IRCTC ने पेश किया कुंभ का बहुत सस्ता पैकेज, सिर्फ 945 रु में घूमें कुंभ, खाना-पीना, आना-जाना सब पैकेज में शामिल
23 January 2019
न्यूज डेस्क। यदि आपका कुंभ में घूमने का प्लान है तो IRCTC एक बेहद सस्ता ऑफर लाया है। आप महज 945 रु (प्रतिदिन) खर्च कर कुंभ मेला (Kumbh mela) घूम सकते हैं। आईआरसीटीसी 'कुंभ स्पेशल विथ पुरी-गंगासागर दर्शन' टूर के तहत यह ऑफर दे रहा है। इस टूर में पुरी-गंगासागर-वाराणसी और इलाहाबाद के दर्शनीय स्थलों की सैर करवाई जाएगी। कुंभ घूमने का मौका भी मिलेगा।
कौन से होंगे बोर्डिंग स्टेशन
इंदौर, देवास, उज्जैन, बैरागढ़, सागर, दमोह और कटनी बोर्डिंग स्टेशन होंगे।
कौन से होंगे डी-बोर्डिंग स्टेशन
सतना, कटनी, दमोह, सागर, बैरागढ़, उज्जैन, देवास और इंदौर डी-बोर्डिंग स्टेशन होंगे।
कितनी होगी टूर की ड्यरेशन
9 रात और 10 दिनों का टूर होगा।
कब से शुरू होगी यात्रां
14 फरवरी से यात्रा शुरू होगी। इस पैकेज में ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर का इंतजाम भी होगा। स्टेंडर्ड कैटेगरी में प्रति व्यक्ति 9450 रुपए और कम्फर्ट कैटेगरी में प्रति व्यक्ति 11550 रुपए का खर्चा आएगा। यात्रा इंदौर से शुरू होकर यहीं खत्म होगी। धर्मशाला और लॉज में ठहरने का इंतजाम रेलवे की तरफ से ही करवाया जाएगा।
कैसे करवाएं बुकिंग
आप आईआरसीटीसी की वेबसाइट www.irctctourism.com पर जाकर इसकी बुकिंग करवा सकते हैं।
Kumbh 2019: कुंभ मेले में शामिल होने पर क्या करें और क्या ना करें, जानिए यहां
23 January 2019
Kumbh Mela 2019: कुंभ 2019 का जश्न लोगों के बीच बरकरार है. 15 जनवरी मकर संक्रांति (15 January, Makar Sankranti) के दिन से शुरू हुआ यह महापर्व 4 मार्च महाशिवरात्रि (4 March, Maha Shivratri) तक चलने वाला है. इस बीच प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में भक्त 6 पवित्र स्नान करेंगे. इन स्नानों के दौरान लाखों की संख्या में भक्त गंगा, यमुना और सरस्वती में डुबकी लगाएंगे. इसी वजह से हर साल कुंभ मेले (Kumbh Mela) में शामिल होने वालों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार खास सूचना जारी करती है. इस सूचना में कुंभ मेले (Kumbh 2019) के दौरान क्या करना है और क्या नहीं जैसी तमाम जानकारी के साथ, हेल्पलाइन नंबर और सभी चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयारी की पूरी जानकारी होती है. अगर आप इस बार कुंभ (Kumbh) में जा रहे हों या फिर आपका कोई जानने वाला कुंभ मेले (Kumbh Mela) में शामिल हो रहा हो तो यहां दिए गए जरूरी पॉइंट्स को एक बार पढ़ लें.
कुंभ मेले में क्या करें
1. हल्के सामान के साथ कुंभ आएं. कुंभ मेले में आने से पहले प्रयागराज के अस्पताल, भोजन, टैंट, जरूरी हेल्पलाइन नंबर और आकस्मिक सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी रखें.
2. अपने साथ कुंभ का मैप, स्नानों और घाटों की जानकारी, अपने जानने वालों के नंबर, खुद का आधार कार्ड और जरूरी पहचान पत्र रखें.
3. कुंभ मेले के दौरान सभी नियमों और अनुदेशों का पालन करें.
4. कुंभ में गंदगी ना फैलाएं. डस्टबिन और मौजूदा शौचालयों का उपयोग करें.
5. कुंभ में कोई भी अपरिचित या संदिग्ध वस्तु मिले तो तुरंत पुलिस या मेला प्रशासन को सूचित करें.
कुंभ मेले में क्या ना करें
1. कुंभ में अपने साथ कीमती और अनावश्यक सामान ना लाएं.
2. खुद की सुरक्षा का ध्यान रखें. अजनबी पर भरोसा ना करें. बिना पूरी जानकारी के किसी के बहकावे में आकर भोजन ग्रहण ना करें.
3. शांति बनाएं रखें और लड़ाई झगड़े से बचें.
4. नदी की सीमा को लांघकर खुद की जान जोखिम में ना डालें.
5. नदी में साबुन, प्लास्टिक, कचरा और पूजन सामग्री ना डालें.
6. बीमार हैं तो भीड़ भरे स्थान पर जाने से बचें.
7. खुले में शौच और गंदगी ना करें.
कुंभ मेले को स्वच्छ Kumbh बनाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं ये "स्वच्छता दूत"
22 January 2019
प्रयागराज: Kumbh Mela 2019: प्रयागराज में कुंभ (Kumbh) के दौरान स्वच्छता दूत अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाते हुए 'भव्य कुम्भ, दिव्य कु्म्भ' के मंत्र को सार्थक बनाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं. एक स्वच्छ दूत रवि कुमार ने कहा, "पिछले एक महीने से अधिक समय से, मैं और 11 अन्य स्वच्छता दूत कुंभ मेले (Kumbh Mela) के आस-पास के परिसर को साफ रखने के काम में जुटे हैं. हम शहर के अरिल क्षेत्र में और आसपास के कुछ भोजनालयों में साफ-सफाई सुनिश्चित करते हैं.
हमारा मुख्य काम यह सुनिश्चित करना है मेले के आस-पास के इलाके में कोई कूड़ा ना हो." उन्होंने बताया कि स्वच्छता दूत आठ घंटे के तय समय के बजाय रोजाना औसतन 10 से 12 घंटे काम करते हैं. स्नान वाले दिनों में काम का बोझ बढ़ जाता है, जब पास और दूर सभी स्थानों से भारी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं.
स्वच्छता दूत ने कहा कि वह कुंभ मेले में पर्यटकों द्वारा सफाई को लेकर मिलने वाली सराहना से काफी अच्छा महसूस करते हैं. कुंभ के दौरान खुले में शौच को रोकने और सफाई का ध्यान रखने के लिए एक लाख से अधिक शौचालय भी स्थापित किए गए हैं.
प्रयागराज कुंभ में होगा प्रदेश का मण्डप : मंत्री श्री शर्मा
19 January 2019
प्रयागराज कुंभ में मध्यप्रदेश से जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुए सभी आवश्यक प्रबंध किए जाएंगे। यह बात धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व, जनसम्पर्क, विधि एवं विधायी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, विमानन, मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने आज मंत्रालय में हुई अध्यात्म विभाग की बैठक में यह जानकारी दी।
मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि प्रयागराज कुंभ में बनाया जा रहा मध्यप्रदेश का मण्डप प्रदेश की अध्यात्मिक, धार्मिक और संत-ऋषि परम्पराओं की अवधारणाओं को प्रतिबिम्बित करेगा। इसमें मध्यप्रदेश के सभी विशिष्ट धार्मिक स्थलों पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी मध्यप्रदेश के मण्डप में होगा। श्री शर्मा ने अधिकारियों को मण्डप में समुचित प्रबंध करने के निर्देश दिए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव जनसम्पर्क श्री एम. गोपाल रेड्डी, अपर मुख्य सचिव अध्यात्म श्री मनोज श्रीवास्तव, सचिव संस्कृति श्रीमती रेनू तिवारी सहित पर्यटन और संबद्ध विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
पहले शाही स्नान से शुरू हुआ कुंभ 2019
Our Correspondent :15 January 2019
तीर्थराज प्रयाग में 49 दिन तक चलने वाले कुंभ की शुरुआत हो गई। मंगलवार को पहला शाही स्नान है। सबसे पहले संगम तट पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु-संतों ने स्नान किया। इसके बाद श्री पंचायती अटल अखाड़े के संतों ने संगम तट पर डुबकी लगाई।
6:28 बजे : श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री पंचायती अटल अखाड़े के संत, संन्यासी शाही स्नान के लिए संगम तट पहुंचे। सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के नागा संन्यासियों ने संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद श्री पंचायती अटल अखाड़े के संत, आचार्य और महामंडलेश्वर संगम तट पर पहुंचे।
7:14 बजे : श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा, तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े के संत स्नान करने के लिए संगम तट पर पहुंचे। संत हर-हर महादेव का जयघोष करते रहे।
8:00 बजे : श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा शाही पेशवाई के साथ संगम तट पहुंचा। महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज की अगुआई में संतों ने संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद श्री पंच दशनाम आह्वान अखाड़ा, श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा के संन्यासियों ने शाही स्नान किया।
महाशिवरात्रि तक चलेगा कुंभ
कुंभ मेला 4 मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा। आखिरी शाही स्नान 4 मार्च को होगा और इसी दिन कुंभ मेले का समापन भी हो जाएगा। हर अखाड़े को स्नान के लिए 40 मिनट का समय दिया गया है।
कुंभ 2019, प्रयाग 3 मार्च तक चलेगा अर्धकुंभ
Our Correspondent :12 January 2019
कुंभ 2019 प्रयागराज में 15 जनवरी से शुरू हो रहा है। जो कि 3 मार्च तक रहेगा। इस कुंभ में लाखों साधु-संत आएंगे। जिनमें मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े होंगे। इनमें से 7 शैव, 3 वैष्णव व 3 उदासीन (सिक्ख) अखाड़े रहेंगे। वहीं अभी-अभी बना किन्नर अखाड़ा भी रहेगा। सभी अखाड़ों के अपने-अपने नियम और कानून होते हैं। वहीं अखाड़ों के इष्ट देव और साधुओं की दिनचर्या भी अलग-अलग रहती है। सभी अखाड़े अलग-अलग समय पर स्नान करते हैं
सिंहस्थ महापर्व सामाजिक सरोकार और बदलाव का मंथन
Our Correspondent :09 May 2016
सिंहस्थ कुम्भ महापर्व एक विशाल आध्यात्मिक आयोजन है। जो मानवता के लिए जाना जाता है। इसके नाम की उत्पत्ति ‘‘अमरत्व का पात्र‘‘से हुई है। सिंहस्थ र्सिफ एक पर्व ही नहीं है, उससे कहीं ज्यादा यह जीवन के सही मूल्यो को समझने एवं सनातन परम्परा के र्निवाहन का एक अदभुत अवसर है। उज्जैन में आयोजित होने वाले इस भव्य समारोह के लिए विभिन्न पारम्परिक कारक खोजे जा सकते हैं। भागवत पुराण,विष्णु पुराण, महाभारत और रामायण आदि महान ग्रंथो में भी अमृत कुंड और अमृत कलश का उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि देवताओ और असुरो द्वारा किये गये ‘समुद्र मंथन‘ से अमृत कलश की प्राप्ति हुई थी। यह सिंहस्थ महापर्व र्सिफ एक धार्मिक महाकुंभ ही नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकार से जुड़ा महानुष्ठान बना है। यहाँ धर्म-अध्यात्म, वेदों की ऋचाओ और पुराणों के सार के साथ संत¨और महंतो ने सामाजिक जनचेतना को जाग्रत करने की दिशा में विभिन्न प्रकल्प और अभियान चलाए हैं। कहा जाता है कि सिंहस्थ कोई पर्व या उत्सव नहीं। इससे भी अत्यधिक यह एक अवसर है सांसारिक जीवन में रहते हुए दिव्य ज्ञान का समझने का। सिंहस्थ हमें अवसर प्रदा करता है शास्त्रार्थ निहित उस रास्ते पर चलने के लिए जिसके लिए हमें मानव जीवन प्राप्त है। इस बार का सिंहस्थ पिछले सिंहस्थ से कुछ अलग है इस सिंहस्थ में धर्म की डुबकी के साथ सामाजिक जनजागरण का माध्यम भी बना है ,विभिन धार्मिक पंडालो में प्रवचनो के साथ पर्यावरण संरक्षण, विश्वशांति - समभाव, स्वच्छता अभियान, भ्रुण हत्या, बेटी बचाओ बेटी पढाओ और क्षिप्रा शुद्धिकरण को लेकर जन समुदाय को जाग्रत करते हुए संत दिखाई देते हैं। सामाजिक सरोकारो से जुड़े मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हमेशा सकारात्मक प्रयासो के जरिये सामाजिक बदलाव लाने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की सर्वोच्च प्राथमिकता वाले इन सभी सामाजिक अनुष्ठानो को साधु-संतो का मार्गदर्शन मिलने से समाज को धार्मिक सम्बल भी मिला है। देश के प्रधान सेवक नरेन्द्र मोदी ने भी बीते सप्ताह मन की बात में सिंहस्थ का जिक्र करते हुए कहा था कि ‘‘मैं मानता हूँ ये कुंभ मेला, भले धार्मिक, आध्यात्मिक मेला हो , लेकिन हम उसको एक सामाजिक अवसर भी बना सकते हैं। संस्कार का अवसर भी बना सकते हैं वहाँ से अच्छे संकल्प, अच्छी आदतें लेकर के गाँव-गाँव पहुँचाने का एक कारण भी बन सकता है, हम कुंभ मेले से पानी के प्रति प्यार कैसे बढे़, जल के प्रति आस्था कैसे बढ़े, जल-संचय का संदेश देने में कैसे इस कुंभ मेले, का भी उपयोग कर सकते हैं, हमें करना चाहिए”- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कही बात सिंहस्थ में अक्षरशः साकार हो रही है। सिंहस्थ को मानव जाती के कल्याण करने का माध्यम और मंथन का सार बनाने की कोशिश सरकार के साथ सिंहस्थ में पधारे संत मुनियो और अखाड़ो के प्रमुखो ने जनजाग्रति अभियान के जरिये की है। दुनिया को मानवीय मूल्य की रक्षा का संदेश देने के मामले में इस बार का सिंहस्थ अतीत के तमाम महाकुंभो से अनूठा और नयापन लिए हुए है। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण के साथ-साथ खुले में शौच नहीं करने व सदैव शौचालय का प्रयोग करने का संदेश श्रद्धालुओं को दे रहे हैं। इन धर्म गुरुओं के साथ ही समूचे मेला क्षेत्र में जगह-जगह जन जागरूकता के संदेश देते होर्डिंग्स भी लगे हुए हैं। जिनमे केंद्र सरकार के ‘स्वच्छ भारत-एक कदम स्वच्छता की ओर ‘ जैसे स्वच्छता अभियान का जिक्र है तो नदियो के संरक्षण के मामले में सरकार के साथ समाज को जुड़ने का संदेश लिखे है जैसे - ‘कितनी पावन हैं ये नदियाँ,चाहे गंगा ह¨ या क्षिप्रा। वृक्षारोपण के प्रति जन जागरण की दृष्टी से परर्माथ निकेतन द्वारा मोक्षदायिनी क्षिप्रा के आंचल को हरियाली की चादर ओढ़ाने के लिए डेढ़ लाख पौधे रोपे जायेंगे।
घटता लिंगानुपात सभ्य और उन्नतशील समाज की हकीकत को बंया करता है। दिन प्रतिदिन घट रहा लिंगानुपात समाज के लिए चिंता का विषय है। महाकुंभ में भगवान शनि के उपासक दाती महाराज ने बेटी बचाने के संकल्प का शंखनाद किया है। पूरे सिंहस्थ क्षेत्र में बेटी बचाने का संदेश देते दाती महाराज के होर्डिंग्स लगे हैं, जिसके माध्यम से समाज को बेटियो को बचाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं। ‘ग्रीन सिंहस्थ-क्लीन सिंहस्थ‘का नारा अब विदेशी श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है। विदेशी श्रद्धालु भी सिंहस्थ मेला क्षेत्र में स्वच्छता बनाये रखने में योगदान दे रहे हैं। श्री अलखपुरी सिद्धपीठ परम्परा के रानीबाग स्थगित सिंहस्थ शिविर में विश्वगुरू स्वामी श्री महेश्वरानन्दजी के शिविर में काफी संख्या में विदेशी श्रद्धालु आये हुए हैं। इस शिविर में विदेशी श्रद्धालुओं को साफ-सफाई करते, योग, आसन, ध्यान करते सहज ही देखा जा सकता है। चेकोस्लवाकिया से आई विदेशी श्रद्धालु सलोरा केइ जिसका भारतीय नाम यशोदा है जो हाथो में झाड़ू थामे नियमित रूप से साफ-सफाई करती दिखाई देती हैं। इसी तरह अन्य शिविरों में अनेक विदेशी श्रद्धालु , अन्नक्षेत्र एवं अन्य सेवाकार्यो में पूरी तत्परता, तन्मयता एवं निष्ठा के साथ सेवाएं दे रहे हैं। सिहंस्थ में चल रहे संतो के विभिन्न सामाजिक अभियान से जनता में जागृति आएगी और प्रदेश में इन सबका बेहतर क्रियान्वयन कराने में सरकार को भी मदद मिलेगी। सिंहस्थ 2016 में हो रहे विभिन्न सामाजिक सरोकार से जुडे़ अभियान के मंथन से निश्चित रूप से मानव जाती को नई सकारात्मक दिशा देने का अमरत्व प्राप्त होगा।
प्राचीन-काल से संत समाज कर रहा है मार्गदर्शन
Our Correspondent :26 April 2016
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि संत समाज प्राचीन-काल से शासन का मार्गदर्शन करता आया है। मध्यप्रदेश सरकार भी संतों के बताये मार्ग पर चल रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज सिंहस्थ मेला क्षेत्र में पंचदशनाम जूनागढ़ अखाड़े के महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि से आशीर्वाद प्राप्त कर उनसे चर्चा कर रहे थे। इस अवसर पर संत श्री मुरारी बापू और मुख्यमंत्री की धर्म-पत्नी श्रीमती साधना सिंह और अन्य संत भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने स्वामी अवधेशनंद गिरि से सिंहस्थ की व्यवस्थाओं को और अधिक चाक-चौबंद बनाने तथा क्षिप्रा नदी की पवित्रता, शुद्धता और प्रवाह को बनाये रखने के सम्बध में चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंहस्थ महाकुम्भ से पहले उज्जैन के शत-प्रतिशत मंदिरों के जीर्णोद्वार का कार्य प्रारंभ कर दिया गया, जो लगातार जारी है। इसी प्रकार पुण्य-पावनी क्षिप्रा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए इसमें नर्मदा जल का प्रवाह किया गया है। उन्होंने कहा कि क्षिप्रा की शुद्धता और शुचिता को बनाये रखने के लिए संत समाज से भी सलाह-मशविरा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने क्षिप्रा की शुद्धता को प्रभावित करने वाली ‘‘खान नदी‘‘ का स्थाई हल निकाले जाने की बात भी कही।
मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि क्षिप्रा सहित सभी नदियों की शुद्धता, निर्मलता, पवित्रता और शुचिता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि हम सब अधिक से अधिक पौधों का रोपण करें। उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले धर्मावलम्बियों का आव्हान किया कि नदियों की शुद्धता और पृथ्वी की हरीतिमा को बनाये रखने का संकल्प लें।
संत-महात्माओं के मार्गदर्शन में सिंहस्थ के लिये बेहतर व्यवस्थाएँ
Our Correspondent :26 April 2016
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि संत-महात्माओं के मार्गदर्शन में सिंहस्थ के लिये बेहतर से बेहतर इंतजाम किये गये हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये कोई भी कोर-कसर नहीं रखी गयी है। विश्वास है कि सिंहस्थ का आयोजन संत-महात्माओं के आशीर्वाद से सफलतापूर्वक सम्पन्न होगा। मुख्यमंत्री श्री चैहान ने यह बात आज बड़नगर रोड स्थित भारत माता समन्वय मंदिर में कही। यहाँ उन्होंने महामण्डलेश्वर श्री सत्यमित्रानंद गिरि महाराज से आशीर्वाद लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह भी मौजूद थीं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्री सत्यमित्रानंद गिरि महाराज से चर्चा के दौरान बताया कि उज्जैन के मंदिरों का जीर्णोद्धार किया गया है, श्रद्धालुओं की हर सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान श्री सत्यमित्रानंद गिरि महाराज ने कहा कि राज्य शासन ने सिंहस्थ के लिये अच्छे इंतजाम किये हैं। सरकार द्वारा किये गये कार्यों की उन्होंने सराहना की। इस दौरान उन्होंने श्री चौहान को पुनः भारत माता मंदिर आने का आमंत्रण दिया।
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री खट्टर गीता महोत्सव में शामिल हुए
Our Correspondent :26 April 2016
भोपाल। हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि गीता से हमें यह ज्ञान मिलता है कि हम जीवन में किसी भी क्षेत्र में कोई भी कार्य कर रहे हैं तो वह निष्काम होना चाहिए। श्री खट्टर आज उज्जैन में सिंहस्थ मेला क्षेत्र में श्री नर्मदे हर सेवा न्यास द्वारा आयोजित गीता महोत्सव में 'गीता और व्यक्तित्व विकास'' संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। विधायक श्री रामलाल रौतेल, स्वामी श्री राजशेखरानंद, श्री उत्तम स्वामी और श्री भगवत शरण माथुर भी मौजूद थे।
श्री खट्टर ने कहा कि हमें अपने कर्मों से पहचान मिलती है। किसी व्यक्ति से उसकी चार पीढि़यों का नाम पूछा जाए तो शायद वह बतलाने में अक्षम होगा, पर हजारों साल पूर्व के योगियों, महापुरूषों के नाम हमें रटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान हरियाणा के कुरूक्षेत्र में दिया पर इस ज्ञान को उज्जैन में प्राप्त शिक्षा से हासिल किया। इस साल गीता जंयती पर कुरूक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का आयोजन किया जाएगा।
परिवहन मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह ने कहा कि गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनायी जाती है। गीता में मानव जीवन की समस्त समस्याओं का हल है। व्यक्तित्व विकास का सूत्र गीता है। गीता के ज्ञान को आमजन तक पहुँचाने में इस तरह की संगोष्ठी आवश्यक है। कार्यक्रम में अतिथियों ने स्वामी अड़गड़ानंद द्वारा लिखित 'गीता के प्रमुख प्रश्न'' तथा 'बाल गीता'' के अंग्रेजी अनुवाद का विमोचन किया।
कुंभ के बाद भी क्षिप्रा छल-छल, कल-कल निर्मल बहती रहेगी - मुख्यमंत्री श्री चौहान
Our Correspondent :26 April 2016
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सिंहस्थ कुंभ महापर्व के बाद भी क्षिप्रा के सदैव छल-छल, कल-कल बहती रहने और नदी के जल को हमेशा स्वच्छ, निर्मल बनाये रखने के लिए सभी जरूरी प्रबंध किये जायेंगे। इसके साथ ही गंदे पानी को नदी में नहीं मिलने दिया जाएगा। जहाँ आवश्यक होगा वहाँ ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जायेंगे और पानी को साफ किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज उज्जैन में क्षिप्रा तट पर महाआरती के पहले श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षिप्रा तट के दोनों किनारों पर ऐसे वृक्षों का रोपण किया जाएगा, जो वर्षा का जल अवशोषित करते हैं और बाद में उसका धीरे-धीरे नदी में रिसाव होता है। इससे नदी में हमेशा जल की आपूर्ति होती रहेगी और नदी निरंतर प्रवाहमान रहेगी।
मुख्यमंत्री ने क्षिप्रा के दोनों तट पर मौजूद जनसमूह को संकल्प दिलाया कि क्षिप्रा को स्वच्छ, निर्मल बनाये रखने में सभी सहयोग करेंगे। जनसमूह ने दोनों हाथ उठाकर क्षिप्रा जल को स्वच्छ बनाये रखने का संकल्प लिया। श्री चौहान ने कहा कि मैं शासक न होकर मैं प्रदेश का सेवक हूँ और संतों के दिखाये सदमार्ग पर चलकर जनता की सेवा में तत्पर रहूँगा।
महामण्डलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान एक अच्छे प्रशासक ही नहीं उपासक भी है। आध्यात्मिक संत श्री मुरारी बापू ने कहा कि मुख्यमंत्री बहुत ही सरल एवं सहज हैं।
महाआरती स्थल पर धार्मिक आयोजन भी हुए, जिसमें विदेशी श्रद्धालु भी शामिल हुए। इस अवसर पर परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनिजी महाराज, हरिगिरि महाराज, रघुमुनिजी महाराज, केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह, सांसद श्री चिन्तामणि मालवीय, श्री इकबाल सिंह गांधी, साधु-संत उपस्थित थे।
महाआरती के बाद मंहत श्री हरिगिरि महाराज ने श्रद्धालुओं का आव्हान किया कि पुण्य-दायिनी क्षिप्रा के तटों पर अपने पूज्य माता-पिता की स्मृति में वृक्षारोपण करें। उन्होंने श्रद्धालुओं से पौधों की रक्षा का संकल्प लेने और भविष्य में वृक्ष न काटने का आग्रह भी किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान सपत्नीक साधारण नागरिक के रूप में महाआरती में शामिल हुए। उन्होंने मोक्षदायनी माँ क्षिप्रा की आरती कर संतों का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि की कामना की।
पहले शाही स्नान के बाद दूसरी बार उज्जैन पहुँचे मुख्यमंत्री
Our Correspondent :26 April 2016
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान शाही स्नान के बाद आज दूसरी बार उज्जैन पहुँचे। उन्होंने सिंहस्थ मध्यावधि में ग्राम निनौरा में होने वाले वैचारिक महाकुंभ स्थल पर तैयारियों का अवलोकन किया। श्री चौहान ने कहा कि परम्परागत सिंहस्थ महाकुंभ और वैचारिक कुंभ दुनिया को शान्ति का सन्देश देगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सम्पूर्ण विश्व को वैचारिक महाकुंभ का निष्कर्ष समर्पित करेंगे। इस दौरान सांसद डॉ. चिन्तामणि मालवीय, विधायक श्री अनिल फिरोजिया और श्री इकबाल सिंह गाँधी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नैतिक मूल्यों पर आधारित वैचारिक महाकुंभ का आयोजन प्रदेश में सदियों बाद किया जा रहा है। परम्परागत कुंभ तो 30 से 40 दिन में होते चले आ रहे हैं, लेकिन वैचारिक महाकुंभ का आयोजन सबसे अहम है। यहाँ विश्व के संत-महंत चर्चा कर शान्ति का सन्देश विश्व को देंगे। आज ऐसे कई विषय हैं, जिन पर चिन्तन-मनन कर आवश्यक कदम उठाना जरूरी है। इसमें सबसे मुख्य है नैतिक मूल्य आधारित जीवन कैसे हो। साथ ही कृषि विज्ञान और आध्यात्म, महिला सशक्तिकरण इत्यादि विषयों ने दुनिया को झकझोर दिया है। आज जरूरी है कि इन विषयों पर महत्वपूर्ण और ठोस चिन्तन के परिणाम सामने आयें, जिस पर दुनिया अमल करे।
जनसंपर्क द्वारा सिंहस्थ-2016 पर केन्द्रित फोटो प्रतियोगिता
Our Correspondent :26 April 2016
भोपाल। जनसंपर्क विभाग द्वारा उज्जैन के सिंहस्थ-2016 महापर्व पर केन्द्रित सिंहस्थ फोटो प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। प्रतियोगिता के लिये छाया-चित्र 30 मई, 2016 तक विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम, 40, प्रशासनिक क्षेत्र, अरेरा कॉलोनी भोपाल पर डाक से भेजे जा सकते हैं। छाया-चित्र वेबसाइट http://www.simhasthujjain.in/photo-contest पर अपलोड या PhotoContest@simhasthujjain.in पर मेल भी किये जा सकते हैं।
प्रतियोगिता दो श्रेणी में होगी- पेशेवर और जन-सामान्य। पेशेवर श्रेणी में प्रथम पुरस्कार एक लाख रुपये, द्वितीय 51 हजार, तृतीय 21 हजार और सांत्वना पुरस्कार 10 हजार रुपये का होगा। जन-सामान्य श्रेणी में प्रथम पुरस्कार 25 हजार रुपये, द्वितीय 15 हजार, तृतीय 5 हजार और सांत्वना पुरस्कार 2100 रुपये का होगा।
सिंहस्थ फोटो प्रतियोगिता पूरी तरह नि:शुल्क है। देश के किसी भी प्रांत का नागरिक इसमें भाग ले सकता है। छाया-चित्र सिंहस्थ-2016 पर ही आधारित एवं उससे संबंधित ही होना चाहिये। जहाँ का फोटोग्राफ लिया गया है, उस स्थान का नाम स्पष्ट रूप से अंकित किया जाये। पेशेवर श्रेणी के फोटो की साइज 4-10 एमबी के बीच होनी चाहिये। जन-सामान्य श्रेणी के फोटो की साइज 1-4 एमबी के बीच होना चाहिये। सभी फोटो RAW/JPEG/TIFF फार्मेट में होना चाहिये।
डिजिटल फोटो की गुणवत्ता 300 डीपीआई और 2400 पिक्सल्स से कम नहीं होनी चाहिये। एक व्यक्ति अधिकतम 3 फोटोग्राफ भेज सकता है। एक व्यक्ति का एक ही आवेदन मान्य किया जायेगा। फोटोग्राफ्स/डिजिटल इमेज को मिक्स करके नहीं बनाया जाना चाहिये, अर्थात ओरिजनल होना चाहिये। निर्धारित तिथि के बाद प्राप्त होने वाले फोटोग्राफ्स प्रतियोगिता में शामिल नहीं किये जायेंगे। यदि फोटोग्राफ्स/छायाचित्र संबंधित द्वारा नहीं खींचा पाया जाता है अथवा किसी प्रकार के अन्य फोटो/छायाचित्र की कॉपी या नकल पायी जाती है, तो आवेदन अमान्य कर दण्डात्मक कार्यवाही की जा सकती है। आवेदन-पत्र में जानकारी स्पष्ट रूप से पठनीय होना चाहिये, अन्यथा प्रविष्टि निरस्त की जा सकती है।
आवेदन-पत्र में त्रुटि होने या किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में प्रविष्टि को निरस्त करने का पूर्ण अधिकार आयुक्त जनसंपर्क के पास सुरक्षित होगा। छाया-चित्रों के चयन का सर्वाधिकार चयन समिति को होगा। प्रतियोगिता में प्राप्त फोटोग्राफ जनसंपर्क मध्यप्रदेश एवं मध्यप्रदेश माध्यम की सम्पत्ति होंगे और इनके उपयोग का सर्वाधिकार जनसंपर्क तथा माध्यम के पास सुरक्षित रहेगा। किसी भी प्रकार के न्यायालयीन विवादों के लिये न्यायालय क्षेत्र भोपाल होगा।
प्रतियोगिता के लिये आवेदन-पत्र जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट mpinfo.org और मध्यप्रदेश माध्यम की वेबसाइट mpmadhyam.in से डाउनलोड किया जा सकता है।
बिछड़ों को अपनों से मिलाना पुनीत कार्य
Our Correspondent :26 April 2016
भोपाल। ’’बिछड़ों को अपनों से मिलाना एक पुनीत कार्य है। इसका महत्व केवल वही लोग समझ सकते हैं, जिनके अपने कभी बिछड़े हों’’ यह बात केन्द्रीय सिंहस्थ आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह ने मेला क्षेत्र में भूखी माता के समीप बाल कल्याण समिति और किशोर न्यायालय बोर्ड के कार्यालय के शुभारंभ में कही। श्री माखन सिंह ने कहा कि मेला परिसर में इन कार्यालयों की स्थापना का उद्देश्य बिछड़े बच्चों और माताओं को उनके परिजन तक पहुँचाने में मदद करना है। उन्होंने कहा कि मेले में केवल हमारे देश के ही नहीं, बल्कि 180 अन्य देश के लोग भी आयेंगे।
मेला अवधि में परिजन से बिछड़ने वाले छोटे बच्चों को उनके परिजन तक पहुँचाने के लिये 51 ’’खोया-पाया’’ केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। शौर्या दल के सदस्यों को दो दिन पूर्व रेलवे स्टेशन पर मिली सीतामढ़ी बिहार की 70 वर्षीय श्रीमती कृष्णाबाई को दो दिन की मशक्कत के बाद आज उनके परिजन से मिला दिया गया।
मालवा की महिमामयी जीवन-रेखा क्षिप्रा
Our Correspondent :22 April 2016
भोपाल। भारतीय संस्कृति की अनेक विशिष्टताओं में प्रकृति के प्रति सम्मानीय और पवित्र भावना एक विशिष्ट गुण के रूप में मूल्यांकित होती आयी है। पर्वत, वन, नदियाँ- ये सब भारतीय जन-जीवन से अत्यंत निकटतम सम्बन्ध रखते हुए पवित्र तथा समादरित तथा पूज्य रहे हैं। फिर, जहाँ तक भारत की नदियों का सवाल है, वे अपने उत्स से लेकर संगत तक के क्षेत्रों की जीवन-रेखा ही रही आयी हैं। इसीलिये आज भी परम्परा से बँधा हुआ भारतीय मानस प्रतिदिन स्नान करने के समय मंत्रोच्चार के रूप में जिन सात प्रमुख पवित्र नदियों का स्मरण करता है, उनका उल्लेख निम्नांकित छन्द में हुआ है-
गंगेच यमुनेचैव
गोदावरि सरस्वती
नर्मदे सिन्धु, कावेरि
जलेदस्मन सन्निध कुरु।
लेकिन आश्चर्य यह है कि इस छन्द का रचयिता मध्यप्रदेश मालवा की महिमामयी जीवन-रेखा क्षिप्रा अथवा सिप्रा को कैसे भूल गया? कारण जो भी हो किन्तु पवित्र क्षिप्रा न केवल मालवा के लिये बल्कि सारे भारत के लिये आज भी महान तथा पवित्र तीर्थ-स्वरूपा है और कुंभ तथा सिंहस्थ के समय तो वह लाखों भक्तों के लिये अनिर्वचनीय श्रद्धा और पूजा की पवित्रतम प्रतीक बन जाती है।
पौराणिक उल्लेख
पुराणों में इसका उल्लेख रूप विशेष से ब्रह्म पुराण तथा स्कंद पुराण में किया गया है। स्कंद पुराण में इस स्रोतस्विनी की महान गाथा का उल्लेख विशेष रूप से 'आवन्त्य खंड'' में हुआ है। आगे चलकर बौद्ध, जैन ग्रंथों में भी इसका उल्लेख हुआ है।
क्षिप्रा अथवा कि सिप्रा की भौगोलिक उत्पत्ति कुछ भी हो किन्तु पौराणिक आख्यानों में इसकी उत्पत्ति की विभिन्न कथाएँ मिलती हैं। दरअसल, महाकाल वन अथवा अवन्तिका क्षेत्र में प्रवाहित यह उत्तर-वाहिनी नदी आज भी अपने तटों पर अनेक पवित्र तीर्थ तथा ऋषि-मुनियों के साधना-स्थलों को समेटे हुए है, किन्तु जहाँ तक उसकी उत्पत्ति का प्रश्न है, इसके संबंध में अनेक कथाओं का उल्लेख मिलता है।
स्कंद पुराण के अवन्ति खंड के 69वें अध्याय तथा उसी पुराण के अन्य तीन अध्यायों में इस नदी के चार नाम पाये जाते हैं- क्षिप्रा, ज्वरध्नी, पापध्नी और अमृत संभवा। इन विवरणों में महर्षि व्यास और सनत्कुमार के प्रश्नोत्तर के रूप में क्षिप्रा की उत्पत्ति का जिस प्रकार उल्लेख किया गया है, उसके अनुसार 'एक बार शिवजी ब्रह्म के कपाल को लेकर भिक्षा माँगने निकले किन्तु त्रिलोक में उन्हें कहीं भिक्षा नहीं मिली। अंतत: उन्होंने बेकुण्ठ पहुँचकर भगवान विष्णु से भिक्षा की याचना की तब भगवान विष्णु ने अपनी तर्जनी अंगुली ऊपर दिखलाते हुए कहा- 'शिव, मैं भिक्षा तो तुम्हारी दे रहा हूँ, ग्रहण करो''। भगवान की अंगुलि दिखलाने को शिवजी सहन नहीं कर सके और तुरंत अपने त्रिशूल से उन्होंने उसमें आघात कर दिया जिससे रक्त की धारा बह निकली और उनके हाथ में रखा सारा कपाल शीघ्र ही भर गया और उसके चारों ओर रक्त की धारा बह निकली। वही धारा क्षिप्रा नदी के रूप में परिणित हुई। इस प्रकार, त्रिलोक को पवित्र करने वाली नदी शीघ्रता से वेकुण्ठ से प्रादुर्भूत हुई ओर तीनों लोकों में उसकी प्रसिद्धि हुई''। (पं. दयाशंकर दुबे तथा पं. रामप्रताप त्रिपाठी द्वारा रचित 'क्षिप्रा की महिमा से'')
यद्यपि क्षिप्रा की उत्पत्ति के बारे में उपर्युक्त प्रसंग की सर्वाधिक लोक-श्रुत है किन्तु स्कंद पुराण में ही उसकी उत्पत्ति के विषय में अन्य कथाओं का भी उल्लेख हुआ है। इन कथाओं के अनुसार क्षिप्रा की उत्पत्ति बराह अवतार के रूप में भगवान विष्णु के ह्नदय से हुई। एक अन्य कथा के अनुसार, उज्जैन में दीर्घकाल तक तपस्या करने के पश्चात अभिनायक ऋषि ने जब अपने नेत्र खोले तो उन्होंने अपने शरीर से दो स्त्रोतों को प्रवाहित होते देखा। उनमें से एक ने आकाश में चन्द्रमा का रूप धारण कर लिया और दूसरा क्षिप्रा के रूप में उज्जैन के निकट ही प्रवाहित हुआ।
स्कंद पुराण में ही इस नदी की उत्पत्ति शिव के कमण्डल से बतायी गयी है। एक अन्य प्रसंग के अनुसार क्षिप्रा के कामधेनु से प्रगट होने का भी उल्लेख किया गया है।
इन पौराणिक आख्यानों में क्षिप्रा की महान पवित्रता का महत्व तो रेखांकित होता ही है। स्कंद पुराण में वर्णित कथा के अनुसार सनत्कुमार ने क्षिप्रा के समान पुण्यदायिनी कोई अन्य नदी नहीं है। इसके किनारे क्षणभर में मुक्ति प्राप्त होती है। स्कंद पुराण के अनुसार ही पृथ्वी पर नैमिषारण्य तथा पुष्कर को उत्तम तीर्थ के रूप में उल्लिखित किया गया है किन्तु काशी से भी दस गुना महत्वपूर्ण महाकाल वन का क्षेत्र माना गया है। जहाँ से प्रवाहित होती है अमृत तुल्या क्षिप्रा, जिसके जल में स्नान करने से तथा जिसके तट पर नैमित्तिक कर्म करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है तथा अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
विविध रूपा क्षिप्रा
पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इस पवित्र नदी को वेकुण्ठ में क्षिप्रा, स्वर्ग में ज्वरध्नी, यमद्वार में पापध्नी तथा पाताल में अमृत सम्भवा के रूप में उल्लिखित प्रसंगों का भी विवरण दिया गया है। क्षिप्रा की महिमा नामक लेख में सर्वश्री दुबे और त्रिपाठी ने तत्कालीन क्षिप्रा के सौन्दर्य का जो विवरण दिया है वह भी उल्लेखनीय है- 'उस क्षिप्रा नदी का मनोहरतट कुश और घासों से सब कहीं आकीर्ण था----- मणि मुक्ता और मूंगों से जड़ित सीढ़ियाँ बनी हुई थीं----- सायंकाल और प्रात:काल ब्राह्मणों के झुण्ड के झुण्ड उसमें सन्ध्या वन्दनादि करते रहते थे''- मृगु और आंगिरा के क्षिप्रा के तट पर समाधिलीन होने का भी उल्लेख किया गया है। संक्षेपत: यह कि पुराणों में इस नदी को अत्यंत पवित्र रूप में स्थापित किया गया है।
इतिहास के आइने में
महाकाल वन क्षेत्र में प्रवाहित होने के कारण क्षिप्रा मालवा क्षेत्र के रोमांचकारी इतिहास की साक्षी रही है। उज्जयिनी अथवा अवन्तिका को अपनी जलधारा से पवित्र करती हुई यह नदी आज भी महाकालेश्वर और कालभैरव की अर्चना-वन्दना में समर्पित है। पौराणिक युग में इसी के निकट रहते थे ऋषि सान्दीपनि, जिनके आश्रम में भगवान कृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की थी। इसके निकट ही है भर्तृहरि की साधना स्थली। शताब्दियों से यह स्त्रोतस्विनी चण्ड प्रद्योत, महासेन, विक्रमादित्य, रुद्रसेन, क्षत्रपवंशीय राजाओं तथा अनेक राजवंशों के उत्थान-पतन की मूकदर्शिका रही। महान पराक्रमी परमारों ने इस नदी के तट पर स्थित उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया। मुगलकाल के अनेक ऐतिहासिक प्रसंगों की भी वह साक्षी रही और फिर भारत के ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाने के समय तथा रियासतों के विलीनीकरण के पूर्व तक सिन्धियावंश के शासकों द्वारा भी यह समादरित रही। इस पवित्र नदी के तट पर स्थित कालियादह का भव्य भवन तथा अन्य महत्वपूर्ण स्थान और प्रसंग इसकी ऐतिहासिक महिमा को आज भी प्रतिष्ठित किये हुए हैं। इनमें सर्वाधिक उल्लेखनीय है इस पवित्र स्त्रोतस्विनी के तट पर लगने वाला कुंभ और सिंहस्थ का मेला। कहा जाता है कि जब अमृत कुंभ के लिये सुरों और असुरों में छीनाझपटी हुई थी तथा जब अमृत कुंभ को लेकर जयंत आकाशमार्ग से उड़ा था तथा उसकी चार बूंदे पृथ्वी पर गिरी थीं। उनमें से एक बूंद क्षिप्रा के निकट गिरी। अतएव प्रति बारह वर्ष में एक बार कुंभ का महान पर्व अत्यन्त प्राचीनकाल से इस नदी के तट पर होता आ रहा है। किन्तु सिंह राशि पर बृहस्पति के आने पर यह महान सांस्कृतिक पर्व सिंहस्थ के रूप में आयोजित होता है। एक माह का यह महान पवित्र धार्मिक तथा सांस्कृतिक समारोह क्षिप्रा के तट पर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विभिन्न भाषा-भाषी श्रद्धालुओं के सांस्कृतिक संगम का रूप धारण कर भारतीय संस्कृति के आधारभूत सिद्धांत-विविधता में एकता को रूपायित करता आ रहा है।
क्षिप्रा का भौगोलिक पक्ष
इस पवित्रतम् स्त्रोवस्विनी की उत्पत्ति के बारे में पौराणिक उल्लेख जो भी हों, किन्तु भौगोलिक रूप से इस उत्तर वाहिनी नदी का उद्गम विन्ध्याचल पर्वत माला की कोकरी टेकड़ी है। यह स्थान इंदौर से 11 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। उत्तर-पश्चिम दिशा में 60 किलोमीटर की दूरी तक प्रवाहित होते हुए लगभग 56 किलोमीटर तक उज्जैन जिले की परिधि रेखा अंकित करते हुए उज्जैन में प्रविष्ट होकर इस जिले में लगभग 93 किलोमीटर प्रवाहित होती है।
क्षिप्रा की कुल भौगोलिक लम्बाई लगभग 125 कि.मी. है। इसके किनारे काफी नीचे है, किन्तु महिदपुर और आलोट के बीच इसके किनार पहाड़ी ओर ऊँचे हैं। क्षिप्रा की सनातन नदियों प्रमुखत: खान और गंभीर है। खान उज्जैन शहर के कुछ पहले तथा गंभीर महिदपुर के पास क्षिप्रा में मिल जाती है। इसके बाद क्षिप्रा उज्जैन जिले से बाहर निकलकर रतलाम, मंदसौर तथा भीलवाड़ा जिलों की सीमा रेखा पर चम्बल नदी में मिल जाती है।
क्षिप्रा तीरे
वैसे तो क्षिप्रा के तट पर स्थित उज्जैन एक सर्व-विख्यात स्थान है, किन्तु उज्जैन जिले के कालीदेह, भैरोगढ़, महिदपुर आदि स्थान भी क्षिप्रा के तट पर स्थित होने के कारण उल्लेखनीय हैं। कालीदेह उज्जैन से 8 किलोमीटर दूर क्षिप्रा के बाँये तट पर स्थित है। स्कंद पुराण में इस स्थान का नाम ब्रह्मकुण्ड था। इस स्थान पर स्थित ऐतिहासिक कालियादह का भव्य भवन मालवा के सुल्तान नसीरुद्दीन द्वारा बनवाया गया बताया जाता है।
उज्जैन से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भैरोगढ़ में एक अत्यंत प्राचीन वट-वृक्ष है, जिसकी महिमा प्रयाग के अक्षय वट के समान ही बतायी जाती है। भैरोगढ़ में स्थित कालभैरव का मंदिर आज भी तांत्रिकों की साधना-स्थली बना हुआ है।
उज्जैन जिले की तहसील का मुख्यालय महिदपुर क्षिप्रा के दाहिने किनारे पर स्थित है। पौराणिक उल्लेख के अनुसार यह हरसिद्धि विशाल क्षेत्र में स्थित है। सन् 1887 में जब सिंहस्थ मेले में हैजा का आक्रमण हुआ था तो लगभग 5000 साधुओं ने यहीं ऐतिहासिक स्नान का अनुष्ठान सम्पन्न किया था।
वस्तुत: क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित अनेक ग्राम और कस्बे पर्वों के समय मेले और तीर्थ का रूप धारण कर लेते हैं, किन्तु उज्जैन में क्षिप्रा के तट पर निर्मित नरसिंगघाट, रामघाट, गंगाघाट और छत्रीघाट तो वर्षभर श्रद्धालु भक्तों की पूजा-अर्चना के केन्द्र बने रहते हैं। इसी पवित्र नदी के तट पर महान वीर योद्धा दुर्गादास राठौर की समाधि बनी हुई है। क्षिप्रा में स्नान-अर्चना करने के साथ ही यात्री महाकालेश्वर, हरसिद्धि देवी, बड़े गणेशजी, भर्तृहरि की गुफा, सान्दीपनि आश्रम, मंगलनाथ वेधशाला, बिना नींव की मस्जिद, कालभैरव, अंकपात आदि पौराणिक कथा ऐतिहासिक स्थानों का दर्शन लाभ करते हैं।
मालवा की महिमामयी जीवन-रेखा पुण्य सलिला क्षिप्रा के जल को प्रदूषण मुक्त करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार द्वारा क्षिप्रा शुद्धिकरण योजना के विचाराधीन होने का भी समाचार है, किन्तु इस समाचार से परे आज भी क्षिप्रा कल्मष नाशिनी और कल्प वृक्ष के समान वरदायिनी के रूप में भारत की आबाल-वृद्ध जनता द्वारा पूज्य और वन्दनीय है।
सुचारू और सतत् बिजली आपूर्ति के ठोस एवं व्यापक इंतजाम
Our Correspondent :22 April 2016
भोपाल। मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा उज्जैन में 22 अप्रैल से होने वाले सिंहस्थ कुंभ महापर्व में सुचारू और सतत् बिजली आपूर्ति के लिए ठोस एवं व्यापक व्यवस्थाएँ की गयी हैं। सिंहस्थ के लिए उज्जैन तथा मेला क्षेत्र में 220 के.व्ही. का एक और 132 के.व्ही. के तीन सब-स्टेशन से बिजली आपूर्ति की जायेगी। साथ ही 220 के.व्ही. सब-स्टेशन शंकरपुरा-उज्जैन, 132 के.व्ही. सब-स्टेशन रताड़िया, 132 के.व्ही. सब-स्टेशन ज्योति नगर एवं 132 के.व्ही. सब-स्टेशन भेरूगढ़ से बिजली आपूर्ति होगी।
प्रत्येक सब-स्टेशन में दोहरी बिजली आपूर्ति की व्यवस्था के साथ लगभग 500 मेगावॉट की पारेषण क्षमता स्थापित की गयी है। सुरक्षा की दृष्टि से पंचक्रोशी मार्ग तथा भीड़ वाले क्षेत्र में सिंगल डिस्क इंसुलेटर स्ट्रिंग को डबल डिस्क इंसुलेटर में परिवर्तित किया गया है। लाइनों की रुटीन पेट्रोलिंग, टॉप पेट्रोलिंग, ट्री चापिंग, जम्पर टाइटनिंग तथा डिस्कों की पीआईडी टेस्टिंग का कार्य किया गया है। इस व्यवस्था से सम्पूर्ण क्षेत्र में बिजली की निर्बाध आपूर्ति होगी।
लाइनों के मेंटेनेंस के लिए उज्जैन में उपलब्ध कार्मिकों के अलावा अन्य ट्रांसमिशन कंपनी के 82 प्रशिक्षित तकनीकी कार्मिकों एवं अभियंताओं को तैनात किया गया है। ये अतिरिक्त अभियंता तथा तकनीकी कार्मिक मेला क्षेत्र में निर्बाध बिजली आपूर्ति बनाये रखेंगे। लाइनों के रख-रखाव के लिए तकनीकी दस्ते को पर्याप्त वाहन उपलब्ध करवाये गये हैं। मेला क्षेत्र में हॉट लाइन मेंटेनेंस गैंग की व्यवस्था भी की गयी है।
उज्जैन में सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिमा का हुआ अनावरण
Our Correspondent :22 April 2016
भोपाल। उज्जैन के रुद्रसागर स्थित ऐतिहासिक राजा विक्रमादित्य के टीले का सौंदर्यीकरण और न्यायप्रिय सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिमा का अनावरण आज उज्जैन प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन और केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह की उपस्थिति में हुआ।
अनावरण के पहले विधायक डॉ. मोहन यादव ने विधिवत पूजा-अर्चना की। प्रतिमा एवं टीले के सौंदर्यीकरण पर राज्य सरकार ने लगभग 7 करोड़ की राशि खर्च की है।
सिंहस्थ का पहला शाही स्नान आज
सिंहस्थ-2016 का पहला शाही स्नान 22 अप्रैल को होगा। शाही स्नान के लिये सभी व्यवस्था चाक-चौबंद की गयी हैं। घाटों के साथ अखाड़ों के आगे-पीछे सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस और पेरा-मिलिट्री फोर्स के जवान तैनात रहेंगे। शाही स्नान के लिये सभी अखाड़ों के स्नान के क्रम और घाटों पर आने-जाने के मार्ग निर्धारित किये गये हैं।
मेला क्षेत्र में 400 सिटी-बस और 1000 टाटा मैजिक
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं को सेटेलाइट टाउन से शहर एवं मेला क्षेत्र में तय स्थानों पर एक से 2 मिनट में सिटी-बस या टाटा मैजिक वाहन सुविधा उपलब्ध रहेगी। इसके लिये एआईसीटीएल के सहयोग से परिवहन विभाग ने 400 सिटी-बस और 1000 टाटा मैजिक वाहन की व्यवस्था की है। प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने वाहन व्यवस्था का शुभारंभ किया। प्रभारी मंत्री ने कहा कि श्रद्धालु मात्र 10 रुपये में मेला क्षेत्र में एक स्थान से दूसरे स्थान जा सकेंगे।
मध्यप्रदेश में 2000 नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र खुलेंगे
Our Correspondent :22 April 2016
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज यहाँ सम्पन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में प्रदेश में 2000 नये उप-स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना को मंजूरी दी गई। प्रत्येक उप-स्वास्थ्य केन्द्र के लिये ए.एन.एम. का एक नियमित पद स्वीकृत किया गया। वर्तमान में इन स्वास्थ्य केन्द्रों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में उपलब्ध संविदा ए.एन.एम. की पदस्थापना की जायेगी। किराये के भवनों की व्यवस्था कर इन केन्द्रों को यथाशीघ्र शुरू किया जायेगा।
राहत में वृद्धि
मंत्रि-परिषद् ने वन्य-प्राणियों द्वारा होने वाली जन-हानि और पशु-हानि के मामलों में राहत राशि बढ़ाने का निर्णय लिया। मृत्यु होने की स्थिति में मृतक के उत्तराधिकारी को 4 लाख रुपये की राहत दी जायेगी। यदि घायल होने के बाद उसकी मृत्यु इलाज के दौरान हुई हो, तो इलाज पर हुआ वास्तविक व्यय भी दिया जायेगा।
स्थायी अपंगता की स्थिति में 2 लाख रुपये की राहत और इलाज पर वास्तविक व्यय की राशि दी जायेगी। अस्पताल में भर्ती होने की अवस्था में अतिरिक्त रूप से 500 रुपये प्रतिदिन की दर से राहत दी जायेगी। जिसकी अधिकतम सीमा 50 हजार रुपये होगी।
घायल होने पर व्यक्ति के इलाज पर हुआ वास्तविक व्यय दिया जायेगा। अस्पताल में भर्ती होने की अवस्था में अतिरिक्त रूप से 500 रुपये प्रतिदिन की दर से राहत दी जायेगी, जिसकी अधिकतम सीमा 50 हजार रुपये होगी। वन्य-प्राणी द्वारा पशु हानि की स्थिति में राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधानों के अनुसार राहत दी जायेगी।
सिंचाई परियोजनाओं को प्रशासकीय स्वीकृति
मंत्रि-परिषद् ने विभिन्न सिंचाई योजना के लिये प्रशासकीय स्वीकृति के लिये 1513 करोड़ 22 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की।
संजय सागर (बाह) मध्यम सिंचाई परियोजना के 9893 हेक्टेयर में कमाण्ड क्षेत्र विकास कार्यों के लिये 37 करोड़ 6 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।
तवा परियोजना के सुदृढ़ीकरण, विस्तार और आधुनिकीकरण के लिये 3 चरण को प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। द्वितीय चरण में 28 हजार 412 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के निर्माण और सौर ऊर्जा संयंत्र के लिये 458 करोड़ एक लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकति दी गई। द्वितीय चरण में तवा बांई तट नहर में 45.78 किलोमीटर से 128.50 कि.मी. तक, दांयी मुख्य नहर की पूर्ण लम्बाई 7.17 कि.मी. में, पिपरिया शाखा नहर (56.75 कि.मी.) में, बागरा शाखा नहर (23.37 कि.मी.) एवं हण्डिया शाखा नहर (55.50 कि.मी.) में लाइनिंग कार्य के लिये 325 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।
चतुर्थ चरण में तवा परियोजना की दाँयी और बाँयी मुख्य नहर की 5 वितरिकाओं में लाइनिंग कार्य के लिये 75 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।
इसी तरह महान सिंचाई परियोजना के 16 हजार 150 हेक्टेयर में कमाण्ड क्षेत्र विकास कार्यों के लिये 60 करोड 56 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। सिंध परियोजना के द्वितीय चरण के 98 हजार 250 हेक्टेयर में कमाण्ड क्षेत्र विकास कार्यों के लिये 394 करोड़ 9 लाख रुपये, कछाल मध्यम सिंचाई परियोजना के 3470 हेक्टेयर में कमाण्ड क्षेत्र विकास कार्यों के लिये 13 करोड़ 5 लाख तथा सिंहपुर बैराज मध्यम सिंचाई परियोजना के 6000 हेक्टेयर में कमाण्ड क्षेत्र विकास कार्यों के लिये 22 करोड़ 55 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।
फसल बीमा
मंत्रि-परिषद् द्वारा प्रदेश में खरीफ 2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने का निर्णय लिया गया। योजना ऋणी कृषकों के लिये अनिवार्य और अऋणी किसानों के लिए एच्छिक होगी। प्रदेश में कम, मध्यम और अधिक जोखिम वाले जिलों का वर्गीकरण कर 5 कलस्टर निर्धारित किये गये हैं। कलस्टरों में योजना के क्रियान्वयन के लिये भारत सरकार द्वारा सूचीबद्ध 11 फसल बीमा कम्पनी से वास्तविक प्रीमियम दर पर फसल बीमा प्रदान करने के लिये निविदाएँ आमंत्रित की जायेगी।
खरीफ मौसम में अनाज, तिलहन और दलहन फसलों के लिये कुल बीमित राशि के 2 प्रतिशत की दर से, रबी मौसम में 1.5 प्रतिशत की दर से और व्यावसायिक फसलों के लिये 5 प्रतिशत की दर से प्रीमियम राशि बैंकों के माध्यम से किसानों से उनके अंश के रूप में प्राप्त की जायेगी। वास्तविक प्रीमियम दर और किसानों द्वारा भुगतान की गई प्रीमियम दर का अन्तर प्रीमियम अनुदान के रूप में देय होगा।
प्रीमियम अनुदान राशि संबंधित बीमा कम्पनियों को राज्य शासन एवं केन्द्र सरकार की बराबर भागीदारी से भुगतान किया जायेगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में क्षतिपूर्ति स्तर सभी फसलों के लिये 80 प्रतिशत होगा। बोआई/ रोपाई/ अंकुरण नष्ट होना, कृषि मौसम के दौरान तथा कटाई उपरांत फसल क्षति की स्थिति में प्राकृतिक आपदा आने पर कलेक्टर द्वारा प्रभावित क्षेत्र में आपदा के कारण होने वाली क्षति को राज्य स्तरीय फसल बीमा समिति द्वारा नियत की गई अवधि में अधिसूचित किया जायेगा।
कृषि महाविद्यालय
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के पालन में मंत्रि-परिषद् ने होशंगाबाद जिले के पवारखेड़ा में स्थित जवाहरलाल नहेरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के आंचलिक अनुसंधान केन्द्र की 183. 287 हेक्टेयर में से 50 हेक्टेयर जमीन में कृषि महाविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके लिये 5 वर्ष के लिए 116 करोड़ 34 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। महाविद्यालय शिक्षण सत्र 2016-17 से ही शुरू किया जायेगा। प्रथम वर्ष में 50 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जायेगा।
उच्च न्यायालय के लिए पद
मंत्रि-परिषद् ने उच्च न्यायालय के प्रस्ताव अनुसार प्रत्येक जिले के लिये एक कोर्ट मेनेजर और अमले सहित कुल 216 पद का संविदा आधार पर कार्यकाल 31 मार्च 2016 तक बढ़ाया था और नवीन 216 नियमित पद का सृजन किया था। कोर्ट मेनेजर और उनके स्टाफ के नियमित पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है, लिहाजा संविदा पर कार्यरत कोर्ट मेनेजर और स्टाफ का कार्यकाल 31 मार्च 2017 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
मंत्रि-परिषद् ने उच्च न्यायालय जबलपुर की आईएलआर प्रकाशन कार्य के लिए 20 पद के सृजन की स्वीकृति दी। मंत्रि-परिषद् ने उच्च न्यायालय की स्थापना में स्वीकृत ग्रंथपाल के पद की विंसगति का निराकरण कर उन्हें मंत्रालय के ग्रंथपाल के पद के वेतनमान ग्रेड पे के समान स्वीकृत करने का निर्णय लिया। इसी तरह उच्च न्यायालय की स्थापना में वाहन चालक के 25 नवीन नियमित पद वेतनमान 5200-20200+1900 ग्रेड पे में सृजित करने का निर्णय लिया। जिला न्यायालय बड़वानी की स्थापना में आदेशिका वाहन के 5 और विक्रय अमीन के 3 पद सृजित करने को मंजूरी दी गई। मंत्रि-परिषद् ने मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार सतना जिला अधिवक्ता संघ के पुस्तकालय के लिये 5 लाख रुपये के अनुदान की स्वीकृति दी।
मंत्रि-परिषद् ने राज्य भूमि सुधार आयोग के लिये 17 पद की स्वीकृति दी।
अन्य निर्णय
मंत्रि-परिषद् ने देवास में उद्योगों को जल-प्रदाय करने के लिये वर्तमान 23 एमएलडी जल प्रदाय योजना को नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना से स्विस चैलेंज प्रक्रिया के अन्तर्गत पुनर्संरचित करने का निर्णय लिया। योजना को मध्यप्रदेश स्टेट इण्डस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन द्वारा क्रियान्वित करने की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।
मत्रि-परिषद् ने भारत सरकार द्वारा पूरक पोषण आहार के लिये निर्धारित मापदण्डों एवं प्रति महिला/बच्चों पर प्रति दिवस निर्धारित दर के अन्तर्गत वर्तमान में एमपी एग्रो द्वारा टेक होम राशन के रूप में प्रदाय के रूप में विभिन्न रेसिपी का एमपी एग्रो से प्राप्त नवीन प्रस्तावित कास्ट शीट सारणी के अनुसार रेसेपी एवं दरों की 14 प्रतिशत वेट राशि सहित स्वीकृति प्रदान की गई। टेकहोम राशन का परियोजना कार्यालय से आँगनबाड़ी केन्द्रों तक परिवहन की वर्तमान में निर्धारित दर राशि 50 रुपये से अधिकतम 100 रुपये प्रति क्विंटल प्रति आँगनबाड़ी केन्द्र प्रतिमाह करने की स्वीकृति दी गई। परिवहन दरों का निर्धारण विज्ञापन के माध्यम से निविदा आमंत्रित कर किया जायेगा।
मंत्रि-परिषद् ने मध्यप्रदेश मोटर वाहन नियम 1994 के अनुसार विभिन्न प्रयोजन के लिये गाड़ियों के अनुज्ञा पत्र या नवीनीकरण के लिये शुल्क का युक्तियुक्तकरण किया है। पूर्व में यह दरें वर्ष 2006 में निर्धारित की गई थीं। इसमें विगत 9 वर्ष से कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में कॉफी वृद्धि हुई है।
मंत्रि-परिषद् ने विद्युत वितरण कम्पनियों के लिये ग्रामीण विद्युतीकरण निगम नई दिल्ली से लघु अवधि ऋण प्राप्त करने के लिये गारंटी देने का निर्णय लिया। प्रत्येक वितरण कम्पनी द्वारा 150 करोड़ रुपये का ऋण लिया जायेगा।
उज्जैन पर केन्द्रित ध्वनि एवं प्रकाश शो की शुरूआत
Our Correspondent :22 April 2016
भोपाल। सिंहस्थ महाकुंभ के प्रथम शाही स्नान दिवस की पूर्व संध्या पर उज्जैन स्थित कोठी पैलेस परिसर में उज्जैन पर केन्द्रित लाइट एंड साउंड शो की शुरूआत हुई। उज्जैन का इतिहास, पौराणिक एवं धार्मिक महत्व का सजीव चित्रण देखकर उज्जैनवासी अभिभूत हो गये। अतिथियों सहित उपस्थित दर्शकों ने इस शो की सराहना की।
समारोह के मुख्य अतिथि के पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा एवं पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष श्री तपन भौमिक, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री बाबूलाल जैन ने स्वीच दबाकर इस शो का शुभारम्भ किया। इस मौके पर सांसद डॉ. चिन्तामणि मालवीय, विधायक डॉ. मोहन यादव, मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा, मुख्यमंत्री के सचिव एवं एमडी पर्यटन श्री हरिरंजन राव सहित जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
लगभग 38 मिनट के लाइट एंड साउण्ड शो के इस रोचक कार्यक्रम में सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर आज तक के उज्जैन की कहानी को संक्षिप्त अवधि में समेटा गया है। इस शो पर लगभग तीन करोड़ की लागत आई है। हाल ही में पर्यटन निगम ने इंदौर के ऐतिहासिक राजवाड़ा में लाइट एंड साउण्ड शो की शुरूआत की है। ओरछा, खजुराहो के बाद उज्जैन में यह लाइट एवं साउण्ड शो प्रारंभ किया गया है। इसी प्रकार भेड़ाघाट पर लेज़र शो की शुरुआत भी शीघ्र की जा रही है।
उज्जैन पर आधारित लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम को दिल्ली विश्वविद्यालय की इतिहास विषय की प्रोफेसर श्रीमती सुचित्रा गुप्ता ने अपनी आवाज दी है। साथ ही शिव तांडव नृत्य गान को श्री शंकर महादेवन ने अपनी आवाज दी है।
भगवान श्री महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन की सुंदरता और इसके महत्व ने अनेक कवियों और लेखकों को आकर्षित किया है। प्राचीन काल में अनेक विदेशी यात्रियों ने उज्जैन का बड़ा सुंदर विवरण प्रस्तुत किया है। देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक भगवान श्री महाकालेश्वर यहाँ विराजे हैं। सिंहस्थ में देश के अनेक भागों सहित विदेशों से भी श्रद्धालु तीर्थयात्री एवं पर्यटक उज्जैन पहुँचेंगे। सिंहस्थ के पावन अवसर पर राज्य पर्यटन विकास निगम ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिये अधोसंरचना के अनेक कार्य किये हैं। इनमें होटल निर्माण, जन-सुविधाओं का विकास आदि सम्मिलित हैं।
राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा सिंहस्थ को दृष्टिगत रखते हुए होटल क्षिप्रा एवं होटल अवंतिका के उन्नयन एवं विस्तार कार्य के अंतर्गत होटल क्षिप्रा के 28 कक्ष के उन्नयन एवं 20 कक्षों का विस्तार किया गया है। इसी प्रकार होटल अवंतिका में 12 कक्ष तथा 2 डोरमेट्री (32 बिस्तरीय) के उन्नयन एवं 6 नए कक्ष के निर्माण सहित 8 बिस्तरीय 2 डोरमेट्री के निर्माण का काम पूरा किया गया है, जिनकी लागत लगभग 6 करोड़ है।
निगम द्वारा उज्जयिनी होटल का निर्माण लगभग 9 करोड़ की लागत से किया गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में इसका लोकार्पण किया था। सिंहस्थ को दृष्टिगत रखकर पर्यटन विकास निगम द्वारा उज्जैन में एक मुख्य मीडिया सेंटर एवं एक वृहद मीडिया सेंटर सहित कुल 14 उप मीडिया सेंटर एवं 2 सेटेलाइट टाउन स्थापित किये गये हैं। इन पर लगभग 7 करोड़ रूपये की लागत आई है। मुख्य मीडिया सेंटर दत्त अखाड़ा जोन में तथा वृहद मीडिया सेंटर मंगलनाथ जोन में स्थापित किया गया है।
जनसंपर्क मंत्री श्री शुक्ल नई दिल्ली प्रवास पर
Our Correspondent :22 April 2016
भोपाल। जनसंपर्क, ऊर्जा, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा एवं खनिज साधन मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल 21 अप्रैल को वायुयान से नई दिल्ली जायेंगे। श्री शुक्ल नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उपचाररत सांसद श्री गणेश सिंह की कुशल-क्षेम जानेंगे। जनसंपर्क मंत्री रात्रि विश्राम नई दिल्ली में ही करेंगे। श्री शु्क्ल 22 अप्रैल की सुबह वायुयान से भोपाल लौटेंगे।
प्रभारी मंत्री श्री भूप्रेन्द्र सिंह शामिल हुए पेशवाई में
16 April 2016
श्री आनंद अखाड़ा पंचायती की पेशवाई शुक्रवार को नील गंगा पड़ावस्थल से प्रारंभ हुई। प्रभारी मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह,संभागायुक्त डाँ.रविंद्र पस्तौर कलेक्टर श्री कवींद्र कियावत ने नील गंगा पड़ाव स्थल पर जाकर साधु संतों श्री महंतो एवं महामंडलेश्वरो से आशीर्वाद प्राप्त किया। आनंद अखाड़े के पड़ाव स्थल नील गंगा पर इष्टदेव भगवान सूर्यनारायण एवं भालानिशान की पूजा अर्चना के बाद पेशवाई प्रारंभ हुई। प्रभारी मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री हरि गिरी जी के साथ पेशवाई में भाग लिया। पेशवाई में सबसे आगे चांदी का त्रिशूल व अखाड़े की ध्वजा लिए साधु संत चल रहे थे, उनके पीछे भगवान सूर्यनारायण देव को चॉदी की पालकी में सवार कर नागा साधु उटाये चल रहे थे। इसके बाद सफेद घोड़ो पर नागा साधु बैठे हुए जय जय महाकाल का उदघोष कर रहे थे। इनके पीछे - पीछे नागा साधुओं का दल अस्त्र शस्त्र लिए करतब दिखाता हुआ चल रहा था।
पेशवाई में नागा सन्यासियो के पीछे रथ में सबसे आगे आनंद अखाडा पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर श्री गहनानंद गिरी जी श्रद्धालुओं को आर्शीवाद देते चल रहे तत्पश्चात महामंडलेश्वर सुरेंद्र गिरी जी, श्री महंत रवींद्र पुरी जी महामंडलेश्वर विष्णु चैतन्य तीर्थ श्री महंत ललितानंद गिरी जी,श्री महंत शांतिपुरी जी, श्री गंगापुरी जी स्वामीनारादानंद सरस्वती एवं श्रीमहंत कालू गिरी जी रथ पर सवार होकर श्रद्धालुओ का आर्शीवाद ले रहे थे।पेशवाई में तीन महिला महामंडलेश्वर भी हौदे पर विराजित होकर श्रद्धालुओं को आर्शीवाद प्रदान कर रही थी।पेशवाई में दो हाथी, सात घोड़े, 21 रथ एवं रथ एवं 11 बेन्ड़ शामिल थे।
इस अवसर पर श्रीमंहत धनराज गिरी, श्रीमहंत जगदीश गिरी, श्रीमहंत सागरानंद श्रीमहंत शंकरानंद श्रीमहंत गणेशानंद श्रीमहंत तपन भारती, श्रीमहंत ओंकार भारती, श्रीमहंत कैलाश पुरी, श्रीमहंत गिरिजा नंद सरस्वती, श्रीमहंत लाल बाबा, श्रीमहंत गोविंदानंद जी, श्रीमहंत प्रकाश पुरी जी सहित साधु-संत महामंडलेश्वर श्री महंत नागा साधु सन्यासी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। पेशवाई में शामील विदेशी श्रद्धालु का दल भी आकर्षण का केंद्र रहा पेशवाई में पुष्प वर्षक तोप से फूलों वर्षा की जा रही थी। पेशवाई में 11 बैंड धार्मिक धुनों की स्वर लहरियां बिखेर थे। पेशवाई को देखने हजारो श्रद्धालुओ की भीड़ सडक के दोनो ओर खडे होकर साधु-संतो का अभिवादन कर आर्शीवाद प्राप्त कर रहे थे।पेशवाई को देखकर श्रद्धालुओं को आलोकिक आनंद की अनुभूति हो रही थी।
पेशवाई ने ढोल-ढमाकों, बैण्ड-बाजों के साथ नीलगंगा आनंद अखाड़े के पड़ाव स्थल से प्रारम्भ होकर फ्रीगंज, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, सतीगेट, छत्रीचौक, गोपाल मन्दिर से दानीगेट, छोटी रपट, हनुमानबाग से अखाड़े की सिंहस्थ छावनी में प्रवेश किया।
अधिकारियों को सौंपे गये कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ निर्वहन करें एजेंसियां अपनी शर्तों के मुताबिक समय पर कार्य पूर्ण करें- प्रभारी मंत्री
16 April 2016
उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने वरिष्ठ प्रशासनीक अधिकारियों के साथ सर्वप्रथम श्री पंचायती आनन्द अखाड़ा की नीलगंगा पेशवाई में पूजन-अर्चन करने के पश्चात् सेटेलाईट टॉउनों एवं शिप्रा स्नान घाटों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जिन अधिकारियों को सिंहस्थ के कार्य सौंपे गये हैं वे पूर्ण ईमानदारी के साथ अपने कर्त्तवयों का निर्वहन करे। निरीक्षण के अवसर पर प्रभारी मंत्री ने विभिन्न एजेंसियों के ठेकेदारों को निर्देश दिये है कि वह अपनी शर्तों के मुताबिक समय पर छूटे हुए कार्यों को शीघ्र पूर्ण किया जाये। समय पर कार्य न करने वाली एजेंसियों को हटाकर शीघ्र दूसरी एजेंसी को कार्य सौंप प्रभारी मंत्री ने सांवराखेडी स्थित सेटेलाईट टाउन का निरीक्षण किया। यहां की यातायात व्यवस्था, चिकित्सा व्यवस्था, पेयजल, शौचालय, यात्रियों के ठहरने आदि कि व्यवस्थाओं के बारे में बारिकी से निरीक्षण कर जानकारी प्राप्त की। उन्होंने सेटेलाईट टॉउन पर कितने वाहन पार्किंग होगे इसकी भी जानकारी प्राप्त की। इस दौरान अवगत कराया कि सेटेलाईट टॉउन पर लगभग छोटे-बड़े 30 हजार वाहन पार्क हो सकेंगे। सेटेलाईट टॉउन पर पेयजल और शौचालय तथा प्रकाश व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने को कहा है। सेटेलाईट टॉउन सिंहस्थ मेला क्षेत्र का मुख्य केन्द्र बिंदु रहेगा। इसलिए व्यवस्थायें चाक-चोबन्द की जाये और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई उत्तपन न हो। प्रभारी मंत्री ने सेटेलाईट टाऊन से पंचमुखी हनुमानधाम मंदिर सांवराखेडी चौराहे से लालपुल, गऊघाट स्नान घाट की ओर कि गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने निर्देश दिये कि घाटों के ऊपर पातवे पर भीषण गर्मी को देखते हुए श्रद्धालुओं के लिये एक निश्चित जक्शन पर छाया का इंतजाम किया जाये।
प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने इसके बाद बड़नगर रोड, रेलवे क्रासिंग के समीप सेटेलाईट टॉउन का भी निरीक्षण कर संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये कि अधुरे कार्यों को शीघ्रता से पूर्ण किये जाये। कार्यों को पुन: देखने के लिये 16 अप्रैल को निरीक्षण किया जायेगा। उन्होंने सेक्टर मजिस्ट्रेट को निर्देश दिये कि उनके सेक्टर के अन्तर्गत आने वाले कार्यों को पूर्ण कराया जाये। उन्होंने कहा कि शासन का पैसा लग रहा है तो जनता को सुविधा भी अनिवार्य रूप से मिलना चाहिए। निरीक्षण के दौरान विधायक डॉ.मोहन यादव, संभागायुक्त् डॉ.रवीन्द्र पस्तोर, कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत सहित अन्य अधिकारी आदि उपस्थित थे।
अखिल भारतीय खेड़ापति हनुमान नगर खालसा में धर्मध्वजा स्थापना के साथ सभी प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम प्रारंभ संतों व तीर्थयात्रियों के लिए प्याऊ की उत्तम व्यवस्था
16 April 2016
अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अखाड़े के श्रीमहंत स्वामी धर्मदासजी महाराज ने कहा कि धर्मध्वजा में श्री हनुमान जी विराजते हैं। श्री हनुमान जी कलयुग के साक्षात देवता हैं। इनको निमित्त मानकर किये जाने वाले सभी कार्य निर्विघ्न एवं शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न होते हैं। श्री धर्मदास आज यहां सिंहस्थ महाकुंभ स्थित सांदीपनी आश्रम जाने वाले मार्ग पर मकोडिया आम तिराहे के पास इंदिरानगर कॉलोनी के सामने स्थित अखिलभारतीय खेड़ापति हनुमान नगर खालसा में आयोजित धर्मध्वजा स्थापना के अवसर पर मुख्य अतिथ के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
श्री धर्मदास जी ने कहा कि यह मेला सभी का है। अत: सभी को मिलकर मेले को सकुशल सम्पन्न कराने में सहयोग प्रदान करना चाहिए। शिविर के संचालक महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमदास जी महाराज ने कहा कि देश व समाज के सुधार व विकास में संतों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि संत भी समाज का खाते हैं इसलिए वे अपनी पूरी निष्ठा के साथ देश ही नहीं पूरे विश्व के सुधार व कल्याण की बात सोचते हैं। उन्होंने कहा कि समाज व देश के हर जिम्मेदार नागरिक का प्रथम कर्तव्य है कि वह समाज व देश के हित में चिंतन अवश्य
उन्होंने कहा कि :
जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं।
वह ह्रदय नहीं है, पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ॥
अन्य वक्ताओं ने भी देश व समाज सुधार पर अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया गया कि इस शिविर में शुक्रवार से भंडारा समेत विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम प्रारंभ हो गये हैं। शिविर में प्रतिदिन प्रात: काल 7 बजे से 11 बजे तक भगवान शिव (महाकाल) का महारुद्राभिषेक किया जायेगा। यह कार्यक्रम आगामी 19 अप्रैल से प्रारंभ होगा। इसकेअलावा संतों व भक्तों व तीर्थयात्रियों के लिए ठंडा पानी पिलाने हेतु प्याऊ की व्यवस्था शुक्रवार से ही प्रारंभ हो गई है। प्याऊ आमजन व तीर्थयात्रियों के लिए चौबीस घंटे खुली रहेगी।
इसके अतिरिक्त शुक्रवार 15 अप्रैल से ही अखंड श्रीराम नाम संकीर्तन प्रारंभ हो गया है। जो 21 मई तक अनवरत चलेगा। संगीतमय श्रीराम कथा भी शुक्रवार से अपरान्ह 1 बजे से सायंकाल 5.30 बजे तक आयोजित होगी। सांयकाल 6 बजे प्रतिदिन मेला पर्यंत वृहद भंडारे का आयोजन किया जाएगा। जिसमें बड़ी संख्या में संत व भक्तगण शामिल होकर प्रसाद ग्रहण करेंगे। आगामी 20 अप्रैल से शाम 7 बजे से प्रतिदिन भव्य रासलीला का मंचन किया जाएगा। अन्य कार्यक्रम प्रात: 5.30 बजे चाय वितरण, प्रात: 6 बजे श्रृंगार आरती, 6.30 बजे बालभोग, 9.30 बजे भोजन प्रसाद तथा अपरान्ह 3 बजे ठंडाई वितरण होगा।
इस अवसर पर मुख्य रूप से निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत स्वामी गौरीशंकर जी महाराज, रामतीर्थ भक्तमाल आश्रम के महंत स्वामी रामतीर्थदास, मोरपंखी शिविर के संचालक श्री महंत बृजभूषण दास जी महाराज के अलावा प्रभारी मंत्री भूपेंद्रसिंह, कलेक्टर कवींद्र कियावत, मेला अधिकारी अविनाश लवानिया, नगर निगम अध्यक्ष सोनू गेहलोत, श्री विवेक जोशी, पार्षद बुद्धेसिंह सेंगर सहित इंदिरानगर कॉलोनीवासी व संत महात्मा उपस्थित थे।।
मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा उज्जैन में 450 बिस्तर के अस्पताल का लोकार्पण
Our Correspondent :06 April 2016
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने आज उज्जैन में माताओं एवं शिशुओं की स्वास्थ्य सुविधा के लिये 450 बिस्तरीय बहु-उद्देशीय अस्पताल का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अस्पताल बेहतर बना है। चिकित्सा के क्षेत्र में उज्जैन को यह अनुपम सौगात है। जितनी आवश्यकता इस अस्पताल के निर्माण की थी, अब उतनी ही आवश्यकता इसके सुचारु संचालन और रख-रखाव की भी है।
इस अवसर पर प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन, केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह, राज्यसभा सांसद डॉ. सत्यनारायण जटिया, विधायक डॉ. मोहन यादव, श्री बहादुर सिंह चौहान, श्री अनिल फिरोजिया, श्री दिलीप सिंह शेखावत, श्री सतीश मालवीय, सिंहस्थ मेला प्राधिकरण अध्यक्ष श्री दिवाकर नातू, महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, श्री इकबालसिंह गांधी, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्रीमती गौरी सिंह, संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर, एडीजी व्ही.मधुकुमार, डीआईजी श्री राकेश गुप्ता, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत उपस्थित रहे।
आगर रोड स्थित नव-निर्मित अस्पताल भवन को ‘चरक’ नाम दिया गया है। यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा अस्पताल होगा जहाँ महिलाओं एवं शिशुओं को गम्भीर रोगों से निजात दिलाने के लिये जटिल ऑपरेशन की भी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। आवश्यकता होने पर मरीजों को 24 घण्टे वेन्टिलेटर पर रखने की भी सुविधा है। अत्याधुनिक चिकित्सकीय तकनीक की नवीन सुविधाओं वाला यह अस्पताल प्रदेश में एकमात्र है। अस्पताल में अन्तर्राष्ट्रीय मानक स्तर की मेडिकल एयर सर्जिकल एयर, एनेस्थेसिया गैस एवं वैक्यूम पम्प सहित ऑक्सीजन, नाइट्रस आक्साइड और अन्य सुविधाएँ 24 घण्टे उपलब्ध रहेंगी।
चरक भवन को सुरक्षित रखने के लिये अत्याधुनिक फायर-फाईटिंग की सुविधाएँ भी उपलब्ध रहेंगी। यहाँ आग जैसी कोई अप्रिय घटना पर तत्काल काबू पाया जा सकेगा। अस्पताल की प्रत्येक मंजिल पर 100-100 सेन्सर लगाये गये हैं।
सात मंजिला 'चरक'' भवन में सभी मंजिलों तक पहुँचने के लिये 10 लिफ्ट लगाई गई हैं। भवन 3 लाख 16 हजार 935 वर्गफीट पर बना है। अस्पताल भवन में 250 बिस्तर महिलाओं और 200 बिस्तर शिशुओं के लिये स्थापित कर दिये गये हैं। भवन में महिलाओं और शिशुओं के लिये पृथक-पृथक ओपीडी और पृथक-पृथक इमरजेंसी कक्ष भी स्थापित किये गये हैं।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में रसोई गैस की केम्प पहुँच सेवा उपलब्ध
Our Correspondent :06 April 2016
भोपाल। उज्जैन में सिंहस्थ मेला क्षेत्र में साधु-संतों और अन्य व्यक्तियों को रसोई गैस की केम्प पहुँच सेवा उपलब्ध करवाई जा रही है। मेला क्षेत्र में 17 अस्थाई गैस बुकिंग सेन्टर शुरू कर दिये गये हैं। काउन्टर पर रसोई गैस माँग किये जाने पर सिलेण्डरों को पंडाल तक पहुँचाने की व्यवस्था की गई है। बुकिंग काउन्टर पर 14 और 19 किलोग्राम वजन के रसोई गैस सिलेण्डर उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। सिंहस्थ के दौरान प्रतिदिन 1000 सिलेण्डर की खपत का अनुमान लगाया गया है। श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाते हुए सिंहस्थ के दौरान 60 हजार सिलेण्डर आपूर्ति की योजना बनाई गई है।
मेला क्षेत्र में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने खाद्यान्न और केरोसिन आपूर्ति की योजना भी तैयार की है। प्रति व्यक्ति की जरूरत के मुताबिक राशन कार्ड के आधार पर गेहूँ,चावल, शक्कर, नमक और केरोसिन उपलब्ध करवाया जायेगा। सिंहस्थ के दौरान 3150 मीट्रिक टन गेहूँ, 1350 मीट्रिक टन चावल, इतनी ही मात्रा में शक्कर, 90 मीट्रिक टन नमक और 300 किलोलीटर केरोसिन की खपत का अनुमान लगाया गया है। गैस सिलेण्डर एम.आर.-5 मक्सी रोड, चिन्तामन रोड तथा इंदौर रोड पर स्थित गोदाम में भंडारित किये जायेंगे।
डीजल-पेट्रोल रतलाम टर्मिनल और मांगलिया डिपो से
सिंहस्थ के लिये 76 लीटर पेट्रोल और 90 हजार लीटर की अतिरिक्त आवश्यकता का अनुमान लगाया गया है। रतलाम टर्मिनल और मांगलिया डिपो से डीजल प्राप्त होगा। विभाग के अनुमान के मुताबिक सिंहस्थ के दौरान एक लाख 32 हजार लीटर पेट्रोल तथा एक लाख 66 हजार लीटर डीजल की खपत हो सकती है। उज्जैन तथा उज्जैन के आस-पास मार्गों पर स्थित पेट्रोल पम्पों पर पर्याप्त मात्रा में डीजल, पेट्रोल का भण्डारण हो सकेगा। इस लिहाज से उज्जैन शहर के 21 पेट्रोल पम्प इंदौर टीम पर 3, बड़नगर रोड के 6, मक्सी, उन्हेल-नागदा रोड, देवास रोड के 5-5 तथा आगर रोड के 8 पेट्रोल पम्प चिन्हाकिंत कर लिये गये हैं।
लगभग 400 एमआईटी के विद्यार्थी सिंहस्थ में नि:शुल्क सेवाएँ देंगे
उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ में सभी अपनी सेवायें देने के लिए आतुर हैं। देवास रोड स्थित एमआईटी कॉलेज के लगभग 400 विद्यार्थी सिंहस्थ के समस्त झोन में अपनी नि:शुल्क सेवायें देंगे। महाकाल झोन में लगभग 100 छात्र-छात्राओं ने अपनी नि:शुल्क सेवाएँ देने की इच्छा प्रकट की है। ये छात्र डाटा इन्ट्री ऑपरेटर के रूप में मदद करेंगे और तीन शिफ्ट में कार्य करेंगे।
बेटियों और महिलाओं के प्रति मानसिकता बदलने में समाज की सहभागिता जरूरी
Our Correspondent :06 April 2016
भोपाल। महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा है कि बेटियों और महिलाओं के प्रति मानसिकता बदलने में समाज की सहभागिता जरूरी है। श्रीमती सिंह आज सिंहस्थ-2016 महा-संगोष्ठी के पूर्व शक्ति-कुम्भ पर हुई परिचर्चा को संबोधित कर रही थीं।
मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा कि आज सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि बेटियों और महिलाओं का हर भूमिका में सम्मान हो और उन्हें अधिकार मिले। समाज में आर्थिक, मानसिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो, इसके लिये हर स्तर पर हमें मिल-जुलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि महिलाएँ स्वयंसिद्धा हैं, समर्थ हैं, यह उन्होंने अवसर मिलने पर बता दिया। श्रीमती सिंह ने बताया कि महिलाओं को आगे बढ़ने का मजबूत आधार मिले, इसके लिये सरकार ने कई योजना चलायी हैं। शौर्या-दल योजना में स्त्री-पुरुष की सहभागिता से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की है। उन्होंने कहा कि हमने अगर बेटी को सुरक्षित जन्म लेने दिया और उसे पढ़ा दिया, तो यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन होगा। इसके लिये सरकार निरंतर प्रयास कर रही है।
श्रीमती सिंह ने शक्तिरूपा महिलाओं पर सिंहस्थ-2016 के अवसर पर महा-संगोष्ठी करने और उसमें उनके सर्वांगीण विकास पर घोषणा-पत्र जारी करने को क्रांतिकारी पहल बताया। उन्होंने कहा कि प्रयास ऐसा हो कि घोषणा-पत्र को न केवल हमारा देश, बल्कि पूरा विश्व स्वीकार करे।
सांसद श्री अनिल माधव दवे ने कहा कि महिलाओं को माननीय जीवन जीने का माहौल मिले, इस अवधारणा पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महिला स्वयं शक्ति है। हमारी प्राचीन परम्परा और संस्कृति में उसे सदैव सम्मान हासिल रहा है। जरूरत इस बात की है कि हम विश्व की आधी आबादी को सामर्थ्यवान बनाने के लिये एक ऐसा दस्तावेज तैयार करें, जिससे पूरे समाज को दिशा और दृष्टि मिले। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार सशक्तिकरण का काम तब तक नहीं कर सकती, जब तक समाज सहभागी न हो।
परिचर्चा में प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय के कुलपति श्री ब्रजकिशोर कुठियाला, महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेशचन्द्र गौतम, यू.एन. वुमेन की श्रीमती अंजू पाण्डे, नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी की डॉ. राका आर्या, श्री वसंत निर्गुणे, श्री तपन तोमर, सुश्री नीलम चौरे, श्री के.के. थापक और श्री राजेन्द्र मिश्रा ने भी अपने सुझाव दिये।
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भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को सिंहस्थ एक नया मार्ग दिखायेगा
Our Correspondent :06 April 2016
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को सिंहस्थ एक नया मार्ग दिखायेगा। उज्जैन में होने वाले वैचारिक-कुंभ में साधु-सन्त विश्व-कल्याण के लिये सन्देश देंगे। वैचारिक-कुंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी शिरकत करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘बिन सत्संग विवेक न होई’ और सन्तों के दर्शन महाकाल की कृपा के बिना नहीं हो सकते। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज तेरह अखाड़ों के श्रीमहन्तों के दर्शन एवं आशीर्वाद से उनका जीवन धन्य हो गया है। श्री चौहान ने यह बात आज सिंहस्थ क्षेत्र में निरंजनी अखाड़े में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा आयोजित आशीर्वाद एवं सम्मान समारोह में कही।
इसके पूर्व परिषद के अध्यक्ष श्री नरेन्द्रगिरि महाराज, महामंत्री श्री हरिगिरि महाराज एवं तेरह अखाड़ों के श्रीमहन्तों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री का सिंहस्थ की व्यापक तैयारियाँ करवाने के लिये अभिनन्दन करते हुए आशीर्वाद दिया गया। श्री चौहान एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह का रूद्राक्ष की माला एवं शाल से अभिनंदन किया गया। अखाड़ा परिषद की ओर से प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन तथा केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष श्री माखनसिंह को भी आशीर्वाद दिया गया।
श्री नरेन्द्रगिरि महाराज ने कहा कि सिंहस्थ का शुभारम्भ हो गया है। मेला सकुशल सम्पन्न करवाने के लिये कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान एवं प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह इसके लिये सर्वाधिक उपयुक्त हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में इस बार सिंहस्थ में इतनी अच्छी व्यवस्थाएँ हुई, जितनी पहले कभी नहीं हुई। देश में अन्य स्थानों पर भी कुंभ होते हैं, किन्तु कहीं भी अखाड़ों में स्थायी प्रकृति के काम नहीं होते हैं। उज्जैन में पहली बार ऐसा हुआ है। जहाँ महाकाल विराजते हैं, वहाँ चांडाल योग निष्प्रभावी रहेगा। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी संस्कारों को न भूले, इसी लिये कुंभ आयोजित किये जाते हैं।
श्री भूपेन्द्रसिंह ने कहा कि सुखद संयोग है कि सिंहस्थ प्रारम्भ होने के अवसर पर अखाड़ा परिषद द्वारा मुख्यमंत्री को सिंहस्थ की सफलता के लिये आशीर्वाद दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सिंहस्थ की तैयारियाँ चार साल पहले ही प्रारम्भ करा दी थीं। मुख्यमंत्री ने सिंहस्थ का प्रचार पूरे विश्व में किया है।
महामंत्री श्री हरिगिरि महाराज ने कहा कि देवीय योग से सिंहस्थ को सफल बनाने के लिये मुख्यमंत्री के रूप में श्री शिवराज सिंह चौहान एवं अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के लिये श्री नरेन्द्रगिरि को चयनित किया गया है।
मुख्यमंत्री का सबसे बड़ा गुण सरलता
श्री नरेन्द्रगिरि ने कहा कि श्री चौहान प्रदेश में विकास के दूत हैं। उनका सबसे बड़ा गुण है, उनकी सरलता। वे पत्थर पर भी चादर बिछाकर बैठ सकते हैं। इतने ही सहज हैं प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह। कोई उन्हें गाली देता है तब भी वे कहते हैं ‘जी महाराज’। यह जप, तप, त्याग, परिश्रम का ही फल है कि श्री चौहान मुख्यमंत्री हैं तथा वे दिनों-दिन आगे बढ़ते रहेंगे। श्री नरेन्द्रगिरि ने कहा कि सिंहस्थ कुंभ की परम्परा हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रारम्भ की। सिंहस्थ हमारे धर्म एवं संस्कृति का वाहक हैं। ये पर्व इसलिये हैं कि हम अपनी अस्मिता, पहचान, संस्कृति को न भूलें। श्री नरेन्द्रगिरि ने कहा कि उन्होंने पूजा-पाठ कर चांडाल योग का निवारण कर दिया है। यह सिंहस्थ पूरी तरह सफल एवं शान्तिपूर्ण होगा, इसमें चांडाल योग का कुछ भी असर नहीं होगा।
श्री नरेन्द्रगिरि ने कहा कि मुख्यमंत्री ने साधु-समाज को सिंहस्थ में आने का निमंत्रण दिया है। यह अत्यन्त सराहनीय है। वे स्वयं इसके लिये नासिक गये थे। भारत में अन्य किसी कुंभ में यह परम्परा नहीं है।
आज मेरा जीवन सार्थक हो गया
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सन्तों का आशीर्वाद प्राप्त कर कहा कि सन्तों के संग के बिना जीवन अधूरा होता है। सिंहस्थ में सभी आयें और सन्तों के सान्निध्य का लाभ लें। उन्होंने बताया कि सिंहस्थ के बाद उज्जैन के सातों सरोवरों को उनका प्राचीन वैभव प्रदान किया जायेगा।
आशीर्वाद एवं अभिनन्दन समारोह में तेरह अखाड़ों के श्रीमहन्त उपस्थित थे। इनमें श्रीमहन्त श्री नीलकंठगिरि, शक्तिगिरि, जयविजय भारती, गोविंदानंदजी, सुदामानंदजी, दयागिरि, उदयगिरि, प्रेमगिरि, श्यामदासजी, महेश्वरदासजी, भगतरामजी, त्रिवेणीदासजी, गोपालसिंहजी, अवंतीसिंहजी, शिवशंकरदासजी, श्यामकिशोरदासजी, धर्मदासजी, मोहनदासजी, रवीन्द्रदासजी मौजूद थे। संचालन महन्त हरिगिरिजी एवं आभार श्रीमहन्त महेश्वरदासजी ने प्रकट किया। कार्यक्रम में सांसद डॉ. चिन्तामणि मालवीय एवं डॉ.सत्यनारायण जटिया, विधायक सर्वश्री मोहन यादव, दिलीपसिंह शेखावत, बहादुरसिंह चौहान, सतीश मालवीय तथा महापौर श्रीमती मीना जोनवाल मौजूद थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ओंकारेश्वर में सिंहस्थ कार्यों का किया लोकार्पण
Our Correspondent :06 April 2016
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ओंकारेश्वर में सिंहस्थ 2016 में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये किये गये निर्माण कार्यो का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने 12 करोड़ 44 लाख की लागत की मोरटक्का से ओंकारेश्वर के बीच बनी 12 किलोमीटर लम्बी टू लेन सड़क, 2 करोड़ 25 लाख की लागत से निर्मित 20 बिस्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन, 1 करोड़ 37 लाख लागत का पुलिस कन्ट्रोल रूम भवन एवं बेरक, मुख्यमंत्री अधोसंरचना मिशन में 6 करोड़ 30 लाख लागत की उत्कृष्ट रोड, नर्मदा तट पर लगभग 3 करोड़ लागत से निर्मित नवीन घाट का लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 8 करोड़ 59 लाख लागत की मुख्यमंत्री पेयजल योजना का शिलान्यास भी किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सपत्निक ओंकारेश्वर मंदिर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये। उन्होंने श्रद्धालुओं के लिए लगभग सवा दो करोड़ की लागत से बनी भोजनशाला के भवन का लोकार्पण भी किया।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में 325 किलोमीटर लम्बी विद्युत लाइन हुई चार्ज
Our Correspondent :30 March 2016
भोपाल। उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई तक होने वाले सिंहस्थ के लिये मेला क्षेत्र में विद्युत व्यवस्था के लिये 325 किलोमीटर लम्बी विद्युत लाइन चार्ज कर दी गयी है। मेला क्षेत्र में 11 किलोवॉट क्षमता की 75 किलोमीटर लम्बी लाइन और निम्न-दाब की 250 किलोमीटर लम्बी लाइन चार्ज की गयी हैं। मेला क्षेत्र में 7000 से ज्यादा विद्युत खम्बों पर स्ट्रीट लाइट चालू कर दी गयी है।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में 450 ट्रांसफार्मर भी चार्ज किये गये हैं। मेला क्षेत्र में 100 मेगावॉट बिजली आपूर्ति की योजना तैयार की गयी है। बिजली की व्यवस्था सुचारु रहे, इसके लिये जोनवार अधिकारी नियुक्त किये गये हैं। अधिकारियों के नाम और मोबाइल नम्बर सार्वजनिक स्थलों पर भी प्रदर्शित किये गये हैं।
शिकायतों के निराकरण के लिये तैयार किया गया पोर्टल
उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ में 5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु के पहुँचने का अनुमान लगाया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए तमाम व्यवस्थाएँ की जा रही हैं। श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिये मेला क्षेत्र में कॉल-सेंटर, मोबाइल एप, हेल्प-सेंटर और 22 सेक्टर और 6 जोन ऑफिस बनाये गये हैं।
प्राप्त होने वाली शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिये डाटा बेस तैयार करने का एक प्लेटफार्म तैयार किया है। इसके लिये एक पोर्टल एचआरएमएस तैयार किया गया है, जहाँ सभी शिकायतों और सेवाओं को दर्ज किया जायेगा। इस पोर्टल में एक ऐसा सिस्टम बनाया गया है कि जिस स्थान पर किसी व्यक्ति ने सेवा चाही है या शिकायत की है तो संबंधित विभाग का मौजूद अमला उसे कुछ ही समय में निराकरण के लिये मौजूद रहेगा। पोर्टल द्वारा संबंधित विभाग के अधिकारी के मोबाइल पर तुरंत एक नोटिफिकेशन पहुँचेगा जिसके आधार पर अधिकारी उस समस्या के निराकरण के लिये संलग्न होगा। मेला क्षेत्र में 110 कॉल-सेंटर भी स्थापित किये गये हैं। कॉल-सेंटर पर टोल-फ्री नम्बर 1100 की सेवा उपलब्ध रहेगी।
सिंहस्थ में आने वाले बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाये
Our Correspondent :30 March 2016
भोपाल। सिंहस्थ केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह ने इस बात पर जोर दिया है कि सिंहस्थ के दौरान बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाये। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ में पहली बार आधुनिक तकनीक, विशेष रूप से आई.टी. का उपयोग किया जा रहा है। इसके लिये उन्होंने आपस में बेहतर समन्वय की आवश्यकता भी बतायी। श्री माखन सिंह बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा संबंधी कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
कार्यशाला में महिला सशक्तिकरण और राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल हुए। कार्यशाला में चाइल्ड लाइन 1098 की व्यवस्था की जानकारी दी गयी। विभाग की ओर से बताया गया कि मेला क्षेत्र में 6 खोया-पाया केन्द्र संचालित होंगे, जो इंटरनेट से जुड़े होंगे। कार्यशाला में एकीकृत चाइल्ड प्रोटेक्शन योजना, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम और किशोर न्याय बोर्ड की स्थापना की भी जानकारी दी गयी।
श्रद्धालुओं को हरियाली के प्रति प्रेरित करना ग्रीन सिंहस्थ का उद्देश्य
उज्जैन में अप्रैल-मई में होने वाले सिंहस्थ को ग्रीन सिंहस्थ बनाने के लिये शहर की सड़कों और घाटों पर पौध-रोपण किया गया है। यह पौधे सिंहस्थ के दौरान सुरक्षित रूप से बढ़ सकें, इसके लिये श्रद्धालुओं को हरियाली के प्रति लगातार प्रेरित किया जायेगा। इस कार्य में अधिक से अधिक जन-भागीदारी रहेगी। शहर के 3 पुराने उद्यान समेत 10 मुख्य सड़क पर एक लाख से अधिक पौधे रोपित किये गये हैं। पुराने उद्यानों और रोड डिवाइडर में हरी घास लगायी गयी है। सड़कों के डिवाइडरों पर 40 से 50 किलोमीटर की दूरी तक पौध-रोपण का कार्य हुआ है। त्रिवेणी घाट से लेकर वाल्मीकी घाट तक वन विभाग द्वारा 10 हजार पौधे लगाये गये हैं। मुख्य रूप से पीपल, बरगद, नीम, करंज, बाँस, बोगनवेलिया रोपित किये गये हैं।
पंचक्रोशी मार्ग का 63 करोड़ से उन्नयन
सिंहस्थ के दौरान पंचक्रोशी यात्रा में श्रद्धालु शामिल होते हैं। पंचक्रोशी मार्ग के लिये राज्य सरकार द्वारा 63 करोड़ 60 लाख रुपये मंजूर किये गये थे। इसमें 62 किलोमीटर लम्बे मार्ग के लिये 38 करोड़ 24 लाख रुपये और 28.95 किलोमीटर मार्ग के लिये 35 करोड़ 36 लाख की राशि मंजूर हुई थी। पंचक्रोशी मार्ग के उन्नयन का कार्य पूरा किया जा चुका है।
सिंहस्थ सन्दर्भ : 967 प्रभारी मंत्री ने अखाड़ों में पहुंचकर सन्तों-महन्तों को होली की शुभकामना दी
25 March 2016
उज्जैन आये जिले के प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह ने विभिन्न अखाड़ों में पहुंच कर मौजूद सन्तों-महन्तों से आशीर्वाद लिया। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से सभी सन्तों को होली की शुभकामनाएं देते हुए उनका अभिनन्दन किया, साथ ही मिठाई भी भेंट की। उन्होंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेन्द्रगिरीजी महाराज और महामंत्री श्री हरिगिरीजी महाराज के साथ विभिन्न अखाड़ा परिसरों का भ्रमण गुरूवार को किया। इस अवसर पर प्रभारी मंत्री ने कहा कि सिंहस्थ के लिये सन्त जो भी आदेश करेंगे, वह पूरा किया जायेगा। इस दौरान विधायकगण डॉ.मोहन यादव व अनिल फिरोजिया, आईजी व्ही.मधुकुमार, डीआईजी राकेश गुप्ता, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत, पुलिस अधीक्षक एम.एस.वर्मा, मेला अधिकारी अविनाश लवानिया, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी सन्तों के साथ सिंहस्थ व्यवस्थाओं पर चर्चा की प्रभारी मंत्री ने अखाड़ा परिसरों में पहुंच कर वहां मौजूद सभी सन्तों-महन्तों के साथ भेंट करते हुए उनसे आगामी सिंहस्थ की तमाम व्यवस्थाओं पर विस्तृत चर्चा की। वैसे तो अखाड़ा परिसरों में अधिकांश कार्य पूर्णता की स्थिति में हैं, परन्तु सन्तों द्वारा जो भी कार्य बताये गये प्रभारी मंत्री ने मेला अधिकारी को तत्काल उन कार्यों को पूर्ण करने के निर्देश दिये। प्रभारी मंत्री ने परिसरों में किये गये कार्यों का अवलोकन भी किया। इस दौरान सन्तों ने कहा कि सिंहस्थ में श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आये, इसका ध्यान रखें। प्रभारी मंत्री ने कहा कि सन्तों के आदेश का पूरा ध्यान रखा जायेगा।
सिंहस्थ के लिये शासन द्वारा उज्जैन स्थित अखाड़ा परिसरों में विभिन्न कार्य पूर्ण किये गये हैं। प्रभारी मंत्री ने आज सर्वप्रथम निरंजनी अखाड़ा पहुंच कर वहां नवनिर्मित भवन में श्री नरेन्द्रगिरीजी महाराज और हरिगिरीजी महाराज के साथ बैठक करते हुए सिंहस्थ व्यवस्थाओं से अवगत कराया। निरंजनी अखाड़े में लगभग 30 लाख रूपये की लागत से नया दो मंजिला भवन बनाया गया है। फ्लोरिंग पूरी कर दी गई है। यहां 15 लाख रूपये की लागत से टॉयलेट और बाथरूम बना दिये गये हैं, सभाकक्ष निर्माणाधीन है। प्रभारी मंत्री से चर्चा के दौरान सन्तों ने शासन द्वारा करवाये जा रहे सिंहस्थ कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि सिंहस्थ कार्यों से उज्जैन का कायाकल्प हो गया है।निरंजनी अखाड़े के अलावा प्रभारी मंत्री ने नया उदासीन अखाड़े में पहुंच कर सन्त त्रिवेणीदास महाराज, निर्मल अखाड़े में स्वामी ज्ञानदेवसिंहजी महाराज, शंभु पंचायती अटल अखाड़े में सन्त उदयगिरीजी महाराज एवं प्रेमगिरीजी महाराज से मुलाकात की। यहां अखाड़ा परिसर में सन्तों द्वारा बताये गये कक्ष निर्माण एवं परिसर में चूरी डलवाने के कार्य के लिये मेला अधिकारी को निर्देश दिये। निर्मोही अखाड़े में महन्त राजेन्द्रदासजी एवं महेशदासजी, निर्वाणी अणि अखाड़े में महन्त धर्मदासजी महाराज एवं दिग्विजयदासजी महाराज और नारायणगिरीजी महाराज से भेंट की। निर्वाणी अणि अखाड़ा परिसर में शासन द्वारा नौ कक्ष बनवाये गये हैं, पाकशाला बनकर तैयार है, पेयजल के लिये दो टंकियां लगा दी गई हैं, 12 लेटबाथ और बोरिंग के साथ ही पहुंच मार्ग भी बनाया गया है। दिगंबर अणि अखाड़े में सन्त बलरामदासजी महाराज से चर्चा करते हुए बताये गये कार्य करने के निर्देश मेला अधिकारी को दिये। बड़ा उदासीन अखाड़े में महन्त महेश्वरदासजी से मुलाकात की।
सन्तों ने की मेला अधिकारी की प्रशंसा प्रभारी मंत्री के अखाड़ा परिसरों में भ्रमण के दौरान सन्तजनों ने मेला अधिकारी अविनाश लवानिया की प्रभारी मंत्री के समक्ष प्रशंसा करते हुए कहा कि मेला अधिकारी सभी के साथ प्रसन्नता से मिलते हैं, बताये गये कार्यों को पूरा करवाते हैं। श्री नरेन्द्रगिरीजी महाराज व श्री हरिगिरीजी महाराज के साथ ही अन्य सन्तों ने कहा कि मेला अधिकारी सौम्यता के साथ चेहरे पर मुस्कान लिये हुए पेश आते हैं। सफल सिंहस्थ कार्यों में इनकी महती भूमिका है। इसके पूर्व उज्जैन सर्किट हाउस पर प्रभारी मंत्री ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भेंट की, सिंहस्थ व्यवस्थाओं पर चर्चा की। सिंहस्थ के लिये झोनवार प्रभारी मंत्री द्वारा जनप्रतिनिधियों को झोन प्रभारी नियुक्त किया गया है। सर्किट हाउस में उनसे मुलाकात के दौरान प्रभारी मंत्री ने सभी झोन प्रभारियों को निर्देश दिये कि सिंहस्थ कार्यों के लिये अपने क्षेत्र के सन्तों-महन्तों से निरन्तर सम्पर्क में रहकर व्यवस्थाओं को अंजाम दें। सिंहस्थ केन्द्रीय समिति अध्यक्ष माखनसिंह के साथ सन्तों से मुलाकात करते रहें। साथ ही सिंहस्थ कार्यों की गुणवत्ता भी देखें। झोन प्रभारी सन्तों के निरन्तर सम्पर्क में रहें
सिंहस्थ में उज्जैन नगरी का कायाकल्प हो गया है- श्री गौरवपुरी जी
25 March 2016
सिंहस्थ के अन्तर्गत शासन ने उज्जैन शहर में अनेकानेक निर्माण कार्य करवाये है इससे सम्पूर्ण उज्जैन नगरी का कायाकल्प हो गया है। अखाड़ों में भी विकास एवं निर्माण कार्य करवाये हैं। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े में सीसी रोड सीमेंट कांक्रीट निर्माण, संत निवास निर्माण, चरण पादुका का निर्माण, नीलगंगा पड़ाव स्थल पर सीमेन्ट कांक्रीट निर्माण, घाट निर्माण आदि कार्य करवाये गये है। यह बात श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा श्री रमतापंच के कोठारी श्री महंत गौरवपुरीजी महाराज ने गुरूवार को यहां एक चर्चा में कहीं।
श्री पंचदशनाम जूना अखाडा़ की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य ने की थी। अखाड़े का पंजीयन एक्ट 21 लखनऊ के तहत 1860 में हुआ। सनातन धर्म की रक्षा एवं प्रचार-प्रसार के साथ ही अखाड़े के नागा साधु शास्त्र व शस्त्र कला में पारंगत होते है। सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र चलाने में दक्ष है। अखाड़े का मुख्यालय बड़ा हनुमान घाट बनारस में है। उज्जैन में रामघाट के सामने शिप्रा तट पर इस अखाड़े का मुख्यालय है। भगवान श्री दत्तात्रय अखाड़े के आराध्य देव है। अखाड़े की स्थापना सैनिक छावनी की परिकल्पना के साथ हुई थी। बाद में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार नागा साधुओं का प्रमुख कार्य हो गया है। सिंहस्थ में इस अखाड़े की धर्म ध्वजा 52 हाथ की रहेगी। धर्म ध्वजा सनातन धर्म का प्रतिक है। धर्म ध्वजा के नीचे ही नागा साधुओं को संस्कार, संकल्प एवं दीक्षा दी जाती है। धर्म ध्वजा पूजन के साथ ही साधु-संतों का कुंभ प्रारम्भ हो जाता श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामडलेश्वर श्री अवधेशानंद गिरी जी महाराज है।
श्री महन्त हरिगिरी जी महाराज सिंहस्थ प्रभारी है। अखाड़े में सात सभापति, चार श्री महन्त, चार अष्टकोशल महन्त, कोठारी, पुजारी, कोतवाल, भण्डारी एवं कारोबारी सहित 24 सन्तों की मंत्री परिषद अखाड़ा प्रबंधन का कार्य देखती है।
श्री पंचदशनाम जूना अखाडा़ की पेशवाई 27 मार्च को प्रात: 10 बजे से नीलगंगा से निकलेगी। पेशवाई नीलगंगा से फ्रीगंज, चामुण्डा चौराहा, देवासगेट, मालीपुरा, कंठाल सतीगेट, गोपाल मंदिर, दानीगेट, छोटापुल होते हुए दत्त अखाड़ा से छावनी में प्रवेश करेंगे। पेशवाई में सबसे आगे निशानदेव एवं भगवान दत्तात्रय रहेंगे। उनके बाद क्रमश: जूना पीठाधीश्वर, सभापति श्री महन्त, अष्टकोशल महन्त, पुजारी, कोतवाल, कारोबारी, भण्डारी एवं साधु-संत गण शामिल होंगे।श्री पंचदशनाम जूना अखाडा़ में सुबह पुजा की शुरूआत श्री गणेश जी के पुजन से होती है। इसके बाद देव स्नान चंदन चढ़ाने, जूना चैतन और आरती होती है। नदी, पहाड़, भगवान श्री शिवजी, श्री विष्णु भगवान की भी पूजा अर्चना आराधना की जाती है, भोग प्रसाद चढ़ाया जाता है। अखाड़े के आराध्य देव भगवान श्री दत्तात्रय है।
सभी धर्मावलंबियों का है सिंहस्थ कुंभ महापर्व
25 March 2016
सिंहस्थ कुंभ महापर्व सभी धर्मावलंबियों का है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई सहित सभी धर्म के अनुयायी इस मेले में पूरे जोशो-खरोश तथा आस्था एवं विश्वास के साथ सम्मिलित होते हैं। सामाजिक सौहार्द्र एवं समरसता का जो वातावरण सिंहस्थ के दौरान देखने को मिलता है वह निश्चित रूप से अद्वितीय है। इस बार भी सभी धर्मावलंबी सिंहस्थ में पूरे मनोयोग से शामिल होंगे।
शहरकाजी जनाब खलीकुर्रहमान ने ये विश्वास अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेन्द्रगिरीजी को उस समय दिलाया, जब अखाड़ा परिषद अध्यक्ष अपने अखाड़े की पेशवाई का आमंत्रण देने आज शहरकाजी के निवास पर पहुंचे।
इस अवसर पर अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री हरिगिरी, जूना अखाड़ा के मंत्री श्री नारायणगिरी आदि ने वहां उपस्थित विभिन्न धर्म-प्रमुखों को सिंहस्थ का आमंत्रण दिया।
यहां पर सिख समाज के प्रमुख श्री सुरेंद्रसिंह अरोरा, ईसाई समाज के फादर सेबेस्टीन बड़क्कल, मुस्लिम समाज के मेहमूद आलम शाह, मौलाना हबीब साहब, बोहरा समाज के प्रमुख कुतुब फातेमी, नायब काजी सलाम खान, श्री शाकीरभाई खालवाले एवं सुल्तानशाह लाला आदि सभी ने कहा कि सिंहस्थ कुंभ महापर्व हम सबकी पहचान है तथा हमारी आस्था का प्रतीक है। हम इस पर्व के दौरान अपना पूरा सहयोग देंगे तथा पूरे उत्साह से इसमें शिरकत करेंगे।प्रारम्भ में शहरकाजी श्री खलीकुर्रहमान, फादर सेबेस्टीन वडक्केल, श्री सुरेंद्रसिंह अरोरा, श्री कुतुब फातेमी, श्री नरेन्द्रगिरीजी, महन्त श्री नारायणगिरीजी एवं महन्त श्री हरिगिरीजी का पुष्पहार एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। शहरकाजी श्री खलीकुर्रहमान ने श्री नरेन्द्रगिरीजी एवं उपस्थित महन्तों का साफा बांधकर स्वागत किया।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में स्थापित होंगे 37 फायर स्टेशन
Our Correspondent :10 March 2016
भोपाल। उज्जैन में सिंहस्थ के दौरान सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में अग्नि सुरक्षा एवं आगजनी नियंत्रण के लिए 37 फायर स्टेशन स्थापित किये जायेंगे। हर सेक्टर में एक या एक से अधिक फायर-स्टेशन आवश्यकतानुसार स्थापित किये जायेंगे। इन फायर-स्टेशन के पर्यवेक्षण तथा फायर आर्डर प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए सेक्टरवार दल गठित किये गये हैं।
गठित दलों में सेक्टर मजिस्ट्रेट के अलावा संबंधित थाना प्रभारी, विद्युत सुरक्षा, विद्युत वितरण कम्पनी के अधिकारी तथा पुलिस निरीक्षक, पुलिस उप निरीक्षक एवं सहायक पुलिस उप निरीक्षक सम्मिलित किये गये हैं। सेक्टरवार जिन स्थानों पर फायर स्टेशन बनाये जायेंगे उनमें महाकाल झोन के सेक्टर सिद्धवट में साडुमाता की बावड़ी उन्हेल रोड, वीर सावरकर भैरवगढ़ चौराहा सिद्धवट थाना, सेक्टर कालभैरव में मौजमखेड़ी फायर वाहन पाइंट, ऋणमुक्तेशवर मंदिर, सेक्टर गढ़कालिका में गढ़कालिका पर फायर स्टेशन रहेगा। इसी प्रकार मंगलनाथ झोन में सेक्टर मंगलनाथ पर नेपाली बाबा आश्रम, आयुर्वेदिक कॉलेज मंगलनाथ रोड, फायर वाहन पाइंट पुलिस स्टेशन मंगलनाथ, सेक्टर खिलचीपुर में सेटेलाईट टाऊन चक कमेड आगर रोड, मकोड़ियाआम नाका, वल्लभाचार्य नगर सेक्टर खाक चौक में खाक चौक अंकपात, अंकपात गेट के पास फायर स्टेशन रहेगा। दत्त अखाड़ा झोन में सेक्टर रणजीत हनुमान पर कार्तिक मेला ग्राउण्ड गुरू कण्डिका कुंभ मेला क्षेत्र, सेक्टर दत्त अखाडा़ में प्रदर्शनी स्थल गुरूनानक घाट के पास (हेलीपेड), भारत गैस गोडाउन बायपास रोड, सेक्टर मुल्लापुरा में मुल्लापुरा, रेलवे क्रासिंग बड़नगर रोड(मोहन पुरा) सेक्टर उजड़खेडा-1 में फायर स्टेशन सदावल, आशाराम बापू आश्रम जयसिंग पुरा, सेक्टर उजड़खेड़ा-2 में हनुमान मंदिर के पास (उजड़खेड़ा), सेक्टर भूखी माता मंदिर के पास (क्षेत्रोपासना) पर फायर स्टेशन स्थापित होंगे।
महाकाल झोन में सेक्टर रामघाट पर पुलिस कन्ट्रोल रूम राणोजी की छत्री, सेक्टर हरसिद्धी में चारधाम मंदिर (जयसिंह पुरा स्कूल), सेक्टर महाकाल में वार्ड क्रमांक-12 गोनसा, महाराजवाड़ा स्कूल के पास, सेक्टर गोपाल मंदिर में गोपाल मंदिर, सेक्टर चिंतामन गणेश मंदिर में मुरारी बापू आश्रम, अवधेशानंद आश्रम पर फायर स्टेशन रहेगा। चामुण्डा माता झोन में सेक्टर फ्रीगंज पर सेटेलाईट टाऊन लालपुर देवास रोड, सेटेलाईट टाऊन पवासा मक्सी रोड, देवास गेट बस स्टेण्ड पर, त्रिवेणी झोन में सेक्टर यंत्र महल पर सावराखेड़ी सेटेलाईट टाउन जन्तर-मन्तर वैधशाला नानाखेड़ा बस स्टेण्ड तथा सेक्टर त्रिवेणी में प्रशांति धाम इन्दौर रोड पर फायर स्टेशन स्थापित किया जायेगा।
दल के सदस्यों के मोबाईल नम्बर और फायर स्टेशन नम्बर प्रदर्शित होंगे
मेला क्षेत्र के लिए गठित किये गये अग्नि सुरक्षा दल सभी प्रकार के पंडालों, टेंट, आश्रमों, दुकानों में की गई विद्युत व्यवस्था का सतत् निरीक्षण करेंगे। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि क्षेत्र में अग्नि शमन सुरक्षा निर्धारित आवश्यक उपकरण एवं प्राथमिक सुविधाओं के साथ स्थापित हैं। मेला क्षेत्र में अग्नि सुरक्षा एवं आगजनी नियंत्रण के बारे में जागरूकता के तहत फायर स्टेशन नम्बर तथा दल के सदस्यों का मोबाईल नम्बर विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शित किया जायेगा। किसी भी अप्रिय स्थिति की सूचना पर त्वरित कार्यवाही की जायेगी।
सिंहस्थ की व्यवस्था हेतु राज्य सरकार के प्रयास सराहनीय
Our Correspondent :10 March 2016
भोपाल। राज्य सरकार ने सिंहस्थ-2016 को ध्यान में रखकर उज्जैन शहर और सिंहस्थ मेला क्षेत्र में निर्माण एवं विकास के अभूतपूर्व कार्य करवाये हैं। इससे धार्मिक नगरी उज्जैन का कायाकल्प होने से नगर की सुन्दरता बढ़ी है। सिंहस्थ में स्वच्छता का संदेश जन-जन पहुँचाने में सभी सहयोग करें। लोग स्वच्छता रखेंगे तो स्वस्थ रहेंगे।
अखिल भारतीय श्री पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा तथा श्री शंभू अटल अखाड़ा के 75 वर्षीय महंत श्री प्रेमगिरी श्री महाराज और महंत श्री दिग्विजयदास ने यह बात मंगलवार को उज्जैन में कही। उन्होंने कहा कि उज्जैन के सभी अखाड़ों की सुविधा को ध्यान में रखकर प्रशासन ने कार्य करवाये हैं। उन्होंने कहा कि उज्जैन में उनका यह छठवाँ सिंहस्थ होगा। सिंहस्थ के लिये उज्जैन शहर में काफी बदलाव हुए हैं। राज्य सरकार की इस सराहनीय पहल से उज्जैन नगर की सुन्दरता बढ़ी है, जो अदभुत है।
प्रभारी मंत्री ने मेला क्षेत्र की व्यवस्थाओं का लिया जायजा
प्रभारी मंत्री ने शौचालय, घाट, सड़कें व खान डायवर्सन की वास्तविक स्थिति जानी
Our Correspondent :10 March 2016
भोपाल। उज्जैन प्रवास पर आये जिले के प्रभारी मंत्री भूपेन्द्रसिंह ने आज बुधवार को सिंहस्थ मेला क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने शौचालय निर्माण की गुणवत्ता, सीवर लाईन, पेयजल व बिजली व्यवस्थाओं की वास्तविक स्थिति जानी। प्रभारी मंत्री भूखीमाता, दत्त अखाड़ा, उजड़खेड़ा, मुल्लापुरा और मंगलनाथ क्षेत्र में पहुंचे। उन्होंने टॉयलेट्स निर्माण में उपयोग की जा रही सामग्री की गुणवत्ता परखी, निर्देश दिये कि सिंहस्थ का प्रत्येक कार्य गुणवत्तायुक्त हो। उनके साथ विधायक श्री अनिल फिरोजिया, संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर, एडीजी व्ही.मधुकुमार, डीआईजी राकेश गुप्ता, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत, पुलिस अधीक्षक एम.एस.वर्मा, मेला अधिकारी अविनाश लवानिया व इन्दौर नगर-निगम आयुक्त श्री सिंह मौजूद रहे। टॉयलेट्स निर्माण के निरीक्षण के दौरान प्रभारी मंत्री ने कार्य की गति तेज करने की आवश्यकता जताई। इस कार्य में सुलभ इंटरनेशनल या अन्य किसी एजेन्सी को भी सहभागी बनाने के लिये मेला अधिकारी से चर्चा की। बताया गया कि सुलभ इंटरनेशनल द्वारा अग्रिम राशि ली जाती है। प्रभारी मंत्री ने कहा कि इस सम्बन्ध में अग्रिम का प्रावधान किया जा सकता है। हमें सिंहस्थ में आने वाले साधु-सन्तों व श्रद्धालुओं को गुणवत्तायुक्त बेहतर सेवाएं देना है। प्रभारी मंत्री ने यह भी निर्देश दिये कि टॉयलेट्स निर्माण में सीवर लाइन सही तरीके से कनेक्ट की जाये। सिंहस्थ के दौरान क्षेत्र में गन्दगी नहीं फैले, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये। मंत्री श्री सिंह ने मेला क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले विभिन्न मार्गों के आस-पास सार्वजनिक शौचालय की जानकारी मांगी। दत्त अखाड़ा झोन में करीब एक हजार मॉड्यूलर टॉयलेट्स भी रखे जायेंगे। ये टॉयलेट्स उन स्थानों पर उपयोगी होंगे, जहां सीवर लाइन कनेक्ट होने में कोई समस्या है। प्रभारी मंत्री ने मॉड्यूलर टॉयलेट्स का निरीक्षण करते हुए इन्हें उपयोगी बताया। मेला अधिकारी ने बताया कि टॉयलेट्स की साइज साधु-सन्तों की मांग के अनुसार बढ़ाई गई है। वर्तमान साइज उपयोग के लिये एकदम उपयुक्त है। प्रभारी मंत्री भूपेन्द्रसिंह ने लालपुल क्षेत्र पहुंच कर शिप्रा नदी पर बनाये गये घाटों की प्रशंसा करते हुए कहा कि घाट अब सुन्दर दिख रहे हैं। घाटों का दृश्य विहंगम बन पड़ा है। जल संसाधन विभाग द्वारा श्रद्धालुओं की स्नान सुविधा के लिये घाटों को बेहतर तरीके से बनाया गया है। उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा नवनिर्मित घाटों पर लाल और सफेद रंगों से आकर्षक पेन्ट किया गया है। प्रभारी मंत्री ने मेला अधिकारी को यह भी निर्देश दिये कि घाटों के उपरी हिस्से में जहां सड़क किनारे कटाव है, वहां रेलिंग लगवाई जाये। प्रभारी मंत्री ने लालपुल के ठीक नीचे शिप्रा नदी को समतल कराने के भी निर्देश दिये है। जिससे यहा की सुन्दरता बरकरार रहे। सुन्दर दिख रहे हैं घाट –प्रभारी मंत्री सड़कों की दोनों साइडों में भराव करवायें प्रभारी मंत्री ने अपने इस निरीक्षण में मुल्लापुरा क्षेत्र से लेकर चिन्तामन गणेश, उजड़खेड़ा तथा अन्य क्षेत्रों में सिंहस्थ मेला क्षेत्र के टॉयलेट्स निर्माण देखे। इस दौरान सड़क के विभिन्न हिस्सों में दोनों छोर पर रोड साइड उखड़ी हुई पाये जाने पर उन्होंने मेला अधिकारी को निर्देश दिये कि विभिन्न स्थानों पर रोड शोल्डर पूर्ण किये जायें। जहां रोड साइड उखड़ी है, उनको लाल मुरम से भरवाया जाये। इससे सड़कों के सौन्दर्य में वृद्धि
देश में पहली बार अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग उज्जैन में
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में धूल की समस्या से निजात के लिये अभी पायलट स्तर पर एक विशेष प्लास्टिक पॉलीमर का छिड़काव किया गया है। इस तकनीक के उपयोग से किसी समतल भूमि या खेतों में अस्थायी सड़क का निर्माण करने के पश्चात पॉलीमर छिड़काव कर उस स्थान से धूल उड़ना बन्द हो जाती है। मेला क्षेत्र में धूल के गुबार से मुक्त रखने के लिए ग्लोबल रोड टेक्नालॉजी का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए प्रायोगिक तौर पर कम्पनी ने मंगलनाथ क्षेत्र में करीब 100 मीटर लम्बी और 80 मीटर चौड़ी सड़क पर छिड़काव किया। कम्पनी द्वारा किये गये पॉलीमर छिड़काव का अवलोकन प्रभारी मंत्री ने किया। इससे उस क्षेत्र में धूल का उड़ना बिलकुल बन्द हो गया है। प्रारम्भिक रूप से कम्पनी द्वारा किये गये डैमो का अच्छा परिणाम मिलने के पश्चात मेला क्षेत्र में धूल भरी सड़कों से निजात के लिए इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इस पॉलीमर से पूरी सिंहस्थ अवधि में धूल की समस्या से निजात मिल सकती है। टेक्नालॉजी के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। इस टेक्नालॉजी का सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में उपयोग किये जाने पर विचार किया जाकर अन्तिम निर्णय लिया रेलवे लाईन के 60 फीट नीचे से खान नदी का रास्ता प्रभारी मंत्री ने सिंहस्थ के लिये खान डायवर्शन योजना कार्य का निरीक्षण किया। लालपुल के नजदीक रेलवे पुशिंग पाइंट पर पहुंच कर उन्होंने करीब 100 मीटर लम्बाई में बनाई जा रही टनल को देखा। रेलवे लाइन के नीचे निर्मित की जा रही इस टनल की गहराई 60 फीट है। 60 फीट की गहराई से खान नदी को निकालने के लिए ड्रिलिंग मशीन द्वारा यह कार्य दिन रात किया जा रहा है। इस कार्य में प्रतिमीटर लगभग एक लाख रूपये खर्च हो रहा है। भूमि के अन्दर हार्ड रॉक आने से कार्य अत्यन्त दुरूह हो गया है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने प्रभारी मंत्री को समय-सीमा में कार्य पूर्ण करने की बात कही। इस रेलवे पुशिंग पाइंट पर विश्वस्तरीय डिटबिच मशीन का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ सहायक मशीनें भी कार्य कर रही हैं। खान डायवर्शन योजना का निरीक्षण साड़ूमाता पाइंट पर पहुंच कर भी किया गया। इस पाइंट पर लगभग सात मंजिला उंची इमारत जितनी गहरी खुदाई लेवलिंग के उद्देश्य से करना पड़ी है। यहां भी सख्त चट्टानों के आने से कार्य अत्यन्त मुश्किल हो गया है। विभाग द्वारा अभी योजना की लम्बाई के 16वें किलो मीटर पर काम यहां किया जा रहा है। इस मुश्किल प्रोजेक्ट को जिस जज्बे के साथ अंजाम दिया जा रहा है, उसे देखकर प्रभारी मंत्री के मुंह से बरबस निकला “एक्सीलेंट वर्क”। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सख्त चट्टानों के अलावा यहां पर गहरी खुदाई में पाइप शिफ्टिंग, मटेरियल को नीचे से ऊपर पहुंचाने, 14 टन वजनी पाइप को नीचे उतारने, हाईटेंशन लाइन की स्थिति में ब्लास्टिंग और मिट्टी धसकने जैसी कई समस्याएं आ रही हैं। गहरी खुदाई होने के कारण लगभग दो से चार करोड़ रूपये पानी को लिफ्ट करके बाहर फैंकने में खर्च हुए हैं।
फिर भी समय-सीमा में इस कार्य को पूरा कर लिया जायेगा। इस पाइंट पर 30 से 40 प्रकार की विभिन्न मशीनों का इस्तेमाल विभिन्न कार्यों के लिये किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सम्पूर्ण खान डायवर्शन योजना में 90 पोकलेन मशीन, 12 क्रेन और 18 डोजर मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। रेलवे पाइंट छोड़कर लगभग 15 किलो मीटर लम्बाई में योजना का कार्य पूरा किया जा चुका है।
झोनवार मूलभूत कार्यों की प्रभारी मंत्री ने की समीक्षा
5 अप्रैल तक सभी शौचालयों का निर्माण पूर्ण कराने के दिये निर्देश
Our Correspondent :10 March 2016
भोपाल। सिंहस्थ कुंभ महापर्व के शुभारम्भ के लिये महज 43 दिन शेष हैं। शासन-प्रशासन द्वारा सफल सिंहस्थ के लिये युद्धस्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। इसी के मद्देनजर प्रदेश के परिवहन मंत्री और उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह सतत् कार्यों की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। आज बुधवार को भी प्रभारी मंत्री ने सिंहस्थ मेला क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद दोपहर 3 बजे मेला कार्यालय पहुंच कर अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में उन्होंने सभी झोन मजिस्ट्रेट्स के साथ जमीनी स्तर पर होने वाले मूलभूत कार्यों की प्रगति की समीक्षा की।
समीक्षा बैठक में दो टूक निर्देश देते हुए प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह ने अधिकारियों को उनके झोन में चल रहे कार्यों की निगरानी करने के साथ ही प्रगतिरत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिये। बैठक में उन्होंने झोनवार मेला क्षेत्र के समतलीकरण, भू आवंटन, प्रकाश व्यवस्था, पानी की व्यवस्था और शौचालयों के निर्माण कार्य की समीक्षा की। बैठक में प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्रसिंह ने प्राथमिकता पर सभी संबंधित झोन में चल रहे शौचालय निर्माण कार्यों की प्रगति से अवगत हुए। इस पर उन्होंने मेला क्षेत्र में शौचालय निर्माण का कार्य करने वाली तीनों क्रियान्वयन एजेंसियों को 5 अप्रैल तक सभी शौचालयों का निर्माण पूर्ण करने के निर्देश दिये। बैठक में स्थानीय विधायक डॉ.मोहन यादव द्वारा जयसिंहपुरा क्षेत्र में खुले में शौच की समस्या बतायी। इस पर प्रभारी मंत्री ने निगमायुक्त को सामुदायिक शौचालय बनाने के निर्देश दिये।
समीक्षा बैठक में झोनल मजिस्ट्रेट दत्त अखाड़ा झोन श्री संतोष वर्मा ने झोन की समस्त व्यवस्थाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि झोन में भूमि की आवश्यकता पड़ने पर तकरीबन 490 प्लाटों के लिए नवीन भूमि अधिसूचित की गई है। इस पर प्रभारी मंत्री श्री सिंह ने सभी संबंधित अधिकारियों को नवीन अधिसूचित भूमि क्षेत्र को तेजी से विकसित करने के निर्देश दिये।
बैठक में प्रभारी मंत्री ने मंगलनाथ, कालभैरव, महाकाल, दत्त अखाड़ा, चामुण्डा माता और त्रिवेणी झोन के झोनल मजिस्ट्रेट से पृथक-पृथक विषयों पर अलग-अलग चर्चा की। साथ ही आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये। इस दौरान विधायक डॉ.मोहन यादव, श्री अनिल फिरोजिया, संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर, कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत, मेला अधिकारी अप्रैल तक सभी शौचालयों का निर्माण पूर्ण कराने के दिये निर्देश दत्त अखाड़े में नवीन अधिसूचित भूमि को शीघ्रता से करें विकसित श्री अविनाश लवानिया व श्री श्याम बंसल सहित जन प्रतिनिधि एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।
निरूक्त भार्गव बने अध्यक्ष सिंहस्थ की प्रचार-प्रसार एवं जनसंचार (मीडिया) समिति गठित
Our Correspondent :10 March 2016
भोपाल। सिंहस्थ-2016 के लिये गठित उप समितियों के तहत प्रचार-प्रसार एवं जनसंचार (मीडिया) उप समिति का गठन किया गया है। उप समिति के अध्यक्ष निरूक्त भार्गव तथा उपाध्यक्षद्वय सुनील जैन व ललित ज्वेल मनोनीत किये गये हैं। उप समिति के सचिव अपर संचालक जनसम्पर्क होंगे। उप समिति के सदस्यों में प्रेस क्लब उज्जैन के अध्यक्ष विशाल हाड़ा के अलावा सुमन मेहता, अनिल चन्देल, कीर्ति राणा, विवेक चौरसिया, विवेक जायसवाल, संदीप कुलश्रेष्ठ, प्रकाश रघुवंशी, राजीव जैन, अजय तिवारी, नन्दलाल यादव, विकास सेठी, आनन्द निगम, शैलेष व्यास, नौमिश दुबे, अशोक मालवीय, चन्दर सोनाने, नरेन्द्र जैन टोंगिया, गोपाल भार्गव, अभय धर्मे, अविनाश चतुर्वेदी, राकेश पण्डया डॉ.घनश्याम शर्मा, जयप्रकाश जूनवाल, सोमेश्वर खैर, राकेश तिवारी तथा ज्ञानेश सोनी मनोनीत किये गये हैं। सिंहस्थ मेला कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिंहस्थ-2016 के लिये कुल 22 उप समितियां गठित की गई हैं, अन्य 21 उप समितियां निम्नानुसार हैं-
सिंहस्थ की सन्त सम्पर्क एवं संवाद उप समिति के अध्यक्ष डॉ.स्वामी अवधेशपुरीजी तथा उपाध्यक्षद्वय आनंदीलाल जोशी एवं शिवनारायण जागीरदार मनोनीत किये गये हैं। पड़ाव भूमि एवं साधु समाज व्यवस्था उप समिति के अध्यक्ष दिवाकर नातू तथा उपाध्यक्षद्वय अशोक कड़ेल व उल्लास वैद्य मनोनीत किये गये हैं। घाट व्यवस्था उप समिति के अध्यक्ष विभाष उपाध्याय एवं उपाध्यक्षद्वय महेंद्रसिंह रघुवंशी ‘बल्ली’ व महेंद्र उपाध्याय मनोनीत किये गये हैं। स्वच्छ शिप्रा अभियान उप समिति के अध्यक्ष मुकेश टटवाल तथा उपाध्यक्षद्वय राधेश्याम वर्मा पार्षद व अशोक भंडारी मनोनीत किये गये हैं। शिप्रा स्नान व धार्मिक व्यवस्था उप समिति के अध्यक्ष प्रदीप पाण्डेय तथा उपाध्यक्षद्वय आनंद त्रिवेदी व गिरीश शास्त्री मनोनीत किये गये हैं। सिंहस्थ सेवादल उप समिति के अध्यक्ष प्रकाश चित्तौड़ा तथा उपाध्यक्षद्वय रमेशचंद्र शर्मा व सत्यनारायण पंवार मनोनीत किये गये हैं। जनसहयोग एवं सत्कार उप समिति के अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल तथा उपाध्यक्षद्वय शील लश्करी व संतोष अग्रवाल मनोनीत किये गये हैं। मातृ शक्ति जागरण एवं बाल संरक्षण उप समिति की अध्यक्ष प्रीति भार्गव तथा उपाध्यक्षद्वय रमा पण्ड्या व साधना सेठी मनोनीत की गईं हैं। स्वच्छता व्यवस्था उप समिति के अध्यक्ष रामचंद्र कोरट तथा उपाध्यक्षद्वय सत्यनारायण चौहान व रजनी कोटवानी मनोनीत किये गये हैं। पर्यावरण संरक्षण उप समिति के अध्यक्ष डॉ.विमल गर्ग तथा उपाध्यक्षद्वय श्रीराम तिवारी व मुकेश लड्ढा मनोनीत किये गये हैं। मन्दिर धर्मशाला एवं विश्राम गृह उप समिति के अध्यक्ष वीरेन्द्र कावड़िया तथा उपाध्यक्षद्वय डॉ.प्रभुलाल जाटवा व लोकेश विश्वनाथ व्यास मनोनीत किये गये हैं। खाद्य एवं आपूर्ति उप समिति के अध्यक्ष अनिल जैन तथा उपाध्यक्षद्वय मुकेश जोशी व जयप्रकाश राठी मनोनीत किये गये हैं। पेयजल उप समिति के अध्यक्ष सोनू गेहलोत तथा उपाध्यक्षद्वय मदनलाल ललावत व कलावती यादव मनोनीत किये गये हैं। स्वास्थ्य व्यवस्था उप समिति के अध्यक्ष किशोर खंडेलवाल तथा उपाध्यक्षद्वय डॉ.पी.एन.तेजनकर व डॉ.राजेन्द्र बंसल मनोनीत किये गये हैं। पंचक्रोशी यात्रा उप समिति के अध्यक्ष बहादुरसिंह बोरमुंडला तथा उपाध्यक्षद्वय अशोक प्रजापत व कमलसिंह आंजना मनोनीत किये गये हैं। सड़क, पुल, लोक निर्माण एवं ऊर्जा उप समिति के अध्यक्ष शिवा कोटवानी तथा उपाध्यक्षद्वय प्रदीप अग्रवाल व हेमन्त व्यास मनोनीत किये गये हैं। यातायात उप समिति के अध्यक्ष नवीन आर्य तथा उपाध्यक्षद्वय वासु केसवानी व महेन्द्र गादिया मनोनीत किये गये हैं। साहित्य एवं सांस्कृतिक उप समिति के अध्यक्ष डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित तथा उपाध्यक्षद्वय शशिरंजन अकेला व सतीश दवे मनोनीत किये गये हैं। प्रदर्शनी उप समिति के अध्यक्ष अरूण शुक्ला तथा उपाध्यक्षद्वय योगेश भार्गव व अंबाराम कराड़ा मनोनीत किये गये हैं। सूचना एवं प्रौद्योगिकी उप समिति के अध्यक्ष राकेश अग्रवाल तथा उपाध्यक्षद्वय सचिन सक्सेना व कपिल कटारिया मनोनीत किये गये हैं। मुआवजा वितरण उप समिति के अध्यक्ष गोविन्द शर्मा तथा उपाध्यक्षद्वय विक्रमसिंह सिकरवार व शिवचरण शर्मा मनोनीत किये गये हैं।
उज्जैन आने के सभी 6 मार्गों पर पार्किंग की वैकल्पिक व्यवस्था होगी पार्किंग व्यवस्था को लेकर कलेक्टर ने ली निवास स्थान पर बैठक
08 March 2016
सिंहस्थ के दौरान उज्जैन शहर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग व्यवस्थाओं को लेकर कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत ने रविवार को अपने निवास स्थान पर संबंधित अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में कलेक्टर श्री कियावत ने उज्जैन शहर को आने वाले सभी 6 महत्वपूर्ण रास्तों पर बनाये गये सेटेलाईट टाऊन में पार्किंग व्यवस्था के साथ-साथ सभी जरूरी सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। सिंहस्थ में विभिन्न स्थानों पर पार्किंग के लिए सेटेलाईट टाऊन सहित 61 स्थलों पर पार्किंग व्यवस्था होगी। सेटेलाईन टाऊन में पार्किंग फुल होने पर उज्जैन से पहले सभी मार्गों पर जगह-जगह अस्थाई पार्किंग व्यवस्था की जायेगी। बैठक में अस्थाई पार्किंग व्यवस्था के लिए चयनित स्थानों पर भी पेयजल, बिजली और शौचालय की बुनियादी सुविधा करने के लिये संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है। 12 महत्वपूर्ण बड़े पार्किंग स्थलों सेटेलाईट सहित पर भी आवश्यक जलपान व बुनियादी सुविधाओं का जायजा लेने के लिए 8 मार्च को संबंधित अधिकारियों को निरीक्षण करने के भी निर्देश बैठक में दिये गये है।
सेटेलाईन टाऊन के अलावा अस्थायी पार्किंग व्यवस्था का चयन मुख्यमार्ग के बायीं ओर करने के निर्देश दिये गये है। बैठक में एडीएम श्री अवधेश शर्मा, उप मेला अधिकारी श्री एसएस रावत व पीएचई, एमपीबी, पुलिस विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
आज अनुगूंज-8 का आयोजन
08 March 2016
मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा शास्त्रिनगर ग्राउण्ड पर आज अनुगूंज-8 का आयोजन किया जायेगा। सिंहस्थ महाकुंभ की सांस्कृतिक आयोजन के तहत संस्कृति विभाग द्वारा आयोजन किये जा रहे है। शास्त्री मैदान पर शिव आख्यान केन्द्रित कार्यक्रम प्रस्तुत होगा। जिसमें नई दिल्ली की समीक्षा शर्मा द्वारा कथक, समूह नृत्य प्रस्तुत किया जायेगा।
निर्माण कार्यों से अदभूत हुआ महाकाल का दरबार
08 March 2016
सिंहस्थ के मद्देनजर बाबा महाकाल के दरबार को सजाने संवारने में शासन ने कोई कसर नहीं छोड़ी। बाबा महाकाल परिसर में अनेकों निर्माण कार्य कराये गये है। यह निर्माण कार्य दर्शथानियों की व्यवस्थाओं को देखते हुए प्रवेश व निर्गम मार्ग के भी हैं। इन निर्माण कार्यों में फेसेलिटी सेन्टर, निर्गम द्वार, महाकाल प्रशानिक कार्यालय, म्युजियम और बाबा महाकाल के गृभगृह को चांदी युक्त किया गया है।
महाकाल मंदिर परिसर में आदिकलपेश्वर महादेव मंदिर के नजदीक से निर्गम द्वार बनाया गया है। इस निर्गम द्वार को बनाने में 2 करोड़ 50 लाख रूपये व्यय किये गये है। यह निर्गम द्वार सिंहस्थ के दौरान अतिमहत्वपूर्ण साबित होगा।
5 करोड़ 99 लाख की लागत से फेसेलिटी सेन्टर के भवन का निर्माण कराया गया है। यह भवन श्रद्धालुओं को रिफ्रेसमेंट सहित अन्य सुविधायें भी प्रदान करेगा।
महाकाल बाबा के गृभगृह में 550 किलो से अधिक की चांदी से गृभगृह को चांदी युक्त किया गया है। इसकी लागत करीब 2 करोड़ 50 लाख रूपये है। मंदिर के अन्दर ही नंदी हॉल का भी सौन्दर्यीकरण किया गया है। यहां करीब 50 लाख से अधिक की लागत से खम्बों को पीतल से सजाया गया है।
महाकाल मंदिर परिसर के जूना महाकाल के ठीक पीछे 1 करोड़ से अधिक की लागत से म्युजियम का निर्माण किया गया है। इस म्युजियम में बाबा महाकाल की विभिन्न मुद्राओं के मुखोटे, पालकी, रथ और अन्य सामग्री व्यवस्थित तरीके से रखी गई है।
वेदों के गूढ़ रहस्यों और भावार्थ को जानने के लिए 1256 लाख रूपये की लागत से वैदिक शिक्षा के लिए चिंतामण गणेश रोड पर भवन का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा यहां छात्रावास, लड्डु प्रसादी कक्ष और गौशाला का निर्माण कराया गया है।
सिंहस्थ में नीमच के फूल बिखेरेंगे अपनी खुशबू
Our Correspondent :02 March 2016
भोपाल। नीमच की एक महिला किसान रेखाबाई बाछड़ा ने पॉली-हाउस से खेती को लाभ का व्यवसाय बनाकर अन्य किसानों के लिये अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। नीमच के समीप गाँव जेतपुरा की अनुसूचित-जाति बाछड़ा समुदाय की महिला रेखाबाई ने उद्यानिकी मिशन के जरिये एक हेक्टेयर में 9 लाख 34 हजार की लागत से पॉली-हाउस का निर्माण किया है।
रेखाबाई ने सामाजिक परम्परा से अलग हटकर उन्नत कृषि तकनीक को आजीविका का साधन बनाकर सम्मान पूर्वक जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया है। रेखाबाई के पति ड्रायवर का काम करते हैं। जब वे गुजरात गये तो उन्होंने वहाँ पॉली-हाउस देखा, तो उनके मन में भी पॉली-हाउस का निर्माण कर खेती करने का विचार आया। यह बात उन्होंने अपनी पत्नी रेखाबाई को बतायी। रेखाबाई ने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से मिलकर पॉली-हाउस निर्माण की योजना पर चर्चा की।
पॉली-हाउस निर्माण पर रुपये 9 लाख 36 हजार का खर्च आया है। इसमें उन्हें 50 प्रतिशत का अनुदान राज्य शासन से मिला है। रेखाबाई ने सबसे पहले ककड़ी की फसल बोई। इससे उन्हें डेढ़ लाख की अतिरिक्त आमदनी हुई। रेखाबाई ने उद्यानिकी विभाग के कर्मचारियों से चर्चा कर हाईब्रिड पीले और नारंगी रंग के गेंदे के फूल लगाये। उनके पॉली-हाउस में इन दिनों बड़े-बड़े फूल खिल रहे हैं। रेखाबाई ने गेंदे के फूल को उज्जैन सिंहस्थ में भेजने की तैयारी की है। इससे उन्हें अच्छी आमदनी की संभावना है। पिछले दिनों उज्जैन कमिश्नर श्री रवीन्द्र पस्तोर ने भी पॉली-हाउस देखा और प्रशंसा की। रेखाबाई को उम्मीद है कि उनके पॉली-हाउस के गेंदे के फूल सिंहस्थ में खुशबू बिखेरेंगे।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में होंगे 16 अस्थायी फायर स्टेशन
Our Correspondent :02 March 2016
भोपाल। उज्जैन में सिंहस्थ मेला क्षेत्र में अग्नि-शमन व्यवस्था तथा आग पर नियंत्रण और रोकथाम के लिये 16 अस्थायी फायर स्टेशन, 20 फायर पाइंट, 8 फायर मोटर सायकल पाइंट बनाये जा रहे हैं। सिंहस्थ में 22 अप्रैल से 21 मई तक 1000 प्रशिक्षित फायर पुलिसकर्मी, होमगार्ड एवं नगर निगम के कर्मचारी सेवाएँ देंगे। डॉयल-101 और सभी फायर स्टेशन पर संचार व्यवस्था के लिये अस्थायी टेलीफोन नम्बर भी उपलब्ध करवाये गये हैं। यह फोन नम्बर मेला क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्थानो पर प्रदर्शित भी किये जा रहे हैं।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में आग की रोकथाम और नियंत्रण के लिये विभिन्न जिलों से प्रशिक्षित 12 अधिकारी की टीम द्वारा सभी छह झोनल क्षेत्र में अस्थायी निर्माण स्थलों पर पहुँचकर साधु-संतों, टेन्ट और बिजली ठेकेदारों और प्रबंधन व्यवस्था में लगे लोगों को आग से बचाव की महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी। जागरूकता के लिये बेनर, पेम्फलेट आदि प्रचार सामग्री का वितरण भी किया गया।
सभी अखाड़ा परिसर में होगी एटीएम सुविधा
सिंहस्थ के दौरान सभी बैंक द्वारा श्रद्धालुओं को बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध करवाने की तैयारी की गयी है। बैंक 15 मार्च तक स्थापना संबंधी सभी कार्य पूर्ण कर लेंगे। इस अवधि तक बैंकों का सेटअप भी तैयार हो जायेगा। सभी अखाड़ा परिसर में एटीएम स्थापित किये जायेंगे।
सिंहस्थ के दौरान प्रतिदिन 12 से 15 लाख श्रद्धालु मेला क्षेत्र में स्थायी रूप से निवास करेंगे। स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया विशेष सिंहस्थ प्री-पेड कार्ड अप्रैल के पहले सप्ताह में लांच करेगा। प्री-पेड कार्ड की सीमा 5000 रुपये तक रहेगी। बैंक अखाड़ा परिसर में स्वीप मशीन भी लगायेंगे।
सिंहस्थ से जुड़े स्वीकृति संबंधी प्रस्ताव तत्काल भेजे जाये
Our Correspondent :02 March 2016
भोपाल। सिंहस्थ से जुड़े़ जिन कार्य में अंतिम रूप से प्रस्ताव में स्वीकृति की जरूरत हो, उन्हें शीघ्र भोपाल भेजे। इन पर स्वीकृति तुरंत दी जायेगी। अपर मुख्य सचिव गृह श्री बी.पी. सिंह ने सोमवार को उज्जैन में सिंहस्थ की तैयारियों की समीक्षा में यह निर्देश दिये।
बताया गया कि सिंहस्थ के लिये क्षिप्रा नदी पर 10 पेन्टून ब्रिज बनाये जायेंगे। यह ब्रिज एक तट से दूसरे तट तक आवागमन में इस्तेमाल किये जायेंगे। आर्मी की टीम ब्रिज बनाने के लिये सामग्री के साथ 15 मार्च तक उज्जैन आयेंगी। आर्मी 4 पेन्टून ब्रिज बनायेगी। शेष 6 ब्रिज पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश से आयेंगे। बताया गया कि सिंहस्थ के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिये पहले चरण में 35 हजार पुलिसकर्मी प्रशिक्षित किये जा चुके हैं। पुलिस के अधिकांश अधोसंरचना के कार्य लगभग पूरे किये जा चुके हैं। भीड़ प्रबंधन के उपकरण भी उज्जैन पुलिस को मिल चुके हैं। सिंहस्थ के लिये बाहर से फोर्स बुलाने की सभी जरूरी कार्यवाही पूरी कर ली गई है। समीक्षा में बताया गया कि सिंहस्थ के दौरान आपात-स्थिति में वाहन संचालन के लिये करीब 70 किलोमीटर लम्बाई का ग्रीन कॉरिडोर बनाया जायेगा। एम्बुलेंस अथवा अन्य आपात वाहनों की निकासी इस मार्ग से ही होगी।
बैठक में सभी निर्माण विभागों को निर्देश दिये गये कि जिन कार्यों के लिये खुदाई की गई थी, उनका मलबा तत्काल हटाया जाये। कलेक्टर ने बताया कि सिंहस्थ मेला क्षेत्र में वृद्धि करते हुए अतिरिक्त 300 हेक्टेयर भूमि प्राप्त की जा रही है। जैसे-जैसे फसल कटेगी उन क्षेत्रों में काम शुरू किया जायेगा। कमिश्नर उज्जैन डॉ. रवीन्द्र पस्तौर ने बताया कि 22 अप्रैल से 21 मई तक क्षिप्रा के जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये घाटों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाये जायेंगे। मेला क्षेत्र में कॉलेज के छात्रों के जरिये विभिन्न सेवाओं के स्तर के बारे में श्रद्धालुओं से जानकारी ली जायेगी।
बताया गया कि सिंहस्थ से पहले कचरा निष्पादन संयंत्र उज्जैन पहुँच जायेगा। संयंत्र लगने पर केमिकल डालकर कचरे को निष्पादित किया जायेगा। बैठक में बताया गया कि खान डॉयवर्सन का कार्य 15 मार्च तक पूरा कर लिया जायेगा।
सिंहस्थ के लिये रेलवे द्वारा विशेष इंतजाम
Our Correspondent :02 March 2016
भोपाल। रेलवे द्वारा आगामी 22 अप्रैल से 21 मई तक उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ में यात्रियों की सुविधा के लिये व्यापक इंतजाम किये गये हैं। उज्जैन के साथ-साथ आसपास के स्टेशन पर भी अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये गये हैं।
रेल राज्य मंत्री श्री मनोज सिन्हा ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सिंहस्थ के दौरान उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या को देखते हुए उज्जैन रेलवे स्टेशन के साथ-साथ नागदा, विक्रम नगर, क्षिप्रा ब्रिज, फतेहाबाद, नईखेड़ी, चिंतामन गणेश, पिंगलेश्वर, इंदौर, रतलाम, पावसा और मोहनपुरा जैसे आसपास के सेटेलाइट स्टेशनों पर अनेक कार्य किये गये हैं। कुछ स्वीकृत कार्य पूरे हो गये हैं और कुछ प्रगति पर हैं।
उज्जैन रेलवे स्टेशन
उज्जैन रेलवे स्टेशन पर अनेक कार्य पूरे किये जा चुके हैं। इनमें प्लेटफार्म नम्बर-2, 3 और 6, 7 पर शेल्टर में सुधार, प्लेटफार्म नम्बर, 1, 2, 3, 4, 5 के प्लेटफार्म में सुधार, आसपास के क्षेत्रों में सुधार कार्य, प्लेटफार्म नम्बर-1 पर नागदा की तरफ बैठने की छायादार व्यवस्था, भोपाल की तरफ अतिरिक्त पैदल ओवर-ब्रिज, नागदा की तरफ पैदल ओवर-ब्रिज का विस्तार और नीलगंगा कॉलोनी की तरफ सर्कुलेटिंग एरिया का विकास और अतिरिक्त प्रवेश शामिल हैं।
अनेक कार्य चल रहे हैं। इनमें आउट टू आउट फुट ओवर-ब्रिज, पेयजल व्यवस्था में सुधार, रेलों के आने-जाने के मल्टी लाइन डिस्प्ले बोर्ड शामिल हैं।
विक्रम नगर रेलवे स्टेशन पर पेयजल व्यवस्था और शौचालय सुविधाओं तथा सर्कुलेटिंग एरिया में सुधार का कार्य पूरा हो चुका है।
पावसा और मोहनपुरा स्टेशन पर अस्थाई हॉल्ट स्टेशन बनाये जा रहे हैं।
नागदा रेलवे स्टेशन पर कोटा की तरफ इंटनकनेक्टिंग फुट ओवर-ब्रिज को बदलने, रेलों के आने-जाने की सूचना के लिये मल्टी लाइन डिस्प्ले बोर्ड, प्लेटफार्मों को ऊँचा करने और प्लेटफार्म नम्बर-4, 5 पर शेड डालने आदि के काम हाथ में लिये गये हैं।
इंदौर रेलवे स्टेशन पर रेलों के आने-जाने की सूचना के लिये मल्टी लाइन डिस्प्ले बोर्ड लगाये जा रहे हैं। नईखेड़ी और पिंगलेश्वर स्टेशनों पर पीने के पानी के नल और शौचालयों का काम पूरा किया जा चुका है। टिकिट बुकिंग के लिये अतिरिक्त काउंटर खोला जाना भी प्रस्तावित है।
सिंहस्थ के दौरान जीआरपी द्वारा प्रशासन और आरपीएफ की मदद से सुरक्षा की ठोस व्यवस्था की जायेगी।
पूर्व के अनुभव के आधार पर सिंहस्थ के दौरान रेल से आने वाले यात्रियों की सुविधा के लिये सुनियोजित व्यवस्थाएँ की गयी हैं। इस उद्देश्य से देश के विभिन्न क्षेत्र से विशेष रेलें भी चलायी जायेंगी। कम दूरी की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिये डेमू/मेमू रेक्स की व्यवस्था की जायेगी और वर्तमान रेलों में यात्रियों के लिये सीटों की संख्या बढ़ाई जायेगी।
सम्पूर्ण भारत का भ्रमण कर सनातन धर्म का प्रचार करते हैं, महंत एवं साधु संत
27 February 2016
श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन की पेशवाई 17 अप्रैल को निकलेगी उज्जैन 26 फरवरी। सालभर सम्पूर्ण भारत का भ्रमण कर सनातन धर्म एवं ज्ञान का प्रचार-प्रसार करते हैं, महंत, साधु संत। कुम्भ महाकुम्भ मेले में व्यवस्था एवं अखाड़ों का प्रबंधन भी समय-समय पर यह बात बड़नगर रोड उज्जैन पर कुम्भ क्षेत्र में स्थापित श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत श्री भगवानदास जी ने गुरुवार को यहां कही। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में इस अखाड़े की पेशवाई 17 अप्रैल को सुबह 9 बजे से नीलगंगा से प्रारम्भ होना प्रस्तावित है। शाही स्नान 22 अप्रैल, 9 मई व 21 मई चार मुख्य महंत व कारोबारी इस अखाड़े के चार मुख्य महंत पूर्व, पश्चिम, उत्तर दक्षिण में है। कारोबारी एवं जमात मंडली भी है, जो सारे भारत में भ्रमण कर सनातन धर्म व ज्ञान का प्रचार-प्रसार करते है। कुम्भ मेले में शिविर लगाते हैं। नया उदासीन अखाड़े के वर्तमान में श्री महंत सर्वेश्वरमुनिजी के अलावा अध्यक्ष महन्त धुनीदासजी, जखीरा प्रबंधक महंत श्री भगतरामजी, सचिव त्रिवेणीदासजी एवं जगतार मुनि, बसंत मुनिजी आदि शामिल हैं। सिंहस्थ 2016 के तहत प्रशासन द्वारा श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के पड़ाव स्थल बड़नगर रोड पर एक, संत निवास, बैठक हाल, भोजनशाला का निर्माण कार्य पूर्ण करवाया गया है। सडक निर्माण, पेयजल व्यवस्था, बाउण्ड्रीवाल निर्माण का कार्य प्रगति पर है। अखाड़े के मुखिया महंत श्री भगतराम जी ने बताया कि चरणपादुका, पूजा स्थान निर्माण का कार्य शेष है। शौचालय निर्माण का कार्य बाकी है। श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन में पंच परमेश्वर की पूजा होती है। आचार्य एवं गुरु परंपरा है। आचार्य श्री चंद्र महाराज जी व गुरु श्री अविनाशी मुनिजी है। भगवान विष्णु, शंकजजी, सूर्य नारायण, गणेश जी की आरती पूजा होती है। सनातन धर्म का प्रचार करते हैं।
श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन का इतिहास अति प्राचीन है। भगवान श्री ब्रम्हाजी के चार मानस पुत्रों में से एक ने वर मांग कर बाल रूप में रहने की इच्छा जताई। तपस्या की और समुदाय चलाया। तभी से अखाड़े की स्थापना हुई। अखाड़े में पंच परमेश्वर-पंच पूजा की परंपरा है। भगवान विष्णु श्री शंकरजी, सूर्य नारायणजी, श्री गणेशजी की आरती पूजा होती है। नया उदासीन अखाड़े से जुड़े श्री महंत साधु संतगण देश में निरंतर भ्रमण कर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करते हैं। संत निवास एवं भोजनशाला का निर्माण पूर्ण उपासना पद्धति इतिहास एवं परंपरा
नगर निगम कार्यों से सम्बद्ध एजेन्सी को 20 प्रतिशत रिजर्व व्यवस्था रखना होगी
27 February 2016
आगामी सिंहस्थ में नगर निगम के लिये कार्य करने वाली विभिन्न एजेन्सियों को मानव श्रम, उपकरण, सामग्री आदि के लिये 20 प्रतिशत रिजर्व व्यवस्था भी रखना होगी। आकस्मिक स्थिति में रिजर्व व्यवस्था से काम लिया जायेगा। नगर निगम की सफाई व्यवस्था में दो प्रायवेट एजेन्सी शौचालय व्यवस्था में तीन प्रायवेट एजेन्सी तथा पथ प्रकाश व्यवस्था में एक प्रायवेट एजेन्सी सिंहस्थ मेला क्षेत्र में काम करने वाली है। सिंहस्थ-2016 के दौरान कोई भी एजेन्सी किसी कार्य करने में असफल होती है तो उसी समय उस कार्य को दूसरी एजेन्सी अपने संसाधनों से करेगी। सिंहस्थ में नगर निगम द्वारा प्लान ‘ए’, ‘बी’ तथा ‘सी’ तैयार किये गये हैं। किसी फेल्युअर स्थिति में मुख्य प्लान ‘ए’ के स्थान पर ‘बी’ प्लान तथा ‘बी’ प्लान असफल होने पर ‘सी’ प्लान कार्य करेगा। नगर निगम के प्लान ‘सी’ के तहत लगभग 2500 स्थायी और अस्थायी कर्मचारी तथा अधिकारी एवं संभागीय स्तर से स्थानीय निगम में कार्यरत लगभग एक हजार कर्मचारी व्यवस्था को संभालेंगे। इसके लिये प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
नगर निगम कंट्रोल रूम चौबीस घंटे कार्य करेगा
27 February 2016
सिंहस्थ के दौरान मेला क्षेत्र में कंट्रोल रूम चौबीस घंटे कार्य करेगा। कंट्रोल रूम पर टोलफ्री दूरभाष नम्बर रहेगा। इस पर विभिन्न सूचनाएं एवं शिकायतें प्राप्त की जायेंगी। कंट्रोल रूम मोबाइल एप व इंटरनेट ऑनलाइन से भी सूचनाएं प्राप्त करेगा। एसएमएस द्वारा शिकायत भी दर्ज की जायेंगी।
नगर निगम के टोलफ्री नम्बर एवं अन्य माध्यमों से सूचना प्राप्त होने पर सम्बन्धित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी को सूचना दी जायेगी। उसको एक निर्धारित समयावधि में शिकायत का निवारण करना होगा और इसकी सूचना कंट्रोल रूम को देना होगी। कंट्रोल रूम में कम्प्यूटर सिस्टम पर सूचना दर्ज करने का साफ्टवेयर रहेगा।
मेला क्षेत्र में सफलतापूर्वक स्ट्रीट लाइट ट्रायल हुआ
27 February 2016
म.प्र.प.क्षे.विद्युत वितरण कंपनी द्वारा 25 फरवरी की रात्रि सिंहस्थ मेला क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट ट्रायल सफलतापूर्वक किया गया। मेला क्षेत्र में नगर निगम द्वारा स्ट्रीट लाइटें लगाई जा रही है। अब तक करीब छह हजार स्ट्रीट लाइट लगा दी गई है। गत रात्रि विद्युत कंपनी द्वारा स्ट्रीट लाइट ट्रायल द्वारा देखा गया कि पूरी व्यवस्था ओके टेस्टेड है। जैसे-जैसे शेष स्ट्रीट लाइट्स लगाते जायेंगे, उनका ट्रायल किया जायेगा। अधीक्षण यंत्री आशीष आचार्य ने बताया कि सिंहस्थ के दौरान प्रतिदिन लगभग सौ मेगावॉट विद्युत आपूर्ति की आवश्यकता होगी। पूरी तैयारी कंपनी द्वारा कर ली गई है। मेला क्षेत्र में कंपनी द्वारा 490 ट्रांसफार्मर की व्यवस्था की गई है। पूरे क्षेत्र में विद्युत लाइन बिछा दी गई है। करीब 240 किलो मीटर लम्बाई में निम्नदाब लाइन और 68 किलो मीटर लम्बाई में 11 किलोवॉट लाइन बिछाई गई है। इस व्यवस्था के लिये साढ़े नौ हजार इलेक्ट्रिक पोल स्थापित किये सिंहस्थ के लिये विद्युत वितरण कंपनी द्वारा भी प्लान ‘ए’, ‘बी’ व ‘सी’ तैयार किये गये हैं। मुख्य ‘ए’ प्लान में किसी व्यवधान के आने पर ‘बी’ प्लान के तहत एक फीडर से दूसरे फीडर द्वारा लोड शेयर किया जायेगा। कंपनी द्वारा पूरे मेला क्षेत्र में 50 फीडर बनाये गये हैं। प्लान ‘सी’ में 50 बड़े जनरेटरों की व्यवस्था रहेगी, जो सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर रखे जायेंगे।
सिंहस्थ में पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे होमगार्ड के जवान सिंहस्थ के लिए 6071 जवान एवं 2000 वॉलेंटियर्स की तैनाती होगी
27 February 2016
सिंहस्थ 2016 में आमजन की सुरक्षा एवं आपदा नियंत्रण में होमगार्ड के जवान महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। प्रदेश भर के होमगार्ड के जवान सिंहस्थ के दौरान पुलिस के साथ कंधे से कंधा उक्त जानकारी देते हुए जिला कमान्डेंट होमगार्ड श्री सुमत जैन ने बताया कि सिंहस्थ 2016 के लिए प्रदेश के 6071 होमगार्ड के जवानों को प्रशिक्षण दिया गया है, इन जवानों को सिंहस्थ के दौरान तैनात किया जायेगा। इसके साथ ही विभिन्न आपदाओं से निपटने के लिए उज्जैन जिले के विभिन्न समूहों को एवं एक हजार प्रायवेट तैराकों को तथा एक हजार सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स को भी जोड़ा गया है। इन प्रायवेट तैराकों एवं सिंविल डिफेंस वॉलेंटियर्स को मानदेय भी दिया जायेगा। इस प्रकार सिंहस्थ के दौरान कुल 8071 जवानों श्री जैन ने बताया कि इन जवानों में से 3400 जवानों को पुलिस के साथ जनरल ड्यूटी पर तैनात किया जायेगा, 50 जवान क्यूआरटी (क्विक रिस्पॉन्स टीम), 427 जवान फायरब्रिगेड के साथ, 50 जवानों को वायरलेस तथा 1100 जवान तैनात के रूप में कार्य करेंगे। शेष जवानों का रिजर्व के रूप में रखा जायेगा, जिनका किन्ही जवानों के बीमार आदि पड़ने पर बदली के रूप में, पंचक्रोशी यात्रा, शाही स्नान के दौरान उपयोग किया जायेगा।
श्री जैन ने बताया कि होमगार्ड द्वारा सिंहस्थ के लिए सिविल वर्कस भी कराये गये हैं। उन्होंने बताया कि 1 करोड़ 58 लाख रूपये की लागत से जी प्लस वन बैरक, एक महिला बैरक और एक स्टोर रूम निर्मित कराया जा रहा है। इसी तरह 3 करोड़ 36 लाख रूपये लागत से जी प्लस टू बैरक, एक महिला बैरक, चार पुरानी बैरकों का जीर्णोद्धार, 40 शौचालय एवं 20 स्नानागार बनाये जा रहे हैं।
उज्जैन का सिंहस्थ महकेगा पंचगव्य और 21 जड़ी-बूटियों से निर्मित अगरबत्ती से विश्व की सबसे बड़ी अगरबत्ती पहुंची उज्जैन
27 February 2016
सिंहस्थ-2016 का मेला क्षेत्र पंचगव्य और 21 जड़ी-बूटियों से निर्मित विशाल अगरबत्ती की खुशबू से महकेगा। बड़ोदरा (गुजरात) के गौरक्षा प्रमुख श्री बियाभाई भरवाड़ा ने 121 फीट ऊंची और साढ़े तीन फीट मोटाई की इस अगरबत्ती का निर्माण करवाया है। गौमूत्र, गोबर, दही, गाय का घी, चन्दन, कपूर के अलावा 21 आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से निर्मित यह अगरबत्ती श्री पंचदशनाम अखाड़ा के हठयोगी महन्त श्री भोलागिरीजी महाराज की प्रेरणा से गौरक्षा के संकल्प के साथ निर्मित की गई है। बड़ोदरा में छह-सात माह की अथक मेहनत से शुद्ध आयुर्वेद पद्धति से निर्मित यह अगरबत्ती पूर्ण रूप से शुद्ध है। इसमें किसी भी प्रकार के कैमिकल का कोई उपयोग नहीं किया गया है। लगभग चार टन वजनी इस अगरबत्ती से उज्जैन सिंहस्थ का मेला क्षेत्र महकेगा और श्रद्धालुओं के बीच अपनी अच्छी खुशबू बिखेरेगा। यह अगरबत्ती बड़ोदरा से सड़क मार्ग द्वारा उदयपुर, चित्तौड़, नीमच, मंदसौर, जावरा होते हुए 24 फरवरी को उज्जैन पहुंची। गौरक्षा अभियान के तहत यह अगरबत्ती श्री पंचदशनाम आव्हान अखाड़ा सदावल मार्ग बड़नगर रोड के पास रखी गई है।
राजस्थान की प्रसिद्ध खान के लाल पत्थर से बन रहा है उज्जैन का प्रवेश द्वार
27 February 2016
सिंहस्थ से पूर्व धर्म नगरी उज्जैन को संवारने की दिशा में देवास रोड पर उज्जैन प्रवेश द्वार का महत्वपूर्ण स्थान है। देवास रोड पर उज्जैन प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य इन दिनों तीव्र गति से हो रहा है। प्रवेश द्वार निर्माण कार्य कर रहे कारीगर महेश जाटव ने बताया कि यह लाल पत्थर राजस्थान के प्रसिद्ध बंसीपारपुर खान से लाया गया है। इस प्रवेश द्वार के निर्माण की लागत 1 करोड़ 65 रूपये से अधिक है। प्रवेश द्वार की ऊचांई 30 फीट है। प्रवेश द्वार के निर्माण कार्य में प्रतिदिन 75 कारीगर दिन-रात कार्य करने में लगे हुए हैं। यह कार्य 15 मार्च तक पूर्ण किया जायेगा। प्रवेश द्वार का निर्माण कर रहे कारीगर महेश ने इससे पूर्व कलकत्ता, दिल्ली व नागपूर में स्वामी नारायण के मंदिरों के निर्माण के अलावा शिकागों में भी स्वामी नारायण के भव्य मंदिर का निर्माण किया है।
पूर्ण होने लगा है मंगलनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार
27 February 2016
सिंहस्थ के मद्देनजर धर्म नगरी उज्जैन के चप्पे-चप्पे पर सौंदर्यीकरण के कार्य निर्माणाधीन है। इसी श्रेणी में प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य हो रहा है। मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य लोक निर्माण विभाग द्वारा 148.60 लाख रूपये की लागत से कराया जा रहा है। इस कार्य में डोलपुरी लाल पत्थरों से किया जा रहा है। मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य अब अंतिम चरणों में है।
सिंहस्थ के दौरान 44 स्थानों पर फायर स्टेशन बनाये जायेंगे आठ मिस्ट वॉटर मोटर साइकिलों का भी होगा उपयोग
27 February 2016
सिंहस्थ के मद्देनजर प्रशासन द्वारा हर प्रकार की तैयारी की जा रही है। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने भरपूर इंतजाम किये हुए हैं। सिंहस्थ कुंभ महापर्व के दौरान पूरे मेला क्षेत्र में 44 फायर स्टेशन स्थापित किये जायेंगे। इनमें से 16 स्थानों पर अस्थाई फायर स्टेशन बनाये जायेंगे, जो आपात स्थिति में चलायमान होंगे। मेला क्षेत्र में हर समय 68 फायर बिग्रेड आपात स्थिति से निपटने के लिए तैनात रहेगी। प्रत्येक फायर बिग्रेड में 18 हजार गैलन जल की क्षमता है। आवश्यकता पड़ने पर तीन मंजिल की ऊचांई तक फायर बिग्रेड कार्य करने में सक्षम होगी। 44 फायर स्टोशनों में से 20 स्थानों पर फायर पाइंट सहित एक वाहन भी होगा, जिसमें 15-20 जवानों के साथ तैनात होगा। आठ मिस्ट वॉटर मोटर साइकिलों का भी इस्तेमाल किया जायेगा। ऐसे स्थान पर जहा चार पहिया वाहन नहीं पहुंच सकते ऐसे स्थानों पर यह मोटर साइकिलें आग पर काबू पाने के लिए कार्य करेगी।
फायर स्टेशन के प्रभारी अधिकारी व एसडीओपी श्री भूपेन्द्रसिंह राठौर ने जानकारी देते हुए बताया कि आगजनी की समस्या से निपटने के लिए जल की प्रर्याप्त व्यवस्था के लिए पीएचई विभाग से समन्वय किया गया है। पीएचई विभाग द्वारा हर समय पर्याप्त जल व्यवस्था फायर बिग्रेड के लिए संधारित रखेगा। इसके अलावा नगर निगम उज्जैन को 68 वॉटर टेंकर की आवश्यकता के विषय में अवगत करा दिया गया है। 15 मार्च तक नगर निगम आवश्यकतानुसार वॉटर टेंकर उपलब्ध करायेगा। आपात स्थिति से निपटने
तेरे बिन लादेन, डेड ऑर अलाइव’ (रिव्यू) : हल्के-फुल्के अंदाज में गुदगुदाती है फिल्म
27 February 2016
मुंबई। निर्देशक अभिषेक शर्मा की फिल्म 'तेरे बिन लादेन : डेड ऑर अलाइव’ शुक्रवार को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। यह फिल्म 2010 में आई ‘तेरे बिन लादेन’ का सीक्वल है। यह फिल्म ‘तेरे बिन लादेन’ की तरह हल्के-फुल्के अंदाज में गुदगुदाती है। यह फिल्म अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए चलाए गए अमेरिकी अभियान पर आधारित है। इस फिल्म में मनीष पॉल, प्रद्युमन सिंह, सिकंदर खेर, सुगंधा गर्ग, राहुल सिंह, पीयूष मिश्रा, अली जाफर ने भूमिका निभाई है।
यह फिल्म 2010 में आई ‘तेरे बिन लादेन’ फिल्म का सीक्वल है। यह अमेरिका द्वारा अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए चलाए गए अभियान पर बनाई गई एक हास्य फिल्म है लेकिन यह हास्यापद लगती है क्योंकि फिल्म में हास्य ठूंसा गया लगता है, वह स्वाभाविक रूप से उभर कर सामने नहीं आता।
वर्ष 2010 में आई फिल्म की कहानी में नयापन था और उसमें हास्य स्वाभाविक रूप से निखर कर आता था लेकिन फिल्म में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके सहायक बने डेविड के किरदार बहुत ही हास्यापद स्थिति में इस फिल्म को ले जाते हैं।
फिल्म की कहानी शुरू होती है पुरानी दिल्ली के एक लड़के शर्मा (मनीष पॉल) से जिसका सपना बॉलीवुड में बड़ा नाम कमाना है। मुंबई में वह ओसामा जैसे दिखने वाले एक शख्स पद्दी सिंह (प्रद्युमन सिंह) के साथ मिलकर एक योजना बनाता है लेकिन ओसामा की मौत उसकी इस योजना को पलीता लगा देती है।
इन दोनों की जिंदगी में बदलाव तब आता है जब इनके जीवन में अमेरिकी एजेंट डेविड और एक आतंकी संगठन के सदस्य खलीली (पीयूष मिश्रा) का प्रवेश होता है। इनमें से एक ओसामा को जिंदा चाहता है जबकि दूसरा मुर्दा।
फिल्म में कई ऐसे दृश्य आते हैं जहां पर लगता है कि अभिनेता बड़ा आनंद ले रहे हैं लेकिन पटकथा का झोल उसे पर्दे पर फीका बना देता है। इसलिए कुल मिलाकर ‘तेरे बिन लादेन : डेड ऑर अलाइव’ एक औसत दर्जे की फिल्म रह जाती है और उतना प्रभाव भी नहीं छोड़ पाती जितना कि ‘तेरे बिन लादेन’ ने छोड़ा था।
कुंभ का कारोबार
12 January 2016
हरिद्वार में इन दिनों अर्द्वकुंभ मेला चल रहा है। अप्रैल माह में उज्जैन में सिंहस्थ शुरू होने वाला है। कुंभ मेले आस्था के साथ ही आजकल कारोबार का जरिया बन गए है। पिछले साल नासिक कुंभ में करीब 15000 करोड़ का कारोबार हुआ था।
कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कंुभ पर्व स्थल- हरिद्वार, प्रयाग(इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष में इस पर्व का आयोजन होता है। इसके अलावा हरिद्वार और इलाहाबाद में हर 12 साल में अर्धकुंभ मेला भी लगता है।
पौराणिक महत्व
कुंभ का अर्थ है कलश। माना जाता है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश से देवता और राक्षसों के युद्ध के दौरान धरती पर अमृत की कुछ बूंदें छलक गई थीं। जहां-जहां अमृत की बूंद गिरी, वहां हर 12 वर्षों में एक बार कुंभ का आयोजन किया जाता है। माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इसकी शुरुआत की थी। कुछ दस्तावेज बताते हैं कि कुंभ मेले की परंपरा 525 ई.पू. में शुरू हुई थी।
कब होता है शाही स्नान
मुख्य शाही स्नान तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि मेें होेते हैं अर्थात उस मास की अमावस्या में। शाही स्नान संपूर्ण कुंभ पर्व में तीन या चार हो सकते हैं। शाही स्नान से तात्पर्य यह है कि इस दिन जीवनदायिनी शक्तियाें, रश्मियों व तत्वों का प्रसारण आकाश मार्ग से वहां की भूमि पर अत्यधिक होता है।
कारोबार का गणित
आजकल इस तरह के मेलों के लिए कंपनियां पहले से तैयारियां कर लेती है। इनकी ऑनलाइन बुकिंग पहले सेे शुरू हो जाती है। मेलों के पवित्र जल की ऑनलाइन बिक्री, लक्जरी कॉटेज की बुकिंग और हेलीकॉप्टर से उड़ान भरने की सुविधा आदि उपलब्ध कराई जाती है। इन सबसे कंपिनयों को हजारों का राजस्व मिलता है।
बदल गया है मेले का स्वरूप
12 साल पहले नासिक में लगा कुंभ पूरी तरह धार्मिक आयोजन था। इस साल नासिक का कुंभ मेला धार्मिक आयोजन के साथ ही कारोबारियों के लिए भी एक सौगात बन गया है। पर्यटन के जरिए अरबों रुपए से अधिक का कारोबार हुआ। नासिक में इस बार मेले के दौरान शराब की ब्रिकी भी कई गुना बढ़ गई।
इलाहाबाद कुंभ और रोजगार
एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 2013 के इलाहाबाद कुंभ से उप्र सरकार को 12 से 15 हजार करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित हुआ। 6 लाख रोजगार के अवसर पैदा हुए। इसमें एयरलाइंस सेक्टर में डेढ़ लाख, होटल इंडस्ट्री में ढाई लाख, टूर ऑपरेटर्स में 45 हजार, ईको टूरिज्म में 50 हजार व निर्माण कार्यों में 85 हजार रोजगार शामिल हैं।
व्यापारियों और पंडितों की चांदी
इस तरह के आयोजनों में स्थानीय और आसपास के व्यापारियों के भी मजे हो जाते हैं। जिस शहर में मेले का आयोजन होता है, वहां पर लगभग हर घर दुकान और होटल बन जाता है। पूरे शहर में हजारों दुकानें लग जाती है। इन शहरों में कर्मकांडी पंडितों की कोई कमी नहीं रहती है। इन आयोजन से पहले पंड़ितों की बुकिंग हो जाती है।
राशि से तय होता है स्थान
हरिद्वार कुंभ
जब गुरु, कुंभ राशि में होता है और सूर्य मेष राशि में तब हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर कुंभ लगता है।
कब लगा- वर्ष 2010
प्रयाग महाकुंभ
जब गुरु वृषभ राशि में और चंद्र-सूर्य मकर राशि में रहते हैं, तब इलाहाबाद में कुंभ का आयोजन होता है।
कब लगा- वर्ष 2013
उज्जैन सिंहस्थ
गुरु जब सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में होता है तब उज्जैन में सिंहस्थ मेले का आयोजन किया जाता है।
कब लगा- वर्ष 2004, 2016
नासिक कुंभ
सूर्य और गुरु दोनों सिंह राशि में होते हैं, तब कुंभ मेला नासिक में गोदावरी नदी के तट पर होता है।
कब लगा- वर्ष 2003, 2015
नोट: इसके अलावा 2004 और 2016 में हरिद्वार अर्धकुंभ और 2007 में इलाहाबाद अर्धकुंभ का आयोजन हुआ था।
बढ़ जाता है क्षेत्र
इलाहाबाद में 2001 में मेला क्षेत्र 1500 हैक्टेयर था। जो 2013 में बढ़कर 2000 हैक्टेयर हो गया। सेक्टरों को भी 11 से बढ़ाकर 14 किया गया। इसके अलावा पार्किंग एरिया भी 35 से बढ़ाकर 99 कर दिए गए थे ताकि वाहनों को पार्क करने के लिए जगह पर्याप्त रहे। नासिक और हरिद्वार में भी हर बार क्षेत्र बढ़ जाता है।
शिक्षा विभाग के 1500 कर्मचारी सिंहस्थ में देंगे सेवा
12 January 2016
भोपाल। उज्जैन में इस वर्ष होने वाले सिंहस्थ में शिक्षा विभाग के 1500 कर्मचारी अपनी सेवाएँ देंगे। इन कर्मचारियों को पहले चरण का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रशिक्षित कर्मचारी सिंहस्थ मेले में विभिन्न स्तर पर अपनी सेवाएँ देंगे। सिंहस्थ के दौरान शिक्षा विभाग के कर्मचारी प्रमुख रूप से उदघोषणा का कार्य करेंगे। जोन और सेक्टर्स में स्थापित कार्यालयों में भी इन कर्मचारियों की सेवाएँ ली जायेंगी। शिक्षा विभाग के कर्मचारी खोया-पाया केन्द्रों और कॉल-सेंटर्स में भी अपनी सेवाएँ देंगे।
सिंहस्थ में दुर्घटना बीमा अवधि 6 जून तक रहेगी
सिंहस्थ क्षेत्र में आने वाला हर व्यक्ति स्वत: बीमित हो जायेगा। इसके लिये उज्जैन सिंहस्थ मेला कार्यालय द्वारा न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी से एमओयू किया गया है। उज्जैन शहर में मौजूद श्रद्धालु तथा शहर के स्थायी निवासी दुर्घटना बीमा के कव्हरेज में शामिल रहेंगे। दुर्घटना बीमा अवधि 8 अप्रैल, 2016 से 6 जून, 2016 तक निश्चित की गयी है।
बीमा कम्पनी को प्रीमियम राशि के रूप में एक करोड़ 76 लाख रुपये चुकाये जायेंगे। इस प्रीमियम राशि से प्रत्येक व्यक्ति का 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा होगा। सिंहस्थ मेला क्षेत्र के अलावा सिंहस्थ के लिये स्थापित किये जाने वाले सेटेलाइट टाउन्स, पार्किंग-स्थल में मौजूद व्यक्ति दुर्घटना बीमा के दायरे में रहेंगे। इसके साथ ही पंचक्रोशी यात्रा मार्ग, नगर निगम क्षेत्र, पड़ाव क्षेत्र, फ्लेग स्टेशन्स, मेला क्षेत्र में आने वाले एप्रोच रोड भी बीमा के कवर क्षेत्र में रहेंगे।
सिंहस्थ में अंकों के हिसाब से होगा सेवाओं का आकलन
उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ में व्यवस्थाओं की गुणवत्ता परखने के लिये कंज्यूमर स्कोर-बोर्ड बनाये गये हैं, जिनमें उपभोक्ता जीरो से 10 अंक तक देंगे। उसी हिसाब से सेवाओं का आकलन होगा।
मेला क्षेत्र में सिंहस्थ डेबिट-कार्ड काम करेंगे, जिनके माध्यम से डीजल, पेट्रोल, भोजन तथा अन्य उपयोग की वस्तुएँ कार्ड स्वीप कर प्राप्त की जा सकेंगी। मंदिरों में दान भी इसके माध्यम से किया जा सकेगा।
उज्जैन नगर निगम द्वारा सभी व्यवस्था के नियंत्रण के लिये कमाण्ड एवं कंट्रोल सिस्टम के अंतर्गत एक कंट्रोल-रूम बनाया जा रहा है। सी.सी. टी.व्ही. केमरों में इमेज फ्रीजिंग टेक्नालॉजी का प्रयोग किया जा रहा है। इसके माध्यम से किसी व्यक्ति द्वारा असहज हरकत करने पर उसकी इमेज फ्रीज हो जायेगी। सी.सी. टी.व्ही. केमरे में वाहनों की नम्बर प्लेट तथा उनका आकार आदि स्केन हो जायेगा, जिससे उनकी तथा उसमें बैठी सवारियों की संख्या का आकलन भी हो सकेगा। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में ड्यूटी में लगाये जाने वाले अमले की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिये जिओमेट्रिक्स टेक्नालॉजी का उपयोग किया जायेगा।
सिंहस्थ में मध्यप्रदेश वैश्य कल्याण ट्रस्ट लगायेगा 1000 आधुनिक प्याऊ
12 January 2016
भोपाल। मध्यप्रदेश वैश्य कल्याण ट्रस्ट अपनी सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ में 1000 आधुनिक प्याऊ लगायेगा। इन प्याऊ से श्रद्धालुओं को स्वच्छ और ठण्डा जल मिलेगा। प्याऊ का प्रारंभिक मॉडल सिंहस्थ मेला कार्यालय में लगाया जा चुका है।
वैश्य कल्याण संगठन उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रांगण में 2000 लीटर प्रति घंटे ठण्डा पानी करने की क्षमता वाला आधुनिक आर.ओ. एवं चिलिंग प्लांट भी लगायेगा। इसके लगने से महाकाल मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को स्वच्छ जल मिल सकेगा। संगठन ने ग्रीन सिंहस्थ की अवधारणा को देखते हुए एक लाख थाली, कटोरी, गिलास एवं पानी के लोटों का वितरण किये जाने का भी निर्णय लिया है। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में शुद्ध पेयजल के लिये अल्ट्रा फिल्टर मेम्ब्रेन टेक्नालॉजी का उपयोग किया जायेगा। इससे श्रद्धालुओं को मिलने वाला पेयजल जीवाणु-रहित होगा। मेला क्षेत्र में प्याऊ की व्यवस्था के लिये स्थान चिन्हित कर लिये गये हैं। हर 200 मीटर की दूरी पर एक प्याऊ की व्यवस्था रहेगी।।
केरल समाज की सेवा-भावना अनुकरणीय
11 January 2016
ऊर्जा, खनिज साधन एवं जनसंपर्क मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि केरल समाज की सेवा भावना अनुकरणीय है। पूरे देश में केरल की महिलाएँ नर्सिंग सहित विभिन्न चिकित्सा कार्य में संलग्न रहकर समर्पण भाव से पीड़ित मानवता की सेवा करती हैं। श्री शुक्ल आज रीवा में केरल समाज के गोल्डन जुबली समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि केरल देश का अदभुत राज्य है, जहाँ नैसर्गिक सम्पदा भरी हुई है। शिक्षा के क्षेत्र में भी यह अग्रणी राज्य है। उन्होंने अपने राज्य के प्रति श्रद्धा, सम्मान और गौरव रखने के लिये रीवा के केरल समाज की सराहना की। उन्होंने समाज के लोगों का आव्हान किया कि वे रीवा नगर के विकास में अपनी रचनात्मक भूमिका निभाये। श्री शुक्ल ने विशिष्ट उपलब्धियाँ प्राप्त करने वाले समाज के लोगों को सम्मानित भी किया।ा।
सिंहस्थ में वनोपज बिक्री के लिए फुटकर विक्रेता केन्द्र खुलेंगे
Our Correspondent :09 January 2016
भोपाल। सिंहस्थ 2016 के दौरान जलाऊ लकड़ी, बाँस और बल्ली की बिक्री के लिए वन विभाग उज्जैन में फुटकर विक्रेता केन्द्र बनाएगा। ये केन्द्र 4 जोन के 12 सेक्टर में होंगे। प्रस्तावित 4 जोन दत्त अखाड़ा, मंगलनाथ, कालभैरव और महाकाल जोन में स्थापित होंगे। सिंहस्थ में वनोपज विक्रय के लिए वेण्डर नियुक्ति की कार्यवाही की जा रही है। विक्रय केन्द्र सभी 12 सेक्टर में 25 X 25 मीटर की जगह पर बनेंगे।
दत्त अखाड़ा जोन में 5 सेक्टर दत्त अखाड़ा, भूखी माता, मुल्लापुरा, उजरखेड़ा (1), उजरखेड़ा (2) होंगे। मंगलनाथ में मंगलनाथ, खाक चौक और खिलचीपुर (आगर रोड), कालभैरव में सिद्धवट, कालभैरव, गढकालिका और महाकाल जोन में महाकाल सेक्टर शामिल है।
उज्जैन की भौगोलिक स्थिति अनूठी
Our Correspondent :09 January 2016
सूर्य के ठीक नीचे की स्थिति उज्जयिनी के अलावा सॅसार में किसी नगर की नहीं
भोपाल। प्राचीन भारत की समय-गणना का केन्द्र-बिन्दु होने के कारण ही काल के आराध्य महाकाल हैं, जो भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। हिन्दुस्तान की ह्रदय-स्थली उज्जयिनी की भौगोलिक स्थिति अनूठी है। खगोल-शास्त्रियों की मान्यता है कि उज्जैन नगर पृथ्वी और आकाश के मध्य में स्थित है। भूतभावन महाकाल को कालजयी मानकर ही उन्हें काल का देवता माना जाता है। काल-गणना के लिये मध्यवर्ती स्थान होने के कारण इस नगरी का प्राकृतिक, वैज्ञानिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बढ़ जाता है। इन सब कारणों से ही यह नगरी सदैव काल-गणना और काल-गणना शास्त्र के लिये उपयोगी रही है। इसलिये इसे भारत का ग्रीनविच माना जाता है।
यह प्राचीन ग्रीनविच उज्जैन देश के मानचित्र में 23.9 अंश उत्तर अक्षांश एवं 74.75 अंश पूर्व रेखांश पर समुद्र सतह से लगभग 1658 फीट ऊँचाई पर बसी है। इसलिये इसे काल-गणना का केन्द्र-बिन्दु कहा जाता है। यही कारण है कि प्राचीन-काल से यह नगरी ज्योतिष-शास्त्र का प्रमुख केन्द्र रही है। इसके प्रमाण में राजा जय सिंह द्वारा स्थापित वेधशाला आज भी इस नगरी को काल-गणना के क्षेत्र में अग्रणी सिद्ध करती है। भौगोलिक गणना के अनुसार प्राचीन आचार्यों ने उज्जैन को शून्य रेखांश पर माना है। कर्क रेखा भी यहीं से जाती है। इस प्रकार कर्क रेखा और भूमध्य रेखा एक-दूसरे को उज्जैन में काटती है। यह भी माना जाता है कि संभवत: धार्मिक दृष्टि से श्री महाकालेश्वर का स्थान ही भूमध्य रेखा और कर्क रेखा के मिलन स्थल पर हो, वहीं नाभि-स्थल होने से पृथ्वी के मध्य में स्थित है। इन्हीं विशिष्ट भौगोलिक स्थितियों के कारण काल-गणना, पंचांग का निर्माण और साधना की सिद्धि के लिये उज्जैन नगर को महत्वपूर्ण माना गया है। प्राचीन भारतीय मान्यता के अनुसार जब उत्तर ध्रुव की स्थिति पर 21 मार्च से प्राय: 6 मास का दिन होने लगता है, तब 6 मास के 3 माह व्यतीत होने पर सूर्य दक्षिण क्षितिज से बहुत दूर हो जाता है। इस समय सूर्य ठीक उज्जैन के मस्तक पर रहता है। उज्जैन का अक्षांश एवं सूर्य की परम क्रांति दोनों ही 24 अक्षांश पर मानी गयी है। इसलिये सूर्य के ठीक नीचे की स्थिति उज्जयिनी के अलावा विश्व के किसी नगर की नहीं है।
वराह पुराण में उज्जैन नगरी को शरीर का नाभि देश (मणिपूर चक्र) और महाकालेश्वर को इसका अधिष्ठाता कहा गया है। महाकाल की यह कालजयी नगरी विश्व की नाभि-स्थली है। जिस प्रकार माँ की कोख में नाभि से जुड़ा बच्चा जीवन के तत्वों का पोषण करता है, इसी प्रकार काल, ज्योतिष, धर्म और आध्यात्म के मूल्यों का पोषण भी इसी नाभि-स्थली से होता रहा है। उज्जयिनी भारत के प्राचीनतम शिक्षा का केन्द्र रहा है। भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा, उनका संवर्धन एवं उसको अक्षुण्ण बनाये रखने का कार्य यहीं पर हुआ है। सत-युग, त्रेता-युग, द्वापर-युग और कल-युग में इस नगरी का महत्व प्राचीन शास्त्रों में बतलाया गया है।
उज्जयिनी से काल की सही गणना और ज्ञान प्राप्त किया जाता रहा है। इस नगरी में महाकाल की स्थापना का रहस्य यही है तथा काल-गणना का यही मध्य-बिन्दु है। मंगल गृह की उत्पत्ति का स्थान भी उज्जयिनी को माना गया है। यहाँ पर ऐतिहासिक नव-ग्रह मंदिर और वेधशाला की स्थापना से काल-गणना का मध्य-बिन्दु होने के प्रमाण मिलते हैं। इस संदर्भ में यदि उज्जयिनी में लगातार अनुसंधान, प्रयोग और सर्वेक्षण किये जायें, तो ब्रह्माण्ड के अनेक अनछुए पक्षों को भी जाना जा सकता है।
सिंहस्थ में 9 विभाग ने खर्च किये 796 करोड़ रुपये
Our Correspondent :08 January 2016
भोपाल। उज्जैन में इस वर्ष अप्रैल-मई में होने वाले सिंहस्थ के लिये विकास के कार्य तेजी से किये जा रहे हैं। राज्य सरकार के 9 विभाग ने वर्ष 2015 में दिसम्बर अंत तक 796 करोड़ 27 लाख की राशि खर्च की है। जिन विभागों ने यह राशि खर्च की है, उनमें लोक निर्माण विभाग, लोक निर्माण (विद्युत यांत्रिकी), लोक निर्माण सेतु, ऊर्जा विभाग, उज्जैन विकास प्राधिकरण, जल-संसाधन विभाग, उज्जैन नगर पालिक निगम, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी तथा पर्यटन विभाग शामिल हैं। सिंहस्थ-2016 के निर्माण कार्यों में लोक निर्माण विभाग (भवन तथा पथ) द्वारा 54 कार्य पूरे करवाये गये हैं। लोक निर्माण विभाग (विद्युत यांत्रिकी) के 7 निर्माण कार्य पूरे हुए हैं।
सिंहस्थ में उच्च क्षमता के जनरेटरों की व्यवस्था होगी
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में विद्युत वितरण कम्पनी बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर 50 स्थान पर उच्च क्षमता के जनरेटर की व्यवस्था करेगा। इन स्थानों का चयन कर लिया गया है। जनरेटर स्थापित होने वाले स्थानों पर सुरक्षा की व्यवस्था की जा रही है।
सीएसआर गतिविधियों के लिये आवेदन प्राप्त
सिंहस्थ के दौरान अप्रैल-मई, 2016 में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुँचेंगे। सफल सिंहस्थ के लिये कई सामाजिक संस्था आगे आयी हैं। यह संस्थाएँ सिंहस्थ मेला अवधि में सीएसआर (कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी) गतिविधियाँ संचालित करेंगी। सामाजिक गतिविधियों के लिये 40 से अधिक संस्था ने आवेदन दिये हैं। यह संस्थाएँ वृद्ध एवं नि:शक्त श्रद्धालुओं को नि:शुल्क आवागमन सुविधा उपलब्ध करवायेंगी। कुछ संस्थाएँ स्वच्छता अभियान से भी जुड़ेंगी। कुछ संस्थाओं ने चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधा देने की इच्छा जताई है। दैनिक भास्कर द्वारा 150 चेंजिंग-रूम, 2 लाख स्क्वायर फीट पर वॉल पेंटिंग, दुकानदारों के लिये 5 लाख थैले उपलब्ध करवाये जाने का प्रस्ताव मेला कार्यालय को दिया है। एक स्वयंसेवी संस्था ने शासकीय सेवकों एवं स्वयं-सेवकों के लिये 20 हजार शर्ट तथा टी-शर्ट उपलब्ध करवाने के लिये आवेदन दिया है। आइमा वॉटर साल्यूशन ने बिना लाभ के मेला क्षेत्र में न्यूनतम दर से जल-शोधन संयंत्र और बाटलिंग प्लांट लगाने के लिये आवेदन दिया है।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में 17 अस्थाई फायर स्टेशन बनेंगे
Our Correspondent :08 January 2016
भोपाल। उज्जैन में इस वर्ष होने वाले सिंहस्थ में आग से होने वाली दुर्घटना से बचाव के लिये सिंहस्थ मेला क्षेत्र के सभी 6 झोन और 22 सेक्टर में 17 अस्थाई फायर स्टेशन और 20 अस्थाई फायर पाइंट रहेंगे। फायर स्टेशनों के लिये हाईड्रेंट के स्थान का चयन किया जा रहा है। इन स्थानों पर फायर फाइटर लोड करने के लिये आवश्यक संसाधन भी होंगे।
स्मार्ट पार्किंग की होगी व्यवस्था
सिंहस्थ में आने वाले वाहनों के लिये स्मार्ट पार्किंग की व्यवस्था होगी। श्रद्धालुओं को मोबाइल एप द्वारा स्थान उपलब्धता की जानकारी मिलेगी। सिंहस्थ क्षेत्र में स्क्रीन पर पार्किंग की उपलब्धता, वाहन कहाँ तक पहुँच सकेगा और सिंहस्थ का मार्ग सिंगल लेन होगा या डबल लेन, इसकी भी जानकारी वाहन चालकों को मोबाइल और डिस्प्ले बोर्ड पर मिलेगी। सिंहस्थ में आने वाले वाहनों के लिये पार्किंग शुल्क भी तय कर लिये गये हैं। पार्किंग शुल्क समयावधि की श्रेणी के अनुसार तय किया गया है। इंटर सिटी पब्लिक बस के लिये प्रति ट्रिप 100 रुपये और पूरे दिन के लिये 300 रुपये पार्किंग शुल्क रहेगा। पार्किंग शुल्क सेटेलाइट-टाउन के अलावा उज्जैन शहर के चिन्हित पार्किंग स्थलों पर भी लागू होगा।
मेगा ईवेन्ट तथा मेगा व्यवस्थाएँ
इस बार सिंहस्थ में 20 लाख व्यक्ति के निवास के हिसाब से मेला क्षेत्र विकसित किया जा रहा है तथा अधिकतम प्रतिदिन एक करोड़ व्यक्तियों के मान से सारी व्यवस्थाएँ की जा रही हैं। कुल 5 करोड़ व्यक्ति के मान से सारी व्यवस्थाएँ की जा रही हैं। सिंहस्थ के लिये 3500 करोड़ के कार्य करवाये जा रहे हैं। कार्यों के लिये विशेष प्रोजेक्ट मेनेजमेंट सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। कार्यों में पूरी गुणवत्ता एवं पारदर्शिता रखी जा रही है।
सिंहस्थ में विद्यालय परिसरों को उपयोग में लाने के लिए 4 करोड़ से ज्यादा के मूलभूत कार्य
आगामी सिंहस्थ के दौरान शिक्षा विभाग के चयनित विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए 4 करोड़ 29 लाख रुपये के कार्य करवाये जा रहे है। सिंहस्थ के लिए 67 शासकीय विद्यालय तथा 24 अशासकीय विद्यालय परिसर का उपयोग किया जायेगा। इन विद्यालय परिसरों में पुलिस बल और स्वयं-सेवकों के रुकने की व्यवस्था की जाएगी।
सिंहस्थ के लिये 50 हजार क्विंटल लकड़ी, 85 हजार बाँस-बल्ली भण्डारित
Our Correspondent :08 January 2016
भोपाल। वन विभाग द्वारा सिंहस्थ-2016 के लिये अब तक 50 हजार क्विंटल जलाऊ लकड़ी, 35 हजार सागोन बल्ली और 50 हजार बाँस उपलब्ध करवाया जा चुका है। वन विभाग द्वारा सिंहस्थ में वनोपज आपूर्ति के लिये उज्जैन वन मण्डल के नागझिरी में केन्द्रीय डिपो और उजरखेड़ा, मंगलनाथ, दत्त अखाड़ा, भेरूगढ़ (पीर मछंदर नाथ) और मुख्य वन संरक्षक परिक्षेत्र उज्जैन में अस्थायी डिपो बनाया गया है।
वन विभाग ने सिंहस्थ-2016 के लिये 75 हजार क्विंटल जलाऊ लकड़ी, 50 हजार बल्ली और 75 हजार बाँस भण्डारण का लक्ष्य निर्धारित किया है। भण्डारित की जाने वाली वनोपज में नागझिरी डिपो में 6500 क्विंटल जलाऊ लकड़ी, 13 हजार बल्ली और 47 हजार बाँस, उजरखेड़ा और मंगलनाथ डिपो में 27-27 हजार 500 क्विंटल जलाऊ, 14-14 हजार बल्ली, साढ़े नौ-नौ हजार बाँस, दत्त अखाड़ा में 7500 क्विंटल जलाऊ, 5-5 हजार बल्ली और बाँस, भेरूगढ़ डिपो में 4000 क्विंटल जलाऊ, 2-2 हजार बल्ली और बाँस और मुख्य वन संरक्षक डिपो में 2000 क्विंटल जलाऊ लकड़ी और 2-2 हजार बाँस-बल्ली का भण्डारण किया गया हैं।
वन विभाग सिंहस्थ में साधु-संतों को जलाऊ लकड़ी, टेंट, बेरीकेटिंग आदि के लिये लकड़ी उपलब्ध करवाने अस्थायी डिपो बनाता है और माँग के अनुसार वनोपज की आपूर्ति करता है। जलाऊ लकड़ी का प्रबंध डिण्डोरी, खण्डवा और देवास जिले से किया गया है। बाँस की कुल आपूर्ति में से 25 हजार बाँस उज्जैन जिले से ही एकत्र किया गया है।
सिंहस्थ-2016 अंतर्राष्ट्रीय वैचारिक महाकुंभ
02 July 2015
सिंहस्थ के लिये अंतर्राष्ट्रीय वैचारिक महाकुंभ में आगामी 24 से 26 अक्टूबर तक इंदौर में मानव कल्याण के लिये धर्म विषय पर अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद होगा। परिसंवाद में देश-विदेश के लगभग 150 विशेषज्ञ विचारक शामिल होंगे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आज यहाँ ली गई बैठक में यह जानकारी दी गई। बैठक में पर्यटन राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा, सांसद श्री अनिल माधव दवे और मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि 'विज्ञान तथा आध्यात्म'' विषय पर केन्द्रित एक कार्यक्रम उज्जैन में फरवरी माह में किया जायेगा। वैचारिक महाकुंभ का अंतिम कार्यक्रम 12 से 14 मई, 2016 तक उज्जैन में होगा जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि रहेंगे। इसी तरह 'पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन'' पर केन्द्रित एक कार्यक्रम भोपाल में 21 और 22 नवम्बर को किया जायेगा। इसमें सार्क देशों के पर्यावरण विशेषज्ञ शामिल होंगे।
बैठक में बताया गया कि सिंहस्थ में वैचारिक महाकुंभ में मानव-कल्याण के लिये धर्म विषय पर अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद में विभिन्न धर्मों और विश्वास प्रणालियों के प्रतिनिधियों को बुलाया जायेगा। विश्व शांति, प्रकृति एवं पर्यावरण, मानवीय गरिमा, बहुवचनीयता और धर्मों में निहित नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्य, इस परिसंवाद के विषय रहेंगे। कार्यक्रम के आयोजन के लिये सलाहकार समिति का गठन किया गया है। कार्यक्रम इंदौर के नक्षत्र कन्वेंशन सेंटर में होगा।
बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त श्री अजय नाथ, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री एस.के. मिश्रा, आयुक्त पुरातत्व श्री अजातशत्रु श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के सचिव श्री हरिरंजन राव, साँची विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री राजेश गुप्ता उपस्थित थे।
जानकारी उज्जैन सिंहस्थ कुम्भ 2016 के बारे में
मध्य प्रदेश में इंदौर से 55 किमी दूर शिप्रा नदी के तट पर ‘उज्जैन’ (विजय की नगरी) स्थित है. यह भारत के पवित्रतम शहरों तथा मोक्ष प्राप्त करने के लिए पौराणिक मान्यता प्राप्त सात पवित्र या सप्त पुरियों (मोक्ष की नगरी) में से एक माना जाता है. मोक्ष दायिनी अन्य पुरियां (नगर) हैं : अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी (वाराणसी), कांचीपुरम, और द्वारका. पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने उज्जैन में ही दानव त्रिपुर का वध किया था. 22 अप्रैल से 21 मई 2016 के बीच उज्जैन के प्राचीन और ऐतिहासिक शहर में कुम्भ आयोजन शुरू होंगे.सिंहस्थ कुम्भ उज्जैन का महान स्नान पर्व है। यह पर्व बारह वर्षों के अंतराल से मनाया जाता है। जब बृहस्पति सिंह राशि में होता है, उस समय सिंहस्थ कुम्भ का पर्व मनाया जाता है।
पवित्र क्षिप्रा नदी में पुण्य स्नान का महात्यम चैत्र मास की पूर्णिमा से प्रारंभ हो जाता हैं और वैशाख मास की पूर्णिमा के अंतिम स्नान तक भिन्न-भिन्न तिथियों में सम्पन्न होता है। उज्जैन के प्रसिद्ध कुम्भ महापर्व के लिए पारम्परिक रूप से दस योग महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।
पूरे देश में चार स्थानों पर कुम्भ का आयोजन किया जाता है। प्रयाग, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन। उज्जैन में लगने वाले कुम्भ मेलों को सिंहस्थ के नाम से पुकारा जाता है। जब मेष राशि में सूर्य और सिंह राशि में गुरु आ जाता है तब उस समय उज्जैन में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे सिंहस्थ के नाम से देश भर में कहा जाता है।
सिंहस्थ महाकुम्भ के आयोजन की प्राचीन परम्परा है। इसके आयोजन के विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित है। समुद्र मंथन में प्राप्त अमृत की बूंदें छलकते समय जिन राशियों में सूर्य, चन्द्र, गुरु की स्थिति के विशिष्ट योग होते हैं, वहीं कुंभ पर्व का इन राशियों में गृहों के संयोग पर ही आयोजन किया जाता है। अमृत कलश की रक्षा में सूर्य, गुरु और चन्द्रमा के विशेष प्रयत्न रहे थे। इसी कारण इन ग्रहों का विशेष महत्त्व रहता है और इन्हीं गृहों की उन विशिष्ट स्थितियों में कुंभ का पर्व मनाने की परम्परा चली आ रही है।
प्रत्येक स्थान पर बारह वर्षों का क्रम एक समान हैं अमृत-कुंभ के लिए स्वर्ग की गणना से बारह दिन तक संघर्ष हुआ था जो धरती के लोगों के लिए बारह वर्ष होते हैं। प्रत्येक स्थान पर कुंभ पर्व कोफ्लिए भिन्न-भिन्न ग्रह सिषाति निश्चित है। उज्जैन के पर्व को लिए सिंह राशि पर बृहस्पति, मेष में सूर्य, तुला राशि का चंद्र आदि ग्रह-योग माने जाते हैं।
महान सांस्कृतिक परम्पराओं के साथ-साथ उज्जैन की गणना पवित्र सप्तपुरियों में की जाती है। महाकालेश्वर मंदिर और पावन क्षिप्रा ने युगों-युगों से असंख्य लोगों को उज्जैन यात्रा के लिए आकर्षित किया। सिंहस्थ महापर्व पर लाखों की संख्या में तीर्थ यात्री और भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों के साधु-संत पूरे भारत का एक संक्षिप्त रूप उज्जैन में स्थापित कर देते हैं, जिसे देख कर सहज ही यह जाना जा सकता है कि यह महान राष्ट्र किन अदृश्य प्रेरणाओं की शक्ति से एक सूत्र में बंधा हुआ है।
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उज्जैन धार्मिक अस्थाओ व परंपरा के सम्मलेन का एक अनूठा शहर जो कि न केवल भारत अपितु समस्त संसार कि धार्मिक अस्थाओ का केंद्र कहा जा सकता है यह वह पवित्र नगरी है जहा ८४ महादेव, सात सागर,९ नारायण ,२ शक्ति पीठो के साथ विश्व मै १२ जोतिलिंगो मै से एक राजाधिराज महाकालेश्वर विराजमान है….
यह वह पवन नगरी है जिसमें गीता जैसे महान ग्रन्थ के उद्बोधक श्री कृष्ण स्वयं शिक्षा लेने आए अपने पैरों कि धुल से पाषणों को भी जीवटी कर देने वाले प्रभु श्री राम स्वयम अपने पिता तर्पण करने शिप्रा तट पर आए यही वह स्थान है जो कि रामघाट कहलाता है इस प्रकार विश्व के एक मात्र राजा जिसने कि सम्पुर्ण भारत वर्ष के प्रत्यक नागरिक को कर्ज मुख्त कर दिया वह महान शासक विक्रमादित्य उज्जैन कि हि पवन भूमि पर जन्मे | पवन सलिला मुक्तिदायिनी माँ शिप्रा यही पर प्रवाहित होती है एवं विश्व का सबसे बड़ा महापर्व महाकुम्ब /सिंहस्थ मेला विश्व के ४ स्थान मै से एक उज्जैन नगर मै लगता है इस नगरी कि महात्मा वर्णन करना उतना हि कठिन है जितना कि आकाश मै तारा गानों कि गिनती करना जय श्री महाकाल !!!
सिंहस्थ कुंभ महापर्व धार्मिक व आध्यात्मिक चेतना का महापर्व है। धार्मिक जागृति द्वारा मानवता, त्याग, सेवा, उपकार, प्रेम, सदाचरण, अनुशासन, अहिंसा, सत्संग, भक्ति-भाव अध्ययन-चिंतन परम शक्ति में विश्वास और सन्मार्ग आदि आदर्श गुणों को स्थापित करने वाला पर्व है। हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन की पावन सरिताओं के तट पर कुंभ महापर्व में भारतवासियों की आत्मा, आस्था, विश्वास और संस्कृति का शंखनाद करती है। उज्जैन और नासिक का कुंभ मनाये जाने के कारण ‘सिंहस्थ’ कहलाते है। बारह वर्ष बाद फिर आने वाले कुंभ के माध्यम से उज्जैन के क्षिप्रा तट पर एक लघु भारत उभरता है।
“ कुम्भा भवति नान्यथा “
विशिष्ट युग में सूर्य ,चंद्र एवं गुरु की स्थिति के अनुसार हरिद्वार,प्रयाग ,नासिक और उज्जैन में ज्योतिष के मान से ग्रहों की स्थिति के अनुसार कुम्भ पर्व मनाये जाने का उल्लेख विष्णु पुराण में मिलता है|
उज्जैन में सिंहस्थ महापर्व के संभंध में सिंहस्थ माहात्म्य में इस प्रकार का प्रमाण में मिलता है|
कुशस्थली तीर्थवरम देवानामपिदुर्लभम |
माधवे धवले पक्षे सिंहे जीवेत्वजे रवौ||
तुला राशौ निशानाथे स्वतिभे पूर्णिमातीथो व्यतिपाते तु संप्राप्ते चंद्रवासरसमयुते|
एतेन दश महायोगा: स्नानामुक्ति : फलप्रदा ||
१) अवन्तिका नगरी २) वैशाख मास ३) शुक्ल पक्ष ४ सिंह राशि में गुरु ५ तुला राशि में चंद्र ७स्वाति नक्षत्र, ८ पूर्णिमा तिथि ९ व्यातिपात १० सोमवार आदि ये दस पुण्य प्रद योग होने परक्षिप्रा नदी में सिंहस्थ पर्व में स्नान करने पर मोक्ष प्राप्ति होती है|
ग्रहों की स्थिति ज्योतिष के मान से इनमे से अधिंकांश योग तो’ प्रति वर्ष प्राप्त हो जाते है, परन्तु सिंह पर बृहस्पति १२ वर्ष में ही आते….
संह्त्रम कार्तिके स्नानं माघे स्नानं शतानि च
वैशाखे नर्मदा कोटि: कुम्भ स्नानेन तत्फलं ||
अश्वमेघ सहस्त्राणि , वाजपेय शातानिच |
लक्षम प्रदक्षिणा भूमया: कुम्भ स्नानेनतत्फलं||
अर्थात हजारों स्नान कार्तिक में किये हो , सेकडो माघ मास में किये हो, करोड़ों बार नर्मदा के स्नान वैशाख में किये हो वह फल एक बार कुम्भमें स्नान करने से मिलता है | हजारों अश्वमेघ , सेकडों वाजपेय यज्ञ करने मेंतथा लाखो प्रदक्षिण पृथ्वी की करनेसे जो फल मिलता है, वह कुम्भ पर्व के स्नान मात्र से मिलता है
भारतीय संस्कृति, आस्था ओर विश्वास के प्रतीक कुंभ का उज्जैन के लिये केवल पौराणिक कथा का आधार ही नहीं, अपितु काल चक्र या काल गणना का वैज्ञानिक आधार भी है। भौगोलिक दृष्टि से अवंतिका-उज्जयिनी या उज्जैन कर्कअयन एवं भूमध्य रेखा के मध्य बिंदु पर अवस्थित है। भारतीय संस्कृति के सम्पूर्ण दर्शन कहाँ होते हैं? इस प्रश्न का सर्वाधिक निर्विवाद उत्तर है- मेले और पर्व। धार्मिक दृष्टि से सिंहस्थ महापर्व की अपनी महिमा है, परंतु इसके समाजशास्त्रीय महत्व से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सिंहस्थ सामाजिक परिवर्तन और नियंत्रण की स्थितियों को समझने और तदनुरूप समाज निर्माण का एक श्रेष्ठ अवसर है।
सही अर्थों में इसे—- “द्वादश वर्षीय जन सम्मेलन” कहा जा सकता है।
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आकर्षण–साधू समाज उज्जैन
सिंहस्थ पर्व का सर्वाधिक आकर्षण विभिन्न मतावलंबी साधुओं का आगमन, निवास एवं विशिष्ट पर्वों पर बड़े उत्साह, श्रद्धा, प्रदर्शन एवं समूहबद्ध अपनी-अपनी अनियों सहित क्षिप्रा नदी का स्नान है। लाखों की संख्या में दर्शक एवं यात्रीगण इनका दर्शन करते हैं और इनके स्नान करने पर ही स्वयं स्नान करते हैं। इन साधु-संतों व उनके अखाड़ों की भी अपनी-अपनी विशिष्ट परंपराएँ व रीति-रिवाज हैं।
साधु समाज , उनकी परम्परा तथा विभिन्न अखाड़े—–
भारत अपनी धर्म प्रियता के लिए जाना जाता है| हजारों सालों से भारतवासी धर्म में आस्था रखते आये है| मनुष्य ने स्रष्टि के निर्माण एवं विनाश में किसी अद्रश्य शक्ति के आस्तित्व को इश्वर के रूप में स्वीकार कर उसके समक्ष अपना सर झुकाया तथा कल्याण के लिय ईश्वरीय शक्तिक की पूजा अर्चना प्रारंभ की|
जगद गुरु शंकराचार्य का प्रादुर्भाव—
नवी शताब्दी में जगदगुरु आध्यशंकराचार्य जी का प्रादुर्भाव हुआ| इन्होने दो बार पुरे देश का ब्रह्मण किया|
अपने दार्शनिक सिधान्त अदैतवाद का प्रचार किया| इस प्रकार वेदिक सनातन धरम की पुनः प्रतिष्ठाकी | एक विराट भारतीय हिंदू समाज की स्थापना की और जगतगुरु कहलाये|
इन्होने लोकहित में वैदिक धर्म की धारा अहनीश बहती रहे इसे सुनिश्चित करते हुई देश की चारो दिशाओ में चार मठ – ज्योतिर्मठ, श्रंगेरिमाथ, शारदामठ तथा गोवर्धन कायम किये| इसके साथ ही सनातन धर्म के सरंक्षण हेतु एवं उसे गतिमान बनाये रखने की दृष्टि से पारिवारिक बंधन से मुक्त, नि: स्वार्थ,निस्पृह नागा साधुओ/ संनासियोंका पुनर्गठन किया| इनके संगठनो में व्यापक अनुशासन स्थापित किया और देश में दशनाम
संयास प्रणाली चालू की| इसका विधान “ मठाम्नाय” नाम से अंकित किया |
सांसियों के संघो में दीक्षा के बाद संयासी द्वारा जो नाम ग्रहण किये जाते है तथा उनके साथ जो इस शब्द जोड़े जाते है उन्ही के कारण दशनामी के नाम से संयासी प्रसिद्ध हूऐ और उनके ये दस नाम जिन्हें योग पट्ट भी कहा जाता है,प्रसिद्ध हुऐ | संनासियों के नाम के जोड़े जाने वाले ये योग पटट भी कहा जाता है,प्रसिद्ध हुऐ|संनासियों के नाम के आगे जोड़े जाने वाले ये योग पटट शब्द है- गिरी ,पूरी,भारती, वन ,सागर,पर्वत,तीर्थ,आश्रमऔर सरस्वती|
आचार्य शंकर द्वारा रचित मठामनाय ग्रन्थके अनुसार साधु समाज के संघों के पदाधिकारियों की व्यवस्था
निम्नअनुसार से की गई है—–
01) तीर्थ – तत्वमसि आदि महाकाव्य त्रिवेणी – संगम – तीर्थ के सामान है जो सन्यासी इसे भली –भांति समझ लेते है, उन्हें तीर्थ कहते है|
02) आश्रम – जो व्यक्ति सन्यास –आश्रम में पूर्णतया समर्पित है और जिसे कोई आशा अपने बंध में’ नहीं
बांध सकती वह व्यक्ति आश्रम है|
03) वन- जो सुन्दर ऐकाकी ,निर्जन वन में आशा बंधन से अलग होकर वास करते है, उस सन्यासी को “ वन् “ कहते है|
04) गिरी – जो सन्यासी वन में वास करने वाला एवं गीता के अध्ययन में लगा रहने वाला,गंभीर, निश्चल बुद्धि वाले सन्यासी “गिरी” कहलाते है|
05) भारती – जो सन्यासी विद्यावान ,बुद्धिमान , है, जो दुःख कष्ट के बोझ को नहीं जानते है या घबराते नहीं वे संयासी “भारती” कहलाते है|
06) सागर – जो सन्यासी समुद्र की गंभीरता एवं गहराई को जानते हुऐ भी उसमे डूबकी लगाकर ज्ञान प्राप्ति का इच्छुक होते है, वे सन्यासी सागर कहलाते है|
07) पर्वत- जो सन्यासी पहाडो की गुफा में रहकर ज्ञान प्राप्त का इच्छुक होते है, सन्यासी “ पर्वत “ कहलाते है|
08) सरस्वती – जो सन्यासी सदैव स्वर के ज्ञान में निरंतर लिन रहते है और स्वर के स्वरुप की विशिष्टविवेचना करते रहते है तथा संसाररूपी असारता अज्ञानता को दूर करने में लगेरहते है ऐसे सन्यासी सरस्वती कहलाते है|
विभिन्न अखाड़े और उनका विधान—–
दशनामी साधु समाज के ७ प्रमुख अखाडो का जो विवरण आगे दिया गया है वह श्री यदुनाथ सरकार
द्वारा लिखित पुस्तक” नागे संनासियों का इतिहास “ पर आधारित है |
इनमे से प्रत्यक अखाड़े का अपना स्वतंत्र संघठन है इनका अपना निजी लावाजमा होता है , जिसमे डंका , भगवा निशान, भाला,छडी ,वाध,हाथी,घोड़े,पालकी, आदि होते है| इन अखाडों की सम्पति का प्रबंध श्री पंच
द्वारानिर्वाचित आठ थानापति महंतो तथा आठ प्रबंधक सचिवों के जिम्मे रहती है | इनकी संख्या घट बढ़ सकती है|
इनके अखाडों का पृथक पृथक विवरण निम्न अनुसार है-
01—-श्री पंच दशनाम जुना अखाडा——- दशनामी साधु समाज के इस अखाड़े की स्थापना कार्तिक शुक्ल दशमी मंगलवार विक्रम संवत १२०२ को उत्तराखंड प्रदेश में कर्ण प्रयाग में हुई | स्थापना के समय इसे भैरव अखाड़े के नाम से नामंकित किया गया था | बहुत पहले स्थापित होने के कारण ही संभवत: इसे जुना अखाड़े के नाम से प्रसिद्ध मिली | इस अखाड़े में शैव नागा दशनामी साधूओ की जमात तो रहती ही है परंतु इसकी विशेषता भी है की इसके निचे अवधूतानियो का संघटन भी रहता है इसका मुख्य केंद्र बड़ा हनुमान घाट ,काशी (वाराणसी, बनारस) है | इस अखाड़े के इष्ट देव श्री गुरु दत्तात्रय भगवान है जो त्रिदेव के एक अवतार माने जाते है |
02——श्री पंचायती अखाडा महनिर्माणी——दशनामी साधुओ के श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की स्थापना माह अघहन शुक्ल दशमी गुरुवार विक्रम संवत को गढ़कुंडा (झारखण्ड) स्थित श्री बैजनाथ धाम में हुई | इस अखाड़े का मुख्य केंद्र दारा गंज प्रयाग (इलाहाबाद ) में है| इस अखाड़े के] इष्ट देव राजा सागर के पुत्रो को भस्म करने वाले श्री कपिल मुनि है | इसके आचार्य मेरे दीक्षा गुरु ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी श्री विश्वदेवानंद जी महाराज थे,जिनका एक सड़क दुर्घटना में वर्ष 2013 में महाप्रयाण हो गया था | सूर्य प्रकाश एवं भैरव प्रकाश इस अखाड़े की ध्वजाए है| जिन्हें अखाडों के साधु संतो द्वारा देव स्वरुप माना जाता है| इस अखाड़े में बड़े बड़े सिद्ध महापुरुष हुए| जिसमे दशनामी अखाडोंमें इस अखाड़े का प्रथम स्थान है |
सर्व श्री महंत प्रकाश पूरी एवं श्री महंत जोगिन्दरगिरी जी इस अखाड़े’ के सचिव है| वर्तमान आचार्य महामंडलेश्वर जी का नाम मेरी जानकारी में नहीं हैं…क्षमा करें..
03—–तपो निधि श्री निरंजनी अखाडा पंचायती—- दशनामी साधुओ के तपोनिधि श्री निरंजनी अखाडा पंचायती अखाडा की स्थापना कृष्ण पक्ष षष्टि सोमवार विक्रम सम्वत ९६० को कच्छ (गुजरात) के भांडवी नामक स्थान पर हुई| इसअखाड़े का मुख्य केंद्र मायापूरी हरिद्वार (है ) | इस अखाड़े के इष्ट देव भगवान कार्तिकेय है| इसके आचार्य महामंडलेश्वर श्री पूर्णानन्द गिरी जी महाराज है |
04——-पंचायती अटल अखाडा—– इस अखाड़े’ की स्थापना माह मार्गशीर्ष शुक्ल ४ रविवार’ विक्रम संवत ७०३ को गोंडवाना में हुई | इस अखाडे के इष्टदेव श्री गणेश जी है |
05—–तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाडा—— दशनामी तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े’ की’ स्थापना’ माह शुक्ल चतुर्थी रविवार विक्रम संवत ९१२ कोबरार प्रदेश में हुई | इस अखाड़े के’ इष्ट’देव’ भगवान श्री सूर्यनारायण’ है’ तथा इसके’ आचार्य महामंडलेश्वर’ स्वामी श्री देवानंद सरस्वती जी महाराज है| अध्यक्ष श्री महंत सागरानन्द जी एवं महंत शंकरानंद जी है | इस अखाड़े का प्रमुख केंद्र कपिल धारा काशी (बनारस ) है | इस अखाड़े के केंद्रीय स्थान (कपिल धारा) के प्रमुख’ सचिव श्री महंत कन्हीयापूरी जी एवं श्री महंतचंचलगिरी है |
06—–श्री पंचदशनाम आह्वान अखाडा—- इस अखाड़े की स्थापना माह ज्येष्ट कृष्णपक्ष नवमी शुक्रवार का विक्रम संवत ६०३ में’ हुई’…. |इस अखाड़े के’ इष्ट’देव’ सिद्धगणपति भगवान है| इसका मुख्य केंन्द्र दशाशवमेघ घाट काशी (बनारस) है’| यह’ अखाडा श्री पंच दशनाम जुना अखाडा के’ आचार्य महामंडलेश्वर स्वामीश्री शिवेंद्र पूरी जी’ महाराज तथा सचिवश्रीमहंतशिव शंकर जी महाराजएवं महंत’ प्रेमपूरीजी’ महाराज है|
07—-श्री पंचअग्नि अखाडा – श्री पंच अग्नि अखाड़े की स्थापना’और उसके’ विकास की एक अपनी गतिशील परम्परा है’| उल्लेखनीय यह है’ है की दशनामी साधु समाज के अखाडों की व्यवस्था में सख्त अनुशासन कायम रखने की दृष्टि से इलाहाबाद कुम्भ तथा अर्धकुम्भ एवं हरिद्वार कुम्भ’ में इन अखाडों में श्री महंतो का नया चुनाव होता है|
08 —–श्री उदासीन अखाडा’ – काम , क्रोध पर जीवन में विजय प्राप्त करने वाले माह्नुभाव निश्चय करके अंतरात्मा में ही सुख , आराम, और ज्ञान धारण करते हुऐ पूर्ण , एकी भाव से ब्रह् में लिन रहते है | उदासीन साधू के मन में निजी स्वार्थ की भावना का भी लूप होता’ है|
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जानिए उज्जैन का इतिहास—-
पुण्य-सलिला शिप्रा तट पर स्थित भारत की महाभागा अनादि नगरी उज्जयिनी को भारत राष्ट्र की सांस्कृतिक काया का मणिपूर चक्र माना गया है। इसे भारत की मोक्षदायिका सप्त प्राचीन पुरियों में एक माना गया है। प्राचीन विश्व की याम्योत्तार ;शून्य देशान्तरध्द रेखा यहीं से गुजरती थी। विभिन्न नामों से इसकी महिमा गाई गयी है। महाकवि कालिदास द्वारा वर्णित ”श्री विशाला-विशाला” नगरी तथा भाणों में उल्लिखित ”सार्वभौम” नगरी यही रही है। इस नगरी से ऋषि सांदीपनि, महाकात्यायन, भास, भर्तृहरि, कालिदास- वराहमिहिर- अमरसिंहादि नवरत्न, परमार्थ, शूद्रक, बाणभट्ट, मयूर, राजशेखर, पुष्पदन्त, हरिषेण, शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, जदरूप आदि संस्कृति-चेता महापुरुषों का घनीभूत संबंध रहा है। वृष्णि-वीर कृष्ण-बलराम, चण्डप्रद्योत, वत्सराज उदयन, मौर्य राज्यपाल अशोक सम्राट् सम्प्रति, राजा विक्रमादित्य, महाक्षत्रप चष्टन व रुद्रदामन, परमार नरेश वाक्पति मुंजराज, भोजदेव व उदयादित्य, आमेर नरेश सवाई जयसिंह, महादजी शिन्दे जैसे महान् शासकों का राजनैतिक संस्पर्श इस नगरी को प्राप्त हुआ है।
मुगल सम्राट् अकबर, जहाँगीर व शाहजहाँ की भी यह चहेती विश्राम-स्थली रही है।पुण्य-सलिला शिप्रा तट पर बसी अवन्तिका अनेक तीर्थों की नगरी है। इन तीर्थों पर स्नान, दान, तर्पण, श्राध्द आदि का नियमित क्रम चलता रहता है। ये तीर्थ सप्तसागरों, तड़ागों, कुण्डों, वापियों एवं शिप्रा की अनेक सहायक नदियों पर स्थित रहे हैं। शिप्रा के मनोरम तट पर अनेक दर्शनीय व विशाल घाट इन तीर्थ-स्थलों पर विद्यमान है जिनमें त्रिवेणी-संगम, गोतीर्थ, नृसिंह तीर्थ, पिशाचमोचन तीर्थ, हरिहर तीर्थ, केदार तीर्थ, प्रयाग तीर्थ, ओखर तीर्थ, भैरव तीर्थ, गंगा तीर्थ, मंदाकिनी तीर्थ, सिध्द तीर्थ आदि विशेष उल्लेखनीय है। प्रत्येक बारह वर्षों में यहाँ के सिंहस्थ मेले के अवसर पर लाखों साधु व यात्री स्नान करते हैं।
सम्पूर्ण भारत ही एक पावन क्षेत्र है। उसके मध्य में अवन्तिका का पावन स्थान है। इसके उत्तार में बदरी-केदार, पूर्व में पुरी, दक्षिण में रामेश्वर तथा पश्चिम में द्वारका है जिनके प्रमुख देवता क्रमश: केदारेश्वर, जगन्नाथ, रामेश्वर तथा भगवान् श्रीकृष्ण हैं। अवन्तिका भारत का केन्द्रीय क्षेत्र होने पर भी अपने आप में एक पूर्ण क्षेत्र है, जिसके उत्तार में दर्दुरेश्वर, पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावरोहणेश्वर तथा पश्चिम में विल्वेश्वर महादेव विराजमान है। इस क्षेत्र का केन्द्र-स्थल महाकालेश्वर का मन्दिर है। भगवान् महाकाल क्षेत्राधिपति माने गये हैं। इस प्रकार भगवान् महाकाल न केवल उज्जयिनी क्षेत्र अपितु सम्पूर्ण भारत भूमि के ही क्षेत्राधिपति है। प्राचीन काल में उज्जयिनी एक सुविस्तृत महाकाल वन में स्थित रही थी। यह वन प्राचीन विश्व में विश्रुत अवन्ती क्षेत्र की शोभा बढ़ाता था।
स्कन्द पुराण के अवन्तिखण्ड के अनुसार इस महावन में अति प्राचीन काल में ऋषि, देव, यक्ष, किन्नर, गंधर्व आदि की अपनी-अपनी तपस्या-स्थली रही है। अत: वहीं पर महाकाल वन में भगवान् शिव ने देवोचित शक्तियों से अनेक चमत्कारिक कार्य सम्पादित कर अपना महादेव नाम सार्थक किया। सहस्रों शिवलिंग इस वन में विद्यमान थे। इस कुशस्थली में उन्होंने ब्रह्मा का मस्तक काटकर प्रायश्चित्ता किया था तथा अपने ही हाथों से उनके कपाल का मोचन किया था। महाकाल वन एवं अवन्तिका भगवान् शिव को अत्यधिक प्रिय रहे हैं, इस कारण वे इस क्षेत्र को कभी नहीं त्यागते। अन्य तीर्थों की अपेक्षा इस तीर्थ को अधिक श्रेष्टत्व मिलने का भी यह एक कारण है।
इसी महाकाल वन में ब्रह्मा द्वारा निवेदित भगवान् विष्णु ने उनके द्वारा प्रदत्ता कुशों सहित जगत् कल्याणार्थ निवास किया था। उज्जैन का कुशस्थली नाम इसी कारण से पड़ा। इस कारण यह नगरी ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश इन तीनों देवों का पुण्य-निवेश रही है।
‘उज्जयिनी” नामकरण के पीछे भी इस प्रकार की पौराणिक गाथा जुड़ी है। ब्रह्मा द्वारा अभय प्राप्त कर त्रिपुर नामक दानव ने अपने आतंक एवं अत्याचारों से देवों एवं देव-गण समर्पित जनता को त्रस्त कर दिया। आखिरकार समस्त देवता भगवान् शिव की शरण में आये। भगवान् शंकर ने रक्तदन्तिका चण्डिका देवी की आराधना कर उनसे महापाशुपतास्त्र प्राप्त किया, जिसकी सहायता से वे त्रिपुर का वध कर पाये। उनकी इसी विजय के परिणाम स्वरूप इस नगरी का नाम उज्जयिनी पड़ा। इसी प्रकार अंधक नामक दानव को भी इसी महाकाल वन में भगवान् शिव से मात खाना पड़ी, ऐसा मत्स्य पुराण में उल्लेख है।
परम-भक्त प्रह्लाद ने भी भगवान् विष्णु एवं शिव से इसी स्थान पर अभय प्राप्त किया था। भगवान् शिव की महान् विजय के उपलक्ष्य में इस नगरी को स्वर्ग खचित तोरणों एवं यहॉ के गगनचुम्बी प्रासादों को स्वर्ग-शिखरों से सजाया गया था। अवन्तिका को इसी कारण कनकशृंगा कहा गया। कालान्तर में इस वन का क्षेत्र उज्जैन नगर के तेजी से विकास एवं प्रसार के कारण घटता गया। कालिदास के वर्णन से ज्ञात होता है कि उनके समय में महाकाल मन्दिर के आसपास केवल एक उपवन था, जिससे गंधवती नदी का पवन झुलाता रहता था। समय की विडम्बना! आज अवन्तिका उस उपवन से भी वंचित है। गरूर पुराण के अनुसार पृथ्वी पर सात मोक्ष दायीनी पूरिया है उनमे अव्न्तिकापूरी सर्वश्रेष्ठ है| उज्जैन का महत्व समस्त पूरियो मे एक तिल अधिक है|
अयोध्या मथुरा , माया, काशी कांची अवन्तिका|
पूरी दौरावतिचैव सअप्तेता: मोक्षदाईका: ||
यह नगर द्वादश ज्योति लिंगों मे से एक, सप्त पूरियो मे से एक मोक्षदायिनी पुरी, दाव्द्श व चौरासी दोनों शक्तिपीठों से सम्प्पन (गढ़कालिका एवं हरसिद्धि) एवं पवित्र कुम्भ मेले लगने वाले चार शहरो मे से एक नगर उज्जैन है |राजा भर्तहरी कि गुफा भी यही पर है |
ऐसी मान्यता है कि उज्जैनी भगवान विष्णु का पद कमल है|
“ विष्णुः पादाम्वंतिका”|
इस शहर कि महिमा आपार है , त्रेता युग मे भगवान श्री राम स्वयं अपनें पिताश्री का श्राद्ध करने उज्जैन आये थे| और जहा श्राद्ध कर्म किया था वही घाट राम घाट कहलाने लगा| इसी राम घाट पर सिंहस्थ महापर्व का शाही स्नान होता है| धार्मिक तथा एतिहासिक दोंनो द्रष्टि से उज्जैन का महत्व उल्लेखिनिय है|
पुराणों के अनुसार उज्जैन के अनेक नाम प्रचलित रहे है—- १ उज्जीनी,२ प्रतिकल्प ,३ पदमावती ,४ अवन्तिका ५ भोगवती ६ अमरावती ७ कुमुद्वती ८ विषाला ९ कनकश्रंगा १० कुशस्थली आदि | यह कभी अवंति जनपद का प्रमुख नगर था एवं राजधानी भी रहा था अत: यह नगरी अवन्तिकापुरी कहलाई|
उज्जैनी शब्द का अर्थ विजयनी होता है | जिसका पाली रूपांतर उज्जैन है | वेसे उज्जैयिनी संस्कृत शब्द हे इसका अर्थ हे उत् + जयिनी अर्थात उत्कर्ष के साथ विजय देने वाली इसी लिए कहा गया हे की उज्जैन एक आकाश की तरह हे जिसकी गुणों का कभी बखान नि किया जा सकता….
उज्जैन प्रमाणिक इतिहास—–
उज्जैन की ऐतिहासिकता का प्रमाण ई.सन 600 वर्ष पूर्व मिलता है। तत्कालीन समय में भारत में जो सोलह जनपद थे उनमें अवंति जनपद भी एक था। अवंति उत्तर एवं दक्षिण इन दो भागों में विभक्त होकर उत्तरी भाग की राजधानी उज्जैन थी तथा दक्षिण भाग की राजधानी महिष्मति थी। उस समय चंद्रप्रद्योत नामक सम्राट सिंहासनारूत्रढ थे। प्रद्योत के वंशजों का उज्जैन पर ईसा की तीसरी शताब्दी तक प्रभुत्व था…
मौर्य साम्राज्य मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य यहाँ आया था. उसका पुत्र अशोक यहाँ का राज्यपाल रहा था। उसकी एक भार्या वेदिसा देवी से उसे महेंद्र और संघमित्रा जैसी संतान प्राप्त हुई जिसने कालांतर में श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार किया था. मौर्य साम्राज्य के अभुदय होने पर मगध सम्राट बिन्दुसार के पुत्र अशोक उज्जयिनी के समय नियुक्त हुए। बिन्दुसार की मृत्योपरान्त अशोक ने उज्जयिनी के शासन की बागडोर अपने हाथों में सम्हाली और उज्जयिनी का सर्वांगीण विकास कियां सम्राट अशोकके पश्चात उज्जयिनी ने दीर्घ काल तक अनेक सम्राटों का उतार चढाव देखा।
मौर्य साम्राज्य का पतन मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद उज्जैन शकों और सातवाहनों की प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन गया। शकों के पहले आक्रमण को उज्जैन के वीर विक्रमादित्य के नेतृत्व में यहाँ की जनता ने प्रथम सदी ईसा पूर्व विफल कर दिया था। कालांतर में विदेशी पश्चिमी शकों ने उज्जैन हस्त गत कर लिया। चस्टान व रुद्रदमन इस वंश के प्रतापी व लोक प्रिय महाक्षत्रप सिद्ध हुए। गुप्त साम्राज्य चौथी शताब्दी ई. में गुप्तों और औलिकरों ने मालवा से इन शकों की सत्ता समाप्त कर दी। शकों और गुप्तों के काल में इस क्षेत्र का अद्वितीय आर्थिक एवं औद्योगिक विकास हुआ।
छठी से दसवीं सदी तक उज्जैन कलचुरियों, मैत्रकों, उत्तरगुप्तों, पुष्यभूतियों , चालुक्यों, राष्ट्रकूटों व प्रतिहारों की राजनैतिक व सैनीक स्पर्धा का दृश्य देखता रहा.।
सातवीं शताब्दी में उज्जैन कन्नौज के हर्षवर्धन साम्राज्य में विलीन हो गया। उस काल में उज्जैन का सर्वांगीण विकास भी होता रहा। सन् ६४८ ई. में हर्ष वर्धन की मृत्यु के पश्चात नवी शताब्दी तक उज्जैन परमारों के आधिपत्य में आया जो गयारहवीं शताब्दी तक कायम रहा इस काल में उज्जैन की उन्नति होती रही। इसके पश्चात उज्जैन चौहान और तोमर राजपूतों के अधिकारों मे आ गया। सन १००० से १३०० ई.तक मालवा परमार-शक्ति द्वारा शासित रहा। काफी समय तक उनकी राजधानी उज्जैन रही. इस काल में सीयक द्वितीय, मुंजदेव, भोजदेव, उदयादित्य, नरवर्मन जैसे महान शासकों ने साहित्य, कला एवं संस्कृति की अभूतपूर्व सेवा की. दिल्ली सल्तनत दिल्ली के दास एवं खिलजी सुल्तानों के आक्रमण के कारण परमार वंश का पतन हो गया.
सन् १२३५ ई. में दिल्ली का शमशुद्दीन इल्तमिश विदिशा विजय करके उज्जैन की और आया यहां उस क्रूर शासक ने ने उज्जैन को न केवल बुरी तरह लूटा अपितु उनके प्राचीन मंदिरों एवं पवित्र धार्मिक स्थानों का वैभव भी नष्ट किया। सन १४०६ में मालवा दिल्ली सल्तनत से मुक्त हो गया और उसकी राजधानी मांडू से धोरी, खिलजी व अफगान सुलतान स्वतंत्र राज्य करते रहे। मुग़ल सम्राट अकबर ने जब मालवा पर किया तो उज्जैन को प्रांतीय मुख्यालय बनाया गया. मुग़ल बादशाह अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ व औरंगजेब यहाँ आये थे। मराठों का अधिकार सन् १७३७ ई. में उज्जैन सिंधिया वंश के अधिकार में आया उनका सन १८८० ई. तक एक छत्र राज्य रहा जिसमें उज्जैन का सर्वांगीण विकास होता रहा। सिंधिया वंश की राजधानी उज्जैन बनी। राणोजी सिंधिया ने महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोध्दार कराया। इस वंश के संस्थापक राणोजी शिंदे के मंत्री रामचंद्र शेणवी ने वर्तमान महाकाल मंदिर का निर्माण करवाया.
सन १८१० में सिंधिया राजधानी ग्वालियर ले जाई गयी किन्तु उज्जैन का संस्कृतिक विकास जारी रहा। १९४८ में ग्वालियर राज्य का नवीन मध्य भारत में विलय हो गया।
उज्जयिनी में आज भी अनेक धार्मिक पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्थान हैं जिनमें भगवान महाकालेश्वर मंदिर, गोपाल मंदिर, चौबीस खंभा देवी, चौसठ योगिनियां, नगर कोट की रानी, हरसिध्दिमां, गत्रढकालिका, काल भैरव, विक्रांत भैरव, मंगलनाथ, सिध्दवट, बोहरो का रोजा, बिना नींव की मस्जिद, गज लक्ष्मी मंदिर, बृहस्पति मंदिर, नवगृह मंदिर, भूखी माता, भर्तृहरि गुफा, पीरमछन्दर नाथ समाधि, कालिया देह पैलेस, कोठी महल, घंटाघर, जन्तर मंतर महल, चिंतामन गणेश आदि प्रमुख हैं।
आज का उज्जैन वर्तमान उज्जैन नगर विंध्यपर्वतमाला के समीप और पवित्र तथा ऐतिहासिक क्षिप्रा नदी के किनारे समुद्र तल से 1678 फीट की ऊंचाई पर 23डिग्री.50′ उत्तर देशांश और 75डिग्री .50′ पूर्वी अक्षांश पर स्थित है। नगर का तापमान और वातावरण समशीतोष्ण है। यहां की भूमि उपजाऊ है। कालजयी कवि कालिदास और महान रचनाकार बाणभट्ट ने नगर की खूबसूरती को जादुई निरूपति किया है। कालिदास ने लिखा है कि दुनिया के सारे रत्न उज्जैन में हैं और समुद्रों के पास सिर्फ उनका जल बचा है।
उज्जैन नगर और अंचल की प्रमुख बोली मीठी मालवी बोली है। हिंदी भी प्रयोग में है। उज्जैन इतिहास के अनेक परिवर्तनों का साक्षी है। क्षिप्रा के अंतर में इस पारम्परिक नगर के उत्थान-पतन की निराली और सुस्पष्ट अनुभूतियां अंकित है। क्षिप्रा के घाटों पर जहां प्राकृतिक सौन्दर्य की छटा बिखरी पडी है, असंख्य लोग आए और गए। रंगों भरा कार्तिक मेला हो या जन-संकुल सिंहस्थ या दिन के नहान, सब कुछ नगर को तीन और से घेरे क्षिप्रा का आकर्षण है। उज्जैन के दक्षिण-पूर्वी सिरे से नगर में प्रवेश कर क्षिप्रा ने यहां के हर स्थान सेअपना अंतरंग संबंध स्थापित किया है।
यहां त्रिवेणी पर नवगृह मंदिर है और कुछ ही गणना में व्यस्त है। पास की सडक आपको चिन्तामणि गणेश पहुंचा देगी। धारा मुत्रड गई तो क्या हुआ? ये जाने पहचाने क्षिप्रा के घाट है, जो सुबह-सुबह महाकाल और हरसिध्दि मंदिरों की छाया का स्वागत करते है। क्षिप्रा जब पूर आती है तो गोपाल मंदिर की देहली छू लेती है। दुर्गादास की छत्री के थोडे ही आगे नदी की धारा नगर के प्राचीन परिसर के आस-पास घूम जाती है। भर्तृहरि गुफा, पीर मछिन्दर और गढकालिका का क्षेत्र पार कर नदी मंगलनाथ पहुंचती है।
मंगलनाथ का यह मंदिर सान्दीपनि आश्रम और निकट ही राम-जनार्दन मंदिर के सुंदर दृश्यों को निहारता रहता है। सिध्दवट और काल भैरव की ओर मुत्रडकर क्षिप्रा कालियादेह महल को घेरते हुई चुपचाप उज्जैन से आगे अपनी यात्रा पर बढ जाती है। कवि हों या संत, भक्त हों या साधु, पर्यटक हों या कलाकार,पग-पग पर मंदिरों से भरपूर क्षिप्रा के मनोरम तट सभी के लिए समान भाव से प्रेरणाम के आधार है।
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श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा—-
श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन जनपद में अवस्थित है। उज्जैन का पुराणों और प्राचीन अन्य ग्रन्थों में ‘उज्जयिनी’ तथा ‘अवन्तिकापुरी’ के नाम से उल्लेख किया गया है। यह स्थान मालवा क्षेत्र में स्थित क्षिप्रा नदी के किनारे विद्यमान है। अवन्तीपुरी की गणना सात मोक्षदायिनी पुरियों में की गई है-
अयोध्या मथुरा माया काशी कांची ह्यवन्तिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः।।
महाराजा विक्रमादित्य द्वारा निर्माण—–
इसी महाकालेश्वर की नगरी में महाराजा विक्रमादित्य ने चौबीस खम्बों का दरबार-मण्डप बनवाया था। मंगल ग्रह का जन्मस्थान मंगलश्वेर भी यहीं स्थित है। इतिहास प्रसिद्ध भर्तृहरि की गुफा तथा महर्षि सान्दीपनि का आश्रम यहीं विराजमान है। श्री कृष्णचन्द्र और बलराम जी ने इसी सान्दीपनि आश्रम में विद्या का अध्ययन किया था। इसी उज्जयिनी नगरी में परम प्रतापी महाराज वीर विक्रमादित्य की राजधानी थी। जब सिंह राशि पर बृहस्पति ग्रह का आगमन होता है, तो यहाँ प्रत्येक बारह वर्ष पर महाकुम्भ का स्नान और मेला लगता है।
शिव महापुराण में वर्णित कथा—–
समस्त देहधारियों को मोक्ष प्रदान करने वाली एक प्रसिद्ध और अत्यन्त अवन्ति नाम की नगरी है। लोक पावनी परम पुण्यदायिनी और कल्याण-कारिणी वह नगरी भगवान शिव जी को अत्यन्त प्रिय है। उसी पवित्र पुरी में शुभ कर्मपरायण तथा सदा वेदों के स्वाध्याय में लगे रहने वाले एक उत्तम ब्राह्मण रहा करते थे। वे अपने घर में अग्नि की स्थापना कर प्रतिदिन अग्निहोत्र करते थे और वैदिक कर्मों के अनुष्ठान में लगे रहते थे। भगवान शंकर के भक्त वे ब्राह्मण शिव जी की अर्चना-वन्दना में तत्पर रहा करते थे। वे प्रतिदिन पार्थिव लिंग का निर्माण कर शास्त्र विधि से उसकी पूजा करते थे। हमेशा उत्तम ज्ञान को प्राप्त करने में तत्पर उस ब्राह्मण देवता का नाम ‘वेदप्रिय’ था। वेदप्रिय स्वयं ही शिव जी के अनन्य भक्त थे, जिसके संस्कार के फलस्वरूप उनके शिव पूजा-परायण ही चार पुत्र हुए। वे तेजस्वी तथा माता-पिता के सद्गुणों के अनुरूप थे। उन चारों पुत्रों के नाम ‘देवप्रिय’, ‘प्रियमेधा’, ‘संस्कृत’ और ‘सुवृत’ थे।
रत्नमाल पर्वत पर ‘दूषण’ नाम वाले धर्म विरोधी एक असुर ने वेद, धर्म तथा धर्मात्माओं पर आक्रमण कर दिया। उस असुर को ब्रह्मा से अजेयता का वर मिला था। सबको सताने के बाद अन्त में उस असुर ने भारी सेना लेकर अवन्ति (उज्जैन) के उन पवित्र और कर्मनिष्ठ ब्राह्मणों पर भी चढ़ाई कर दी। उस असुर की आज्ञा से चार भयानक दैत्य चारों दिशाओं में प्रलयकाल की आग के समान प्रकट हो गये। उनके भयंकर उपद्रव से भी शिव जी पर विश्वास करने वाले वे ब्राह्मणबन्धु भयभीत नहीं हुए। अवन्ति नगर के निवासी सभी ब्राह्मण जब उस संकट में घबराने लगे, तब उन चारों शिवभक्त भाइयों ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा- ‘आप लोग भक्तों के हितकारी भगवान शिव पर भरोसा रखें।’ उसके बाद वे चारों ब्राह्मण-बन्धु शिव जी का पूजन कर उनके ही ध्यान में तल्लीन हो गये।
सेना सहित दूषण ध्यान मग्न उन ब्राह्मणों के पास पहुँच गया। उन ब्राह्मणों को देखते ही ललकारते हुए बोल उठा कि इन्हें बाँधकर मार डालो। वेदप्रिय के उन ब्राह्मण पुत्रों ने उस दैत्य के द्वारा कही गई बातों पर कान नहीं दिया और भगवान शिव के ध्यान में मग्न रहे। जब उस दुष्ट दैत्य ने यह समझ लिया कि हमारे डाँट-डपट से कुछ भी परिणाम निकलने वाला नहीं है, तब उसने ब्राह्मणों को मार डालने का निश्चय किया।
उसने ज्योंही उन शिव भक्तों के प्राण लेने हेतु शस्त्र उठाया, त्योंही उनके द्वारा पूजित उस पार्थिव लिंग की जगह गम्भीर आवाल के साथ एक गडढा प्रकट हो गया और तत्काल उस गड्ढे से विकट और भयंकर रूपधारी भगवान शिव प्रकट हो गये। दुष्टों का विनाश करने वाले तथा सज्जन पुरुषों के कल्याणकर्त्ता वे भगवान शिव ही महाकाल के रूप में इस पृथ्वी पर विख्यात हुए। उन्होंने दैत्यों से कहा- ‘अरे दुष्टों! तुझ जैसे हत्यारों के लिए ही मैं ‘महाकाल’ प्रकट हुआ हूँ। जल्दी इन ब्राह्मणों के समीप से दूर भाग जाओ।
इस प्रकार धमकाते हुए महाकाल भगवान शिव ने अपने हुँकार मात्र से ही उन दैत्यों को भस्म कर डाला। दूषण की कुछ सेना को भी उन्होंने मार गिराया और कुछ स्वयं ही भाग खड़ी हुई। इस प्रकार परमात्मा शिव ने दूषण नामक दैत्य का वध कर दिया। जिस प्रकार सूर्य के निकलते ही अन्धकार छँट जाता है, उसी प्रकार भगवान आशुतोष शिव को देखते ही सभी दैत्य सैनिक पलायन कर गये। देवताओं ने प्रसन्नतापूर्वक अपनी दन्दुभियाँ बजायीं और आकाश से फूलों की वर्षा की। उन शिवभक्त ब्राह्मणों पर अति प्रसन्न भगवान शंकर ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा कि ‘मै महाकाल महेश्वर तुम लोगों पर प्रसन्न हूँ, तुम लोग वर मांगो।’
महाकालेश्वर की वाणी सुनकर भक्ति भाव से पूर्ण उन ब्राह्मणों ने हाथ जोड़कर विनम्रतापूर्वक कहा- ‘दुष्टों को दण्ड देने वाले महाकाल! शम्भो! आप हम सबको इस संसार-सागर से मुक्त कर दें। हे भगवान शिव! आप आम जनता के कल्याण तथा उनकी रक्षा करने के लिए यहीं हमेशा के लिए विराजिए। प्रभो! आप अपने दर्शनार्थी मनुष्यों का सदा उद्धार करते रहें।’
भगवान शंकर ने उन ब्राह्माणों को सद्गति प्रदान की और अपने भक्तों की सुरक्षा के लिए उस गड्ढे में स्थित हो गये। उस गड्ढे के चारों ओर की लगभग तीन-तीन किलोमीटर भूमि लिंग रूपी भगवान शिव की स्थली बन गई। ऐसे भगवान शिव इस पृथ्वी पर महाकालेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने से स्वप्न में भी किसी प्रकार का दुःख अथवा संकट नहीं आता है। जो कोई भी मनुष्य सच्चे मन से महाकालेश्वर लिंग की उपासना करता है, उसकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं और वह परलोक में मोक्षपद को प्राप्त करता है-
महाकालेश्वरो नाम शिवः ख्यातश्च भूतले।
तं दुष्ट्वा न भवेत् स्वप्ने किंचिददुःखमपि द्विजाः।।
यं यं काममपेदयैव तल्लिगं भजते तु यः ।
तं तं काममवाप्नेति लभेन्मोक्षं परत्र च[1]।।
अन्य कथानक—–
उज्जयिनी नगरी में महान शिवभक्त तथा जितेन्द्रिय चन्द्रसेन नामक एक राजा थे। उन्होंने शास्त्रों का गम्भीर अध्ययन कर उनके रहस्यों का ज्ञान प्राप्त किया था। उनके सदाचरण से प्रभावित होकर शिवजी के पार्षदों (गणों) में अग्रणी (मुख्य) मणिभद्र जी राजा चन्द्रसेन के मित्र बन गये। मणिभद्र जी ने एक बार राजा पर अतिशय प्रसन्न होकर राजा चन्द्रसेन को चिन्तामणि नामक एक महामणि प्रदान की। वह महामणि कौस्तुभ मणि और सूर्य के समान देदीप्यमान (चमकदार) थी। वह महा मणि देखने, सुनने तथा ध्यान करने पर भी, वह मनुष्यों को निश्चित ही मंगल प्रदान करती थी।
राजा चनद्रसेन के गले में अमूल्य चिन्तामणि शोभा पा रही है, यह जानकार सभी राजाओं में उस मणि के प्रति लोभ बढ़ गया। चिन्तामणि के लोभ से सभी राजा क्षुभित होने लगे। उन राजाओं ने अपनी चतुरंगिणी सेना तैयार की और उस चिन्तामणि के लोभ में वहाँ आ धमके। चन्द्रसेन के विरुद्ध वे सभी राजा एक साथ मिलकर एकत्रित हुए थे और उनके साथ भारी सैन्यबल भी था। उन सभी राजाओं ने आपस में परामर्श करके रणनीति तैयार की और राजा चन्द्रसेन पर आक्रमण कर दिया। सैनिकों सहित उन राजाओं ने चारों ओर से उज्जयिनी के चारों द्वारों को घेर लिया। अपनी पुरी को चारों ओर से सैनिकों द्वारा घिरी हुई देखकर राजा चन्द्रसेन महाकालेश्वर भगवान शिव की शरण में पहुँच गये। वे निश्छल मन से दृढ़ निश्चय के सथ उपवास-व्रत लेकर भगवान महाकाल की आराधना में जुट गये।
उन दिनों उज्जयिनी में एक विधवा ग्वालिन रहती थी, जिसको इकलौता पुत्र था। वह इस नगरी में बहुत दिनों से रहती थी। वह अपने उस पाँच वर्ष के बालक को लेकर महाकालेश्वर का दर्शन करने हेतु गई। उसने देखा कि राजा चन्द्रसेन वहाँ बड़ी श्रद्धाभक्ति से महाकाल की पूजा कर रहे हैं। राजा के शिव पूजन का महोत्सव उसे बहुत ही आश्चर्यमय लगा। उसने पूजन को निहारते हुए भक्ति भावपूर्वक महाकाल को प्रणाम किया और अपने निवास स्थान पर लौट गयी। उस ग्वालिन माता के साथ उसके बालक ने भी महाकाल की पूजा का कौतूहलपूर्वक अवलोकन किया था। इसलिए घर वापस आकर उसने भी शिव जी का पूजन करने का विचार किया। वह एक सुन्दर-सा पत्थर ढूँढ़कर लाया और अपने निवास से कुछ ही दूरी पर किसी अन्य के निवास के पास एकान्त में रख दिया।
उसने अपने मन में निश्चय करके उस पत्थर को ही शिवलिंग मान लिया। वह शुद्ध मन से भक्ति भावपूर्वक मानसिक रूप से गन्ध, धूप, दीप, नैवेद्य और अलंकार आदि जुटाकर, उनसे उस शिवलिंग की पूजा की। वह सुन्दर-सुन्दर पत्तों तथा फूलों को बार-बार पूजन के बाद उस बालक ने बार-बार भगवान के चरणों में मस्तक लगाया। बालक का चित्त भगवान के चरणों में आसक्त था और वह विह्वल होकर उनको दण्डवत कर रहा था। उसी समय ग्वालिन ने भोजन के लिए अपने पुत्र को प्रेम से बुलाया। उधर उस बालक का मन शिव जी की पूजा में रमा हुआ था, जिसके कारण वह बाहर से बेसुध था। माता द्वारा बार-बार बुलाने पर भी बालक को भोजन करने की इच्छा नहीं हुई और वह भोजन करने नहीं गया तब उसकी माँ स्वयं उठकर वहाँ आ गयी।
माँ ने देखा कि उसका बालक एक पत्थर के सामने आँखें बन्द करके बैठा है। वह उसका हाथ पकड़कर बार-बार खींचने लगी पर इस पर भी वह बालक वहाँ से नहीं उठा, जिससे उसकी माँ को क्रोध आया और उसने उसे ख़ूब पीटा। इस प्रकार खींचने और मारने-पीटने पर भी जब वह बालक वहाँ से नहीं हटा, तो माँ ने उस पत्थर को उठाकर दूर फेंक दिया। बालक द्वारा उस शिवलिंग पर चढ़ाई गई सामग्री को भी उसने नष्ट कर दिया। शिव जी का अनादर देखकर बालक ‘हाय-हाय’ करके रो पड़ा। क्रोध में आगबबूला हुई वह ग्वालिन अपने बेटे को डाँट-फटकार कर पुनः अपने घर में चली गई। जब उस बालक ने देखा कि भगवान शिव जी की पूजा को उसकी माता ने नष्ट कर दिया, तब वह बिलख-बिलख कर रोने लगा। देव! देव! महादेव! ऐसा पुकारता हुआ वह सहसा बेहोश होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा। उसकी आँखों से आँसुओं की झड़ी लग गई। कुछ देर बाद जब उसे चेतना आयी, तो उसने अपनी बन्द आँखें खोल दीं।
उस बालक ने आँखें खोलने के बाद जो दृश्य देखा, उससे वह आश्चर्य में पड़ गया। भगवान शिव की कृपा से उस स्थान पर महाकाल का दिव्य मन्दिर खड़ा हो गया था। मणियों के चमकीले खम्बे उस मन्दिर की शोभा बढा रहे थे। वहाँ के भूतल पर स्फटिक मणि जड़ दी गयी थी। तपाये गये दमकते हुए स्वर्ण-शिखर उस शिवालय को सुशोभित कर रहे थे। उस मन्दिर के विशाल द्वार, मुख्य द्वार तथा उनके कपाट सुवर्ण निर्मित थे। उस मन्दिर के सामने नीलमणि तथा हीरे जड़े बहुत से चबूतरे बने थे। उस भव्य शिवालय के भीतर मध्य भाग में (गर्भगृह) करुणावरुणालय, भूतभावन, भोलानाथ भगवान शिव का रत्नमय लिंग प्रतिष्ठित हुआ था।
ग्वालिन के उस बालक ने शिवलिंग को बड़े ध्यानपूर्वक देखा उसके द्वारा चढ़ाई गई सभी पूजन-सामग्री उस शिवलिंग पर सुसज्जित पड़ी हुई थी। उस शिवलिंग को तथा उसपर उसके ही द्वारा चढ़ाई पूजन-सामग्री को देखते-देखते वह बालक उठ खड़ा हुआ। उसे मन ही मन आश्चर्य तो बहुत हुआ, किन्तु वह परमान्द सागर में गोते लगाने लगा। उसके बाद तो उसने शिव जी की ढेर-सारी स्तुतियाँ कीं और बार-बार अपने मस्तक को उनके चरणों में लगाया। उसके बाद जब शाम हो गयी, तो सूर्यास्त होने पर वह बालक शिवालय से निकल कर बाहर आया और अपने निवास स्थल को देखने लगा। उसका निवास देवताओं के राजा इन्द्र के समान शोभा पा रहा था। वहाँ सब कुछ शीघ्र ही सुवर्णमय हो गया था, जिससे वहाँ की विचित्र शोभा हो गई थी। परम उज्ज्वल वैभव से सर्वत्र प्रकाश हो रहा था। वह बालक सब प्रकार की शोभाओं से सम्पन्न उस घर के भीतर प्रविष्ट हुआ। उसने देखा कि उसकी माता एक मनोहर पलंग पर सो रही हैं। उसके अंगों में बहुमूल्य रत्नों के अलंकार शोभा पा रहे हैं। आश्चर्य और प्रेम में विह्वल उस बालक ने अपनी माता को बड़े ज़ोर से उठाया। उसकी माता भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर चुकी थी। जब उस ग्वालिन ने उठकर देखा, तो उसे सब कुछ अपूर्व ‘विलक्षण’ सा देखने को मिला। उसके आनन्द का ठिकाना न रहा। उसने भावविभोर होकर अपने पुत्र को छाती से लगा लिया। अपने बेटे के भूतेश शिव के कृपा प्रसाद का सम्पूर्ण वर्णन सुनकर उस ग्वालिन ने राजा चन्द्रसेन को सूचित किया। निरन्तर भगवान शिव के भजन-पूजन में लगे रहने वाले राजा चन्द्रसेन अपना नित्य-नियम पूरा कर रात्रि के समय पहुँचे। उन्होंने भगवान शंकर को सन्तुष्ट करने वाले ग्वालिन के पुत्र का वह प्रभाव देखा। उज्जयिनि को चारों ओर से घेर कर युद्ध के लिए खड़े उन राजाओं ने भी गुप्तचरों के मुख से प्रात:काल उस अद्भुत वृत्तान्त को सुना। इस विलक्षण घटना को सुनकर सभी नरेश आश्चर्यचकित हो उठे। उन राजाओं ने आपस में मिलकर पुन: विचार-विमर्श किया। परस्पर बातचीत में उन्होंने कहा कि राजा चन्द्रसेन महान शिव भक्त है, इसलिए इन पर विजय प्राप्त करना अत्यन्त कठिन है। ये सभी प्रकार से निर्भय होकर महाकाल की नगरी उज्जयिनी का पालन-पोषण करते हैं। जब इस नगरी का एक छोटा बालक भी ऐसा शिवभक्त है, तो राजा चन्द्रसेन का महान शिवभक्त होना स्वाभाविक ही है। ऐसे राजा के साथ विरोध करने पर निशचय ही भगवान शिव क्रोधित हो जाएँगे। शिव के क्रोध करने पर तो हम सभी नष्ट ही हो जाएँगे। इसलिए हमें इस नरेश से दुश्मनी न करके मेल-मिलाप ही कर लेना चाहिए, जिससे भगवान महेश्वर की कृपा हमें भी प्राप्त होगी-
ईदृशाशिशशवो यस्य पुयर्या सन्ति शिवव्रता:।
स राजा चन्द्रसेनस्तु महाशंकरसेवक:।।
नूनमस्य विरोधेन शिव: क्रोधं करिष्यति।
तत्क्रोधाद्धि वयं सर्वे भविष्यामो विनष्टका:।।
तस्मादनेन राज्ञा वै मिलाय: कार्य एव हि।
एवं सति महेशान: करिष्यति कृपा पराम्।।
युद्ध के लिए उज्जयिनी को घेरे उन राजाओं का मन भगवान शिव के प्रभाव से निर्मल हो गया और शुद्ध हृदय से सभी ने हथियार डाल दिये। उनके मन से राजा चन्द्रसेन के प्रति बैर भाव निकल गया और उन्होंने महाकालेश्वर पूजन किया। उसी समय परम तेजस्वी श्री हनुमान वहाँ प्रकट हो गये। उन्होंने गोप-बालक को अपने हृदय से लगाया और राजाओं की ओर देखते हुए कहा- ‘राजाओं! तुम सब लोग तथा अन्य देहधारीगण भी ध्यानपूर्वक हमारी बातें सुनें। मैं जो बात कहूँगा उससे तुम सब लोगों का कल्याण होगा। उन्होंने बताया कि ‘शरीरधारियों के लिए भगवान शिव से बढ़कर अन्य कोई गति नहीं है अर्थात महेश्वर की कृपा-प्राप्ति ही मोक्ष का सबसे उत्तम साधन है। यह परम सौभाग्य का विषय है कि इस गोप कुमार ने शिवलिंग का दर्शन किया और उससे प्रेरणा लेकर स्वयं शिव की पूजा में प्रवृत्त हुआ। यह बालक किसी भी प्रकार का लौकिक अथवा वैदिक मन्त्र नहीं जानता है, किन्तु इसने बिना मन्त्र का प्रयोग किये ही अपनी भक्ति निष्ठा के द्वारा भगवान शिव की आराधना की और उन्हें प्राप्त कर लिया। यह बालक अब गोप वंश की कीर्ति को बढ़ाने वाला तथा उत्तम शिवभक्त हो गया है। भगवान शिव की कृपा से यह इस लोक के सम्पूर्ण भोगों का उपभोग करेगा और अन्त में मोक्ष को प्राप्त कर लेगा। इसी बालक के कुल में इससे आठवीं पीढ़ी में महायशस्वी नन्द उत्पन्न होंगे और उनके यहाँ ही साक्षात नारायण का प्रादुर्भाव होगा। वे भगवान नारायण ही नन्द के पुत्र के रूप में प्रकट होकर श्रीकृष्ण के नाम से जगत में विख्यात होंगे। यह गोप बालक भी, जिस पर कि भगवान शिव की कृपा हुई है, ‘श्रीकर’ गोप के नाम से विशेष प्रसिद्धि प्राप्त करेगा।
शिव भक्त हनुमान———
शिव के ही प्रतिनिधि वानरराज हनुमान जी ने समस्त राजाओं सहित राजा चन्द्रसेन को अपनी कृपादृष्टि से देखा। उसके बाद अतीव प्रसन्नता के साथ उन्होंने गोप बालक श्रीकर को शिव जी की उपासना के सम्बन्ध में बताया।पूजा-अर्चना की जो विधि और आचार-व्यवहार भगवान शंकर को विशेष प्रिय है, उसे भी श्री हनुमान जी ने विस्तार से बताया। अपना कार्य पूरा करने के बाद वे समस्त भूपालों तथा राजा चन्द्रसेन से और गोप बालक श्रीकर से विदा लेकर वहीं पर तत्काल अर्न्तधान हो गये। राजा चन्द्रसेन की आज्ञा प्राप्त कर सभी नरेश भी अपनी राजधानियों को वापस हो गये।
इस प्रकार ‘महाकाल’ नामक यह शिवलिंग शिव भक्तों का परम आश्रय है, जिसकी पूजा से भक्त-वत्सल महेश्वर शीघ्र प्रसन्न होते हैं। ये भगवान शिव दुष्टों के संहारक हैं, इसलिए इनका नाम ‘महाकाल’ है। ये काल अर्थात मृत्यु को भी जीतने वाले हैं, इसलिए इन्हें ‘महाकालेश्वर’ कहा जाता हैं। भगवान शिव भयंकर ‘हुँकार’ के साथ प्रकट हुए थे, इसलिए भी इनका नाम ‘महाकाल’ से प्रसिद्ध हुआ है।
भव्य मन्दिर—–
उज्जैन में स्थित महाकाल ज्योतिर्लिंग का भव्य मन्दिर पाँच मंज़िल वाला है तथा क्षिप्रा नदी से कुछ दूरी पर अवस्थित है। मन्दिर के ऊपरी भाग में श्री ओंकारेश्वर विद्यमान हैं। यातायात-व्यवस्था और सुरक्षा-सुविधा की दृष्टि से तीर्थयात्री दर्शनार्थियों को पंक्ति में होकर सरोवर के किनारे किनारे से ऊपर की मंज़िल में जाना पड़ता है। वहाँ से संकरी गली की सीढ़ियाँ उतरकर मन्दिर की निचले सतह पर आना पड़ता है जहाँ भूतल पर महाकालेश्वर का ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यह शिवलिंग समतल भूमि से भी कुछ नीचे है। यहाँ के रामघाट और कोटितीर्थ नामक कुण्डों में भी स्नान किया जाता है तथा पितरों का श्राद्ध भी विहित है अर्थात यहाँ पितृश्राद्ध करने का भी विधान है। इन कुण्डों के पास ही अगस्त्येश्वर, कोढ़ीश्वर, केदारेश्वर तथा हरसिद्धि देवी आदि के दर्शन करते हुए महाकालेश्वर के दर्शन हेतु जाया जाता है!
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भविष्य के कुंभ और अर्द्ध कुंभ मेले
सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के उपरोक्त राशिचक्रीय अंतरणों के विशेष संयोजन के अनुसार 2022 तक के भावी कुम्भ मेले निम्नानुसार आयोजित किये जायेंगे :—
वर्ष हरिद्वार प्रयाग नासिक उज्जैन
2015 नहीं नहीं कुंभ नहीं
2016 अर्ध कुम्भ नहीं नहीं कुंभ
2018 नहीं नहीं नहीं नहीं
2019 नहीं अर्ध कुम्भ नहीं नहीं
2021 नहीं नहीं अर्ध कुंभ नहीं
2022 कुंभ नहीं नहीं अर्ध कुंभ
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नासिक में कुंभ मेला (त्र्यंबकेश्वर) 2015 —
नासिक महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे से 200 किलोमीटर दूर स्थित एक प्रमुख शहर है. इसकी सुखद जलवायु, बाज़ारों, सुंदर वास्तुकला से सज्जित मंदिरों और गुफाओं के कारण यह नगर विश्व में अत्यंत ही लोकप्रिय है.
भारत में बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर महादेव का मंदिर नासिक में ही है. गोदावरी नदी के तट पर नासिक से 38 कि.मी. की दूरी पर स्थित त्र्यंबकेश्वर सिहस्थ कुंभ मेला नासिक (त्र्यंबकेश्वर) में प्रत्येक 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है. इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु गोदावरी नदी में डुबकी लगा कर आत्मशुद्धि करते हैं. नासिक में कुम्भ मेले के मौके पर शिवरात्रि उत्सव भी धूमधाम से मनाया जाता है…
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नासिक कुंभ मेला 2015-2016 की विशेष तिथियाँ—–
अगले 2015 के कुंभ मेले की तिथियाँ अब आधिकारिक तौर पर घोषित हो चुकीं हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) द्वारा घोषणा की जा चुकी है कि झंडावंदन के बाद मुख्य समारोह राम कुंदा पर 14 जुलाई 2015 को आयोजित किया जाएगा. अखाड़ों का ध्वजारोहण साधुग्राम में 19 अगस्त को होगा. प्रथम शाही स्नान 29 अगस्त 2015 को आयोजित किया जाएगा. दूसरा शाही स्नान 13 सितंबर 2015 और अंतिम शाही स्नान 18 सितंबर 2015 को होगा.
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—–उज्जैन में कुंभ मेला 2016—–
मध्य प्रदेश में इंदौर से 55 किमी दूर शिप्रा नदी के तट पर ‘उज्जैन’ (विजय की नगरी) स्थित है. यह भारत के पवित्रतम शहरों तथा मोक्ष प्राप्त करने के लिए पौराणिक मान्यता प्राप्त सात पवित्र या सप्त पुरियों (मोक्ष की नगरी) में से एक माना जाता है. मोक्ष दायिनी अन्य पुरियां (नगर) हैं : अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी (वाराणसी), कांचीपुरम, और द्वारका. पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने उज्जैन में ही दानव त्रिपुर का वध किया था. 22 अप्रैल से 21 मई 2016 के बीच उज्जैन के प्राचीन और ऐतिहासिक शहर में कुम्भ आयोजन शुरू होंगे.
उज्जैन कुंभ की विशेष तिथियां—–
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (अभाविप) द्वारा निम्नलिखित संभावित स्नान तिथियों के बारे में अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गयी है. अंतिम घोषणा में विभिन्न संप्रदायों के साधू संतों के लिए शाही स्नान के दिनों की संख्या में कमी आ सकती है.
प्रस्तावित स्नान कार्यक्रम इस प्रकार बना है :—-
22 अप्रैल 2016 (शुक्रवार) चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती (प्रथम शाही स्नान)
03 मई 2016 (मंगलवार) वरुन्थिनी एकादशी (द्वितीय शाही स्नान)
08 मई 2016 (रविवार) परशुराम जयंती (तृतीय शाही स्नान)
09 मई 2016 (सोमवार) अक्षय तृतीया (चतुर्थ शाही स्नान)
12 मई 2016 (गुरुवार) गंगा सप्तमी (पंचम शाही स्नान)
14 मई 2016 (शनिवार) वृषभ संक्रांति
15 मई 2016 (रविवार) सीता नवमी (षष्ठं शाही स्नान)
17 मई 2016 (मंगलवार) मोहिनी एकादशी
20 मई 2016 (शुक्रवार) नरसिंह जयंती
21 मई 2016(शनिवार) बुद्ध पूर्णिमा (अंतिम शाही स्नान)
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जानकारी एवं आम श्रद्धालुओं के लिए सलाह—-
यदि आप किसी भी कुम्भ मेले में स्नान का कार्यक्रम बना रहे हैं अथवा आपको कवरेज, रिसर्च या अन्य कारणों से किसी कुम्भ मेले में जाना है तो इन बातों का ख़याल ज़रूर रखें—–
1- भविष्य के मेलों में सुरक्षा जांच अनेक स्थानों पर होगी, इस लिए अपने पास कोई भी मान्य मूल पहचान पत्र ज़रूर रखें I
2- भीड़ को रोकने तथा भगदड़ को नियंत्रित करने के लिए जगह काफी बैरीकेडिंग की जायेगी, काफी चलना पड़ेगाI हलके जूते का प्रयोग करेंI पानी की बोतलें और अपनी ज़रुरत की सारी दवाएं पर्याप्त मात्र में साथ लेकर जाएँI
3- आपको जिन तिथियों में कुम्भ स्नान को जाना है, उनके हिसाब से यात्रा, आवागमन, ठहरने और आपातकालीन खान-पान, सुरक्षित पेयजल और सम्पूओर्न अवधि की आपातकालीन दवाएं पहले ही जुटा लेंI
4- मोबाइल फोन काम की चीज़ हैI समस्या यह है कि वह अक्सर डिस्चार्ज हो जाता हैI आप फुल्ली चार्ज अतिरिक्त बैटरी, चार्ज्ड एक्सटर्नल पोर्टेबल पावर बैंक और पॉवर चार्जर साथ रखेंI यदि परिवार में एक से ज्यादा फोन हों तो जहाँ तक हो सके केवल एक को प्रयोग करें, बाकी को आफ कर दें तथा उनकी बैटरियां अलग करके पालीथीन में रखेंI वाहन से जा रहे हों तो कार चार्जर साथ रखें I इससे किसी भी स्थिति में आपको मोबाइल चार्जिग की दिक्कत नहीं आयेगी I
5- जहां तक हो सके बहुत सुबह (तीन बजे से चार बजे के बीच) अपने स्थान से स्नान स्थल जाएँ इससे आप भीड़ बेकाबू होने से पहले स्नान पूजा करके लौट आयेंगेI समूह में चलेंI एक साथ रहे I अगर कोई खो जाए तो सीधे खोया पाया प्रसारण केंद्र पर अथवा अपने निवास वाली जगह पूछ कर पहुँच जाए, ऐसी सहमति बना कर कार्य करें I
6- नाव का उपयोग करने से पहले गंतव्य (जिस घाट तक जाना है वहां पर) वहाँ भीड़ की स्थिति देख लेंI बहुधा यह स्थिति नंगी आँखों से आप खुद देख सकते हैं I अगर वापसी का किराया भी जाते समय ही तै कर लें तो अच्छा रहेगा I अपने नाविक का मोबाइल नम्बर लिख लें ताकि गलती से वो आपको छोड़ जाए तो आप उसे बुला सकें वरना शोर में आपकी आवाज़ नहीं सुनी जा सकेगी I
जानकारी मीडिया कर्मियों के लिये :——
1- मित्रों, आपको चाहिए कि अपने मान्यता कार्ड, (यदि पिछले किसी कुम्भ का प्रेस कार्ड हो तो वह भी) और अपने आवेदन पत्र के साथ लगाने के लिए नियुक्ति प्रमाण आदि सहित अतिरिक्त फोटो और प्रतिलिपियाँ तैयार रखेंI
2 -पत्रकारों के शिविरों में सारी व्यवस्थाएं होने के बावजूद साबुन, तौलिया, पेस्ट और रोज़मर्रा के कास्मेटिक नहीं होतेI वो भी ले जाने चाहियेंI
3- प्रयास करें कि आपके आवागमन का कार्यक्रम सम्बंधित सूचना/लोकसंपर्क/जनसंपर्क/ माहिती/मंत्रालय के माध्यम से कुम्भ मेला प्रभारी को भेज दिया जाएI जांच कर लें कि यह कार्य हो गया I
4-मीडियाकर्मियों को अन्य जानकारी भी अपने पहुँचते ही एकत्र करनी चाहिए इसके लिए प्रतीक्षा न करें कि बाद में कर लेंगे I जैसे कुम्भ मेला स्नान तिथियाँ, मेला स्थल का मैप, बैरियरों, ट्रांसपोर्ट/ ट्रेफिक प्लान की जानकारी रिसेप्शन से ले लेंI कुम्भ के बारे में प्रकाशित लिटरेचर हासिल कर लें I सभी विभागों के नोडल अधिकारियों की सूची और फोन नम्बर सूचना/लोकसंपर्क/माहिती विभाग के प्रभारी से हासिल कर लें I पूछ लें कि प्रेस कांफ्रेंस और ब्रीफिंग की क्या व्यवस्था रखी गयी है I
5- मेले में स्थानीय पत्रकारों/अखबारों/चैनलों/प्रेस क्लब के शिविर लगते हैं, वहाँ हो आयें I कुछ देर प्रेस के लिए बने कंटीन और मीडिया सेंटर में बैठें और सूचना/माहिती/लोकसंपर्क विभाग के वहाँ तैनात कार्मिकों से भी मिल लीजिये I सबसे ज्यादा यह लोग ही आपके काम आयेंगे I
6- मेला में स्थित मीडिया सेंटर द्वारा प्रकाशित विज्ञप्तियां, फोटो तथा सूचनाएँ आपको मिलें इसके लिये अपना ईमेल उनको दे दें और चैक कर लें कि आपका इमेल पता तथा सैल फोन नंबर सही लिखा गया है I
7-याद रखें आप वहां केवल सैर सपाटा करने नहीं गए हैं I आपको खबर लिखने में मदद चाहिए उसके सूत्र जितना जल्दी विकसित करेंगे आप ही लाभ में रहेंगे I
8-एक बात और, मेले हमारे समाज का ही एक रूप हैं वहाँ भी अच्छे बुरे लोग होते हैं I राजनीति होती है I उससे दूर रहे और पूरा प्रयास करें कि आप एक प्रोफेशनल जैसे ही सबसे पेश आयें, बुराई, भलाई और व्यर्थ आलोचना से बचें I यदि आपके क्षेत्र और राज्य में अच्छा काम हो रहा है तो उसका ज़िक्र गर्व से करें परन्तु अपने मेजबानों (कुम्भ मेला आयोजित करनेवालों का राज्य/क्षेत्र/विभाग/अधिकारी/कार्मिक आदि) के बारे में कटुता व्यक्त न करें I मौका आये तो लिख दें, प्रसारित कर दें या उस पर उच्चाधिकारी से संयत तथा शालीन रूप से उनका पक्ष/स्पष्टीकरण मांग लें
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आगामी सिंहस्थ(कुंभ मेला) उज्जैन में अ.वि. गायत्री परिवार ११ लाख लोगों को विचार क्रांति अभियान का संदेश पहुचायेगा।
रविवार दि.७/९/२०१४ को गायत्री शक्ति पीठ उज्जैन पर जिले के परिजनों की गोष्ठी में प्रारंभिक चर्चा की गई।करीब १करोड़ ११लाख रूपये के व्यय का प्रारंभिक अनुमान लगाया गया।एक माह तक१०८ कुण्डीय यज्ञ,भव्य कलश यात्रा,प्रभावी प्रदर्शनी,भण्डारा, साहित्य विक्रय केन्द्र,औषधालय,प्रज्ञा पुराण कथा,धर्म संसद,उच्चस्तरीय साधना शिविर,व्यसन उन्मूलन,गौ संरक्षण,आदि प्रकल्प मेले में संचालित करने की योजना बनाई गई।
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