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दिनदहाड़े घर में घुसे बदमाश, सास-बहु का बेरहमी से गला रेतकर की हत्या

06 August 2013
बिलासपुर। राजकिशोर नगर के कल्याण बाग में एनटीपीसी सीपत के रिटायर्ड डीजीएम की मां व पत्नी की दिनदहाड़े गला रेतकर हत्या कर दी गई। उनकी लाश मकान के भीतर मिली। गले से सोने की चेन के साथ घरेलू खर्च के लिए रखे 14 हजार रुपए गायब थे। इस आधार पुलिस इसे लूट के इरादे की गई हत्या मान रही है।
कल्याण बाग के देवाशीष गांगुली एनटीपीसी सीपत के डीजीएम थे। यहां से रिटायर होने के बाद उन्होंने गेवरा-दीपका के पास चाकाबेड़ा में प्राइवेट पावर प्लांट में इंजीनियर की जॉब ज्वाइन की है। वे ज्यादातर दिन दीपका में ही रहते हैं। उनका बेटा दिव्यांश गांगुली भिलाई में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। मां बीना (84 वर्ष) व पत्नी स्वागता गांगुली (62 वर्ष) कल्याण बाग के मकान में रहती थीं। मकान के एक हिस्से को उन्होंने रेलकर्मी विकास सोना को किराए पर दे रखा है।
सोमवार की सुबह सास, बहू घर पर ही थीं। दोपहर में किसी ने घर में घुसकर गला रेतकर दोनों की हत्या कर दी। शाम करीब 4 बजे कार ड्राइवर बसंत यादव उनके घर पहुंचा। डोरबेल बजाने पर भीतर से कोई आवाज नहीं आई। आखिरकार उसने पड़ोसियों को यह जानकारी दी। उनके आने के बाद ड्राइवर मकान के पीछे की ओर पहुंचा और खिड़की से देखा तो उसके होश उड़ गए। किचन में स्वागता व दरवाजे के पास बीना की लाश पड़ी थी और आसपास खून बह रहा था। पड़ोसियों ने सरकंडा को सूचना दी और गांगुली को भी बताया। मकान से सिर्फ 14 हजार रुपए और दोनों महिलाओं के गले की चेन गायब थी। पुलिस के मुताबिक हत्या दोपहर 1 से 2 के बीच की गई होगी।


इंदिरा बैंक घोटाला के आरोपी मैनेजर ने कहा नहीं दिया सीएम को कोई पैसा

06 August 2013
रायपुर। नारको टेस्ट की सीडी उजागर होने के 15 दिनों बाद इंदिरा बैंक घोटाले का आरोपी मैनेजर उमेश सिन्हा सोमवार को अचानक सामने आया। उसने एक न्यूज चैनल को बयान दिया-मैंने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम, राजेश मूणत और अमर अग्रवाल को कोई पैसा नहीं दिया है। उमेश और चैनल की बातचीत के अंश-
सवाल - मुख्यमंत्री और मंत्रियों को आपने कितने रुपए दिए?
उमेश: मैंने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, रामविचार नेता और अमी अग्रवाल से किसी तरह से पैसे का लेन-देन नहीं किया।
सवाल - नारको टेस्ट में आपने रीता तिवारी के जरिए पैसे देने की बात कही है?
उमेश - मैं नारको टेस्ट में बेहोश था। उसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं कि मैंने क्या बयान दिया।
सवाल - अब तक आप कहां थे?
उमेश - सावन का महीना चल रहा है, मैं धार्मिक स्थल में गया था। मैं निवेदन करता हूं कि मीडिया इसे ट्रायल न बनाए। यह मामला कोर्ट में है। इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा।
सवाल- किसी मंत्री ने आपसे संपर्क किया या आप स्वत: यहां पहुंचे?
उमेश - मुझसे किसी ने संपर्क नहीं किया। मैं खुद आज पांच बजे अजमेर से आया हूं।
सवाल- आगे क्या करेंगे?
उमेश - मैं प्राइवेट नौकरी करता हूं। नौकरी करूंगा। सामान्य जीवन व्यतीत करना चाहता हूं।
सवाल- आप पर कोई दबाव है?
उमेश- नहीं, कोई दबाव नहीं है।


गोलमाल: बिना मान्यता के ही 27 साल से चल रहा स्कूल, दर्ज होगी एफआईआर

05 August 2013
तखतपुर। लोखंडी स्थित रुचि हाईस्कूल बिना मान्यता के दो साल से चल रहा था। शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल पर पेनाल्टी व स्कूल संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। पर मिशन कंपाउंड में स्थित कान्वेंट स्कूल 27 सालों से बिना मान्यता के लग रहा है पर उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
हाईकोर्ट ने एक मामले में याचिकाकर्ता स्कूल की पूर्व प्रधानपाठिका एसपी सामवेल के पक्ष में निर्णय देते हुए शिक्षा विभाग को जांच का आदेश दिया था। जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच दल का गठन किया। दल के सदस्य जीपी भास्कर ने जांच में पाया कि स्कूल में न तो कोई शिक्षण समिति है न ही उसे शासन की मान्यता मिली है। इसके बाद स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। कान्वेंट स्कूल की पदेन सचिव को स्कूल की ही पूर्व प्रधानपाठिका व याचिकाकर्ता को वेतन देने का आदेश जारी कर दिया। जब जांच टीम ने कहा है कि स्कूल को शासन से मान्यता नहीं मिली है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
क्या है मामला
1976 में इंदिरा कान्वेंट की स्थापना प्रधान पाठिका एसपी सामुएल ने की थी। शासन से आर्थिक सहायता हेतु शिक्षण समिति बनाई गई। 1981 से स्कूल को अनुदान शुरू हुआ। 1985 में शिक्षण समिति ने एसपी सामुएल को निलंबित कर दिया। इसके खिलाफ उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी व संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग बिलासपुर से शिकायत की। संबंधित अधिकारियों ने शिक्षण समिति को प्रधानपाठिका को बहाल करने आदेश दिया, पर ऐसा नहीं हुआ। इस पर शिक्षा विभाग ने 1987 में अनुदान राशि रोकते हुए मान्यता समाप्त कर दी। प्रधानपाठिका ने 1991 में जबलपुर हाईकोर्ट में मामला दायर किया। बाद में यह बिलासपुर हाईकोर्ट में स्थानांतरित हो गया। बिलासपुर हाईकोर्ट ने 18 फरवरी के निर्णय में माना कि उक्त शिक्षण समिति द्वारा प्रधानपाठिका को निलंबित करना गलत था। इसके बाद याचिकाकर्ता को बहाल कर स्कूल की जांच व उक्त दिनांक तक वेतन देने का आदेश पारित किया गया।
बच्चों का भविष्य दांव पर
बिना मान्यता चल रहे स्कूल में पहली से 8वीं तक कई छात्र हैं। अब तक हजारों बच्चे पास होकर निकल चुके हैं। इन बच्चों का क्या होगा, समझ से परे है। जिला शिक्षा विभाग के जांच दल के सामने प्रधानपाठिका व पदेन सचिव एस हीराधर ने दिए बयान में कहा है कि उसे 1990 से शाला का प्रभार सौंपा गया है। उनके कथन के मुताबिक पूर्व प्रधानपाठिका एसपी सामुएल के वेतन के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। उधर श्रीमती सामुएल ने आरोप लगाते हुए कहा जिला शिक्षा अधिकारी की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण है। हाईकोर्ट के आदेशानुसार मुझे हर्जाने के साथ वेतन मिलना चाहिए। जांच के बाद मुझे वेतन देने को तो कहा गया है पर बिना मान्यता के चल रहे स्कूल पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।