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12 Feb 2024 घर पर बुलडोजर चला, जेवर किताबें मलबे में दबीं, पति ने साथ छोड़ा; वकील बन लड़ी नई दिल्ली गांव से बाहर की दुनिया देखी नहीं थी, शहर के रंग-ढंग क्या होते हैं, कैसे बातचीत की जाती है, हम जिस व्यवस्था में रहते हैं वो काम कैसे करता है, कलेक्टर कौन है, उसका क्या काम होता है, कोर्ट-कचहरी में काम कैसे चलते हैं, इस सिस्टम को तभी समझ पाई जब खुद कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जैसे-जैसे मुसीबतों के पहाड़ टूटते गए, मेरे मन से डर भी किसी गुबार की तरह उड़ता चला गया और गरीबी में पली-बढ़ी यह लड़की कैसे वकील बन गई। छठी क्लास में जाकर ए, बी, सी, डी लिखना सीखा मेरा जन्म छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के सरिया गांव में हुआ। हम दो बहनें और दो भाई गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़े। गांव के बाहर की दुनिया कभी नहीं देखी। अंग्रेजी स्कूल कैसे होते हैं और वहां पढ़ाई कैसे होती है, ये नहीं जानती थी।मेरे गांव के सरकारी स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने वाले टीचर नहीं थे। जब छठी क्लास में पहुंची तो ए,बी, सी, डी लिखना-पढ़ना सीखा। पिता गरीब किसान, खेती-मजदूरी करते। जो पैसे कमाते उससे ही घर चलता। 1995 में पिता ने कुछ जमीन खरीदी जो पूरी तरह बंजर थी। इस जमीन पर पूरा परिवार मिलकर काम करता। जमीन उपजाऊ बनी तो फसल लहलहाने लगी। उसके चारों ओर पौधे लगाए। जमीन छोड़ने का नोटिस मिला, 85 घर प्रशासन ने तोड़ दिए सारंगगढ़ में रानू साहू एसडीएम बनकर आईं। सरिया में जहां हमलोग रहते थे, वहां हम जैसे परिवार पिछले 15-20 सालों से रह रहे थे। ज्यादातर गरीब तबके के लोग जिनके पास बमुश्किल से खाने-पीने के पैसे हो पाते। एसडीएम ने नोटिस भेजा कि यह जंगल की जमीन है, सड़क चौड़ीकरण करनी है, कब्जा हटाएं। कब्जा हटाने के लिए लोगों को डराया, धमकाया जाता। 14 फरवरी 2013 को जेसीबी लगाकर 85 घर तोड़ दिए गए। तब कई बच्चों की 10वीं की परीक्षाएं छूट गईं। कई प्रेग्नेंट महिलाएं थीं, लेकिन प्रशासन ने रहम नहीं किया। खेतों में लगीं फसलों को भी रौंद दिया गया। विरोध करने पर लाठीचार्ज हुआ। जिनका घर तोड़ा गया, उनके लिए पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं थी। न कोई शेल्टर, न बिजली, न पानी।एसडीएम ने पिता को 3-4 थप्पड़ लगा दिए, जमकर बवाल हुआ बिजली-पानी, पुनर्वास को लेकर जब रैली निकाली गई तो एसडीएम आगबबूला हो गईं। एसडीएम मेरे घर के बाहर आईं और पिता का नाम लेकर बुलाया। पिता हाथ जोड़ बाहर निकले। एसडीएम ने बिना कुछ कहे, पिता को 3-4 थप्पड़ जड़ दिए। कहा कि इसके खिलाफ शिकायत है, फर्जी पट्टा बनवाते हो। तब थाने में हम सबने लिखित शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। गांव के लोगों का गुस्सा भड़क उठा। उन्होंने अधिकारी की गाड़ी के टायर की हवा निकाल दी। गाली-गलौज और धक्का-मुक्की की। हालांकि मेरे परिवार का कोई सदस्य इसमें शामिल नहीं था।पूरे परिवार को जेल भेज दिया गया, घर पर बुलडोजर चला इस घटना के अगले दिन पुलिस वाले आए और मां-पिता सहित परिवार के सभी लोगों को गाड़ी में बिठा थाने ले गए। हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मोहल्ले की 3-4 महिलाओं के साथ हम सभी को जेल भेज दिया गया। छोटा भाई नाबालिग था तो उसे अंबिकापुर जुवेनाइल होम्स में डाल दिया। चार दिन बाद हमें बेल मिली। जब हम घर पहुंचे तो पता चला कि पूरे घर को बुलडोजर से गिरा दिया गया। घर के अहाते में जो मवेशी थे, उनका भी अता-पता नहीं मिला। घर में जो थोड़ा-बहुत जेवर था वो मलबे ही दब गया। उसका कुछ पता नहीं चला। तन पर जो कपड़े थे, वही बचे हुए थे। घर खाली था। न अनाज, न बर्तन। मेरी किताबें भी मिट्टी में दब गईं। किसी तरह रिश्तेदारों के यहां गुजारा किया। लेकिन प्रशासन का जुल्म यहीं नहीं थमा। एक और केस बनाकर मेरे पिता को जेल में डाल दिया गया। इस तरह कई परेशानियां आती रहीं।25 लोगों को वृद्धा पेंशन दिलवाना जीवन की पहली उपलब्धि जब घर में जब यह सब कुछ चल रहा था तब कुछ सामाजिक संगठन आए। उन्होंने मेरे पिता को कहा कि आप अपने किसी बच्चे को भेजें, हम उन्हें कानून की जानकारी देंगे। पापा ने तब मेरा नाम लिया। मैं संगठन से जुड़कर कानून की बारिकियां सीखने लगी। कानून की पत्रिकाएं पढ़तीं। कुछ महीनों में मेरी समझ बढ़ी। इसी बीच पता चला कि कुछ लोगों को आवेदन देने के बाद भी वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही है। 10 महीने पहले वृद्धावस्था पेंशन पास हुई लेकिन 25 लोगों को अब तक पैसा नहीं मिल रहा था। तब मैं खुद कलेक्टर के सामने खड़ी हो गई। आवेदन दिया और मामले की जानकारी दी। डीएम के आदेश पर सीओ ने जांच की और 25 लोगों को 10 महीने का पैसा एक बार में ही मिल गया। यह मेरे जीवन की पहली उपलब्धि रही।पैरा लीगल से शुरुआत की, अपने कमाए पैसों से वकालत की संगठन ने मुझे पैरा लीगल के रूप में रखा। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के जुड़ी वकील मुझे ट्रेनिंग देते। आईपीसी, सीआरपीसी के बारे में बताते। तब तक मेरा डबल एमए हो चुका था। पैरा लीगल के रूप में काम करते हुए कुछ पैसे भी मिल जाते। 2016 में मैंने रायगढ़ में लॉ में एडमिशन ले लिया। अपने कमाए पैसों से मैंने वकालत की पढ़ाई पूरी की। वकालत के बाद मुझे बार काउंसिल का लाइसेंस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा। काउंसलर ने कहा कि आपके खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है इसलिए नामांकन नंबर नहीं मिल सकता। जबकि मैंने उन्हें बताया कि मैं अभी आरोपी हूं, अभियुक्त नहीं। जब कोई हल नहीं निकला तो हाई कोर्ट में रिट पिटिशन डाला। उस समय बार काउंसिल की परीक्षा नहीं दे पाई। लेकिन बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर नामांकन मिला और 2021 में मैंने बार की परीक्षा भी पास की।ससुराल में मैं प्रताड़ित हुई पर पति ने तलाक के लिए अर्जी दी 2012 में मेरी शादी हुई। लेकिन जमीन के मामले में जेल भेजे जाने और सारे बवाल में घसीटे जाने पर ससुराल वाले नाराज हो गए। वो नहीं चाहते थे कि मैं इस लगन से काम करूं। मुझे हर दिन कुछ न कुछ सुनने को मिलता। पति ने भी सपोर्ट नहीं किया। उल्टे वो मेरे काम को लकेर परेशान करते। पति ने तलाक के लिए अर्जी डाल दी। कोर्ट में वह हार गया। वह हाईकोर्ट गया। जब मामले पेंडिंग ही था तभी पति की बीमारी से मृत्यु हो गई। सास और ससुर भी बीमारी से चल बसे। दोबारा शादी करने की इच्छा नहीं हुई। अब तो उनलोगों के लिए ही मेरा जीवन है जो इस तरह की पीड़ा से गुजरती हैं। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को बताती हूं कि यह पॉवर का खेल है। बहू जब सास की भूमिका में होती है तो उसे पॉवरफुल होने का अहसास होता है। इसलिए महिलाएं खुद को मजबूत बनाएं।25 Jun 2023 प्रधानमंत्री मोदी जी ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई फैसले लिए - केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी केन्द्रीय मंत्री ने जारी की लोकनीति शोध केंद्र की “नारी सशक्तिकरण से राष्ट्र उत्थान“ रिपोर्ट इंदौर में केन्द्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने प्रबुद्ध महिलाओं से की चर्चा इंदौर। सेना में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) में सेवा दे चुके पुरुष सैनिकों को ही स्थाई कमीशन का विकल्प मिल रहा था, लेकिन महिलाओं को यह हक नहीं था। पहली बार भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का काम मोदी सरकार ने किया है। इसी प्रकार भारत में पहली बार सैनिक स्कूलों में लड़कियों को भर्ती का अधिकार मिला है। यह सब देश की महिला शक्ति के विश्वास से संभव हुआ है। देश की महिलाओं ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पर विश्वास किया और प्रधानमंत्री जी ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐसे कई फैसले लिए है। यह बात भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने इंदौर के होटल श्रीमाया में आयोजित शहर की प्रबुद्ध महिलाओं के साथ परिचर्चा में कही। कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री ने लोकनीति शोध केंद्र द्वारा केंद्र सरकार की योजनाओं के अध्ययन पर तैयार की गयी रिपोर्ट “नारी सशक्तिकरण से राष्ट्र उत्थान“ को जारी किया। लोकनीति शोध केंद्र से डॉ सुमित भसीन ने रिपोर्ट की पीपीटी प्रस्तुत की। प्रधानमंत्री मोदी जी की अमेरिका यात्रा में भारत की अनोखी ताकत छुपी है केन्द्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जब किसी भी राष्ट्र के दौरे पर जाते है तो पूरा विपक्ष प्रश्न उठाता है। लेकिन प्रधानमंत्री जी की विदेश यात्राओं से हमारी विदेश नीति मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत सेमीकंडक्टर मैनुफैक्चर के मामले में कई देशों पर निर्भर है, मोदी जी की अमेरिका यात्रा में दोनों देशों के बीच जो करार हुए है उनमे सेमीकंडक्टर टेस्टिंग एंड पैकेजिंग यूनिट लगाने का करार महत्वपूर्ण है। इस करार से अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनी माइक्रॉन भारत में अपना प्लांट लगाएगी इसके तहत कंपनी की ओर से 2.7 अरब डॉलर का निवेश करेगी। वही दूसरा करार ळम् एयरोस्पेस का हुआ है। इस करार के बाद फाइटर जेट्स के इंजन भी भारत में ही बनने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने जेट इंजन की टेक्नोलॉजी अभी तक किसी को ट्रांसफर नहीं की। लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कारण अमेरिका ने भारत के साथ जीई एयरोस्पेस का करार किया है। केद्रीय मंत्री श्रीमती ईरानी ने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस की संयुक्त बैठक में आमंत्रित करना भारत की बढ़ती साख का प्रतीक है। प्रधानमंत्री जी की अमेरिका यात्रा में भारत की अनोखी ताक़त छुपी है।हमने उपलब्धियों के दौर में भी विनम्रता नहीं छोड़ी केन्द्रीय मंत्री श्रीमती ईरानी ने कहा कि हमने उपलब्धियों के दौर में भी विनम्रता नहीं छोड़ी। कोरोना के समय जब एक एक करके कई देश अपने यहाँ लॉक डाउन लगा रहे थे और भारत को लेकर जिस तरह की चर्चा हो रही थी कि भारत इस आपदा से कैसे सामना करेगा तब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया। मोदी जी ने कोरोना के कठिन काल में वैक्सीन निर्माण का फैसला लिया। मोदी जी ने दृढ़ता के साथ कहा कि मेरे देश में काबिलियत है, भारत में वैक्सीन बनेगा। उन्होंने कहा कि हमें कोरोना के समय प्रधानमंत्री जी के प्रयास से सरकार और समाज के बीच समन्वय देखने को मिला। देश में 220 करोड़ मुफ्त वैक्सीन देने के साथ ही 160 देशों को मैत्री वैक्सीन भेजी।जहाँ 50 साल गाँधी परिवार ने राज किया वहां 80 प्रतिशत लोगों के पास बिजली नहीं थी केन्द्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहा कि जिस अमेठी से मैं सांसद हूँ उसका ज्यादातर हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में आता है। जब तक मैं वहां नहीं गयी तो सबको लगता था की अमेठी सिंगापुर से कम नहीं होगा। जब मैं अमेठी गयी तो पता चला कि जहाँ 50 साल गाँधी परिवार ने राज किया वहां 80 प्रतिशत लोगों के पास बिजली नहीं थी, बीते चार में सांसद के नाते हम वहां प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से 90 हजार घर बना पायें है। उन्होंने पटना में हुए विपक्षी दलों के जमावड़े पर कहा कि इनके निशाने पर मोदी जी नहीं आप और भारत की तिजोरी है, इसलिए इनसे सतर्क और सावधान रहें।प्रबुद्ध महिलाओं के प्रश्नों के केन्द्रीय मंत्री ने दिए जवाब कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने समाज के अलग- अलग क्षेत्रों में विशेष योगदान देने वाली महिलाओं से चर्चा की। महिलाओं ने केन्द्रीय मंत्री से प्रश्न पूछे जिसके जवाब देते हुए श्रीमती ईरानी ने केंद्र सरकार के 9 वर्षों की उपलब्धियों की जानकारी भी दी। इस अवसर पर सांसद श्री शंकर लालवानी, जिलाध्यक्ष श्री गौरव रणदिवे, विधायक श्रीमती मालिनी गौड़, महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव, आईडीए अध्यक्ष श्री जयपाल सिंह चावडा, श्री प्रमोद टंडन सहित शहर की प्रबुद्ध एवं सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाएं उपस्थित थी।23 Ma4 2023 पटना की लड़की को गूगल ने दिया था 1 करोड़ से अधिक का पैकेज, IIT-IIM से नहीं की है पढ़ाई पटना की लड़की को गूगल ने दिया था 1 करोड़ से अधिक का पैकेज, IIT-IIM से नहीं की है पढ़ाई लाखों रुपये के सैलरी पैकेज पर प्लेसमेंट की बात जब होती है तो अक्सर नाम आईआईटी और आईआईएम का लिया जाता है. लेकिन पटना की एक लड़की को साल 2022 में गूगल ने एक करोड़ से अधिक के सैलरी पैकेज पर हायर किया था. यह लड़की न तो आईआईटी की स्टूडेंट थी और न ही किसी आईआईएम की. एक करोड़ से अधिक के सैलरी पैकेज पर प्लेसमेंट पाने वाली लड़की का नाम संप्रीति यादव है. इस इस वक्त अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर रही हैं. उन्होंने गूगल 14 फरवरी 2022 को ज्वाइन किया था. रिपोर्ट के अनुसार गूगल ने उन्हें एक करोड़ 10 लाख का पैकेज दिया था. माइक्रोसॉफ्ट ने दिया था 44 लाख का पैकेज संप्रीति यादव ने ने कंप्यूटर साइंस में बीटेक दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU) से किया है. गूगल ज्वाइन करने से पहले वह माइक्रोसॉफ्ट के लिए काम कर रही थीं. माइक्रोसॉफ्ट उन्हें सालाना 44 लाख का पैकज दे रहा था.मां और पिता दोनों हैं सरकारी अफसर पटना के नेहरू नगर की रहने वाली संप्रीति यादव के पिता रमाशंकर यादव एक बैंक ऑफिसर हैं. जबकि मां शशि प्रभा प्लानिंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं. उन्होंने अपना मैट्रिकुलेशन (10वीं क्लास) 2014 में 10 सीजीपीए के साथ पास किया था. उन्होंने 12वीं कक्षा और जेईई मेन्स 2016 में पास किया थागूगल में हुआ था नौ राउंड का इंटरव्यू संप्रीति यादव ने साल 2021 में डीटीयू से कंप्यूटर साइंस में से बीटेक पूरा किया था. इसके बाद उन्हें अडोबी और फ्लिपकॉर्ट से भी जॉब ऑफर मिले. लेकिन उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट का जॉब ऑफर एक्सेप्ट किया. माइक्रोसॉफ्ट में काम करते हुए उन्हें गूगल से ऑफर मिला. गूगल में उनका सेलेक्शन 9 राउंड इंटरव्यू के बाद हुआ.संगीत, नाटक और खेल में है रुचि सॉफ्टवेयर इंजीनियर संप्रीति यादव की रुचि संगीत, नाटक और खेलों में भी है. वह आईआईटी दिल्ली और बॉम्बे सहित 50 से अधिक कॉलेजों में नाटक प्ले कर चुकी हैं. उन्होंने तीन साल तक क्लासिकल म्युजिक की ट्रेनिंग भी ली हुई है. इसके अलावा संप्रीति यादव इंटरनेशनल मैथ ओलंपियाड में 35वां और नेशनल साइंस ओलंपियाड में 170वां स्थान हासिल कर चुकी हैं.
गुजरात की बहादुर बेटियाां
जीवन क्षणभंगुर है एवं मृत्यु एक शाश्वत सत्य। इसका एहसास मानव को सबसे अधिक श्मशान घाट पर होता है। कितना मुश्किल है एक व्यक्ति को चिता के हवाले करना जो कुछ देर पहले हम सबके बीच था। नारी का कोमल स्वभाव इस दुख को सह नहीं पाएगा यही सोचकर हिंदू संस्कृति में बेटियां श्मशान घाट नहीं जातीं । वहीं कुछ बेटियां ऐसी भी हैं जिन्होंने कोरोनाकाल में स्वयं आगे बढ़कर शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी संभाली। इस कहानी में आज हम आपको मिलाएंगे राष्ट्र सेविका समिति की ऐसी ही स्वयंसेवी बहनों से। बात अप्रैल 2021 की है, जब कोविड की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ था। संक्रमण के डर से लोग अपने-अपने घरों में डरे सहमे, दुबके बैठे थे। कोरोना पाज़िटिव शवों के अंतिम संस्कार के लिए उनके अपने परिजन ही तैयार नहीं थे। ऐसे में गुजरात- कच्छ के सुखपर गांव की हिना वेलानी, रिंकू वेकरिया, सुमिता भूडिया, तुलसी वेलानी समेत राष्ट्र सेविका समिति की 10 बहनों ने अद्भुत साहस का परिचय देते हुए घाट की सफाई, चिता सजाने से लेकर पी.पी.ई. किट पहनकर अंतिम विदाई देने के काम को बखूबी अंजाम दिया। यह सिलसिला तब आरंभ हुआ, जब 15 अप्रैल 2021 की शाम भुज तहसील के विकास अधिकारी का फोन संघ के स्वयंसेवक रामजी वेलानी के पास आया स्वयंसेवकों से मदद के लिए, ताकि भुज के सरकारी अस्पताल में अंतिम विदाई की राह देख रही ऐसी लाशों की अंतिम क्रिया सम्पन्न कराई जा सके जिनके अंतिम संस्कार के लिए परिजनों ने ही मुंह मोड़ लिया था, व सरकारी कर्मचारी भी पर्याप्त नहीं थे। इस विकट अवस्था को देखकर संघ कार्यकर्ताओं ने मिलकर इस कार्य के लिए पुरुष स्वयंसेवकों की एक टीम बनाई तो उनकी बेटी हिना ने भी इसमें सहयोग करने की इच्छा जाहिर की। पिता का मन थोड़ा आशंकित था कि इस कठोर कार्य को क्या हिना संपन्न कर पाएंगी? किंतु उनकी आशंका गलत साबित हुई, हिना के साथ-साथ राष्ट्र सेविका समिति की नौ अन्य बहनें भी इस काम में जुट गईं। अपना अनुभव साझा करते हुए सौराष्ट्र प्रांत की राष्ट्रीय सेविका समिति की प्रांत प्रचार प्रसार प्रमुख हिना दीदी बताती हैं कि, हम 3-3 की टोली में काम कर रहे थे। नियमित श्मशान घाट की सफाई से लेकर, भीषण गर्मी में पी.पी.ई. किट पहनकर अंतिम संस्कार करने में हमें थोड़ी भी कठिनाई महसूस नहीं हुई। गांव के लोगों ने भी पूरा सहयोग किया, जिनके घरों में लकड़ी थी उन्होंने लकड़ी दी, कहीं से घी आया तो कहीं से कपूर। लॉकडाउन का समय था, भुज के अस्पताल व आसपास के गांवो के सभी शवों का अंतिम संस्कार हमारे गांव सुखपर के घाट पर ही होता था। लगभग 45 दिन चले इस अभियान में, 450 से अधिक शवों को सम्मानजनक विदाई स्वयंसेवकों की टोली एवं समिति की बहनों ने मिलकर दी। जब काम धीरे-धीरे आगे बढ़ा तो कई युवा इस कार्य के में जुट गए और अग्निदाह का काम संभाल लिया तो समिति की इन बहनों ने माँ अन्नपूर्णा का रूप धारण कर क्वॉरेंटाइन लोगों के टिफिन की जिम्मेदारी संभाल ली। लॉकडाउन में सेनेटाइजर के साथ सिलाई मशीन से मास्क बनवा कर घर-घर बांटना, अकेले असहाय वृद्धों के घर पहुंच कर फ्रूट व खाने से लेकर दवाइयां पहुंचाना, पुलिस से लेकर समग्र तंत्र को सभी प्रकार का सहयोग करने से लेकर ऐसी कोई सेवा नहीं थी, जो कोरोना काल में सेविका बहनों ने नहीं की हो। यह सब कैसे कर पाती हैं ऐसा पूछने पर एक ही प्रत्युत्तर आता था कि - संघ के पारिवारिक संस्कार व समिति के प्रशिक्षण वर्गों की वजह से सब कुछ सम्भव है। तभी कहते हैं "संघे शक्ति युगे युगे"। घर के हालात खराब हुए तो घरों में पहुंचाने लगी सामान, अब हूं ‘क्रिसमस बाबा’
29 March 2023 भोपाल.3 बच्चों की मां प्रियंका अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए एक ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म के लिए डिलीवरी गर्ल का काम करती हैं। इस काम ने उनकी आजादी और उनके बच्चों के सपनों के दरवाजे खोले हैं। 10 साल पहले मेरी शादी हुई थी। आगे चलकर तीन बच्चे भी हुए। लेकिन घर में आमदनी इतनी नहीं थी कि सब कुछ आराम से किया जा सके। दूसरी तरफ, मैंने सोच लिया था कि अपने बच्चों की परवरिश बढ़िया तरीके से करूंगी। जो चीजें मैं नहीं कर पाई, मेरे बच्चे उसके मोहताज नहीं रहेंगे। मैंने फैसला कर लिया था कि अपने बच्चों को एक अच्छी जिंदगी दूंगी। मैं अपने बच्चों के सारे सपने पूरा करना चाहती थी। लेकिन यह सब कुछ इतना आसान नहीं था। इसके लिए मुझे कुछ न कुछ करना पड़ता; अपने परिवार की आमदनी बढ़ानी थी। मैं कुछ करने की सोच ही रही थी। लेकिन समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। दूसरी ओर, मेरी पढ़ाई भी 12वीं तक ही हुई थी, ऐसे में मेरे लिए ऑप्शन भी कम हो गए थे। मैं सोच ही रही थी कि इन्हीं दिनों एक ‘डिलीवरी बॉय’ को प्रोडक्ट डिलीवरी करते देखा। मैंने ऐसा पहले भी कई बार देखा था, लेकिन इस बार मैं काम की तलाश में थी तो मुझे लगा कि मैं ये काम कर सकती हूं। घर-परिवार और बच्चों को संभालते हुए ही मैंने स्कूटी चलाना सीख लिया था। वो आगे चलकर मेरे काम आया। प्रोडक्ट डिलीवरी में टू व्हीलर ड्राइव करना सबसे जरूरी होता है। मेरे पास एक स्कूटी भी थी। ऐसे में मैंने मन बना लिया कि मुझे ‘डिलीवरी गर्ल’ ही बनना है। मैंने एक परिचित की मदद से इस बारे में पता लगाया। एक कंपनी के बारे में मालूम चला। मैंने वहां जाकर इंटरव्यू दिया। उन्होंने मेरा टेस्ट लिया। स्कूटी चलाने के बारे में पूछा। सब कुछ सही होने के बाद मुझ ‘डिलीवरी गर्ल’ का काम मिल गया। क्रिसमस के दिनों में एक बाबा लोगों को गिफ्ट बांटते चलते हैं। लोगों तक उनका प्रोडक्ट पहुंचाकर मुझे भी ऐसा ही लगता है। कोई कपड़े मंगाता है तो कोई इलेक्ट्रॉनिक सामन या कॉस्टमेटिक। जब लोगों के हाथ में सामान पहुंचता है तो उनके चेहरे पर एक खुशी चमक जाती है। जिससे मुझे लगता है कि मैं भी क्रिसमस वाले बाबा की तरह हूं। लोगों तक उनकी खुशियां पहुंचा कर अच्छा लगता है। ऐसा नहीं है कि मेरे काम में सब कुछ अच्छा ही है। कई बार मुश्किलें भी आती हैं। लेकिन अगर मुझे आगे बढ़ना है, अपने बच्चों को और पूरे परिवार को आगे ले जाना है तो मुझे ये काम करना ही पड़ेगा। स्कूटी पर बड़े-बड़े बैग लादकर गलियों के चक्कर लगाना आसान काम नहीं। कई बार प्रोडक्ट डिलीवरी करने जाती हूं तो पता चलता है कि घर पर कोई है ही नहीं या ऑफिस के पते पर गई तो पता चला कि बंदा आज ऑफिस आया ही नहीं। ऐसे में एक प्रोडक्ट को डिलीवरी करने के लिए कई-कई चक्कर काटने पड़ते हैं। दूसरी ओर, हम पर टारगेट पूरा करने का दबाव भी होता है। ऐसे में काम में कोताही नहीं कर सकती। सर्दी हो या धूप-बरसात; मुझे बाहर निकलकर काम करना ही पड़ता है। जिसे प्रोडक्ट डिलीवरी की जो तारीख मिली है, उसी तारीख को हमें सामान उस तक पहुंचाना होता है। जब मैंने डिलीवरी गर्ल का काम करना शुरू किया। मुझे मेरे पति और फैमिली के बाकी लोगों का काफी साथ मिला। उनके साथ के बिना शायद ये काम मैं कभी नहीं कर पाती। जब मैं काम पर होती हूं तो फैमिली मेरे बच्चों की केयर करती है। मेरा बेटा फौज में जाना चाहता है। जबकि मेरी बेटियों का सपना है कि वो डॉक्टर और इंजीनियर बनें। मेरे बच्चों का सपना ही अब मेरा भी सपना है। जिस दिन वो अपना सपना पूरा कर लेंगे, मैं भी खुद को सफल मान लूंगी। कुछ काम ऐसे होते हैं, जिनके बारे में हम मान कर चलते हैं कि वो पुरुषों का काम है। लेकिन ये सोच ठीक नहीं। अगर हम महिलाएं ठान लें और हमें रोका नहीं जाए; तो हम कुछ भी कर सकते हैं। कोई भी काम केवल महिलाओं का या पुरुषों का नहीं होता। काम, काम होता है। जिसे जो काम पंसद आए, उसे वही करना चाहिए। न किसी से जबरदस्ती किया जाना चाहिए और न ही किसी को काम करने से रोका जाना चाहिए।
सामाजिक मूल्यों की रक्षा का दायित्व निभाएं बेटियां : मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ 20 February 2020 भोपाल.मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने छिंदवाड़ा में राजमाता सिंधिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वार्षिक स्नेह सम्मेलन में कहा कि मध्यप्रदेश के विकास की जवाबदारी मेरी है। उन्होंने बेटियों का आव्हान किया कि सामाजिक मूल्यों की रक्षा का दायित्व निभाएं। आने वाली पीढ़ी को भी सामाजिक मूल्यों से जोड़ने में योगदान दें। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष की जोड़ने की संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों का सम्मान की सबसे बड़ी शक्ति है। इस संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना बेटियों की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि जब इस महाविद्यालय की स्थापना हुई, उस समय मैं युवा सांसद था, ज्यादा अनुभव नहीं था लेकिन एक सपना था कि छिंदवाड़ा जिले की प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान हो। उन्होंने बताया कि आज से कई वर्षों पहले तक छिंदवाड़ा बिल्कुल अलग था, यहां सड़कें नहीं थी, ब्राडगेज रेल लाईन नहीं थी, पातालकोट के लोग केवल आम की गुठली के आटे और पत्तियों की सब्जी से अपना पेट भरते थे। छिंदवाड़ा में कॉलेज और स्किल सेंटर नहीं थे, ईलाज के लिये कोई बेहतर संस्थान नहीं था, कृषि क्षेत्र में गरीबी थी। बच्चों की मुस्कान तो तब भी प्यारी थी लेकिन उसमें कहीं न कहीं एक निराशा छुपी थी। उन्होंने कहा कि मैने उस निराशा को दूर कर आने वाली पीढ़ी के लिये एक नया छिंदवाड़ा बनाने का संकल्प लिया और उसी दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा हूँ। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैने घोषणाएं नहीं की लेकिन काम किया है। श्री कमल नाथ ने कहा कि आज छिंदवाड़ा जिले का विकास किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं छिंदवाड़ा को हार्टिकल्चर हब बनाना चाहता हूँ। आवागमन के संसाधन बढ़ाना भी मेरा लक्ष्य है। सांसद श्री नकुल नाथ ने कहा कि मेरा सपना था कि छिंदवाड़ा ऐजुकेशन हब बने। उन्होंने कहा कि हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी का नाम यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन में शामिल हो गया है। श्री नकुल नाथ ने छिंदवाड़ा जिले में विभिन्न क्षेत्रों में आए बदलाव और विकास कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारा प्रयास है कि जिले के सभी कॉलेजों में पुलिस चौकियां हों। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लिंगुआ टेस्ट में स्टेट टॉपर रही शासकीय स्व-शासीय पीजी कॉलेज की छात्रा कुमारी प्रेरणा डहरिया और विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल करने वाली छात्राओं को सम्मानित किया। कार्यक्रम में राज्य अधिवक्ता संघ के पूर्वाध्यक्ष श्री गंगा प्रसाद तिवारी, पूर्व मंत्री श्री दीपक सक्सेना, राज्य कृषि सलाहकार परिषद के सदस्य श्री विश्वनाथ ओक्टे और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। महिला सशक्तिकरण में समाज की सहभागिता जरूरी : मंत्री श्रीमती इमरती देवी 5 February 2020 महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती इमरती देवी ने कहा है कि महिलाओं और बेटियों के सशक्तिकरण के कार्यक्रमों की सफलता के लिये में सभी वर्गों की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि बेटियाँ देश का भविष्य हैं, इनकी रक्षा और सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है। श्रीमती इमरती देवी आज राष्ट्रीय बालिका सप्ताह के अंतर्गत ओरिएंटल कालेज में सम्मान समारोह को संबोधित कर रही थीं। सम्मान समारोह में मंत्री श्रीमती इमरती देवी ने लाडली लक्ष्मी और मातृ वंदना योजनांतर्गत उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं, बालिकाओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं सहित विभिन्न अधिकारियों को प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया। उन्होंने बालिकाओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी भी देखीं और जन-जागरूकता हस्ताक्षर अभियान में हस्ताक्षर भी किए। महिला सशक्तिकरण राज्य सरकार की प्राथमिकता : मंत्री श्री पटेल 3 February 2020 भोपाल.पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री कमलेश्वर पटेल सीधी जिले में ग्राम हिनौती के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के वार्षिकोत्सव में शामिल हुए। उन्होंने छात्राओं से कहा कि मन लगाकर पढ़ाई करें और आगे बढ़ें। राज्य सरकार हर कदम पर आपके साथ है। मंत्री श्री पटेल ने बताया कि प्रदेश की नई सरकार की प्राथमिकता है महिला सशक्तिकरण। इसलिये प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक बालिकाओं को सभी तरह की सुविधाएँ दी जा रही हैं। बालिकाओं के लिये संभाग स्तर पर आवासीय स्कूल खोले जा रहे हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने हिनौती ग्राम के इस विद्यालय में 25 लाख रुपये लागत से सांस्कृतिक हॉल का निर्माण कराने की घोषणा की। उन्होंने विद्यालय की बाउण्ड्री-वॉल, अतिरिक्त कक्ष और शौचालय निर्माण के प्रस्ताव बनाने को कहा। राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम होगी "जागरुक बालिका-समर्थ मध्यप्रदेश" 20 January 2020 प्रदेश में "बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ" योजना में 24 जनवरी को "जागरुक बालिका-समर्थ मध्यप्रदेश" की थीम पर राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य समाज में लोगों के बीच बेटियों के अधिकार को लेकर जागरुकता पैदा करना और उन्हें नए अवसर मुहैय्या कराना है। महिला-बाल विकास विभाग द्वारा 24 जनवरी को संभाग और जिला स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। इस दौरान पोषण आहार, स्वास्थ्य, आदिम जाति कल्याण, शिक्षा, खेल, पुलिस, उद्यानिकी एवं कृषि तथा महिला-बाल विकास की सेवाओं और योजनाओं की प्रदर्शनी लगाई जायेगी। कार्यक्रमों में फिल्म प्रदर्शन और चित्र कला प्रतियोगिता होगी। साथ ही, बेटियों के स्वास्थ्य की जाँच भी कराई जायेगी। 24 जनवरी से मनाया जाएगा राष्ट्रीय बालिका सप्ताह महिला-बाल विकास विभाग द्वारा 24 से 30 जनवरी तक प्रदेश में राष्ट्रीय बालिका सप्ताह का आयोजन किया जाएगा। सप्ताह के दौरान "बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ" हस्ताक्षर अभियान, सामूहिक शपथ, प्रभात फेरी, आँगनबाड़ी एवं आशा कार्यकताओं द्वारा घर-घर दस्तक, पंचायत एवं सार्वजनिक भवनों में स्टीकर एवं पोस्टर लगाकर सामाजिक जागरुकता जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। इसके अतिरिक्त, सभी शासकीय-अशासकीय विद्यालयों /विश्वविद्यालयों में बालिकाओं के महत्व को दर्शाते पोस्टर, स्लोगन लगाये जायेंगे। आँगनबाड़ी स्तर पर "बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं" पर चर्चा होगी। स्थानीय स्तर पर जेण्डर चैम्पियन्स का चयन और जन-जागरुकता कार्यक्रम होंगे। राष्ट्रीय बालिका सप्ताह के दौरान एफ.एम. एवं सामुदायिक रेडियो पर नुक्कड़ नाटक, कठपुतली, जिंगल्स आदि कार्यक्रम का प्रसारण किया जाएगा। इसके अलावा, बेटियों के नाम पौधा-रोपण, घरों पर बेटियों के नाम पर नेमप्लेट ड्राइव, महिला अधिकार संबंधी कानून, स्वास्थ्य एवं पोषण आदि पर भी चर्चा की जाएगी। अपील सभी अभिभावकों/माता-पिता से 1 January 2020 कहते हैं कि बच्चे के जन्म से आठ साल तक जो वह सीख लेता है वह उसके अगले चालीस साल का जीवन तय कर देता है और जैसा व्यक्तित्व चालीस साल की उम्र तक बन जाता है वह औसतन साठ साल के जीवन को निर्धारित करने वाला होता है। जन्म के पहले से तैयारी से लेकर बचपन के शुरुआती दौर में क्या और कैसे तैयारी की जा सकती है इसके लिए पहली बार हम #मातृत्वऔरपरवरिश(#Mindful_Pregnancy_and_Parenting) विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन 8जनवरी 2020, स्वराज भवन सभागार, भोपाल में करने जा रहे हैं। जिसे करने के मुख्य रूप से निम्न उद्देश्य हैं- ¤ गर्भावस्था के बारे में खुलकर बातचीत करना। जिसमें वैदिक और आज के मिले-जुले विज्ञान सम्मत दृष्टिकोण से चर्चा कर समझ विकसित करना। ¤ माता -पिता की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तैयारी। परिवार की जिम्मेदारियां। खान-पान से लेकर क्या करना, क्या नहीं और कैसे, इसपर चर्चा। ¤शिशु के जन्म से हज़ार दिनों की विशेष तैयारी। ¤बच्चों की शारीरिक/भावनात्मक/सामाजिक/मनोवैज्ञानिक समस्याओं को समझना और समाधान पर चर्चा। ¤ध्यान (सजगता) के अभ्यास से गर्भावस्था में आने वाली परेशानियों को कम करना साथ ही बच्चों में भी आत्मीय व्यवहार और बहुमुखी प्रतिभा के बीज रोपना। इस रूपरेखा के आधार पर कृपया अपने सुझाव और राय दीजिए। क्योंकि अब इन मुद्दों पर बातचीत करना आवश्यक हो गया है। इसलिए प्रार्थना है कि जो सहभागी/प्रतिभागी बनना चाहें वे लिखें - mindfulness@gmail.com Connect with us- 9522560786 8109710625 ( Organized by Being Mindful Living Foundation Bhopal) **कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों से प्रश्नोत्तर/चर्चा का स्वागत। (कृपया smiles भेजने के अलावा अपनी सहमति या सुझावों से अवगत कराएं साथ ही इस यज्ञ में सीधे तौर पर शामिल होने आएं)
श्रीमती रश्मि अग्रवाल अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन की महिला इकाई की प्रदेश महामंत्री मनोनीत
महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए अवसर प्रदान करना जरूरी : मंत्री डॉ. चौधरी 19 November 2019 भोपाल. स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने रायसेन में शासकीय कन्या महाविद्यालय में छात्राओं को निःशुल्क ड्राइविंग लायसेंस वितरित किए। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर देने के साथ ही उन्हें प्रोत्साहित करना भी जरूरी है। प्रदेश सरकार इस दिशा में काम कर रही है। डॉ. चौधरी ने महाविद्यालय में फर्नीचर के लिए एक लाख रूपए देने की घोषणा भी की। मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी के जन्म-दिवस पर राज्य सरकार अपने वचन को निभाते हुए छात्राओं को निःशुल्क ड्राइविंग लायसेंस वितरित कर रही हैं। श्रीमती इंदिरा गांधी को दुनिया में आयरन लेडी के रूप में जाना जाता है। जब भी बेटियों की तरक्की की बात आती है, तो उन्हें याद किया जाता है। आज महिलाएँ, पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है और कई क्षेत्रों में पुरूषों से भी आगे निकल गई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी छात्राएँ, छात्रों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। एनसीसी की छात्राओं, जो पुलिस में जाना चाहती हैं, को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही महिलाओं को रोजगार तथा व्यवसाय के क्षेत्र में भी बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार प्राथमिकता से काम कर रही है। मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि स्कूलों में बेहतर शिक्षा देने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेकर तेजी से क्रियान्वयन किया जा रहा है। सभी शासकीय स्कूलों में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग के सकारात्मक परिणाम मिले हैं। बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए शिक्षकों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्टेम प्रणाली की जगह अब हम शिक्षा की स्टीम प्रणाली लागू करने पर विचार कर रहे हैं। स्टेम पद्धति में साईंस, टेक्नालॉजी, इंजीनियरिंग तथा मेथ्स् विषय शामिल थे। स्टीम पद्धति में इन सभी विषयों के साथ आर्टस को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि दक्षिण कोरिया, फिनलैंड, सिंगापुर सहित अन्य देशों की शिक्षा प्रणाली स्टीम पद्धति पर ही आधारित है। महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए सरकार वचनबद्ध 21 September 2019 भोपाल.मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए सरकार वचनबद्ध हैं। महिलाएँ, परिवार और समाज के निर्माण के साथ ही नियोजित विकास करने में भी सक्षम है। जरूरत है कि हम उन्हें अवसर उपलब्ध करवाये जिससे वे अपना कौशल दिखा सकें। श्री नाथ आज जबलपुर में महिला-बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित पोषण आहार प्रदर्शनी का अवलोकन कर रहे थे। इसका आयोजन राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। हर क्षेत्र में उनके कौशल का उपयोग किया जाएगा, जिससे प्रदेश को उनकी क्षमता का लाभ मिल सकें। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित करने के संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने पोषण आहार से संबंधित गतिविधियों पर तैयार की गई सीडी का भी विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर सारेगामा गायन प्रतियोगिता में पूरे देश में बालिकाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली लाडो अभियान की ब्रांड एम्बेसडर कुमारी इशिता विश्वकर्मा को सम्मानित किया। एशियन गेम्स में तीरंदाजी में सिल्वर मेडल विजेता और पास्को की ब्रांड एम्बेस्डर मुस्कान किरार एवं राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी उन्नति तिवारी का भी सम्मान किया। मुख्यमंत्री ने लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रमाण-पत्र वितरित किए। उन्होंने आजीविका मिशन में महिलाओं के 150 स्व-सहायता समूह को 18 लाख 35 हजार रुपए की चक्रीय राशि, 48 समूह को 36 लाख रुपए की सामुदायिक निधि एवं 133 समूह को 1 करोड़ 36 लाख की साख सीमा राशि का वितरण किया। कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्री श्री प्रियव्रत सिंह, वित्त मंत्री श्री तरुण भनोत, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन मंत्री श्री लखन घनघोरिया, सांसद श्री विवेक तन्खा, विधायक तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। 26 अगस्त - संसार की माँ मदर टेरेसा के जन्म दिवस पर हार्दिक बधाइयाँ संसार की सबसे बड़ी पूंजी मानवता है, मानव जाति की सेवा के रूप में इसे व्यापक आकार देना चाहिए! 26 August 2019 मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसेडोनिया गणराज्य के स्काप्जे में सुन्दर बेटी अगनेस गोंझा बोयाजिजू के रूप में हुआ था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है। जब वह मात्र आठ साल की थीं तभी इनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद इनके लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी इनकी माता द्राना बोयाजिजू के ऊपर आ गयी। यह भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। इनके जन्म के समय इनकी बड़ी बहन की उम्र 7 साल और भाई की उम्र 2 साल थी। वह एक सुन्दर, अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थीं। पढ़ाई के साथ-साथ, गाना इन्हें बेहद पसंद था। यह और इनकी बहन पास के गिरजाघर में मुख्य गायिकाएँ थीं। अगनेस उर्फ मदर टेरेसा ने 12 साल की कम उम्र में अपने जीवन को समाज सेवा के कार्यों में समर्पित करने का फैसला कर लिया था। टेरेसा ने 18 साल की उम्र में ही स्काप्जे (अपने माता-पिता का घर) को छोड़ दिया था। वह आयरिश समुदाय में नन के रूप में शामिल हो गईं थी। यह समुदाय सिस्टर्स आफ लारेटो के नाम से पूरे भारत में शिक्षा का कार्य करता था। लारेटो की सिस्टर्स अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को भारत में पढ़ाती थी इसलिए सिस्टर टेरेसा ने अंग्रेजी सीखी। टेरेसा भारत आकर रहने लगीं जहाँ उन्होंने अपने जीवन का सबसे अधिक समय बिताया। टेरेसा ने स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। टेरेसा ने लिखा है - मेरी अन्तरात्मा से आवाज उठी थी कि मुझे अपना जीवन ईश्वर स्वरूप दरिद्र नारायण की सेवा के लिए समर्पित कर देना चाहिए। उन्होंने अपना नाम बदलकर टेरेसा रख लिया और उन्होंने आजीवन सेवा का संकल्प अपना लिया। 1931 में अगनेस ने सिस्टर टेरेसा के रूप में अपनी प्रतिज्ञाएं लीं। वर्ष 1931 से 1948 तक सिस्टर टेरेसा ने शिक्षण क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण सेवायें दी। टेरेसा ने दार्जिलिंग के सेंट टेरेसा स्कूल में शिक्षण कार्य किया। 1948 में, मदर टेरेसा ने पश्चिम बंगाल, कलकत्ता (कोलकाता) के झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीबों में से सबसे गरीब लोगों की सेवा करना शुरू कर दिया था। बाद में, इन्होंने झुग्गी में रहने वाले बच्चों के लिए ओपन-एयर स्कूल का संचालन किया और अंततः वेलीन्टर से अनुमति प्राप्त करने के बाद “मिशनरी आॅफ चैरिटी समूह” की स्थापना की। इस समूह का उद्देश्य शराबियों, एड्स पीड़ितों, भूखे, नंगे, बेघर, अपंग, अंधे, कुष्ठरोग से पीड़ित आदि सभी विभिन्न धर्मों के लोगों जिन्हें सहायता की आवश्यकता थी, उन बेसहारों को मानवता के नाते सहायता प्रदान करना था। मिशनरी आफ चैरिटी शुरू में कलकत्ता में सिर्फ 13 सदस्यों का समूह था और वर्ष 1997 तक 4000 से ज्यादा नन इसमें शामिल हो गई, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शराबियों, एड्स पीड़ित अनाथाश्रम और चैरिटी केंद्र को चलाने में पूरे समर्पण और जी-जान से आज भी लगी हंै। मदर टेरेसा पीड़ितों की सेवा में किसी प्रकार की पक्षपाती नहीं थी। उन्होंने सद्भाव बढ़ाने के लिए संसार का दौरा किया है। उनकी मान्यता है कि ‘प्यार की भूख रोटी की भूख से कहीं बड़ी है।’ उनके मिशन से प्रेरणा लेकर संसार के विभिन्न भागों से स्वयं सेवक भारत आये और तन, मन, धन से गरीबों की सेवा में लग गये। मदर टेरेसा का कहना है कि सेवा के कार्य में पूर्ण समर्पण की आवश्यकता होती है। वही लोग इस कार्य को प्रसन्नतापूर्वक कर सकते हैं जो प्यार एवं सांत्वना की वर्षा करें, भूखों को खिलायें, बेघर वालों को शरण दें, दम तोड़ने वाले बेबसों को प्यार से सहलायें, अपाहिजों को हर समय हृदय से लगाने के लिए तैयार रहें। चाहे परित्यक्त बच्चे हों, मरते हुए या कुष्ठ रोगी हों, मदर टेरेसा ने सबको भगवान के बच्चों के रूप में देखा और उनकी देखभाल की। उन्होंने लोगों को प्रेरित किया कि वे सेवा के इस पुनीत कार्य में पैसा, मकान, दवाइयां और दूसरी जरूरत की चीजें दान करने के लिए आगे आएं। लगभग दस वर्षों में मिशनरीज आॅफ चैरिटी ने भारत में कई जगह होम्स खोले। दान इकट्ठा करने के लिए दूसरे देशों का दौरा भी किया। उन्होंने मेन्स विंग की स्थापना भी की, जिसे मिशनरीज ब्रदर्स आॅफ चैरिटी नाम दिया गया। ब्रदर्स उन क्षेत्रों में काम करते थे, जहां सिस्टर्स प्रवेश नहीं कर सकती थी। पोप ने 1965 में मिशनरी आॅफ चैरिटी को भारत के बाहर कार्य करने की इजाजत दे दी। मदर टेरेसा ने उत्तरी-दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और यूरोप में लोगों की सेवा करना शुरू कर दिया। 1970 तक वे गरीबों और असहायों के लिए अपने मानवीय कार्यों के लिए प्रसिद्ध हो गयीं। मदर टेरेसा के जीवनकाल में मिशनरीज आफ चैरिटी का कार्य लगातार विस्तृत होता रहा और उनकी मृत्यु के समय तक यह 123 देशों में 610 शाखायें नियंत्रित कर रही थीं। दीन-दुखियों की बिना भेदभाव की सेवा के लिए मदर टेरेसा को राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तरों पर मिले अनेक सम्मान इस प्रकार हैं:- (1) 1962 में मदर टेरेसा को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। (2) 1969 में, मदर टेरेसा को अंतर्राष्ट्रीय समझ के लिए जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। (3) 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। (4) 1980 में, भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न पुरूस्कार’ से सम्मानित किया गया था। इन पुरस्कारों के अतिरिक्त मदर टेरेसा को टेंपलटन, रमन मैगसेसे पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय समझ एवं पोप जान 23वें शांति पुरस्कार 1971 के लिए भी पुरस्कार मिले हैं। विश्व भारती विद्यालय ने उन्हें देशिकोत्तम पदवी दी जो कि उसकी ओर से दी जाने वाली सर्वोच्च पदवी है। अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय ने उन्हंे डाक्टेरेट की उपाधि से विभूषित किया। 1988 में ब्रिटेन द्वारा ‘आर्डर आॅफ द ब्रिटिश इम्पायर’ की उपाधि प्रदान की गयी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने उन्हें डी-लिट की उपाधि से विभूषित किया। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति केनेडी ने उन्हें जोजेफ पी. केनेडी फाउंडेशन अवार्ड से सम्मानित किया। नीली बाॅर्डर वाली काॅटन की सफेद साड़ी पहनने वाली संसार की इस करूणामयी माँ मदर टेरेसा का देहान्त 5 सितम्बर 1997 को हो गया। दया तथा ममता की इस माँ ने अपने सेवामय जीवन द्वारा सारी मानव जाति को सन्देश दिया कि संसार की सबसे बड़ी पूँजी मानवता है। मानव मात्र की सेवा के रूप में इसे व्यापक आकार देना चाहिए। मनुष्य के प्रत्येक सेवा कार्य ईश्वर की सुंदर प्रार्थना बने। मदर टेरेसा संसार के लिए सच्चे प्रेम और सेवा की विरासत छोड़ गईं। मदर टेरेसा के देहान्त के उपरान्त 4 सितंबर, 2016 को वेटिकन सिटी के सेंट पीटर स्क्वायर में पोप फ्रांसिस द्वारा मदर टेरेसा को संत की उपाधि प्रदान की गई थी। मदर टेरेसा के संत की उपाधि समारोह को वेटिकन टेलीविजन चैनल पर लाइव प्रसारण किया गया था और इंटरनेट पर भी दिया गया था। मदर टेरेसा के संत की उपाधि के विशेष सार्वजनिक जश्न को कोलकाता और भारत के मिशनरी आफ चैरिटी के अलावा, इनके गृहनगर स्कोप्जे में भी 7 दिवसीय लंबे उत्सव के रूप में मनाया गया था। मदर टेरेसा 6 अनमोल विचार इस प्रकार हैं - (1) छोटी-छोटी बातों में विश्वास रखें क्योंकि इनमें ही आपकी शक्ति निहित है। यही आपको आगे ले जाती है। (2) यदि हमारे मन में शांति नहीं है तो इसकी वजह है कि हम यह भूल चुके हैं कि हम एक-दूसरे के लिए हैं। (3) मैं चाहती हूं कि आप अपने पड़ोसी के बारे में चिंतित हों, क्या आप जानते हैं कि आपका पड़ोसी कौन है? (4) भगवान यह अपेक्षा नहीं करते कि हम सफल हों, वे तो केवल इतना चाहते हैं कि हम प्रयास करें। (5) कल तो चला गया, आने वाला कल अभी आया नहीं, हमारे पास केवल आज है, आइए, अच्छे कार्य की वर्तमान के इस क्षण से शुरूआत करें। (6) हम कभी नहीं जान पाएंगे कि एक छोटी-सी मुस्कान कितना भला कर सकती है और कितनों को खुशी दे सकती है। जागरूक-सहयोगी परिवार-सफल स्तनपान की थीम पर मनेगा विश्व स्तनपान सप्ताह 30 July 2019 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य सरकार महिलाओं का अपमान सहन नहीं करेगी। समाज को भी महिलाओं का अपमान बर्दाश्त नहीं करना चाहिये। श्री चौहान ने सामाजिक संगठनों का आव्हान किया है कि महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिये राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों में सहभागी बनें। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिये 'जीरो टॉलरेंस'' सरकार का संकल्प है। मुख्यमंत्री आज यहाँ व्हीआईपी रोड पर जिला पुलिस बल द्वारा आयोजित वॉकथॉन फ्लेग ऑफ कार्यक्रम 'नारी शक्ति की ओर बढ़ाइये एक कदम'' को संबोधित कर रहे थे। श्री चौहान इस मौके पर 5 किलोमीटर की वॉकथॉन में भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिये पुलिस के पास सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। पुलिस को चाहिये कि गुंडों-बदमाशों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करे। उन्होंने कहा कि महिला अधिकारों की अनदेखी करने वाले नर पिशाचों के कोई अधिकार नहीं होते। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने बलात्कारियों को मृत्यु-दण्ड दिये जाने का कानून बनाकर राष्ट्रपति को अनुमोदन के लिये भेजा है। श्री चौहान ने समाज के विभिन्न वर्गों से अपील की है कि बच्चों को बचपन से ही नारी का सम्मान करने के संस्कार दें। बच्चों में यह भाव पैदा करें कि महिलाओं का सम्मान ही पूरे समाज का सम्मान है। कैण्डल मार्च के प्रसंग और अमीर, शिक्षित तथा शहरी परिवारों में घटते लैंगिक अनुपात की जानकारी देते हुए उन्होंने समाज को इस दिशा में चिंतन करने और सार्थक पहल करने के लिये प्रेरित किया। श्री चौहान ने कहा कि सृष्टि चक्र के सुचारु संचालन के लिये बेटा और बेटी में भेदभाव को मिटाना नितांत आवश्यक है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नारी सम्मान सर्वोपरि है। राज्य सरकार ने बेटियों को आगे बढ़ाने के भरपूर प्रयास किये हैं। वन विभाग के अतिरिक्त अन्य शासकीय नौकरियों में 33 प्रतिशत और शिक्षक संवर्ग में 50 प्रतिशत आरक्षण भी दिया है। मुख्यमंत्री ने महिलाओं के सम्मान को कायम रखने के लिये वॉकथॉन के आयोजन की सराहना की। जिला पुलिस बल द्वारा आयोजित वॉकथॉन फ्लेग ऑफ कार्यक्रम में 3, 5 और 7 किलोमीटर की श्रेणियों में हर उम्र और वर्ग के लगभग 15 हजार लोगों ने भाग लिया। पुलिस महानिरीक्षक श्री जयदीप प्रसाद ने इस कार्यक्रम के उद्देश्य से अवगत कराया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को स्मृति-चिन्ह भेंट किया गया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर, महापौर श्री आलोक शर्मा, सांसद श्री आलोक संजर, श्री बृजेश लूणावत, पुलिस महानिदेशक श्री आर.के. शुक्ला, संभागायुक्त श्री अजातशत्रु, अपर पुलिस महानिदेशक श्रीमती अरूणा मोहन राव सहित शहर के गणमान्य लोग भी मौजूद थे। सेमीनार में निकला निष्कर्ष - शहरों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाना पहली प्राथमिकता, मप्र में सक्रिय पुलिस योगदान महती जरूरत 24 July 2019 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य सरकार महिलाओं का अपमान सहन नहीं करेगी। समाज को भी महिलाओं का अपमान बर्दाश्त नहीं करना चाहिये। श्री चौहान ने सामाजिक संगठनों का आव्हान किया है कि महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिये राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों में सहभागी बनें। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिये 'जीरो टॉलरेंस'' सरकार का संकल्प है। मुख्यमंत्री आज यहाँ व्हीआईपी रोड पर जिला पुलिस बल द्वारा आयोजित वॉकथॉन फ्लेग ऑफ कार्यक्रम 'नारी शक्ति की ओर बढ़ाइये एक कदम'' को संबोधित कर रहे थे। श्री चौहान इस मौके पर 5 किलोमीटर की वॉकथॉन में भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिये पुलिस के पास सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। पुलिस को चाहिये कि गुंडों-बदमाशों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करे। उन्होंने कहा कि महिला अधिकारों की अनदेखी करने वाले नर पिशाचों के कोई अधिकार नहीं होते। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने बलात्कारियों को मृत्यु-दण्ड दिये जाने का कानून बनाकर राष्ट्रपति को अनुमोदन के लिये भेजा है। श्री चौहान ने समाज के विभिन्न वर्गों से अपील की है कि बच्चों को बचपन से ही नारी का सम्मान करने के संस्कार दें। बच्चों में यह भाव पैदा करें कि महिलाओं का सम्मान ही पूरे समाज का सम्मान है। कैण्डल मार्च के प्रसंग और अमीर, शिक्षित तथा शहरी परिवारों में घटते लैंगिक अनुपात की जानकारी देते हुए उन्होंने समाज को इस दिशा में चिंतन करने और सार्थक पहल करने के लिये प्रेरित किया। श्री चौहान ने कहा कि सृष्टि चक्र के सुचारु संचालन के लिये बेटा और बेटी में भेदभाव को मिटाना नितांत आवश्यक है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नारी सम्मान सर्वोपरि है। राज्य सरकार ने बेटियों को आगे बढ़ाने के भरपूर प्रयास किये हैं। वन विभाग के अतिरिक्त अन्य शासकीय नौकरियों में 33 प्रतिशत और शिक्षक संवर्ग में 50 प्रतिशत आरक्षण भी दिया है। मुख्यमंत्री ने महिलाओं के सम्मान को कायम रखने के लिये वॉकथॉन के आयोजन की सराहना की। जिला पुलिस बल द्वारा आयोजित वॉकथॉन फ्लेग ऑफ कार्यक्रम में 3, 5 और 7 किलोमीटर की श्रेणियों में हर उम्र और वर्ग के लगभग 15 हजार लोगों ने भाग लिया। पुलिस महानिरीक्षक श्री जयदीप प्रसाद ने इस कार्यक्रम के उद्देश्य से अवगत कराया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को स्मृति-चिन्ह भेंट किया गया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर, महापौर श्री आलोक शर्मा, सांसद श्री आलोक संजर, श्री बृजेश लूणावत, पुलिस महानिदेशक श्री आर.के. शुक्ला, संभागायुक्त श्री अजातशत्रु, अपर पुलिस महानिदेशक श्रीमती अरूणा मोहन राव सहित शहर के गणमान्य लोग भी मौजूद थे। महिलाओं का अपमान सहन नहीं करेगी राज्य सरकार : मुख्यमंत्री श्री चौहान 30 March 2018 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य सरकार महिलाओं का अपमान सहन नहीं करेगी। समाज को भी महिलाओं का अपमान बर्दाश्त नहीं करना चाहिये। श्री चौहान ने सामाजिक संगठनों का आव्हान किया है कि महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिये राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों में सहभागी बनें। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिये 'जीरो टॉलरेंस'' सरकार का संकल्प है। मुख्यमंत्री आज यहाँ व्हीआईपी रोड पर जिला पुलिस बल द्वारा आयोजित वॉकथॉन फ्लेग ऑफ कार्यक्रम 'नारी शक्ति की ओर बढ़ाइये एक कदम'' को संबोधित कर रहे थे। श्री चौहान इस मौके पर 5 किलोमीटर की वॉकथॉन में भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिये पुलिस के पास सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। पुलिस को चाहिये कि गुंडों-बदमाशों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करे। उन्होंने कहा कि महिला अधिकारों की अनदेखी करने वाले नर पिशाचों के कोई अधिकार नहीं होते। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने बलात्कारियों को मृत्यु-दण्ड दिये जाने का कानून बनाकर राष्ट्रपति को अनुमोदन के लिये भेजा है। श्री चौहान ने समाज के विभिन्न वर्गों से अपील की है कि बच्चों को बचपन से ही नारी का सम्मान करने के संस्कार दें। बच्चों में यह भाव पैदा करें कि महिलाओं का सम्मान ही पूरे समाज का सम्मान है। कैण्डल मार्च के प्रसंग और अमीर, शिक्षित तथा शहरी परिवारों में घटते लैंगिक अनुपात की जानकारी देते हुए उन्होंने समाज को इस दिशा में चिंतन करने और सार्थक पहल करने के लिये प्रेरित किया। श्री चौहान ने कहा कि सृष्टि चक्र के सुचारु संचालन के लिये बेटा और बेटी में भेदभाव को मिटाना नितांत आवश्यक है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नारी सम्मान सर्वोपरि है। राज्य सरकार ने बेटियों को आगे बढ़ाने के भरपूर प्रयास किये हैं। वन विभाग के अतिरिक्त अन्य शासकीय नौकरियों में 33 प्रतिशत और शिक्षक संवर्ग में 50 प्रतिशत आरक्षण भी दिया है। मुख्यमंत्री ने महिलाओं के सम्मान को कायम रखने के लिये वॉकथॉन के आयोजन की सराहना की। जिला पुलिस बल द्वारा आयोजित वॉकथॉन फ्लेग ऑफ कार्यक्रम में 3, 5 और 7 किलोमीटर की श्रेणियों में हर उम्र और वर्ग के लगभग 15 हजार लोगों ने भाग लिया। पुलिस महानिरीक्षक श्री जयदीप प्रसाद ने इस कार्यक्रम के उद्देश्य से अवगत कराया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को स्मृति-चिन्ह भेंट किया गया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर, महापौर श्री आलोक शर्मा, सांसद श्री आलोक संजर, श्री बृजेश लूणावत, पुलिस महानिदेशक श्री आर.के. शुक्ला, संभागायुक्त श्री अजातशत्रु, अपर पुलिस महानिदेशक श्रीमती अरूणा मोहन राव सहित शहर के गणमान्य लोग भी मौजूद थे। मजदूरी छोड़ स्वरोजगार स्थापित कर रहीं ग्रामीण महिलायें 9 March 2018 मध्यप्रदेश में महिलायें अपने परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये व्यवसायिक गतिविधियों से जुड़ रही हैं। इस मामले में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलायें तेजी से आगे आ रही हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और तेजस्विनी स्व-सहायता समूह की अवधारणा ने इन महिलाओं को सम्बल प्रदान किया है। गरीब और कमजोर वर्गों की महिलायें मजदूरी छोड़ इन स्व-सहायता समूहों की सहायता से स्वयं का रोजगार स्थापित कर रही हैं और सफल उद्यमी भी बन रही हैं। ऊषा साहू अपने पति के साथ अनूपपुर जिले के जैतहरी विकासखण्ड के आदिवासी बाहुल्य ग्राम निगौरा में मजदूरी करती थी। स्थानीय लक्ष्मी स्व-सहायता समूह से जुड़ी, तो स्कूल में संचालित मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का हिस्सा बन गई। फिर भी आर्थिक स्थिति में वांछित सुधार नहीं हुआ क्योंकि इसकी महत्वकांक्षा थी अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करने की गांव में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत म.प्र. दीनदयाल योजना में नये स्व-सहायता समूह निर्माण और पूर्व में बने स्व-सहायता समूहों के सशक्तिकरण का कार्य शुरू किया गया, तो ऊषा साहू स्व-सहायता समूहों की बैठक में भाग लेने लगी, मिशन के व्यवसायिक प्रशिक्षणों में भी भाग लिया। ऊषा ने सर्वप्रथम समूह से 5 हजार रूपये ऋण लेकर अपनी खेती को सुदृढ़ बनाया। फिर यह ऋण चुकता कर 25 हजार रूपये का ऋण लेकर साहूकार का कर्ज चुकाया। ऊषा पर निरंतर आगे बढ़ने की धुन सवार थी। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की टीम ने ऊषा का उत्साह और लगन देखकर उसे मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू करने की सलाह दी और मदद भी की। मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में उसे मुर्गीपालन के लिये बैंक से 2.50 लाख रूपये का ऋण दिलवाया गया। अब ऊषा साहू अपने पति के साथ खुद का मुर्गी पालन व्यवसाय बहुत अच्छी तरह संचालित कर रही है। हर माह 12-15 हजार रूपये आसानी से कमा रही है ईंट के भट्टे की मलिक बनी महिलायें : पन्ना जिले के ग्राम रैयासांटा में ईंट भट्टों पर मजदूरी करने वाली महिलाओं को अन्त्यावसायी सहकारी समिति ने सवित्री बाई फुले स्व-सहायता योजना की मदद से ईंट भट्टों का मलिक बना दिया है। गांव के सरस्वती तेजस्विनी स्व-सहायता समूह की सदस्य होने के कारण इन महिलाओं को वित्तीय मदद तत्परता से मिली। सावित्री बाई स्व-सहायता योजना में सरस्वती तेजस्विनी स्व-सहायता समूह की इन महिला सदस्यों को 3 लाख रूपये ऋण मध्यांचल ग्रामीण बैंक की हरदुआ शाखा से दिलवाया गया। इस योजना में इन महिलाओं को 50 प्रतिशत अर्थात 1.50 लाख रूपये अनुदान मिला। अब ये महिलायें ईंट भट्टे की मजदूर नहीं, मलिक हैं। भट्टे की कमाई में बराबर की हिस्सेदारी हैं। महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा के लिये सरकार के बेहतर प्रयास 28 February 2018 प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा के लिये राज्य सरकार बेहतर प्रयास निरंतर कर रही है। इन्हीं प्रयासों में महिलाओं को नि:शुल्क ड्रायविंग लायसेंस उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। इसमें अभी तक एक लाख 99 हजार 528 लर्निंग लायसेंस बनाये गये हैं। साथ ही एक लाख 38 हजार 286 ड्रायविंग लायसेंस जारी किये जा चुके हैं। केवल महिलाओं के लिये विशेष 'पिंक लायसेंस शिविर'' आयोजित किये जा रहे हैं। इसमें 12 हजार 579 लायसेंस जारी किये जा चुके हैं। महिलाओं को सुरक्षा के लिये हेल्पलाइन नम्बर 1091 उपलब्ध करवाया गया है। हेल्पलाइन नम्बर को यात्री बसों पर भी अंकित करवाया गया है। साथ ही यात्री परिवहन में महिलाओं के लिये 11 से 16 सीट आरक्षित की गई हैं। नवजात शिशुओं को स्तनपान करवाने के लिये वाहन चालक के पीछे की सीट आरक्षित की गई है। इसमें तीन ओर से पर्दा लगाने के लिये भी परमिट शर्तों में निर्देश दिये गये हैं। स्कूल बसों में बालिकाओं की सुरक्षा की दृष्टि से महिला ड्रायवर अथवा शैक्षणिक संस्थान की एक महिला कर्मचारी या परिचालिका की उपस्थिति अनिवार्य की गई है। इस संबंध में निर्देश जारी किये गये हैं। साथ ही परमिट के लिये इस शर्त का उल्लेख किया गया है। अन्य सुविधाओं में महिलाओं को सुरक्षित परिवहन सेवाएँ उपलब्ध करवाने के लिये बसों में जीपीएस/जीपीआरएस आधारित ट्रेकिंग सिस्टम और सी.सी. टी.व्ही. कैमरे लगाये जाने के विभागीय आदेश जारी किये जा चुके हैं। इस संबंध में मध्यप्रदेश मोटर-यान नियम में संशोधन की कार्यवाही भी प्रचलित है। बड़वानी में स्व-सहायता समूह की महिलाएँ करेंगी सड़कों का रख-रखाव
बड़वानी में नवाचार के तहत महिलाओं के 4 स्व-सहायता समूहों को 2 सड़कों के रख-रखाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ग्रुप के सदस्यों द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी सही तरीके से निभाने पर मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण उन्हें प्रति किलोमीटर 23 हजार 3 सौ रूपये का भुगतान प्रति वर्ष करेगा। इस नवाचार के तहत बड़वानी-बंधान रोड़-अम्बापानी की 8.9 किलोमीटर लम्बी सड़क मॉ दुर्गा, मॉ गंगा और श्रीराम स्व-सहायता समूह को तथा अम्बापानी से कालाखेत की 1.62 किलोमीटर लम्बी सड़क जय मॉ लक्ष्मी स्व-सहायता समूह को सौपी गई है। सड़क निर्माण एजेंसी मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण बड़वानी एवं संबंधित स्व-सहायता समूह के मध्य अनुबंध किया गया है। अनुबंध की शर्तें: स्व-सहायता समूह को सौंपी गई इन सड़कों का अगले 5 वर्ष तक संबंधित स्व-सहायता समूह रख-रखाव करेगा। समूह के सदस्यों द्वारा सड़क के किनारे उगी झाड़ियों को वर्ष में एक बार साफ किया जाएगा। वर्षा उपरान्त सड़कों के किनारों पर पटरियों को मिट्टी से भरा जाएगा। सड़क पर निर्मित पुल-पुलिया-रपटों पर पानी के निकासी वाले मार्गों की वर्ष में कम से कम दो बार सफाई की जाएगी। सड़क पर लगे संकेतकों, मार्ग पर आने वाले अवरोधों की पुताई एवं लिखाई समूह करेगा। सड़क के प्रत्येक 200 मीटर पर लगे दूरी बताने वाले पत्थरों की पुताई कराना, सड़क के दोनों ओर कच्ची एवं पक्की नालियों की सफाई आवश्यकतानुसार करवाना अनुबंध में सम्मलित है। प्रशिक्षण:सड़कों के संधारण कार्य के पर्यवेक्षण के लिये सहायक प्रबंधक/उपयंत्री स्तर के अधिकारी को प्रभारी नियुक्त किया जायेगा। नियुक्त प्रभारी अधिकारी द्वारा सूचना पटलों पर लिखे जाने वाले विवरण का प्रारूप उपलब्ध कराने के साथ-साथ, अपेक्षित संधारण कार्य के प्रशिक्षण के लिए सड़क के किसी भी 200 मीटर भाग को चुनकर (जिसमें पुलिया आदि भी हो) समक्ष में मानक मापदण्डों अनुसार स्व-सहायता समूह से संधारण कार्य करवाया जायेगा । बाद में संधारण दल इन्हीं मानकों के अनुसार संधारण कार्य करेगा । भुगतान की प्रक्रिया: इस संधारण कार्य के लिये संबंधित स्व-सहायता समूह को प्रथम वर्ष 23 हजार 3 सौ रूपये प्रति किलोमीटर, द्वितीय वर्ष 24 हजार 2 सौ रूपये प्रति किलोमीटर, तृतीय वर्ष 25 हजार 6 सौ रूपये प्रति किलोमीटर, चतुर्थ वर्ष 26 हजार 5 सौ रूपये प्रति किलोमीटर, पंचम वर्ष 27 हजार 5 सौ रूपये प्रति किलोमीटर का भुगतान किया जायेगा। भुगतान का तरीका: ऐसे पहुंच मार्ग जिनमें एकल ग्राम लाभान्वित है, उन पर संधारण दल को संधारण कार्यो का भुगतान संबंधित ग्राम संगठन के माध्यम से किया जायेगा।ऐसे पहुंच मार्ग जिनमें एक से अधिक ग्राम लाभान्वित हैं, वहाँ पर संधारण दल को संधारण कार्यो का भुगतान संबंधित क्लस्टर लेवल फेडरेशन के माध्यम से किया जायेगा। संधारण दल द्वारा किये गये संधारण कार्य का भुगतान प्रत्येक दो माह में किया जायेगा । यह भुगतान चेक के माध्यम से ही हो सकेगा। आगे गैस ऐजेंसी, विद्युत देयक संबंधी कार्य भी दिये जायेंगे: जिला कलेक्टर ने बताया कि आगे चलकर जिले की स्व-सहायता समूह की महिलाओं को गैस ऐजेंसी का संचालन, विद्युत देयकों की वसूली, आंगनवाड़ियों में सप्लाई होने वाले पूरक पोषण आहार देने जैसे कार्य भी सौंपे जा सकेंगे। न्यू इण्डिया के तहत देश के 100 जिलो में चयनित बड़वानी जिले में कुपोषण, मातृ-मृत्यु दर को कम करना, स्वच्छता का संदेश घर-घर पहुंचाने में भी स्व-सहायता समूह की महिलाएं अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए बेहतर परिणाम लाने में मददगार होंगी। मजदूर से बांसकला की मास्टर ट्रेनर बनीं कमला वंशकार
कभी पति के साथ मजदूरी कर बच्चों का पालन-पोषण करने वाली छतरपुर जिले के लवकुश नगर विकासखण्ड के ग्राम हिनौता की कमला वंशकार आज लक्ष्मी तेजस्विनी स्व-सहायता समूह की मास्टर ट्रेनर हैं। ग्रामीण महिलाओं को बांस शिल्पकला द्वारा बांस से बैलगाड़ी,चाय की ट्रे, गुलदस्ता कप-प्लेट आदि बनाना सीखाती हैं। बांस से बनाये अपने उत्पाद को दिल्ली,भोपाल,इंदौर,रायपुर और जयपुर में होने वाले हाट-बाजारों में जाकर बेचती भी हैं। कमला बताती हैं कि उन्हें प्रतिवर्ष 80 हजार रूपये से भी अधिक की आय इस कारोबार से हो रही है। परिवार में बच्चे को हॉस्टल में रखकर पढ़ा रही हैं। स्वयं अपने पैरों पर खड़े होकर आजीविका चलाने में सक्षम बन गई हैं। कमला को प्रशिक्षण एवं समूह से जुड़ने के पूर्व इतना सम्मान कभी नहीं मिला, जितना प्रशिक्षक बनने पर मिल रहा है। कमला वंशकार अपनी पुरानी जिन्दगी से सबक लेकर ही आगे बढ़ी हैं। वह बताती हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब रहा करती थी। समाज में सम्मान भी नहीं था क्योंकि मजदूर थे हम। एक दिन कमला ने स्वरोजगार प्रशिक्षण केन्द्र के माध्यम से बांस द्वारा निर्मित सजावट के खेल-खिलौने बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर गरीबी से बाहर निकलने की ठानी। लक्ष्मी तेजस्विनी समूह से जुड़ने पर कमला को क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र नौगांव द्वारा बांस बर्तन का 7 दिनों का प्रशिक्षण दिलवाया गया। कमला ने बांस निर्माण कला की बारीकियों को सीखा और समझा। आरसेटी योजना के अन्तर्गत उन्हें 25 हजार रूपये का लोन भी मिला। बांस से बने उत्पादों को हाट-बाजारों में बेचने से उन्हें अब 5 से 10 हजार रूपये तक की मासिक आय प्राप्त होने लेगी। कमला अब अन्य जगहों पर जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दे रहीं है। कमला के पति भी उनका साथ दे रहे हैं। मजदरी करने वाली कमला भी अब बांसकला की मास्टर ट्रेनर बन गयी हैं। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने अडूपुरावासियों से किया आग्रह "बेटियों की पढ़ाई अधूरी न रहे"
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल सोमवार को ग्वालियर जिले के ग्राम अड़ूपुरा की शासकीय एवं प्राथमिक व माध्यमिक शाला तथा आंगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण करने पहुँचीं। उन्होंने आंगनबाड़ी केन्द्र की किशोरी बालिकाओं से पढ़ाई के बारे में चर्चा की, तब उन्हें पता चला कि आगे पढ़ाई की इच्छा होने के बावजूद उनके अभिभावकों ने दूसरे गाँव में स्थित हाईस्कूल में दाखिला नहीं कराया है। राज्यपाल ने लोगों से कहा कि आप सबसे निवेदन करने आई हूँ कि अपनी बेटियों को आठवीं कक्षा के बाद घर न बिठाएँ, उनका दाखिला अगली कक्षा में जरूर कराएँ। बेटियाँ पढ़ाई में बेटों से बिल्कुल भी कमतर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि गाँव की माध्यमिक शाला में आठवीं में पढ़ रहीं सभी बेटियों का प्रवेश नौवीं कक्षा में जरूर करायें। बेटियाँ पढ़-लिखकर गाँव, समाज व देश का नाम रोशन करेंगीं। स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों का निरीक्षण करने के बाद राज्यपाल विद्यालय परिसर में बड़ी संख्या में एकत्रित ग्रामीणजनों से चर्चा करने पहुँच गईं। ग्रामीणों को बालिका शिक्षा के लिये प्रोत्साहित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सरकार द्वारा दूसरे गाँव में पढ़ने जाने वाली बालिकाओं को नि:शुल्क साइकिल दी जाती है। साथ ही पाठ्य-पुस्तकें और छात्रवृत्ति इत्यादि की सुविधा भी सरकार दे रही है। इस सबके बावजूद यदि बेटियाँ पढ़ने से वंचित रह जाएँ तो यह समाज पर कलंक है। श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि मैं 15 किलोमीटर दूर स्थित हाईस्कूल में अपने पिता की मदद से प्रति दिन पढ़ने जाती थी। आपके गाँव से तो मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर ग्राम रौरा में शासकीय हाईस्कूल संचालित है, जहाँ गाँव की सभी बालिकायें एक साथ साइकिल से पढ़ने जा सकती हैं। जरूरत होने पर गाँव के लोग भी बारी-बारी से बालिकाओं को स्कूल तक छोड़ने और लेने जा सकते हैं। राज्यपाल ने अडूपुरा के शासकीय प्राथमिक शाला व माध्यमिक शाला की विभिन्न कक्षाओं में जाकर बच्चों से पढ़ाई के बारे में बात की। साथ ही शिक्षकों से भी पढ़ाई को लेकर चर्चा की। उन्होंने प्राथमिक शाला के बच्चों को टॉफियाँ भी बाँटीं। आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र पहुँचीं स्नेह सम्मेलन का किया शुभारंभ राज्यपाल श्री आनंदीबेन पटेल ने अडूपुरा में संचालित आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र भी पहुँचीं और बच्चों, किशोरी बालिकाओं व धात्री माताओं से चर्चा की। उन्होंने कम वजन के बच्चे की माता श्रीमती अनीता, एक लाड़ली लक्ष्मी की माँ श्रीमती रानी व नौवीं कक्षा में पढ़ रही बालिका अंजलि से चर्चा कर पोषण आहार के बारे में जानकारी ली। उन्हें बताया गया कि आंगनबाड़ी में नाश्ता और भोजन के अलावा अति कम वजन वाले बच्चों को अतिरिक्त रूप से थर्ड मील (विशेष भोजन) दिया जाता है। राज्यपाल ने आंगनबाड़ी की व्यवस्थाओं पर संतोष जाहिर किया। उन्होंने इस अवसर पर 12 दिवसीय स्नेह शिविर का शुभारंभ भी किया। इस आंगनबाड़ी केन्द्र को एक सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती संध्या त्रिपाठी ने अटल बाल पालक बनकर गोद लिया है। उन्होंने आंगनबाड़ी को सजाने-संवारने व एम्फी थियेटर (मुक्त आकाश मंच) बनाने के लिये 50 हजार रूपए का सहयोग दिया है। कुरीतियों से लड़ने के लिये महिलायें अपनी समिति बनाएँ आंगनबाड़ी केन्द्र में चर्चा के दौरान कुछ महिलाओं ने राज्यपाल से शिकायत की कि गाँव में कुछ लोग नशा करते हैं, जिससे माहौल ठीक नहीं रहता है। ऐसे परिवारों की महिलाओं को खासतौर पर परेशानी उठानी पड़ती है। राज्यपाल श्री आनंदीबेन ने महिलाओं से कहा कि नशामुक्ति एवं अन्य कुरीतियों के खिलाफ केवल शासन व प्रशासन के प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं, इसके लिये समाज को भी उठ खड़ा होना होगा। उन्होंने कहा कि कुरीतियों के खात्मे के लिये महिलायें अपनी एक समिति बनाएँ और सामूहिक रूप से नशा व अन्य कुरीतियों का विरोध करें, इसमें प्रबुद्ध पुरूष वर्ग का भी उन्हें जरूर सहयोग मिलेगा। अशोकनगर की बेटी गुंजन राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित
आम तौर पर अभिभावकों की धारणा होती है कि बड़े शहरों में ही शिक्षा का स्तर ऊँचा होता है, बड़े शहरों में शिक्षा अध्ययन करने वाले विद्यार्थी ही प्रावीण्य सूची में अव्वल होते हैं और अपने साथ माता-पिता का नाम रोशन करते है। अशोकनगर की बेटियां इस मिथक को तोड़ रही हैं। सीगोंन की बेटी जहाँ आई.ए.एस. परीक्षा में अपना स्थान बना चुकी है, वही अशोकनगर की एक और बेटी गुंजन जैन ने शिक्षा के क्षेत्र में हुनर कर दिखाया है। देश के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने अशोकनगर की बेटी गुंजन को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया है। एक्सीलेंसी कॉलेज की प्राचार्य श्रीमती रजनी शुक्ला ने बताया कि सत्र 2014-15 में गुंजन जैन ने महाविद्यालय में ऑनलाइन प्रवेश के माध्यम से बीएससी प्रथम वर्ष मे नियमित प्रवेश लिया था। यह छात्रा शुरू से ही शिक्षा के प्रति संवेदनशील रही है। छात्रा गुंजन जैन ने जीवाजी विश्वविद्यालय की बीएससी के तीनों वर्षों की परीक्षा मे पूरे विश्वविद्यालय में प्रथम आकर अपना और माता-पिता तथा महाविद्यालय का नाम रोशन किया है। छात्रा ने तीनों वर्ष मे कुल 77 प्रतिशत से अधिक अंक अर्जित किए है। देश के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने छात्रा को जीवाजी विश्वविधालय के दीक्षांत समारोह के दौरान स्वर्ण पदक तथा प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया है तथा बधाई देते हुए कहा कि प्रदेश की बेटियाँ आगे आ रही हैं। इस बात का प्रमाण यह है कि विश्वविद्यालय में 49 स्वर्ण पदक में से 26 स्वर्ण पदक बेटियों ने ही हासिल किए हैं। सोनी कॉलोनी में निवास करने वाले श्री राजेन्द्र कुमार जैन एक गल्ला व्यापारी हैं। उनकी धर्मपत्नि श्रीमती मनी जैन सामान्य गृहणी हैं। दोनों को अपनी बेटी गुंजन पर गर्व है। छात्रा गुंजन जैन ने बताया कि म.प्र. राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर डिप्टी कलेक्टर बनना चाहती हैं अशोकनगर की बेटी गुंजन राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित
आम तौर पर अभिभावकों की धारणा होती है कि बड़े शहरों में ही शिक्षा का स्तर ऊँचा होता है, बड़े शहरों में शिक्षा अध्ययन करने वाले विद्यार्थी ही प्रावीण्य सूची में अव्वल होते हैं और अपने साथ माता-पिता का नाम रोशन करते है। अशोकनगर की बेटियां इस मिथक को तोड़ रही हैं। सीगोंन की बेटी जहाँ आई.ए.एस. परीक्षा में अपना स्थान बना चुकी है, वही अशोकनगर की एक और बेटी गुंजन जैन ने शिक्षा के क्षेत्र में हुनर कर दिखाया है। देश के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने अशोकनगर की बेटी गुंजन को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया है। एक्सीलेंसी कॉलेज की प्राचार्य श्रीमती रजनी शुक्ला ने बताया कि सत्र 2014-15 में गुंजन जैन ने महाविद्यालय में ऑनलाइन प्रवेश के माध्यम से बीएससी प्रथम वर्ष मे नियमित प्रवेश लिया था। यह छात्रा शुरू से ही शिक्षा के प्रति संवेदनशील रही है। छात्रा गुंजन जैन ने जीवाजी विश्वविद्यालय की बीएससी के तीनों वर्षों की परीक्षा मे पूरे विश्वविद्यालय में प्रथम आकर अपना और माता-पिता तथा महाविद्यालय का नाम रोशन किया है। छात्रा ने तीनों वर्ष मे कुल 77 प्रतिशत से अधिक अंक अर्जित किए है। देश के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने छात्रा को जीवाजी विश्वविधालय के दीक्षांत समारोह के दौरान स्वर्ण पदक तथा प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया है तथा बधाई देते हुए कहा कि प्रदेश की बेटियाँ आगे आ रही हैं। इस बात का प्रमाण यह है कि विश्वविद्यालय में 49 स्वर्ण पदक में से 26 स्वर्ण पदक बेटियों ने ही हासिल किए हैं। सोनी कॉलोनी में निवास करने वाले श्री राजेन्द्र कुमार जैन एक गल्ला व्यापारी हैं। उनकी धर्मपत्नि श्रीमती मनी जैन सामान्य गृहणी हैं। दोनों को अपनी बेटी गुंजन पर गर्व है। छात्रा गुंजन जैन ने बताया कि म.प्र. राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर डिप्टी कलेक्टर बनना चाहती हैं शिक्षा के क्षेत्र में बेटियों का आगे बढ़ना देश के सुनहरे भविष्य का संकेत 11 February 2018 राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में बेटियाँ, बेटों से आगे हैं। यह स्थिति देश के सुनहरे भविष्य का संकेत है। उन्होंने कहा कि जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी बेटियों ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। क्रिकेट की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश की महिला क्रिकेट टीम ने देशवासियों के दिल को जीत लिया है। राष्ट्रपति श्री कोविंद रविवार को जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने जीवाजी विश्वविद्यालय के लगभग 236 विद्यार्थियों को पीएचडी उपाधि और गोल्ड मैडल प्रदान किए। समारोह में 26 छात्राओं को गोल्ड मैडल प्रदान किये गये। साथ ही, लगभग 120 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर उपाधि से विभूषित किया गया। राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि छात्र-छात्राओं एवं प्राध्यापकों को भारतीय पोषाक में देखकर उन्हें अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के लिये विद्यार्थी में ललक हो, तो कोई बाधा नहीं आ सकती। महिलायें उच्च शिक्षा हासिल करती हैं, तो अत्यंत खुशी होती है क्योंकि महिलाओं के अन्य पारिवारिक दायित्व भी होते हैं। महिलाओं में शिक्षा के प्रति जो ललक देखी जा रही है, वह सराहनीय है। राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने विकट परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई की और देश के राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद पर पहुँचे। इससे साबित होता है कि उनमें शिक्षा के प्रति कितनी ललक थी। उन्होंने कहा कि विद्या धन सभी प्रकार के धनों में श्रेष्ठ माना गया है। राष्ट्रपति ने विशेष उपलब्धि हासिल करने के लिये छात्र-छात्राओं, उनके अभिभावकों एवं प्राध्यापकों को बधाई देते हुए कहा कि विद्यार्थियों को माता-पिता ही सही दिशा देते हैं। इसमें समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि वे विश्वविद्यालय के मान-सम्मान का ध्यान रखें एवं सबकी बेहतरी के लिये काम करें। उन्होंने कहा कि पूर्व विद्यार्थी भी विश्वविद्यालय की बहुमूल्य निधि होते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि जीवाजी विश्वविद्यालय में लगभग 2 लाख विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इससे साबित होता है कि विश्वविद्यालय शिक्षा के प्रसार का बहुत बड़ा केन्द्र है। उन्होंने कहा कि समाज का शिक्षा के प्रति नजरिया बदल रहा है। अब माता-पिता बालिकाओं की पढ़ाई पर विशेष ध्यान देने लगे हैं। सरकारें भी बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ जैसे अभियान चला रही हैं। इसके अलावा बेटियों के उत्थान के लिये गाँव की बेटी, प्रतिभा किरण एवं लाड़ली लक्ष्मी जैसी महत्वपूर्ण योजनायें भी चलाई जा रही हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के केन्द्र कितने भी विशाल क्यों न हों, लेकिन उनकी भी क्षमता होती है। इसलिये ऑनलाइन शिक्षा सुविधाजनक है। विद्यार्थी घर बैठे कोर्स पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का प्रभाव बढ़ रहा है और मानव जीवन सुगम बन रहा है। हमारी निर्भरता भी टेक्नोलॉजी पर बढ़ती जा रही है, लेकिन इस निर्भरता को इतना नहीं बढ़ाएँ कि हम अक्षम ही हो जाएँ। उन्होंने कहा कि संकल्प लेने से कठिन काम भी सरल हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा ग्रहण करने का कोई अंत नहीं है। यह पूरे जीवन भर चलने वाली सतत प्रक्रिया है। इसलिये समाज की बेहतरी के लिये इसका उपयोग किया जाए। राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिये कैलेण्डर बनाया जाए। साथ ही परीक्षा समय पर हो, परीक्षा परिणाम समय पर घोषित किये जायें। इससे विश्वविद्यालय की गरिमा बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि विश्व रंगमंच पर तिरंगे को हमेशा ऊँचा रखने में विद्याथियों एवं युवाओं को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों को ईमानदारी के साथ ही दृढ़ इच्छाशक्ति भी रखनी होगी। अभी हम विकासशील देशों की श्रेणी में शामिल हैं। अब देश को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को भारतीय परिवेश में आयोजित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पुरानी परंपरायें गुलामी का प्रतीक थीं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपने ज्ञान का उपयोग समाज के हित में करें। श्री चौहान ने कहा कि सही इंसान वही है जो औरों के लिये जीता है। इसलिये देश एवं समाज के लिये कुछ करें। उन्होंने कहा कि सात्विक कार्यकर्ता वही है जो रागद्वेष से मुक्त हो, सबको समान मानता हो, अहंकार शून्य हो, धैर्यवान हो एवं उत्साह से भरा हुआ हो। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि हमेशा सकारात्मक सोच के साथ अपना काम करते रहें तो सफलता अवश्य कदम चूमेगी। समारोह में हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, केन्द्रीय पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, नगरीय विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया, विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती संगीता शुक्ला, छात्र-छात्रायें, अभिभावक, प्राध्यापकगण तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। राज्य महिला आयोग की एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न 27 January 2018 राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती लता वानखेड़े के दो वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर आयोग में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आयोग की सदस्य श्रीमती गंगा उईके सलाहकार समिति, दिव्या समिति, सलाहकार समिति, मुक्ति समिति, करूणा समिति और आनंद समिति के साथ-साथ जिलों की आयोग सखियों और ब्लाक स्तरीय सखी-संगनियों ने भाग लिया। कार्यशाला में मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका राज्य महिला आयोग के सलाहकार श्री प्रमोद दुबे ने निभाई। कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों ने श्रीमती लता वानखेड़े को सफल दो वर्षीय कार्यकाल के लिये बधाई दी। श्रीमती वानखेड़े ने अपने सफल कार्यकाल का श्रेय संगनियों और सखियों की कर्मठता को दिया। उन्होंने कहा कि इन सहयोगियों की लगन और कड़ी मेहनत के फलस्वरूप ही महिलाओं में तेजी से जागरूकता का संचार हुआ है। महिला सशक्तिकरण आयुक्त श्रीमती जयश्री कियावत ने कार्यशाला में प्रदेश में महिलाओं के हित संरक्षण के लिये संचालित योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भ्रूण हत्या और बाल-विवाह को रोकने की दिशा में सरकार स्तर पर ठोस कदम उठाए गए हैं। श्रीमती कियावत ने कार्यशाला में उपस्थित संगनियों और सखियों को और अधिक सक्रियता से कार्य करने की सलाह दी। महिला सुरक्षा के लिए आरंभ होगा सम्मान-सुरक्षा-स्वरक्षा अभियान: मंत्री श्रीमती चिटनिस 21 January 2018 महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा है कि महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सामाजिक चेतना और जागरूकता के लिये राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी से 8 मार्च अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस तक प्रदेश के सभी 1061 पुलिस थाना स्तर पर 'सम्मान सुरक्षा स्वरक्षा संवाद अभियान' संचालित किया जाएगा। जन-संवाद कार्यक्रम में पुलिस, होमगार्ड तथा महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से महिलाओं, किशोरों तथा बच्चों की सुरक्षा और उनके कल्याण से संबंधित कानूनों की जानकारी देगें। सभी जिलों में महिला सुरक्षा और जागरूकता ध्वज भी भेजा जाएगा। श्रीमती चिटनिस इन विभागों के मास्टर ट्रेनर्स की पीटीआरआई भोपाल में आयोजित एक दिवसीय संयुक्त कार्यशाला को संबोधित कर रही थी। होमगार्ड के महानिदेशक श्री महानभारत सागर, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक महिला अपराध श्रीमती अरूणा मोहन राव, महिला सशक्तिकरण आयुक्त श्रीमती जयश्री कियावत, एकीकृत बाल विकास परियोजना के आयुक्त श्री संदीप यादव कार्यशाला में उपस्थित थे। सम्मान सुरक्षा स्वरक्षा अभियान के अन्तर्गत 24 जनवरी को प्रदेश के सभी थाना परिसरों में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दों पर बातचीत होगी। साथ ही पाक्सो अधिनियम, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम-2015, घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 के प्रावधानों पर जानकारी दी जाएगी। जन-जागरूकता अभियान के तहत पुलिस विभाग द्वारा महिला सुरक्षा पर विकसित फिल्म और बाल यौन शोषण पर केन्द्रीत फिल्म 'कोमल' का प्रदर्शन भी किया जाएगा। विषय विशेषज्ञ साइबर क्राइम और साइबर सुरक्षा की जानकारी देंगे। जन-संवाद कार्यक्रम में शौर्या दल के सदस्य, पंचायत प्रतिनिधियों सहित स्थानीय पुरुष-महिलाएं सम्मिलित होंगे। अभियान के तहत 3,14 व 24 फरवरी को थाना क्षेत्र की सर्वाधिक जनसंख्या वाली ग्राम पंचायतों के मुख्यालयों पर जन-संवाद कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। अभियान संचालित करने के लिये जिला तथा विकासखंड स्तर पर महिला सशक्तिकरण अधिकारियों को चिन्हित किया गया है। इसके साथ ही प्रत्येक जिले से पुलिस और होमगार्ड के एक-एक अधिकारी को भी मास्टर ट्रेनर्स के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। थाना स्तर पर महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा तथा बच्चों के विषयों में कार्य की समझ और रूचि रखने वाले रिसोर्स परसन जनसामान्य से संवाद स्थापित करेंगे। पुलिस महानिदेशक तथा आयुक्त महिला सशक्तिकरण वीडियो काफ्रेसिंग के माध्यम से अभियान की तैयारियों के संबंध में 22 जनवरी को जिला अधिकारियों से चर्चा करेंगे। ""कमल सखी"" द्वारा हल्दी कुमकुम कार्यक्रम का आयोजन 19 January 2018 भारतीय संस्कृति के संरक्षण के प्रति समर्पित ""कमल सखी संस्था"" की तरफ से आज मुख्यमंत्री निवास प्रांगण में हल्दी कुमकुम का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि "कमल सखी'' की संरक्षक श्रीमती साधना सिंह और सीमा सिंह, विशेष रूप से उपस्थित थीं। इस अवसर पर ""कमल सखी"" की सदस्य सखियों ने एक दूसरे को हल्दी कुमकुम लगाया और सुहाग सामग्री बांटकर अखंड सुहाग की कामना की। इस अवसर पर "कमल सखी'' के आगामी कार्यक्रम के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। कार्यक्रम में श्रीमती वंदना जाचक, श्रीमती संगीता मिश्रा, श्रीमती सुषमा बवीजा, श्रीमती कामाक्षी शोभा सिकरवार, श्रीमती अर्चना यादव, श्रीमती भारती वर्मा, शोभा पांडे, श्रीमती अनीता सिंह, श्रीमती फरहाना, श्रीमती नीता मेहतो, श्रीमती पूनम प्रजापति, श्रीमती पुष्पा केवट, श्रीमती पुष्पा गुप्ता, श्रीमती गीता पांडे, श्रीमती अनीता चौहान आदि उपस्थित थीं। महिला आयोग द्वारा डेढ़ साल में 10 हजार 200 प्रकरणों का निराकरण 17 January 2018 राज्य महिला आयोग ने डेढ़ वर्ष की अल्पअवधि में 10 हजार 200 से भी ज्यादा प्रकरणों का निराकरण किया है। यह जानकारी आज आयोग की अध्यक्ष श्रीमती लता वानखेड़े की अध्यक्षता में सम्पन्न समीक्षा बैठक में दी गई। आयोग की अध्यक्ष श्रीमती वानखेड़े ने बैठक में पुराने नस्तीबद्ध प्रकरणों की समीक्षा भी की। बैठक में आयोग के वार्षिक प्रतिवेदन पर भी चर्चा हुई। इस मौके पर बताया गया कि आयोग ने 10 अगस्त 2016 से दिसम्बर 2017 के बीच पारिवारिक विवाद, कार्य स्थल पर प्रताड़ना, पति-पत्नी विवाद आदि के प्रकरणों का निराकरण भोपाल और जिलों में संयुक्त बैंच के माध्यम से किया। बैठक में आयोग के वार्षिक प्रतिवेदन पर भी चर्चा की गई। समीक्षा बैठक में आयोग की सदस्य श्रीमती प्रमिला बाजपेयी, श्रीमती सूर्या चौहान, श्रीमती संध्या राय, अनुभाग अधिकारी श्रीमती नन्दिता मित्रा, विधि अधिकारी श्री शंकर लाल पवार और श्रीमती आभा सिंह बैस मौजूद थे उज्जवला योजना बनी गरीब महिलाओं की उजली मुस्कान 17 January 2018 देवास जिले के ग्राम चंदाना में खजूर के पत्तों से झाड़ू बनाने वाली 50 वर्षीय शकुंतलाबाई सिसोदिया झाड़ू बनाने के बाद बचे हुए कचरे को जलाकर खाना पकाती थीं। इससे उनका पूरा घर धुआँ-धुआँ हो जाता था। घर के सभी लोग आँखों में जलन के साथ खाँसने लगते थे। शकुंतला को उज्जवला योजना का पता लगा तो सहेलियों के साथ आवेदन दिया और गैस का कनेक्शन नि:शुल्क मिल गया। शकुंतलाबाई पहले दिन-भर में 20 झाड़ू ही बना पाती थीं और उसी से गुजर-बसर करती थीं। कई बार तो ईंधन के इंतजाम और खाना बनाने में दिन भर चला जाता था। अब गैस के चूल्हे पर खाना झटपट बन जाता है। लकड़िया बीनने बाहर भी नहीं जाना पड़ता। इससे आमदनी दोगुनी हो गई है। इसी तरह, देवास जिले के मुकुंदखेड़ी की ताराबाई के लिये बरसात के मौसम में खाना बनाना सबसे मुश्किल काम होता था। लकड़ियाँ गीली होने से जलती भी मुश्किल से थीं। पूरे घर में धुआँ ही धुआँ हो जाता था। आँखों में आँसू और खाँसते-खाँसते बुरा हाल हो जाता था। कभी-कभी तो खाना ही नहीं बन पाता था। इसी प्रकार, रुकमाबाई को लकड़ियों और कण्डों से खाना बनाना बहुत भारी पड़ता था। धुएँ से मकान भी काला पड़ गया था। मेहमानों के आने पर काफी झेंप होती थी। सरकार से मुफ्त में मिले गैस कनेक्शन और चूल्हे से अब इन गरीब महिलाओं के घर में फटाफट खाना बन जाता है। थकान नहीं होती और धुआँ भी नहीं झेलना पड़ता। टीकाखुर्द की जसोदाबाई तो लकड़ियाँ फूँकते-फूँकते आँखों की बीमारी की शिकार हो गई थी। आँखें धुएँ से कमजोर हो गई थीं। अब गैस पर खाना बनाने के बाद आँखों को राहत मिली है। शकुंतलाबाई, ताराबाई, रुकमाबाई और जसोदाबाई की तरह देवास जिले में 47 हजार 927 गरीब महिलाओं को नि:शुल्क घरेलू गैस कनेक्शन और गैस चूल्हा मिल गया है। अब इन महिलाओं के घरों में स्वादिष्ट खाना आसानी से बनता है।। बरतन भी काले नहीं होते और आसानी से साफ हो जाते हैं। घर भी काला नहीं होता। आँखों की जलन और खाँसी से भी इन महिलाओं को छुटकारा मिल गया है। सबसे बड़ी बात लकड़ी बीनने, खाना बनाने और बरतन माँजने में खर्च होने वाला समय बचने से इन महिलाओं को अपने लिये भी वक्त मिलने लगा है। अगले तीन दिनों में सभी महिला जेलों में बच्चों का टीकाकरण होगा 16 January 2018 देश में पहली बार विदिशा की महिला जेल में कैदियों के साथ रह रहे 4 बच्चों को चिन्हित कर सघन मिशन इन्द्रधनुष में उन्हें टीका लगाया गया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने ट्वीट कर इस कार्य की प्रशंसा की। राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला ने बताया कि अगले तीन दिनों में प्रदेश की सभी महिला जेलों में बंद कैदियों के बच्चों का टीकाकरण हो जायेगा। इसके लिये सभी आवश्यक तैयारियाँ कर ली गई हैं। 2,66,821 बच्चों और 56,793 महिलाओं का टीकाकरण सघन मिशन इन्द्रधनुष के चारों चरणों में अब तक 47 हजार से अधिक सत्र हो चुके हैं, जिनमें जीरो से दो वर्ष तक के 2 लाख 66 हजार 821 बच्चों और 56 हजार 793 गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा चुका है। मिशन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 अक्टूबर, 2017 को प्रारंभ किया गया था, जिसमें अक्टूबर, नवम्बर और दिसम्बर में हुए चरणों के बाद अंतिम चरण 8 से 18 जनवरी तक चल रहा है। केन्द्रीय मंत्री ने की मध्यप्रदेश की सर्वाधिक प्रशंसा सघन मिशन इन्द्रधनुष में शामिल सभी राज्यों के प्रमुख सचिव, सचिव, राज्य टीकाकरण अधिकारी आदि को शामिल करते हुए केन्द्र शासन द्वारा एक ग्रुप बनाया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा केन्द्रीय मंत्री की सराहना के ट्वीट मध्यप्रदेश को मिले हैं। मध्यप्रदेश में टीकाकरण टीम सुदूर दुर्गम अंचलों में बसे लोगों के साथ एक-एक झोपड़ी में रहने वाले परिवार तक भी गई है और टीकाकरण किया है। अस्पतालों में प्रसव होने पर महिलाओं को टीकाकरण का कैलेण्डर भी दिया जा रहा है। इससे भी जागरूकता आयी है। परिवार समय पर बच्चे का टीकाकरण करवा रहे हैं। प्रदेश में सघन मिशन इन्द्रधनुष में 14 जिले अलीराजपुर, छतरपुर, झाबुआ, पन्ना, रायसेन, रीवा, सागर, शहडोल, श्योपुर, सीधी, सिंगरौली, टीकमगढ़, विदिशा और इंदौर (शहरी) शामिल हैं। बच्चों को डिप्थीरिया, काली खाँसी, टिटनेस, पोलियो, बीसीजी, टी.बी., खसरा आदि के टीके लगाये जा रहे हैं सबसे कम संख्या वाले भिण्ड जिले में जन्मीं सबसे अधिक लाड़ली 11 January 2018 राज्य शासन, पीसीपीएनडीटी, कलेक्टर, महिला बाल विकास विभाग के पिछले कुछ सालों से लक्ष्य केन्द्रित निरंतर प्रयास भिण्ड जिले में सुखद परिणाम लेकर आये हैं। जनगणना-2011 के अनुसार भिण्ड मध्यप्रदेश का सबसे कम लिंगानुपात वाला जिला था। देश ही नहीं एशिया में भी लिंगानुपात में सबसे नीचे रहा यह जिला अब एक नई इबारत लिख रहा है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ वाले जिलों में सबसे अधिक कन्या जन्म भिण्ड जिले में ही हुआ है। वर्ष 2011 की जन-गणना में भिण्ड में प्रति एक हजार बालकों पर जहाँ मात्र 896 ही बेटियाँ थीं, वह वर्ष 2017 में 929 पहुँच गई हैं। भिण्ड जिले में वर्ष 2014-15 में 13 हजार 829 बालिकाओं और 15 हजार 50 बालकों का जन्म हुआ। दोनों की जन्म संख्या में 1221 का अंतर था। वर्ष 2015-16 में 14 हजार 547 बालिकाओं के जन्म के विरुद्ध 16 हजार 231 बालकों ने जन्म लिया और दोनों की जन्म संख्या में 1684 का अंतर था। वर्ष 2016-17 में 13 हजार 797 बालिकाओं के जन्म के विरुद्ध 14 हजार 845 बालकों ने जन्म लिया और दोनों के बीच का अंतर कम होकर 1,048 बचा। भिण्ड जिले में बेटा-बेटी के भेदभाव को खत्म करने और लोगों को जागरूक करने के लिये समुचित प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी एवं कलेक्टर भिण्ड के मार्गदर्शन में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ चौराहों का निर्माण करवाया गया। यह चौराहे वहाँ से गुजरने वालों को मूक नैतिक संदेश देने में सफल रहे हैं। कलेक्टर के नेतृत्व में पीसीपीएनडीटी की अनिवार्य रूप से नियमित तिथि पर बैठकें हुईं। समीक्षा बैठकों में भी कलेक्टर द्वारा लाड़ली लक्ष्मी योजना के क्रियान्वयन पर विशेष चर्चाएँ की गईं। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर की समीक्षा कर मृत्यु के कारणों का विशेष अध्ययन कर ऐसे गाँवों को चिन्हित किया गया, जिनमें बालिकाएँ जन्म के 5 वर्ष तक की आयु तक जीवित नहीं रहती थीं। इन गाँवों पर विशेष ध्यान दिया गया। वर्ष 2015-16 में भिण्ड के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के मार्गदर्शन में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत भिण्ड में चल रहे अवैध गर्भपात रैकेट का स्टिंग ऑपरेशन कर पुलिस कार्यवाही की गई। मामला न्यायालय में लम्बित है। इस तरह की कार्यवाहियों से अवैध गर्भपात रैकेट पर शिकंजा कसा। जिले को गौरवान्वित करने वाली बालिकाओं को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रॉण्ड एम्बेसडर बनाया गया। उच्च सेवा में चयनित, खेलों आदि में गौरवान्वित करने वाली इन बालिकाओं के पोस्टर सार्वजनिक-स्थलों पर लगाये गये और कार्यक्रमों में सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय केनोइंग-कायकिंग प्रतियोगिताओं में विजेता कु. पूजा ओझा का मुख्यमंत्री के 18 दिसम्बर को भिण्ड आगमन पर सम्मान कराया गया। भिण्ड के जिला चिकित्सालय में गौरी-कक्ष का निर्माण किया गया, जिसमें बालिका को जन्म देने वाली माताओं का प्राथमिकता के आधार पर आधार-कार्ड बनवाया जाना, प्रसव उपरांत ममता किट की प्रदायगी के साथ जननी सुरक्षा योजना की राशि प्रदायगी के लिये जीरो बैलेंस पर खाता खुलवाया गया। पुलिस अधीक्षक और जिले के अन्य अधिकारियों ने मेधावी छात्राओं को गोद लेकर आर्थिक सहायता और उनकी उन्नति के लिये जा काम किये, उससे भी समाज में बेटियों के प्रति सम्मान बढ़ा। कलेक्टर की पहल पर लोक सेवा आयोग एवं संघ लोक सेवा आयोग की पूर्व तैयारी के लिये नि:शुल्क संकल्प कोचिंग शुरू की गई। इसमें बालिकाओं को उच्च सेवाओं की तैयारी के लिये वरीयता एवं प्रोत्साहन दिया गया। बेटियों के लालन-पालन में सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में विशेष सतर्कता बरती गई। नवजात शिशु हत्या के विरुद्ध देश का पहला प्रकरण दर्ज करने वाला जिला एशिया में जन्म के बाद सबसे अधिक लिंगानुपात अंतर के लिये बदनाम भिण्ड जिले के ग्राम खरौआ के सरपंच रहे श्री रामअख्तिया सिंह गुर्जर ने पूर्व सरपंच श्री सूर्यभान सिंह गुर्जर द्वारा अपनी बेटी को मारे जाने की सूचना पुलिस को दी। देश में यह पहली बार था, जिसमें नवजात शिशु हत्या पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा-302 के तहत पहली बार प्रकरण दर्ज किया गया था दतिया की 29 महिलाओं को ड्रेस-डिजाइनिंग में मिली महारत
मध्यप्रदेश में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर दिलाने के लिये राज्य सरकार ने कौशल उन्नयन के कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी है। इन कार्यक्रमों का लाभ स्व-रोजगार के लिये महिलाएं भी उठा रही हैं। दतिया में महिलाओं की प्रशिक्षण संस्था ने 29 महिलाओं को वूमन ड्रेस-डिजाइनिंग एवं टेलरिंग का प्रशिक्षण दिलवाया है। प्रशिक्षण के बाद ये सभी महिलाएँ लेडीज गाउन, सलवार-सूट, फैंसी कपड़े बना रही हैं। इनके द्वारा तैयार किये गये कपड़ों की दतिया और उसके आसपास के बाजार में काफी माँग बनी हुई है। इन महिलाओं को राज्य सरकार की स्व-रोजगार प्रशिक्षण योजना में पंजाब नेशनल बैंक की शाखा द्वारा प्रशिक्षण दिलवा कर व्यापार करने के लिये अनुदान के साथ ऋण राशि भी दिलवाई गई है। अब इन महिलाओं को कपड़ों में के व्यवसाय से अच्छी खासी आमदनी होने लगी है। आज यह सभी प्रशिक्षित महिलाएँ समाज की अन्य महिलाओं के लिये मिसाल बन गई हैं। इनकी लगन और सफलता से प्रभावित होकर अन्य महिलाओं ने भी स्व-रोजगार योजना में प्रशिक्षण लेने का मन बनाया है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना ने 144 दम्पत्तियों को शादी के पवित्र बंधन में बांधा
मुख्यमंत्री कन्या विवाह और निकाह योजना समाज के गरीब परिवारों की कन्याओं के विवाह के लिए वरदान साबित हुई हैं। इस योजना ने गरीब परिवार में बेटी के जन्म को बोझ समझने से मुक्ति दिलाई हैं। कटनी जिले में इस वर्ष अब तक 144 कन्याओं के विवाह इस योजना में हुए हैं। अपने जीवन की नई जिन्दगी की शुरूआत करने वाले नव युगलों को प्रारम्भिक गृहस्थी की शुरूआत करने के लिए सामाजिक न्याय विभाग ने 40 लाख 32 हजार रुपये की सहायता राशि दी हैं। इसमें प्रत्येक युगल को 5 हजार रुपये की सामग्री, 17 हजार रुपये नगद और स्मार्ट फोन के लिये 3 हजार रुपये की राशि कन्या के खाते में ई-पेमेन्ट के माध्यम से दी गई हैं। मुख्यमंत्री कन्या-विवाह योजना में नव-दम्पत्ति को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बिटिया के नाम बधाई संदेश पत्र भी सौंपे गये हैं। जनवरी से होंगे जिला स्तरीय महिला स्व-सहायता समूह सम्मेलन
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि महिला स्व-सहायता समूहों के जिला स्तरीय शिविर लगाये जायें। बच्चों के पोषण के लिये सहरिया जैसी विशेष पिछड़ी जनजातियों की महिलाओं के बैंक खाते में हर माह एक हजार रूपये की राशि जमा करवाने का कार्य 25 दिसम्बर से प्रारंभ किया जाये। श्री चौहान आज यहाँ मंत्रालय में महिला स्व-सहायता समूह सम्मेलन में की गई घोषणाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने घोषणाओं का अनुपालन निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिए। समीक्षा में मुख्य सचिव श्री बी.पी. सिंह भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सामाजिक अन्याय को समाप्त करने और महिलाओं की आर्थिक समृद्धि को मजबूत बनाने की दिशा में महिला स्व-सहायता समूह के रूप में नई ताकत उभर रही है। आवश्यकता इसे उचित दिशा देने की है। महिला स्व-सहायता समूहों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के लिये विपणन और पैकेजिंग आदि कार्यों में इनका आवश्यक सहयोग लिया जाए और सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने कहा कि आगामी जनवरी माह से मार्च माह तक सभी जिलों में जिला स्तरीय महिला स्व सहायता समूहों के सम्मेलन किये जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व-सहायता समूहों के उत्पादों की ब्राडिंग का कार्य भी अत्यंत आवश्यक है। वह स्वयं जिला स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में स्थानीय स्व-सहायता समूहों के उत्पादों के उपयोग के लिए आमजन को प्रेरित करेंगे। उन्होंने कहा कि टेक होम राशन निर्माण योजना स्व-सहायता समूह सशक्तीकरण की अभिनव पहल है। इसका सफल संचालन राज्य की महिलाओं के सशक्तिकरण का अभूतपूर्व कार्य होगा। महिलाओं के स्व-सहायता समूह के फेडरेशन को टेक होम राशन निर्माण की फैक्ट्री चलाने की जिम्मेदारी महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक सशक्तीकरण का प्रभावी साधन साबित होगा। श्री चौहान ने कहा कि सभी विभाग एकीकृत रूप में कुपोषण के खिलाफ युद्ध स्तर पर कार्य करें। कुपोषण के खिलाफ जंग के ऐलान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म-दिवस 25 दिसंबर के अवसर पर कराहल जिला श्योपुर में शिविर लगाएं। इस मौके पर स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया जाए। पोषण के लिए सस्ती दर पर दालें उपलब्ध करवाने के लिए भी कार्यवाही की जाएं। मुख्यमंत्री को महिला स्व-सहायता समूहों के सम्मेलन में की गई 17 घोषणाओं के अनुपालन से संबंधित 9 विभागों के प्रमुख सचिव द्वारा कार्य की प्रगति से अवगत कराया गया। इस अवसर पर महिला बाल विकास विभाग द्वारा दो, किसान-कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा तीन, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा छह और वित्त, वाणिज्यिक कर, ऊर्जा, नगरीय विकास एवं आवास, जनजातीय कार्य विभाग द्वारा एक-एक घोषणा के अनुपालन की कार्रवाई की जानकारी दी गई। बेटियों की सुरक्षा के लिये बने कानूनों की जानकारी देने का अभियान चलायें : मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा के लिये बनाये गये कानूनों की जानकारी देने का अभियान चलाने के निर्देश दिये है। श्री चौहान को आज यहाँ महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने बुरहानपुर जिले में ''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'' के लिये चलाये गये हस्ताक्षर महाअभियान के अंतर्गत नागरिकों के हस्ताक्षरयुक्त संकल्प पत्र भेंट किये। उल्लेखनीय है कि हाल ही में बुरहानपुर जिलें में ''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'' के लिये नागरिकों से संकल्प पत्र भरवाकर हस्ताक्षर कराने का महाअभियान चलाया गया था। इसके लिये 1205 ज्यादा हस्ताक्षर बूथ बनाये गये थे। सरकारी और गैरसरकारी लोगों के सहयोग से 1300 सहायता दल गठित किये गये थे। हस्ताक्षर महाअभियान में 6 लाख 53 हजार 330 संकल्प पत्र भरवाये गये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हस्ताक्षर महाअभियान की सराहना करते हुये इसे महिला एवं बाल विकास विभाग को पूर प्रदेश के लिये हस्ताक्षर महाअभियान का स्वरूप तैयार करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज और सरकार को मिलकर बेटियों की गरिमा बचाने, उन्हें पढ़ाने और आगे बढ़ाने के लिये काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हस्ताक्षर महाअभियान में शामिल होने वाले लोगों को महिला सशक्तिकरण संबंधी कानूनों की जानकारी देने के लिये भी छोटे-छोटे सत्र चलाने के भी निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने इस महाअभियान को जनअभियान बनाने के निर्देश देते हुये कहा कि हर जिले में बेटियों के जन्म का उत्सव मनाने और महिलाओं बेटियों के छेड़छाड़ करने वालों का सामाजिक बहिष्कार करने जैसी गतिविधियों को प्राथमिकता के साथ लागू करें। इस अवसर पर आयुक्त महिला एवं बाल विकास श्रीमती जयश्री कियावत, कलेक्टर बुरहानपुर श्री दीपक सिंह एवं अभियान से जुड़े जिले के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। गरीब महिलाओं की जिंदगी बदल रही उज्ज्वला योजना
गुना शहर के कर्नेलगंज की रहने वाली पैंतालीस वर्षीया सगुनबाई तथा लक्ष्मीबाई, तीस वर्षीया हेमलता बाई, पचपन वर्षीया छोटीबाई, पचास वर्षीया अंगूरीबाई, पैंतालीस वर्षीया बदामी बाई, पचास वर्षीया रामश्री बाई, पचास वर्षीया रामसुखी बाई तथा चालीस वर्षीया लक्ष्मीबाई उन महिलाओं में से हैं, जो भोजन पकाने के लिए एल.पी.जी. गैस के लिए तरसा करती थीं। उनका विश्वास था कि खाना बनाने के लिए एल.पी.जी.गैस अच्छी है। मगर उनके पास इतना पैसा नहीं था, जो गैस कनेक्शन,चूल्हा एवं सिलेंडर खरीद पातीं। महज पौने दो साल पहले जब प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में इन महिलाओं को ना सिर्फ मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए बल्कि उन्हें गैस चूल्हे एवं सिलेंडर भी मुहैया कराए गए। अब इन इलाकों की तकदीर ही नहीं तस्वीर भी बदली-बदली-सी नजर आ रही है। अंगूरी बाई को बरसात में लकड़ियां गीली होने से धुआं बहुत परेशान करता था। आंखों से आंसू और खांसते-खांसते बुरा हाल हो जाता था। कभी-कभी तो खाना ही नहीं बन पाता था। सगुनबाई को लकड़ियों एवं कंडों से खाना बनाना महंगा पड़ता था। धुंए से मकान काला पड़ गया था। मेहमान आने से ज्यादा परेशान होती थी। मुफ्त में मिले गैस कनेक्शन एवं चूल्हे से अब झट से खाना बन जाता है। गैस बहुत सस्ती है। छोटीबाई को लकड़ियों से निकले धुंए से कम दिखाई देने लगा है। इन्हें गैस कनेक्शन ने राहत दी है। अब एल.पी.जी.गैस पर खाना बना रही हेमलताबाई की रसोई में गैस और सिलेंडर ने चूल्हे का स्थान ले लिया है। सस्ते में खाना बन जाता है और बर्तन भी काले नहीं होते। बीमारी होने का खतरा भी अब नहीं है। पहले लकड़ियां रोटियों पर धुआं उगल देती थीं, तो उसकी कड़वाहट से कोई रोटियां नहीं खाता था। अब हालात बदल गए हैं। उज्ज्वला योजना के अस्तित्व में आने से गरीब तबके की महिलाओं को बीमारी होने के खतरे से निजात मिली है। अब तक ज्यादा समय चूल्हा-चक्की में गुजारने वाली इन महिलाओं को नई भूमिका मिली है। जिले में अब तक 54 हजार से अधिक गरीब महिलाओं को गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। महिलाओं के लिए समानता का आशय पुरुषों जैसा होना नहीं : मंत्री श्रीमती चिटनिस
महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा है कि महिलाओं के लिये समानता का आशय पुरुषों जैसा होना नहीं हैं, अपितु महिलाओं का अपना विशिष्ट स्थान है जिसे समाज भलिभाँति स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं कि प्राथमिकता को उनकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए। यदि महिला, मातृत्व संबधी कारणों से कुछ गतिविधियों को विशेष अवधि में कम समय देती है तो यह उनकी कमजोरी नहीं अपितु उनके विशेष अधिकार है जिसे उनकी प्राथमिकता के प्रति संवेदनशीलता के रूप में देखा जाना चाहिए। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि हमें हमारे परिवेश और समृद्ध तथा स्वस्थ परम्परा के अनुसार सोच का नजारिया विकसित करना होगा। हमारे अतीत को अंधकारमय बताने वाले औपनिवेशिक सोच से मुक्त होना बड़ी चुनौती है। श्रीमती चिटनिस मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर 'महिलाओं के अधिकार-मानवाधिकार हैं' विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनिस ने कहा कि आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों में भय व्याप्त करने के लिये कानून जरूरी है। महिला अधिकारों और महिलाओं की सुरक्षा तथा सशक्तिकरण के लिये बनाये गये कानून की जानकारी देने के लिये प्रदेश की 92 हजार ऑगनवाड़ी में गठित शौर्या दलों के माध्यम से विशेष अभियान चलाया जाएगा। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के यह स्पष्ट निर्देश हैं कि थाने में पहुँचने वाली हर पीड़ित महिला की रिपोर्ट दर्ज हो। कार्यशाला को संबोधित करते हुये न्यायाधीश श्री जे.पी. गुप्ता ने कहा कि यूएनओ ने 2030 तक महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने की समय-सीमा निर्धारित की है। उन्होंने विधिक प्रक्रिया तथा अधिकारों की जानकारी का विस्तार ग्रामीण क्षेत्र विशेष कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति बाहुल्य क्षेत्रों में करने की आश्यकता बताई। श्री गुप्ता ने कहा कि अदालतों में 40 प्रतिशत मामले महिला उत्पीड़न से संबंधित हैं जिनमें दहेज और घरेलू हिंसा से संबंधित मामलों का प्रतिशत बहुत अधिक है। श्री गुप्ता ने कानूनों और प्रक्रिया को व्यवहारिक बनाने की आवश्यकता भी बताई। कार्यशाला को संबोधित करते हुये मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री मनोहर मनतानी ने कहा कि महिला अपराध में वृद्धि सरकार के साथ-साथ समाज के लिये भी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में हम सब को सहभागी होना होगा। व्यक्तिगत और समाज की सोच बदलने की जरूरत है। महिला उत्पीड़न पर विरोध जताने और चुप्पी तोड़ने की प्रवृत्ति विकसित करनी होगी। श्री ममतानी ने महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के प्रकरणों के शीघ्र निराकरण के लिए स्थाई व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता बताई। महिलाओं द्वारा शिक्षा निरंतर नहीं रख पाने, लिव इन रिलेशनशिप, पीसीपीएनडीटी एक्ट के संबंध में भी उन्होंने अपने विचार रखे। मानव अधिकार आयोग के सदस्य श्री सरबजीत सिंह ने कहा कि अभिभावकों की भूमिका, बालक-बालिकाओं को समान वातावरण देने और बालिकाओं में विश्वास की भावना विकसित करने की आवश्यकता है। महिला अधिकारों के संबंध में उन्होंने कहा कि इस दिशा में बने कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन समानता और समाज के सोच के तरीके को बदलने के लिए कारगर सिद्ध होगा। प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास श्री जे.एन. कंसोटिया ने कहा कि महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा, हिंसा से रक्षा के साथ-साथ उनकी उच्च शिक्षा, पोषण से जुड़े मुद्दों तथा समान पारिश्रमिक के क्षेत्र में विशेष पहल करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर 'महिलाओं के अधिकार मानवाधिकार हैं'' विषय पर महाविद्यालयों के मध्य हुई आलेख लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त कु. सुमायरा यासीन को प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया। साथ ही मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन भी किया गया। जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी में आयोजित इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश उच्च न्यालाय जबलपुर के न्यायाधीश श्री जे.पी. गुप्ता, मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी, मानव अधिकार आयोग के सदस्य श्री सरबजीत सिंह, प्रमुख सचिव महिला बाल विकास श्री जे.एन. कसोटिया, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्रीमती अरूणा मोहन राव तथा अन्य विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे। महिला अपराधों की रोकथाम के लिये संवेदनशीलता और तत्परता से कार्रवाई करें
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि महिला अपराधों की रोकथाम के लिये संवेदनशीलता और तत्परता से कठोर कार्रवाई करें, जिससे अपराधियों में डर पैदा हो। अपराधों पर नियंत्रण के लिये संभागवार रणनीति बनायी जाये। साईबर अपराधों से निपटने के लिये जिला स्तर पर सुदृढ़ व्यवस्था करें। चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी रोकने के लिये जागरूकता अभियान चलायें। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ पुलिस मुख्यालय में आई.जी.-डी.आई.जी. कान्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर गृह मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में पुलिस हर चुनौती का सामना करने में खरी उतरी है। इसकी उपलब्धियाँ गर्व करने के लायक हैं। कानून व्यवस्था ऐसा क्षेत्र है जिसमें लगातार नई चुनौतियाँ सामने आती रहती हैं। जिस तेजी से तकनीक का विकास हो रहा है, उसी क्रम में अपराध के तरीके भी बदलते जा रहे हैं। साईबर क्राईम एक नई चुनौती के रूप में समाज में पनप रहा है। हमें इसे सख्ती से रोकना होगा। इसके लिये महिला छात्रावास, कॉलेज, स्कूल, कोचिंग सेंटर जैसे स्थानों पर लगातार पुलिस पेट्रोलिंग की जाये। श्री चौहान ने कहा कि बीट स्तर तक की टीम लगातार गश्त करें। क्षेत्र में पुलिस की प्रभावी उपस्थिति रहे। संसाधनों का उचित उपयोग कर लोगों में सुरक्षा का विश्वास पैदा करें।
महिला सुरक्षा के लिए कैंडल मार्च
मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना - वर पक्ष के घर शौचालय न होने पर तीन माह में सरपंच/सचिव बनवाएंगे शौचालय
मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना के अंतर्गत विवाह के पश्चात वर पक्ष के घर पर शौचालय नहीं होने की स्थिति में संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच/सचिव का दायित्व होगा कि उस घर में तीन माह के अंदर शौचालय का निर्माण कराएं। योजनांतर्गत संबंधित स्थानीय निकाय के पंजीकरण अधिकारी शौचालय न होने की जानकारी मिलने पर स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वर पक्ष के घर में शौचालय निर्माण की अनुमति देगा और विवाह/निकाह होने के बाद तीन माह के भीतर शौचालय निर्माण होने की पुष्टि भी करायेगा। सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग ने इस बाबत गत दिवस आदेश जारी किया है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि विवाह/निकाह के पूर्व वर पक्ष के घर में शौचालय होने की बाध्यता नहीं है। अगर उनके घर में शौचालय नहीं है तो सचिव/सरपंच विवाह के तीन माह के भीतर शौचालय का निर्माण सुनिश्चित करेंगे। स्वीमिंग पूल में महिला प्रशिक्षक और कन्या छात्रावास में महिला होमगार्ड जरूरी
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती लता वानखेड़े की अगुवाई में आज हुई नीतिगत बैठक में अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते हुए महिलाओं के हित में अनेक अनुशंसाओं का निर्णय लिया गया। आयोग ने स्वीमिंग पूल में लड़कियों के प्रशिक्षण के लिए महिला प्रशिक्षक, निजी कन्या छात्रावासों को लायसेंस, सभी थानों में एक महिलाकर्मी, विश्वविद्यालय में कार्यरत संविदा शिक्षिकाओं को चाइल्ड केयर लीव, अनुसूचित जाति-जनजाति छात्रावासों में महिला अधीक्षक की रात में उपस्थिति अनिवार्य रूप से करने की अनुशंसा की है। बैठक में आयोग की सदस्य श्रीमती गंगा उइके, श्रीमती अंजू सिंह बघेल और श्रीमती सूर्या चौहान सहित विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
चेहरे के साथ जिंदगी भी हुई खूबसूरत
गजन्मजात कटे-फटे होठों और अन्य विकृतियों से जूझ रहे बच्चों के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) वरदान सिद्ध हो रहा है। प्रदेश में आरबीएसके के जरिए हजारों बच्चों की न केवल विकृति दूर हुई है, बल्कि उनके आत्म-विश्वास में बढ़ोत्तरी होने से एक अच्छे भविष्य की आस जगी है। गुना के डेढ़ वर्षीय देव की माँ श्रीमती सुमन ओझा कहती हैं कि सर्जरी के बाद अपने सुंदर सलौने बच्चे को देखकर मेरी तो जिंदगी ही बदल गई है। पहले एक तो बच्चे के विकृत चेहरे का दु:ख ही कम नहीं था, उस पर लोगों के ताने और इतने बड़े ऑपरेशन के लिए राशि का न होना, सब कुछ अंधकारमय लगता था। इसी दौरान उसने स्थानीय चिकित्सकों से सलाह की तो उन्होंने उसका प्रकरण स्वास्थ्य विभाग तक पहुँचाया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने न केवल भोपाल के एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान में सुमन के बेटे के कटे-फटे होंठ एवं तालू की नि:शुल्क सर्जरी कराई, बल्कि उनके आने-जाने, रहने, खाने-पीने और दवा का खर्च भी संस्थान ने ही उठाया। पहले अपने बेटे को देखकर दु:खी हो जाने वाली सुमन को आज अपना बेटा सबसे सुंदर लगता है। गुना की रश्मि की आप-बीती भी कुछ सुमन जैसी ही है। रश्मि के 9 माह के बेटे वेदांश के कपाल पर स्नायु ट्यूब था। बेटे की इस विकृति को देखकर लोग तरह-तरह की बाते करते, जो माँ का कलेजा छलनी कर देता, पर आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण सर्जरी का महंगा खर्च उठाना संभव नहीं था। इसी बीच आरबीएसके की जानकारी मिलने पर उसने स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क किया। रश्मि वेदांश को लेकर इंदौर आयी, जहाँ उसका नि:शुल्क ऑपरेशन हुआ। आज उसका बेटा विकृति से मुक्त हो चुका है। रश्मि खुश है कि बड़े होने पर बच्चे को विकृति का त्रास नहीं झेलना पड़ेगा। गुना जिले में आरबीएसके के तहत 112 बच्चों की मुफ्त सर्जरी हो चुकी है। जन्म से 18 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों का इसमें नि:शुल्क उपचार कराया जाता है स्वच्छता एवं आंगनबाड़ी गतिविधियों की ब्राँड एम्बेसेडर बनी काशीबाई
ग्राम जगतपुर उमरिया जिला कटनी की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता काशीबाई प्रदेश की 88 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिये मिसाल बन गई है। काशीबाई के प्रयासों से ग्राम जगतपुर उमरिया में कुपोषित बच्चों की संख्या शून्य हो गई है। गाँव की गर्भवती महिलाओं को जाँच के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र लेकर आना, अच्छा पोषण आहार लेने के लिए प्रेरित करना और समय-समय पर उचित सलाह देना काशीबाई का रोज का काम है। काशीबाई ने अपने गाँव में बच्चों का शत-प्रतिशत टीकाकरण करवाया है। अब गाँव में संस्थागत प्रसव की अच्छी व्यवस्था भी हो गई है। काशीबाई ने अपने गाँव में महिलाओं को प्रेरित कर 80 घरों में शौचालय बनवाये हैं। गाँव के 15 हैडपंपों के पास पंचायत के सहयोग से सोख्ता गढ्ढों का निर्माण करवाया है। इस आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने अपने पूरे गाँव के बच्चों और महिलाओं को मुख्यमंत्री नेतृत्व सामुदायिक विकास क्षमता, पल्स पोलियो अभियान, आंगनबाड़ी चलो अभियान, हौसलों की उड़ान, स्तनपान सप्ताह, पोषण आहार सप्ताह, बाल-चौपाल आदि कार्यक्रमों से लाभान्वित भी करवाया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता काशीबाई को कर्तव्य के प्रति समर्पण, सेवा और त्याग के जज्बे के कारण आईसीडीसीएस योजना में भारत सरकार ने पुरस्कृत किया है। काशीबाई को यह पुरस्कार केन्द्रीय मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी ने स्वयं प्रदान किया। ग्राम जगतपुर उमरिया में परिवर्तन और विकास की गतिविधियों से प्रभावित होकर जिला प्रशासन ने काशीबाई को आंगनबाड़ी की गतिविधियों के प्रचार-प्रसार के लिये जिले का ब्रांड एम्बेसेडर बनाया है। अब काशीबाई अपने गाँव के साथ-साथ जिले के अन्य गॉंवों में भी जाती है, वहाँ ग्रामवासियों और रोजगार सहायकों, स्वच्छता प्रेरकों तथा सचिवों को प्रेरित करती है। महिलाओं को स्वच्छता और बाल शिक्षा के लिये प्रोत्साहित भी करती है। बेटियों की निरंतर पढ़ाई की व्यवस्था के लिये मध्यप्रदेश में कानून बनेगा
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि लाड़ली लक्ष्मी बेटियों की निरंतर पढ़ाई की व्यवस्था के लिये कानून बनाया जाएगा। बेटियाँ पृथ्वी पर ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ मुख्यमंत्री निवास पर लाड़ली शिक्षा पर्व के छात्रवृत्ति वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस उपस्थित थीं। प्रदेशभर में आज 65 हजार लाड़ली लक्ष्मी बेटियों को छात्रवृत्ति वितरित की गई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में बेटियों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की जाएगी। बेटियाँ चाहें तो आसमान छू सकती हैं बेटियाँ ऐसे गुणों का विकास करें जिससे पूरी दुनिया में उनका नाम हो। आज मध्यप्रदेश में 26 लाख 30 हजार लाड़ली लक्ष्मी बेटियाँ हैं। इनके 21 वर्ष के होने पर उनके परिवारों को 31 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। लाड़ली लक्ष्मी योजना में बेटियों के लिये छात्रवृत्ति की व्यवस्था की गई है। प्रदेश की बेटियों को 12वीं कक्षा में 85 प्रतिशत लाने पर लेपटॉप और कॉलेज में प्रवेश लेने पर स्मार्ट फोन दिया जाता है। कक्षा 12 की परीक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने के बाद महाविद्यालय में प्रवेश लेने पर उनकी फीस मेधावी विद्यार्थी योजना से भरी जाएगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बेटियों में असीम संभावनाएँ हैं। बेटियाँ चाहें, तो आसमाँ छू सकती हैं। बेटियाँ हमेशा माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करें। बेटियाँ मध्यप्रदेश की ताकत हैं। बेटियों को पुलिस विभाग की भर्ती में 33 प्रतिशत तथा शिक्षकों की भर्ती में 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है। स्थानीय निकायों में बेटियों को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग की भर्ती में बेटियों को ऊँचाई में छूट दी जाएगी। बेटियों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की जाएगी। बेटियों के लिये पाठ्य-पुस्तक, गणवेश और साईकिल प्रदाय की योजना क्रियान्वित की जा रही है। प्रतिभाशाली बेटियों के लिये गाँव की बेटी और प्रतिभा किरण योजना चलायी जा रही है। मुख्यमंत्री ने श्रीमती विजयाराजे सिंधिया का श्रद्धापूर्वक स्मरण किया। महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनिस ने कहा कि आज 65 हजार से अधिक लाड़ली लक्ष्मी बेटियों ने कक्षा 6वीं में प्रवेश लिया है। इन्हें दो-दो हजार रुपये की छात्रवृत्ति आज वितरित की जा रही है। इन्हें कक्षा नौवीं में 4 हजार तथा कक्षा 11वीं में प्रवेश लेने पर 6 हजार रुपये की छात्रवृत्ति दी जाएगी। लाड़ली लक्ष्मी योजना के सफल 11 वर्ष पूरे हो गये हैं। जिस देश और प्रदेश में बेटियों का सम्मान होता है, वह आगे बढ़ता है। मध्यप्रदेश में बेटियों को केन्द्र में रख कर विकास किया गया है। बेटियों को अवसर मिले तो वे दुनिया में प्रदेश का नाम रौशन करने की क्षमता रखती हैं। आज प्रदेश में बेटियों के जन्म पर खुशियाँ मनायी जाती हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कक्षा 6वीं में प्रवेश लेने वाली लाड़ली लक्ष्मी बेटियों को प्रतीक स्वरूप छात्रवृत्ति के प्रमाण-पत्र वितरित किये। स्वागत भाषण आरंभ में महिला-बाल विकास श्री जे.एन. कंसोटिया ने दिया। कार्यक्रम में राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री राघवेन्द्र शर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री मनमोहन नागर और मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती साधना सिंह चौहान सहित बड़ी संख्या में योजना से लाभान्वित बेटियाँ और उनके माता-पिता उपस्थित थे। आयुक्त महिला सशक्तिकरण श्रीमती जयश्री कियावत ने आभार माना। इमरत बाई की जीविका का सहारा बना आजीविका मिशन Our Correspondent :28 September 2017 मध्यप्रदेश आजीविका मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरतमंदों के लिये जीविका उपार्जन का बेहतर माध्यम बन गया है। इसका जीवन्त उदाहरण विदिशा जिले के सिरोंज विकासखण्ड के ग्राम वीरपुर में देखा जा सकता है। ग्राम वीरपुर की इमरत बाई जाटव परम्परागत खेती करके अपना गुजर-बसर करती थी। आजीविका मिशन के अधिकारियों ने उनके गाँव पहुँचकर इमरत बाई को समूह बनाकर काम करने की समझाइश दी। इमरत बाई ने महिला समूह बनाया। समूह से आर्थिक मदद लेकर ड्रिप-मल्चिंग पद्धति से एक बीघा जमीन में मिर्च लगायी। इससे उन्हें 60 हजार रुपये का फायदा हुआ। दूसरे वर्ष सब्जी उत्पादन से उन्हें 80 हजार रुपये की आय हुई। कृषि से बढ़ी हुई आय से उसका उत्साह बढ़ा। इमरत बाई ने अपने पति रामदयाल को समूह से राशि दिलाकर राज मिस्त्री के औजार खरीद कर दिलवाए। पति-पत्नी की कड़ी मेहनत से परिवार की माली हालत में सुधार आया। इमरत बाई का परिवार पहले दूसरे के खेतों में काम करा करता था, आज खुद का काम करके आर्थिक रूप से सक्षम हो गया है। रामदयाल की बढ़ी आमदनी से उन्होंने बैंक लोन के माध्यम से ट्रेक्टर-ट्रॉली खरीदी। आज वे गाँव में आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों में गिने जाते हैं। वीरपुर के इस समूह को बैंक से लगातार लेन-देन करने के कारण बैंक लिंकेज का फायदा भी मिला है। वीरपुर के सफल समूह से आसपास के गाँव की अन्य महिलाओं को समूह बनाने की प्रेरणा मिली है। इन महिलाओं को भी मध्यप्रदेश आजीविका मिशन द्वारा समझाइश दी जा रही है। इंदौर में तैयार हो रही हैं दंगल गर्ल Our Correspondent :28 September 2017 मध्यप्रदेश में बालिकाएँ और महिलाएँ हर क्षेत्र में तेजी से अपनी पकड़ बना रही हैं। खेल हो या फिर सामाजिक क्षेत्र; सभी में महिलाएँ अपने प्रदर्शन और काबलियत के बल पर आगे बढ़ रही हैं। ऐसी ही एक दंगल गर्ल हैं इंदौर की नीलिमा बौरासी। वह कुश्ती और शस्त्र कला के क्षेत्र में एक मिसाल बन गई हैं। सुल्तान एवं दंगल फिल्म में अनुष्का शर्मा एवं अन्य कलाकारों को कुश्ती के दांव-पेंच सिखाकर मध्यप्रदेश का नाम रौशन करने वाली नीलिमा अपने जैसी और दंगल गर्ल तैयार कर रही हैं। गरीब परिवार में जन्मी नीलिमा अपने कौशल से लड़कियों को पहलवानी की बारीकियाँ सिखा रही हैं। नीलिमा द्वारा तैयार कई बच्चे नेशनल खेल चुके हैं। नीलिमा द्वारा संचालित श्री रामनाथ गुरु व्यायाम-शाला तथा बालिका शस्त्र कला केन्द्र में बालिकाओं को दंगल एवं शस्त्र कला में तलवार फेरना, बनेटी, पटा, बाना, भाला, डण्डे की मार और बचाव के गुर सिखाए जा रहे हैं। संस्थान में 8 से 18 वर्ष तक की लगभग 50 लड़कियाँ रोज कुश्ती के दांव-पेंच सीख रही हैं। नीलिमा को शस्त्र कला का ज्ञान अपने पिता मुन्ना बौरासी से हुआ। समाज के ताने-बाने सुनने के बाद भी उन्होंने अपनी कला को नहीं छोड़ा। जब नीलिमा पर मेडल्स की बौछार हुई, तो वही समाज तारीफ करते नहीं थकता। इस बालिका ने अपने बल एवं कला से राष्ट्रीय-स्तर के अनेक मेडल जीते हैं। कोलकाता में वर्ष 2013 में हुई सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप में नीलिमा को कांस्य पदक मिला। इन्होंने राज्य-स्तरीय स्पर्धाओं में अब तक 8 गोल्ड-मेडल जीते हैं। इन्हें अनेक संस्थाएँ सम्मानित तथा पुरस्कृत कर चुकी हैं। कोर्टयार्ड मैरियट की लेडी एसोसिएट्स ने बोट क्लब पर मनाया महिला दिवस Our Correspondent :8 March 2017 भोपाल। कोर्टयार्ड बाय मैरियट, भोपाल की लेडी एसोसिएट्स ने दिन भर विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लेकर वीमंस डे सेलीब्रेट किया। होटल ने महिलाओं के सम्मान में बी बोल्ड फॉर चेंज थीम पर यह दिवस मनाया जिसमें होटल के पुरूष सदस्यों ने महिलाओं के सम्मान में पिंक टाई व पॉकेट स्कवेयर पहना। वहीं लेडी मेम्बर्स को भी आज उनकी पसंद की ड्रेस पहनने की आजादी दी गई। लेडी एसोसिएट्स के दिन की शुरूआत उनके सम्मान में होटल के लोटस बालरूम में आयोजित लंच से हुई। लंच के उपरांत उन्हें महिलाओं पर केन्द्रित 45 मिनिट अवधि की डाक्यूमेंट्री दिखाई गई। शाम 4 बजे सभी लेडी एसोसिएट्स वन विहार स्थित बोट क्लब पहुंची जहां उनके लिए फ्री टू ड्रीम नामक गेम आयोजित की गई। इस एक्टिविटी में सभी मेम्बर्स ने एक कागज के टुकडे़ पर अपने सपनों को लिखकर गुब्बारों पर चिपकाया और उन सपनों के पूरे होने की कामना के साथ उन्हें आकाश में उड़ा दिया। इसके बाद सभी ने बड़े तालाब की सैर क्रूज में बैठकर की। वहीं दूसरी ओर इस दिन होटल में आने वाली महिलाओं के लिए एक स्पेशल ब्रंच भी आयोजित किया गया जिसमें आने वाली महिला गेस्ट्स के लिए मेहंदी एक्सपर्ट्स द्वारा निशुल्क मेहंदी लगाई गई। मध्यप्रदेश सरकार बालिकाओं और महिलाओं के उत्थान में सक्रिय
प्रदेश की पहली लाडली लक्ष्मी अदीबा से मिलकर भावविभोर हो गये मुख्यमंत्री श्री चौहान Our Correspondent :19 November 2016 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लिये गये नोट बंदी के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुये कहा कि असाधारण व्यक्ति, महान देशभक्त ही ऐसे फैसले ले सकता है जिसके दिल और दिमाग में देश को आगे बढ़ाने की चिंता हो। उन्होने कहा कि थोड़ी तकलीफ हुई है। देश के नवनिर्माण के लिये देश को आगे बढ़ाने के लिये थोड़ा कष्ट सहना पड़ता है। जब देश की सीमाओं की रक्षा के लिये जवान अपने प्राणों की आहुति दे देते हैं और अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं तो थोड़ा सा कष्ट जनता भी अपने देश के लिये हंसी-खुशी सह सकती है। श्री चौहान आज यहाँ एक निजी चैनल के कार्यक्रम में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल के 11 वर्ष पूरे होने पर कहा कि मध्यप्रदेश इन 11 सालों में तेजी से आगे बढ़ रहा है और दोगुनी गति से आगे बढता जायेगा। मध्यप्रदेश हर क्षेत्र में विकास कर रहा है। पिछले सात साल से आर्थिक वृद्धि दर दो अंकों में बनी हुई है और कृषि विकास की दर पिछले चार साल से 20 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री कार्यक्रम में अदीबा से मिलकर इतने भावविभार हो गये कि उसे गोद में उठाकर दुलार किया। अदीबा प्रदेश की पहली लाड़ली लक्ष्मी है जिसे मुख्यमंत्री ने 2006 में पहला प्रमाण पत्र प्रदान किया था। प्रदेश की 24 लाख लाड़ली लक्ष्मी में से एक अदीबा रायसेन जिले के गौहरगंज में शासकीय सरदार पटेल स्कूल में कक्षा चौथी में पढ़ रही है। अदीबा आज अपने अब्बा श्री अतीक उर्रहमान और अम्मी नाहिद के साथ उपस्थित थीं।
जहाँ स्त्री का मान-सम्मान वहीं सुख-समृद्धि
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2016 सुरक्षित, समर्थ और सशक्त होती महिलाएँ 08 March 2016 आधी आबादी को सशक्त बनाना मध्यप्रदेश में अब महज एक नारा नहीं है। आज अगर प्रदेश की महिलाओं की स्थितियों और सरकार की कोशिशों पर एक नजर डालें, तो यह पता चलेगा कि पिछले 10-12 साल में महिलाओं ने अपना खुद का रास्ता तय किया है। वे निर्णय की प्रक्रिया में हिस्सेदार बनी हैं। उन्होंने आर्थिक स्वतंत्रता हासिल की है। वे अब अपने बलबूते कुछ भी कर गुजरने के लिये तैयार हैं। महिलाओं के लिये यह आसान नहीं था। इसके लिये उन्हें सरकार और समाज से जो ताकत मिलना जरूरी थी, वह उन्हें मिली। यह प्रदेश की आधी आबादी के लिये सौभाग्य की बात है कि उन्हें एक ऐसा नेतृत्व मध्यप्रदेश में मिला, जिसने महिलाओं की स्थिति को समझा और उन्हें ताकतवर बनाने का संकल्प लिया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं को ताकतवर बनाने की कोशिशों को सतही तौर पर नहीं, बल्कि जमीनी तौर पर क्रियान्वित किया। यह जरूरी था कि महिलाएँ परिवार और समाज में निर्णय की प्रक्रिया में बराबर की भागीदार हों। आर्थिक स्वाबलंबन के साथ उनके अंदर आत्म-विश्वास पैदा हो। वे आगे बढ़े, ऐसा वातावरण उपलब्ध हो। साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी वे मजबूत हों। इससे भी ज्यादा यह जरूरी था कि बेटी के जन्म को लेकर समाज में व्याप्त भ्राँतियों और मानसिकता में बदलाव आये। इन बिन्दुओं पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2005 के बाद जिस दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ काम किया है और उसके जो परिणाम आये हैं, उससे मैं यह दावे के साथ कह सकती हूँ कि यह दशक महिलाओं के सशक्तिकरण का दशक रहा है। लाड़ली लक्ष्मी योजना एक ऐसी योजना बनी, जिसने क्रांतिकारी बदलाव की शुरूआत की। प्रदेश में 21 लाख ऐसी बालिका हैं, जिनके पढ़ने और विवाह होने तक की जिम्मेदारी सरकार ने सम्हाली है। इसी कड़ी में 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' और स्वागतम लक्ष्मी योजना ने बेटी को बोझ मानने की सोच में बदलाव किया। यहाँ मैं यह बताना जरूरी समझती हूँ कि इन योजनाओं के परिणाम कितने बेहतर मिले कि देश के 9 राज्य के साथ ही बांगलादेश में भी लाड़ली लक्ष्मी योजना का अध्ययन कर, इसके अनुरूप अपने यहाँ योजना को अपनाया। भारत सरकार ने बेटी बचाओ योजना को राष्ट्रीय योजना के रूप में शुरू किया। कहने का आशय यह है कि प्रदेश में महिलाओं को सशक्त बनाने की जो कोशिशें शुरू की गयीं, वे सही दिशा और दृष्टि ली हुई थीं। योजना के अमल के बाद वार्षिक स्वास्थ्य सर्वे वर्ष 2012-13 की रिपोर्ट में लिंगानुपात 920 से बढ़कर 948 हो गया। जन्म के समय का लिंगानुपात 905 से बढ़कर 927 हो गया। शिशु मृत्यु दर 3 वर्ष में घटकर 62 से 51 हो गयी। पाँच वर्ष से कम आयु की शिशु मृत्यु दर 83 से घटकर 65 हो गयी। यह आँकड़े बतलाते हैं प्रदेश में बेटियाँ सुरक्षित हो रही हैं। लाडो अभियान वर्ष 2013 में शुरू किया गया। इसका उद्देश्य था कि प्रदेश में बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लगायी जाये। गत 4 वर्ष में 81 हजार बाल-विवाह परामर्श द्वारा रोके गये। अभियान से 40 लाख लोगों को जोड़ा गया। इसके लिये 93 हजार कार्यशाला की गयीं। अभियान को देख 15 बच्चों ने स्वयं का बाल-विवाह शून्य घोषित करवाया। तीन हजार से अधिक ऐसे बाल-विवाह थे, जिन्हें आयोजन-स्थल पर ही रोका गया। इसमें से 40 प्रतिशत बाल-विवाह बच्चों द्वारा स्वयं विरोध कर रोके गये। अभियान का असर एनएफएचएस-3 के सर्वे में सामने आया। वर्ष 2012-13 के सर्वे में बाल-विवाह की दर 53 से घटकर 42 हो गयी। योजना की इस व्यापक सफलता पर वर्ष 2014 में लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार से इसे नवाजा गया। महिलाओं को आर्थिक और राजनैतिक रूप से सशक्त बनाने के लिये स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया। उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं को मार्केट उपलब्ध करवाया गया, उसे ब्राण्ड दिया गया। स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। सरकारी नौकरियों, विशेषकर पुलिस में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। संविदा शिक्षक की नौकरी में आरक्षण दिया गया। बेटियों को अपने घर से दूर पढ़ने जाने के लिये साइकिल दी गयी। गाँव की बेटी योजना में उन्हें पढ़ने-लिखने की सहूलियतें दी गयीं। राशन-कार्ड, मकान के पट्टे आदि में महिलाओं को परिवार के मुखिया के रूप में जोड़ने का नियम शुरू किया गया। महिलाओं को उचित मूल्य की दुकानों में एक तिहाई दुकान आवंटित करने का प्रावधान किया गया है। इनमें विक्रेता और सभी पदाधिकारी महिलाएँ ही होंगी। मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम में 10 हजार महिला को नेतृत्व क्षमता का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। तीन लाख महिला को इंटरनेट उपयोग के लिये जागरूक और शिक्षित बनाने के लिये ई-शक्ति परियोजना के जरिये कम्प्यूटर साक्षर बनाया जा रहा है। स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे अहम मुद्दे पर भी महिलाओं को विशेष सुविधाएँ दी गयीं। दो माह तक विशेष अभियान चलाकर 24 लाख गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। महिलाओं को सुरक्षा देने के लिये 1090 हेल्प-लाइन शुरू की गयी है। हर थाने में महिला डेस्क और एक अलग कक्ष बनाया रहा है। निर्भया भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में शुरू की गयी है। आज इन व्यवस्थाओं के जरिये प्रदेश की महिलाओं ने अपना खुद का वजूद कायम किया है। दस वर्ष की सार्थक कोशिशों का परिणाम था कि महिलाओं की शिक्षा दर 52.48 प्रतिशत हो गयी। घरेलू निर्णय में 21 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी बढ़ी। महिलाओं के बचत बैंक खाते 8 प्रतिशत से बढ़कर 37.30 प्रतिशत हो गये। आज 43.50 प्रतिशत महिलाओं के पास स्वयं की भूमि है। पारिवारिक हिंसा में 27.79 प्रतिशत की कमी आयी है। प्रदेश में मातृ मृत्यु दर 379 प्रति लाख जीवित जन्म थी, जो अब कम रहकर 221 रह गयी। संस्थागत प्रसव 26 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 80 प्रतिशत हो गया है। निश्चित ही यह परिणाम हमें चौकाते नहीं हैं, बल्कि इस बात का सुकून देते हैं कि प्रदेश का नेतृत्व सही दिशा में, सही काम कर रहा है। मुख्यमंत्री सशक्तीकरण योजना ने ऐसी महिलाओं को संबल दिया है, उनके पुनर्वास की व्यवस्था की है, जो शारीरिक अत्याचार जैसे अग्नि और दुर्व्यवहार से बचायी गयी हैं। समाज और परिवार से उपेक्षित ऐसी महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सक्षम बनाने की कोशिश देश में पहली है। जेण्डर रिस्पांसिव बजट बनाने की प्रक्रिया भी देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में शुरू की गयी। आज 25 ऐसे विभाग हैं, जो अपने बजट में महिलाओं से संबंधित बजट अलग से पेश करते हैं। महिला नीति बनायी गयी, जिसके जरिये महिलाओं के सर्वांगीण विकास में तंत्र और समाज की भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है। शौर्या दल पहले चरण में 20 जिले में गठित किया गया था। पाँच पुरुष पाँच महिला के इस दल का दयित्व था कि वह ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के साथ उन्हें अपराधों से बचाने और समाज में उनके प्रति सम्मान का भाव पैदा करें। आज प्रदेश में 10 हजार से अधिक शौर्या दल गठित हैं। दल ने शराबबंदी, शिक्षा, महिलाओं को घरेलू और बाहरी हिंसा से बचाने के महत्वपूर्ण काम किये हैं। इन कोशिशों से दूर-दराज के क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं को भी सम्मान, सुरक्षा मिली है और उन्हें आगे बढ़ने के अवसर भी प्राप्त हुए हैं। केवल यह कोशिशें पर्याप्त नहीं हैं। आधी आबादी को पूरी तरह सशक्त बनाने की अभी और संभावनाएँ बाकी हैं। मुख्यमंत्री की कोशिशों को समाज का सहयोग मिला है। तंत्र में संवेदनशीलता आयी है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस दिशा में हम ऐसे ही आगे बढ़ते रहें तो वह दिन दूर नहीं, जब हम यह कह सकेंगे कि मध्यप्रदेश की महिलाएँ सुरक्षित, समर्थ और सशक्त हैं। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने “सावित्री बाई फुले” स्व-सहायता समूह गठित होंगे मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ग्वालियर में ज्योति बा फुले की प्रतिमा का किया अनावरण 29 February 2016 आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिये प्रदेश में 'सावित्री बाई फुले' स्व-सहायता समूहों का गठन किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज ग्वालियर में महात्मा ज्योति बा फुले की मूर्ति का अनावरण करते हुए यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि दलित और पिछड़ों के हितों के लिये अपना जीवन समर्पित करने वाले महात्मा फुले के बताये मार्ग पर चलते हुए राज्य सरकार भी इस वर्ग के कल्याण के लिये कृत-संकल्पित है। इस मौके पर महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह, महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर, विधायक सर्वश्री नारायण सिंह, जयभान सिंह पवैया, भारत सिंह कुशवाह उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले ने दलित सेवा और विशेषकर महिला शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किये। उन्होंने नारी शिक्षा की अलख की शुरूआत अपने घर से करते हुए अपनी पत्नी श्रीमती सावित्री बाई फुले को सर्वप्रथम शिक्षित बनाना प्रारंभ किया। उन्होंने वर्ष 1854 में लड़कियों के लिये पहला विद्यालय प्रारंभ किया। श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अन्त्योदय के मूल सिद्धांत को अपनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार कमजोर वर्ग के कल्याण के लिये निरंतर प्रयासरत है। वर्ष 2022 तक प्रत्येक गरीब को मकान और आवासीय पट्टे देने का लक्ष्य है। बहन-बेटियों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिये लाड़ली लक्ष्मी से लेकर कन्या शिक्षा, कन्यादान जैसी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। स्थानीय संस्थाओं में 50 प्रतिशत और शासकीय नौकरियों में विशेषकर पुलिस में 33 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिये आरक्षित किए गए हैं। केन्द्रीय इस्पात एवं खान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि ग्वालियर शहर में लम्बे समय से महात्मा फुले की प्रतिमा की माँग की जा रही थी, जो अब पूरी हो गई है। मध्यप्रदेश में महिला उत्थान की सार्थक कोशिशें 25 January 2016 स्त्री जाति को समाज में समानता का दर्जा दिलवाना किसी जंग से कम नहीं है। जब हम अपने सांस्कृतिक, धार्मिक इतिहास पर नजर डालें तो स्त्री का सम्मान देखने को मिलता है। बाद के समय में समय, परिवर्तन काल अन्यान्य कारणों से समाज में स्थिति बदली और नारी के प्रति एक दोयम दर्जे की सोच बन गई। मध्यप्रदेश में इस सोच का बदलने का काम मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं ने किया। आज हम नारी की स्थिति को लेकर पूरी तरह मुतमईन नहीं हैं लेकिन हाँ मैं यह दावा जरूर कर सकती हूँ कि एक बड़ा बदलाव समाज में आया है और अब प्रदेश में जन्म लेने वाली बेटियों का वर्तमान और भविष्य सुरक्षित हुआ है। कैसे हुआ इस पर हम नजर डालें तो पाएंगे कि अगर दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ सही दिशा में आगे बढ़ा जाए तो परिणाम बेहतर मिलते ही हैं। ऐसा ही मध्यप्रदेश में हुआ है। अब हम फख्र के साथ यह कह सकते हैं कि हमारी स्त्री उन्मुखी योजनाओं को पूरे देश ने स्वीकारा और उन्हें अपनाया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के जहन में कहीं शुरूआती दौर से यह था कि विकास की कल्पना तभी पूरी होगी जब हम आधी आबादी को उसका भागीदार बनायेंगे। उन्हें जब अवसर मिला तो सबसे पहले स्त्री कल्याण का बीड़ा उठाया। पहली महिला पंचायत के जरिए उन्होंने जाना कि आखिर महिलाएँ शासन से क्या अपेक्षा रखती हैं ताकि उसके आधार पर योजनाएँ बने और उसके परिणाम मिलें। अप्रैल 1 वर्ष 2007 में लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू हुई। आज प्रदेश में 21 लाख से अधिक बालिका इस योजना का लाभ उठा रही हैं। बालिका के जन्म लेते ही सरकार ने अपने को जिम्मेदार बनाया और उसके विवाह तक का दायित्व इस योजना के जरिये निभाया। इसमें बालिका के पढ़ने का खर्चा उठाने के साथ ही विवाह के समय एक मुश्त 1 लाख 18 हजार रुपये की राशि दी जाती है। इस योजना से प्रदेश में "बेटी बोझ हैं " इस सोच में बदलाव आया साथ उसकी शिक्षा पूरी हो और विवाह 21 वर्ष की आयु में ही हो, यह भी सुनिश्चित हुआ। इस योजना को अनेक राज्य ने अपने यहाँ लागू किया। बंगलादेश ने इस योजना का अध्ययन किया और उसे स्कॉच प्लेटिनम अवार्ड-2014 से नवाजा गया। स्वागतम लक्ष्मी योजना के जरिए महिलाओं के प्रति सम्मानजनक, सकारात्मक सोच के साथ ही समानता का वातावरण बनाने का प्रयास पूरे प्रदेश में चल रहा है। इसमें बालिका के जन्म पर अस्पताल में ही बच्ची और उसकी माँ का स्वागत किया जाता है। जनवरी 24 वर्ष 2014 से शुरू हुई इस योजना में 15 हजार से अधिक बालिका और महिलाओं का सम्मान किया गया। लाड़ो अभियान के जरिए प्रदेश में बाल-विवाह रोकने का एक महा-अभियान शुरू हुआ। इसमें जन-प्रतिनिधियों, समाज के प्रबुद्ध वर्ग, बैंड-बाजे वाले, हलवाई, कार्ड छापने वाले, टेंट हाऊस वाले यहाँ तक की घोड़ी वाले को भी सदस्य बनाया गया। इन्हें मिलाकर 4 लाख 82 हजार 232 समूह बनाए गए। इन्हें प्रेरित किया गया वे भी बाल-विवाह को हतोत्साहित करें। इसके लिए पूरे प्रदेश में 38 लाख से अधिक लोगों से संपर्क किया गया। सोलह लाख से अधिक परिवार से घर-घर जाकर भेंट की गई। परिणाम भी आए 78 हजार तय बाल-विवाह पर रोक लगी। ऐसे 3332 बाल-विवाह-विवाह स्थल पर ही रोके गए और जो लोग नहीं माने ऐसे 163 प्रकरण थाने में दर्ज करवाए गए। ईमानदारी से किये गये इन प्रयासों से मिले बेहतर परिणामों को राष्ट्रीय सम्मान मिला। वर्ष 2014 में लाड़ो अभियान को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री लोक सेवा उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया। बालिकाएँ शिक्षा में आगे बढ़ें, इसके लिये उन्हें पाँचवीं कक्षा पास करने पर दूसरे गाँव में छठवीं कक्षा में पढ़ने के लिये जाने पर साइकिल दी जा रही है। इसी तरह शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं के लिये "प्रतिभा किरण" और "गाँव की बेटी" योजना बनायी गयी है। गाँव की बेटी योजना में 60 प्रतिशत अंक पाने वाली बालिका को बी.ए. बी.एस.सी. करने पर 500 रुपये और इंजीनियरिंग, मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने पर 700 रुपये दिये जाते हैं। योजना से अभी तक 20 हजार से अधिक बालिका लाभान्वित हुई हैं। प्रतिभा किरण योजना शहरी क्षेत्र की बालिकाओं के लिये है। इसमें बीपीएल बालिका को भी 500 और 700 रुपये की मदद दी जाती है। अभी तक योजना से 2 लाख 58 से अधिक बालिका लाभान्वित हुई हैं। बेटी बचाओ अभियान के जरिए पूरे प्रदेश में भ्रूण हत्या के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया गया। मुख्यमंत्री ने सरकारी समारोह में कन्या-पूजन की शुरूआत की। पूरे प्रदेश में लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने के प्रयास के परिणाम भी सामने है। प्रदेश में बालिकाओं के जन्म लेने की संख्या में खासी वृद्धि हुई। इस राष्ट्रीय योजना की अवधारणा से प्रेरित होकर भारत सरकार ने भी राष्ट्रीय योजना बनाई और 22 जून 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत में "बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ" योजना का शुभारंभ किया। यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है। इस राष्ट्रीय योजना में भिण्ड, ग्वालियर, शिवपुरी और दतिया को शामिल किया गया। शौर्या दल ने प्रदेश में महिलाओं को शक्तिशाली बनाने का एक नया इतिहास रचा। पहले चरण में 20 जिले में 10000 शौर्या दल गठित हुए। बेहतर परिणाम मिलने पर मुख्यमंत्री ने सभी 51 जिले में इसे लागू करने की घोषणा की। इसके जरिए प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा, अत्याचार अन्याय के साथ ही सामाजिक कुरूतियों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। पाँच महिला और पाँच पुरुष के इस दल की गतिविधियों से कई क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। शौर्या दल के इस नवाचार को आई.एफ.ए.डी. यू.एन और वुमेन यू.एन.डी.पी. ने सराहा। मार्च 2015 में टाइम्स ऑफ इंडिया का "एडवोकेसी एवं इम्पावरमेंट" अवार्ड मिला। बेटियों के जन्म को लेकर भ्राँति दूर हो, महिलाओं का सम्मान हो, इसके बाद यह जरूरी था कि महिलाएँ सशक्त हों। उनका एक आर्थिक आधार बने। इसके लिए राज्य सरकार ने ठोस कदम उठाए। पुलिस में, सरकारी नौकरियों के साथ पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनावों में महिलाओं को आरक्षण देकर उन्हें राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र में बराबरी की हिस्सेदारी दी गई। निर्णय प्रक्रिया में आज महिलाएँ बराबरी के साथ सक्रिय हैं। तेजस्वनी ग्रामीण महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम में डिंडोरी जिले की महिलाओं ने तो कमाल कर दिया। कोदो-कुटकी उत्पादन कर 41 गाँव की 7500 महिलाएँ आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो गई। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के इस नवाचार को वर्ष 2014 में प्रतिष्ठित सीताराम राव लाईवलीहुड एशिया अवार्ड मिला। मुख्यमंत्री महिला सशक्तीकरण योजना में विपत्तिग्रस्त महिलाओं; जैसे जेल से रिहा, शारीरिक उत्पीड़न की शिकार, एसिड, अग्नि पीड़ित और दुर्व्यवहार से बचाई गई महिलाओ, जिन्हें समाज और परिवार में सम्मान नहीं मिलता द्वारा त्याग दिया जाता है, का आर्थिक पुनर्वास किया जाता है। सितंबर 2013 से शुरू की गई योजना में 577 महिलाओं को विभिन्न रोजगार से जुड़े ट्रेड में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस योजना को भी वर्ष 2015 में स्कॉच गोल्ड अवार्ड प्राप्त हुआ। प्रदेश में 11 से 14 वर्ष की बालिकाओं, सभी किशोरियों, विशेषकर शाला त्यागी बालिकाओं के लिये "सबला" योजना प्रदेश के 15 जिले में लागू है। इन जिलों से 9 लाख 45 बालिकाएँ इस योजना का लाभ उठा रही हैं। योजना में 29 हजार बालिका को व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया गया। पिछले वर्ष से किशोरियों में माहवारी के दौरान स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये "उदिता" प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। यह प्रोजेक्ट पायलट तौर पर भोपाल, ग्वालियर, इंदौर एवं झाबुआ में शुरू किया गया है। सेनेटरी नेपकिन उपलब्ध करवाने आँगनवाड़ी केन्द्र में वेडिंग कार्नर स्थापित किये गये हैं। अभी तक 208 वेडिंग मशीन लगायी जा चुकी हैं और 249 वेडिंग मशीन प्रक्रियाधीन हैं। इस तरह प्रदेश में कन्या जन्म को अभिशाप की जगह वरदान में बदलने की सार्थक कोशिशें की जा रही है। अब प्रदेश में एक सकारात्मक माहौल है, जिसमें महिलाएँ चूल्हे, चक्की से आगे पूरी गरिमा और सम्मान के साथ पढ़ने, खेलने, नौकरी आत्म-निर्भर बनने, समानता के अधिकार के पाने की ओर सफलता से अग्रसर है। महिलाओं के मानवाधिकार की सुरक्षा और उनके सांविधानिक एवं कानूनी अधिकारों का क्रियान्वयन से ही हो पाएगा महिला सशक्तिकरणः डॉ. पी.जे. सुधाकर, अपर महानिदेशक, पीआईबी महिलाओं के मानवाधिकार की सुरक्षा और उनके सांविधानिक एवं कानूनी अधिकारों का क्रियान्वयन से ही हो पाएगा महिला सशक्तिकरण। पीआईबी भोपाल में महिला सशक्तिकरण विषय पर आयोजित कार्याशाला को संबोधित करते हुए पत्र सूचना कार्यालय, भोपाल के अपर महानिदेशक डॉ. पी.जे. सुधाकर ने कहा कि शिक्षा के अधिकार के कार्यान्वयन, रोजगार के अवसर मुहैया कराने तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास एवं विधायिका में महिलाओं को आरक्षण देने से महिला सशक्तिकरण को सहायता मिलेगी। महिलाओं के जनन एवं जीविका के अधिकार को सम्मान देकर एवं कृषि क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं को साख की सुविधा उपलब्ध कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध होनेवाले अपराधों को रोकना चाहिए एवं महिलाओं के प्रति प्रचलित धारणा में बदलाव लाने की जरूरत है। महिला अधिकार के बारे में जागरूकता फैलाने की दिशा में मीडिया की भूमिका अहम है। न्यायपालिका भी महिलाओं के अधिकार को संरक्षण देने में अहम रोल अदा कर रही है। कार्याशाला को संबोधित करते हुए भारत संचार निगम के एजीएम राघवेन्द्र तैलंग ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में टेक्नॉलजी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने मोबाइल बैंकिंग का जिक्र किया और कहा कि यह तकनीक महिला के विकास की प्रक्रिया को तेज करेगी। कार्याशाला में भोपाल के विभिन्न मीडिया संस्थानों के पत्रकारों ने हिस्सा लिया। एक पत्रकार ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सोशल मीडिया महिलाओं की समस्याओं से जुड़े हर पहलू को सामने लाने में एक अहम प्लेटफॉर्म साबित हो रहा है। महिलाएँ बन रही हैं डिजिटल एवं इंटरनेट के प्रति जागरूक महिलाओं में इन्टरनेट एवं कम्प्यूटर के उपयोग को बढ़ावा देने एवं उनमें इसके प्रति जागरूकता लाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा मध्यप्रदेश की 5 लाख महिलाओं को इन्टरनेट प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से विशेष अभियान की शुरूआत की गई है। इसे ई-शक्ति अभियान नाम दिया गया है। इसमें दैनंदिन के जीवन में डिजिटल, इन्टरनेट एवं कम्प्यूटर के उपयोग से होने वाले फायदों से अवगत करवाया जा रहा है । इससे महिलाएँ कम्प्यूटर के प्रति यूज्ड-टू हो रही हैं । अभियान ‘गूगल इंडिया’ के सहयोग से मेप-आईटी द्वारा संचालित है । ‘आम तौर पर कामकाजी महिलाएँ अपनी ड्यूटी से संबंधित कामकाज और गृहणियाँ अपने घर-परिवार के काम से सरोकार रखती हैं । पर अब यही महिलाएँ लेपटॉप-कम्प्यूटर के की-बोर्ड और माउस पर भी अपने हाथ आजमा रही हैं। प्रदेश में ई-शक्ति अभियान के जरिए महिलाओं में डिजिटल तथा इंटरनेट साक्षरता के लिए अभियान की शुरूआत हो गई है। डिजिटल मध्यप्रदेश की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है । ई-शक्ति अभियान के पहले चरण में प्रदेश में एक लाख 59 हजार से अधिक महिलाओं को कम्प्यूटर का बेसिक प्रशिक्षण दिया जा चुका है । प्रशिक्षण का काम निरंतर जारी है । अभी तक भोपाल सहित प्रदेश के 20 जिले – इंदौर, मुरेना, सिंगरौली, उज्जैन, रीवा, शाजापुर, शिवपुरी, आगर- मालवा एवं खरगोन आदि जिले में प्रशिक्षण का काम शुरू किया जा चुका है । अभियान में इंटरनेट की मूलभूत बातों जैसे-मोबाइल/लेपटॉप पर इंटरनेट ब्राउज़ करना, खोज विकल्प का उपयोग करना, ऑनलाइन वीडियो खोजने तथा देखने के लिए यू-ट्यूब का उपयोग, ई-मेल का परिचय तथा ई-मेल अकाउंट प्रारंभ करना और मेल तथा सोशल मीडिया और त्वरित संदेश के बारे में जागरूकता आदि विषयों को शामिल किया गया है । सभी विषयों पर वीडियो तथा ट्यूटोरियल लाइव प्रदर्शनों द्वारा जानकारी दी जाती है । अभियान के लक्षित प्रशिक्षणार्थी समूह में महिला-बाल विकास की आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका एवं सुपरवाइजर, स्वास्थ्य विभाग की महिला ए.एन.एम. एवं आशा कार्यकर्ता, स्कूल शिक्षा की महिला शिक्षक एवं हायर सेकेण्ड्री की छात्राएँ, उच्च शिक्षा की महिला प्राध्यापक एवं छात्राएँ, पुलिस की महिला आरक्षक एवं महिलाकर्मी तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास की महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य, नगर निगम की महिलाकर्मी तथा किसान-कल्याण एवं कृषि विकास विभाग की महिला किसान मित्र (किसान दीदी) आदि शामिल हैं। प्रशिक्षण सरल हिन्दी में गूगल टीम द्वारा मेप-आईटी के सहयोग से दिया जा रहा है । इसके लिए गूगल इंडिया द्वारा जिलेवार टीम गठित की गई है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मेप-आई.टी. एवं महिला-बाल विकास विभाग द्वारा समन्वय से अभियान का संचालन किया जा रहा है। जिला-स्तर पर अपर कलेक्टर नोडल अधिकारी एवं जिला ई-गवर्नेंस मेनेजर सहायक नोडल अधिकारी है । प्रत्येक जिले में अभियान की कार्य-योजना बनाई गई है। बोझ को सम्मान मिला कोख से राज्य सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज मध्यप्रदेश में महिला, बालिका और बच्चों का भविष्य सुरक्षित है। यह कोई आसान काम नहीं था। इसके लिये पूरी इच्छा-शक्ति और दृढ़ संकल्प की जरूरत थी। सुखद यह था कि वर्तमान नेतृत्व में दोनों चीजें थी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के मुखिया पद की जिम्मेदारी सम्हालते ही सबसे पहले जो संकल्प लिया वह था, समाज में आधी आबादी को बराबरी का दर्जा मिले, उन्हें अवसर प्राप्त हों, उनकी सुरक्षा का वातावरण समाज में बने और वे अपने परिवार में आदरणीय बनें। यह चुनौतीपूर्ण था लेकिन असंभव नहीं। मैं आज यह कह सकने की स्थिति में हूँ कि मध्यप्रदेश में अब बच्चियाँ बोझ नहीं हैं, उन्हें अपने परिवार में आज सम्मान प्राप्त हुआ है। इसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री को जाता है। पिछले नौ वर्ष में राज्य सरकार ने समाज में महिलाओं की स्वीकार्यता बढ़ाने और उन्हें आगे बढ़ने के पूरे अवसर उपलब्ध करवाने के लिये क्रमबद्ध प्रयास किये। ऐसे निर्णय लिये गये जिसने महिलाओं और बच्चियों के प्रति सामाजिक सोच में बुनियादी बदलाव किये। इसकी शुरूआत हुई लाड़ली लक्ष्मी योजना से। इस एक योजना ने परिवार में बालिकाओं की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया। देश ही नहीं विदेश में यह योजना अनुकरणीय बनी। इस योजना की विशेषता है कि इसमें बालिका के जन्म से लेकर उसके विवाह होने तक का दायित्व सरकार ने सम्हाला है। परिवार में बच्ची के जन्म से अभिभावकों के माथे पर चिंता की जो लकीर खिंच जाती थी, उसे एक झटके में इस योजना ने हर लिया। आज प्रदेश की 19 लाख बालिका लाड़ली लक्ष्मी बनी हैं। यानि इतनी बालिकाओं के जन्म से लेकर विवाह तक का पुख्ता इंतजाम मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किया है। सिर्फ इतना ही नहीं इस योजना के साइड इफेक्टस भी समाज पर हुए। योजना के लागू होने के बाद लड़कों की चाह खत्म हुई और 16 लाख परिवार ने परिवार नियोजन भी अपनाया। साक्षरता बढ़ी, 6 लाख 72 हजार 390 बालिका का स्कूल में प्रवेश हुआ। यह परिणाम तो आने ही थे क्योंकि बोझ समझी जाने वाली बालिका को कोख से ही सम्मान देने की जो रणनीति बनाई गई थी। राज्य शासन ने बेटी बचाओ अभियान और स्वागतम् लक्ष्मी योजना बनाई। इस योजना के जरिये एक-एक घर में दस्तक दी गई। सरकार की तरफ से बच्ची के जन्म से लेकर उसके स्कूल जाने तक स्वागत की परंपरा डाली गई। अस्पताल में बच्चियों के अभिभावक को सम्मानित किया गया तो पहली बार शाला में प्रवेश लेने पर वहाँ उसका भव्य स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक समारोह में बेटियों के पैर पूज कर शुरूआत करने की एक नई परंपरा डाली। कहने का आशय यह है निरंतर हर स्तर पर लोगों के मन-मस्तिष्क में इस बात की दस्तक दी गई कि बेटियाँ ही समाज का भविष्य हैं। मुख्यमंत्री की योजनाओं को राष्ट्रीय स्वीकार्यता मिली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जहाँ मध्यप्रदेश की बेटी बचाओ योजना को "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" योजना के रूप में पूरे देश में लागू किया, वहीं उन्होंने शिवराजजी के नारे "बेटी नहीं बचाओगे तो बहू कहाँ से लाओगे" को राष्ट्रीय नारा बनाया। महिलाओं-बालिकाओं को ताकत देने का काम यहीं खत्म नहीं हुआ क्योंकि संकल्प था सर्वांगीण विकास का, सभी अवसर और हर स्तर पर बराबरी का हक देने का। निर्णय, प्रक्रिया में महिला हिस्सेदार बने इसके लिये उन्होंने पंचायत, नगरीय निकाय चुनाव में महिलाओं के लिये 50 प्रतिशत स्थान आरक्षित किये। आज प्रदेश की 23 हजार से अधिक पंचायत, नगर निगम, नगर पलिका, नगर परिषद में आधे पदाधिकारी और पार्षद, पंच महिलाएँ बनी हैं। आधी आबादी को आधी हिस्सेदारी देने का उदाहरण देश में यह पहला ही होगा। महिलाएँ आगे बढ़ें और वे स्वयं महिलाओं का सुरक्षा कवच बने इसके लिये पुलिस में 30 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया गया। परिवार में महिलाओं का सम्मान बढ़े। इसके लिये राशन कार्ड में अब परिवार की मुखिया के रूप में महिलाओं का नाम दर्ज करने की शुरूआत की गई है। महिलाओं में नेतृत्व क्षमता का विकास हो इसके लिये देश का पहला सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम श्री चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में शुरू किया गया। समाज में महिलाएँ अपने हक के लिये लड़ें और शासन-प्रशासन उनका सहयोग करें इसके लिये शौर्या दल का गठन किया। प्रदेश के 20 जिले में 8000 शौर्या दल गठित किये जा चुके हैं। इसमें 80 हजार से अधिक महिला और पुरुष सदस्य हैं। शौर्या दल गठन के सबसे बेहतर परिणाम यह रहे कि महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध में 30 प्रतिशत कमी आई। यही नहीं पारिवारिक झगड़ों में नुकसान उठाने वाली महिलाओं को प्रताड़ित होने से बचाने में भी इन दलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी सफलता को देखते हुए इस वर्ष शेष सभी 31 जिले में शौर्या दल का गठन किया जायेगा। शौर्या दल के गठन से ग्राम सभा की बैठकों में 85 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। शौर्या दल ने महिलाओं के लिये बनी योजनाओं का लाभ भी दिलाया है। विधवा पेंशन, शौचालय निर्माण और खेत बँधान योजना से 1,366 महिला को लाभान्वित किया है। अन्य कल्याणकारी योजनाओं के जरिये महिलाओं को 117 लाख की सहायता दिलाकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है। महिलाओं से संबंधित कानूनों के प्रति जागरूकता पैदा करने और जानकारी देने के लिये 75 हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रदेश की एक और योजना लाड़ो योजना है। योजना में बाल विवाह को रोकने के लिये व्यापक अभियान चलाये गये। कुल 51 हजार से अधिक बाल विवाह होने से रोके गये और 661 बाल विवाह समारोह स्थल पर ही रूकवाये गये। अनाथ बच्चियों और नवजात बालिकाओं को त्याग देने पर उनकी परवरिश के भी माकूल इंतजाम किये गये। अनमोल वेबसाइट के जरिये अनाथ बच्चियों को माता-पिता की छत दिलाई गई। राज्य सरकार के प्रयासों के परिणाम भी बेहतर आये। डिंडोरी जिले में आदिवासी महिलाओं ने आगे बढ़कर सरकार की योजनाओं का लाभ उठाया। तेजस्विनी कार्यक्रम के जरिये उन्होंने महिलाओं का समूह गठित कर कोदो-कुटकी कार्यक्रम अपनाया। आज इस कार्यक्रम से 7500 महिला जुड़ी हैं। जिन्होंने 60 फेडरेशन के जरिये अपना टर्नओव्हर 4 करोड़ से अधिक किया है। आज प्रदेश की महिलाओं में आत्म-विश्वास बढ़ा है। वे राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। उनकी इस क्षमता और ऊर्जा की पहचान सरकार ने किया है।। बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ पर आधारित कार्यशाला संपन्न समाज का कोई भी बदलाव हो उसकी शुरुआत हमारे घर से होगी तो वह बदलाव तुरंत समाज में देखने को मिलेगा। इसी भावना से हम कोई लक्ष्य आसानी से हासिल कर सकते हैं। यह विचार क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय (डीएफपी) भारत सरकार द्वारा आयोजित बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ पर केंद्रित एक कार्यशाला में व्यक्त किए गए। समाज में बेटियों की भूमिका पर चर्चा करते हुए सरोकार संस्था की सचिव सुश्री कुमुद सिंह ने कहा कि बेटा-बेटी को भेद समाज में बहुत गहरे तक धंस गया है। उस भेद को हम जब तक नहीं मिटाएंगे तब तक हमारी बहन, पत्नी, बेटी, मित्र के प्रति हम सही नजरिया नहीं अपना सकते। कार्याशाला में अपनी बात रखते हुए डीएफपी एवं दूरदर्शन केंद्र, भोपाल के समाचार एकांश के निदेशक श्री राजीव जैन ने कहा कि लड़का-लड़की में भेद जैसी कुरीति को दूर करने के लिए ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में हमें लगातार बगैर रुके काम करना होगा। कार्यक्रम में चर्चा को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री गिरीश उपाध्याय ने कहा कि योजनाओं का प्रचार-प्रसार करते समय हमें सामाजिक रुढ़ियों को भी विशेष ध्यान रखना होगा। बदलाव से पूर्व हमें उन रूढ़ियों को बदलना होगा। चर्चा में हिस्सा लेते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री अनुराग पटैरया ने कहा कि जनजाति क्षेत्र की संस्कृति हमें कई कुरीतियों को दूर करने का संदेश देती है। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकार ब्रजेश राजपूत ने कहा कि महिला प्रधान विषयों के सकारात्मक कवरेज से समाज के निचले स्तर तक प्रभाव पड़ता है, अतः मीडिया में इन खबरों को प्राथमिकता मिलना चाहिए। कार्यक्रम के बाद प्रतिभागियों ने अतिथि वक्ताओं से इस मुद्दे से संबंधित ढेर सारे प्रश्न किए और उनके उत्तर से लाभान्वित हुए। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन केंद्र से जुड़ी सुश्री सानिसा हर्णे और आदित्य श्रीवास्तव ने किया। महिला सुरक्षा की दिशा में आप द्वारा एक अनूठा कदम "आप" का “एप" "No More Nirbhaya" करेगी महिला एवं आम लोगों की सुरक्षा देश की राजधानी दिल्ली में आज से दो वर्ष पूर्व हुए निर्भया काण्ड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। निर्भया के बलिदान ने इस देश में महिला सुरक्षा की स्थिति को उजागर किया था। इसके बावजूद भी देश और प्रदेश की सरकार ने इससे कोई सबक नहीं लिया है। आज निर्भया दिवस पर पार्टी ने पूरे मध्य प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये हैं। जगह जगह कैंडल मार्च भी निकाले जायेंगे और लोगों को महिला सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा। आज इस अवसर पर भोपाल के प्रदेश कार्यालय में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें अनेक महिला एवं पुरुषों ने भाग लिया। इस मौके पर पार्टी के प्रदेश संयोजक श्री अलोक अग्रवाल और प्रदेश सचिव श्री अक्षय हुँका ने हैंगआउट के माध्यम से पूरे प्रदेश के पत्रकारों को एक साथ सम्बोधित किया। श्री अग्रवाल ने कहा कि, 1000 करोड़ के निर्भया फण्ड से एक पैसा भी आज तक उपयोग नहीं किया गया है। मध्य प्रदेश में स्थिति सबसे बदतर है, प्रदेश में लगातार बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं और प्रदेश सरकार इस पर नियंत्रण मेंरी तरह नाकामयाब रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल प्रतिदिन 12 बलात्कार हुए हैं एवं इस साल 13 बलात्कार प्रतिदिन हो रहे हैं। प्रदेश में आज तक महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को काबू करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। इसलिए, आम आदमी पार्टी महिला सुरक्षा के प्रति अपने संकल्प को व्यक्त करते हुए निर्भया की स्मृति में आज एक विशेष मोबाइल एप्लीकेशन प्रदेश एवं देश की जनता को समर्पित कर रही है। "आप" को विश्वास है, कि महिला एवं आम लोगों की सुरक्षा में यह एप्लीकेशन महत्वपूर्ण योगदान करेगी। प्रदेश सचिव श्री हुंका ने एप्लीकेशन के विषय में बताया, कि इस एप्लीकेशन के द्वारा यदि कोई महिला या अन्य व्यक्ति संकट में हो तो केवल एक बटन दबाते ही उसकी पूरी जानकारी एवं लोकेशन उसके परिवार और मित्रों तक पहुँच जायेगी। ताकि परिवार या मित्र उसकी सुरक्षा के लिए तत्काल कार्यवाही कर सकें। निर्भया की स्मृति में इसका नाम "No More Nirbhaya" दिया गया है। इस एप्लीकेशन को गूगल स्टोर से (link: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.ht.aap) मुफ्त डाउनलोड किया जा सकता है। उल्लेखनीय है, कि 28-नवंबर को आम आदमी पार्टी द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस एप्लीकेशन को देने की पेशकश की थी ताकि पुलिस विभाग से जोड़ कर इसका ज्यादा फायदा उठाया जा सके। परन्तु उनकी तरफ से कोई जवाब न आना यह सिद्ध करता है की उन्हें महिला सुरक्षा के विषय में कोई चिंता नहीं है। आम आदमी पार्टी महिला सुरक्षा एवं उन्हें समानता का अधिकार दिलाने के लिए कृत संकल्पित है। 12 दिसम्बर को प्रदेश के सभी 56 संगठनात्मक जिलों में महिला मोर्चा की जिला बैठकें- श्रीमती लता वानखेड़े भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती लता वानखेड़े ने बताया कि प्रत्येक जिले में महिला मोर्चा न्यूनतम 50 हजार सदस्य बनायेगा। महानगरों में एक लाख सदस्य बनाने की रूपरेखा बनाई गयी है। मोर्चा 31 मोर्च 2015 तक प्रदेश में 25 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य पूर्ण करेगा। इसकी रणनीति पर 12 दिसम्बर को प्रत्येक जिले में महिला मोर्चा की बैठके आयोजित की जा रही है। इन जिला बैठकों में विस्तार से रणनीति बनायी जायेगी। मोर्चा की प्रदेश महामंत्री श्रीमती भारती अग्रवाल को सदस्यता का प्रदेश प्रभार सौंपा गया है। साथ ही मोर्चा ने हर संभाग के लिये एक पूर्णकालिक बहन को जवाबदेही सौंपी है। इन पूर्णकालिक बहनों में श्रीमती ममता बोरसे इंदौर संभाग, श्रीमती ज्योति दुबे सागर संभाग, श्रीमती कृष्णाकांता तोमर ग्वालियर, श्रीमती अंजू सिंह बघेल रीवा संभाग, श्रीमती अरूण जोशी नर्मदापुरम संभाग, श्रीमती ममता भदौरिया चंबल संभाग, श्रीमती सत्यभामा गुप्ता शहडोल संभाग, श्रीमती शोभा विलैया जबलपुर संभाग, श्रीमती कलावती यादव उज्जैन संभाग और श्रीमती भारती अग्रवाल भोपाल संभाग के जिलों पर ध्यान केन्द्रित करेंगी। श्रीमती लता वानखेड़े ने बताया कि 14 दिसम्बर को मोर्चा सभी जिलों में मध्यप्रदेश सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं की उपलब्धियों से जनता को रूबरू कराने के लिए ‘‘आओ बनाये मध्यप्रदेश ’’ विषय पर केंद्रित संगोष्ठिया, सभाएं और नुक्कड़ नाटक आयोजित करेगा। साथ ही महिला मोर्चा मतदान केंद्र तक संपर्क यात्रा निकालेगा। मोर्चा का 6 दिसम्बर से चल रहा बूथ स्तरीय अभियान महिलाओं में विषेष लोकप्रिय सिद्ध हुआ है। इससे मोर्चा सेवा बस्तियों तक पहुंचा है। हर बूथ पर 100 नये परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये कमोवेश बूथ स्तरीय अभियान में चार-चार सौ सदस्य बनाये जा रहे हैं। कृषि उपज मंडी अध्यक्षों और किसान मोर्चा का विशाल सम्मेलन 12 दिसंबर को भोपाल में भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री बंशीलाल गुर्जर ने बताया कि 12 दिसंबर को प्रातः 11 बजे प्रदेश कार्यालय पं. दीनदयाल परिसर में भाजपा समर्थित कृषि मंडी अध्यक्षों, किसान मोर्चा के प्रदेष पदाधिकारियों और जिलाध्यक्ष का सम्मेलन आयोजित किया जायेगा। सम्मेलन को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री नंदकुमारसिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री श्री अरविन्द मेनन और प्रदेश के कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन संबोधित करेंगे। सम्मेलन के अवसर पर पार्टी के सदस्यता महाअभियान के तहत किसान क्षेत्र में सदस्यता के विस्तार पर विस्तृत चर्चा की जायेगी। ------------------------------------------------------------------------------- जैव ऊर्जा प्रकोष्ठ की प्रदेश स्तरीय संयुक्त बैठक 13 दिसम्बर को भोपाल में भारतीय जनता पार्टी जैव ऊर्जा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री शैलेष केसरवानी ने बताया कि जैव ऊर्जा प्रकोष्ठ की प्रदेश पदाधिकारियों, जिला संयोजकों और जिलों के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक 13 दिसम्बर को प्रदेश कार्यालय, पं. दीनदयाल उपाध्याय परिसर भोपाल में आयोजित की गयी है। बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री श्री अरविंद मेनन और प्रकोष्ठ के प्रदेष प्रभारी श्री विजेन्द्र सिंह सिसोदिया मार्गदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि बैठक में पार्टी के सदस्यता महाअभियान में प्रकोष्ठ की सक्रिय भूमिका और जिलेवार सदस्यता शिविर आयेाजित करने की तैयारियों को लेकर विस्तार से चर्चा होगी। अल्पसंख्यक मोर्चा सदस्यता महाअभियान में जुटा, 14 दिसंबर को अल्पसंख्यक बस्तियों में चाय चौपाले सजेंगी भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा ने सदस्यता महाअभियान में मोर्चा का 10 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए कमर कस ली है। तीन दिनों में प्रदेश के 9 संभागों में बैठकें आयोजित कर ली गयी हैं। जिला सदस्यता प्रभारी मंडल तक पहुच रहे हैं। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री हिदायतुल्ला शेख ने इंदौर, श्री शौकत खान, श्री रशीद खान ने ग्वालियर संभाग और चंबल संभाग में मुरैना, हाजी इनायत हुसैन और श्री सलीम कुरैशी ने सागर, रीवा में बैठकों में सदस्यता अभियान का प्रेजेंटेशन दिया और सदस्यता अभियान आरंभ किया। श्री हिदायतुल्ला शेख 12 दिसंबर को भोपाल संभाग की बैठक भोपाल में लेंगे। श्री हिदायतुल्ला शेख ने बताया कि 14 दिसंबर रविवार को मोर्चा प्रदेश की सभी जिलों की अल्पसंख्यक बस्तियों में चाय चौपाल लगायेंगा। प्रदेश से पहुचने वाला प्रमुख वक्ता चौपाल को संबोधित करेंगा और प्रदेश सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं से अवगत करायेंगा। अल्पसंख्यक समुदाय के पेशेवर डाक्टर, इंजीनियर, वकील, समाजसेवी, शिक्षा प्रेमी, युवा और सेवाभावी महिलाओं को चाय चौपाल में सादर आमंत्रित किया जा रहा हैं। अल्पसंख्यक मोर्चा 19 दिसंबर को शहीद अशफाक उल्ला खां के शहादत पर्व पर सभी जिलों में कार्यक्रम आयोजित कर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगा। श्री हिदायतुल्ला शेख ने बताया कि मोर्चा 10 लाख सामान्य सदस्य और 10 हजार सक्रिय सदस्य बनायेगा। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए जिलेवार लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस पर मोर्चा के संगठित जिलों ने अपने फौलादी इरादों की मोहर लगा दी है। म.प्र. में आप की महिला शक्ति की घोषणा आम आदमी पार्टी का द्वितीय स्थापना दिवस “महिला सुरक्षा दिवस” के रूप में मनाया गया "आप" का मोबाइल एप करेगा महिलाओं की सुरक्षा आप हर जिले में बनायेगी “आप की महिला सुरक्षा सेल” 26 नवम्बर इस देश की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण दिन है । आज से 2 वर्ष पूर्व इस ही दिन आम आदमी पार्टी का गठनकिया गया था। देश भर में महिलाओं पर हो रहे अपराधों एवं गैर बराबरी के कारण आम आदमी पार्टी ने 26 नवम्बर को महिला सुरक्षा दिवसके रूप में मनाने का निर्णय किया है। मध्य प्रदेश में महिलाओं की स्थिति बहुत खराब है, बलात्कार के मामले में मध्य प्रदेश पूरे देश में पहले नंबर पर है।महिलाओं के खिलाफ अपराधों में मध्य प्रदेश का नंबर बहुत आगे है। मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ 2013 में कुल 22,061 अपराधदर्ज किये गए हैं, जिनमें से 4335 बलात्कार के मामले हैं। आप की मध्यप्रदेश इकाई ने पार्टी के स्थापना दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश की सभी महिला कार्यकर्ताओं की बैठक की। इस बैठक में पार्टी महिलायें खंडवा,सागर, इंदौर, धार,बीना, खुरई, ग्वालियर,सतना,रीवा, उमरिया आदि मध्यप्रदेश के विभिन्न हिस्सों सेआई। बैठक की अध्यक्षता पार्टी की राज्य कार्यकरणी सदस्या सुश्री चित्तरूपा पालित जी ने की। बैठक में सभी महिला कार्यकर्ताओं ने अपनेविचार रखे एवं निम्नलिखित निर्णय लिए: 1) आम आदमी पार्टी की “आप की महिला शक्ति” टीम की घोषणा की गयी,जिसमे निम्न जोन की समितियों का गठन किया गया। 2) म.प्र. में 8 मार्च 2015 सभी जिलो में “आप की महिला सुरक्षा सेल” का गठन किया जायेगा। इस सेल का मुख्य उद्देश्य महिलाओ परहो रहे आत्याचारों के खिलाफ़ सड़क से लेकर न्यायलय तक लड़ना है। इस सेल में एक्टिविस्ट महिलाएं और महिला वकील रहेंगी। 3) 8 मार्च 2015 तक आप की महिला सदस्यों की संख्या को 1 लाख तक किया जावेगा। 4) मोबाइल तकनीक के मध्य से महिलाओं पर हो रहे अपराधों में कमी लायी जा सकती है। इसी कारण आप के प्रदेश सचिव श्री अक्षयहुँका ने एक एंड्राइड मोबाइल एप्लीकेशन बनाई है, जिसके माध्यम से अपराध का अंदेशा होते ही कोई भी महिला अपनी लोकेशन निकटतमथाने एवं अपने संबंधियों को एक बटन के क्लिक पर मैसेज भेज सकती है। आप आदमी पार्टी इस एप्लीकेशन को माननीय मुख्यमंत्री कोसौपेंगी और अनुरोध करेगी की इसे सारे प्रदेश में लागू किया जाए। अटल बिहारी हिन्दी विवि ने शुरू किया गर्भ में अभिमन्यु बनाने का प्रशिक्षण गर्भस्थ शिशुओं पर दो दिनी सेमिनार का आयोजन भोपाल। वह दिन दूर नहीं जब दंपती अपनी संतान में जैसे संस्कार चाहते हैं, गर्भवती महिलाओं के माध्यम से वे आने वाली पीढ़ी में पहुंचा दिये जायेंगे। यदि वह चाहती हैं कि उनकी संतान डॉक्टर, इंजीनियर या वैज्ञानिक बने तो इस प्रचीन पद्धति के अधुनातन प्रयोग के द्वारा यह भी संभव हो सकता है। महाभारत में जिस तरह अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने की शिक्षा मिल गई थी वैसी ही महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु को भारतीय मूल्यों की शिक्षा दिए जाने की तैयारी प्रदेश के एकमात्र हिन्दी विश्वविद्यालय में शुरू हो गई है। विवि विभिन्न स्थानों पर गर्भ तपोवन केंद्र खोलने जा रहा है, जिनमें गर्भवती महिलाओं को योग, प्रार्थना और ध्यान के साथ महिला को ज्यादा से ज्यादा प्रसन्न और प्रफुल्लित रखकर गर्भस्थ शिशु को संस्कार सिखाए जाएंगे। अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में गर्भस्थ शिशुओं पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन गुरूवार को विशेषज्ञों की ओर से आंगनबाड़ी, शिक्षक और गर्भस्थ महिलाओं को गर्भ में शिशुओं की देखभाल सहित अन्य जानकारियां दी गर्इं। कार्यशाला में अहमदाबाद के चिल्ड्रन यूनिवर्सिटी के कुलपति हर्षद भाई शाह ने बताया कि विश्वभर में ऐसे चार विश्वविद्यालय हैं जो बच्चों को लेकर उनके युवा होने तक उन्हें शिक्षित करते हैं। लेकिन यूके, साउथ अफ्रिका, चीन के संघाई तथा युरोपीयन कंट्री समूह के इन विश्वविद्यालयों में सात साल के होने के बाद किसी बालक को प्रवेश मिलता है और वह चौदह वर्ष के होने तक वहां रहकर शिक्षा प्राप्त कर सकता है जबकि हमारे देश में जो गुजरात में चाइल्ड यूनिवर्सिटी है वहां बालक का प्रवेश ऋणात्मक नौ यानि गर्भ में ही कर लिया जाता है। फिर उसके जन्म लेने के बाद वह अ_ारह साल के होने तक हमारे विश्वविद्यालय में शिक्षण लेता है। श्री शाह ने कहा कि विश्वविद्यालय गर्भस्थ महिलाओं को उत्तम संतान के लिए किस तरह के संस्कारों का एक मां को पालन करना चाहिए, यह आवश्यक है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अहमदाबाद में तपोवन रिसर्च सेंटर के नाम से दो अक्टूबर 2010 से यह उपक्रम शुरु किया गया है। इसके बाद अब मध्यप्रदेश के शहरों में भी तपोवन केन्द्र की स्थापना करने की तैयारी की जा रही है। वहीं उन्होंने बताया कि गुजरात की चिल्ड्रन यूनिवर्सिटी केरीयर आधारित शिक्षा दे रही है ताकि कोई बच्चा भविष्य में बेरोजगार न रहे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपनी इस शिक्षण प्रणाली के तहत चार आयामों को जोड़ा है। पहला शोध, दूसरा शिक्षण तीसरा-प्रशिक्षण और चौथा-विस्तारण है जो कि भारतीय संकल्पना धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष पर आधारित है। अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में दो अक्टूबर से गर्भ संस्कार में नौ माह का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने संबंधी कोर्स की जानकारी देते हुए गुजरात से आईं ज्योति बेन थानकी ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को नौ महीने तक सिखाया जाएगा की बेहतर शिशु को जन्म देने के लिए उन्हें किन संस्कारों का पालन करना चाहिए। विवि इस ट्रेनिंग के दौरान की हर दिन की गतिविधियों का रिकार्ड रखेगा ताकि आगे इस पर अनुसंधान किया जा सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में गर्वस्थ महिलाओं के लिए ऐसे काउंसलर रखे जाना चाहिये जो माता बनने जा रही स्त्रियों से आत्मीय भाव के साथ वार्तालाप कर सकें। एक अच्छे संस्कारित शिशु निर्माण के पीछे निश्चित ही तपोवन रिसर्च सेन्टर में इन काउंसलरों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। ऐसे में इस कार्य के लिये उन्हीं महिलाओं को आगे आना चाहिये जिनमें इस प्रकार की स्वप्रेरित क्षमता हो, न कि धन कमाने के उद्देश्य से काउसंलर बनने के प्रयास करने चाहिये। कार्यशाला में चिल्ड्रन विश्वविद्यालय की संयोजिका तर्पणा बेन ने भी अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि गर्भ के दौरान किसी भी स्त्री के लिये क्या आवश्यक है और क्या नहीं इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी होता है। इसलिये गर्भ संस्कार तपोवन केन्द्र में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि स्त्री को खाने में क्या दिया जाये, उसका श्रृंगार कैसा हो, वह अधिक से अधिक प्रस्नन कैसे रह सकती है, उसके लिये क्या उपाय किये जाने चाहिये । अटल बिहारी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मोहनलाल छीपा ने कहा कि गर्भ से ही मनुष्य की शिक्षा आरंभ होती है। महाभारत में अभिमन्यु की गर्भ में चक्रव्यूह तोडऩे की कला सीखने की कहानी से हम सब परिचित हैं। गर्भावस्था ही संस्कार सिंचन का अति उपयुक्त समय है। इसलिए मां को गर्भावस्था के प्रत्येक क्षण का सही उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई प्रयोग विदेशों में होता है तो उस पर सभी सहजता से विश्वास कर लेते हैं, लेकिन जब वे प्रयोग भारत में होता है तो हमारे ही लोग उसे कपोल कल्पना समझने की भूल करते हैं। वास्तव में ऐसी जो समाज की धारण बन गई है उस धारणा को तोडऩे में निश्चित ही हिन्दी विश्वविद्यालय का यह नवीनतम प्रयास सफल होगा। अभी इस गर्भ संस्कार तपोवन केंद्र परियोजना में महिलाओं को गर्भ संस्कार की ट्रेनिंग दी जाएगी। शुरूआत भोपाल से की जा रही है। इसके बाद इसे अन्य शहरों के साथ ही ट्राइबल क्षेत्रों में भी स्थापित किया जाएगा। इसके लिए विवि ने गुजराज की चिल्ड्रन यूनिवर्सिटी से करार किया है। उन्होंने कहा कि देश में अभी यह कोर्स केवल चिल्ड्रन यूनिवर्सिटी में ही चल रहा है। इस कोर्स के लिए सिलेबस को गुजराती से हिंदी में अनुवादित किया जा रहा है। कोर्स के संचालन के लिए विवि महिला एवं बाल विकास विभाग से सहयोग लेगा ताकि अधिक संख्या में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। प्रो. छीपा ने कहा कि जैसे महाभारत में जिस तरह अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने की शिक्षा मिल गई थी वैसी ही महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु को भारतीय मूल्यों की शिक्षा इस कोर्स के माध्यम से दी जाएगी। नि : शुल्क रहेगा पाठ्यक्रम यह पाठ्यक्रम गर्भस्थ स्त्रियों के लिए रहेगा। पाठ्यक्रम 9 माह का होगा। इस अवधि में गर्भस्थ स्त्रियों को निर्धारित तपोपन केंद्र में रोज 3 घंटे के लिए आना होगा। एक तपोवन केंद्र में 15 से 25 महिलाओं को शिक्षा दी जाएगी। इन तीन घंटों में अच्छे संस्कारों की शिक्षा दी जाएगी। गुजरात विवि के कुलपति हर्षत भाई शाह ने दावा किया है इस पाठ्यक्रम के जरिए दंपत्ती जैसी संतान की चाहत रखेंगे, उन्हें वैसी संतान उन्हें प्राप्त होगी।
भोपाल में एनएचआरसी की तीन दिवसीय ओपन हियरिंग एंड कैंप सिटिंग का समापन
देश में 29 फीसदी महिलाएं आर्थिक रूप से सक्रिय : रिपोर्ट
आपकी सुरक्षा आप के हाथ प्रिंयका परे
ब्यूटी टिप्स प्रिंयका परे
मैंगों स्मूदी जल्दी स्नैक्स बनाने के लिए चार किचन प्रोडक्ट
स्टफ्ड बटर बाल्स
क्रीमी कर्ड
माखन मिश्री थाल
केसर गुलाब शंख
पंचामृत प्रसाद
लौकी दाल चीला चिल्ली पोटेटो चिल्ली पोटेटो सभी को पसंद आते हैं. बिना ग्रेवी के और ग्रेवी के साथ दोनों ही तरीकों से बनने वाले चिल्ली पोटेटो, इंडो चाईनिज़ रेसिपी में काफी लोकप्रिय हैं. ज़रूरी सामग्री: आलू - 250 ग्राम ( 3 आलू) हरा धनियां - 2-3 टेबल स्पून बारीक कटा हुआ हरी मिर्च - 1-2 बारीक कटी हुई अदरक - 1 छोटी चम्मच पेस्ट कार्न फ्लोर - 4 टेबल स्पून टमाटो सास - 2 टेबल स्पून सोया सास - 1 टेबल स्पून चिल्ली सास - 1/2 - 1 छोटी चम्मच विनेगर - 1 छोटी चम्मच चिल्ली फ्लेक्स - 1/4 -1/2 आधा छोटी चम्मच नमक - आधा छोटी चम्मच (स्वादानुसार) चीनी - 1/2 - 1 छोटी चम्मच विधि: आलू को अच्छे से धोकर छील लें और लंबे पतले टुकडों में काट लें. अब इन टुकडों को अच्छे से कार्न फ़्लोर में मिलाकर कोट कर लें. अब एक कढाई में तेल गर्म करें. इसमें कार्न फ़्लोर से कोट किए आलू डालें. इनको पलट-पलट गोल्डन ब्राउन होने तक तलें. और फिर तेल से निकाल कर छलनी में डाल दें. ऎसा करने से आलू में से फालतू तेल निकल जाएगा. आलू के लिए सास बनाएं: एक पैन में 2 चम्मच तेल गर्म करें और उसमें अदरक और हरी मिर्च डाल कर भूनें. आंच बिलकुल धीमी रखें. अब इसमें सोया सास, चिल्ली सास और टमैटो सास डाल कर मिला दें. 1 चम्मच कार्न फ़्लोर को ¼ कप पानी में डाल कर लमप्स खत्म होने तक मिलाएं. फिर इसे भुने मसाले में डालकर मिक्सर लें. नमक और चीनी डालकर 1-2 मिनट तक पका लें. अब तले हुए आलू, चिल्ली फ़्लेक्स और सिरका डाल कर अच्छे से मिला कर पकाएं. साथ ही आधा हरा धनिया भी डाल दें. चिल्ली पटैटो तैयार हैं. इन्हें एक प्लेट मे निकाल लें और हरे धनिया से सजाकर सर्व करें और मज़े से खाएं. ध्यान दें: अगर आप लहसुन और प्याज़ वाले चिल्ली पटैटो बनाना चाहते हैं तो 1 प्याज़ और 6 लहसुन की कलीयों को बारीक काट कर अदरक से पहले भून लें और फिर बताई विधि के अनुसार बना लें. मूंगफली की कुकीज मूंगफली की कुकीज बहुत ही स्वादिष्ट होती है। ये बच्चों को बेहद पसंद होती हैं। मूंगफली की कुकीज में सारी चीजें पोष्टिक होती हैं और इनको बनाना भी बहुत आसान है। तो आइये आज हम मूंगफली की कुकीज बनाएं। आवश्यक सामग्री: मूंगफली के दाने - 100 ग्राम (भून कर छील लें) गेहूँ का आटा या मैदा - 200 ग्राम चीनी - 100 ग्राम (पिसी हुई) घी या मक्खन - 100 ग्राम दूध - 1 टेबल स्पून कॉफी पाउडर - 1 छोटी चम्मच (यदि आप चाहें) बेकिंग सोडा़ - 1 छोटी चम्मच विधि: सबसे पहले मूंगफली के दानों को पीस कर हल्का दरदरा पाउडर बना लीजिये और फिर एक बर्तन में पिघला हुआ घी या मक्खन और चीनी डाल कर अच्छी तरह फेंट लीजिये। अब दूध में कॉफी पाउडर घोल कर उसे मक्खन-चीनी के मिश्रण में डाल कर फेंटिये और फिर इसमें मूंगफली के दानों का पाउडर, मैदा और बेकिंग पाउडर डालकर मिश्रण को तब तक फेंटिये जब तक कि वह फूल ना जाए (यह मिश्रण गुथे हुए आटे जैसा होना चाहिये)। बेकिंग ट्रे पर घी लगाकर मिश्रण से थोड़ा-थोडा़ मिश्रण निकालिये और उन्हें हाथों से पेड़े जैसा आकार देकर ट्रे में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर लगा दीजिये। अब इस ट्रे को ओवन के अंदर रख कर 200 डिग्री सेग्रे. पर बेक कर लीजिये। 15 -20 मिनट में कुकीज सिक कर तैयार हो जाएंगी। मूंगफली कुकीज तैयार हैं। अब इन्हें ठंडा करके खाइये और सबको खिलाइये। जो कुकीज बच जाएं उन्हें किसी एअर टाइट कंटेनर में भर कर रख दीजिये और 1 महीने तक जब दिल हो खाइये। दान में है कल्याण पोस्ट-इट नोट अखबार-मैग्ज़ीन आॅलिव आॅइल सिरका रबर बैंड वुमन प्राइड अवॉर्ड विजेताओं को माधुरी ने किया सम्मानित 30 August 2013 मुंबई. dainikbhaskar.com वुमन प्राइड अवॉर्ड समारोह मंगलवार को मुंबई में हुआ। बॉलीवुड एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित ने तीनों विजेताओं को ट्रॉफी और सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित किया। माधुरी विजेताओं का चयन करने वाली तीन सदस्यीय ज्यूरी में थीं। ज्यूरी मेंबर्स में एमसी मैरी कॉम और शोभा डे भी शामिल थीं। मध्य प्रदेश के जावरा की बबली गंभीर को विजेता ट्रॉफी दी गई। रतलाम की डॉ. लीला जोशी और राजस्थान के झालावाड़ की मंजू धाकड़ भी विजेताओं में शामिल रहीं। आपको बता दें कि वुमंस डे के मौके पर हमने अभावों के बीच संघर्ष कर प्रेरणा बनने वाली महिलाओं की कहानियां मांगी थी, जिसके जवाब में पूरे देश से हमें सैकड़ों कहानियां मिलीं। जिंदगी का सबसे खुशनुमा पल- माधुरी ने मुझे गले लगाया, ये मेरी जिंदगी का सबसे खुशनुमा पल था। उनके जैसी हस्ती से सम्मान मिलना वास्तव में बहुत बड़ी बात है। एक छोटे-से शहर से होने के बावजूद dainikbhaskar.com ने मेरी उपलब्धियों को दुनिया के सामने ला दिया। – बबली गंभीर माधुरी ने दिलाया मदद का भरोसा कार्यक्रम में माधुरी की मौजूदगी से खुशी हुई। माधुरी ने जल्द ही मेरे कार्यक्रम में शामिल होने की बात कही है और विश्वास दिलाया है कि वो अन्य सेलिब्रिटीज को भी इन बच्चों और गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए प्रेरित करेंगी। - डॉ. लीला जोशी सपना सच हो गया माधुरी जैसी शख्सियत से ये सम्मान मिलना सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने मेरे कार्यों की प्रशंसा की और मुझे गले लगाया। मैं एक छोटे शहर से हूं। dainikbhaskar.com का शुक्रिया, जिसने मुझे इस काबिल समझा और सम्मानित किया। - मंजू धाकड़
26 जनवरी समारोह में महिला सशक्तिकरण होगी झाँकियों की थीम महिलाओं के लिए कड़े कानून चाहती हैं बेबो 30 August 2013 मुंबई में महिला पत्रकार के सामूहिक दुष्कर्म के बारे में बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर का कहना है कि आज की परिस्थिति को ध्यान में रखकर भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े और कारगर कानून बनाने की जरुरत है. करीना ने कहा कि मेरा मानना है कि हमारे कानून में बहुत सी खामियां हैं जिसमें बदलाव की जरूरत है. हमें चीजों का फिर से आकलन करना होगा. ऐसा इसलिए कि देश का युवा गुस्से में है. उसकी हताशा और गुस्से पर गंभीरता से सोचना होगा. मुझे उम्मीद है कि हम उनके लिए इस देश के कानून का पुनर्मूल्यांकन करेंगे. उन्होंने कहा कि छोटी जगहों पर इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती रहती है और अब मुंबई में हुई. पूरे देश में दुष्कर्म हो रहा है. कई ऐसी जगहें हैं जहां से खबर नहीं आ पाती, मुझे लगता है कि शायद निरक्षरता इसका कारण हो. बेबो ने कहा कि उनकी बहन की बेटी छह साल की है. लिहाजा जब वह बड़ी होगी हम उसके लिए सुरक्षा का माहौल चाहते हैं. करीना को लगता है कि कसूरवार के बारे में बताने के साथ ही सूचनाओं का प्रसार करने की जिम्मेदारी मीडिया पर है पर ‘साधारण तौर पर सिनेमा किसी समस्या का समाधान नहीं दे सकता. बाहर अकेली न जाएं महिलाएं : हेमामालिनी 30 August 2013 आए दिन महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध को देखते हुए अभिनेत्री हेमा मालिनी ने महिलाओं को नसीहत दी है. हेमा ने कहा कि अगर खुद को सुरक्षित रखना है तो महिलाएं कभी भी अकेले घर से बाहर न निकलें. हाल ही में मुंबई में हुए महिला पत्रकार के साथ गैंगरेप के बाद हेमा का ये बयान सामने आया. हेमा ने कहा कि महाभारत में द्रौपदी को बचाने के लिए तो कृष्ण आ गए थे, लेकिन आज के समाज में इतने आध्यात्मिक लोग नहीं है कि आपको बचाने कोई आएगा. आपको खुद अपनी हिफाजत करनी होगी. हेमा का कहना है कि पुलिस और सरकार को महिलाओं की सुरक्षा के लिए और उपाय करने होंगे, लेकिन खुद महिलाओं को भी अपनी सुरक्षा के लिए ज्यादा सतर्क रहना होगा. उनके मुताबिक, मुंबई की शक्ति मिल की गैंगरेप की घटना हम सबके लिए एक सबक है. मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने पर समीक्षात्मक कार्यशाला 02 August 2013 भोपाल। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिये प्रदेश में किये जा रहे प्रयासों और गतिविधियों की समीक्षा एक कार्यशाला में की जायेगी। कार्यशाला 2 अगस्त को पूर्वान्ह में होटल जहाँनुमा पैलेस में आरंभ होगी। कार्यशाला में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्री प्रवीर कृष्ण तथा आयुक्त स्वास्थ्य सहित प्रदेश की राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन संचालक उपस्थित रहेंगे। कार्यशाला में प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर की दृष्टि से कमजोर स्थिति वाले 17 जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी संबंधित संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएँ और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी शामिल होंगे। महिला आरक्षण बिल का समर्थन करेगी भाजपा: सुषमा 17 July 2013 नई दिल्ली। भाजपा ने स्पष्ट किया है कि अगर केंद्र सरकार संसद में महिला आरक्षण विधेयक लाती है तो वह इसका समर्थन करेगी। लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि यह केंद्र पर निर्भर करता है कि वह महिला विधेयक को संसद में पेश करे। उनकी पार्टी पहले ही इस विधेयक के समर्थन का वादा कर चुकी है। भाजपा नेता सुषमा मंगलवार को यहां एसोचैम के एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंची थीं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक ताकत महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए जरूरी है। पंचायत स्तर पर महिला प्रतिनिधियों ने इस मिथक को तोड़ा है कि उनके लिए आरक्षण ठीक नहीं। सुषमा के मुताबिक, भाजपा शासित राज्यों ने अपने यहां पहले ही पंचायत स्तर पर महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। जब उनसे पूछा गया कि महिला आरक्षण विधेयक संसद में पास क्यों नहीं हो सका? तो सुषमा ने कहा कि यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि उसे संसद में पेश करे। जहां तक मेरी पार्टी का सवाल है तो वह पहले ही इसके समर्थन की घोषणा कर चुकी है।। महिलाओं के लिए विशेष हेल्थ बीमा लाएगी रिलायंस जनरल 15 July 2013 एथेंस। मोटर बीमा कारोबार में अपनी पैठ बनाने के बाद अब रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी हेल्थ इंश्योरेंस पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। कंपनी हेल्थ इंश्योरेंस बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर महिलाओं और बालिकाओं के लिए खास पॉलिसी बाजार में लाने की तैयारी में है। हेल्थ गेन नाम की यह पॉलिसी खासतौर पर स्वतंत्र व आजीविका के लिहाज से आत्मनिर्भर महिलाओं के लिए होगी। इस साल पहली अगस्त से इसे लांच किया जा रहा है। अनिल अंबानी समूह की इस साधारण बीमा कंपनी की हेल्थ इंश्योरेंस बाजार में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक 21 फीसद हिस्सेदारी थी। नई पॉलिसी के बाद इस हिस्सेदारी में तेज बढ़त की उम्मीद है। यदि कोई महिला परिवार के लिए नई पॉलिसी का आवेदन करती है तो उसे प्रीमियम पर पांच फीसद छूट मिलेगी। इसी तरह परिवार की बालिकाओं के लिए भी अलग से पांच फीसद की छूट मिलेगी। लेकिन एक पॉलिसी में कुल मिलाकर छूट 15 फीसद से ज्यादा नहीं होगी। हर साल मिलने वाले नो क्लेम बोनस को स्कीम में फिर से निवेश कर चार साल में बीमा राशि को दोगुना किया जा सकता है। नई पॉलिसी में क्लेम में होने वाली देरी पर कंपनी मुआवजे के तौर पर बीमा राशि में अतिरिक्त राशि का योगदान करेगी। इसके अलावा कंपनी ने कई बीमारियों के स्कीम में शामिल होने की समय सीमा को भी घटाया है। रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के सीईओ राकेश जैन ने कहा कि भारत में कुल कामकाजी लोगों में 20 फीसद महिलाएं हैं। लेकिन इनमें से केवल दो फीसद महिलाएं ही हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में हैं। इसे देखते हुए ही कंपनी ने महिलाओं और गर्ल चाइल्ड के लिए खास प्लान लाने की योजना बनाई है। पहले वर्ष में कंपनी ने चार लाख पॉलिसी बेचने का लक्ष्य तय किया है। जैन ने बताया कि देश में हेल्थ इंश्योरेंस कारोबार के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। भारत में हर साल करीब 18,000 करोड़ रुपये स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होते हैं, लेकिन इसका सिर्फ 10 फीसद हिस्सा ही हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में आता है। इस दस फीसद में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी कुल हेल्थ इंश्योरेंस का पांच फीसद से भी कम है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनी को 169 करोड़ रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम मिला। मौजूदा वित्त वर्ष में कंपनी एजेंटों की संख्या को 15,000 तक ले जाएगी। भारतीय महिला को मिला यूएई का प्रतिष्ठित अवार्ड 04 July 2013 दुबई। यूएई में पहली बार किसी भारतीय उद्यमी महिला को बिजनेस एक्सीलेंस के लिए वहां के प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया। यह पुरस्कार नर्सरी शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय काम करने के लिए वंदना गांधी को प्रदान किया गया है। ब्रिटिश ऑर्चर्ड नर्सरी की संस्थापक और सीईओ वंदना गांधी को अमीरात वुमेंस अवार्ड 2013 [ईडब्ल्यूए] दिया गया है। इस पुरस्कार को जीतने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुई वंदना ने कहा, यह पुरस्कार उनके लिए विशेष सम्मान है। इसे पाकर वह खुद को बहुत गौरवांवित महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा, दुबई सरकार की इस पहल से विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाएं प्रेरित होंगी और उनका हौसला बढ़ेगा। यूएई का यह प्रतिष्ठित पुरस्कार स्थानीय और प्रवासी उद्यमियों को प्रदान किया जाता है। विभिन्न वर्गो में विजेता का चयन नेतृत्व क्षमता, वित्तीय योजना, उपलब्धि स्तर, समाज में योगदान और नवाचार के आधार पर किया जाता है। सपनों को उड़ान देना तो कोई कल्पना से सीखे 01 July 2013 नई दिल्ली। कल्पना चावला अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। इस सफलता को हासिल करने के बाद वे लाखों महिलाओं की प्रेरणा बन गई। भले ही कल्पना ने छोटे से शहर में जन्म लिया हो, लेकिन सपने वे आसमां छूने के देखती थीं और उनकी ये सोच ही कई पीढि़ तक महिलाओं को कुछ कर गुजरने का हौसला देती रहेगी। 1 जुलाई, 1961 में हरियाणा के करनाल जिले में उनका जन्म हुआ था। कल्पना के पिता का नाम बनारसी लाल चावला और माता का नाम संज्योती था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनों में सबसे छोटी थी। शिक्षा कल्पना चावला ने करनाल के टैगोर स्कूल से स्नातक और चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की थी। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए टेक्सास विश्वविद्यालय गई, जहां से उन्होंने एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमए किया। 1988 से ही कल्पना चावला ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। 1995 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया। पहली अंतरिक्ष यात्रा कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा एसटीएस-87 कोलंबिया स्पेस शटल से संपन्न हुई। इस यात्रा की अवधि 19 नवंबर 1997 से लेकर 5 दिसंबर, 1997 तक रही। कल्पना चावला की दूसरी और अंतिम उड़ान 16 जनवरी, 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल से आरंभ हुई। यह 16 दिन का मिशन था। इस मिशन पर उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लगभग 80 परीक्षण और प्रयोग किए। वापसी के समय 1 फरवरी 2003, को शटल दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से कल्पना समेत 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई। कल्पना चावला एक जज्बा भले ही कल्पना आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपने जज्बे से जो मिशाल कायम की है इससे वे अमर हो चुकी हैं। महिला सशक्तिकरण की राह में कल्पना चावला ने नई इबारत लिखी है। माधुरी के मोबाइल एपलिकेशन को मिला अवार्ड 29 June 2013 मुंबई। बॉलीवुड की धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित के हजारों फैन्स हैं। माधुरी के डांस, लुक, स्माइल के हजारों लोग कायल हैं। अब जिस चीज से माधुरी जुड़ी हुई हों और उसे लोग पसंद न करें ऐसा कैसे हो सकता है। जी हां, दरअसल खबर यह है कि माधुरी के पर्सनल मोबाइल और टैबलेट को इंडियन डिजिटल मीडिया अवार्ड 2013 मिला। मोबाइल में मौजूद एपलिकेशन को उनके पति डॉक्टर श्री राम नैने ने लांच किया था। इस एपलिकेशन के जरिए माधुरी के फैन्स उन से जुड़ सकते हैं। इसके अलावा फैन्स माधुरी के गाने और उनकी लेटेस्ट फोटोज का भी लुफ्त उठा सकते हैं। अंतरिक्ष में चीन की दूसरी महिला यात्री 28 June 2013 बीजिंग : चीन सबसे लंबे अंतरिक्ष मिशन के तहत मंगलवार को अपनी दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री को स्पेस में भेजेगा. रूस के स्पेसलैब मीर के जवाब में चीन स्पेस में अपना अंतरिक्ष प्रयोगशाला बनाने की दिशा में काम कर रहा है. चीन के स्पेस प्रोग्राम के प्रवक्ता वु पिंग के मुताबिक शेंक्षाउ 10 अंतरिक्ष-यान एक लॉन्ग मार्च रॉकेट के माध्यम से मंगलवार को शाम पांच बजकर 38 मिनट पर रवाना होगा. पिछले वर्ष लियू यांग के अंतरिक्ष में जाने के बाद अब 35 वर्षीय वांग यापिंग अंतरिक्ष में जाने वाली चीन की दूसरी महिला होगी. इस बार चीनी अंतरिक्ष यान 15 दिनों की स्पेस की यात्रा पर जाएगा. गौरतलब है कि चीन अंतरिक्ष मिशन में अमेरिका और रूस को कड़ी चुनौती देने का मन बना चुका है और इसी के तहत वो अपने स्पेस कार्यक्रमों में तेजी ला रहा है. सबसे शक्तिशाली सेलिब्रिटी की सूची में ओप्रा विंफ्रे शीर्ष पर 27 June 2013 न्यूयार्क। दो साल दूसरे स्थान पर रहीं मशहूर टीवी प्रस्तोता ओप्रा विंफ्रे का नाम बुधवार को फोर्ब्स ने दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेलिब्रिटी के रूप में घोषित किया है। फोर्ब्स की इस सूची के शीर्ष दस शीर्ष लोगों में छह महिलाएं व चार पुरुष हैं। अपना टीवी नेटवर्क चलाने वाली विंफ्रे सौ शक्तिशाली सेलिब्रिटीज की वार्षिक सूची में पांचवीं बार शीर्ष स्थान पाया है। गायिका लेडी गागा दूसरे स्थान पर रहीं। तीसरे नंबर पर निर्माता-निर्देशक स्टीवेन स्पीलबर्ग रहे। इसके बाद गायिका बेओंस और मडोना को स्थान मिला है। इसकी घोषणा करते हुए फोर्ब्स डॉट कॉम की डोरोथी पोमेरांत्ज ने कहा, 'उस तरह की अनुरूपता और शक्तिवाला कोई और नहीं है। वर्ष 1999 से ही केवल तीन ही लोग हैं जो हमारी हर सूची में शामिल हैं। वे हैं ओप्रा, हावर्ड स्टर्न एवं स्टीवेन स्पीलबर्ग। इस सूची में पिछले साल इस सूची में पहले नंबर पर रहीं गायिका व अभिनेत्री जेनिफर लोपेज इस बार शीर्ष दस में भी स्थान नहीं पा सकी व उन्हें बारहवां स्थान मिला है। जून 2012 से 2013 तक 77 मिलियन डॉलर [करीब 468 करोड़ रुपये] कमाने के बावजूद विंफ्रे सबसे अधिक कमाने वाली सेलिब्रिटी नहीं हैं। इस अवधि में 125 मिलियन डॉलर [759 करोड़ रुपये] के साथ मडोना सबसे ऊपर हैं। एक तिहाई महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकार: सर्वे 25 June 2013 न्यूयॉर्क: हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में एक तिहाई से ज्यादा महिलाएं शारीरिक या यौन हिंसा की शिकार हैं और महिला विरोधी हिंसा की समस्या 'महामारी के स्तर' पर पहुंच चुकी है. डब्लूएचओ ने 'लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन' और 'साउथ अफ्रीका मेडिकल रिसर्च काउंसिल' की स्टडी में ये बात सामने आई. डब्लूएचओ की इस स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि शारीरिक और यौन हिंसा जन स्वास्थ्य की समस्या है जो दुनिया भर में एक तिहाई से ज्यादा महिलाओं को प्रभावित करती है. दुनियाभर में करीब 35 फीसदी महिलाएं अपने करीबी साथी या दूसरे की हिंसा का शिकार होती हैं. इसमें कहा गया है कि महिलाओं के लिए साथी या पति की हिंसा का सामना करना आम बात हो गई है. इस तरह की हिंसा से 30 फीसदी महिलाएं पीड़ित हैं. डब्ल्यूएचओ की महानिदेशक मार्गरेट चैन ने कहा कि इस रिपोर्ट से ये बात साफ होती है कि महिला विरोधी हिंसा एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है जो महामारी के स्तर पर पहुंच चुकी है. उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि दुनिया की स्वास्थ्य प्रणाली हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं के लिए और ज्यादा योगदान दे सकती है. मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाली मनमोहन की बेटी सम्मानित 24 June 2013 न्यूयॉर्क। जानीमानी विधि कार्यकर्ता व भारत के प्रधानमंत्री की बेटी अमृत सिंह को मानवाधिकार कानून की रक्षा से जुड़े उनके अभूतपूर्व कार्य के लिए अन्य प्रमुख भारतीयों के साथ सम्मानित किया गया है। उनके साथ सम्मान पाने वालों में अमेरिकी सांसद अमी बेरा और द यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआइडी) के प्रमुख राज शाह शामिल हैं। अमृत (43) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सबसे छोटी पुत्री हैं। वह न्यूयॉर्क स्थित ओपन सोसाइटी जस्टिस इनिशिएटिव में राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आतंकवाद प्रतिकार मुद्दों की वरिष्ठ विधि अधिकारी हैं। उन्हें इंडिया अब्रॉड संस्था द्वारा शुक्रवार को आयोजित समारोह में इंडिया अब्रॉड पब्लिशर का स्पेशल अवार्ड फॉर एक्सेलेंस-2012 प्रदान किया गया। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए द्वारा लोगों को प्रताड़ित किए जाने पर आधारित अमृत की रिपोर्ट 'ग्लोबलाइजिंग टॉर्चर : सीआइए सीक्रेट टॉर्चर एंड एक्ट्राआर्डिनरी रेंडिशन' को अंतरराष्ट्रीय मीडिया का बहुत ज्यादा ध्यान आकृष्ट किया था। इसमें वैश्विक यातना के संजाल का बहुत बारीकी व विस्तार से वर्णन है। इसे ओपन सोसाइटी जस्टिस इनिशिएटिव द्वारा गत फरवरी में प्रकाशित किया गया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान सहित 54 देशों ने अलकायदा के खिलाफ युद्ध में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के लिए अपने सीमा क्षेत्र में जेल और हिरासत में रखने, पूछताछ करने और संदिग्ध आतंकियों को यातना देने में सहायता की। इस रिपोर्ट में अलकायदा के खिलाफ अमेरिकी अभियान में शामिल देशों का ब्योरा है। इसके साथ ही उन 136 लोगों की पहचान उजागर की गई है जिन्हें पकड़कर सीआइए ने पकड़कर दूसरी जगह भेजा। इसमें यह भी बताया गया है कि उन्हें कब पकड़ा गया था बाल विवाह हुआ तो भुगतना होगी जेल की सजा 11 May 2013 'मध्यप्रदेश में बाल विवाहों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने इस साल भी सख्त कदम उठाये हैं। बाल विवाह की रोकथाम के लिए फरवरी माह से लागू लाड़ो अभियान की कार्य-योजना के तहत जिलों में विशेष गतिविधियाँ संचालित की गई हैं। अभियान को पूरे साल जारी रखने का निर्णय लिया गया है। जिला कलेक्टरों का ध्यान उन तिथियों की और दिलाया गया है, जिनमें बड़ी संख्या में विवाह अथवा सामूहिक विवाह समारोह होते हैं। इनमें अक्षय तृतीया अथवा आखा-तीज प्रमुख है, जो सोमवार 13 मई को है। बाल विवाह करना, बाल विवाह रोकथाम अधिनियम-1929 के अंतर्गत गैर कानूनी है। इसमे कैद या जुर्माना दोनों सजाएँ हो सकती हैं। इस अधिनियम की धारा-2 के उप खण्ड ‘क’ के अनुसार‘‘बालक’’ से अभिप्रेत, पुरूष से है जो इक्कीस वर्ष से कम आयु का हो और यदि नारी हो तो अठारह वर्ष से कम आयु की हो। उप खण्ड ‘‘ख’’ के अनुसार बाल विवाह से ऐसा विवाह अभिप्रेत है, जिसके बन्धन में आने वाले दोनों पक्षकारों में से कोई भी बालक हो। उप खण्ड ‘ग’ विवाह के ‘‘बन्धन में आने वाले पक्षकार’’ से संबधित है। पक्षकारों में से कोई भी जिसके विवाह का एतद द्वारा अनुष्ठान किया जाए या किया जाने वाला हो, से अभिप्रेत है। अधिनियम की धारा-3 में बाल विवाह करने वाले इक्कीस वर्ष से कम आयु के पुरूष वयस्क के लिए दण्ड का प्रावधान है। इसके अनुसार जो कोई अठारह वर्ष से अधिक या इक्कीस वर्ष से कम आयु का पुरूष होते हुए बाल विवाह करेगा, वह सादा कारावास से जिसकी अवधि 15 दिन तक की हो सकेगी अथवा जुर्माने से जो एक लाख तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डनीय होगा। धारा-4 में बाल विवाह करने वाले इक्कीस वर्ष से अधिक आयु के पुरूष वयस्क के लिए दण्ड का प्रावधान है। जिसके अनुसार जो कोई इक्कीस वर्ष से अधिक आयु का पुरूष होते हुए बाल विवाह करेगा वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की होगी, दण्डनीय होगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। अधिनियम की धारा-5 में बाल विवाह के अनुष्ठान पर दण्ड का प्रावधान है। इसके अनुसार जो भी बाल विवाह को सम्पन्न करेगा, संचालित करेगा या निर्दिष्ट करेगा वह जब तक यह साबित न कर देगा कि उसके पास विश्वास करने का कारण था कि वह विवाह, बाल विवाह नहीं था, तीन मास की अवधि के सादा कारावास की सजा तथा जुर्माने से दण्डनीय होगा। अधिनियम की धारा-6 में बाल विवाह से सम्बद्ध माता-पिता या संरक्षक के लिए दण्ड का प्रावधान है। माता-पिता या संरक्षक या अन्य किसी विधि पूर्ण या विधि विरूद्ध हैसियत से वयस्क की देख-रेख करने वाला कोई भी व्यक्ति जो विवाह को दुष्प्रेरित करने के लिए कोई अन्य कार्य करेगा अथवा उसका अनुष्ठान किया जाना अनुज्ञात करेगा अथवा अनुष्ठान का निवारण करने में उपेक्षापूर्ण असफल रहेगा, वह सादा कारावास से और जुर्माने से दण्डनीय होगा। कारावास की यह अवधि तीन मास तक की हो सकेगी परंतु कोई स्त्री कारावास से दण्डनीय नहीं होगी। इसी प्रकार धारा-12 में अधिनियम के उल्लंघन में किये जाने वाले विवाह का प्रतिषेध करने वाला आदेश निकालने की शक्तियाँ निहित हैं। दो भारतीय-अमेरिकी महिलाएं बनी 'चैंपियंस ऑफ चेंज' 04 May 2013 'रक्षा' की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अपर्णा भट्टाचार्य और 'वन अमेरिका' की प्रमुख प्रमिला जयपाल को व्हाइट हाउस में मिला सम्मान समाज में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारतीय मूल के दो अमेरिकियों को 'चैंपियंस ऑफ चेंज' सम्मान से नवाजा गया है। भारतीय मूल की दो महिलाओं अटलांटा की रहने वाली अपर्णा भट्टाचार्य और वाशिंगटन निवासी प्रमिला जयपाल एशिया और प्रशांत क्षेत्र के मूल निवासी उन अमेरिकियों में शामिल हैं जिनको अमेरिका के राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस में यह सम्मान दिया गया है। प्रवासी भारतीयों के परिवारों मुखर वकालत करने वाली, यौन हिंसा और उनके सुरक्षा, न्याय और स्वास्थ्य जैसे के मुद्दों पर काम करने वाली भट्टाचार्य जॉर्जिया राज्य के अटलांटा में 'रक्षा' नामक संगठन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। वह इस बात के लिए काम करती हैं कि प्रवासी लोगों को अटॉर्नी, कानून प्रवर्तन और सेवा प्रदाताओं से पूरा सहयोग मिले। भट्टाचार्य फिलहाल जॉर्जिया के घरेलू हिंसा के खिलाफ संगठन की सदस्य हैं। इसके अलावा वीआईडीए कानूनी सलाह और नेशनल इमीग्रेंट्स वूमन्स एडवोकेसी प्रोजेक्ट की सदस्य भी हैं। वहीं, यह सम्मान हासिल करने वाली दूसरी भारतीय मूल की अमेरिकी प्रमिला जयपाल ने अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले के बाद एक गैर-सरकारी संगठन 'वन अमेरिका' गठित किया जो इस समय वाशिंगटन में अप्रवासियों की पैरवी करने वाला सबसे बड़ा संगठन है। वह वाशिंगटन और पूरे अमेरिका में आव्रजन में अग्रिम सुधारों की दिशा में काम करती रही हैं। वी बिलांग टुगेदर की सह अध्यक्ष के रूप में वह आव्रजन के मामलों में सुधार की वकालत करती रही हैं। जयपाल फिलहाल सेंटर फॉर कम्युनिटी चेंज और यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन की लॉ स्कूल की प्रतिष्ठित अध्येता हैं। चैंपियन ऑफ चेंज प्रोग्राम अमेरिकी प्रशासन ने उन लोगों को सम्मानित करने के लिए शुरू किया था तो अपने प्रवासी समुदाय को सशक्त करने और प्रेरित करने के लिए असाधारण योगदान दे रहे हैं।े। महिलाओं, बच्चों के कल्याण पर इस साल 739 करोड़ अधिक खर्च होंगे 06 May 2013 मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण वाले महिला-बाल विकास विभाग के बजट में दसवें वित्तीय वर्ष में भी लगातार वृद्धि की है। बजट बढ़ाकर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि महिलाओं एवं बच्चों के विकास और संरक्षण के प्रति वह सजग है। वर्ष 2003-04 में महिला-बाल विकास विभाग का बजट जहाँ 385 करोड़ 89 लाख 59 हजार रुपये था, वहीं वर्ष 2004-05 के बजट में 5.95 प्रतिशत की वृद्धि कर 408 करोड़ 86 लाख 7 हजार रुपये किया गया। बजट में कुल वृद्धि 22 करोड़ 96 लाख 48 हजार रुपये की हुई थी। राज्य सरकार ने वर्ष 2005-06 में बजट राशि में 72 करोड़ 82 लाख 35 हजार रुपये की वृद्धि कर उसे 481 करोड़ 68 लाख 42 हजार रुपये तक पहुँचाया। बजट में यह बढ़ोत्तरी 17.81 प्रतिशत रही थी। राज्य सरकार ने अपने बुलंद इरादों को वर्ष 2006-07 में भी जारी रखा। तब बजट में 23.63 प्रतिशत की वृद्धि कर उसे 595 करोड़ 50 लाख 78 हजार रुपये तक पहुँचाया गया। बजट में 113 करोड़ 82 लाख 36 हजार रुपये की वृद्धि के फलस्वरूप योजनाओं का सफल क्रियान्वयन संभव हो सका। बजट में राशि बढ़ने का क्रम वर्ष 2007-08 में भी जारी रहा। इस वर्ष 96 करोड़ 36 लाख 34 हजार रुपये की बढ़ोत्तरी कर बजट को 691 करोड़ 87 लाख 12 हजार रुपये तक पहुँचाया गया। बजट में हुई यह वृद्धि 16.18 प्रतिशत थी। राज्य सरकार की यह प्रतिबद्धता वर्ष 2008-09 में भी जाहिर हुई, जब बजट को 33.89 प्रतिशत अधिक कर 926 करोड़ 36 लाख 76 हजार रुपये तक कर दिया गया। इस प्रकार बजट में कुल 234 करोड़ 49 लाख 64 हजार रुपये की बढ़ोत्तरी परिलक्षित हुई। वर्ष 2009-10 महिला-बाल विकास के लिये और उल्लेखनीय रहा। इस साल विभागीय बजट में एक बड़ी राशि 720 करोड़ 97 लाख 45 हजार की वृद्धि की गई। बीते वर्ष की तुलना में वर्ष 2009-10 की बजट राशि 77.83 प्रतिशत बढ़ाकर 1647 करोड़ 34 लाख 21 हजार रुपये की गई। यह वह साल था जब लाड़ली लक्ष्मी योजना, पोषण आहार व्यवस्था आदि पर सरकार का खास ध्यान रहा। बजट में वृद्धि की रफ्तार वर्ष 2010-11 में भी जारी रही। इस वर्ष विभागीय बजट में 23.19 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर उसे 2029 करोड़ 39 लाख 81 हजार रुपये किया गया। इसी तरह वर्ष 2011-12 में बजट 17.79 प्रतिशत बढ़ाकर 2390 करोड़ 43 लाख 19 हजार रुपये किया गया। लाड़ली लक्ष्मी योजना, बेटी बचाओ अभियान, अटल बाल मिशन आदि की सफलता को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2012-13 के बजट में 19.30 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि कर 2949 करोड़ 30 लाख रुपये किया। महिलाओं-बच्चों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए सरकार ने चालू माली साल के लिए बजट में 739 करोड़ 10 लाख रुपये का इजाफा कर उसे 3688 करोड़ 41 लाख रुपये तक पहुँचाया है। पिछले माली साल की तुलना में यह वृद्धि लगभग 25.06 प्रतिशत अधिक है।। सिविल सेवा परीक्षा: लगातार तीसरी बार महिला ने बाजी मारी 04 May 2013 नई दिल्ली। संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित कराई जाने वाली देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में लगातार तीसरी साल एक बेटी ने ही बाजी मारी है। 2011 बैच की आइआरएस केरल की हरिता वी. कुमार ने सिविल सर्विसेज परीक्षा 2012 में टॉप किया है। सामान्य, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों में भी युवतियों ने ही टॉप किया है। दूसरे स्थान पर केरल के वी. श्रीराम और तीसरे पर दिल्ली की स्तुति चरन हैं। सिविल सेवा परीक्षा शुरू होने के बाद 1991 के बाद इस बार केरल के किसी अभ्यर्थी ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। यही नहीं, चौथे स्थान पर भी केरल के ही एजे वर्गीज हैं। यूपीएससी 2012 की टॉपर हरिता वी.कुमार ने कहा, 'शुरुआत में मुझे भरोसा ही नहीं हुआ। मुझे लगा फोन पर बधाई देने वाले मेरे मित्र मुझे बेवकूफ बना रहे हैं। अपनी सफलता के लिए मैं अपने अध्यापकों, शुभचिंतकों और मित्रों को धन्यवाद देती हूं।' उल्लेखनीय है कि सिविल सेवा परीक्षा, 2011 में एम्स से एमबीबीएस शेना अग्रवाल ने टॉप किया था, जबकि 2010 में विधि स्नातक एस. दिव्यदर्शिनी ने बाजी मारी थी। कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग के मुताबिक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस), भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) जैसी केंद्रीय सेवाओं में नियुक्ति के लिए इस साल चयनित 998 में 753 युवक,जबकि 245 युवतियां हैं। इनमें 457 सामान्य वर्ग (23 विकलांग सहित), 295 ओबीसी (नौ विकलांग सहित), 169 अनुसूचित जाति (दो विकलांग सहित) और 77 अनुसूचित जनजाति से हैं। इस बार यूपीएससी ने कुल 1091 पदों के लिए परीक्षा आयोजित कराई थी। इस साल शीर्ष 25 अभ्यर्थी 12 राज्यों से हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। शीर्ष 25 में दिल्ली से 12, चार तिरुअनंतपुरम, दो चेन्नई, दो हैदराबाद और एक-एक जम्मू, मुंबई, जयपुर, चंडीगढ़ व इलाहाबाद से है। यूपीएससी, 2012 के लिए 20 मई, 2012 को हुई प्रारंभिक परीक्षा के लिए रिकॉर्ड पांच लाख 36 हजार 506 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, जिनमें दो लाख 71 हजार, 422 ने परीक्षा दी। मुख्य परीक्षा के लिए 13,092 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। इनमें 2,674 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए चुना गया। यूपीएससी के मुताबिक चयनित अभ्यर्थियों के अंक 15 दिन के भीतर वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट यूपीएससी डॉट जीओवी डॉट इन पर उपलब्ध हो जाएंगे। शिरीन चौधरी बनीं बांग्लादेश की पहली महिला स्पीकर 03 May 2013 ढाका। बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार किसी महिला को संसद के स्पीकर के रूप में चुना गया है। इस गौरव को हासिल करने वाली महिला का नाम है शिरीन शरमीन चौधरी। बंगलादेश की सत्तासीन पार्टी आवामी लीग ने एकमत होकर महिला एवं बाल कल्याण मंत्री श्रीमती चौधरी को बतौर स्पीकर चुना। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कुछ दिनों पहले ही यह ख्वाहिश जाहिर की थी कि वह स्पीकर के पद पर किसी महिला को देखना चाहती हैं। बांग्लादेश में कई महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना के अलावा सदन की डिप्टी लीडर और विपक्ष की नेता भी महिला ही हैं लेकिन स्पीकर पद के लिए पहली बार किसी महिला का निर्वाचन हुआ है। 69 साल के अब्दुल हामिद के देश का राष्ट्रपति नियुक्त होने के बाद बीते 24 अप्रैल से स्पीकर की कुर्सी खाली थी। हामिद जनवरी 2009 से स्पीकर पद पर थे लेकिन बीते मार्च में सिंगापुर में इलाज के दौरान राष्ट्रपति जिल्लुर्रहमान की मौत होने के कारण उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था। सेवानिवृत कर्नल शौकत अली संसद के डिप्टी स्पीकर बने रहेंगे। 47 साल की चौधरी आवामी लीग के अंतर्राष्ट्रीय मामलों की सचिव हैं और वह महिलाओं के लिए आरक्षित संसदीय सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं हैं। ढाका विश्वविद्यालय से 1989 में कानून की डिग्री हासिल करने के बाद चौधरी ने 2000 में ब्रिटेन के एसेक्स विश्वविद्यालय से मानवाधिकार और संसदीय कानून में डाक्टरेट हासिल किया। 2007 में चौधरी बांग्लादेश नारी समाज की सदस्य बन गई थीं। इसकी वजह से उनका स्पीकर चुना जाना धार्मिक रूप से कट्टर लोगों की नाराजगी का सबब बन सकता है। महिला कल्याण मंत्री के रूप में उन्होंने महिलाओं के कल्याण से जुड़े कई काम किए जिसका इस्लामी संगठनों ने हमेशा विरोध किया। बांग्लादेश की 345 सदस्यीय संसद की 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित है। भारत की 'आशा' को दुनिया की बेस्ट जॉब 02 May 2013 वाशिंगटन। ब्रिटेन में भारतीय मूल की महिला आशा पटेल को दुनिया की सबसे अच्छी नौकरियों में से एक कही जाने वाली नौकरी के लिए चुना गया है। इस नौकरी के दौरान आशा को देश के सबसे बेहतरीन रेस्तरां का खाना चखना है। इस जॉब को आप बेस्ट जॉब कहेंगे या नहीं। आशा को पश्चिम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मास्टर (खाना चखना) के लिए चुना गया है। इस नौकरी के लिए छह लाख लोगों ने आवेदन दिया था। आशा उन 24 लोगों में से एक हैं जिन्हें इस नौकरी के लिए चुना गया है। आशा लिसेस्टर के रूशी मेड में पली-बढ़ी। इस जॉब में आशा को ऑस्ट्रेलिया के बेहतरीन रेस्तरां और देश भर में बने अच्छे खाने को चखना होगा। इस नौकरी को ऑस्ट्रेलिया की पर्यटन वेबसाइट ने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ नौकरियों में से एक करार दिया है। बताया जाता है कि अब तक आशा फ्री लांस राइटर के तौर पर काम कर रही थीं। लेकिन यह काम काफी मजेदार और मस्ती वाला है। मलाला यूसुफजई को मिल सकता है नोबेल शांति पुरस्कार ओस्लो। पाकिस्तान में महिला शिक्षा की वकालत करने के कारण तालिबान हमले की शिकार बनी 15 साल की सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई का नाम इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के उम्मीदवारों की सूची में शामिल होने की खबर है। पुरस्कार की घोषणा इस साल अक्टूबर के आरंभ में होगी, लेकिन एक फरवरी को नामांकन की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद इस संबंध में अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। पिछले साल पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान ने मलाला की स्कूल बस को रोकर उस पर गोलियां चलाईं थी। उस घटना के बाद मलाला का इलाज रावलपिंडी के सैन्य अस्पताल और ब्रिटेन के अस्पताल में हुआ। माना जा रहा है कि मलाला के अलावा इस पुरस्कार के लिए बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेक्स बेलीत्स्की और रूस की ल्यूडमिला एलेक्सयेवा भी नामांकित हुए हैं। नोबेल शांति पुरस्कार किसे मिलेगा इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसके नामांकनों को गोपनीय रखा जाता है। महिलाओं पर अत्याचार पर कड़ी सजा का अध्यादेश नई दिल्ली।। बलात्कार के गंभीर मामलों में आरोपी को सजा-ए-मौत देने की बात सैद्धांतिक रूप से सरकार ने भी मान ली है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की विशेष बैठक में जस्टिस वर्मा कमिटी के सुझावों पर आधारित संशोधित कानून को मंजूरी दे दी गई। इसके आधार पर सरकार अध्यादेश जारी करके रेप के मामलों से निपटने के लिए सख्त कानून लेकर आएगी। अब इस अध्यादेश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही इसे नोटिफाई करके लागू कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि 16 दिसंबर को दिल्ली में पैरामेडिकल स्टूडेंट से गैंगरेप के बाद सरकार ने मौजूदा रेप कानून में बदलाव करने और उसे ज्यादा सख्त बनाने के लिए जस्टिस जे.एस. वर्मा की अध्यक्षता में कमिटी बनाई थी। इसी के सुझावों के अनुरूप अध्यादेश लाने का फैसला किया गया है। मौजूदा आपराधिक कानून में कई अहम बदलाव करने के लिए अध्यादेश को यह मंजूरी संसद के बजट सत्र से महज 20 दिन पहले दी गई है। अपराधियों का गढ़ बनता मध्य प्रदेश -बलात्कार के मामले देश में सबसे ज़्यादा मप्र में -पुलिस पर भी हमलों में इज़ाफा भोपाल (मेट्रो मिरर टीम). देश भर में अपनी शांत छवि के लिए जाना जाने वाला मध्यप्रदेश और गंगा जमुनी संस्कृति के लिए ख्यात इसकी राजधानी भोपाल अपराध और अपराधियाओं की गिरफ़्त में है. क्राइम रेट तेज़ी से बढ़ा है. यहाँ तक की बेटियों के लिए दिन रात चिंता में घुली जा रही प्रदेश की भाजपा सरकार के कार्यकाल में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध देश में सबसे ज़्यादा मध्य प्रदेश में ही हो रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2007-2011 के बीच में मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के सर्वाधिक 15,275 अपराध दर्ज किए गये. जबकि पश्चिम बंगाल में 11,427, उत्तर प्रदेश में 8,834 तथा महाराष्ट्र में 7,703 प्रकरण दर्ज किए गये. यही नहीं भोपाल में ही महिलाओं के खिलाफ अपराध का ग्राफ बड़ा है. पिछले साल 2011 में ही महिलाओं के खिलाफ अलग- अलग मामलों में करीब 452 मामले दर्ज किए गये. इनमें बलात्कार के 135, छेड़छाड़ के 146, अहरण के 54, दहेज प्रताड़ना के 20 तथा पति व परिजनों द्वारा प्रताड़ित मामलों के 97 प्रकरण दर्ज हैं. अकेले बलात्कार के मामलों पर नज़र डालें तो इनकी संख्या में पिछले चार सालों में ही तेज़ी आई है. पुलिस से प्राप्त आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 2001 से लेकर 2010 के बीच महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामलों में बलात्कार के करीब 983, छेड़छाड़ के 2060, अहरण के 415,, दहेज हत्या के 240, यौन उत्पीड़न के 555 तथा पति व परिजनों द्वारा प्रताड़ित मामलों के 1515 प्रकरण दर्ज किए गये हैं. आँकड़ों को देखे तो पता चलता है को महिलाएँ घर से बाहर तो दूर खुद घर में ही सुरक्षित नही हैं. यह हाल जब राजधानी के हैं तो प्रदेश के बाकी जिलों के कैसे होंगे इसका अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है. चिंता की बात यह है कि अपराधियों के हौंसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं. सबसे ज़्यादा चौंकाने वाला पहलू यह है कि पिछले एक दो साल में ही पुलिस पर ही हमलों की संख्या बढ़ गई है. देखा जाए तो पुलिस खुद ही असहाय सा महसूस करने लगी है. हाल ही में मीडिया में आई खबरों पर नज़र डालने पर पता चलता है की खुद पुलिस बल भी अपराधियों के निशाने पर हैं. बीते एक साल में ही प्रदेश के करीब 65 पुलिस जवानों पर हमले हो चुके हैं. हाल ही में खनन माफ़िया का शिकार बने मुरैना के एसडीओपी आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह की हत्या इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. कुछ ही दिन पहले रेत माफ़िया ने दो पुलिस के जवानों को ट्रेक्टर से कुचलने की कोशिश की थी. कुछ ही दिन पहले रेत माफ़िया ने पन्ना में दो पुलिस के जवानों को ट्रेक्टर से कुचलने की कोशिश की थी. नरेंद्र कुमार सिंह की हत्या के दो दिन बाद ही भिंड जिले में शराब माफ़िया ने एक पुलिस वाले पर अटैक किया था. मध्य प्रदेश में 2010 में करीब 82 पुलिस वाले अलग-अलग घटना में घायल हुए तथा 3 की मौत हो गई. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार डकैतों के खिलाफ चल रहे अभियान में जहाँ एक पुलिस जवान शहिद हुआ वहीं दो अपराधियों के साथ मुठभेड़ में शहिद हुए. 64 पुलिसवाले अपराधियों के हमले में घायल हुए जबकि 18 दंगों जैसे बनी स्थिति से निपटने के दौरान भीड़ का शिकार हुए. सूत्रों की माने तो खुद पुलिस जवान हैरान है की उन पर हमले कैसे हो रहे हैं ? भोपाल संभाग के क्राइम का रिकार्ड
मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधिक मामलों की संख्या
PRCI Daughters day 1July I appreciate the exclusive initiative of PRCI and Metromirror.com & I am happy to announce the Rs.2lakh National Award for the talented Daughter of MP from the next year- Laxmikant Sharma PR Minister. Following are the recepients of the 'Daughters of Bhopal Awards' Ujma zamali Journalist (PHD in Journalism), Suchandana Gupta Journalist (Times of India) ,Deepti Chaurasia Journalist (AAj tak) ,Shaifali Pandey Journalist (Voice of India) ,Shravani Sarkar Journalist (Hindustan Times), Jyotsana Panth Journalist(DB star) ,Preeti Sharma Journalist (City Bhaskar), Sneha Khare Journalist (Patrika) , Seema Raizada Professor(Nutan College), Meenakshi Natrajan Politican ,Monal Singh Blood Donation Activist,Jaya Arya Social Worker, Jyoti Agarwal Abhivyakti Kala Kendra, Divyanka Tripathi TV Artist, P.Bhawani Singer, Kushi Sharma Child Artist ,Reet Radio Jockey (98.3 Radio Mirchi), Captain Ruchi Vijayvergia Business Women(Peoples Group) ,Anju Mallick Business Women (CI Hyundai) ,Poonam Chauksey Director (LNCT Group), Sahana Roy Director(Time Institute) ,Sufia Khan Young IAS ,Ruchi Shrivastava IPS (ASP), Nikky Baba Spa Treat(Beautician) ,Doctor Pooja Yadav MBBS Topper (GMC) .
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---More Readers views about the awards... Honouring talented daughters Public Relations Council of India, Bhopal Chapter & Metro Mirror.Com created history by honouring talented 'daughters' of Bhopal at a function recently. This is a laudable step and needs to be supported by all citizens claiming to be for women empowerment. One can just visualise how these talented daughters, drawn from different fields, would have felt thrilled on getting recognition for their contribution in their respective professions. The presence of the Public Relations Minister, Shri Laxmikant Sharma and other dignitaries is a testimony of their support to such a cause. Mass media is also to be lauded for giving good coverage to this event thereby recognising the awardees and motivating other 'daughters' of Bhopal. In fact, parents, teachers and the society should take it as their moral responsibility to do everything to encourage and motivate their wards (both women and men) to be performers and achievers -- road to overall progress of the nation. C.K. Sardana [(General Manager BHEL (Redt)] M - 09893556483 M-177 Gautam Nagar Bhopal-462023
Mutual Understanding is must between 'Saas' & 'Bahu' When a newly married girl enters her new home that is 'Sasural', she is surrounded by many conceptions towards her 'Saas'. The same thing occurs to her Sass. In both the cases, both of them are often in dilemma of their new positions in the home. In Indian films, ' the Saas' has not been given a positive look toward ' the Bahu'; nevertheless, exceptions do exist. All these films & some prevailing horrible stories posing the negative aspect of the Sass in the society create fear. However, this is one aspect of a coin, the other aspect is not horrible & you may be marked with this positive aspect if you try to become a kind & mother-like 'Sass' to your 'Bahu'. If you have become or are going to become a member of the "Saas club" you should take care of�
1....that everything has now changed. In past days, the 'Bahu' was made only for taking care of her 'Sasural', but, nowadays a 'Bahu' is normally educated & having her own ideas. You should not expect your Bahu to change herself completely. You should create such an environment in which she could feel free & not suffocated.
Thumb-sucking is a common problem among kids,& every mother has to face it. Generally, kids from 8 month to 1 year are found having this practice. In realty, the kids are very eager & keen about his surroundings & in an effort to know it, he just finds his mouth alone fit for knowing it by test. |