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मध्यप्रदेश की वृद्धजन नीति का प्रतिवेदन तैयार मध्यप्रदेश राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण आयोग ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिह चौहान को प्रतिवेदन सौंपा
मध्यप्रदेश राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण आयोग ने मध्यप्रदेश की वृद्धजन नीति का प्रतिवेदन मुख्यमंत्री श्री चौहान को आज मंत्रालय में सौंपा। इस मौके पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा सामाजिक न्याय मंत्री श्री गोपाल भार्गव भी मौजूद थे। आयोग के अध्यक्ष श्री व्ही.जी. धर्माधिकारी ने इस अवसर पर प्रतिवेदन की महत्वपूर्ण अनुशंसाओं की जानकारी मुख्यमंत्री को दी । प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय श्री एम. मोहन राव के साथ ही मध्यप्रदेश राज्य वरिष्ठजन कल्याण आयोग के उपाध्याय श्री नानकराम वाधवानी तथा सदस्य श्री जी.के. श्रीवास्तव भी इस दौरान साथ थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आयोग के कार्यो की सराहना करते हुये कहा कि वे वृद्धजन नीति का गंभीरता से अध्ययन करेंगे ताकि वरिष्ठजन कल्याण के लिये सुझाई गई अनुशंसाओं के क्रियान्वयन की दिशा में शीघ्र उचित पहल हो सके। मंत्री श्री भार्गव ने इसे देश में एक अनूठी पहल बताया। उन्होंने कहा कि आयोग ने वरिष्ठजन के हित में राज्य तथा केन्द्र शासन द्वारा संचालित महत्वपूर्ण योजनाओं का दस्तावेजीकरण भी किया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन ने मध्यप्रदेश के वृद्धजनों की विभिन्न समस्याओं को चिन्हांकित कर उनके पुर्नवास के लिये एक कार्यक्रम बनाने का उत्तरदायित्व मध्यप्रदेश राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण आयोग को सौपा था। इसके साथ ही आयोग से राज्य शासन के लिये वृद्धजन नीति का प्रारूप भी उपलब्ध कराने की अपेक्षा की थी। आयोग ने प्रदेश के समस्त शासकीय/अशासकीय संगठनों एवं शासकीय विभागों व मैदानी अधिकारियों से चर्चायें कर सुझाव आमंत्रित किये थे। प्राप्त सुझावों पर विभागवार चर्चायें व मंत्रणायें की जाकर कुल 488 अनुशंसायें वृद्धजन नीति प्रतिवेदन में प्रस्तुत की गयी है। सुविधा की दृष्टि से इन्हें वित्तीय भार वाली अनुशंसायें व गैर वित्तीय भार वाली अनुशंसायें में विभक्त किया गया है। इनमें वित्तीय भार वाली 125 अनुशंसायें, गैर वित्तीय 319 अनुशंसायें तथा 44 अन्य अनुशंसायें हैं जो सभी विभागों से संबधित है।
वृद्धजन नीति के अंतर्गत प्रस्तावित सुझाव प्रमुख रूप से संगठित व असंगठित क्षेत्र के वरिष्ठजनों की आर्थिक सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल एवं पोषण, जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा, मनोसाजिक समस्याओं के साथ अंतरपीढ़ी समन्वय, आवास व रोजगार के संबध में है। इन सुझावों में आदिवासी क्षेत्रों पर एवं वृद्ध महिलाओं पर भी विशेष फोकस किया गया है। आयोग ने वृद्धजन नीति में प्रमुख रूप से न केवल आज के वरिष्ठजनों के संबध में विचार किया है बल्कि कल के वरिष्ठजन की भी चिंता की है। आयोग ने इस वृद्धजन नीति के जरिये सामाजिक संगठनों की सहायता से वरिष्ठजनों को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की एक नई सोच



फॉरवर्ड इंडिया फोरम - हैप्पीनेस फॉर आल
फॉरवर्ड इंडिया फोरम के मेंबर्स दीपावली अवसर पर गरीब निशक्त बच्चों की मिठाई उपहार में देंगे। फोरम के सेक्रेटरी जनरल श्री शिव हर्ष सुहालका एवं चैयरमेन डॉ. अनूप स्वरूप ने बताया कि कॉलेज और स्कूल के गरीब छात्रों को अंग्रेजी और रोजगार के लिए स्किल्स के लिए ट्रैन किया जाएगा। इस कार्यक्रम के लिए फोरम के प्रोफेशनल मेंबर्स का सहयोग लिया जायेगा ।

आयोग ने दिया अपीलीय अधिकारी पर कार्रवाई के निर्देश
-लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस

राज्य सूचना आयोग ने लोक हित से संबंधित प्रकरण में प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश को खारिज करने के साथ अपीलीय अधिकारी और तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध कड़ी टिप्पणी करते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने अपीलार्थी की अपील मंजूर करते हुए निर्देशित किया है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी, उप संचालक कृषि को सम लोक सूचना अधिकारी मानते हुए उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए संचालक, कृषि, भोपाल को लिखा जाए एवं तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी सहायक संचालक, कृषि को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए कि धारा 7 का उल्लंघन करने के कारण क्यों न उन पर धारा 20 (1) के तहत जुर्माना लगाया जाए।
आयुकत आत्मदीप ने सुनवाई के बाद पारित फैसले में लोक सूचना अधिकारी को आदेशित किया है कि वे अपीलार्थी को लोकहित में चाही गई जानकारी नि:शुल्क उपलब्ध करा कर पालन प्रतिवेदन व कारण बताओ नोटिस का जवाब 14 अटूबर की सुनवाई में पेश करें। फैसले में कहा गया है कि उप संचालक, कृषि, दतिया डी. आर. राजपूत ने प्रथम अपील निरस्त करने तथा अपीलार्थी को वांछित जानकारी न देने के अलग-अलग तिथियों में पृथक-पृथक कारण बताए हैं जो विधिसम्मत व न्यायोचित नहीं हैं। प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा पदीय दायित्व के निर्वहन में गंभीर श्रेणी की विफलता प्रदर्शित की गई है तथा आरटीआई कानून की अवहेलना व अवमानना की गई है।
आत्मदीप ने अपीलार्थी के तर्क को स्वीकार करते हुए आदेश में कहा कि मांगी गई जानकारी भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन एवं व्यापक लोकहित में है। अपीलार्थी ने शासकीय योजनाओं के तहत लोकधन से लोक हित में कराए गए कामों की जानकारी चाही है जिसे प्रदाय करना शासकीय कार्यांे में पारदर्शिता लाने, अनियमितताएं रोकने व सरकारी तंत्र को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने की दृष्टि से आवश्यक है। ऐसी जानकारी चाहना और उसे प्रदान करना सूचना का अधिकार कानून के मूल उद्देश्य की पूर्ति में सहायक सिद्ध होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देशित किया है कि पारदर्शिता ऐसा मानक है कि जिसे जनहित के सभी सार्वजनिक कार्यों में तो अपनाया ही जाना चाहिए।
अपीलार्थी खुमान सिंह बेचैन ने बुंदेलखंड पैकेज के तहत कृषि विभाग द्वारा दतिया जिले में कराए गए कुआ निर्माण, रबी-खरीफ बीज ग्राम प्रशिक्षण, जैविक ग्राम कृषक प्रषिक्षण, आइसोपाम योजनांतर्गत स्टाफ व कृषक प्रषिक्षण, सिंचाई व स्प्रिंकलर पाइप अनुदान वितरण आदि से संबंधित जानकारी मांगी थी। सहायक संचालक, कृषि द्वारा अपूर्ण शुल्क सूचना भेजने तथा चाही गई जानकारी न देने पर की गई प्रथम अपील उप संचालक, कृषि ने इस आधार पर खारिज कर दी कि अपीलार्थी द्वारा चाही गई जानकारी धारा 8 की उप धारा सी,बी,घ,ङ़ के अंतर्गत आती है जो नहीं दी जा सकती।
इस आदेश के विरुद्ध द्वितीय अपील होने पर उप संचालक ने आयोग के समक्ष दलील दी कि अपीलार्थी के शासकीय सेवा में होने से उन्हें जानकारी प्रदाय नहीं की गई और उनकी प्रथम अपील निरस्त की गई। फिर दलील दी कि अपीलार्थी को सेवानिवृत्त होने के बाद जानकारी इसलिए नहीं दी गई, क्योंकि अपीलार्थी का आवेदन उप संचालक, कृषि को संबोधित है जो लोक सूचना अधिकारी नहीं हैं बल्कि अपीलीय अधिकारी हैं।
आत्मदीप ने प्रथम अपीलीय अधिकारी, उप संचालक, कृषि के आदेष को लोक हित व न्यायहित में निरस्त कर दिया है। आयुक्त ने फैसले में कहा है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी ने अपील का निराकरण विधि अनुसार नहीं किया। उनके आदेश का कोई विधिक औचित्य सिद्ध नहीं होता है। आयोग के मत में चाही गई जानकारी आरटीआई कानून की धारा 8 (सी,बी,घ,ङ़) की परिधि में किसी भी दृष्टि से नहीं आती। शासकीय सेवक को भी सूचना प्राप्त करने का अधिकार है। आवेदन प्रथम अपीलीय अधिकारी को किए जाने की स्थिति में धारा 6 (3) के अनुसार अपीलीय अधिकारी को आवेदन, लोक सूचना अधिकारी को 5 दिन में अंतरित करना चाहिए था जो नहीं किया गया। फिर भी लोक सूचना अधिकारी को आवेदन की जानकारी होना प्रमाणित हुआ है। अत: अपीलार्थी को आवेदन के अनुसार जानकारी प्रदाय की जानी चाहिए थी।



29 अक्टूबर से 2 नवंबर तक बैतूल में होगी फौज में नए रंगरूटों की भर्ती
बैतूल के पुलिस ग्राउंड में भोपाल भर्ती कार्यालय द्वारा 29 अक्टूबर से 2 नवंबर तक फौज में नए रंगरूटों की भर्ती की प्रक्रिया चलेगी। इस भर्ती प्रक्रिया में राजगढ़, भोपाल, हरदा, रायसेन, छिंदवाड़ा, बैतूल, विदिशा, होशंगाबाद और सिहोर जिलों के युवा हिस्सा ले सकते हैं। इस भर्ती में सफल होने के लिए युवाओं को कुछ मानदंडों पर खरा उतरना होगा। उन्हें 1600 मीटर की दौड़, बीम, 9 फीट गड्ढा और जिग-जैग संतुलन का टेस्ट पास करना होगा। जो युवा इन सभी टेस्ट को पास कर लेंगे उनका मेडिकल कराया जाएगा और उनकी लिखित परीक्षा होगी। यह भर्ती सेना में सैनिक सामान्य ड्यूटी, सैनिक नर्सिंग सहायक/ सैनिक नर्सिंग सहायक (वेटनरी), सैनिक तकनीकी और ट्रेड्समैन के लिए है।ी।


सूचना आयोग का अहम फैसला
अपीलीय अधिकारी पर कार्रवाई के निर्देश, लोक सूचना अधिकारी से मांगा जवाब

भोपाल, 10 अक्टूबर। राज्य सूचना आयोग ने लोक हित से संबंधित प्रकरण में प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश को खारिज करने के साथ अपीलीय अधिकारी और तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध कड़ी टिप्पणी करते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने अपीलार्थी की अपील मंजूर करते हुए निर्देशित किया है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी, उप संचालक कृषि को सम लोक सूचना अधिकारी मानते हुए उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए संचालक, कृषि, भोपाल को लिखा जाए एवं तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी सहायक संचालक, कृषि को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए कि धारा 7 का उल्लंघन करने के कारण क्यों न उन पर धारा 20 (1) के तहत जुर्माना लगाया जाए।
आयुकत आत्मदीप ने सुनवाई के बाद पारित फैसले में लोक सूचना अधिकारी को आदेशित किया है कि वे अपीलार्थी को लोकहित में चाही गई जानकारी नि:शुल्क उपलब्ध करा कर पालन प्रतिवेदन व कारण बताओ नोटिस का जवाब 14 अटूबर की सुनवाई में पेश करें। फैसले में कहा गया है कि उप संचालक, कृषि, दतिया डी. आर. राजपूत ने प्रथम अपील निरस्त करने तथा अपीलार्थी को वांछित जानकारी न देने के अलग-अलग तिथियों में पृथक-पृथक कारण बताए हैं जो विधिसम्मत व न्यायोचित नहीं हैं। प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा पदीय दायित्व के निर्वहन में गंभीर श्रेणी की विफलता प्रदर्शित की गई है तथा आरटीआई कानून की अवहेलना व अवमानना की गई है।
आत्मदीप ने अपीलार्थी के तर्क को स्वीकार करते हुए आदेश में कहा कि मांगी गई जानकारी भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन एवं व्यापक लोकहित में है। अपीलार्थी ने शासकीय योजनाओं के तहत लोकधन से लोक हित में कराए गए कामों की जानकारी चाही है जिसे प्रदाय करना शासकीय कार्यांे में पारदर्शिता लाने, अनियमितताएं रोकने व सरकारी तंत्र को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने की दृष्टि से आवश्यक है। ऐसी जानकारी चाहना और उसे प्रदान करना सूचना का अधिकार कानून के मूल उद्देश्य की पूर्ति में सहायक सिद्ध होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देशित किया है कि पारदर्शिता ऐसा मानक है कि जिसे जनहित के सभी सार्वजनिक कार्यों में तो अपनाया ही जाना चाहिए।
अपीलार्थी खुमान सिंह बेचैन ने बुंदेलखंड पैकेज के तहत कृषि विभाग द्वारा दतिया जिले में कराए गए कुआ निर्माण, रबी-खरीफ बीज ग्राम प्रशिक्षण, जैविक ग्राम कृषक प्रषिक्षण, आइसोपाम योजनांतर्गत स्टाफ व कृषक प्रषिक्षण, सिंचाई व स्प्रिंकलर पाइप अनुदान वितरण आदि से संबंधित जानकारी मांगी थी। सहायक संचालक, कृषि द्वारा अपूर्ण शुल्क सूचना भेजने तथा चाही गई जानकारी न देने पर की गई प्रथम अपील उप संचालक, कृषि ने इस आधार पर खारिज कर दी कि अपीलार्थी द्वारा चाही गई जानकारी धारा 8 की उप धारा सी,बी,घ,ङ़ के अंतर्गत आती है जो नहीं दी जा सकती।
इस आदेश के विरुद्ध द्वितीय अपील होने पर उप संचालक ने आयोग के समक्ष दलील दी कि अपीलार्थी के शासकीय सेवा में होने से उन्हें जानकारी प्रदाय नहीं की गई और उनकी प्रथम अपील निरस्त की गई। फिर दलील दी कि अपीलार्थी को सेवानिवृत्त होने के बाद जानकारी इसलिए नहीं दी गई, क्योंकि अपीलार्थी का आवेदन उप संचालक, कृषि को संबोधित है जो लोक सूचना अधिकारी नहीं हैं बल्कि अपीलीय अधिकारी हैं।
आत्मदीप ने प्रथम अपीलीय अधिकारी, उप संचालक, कृषि के आदेष को लोक हित व न्यायहित में निरस्त कर दिया है। आयुक्त ने फैसले में कहा है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी ने अपील का निराकरण विधि अनुसार नहीं किया। उनके आदेश का कोई विधिक औचित्य सिद्ध नहीं होता है। आयोग के मत में चाही गई जानकारी आरटीआई कानून की धारा 8 (सी,बी,घ,ङ़) की परिधि में किसी भी दृष्टि से नहीं आती। शासकीय सेवक को भी सूचना प्राप्त करने का अधिकार है। आवेदन प्रथम अपीलीय अधिकारी को किए जाने की स्थिति में धारा 6 (3) के अनुसार अपीलीय अधिकारी को आवेदन, लोक सूचना अधिकारी को 5 दिन में अंतरित करना चाहिए था जो नहीं किया गया। फिर भी लोक सूचना अधिकारी को आवेदन की जानकारी होना प्रमाणित हुआ है। अत: अपीलार्थी को आवेदन के अनुसार जानकारी प्रदाय की जानी चाहिए थी।



अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा-2014 की सार्वजनिक घोषणा
17 September 2014
महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह के जन्म दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश के अनेक जन-पक्षीय संगठनों ने अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच और देश के 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में इससे जुड़े तकरीबन 45 सदस्य-संगठनों व 100 से ज्यादा बिरादराना संगठनों द्वारा आयोजित की जा रही ‘अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा-2014’ में सक्रिय भागीदारी की घोषणा की। इस यात्रा का मकसद है शिक्षा में बाजारीकरण और सांप्रदायीकरण व हर तरह के भेदभाव के विरुद्ध जनता के व्यापक हिस्सों को संगठित करना ताकि ‘केजी से पीजी’ तक पूरी तरह मुफ्त और राज्य द्वारा वित्त-पोषित ‘समान शिक्षा प्रणाली’ की स्थापना की जा सके जो समतामूलक, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, प्रबुद्ध और मानवीय भारत का निर्माण करने में सक्षम हो जिसका ख्वाब शहीद भगत सिंह व उनके क्रांतिकारी साथियों ने देखा था
शिक्षा अधिकार मंच, भोपाल द्वारा आहूत बैठक में ‘अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा-2014’ के राज्य में आयोजन के लिए “मध्य प्रदेश आयोजन समिति’ का गठन किया गया जिसमें शामिल संगठनों की सूची संलग्न है।
यह यात्रा 2 नवंबर 2014 को, सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून के खिलाफ इरोम शर्मिला के संघर्ष में एकजुटता के साथ, हमारे राज्य सहित पूरे देश में शुरू हो रही है। हमारे राज्य की जिला व ब्लाक स्तरीय यात्राएं उन देशव्यापी आंचलिक यात्राओं में मिल जायेंगी जो देश के उत्तर-पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी, पूर्वी और उत्तरी कोनों से निकलेंगी। यात्रा का समापन 4 दिसंबर 2014 को भोपाल में साम्राज्यवादी पूंजीवाद की क्रूरता और दमन के खिलाफ तीस साल से संघर्षरत भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों से एकजुटता जाहिर करते हुए होगा।
इसके साथ ही 4 दिसंबर को यात्रा का भोपाल समापन निम्नांकित उद्देश्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है, (क) वर्ग, जाति, पितृसत्ता और हर तरह के भेदभाव से मुक्त लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समतामूलक समाज बनाने का उद्देश्य, जिसकी परिकल्पना संविधान में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने की थी जिनका महापारिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर को है; (ख) भारत के सामाजिक ताने-बाने और साम्राज्यवादविरोधी स्वाधीनता संग्राम से चली आ रही साझी संस्कृति की समृद्ध धरोहर को विकृत व कमजोर करने वाली और 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद ढहाने वाली संकीर्ण और विभाजनकारी सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ व्यापक प्रतिरोध खड़ा करने का उद्देश्य, और (ग) 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस के मौके पर वर्तमान गैरबराबर व्यवस्था द्वारा हाशिए पर धकेले गए विकलांग लोगों के समान अवसर व न्याय के अधिकार के लिए संघर्ष करने का उद्देश्य।

‘अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा’ में;

(क) हम समानता के मूलभूत संवैधानिक उसूल का उल्लंघन करने वाली मौजूदा भेदभावपूर्ण बहुपरती शिक्षा प्रणाली का विरोध करेंगे और पूरी तरह से राज्य द्वारा वित्त-पोषित व बराबरी पर आधारित, 12वीं कक्षा तक समान पड़ोसी स्कूल व्यवस्था समेत, ‘केजी से पीजी तक’ की‘समान शिक्षा प्रणाली’ के लिए संघर्ष करेंगे जिसमें बच्चों व युवाओं को उनकी सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, आंचलिक, जातीय, भाषाई या लैंगिक पृष्ठभूमि और शारीरिक या मानसिक विकलांगता के आधार पर भेदभाव किये बगैर पूरी तरह से मुफ़्त और समान शिक्षा की गारंटी हो।
(ख) हम सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पी.पी.पी.) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़.डी.आइ.) समेत शिक्षा के किसी भी प्रकार के बाज़ारीकरण का विरोध करेंगे और हाशिए पर धकेले गए समूहों, यथा दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, विकलांगों और धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यकों खासतौर से इन समुदायों की महिलाओं के लिए व अन्य उत्पीड़ित समुदायों एवं समूहों जैसे खानाबदोश कबीलों, डी-नोटिफाइड जनजातियों, बंधुआ मजदूरों, विस्थापितों, सुदूर द्वीपों के निवासियों और रेगिस्तान, जंगलों व गांवों के निवासियों और ट्रांसजेंडरों के सामाजिक न्याय व समानता के अधिकार के लिए संघर्ष करेंगे।
(ग) हम शिक्षा के नव-उदारवादी एजेंडे का विरोध करेंगे जो वैश्विक पूंजी की जरूरत के मुताबिक शिक्षा के उद्देश्य को विकृत कर उसे गुलाम मानसिकता के कुशल कामगारों के उत्पादन तक सीमित कर देता है और इसकी जगह पर हम ऐसी शिक्षा व्यवस्था के लिए संघर्ष करेंगे जिसका उद्देश्य समाज के मानवीय विकास के लिए हरेक व्यक्ति को प्रबुद्ध व सचेत बनाना होगा।
(घ) हम भारत सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्व व्यापार संगठन-गैट्स को दिए गए ‘प्रस्तावों’ और हमारी उच्च शिक्षा को वैश्विक पूंजी का पिछलग्गू बनाने की कानूनी चालों का विरोध करेंगे और शिक्षा व सभी स्तरों पर ज्ञान के निर्माण व उस संबंध में नीति-निर्माण के लिए देश की संप्रभुता को बरकरार रखने के लिए संघर्ष करेंगे।
(ङ) हम शिक्षा के सांप्रदायीकरण एवं दक्षिणपंथी संगठनों, खासतौर से संघ परिवार व उससे जुड़े संगठनों द्वारा शिक्षा में दकियानूसी, संकीर्ण और विभाजनकारी दुष्प्रचार का विरोध करेंगे और पाठ्यचर्या को वैज्ञानिक, धर्मनिरपेक्ष, आलोचनात्मक और लोकतांत्रिक नज़रिए से लैस करने के लिए व देश की बहुलता के सम्मान और धार्मिक, भाषाई व सांस्कृतिक समूहों के लोकतांत्रीकरण के लिए संघर्ष करेंगे ताकि वर्ग, जाति, जेंडर, भाषा, अंचल, और शारीरिक अथवा मानसिक विकलांगता पर आधारित गैर-बराबरी का खात्मा किया जा सके।
(च) हम स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हो रहे हमलों का विरोध करेंगे और शिक्षा संस्थानों व कैम्पसों में किसी भी तरह के अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की आज़ादी, आलोचनात्मक विचार, असहमति की अभिव्यक्ति व बहस की आज़ादी, और शांतिपूर्ण विरोध (सत्याग्रह) के अधिकार के पक्ष में संघर्ष करेंगे।
(छ) बहुभाषीयता के संदर्भ में मातृभाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाए जाने के शिक्षाशास्त्रीय महत्व पर बल देते हुए, हम सभी सरकारी व निजी शिक्षा संस्थानों में शिक्षा के माध्यम के रूप में अंगरेजी के वर्चस्व का विरोध करेंगे और एक बहु-भाषाई परिवेश में मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के तौर पर स्थापित करने के लिए संघर्ष करेंगे। साथ ही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में, ज्ञान-उत्पादन में, विज्ञान के प्रसार और कामकाज में, सामाजिक विज्ञानों व मानविकी में, लेन-देन और व्यापार में भारतीय भाषाओं की मुख्य भूमिका के लिए संघर्ष करेंगे;

सामाजिक संस्था 'गांधी विचार मंच' ने "बोरीवली स्टेशन" का नाम "बौद्ध नगरी" करने की माँग किया है
17 September 2014
मुंबई। मुंबई के मालाड ( वेस्ट) में स्थित सामाजिक संस्था 'गांधी विचार मंच' के अध्यक्ष श्री मनमोहन गुप्ता ने "बोरीवली स्टेशन" का नाम "बौद्ध नगरी" करने की माँग किया है। उनका कहना है कि मुंबई के उपनगर बोरीवली में प्राचीनकाल में बौद्ध स्तूप बनाये गए थे। यहाँ पर बौद्ध भिक्छुओं की शिक्षा - दीक्षा की व्यवस्था थी। यहाँ पर दूर- दूर से भिछू पढ़ने के लिए आते थे। यहाँ पर शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे महात्मा बुद्ध के विचारों का प्रचार- प्रसार करने के लिए देश -विदेश के भ्रमण पर निकल जाते थे। आज भी यहाँ पर स्तूप के अवशेष दिखाई देते है। और ये स्तूप मरम्मत के आभाव से ढह गए। आज बोरीवली में नेशनल पार्क, कनेरी केव इत्यादि है। यदि "बोरीवली स्टेशन" का नाम "बौद्ध नगरी' कर दिया जाय तो इसका प्रचार- प्रसार होगा और पर्यटक यहाँ आएंगे और यह के अच्छा पर्यटन स्थल साबित होगा और सरकार को भी फायदा होगा और यहाँ के लोगों को रोज़गार मिलेगा।


भोपाल में एनएचआरसी की तीन दिवसीय ओपन हियरिंग एंड कैंप सिटिंग का समापन
11 September 2014
‘महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले में एफआईआर दर्ज नहीं करना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दंडनीय अपराध है।’ आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी, भोपाल में मीडिया को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति के.जी. बालाकृष्णन ने कहा, ‘मानवाधिकार का उल्लंघन पूरे भारत में हो रहा है। बाल न्याय बोर्ड और बाल कल्याण समिति का गठन सभी राज्यों में किया जा चुका है।’ उन्होंने कहा, ‘मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के समक्ष महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को रखा गया है और आयोग ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि वह पुलिस को मानवाधिकार के मामलों के प्रति संवदेनशील बनने को प्रेरित करें।’ न्यायमूर्ति बालाकृष्णन ने आगे कहा, बंधुआ मजदूरी और बाल श्रम को खत्म करने के लिए विद्यालयों को समुचित निधि मुहैया कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में वन क्षेत्रों से आदिवासियों को निर्वासित करना, सरकारी संस्थाओं में पीने का पानी और सफाई व्यवस्था जैसे मुद्दे चिंता के विषय हैं। एनएचआरसी ने सिलिकॉसिस से पीड़ित लगभग तीन हजार श्रमिकों की स्वास्थ्य सर्वे के भी निर्देश दिए। रतनगढ़ मंदिर में हुई भगदड़पर बात करते हुए उन्होंने कहा पीड़ितों के परिवारों को समुचित मुआवजा के अलावा आयोग इस मामले में कोताही बरतने वाले अधिकारियों को दंडित करने के लिए सिफारिश करेगा।
आयोग के अध्यक्ष ने मीडिया को बताया कि एनएचआरसी ने सिलिकॉसिस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक केस दर्ज कराया है। उन्होंने आपदा प्रबंधन के अधिकारियों को हर तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा। पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से कहा है कि वह राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद पर जल्द से जल्द सुयोग्य व्यक्ति को पदस्थापित करें। एनएचआरसी के सदस्य न्यायमूर्ति साइरेक जोसफ, न्यायमूर्ति डी. मुरुगेशन और एस.सी. सिन्हा ने भी संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लिया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति के.जी. बालाकृष्णन आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन एवंप्रबंधन अकादमी, भोपाल मेंसंवाददाता सम्मेलन केदौरान मीडिया को संबोधित करते हुए। साथ में हैं एनएचआरसी के सदस्य न्यायमूर्ति साइरेक जोसफ और न्यायमूर्ति डी. मुरुगेशन।


एनएचआरसी ने दतिया जिले के रतनगढ़ मंदिर में हुई भगदड़ में मृत लोगों के परिवारों को 5 करोड़ 50 लाख मुआवजा देने का निर्देश दिया
11 September 2014
एनएचआरसी ने ओपन हियरिंग एंड कैंप सिटिंग के दूसरे दिन आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी, भोपाल में लोगों की शिकायते सुनीं। न्यायमूर्ति के.जी. बालाकृष्णन के नेतृत्व में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल जिसमें न्यायमूर्ति साइरेक जोसफ और एस.सी. सिन्हा भी शामिल थे| इस सुनवाई को अंजाम दिया। उनके साथ इस प्रक्रिया में कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
दूसरे दिन आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति के.जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली फुल बेंच और एनएचआरसी की दो अन्य पीठ अनुसूचित जाति के लोगों और उनके मानवाधिकार उल्लंघन के मामलो की सुनवाई की। एनएचआरसी ने राज्य सरकार की अनदेखी की वजह से दतिया जिलेकेरतनगढ़ मंदिर में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों के मामले की जांच भी की, पुलिस हिरासत में हुई मौत, पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करना, महिलाओं पर अत्याचार, अनुसूचित वर्ग के बच्चों के साथ विद्यालयोंमें भेदभाव, पेंशन भुगतान मेंविलंब जैसे मामलों की सुनवाई की।
एनएचआरसी ने राज्य सरकार की अनदेखी की वजह से दतिया जिले के रतनगढ़ मंदिर में हुई भगदड़ में मृत लोगोंके 110 परिवारों के सदस्यों को 5-5 लाख प्रति परिवार देने का निर्देश दिया। मप्र सरकार 2 लाख और केंद्र सरकार 3 लाख प्रति परिवार मुआवजा देगी। आयोग ने पीड़ित परिवार के लोगों को राहत मुहैया कराने का निर्देश भी अधिकारियों को दिया। आयोग ने पन्ना खान में काम कर रहे सभी श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच के भी निर्देश दिए। आयोग ने वहां पर सिलिकॉसिस से प्रभावित 4 लोगों को 3-3 लाख रुपये मुआवजा के तौर पर देने के आदेश दिए। आयोग ने कहा कि जनसुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिकारियों को बेहतर तैयारी के साथ आना चाहिए था।


विकलांगों को मिलेंगे यूनिवर्सल पहचान-पत्र
11 September 2014
नई दिल्ली | करीब85 लाख विकलांग नागरिकों को यूनिवर्सल पहचान पत्र दिए जाएंगे। इससे उन्हें देशभर में सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने में दिक्कत नहीं होगी। इसका ऑनलाइन डाटाबेस भी होगा। विकलांगों की पहचान के लिए सर्वे हो रहा है।


सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान, 20 हजार जुर्माना
11 September 2014
नई दिल्ली | सार्वजनिकजगहों पर धूम्रपान करने पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लग सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक पैनल ने यह प्रस्ताव दिया है। साथ ही खुली सिगरेट की बिक्री बैन करने और तंबाकू सेवन की न्यूनतम आयु 25 साल करने का प्रस्ताव भी है।


सफलता एवं बेहतर प्रबंधन के लिये पांच ‘‘स‘‘ पंचसूत्रीय क्रियान्वयन जरूरी - डाॅ. संजय मालपाणि
बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देकर आरोग्यधाम में कुशल जीवन प्रबन्धन पर प्रशिक्षण सम्पन्न

Our Correspondent : 14 April 2014

चित्रकूट 14 अप्रैल 2014/ हम स्थानीय स्तर पर कार्य जरूर करते हैं लेकिन हमारे मन में विश्व स्तर का सोचने की कामना होना चाहिए। हमेशा अपने ज्ञान को अद्यतन करने और भविष्य की संभावनाओं और योजनाओं के लिये किसी भी चुनौती को स्वीकार करने की क्षमता विकसित करना जरूरत ही नहीं आवश्यक होना चाहिए। उपरोक्त बातें दीनदयाल शोध स्थान के आजीवन स्वास्थ्य संबंर्धन आरोग्यधाम परिसर के सेमीनार हाल में अहमदनगर महाराष्ट्र के संगमनेर कालेज के चेयरमैन एवं गीता परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ता डाॅ. संजय मालपाणि द्वारा व्यक्त की गईं। आरोग्यधाम में कुशल जीवन प्रबंधन और व्यावहारिक पक्षों पर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ डाॅ. भीमराव अंबेडकर जी के जयंती अवसर पर उनके चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर संचालन करी उद्यमिता विद्यापीठ चित्रकूट की निदेशक डाॅ. नंदिता पाठक ने बाबा साहेब के चित्र परुष्पार्चन करते हुए कहा कि डाॅ. अम्बेडकर शोषित समाज को जाग्रत करने वाले समानता के शिखर पुरुष है। वे भारतीय संस्कृति की महान विरासत के संरक्षक तथा उस विरासत को अपवित्र करने वाले छुआ-छूत, ऊॅंच-नीच जैसे विषदंतों को उखाड़ फेकने वाले महापुरुष है। इस दौरान महाराष्ट्र से विशेष रूप से पधारे डाॅ. संजय मालपाणि ने प्रजेन्टेशन के माध्यम से कुशल जीवन प्रबंधन की सफलता एवं बेहतर संचालन के लिये पांच ‘‘स‘‘ पंचसूत्रीय क्रियान्वयन को जरूरी बताते हुए संगमनेर कालेज महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि ‘‘स्थानीय स्तर पर कार्य एवं विश्व स्तर पर सोच‘‘ के सिद्धांत को लेकर कालेज में अध्ययनरत ग्रामीण परिवेश के गरीब युवाओं को शत्-प्रतिशत किसी न किसी रूप में स्काॅलरशिप प्रदान की जा रही है। एक महान दृढ़ संकल्प एवं चैतरफा व्यक्तित्व विकास की संस्कृति को गतिशील बनाने के उद्देश्य से कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि हम सहविचार सभा में पांच ‘‘स‘‘ सुनियोजितता, सुव्यवस्था, स्वच्छता, प्रमाणबद्धता एवं शिष्टता को लेकर कार्य एक टास्क के रूप में कराया था जिसका बेहतर परिणाम कुशल कार्य प्रबन्धन के रूप में िकालकर आया और उसके बाद उस कार्य को और भी उत्कृष्ट बनाने के लिये दूसरे पांच ‘‘स‘‘ के सूत्र स्माइल, स्पीक, शेयर, शार्पन एवं स्मार्ट गोल पर क्रमबद्ध रूप से कार्य करके अपनी दिनचर्या स्माइल से शुरू करते हुए संवाद बढ़ाते हुए समन्वयक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेंगे तो हम अपने साथ-साथ अपने बच्चों का भी विकास कर सकेंगे। सद्विचार, सद्विवेक, सद्आचार, सद्भाव और सद्-चारिन्न्य यह मूलभूत बातें हमारे जीवन को अगर स्पर्श करने लगेंगी तो हम निश्चित तौर पर सकारात्मक परिणाम दे सकेंगे। व्यक्ति के विचार तो अच्छे हैं लेकिन कभी-कभी विचारों में भी द्वंद हो जाता है। इसलिये सद्विवेक जरूरी है सामने वाला क्या बोल रहा है उससे कोई मतलब नहीं लेकिन सामने वाला क्या कह रहा है वहीं हमें दिखता है। राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख से ऊर्जा पाकर देश भर से कई जगहों और गांवों मंे छोटी-छोटी संस्थाएं काम कर रहीं है। राह कांटो से भरी है, कुशल मन से लांघना है। नानाजी ने हमें जो रास्ता दिखाया है उस पर हम हाथ मिलाकर आगे बढ़ेंगे तो कामयाब जरूर होंगे और उस विजय के क्षितिज पर जरूर पहंुचेंगे। इस अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के उद्यमिता विद्यापीठ, गुरुकुल संकुल, सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय विद्यालय, गोशाला, रसशाला, आयुर्वेद कालेज, आरोग्यधाम, रामदर्शन, शैक्षणिक अनुसंधान केन्द्र, कृषि विज्ञान केन्द्र, जन शिक्षण संस्थान, रामनाथ आश्रमशाला, परमानंद आश्रमपद्धति विद्यालय आदि प्रकल्पों से प्रमुख कार्यकर्ता महिला-पुरुष उपस्थित रहे।

सेवा का भाव पैदा करने वालों को पहले सेवा का पात्र बनना जरूरी - डाॅ. हरी
Our Correspondent : 14 Aug 2013

चित्रकूट 16 अगस्त 2013/जब हम अपने मन में सोच लेगें कि भ्रष्टाचार को रोकना है तो पहले स्वयं को आगे आना होगा। नहीं तो हजारों-लाखों करोड़ों रूपयें के 2 जी स्पैक्ट्रम और कोयला घोटाला हमारे देश में होते रहेंगे और हम आम आदमी की तरह हमें क्या करना कहकर बढ़ावा देते रहेंगे। हमें सोचना होगा कि इस तरह के एक घोटाले की राशि से हमारे देश के 623 जिलों में सिचाई के लिये पर्याप्त नहरें, कुॅआ और लाखों किलोमीटर 4 लाइन सड़क तैयार हो सकती थी। हमें इन घोटालों का प्रति व्यक्ति औसत रूपयें का हिसाब लगाना चाहिये। उपरोक्त बातें दीनदयाल शोध संस्थान, उद्यमिता विद्यापीठ चित्रकूट में नेहरू युवा केन्द्र पन्ना के तत्वाधान में 6 जिलों के स्वयंसेवकों के बीच सेवानिवृत्त पुलिस उप महानिरीक्षक डाॅहरीसिंह यादव द्वारा कहीं गई। इस अवसर पर नेहरू युवा केन्द्र पन्ना व छतरपुर के समन्वयक एम.पी.नागिल एवं सतना-रीवा के समन्वयक ए.जी.खान, उद्यमिता विद्यापीठ की निदेशक डाॅ. नंदिता पाठक सहित समाज शिल्पी दम्पति योजना के प्रभारी डाॅ अशोक पाण्डेय मंचासीन रहें। इस मौके पर नागौद एवं उचेहरा, मझगवाॅ जनपद की स्व.सहायता समूह की महिलाऐ जिनको उद्यमिता विद्यापीठ द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। वे भी अपने समूह के साथ इस दौरान उपस्थित रही। सभी के बीच अपने आतिथ्य उद्बोधन में ग्राम विकास और सेवा-संस्कार के साथ युवा पीढी को नसीहत के साथ अपने अनुभवों को रखते हुये पूर्व पुलिस उपमहानिरीक्षक डाॅ. हरीसिंह यादव ने कहा कि सेवा के क्षेत्र में मेरी पे्ररणा स्त्रोत मेरी छोटी बहिन डाॅ.नंदिता पाठक जो यहाॅ उपस्थित है। उनका मार्गदशन आप सबकों पूरे समय मिल रहा है। साथ ही हम सबके पे्ररणा स्त्रोत श्रद्धेय राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख जिनके संस्थान में आपका प्रशिक्षण सम्पन्न हो रहा है।
उनके श्रीचरणों में प्रणाम और श्रद्धासुमन अर्पित करता हूॅ। सेवा का कार्य स्व पे्ररणा से चलने वाला कार्य है। दीनदयाल शोध संस्थान के परिसर में नेहरू युवा केन्द्र का यह प्रशिक्षण निश्चित तौर पर सेवा से ओतप्रोत है। जब मन में सेवा का भाव पैदा हो गया है तो सेवा का पात्र भी बनना चाहिय। सबसे पहले हमें अपने शरीर को स्वस्थ्य रखना है। तभी सेवा कर पाऐगें। सेवा का भाव लेकर कार्य तो करिये फिर गली-गली में रामभक्त हनुमान जी की तरह जरूर पुजेंगे। हमारे लिये देशभक्ति भी जरूरी है। देश नही तो कुछ नहीं। इसलिये देशभक्ति भी पैदा करना है। गुलामी बहुत बुरी होती है। हमने और आपने तो प्रत्यक्ष रूप से उसे देखा नहीं है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से हम आज भी गुलामी में जी रहें है। आज संस्कारों की जरूरत है हम संस्कार नहीं डाल पा रहे है। हम पानी नहीं बचा पा रहे है। हम पेड नहीं बचा पा रहे है। जितने भी महापुरूष हुये है। उनके अंदर अहंकार नहीं था इसलिये वे आगे बढ़े। हमें भी अपना अहंकार छोडकर जमीनी हकीकत को समझना है। हम सेवा का भाव दीनदयाल शोध संस्थान से ही चुराकर ले गये है। हमारे पुलिस विभाग की देवदूत योजना भी इसी का ही एक रूप है। सिपाही घर-घर जाऐंगे और लोगों की समस्या को सुनें। जैसे नानाजी का ध्येय था कि मै अपने लिये नहीं,अपनों के लिये हूॅ-अपने वे है जो पीडि़त और उपेक्षित है। इसलिये हमें भी पीडि़त और उपेक्षित लोगों के लिये ही जीना सीखना है। इस अवसर पर युवा लोगों द्वारा किये गये प्रश्नों की प्रश्नोत्तरी भी आयोजित की गई जिसमें ग्राम विकास एवं अन्य शंका भरे प्रश्नों का उत्तर मंच से अतिथियों द्वारा दिया गया।


हमें जवाब चाहिएए जंगल पर अधिकार चाहिएः महान संघर्ष समिति
Our Correspondent : 14 Aug 2013

भोपाल। 13 अगस्त 2013। मध्यप्रदेश के विभिन्न सिविल सोसाइटी समूहों ने एक संवाददाता सम्मेलन में महान संघर्ष समिति को समर्थन देते हुए मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश से सिंगरौली के महान जंगल पर वनाधिकार अधिनियम लागू नहीं करने पर जवाब मांगा। केन्द्रीय जनजातीय मंत्री वीण्केण्सी देव के द्वारा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को महान जंगल में वनाधिकार कानून के उल्लंघन को लेकर दो महीने पहले ही चिट्ठी लिखी गयी थी लेकिन अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है।
महान कोल लिमिटेड ;एस्सार व हिंडाल्को का संयुक्त उपक्रमद्ध को प्रस्तावित खदान का विरोध कर रहे ग्राणीणों के साथ ढाई सालों से काम कर रही महान संघर्ष समिति की कार्यकर्ता व ग्रीनपीस की सीनियर अभियानकर्ता प्रिया पिल्लई ने कहा कि ष्राज्य सरकार ने जनजातीय मंत्रालय को अभी तक जवाब नहीं दिया है। राज्य सरकार इस मुद्दे पर अपने पैर नहीं खिंच सकतीष्।
प्रिया ने आगे कहा कि ष्पिछले साल वन व पर्यावरण मंत्रालय ने कोल ब्लॉक को पहले चरण का निकासी 36 शर्तों के साथ दिया जिसमें वनाधिकार अधिनियम को लागू करवाना भी है। फिर भी राज्य सरकार ने कंपनी को फर्जी ग्राम सभा के आधार पर अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिया हैष्।
6 मार्च 2013 को अमिलिया ग्राम में एक विशेष ग्राम सभा आयोजित की गयी। इसमें कुल 184 लोगों ने हिस्सा लिया लेकिन आरटीआई के सहारे निकाली गये ग्राम सभा के प्रस्ताव पर 1125 लोगों का हस्ताक्षर है। इनमें ज्यादातर हस्ताक्षर फर्जी हैं। कई हस्ताक्षरित नाम तो ऐसे भी हैं जिनका निधन हो चुका है। 19 जूलाई 2013 को महान संघर्ष समिति के साथ संयुक्त प्रेस सम्मेलन में केन्द्रीय मंत्री देव ने इस मामले की जांच करने का आश्वासन दिया था।
समाजवादी जन परिषद व जनसंघर्ष मोर्चा के सुनील भाई ने कहा कि श्पर्यावरण की चिंताओं और स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद सिंगरौली जिले में महान क्षेत्र का जंगल और जमीन देश की दो सबसे बड़ी कंपनियों को सौंपना इस देश में चल रही प्राकृतिक संसाधनों की लूट का एक और उदाहरण है। इस देश का सबसे बड़ा घोटाला ..कोयला घोटाला .. ना केवल सरकारी राजस्व की चोरी हैए बल्कि स्थानीय लोगों की जिंदगियों पर भी हमला है। इससे यह भी पता चलता है कि केन्द्र और राज्य सरकारों का विकास का दावा कितना झूठा है। यह कंपनियों का विकास हैए लोगों का नहीं।
अमिलिया निवासी व महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ता उजराज सिंह खैरवार ने कहा कि ष्हमलोग अपने राज्य के मुख्यमंत्री से अपने अधिकार की मांग करने के लिए भोपाल आए हैं। जनजातीय मंत्रालय ने हमें समर्थन दिया है लेकिन राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं बोला है। कोयला खदान हमें बेघर कर देगी। हम पीढ़ियों से अपनी जीविका के लिए जंगल पर निर्भर हैं।
महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ता खदान से प्रभावित होने वाले गांवों के लोगों को अपने अधिकारों के लिए संघटित करने का प्रयास कर रहे हैं। 4 अगस्त 2013 को समिति द्वारा आयोजित वनाधिकार सम्मेलन में ग्यारह गांवों अमिलियाए बुधेरए बंधोराए पिडरवाहए बंधाए बरवांटोलाए बेरदाहाए जमगडीए खनुआखासए पिड़तालीए बदलमाडा के करीब एक हजार लोगों ने हिस्सा लिया था।
संघर्ष समिति के सदस्य गणेसी सिंह गोंड ने बताया कि ष्सम्मेलन से पहले हमने इन ग्यारह गांवों में पांच दिवसीय यात्रा का आयोजन किया था। उन्होंने अन्य जन आंदोलनों के लोगों द्वारा महान जंगल को कोयला खदान में बदलने का विरोध करने पर खुशी जतायी। उन्होंने कहा कि इससे हमारा उत्साहवर्धन हुआ है और अपनी लड़ाई को आगे ले जाने के लिए नयी ऊर्जा मिली है।
महान संघर्ष समिति के बारे में
सिंगरौली के महान जंगल पर कुल 62 गांवों के लोग आश्रित हैं। अमिलियाए बंधोराए बुधेरए सुहिरा और बरवांटोला के ग्रामीणों ने महान जंगल पर वनाधिकार कानून लागू करवाने तथा प्रस्तावित कोयला खदान के विरोध के लिए महान संघर्ष समिति बनायी है। शुरुआत में महान कोल ब्लॉक को पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने अस्वीकार कर दिया था। लेकिन जैसे भी इन्हें पर्यावरण व वन मंत्रालय ने 18 अक्टूबर 2012 को पहले चरण की स्वीकृति दे दी। साथ हीए दूसरे चरण के लिए 36 शर्तें भी जोड़ी गयीए जिसमें वनाधाकिर कानून 2006 को लागू करवाना भी शामिल है।
यदि महान कोल लिमिटेड को कोयला खदान आवंटित होता है तो इसका सीधा मतलब होगा कि वहां 14ए990 लोगों जिनमें 2001 के जनगणना के अनुसार 5ए650 आदिवासी की जीविका को खत्म करना। महान कोल ब्लॉक के आवंटन का मतलब होगा कि महान जंगल में आवंटन के लिए प्रतिक्षारत छत्रसाल और अन्य कोल ब्लॉक के लिए दरवाजे खोल देना।




 

 

 

सामूहिक प्रत्यक्ष भागीदारी से ही होगा टिकाऊ कार्य संभव- डाॅ. नंदिता
Our Correspondent :03 Aug 2013

नवाबगंज गोण्डा उत्तर प्रदेश के समाज कार्य के विद्यार्थियों का दीनदयाल शोध संस्थान में हुआ शैक्षणिक भ्रमण चित्रकूट 2 अगस्त 2013/ पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानव दर्शन की अवधारणा को लेकर दीनदयाल शोध संस्थान श्रद्धेय नानाजी के बताये मार्ग पर चलने का कार्य कर रहा है। सभी मिलकर सामूहिक प्रयत्न से कार्य करें। आज देश भर के विविध क्षेत्रों के लोग चित्रकूट में हुए सामाजिक पुर्नरचना के कार्य एवं चल रही विविध गतिविधियों का अवलोकन कर अपने क्षेत्रों में संचालित करने के लिए देखने समझने आ रहे है। इस प्रकार के रिप्लीकेशन से ही देश के प्रत्येक ग्राम को एक अनुकरणीय नमूने के रूप में प्रस्तुत कर सकेंगे। चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा गांव की खुशहाली के लिए चलाये जा रहे स्वावलम्बन अभियान को समझने व नानाजी के ग्राम विकास की प्रयोगशाला को देखने नंदिनी नगर स्नातकोत्तर महाविद्यालय नवाबगंज गोण्डा उत्तर प्रदेश के 50 से अधिक छात्र-छात्राएं जो समाज प्रबन्धन की विभिन्न ट्रेडों में अध्ययन के साथ समाज मूलक गतिविधियों से अपने को जोड़कर उच्च शिक्षा के साथ सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने की दृष्टि से छात्र-छात्राओं द्वारा आरोग्यधाम चित्रकूट में रहकर उद्यमिता विद्यापीठ, आरोग्यध्ााम, गुरुकुल संकुल, रामदर्शन, शैक्षणिक गतिविधियों का भ्रमण कर समाज शिल्पी दम्पति के कार्य को समझकर कृषि विज्ञान केन्द्र मझगवां व वाटर शेड के कार्य सहित कृष्णादेवी वनवासी बालिका आवासीय विद्यालय की गतिविधियों को देख रहे हैं। नवाबगंज गोण्डा उत्तर प्रदेश के समाज कार्य विभाग के विद्यार्थियों का दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के शैक्षणिक भ्रमण के दौरान उनको संस्थान की गतिविधियों का प्रस्तुतीकरण देते हुए उद्यमिता विद्यापीठ की निदेशक डाॅ. नंदिता पाठक ने कहा कि एम.एस.डब्ल्यू के विद्यार्थी अपना लक्ष्य निर्धारित करें तथा यह तय करें कि वे किसके लिये जी रहे है तभी वे समाज कार्य से जुड़ सकते है, क्योंकि समाज कार्य के लिये जनता से जुड़ना एवं उसका सहयोग आवश्यक है। समाज में परिवर्तन जनता के पुरुषार्थ एवं पहल के द्वारा ही लाया जा सकता है। समाज सेवा हेतु प्राथमिकताएं समझकर कार्य शुरू किया जा सकता है। और इसके लिये सामाजिक संवेदनशीलता आवश्यक है। जिनके लिये हम काम कर रहे है उनकी भागीदारी उस काम में होना चाहिए तभी निश्चित तौर पर उस कार्य में सफलता मिलेगी। सामूहिक भागीदारी से जो कार्य खड़ा होता है वह काम टिकाऊ होता है। चित्रकूट में नानाजी के प्रयास से यही काम हुआ है। डाॅ. नंदिता पाठक ने कहा कि आज राष्ट्र के चिन्ताजनक हालत को देखकर लगता है कि जनमानस को केवल उन्हीं बातों का पता है जो उनके पेट से संबंध रखती है। अन्य संकटों से अनभिज्ञ होने के बाद भी लोग हताशा से चिल्ला रहे है कि समय बड़ा कठिन है। हमारी वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को यह समझना होगा कि कठिन परिस्थितियों पर विजय पाने एवं राष्ट्र पर पड़ रही काली छाया को हटाने के लिये कठोर परिश्रम करने की जरूरत है। उसी से हमारा जीवन सुखी, सम्पन्न, आत्मविश्वासपूर्ण होगा और व्यक्तिवाद, प्रांतवाद, स्वार्थ-प्रेरित राजनीति को विराम लगेगा तथा भारत विश्व का सम्मानित राष्ट्र सिद्ध होगा और यही सच्चा राष्ट्र पुर्ननिर्माण है। वर्तमान समय में हमें आत्मप्रकाश की सर्वाधिक आवश्यकता है। आत्मज्योति जाग्रत होने पर ही हम स्वयं तथा ग्राम जीवन को सफल बना सकते है। वैसे भी व्यावहारिक बात है कि जब हमें दिखाई देगा तभी तो रास्ते का चयन हो पायेगा।


ब्रिटेन से मांगी 336 करोड़ रुपए की मदद
Our Correspondent :4 Sep 2012

भोपाल। ब्रिटिश हाई कमिश्नर सर जेम्स डेविड बेवन ने मंगलवार को शहर की कुछ बस्तियों का दौरा किया। इस दौरान मध्य प्रदेश सरकार ने ब्रिटेन से 336 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता मांगी है। ब्रिटिश हाई कमिश्नर सर जेम्स डेविड बेवन के समक्ष मुख्य सचिव आर परशुराम ने शहरों के विकास के लिए 233 करोड़ और ऊर्जा के क्षेत्र में चल रहे प्रोजेक्टों के लिए 103 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि देने का अनुरोध किया। इससे पहले बेवन ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर से मुलाकात की।


कुष्ठ रोगियों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन 1000 रुपए हुई
Our Correspondent : 31 Aug 2012

भोपाल। जापान सरकार के कुष्ठ रोग निवारण मिशन के सद्भावना राजदूत योहोई सासाकावा ने गुरूवार को मंत्रालय पहुंचकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। इस मौके पर चौहान ने प्रदेश में कुष्ठ रोगियों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन 150 रुपए से बढ़ाकर 1000 रुपए करने की घोषणा की। सासाकावा ने इसके बाद वे मप्र मानव अधिकार आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस एके सक्सेना से मिले। सक्सेना ने उनसे कहा कि कुष्ठ रोगियों की अलग बस्तियां बनाई जाती हैं, यह भेदभाव और मानव अधिकार का उल्लंघन है। मप्र में के 17 शहरों में ऐसी 34 बस्तियां हैं। सासाकाव ने कहा कि वे इस भेदभाव को खत्म कराने के प्रयास करेंगे।



संपादकीय

मध्यप्रदेश जनसंपर्क करे संपूर्ण पारदर्शिता की पहल
उम्मीद की किरण की तरह है चौटाला पिता पुत्र को मिली सज़ा
मध्य प्रदेश में भी सुरक्षित नहीं महिलाएं
देवी को पूजने वाले देश में औरतों की आबरू सुरक्षित नहीं
अभी से करनी होगी पानी की चिंता
मोदी का कद बढ़ने से भाजपा मे घमासान
कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के फ़ैसले ने खड़े किए कई सवाल