्रार्थना करती है । प्रकृति या ईश्वर का बिधान है कि कोई भी व्यक्ति कितना ही गौरवशाली, स्वाभिमानी, उच्चपद पर पदासीन अधिकारी, राजा-महाराजा, नेता -अभिनेता, मजदूर-किसान सेना का जबान अपराधी होगा वह यदि मानव है या इंसानियत रखता है तो वह संतान से बिमुख नही हो पाता हे । संतान का प्यार व दुलार की तुलना किसी भी प्यार से नही की जा सकती है । संतान का मोह संसार का सबसे बड़ा मोह बताया गया है और बास्तविक रूप से होता ही है । जिस व्यक्ति को अपनी से स्नेह - प्यार नही है हम उसे सामाजिक प्राणी नही कह सकते है । प्रत्येक माता-पिता संतान केलिए कितने ही कष्ट उठाने को तैयार होते है । प्रत्येक दंपत्ति अपनी संतान केलिए दिन-रात उसके पालन पोषण में लगे रहते है ।
संतान के पालन - पोषण में माता का सर्वाधिक कार्य होता है , मॉ संतान के प्रत्येक सुख-दुःख का ध्यान रखती है प्रत्येक गल्तियों को माफ करती है। पिता को परिवार को संचालित करने केलिए आर्थिक बजट की व्यवस्था तथा भविष्य की व्यवस्था केलिए अपने कर्तव्य कार्य मजूदरी मेहनत करना होती है । या हम इस प्रकार से कहें कि कोई परिवार बिना पति-पत्नी के नही चलता है. परिवार की परिभाषा ही पति-पत्नी से बनी है । इसलिए पत्नी का दायित्य है कि वह घर-गृहस्थी का रख-रखाव, परिवारिक मर्यादायें, समाजिक सम्मान, नारी की लज्जा, इन सभी बातों को समझते हुये बाहन की तरह होती हैं. परिवार का मुखिया या पति तो बाहन चलाने बाला या आर्थिक बोझ उठाने बाला होता है । इसलिए प्रत्येक माता-पिता का अपनी संतान को गर्भ धारण से ष्क्षिित करने तक या आत्म निर्भर बनाने तक क्या क्या नही करता हैं यह संतान सोच नही पाती है जब संतान वयस्क हो जाती है और स्वयं परिवारिक बंधन में बंध जाती है तब वह बास्तविक स्वरूप को समझ पाती है । यदि संतान अपने होष सम्भालने के साथ ही माता-पिता के आर्दष पर चलने का प्रयास करें ,अच्छाईओं को ग्रहण करें, सदविचारों को गहण करें, धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन करें, संत महापुरूषों के बताये मार्ग को अपनाये का प्रयास करें तो ऐसे बालक-बालिकायें या संतान समाज में ही नही राष्ट्र के उच्च षिखर तक पहुॅच जाती हैं । हमें माता -पिता के अस्वस्थ्य होने या बृध्द अवस्था होने किस तरह की सेवा करना चाहिये । हर माता-पिता संतान की खुषी केलिए अन्तिम समय तक प्रयास करते रहते है । संतान का दायित्य बनता है कि वह जब तक माता-पिता स्वस्थ्य है उन्हे स्वतंत्र रूप से कार्य करने देना चाहिये उनके कार्यो में बाधा नही करना चायिहे उनके बताये रास्ता पर ही चलना चाहिये । लेकिन जब माता-पिता को किसी भी प्रकार से दुःख हो , कष्ट हो , कोई अचानक संकट आ जावें या प्रकृतिक शारीरिक बीमारी हो तो उनकी सेवा में कोई कसर नही छोड़नी चाहिये ।
माता जी हो या पिता जी उन्हे स्नेह व प्यार दें । उनके पास समय देकर उनकी सेवा करें । भोजन, पानी समय पर दें , दवा आदि की समय पर व्यवस्था करें तथा समय से दवा दें । स्वयं पुत्र को सेवा तो करना चाहिये साथ ही पुत्रबधू को सेवा में पूरी तरह से हाथ बटॉना चाहियें । हमारा तो यदि उद्देष्य है पुत्र से अधिक संस्कारित परिवारों में पुत्रबधू ही अपने सास-ससुर, माता-पिता की सेवा करती है ऐसी ही महिलायें दीर्धआयू व सौभाग्यवती रहती है । जो महिलायें अपने सास-ससुर की सेवा नही करती है या जो पुत्र-पुत्रियॉ अपने माता-पिता के साथ अन्याय या अत्याचार करती है वह हमेषा संकट व कष्ट उठाती है ।
आज आवश्यकता है, प्रत्येक परिवारों में मॉ-बाप की सेवा करने का । क्योकि बदलते समय में माता-पिता सर्वाधिक परेशानी व संकटों से गुजर रहे है । जो संतान माता-पिता की सेवा नही करते है उसका कारण मंदबुध्दि, विवेक की कमी , स्वयं के विवेक से कार्य न करते हुये चरित्रहीन पत्नी के बहकावें में आकर ही अपने माता-पिता को ठुकराते हैं । जब माता-पिता की आत्मा को कष्ट होगा , उन्हे संकट होगा तो हमें कैसें सुखी हो सकते है ? हमें बार बार नही हजार बार इस बात पर ध्यान देना होगा कि यदि हमारी माता जी पिता जी ने हमें बचपन से आज तक लाखों संकट व परेशानियों से मुक्ति दिलाकर इस योग्य बनाया हम उनका ऋण कभी अदा नही कर सकते है ।
जिन परिवारों में सामाजिक संस्कारों की कमी, बदले की भावना , दहेज लालच, अपने पराये की भावनायें, संपत्ति लालच की भावनायें अपना स्थान बना लेतीं वह परिवार बिघटन, निर्धनता , संकटों से घिर जाते हैं । ऐसे ही परिवार की लड़कियॉ जब दूसरे परिवार या ससुराल में जाती है तो जिन संस्कारों में उनका पालन पोषण होता है उसी के कारण वह अपने पति को अपने कामुक जादू के मध्य अपने वश में करने के बाद जैसा वह चाहती है परिवार में बैसा ही होता है । हम उसे दूसरे रूप में जोरू का गुलाम भी संबोधित करते है । आज दूसरे परिवार से जो लड़की आई और वह पुत्र के लिए सब कुछ हो जाती है जो माता-पिता उसे संसार में आने के पूर्व से उसकी प्रत्येक सुरक्षा, संकट से मुक्ति दिलाता रहा वह कुछ नही रह जाता है । जब परिवार में इस प्रकार की महिलायें अपना बर्चस्य स्थापित करती है तो वह परिवार नरक की तरह हो जाता है । ऐसे ही परिवारों में माता-पिता को घर से बाहर कर दिया जाता है या वे स्वयं घर छोड़कर बृध्दाश्रम या अनाथ आश्रम में आश्रय लेकर अपना बुढ़ापा बिताने केलिए मजबूर हो जाते हे । लेकिन हम इस बात को जबानी में भूल जाते है कि आज हम जो अपने माता - पिता के साथ कर रहे है और उन्हे संकट व कष्ट दे रहे हैं आने बाले समय में हमारी संतान भी हमे उसी रास्ता पर जाने केलिए मजबूर करेगीं । आज आवश्यकता है कि प्रत्येक परिवार में मान-सम्मान बने, माता-पिता का सम्मान हो, उनकी सेवा की जावें । माता-पिता को तीर्थ स्थानों पर घुमाने ले जावें या वह जाने योग्य है तो उन्हे तीर्थ स्थान भेजें । रहने केलिए स्वस्थ्य मकान व पहनने केलिए स्वच्छ कपड़े दिये जावें । उनके भोजन की सर्व प्रथम व्यवस्था की जावें । बृध्द माता-पिता को धार्मिक पुस्तके, ग्रन्थ, बेद पुराण या जो वह साहित्य पढ़ सकें उन्हे उपलव्ध्य करायें । समय समय पर उनके स्वास्थ्य की देंख-रेंख कराते रहे । माता-पिता का आर्षीवाद यदि हो सकें संभव हो तो प्रतिदिन प्राप्त करने का प्रयास करें । उनके आशीर्वाद से दीर्धायू होती है और मन को परम सुख प्राप्त होता हैं । संसार के जितने भी महापुरुष हुए उन्होंने माता -पिता को ही पूज्यनीय ,माना। सभी जाति -धर्म व पंथो में भी माँ व पिता को उच्च स्थान दिया गया है।
वृद्ध माता-पिता के मन की शांति केलिए उनका मार्ग दर्शन लेते रहे , कोई भी घर-परिवार व समाज में कार्य हो तो उन्हे सम्मान देकर उनके मार्ग दर्शन में ही कार्य सम्पन्न करायें जावे । उनके अनुभव व उनका मार्ग दर्षन हमेषा परोपकारी, कुशलता परिवार की सुख समृध्दि से भरा होगा । घर व परिवार की खुशियों में परिवार के प्रत्येक सदस्य को अपने अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिये और अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिये । व्यक्ति धन व बल से बड़ा हो सकता है लेकिन समाज से बड़ा नही हो सकता है । इसलिए सामाजिक सम्मान को ध्यान में रख कर ही परिवारिक व सामाजिक कार्य करना चाहिये।


घोटालेबाज़ न होने का ग़म’ लोकार्पित

भोपाल। दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के शिरढोणकर सभागृह में सुदर्शन कुमार सोनी के व्यंग्य संग्रह ‘घोटालेबाज़ न होने का ग़म’ का लोकार्पण सम्पन्न हुआ। समारोह में अतिथि के रूप में डाॅ. विजयबहादुर सिंह, डाॅ. ज्ञान चतुर्वेदी एवं श्री प्रियदर्शी खैरा उपस्थित थे।
आरम्भ में संग्रहालय निदेशक राजुरकर राज ने पुस्तक भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। लोकार्पण के बाद लेखक श्री सुदर्शन कुमार सोनी ने अपने संग्रह से व्यंग्यपाठ किया।
डाॅ. ज्ञान चतुर्वेदी ने कहा कि श्री सोनी ने अपनी नज़र से व्यवस्था को देखा और अपनी प्रतिक्रिया व्यंग्य के रूप में अभिव्यक्त की है। डाॅ.विजय बहादुर सिंह ने लेखक को बधाई देते हुए कहा कि लेखक ने सर्वथा सामयिक विषय उठाकर उसे व्यंग्य की शक्ल दी है। श्री प्रियदर्शी खैरा ने भी संग्रह पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन श्री चन्द्रभान राही ने किया।


टाॅम आल्टर 31 मई को भोपाल में
1 जून को होगा ‘जयद्रथ वध’ का मंचन

भोपाल। सुप्रसिद्ध अभिनेता एवं रंगकर्मी पद्मश्री टाॅम आल्टर 31 मई को दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के अभिनव समारोह में भाग लेने आ रहे हैं। वे 1 जून के नाटक ‘जयद्रथ वध’ के अवसर पर भी मौजूद रहेंगे, जो चन्दर खन्ना द्वारा निर्देशित और अभिनीत एकपात्रीय नाटक है।
यह जानकारी देते हुए दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज ने बताया कि संग्रहालय के आमंत्रण पर ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के निर्माता श्री असित कुमार मोदी और प्रमुख भूमिका निभाने वाले मंदार चांदवरकर भी आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इनके साथ ही अन्य 25 प्रतिभाओं को भी ‘चर्चित चेहरे’ अलंकरण से सम्मानित किया जायेगा। इसी मंच पर रंगारंग कार्यक्रम और के.के. नायकर की लोटपोट कर देने वाली मिमिक्री और हास्य प्रस्तुतियाँ भी होंगी। कार्यक्रम ठीक साढ़े सात बजे बिगुल और घण्टे की आवाज़ के साथ आरम्भ होगा। यह भोपाल में अब तक का पहला अभिनव आयोजन होगा। 1 जून को शहीद भवन में मैथिलीशरण गुप्त के नाटक ‘जयद्रथ वध’ का मंचन होगा, जो मुम्बई के प्रसिद्ध अभिनेता और रंगकर्मी श्री चन्दर खन्ना की एकल प्रस्तुति है।
दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज ने बतया कि इस समारोह में प्रसिद्ध अभिनेता और रंगकर्मी पद्मश्री टाॅम आल्टर के साथ ही अन्य विशिष्ट अतिथि चयनित चर्चित चेहरों को सम्मानित करेंगे। उन्होंने बताया कि अनेक चरणों की बैठकों और उच्च स्तरीय निर्णायक समिति की अनुशंसा पर विविध विधाओं की 26 प्रतिभाओं को ‘चर्चित चेहरे’ से अलंकृत करने का निर्णय किया गया। इसमें अतिथि चर्चित चेहरे’ के लिए ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ को चुना गया है, जिसका सम्मान प्राप्त करने के लिए धारावाहिक के निर्माता श्री असित कुमार मोदी और लोकप्रिय कलाकार आत्माराम तुकाराम भिड़े (मन्दार चान्दवड़कर) भोपाल आ रहे हैं।
समारोह में आजीवन उपलब्धि के लिए ‘उत्कृष्ट चर्चित चेहरे’ से श्री सन्तोष चैबे को अलंकृत किया जायेगा। अन्य विधाओं के ‘चर्चित चेहरे’ श्री प्रहलाद टिपाणिया एवं भारती बन्धु (लोक गायन), श्री बाबूलाल गौर (राजनीति), श्री मदन मोहन जोशी (पत्रकारिता), श्री जयन्त देशमुख, मुम्बई (सिनेमा), पं. उमाकान्त एवं पं. रमाकान्त गुंदेचा, भोपाल (संगीत), श्रीमती मालती जोशी, भोपाल (साहित्य), श्री प्रवीर कृष्ण, प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, भोपाल (प्रशासन), ज्ञानगंगा इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नाॅलाॅजी (शिक्षा संस्थान) के श्री मिनीराज मोदी, श्री सुशील अग्रवाल, मध्या एडवर्टाइजिंग प्रा. लि., भोपाल (युवा उद्यमी), डाॅ. टी.एन. दुबे (न्यूरोलाजिस्ट), भोपाल (चिकित्सा), डाॅ. प्रकाश खातरकर, बैतूल (विज्ञान), जीव सेवा संस्थान, सन्त हिरदाराम नगर, भोपाल (समाजसेवा), श्री कमल चावला (स्नूकर), भोपाल, श्री के. रवीन्द्र, रायपुर (चित्रकला), श्री मनोज सिंह मीक, शुभालय, भोपाल (रियल इस्टेट), डाॅ. विमल कुमार शर्मा (फोरेंसिक विशेषज्ञ), भोपाल (शोध), श्रीमती सीमारानी, भोपाल (पहले पहल) मध्यप्रदेश की पहली महिला फोटोग्राफर, बाल्को, कोरबा (छत्तीसगढ़) सामाजिक सहभागिता, एवं असाधारण प्रतिभा के रूप में श्री वासुदेव सरकार, भोपाल, (लगामार 25 घंटे गाने का रिकाॅर्ड), कु. कनक शर्मा (मेधावी), इन्दौर, कु. सैयदा मासूमा फातिमा, भोपाल (9 वर्ष की उम्र में स्केटिंग में राष्ट्रीय विजेता) एवं, श्री चित्रांश वाघमारे, भोपाल (रचनात्मक क्षेत्र में उपलब्धि) है।
निदेशक राजुरकर राज ने बताया कि संग्रहालय अभी तक सामान्य तौर पर साहित्य और कला से सम्बद्ध विद्वानों को अलंकृत करता रहा है, लेकिन अब अन्य विधाओं के चर्चित व्यक्तित्वों को भी अलंकृत किया जा रहा है। अलंकरण समारोह 31 मई 2014 को आयोजित किया जायेगा। अलंकरण समारोह में ‘चर्चित चेहरे’ पर लघु फिल्म का प्रदर्शन करते हुए अलंकृत किया जायेगा। समारोह के दौरान नृत्य, संगीत, गायन, मिमिक्री आदि की आकर्षक प्रस्तुति भी होगी। इसमें ध्वनि और प्रकाश का विशेष उपयोग किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि संग्रहालय द्वारा आरम्भिक चरण में प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गई। उसके बाद दो चरणों में परामर्श समिति की बैठकें हुईं, जिसमें अनेक नामों की अनुशंसा की गई। उसके बाद के चरण में चयन समिति ने अन्तिम रूप से प्रत्येक विधा में पाँच पाँच नामों का चयन किया। 23 मार्च की निर्णायक बैठक में अन्तिम रूप से चयन किया गया। निर्णायक समिति में मुम्बई से चर्चित सिने गीतकार श्री अभिलाष (इतनी शक्ति हमें देना दाता), दिल्ली से आधुनिक साहित्य पत्रिका के सम्पादक श्री आशीष कंधवे और रायपुर से वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार एवं सद्भावना दर्पण के सम्पादक श्री गिरीश पंकज शामिल थे। संग्रहालय की ओर से निदेशक राजुरकर राज, प्रवर परिषद की संयोजक श्रीमती ममता तिवारी और प्रबन्ध परिषद के सदस्य श्री पुरुषोत्तम श्रीवास बैठक में शामिल हुए।


राष्ट्रऋषि नानाजी का कार्य यज्ञ की तरह - संत रमेश भाई ओझा

प्रख्यात रामकथा मर्मज्ञ रमेश भाई ने दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं को समाज में कल्याणकारी परिवर्तन के लिये दिया आशीर्वचन

चित्रकूट 13 मार्च 2014/ जिस व्यक्ति के मूल में विचार नहीं है उसकी प्रवृत्ति चिरंजीव नहीं हो सकती है! जिस व्यक्ति के मूल में विचार है उसकी प्रवृत्ति की निरंतरता हमेशा बनी रहेगी। हमें नित नये-नये अनुसंधान से राष्ट्र के सुदृढ़ीकरण के लिये अपना योगदान सुनिश्चित करना है। इसके लिये दीनदयाल शोध संस्थान के कार्य प्रसंशनीय है। भारत ग्राम में बसता है संस्थान ने 1000 ग्राम में अपना कार्य प्रारंभ किया है। निश्चित तौर पर आप लोग किसी न किसी रूप में व्यक्ति के जीवन को स्पर्श कर रहे हैं। उपरोक्त बातें दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के आरोग्यधाम परिसर के सेमीनार हाॅल में प्रख्यात रामकथा मर्मज्ञ संत श्री रमेश भाई ओझा जी ने अपने आशीर्वचन कार्यक्रम के दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के सभी चित्रकूट प्रकल्प प्रमुख की मासिक समीक्षा बैठक में व्यक्त कीं। इस दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव डाॅ. भरत पाठक ने चित्रकूट प्रकल्प के द्वारा वर्ष 2020 तक 1000 स्वावलम्बी गाॅंव की कार्ययोजना को संत रमेश भाई ओझा जी के समक्ष रखा और कहा कि विराट पुरुष नानाजी देशमुख ने युगानुकूल सामाजिक पुनर्रचना की दिशा में जो उत्कृष्ट पहल कर ऐसे कार्यकर्ताओं को गढ़ा है जिसमें प्रतिष्ठा की प्रवृत्ति नहीं है, निष्ठा की प्रवृत्ति है जो एक क्षण भी कर्म के बिना नहीं रह सकता है। इस अवसर पर आशीर्वचन देते हुए कथा मर्मज्ञ रमेश भाई जी ने कहा कि दो मकारान्त शब्दों का जहां प्रवाह हो प्रेम और रस। दोनों की जहां महिमा हो वो आश्रम जीवन है। कर्म यज्ञ की ऊॅंचाई तक पहंुचना चाहिए। राष्ट्रऋषि नानाजी का कार्य यज्ञ की तरह है हम जातिवाद के रोग से ग्रस्त हो गये जो कि जन्म से है। जबकि कर्म अपने कार्य से है तदनुसार एक व्यवस्था को कायम रखना होगा। स्मृति तो बदलती रहती है लेकिन श्रुति नहीं बदलती। रिसर्च-अनुसंधान, नया सीखना,नया करना, रोज एक नया विचार, नया चिन्तन करते रहना चाहिए। नानाजी भी यही कहते थे हमेशा नया करते रहिये। समय बदलता है तो उस समय के अनुरूप समस्यायंे भी बदलती हैं और एक कल्याणकारी परिवर्तन समाज में आये ऐसी कल्पना ऋषि-मुनियों ने भी की थी। ऐसे ही परिवर्तनशाली परम्परा के वाहक नानाजी थे। उन्होंने गाय-गोशाला की बात पर कहा कि जब तक दान के पैसे से हम गोशाला चलायेंगे तो आगे नहीं बढ़ पायेंगे। गाय पूज्यनीय है इसके लिये हमें तीन दृष्टि लानी पड़ेगी - धर्म दृष्टि, अर्थ दृष्टि, आरोग्य दृष्टि। और हमें समझना होगा कि गाय में तेतीस करोड़ देवताओं का वास है लोग गौदृव्य के उपयोग करने का माध्यम बनें। उन्होंने कहा कि यहां जो कार्यकर्ता है वह पूरी लगन व निष्ठा के साथ कार्य करता है। क्योंकि शिक्षा प्राप्त तो काफी लोग होते हैं लेकिन इच्छा के साथ शिक्षा का वरण किये हुए लोग बहुत कम होते हैं। जिस संस्था की कमान भरत एवं नंदिता के हाथ में हो तो उसके संचालन पर संदेह की कोई गुंजाइस नही है। उन्होंने कहा कि ऐसा गीता का उपदेश है कि कोई न कोई प्रवृत्ति करनी ही होगी लेकिन ज्यादातर जो देश में प्रवृत्तियां होती है सामाजिक संस्थाओं की ओर से परिवारों में धार्मिक संस्थाओं में भी कही-कहीं पीछे प्रतिष्ठा प्राप्ति होती है। आर्थिक प्रवृत्ति में प्रतिष्ठा गौंण हैं। एक व्यक्ति भगवान राम की तपोस्थली में बैठ जाये और वह इतना परिणामदायी कार्य कर सकता है उसी का एक प्रमाण है। नानाजी ने जो काम खड़ा किया उसमें दोनो का एक सुन्दर मिश्रण है। कितनी क्षमता है आपमें आप गांव में गये और सबको उसमें प्रवृत्त किया, कौन आता है ? कौन बैठता है ? किन्तु समर्पित भाव से आप सब कर रहे हैं। विचार सबके भिन्न-भिन्न है लकिन हृदय सबका एक है उससे जो ऊर्जा प्राप्त होती है और उससे तैयार होने वाली शक्ति बहुत बड़ा काम करती है उसी हिसाब से यहां कार्य हो रहा है। जिस यज्ञ में आप लगे हैं उसकी निरन्तरता सदैव बनी रहे। इस कार्यक्रम के पूर्व उद्यमिता विद्यापीठ की निदेशक डाॅ. नंदिता पाठक द्वारा रमेश भाई जी को आरोग्यधाम के औषधीय वनस्पति के गार्डन और विवादमुक्त गांव की परिकल्पना को लेकर प्रभुश्रीराम के जीवन की अलौकिक समरसपूर्ण समाज की कल्पना पर आधारित रामदर्शन की सजीव झांकियों का भी अवलोकन कराया गया।


अखिल भारतीय मलयाली समिति का पहला राज्य स्तरीय सम्मेलन "संगमम् 2014"
भोपाल, 27 जनवरी| अखिल भारतीय मलयाली समिति द्वारा बी.एस.एस.एस. के जुबली सभागार में "संगमम् 2014" आयोजित किया गया| ए. आइ.एम.ए. का यह पहला राज्य स्तरीय सम्मेलन था जिसमें शाम संगीत और हास्य से सजी थी|
इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में गृह मंत्री श्री बाबूलाल गौर उपस्थित थे| आयोजन को और खास बनाने के लिये मैनिट के निदेशक डॉ. अप्पू कुत्टन के.के., जी.ई.आइ. इंडस्ट्रिस् सिस्टम लि. के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष श्री सी.ई. फर्नांडिस, ए.आइ.एम.ए. के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गोकुलम गोपालन और राष्ट्रीय उप-सचिव श्री आर.एस. पिल्लई भी मौजूद थे|
गृह मंत्री श्री बाबूलाल गौर ने कहा, "मेरा सौभाग्य है की मैं यहाँ आया और अखिल भारतीय मलयाली समिति के एस आयोजन का हिस्सा बन पाया| यह देश की एक बड़ी समिति है और समाज के लिये अच्छा काम कर रही है| मैं इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ|"
ए.आइ.एम.ए. के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गोकुलम गोपालन ने कहा, "हमें खुशी है की हम अपना पहला राज्य स्तरीय सम्मेलन भोपाल में कर रहें हैं| यह हमारा सौभाग्य है की गृह मंत्री, श्री बाबूलाल गौर अपनी व्यस्तता के बाद भी समय निकल कर यहाँ आए| मैं बहुत खुश हूँ की हमारी समिति के सभी सदस्य अलग-अलग जगहों से इस आयोजन में शामिल होने के लिये आए हैं| मैं भागीदारी और सहयोग के लिये सभी का आभारी हूँ|"
इस अवसर पर सांगीतिक-हास्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें केरेला के कलाकारों ने भाग लिया, इसमें कालीकट सीना'स् डिजिटल ओरकेस्ट्रा और अजय कल्लई और उनकी टीम ने हास्य प्रस्तुति दी| इस आयोजन में संगीत और नृत्य प्रस्तुतियाँ भी दी गई|


विवेकानंद क्विज संपन्न
स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी एवं स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा स्वामी विवेकानंद जी की 151 वीं जयंती पर आयोजित "विवेकानंद क्विज" आज स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में संपन्न हुई
शहर के 400 युवाओं ने इस क्विज के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया था. चार चरणों में आयोजित हुई स्क्रीनिंग के द्वारा 4 सर्वश्रेस्ठ टीमों का चयन किया गया जिनके बीच फाइनल क्विज का आयोजन किया गया.


कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार है

कार्यक्रम - विवेकानंद क्विज
अवसर - स्वामी विवेकानंद की 151 वीं जयंती
आयोजन दिवस - रविवार 12 जनवरी
स्थान - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी भोपाल

क्विज मास्टर - शिवेन्दु जोशी (नेशनल लॉ स्कूल यूनिवर्सिटी)

आयोजन टीम -

देवेन्द्र सिंह चौहान (IEHE भोपाल)
अनुभव उपमन्यु (MANIT भोपाल)
अभिषेक तिवारी (MANIT भोपाल )
चार्वी गुप्ता (IEHE भोपाल)
प्रकृति शाह (सेंट जोसफ कान्वेंट स्कूल भोपाल)

मुख्य अतिथि - श्री बी आर नायडू (प्रमुख सचिव,महिला एवं बाल विकास,मध्य प्रदेश शासन)

क्विज के विजेता -

प्रथम पुरूस्कार (रुपये 5000 /-) यश वर्मा एवं रोमिल तिवारी (MANIT भोपाल)
द्वितीय पुरूस्कार (रुपये 3000/- अभिषेक भार्गव एवं पल्लवी मालपानी (LNCT भोपाल)
तृतीय पुरूस्कार (रुपये 2000 /- चंद्रशेखर अग्रवाल एवं दीन दयाल (ऑडिटर जनरल ऑफिस)

स्क्रीनिंग राउंड

चार राउंड्स - हर राउंड में 50 टीमों ने भाग लिया
कुल प्रतिभागी - 400


"विवेकानंद क्विज"
स्वामी विवेकानंद की 151 वीं जयंती के अवसर पर इस रविवार 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी, स्वराज संस्थान (संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश शासन) के साथ मिलकर एक ओपन क्विज का आयोजन कर रही है
विवेकानंद क्विज के नाम से होने वाली यह क्विज सभी शहरवासियों के लिए ओपन और पूरी तरह से निःशुल्क है. किसी भी आयु वर्ग के 02 लोग अपनी एक टीम बनाकर इस क्विज के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं
लाइब्रेरी की हेल्प डेस्क पर क्विज के रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं. लाइब्रेरी में स्थान सीमित होने के कारण सबसे पहले रजिस्टर करने वालीं केवल 50 टीमें ही इस प्रतियोगिता में भाग ले सकेंगीं
पूरी क्विज हिंदी में आयोजित होगी और सभी प्रश्न स्वामी विवेकानंद के जीवन और दर्शन पर आधारित होंगे। क्विज में भाग लेने वाले हर प्रतियोगी को स्वराज संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'युग प्रवर्तक विवेकानंद' उपहार स्वरुप दी जायेगी
क्विज के तीन विजेताओं को कुल 10 हज़ार रुपये के नगद पुरूस्कार दिए जायेंगें तथा पूरी क्विज 'रेडियो आज़ाद हिन्द' पर प्रासारित की जायेगी

कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार है

कार्यक्रम का नाम - विवेकानंद क्विज
दिनांक - 12 जनवरी 2014 (स्वामी विवेकानंद जयंती/राष्ट्रीय युवा दिवस)
समय - सुबह 11 बजे
स्थान - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी,न्यू मार्किट भोपाल

क्विज का पैटर्न

थीम - स्वामी विवेकानंद का जीवन एवं दर्शन
स्क्रीनिंग राउंड्स - प्रथम राउंड एक स्क्रीनिंग राउंड होगा,इस लिखित राउंड में सभी 50 टीमें भाग लेंगीं
फाइनल राउंड - एक मौखिक राउंड होगा जिसमे स्क्रीनिंग से चयनित 4 टीमें भाग लेंगीं
क्विज का माध्यम -हिंदी

पुरूस्कार -

प्रथम - नगद पुरूस्कार 5000/- रुपये एवं ट्राफी
द्वतीय - नगद पुरूस्कार 3000/- रुपये एवं ट्राफी
तृतीय - नगद पुरूस्कार 2000/- रुपये एवं ट्राफी

क्विज टीम -

शिवेन्दु जोशी,अनुभव उपमन्यु ,देवेन्द्र सिंह चौहान,अभिषेक तिवारी,प्रकृति शाह
आयोजक - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी एवं स्वराज संस्थान संचालनालय (संस्कृति विभाग,म प्र शासन)

क्विज में भाग लेने के लिए संपर्क करें

लाइब्रेरी हेल्प डेस्क (2553765 या 2553767)
स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी


साहित्यकार और लेखक उदारवादी समाज की रचना में योगदान दें- राज्यपाल
भोपाल। मप्र के राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने कहा है कि हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। राष्ट्रीय एकता के लिए आज देश को हिन्दी की आवश्यकता है। श्री यादव ने कहा कि सभी देशवासियों को हिन्दी भाषा को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने का संकल्प लेना चाहिए। इसके लिए सरकारी स्तर पर जो प्रयास किय जा रहे हैं वे पूरक हैं,सहयोगी हैं लेकिन गैर सरकारी और स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाओं के प्रयास भी जरूरी हैं। हमें हिन्दी के संस्कारों और उसकी समृद्ध परम्परा पर विश्वास रखना होगा इस परिदृश्य से हिन्दी ज्यादा सार्थक, प्रासंगिक एवं मजबूत होकर उभरेगी।
राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि विज्ञान,प्रद्यौगिकी,व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में हिन्दी को सम्पन्न करने की कोशिश करनी होगी तभी हिन्दी को उसका सही सम्मान मिल सकेगा। आज जिन लोगों को यहां सम्मानित किया जा रहा है वे केवल राष्ट्र भाषा का ही सम्मान नहीं कर रहे हैं बल्कि राष्ट्री य एकता में अपना योगदान दे रहे हैं। सम्मान प्राप्त करने वाले सभी प्रबुद्धजन राष्ट्रीय एकता के सांस्कृतिक दूत के समान हैं। उन्होंने साहित्यकारों और लेखकों से कहा कि अंधविश्वास, कुरीतियों, कटटरवाद को समाप्त करने और उदारवादी समाज की रचना में अपना योगदान दें।
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अध्यक्ष श्री सुखदेव प्रसाद दुबे ने कहा कि हिन्दी के क्षेत्र में आज हम जहां हैं उसकी देन महात्मा गांधी ही थे। गांधी जी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया। हमारी पहचान ही राष्ट्रभाषा और संसकृति से है। श्री कैलशचंद्र पंत ने समिति की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती रक्षा सिसोदिया ने किया।
राज्यपाल श्री यादव ने हिन्दी सेवी सम्मान समारोह में आज राष्ट्र भाषा हिन्दी को राजकाज,बैकिंग,उद्योग,प्रशासन आदि क्षेत्रों में आगे बढाने और उसके अधिक से अधिक प्रयोग के लिए अहिन्दी भाषियों के अनुकरणीय योगदान के लिए सम्मानित किया।
इस अवसर पर उन्होंने हिन्दी संस्था सम्मान, प्रदेश का समाज सेवी सम्मान, अहिन्दी भाषियों की कृतियों पर पुरस्कार, पत्रकारिता पुरस्कार, महिला लेखन पुरस्कार, वांडमय पुरस्कार और पाठक,शिक्षक, छात्र सम्मान से सम्मानित किया। श्री यादव ने समिति के प्रगति के चरण पुस्तक, श्री शंकरलाल बत्ता की पुस्तक "भावांजलि" और श्रीमती किरण आगाल मौलि की पुस्तक "किरणदीप" का विमोचन भी किया। राज्यपाल ने राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की वेब साइट का लोकार्पण भी किया। राज्यपाल श्री यादव ने इस वेबसाइट के निर्माता श्री प्रखर सक्सेना का सम्मान किया। समारोह में पूर्व मुख्यसचिव श्री आर परशुराम, डा शशिराय, गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में हिन्दी प्रेमी उपस्थित थे।


लीलाधर मंडलोई का लोकअभिनन्दन 19 अक्टूबर को
भोपाल। वरिष्ठ साहित्यकार एवं आकाशवाणी के महानिदेशक श्री लीलाधर मंडलोई का लोकअभिनन्दन 19 अक्टूबर को दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के र.वि.शिरढोणकर सभागृह में किया जायेगा। नगर की साहित्यिक संस्थाओं और साहित्यकारों के सहयोग से यह समारोह दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है। यह निर्णय दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में सम्पन्न एक बैठक में लिया गया।
दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के कार्यकारी अध्यक्ष श्री अशोक निर्मल की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में सर्वश्री राजेश जोशी, मुकेश वर्मा, श्याम मुंशी, रामप्रकाश त्रिपाठी, महेन्द्र गगन, राजुरकर राज, द्विजेन्द्रनाथ सैगल, बटुक चतुर्वेदी, डाॅ. उर्मिला शिरीष, डाॅ. रामवल्लभ आचार्य, अमिताभ अनुरागी, महेश प्रसाद सिंह आदि उपस्थित थे। इस समारोह में श्री मंडलोई के अवदान पर एकाग्र स्मारिका का प्रकाशन किया जायेगा। इसके साथ ही उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर लघुफिल्म भी दिखाई जायेगी, जिसका निर्माण युवा सर्जक श्री अमिताभ अनुरागी द्वारा किया जा रहा है।
यह जानकारी देते हुए दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज ने बताया कि छिन्दवाड़ा जिले के छोटे से गाँव से अपनी जीवन यात्रा आरम्भ करने वाले श्री लीलाधर मंडलोई ने साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। लोकप्रसारण विशेषज्ञ के रूप में उनकी विशेष ख्याति है। उल्लेखनीय है कि आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से सेवा आरम्भ करने वाले श्री मंडलोई आकाशवाणी के महानिदेशक पद से आगामी 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होंगे। अनेक देशों की साहित्यिक और प्रशासनिक यात्रायें कर चुके श्री मंडलोई दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय की प्रवर परिषद के अध्यक्ष भी हैं।


दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में श्री नरेन्द्र दीपक अमृत महोत्सव
भोपाल। ‘‘नरेन्द्र दीपक ने कभी थकना नहीं सीखा। अपनी सरकारी नौकरी के साथ ही सृजन और नौकरी से मुक्त होने के बाद जब लोग अपने को आराम-तलब जि़न्दगी से जोड़ लेते हैं, नरेन्द्र दीपक अपने सृजन को नया आयाम देते हुए साहित्यिक पत्रकारिता आरम्भ कर देते हैं।’’-ये उद्गार थे श्री कैलाशचन्द्र पन्त के, जो दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में श्री नरेन्द्र दीपक के अमृत महोत्सव की अध्यक्षता कर रहे थे।
दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में आयोजित इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज उपस्थित थे। ‘साहित्यिक पत्रकारिता: सन्दर्भ नरेन्द्र दीपक’ विषय पर डा. कृष्णगोपाल मिश्र ने महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया।
आरम्भ में दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज ने नरेन्द्र दीपक का परिचय देते हुए उनके अमृत पर्व पर बधाई दी। नगर की अनेक साहित्यिक संस्थाओं और गणमान्य नागरिकों ने श्री दीपक का अभिनन्दन किया। इस अवसर पर श्री नरेन्द्र दीपक द्वारा सम्पादित ‘अन्तरा’ के आठवें अंक का लोकार्पण किया गया। स्वागत वक्तव्य श्री राजेन्द्र जोशी ने और आभार श्री अशोक निर्मल ने व्यक्त किया।


10-दिवसीय गणेश उत्सव की धूम शुरु
राजधानी भोपाल सहित देश के सभी प्रमुख शहरों में दस-दिवसीय गणेश-उत्सव की धूम मची हुई है, गणेश जी की प्रतिमाओं से पंडाल सजे हुए है। गणेश चतुर्थी पर हिन्दू और मुस्लिम सभी घरों पर भी पूजा- अर्चना की जाती है।
रोज बच्चों व महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

 


धूम-धाम से घर पधारे 'गणपति बप्पा'
मुंबई। कई दिनों से जारी तैयारी के बाद सोमवार को वह दिन भी आ गया जब गणपति बप्पा ने अपने भक्तों को दर्शन दिए। गणेश चतुर्थी के मौके पर मुंबई समेत देश भर के सभी पंडालों में 'गणपति बप्पा मोरिया' केजयघोष के साथ गणपति की मूर्ति को स्थापित कर दिया गया। इसके साथ ही दस दिनों तक चलने वाला उत्सव भी देश भर में शुरू हो गया।
पश्चिम का मुंबई हो या पूर्व में कोलकाता या फिर दक्षिण का चेन्नई हा या फिर उत्तर का अमृतसर सभी जगहों पर गणपति के लिए बनाए गए पंडालों में गणपति की मूति स्थापित कर दी गई। मुंबई में इस दौरान कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए सभी जगहों पर सुरक्षा बलों को कड़ी चौकसी बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
दिल्ली में भी दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। कई जगहों पर बने पंडालों पर पुलिस की पैनी नजर है। इसके अलावा कई पंडालों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।


आकाशवाणी में हिन्दी दिवस/हिन्दी पखवाड़ा का आयोजन 13 सितम्बर
आकाषवाणी भोपाल राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा दिनांक 14 सितम्बर, 2013 (शासकीय अवकाश के कारण) के पूर्व दिवस अर्थात 13 सितम्बर, 2013 (शुक्रवार) को “हिन्दी दिवस समारोह” का आयोजन किया जा रहा है। हिन्दी दिवस के साथ-साथ 13 सितम्बर, 2013 से ही “हिन्दी पखवाड़े” का शुभांरभ होगा।
“हिन्दी दिवस/हिन्दी पखवाड़ा उद्घाटन समारोह” की अध्यक्षता आकाशवाणी भोपाल के केन्द्र प्रमुख श्री सुदर्शन अंसोलिया करेंगे। कार्यक्रम में सहायक निदेशक (कार्यक्रम) श्री राजेन्द्र कुमार तथा आकाशवाणी भोपाल, विज्ञापन प्रसारण सेवा के अधिकरीगण व कार्मिक मौजूद रहंेगे।
हिन्दी पखवाड़े के दौरान हिन्दी काम-काज के प्रति प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से कार्यालय के अधिकारियांे/कार्मिकों के लिए, विभिन्न्ा ”हिन्दी प्रतियोगिताएं” आयोजित की जाएंगी। इनमें तात्कालिक हिन्दी निबंध लेखन, हिन्दी वर्ग पहेली, हिन्दी मे टिप्पण-आलेखन एवं प्रारूप लेखन, कम्प्यूटर पर हिन्दी टंकण प्रतियोगिता तथा पोस्टर पर आधारित काव्य लेखन प्रतियोगिता के साथ-साथ, हिन्दी कवि गोष्ठी का आयोजन तथा एक दिवसीय पूर्णकालिक हिन्दी कार्यशाला का आयोजन शामिल है।
आकाशवाणी भोपाल, विज्ञापन प्रसारण सेवा आकाशवाणी भोपाल तथा आकाशवाणी के अतिरिक्त महानिदेशक कार्यालय, मध्य क्षेत्र-प्प् के संयुक्त तत्वाध्ाान में आयोजित इस “हिन्दी पखवाड़े” के अंतर्गत इन कार्यालयों के अध्िाकारीगण/कार्मिक इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकेंगे। इन प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत होने वाले अधिकारियों/कार्मिकों को 27 सितम्बर, 2013 को “हिन्दी पखवाड़ा समापन व पुरस्कार वितरण समारोह” में नक़द पुरस्कार व प्रमाण पत्र प्रदान किए जायेंगे।


द्वापर में जब कृष्ण जन्मे थे, वैसा ही संयोग इस जन्माष्टमी पर
इस बार ऎसा बरसों बाद होगा, जब बिल्कुल वैसे ही ग्रह-नक्षत्र बन रहे हैं, जैसे द्वापर युग में कृष्ण जन्म के समय थे। 28 अगस्त बुधवार को शेखावाटी में जन्माष्टमी मनाई जाएगी। पं. नरेश जोशी के अनुसार हजारों साल पहले जब कृष्ण का जन्म हुआ था तब माह भाद्रपद, कृष्णपक्ष, तिथि अष्टम, वार बुधवार, नक्षत्र रोहिणी तथा चंद्रमा वृषभ का था। जोशी ने बताया कि इस बार बुधवार को जन्माष्टमी पर ऎसे ही संयोग बनेंगे। ऎसा बरसों बाद होगा।
इस जन्माष्टमी पर भी माह भाद्रपद, कृष्ण पक्ष, तिथि अष्टम, वार बुधवार, नक्षत्र रोहिणी तथा चंद्रमा वृषभ का रहेगा। इस लिहाज से इस बार की जन्माष्टमी विशेष फलदायी रहेगी। जोशी के अनुसार रोहिणी नक्षत्र पूरी रात रहेगा तथा जन्माष्टमी इस बार कृष्ण जयंती के रूप में मनाई जाएगी।
इस मौके पर कृष्ण मंदिरों में दिनभर धार्मिक आयोजन होंगे। मध्यरात्रि के बाद कान्हा के जन्म के साथ ही भक्त एक दूसरे को बधाई देंगे। मंदिरों में जन्माष्टमी महोत्सव की तैयारियां जोरों पर है। ज्योतिषाचार्य रामवतार मिश्र के अनुसार वर्षो बाद बुधवार को रोहिणी नक्षत्र व अष्टमी तिथि का विशेष संयोग है।


रक्षाबंधन : आज रात 8.47 बजे से श्रेष्ठ मुहूर्त, बुधवार को भी मनाएंगे राखी
भोपाल। रक्षाबंधन का त्योहार इस बार मंगलवार और बुधवार दोनों दिन मनेगा। मंगलवार सुबह 10.22 बजे से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी। हालांकि इस दिन सुबह 10.22 से रात 8.46 बजे तक भद्रा भी है। ऐसे में रात 8.47 बजे से श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। 21 अगस्त को उदयकालीन तिथि पूर्णिमा है। सरकारी छुट्टी भी है इसलिए कई लोग बुधवार को भी राखी मनाएंगे। हालांकि पंचांग 20 अगस्त को ही रक्षाबंधन शास्त्र सम्मत बता रहे हैं।


विविध भारती ने करवाई जनजातीय संग्रहालय की सैर
भोपाल। विविध भारती भोपाल पर आज एक घण्टे तक भोपाल के जनजातीय संग्रहालय से प्रसारण होता रहा और श्रोता आवाज़ के माध्यम से जनजातीय संग्रहालय की सैर करते रहे। जनजातीय संग्रहालय से अधिकारियोंए कलाकारों और दर्शकों ने अपने अनुभव टेलीफोन के जरिये साझा किये। जनजातीय संग्रहालय में इस सजीव कार्यक्रम के सूत्रधार थे वरिष्ठ उद्घोषक श्री पुरुषोत्तम श्रीवासए जबकि विविध भारती के स्टूडियों में वरिष्ठ उद्घोषक राजुरकर राज ने कमान सम्भाली और संग्रहालय से की गई फरमाइश पर गीत सुनवाये। इसका संयोजन कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती वर्षा शर्मा ने किया। उल्लेखनीय है कि विविध भारती भोपाल से माह के पहले गुरुवार को ष्विविध भारती आपके बीचष् कार्यक्रम का प्रसारण ग्यारह बजकर दो मिनट से ग्यारह बजकर अट्ठावन मिनट तक होता है। इसके लिए इस बार जनजातीय संग्रहालय का चयन किया थाए जहाँ पुरुषोत्तम श्रीवास ने आवाज़ के जरिये श्रोताओं को जनजातीय संग्रहालय की सैर करवाईए वहीं जनजातीय संग्रहालय से की गई फरमाइश पर स्टूडियो से राजुरकर राज ने फिल्मी गीत सुनवाये। लगभग एक घंटा अवधि का यह कार्यक्रम मोबाइल फोन सम्पर्क के जरिये प्रसारित किया गया। इस सजीव फोन.आउट कार्यक्रम में हसन खान और धर्मेन्द्र वैद्य का तकनीकी सहयोग रहाए वहीं लाइब्रेरी से रवि चतुर्वेदी और मोहन सिंह ने भागीदारी की। स्टूडियो में राजुरकर राज के साथ वरिष्ठ उद्घोषक सावनी राजू ने सहयोग किया। विविध भारती का यह कार्यक्रम अब निरन्तर लोकप्रिय होता जा रहा है। अब तक प्रसारित इस कार्यक्रम श्रृंखला में जवाहर लाल नेहरू कैंसर अस्पताल और सेन्ट्रल जेल से इसका सजीव प्रसारण विशेष उल्लेखनीय रहाए वहीं भोपाल की लो फ्लोर बस में बैठकर सवारियों से बातचीत करते हुए गीत सुनवाने का अभिनव प्रयोग श्रोताओं ने खूब सराहा।
जानिए: क्या है गुरू पूर्णिमा
देशभर में गुरू पूर्णिमा पर्व बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया जाता है. आषाढ़ की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन गुरू पूजा का विधान है. वैसे तो देशभर में प्राचीन समय में अनेक ज्ञाता और विद्वान हुए हैं लेकिन महर्षि वेद व्यास को भारत में सबसे बड़ा ज्ञाता माना गया है. वेद व्यास चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता थे इसलिए उनकी पूजा गुरू पूर्णिमा के दिन की जाती है.
प्राचीन काल में जब छात्र गुरू के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन श्रद्धाभाव से प्रेरित होकर अपने गुरूजनों को पूजते थे और अपने सामर्थ्य के मुताबिक दक्षिणा भी देते थे.
भारतीय समाज को वेदों का ज्ञान देने वाले व्यासजी ही हैं, इस तरह वो हमारे आदिगुरू हैं. इसी वजह से इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. उनकी स्मृति हमारे मन मंदिर में हमेशा ताजा बनाए रखने के लिए हमें इस दिन अपने गुरूओं को व्यासजी का अंश मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए और अपनी उज्ज्वल भविष्य के लिए गुरू का आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए. इस दिन अपने गुरू-शिक्षक का नहीं बल्कि माता-पिता, चाचा-चाची और भाई-बहन आदि की भी पूजा का विधान है.


टीकमगढ़ में तीन दिवसीय मोर पहाड़ी उत्सव शुरू
टीकमगढ़ जिले के पलेरा जनपद के ग्राम मोर पहाड़ी में महाराजा छत्रसाल के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में पर्यटन एवं संस्कृति विभाग और जिला प्रशासन के सहयोग से मोर पहाड़ी उत्सव शनिवार को शुरू हुआ।
आदिम जाति कल्याण राज्य मंत्री श्री हरिशंकर खटीक ने कहा कि यह कार्यक्रम अब प्रतिवर्ष होगा और इस उत्सव में घुड़-दौड़, कब्बडी, घुड़-सवारी जैसी अनेक प्रतियोगिता भी आयोजित करवाई जायेगी। कार्यक्रम में सांसद डॉ. वीरेन्द्र कुमार खटीक और पूर्व संसदीय सचिव श्री सुरेन्द्र प्रताप सिंह बेबीराजा ने भी संबोधित किया।
कलाकारों ने दी रंगारंग नृत्यों की प्रस्तुति
मोर पहाड़ी उत्सव में आये कलाकारों ने प्रथम दिन बुंदेलखण्ड का बधाई, ढिमरयाई एवं नौरता नृत्य, राजस्थान का झूमर नृत्य, मालवा का गननौर नृत्य एवं आदिवासी लोक नृत्यों सहित अन्य नृत्य नाटिकाओं की मनोहारी प्रस्तुति दी।
प्रदर्शनी लगाई
कार्यक्रम स्थल पर जनसंपर्क, कृषि, मत्स्य पालन, आयुष, महिला-बाल विकास सहित अन्य विभागों द्वारा विकास गतिविधियों पर आधारित चित्र प्रदर्शनियाँ लगाई गई हैं। जनसंपर्क विभाग द्वारा विकास रथ के माध्यम से योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया गया और शासन की जन-कल्याणकारी योजनाओं पर आधारित साहित्य का वितरण किया गया।


संस्कृति मंत्री द्वारा उस्ताद जिया फरीदुद्दीन डागर के निधन पर शोक व्यक्त
भोपाल. संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने ध्रुपद गुरु उस्ताद जिया फरीदुद्दीन डागर के निधन पर शोक व्यक्त किया है। श्री शर्मा ने शोक संदेश में कहा है कि श्री डागर का ध्रुपद गायकी को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है।

श्री शर्मा ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।


रामनवमी

रामनवमी का त्यौहार चैत्र शुक्ल की नवमी मनाया जाता है. इस वर्ष यह त्यौहार 19 अप्रैल 2013 को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है. हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था अत: इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रुप में मनाते हैं. यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है.


रामनवमी पूजन


रामनवमी का पूजन शुद्ध और सात्विक रुप से भक्तों के लिए विशष महत्व रखता है इस दिन प्रात:कल स्नान इत्यादि से निवृत हो भगवान राम का स्मरण करते हुए भक्त लोग व्रत एवं उपवास का पालन करते हैं. इस दिन राम जी का भजन एवं पूजन किया जाता है. भक्त लोग मंदिरों इत्यादि में भगवान राम जी की कथा का श्रवण एवं किर्तन किया जाता है. इसके साथ ही साथ भंडारे और प्रसाद को भक्तों के समक्ष वितरित किया जाता है. भगवान राम का संपूर्ण जीवन ही लोक कल्याण को समर्पित रहा. उनकी कथा को सुन भक्तगण भाव विभोर हो जाते हैं व प्रभू के भजनों को भजते हुए रामनवमी का पर्व मनाते हैं

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राम जन्म की कथा


हिन्दु धर्म शास्त्रो के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारो को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रुप में अवतार लिया था. श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन राजा दशरथ के घर में हुआ था. उनके जन्म पश्चात संपूर्ण सृष्टि उन्हीं के रंग में रंगी दिखाई पड़ती थी.
चारों ओर आनंद का वातावरण छा गया था प्रकृति भी मानो प्रभु श्री राम का स्वागत करने मे ललायित हो रही थी. भगवान श्री राम का जन्म धरती पर राक्षसो के संहार के लिये हुआ था. त्रेता युग मे रावण तथा राक्षसो द्वारा मचाये आतंक को खत्म करने के लिये श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम के रुप में अवतरित हुये. इन्हे रघुकुल नंदन भी कहा जाता है.

रामनवमी का महत्व


रामनवमी के त्यौहार का महत्व हिंदु धर्म सभयता में महत्वपूर्ण रहा है. इस पर्व के साथ ही मा दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी जुडा़ है. इस तथ्य से हमें ज्ञात होता है कि भगवान श्री राम जी ने भी देवी दुर्गा की पूज अकी थी और उनके द्वारा कि गई शक्ति पूजा ने उन्हें धर्म युद्ध ने उन्हें विजय प्रदान की. इस प्रकार इन दो महत्वपूर्ण त्यौहारों का एक साथ होना पर्व की महत्ता को और भी अधिक बढा़ देता है. कहा जाता है कि इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ भी किया था.
रामनवमी का व्रत पापों का क्षय करने वाला और शुभ फल प्रदान करने वाला होता है. राम नवमी के उपलक्ष्य पर देश भर में पूजा पाठ और भजन किर्तनों का आयोजन होता है. देश के कोने कोने में रामनवमी पर्व की गूंज सुनाई पड़ती है. इस दिन लोग उपवास करके भजन कीर्तन से भगवान राम को याद करते है. राम जन्म भूमि अयोध्या में यह पर्व बडे हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है. वहां सरयु नदी में स्नान करके सभी भक्त भगवान श्री राम जी का आशिर्वाद प्राप्त करते हैं.


नव संवत्सर को अपनाएं - निज गौरव का मान जगाएं

धूम-धाम से मनाएं नया साल - विक्रमी संवत्-2070
भारत व्रत पर्व व त्यौहारों का देश है। यूं तो काल गणना का प्रत्येक पल कोई न कोई महत्व रखता है किन्तु कुछ तिथियों का भारतीय काल गणना (कलैंडर) में विशेष महत्व है। भारतीय नव वर्ष (विक्रमी संवत्) का पहला दिन (यानि वर्ष-प्रतिपदा) अपने आप में अनूठा है। इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। इस दिन पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा करती है तथा‍ दिन-रात बराबर होते हैं। इसके बाद से ही रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है। काली अंधेरी रात के अन्धकार को चीर चन्द्रमां की चांदनी अपनी छटा बिखेरना शुरू कर देती है। वसंत ऋतु का राज होने के कारण प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम पर होता है। फाल्गुन के रंग और फूलों की सुगंध से तन-मन प्रफुल्लित और उत्साहित रहता है।
विक्रमी सम्वत्सर की वैज्ञानिकता :
भारत के पराक्रमी सम्राट विक्रमादित्य द्वारा प्रारंभ किये जाने के कारण इसे विक्रमी संवत् के नाम से जाना जाता है। विक्रमी संवत् के बाद ही वर्ष को 12 माह का और सप्ताह को 7 दिन का माना गया। इसके महीनों का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति के आधार पर रखा गया। विक्रमी संवत का प्रारंभ अंग्रेजी कलैण्डर ईसवीं सन् से 57 वर्ष पूर्व ही हो गया था।
चन्द्रमा के पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने को एक माह माना जाता है, जबकि यह 29 दिन का होता है। हर मास को दो भागों में बांटा जाता है- कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष। कृष्णपक्ष, में चांद घटता है और शुक्लपक्ष में चांद बढ़ता है। दोनों पक्ष प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी आदि ऐसे ही चलते हैं। कृष्णपक्ष के अन्तिम दिन (यानी अमावस्या को) चन्द्रमा बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता है जबकि शुक्लपक्ष के अन्तिम दिन (यानी पूर्णिमा को) चांद अपने पूरे यौवन पर होता है। अर्द्ध-रात्रि के स्थान पर सूर्योदय से दिवस परिवर्तन की व्यवस्था तथा सोमवार के स्थान पर रविवार को सप्ताह का प्रथम दिवस घोषित करने के साथ चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के स्थान पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से वर्ष का आरम्भ करने का एक वैज्ञानिक आधार है। वैसे भी इंग्लैण्ड के ग्रीनविच नामक स्थान से दिन परिवर्तन की व्यवस्था में अर्द्ध-रात्रि के 12 बजे को आधार इसलिए बनाया गया है क्योंकि उस समय भारत में भगवान भास्कर की अगवानी करने के लिए प्रात: 5-30 बज रहे होते हैं। वारों के नामकरण की विज्ञान सम्मत प्रक्रिया को देखें तो पता चलता है कि आकाश में ग्रहों की स्थिति सूर्य से प्रारम्भ होकर क्रमश: बुध, शुक्र, चन्द्र, मंगल, गुरु और शनि की है। पृथ्वी के उपग्रह चन्द्रमा सहित इन्हीं अन्य छह ग्रहों पर सप्ताह के सात दिनों का नामकरण किया गया। तिथि घटे या बढ़े किंतु सूर्य ग्रहण सदा अमावस्या को होगा और चन्द्र ग्रहण सदा पूर्णिमा को होगा, इसमें अंतर नहीं आ सकता। तीसरे वर्ष एक मास बढ़ जाने पर भी ऋतुओं का प्रभाव उन्हीं महीनों में दिखाई देता है, जिनमें सामान्य वर्ष में दिखाई पड़ता है। जैसे, वसन्त के फूल चैत्र-वैशाख में ही खिलते हैं और पतझड़ माघ-फाल्गुन में ही होती है। इस प्रकार इस कालगणना में नक्षत्रों, ऋतुओं, मासों व दिवसों आदि का निर्धारण पूरी तरह प्रकृति पर आधारित वैज्ञानिक रूप से किया गया है।
ऎतिहासिक संदर्भ:
वर्ष प्रतिपदा पृथ्वी का प्राकट्य दिवस, ब्रह्मा जी के द्वारा निर्मित सृष्टि का प्रथम दिवस, सतयुग का प्रारम्भ दिवस, त्रेता में भगवान श्री राम के राज्याभिषेक का दिवस (जिस दिन राम राज्य की स्थापना हुई), द्वापर में धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक दिवस होने के अलावा कलयुग के प्रथम सम्राट परीक्षित के सिंहासनारूढ़ होने का दिन भी है। इसके अतिरिक्त देव पुरुष संत झूलेलाल, महर्षि गौतम व समाज संगठन के सूत्र पुरुष तथा सामाजिक चेतना के प्रेरक डॉ. केशव बलिराम हेड़गेवार का जन्म दिवस भी यही है। इसी दिन समाज सुधार के युग प्रणेता स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी। वर्ष भर के लिए शक्ति संचय करने हेतु नौ दिनों की शक्ति साधना (चैत्र नवरात्रि) का प्रथम दिवस भी यही है। इतना ही नहीं, दुनिया के महान गणितज्ञ भास्कराचार्य जी ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए पंचांग की रचना की। भगवान राम ने बाली के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति इसी दिन दिलाई। महाराज विक्रमादित्य ने आज से 2068 वर्ष पूर्व राष्ट्र को सुसंगठित कर शकों की शक्ति का उन्मूलन कर यवन, हूण, तुषार, तथा कंबोज देशों पर अपनी विजय ध्वजा फहराई थी। उसी विजय की स्मृति में यह प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती है।
अन्य काल गणनाऍँ:
ग्रेगेरियन (अंग्रेजी) कलेण्डर की काल गणना मात्र दो हजार वर्षों के अति अल्प समय को दर्शाती है। जबकि यूनान की काल गणना।


‘मध्यप्रदेश की भूतपूर्व रियासतें’ प्रदर्शनी राज्य संग्रहालय में 19 से 26 मार्च तक
संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय द्वारा राज्य संग्रहालय, श्यामला हिल्स, भोपाल में ‘मध्यप्रदेश की भूतपूर्व रियासतें’ प्रदर्शनी 19 से 26 मार्च तक लगायी जाएगी। दुर्लभ अभिलेखों एवं छायाचित्रों की इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 19 मार्च को शाम 5 बजे संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा करेंगे।
प्रदर्शनी में मध्यप्रदेश की भूतपूर्व रियासतों की झलक दिखेगी। इसमें तत्कालीन राजनैतिक घटनाओं, प्रशासनिक निर्णयों तथा अन्य विषयों से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेजों को प्रदर्शित किया जायेगा। प्रदर्शनी प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से रात्रि 7 बजे तक खुली रहेगी। प्रदर्शनी में प्रवेश निःशुल्क है।


संस्कृति विभाग के लिए 132 करोड़ से अधिक राशि का प्रावधान
संस्कृति विभाग के लिए वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए 132 करोड़ 19 लाख 24 हजार का बजट प्रावधान किया गया है। बजट में किए गए प्रमुख प्रावधान निम्नानुसार हैं :
स्मारकों एवं संग्रहालयों के अनुरक्षण एवं विकास के लिए 48 करोड़ 75 लाख रुपये।
साँची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के लिए 10 करोड़ रुपये।
संग्रहालयों के विकास के लिए 8 करोड़ 74 लाख 79 हजार।
स्वामी विवेकानंद के 150वें जन्म-वर्ष समारोह के लिए एक करोड़ रुपये का प्रावधान।
संगीत महाविद्यालय नरसिंहगढ़ के भवन के लिए एक करोड़ 25 लाख 2 हजार रुपये।
भारत भवन में रंग मण्डल की स्थापना होगी।
पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण और संवर्धन के लिए 2 करोड़ 16 लाख 12 हजार।
राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए एक करोड़ 30 लाख।
डॉ. बी.एस. वाकणकर सृजन-पीठ की स्थापना के लिए 50 लाख रुपये।
समारोहों के लिए 3 करोड़ 55 लाख रुपये।
जन-नायक टंट्या भील की समाधि पर स्मारक के लिए 10 लाख 50 हजार का प्रावधान।
स्वाधीनता संग्राम संबंधी गतिविधियों के संकलन, दस्तावेजीकरण और प्रदर्शन के लिए एक करोड़ 81 लाख 90 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है।


चंडालिका नृत्य-नाटिका का मंचन
भोपाल। शहीद भवन में बुधवार को रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए चंडालिका नृत्य-नाटिका का मंचन किया गया। नाटक में सदियों से चली आ रही अस्पृश्यता की प्रथा को एक बार फिर जीवंत किया गया। बिना संवादों के अपने नृत्य और अभिनय से कलाकारों ने बंगाल के गांव की दिनचर्या को मंच पर बखूबी पेश किया।
नाटक के तहत मंच पर भगवान बुद्ध और उनके शिष्य का प्रवेश होता है। गांव की महिलाएं उनके दर्शन करती हैं, लेकिन दूर खड़ी एक दलित युवती दर्शन भी सीमा में रहकर करती है। इसके बाद महिलाएं खुशियां मनाती हुई नृत्य करती हैं, फूल खरीदकर बालों में सजाती हैं पर ज्यों ही दलित महिला फूल खरीदने की कोशिश करती है उसे रोक दिया जाता है।
नायिका प्रकृति रोजमर्रा की चीजें खरीदने को भी मोहताज होती है। फूल-चूडिय़ां, खाने की चीजें खरीदना भी उसके लिए प्रतिबंधित रहता है। हर बार अपमानित होने के बाद वह रोती है और उसकी मां उसे ढांढस बंधाती है। तभी एक दिन फिर गांव से बुद्ध के शिष्य आनंद निकलते हैं और वह प्रकृति से पानी पिलाने का आग्रह करते हैं। प्रकृति बताती है कि वह अछूत है और पानी नहीं पिला सकती। आनंद उसे मानवता का संदेश देकर अछूत होने की बात नकारते हैं। प्रकृति उनकी ये बातें सुन उन पर आसक्त हो जाती है और उनसे प्रेम निवेदन करती है जिसे आनंद अस्वीकार कर देते हैं। बाद में प्रकृति को अपनी गलती का अहसास होता है और वह बौद्ध भिक्षुणी बन जाती है।


ध्रुपद की महक से जीवंत होते सुर
भोपाल। दूरदर्शन केंद्र भोपाल द्वारा बुधवार से चार दिवसीय 'ध्रुपद पर्व' की शुरूआत की गई। महिला कलाकारों पर केन्द्रित इस पर्व की पहली शाम देश की प्रतिष्ठता ध्रुपद गायिकाओं व एवं वादिकाओं ने अपनी प्रस्तुति दी। पर्व की शुरूआत भोपाल की ध्रुपद गायिका आस्था त्रिपाठी के गायन से हुई। दूसरी प्रस्तुति दिल्ली की पखावज वादिका महिमा उपाध्याय तथा तीसरी ध्रुपद जुगलबंदी ग्वालियर की हिना कालगांवकर व पुणे की मेघना सरदार की रही। महिमा उपाध्याय ने 12 मात्रा चौताल में गणेश स्तुति, उठान, उपज, परन, चक्करदार रेला और फरमाइशी चक्करदार तिहाइयां पेश की। वहीं ग्वालियर की हिना कालगांवकर व पुणे की मेघना सरदार ने राग हंसध्वनि में चौताल में निबद्ध रचना 'सकल गुणि जाने माने' एवं कोलकाता की रंजिता मुखर्जी व शर्मिला रॉय चौधरी ने राग रागेश्वरी में निबद्ध बंदिश 'प्रथम सुर साधे, रहे नाम जो लो रहे' पेश कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। कार्यक्रम के अंत में कोलकाता की रंजिता मुखर्जी व शर्मिला रॉय चौधरी की ध्रुपद जुगलबंदी गायन की रही। इस अवसर पर भोपाल केन्द्र के उप-महानिदेशक शशांक एवं वरिष्ठ ध्रुपद गायक उमाकांत गुंदेचा व रमाकांत गुंदेचा सहित अन्य उपस्थित रहे।


शुभा ने बाँधा मधुर संगीत का सुरीला शमां
भोपाल। भारत भवन में चल रहे गायन पर्व के समापन अवसर पर सुर साम्राज्ञी शुभा मुद्गल ने मधुर संगीत का सुरीला शमां बाँधा। तबले पर अनीश प्रधान और हारमोनियम पर सुनील नायक के साथ उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। श्रृंगार परक राग मिश्र विहाग की बंदिश बोल बनाव की ठुमरी 'मोहे टेर गयो री मुरारी...' से श्रोताओं को रस संसार में भिगोना शुरू किया। शुभा की स्वर माधुरी और गले से निकले तेज नाद ने देर तक श्रोताओं को बांधे रखा। शाम के भक्तिपरक राग भूप में 'ऐरी आज सुखवा भइलवा, मोरे मन को ...' के साथ भारत भवन में चल रहे गायन पर्व के समापन की शुरुआत हुई। शास्त्रीय गायिका सुश्री शाश्वती मंडल पॉल ने सधे हुए गले से विभिन्न रागों में निबद्ध रचनाएं सुनाईं। द्रुत तीन ताल में 'मोरा झांझ मंडलड़ा...', नायिकी कांनड़ा राग में मध्य तीन ताल में निबद्ध 'मोपे रंग डाल गयो...' सुनाया। वहीं अपनी मधुर आवाज और सधे शब्दों के साथ विनय उपाध्याय ने मंच संचालन किया।


भगवान जगन्नाथ की 135 वीं रथयात्रा शुरू
अहमदाबाद। 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से गुरुवार सुबह भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गई। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रथयात्रा की 'पहिंद विधि' संपन्न की जिसके बाद भगवान जगन्नाथ, भगवान बलदेव और उनकी बहन देवी सुभदा की सालाना रथयात्रा शुरू हुई। पहिंद विधि में भगवान जगन्नाथ के रथ के लिए रास्ते की प्रतीकात्मक तौर पर सफाई की जाती है।
शहर के जमालपुर इलाके में स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकलने वाली रथयात्रा पुरी के बाद देश में और दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र है। हजारों संत इस रथयात्रा में भाग लेने के लिए गुजरात आए हैं। रथयात्रा 14 किमी लंबे मार्ग से गुजरेगी। कड़ी सुरक्षा के बीच रथयात्रा शहर के संवेदनशील इलाकों- कालूपुर, प्रेम दरवाजा, दिल्ली चकला, दरियापुर और शाहपुर से हो कर आगे बढ़ेगी। इस 135 वीं रथयात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। होमगार्ड्स, एसआरपी और अर्द्धसैनिक बल सहित पुलिस के करीब 20,000 जवान पूरे यात्रा मार्ग पर तैनात किए गए हैं। सुरक्षा के अन्य इंतजाम भी किए गए हैं। पुलिस पहली बार इस यात्रा में जीपीएस और छिपे हुए कैमरों का उपयोग करेगी।


मणिपुर की मिट्टी से बनीं आपातानी की मूर्तियां
भोपाल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के वीथि संकुल में मणिपुर की जनजाति आपातानी के लोगों की मूर्तियां देखी जा सकती है. यहाँ यह मूर्तियाँ लगाई गई हैं। इन मूर्तियों को बनाने के लिए खासतौर पर मणिपुर से ही काली मिट्टी और वहां के स्थानीय कलाकार बुलाए गये हैं। धान की घास और जूट सुतली से बनी एन इन मूर्तियों के साथ-साथ खंबा थोइबी, कबुई नुपी, राधा कृष्ण की युगल मूर्ति, पुंग जैबा आदि मूर्तियां को भी अपनी पारंपरिक वेशभूषा में प्रदर्शित किया गया है। मूर्तियों को सुरक्षित रखने के लिए वहां के पारंपरिक कीट नाशक दवा का लेप भी किया गया है। इन मूर्तियों का निर्माण हापोली जिला संग्रहालय अरुणाचल प्रदेश के तागी ताबिन के मार्गदर्शन में पी धोरोनी, एल इंबोमचा, श्याम सिंह इबोतांबी व अन्य कलाकारों ने तैयार किया है।


मानव संग्रहालय में एक और अट्रैक्शन
भोपाल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल में आने वाले विजिटर्स के लिए एक और अट्रैक्शन जुड़ गया है। संग्रहालय में नागालैंड का जनजातीय आवास 'चाखासांग नागा' बनाया गया है। यह आवास नागालैंड के जनजातीय आवासों की कलात्मकता एवं उनकी विशेषता को प्रस्तुत करता है। यहां विजिट कर देश के एक विशेष क्षेत्र की विविधता को देखा जा सकता है।

इसकी संरचना, बनावट, रंग संयोजन एवं आवास के मुख्य द्वार पर प्रदर्शित जानवरों की खोपडिय़ां हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। 'चाखासांग' का नाम तीन उप नागा समुदायों, चाखरू, खेजा व संगठम से बना है। इन समुदायों के लोग नागालैंड की ठंडी पहाडिय़ों में स्थित चीमा जिले में रहते हैं। चाखासांग नागा के सबसे संपन्न व्यक्ति के निवास की पहचान उस निवास पर लगे सींग 'मां' से की जाती है। मानव संग्रहालय में प्रदर्शित नागालैंड का यह नागा आवास विजिटर्स को नागालैंड के जनसमूहों की संस्कृति व रहन-सहन का परंपरागत अनुभव कराता है।


सितार-सरोद की धुन सुनकर बीती रविवार की शाम
भोपाल. भारत भवन के अंतरंग सभागार में श्रोताओं ने रविवार की शाम एक नये अंदाज में एंजॉय की. संगीत केंद्र अनहद की सप्तक शृंखला के तहत यहां असित और अमित गोस्वामी की सितार-सरोद जुगलबंदी ने लोगों का ख़ासा मनोरंजन किया. संगीत-सभा का संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने किया। इस संगीत-सभा की शुरुआत संध्याकालीन राग हेमंत से हुई। इसमें गोस्वामी बंधुओं ने विलंबित तीन ताल में आलाप, जोड़ व झाला की संगीतमय जुगलबंदी प्रस्तुति दी। इसी शृंखला में मैहर घराने के इन दोनों कलाकारों ने मत ताल (नौ मात्रा) एवं द्रुत तीन ताल की प्रस्तुति दी। सितार पर महारथ रखने वाले असित और सरोद पर लाजवाब पकड़ रखने वाले अमित की अगली प्रस्तुति राग मिश्र पीलू की रही, जिसे उन्होंने दादरा ताल में प्रस्तुत किया। संगीतमय प्रस्तुतियों का असर कुछ ऐसा रहा कि श्रोता सुरों की बारीकियों में प्रकृति से जुड़ी सुरीली जुगलबंदी को साफ महसूस कर रहे थे। इस दौरान तबले पर विनोद लेले ने साथ दिया। असित ने बताया, हमेशा से प्रकृति के करीब माने जाने वाले सितार और सरोद की पहचान पं. रवि शंकर और उस्ताद अली अख्तर खां जैसे वरिष्ठ कलाकारों की वजह से दुनियाभर में अमर हो चुकी है। अमित के मुताबिक 17 तारों वाले साज सितार और 19 तारों वाले सरोद को जुगलबंदी के लिहाज से एक-दूसरे समांतर माना जाता है।


'गबन' का मंचन 5 जून से भारत भवन में
भोपाल. वर्ष 1930 में प्रकाशित हुए मुंशी प्रेमचंद के दूसरे यथार्थवादी उपन्यास 'गबन' के पात्रों को दर्शक एक बार फिर मंच पर जीवंत होते देख सकेंगे। भारत भवन के अंतरंग सभागार में 5 जून (मंगलवार) से शुरू होने वाले 11वें राष्ट्रीय रंग आलाप नाट्य महोत्सव 'स्मरण हबीब' की पहली शाम विभा मिश्रा निर्देशित इस नाटक का पुनर्निर्देशन युवा निर्देशक बालेंद्र सिंह करने जा रहे हैं। यह नाटक जालपा नाम की लड़की की कहानी है, जिसका ख्वाब है कि उसे शादी में चंद्रहार मिले। रमानाथ से शादी के बाद उसे पता चलता है कि उधार के पैसे से उसे चंद्रहार चढ़ाया गया था। दोस्त रमेश की मदद से रमानाथ को कस्टम कलेक्टर की नौकरी मिल तो जाती है लेकिन दिखावे के चलते उस पर गबन का इल्जाम लग जाता है। डायरेक्टर बालेन्द्र सिंह का कहना है की वे अपने नाटकों में लोक नाट्य शैली एवं संगीत का प्रयोग करते हैं. लेकिन गबन के साथ निर्देशन के मामले में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसलिए उम्मीद है कि मंचन के दौरान विभा के निर्देशन के अंदाज को दर्शक साफ महसूस कर सकेंगे। उन्होंने इस नाटक के लगभग 10 मंचन किए थे। वहीं हमारी टीम भी तीन रंग समारोह में इसका एक बार मंचन कर चुकी है।


सूफियाना अंदाज में गाए खुसरो कबीर के कलाम
भोपाल. रवींद्र भवन में चल रहा 22वां इफ्तेखार स्मृति राष्ट्रीय नाट्य एवं सम्मान समारोह 2012 गुरुवार को कव्वाली प्रस्तुति के साथ सम्पन्न हो गया। इस दौरान कव्वाल नासिर व खालिद साबरी ने आमिर खुसरो, कबीर के कलाम को सूफियाना अंदाज में पेश कर श्रोताओं को कव्वाली के अपने एक खास साबरी अंदाज से परिचित करवाया। कार्यक्रम की शुरूआत कव्वाल नासिर व खालिद साबरी के सम्मान से हुई। उन्हें शान ए भोपाल के खिताब से नवाजा गया। इसके बाद शुरू हुआ कव्वाली का सिलसिला, जिसकी शुरुआत अमीर खुसरो के कोल तराना मन कुन तो मौला... से की गई. इसके बाद छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाई के... सुनाकर संगीत-सभा को सूफियाना रंग में रंग दिया। उन्होंने यहां तुम मुझे मुस्कुरा के न देखा करो..., दमादम मस्त कलंदर.., और रोज मिलने मिलाने का वादा करो... जैसे कलाम सुनाए। साथ ही ताजदारे हरम ओ निगाहे करम.... और ख्वाजा की दीवानी से सुनने वालों की खूब तालियां बटोरी। कोरस पर बाबू व हफीज, बैंजो पर आजम, आर्गन पर शाहिद, तबले पर चुन्नू खां और ढोलक पर साबिर व फहमीद ने साथ दिया।


हनीमून' और 'लाला हरदौल' नाटक का मंचन
भोपाल. भारत भवन में गुरुवार को 'हनीमून' और रवींद्र भवन में 'लाला हरदौल' नाटक का मंचन किया गया. 'हनीमून' बताया गया की किस तरह एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलना पड़ता है। नाटक में यही सच हंसते-हंसाते प्रस्तुत किया गया. भारत भवन में चल रहे मध्यप्रदेश रंगोत्सव की चौथी शाम गुरुवार को मंचित इस हास्य नाटक का निर्देशन अशोक बुलानी ने किया। कहानी के अनुसार कोला कंपनी में पीआरओ शेखर अपने बॉस से नानी के मरने का झूठ बोलकर शादी कर हनीमून के लिए चला जाता है। नैनीताल की वादियों में 5 दिन गुजर जाते हैं और नव विवाहित के वापस लौटने का वक्त हो जाता है। दोनों का मन वापस जाने का नहीं है। तभी शादी की खिलाफत करने वाला बॉस भी नैनीताल में कंपनी के उसी गेस्ट हाउस में पहुंच जाता है जहां शेखर और उसकी पत्नी मीनू ठहरे हुए होते हैं। शेखर बॉस से बचकर भाग निकलता है, लेकिन मीनू बॉस के पास फंस जाती है। यहां बॉस पूछताछ करते हैं वहां शेखर के दोस्त वीनू और नीना मीनू को वहां से निकलने की कोशिश करते हैं। अंत में बॉस शेखर का झूठ पकड़ लेते हैं।
वहीं 22वें इफ्तेखार स्मृति राष्ट्रीय नाट्य एवं सम्मान समारोह-2012 में गुरुवार को बुंदेली नाटक 'लाला हरदौल' का मंचन किया गया। रवींद्र भवन सभागार में मंचित के निर्देशक बालेन्द्र सिंह ने प्रस्तुति में बुंदेलखंड के लोकनायक हरदौल के जीवन वृत्त को मंच पर साकार किया। साथ ही देवर-भाभी के पवित्र संबंध एवं रैयत में उनके यश और मुगलों के खिलाफ कटिबद्धता को दिखाया गया। नाटक की शुरुआत ओरछा में लाला हरदौल के स्वागत-सत्कार से होती है। जहां वे अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी कर दतिया से वापस लौटते हैं। बड़े भाई जुझार सिंह और भाभी चंपावती उनकी आरती उतारते हुए वह दिन याद करते हैं, जब राजमाता ने आखिरी सांसें गिनते हुए लाला को 6 साल की उम्र में उन्हें सौंपा था। छोटे भाई हरदौल की समझ-बूझ को देखकर जुझार सिंह उसे राजा बनाने का फैसला लेते हैं, लेकिन यह बात मंझले भाई पहाड़ सिंह को पसंद नहीं आती। उसका मानना है कि सगे भाई को छोड़कर सौतेले भाई को राजा बनाने का जुझार सिंह का फैसला सही नहीं है। इसी पर आधारित है नाटक।


संस्कृति मंत्रालय द्वारा सांस्कृतिक शोध के लिए टैगोर नेशनल फेलोशिप

सांस्कृतिक शोध के लिए टैगोर नॅशनल फेलोशिप की योजना के अंतर्गत फेलोशिप / स्कोलरशिप के अवार्ड के लिए संस्कृति मंत्रालय नामांकन/आवेदन आमंत्रित करता है | यह योजना नवम्बर, २००९ में प्रारंभ की गई थी तथा इसके बाद इसे संशोधित एवं मंत्रालय की वेबसाइट (www.indiaculture.nic.in ) पर प्रकाशित किया गया है | इस योजना का उद्देश्य आपसी रूचि की प्रोजेक्ट्स पर कार्य करने के लिए स्कोलर्स / एकेडमीशियंस को विभिन्न सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ कार्य करने के लिए सम्बद्ध होने के लिए प्रोत्साहित करना व इस प्रकार इस संस्थाओ को नयी गति एवं ऊर्जा प्रदान करना है | यह योजना भारतीय एवं विदेशी नागरिको दोनों के लिए खुली है | वे स्कोलर्स जिनके एकेडमिक एवं प्रोफेसनल्स प्रमाण पत्र सुद्रढ़ है तथा जिन्होंने अपने सम्बंधित क्षेत्रो के ज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों एवं प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशित उनके पब्लिकेशन्स द्वारा दर्शित हो, अथवा वे व्यक्ति जिन्होंने कला या संस्कृति के किसी क्षेत्र में महत्वपूर्ण रचनात्मक कार्य किया हो, आवेदन के लिए पात्र है | पहली श्रेणी 'टैगोर नॅशनल फेलोज ' की है जिन्हें रु. ८०,०००/- प्रति माह का मानदेय दिया जायेगा तथा एक वर्ष में १५ तक अवार्ड दिए जायेगे | दूसरी श्रेणी 'टैगोरे रिसर्च स्कोलर्स' की है जिन्हें रु ५०,०००/- प्रति माह का मानदेय दिया जायेगा तथा एक वर्ष में 2५ तक अवार्ड दिये जायेगे |