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मध्य प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों पर बड़ा फैसला, RTI के तहत देनी होंगी ये जानकारियां
24 Feb 2023 भोपालमध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में लगातार सामने आ रही निजी स्कूलों की मनमानी की सामने आती रही है. इसे लेकर अब सूचना आयोग (Information Commission) सख्त हो गया है. रीवा की एक स्कूल के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त (Information Commissioner Rahul Singh) ने बड़ा फैसला सुनाया है. उनके आदेश के अनुसार, शासन से अनुदान लेने वाले निजी स्कूल पूरी तरह RTI के दायरे में होंगे. उन्हें अब मांगी गई जानकारी समय सीमा में देनी होगी. ऐसा नहीं करने पर जुर्माना लगाया जाएगा. सूचना आयुक्त ने क्या कहा? सूचना आयुक्त ने कहा 'शासन से अनुदान लेने वाले निजी स्कूल पूरी तरह RTI के दायरे में होंगे. लोगों को यह जानने का हक है कि उनके बच्चे जिस प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं. वे शासन द्वारा निर्धारित कानून के तहत संचालित हो रहे हैं या नहीं. मान्यता सम्बन्धी जानकारी 30 दिन में देनी होगी.राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने साफ किया की शिक्षा विभाग के पास रेगुलेटरी अथॉरिटी होने के नाते पर्याप्त अधिकार हैं. शासन के पास प्राइवेट स्कूलों की नियमों के अनुरूप प्राप्त होनी चाहिए. इस कारण प्राइवेट स्कूल जानकारी देने से मना नहीं कर सकते. ऐसा करने पर RTE Act 2009 और RTE rules 2011 के तहत प्राइवेट स्कूलों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई कर जानकारी ली जा सकती है. क्या है रीवा का मामला? रीवा के एक निजी स्कूल से मान्यता संबंधी जानकारी मांगी थी. इसे जिला शिक्षा अधिकारी ने विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पास भेजा था. यहां ये कहते हुए जानकारी देने के इंकार कर दिया गया की निजी स्कूल ने आरटीआई अधिनियम के अधीन नहीं हैं. जानकारी न मिलने पर मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा. जहां, आयुक्त राहुल सिंह ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया है.इन राज्यो में पहले से है व्यवस्था बता दें उत्तरप्रदेश में जुलाई 2021 में ही सूचना आयोग प्राइवेट स्कूलों को RTI के दायरे में लाने के आदेश जारी किए थे. इसके बाद हरियाणा में मई 2022 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस व्यवस्था को लागू किया गया. अब मध्यप्रदेश में रीवा के एक मामले की सुनवाई करते हुए 23 फरवरी 2023 को इस संबंध में आदेश जारी किए. जिसके अनुसार यहां के प्राइवेट स्कूल RTI के दायरे में आ गए हैं.आर टी आई की अनदेखी पर राज्य सूचना आयुक्त ने अपर कलेक्टर टीकमगढ़ पर लगाया 25000 जुर्माना 13 March 2020 भोपाल से आरटीआई आवेदक प्रदीप अहिरवार द्वारा टीकमगढ़ में अपनी जमीन पर सीएमओ नगरपालिका टीकमगढ़ द्वारा कुआं खोदने एवं सूखा राहत राशि विवरण संबंधी जानकारी 2017 मार्च में मांगी गई थी। इस प्रकरण में तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर टीकमगढ़ श्री प्रताप सिंह चौहान और टीकमगढ़ के अपर कलेक्टर एस के अहिरवार द्वारा प्रथम अपीलीय अधिकारी कलेक्टर टीकमगढ़ के आदेश के बावजूद जानकारी नहीं दी गई। आयोग के समक्ष इस प्रकरण में कुल 6 सुनवाई हुई। लेकिन इनमें से पांच सुनवाईयो में प्रताप सिंह चौहान और एस के अहिरवार उपस्थित नहीं हुए। पांचवी सुनवाई के बाद आयोग द्वारा जारी जुर्माने की कार्रवाई के नोटिस के बाद चौहान और अहिरवार द्वारा आयोग के समक्ष अपना जवाब प्रस्तुत किया। प्रताप सिंह चौहान ने कहा कि उनके खिलाफ कार्यवाही ना की जाए क्योंकि बिंदु क्रमांक 1 की जानकारी दी गई दी जा चुकी है और 10/12/2017 को उनका स्थानांतरण हो गया था और उनकी जगह एसके अहिरवार अपर कलेक्टर राजस्व टीकमगढ़ को प्रभार दिया गया था। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने उनकी इन दोनों दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि चौहान द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 30 दिन का उल्लंघन किया गया। वही अधिकारियों द्वारा जानकारी देने में 3 साल से ज्यादा का समय लगा दिया गया। साथ ही प्रथम अपीलीय अधिकारी की जानकारी ना दे कर धारा 7 की उप धारा 8 (1) (2) (3) का भी उल्लंघन किया गया।* *आयुक्त सिंह ने कहा कि चौहान के स्थानांतरण से पहले ही प्रथम अपीलीय अधिकारी कलेक्टर टीकमगढ़ का आदेश जानकारी देने के लिए आ चुका था और उसके बाद भी जानकारी नहीं देकर इनके द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम की अवहेलना की गई। वही एस के अहिरवार को भी कलेक्टर टीकमगढ़ का आदेश अपीलकर्ता ने 2017 में ही उपलब्ध करा दिए थे पर अहिरवार ने भी जानकारी 26 महीने बाद दी वो भी तब जब राज्य सूचना आयोग ने उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई का नोटिस जारी किया। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आयोग के निर्देश के बावजूद आयोग द्वारा बुलाई गई पिछली 5 सुनवाइयों में चौहान और अहिरवार के हाज़िर नहीं होने को सूचना के अधिकार अधिनियम की घोर अवहेलना करार दिया है। देश मे पहली बार ट्विटर एवं व्हाटसअप के माध्यम से मप्र सूचना आयुक्त राहुल सिंह कर रहे RTI मामले का निराकरण। 28 November 2019 RTI के तहत जानकारी लेने में अक्सर आवेदको की चप्पले घिस जाती है। पर देश मे पहली बार एक नया प्रयोग करते हुए मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त राहुल सिंह महीनों में होने वाले कार्य को चंद घंटों में अंजाम दे रहे है। सिंह की कार्यशैली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। वे ट्विटर के माध्यम से शिकायत प्रकरण दर्ज़ कर रहे है। साथ ही साथ फ़ोन पर ही सुनवाई करके अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाई व्हाट्सएप के माध्यम से बुला लेते है। ट्विटर पर किया प्रकरण दर्ज। रीवा जल संसाधन विभाग का मामला कानून के तहत 30 दिन में जानकारी देने के प्रावधान हैं पर अक्सर अधिकारियों की लापरवाही के चलते कई मामले महीनों सालो तक लंबित हो जाते हैं। अपनी तरह के पहले मामले में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ट्विटर पर मिली शिकायत पर ही प्रकरण पंजीबद्ध कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर दी है। ऐसे परेशान किया अपीलकर्ता को। दुबे ने प्रकरण में गोविंदगढ़ रीवा मेंं जल संसाधन विभाग से जुड़ी हुई जानकारी मांगी थी। उनकी अपील को मुख्य अभियंता के कार्यालय ने कार्यपालन यंत्री के कार्यालय में ट्रांसफर कर दी थी। अपीलकर्ता मनोज कुमार दुबे जब भी कार्यालय जाते वहां उनको प्रकरण की कोई जानकारी नही दी जाती। बाद में मुश्किल से बाबू मिले तो बाबू ने जानकारी की प्रतिलिपि के लिए ₹2 का चालान एसबीआई बैंक चालान के माध्यम से जमा करने को कहा। अपीलकर्ता ने विरोध किया कहा कि नगद में पैसे जमा करवा लें, दो रुपये का बैंक से चालान बनाने वे कहा जाएगे। मनोज ने उस वक़्त अपने मोबाइल कैमरे से उक्त अधिकारी का वीडियो भी बना लिया जिसमें अधिकारी कह रहे हैं कि उनको आरटीआई के कानून से कुछ लेना-देना नहीं है। यह वीडियो और अपनी पूरी शिकायत उन्होंने ट्वीट के माध्यम से राज्य सूचना आयुक्त के ट्विटर हैंडल पर पोस्ट कर दी। सूचना आयुक्त राहुल सिंह छुट्टी पर थे पर उन्होंने चंद मिनटों में इसका संज्ञान लेते हुए अपने कार्यालय को इस मामले में प्रकरण पंजीबद्ध करने के निर्देश दे दिए। सूचना आयुक्त के निर्देश पर उनके कार्यालय ने तत्काल व्हाट्सएप के माध्यम से अपीलकर्ता से धारा 18 के तहत शिकायत का आवेदन भी प्राप्त किया अपीलकर्ता ने अपनी शिकायत में बताया कि किस तरह से उनको सरकारी कार्यालय में जानकारी देने के नाम पर भटकाया जा रहा है। ये कार्यवाही की दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़। ₹2000 हर्जाना अपीलकर्ता को। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल @rahulreports पर रीवा के अधिवक्ता मनोज कुमार दुबे से मिली शिकायत पर कड़ी कार्रवाई करते हुए मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग के रीवा संभाग के मुख्य अभियंता एवं कार्यपालन यंत्री के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई एवं ₹7500- 7500 जुर्माने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। साथ ही विभाग के एक अन्य अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन तलब किया है। मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग को अपीलकर्ता को ₹2000 का मुआवज़ा देने के आदेश भी सूचना आयुक्त ने जारी किए है। सूचना आयुक्त राहुल सिंह के मुताबिक इस प्रकरण में एक नहीं बल्कि सूचना के अधिकार कानून की कई धाराओं का उल्लंघन हुआ है। 30 दिन की समय सीमा के उल्लंघन होने के बाद अपीलकर्ता चाहे तो प्रथम अपील में ना जाकर सीधे जुर्माने एवं अनुशासनिक कार्रवाई के लिए धारा 18 के तहत सूचना आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। धारा 18 के तहत जानकारी देने का प्रावधान नहीं है लेकिन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। सूचना आयुक्त ने इस शिकायत के अवलोकन के बाद अपने आदेश में कहा कि स्पष्ट तौर पर समय सीमा का उल्लंघन हुआ है जो की धारा 7 (1) का उल्लंघन है। वही मात्र एसबीआई का चालान मांग कर लोक सूचना अधिकारी कार्यालय कार्यपालन यंत्री ने धारा 7 (5) का उल्लंघन किया है। लोक सूचना अधिकारी को अपीलकर्ता की हर संभव मदद करनी चाहिए थी जो नहीं की गई यहां धारा 5 (3) का भी उल्लंघन हुआ है । डीम्ड लोक सूचना अधिकारी कार्यपालन यंत्री ने धारा 5 (5) का उल्लंघन किया है क्योंकि उन्होंने जानकारी नहीं देकर लोक सूचना अधिकारी मुख्य अभियंता का असहयोग किया है। लोक सूचना अधिकारी मुख्य अभियंता कार्यालय मात्र आरटीआई आवेदन को दूसरे कार्यालय में अंतरित करके अपने कर्तव्यों से इतिश्री नहीं कर सकते हैं जानकारी देने में उनकी भी जवाबदेही तय होती है। पहले भी ईमेल, फोन और व्हाटसअप के माध्यम से किया अपील का निराकरण। एक और प्रकरण में रीवा के TP तिवारी ने 2016 में शासकीय जनता महाविद्यालय के प्राचार्य की जानकारी मांगी। 3 साल चप्पले घिसने के बाद भी जानकारी नही मिली थी। जब इस मामले की राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने भोपाल में सुनवाई की तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई। सरकारी अधिकारियों ने तिवारी के हस्ताक्षर वाला एक नोट आयोग के सामने पेश किया जिसमे आवदेक ने खुद जानकारी की जरूरत नही होने से जानकारी लेने से मना कर दिया। मामला फ़र्ज़ी हस्ताक्षर का था लिहाज़ा सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने रीवा के SP आबिद खान को जाँच सौप दी। साथ ही सूचना आयोग ने महाविधालय के प्राचार्य को 15 दिन में जानकारी देने को कहा। आयोग के आदेश के बाद भी जब समय सीमा में जानकारी नही मिली तो आवेदक ने सीधे सूचना आयुक्त से फ़ोन पर सम्पर्क किया और ईमेल कर के अपनी शिकायत दर्ज़ कराई। सूचना आयुक्त ने भी इस मामले में तुरंत करवाई करते हुए अपील की सुनवाई फ़ोन पर कर डाली और फ़ोन पर हुई आदेश जारी करने की करवाई का वीडियो ट्विटर के माध्यम से सावर्जनिक कर दिया। साथ ही सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने रीवा के क्षेत्रीय संचालक उच्च शिक्षा विभाग सत्येन्द्र शर्मा को फ़ोन पर तत्काल आदेश जारी करने का निर्देश देते हुए आदेश का पालन प्रतिवेदन व्हाटसअप के माध्यम से भेजने को कहा। एक घंटे के अंदर आदेश की कॉपी व्हाटसअप पर आते ही उसे सूचना आयुक्त ने ट्विटर पर डाल कर सावर्जनिक भी कर दिया। छात्र के मामले का निराकरण व्हाटसअप के माध्यम से। एक और मामले में रीवा के रामावतार नाम के एक छात्र ने अपनी मार्कशीट के लिए RTI की अर्जी लगाई। जानकारी नही मिलने पर उसने आयोग में अपील दायर की। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस मामले में आदेश को व्हाटसअप के माध्यम से आवेदक को दिया और उसको प्रिंटआउट ले कर अधिकारियों से मिलने को कहा और साथ ही अधिकारियों को फोन पर जानकारी देने को कहा। 15 दिन में जब तक आयोग के आदेश की सरकारी डाक पहुँचती उससे पहले छात्र को उसकी मार्कशीट मिल गई थी। अपने इस प्रयोग के बारे में देश के सबसे युवा सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कहना है, " हम मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उस पर करवाई करते है। कई मामलों में जानकारी मांगने वाला व्यक्ति वैसे ही बेहद परेशानी से गुजर रहा होता है। और अधिकारियों के रवैये से उनकी परेशानी बढ़ जाती है ऐसे में आयोग के इस तरह के फैसले लोगो को सूचना के अधिकार कानून के प्रति विश्वास पैदा करता है।" सूचना आयोग का अनूठा फैसला। जानकारी नही देने जुर्माना ₹ 50000 और हर्जाना 1 रुपये का। भोपाल,12 जुलाई, 2019 हर्जाने के तौर पर बड़ी राशि अदा करने की खबरें तो आप ने सुनी होगी। पर मध्य प्रदेश का सूचना आयोग इसलिए खबरों में है कि वहां आवेदक को बतौर हर्जाना महज एक रुपए अदा करने का अनूठा फैसला सुनाया है। मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मुख्य नगरपालिका अधिकारी ब्यावरा इकरार अहमद से दो अलग अलग प्रकरणों में कुल 50000 रुपये जुर्माने की रक़म वसूलने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे को निर्देश दिए हैं। वही इस मामले में पिछले चार साल से जानकारी के लिए भटक रहे ब्यावरा के आरटीआई आवेदक राशिद जमील खान एक रुपये अदा करने की अजीबोगरीब मांग रख दी। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस मांग को स्वीकार करते हुए प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन संजय दुबे को बतौर हर्जाना अपीलकर्ता को एक रुपए अदा करने का निर्देश भी दिए हैं। ये जानकारी छुपाई गई थी। इस मामले में आवेदक राशिद जमील खान ने सन 2015 में RTI के तहत राजगढ़ जिले के ब्यावरा नगर पालिका में निर्माण कार्य की क्वालिटी चेक टेस्ट रिपोर्ट एवं रिपोर्ट देने वाली प्रयोगशाला के नाम की जानकारी मांगी थी। RTI को लेकर सरकारी अधिकारियों की लापरवाही। इस मामले सूचना आयोग में 8 सुनवाईयां हुई जिसमें से सिर्फ दो मामलों में अधिकारी इकरार अहमद हाजिर हुए। 2017 में इस मामले में आयोग ने इकरार अहमद के खिलाफ ₹25000 अर्थदंड वसूली का आदेश जारी कर दिया था। उसके बाद भी जुर्माने की रक़म जमा नही कराई गई। अपीलकर्ता तीन बार आयोग में आयोग के आदेश का पालन कराने के लिए अर्जी भी दे चुका है। आयोग के आदेश के अनदेखी से नाराज़ सूचना आयुक्त अपीलकर्ता रशीद जमील खान जब तीसरी बार अपनी अर्जी लेकर सूचना आयुक्त राहुल सिंह से मिले तो उन्होंने इस प्रकरण तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए । पिछले 4 साल से चल रहे इस प्रकरण को सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने उस ढर्रे की मिसाल बताया है जो सूचना के अधिकार कानून की भावना के विपरीत कार्य करता है। साथ ही उन्होंने आयोग के आदेश की अवहेलना को बेहद गंभीर विषय क़रार देते हुए कहा कि इस मामले सूचना के अधिकार कानून की घोर अवहेलना की गई है और इसमें शासकीय कर्मचारी द्वारा सेवा शर्तों के विपरीत अपने कर्तव्यों के पालन में लापरवाही साफ झलकती है। दोषी अधिकारी के ख़िलाफ़ कड़ी करवाई। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने दोषी लोक सूचना अधिकारी इकरार अहमद को सूचना का अधिकार कानून के प्रति लापरवाही बरतने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनिक और विभागीय कार्रवाई करने के लिए भी प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन संजय दुबे को निर्देशित किया है। साथ ही आयोग ने इकरार अहमद की तनख्वाह में से ₹50000 अर्थदंड काटकर आयोग में 30 दिन के भीतर जमा कराने के लिए भी सीधे संजय दुबे की जवाबदेही तय की है।
सूचना अधिकारी आरटीआई से प्यार करेंगे तो शीघ्र दूर होगा भ्रष्टाचार परिचर्चा में सभी ने एकमत होकर कहा मेट्रो मिरर फॉरवर्ड इंडिया फोरम थिंक टैंक द्वारा वलेंनटाईन डे पर सूचना का अधिकार पर परिचर्चा आयोजित भोपाल,14 फरवरी, 2019 शहर के प्रबुद्द व्यक्तियों और विशेषज्ञों ने आज स्वराज भवन में सूचना के अधिकार पर आयोजित परिचर्चा में भाग लिया - प्रमुख रूप से उपस्थित श्री आत्मदीप सूचना आयुक्त, श्री डॉ अनूप स्वरूप, चेयरमेन फॉरवर्ड इंडिया फोरम थिंक टैंक, श्री शिवहर्ष सुहालका, प्रधान संपादक मेट्रो मिरर न्यूज़ नेटवर्क, श्री रवि सक्सेना, कांग्रेस प्रवक्ता, श्री राकेश पाठक, प्रधान संपादक डीएनएन न्यूज़, श्री पी.पी सिंह ओ.एस.डी. मध्यप्रदेश माध्यम, वी.एन. पाठक, श्री विनोद नागर, श्री प्रेम पागारे, श्री के. के. दुबे, श्री रमेश ठाकुर, श्रीमती रोली शिवहरे एवं श्री नारायण सैनी। डॉ अनूप स्वरूप और श्री शिवहर्ष सुहालका ने मेट्रो मिरर फॉरवर्ड इंडिया फोरम पहल के बारे में बताया। श्री सुहालका ने कहा कि फॉरवर्ड इंडिया फोरम ब्रेन पावर मीडिया इंडिया के सामाजिक दायित्व पहल का हिस्सा है जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रबुद्द लोग सलाहकार हैं। फोरम का उद्देश्य पारदर्शिता और सामाजिक चेतना द्वारा भ्रष्टाचार रहित समाज के निर्माण में योगदान करना है। परिचर्चा में भाग लेते हुए श्री सुहालका ने कहा कि सभी सरकारी आय और व्यय प्रत्येक विभाग की वेबसाइट पर हर महीने अपडेट होना चाहिए, क्योंकि जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके पैसों का क्या और किस तरह उपयोग हो रहा है। सूचना अधिकारियों को सूचना मांगने वालों को अपना दोस्त समझना चाहिए ना कि दुश्मन।
अधिकतर ब्यूरोक्रेट्स को भी सूचना के अधिकार के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है। आरटीआई एक्टिविस्ट और एनजीओ भी अपना सही काम नहीं कर रहे हैं सरकारी खर्च पर आरटीआई के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार की जरूरत है, यह कहना है सूचना आयुक्त श्री आत्मदीप का जो परिचर्चा में विशेष रूप से उपस्थित रहे। कोई भी जानकारी जो सरकारी या पब्लिक हित में है उसे छुपाया नहीं जा सकता, सभी जानकारी छुपाने के उपायों को खत्म किया जाना चाहिए। मीडिया में भी खेमेबाजी हावी है, जो कि नहीं होनी चाहिए। - डॉ राकेश पाठक प्रधान संपादक डीएनएन न्यूज़। परिचर्चा में भाग लेते हुए श्री रवि सक्सेना, प्रवक्ता कांग्रेस ने कहा कि आरटीआई का दुरुपयोग ज्यादा और उपयोग कम हो रहा है। ब्लैकमेलर ज्यादा और सही काम करने वाले एक्टिविस्ट बहुत कम है उन्होंने व्यापम को दुनिया का सबसे बड़ा स्कैम बताया। श्रीमती रोली शिवहरे, आरटीआई एक्टिविस्ट ने कहा कि सरकारी अधिकारी आरटीआई को बोझ ना समझे सूचनाएं सालों तक ना मिलने से कानून कमजोर हो रहा है, और सभी संशोधन कानून को कमजोर कर रहे हैं उन्होंने कहा कि द्वितीय अपील की समय सीमा होनी चाहिए।
नवाचारी सूचना आयुक्त ने फिर किया नवाचार 5 साल के कामकाज का ब्योरा सार्वजनिक करने वाले पहले आयुक्त बने आत्मदीप 8 February 2019 भोपाल, म0प्र0 के राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने अपना कार्यकाल पूर्ण होने से ठीक पहले एक और नवाचार कर दिखाया है । उन्होनेे अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में किए गए कामकाज का ब्योरा जनता के सामने पेष किया है। केन्द्रीय व राज्य सूचना आयोगों के इतिहास में देष-प्रदेष में यह पहला अवसर है जब किसी सूचना आयुक्त ने अपना रिपोर्ट कार्ड सार्वजनिक किया है। आयुक्त का कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सार्वजनिक दायित्व का निर्वहन करने वाले सभी लोग जनता के प्रति जवाबदेह है। इसलिए ऐसे सब जिम्मेदार लोगों को स्वतः पहल कर, पदेन हैसियत से किए गए कामों का ब्योरा जनता के सामने पेष करना चाहिए । लोक अदालत, वीडियो क्रांफेसिंग व कैंप कोर्ट की पहल: सर्वसुलभ व नवाचारी सूचना आयुक्त के रूप में जाने जाने वाले आत्मदीप द्वारा जारी रिपोर्ट कार्ड में बताया गया है कि दि0 11/2/14 से अब तक के 5 वर्षीय कार्यकाल में उन्होने म0प्र0 के विभिन्न जिलों की, खासकर ग्वालियर, चंबल व रीवा संभागों की 5000 से अधिक अपीलों व षिकायतों का निराकरण किया है और सूचना के अधिकार की अवज्ञा करने वाले 21 लोक सेवकों को 3,13,500 रू0 के जुर्माने व हर्जाने से दंडित किया है। साथ ही कई ऐसे फैसले किए जो नजीर बने है। उन्होने पुनर्गठित आयोग की पहली बैठक में ही प्रस्ताव पारित करा कर प्रदेष में पहली बार वीडियो कांफ्रेसिंग से अपीलों की सुनवाई शुरू कराई । साथ ही देष में पहली दफा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सभी संभागों में लोक अदालतें लगाने की नई परिपाटी शुरू कराई, जिसके जरिए सैकड़ों अपीलों का निपटारा किया गया । आयुक्त ने जानने के हक का फायदा अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए अपने प्रभार के सभी जिलों के दौरे करने की भी पहल की । उन्होने विभिन्न जिलों से आयोग की भोपाल कोर्ट में आने-जाने वाले पक्षकारों को राहत देने के लिए खुद जिला मुख्यालयों पर पहुंचकर केम्प कोर्ट लगाई और जिलों की अपीलों की सुनवाई संबंधित जिले में ही करने की कवायद की । कैम्प कोर्ट व वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए 600 अपीलों का निराकरण किया । कार्यषालाएं: आयुक्त ने सूचना के अधिकार के क्रियान्वयन की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए जिला मुख्यालयों पर जाकर लोक सूचना अधिकारियों, अपीलीय अधिकारियों व सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ से जुड़े लोक सेवकों की कार्यषालाएं आयोजित की । इन कार्यषालाओं में संबंधित अधिकारियों -कर्मचारियों को प्रषिक्षण देते हुए आरटीआई एक्ट तथा म.प्र. सूचना का अधिकार (फीस व अपील) नियम 2005 के उद्देष्यों व मुख्य प्रावधानों से अवगत कराया और उन्हे ऐसी स्थिति निर्मित करने के लिए प्रेरित किया कि नागरिकों के सूचना के आवेदनों का नियत अवधि में यथोचित निराकरण लोक सूचना अधिकारी प्रथम स्तर पर ही हो जाए ताकि लोगों को अपील में न जाना पड़े । सोषल मीडिया: उन्होने सूचना के अधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए पहली बार सोषल मीडिया का भरपूर उपयोग किया । आत्मदीप ने फेसबुक पर ‘राईट टू इंफोर्मेषन (जर्नलिस्ट)’ नाम से पेज बनाकर उसके माध्यम से अपने महत्वपूर्ण फैसलों व संबंधित कानूनी प्रावधानों की जानकारी सबको दी । यह पेज देष-विदेष में काफी देखा जाता है । उन्होने पहली बार निःषुल्क हेल्प लाईन भी शुरू की जिसके तहत कोई भी नागरिक /लोक सेवक आयुक्त से मिलकर या उनसे फेसबुक पेज, व्हाट्सएप, इंस्ट्राग्राम, फोन, मोबाईल, ई मेल आदि के जरिए संपर्क कर सूचना के अधिकार से संबंधित कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है। इस सुविधा का लाभ बड़ी संख्या में न केवल म.प्र., बल्कि कई राज्यों के लोग उठा रहे हैं । देष-विदेष में प्रचार प्रसार: जनता व लोकसेवकों की मदद के लिए सदैव आसानी से उपलब्ध रहने वाले आयुक्त ने म.प्र. के साथ राजस्थान में भी सरकारी आयोजनों के अलावा 50 से अधिक गैर सरकारी कार्यक्रमों में भी जाकर सूचना के अधिकार के बारे में प्रबोधन देकर लोगों को देष-प्रदेष के हित में इस अधिकार का अधिकाधिक उपयोग करने हेतु प्रेरित किया । आत्मदीप देष के पहले सूचना आयुक्त हैं जिन्होने देष से बाहर दुबई-आबूधाबी में भी संगोष्ठी कर प्रवासी भारतीयों को जानकारी दी कि वे किस प्रकार भारत आए बिना, विदेष में रहते हुए ही सूचना के अधिकार का इस्तेमाल कर वांछित जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। उन्होने सूचना के अधिकार के प्रचार-प्रसार को अपना फर्ज समझते हुए इसके लिए किए गए दौरों का कोई टीए बिल भी क्लेम नहीं किया । और यह भी: म. प्र. के विभिन्न क्षेत्रों से सुनवाई के लिए बार-बार भोपाल आने -जाने मे होने वाली परेषानी और समय, धन व श्रम के खर्च से पक्षकारों को बचाने के लिए आयुक्त ने देष में पहली बार फोन/मोबाईल पर सुनवाई कर अपीलों का निराकरण करने की नई परिपाटी का सूत्रपात किया । उन्होने ज्यादातर अपीलों में सिर्फ एक पेषी लगाकर निर्णय पारित किए, ताकि पक्षकारों को बार बार सुनवाई में न आना पड़े । उन्होने मातृ शक्ति को सम्मान व बढ़ावा देने के लिए पहली बार अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर 8 मार्च को केवल महिलाओं की अपीलों/षिकायतों की सुनवाई करने का नया अध्याय भी शुरू किया । साथ ही सुनवाई में निःषक्तजनों, बुजुर्गों व महिलाओं को प्राथमिकता देने के सिलसिले का आगाज किया । आयुक्त का सर्वाधिक जोर ऐसे नवाचार करने पर रहा जिससे न्याय प्राप्ति आसान बने, पक्षकारों की परेषानियां दूर हों, उन्हे सुनवाई के लिए बार बार चक्कर न काटने पड़े, सभी संबंधित पक्षों के धन, समय व श्रम की बचत हो और सार्वजनिक संसाधन का अपव्यय न हो। साथ ही, सूचना के अधिकार को सूचना का रोजगार बना लेने वाले दुरूपयोगकर्ताओं को हतोत्साहित करने के लिए कड़े कदम उठाए । अहम फैसले: आयुक्त ने अपने फैसलों के जरिए सहकारी समितियों द्वारा संचालित उचित मूल्य की दुकानों व भारतीय रेडक्रास सोसायटी जैसी संस्थाओं को लोकहित में आरटीआई एक्ट के दायरे में लाकर जनता के प्रति उत्तरदायी बनाने का मार्ग प्रषस्त किया । उन्होनेे जनता के लिए उन विभागों/संस्थाओं/निकायों से भी वांछित जानकारी प्राप्त करने का कानूनी रास्ता खोला जिन्हें केन्द्र/राज्य सरकार ने आरटीआई एक्ट के प्रावधानों से छूट दे रखी है। उनमें लोकायुक्त की विषेष पुलिस स्थापना, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो, विषेष सषस्त्र बल आदि शामिल हैं। आत्मदीप द्वारा लीक से हट कर किए गए और न्याय दृष्टांत बनने वाले सभी महत्वपूर्ण निर्णयों की जानकारी उनके फेस बुक पेज से ली जा सकती है। सत्त जारी रहेगी मुफ्त सेवा: आम आदमी को सषक्त बनाने, शासन व उसके तंत्र को जनता के प्रति उत्तरदायी बनाने तथा सार्वजनिक व्यवस्था में शुचिता व पारदर्षिता को बढ़ावा देने के पवित्र उद्देष्य से दिए गए सूचना के अधिकार के क्षेत्र में आत्मदीप की निःषुल्क सेवाएं सबके लिए सदैव उपलब्ध रहेंगी । इसके लिए वे सोषल मीडिया पर भी सक्रिय रहेंगे और सर्वउपयोगी मार्गदर्षिका भी तैयार करेंगे । |