महिला आरक्षण बिल का समर्थन करेगी भाजपा: सुषमा
17 July 2013
नई दिल्ली। भाजपा ने स्पष्ट किया है कि अगर केंद्र सरकार संसद में महिला आरक्षण विधेयक लाती है तो वह इसका समर्थन करेगी। लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि यह केंद्र पर निर्भर करता है कि वह महिला विधेयक को संसद में पेश करे। उनकी पार्टी पहले ही इस विधेयक के समर्थन का वादा कर चुकी है।
भाजपा नेता सुषमा मंगलवार को यहां एसोचैम के एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंची थीं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक ताकत महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए जरूरी है। पंचायत स्तर पर महिला प्रतिनिधियों ने इस मिथक को तोड़ा है कि उनके लिए आरक्षण ठीक नहीं।
सुषमा के मुताबिक, भाजपा शासित राज्यों ने अपने यहां पहले ही पंचायत स्तर पर महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। जब उनसे पूछा गया कि महिला आरक्षण विधेयक संसद में पास क्यों नहीं हो सका? तो सुषमा ने कहा कि यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि उसे संसद में पेश करे। जहां तक मेरी पार्टी का सवाल है तो वह पहले ही इसके समर्थन की घोषणा कर चुकी है।।
महिलाओं के लिए विशेष हेल्थ बीमा लाएगी रिलायंस जनरल
15 July 2013
एथेंस। मोटर बीमा कारोबार में अपनी पैठ बनाने के बाद अब रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी हेल्थ इंश्योरेंस पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। कंपनी हेल्थ इंश्योरेंस बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर महिलाओं और बालिकाओं के लिए खास पॉलिसी बाजार में लाने की तैयारी में है। हेल्थ गेन नाम की यह पॉलिसी खासतौर पर स्वतंत्र व आजीविका के लिहाज से आत्मनिर्भर महिलाओं के लिए होगी। इस साल पहली अगस्त से इसे लांच किया जा रहा है।
अनिल अंबानी समूह की इस साधारण बीमा कंपनी की हेल्थ इंश्योरेंस बाजार में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक 21 फीसद हिस्सेदारी थी। नई पॉलिसी के बाद इस हिस्सेदारी में तेज बढ़त की उम्मीद है। यदि कोई महिला परिवार के लिए नई पॉलिसी का आवेदन करती है तो उसे प्रीमियम पर पांच फीसद छूट मिलेगी। इसी तरह परिवार की बालिकाओं के लिए भी अलग से पांच फीसद की छूट मिलेगी। लेकिन एक पॉलिसी में कुल मिलाकर छूट 15 फीसद से ज्यादा नहीं होगी। हर साल मिलने वाले नो क्लेम बोनस को स्कीम में फिर से निवेश कर चार साल में बीमा राशि को दोगुना किया जा सकता है। नई पॉलिसी में क्लेम में होने वाली देरी पर कंपनी मुआवजे के तौर पर बीमा राशि में अतिरिक्त राशि का योगदान करेगी। इसके अलावा कंपनी ने कई बीमारियों के स्कीम में शामिल होने की समय सीमा को भी घटाया है। रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के सीईओ राकेश जैन ने कहा कि भारत में कुल कामकाजी लोगों में 20 फीसद महिलाएं हैं। लेकिन इनमें से केवल दो फीसद महिलाएं ही हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में हैं। इसे देखते हुए ही कंपनी ने महिलाओं और गर्ल चाइल्ड के लिए खास प्लान लाने की योजना बनाई है। पहले वर्ष में कंपनी ने चार लाख पॉलिसी बेचने का लक्ष्य तय किया है।
जैन ने बताया कि देश में हेल्थ इंश्योरेंस कारोबार के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। भारत में हर साल करीब 18,000 करोड़ रुपये स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होते हैं, लेकिन इसका सिर्फ 10 फीसद हिस्सा ही हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में आता है। इस दस फीसद में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी कुल हेल्थ इंश्योरेंस का पांच फीसद से भी कम है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनी को 169 करोड़ रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम मिला। मौजूदा वित्त वर्ष में कंपनी एजेंटों की संख्या को 15,000 तक ले जाएगी।
भारतीय महिला को मिला यूएई का प्रतिष्ठित अवार्ड
04 July 2013
दुबई। यूएई में पहली बार किसी भारतीय उद्यमी महिला को बिजनेस एक्सीलेंस के लिए वहां के प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया। यह पुरस्कार नर्सरी शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय काम करने के लिए वंदना गांधी को प्रदान किया गया है।
ब्रिटिश ऑर्चर्ड नर्सरी की संस्थापक और सीईओ वंदना गांधी को अमीरात वुमेंस अवार्ड 2013 [ईडब्ल्यूए] दिया गया है। इस पुरस्कार को जीतने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुई वंदना ने कहा, यह पुरस्कार उनके लिए विशेष सम्मान है। इसे पाकर वह खुद को बहुत गौरवांवित महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा, दुबई सरकार की इस पहल से विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाएं प्रेरित होंगी और उनका हौसला बढ़ेगा। यूएई का यह प्रतिष्ठित पुरस्कार स्थानीय और प्रवासी उद्यमियों को प्रदान किया जाता है। विभिन्न वर्गो में विजेता का चयन नेतृत्व क्षमता, वित्तीय योजना, उपलब्धि स्तर, समाज में योगदान और नवाचार के आधार पर किया जाता है।
सपनों को उड़ान देना तो कोई कल्पना से सीखे
01 July 2013
नई दिल्ली। कल्पना चावला अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। इस सफलता को हासिल करने के बाद वे लाखों महिलाओं की प्रेरणा बन गई। भले ही कल्पना ने छोटे से शहर में जन्म लिया हो, लेकिन सपने वे आसमां छूने के देखती थीं और उनकी ये सोच ही कई पीढि़ तक महिलाओं को कुछ कर गुजरने का हौसला देती रहेगी।
1 जुलाई, 1961 में हरियाणा के करनाल जिले में उनका जन्म हुआ था। कल्पना के पिता का नाम बनारसी लाल चावला और माता का नाम संज्योती था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनों में सबसे छोटी थी।
शिक्षा
कल्पना चावला ने करनाल के टैगोर स्कूल से स्नातक और चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की थी। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए टेक्सास विश्वविद्यालय गई, जहां से उन्होंने एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमए किया। 1988 से ही कल्पना चावला ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। 1995 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया।
पहली अंतरिक्ष यात्रा
कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा एसटीएस-87 कोलंबिया स्पेस शटल से संपन्न हुई। इस यात्रा की अवधि 19 नवंबर 1997 से लेकर 5 दिसंबर, 1997 तक रही। कल्पना चावला की दूसरी और अंतिम उड़ान 16 जनवरी, 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल से आरंभ हुई। यह 16 दिन का मिशन था। इस मिशन पर उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लगभग 80 परीक्षण और प्रयोग किए। वापसी के समय 1 फरवरी 2003, को शटल दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से कल्पना समेत 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।
कल्पना चावला एक जज्बा
भले ही कल्पना आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपने जज्बे से जो मिशाल कायम की है इससे वे अमर हो चुकी हैं। महिला सशक्तिकरण की राह में कल्पना चावला ने नई इबारत लिखी है।
माधुरी के मोबाइल एपलिकेशन को मिला अवार्ड
29 June 2013
मुंबई। बॉलीवुड की धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित के हजारों फैन्स हैं। माधुरी के डांस, लुक, स्माइल के हजारों लोग कायल हैं। अब जिस चीज से माधुरी जुड़ी हुई हों और उसे लोग पसंद न करें ऐसा कैसे हो सकता है।
जी हां, दरअसल खबर यह है कि माधुरी के पर्सनल मोबाइल और टैबलेट को इंडियन डिजिटल मीडिया अवार्ड 2013 मिला। मोबाइल में मौजूद एपलिकेशन को उनके पति डॉक्टर श्री राम नैने ने लांच किया था। इस एपलिकेशन के जरिए माधुरी के फैन्स उन से जुड़ सकते हैं। इसके अलावा फैन्स माधुरी के गाने और उनकी लेटेस्ट फोटोज का भी लुफ्त उठा सकते हैं।
अंतरिक्ष में चीन की दूसरी महिला यात्री
28 June 2013
बीजिंग : चीन सबसे लंबे अंतरिक्ष मिशन के तहत मंगलवार को अपनी दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री को स्पेस में भेजेगा. रूस के स्पेसलैब मीर के जवाब में चीन स्पेस में अपना अंतरिक्ष प्रयोगशाला बनाने की दिशा में काम कर रहा है.
चीन के स्पेस प्रोग्राम के प्रवक्ता वु पिंग के मुताबिक शेंक्षाउ 10 अंतरिक्ष-यान एक लॉन्ग मार्च रॉकेट के माध्यम से मंगलवार को शाम पांच बजकर 38 मिनट पर रवाना होगा. पिछले वर्ष लियू यांग के अंतरिक्ष में जाने के बाद अब 35 वर्षीय वांग यापिंग अंतरिक्ष में जाने वाली चीन की दूसरी महिला होगी. इस बार चीनी अंतरिक्ष यान 15 दिनों की स्पेस की यात्रा पर जाएगा.
गौरतलब है कि चीन अंतरिक्ष मिशन में अमेरिका और रूस को कड़ी चुनौती देने का मन बना चुका है और इसी के तहत वो अपने स्पेस कार्यक्रमों में तेजी ला रहा है.
सबसे शक्तिशाली सेलिब्रिटी की सूची में ओप्रा विंफ्रे शीर्ष पर
27 June 2013
न्यूयार्क। दो साल दूसरे स्थान पर रहीं मशहूर टीवी प्रस्तोता ओप्रा विंफ्रे का नाम बुधवार को फोर्ब्स ने दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेलिब्रिटी के रूप में घोषित किया है। फोर्ब्स की इस सूची के शीर्ष दस शीर्ष लोगों में छह महिलाएं व चार पुरुष हैं।
अपना टीवी नेटवर्क चलाने वाली विंफ्रे सौ शक्तिशाली सेलिब्रिटीज की वार्षिक सूची में पांचवीं बार शीर्ष स्थान पाया है। गायिका लेडी गागा दूसरे स्थान पर रहीं। तीसरे नंबर पर निर्माता-निर्देशक स्टीवेन स्पीलबर्ग रहे। इसके बाद गायिका बेओंस और मडोना को स्थान मिला है। इसकी घोषणा करते हुए फोर्ब्स डॉट कॉम की डोरोथी पोमेरांत्ज ने कहा, 'उस तरह की अनुरूपता और शक्तिवाला कोई और नहीं है। वर्ष 1999 से ही केवल तीन ही लोग हैं जो हमारी हर सूची में शामिल हैं। वे हैं ओप्रा, हावर्ड स्टर्न एवं स्टीवेन स्पीलबर्ग। इस सूची में पिछले साल इस सूची में पहले नंबर पर रहीं गायिका व अभिनेत्री जेनिफर लोपेज इस बार शीर्ष दस में भी स्थान नहीं पा सकी व उन्हें बारहवां स्थान मिला है। जून 2012 से 2013 तक 77 मिलियन डॉलर [करीब 468 करोड़ रुपये] कमाने के बावजूद विंफ्रे सबसे अधिक कमाने वाली सेलिब्रिटी नहीं हैं। इस अवधि में 125 मिलियन डॉलर [759 करोड़ रुपये] के साथ मडोना सबसे ऊपर हैं।
एक तिहाई महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकार: सर्वे
25 June 2013
न्यूयॉर्क: हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में एक तिहाई से ज्यादा महिलाएं शारीरिक या यौन हिंसा की शिकार हैं और महिला विरोधी हिंसा की समस्या 'महामारी के स्तर' पर पहुंच चुकी है. डब्लूएचओ ने 'लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन' और 'साउथ अफ्रीका मेडिकल रिसर्च काउंसिल' की स्टडी में ये बात सामने आई.
डब्लूएचओ की इस स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि शारीरिक और यौन हिंसा जन स्वास्थ्य की समस्या है जो दुनिया भर में एक तिहाई से ज्यादा महिलाओं को प्रभावित करती है. दुनियाभर में करीब 35 फीसदी महिलाएं अपने करीबी साथी या दूसरे की हिंसा का शिकार होती हैं. इसमें कहा गया है कि महिलाओं के लिए साथी या पति की हिंसा का सामना करना आम बात हो गई है. इस तरह की हिंसा से 30 फीसदी महिलाएं पीड़ित हैं.
डब्ल्यूएचओ की महानिदेशक मार्गरेट चैन ने कहा कि इस रिपोर्ट से ये बात साफ होती है कि महिला विरोधी हिंसा एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है जो महामारी के स्तर पर पहुंच चुकी है. उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि दुनिया की स्वास्थ्य प्रणाली हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं के लिए और ज्यादा योगदान दे सकती है.
मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाली मनमोहन की बेटी सम्मानित
24 June 2013
न्यूयॉर्क। जानीमानी विधि कार्यकर्ता व भारत के प्रधानमंत्री की बेटी अमृत सिंह को मानवाधिकार कानून की रक्षा से जुड़े उनके अभूतपूर्व कार्य के लिए अन्य प्रमुख भारतीयों के साथ सम्मानित किया गया है। उनके साथ सम्मान पाने वालों में अमेरिकी सांसद अमी बेरा और द यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआइडी) के प्रमुख राज शाह शामिल हैं।
अमृत (43) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सबसे छोटी पुत्री हैं। वह न्यूयॉर्क स्थित ओपन सोसाइटी जस्टिस इनिशिएटिव में राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आतंकवाद प्रतिकार मुद्दों की वरिष्ठ विधि अधिकारी हैं। उन्हें इंडिया अब्रॉड संस्था द्वारा शुक्रवार को आयोजित समारोह में इंडिया अब्रॉड पब्लिशर का स्पेशल अवार्ड फॉर एक्सेलेंस-2012 प्रदान किया गया। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए द्वारा लोगों को प्रताड़ित किए जाने पर आधारित अमृत की रिपोर्ट 'ग्लोबलाइजिंग टॉर्चर : सीआइए सीक्रेट टॉर्चर एंड एक्ट्राआर्डिनरी रेंडिशन' को अंतरराष्ट्रीय मीडिया का बहुत ज्यादा ध्यान आकृष्ट किया था। इसमें वैश्विक यातना के संजाल का बहुत बारीकी व विस्तार से वर्णन है। इसे ओपन सोसाइटी जस्टिस इनिशिएटिव द्वारा गत फरवरी में प्रकाशित किया गया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान सहित 54 देशों ने अलकायदा के खिलाफ युद्ध में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के लिए अपने सीमा क्षेत्र में जेल और हिरासत में रखने, पूछताछ करने और संदिग्ध आतंकियों को यातना देने में सहायता की। इस रिपोर्ट में अलकायदा के खिलाफ अमेरिकी अभियान में शामिल देशों का ब्योरा है। इसके साथ ही उन 136 लोगों की पहचान उजागर की गई है जिन्हें पकड़कर सीआइए ने पकड़कर दूसरी जगह भेजा। इसमें यह भी बताया गया है कि उन्हें कब पकड़ा गया था
बाल विवाह हुआ तो भुगतना होगी जेल की सजा
11 May 2013
'मध्यप्रदेश में बाल विवाहों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने इस साल भी सख्त कदम उठाये हैं। बाल विवाह की रोकथाम के लिए फरवरी माह से लागू लाड़ो अभियान की कार्य-योजना के तहत जिलों में विशेष गतिविधियाँ संचालित की गई हैं। अभियान को पूरे साल जारी रखने का निर्णय लिया गया है। जिला कलेक्टरों का ध्यान उन तिथियों की और दिलाया गया है, जिनमें बड़ी संख्या में विवाह अथवा सामूहिक विवाह समारोह होते हैं। इनमें अक्षय तृतीया अथवा आखा-तीज प्रमुख है, जो सोमवार 13 मई को है।
बाल विवाह करना, बाल विवाह रोकथाम अधिनियम-1929 के अंतर्गत गैर कानूनी है। इसमे कैद या जुर्माना दोनों सजाएँ हो सकती हैं। इस अधिनियम की धारा-2 के उप खण्ड ‘क’ के अनुसार‘‘बालक’’ से अभिप्रेत, पुरूष से है जो इक्कीस वर्ष से कम आयु का हो और यदि नारी हो तो अठारह वर्ष से कम आयु की हो। उप खण्ड ‘‘ख’’ के अनुसार बाल विवाह से ऐसा विवाह अभिप्रेत है, जिसके बन्धन में आने वाले दोनों पक्षकारों में से कोई भी बालक हो। उप खण्ड ‘ग’ विवाह के ‘‘बन्धन में आने वाले पक्षकार’’ से संबधित है। पक्षकारों में से कोई भी जिसके विवाह का एतद द्वारा अनुष्ठान किया जाए या किया जाने वाला हो, से अभिप्रेत है।
अधिनियम की धारा-3 में बाल विवाह करने वाले इक्कीस वर्ष से कम आयु के पुरूष वयस्क के लिए दण्ड का प्रावधान है। इसके अनुसार जो कोई अठारह वर्ष से अधिक या इक्कीस वर्ष से कम आयु का पुरूष होते हुए बाल विवाह करेगा, वह सादा कारावास से जिसकी अवधि 15 दिन तक की हो सकेगी अथवा जुर्माने से जो एक लाख तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डनीय होगा। धारा-4 में बाल विवाह करने वाले इक्कीस वर्ष से अधिक आयु के पुरूष वयस्क के लिए दण्ड का प्रावधान है। जिसके अनुसार जो कोई इक्कीस वर्ष से अधिक आयु का पुरूष होते हुए बाल विवाह करेगा वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की होगी, दण्डनीय होगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। अधिनियम की धारा-5 में बाल विवाह के अनुष्ठान पर दण्ड का प्रावधान है। इसके अनुसार जो भी बाल विवाह को सम्पन्न करेगा, संचालित करेगा या निर्दिष्ट करेगा वह जब तक यह साबित न कर देगा कि उसके पास विश्वास करने का कारण था कि वह विवाह, बाल विवाह नहीं था, तीन मास की अवधि के सादा कारावास की सजा तथा जुर्माने से दण्डनीय होगा।
अधिनियम की धारा-6 में बाल विवाह से सम्बद्ध माता-पिता या संरक्षक के लिए दण्ड का प्रावधान है। माता-पिता या संरक्षक या अन्य किसी विधि पूर्ण या विधि विरूद्ध हैसियत से वयस्क की देख-रेख करने वाला कोई भी व्यक्ति जो विवाह को दुष्प्रेरित करने के लिए कोई अन्य कार्य करेगा अथवा उसका अनुष्ठान किया जाना अनुज्ञात करेगा अथवा अनुष्ठान का निवारण करने में उपेक्षापूर्ण असफल रहेगा, वह सादा कारावास से और जुर्माने से दण्डनीय होगा। कारावास की यह अवधि तीन मास तक की हो सकेगी परंतु कोई स्त्री कारावास से दण्डनीय नहीं होगी। इसी प्रकार धारा-12 में अधिनियम के उल्लंघन में किये जाने वाले विवाह का प्रतिषेध करने वाला आदेश निकालने की शक्तियाँ निहित हैं।
दो भारतीय-अमेरिकी महिलाएं बनी 'चैंपियंस ऑफ चेंज'
04 May 2013
'रक्षा' की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अपर्णा भट्टाचार्य और 'वन अमेरिका' की प्रमुख प्रमिला जयपाल को व्हाइट हाउस में मिला सम्मान
समाज में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारतीय मूल के दो अमेरिकियों को 'चैंपियंस ऑफ चेंज' सम्मान से नवाजा गया है। भारतीय मूल की दो महिलाओं अटलांटा की रहने वाली अपर्णा भट्टाचार्य और वाशिंगटन निवासी प्रमिला जयपाल एशिया और प्रशांत क्षेत्र के मूल निवासी उन अमेरिकियों में शामिल हैं जिनको अमेरिका के राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस में यह सम्मान दिया गया है।
प्रवासी भारतीयों के परिवारों मुखर वकालत करने वाली, यौन हिंसा और उनके सुरक्षा, न्याय और स्वास्थ्य जैसे के मुद्दों पर काम करने वाली भट्टाचार्य जॉर्जिया राज्य के अटलांटा में 'रक्षा' नामक संगठन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं।
वह इस बात के लिए काम करती हैं कि प्रवासी लोगों को अटॉर्नी, कानून प्रवर्तन और सेवा प्रदाताओं से पूरा सहयोग मिले। भट्टाचार्य फिलहाल जॉर्जिया के घरेलू हिंसा के खिलाफ संगठन की सदस्य हैं। इसके अलावा वीआईडीए कानूनी सलाह और नेशनल इमीग्रेंट्स वूमन्स एडवोकेसी प्रोजेक्ट की सदस्य भी हैं।
वहीं, यह सम्मान हासिल करने वाली दूसरी भारतीय मूल की अमेरिकी प्रमिला जयपाल ने अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले के बाद एक गैर-सरकारी संगठन 'वन अमेरिका' गठित किया जो इस समय वाशिंगटन में अप्रवासियों की पैरवी करने वाला सबसे बड़ा संगठन है।
वह वाशिंगटन और पूरे अमेरिका में आव्रजन में अग्रिम सुधारों की दिशा में काम करती रही हैं। वी बिलांग टुगेदर की सह अध्यक्ष के रूप में वह आव्रजन के मामलों में सुधार की वकालत करती रही हैं।
जयपाल फिलहाल सेंटर फॉर कम्युनिटी चेंज और यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन की लॉ स्कूल की प्रतिष्ठित अध्येता हैं।
चैंपियन ऑफ चेंज प्रोग्राम अमेरिकी प्रशासन ने उन लोगों को सम्मानित करने के लिए शुरू किया था तो अपने प्रवासी समुदाय को सशक्त करने और प्रेरित करने के लिए असाधारण योगदान दे रहे हैं।े।
महिलाओं, बच्चों के कल्याण पर इस साल 739 करोड़ अधिक खर्च होंगे 06 May 2013
मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण वाले महिला-बाल विकास विभाग के बजट में दसवें वित्तीय वर्ष में भी लगातार वृद्धि की है। बजट बढ़ाकर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि महिलाओं एवं बच्चों के विकास और संरक्षण के प्रति वह सजग है।
वर्ष 2003-04 में महिला-बाल विकास विभाग का बजट जहाँ 385 करोड़ 89 लाख 59 हजार रुपये था, वहीं वर्ष 2004-05 के बजट में 5.95 प्रतिशत की वृद्धि कर 408 करोड़ 86 लाख 7 हजार रुपये किया गया। बजट में कुल वृद्धि 22 करोड़ 96 लाख 48 हजार रुपये की हुई थी। राज्य सरकार ने वर्ष 2005-06 में बजट राशि में 72 करोड़ 82 लाख 35 हजार रुपये की वृद्धि कर उसे 481 करोड़ 68 लाख 42 हजार रुपये तक पहुँचाया। बजट में यह बढ़ोत्तरी 17.81 प्रतिशत रही थी।
राज्य सरकार ने अपने बुलंद इरादों को वर्ष 2006-07 में भी जारी रखा। तब बजट में 23.63 प्रतिशत की वृद्धि कर उसे 595 करोड़ 50 लाख 78 हजार रुपये तक पहुँचाया गया। बजट में 113 करोड़ 82 लाख 36 हजार रुपये की वृद्धि के फलस्वरूप योजनाओं का सफल क्रियान्वयन संभव हो सका। बजट में राशि बढ़ने का क्रम वर्ष 2007-08 में भी जारी रहा। इस वर्ष 96 करोड़ 36 लाख 34 हजार रुपये की बढ़ोत्तरी कर बजट को 691 करोड़ 87 लाख 12 हजार रुपये तक पहुँचाया गया। बजट में हुई यह वृद्धि 16.18 प्रतिशत थी।
राज्य सरकार की यह प्रतिबद्धता वर्ष 2008-09 में भी जाहिर हुई, जब बजट को 33.89 प्रतिशत अधिक कर 926 करोड़ 36 लाख 76 हजार रुपये तक कर दिया गया। इस प्रकार बजट में कुल 234 करोड़ 49 लाख 64 हजार रुपये की बढ़ोत्तरी परिलक्षित हुई। वर्ष 2009-10 महिला-बाल विकास के लिये और उल्लेखनीय रहा। इस साल विभागीय बजट में एक बड़ी राशि 720 करोड़ 97 लाख 45 हजार की वृद्धि की गई। बीते वर्ष की तुलना में वर्ष 2009-10 की बजट राशि 77.83 प्रतिशत बढ़ाकर 1647 करोड़ 34 लाख 21 हजार रुपये की गई। यह वह साल था जब लाड़ली लक्ष्मी योजना, पोषण आहार व्यवस्था आदि पर सरकार का खास ध्यान रहा।
बजट में वृद्धि की रफ्तार वर्ष 2010-11 में भी जारी रही। इस वर्ष विभागीय बजट में 23.19 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर उसे 2029 करोड़ 39 लाख 81 हजार रुपये किया गया। इसी तरह वर्ष 2011-12 में बजट 17.79 प्रतिशत बढ़ाकर 2390 करोड़ 43 लाख 19 हजार रुपये किया गया। लाड़ली लक्ष्मी योजना, बेटी बचाओ अभियान, अटल बाल मिशन आदि की सफलता को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2012-13 के बजट में 19.30 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि कर 2949 करोड़ 30 लाख रुपये किया। महिलाओं-बच्चों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए सरकार ने चालू माली साल के लिए बजट में 739 करोड़ 10 लाख रुपये का इजाफा कर उसे 3688 करोड़ 41 लाख रुपये तक पहुँचाया है। पिछले माली साल की तुलना में यह वृद्धि लगभग 25.06 प्रतिशत अधिक है।।
सिविल सेवा परीक्षा: लगातार तीसरी बार महिला ने बाजी मारी 04 May 2013
नई दिल्ली। संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित कराई जाने वाली देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में लगातार तीसरी साल एक बेटी ने ही बाजी मारी है। 2011 बैच की आइआरएस केरल की हरिता वी. कुमार ने सिविल सर्विसेज परीक्षा 2012 में टॉप किया है। सामान्य, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों में भी युवतियों ने ही टॉप किया है। दूसरे स्थान पर केरल के वी. श्रीराम और तीसरे पर दिल्ली की स्तुति चरन हैं। सिविल सेवा परीक्षा शुरू होने के बाद 1991 के बाद इस बार केरल के किसी अभ्यर्थी ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। यही नहीं, चौथे स्थान पर भी केरल के ही एजे वर्गीज हैं।
यूपीएससी 2012 की टॉपर हरिता वी.कुमार ने कहा, 'शुरुआत में मुझे भरोसा ही नहीं हुआ। मुझे लगा फोन पर बधाई देने वाले मेरे मित्र मुझे बेवकूफ बना रहे हैं। अपनी सफलता के लिए मैं अपने अध्यापकों, शुभचिंतकों और मित्रों को धन्यवाद देती हूं।'
उल्लेखनीय है कि सिविल सेवा परीक्षा, 2011 में एम्स से एमबीबीएस शेना अग्रवाल ने टॉप किया था, जबकि 2010 में विधि स्नातक एस. दिव्यदर्शिनी ने बाजी मारी थी। कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग के मुताबिक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस), भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) जैसी केंद्रीय सेवाओं में नियुक्ति के लिए इस साल चयनित 998 में 753 युवक,जबकि 245 युवतियां हैं। इनमें 457 सामान्य वर्ग (23 विकलांग सहित), 295 ओबीसी (नौ विकलांग सहित), 169 अनुसूचित जाति (दो विकलांग सहित) और 77 अनुसूचित जनजाति से हैं। इस बार यूपीएससी ने कुल 1091 पदों के लिए परीक्षा आयोजित कराई थी।
इस साल शीर्ष 25 अभ्यर्थी 12 राज्यों से हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। शीर्ष 25 में दिल्ली से 12, चार तिरुअनंतपुरम, दो चेन्नई, दो हैदराबाद और एक-एक जम्मू, मुंबई, जयपुर, चंडीगढ़ व इलाहाबाद से है। यूपीएससी, 2012 के लिए 20 मई, 2012 को हुई प्रारंभिक परीक्षा के लिए रिकॉर्ड पांच लाख 36 हजार 506 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, जिनमें दो लाख 71 हजार, 422 ने परीक्षा दी। मुख्य परीक्षा के लिए 13,092 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। इनमें 2,674 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए चुना गया। यूपीएससी के मुताबिक चयनित अभ्यर्थियों के अंक 15 दिन के भीतर वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट यूपीएससी डॉट जीओवी डॉट इन पर उपलब्ध हो जाएंगे।
शिरीन चौधरी बनीं बांग्लादेश की पहली महिला स्पीकर 03 May 2013
ढाका। बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार किसी महिला को संसद के स्पीकर के रूप में चुना गया है। इस गौरव को हासिल करने वाली महिला का नाम है शिरीन शरमीन चौधरी। बंगलादेश की सत्तासीन पार्टी आवामी लीग ने एकमत होकर महिला एवं बाल कल्याण मंत्री श्रीमती चौधरी को बतौर स्पीकर चुना।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कुछ दिनों पहले ही यह ख्वाहिश जाहिर की थी कि वह स्पीकर के पद पर किसी महिला को देखना चाहती हैं। बांग्लादेश में कई महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना के अलावा सदन की डिप्टी लीडर और विपक्ष की नेता भी महिला ही हैं लेकिन स्पीकर पद के लिए पहली बार किसी महिला का निर्वाचन हुआ है।
69 साल के अब्दुल हामिद के देश का राष्ट्रपति नियुक्त होने के बाद बीते 24 अप्रैल से स्पीकर की कुर्सी खाली थी। हामिद जनवरी 2009 से स्पीकर पद पर थे लेकिन बीते मार्च में सिंगापुर में इलाज के दौरान राष्ट्रपति जिल्लुर्रहमान की मौत होने के कारण उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था। सेवानिवृत कर्नल शौकत अली संसद के डिप्टी स्पीकर बने रहेंगे।
47 साल की चौधरी आवामी लीग के अंतर्राष्ट्रीय मामलों की सचिव हैं और वह महिलाओं के लिए आरक्षित संसदीय सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं हैं। ढाका विश्वविद्यालय से 1989 में कानून की डिग्री हासिल करने के बाद चौधरी ने 2000 में ब्रिटेन के एसेक्स विश्वविद्यालय से मानवाधिकार और संसदीय कानून में डाक्टरेट हासिल किया।
2007 में चौधरी बांग्लादेश नारी समाज की सदस्य बन गई थीं। इसकी वजह से उनका स्पीकर चुना जाना धार्मिक रूप से कट्टर लोगों की नाराजगी का सबब बन सकता है। महिला कल्याण मंत्री के रूप में उन्होंने महिलाओं के कल्याण से जुड़े कई काम किए जिसका इस्लामी संगठनों ने हमेशा विरोध किया। बांग्लादेश की 345 सदस्यीय संसद की 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित है।
मलाला यूसुफजई को मिल सकता है नोबेल शांति पुरस्कार
ओस्लो। पाकिस्तान में महिला शिक्षा की वकालत करने के कारण तालिबान हमले की शिकार बनी 15 साल की सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई का नाम इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के उम्मीदवारों की सूची में शामिल होने की खबर है। पुरस्कार की घोषणा इस साल अक्टूबर के आरंभ में होगी, लेकिन एक फरवरी को नामांकन की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद इस संबंध में अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। पिछले साल पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान ने मलाला की स्कूल बस को रोकर उस पर गोलियां चलाईं थी। उस घटना के बाद मलाला का इलाज रावलपिंडी के सैन्य अस्पताल और ब्रिटेन के अस्पताल में हुआ। माना जा रहा है कि मलाला के अलावा इस पुरस्कार के लिए बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेक्स बेलीत्स्की और रूस की ल्यूडमिला एलेक्सयेवा भी नामांकित हुए हैं। नोबेल शांति पुरस्कार किसे मिलेगा इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसके नामांकनों को गोपनीय रखा जाता है।
महिलाओं पर अत्याचार पर कड़ी सजा का अध्यादेश
नई दिल्ली।। बलात्कार के गंभीर मामलों में आरोपी को सजा-ए-मौत देने की बात सैद्धांतिक रूप से सरकार ने भी मान ली है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की विशेष बैठक में जस्टिस वर्मा कमिटी के सुझावों पर आधारित संशोधित कानून को मंजूरी दे दी गई। इसके आधार पर सरकार अध्यादेश जारी करके रेप के मामलों से निपटने के लिए सख्त कानून लेकर आएगी। अब इस अध्यादेश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही इसे नोटिफाई करके लागू कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर को दिल्ली में पैरामेडिकल स्टूडेंट से गैंगरेप के बाद सरकार ने मौजूदा रेप कानून में बदलाव करने और उसे ज्यादा सख्त बनाने के लिए जस्टिस जे.एस. वर्मा की अध्यक्षता में कमिटी बनाई थी। इसी के सुझावों के अनुरूप अध्यादेश लाने का फैसला किया गया है। मौजूदा आपराधिक कानून में कई अहम बदलाव करने के लिए अध्यादेश को यह मंजूरी संसद के बजट सत्र से महज 20 दिन पहले दी गई है।
सैलेरी में से हर महीने पत्नी को देना होगा हिस्सा
नई दिल्ली। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय की यह कोशिश अगर परवान चढ़ी तो बहुत जल्द पति को अपनी पत्नी को घरेलू कामकाज के लिए प्रतिमाह वेतन का भुगतान करना पड़ेगा। मंत्रालय में इस प्रस्ताव का प्रारूप तैयार किया जा रहा है। जल्द ही कैबिनेट में भी इसे पेश किया जाएगा। इस प्रस्ताव के कानून बनते ही हर पति को अपने पत्नी को हर महीने एक तय तनख्वाह देना कानूनन अनिवार्य हो जाएगा।
नए कानून के मसौदे के अनुसार, सभी पुरुषों को अपने मासिक वेतन का 10-20 प्रतिशत हिस्सा पत्नी को बतौर तनख्वाह अदा करने की योजना है। इसके तहत एक बेलदार मजदूर से लेकर टॉप कंपनियों में काम करने वाले एक्जीक्यूटिव तक सभी शामिल होंगे। पुरुषों को अपनी पत्नी के लिए बैंक में खाता खुलवाना होगा और हर महीने तय रुपए जमा कराने होंगे। इस खाते से सिर्फ खाताधारक ही पैसे निकाल सकेगी यह जानकारी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने दी। उन्होंने कहा, 'सरकार एक ऐसा कानून लाने की सोच रही है, जिसके तहत हर पुरुष को अपनी तनख्वाह से एक तय प्रतिशत राशि पत्नी को अदा करना होगा। इसके लिए सरकार एक मानक भी तय करेगी। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस बाबत अपनी तैयारी शुरू कर दी है।' उनके मुताबिक, प्रारूप बनाने के बाद अगले छह महीने के भीतर इसे कानून बनाने के लिए संसद में पेश करने की योजना भी है। कृष्णा तीरथ का कहना है कि देश में लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं शादी के बाद घर-गृहस्थी संभालने में लग जाती हैं। लेकिन इससे उन्हें कोई निश्चित आय नहीं होती। इसकी गंभीरता का अहसास तब होता है जब किसी कारणवश तलाक होने या पति की मृत्यु के बाद महिला के पास अपने गुजर-बसर के लिए कुछ नहीं रह जाता। कृष्णा तीरथ का कहना है कि यह कदम महिला सशक्तीकरण के लिए उठाया जा रहा है। मकान या प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में महिलाओं के लिए छूट की योजना प्रचलित हो गई है। ठीक इसी तरह इसे भी लागू कराने की कोशिश होगी।
बहू का कन्यादान कर सास ने निभाया मां का धर्म
भोपाल। पुनर्विवाह का एक जीता जागता उदाहरण रविवार को राजधानी में देखने को मिला। सास ने बहू का कन्यादान कर मां का धर्म निभाया. सास ने बहू को बेटी की तरह दुल्हन बनाकर। रविवार को टीटी नगर स्थित आर्य समाज मंदिर में कन्यादान कर विदा किया। इसके पूर्व सादे समारोह में शादी की रस्में हुईं।
होशंगाबाद के कृष्णापुरी निवासी गुजराती क्षत्रिय परिवार की सविता बेन चावरा के बेटे मनोज की दो साल पहले हार्ट अटैक से मौत हो गयी थी. बहू सुषमा की सूनी मांग और उसके जीवन की खुशियों को असमय लगा ग्रहण सविता बेन को ज्यादा दुख पहुंचा रहा था। वे जानती थीं कि अकेले जीवन काटना कितना मुश्किल होता है। उन्होंने सुषमा को हमेशा बेटी ही माना। वे उसका घर दोबारा बसाने का मन बना चुकीं थी। घर और परिवार में स्थितियां सामान्य होने पर उन्होंने सुषमा को बेटी के रूप में घर से विदा करने की इच्छा सभी के सामने रखी। उनके इस फैसले का किसी ने भी विरोध नहीं किया। सुषमा भी अपनी मां समान सास के फैसले का विरोध नहीं कर सकीं। आखिरकार उन्होंने भी शादी के लिए अपनी हामी भर दी।
सविता बेन कहती हैं कि मैंने सोच लिया था कि सुषमा की दूसरी शादी करूंगी। उन्होंने परिवार और समाज के सामने बहू के लिए लड़का तलाशने का प्रस्ताव रखा। कई जगह बात चलाई। अंत में एमपीएसईबी भोपाल में पदस्थ सब-इंजीनियर जितेंद्र दिनेश बेगड़ पर आकर उनकी तलाश खत्म हुई। जितेंद्र की पत्नी की जनवरी में कैंसर से मौत हो गई थी। उन्हें अपने दो बेटों की ज्यादा चिंता थी। जितेंद्र के परिजन भी शादी कराना चाहते थे, लेकिन जितेंद्र के बेटे इसके लिए पहले तैयार नहीं थे। सुषमा की सास सविता बेन कहती हैं, शादी की बात पिछले एक महीने से चल रही थी, लेकिन तीन दिन पहले ही इसके लिए सभी की रजामंदी हुई।
|