क्या खाया क्या पाया!
पोषण और फिटनेस से जुड़ी जाने कितनी ही बातें हम जानते हैं। इनके बारे में दूसरों को सुझाव भी देते हैं। तो आइए, जांच लेते हैं कि जिन बातों पर हम यकीन करते हैं, उनमें कितनी सच्चाई है, कितना भ्रम...
क्या खाया क्या पाया
(1) भोजन में वसा रहेगी, तो मोटापा बढ़ेगा।
1. हां। 2. नहीं।
3. मात्रा पर निर्भर करता है।
4. तेल से नहीं, केवल घी, मक्खन आदि से बढ़ता है।
(2) रात को चावल नहीं खाने चाहिए, नुकसान करते हैं।
1. हां। 2. नहीं।
3. खाकर तुरंत सोने से नुकसान होता है।
4. पनी निथारकर खा सकतें हैं।
(3) रात के भोजन में दाल हो, तो नुकसान करती है।
1. हां, इससे वजन बढ़ता है।
2. नहीं।
3. होनी चाहिए, ये प्रोटीन का स्त्रोत है।
4. एक आयु के बाद ऐसा होता है।
(4) बाजार में मिलने वाले लो फैट फूड फायदेमंद होते हैं और फिट रखते हैं।
1. सही है।
2. बिल्कुल नहीं।
3. निर्भर करता है कि साथ में क्या खा रहे हैं।
4. शाम के बाद न खाएं, क्योंकि तब पचाना मुष्किल होगा।
(5) काजू कोलेस्ट्राॅल बढ़ाता है।
1. हां। 2. नहीं।
3. निर्धारित मात्रा में ले सकते हैं।
4. केवल काजू न खाएं, साथ में अन्य मेवे भी लें, तो नहीं बढ़ेगा।
(6) शहद व नींबू को गुनगुने पानी में लेने से वनज घटता है।
1. हां।
2. सुबह खाली पेट लेने से फायदा होता है।
3. खाने के साथ लें, तो बेहतर।
4. यह केवल भ्रम है।
(7) शक्कर की जगह गुड़ या शहद का इस्तेमाल बेहतर होता है।
1. बिल्कुल सही।
2. बिल्कुल गलत।
3. मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा हो सकता है।
4. बेहतर पोषक तत्व मिलेंगे।
(8) गृहिणियां घर के कामों में ही इतना व्यायाम कर लेती हैं कि अलग से करने की जरूरत नहीं है।
1. हां। 2. नहीं।
3. अगर झाडू आदि खुद करती हैं, तो ठीक है।
4. सुबह-सुबह घर के काम करने वालों के लिए ये सच है।
(9) दूध पीने से कफ बनता है।
1. हां। 2. नहीं।
3. खाली पेट पिएं, तो बनता है।
4. खांसी आ रही हो, तो बनेगा।
(10) चावल खाने से मोटापा बढ़ता है।
1. हां।
2. नहीं।
3. निर्धारित मात्रा में ले सकते हैं।
4. पानी निथारकर नहीं लें, तों बढ़ेगा।
उत्तर...
1. (3) निर्धारित मात्रा है 5 छोटे चम्मच प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन। इतनी मात्रा में तेल, घी, मक्खन कुछ भी लें, नुकसान नहीं करेगा।
2. (2) चावल के साथ दाल और चपाती हो, तो चावल नुकसान नहीं करते।
3. (3) दिन की तरह रात के भोजन में भी संतुलित पोेषण होना चाहिए। एक कटोरी दाल रात में भी खाना चाहिए।
4. (2) लो फैट हुए तो क्या, उनमें सोडियम, ष्षक्कर या मैदा ज्यादा हो सकती है, तो नुकसान ही करेगी।
5. (3) किसी भी ष्षाकाहारी भोज्य पदार्थ में कोलेस्ट्राॅल नहीं होता, इसलिए काजू भी निर्धारित मात्रा में ले सकते हैं।
6. (4) यह केवल भ्रम है। किसी भी भोज्य पदार्थ में ये गुण नहीं होता कि वनज घटा सके।
7. (2) तीनों में ऊर्जा बराबर मात्रा में होती है। पोषक तत्व इतने कम होते हैं कि अंतर नहीं पड़ता।
8. (2) व्यायाम करते समय लगातार बिना रूके पूरे ध्यान से व्यायाम किया जाता है। घर के कामों में क्रियाएं रूक-रूककर की जाती हैं, सो पर्याप्त व्यायाम नहीं होता।
9. (2)दूध पेट में जाता है, कफ फेफड़ों में संक्रमण का नतीजा होता है। दोनों का आपस में कोई ताल्लुक नहीं है।
10.(3)कोई भी 100 ग्राम अनाज एक जैसी ऊर्जा देता है। आप इसका संतुलन बनाएं रखेंगे, तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
स्वास्थ्य अपडेट
1-पुरुषों की तुलना में महिलाएं अलग तरह से फैट बर्न करती हैं। पुरुष जल्दी फैट बर्न करते हैं और उनकी मसल्स ज्यादा बढ़ती हैं क्योंकि उनमें अतिरिक्त टेस्टोस्टेरॉन होता है।
2-महिलाओं में उतना ही टेस्टोस्टेरॉन लेवल होता है जितना एक 10 साल के बच्चे में होता है जबकि उनमें फैट सेल्स पुरुषों की तुलना में पांच गुना ज्यादा बड़े होते हैं।
3-रिसर्च में यह साबित हो चूका है कि एक्सरसाइज करने और दौड़ने से सिर्फ शरीर ही नहीं दिमाग पर भी असर होता है । इससे आपका मूड अच्छा होता है , ब्रेन पावर और आत्मविश्वास भी बढ़ता है ।
4-दुबले होने के लिए खाना छोड़ने पर शरीर भूख लगने के डर से फैट बचाकर रखने लगता है। यानी आप फैट हटाने की बजाय उसे बचाने लगते हैं और मोटापा बढ़ने लगता है।
गत सात दिवस में स्वाईन फ्लू से 8 की मृत्यु
भोपाल। राज्य में स्वाईन फ्लू पर नियंत्रण के प्रयास तेजी से सफल हो रहे हैं। प्रदेश में 11 से 15 फरवरी के दौरान पाँच दिवस में कुल 7 मृत्यु और 17 फरवरी को एक मृत्यु की सूचना है। बहुआयामी प्रयासों के कारण अब तेजी से स्थिति में सुधार हो रहा है।
मध्यप्रदेश में अब शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष फोकस- CM श्री चौहान
भोपाल। मप्र के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि रोटी, कपड़ा, मकान और पढ़ाई, लिखाई, दवाई मनुष्य की मूलभूत जरूरतें हैं। सत्ता में आते ही सबसे पहला कार्य प्रदेश की अधोसंरचना सँवारने का किया। खेती और उद्योगों पर ध्यान केन्द्रित किया। अब विशेष फोकस शिक्षा और स्वास्थ्य पर किया जा रहा है। श्री चौहान आज यहाँ इंडिया टूडे एजूकेशनल समिट को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय भी मौजूद थे।
श्री चौहान ने कहा कि शिक्षा व्यवसाय नहीं मिशन है। प्रदेश में मिशन भावना के साथ कार्य करने को तत्पर निजी क्षेत्र का खुले दिल से स्वागत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास कर रही है। प्रयास है कि निजी शिक्षा संस्थानों में सामान्य वर्ग के बच्चे भी अध्ययन कर सकें। शिक्षा की गुणवत्ता उच्च-स्तरीय हो। उन्होंने बताया कि देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय को देश के टॉप दस विश्वविद्यालय में शामिल करवाने के प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों पर सबका अधिकार है लेकिन सब इसका उपयोग नहीं करते हैं। अत: जो साधन सम्पन्न है प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हैं, उनसे कर के रूप में राजस्व प्राप्त कर गरीब जरूरतमंदों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोटी, कपड़ा और मकान उपलब्ध करवाना ही सामाजिक न्याय है। उन्होंने कहा कि जब वे सरकार में आये थे तब प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं का अभाव था इसलिये पहले बुनियादी ढाँचा खड़ा किया गया। स्कूल-कॉलेज खोले गए। उस समय प्रदेश के 29 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते थे आज वह संख्या एक लाख से कम हो गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रदेश ने आर्थिक क्षेत्र में काफी प्रगति की है। नौ वर्ष से विकास दर डबल डिजिट में है। इस वर्ष 11.08 प्रतिशत की विकास दर देश में सर्वाधिक है। कृषि विकास दर चमत्कारिक 24.99 प्रतिशत रही है। लेकिन यह पड़ाव भर है। विकास का प्रकाश आम आदमी तक पहुँचाने वाली प्रगति ही वास्तविक उन्नति है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में शासन द्वारा संचालित योजना, सुविधाओं की जानकारी देते हुए कहा कि इसमें आवश्यक सुधार के लिए सरकार निरंतर तैयार है। विचार से ही नई योजनाओं का जन्म होता है उन्होंने बताया कि विद्यार्थी पंचायतों के निर्णयों से प्रदेश में अनेक नई योजनाओं का जन्म हुआ है।
नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि प्रदेश सरकार विकास के साथ है। सरकार निरंतर चिंतन-मनन करते हुए विकास के नये प्रतिमान बना रही हैं। मध्यप्रदेश शिक्षा का नया हब बन रहा है। सरकार का प्रयास है कि शिक्षा के विस्तार के साथ ही उसकी गुणवत्ता के कार्य भी किये जायें। इन प्रयासों में निजी निवेशकों की भागीदारी, उनके सहयोग और सुझाव सरकार खुले मन से स्वीकार रही है। मेयर के रूप में होनोलूलू में हुए सेमीनार में शामिल होने के प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पहले विदेशों में भोपाल की पहचान गैस त्रासदी की घटना से होती थी। पिछले नौ वर्ष में राज्य सरकार के प्रयासों से प्रदेश की नई पहचान बनी है। लोग कहते हैं कि मध्यप्रदेश वह राज्य है जहाँ का मुख्यमंत्री आम आदमी के रूप में जन-कल्याण के कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम में प्रश्नोत्तर सत्र भी हुआ। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। कार्यक्रम को आईसेक्ट विश्वविद्यालय के चांसलर श्री संतोष चौबे ने भी संबोधित किया।
नींद नहीं आती तो एम्स में दिखाएं
अगले माह शुरू होगी प्रदेश की सबसे बड़ी स्लीपिंग डिसऑर्डर क्लिनिक
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में जल्द ही प्रदेश की सबसे बड़ी स्लीपिंग डिसऑर्डर क्लिनिक शुरू हो जाएगी। इस क्लिनिक में नींद से जुडी बीमारियों जैसे अनिद्रा , सांस रुकना या खराटे , स्लीप एप्निया , नींद में चलना जैसी बिमारियों का उपचार किया जाएगा। एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में तैयार हो रही इस क्लिनिक में प्रदेश के सबसे बड़ी स्लीप लैब (सिक्स बेड) तैयार की जा रही है। इसमें एक साथ छेह मरीज़ों का उपचार किया जा सकता है। यहां तीन बेड वयस्कों के लिए और एक बेड़ बच्चों के लिए होगा । वही दो फोर्डेबल बेड होंगे । निजी अस्पतालों में इस इलाज के लिए २० से २५ हजार रुपए लिए जाते है , जबकि एम्स में ५०० रु प्रतिदिन में उपचार होगा ।
कई तरह से हो सकता है स्लीपिंग डिसऑर्डर
स्लीपिंग डिसऑर्डर कई तरीकों का हो सकता है । जैसे बिस्तर पर जाने के काफी देर बाद नींद आना , दिन में नींद के झटके आते रहना , रात में ज्यादा सपने आना , बार-बार नींद का टूटना , मुँह सुखना, पानी पीने या पेशाब के लिए बार बार उठाना , खर्राटें लेना , रातों में टांगों का छटपटाना , नींद में चलना आदि ।
डॉक्टर की सलाह लें
जो लोग सोते समय तेज खर्राटें लेते है और उनको इनमे से एक भी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें । रक्तचाप, मधुमेह , रात में बार-बार पेशाब आना , सुबह मुँह सुखना, दिन में थकावट रहना , नींद न आना या ज्यादा आना ।
जाँच के साथ उपचार
इसके लिए एम्स में स्लीपिंग लेब तैयार की गई है । लैब के फाइबर चैम्बर में सोने की सामान्य स्थितियां पैदा की जाती हैं । इस दौरान व्यक्ति के सोने के तीन चरण , शरीर का तापमान , मस्तिष्क की क्रियाशीलता को नपा जाता है ।
नींद नहीं आती तो एम्स में दिखाएं
अगले माह शुरू होगी प्रदेश की सबसे बड़ी स्लीपिंग डिसऑर्डर क्लिनिक
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में जल्द ही प्रदेश की सबसे बड़ी स्लीपिंग डिसऑर्डर क्लिनिक शुरू हो जाएगी। इस क्लिनिक में नींद से जुडी बीमारियों जैसे अनिद्रा , सांस रुकना या खराटे , स्लीप एप्निया , नींद में चलना जैसी बिमारियों का उपचार किया जाएगा। एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में तैयार हो रही इस क्लिनिक में प्रदेश के सबसे बड़ी स्लीप लैब (सिक्स बेड) तैयार की जा रही है। इसमें एक साथ छेह मरीज़ों का उपचार किया जा सकता है। यहां तीन बेड वयस्कों के लिए और एक बेड़ बच्चों के लिए होगा । वही दो फोर्डेबल बेड होंगे । निजी अस्पतालों में इस इलाज के लिए २० से २५ हजार रुपए लिए जाते है , जबकि एम्स में ५०० रु प्रतिदिन में उपचार होगा ।
कई तरह से हो सकता है स्लीपिंग डिसऑर्डर
स्लीपिंग डिसऑर्डर कई तरीकों का हो सकता है । जैसे बिस्तर पर जाने के काफी देर बाद नींद आना , दिन में नींद के झटके आते रहना , रात में ज्यादा सपने आना , बार-बार नींद का टूटना , मुँह सुखना, पानी पीने या पेशाब के लिए बार बार उठाना , खर्राटें लेना , रातों में टांगों का छटपटाना , नींद में चलना आदि ।
डॉक्टर की सलाह लें
जो लोग सोते समय तेज खर्राटें लेते है और उनको इनमे से एक भी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें । रक्तचाप, मधुमेह , रात में बार-बार पेशाब आना , सुबह मुँह सुखना, दिन में थकावट रहना , नींद न आना या ज्यादा आना ।
जाँच के साथ उपचार
इसके लिए एम्स में स्लीपिंग लेब तैयार की गई है । लैब के फाइबर चैम्बर में सोने की सामान्य स्थितियां पैदा की जाती हैं । इस दौरान व्यक्ति के सोने के तीन चरण , शरीर का तापमान , मस्तिष्क की क्रियाशीलता को नपा जाता है ।
फिटनेस के लिए सीढ़ियां
स्टेयर्स वर्कआउट, एक ऐसा तरीका है जिसमें आप बिना किसी खर्चे के, जरा-सी मेहनत के साथ, अतिरिक्त समय दिए बिना फिट रह सकते हैं। बस इसके लिए आपको लिफ्ट छोड़कर सीढ़ियों को अपनाना होगा।
किसी भी तरीके से की गई फिजिकल एक्सरसाइज सेहत के लिए अच्छी होती है। अगर आप वॉक पर जाने के लिए समय निकालते ही हैं तो वॉक की जगह सीढ़ियां चढ़ना आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। यहां इसके 6 कारण दिए जा रहे हैं -
वॉकिंग से बेहतर
चलने से तीन गुना ज्यादा कैलोरी सीढ़ी चढ़ने में बर्न होती है। इसमें ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है क्योंकि आप गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध काम करते हैं। यानी 15 मिनट का स्टेयर्स वर्कआउट 45 मिनट की वॉक के बराबर है।
लोअर बॉडी को फायदा
सीढ़ियां चढ़ने से लोअर बॉडी (हिप मसल्स और जांघों की मसल्स) की अासानी से एक्सरसाइज हो जाती है। इसके अलावा शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ता है। इस वर्कआउट में चोट लगने की आशंका भी काफी कम रहती है।
कोर मसल्स की मजबूती
सीढ़ी चढ़ते समय हम घुटनों को ऊपर की ओर ले जाते हैं जिसका सीधा असर कोर मसल्स (पेट-पसलियों की मसल्स) पर पड़ता है। रोजाना सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से वजन कम करने में काफी मदद मिल सकती है।
बेहतर मेटाबॉलिज्म
30 सीढ़ियां चढ़ने से कम से कम 10 कैलोरीज बर्न होती हैं। सीढ़ियों की संख्या बढ़ाने पर ज्यादा से ज्यादा कैलोरी बर्न होंगी और मसल्स मजबूत होंगी, जिससे आपका मेटाबॉलिज्म भी और अच्छा होगा।
पाचनतंत्र को मदद
अगर नियम से रोजाना स्टेयर्स वर्कआउट किया जाए तो सही ढंग से कैलोरीज बर्न होने लगती हैं। इसका सीधा असर हमारे पाचनतंत्र पर पड़ता है और यह बेहतर होता है। इसके अलावा कॉस्टिपेशन (कब्ज) की शिकायत से भी निजात मिल जाती है।
कार्डियो एक्सरसाइज
रोजाना दो बार सीढ़ियां (24 स्टेप्स) चढ़ना-उतरना एक अच्छी कार्डियो एक्सरसाइज है। इस एक्सरसाइज से डायबिटीज काबू में करने, कॉलेस्ट्रॉल कम करने और दिल की सेहत अच्छी रखने में मदद मिलती है।
कैसे करें शुरुआत?
धीमी शुरुआत करें
शुरुआत में एक या दो फ्लाइट (1 फ्लाइट = 12 सीढ़ियां) चढ़ें। जब लगने लगे कि आप और ज्यादा सीढ़ियां चढ़ सकते हैं, तब फ्लाइट्स बढ़ाएं। सीढ़ियां चढ़ने से पहले वार्मअप जरूर करें। मसल्स को स्ट्रेच करना भी अच्छा रहेगा।
खुद पर दबाव ना डालें
धीमी शुरुआत करें, फिर धीरे-धीरे गति और सीढ़ियों की संख्या बढ़ाएं। जल्दी खत्म करने के लिए सीिढ़यां छोड़-छोड़कर ना चढ़ें। इससे बैलेंस बिगड़ने से चोट लग सकती है।
सांस लेते रहें
सीढ़ियां चढ़ते हुए एक सी लय में सांस लेंं। सांस रोकने की कोशिश ना करें। कोशिश करें कि एक बार सांस लेने और छोड़ने में आप कुल चार सीढ़ियां (स्टेप्स) चढ़ जाएं।
पैरों को आराम दें
सीढ़ियां चढ़ते समय पैरों पर ज्यादा जोर दें। पैर पटकते हुए चढ़ने से बचें। इससे घुटनों पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा उतरते समय घुटनों को फ्री रखें, उन्हें कड़ा ना करें। ऊपर पहुंचकर उतरने से पहले पिंडलियों को थोड़ा स्ट्रैच जरूर करें। अगर उम्र ज्यादा है तो दीवार की साइड चलें ताकि जरूरत पड़ने पर सपोर्ट लिया जा सके।
ये बचें
> 70 वर्ष सेे अधिक उम्र के लोग और घुटनों या हिप्स में दर्द या चोट से पीड़ित मरीज।
> बिना डॉक्टरी सलाह के गर्भवती महिलाएं।
> दिल के मरीज या जिनकी हाल ही में एंजियोप्लास्टी हुई हो।
> जिसका हाल ही में घुटनों का या हिप रिप्लेसमेंट से जुड़ा ऑपरेशन हुआ हो।
फेफड़े करते है वजन कम करने में मदद
यह तो सभी जानते हैं कि जितनी एक्सरसाइज की जाए, शरीर उतना ही स्वस्थ रहता है। जो हम सब शायद नहीं जानते होंगे वह यह है कि हमारेे शरीर का 80 प्रतिशत फैट फेफड़ों की मदद से निकलता है। ब्रिटिश मेडिकल जरनल में छपी ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के वैज्ञानिकों की रिसर्च तो यही कहती है। इसके पीछे कारण बताया गया है खून में मौजूद फैट ट्रिगलाइसेराइड। यह कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बना होता है और जब फैट बर्न होता है फेफड़ों के जरिए कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में निकलता है। इस प्रक्रिया के लिए ऑक्सीजन की जरूरत भी पड़ती है जो सांस के जरिए ही मिलती है। कुल मिलाकर रिसर्च यही कहती है कि वजन कम करने में आपके फेफड़े भी बड़ सहायक होते हैं।
200ग्राम फैट बर्न होता है रिसर्च के मुताबिक, अगर हम दिनभर 12 सांसें प्रति मिनट की रफ्तार से श्वास लेते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम से होता है तनाव दूर
भ्रामरी प्राणायाम से मानसिक तनाव, गुस्सा, चिंता, चिड़चिड़ापन और आलस दूर होता है। रक्तचाप और गले के रोग भी इसकी मदद से कम किए जा सकते हैं।
कैसे करें
एक आसनी पर ध्यान लगाने की मुद्रा या आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं।
अंगूठों की मदद से दोनों कानों को बंद करें और आखें भी बंद कर लें।
अब गहरी सांस लें।
सांस छोड़ते हुए मादा मधुमक्खी या भंवरे के जैसी आवाज निकालें।
ऐसा करने पर आपको अपने दिमाग में कंपन महसूस होगा।
इस पूरी प्रक्रिया को रुक-रुककर नौ बार दोहराएं।
ध्यान रहे
हाथ के अंगूठे से कान अच्छी तरह से बंद हों ताकि कोई भी बाहरी आवाज ना सुनाई दे। साथ ही आंखें भी अच्छे से बंद करें ताकि अंधेरे का आभास हो।
रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
सरदार वल्लभ भाई पटेल औषधि वितरण योजना राष्ट्र केलिए अनुकरणीय
मध्यप्रदेश में राज्य केसमस्त नागरिकों को श्रेष्ठतम गुणवत्ता की औषधियाँप्रदाय करने केलिए राज्य शासन नेविगत दो वर्ष सेसरदार वल्लभ भाई पटेल नि:शुल्क औषधि वितरण योजना प्रारंभ की है। योजना केमाध्यम सेराज्य में लगभग 10 हजार शासकीय चिकित्सालय एवं 48 हजार ग्राम आरोग्य केन्द्र केमाध्यम से 250 प्रकार की औषधियोंका वितरण आवश्यकतानुसार किया जाता है। यह औषधियाँडब्ल्यू.एच.ओ. जी.एम.पी. गुणवत्ता की होती हैं। अर्थात्यह ऐसी औषधियाँहैं, जो निर्यात योग्य हैं। इन औषधियों का उपार्जन राष्ट्रीय टेन्डर केमाध्यम सेसम्पूर्ण पारदर्शिता बरतते हुए किया जाता है। यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण योजना है, जिसका लाभ लगभग 4 लाख सेअधिक नागरिक प्रतिदिन या लगभग सवा करोड़ नागरिक प्रतिमाह प्राप्त करतेहैं। विगत माह योजना का सूक्ष्म अध्ययन विश्व स्वास्थ्य संस्थान नेकिया था। संस्थान नेइसे एक आदर्श योजना निरूपित कर दिनांक 20-22 नवम्बर को चेन्नई में राष्ट्रीय कार्यशाला में अनुकरणीय योजना केरूप में प्रस्तुत किया। इसकेबाद देश केकई राज्य इस योजना का अनुकरण करनेकी प्रक्रिया प्रारंभ कर रहेहैं।
यह विशेषत: उल्लेखनीय हैकि निर्यात स्तर की औषधियाँही क्रय की जाती हैं, जो बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड औषधियोंसे 10 से 15 गुना सस्ती होती हैं। राज्य शासन विगत दो वर्ष से 200 से 250 करोड़ की औषधियाँक्रय करता है, जिनका अनुपातिक बाजार मूल्य लगभग 2000 से 2500 करोड़ रुपयेहोता है। इस प्रकार राज्य शासन लगभग 2000 करोड़ की बचत कर राज्य केप्रत्येक नागरिक को यह दवाइयाँ उपलब्ध करवा रहा है। सरदार वल्लभ भाई पटेल योजना की अपार सफलता से उत्साहित होकर राज्य शासन द्वारा केंसर की दवाइयों एवं कीमोथेरेपी की भी नि:शुल्क जेनेरिक औषधियों केमाध्यम सेउपचार प्रारंभ किया जा रहा है। मात्र 15 दिवस की अवधि में लगभग 4000 केंसर पीड़ित मरीज पंजीबद्ध हो गयेहैं, जिनका उपचार शासकीय चिकित्सालयों में प्रारंभ कर दिया गया है। योजना का विस्तार करतेहुए राज्य शासन ने डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट की बिमारियों एवं थैलासीमिया केरोगियों का भी नि:शुल्क उपचार एवं दवा वितरण राज्य केसभी जिला चिकित्सालयोंमेंप्रारंभ कर दिया है। योजना केसहयोगी रूप में स्वास्थ्य विभाग सभी चिकित्सालय में 48 प्रकार की जाँचों की सुविधा भी नि:शुल्क कराता है। इससेप्रतिदिन 75 हजार नागरिक लाभान्वित हो रहे हैं। मध्यप्रदेश देश का एकमात्र राज्य हैजो अपनेसभी नागरिकों को शासकीय चिकित्सालयों में न केवल नि:शुल्क औषधियाँ एवं जाँचें उपलब्ध कराता हैअपितुमरीजों को नि:शुल्क भोजन तथा सोलह सौ 108 एवं जननी वाहनों से नि:शुल्क सामान्य एवंआपात परिवहन उपलब्ध करवाता है।
राज्य की स्वास्थ्य सेवाएँप्रतिदिन नयेसोपान प्राप्त कर रही हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी केसाथ एक नई व्यवस्था न केवल राज्य केसमक्ष बल्कि देश केसमक्ष उदाहरण प्रस्तुत कर रही है।यह मध्यप्रदेश केस्वास्थ्य सेवाओं केइतिहास में एक गौरवशाली अध्याय जोड़ रही है। यह निर्विघ्न संचालित होगा।
आकृति नेचर क्योर सेंटर में 17 नवंबर को नि: शुल्क नैचुरोपैथी कैंप
राष्ट्रीय राजमार्ग के पास ग्राम फंदा, आकृति नेचर क्योर सेंटर, भोपाल में एएनसीसी (आकृति नेचर क्योर सेंटर) द्वारा 17 नवंबर को 10 बजे से 1 बजे तक और 4 बजे से 7 बजे तक नि: शुल्क प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया है।
गुजरात के प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. जे संघवी इस कैंप में मरीजों की जांच करेंगे। डॉ. संघवी गुर्दे और अन्य महत्वपूर्ण अंग विकारों के विशेषज्ञ चिकित्सक हैं। उन्होंने स्वप्रतिरक्षित रोगों जैसे संधिवात गठिया, सोरायसिस, एसएलई और पाचन तंत्र विकारों जैसे कोलाइटिस, आईबीएस, अल्सरेटिव कोलाइटिस आदि का सफलतापूर्वक इलाज किया है।
आकृति ग्रुप के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक हेमंत कुमार ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा में शरीर को स्वस्थ करने की निहित क्षमता है, जिससे यह कल्याण आधारित सिद्धांतों का एक समग्र दृष्टिकोण है। प्रकृति और चिकित्सा संबंधी तकनीकों की अरोग्यकर शक्ति का उपयोग करके शरीर, मन और भावनाओं को सही करने में सहयोग किया जाता है। इस कैंप में मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जाएगा। इस कैंप का मुख्य उद्देश्य गुर्दे के विकारों, स्वप्रतिरक्षित रोगों और पाचन तंत्र की समस्याओं से े पीड़ित लोगों को लाभ प्रदान करना है।
प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांत के अनुसार सभी बीमारियों की जड़ शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमाव है। विषाक्त पदार्थों की रोकथाम और उन्मूलन ही स्वास्थय रहने का महत्वपूर्ण कारक है। प्रकृति के पांच तत्वों पर आधारित उपचार में रोगों को रोकने के बेहद जरूरी गुण हैं। दवाओं का किसी भी प्रकार का इस्तेमाल प्रकृति इलाज की पद्धतियों में नहीं होता है। लोग 0755-3939100 या 8435500847 पर कॉल करके पंजीकरण करा सकते हैं।
मलेरिया और डेंगू नियंत्रण केलियेसर्वेक्षण कार्य सतत जारी
भोपाल । भोपाल नगर में स्वास्थ्य विभाग एवं नगर निगम के दलों द्वारा विभिन्न कालोनियों में सर्वेक्षण, लार्वा नष्ट करने और जनता को जागरूक बनाने का अभियान सतत रूप से जारी है। अरेरा कालोनी के विभिन्न इलाकों, कोलार मार्ग से लगी कालोनियों और नये एवं पुराने शहर के मोहल्लों में मच्छरों की रोकथाम के लिये फॉगिंग मशीन से निरंतर रोकथाम के प्रयास किये जा रहे हैं। आज 4782 घरों का सर्वे संपन्न हुआ, जिनमें से मात्र 446 घरों में लार्वा पाये जाने पर उन्हें नष्ट करने की कार्यवाही की गई। अभियान में 78 दल कार्य कर रहे हैं। आज हुई कार्यवाही के दौरान 28 हजार 940 कंटेनर चेक किये गये। नागरिकों द्वारा पुराने टायरों और गमलों के साथ ही घरों की छत तथा घरों के आसपास ठहरे हुए पानी को हटाने के स्वेच्छिक प्रयास भी किये जा रहे हैं।
प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को विस्तृत निर्देश भेजकर मलेरिया, डेंगू और अन्य मौसमी रोगों की रोकथाम के लिये संबंधित अमलेको सक्रिय रहने के लिये कहा गया है। दायित्व में लापरवाही किये जाने पर दोषी चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी दण्डित किये जायेंगे।
केंद्र सरकार मध्य प्रदेश में फार्मा पार्क स्थापित करेगी: अनंत कुमार, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री
भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2 अक्टूबर को प्रदेश की 70,000 स्वास्थ्य संस्थाओं में विशेष स्वच्छता अभियान की शुरूआत जयप्रकाश चिकित्सालय से करेंगे। इसके साथ ही प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य रक्षा के लिये संचालित ममता अभियान में चिन्हित 12 व्यवहार को आमजन में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से ममता मशाल जुलूस भी पूरे प्रदेश में निकाले जायेंगे।
स्वच्छता अभियान में प्रदेश की प्रत्येक स्वास्थ्य संस्था को स्वच्छ बनाया जायेगा। जिला अस्पताल से लेकर ग्राम आरोग्य केन्द्र-स्तर तक की कुल 70 हजार स्वास्थ्य संस्था में संबंधित संस्था प्रभारी एवं स्थानीय जन-प्रतिनिधियों की उपस्थिति में दोपहर 12.30 बजे से स्वच्छ बनाने के लिये श्रमदान किया जायेगा।
जयप्रकाश चिकित्सालय भोपाल में मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त स्थानीय सांसद, विधायक, महापौर एवं पार्षद भी शामिल होकर स्वच्छता अभियान में सहभागी बनेंगे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री द्वारा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य रक्षा के शासन के संकल्प के रूप में एक मशाल भी प्रज्जवलित की जायेगी।
इसी दिन शाम 7 बजे से प्रत्येक जिला, विकासखण्ड एवं ग्राम पंचायत मुख्यालय-स्तर पर ममता मशाल जुलूस निकाले जायेंगे। राजधानी के प्रत्येक वार्ड में स्थानीय पार्षद, गणमान्य नागरिक एवं स्वास्थ्य विभाग के अमले द्वारा ममता मशाल जुलूस निकाला जायेगा। जुलूस के माध्यम से आमजन को प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों और विशेषत: गर्भवती महिलाओं में खून की कमी एवं इसके प्रबंधन के उपाय सहित मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जागरूकता संबंधी संदेशों का प्रचार-प्रसार किया जायेगा।
आमजन को गर्भवती महिलाओं में प्रसव के दौरान होने वाले संभावित खतरे के लक्षणों एवं उनके प्रबंधन के विषय में जानकारी देने का ममता अभियान संचालित है। प्रत्येक विकासखण्ड में ममता रथ भी संचालित है। मशाल जुलूस के दौरान भी ममता रथ द्वारा विशेष प्रस्तुतियाँ दी जायेंगी।
रायसेन में जनरल नर्सिंग प्रशिक्षण कॉलेज का शिलान्यास
भोपाल । स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा द्वारा रायसेन में 60 सीटर जनरल नर्सिंग प्रशिक्षण कॉलेज भवन का शिलान्यास तथा नर्सिंग प्रशिक्षण सत्र का शुभारंभ किया गया। अध्यक्षता वन मंत्री डॉ गौरीशंकर शेजवार ने की। डॉ. मिश्रा ने जिला चिकित्सालय के उन्नयन तथा ओटी के विस्तार एवं आधुनिकीकरण की भी स्वीकृति दी।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में एक साल में 4 लाख व्यक्ति को 15 करोड़ रूपए की निःशुल्क दवाएँ वितरित की गई हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के अस्पतालों में सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना निःशुल्क उपलब्ध करवाया जाता है। प्रदेश में 108 एंबुलेंस से स्वास्थ्य सेवाएँ तत्काल जरूरतमंदों तक पहुँची हैं।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि सीमित संसाधनों में प्रदेश सरकार द्वारा लोगों को जो स्वास्थ्य सुविधाएँ दी जा रही हैं, वैसी अन्य राज्यों में नहीं हैं। उन्होंने बताया कि निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण, निःशुल्क जाँच और निःशुल्क दवा वितरण का काम मध्यप्रदेश में ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जन-स्वास्थ्य को लेकर गंभीर हैं। उन्हीं के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य सुविधाओं का गाँव-गाँव तक विस्तार संभव हो पाया है।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि एक साल में प्रदेश के किसानों को 12000 करोड़ की राशि वितरित की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गरीब, मजदूर, किसानों, महिलाओं, सर्वहारा वर्ग की सरकार है। राज्य सरकार इनके कल्याण के लिए कई योजनाएँ और कार्यक्रम चला रही हैं।
वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने कहा कि रायसेन में 60 सीटर नर्सिंग कॉलेज तथा कॉलेज भवन के निर्माण की स्वीकृति एक साथ मिलना प्रसन्नता की बात है। उन्होंने कहा कि कॉलेज के प्रारंभ होने से न केवल 60 बच्चियों को प्रशिक्षण मिलेगा बल्कि रोजगार भी प्राप्त करेंगी। डॉ. मिश्रा और डॉ. शेजवार ने जिला चिकित्सालय का निरीक्षण कर मरीजों से भी भेंट की।
केंद्र सरकार मध्य प्रदेश में फार्मा पार्क स्थापित करेगी: अनंत कुमार, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री
केन्द्रीय उर्वरक, रसायन एवं फार्मास्युटिकल मंत्री श्री अनंत कुमार ने कहा है कि भोपाल में फार्मा पार्क बनाया जायेगा। उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि मध्यप्रदेश मेडिकल डिवाइसेस बनाने वाला देश का पहला राज्य मध्यप्रदेश बने। श्री अनंत कुमार आज यहाँ छठवीं अंतर्राष्ट्रीय ईको कोर्स एवं वर्कशाप के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में अगले शैक्षणिक सत्र से स्कूली पाठ्यक्रम में जीवन-शैली पर आधारित पाठ शामिल किया जायेगा।
केन्द्रीय मंत्री श्री अनंत कुमार ने कहा कि आज बहुत सी बीमारियाँ जीवन-शैली के कारण हो रही हैं। जीवन-शैली के बारे में पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिये मध्यप्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहाँ विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदण्डों के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाएँ संचालित की जा रही हैं। उन्होंने हृदय से संबंधित बीमारियों के पीछे भी वर्तमान जीवन-शैली को दोषी माना। उन्होंने कहा कि जीवन-शैली के कारण मधुमेह की बीमारी होती है और उससे हृदय की बीमारी होती है। आज देश में मधुमेह के आठ करोड़ मरीज हैं। देश में हर घंटे 350 लोग हृदयाघात से मरते हैं। हृदयाघात से होने वाली हर दस मौत में से दो मरीज तीस वर्ष से कम उम्र के होते हैं। इससे बचने के लिये हमें रोकथाम, जागरूकता और उपचार पर ध्यान देना होगा। वर्तमान जीवन-शैली की वजह से कम उम्र में यह बीमारी हो रही है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में योग, व्यायाम, अनुशासन, भोजन पद्धति के बारे में बताया जाना चाहिये। तहसील और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक कार्डियक इमरजेंसी के लिये व्यवस्था होना चाहिये। उन्होंने कहा कि ईको मशीन प्रत्येक जिला मुख्यालय पर होना चाहिये।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने केन्द्रीय मंत्री श्री कुमार के सुझावों पर कहा कि मध्यप्रदेश में अगले शैक्षणिक सत्र से बेहतर जीवन-शैली का पाठ पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बड़े स्वास्थ्य संस्थानों को आने के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा। आगामी अक्टूबर माह में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में हेल्थ केयर पर फोकस रहेगा। उन्होंने कहा कि शरीर सब धर्मों के पालन का माध्यम है इसलिये शरीर स्वस्थ होना चाहिये। ईको कार्डियोग्राफी मानवता के लिये वरदान है। हृदय की नियमित जाँच होना जरूरी है। प्रदेश में गरीबों के इलाज के लिये राज्य बीमारी सहायता कोष गठित किया गया है। मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से भी बीमारियों के लिये सहायता दी जाती है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना जैसी अभिनव योजना शुरू की गई है। प्रदेश के शासकीय अस्पतालों में चार लाख मरीज को प्रतिदिन नि:शुल्क दवा वितरित की जाती है और 75 हजार मरीज की प्रतिदिन नि:शुल्क जाँच की जाती है। प्रदेश में संस्थागत प्रसव 22 से बढ़कर 86 प्रतिशत हो गया है। एम्बुलेंस 108 योजना से हर माह 81 हजार लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
ईको कार्डियोग्राफी के विश्व विख्यात विशेषज्ञ डॉ. नवीन सी. नंदा ने कहा कि मध्यप्रदेश स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहा है। ईको कार्डियोग्राफी विशेषज्ञ डॉ. आई.वी. विजयलक्ष्मी ने कहा कि मध्यप्रदेश में बच्चों के हृदय रोग के उपचार का केन्द्र स्थापित करें। डॉ. पंकज मनोरिया ने वर्कशाप के बारे में जानकारी दी। डॉ. पी.सी. मनोरिया ने स्वागत भाषण दिया।
कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री श्री अनंत कुमार और मुख्यमंत्री श्री चौहान ने डॉ. नवीन पी नंदा और डॉ. आई.वी. विजयलक्ष्मी को लाईफ टाईम अचीव्हमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। इसी तरह डॉ. संजय मित्तल और डॉ. समीर श्रीवास्तव को अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस तथा डॉ. शांतनु सेन गुप्ता को स्पेशल सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में राजस्व मंत्री श्री रामपाल सिंह और सांसद श्री आलोक संजर, डॉ. एस.के. पाराशर सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आये चिकित्सक शामिल थे।
एप बता देगा किस दवा से होगा रिएक्शन
चंडीगढ़ पीजीआई में कार्यरत सिस्टम एनालिस्ट नवीन बिंद्रा ने तैयार किया ये एप जिससे मरीज़ तमाम तरीकों के रिएक्शन से बच सकते है । इस एप में दवा और उससे हो सकने वाले रिएक्शन की जानकारी है, मरीज़ ये एप डाउनलोड करके उन दवाइयों के नाम जान सकते है और एहतियात बरत सकते हैं ।
एप में ये भी बताया गया है कि मेडिसिन रियेक्ट करे तो लक्षण क्या होंगे और उससे कैसे बचाव करना है ।
नवीन कहते है की ये एप उपयोगी साबित होगा ।
नवीन ने बताया कि फार्माकोलॉजी डिपार्टमेंट से रिएक्शन की आकांशा वाली दवाओं का डेटा ही दाल दिया जायेगा । इस काम में अभी एक मेहना और लगेगा क्यूंकि दवा का डेटा बहुत अधिक है।
प्रियंका पारे
एम्स मे एरोबिक्स से होगा मरीजों का इलाज़
मरीज़ों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल अब चिकित्सीय उपचार में एरोबिक्स का इस्तेमाल करेगा | एरोबिक्स मरीज़ों की जल्द स्वस्थ होने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा| एरोबिक्स क्लीनिक आयुष बिल्डिंग में शुरू की जाएगी| एम्स प्रबंधन में शुरू होने के साथ ही एरोबिक्स क्लीनिक भी काम करने लगेगी| विशेषज्ञों के मुताबिक मरीज़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इलाज़ के साथ ही व्यायाम भी बहुत ज़रूरी है| व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं| इलाज़ के साथ ही मरीज़ नियमित रूप से व्यायाम करें तो आधे समय में ही ठीक हो सकता हैं| इसके लिए एरोबिक सबसे बेहतर व्यायाम हैं| इसके लिए दो प्रशिक्षित ट्रेनर की नियुक्ति भी की गयी हैं|
खून में ऑक्सीजन की जाँच के लिए मिला एक और एनालाइज़र
जेपी अस्पताल में अब अस्थमा और सांस की अन्य बीमारियो से पीड़ित मरीज़ों को शरीर में ऑक्सीजन और अन्य महत्वपूर्ण गेसों की जाँच के लिए यहाँ वहाँ नहीं भटकना पड़ेगा |इन जाँचों के लिए अस्पताल में एक और आर्टीरियल ब्लड गेस एनालाइज़र आ गया हैं| इसके आने से सांस के मरीज़ों के साथ वेंटिलेटर के मरीज़ों को भी राहत मिलेगी |दरअसल सांस के रोग से पीड़ित मरीज़ों के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का पता एबीजी एनालाइज़र से लगाया जाता हैं| गंभीर मरीज़ों को दिनभर में आठ से दस बार इस जाँच की ज़रूरत होती हैं| अस्पताल में अभी तक एक ही एबीजी एनालाइज़र एसएनसीयू में था| गंभीर मरीज़ों की इस मशीन पर जाँच की जाती थी| अब अस्पताल में एक और जाँच मशीन आने से मरीज़ों को सहुलियत हो जाएगी| अस्पताल की अधिक्षक डॉक्टर वीना सिन्हा के अनुसार एबीजी एनालाइज़र एक कंपनी द्वारा उपलब्ध कराया हैं| फिलहाल इसको डेमो के लिए रखा गया हैं| जल्द ही यह काम करना शुरू कर देगा| ओपीडी मे प्रतिदिन करीब 70 मरीज़ों को यह टेस्ट लिखे जाते हैं| एक मशीन होने से मरीज़ को अपनी रिपोर्ट दिखाने क लिए अगले दिन फिर से चक्कर लगाना पड़ता हैं|
वायरस के इस्तेमाल करते हुए टीबी का नया टीका बनाया
टोरंटो। पहली बार जैविक रूप से संवर्धित किसी वायरस का इस्तेमाल करते हुए खतरनाक बीमारी टीबी का नया असरदार टीका तैयार किया गया है। इस टीके को विकसित करने वाले कनाडाई वैज्ञानिकों का दावा है कि यह टीका टीबी का रामबाण इलाज साबित होगा।
मैक्मास्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ. फियोना स्मैल के अनुसार, 'उनकी टीम द्वारा विकसित टीका वर्तमान में टीबी के इलाज के लिए मौजूद एकमात्र बीसीजी टीके का असरकारक विकल्प बनेगा।' बीसीजी टीके को 1920 में विकसित किया गया था। पूरी दुनिया में डॉक्टर टीबी के इलाज में इसी टीके का इस्तेमाल करते हैं। डॉ. स्मैल का कहना है, 'अभी भी टीबी एक खतरनाक बीमारी बनी हुई है। एचआइवी के बाद यह दूसरी जानलेवा बीमारी के रूप में लोगों के लिए खतरा बनी हुई है। वर्तमान बीसीजी टीका इसके इलाज में निष्प्रभावी साबित हो रहा है।' उन्होंने बताया कि उनकी टीम द्वारा विकसित टीका शरीर में प्रतिरोधक तत्वों को नए सिरे से विकसित करेगा। ध्यान रहे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत एशिया, अफ्रीका, पूर्वी यूरोप और दक्षिण अमेरिका के देशों में बीसीजी टीकाकरण अभियान चला रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब इस टीके की खोज से टीबी के खिलाफ अभियान को नई गति मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस टीके को तैयार करने में दस वर्षों का समय लगा है। मानव पर इसके क्लीनिकल ट्रायल के सकारात्मक परिणाम निकले हैं।
मध्य प्रदेश में टेली मेडिसिन योजना का शुभारंभ
भोपाल। प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण श्री प्रवीर कृष्ण ने आज यहाँ टेली मेडिसिन योजना का शुभारंभ किया। भोपाल स्थित 'एम्स'' में स्थापित सेन्टर से योजना का शुभारंभ हुआ। इसके साथ ही प्रदेश को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और मोबाइल मेडिसिन की सुविधा भी प्राप्त होगी। प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेज भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर के साथ सीधी, शहडोल, शाजापुर, बैतूल, खरगोन, मंदसौर, मण्डला, बालाघाट, झाबुआ, श्योपुरकला के जिला चिकित्सालयों को टेली मेडिसिन की सुविधा से जोड़ा गया है। बाद में अन्य जिलों को भी इस सुविधा से जोड़े जाने की योजना है।
श्री प्रवीर कृष्ण ने कहा कि टेली मेडिसिन द्वारा जिलों के चिकित्सक चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों से परामर्श कर सकेंगे, जिससे गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों के उपचार में सुविधा प्राप्त हो सकेगी। वर्तमान में दिल्ली, भोपाल, लखनऊ, चण्डीगढ़ के चिकित्सा विशेषज्ञों से प्रदेश के जिला चिकित्सालयों के चिकित्सक परामर्श प्राप्त कर सकेंगे।
इसके साथ ही प्रदेश को मोबाइल मेडिसिन की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके द्वारा रोगी सामान्य रोगों के लक्षण टेलीफोन पर चिकित्सकों को बताकर उपचार प्राप्त कर सकेंगे। चिकित्सक द्वारा रोगों के लक्षण जानकर संबंधित मरीज को एस.एम.एस. के माध्यम से दवा की जानकारी दी जायेगी। अपने मोबाइल पर एस.एम.एस. को चिकित्सालय में दिखाने पर मरीज नि:शुल्क दवा प्राप्त कर सकेंगे। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त श्री पंकज अग्रवाल, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की राज्य संचालक श्रीमती एम. गीता, स्वास्थ्य संचालक श्री संजय गोयल, एम्स भोपाल के अधिकारी एवं संबंधित चिकित्सक उपस्थित थे।
प्रमुख सचिव ने कोलार डिस्पेंसरी का निरीक्षण किया
प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण श्री प्रवीर कृष्ण ने आज कोलार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के नवनिर्मित भवन का निरीक्षण कर वहाँ संचालित स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी ली। श्री प्रवीर कृष्ण ने अस्पताल भवन में पर्याप्त साफ-सफाई, पार्किंग एवं रख-रखाव के संबंध में निर्देश दिये। उन्होंने वहाँ प्रसूति कक्ष में 30 बिस्तर के स्थान पर 50 बिस्तर बढ़ाने के निर्देश भी दिये। श्री प्रवीर कृष्ण ने कहा कि जन-सामान्य की जानकारी के लिये प्रसूति कक्ष के बाहर जननी सुरक्षा 108 कॉल सेन्टर और प्रसूति के लिये शासन द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी के बोर्ड लगाये जायें। उन्होंने ममता, आस्था और कायाकल्प से संबंधित अभियानों के अनुसार नियमित व्यवस्था करने के निर्देश भी प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को दिये। उन्होंने कोलार डिस्पेंसरी में दो मेडिकल ऑफिसर तुरन्त ही नियुक्त करने के निर्देश भी दिये। उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में 364.97 लाख की राशि से कोलार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन का निर्माण हुआ है। इसमें अगस्त माह से अभी तक 4,628 व्यक्ति ने उपचार करवाया एवं 65 डिलेवरी हुई।
दिल की बीमारियों से दूर रखता है अखरोट
वाशिंगटन। हालिया शोध में पता चला है कि रोजाना अखरोट खाने से डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है।
कनेक्टिकट स्थित येल ग्रिफिन प्रिवेंशन रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं के मुताबिक, रोज 56 ग्राम अखरोट के सेवन से अधिक वजन वाले वयस्कों के शरीर की आंतरिक प्रक्रिया में सुधार आता है। इस शोध में 30 से 75 साल के 46 वयस्कों को शामिल किया गया था। प्रतिभागियों का बॉडी मास इंडेक्स 25 से भी अधिक था। इनमें पुरुषों की कमर 40 इंच व महिलाओं की कमर 35 इंच थी। शोध से पहले शर्त रखी गई थी कि प्रतिभागी धूमपान न करता हो लेकिन ज्यादातर को पाचन संबंधी बीमारियों और डायबिटीज से पीड़ित होना चाहिए। प्रतिभागियों को रोजाना नाश्ते में 56 ग्राम अखरोट दिया गया जिससे उनके स्वास्थ्य में पहले से सुधार देखा गया। प्रमुख शोधकर्ता और येल ग्रिफिन प्रिवेंशन रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉक्टर डेविड केट्ज ने कहा, खाने की आदतों को बदलना मुश्किल है, लेकिन उसमें सुधार किया जाना जरूरी है। यह शोध 'जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ न्यूट्रिशियन' में प्रकाशित हुआ है।
आपने अपने जीवन में जो फर्क सालों में नहीं देखा होगा वह फर्क आपको विगेन थेरेपी से 1 से 10 दिनों में दिखाई देगा।
विगेन इंडिया थेरेपी सेन्टर में इन सभी समस्याओं का समाध्
ाान किया जाता है।
डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, पीठ का दर्द, आॅर्थोराईटीस, घुटनों
का दर्द, आस्टीपओपोरोसिस, स्पाॅन्डीलीसिस, सायटिका, नसों से जुड़ी
बीमारी, खून से जुड़ी बीमारी, किडनी स्टोन गाल ब्लेडर स्टोन,
पेट से संबंधित बीमारी, एसिडिटी, अल्सर, गैस, अपचन, काॅन्स्टीपेशन,
आॅख, कान, मसूड़ों की बीमारी स्लिप डिस्क, हाॅर्मोन का
बेलेन्स बिगड़ना ;डायबिटीस, थायराॅयड, सेक्स हार्मोन इत्यादिद्ध, सिर
दर्द, आधा सिर दर्द ;मायग्रेनद्ध सायनस, लकवा, पॅरेलायसिस, मोतियाबिन्द,
तवचा रोग, स्लीप डिसआर्डर, लम्पस, स्त्रीयों की बीमारियां ;कन्सीविंग
प्रोब्लम, बल्की यूटेरस, डिसलोकेशन आॅफ युटेरस, मेन्सेस प्रोब्लम,
हायड्रोसिल, इम्पोटेन्सीद्ध, टयूमर आदि घातक बीमारियाॅ, मोटापा
गाॅरन्टी के साथ खत्म होगा।
भारत में पहली बार विगेन इंडिया प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित
थैरेपी से लोगों को बड़ी से बड़ी बीमारियों से निजात दिला
रहा है। विगेन हेल्थ हाउस ;थेरेपी सेंटरद्ध में प्रतिदिन 300 से 500
लोग फ्री में थैरेपी लेकर अपनी शरीर की समस्त समस्याओं से निजात पाते
है। सेंटर से मशीनें घरेलू उपयोग हेतु भी दी जाती है। प्रत्येक
बीमारी के लिए सेंटर में अलग-अलग मशीनें उपलब्ध कराई जाती है।
हमारे यहां उपलब्ध मशीनें जैसे- टाॅप एन टाॅप 8500, - टाॅप एन
टाॅप 8000, - वीटीबी - ईटीएस मेट - वाटर डाक्टर - डाक्टर 2
- ज्वाइंट बेल्ट - चैम्पीयन बेल्ट इत्यादि। भारतियों के पास ऐसा
कोई जरिया आया जो कि बिना किसी दवाई, इंजेक्शन व बिना किसी
आॅपरेशन के लोगों को प्राकृतिक तरीके से ठीक करता है।
भोपालवासियों से अनुरोध है कि विगेन हेल्थ हाउस ;थेरेपी
सेंटरद्ध में आकर प्राकृतिक थैरेपी का अनुभव जरूर लें।
अद्भुत 19 प्राकृतिक तत्वों
अविश्वसनीय 21 वीं सदी का से अपनी शरीर को
अनोखा चमत्कार स्वस्थ्य बनायें
फ्री थेरेपी हर बीमारी का जड़ से इलाज
सेंटर से लाभान्वित स्वस्थलाभ ले रही श्रीमती रूकमनी गुप्ता, 55 वर्ष 4 साल से शुगर थी। इनका शुगर लेवल 650 रहता था और दोनों समय में इन्सुलिन लेती थी। जो अब बिल्कुल ठीक है वजन भी काफी कम हुआ। पहले 135 अब 95 हो गया है। अब बिना दवाई के बिना इन्सुलिन बिल्कुल ठीक है।श्री व्ही.एस. कपूर, 70 वर्षमुझे एक साल पहले मेरी जीभ में एक छाला हुआ था धीरे-धीरे करके वह छाला बढ़ने लगा और मेरी तकलीफ भी बढ़ने लगी। फिर डाक्टर को दिखाया तो उन्होंने जीभ का कैंसर बताया। फिर मुझे विगेन थैरेपी सेंटर के बारे में पता चला और यहा आकर विगेन थैरेपी लेने से मेरे जीभ का छाला बिल्कुल ठीक हो गया है।हमारी थैरेपी इन सभी प्राकृतिक सिद्धांतों पर कार्य करती है।
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9977182366, 9617891739 -48, समनवय नगन, अवधपुरी, भोपाल
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रोड, भोपाल मो. 9303649824, 7389165411 -सी -21, बीडीए
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भोपाल टेस्ट-ट्यूब-बेबी सेंटर के रिकार्ड की हुई सराहना
टेस्ट-ट्यूब-बेबी तकनीक द्वारा एक दिन में 7 बच्चों का जन्म मप्र के लिए गौरव की बात मप्र शासन के वरिष्ठ मंत्री श्री बाबूलाल गौर जी ने जन्में सातों बच्चों एवं उनकी माताओं को आर्शीवाद दिया मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री श्री बाबूलाल गौर ने जाने माने टेस्ट-ट्यूब-बेबी विशेषज्ञ डाॅ. सिंह दम्पत्ति डाॅ. मोनिका सिंह एवं डाॅ. रणधीर सिंह को उनकी इस उपलब्धि पर हार्दिक बध्ााईयां दी एवं उन्होंने इस उपलब्धि को मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात बताई। इसके पूर्व डाॅ. सिंह ने पत्रकारवार्ता में बताया कि ये हमारे जीवन की यह एक बड़ी उपलब्धि है कि एक ही दिन में सात टेस्ट-ट्यूब-बेबी का जन्म हमारे सेन्टर में हुआ। मां शब्द को सुनने के लिए कई वर्षो से तरस रहीं इन महिलाओं की खुशियों की कल्पना भी नही की जा सकती है। जब उन्हें दो-दो स्वस्थ्य बच्चों की सौगात मिली। इन महिलाओं के लिये वो कहावत चरितार्थ होती है कि ऊपर वाला जब भी देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। वर्षो से इन मांओ की सूनी गोद दो-दो बच्चों से भरते ही उनकी आंखों से खुशियों के आंसू छलक पड़े उस वक्त उनकी आत्मा से निकले हुये आर्शीवाद को शब्दों में बयां नही किया जा सकता। इसके पूर्ब करीब पांच वर्ष पूर्व भी हमारे सेन्टर में एक दिन में 6 बच्चों का जन्म हो चुका है। इन्हीं उपलब्धियों की वजह से हाल ही में ।ेपं ैचमबपपिब अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस ;।ैच्प्त्म्द्ध में उद्बोध्ान हेतु भोपाल से एकमात्र डाॅ. सिंह दम्पत्ति डाॅ. मोनिका सिंह एवं डाॅ. रणधीर सिंह को आमंत्रित किया गया है।1 से 5 अगस्त 2013 तक ।ेपं ैचमबपपिब अंतराष्ट्रीय कांफ्रेंस ;।ैच्प्त्म्द्ध में इन उपलब्धियों के लिए भोपाल से एकमात्र डाॅ. सिंह दम्पत्ति
को आमंत्रित किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय कंाफ्रेंस न्ै।ए ठवेजवद 12 से 17 व्बजए 13 दृ तक, पूरे भारत से एकमात्र डाॅ. सिंह दम्पत्ति एक साथ चार विभिन्न विषयों पर अपने उद्बोधन देंगेभोपाल टेस्ट-टयूब-बेबी सेंटर म्.1ध्13ए अरेरा काॅलोनी ;7 नं. बस स्टाॅप के पासद्ध भोपाल, में डाॅ. मोनिका सिंह एवं डाॅ. रणधीर सिंहद्वारा विश्व की सबसे कम कीमत की टेस्ट-ट्यूब-बेबी तकनीक की खोज कर कई निर्धन निःसंतान दम्पत्तियों की गोद खुशियों से भर दी। अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस न्ै।ए ठवेजवद व्बजए13. में पूरे भारत से एकमात्र डाॅ. सिंह दम्पत्ति एक साथ विभिन्न विषयों पर अपने उद्बोधन प्रस्तुत करेंगे। डाॅ. सिंह दम्पत्ति ने पत्रकारवार्ता में बताया कि टेस्ट-ट्यूब-बेबी में अब पैसा बाधा नहीं रह गया है। अब गरीब निःसंतान दम्पत्ति जिनकी उम्र कम है, कम कीमत में नई तकनीक द्वारा टेस्ट ट्यूब बेबी करवा सकते हैं।
1. भ्रण के फर्टिलाइजेशन के लिए 20 से 25 दिनों के बजाय अब लगभग 10 दिन के अंतराल में यह प्रक्रिया कम उम्र की म्हिलाओं में संभव हो गई है जिस कारण से इसकी कीमत में भी एक चैथाई अंतर आया है, क्योंकि इसमें अब पहले की अपेक्षा इंजेक्शन कम लगते है।
2. पांच दिन के बजाय तीन दिन में भ्रण ट्रंासफर करना अधिक कीफायती
3. ए.एम.एच. की जंाच अत्यधिक उपयोगी
4. सरोगेट मदर के रिजल्ट बेहतर करने के उपाय ।
इन सभी विषयों पर न्ै।ए ठवेजवद में उद्बोधन प्रस्तुत करेंगे।निःसंतान दंपति हेल्पलाईन-मो-933133385, 9303132578, 0755.2677277
पायजन क्लीनिक को आई. ई. डी. आर. ए द्वारा“इंडियन हेल्थकेयर एक्सीलेंस अवाॅर्ड” का राष्ट्र स्तरीय पुरस्कार
बेस्ट स्किनकेयर क्लीनिक, इंटरनेशनल आर्च आफ यरोप फार क्वालिटी एंड टेक्नोलाजी, बिग रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त करने के पश्चात पायजन एंटी एजिंग क्लीनिक को इंडियन एकोनामिक डेवलपमेंट एण्ड रिसर्च एसोसिएशन द्वारा उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने पर इंडियन हेल्थकेयर एक्सीलेंस अवार्ड प्रदान किया गया है।
इस समारोह में डा बी् एन सिंह ;पूर्व गवर्नर एवं यूनियन मिनिस्टरद्ध, श्री एमण् वीण् राजशेखरन ;फार्मर यूनियन मिनिस्टरद्धए जस्टिस ओ पी् वर्मा ;सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिसद्ध, डाॅ जीण् वीण् जीण् कृष्णमूर्ति ;फार्मर इलेक्टर कमिश्नरद्धए श्री जोगिंदर सिंह ;फार्मर सीबीआई डायरेक्टरद्ध, नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित इस प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह में अवार्ड जीतकर क्लीनिक के चीफ एक्जीक्यूटिव आफिसर डा अभिनीत गुप्ता बेहद उत्साहित होकर कहते हैं कि हमारे अपनी सेवाओं में गुणवत्ता का स्तर लगातर कायम रखने सफल रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप न सिर्फ 1 लाख संतुष्ट ग्राहकों का बढ़ता विश्वास हमारे साथ है बल्कि अनेक अवार्ड्स इसका प्रत्यक्ष प्रमाण भी है। भोपाल, रायपुर, इंद्रौर, पुणे,जयपुर, बंगलूरू मे भी हमारे सभी क्लीनिक सफलतापूर्वक संचारित हो रहे है। हेयर रीग्राथ, स्किन व्हाईटनिंग, बोटाक्स, टैटू एवं सभी प्रकार के कास्मेटिक ट्रीटमेंट विश्वस्तरीय वातावरण में 40 डाक्टर्स की उच्च प्रशिक्षित टीम द्वारा पायजन एंटी एजिंग क्लीनिक में प्रदान किए जाते है।
-पिछले वर्ष भी पायजन ऐन्टी ऐजिंग क्लीनिक को शशी थरूर द्वारा उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने के क्षेत्र में अवार्ड द्वारा सम्मानित किया गया
-पूर्व में पायजन क्लीनिक को दिल्ली में आयाजित पुरस्कार वितरण समारोह में क्रिकेटर श्रीकांत के द्वारा वेस्ट स्किनकेयर क्लीनिक के सम्मान से संस्थान के डायरेक्टर अभिनीत गुप्ता को दिया गया।
डायरिया का सस्ता देसी टीका तैयार
नई दिल्ली। अब जल्दी ही दुनिया भर के गरीब और मध्यवर्गीय परिवार के बच्चों को भी रोटावायरस से सुरक्षा देने वाले टीके लग सकेंगे। बच्चों को दस्त और आंत्रशोथ का शिकार बनाने वाले इस वायरस से आजादी दिलाने वाला ऐसा टीका भारत ने विकसित किया है, जो पुराने टीकों के मुकाबले 90 फीसद से ज्यादा सस्ता है।
केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की साझेदारी में विकसित किए गए इन टीकों के तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण भी पूरा हो चुका है। अब जल्दी ही भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआइ) की इजाजत से ये टीके बाजार में बेचे जाने के लिए बनाए जा सकेंगे। उम्मीद की जा रही है कि दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी इन टीकों की खासी मांग होगी।
इस टीके के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले जैव प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव एम.के. भान कहते हैं कि लगभग तीन दशक की लगातार कोशिश के बाद यह संभव हो सका है। साथ ही ये बताते हैं कि यह टीका बच्चों में 56 फीसद तक प्रभावी पाया गया है। यानी, यह टीका लगाए जाने के बाद बच्चों में रोटावायरस के संक्रमण का खतरा इतना कम हो जाता है। तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण देश में तीन अलग-अलग जगहों पर 6,799 बच्चों में किया गया था। अब जल्दी ही क्लीनिकल परीक्षण की रिपोर्ट औषधि महानियंत्रक को सौंपी जाएगी। इसकी अनुमति मिलने के बाद इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो जाएगा।
इन टीकों की सबसे खास बात है इनका पहले के टीकों के मुकाबले 90 फीसद से भी ज्यादा सस्ता होना। निजी कंपनी ने इसकी कीमत लगभग 54 रुपए रखने का एलान किया है, जबकि पहले से मौजूद टीके 800 से 900 रुपए तक में बिक रहे हैं। बच्चों को रोटावायरस के संक्रमण से बचाने के लिए बच्चे को छह, दस और 14 हफ्ते की उम्र में इसकी तीन खुराक पिलानी होगी। रोटावेक नाम के वैक्सीन का तीसरे चरण का क्लीनिक ट्रायल पूरा हो चुका है।
उल्लेखनीय है कि डायरिया से प्रति वर्ष पांच साल से कम उम्र के एक लाख बच्चों की भारत में मौत हो जाती है। इस सस्ते इलाज से गरीब वर्ग के बच्चों की जान बचाईजा सकेगी। साथ ही इस वैक्सीन से डायरिया और आंत्रशोथहोने की 56 फीसद आशंका भी कम हो जाती है।
दिमाग को दुरूस्त करने के लिए एक झपकी
दिन में केवल एक झपकी न सिर्फ याददाश्त बल्कि आपके दिमाग को भी दुरूस्त करती है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ता मैथ्यू वॉकर और उनकी टीम ने पाया कि दोपहर में लंबी झपकी लेने वाले छात्रों की सीखने की क्षमता में वृद्धि होती है। जबकि लगातार दिनभर जगने वाले छात्रों का मस्तिष्क सीखने की क्षमता खोने लगता है। यूनिवर्सिटी ऑफ एरीजोना के मनोविज्ञान के प्रोफेसर लिन नैडल एवं उनकी टीम ने शिशुओं पर नैपिंग के प्रभाव का अध्ययन किया, तो उनका नतीजा भी यही रहा। झपकी लेने वाले शिशु बेहतर लर्नर पाए गए। कुछ सीखने के बाद नींद लेने वाले बच्चे चीजों को बेहतर ढंग से समझ पाए। यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवानिया स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिक मार्कोस फ्रैंक ने अपने अध्ययन में पाया कि नींद के दौरान दिमाग अपने आपको पुनर्व्यवस्थित कर लेता है और यह क्रिया सीखने के लिए बेहद आवश्यक होती है। नींद के दौरान मस्तिष्क स्विच ऑफ नहीं होता। फर्क इतना ही है कि जब हम जागे हुए रहते हैं, तो यह अलग तरीके से एक्टिव रहता है। वैज्ञानिक मैथ्यू वॉकर के शोध के नतीजे बताते हैं कि मस्तिष्क की मेमोरी पावर सीमित और शॉर्ट टर्म होता है। कुछ तथ्यों को लॉन्ग टर्म मेमोरी में भेजने और नई जानकारियों के भंडारण के लिए स्पेस बनाने के लिए मस्तिष्क को नींद की जरूरत पड़ती है। ऎसे में दिमाग कहीं अधिक एक्टिव और फ्रेश फील करता है। इस शोध में करीब 40 लोगों पर तुलनात्मक अध्ययन किया गया, जिसमें से 20 लोगों ने दोपहर में 90 मिनट की नींद ली और 20 जगे रहे। यह दुनिया का पहला ऎसा शोध नहीं है जो नैपिंग की पैरवी करता हो। इससे पहले हुए शोधों में कुछ इसी तरह के नीजे सामने आए हैं। लिहाजा कहा जा सकता है कि काम के बीच में ब्रेक ले ही लिया जाना चाहिए।
अवचेतन का संदेश सुने, बुरी आदतों से छुटकारा पाएँ
टीवी और इलेक्ट्रानिक उपकरणों के कोहराम ने हमारी सुनने की नैसर्गिक क्षमताओं को कुंद कर दिया है और हम शरीर के मूक संदेशों को सुनना भूल ही गए हैं। यही कारण है कि अब देह आपका ध्यान खींचने के लिए और कठोर भाषा अपनाती है। आपको परेशान करने की कोशिश करती है। उसका संदेश बीमारियों के जरिए शरीर में नजर आने लगता है। जैसे सिरदर्द, बीच-बीच में टूटने वाली नींद,दुर्घटनाओं का आघात यानी ट्रॉमा,लाइलाज मर्ज,खासतौर से पीठ और पेट के रोग। सम्मोहन का नजरिया है कि कोई भी पीड़ा हो,वह एक संदेश है अवचेतन का। आपका अवचेतन आपसे कुछ कहना चाहता है, भागदौड़ छोड़कर जरा रूक जाएं और ध्यान दें। उसकी आवाज सुनें। उसे महसूस करें। यह ध्यान पद्धति सिखाती है कि देह की आवाज फिर कैसे सुननी शुरू की जाए और कैसे एक बार फिर पुरानी पीड़ाओं से छुटकारा पाया जाए।
बॉडी माइंड बैलेंसिंग को किसी भी असंतुलन को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। भले ही वह वजन बढ़ने की समस्या हो, हाजमे की दिक्कतें हों, तरह-तरह के दर्द हों,तनाव या बेचैनी हो। यहां तक कि इसके जरिए बुरी आदतों से छुटकारा पाया जा सकता है। यह ध्यान पद्धति हमारी चिंता भी कम करती है। हम जानते हैं कि डर से तनाव पैदा होता है। लेकिन,इसकी उल्टी प्रक्रिया भी चलती है यानी तनाव से डर भी पैदा होता है। जाहिर है हम जितना रिलैक्स रहना सीखेंगे,उतनी ही कम चिंता सताएगी। नींद अच्छी आएगी,जिससे वैलनेस की अनुभूति को और सहारा मिलेगा। इससे हमें समझने में मदद मिलती है कि हमारी देह और हमारा मन हमारे हाथ में किस तरह बेहतरीन उपकरण हैं। और तब नए किस्म की समझ पैदा होती है,उसके प्रकाश में हमें दिखाई देता है कि हमारा स्वास्थ्य हमारे ही हाथ में है।
मनुष्य की तीन अवस्थाएं होती हैं,एक है रोग,दूसरा है निरोग और तीसरा है नैरोग्य। नैरोग्य यानी वैलनेस। यह जो वैलनेस है उसकी अनुभूति हमसे बिछुड़ गई है,वह अनुभूति जो तब पैदा होती है जब देह और मन एक स्वर में गुनगुनाते हैं। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने अब स्वीकार कर लिया है कि देह और मन के बीच एक गहरा संबंध होता है,वह एक इकाई है।
तनाव भरे समय में ऎसा इंसान मिलना मुश्किल है जिसे कोई न कोई शारीरिक तकलीफ या कोई मानसिक उलझन न हो। लोगों को अक्सर यह महसूस होता है कि वैसे तो उन्हें अपने स्वास्थ्य में कुछ गड़बड़ नहीं दिखाई देती,लेकिन कुछ ऎसा भी है जो दुरूस्त नहीं लगता। कुछ बेचैनी सी,कुछ असंतुलन सा। मनुष्य की तीन अवस्थाएं होती हैं-एक है रोग,दूसरा है निरोग और तीसरा है नैरोग्य। नैरोग्य यानी वैलनेस। यह जो वैलनेस है उसकी अनुभूति हमसे बिछुड़ गई है,वह अनुभूति जो तब पैदा होती है जब देह और मन एक स्वर में गुनगुनाते हैं।
डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने अब स्वीकार कर लिया है कि देह और मन के बीच एक गहरा संबंध होता है,वह एक इकाई है। लगभग आधी से अधिक शारीरिक व्याधियां मानसिक तनाव के कारण होती हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि हमें बौद्धिक समझ प्रदान करने वाले हमारे सचेत मन,यानी कॉशन्स माइंड की पतली सी परत हमारे समूचे अस्तित्व का सिर्फ दसवां हिस्सा होती है। जैसे किसी फल का छिलका होता है वैसे ही सचेत मन अवचेतन मन का एक छिलका भर होता है। इसी छिलके को हम शिक्षित करते हैं,सभ्य,सुसंस्कृत बनाते हैं,नीति,धर्म इत्यादि सिखाते हैं लेकिन इस चेतन परत के मुकाबले मस्तिष्क की अवचेतन परतें अधिक महत्वपूर्ण हैं। अगर हमारा नाता अपने ही अवचेतन से टूट गया तो हमारा जीवन स्वस्थ और संतुलित नहीं रह पाता। जब भी आदमी किसी रोग से ग्रसित होता है तो उसकी जड़ें उसके गहन अवचेतन मन में होती हंै। कोई दबाया हुआ क्रोध या दुख या भय अंदर पड़ा-पड़ा नासूर बन जाता है और फिर वह कैंसर या अन्य किसी रोग के रूप में प्रगट होता है। वो रसायन शरीर के अंगों में प्रवेश कर उन अंगों को कमजोर बनाता है और धीरे-धीरे रोग उनमें घर बना लेता है। अवचेतन की इसी शक्ति को ध्यान में रख कर ओशो ने एक प्राचीन तिब्बती ध्यान पद्धति को पुनर्जीवित किया है। उसे नाम दिया है बॉडी-माइंड बैलेंसिंग,देह और मन का संतुलन। यह एक ऎसी निर्देशित ध्यान पद्धति है जिसके जरिए लोग अपने देह और मन का एक इकाई की तरह उपयोग करना सीखते हैं और स्वास्थ्य को अनुभव कर पाते हैं। ओशो ने कहा है कि एक बार आप शरीर से संवाद करना शुरू करते हैं तो चीजें बहुत आसान हो जाती हैं। क्योंकि शरीर पर जबर्दस्ती नहीं की जा सकती, उसे प्रेम से फुसलाया जा सकता है।
बारिश मे रखे स्वास्थ्य का ध्यान
बारिश के समय बीमारियों का अंबार लग जाता है। इन दिनों मौसम बड़ी ही तेजी से बदलता है और साथ ही संक्रमण का भी डर पैदा हो जाता है। सर्दी-जुखाम और बुखार का खतरा बहुत रहता है लेकिन इन बीमारियों की शुरुआत टॉन्सिल से ही होती है। टॉन्सिल में गला बहुत दर्द होता है तथा खाने का भी स्वाद नहीं पता चलता। लेकिन टॉन्सिल को घरेलू उपचार से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए निम्न सावधानियां और उपचार की ज़रूरत पड़ेगी -
1. स्वच्छता को अपनाए ताकि कोई भी बीमारी आपको छू नहीं पाए। बाथरूम से आने के बाद, खाने से पहले या फिर छींकने के बाद अपने हाथों को धोना ना भूलें। उस व्यक्ति से पूरी तरह से बचें जिसको खांसी या जुखाम हो।
2. कोल्ड ड्रिंक ना पिएं। ठंडा पेय पीने से गले में संक्रमण होने का खतरा अधिक ज्यादा रहता है। टॉन्सिल ना हो इसके लिये बारिश में कोल्ड ड्रिंक ना पिएं। अगर आपको गर्मी लग रही है और आप ज्यादा देर के लिये इंतजार नहीं कर सकते हैं, तो कम से कम अपने पसीन को सूख जाने दें, तभी कोल्ड ड्रिंक पिएं।
3. हर्बल टी पिएं। हर्बल टी पीने से कफ फैलाने वाले जर्म और बैक्टीरिया मर जाते हैं। टॉन्सिल को दूर करने का यह सबसे आम और प्राकृतिक उपचार है। यह शरीर के लिये भी अच्छी है और गले की लिये भी।
4. खट्टे फल ना खाएं। खट्टे फलों में मौजूद एसिड आपके गले को और भी ज्यादा नुक्सान पहुंचा सकते हैं। जब गला खराब हो तो आपको नींबू, संतरा, स्ट्रॉबेरी और मुंसम्बी नहीं खाना चाहिये।
5. तंबाकू या फिर धूम्रपान करने की आदत पर लगाम लगाएँ। ज्यादातर टॉन्सिल होने के पीछे होने का कारण केवल यही तंबाकू होती है। तंबाकू गले को सुखा देती है जिससे संक्रमण होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
बचपन में सीटी स्कैन से कैंसर का ख़तरा
ब्रिटेन। बचपन में सीटी स्कैन करने से रक्त, दिमाग और अस्थि मज्जा के कैंसर का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है। कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक शोधपत्र में बताया है कि कैंसर का खतरा कुल मिला कर छोटा-सा प्रतीत होता है। फिर भी उन्होंने सीटी स्कैन में विकिरण की खुराक न्यूनतम रखने और जहां उचित हो उसका विकल्प खोजने की अपील की।
मेडिकल जर्नल लांसेट में अपने लेख में अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया कि उनका अध्ययन बचपन में सीटी स्कैन विकिरण से रूबरू होने और बाद के वर्षों में कैंसर के खतरों के बीच रिश्ता जोड़ने वाला पहला है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि पिछले 10 साल में सीटी स्कैन बहुत तेजी से बढ़ा है, खास कर अमेरिका में। अनुसंधानकर्ताओं ने इसके लिए ब्रिटेन में एक लाख 80 हजार लोगों का अध्ययन किया जो 1985 से 2002 के दौरान बचपन में या 22 साल से कम उम्र में सीटी स्कैन से गुजरे थे। अध्ययन के अनुसार उनमें से 74 को ल्युकेमिया से और 135 को दिमाग के कैंसर से ग्रस्त पाया गया।
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