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20 लाख की आइसक्रीम, सबसे महंगी:सीक्रेट रेसिपी बनाई तो मिली आजीवन पेंशन, कहीं सम्राट था दीवाना ; आइसक्रीम जैसी हर चीज आइसक्रीम नहीं
27 March 2023
क्या आपने 20 लाख की आइसक्रीम सुनी या देखी है? बीते साल जुलाई में दुनिया की सबसे महंगी आइसक्रीम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज की गई। जिसका नाम ‘फ्रोजेन हाउते चॉकलेट आइसक्रीम सुनाडे’ है।
इसे अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क के सेरेनडिप्टी-3 रेस्तरां ने तैयार किया था, जिसकी कीमत 25 हजार डॉलर यानी करीब 20 लाख रुपए थी।
इस महंगी आइसक्रीम को न्यूयॉर्क के यूफोरिया ज्वेलर्स की मदद से तैयार किया गया था। इसे बनाने में 28 काेकोज का इस्तेमाल हुआ, जिनमें दुनिया के सबसे महंगे 14 कोको थे।
आइसक्रीम 23 कैरेट सोने के वर्क से सजी थी। आइसक्रीम की प्लेट भी 18 कैरेट के सोने की थी और 1 कैरेट सफेद हीरे से सजी थी। आइसक्रीम खाने के लिए बने सोने के चम्मच पर वाइट डायमंड जड़ा था। आइसक्रीम खाने के बाद चम्मच अपने साथ ले जा सकते हैं।
मगर ध्यान रहे आजकल आइसक्रीम के नाम पर फ्रोजन डेजर्ट बेचने का कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्‍की कर रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक फ्रोजन डेजर्ट लगातार खाते रहने से मोटापा, हार्ट और लिवर की समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
आइसक्रीम बनाने वाली कंपनियां दूध के बढ़ते दाम से सहमी हुई हैं। कंपनियों का कहना है कि दूध महंगा होने के बावजूद वो आइसक्रीम के कुछ ही फ्लेवर्स के दामों में बदलाव करने जा रही हैं।
‘हैवमोर’ आइसक्रीम की मैनेजिंग डायरेक्टर कोमल आनंद कहती हैं कि आइसक्रीम की लागत हमें मार रही है।
हम ऐसे बिजनेस में हैं जिसमें पूरी लागत और मुनाफा कंज्यूमर पर नहीं लाद सकते। आइसक्रीम के दाम में बढ़ोतरी करने से इसकी मांग में कमी आ जाएगी जिससे बिजनेस पर बुरा असर पड़ेगा।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने चेतावनी दी है कि इस साल दुनिया और भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ेगी। जब गर्मी बढ़ेगी तो आइसक्रीम की डिमांड बढ़ना तय है।
दिल्ली के यमुना किनारे बसी गीता कॉलोनी में एक ऐसी दुकान है, जहां आइसक्रीम और कुल्फी को मिलाकर एक शानदार मीठी ठंडी डिश बनाई जाती है। यहां रामलीला ग्राउंड के ठीक सामने ‘धनी राम कुल्फी वाले’ की दुकान है।
चूंकि इस दुकान का संबंध पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक से रहा है इसलिए यह लोगों में ‘धनी राम कुल्फी चांदनी चौक वाले’ के नाम से पॉपुलर है।
यह रोलर फ्रूट आइसक्रीम असल में कुल्फी और आइसक्रीम के अलावा फलों को मिलाकर बनाई जाती है, जिसमें कुल्फी और रबड़ी का जायका भी आता है।
इस डिश को बनते देखना भी अलग ही तरह का अनुभव है। एक ड्रमनुमा रोलर में बर्फ के साथ-साथ नमक को ठूंस-ठूंसकर भरा जाता है। फिर इस रोलर को लगातार घुमाने के लिए उसे खास तरह के रंदे पर चढ़ा दिया जाता है। उसके बाद फ्रूट आइसक्रीम बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
घूमते हुए रोलर के ऊपर गाढ़ी रबड़ी या क्रीम और फल के रस की धार डाली जाती है। यह धार रोलर पर डालते ही लेयर जमने लगती है।
जम जाने के बाद एक प्लेट में इस लेयर को खुरचा जाता है और स्वादिष्ट रोलर फ्रूट आइसक्रीम खाने के लिए तैयार हो जाती है। आइसक्रीम के मुंह में जाते ही कभी संतरे का स्वाद आता है, कभी रबड़ी और क्रीम का तो कभी दूसरे फलों का।
आइसक्रीम खाना कौन पसंद नहीं करता। लेकिन क्या आपको पता है कि इंसान 4 हजार साल पहले से आइसक्रीम खा रहा है।
हालांकि, इसे खोजने वाले का कोई अता-पता नहीं है, लेकिन सिकंदर के किस्सों से लेकर बाइबल तक में आइसक्रीम का जिक्र आता है।
बाइबल में तो यहां तक कहा गया है कि राजा सोलोमन फसल की कटाई के दौरान आइस ड्रिंक पीने के शौकीन थे। वहीं, सिकंदर के बारे में ये बताया गया है कि वह शहद और फूलों के शरबत से बनी आइसक्रीम खाया करता था।
पहली सदी में रोम का शासक रहा नीरो भी फलों के रस से बनी आइसक्रीम का शौकीन था।
कई एक्सपर्ट नीरो को आइसक्रीम के आविष्कार का श्रेय देते हैं। उस दौर में नीरो ने कई बार अपने गुलामों को पहाड़ों से बर्फ लाने के लिए भेजा, ताकि शहद और फलों में बर्फ डालकर खाने का मजा लिया जा सके।
एक दावा यह भी है कि चीन में करीब 5 हजार साल पहले दुनिया की पहली आइसक्रीम बनाई गई। सातवीं सदी के चीनी राजा तांग ने पहली बार दूध की बनी आइसक्रीम खाई थी।
ब्रिटिश शासक चार्ल्स द्वितीय ने जब 1671 में पहली बार आइसक्रीम खाई, तो वो उसके ऐसे दीवाने हुए कि उन्होंने अपने शेफ को इसकी रेसिपी सीक्रेट रखने के लिए लाइफ टाइम पेंशन देना मंजूर किया।
आइसक्रीम का पहला लिखित रिकॉर्ड मध्य पूर्व के दक्षिण पश्चिम एशियाई देश सीरिया में मिला है। करीब 3803 साल पहले पत्थर पर छपी पुरानी लिपि में जिक्र है कि मारी के राजा ने एक ‘आइस हाउस’ बनवाया था, जिसमें पहाड़ों से बर्फ लाकर जमा की जाती थी।
ईरान में 500 साल पहले ईरानी लोग सर्दियों में पड़ने वाली बर्फ को ‘यखचल’ यानी ‘आइस हाउस’ में इकट्‌ठा करते थे। इस तरह से सहेजकर रखी गई बर्फ को वे अंगूर के रस के साथ मिलाकर खाते थे।
भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल शासक हिंदुकुश पहाड़ियों से बर्फ मंगाया करते थे। इसके बाद आइसक्रीम बनाई जाती और उसे शरबत की तरह दरबार में पेश किया जाता।
रिसर्च एंड मार्केट के मुताबिक, 2022 में भारत की आइसक्रीम इंडस्ट्री 19,400 करोड़ रुपए के पार पहुंच गई, जिसके 2028 तक 50,800 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है।
वहीं, 80 प्राइवेट आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर को लीड करने वाले इंडियन आइसक्रीम मैन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन का कहना है कि 2022 में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-NCR, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे शहरों में सबसे ज्यादा आइसक्रीम खरीदी गई।
डिमांड में बढ़ोतरी की वजह बढ़ती गर्मी, रेस्टोरेंट, ऑफिस और स्कूल-कॉलेजों का खुलना रहा। दूध वाली आइसक्रीम और डेयरी बेस्ड बेवरेजेज दोनों में 35-40% की ग्रोथ देखी गई।
मुंबई में आइसक्रीम संस्कृति पर पारसियों और सिनेमा का बड़ा असर रहा है। पुराने मुंबई शहर, जिसे आज ‘टाउन’ कहते हैं, वहां लंबे समय से आइसक्रीम और कुल्फी का बोलबाला था।
1950 के दशक से मुंबई में रहे बुजुर्ग बताते हैं कि उस जमाने में फिल्म देखने जाते तो आइसक्रीम खाना तय था। आमतौर पर लोग महीने में एक-आध बार फिल्म देखने जाते और वहां निश्चित रूप से आइसक्रीम जरूर खाते।
उस दौर में पूरे मुंबई के सिनेमाघरों में दो ही ब्रैंड की आइसक्रीम मिलती थीं। इनमें 'क्वालिटी' का लगभग एकछत्र साम्राज्य था, जबकि 'जॉय' की उपलब्धता कम थी। इन आइसक्रीम में दो फ्लेवर सबसे लोकप्रिय थे।
वनीला चार आने यानी 25 पैसे की होती, जबकि चॉकलेट आइसक्रीम की कीमत पांच आने थी। उन दिनों यह कीमत भी कई लोगों की जेब पर भारी पड़ती। ऐसे में बॉम्बे के गर्म मौसम में लोगों का सहारा कुल्फी वाले हुआ करते।
मटके में नमक और बर्फ के पारंपरिक तरीके से कुल्फी बनाने वाले लोग गलियों में निकलते और एक आने से भी कम की कुल्फी बेचते। 80 का दशक आते-आते सिनेमा का ढंग बदला। इसका तगड़ा असर बॉम्बे की आइसक्रीम इंडस्ट्री पर भी पड़ा और इसकी बिक्री घट गई।
आज आइसक्रीम की जगह पॉपकॉर्न ने ले ली और थिएटर में आइसक्रीम खाते हुए फिल्म देखना महज एक याद बनकर रह गया।
बंबई के दिल में स्थित ब्रेबॉर्न स्टेडियम के पास ‘के रुस्तम’ नाम की आइसक्रीम शॉप की बंबई के इतिहास में अलग जगह है। कई दशकों से मौजूद इस आइसक्रीम स्टोर पर दूर-दूर से लोग आइसक्रीम खाने आते हैं।
इनकी आइसक्रीम की खासियत है कि इसमें फलों के ताजा रस का स्वाद होता है और उसे वेफर्स के बीच में दबाकर सैंडविच की तरह दिया जाता है।हालांकि, पारसियों की लोकप्रिय आइसक्रीम में एक और नाम ‘पारसी डेयरी फार्म’ का भी है, जो अपने तमाम उत्पादों के साथ-साथ आइसक्रीम भी बनाते हैं।
वैसे बंबई के आइसक्रीम के खेल को दो लोगों ने ऐसा बदला कि इसका नया स्वाद पूरे भारत को मिला। अहमदाबाद के वाडीलाल गांधी का दशकों पुराना आइसक्रीम कारोबार था।
जब इस कारोबार को बतौर ब्रैंड स्थापित करने का खयाल वाडीलाल परिवार को आया, तो उनके सामने इसके देसी नाम को ब्रैंड बनाकर स्थापित करना एक बड़ी चुनौती थी। इसके चलते इसके विज्ञापन पर काफी खर्च हुआ और यह प्रयास सफल भी रहा।
आइसक्रीम की दुनिया में बड़ा क्रांतिकारी बदलाव लेकर आने का श्रेय नेचुरल्स आइसक्रीम के रघुनंदन कामथ को मिलना चाहिए। उन्होंने ताजा फलों और आइसक्रीम को मिलाकर जो नए तरह की आइसक्रीम बनाई, वह एक क्रांतिकारी कदम था।
रघुनंदन के पिता का फलों का कारोबार था और उन्होंने अपनी मां के आइसक्रीम बनाने के तरीकों को विकसित करके, मुंबई के जुहू इलाके में आइसक्रीम की एक दुकान खोली। यहां मिलने वाली आइसक्रीम में हर चीज नेचुरल होती है। कोई भी रासायनिक फ्लेवर या टेस्ट नहीं मिलाया जाता।
मुंबई में पैदा हुए और पले-बढ़े जमील गुलरेज बताते हैं कि नेचुरल्स के आने से पहले भी मुंबई में अलग-अलग फलों के फ्लेवर वाली आइसक्रीम मिलती थी, लेकिन उनमें फल नहीं होते थे। नेचुरल्स की आइसक्रीम में उन फलों के स्वाद के साथ-साथ उन फलों का टेस्ट भी मिलता है।
अगर नारियल है तो नारियल का अहसास आएगा और चीकू है तो चीकू। आइसक्रीम अगर काजू, जामुन या सीताफल है, तो इन फलों का भरपूर मजा मिलेगा। सन् 1984 में एक दुकान से शुरू हुई नेचुरल्स आज की तारीख में एक स्थापित चेन बन चुकी है।
वैसे उनके लोकप्रिय जायके में नारियल और अमरूद की खास जगह है। खास तौर पर अमरूद की आइसक्रीम पर वे ऊपर से लाल मिर्च बुरक कर देते हैं, जिसका मीठा और तीखा जायका लोगों को अलग मजा देता है।
पर्यावरण के प्रति दुनिया में जागरुकता फैलाने को लेकर 3 साल पहले आइसक्रीम का फोटो एक प्रतीक बन गया था। दरअसल 2019 में
Initiative United North-East पेज पर एक फोटो पोस्ट की गई जिसमें आइस-क्रीम को केले के पत्ते से बनी पैकेजिंग में परोसा गया।
इस अनोखी पैकेजिंग की वजह से सोशल मीडिया पर लोगों ने इस आइडिया को बहुत सराहा। अब तक इस पोस्ट को 65 हजार से ज्यादा लोगों ने शेयर किया है और करीब 24 हजार लोग लाइक कर चुके हैं।
केले के पत्ते की बनी कटोरी में आइसक्रीम और लकड़ी का चम्मच प्लास्टिक का बेहतर विकल्प बनने के लिए काफी है।

संपादकीय

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