अचीवर्स Slideshow Image Script
फोटो गैलरी



दुनिया के टॉप 95 साइंटिस्ट सम्मानित,MP की डॉ पल्लवी तिवारी भी शामिल
Forest Mountains
02 July 2023
दुनिया के टॉप 95 साइंटिस्ट सम्मानित,MP की डॉ पल्लवी तिवारी भी शामिल
भोपाल.अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में एकेडमी आफ इन्वेंटर्स (एनएआई) द्वारा गत दिनों आयोजित भव्य समारोह में दुनिया के श्रेष्ठ 95 वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। इसमें मध्यप्रदेश की पल्लवी तिवारी भी शामिल है।अब वह एनएआई में सीनियर मेंबर के तौर पर शामिल हो गई है। पूरी दुनिया में अब तक केवल 450 वैज्ञानिक ही इस सूची में शामिल हैं। यह उपलब्धि प्राप्त करने वाली पल्लवी मध्य प्रदेश की पहली महिला हैं। उन्होंने ब्रेन केंसर के रिसर्च के लिए यह सम्मान मिला है। पल्लवी वर्तमान में अमेरिका के सुप्रसिद्ध विस्कान्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय में साइंटिस्ट, रेडियोलाजी और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की एसोसिएट प्रोफेसर और कैंसर सेंटर में इमेजिंग और रेडिएशन साइंसेज विभाग की को-डायरेक्टर हैं। वह केवल 28 साल की उम्र में यूएसए की यूनिवर्सिटी में सहायक प्राध्यापक बन गई थीं। वह कैंसर रिसर्च के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डाटा एनालिटिक्स के क्षेत्र में काम कर रही है। कैंसर की बीमारी का पता लगाने और उसके इलाज में पल्लवी और उनकी टीम के प्रयास महत्वपूर्ण हैं।

क्या है पल्लवी की खोज

डा. पल्लवी वर्तमान में वयस्क और बाल मस्तिष्क ट्यूमर में व्यक्तिगत उपचार निर्णयों का मार्गदर्शन करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और छवि सूचना विज्ञान का उपयोग करके कई परियोजनाओं पर शोधकर्ताओं की एक टीम का नेतृत्व कर रही हैं।उनका शोध कैंसर और न्यूरो-इमेजिंग विकारों के निदान, पूर्वानुमान और उपचार प्रतिक्रिया मूल्यांकन के लिए नए कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों पर केंद्रित है। उनकी कंप्यूटिंग लैब ब्रेन इमेज, ब्रेन ट्यूमर और न्यूरोलाजिकल विकारों के लिए एआई और मशीन लर्निंग तकनीक विकसित करने पर केंद्रित है।पल्लवी बताती हैं कि अपनी पीएचडी के अंत में मैंने इस विषय में एक न्यूरो सर्जन से बात की जो ब्रेन ट्यूमर पर काम कर रहे थे। उन्होंने मुझे बताया कि इन रोगियों के लिए उपचार कितना चुनौतीपूर्ण है।मेरे काम और रिसर्च की प्रेरणा यही से शुरू हुई थी।

पहले भी कई सम्मानों से नवाज़ी गई है पल्लवी

शोध के क्षेत्र में अमेरिका में पिछले 10 साल से काम करते हुए पल्लवी तिवारी को इससे पहले भी कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। केंद्र सरकार द्वारा चयनित भारत की 100 महिला अचीवर में पल्लवी भी शामिल हैं और इसके लिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया था। दुनिया की प्रतिष्ठित मैगजीन फोर्ब्स द्वारा लिए इंटरव्यू में पल्लवी की वैज्ञानिक उपलब्धियों विशेषकर कैंसर के क्षेत्र में की गई उल्लेखनीय खोज को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है। उन्होंने इंदौर के केंद्रीय विद्यालय से स्कूली और श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान से बायोमेडिकल विषय में इंजीनियरिंग डिग्री करने के बाद अमेरिका की जाने-माने विश्वविद्यालय रटगर्स में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वे क्लीवलैंड में केस वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनीं। पिछले सालों में उन्होंने कैंसर जैसी घातक बीमारी के इलाज की खोज में अद्भुत कार्य किया है।अपनी विशिष्ट उपलब्धियों और कार्यों के लिए अमेरिका में ही वे 40 अंडर 40 अवार्ड से सम्मानित की गई। पल्लवी के 50 पीअर रिव्यूड पब्लिकेशन के साथ ही 12 पैटेंट हैं। उन्हें अमेरिका में कई वैज्ञानिक पुरस्कार मिल चुके हैं।

अविनाश त्रिपाठी महाराष्ट्र ड्रीम अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित
Forest Mountains
19 April 2023
भोपाल.जयपुर के प्रसिद्ध लेखक, गीतकार और फिल्ममेकर अविनाश त्रिपाठी को, मुंबई के जुहू में आयोजित भव्य कार्यक्रम में महाराष्ट्र ड्रीम अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया। अविनाश को उनकी सामाजिक विषयों पर फिल्म और रचनात्मक लेखन के लिए यह प्रसिद्ध अवार्ड दिया गया। प्रसिद्ध उद्योगपति कैप्टन डॉ ए डी मानेक ने अविनाश त्रिपाठी को अवार्ड देते हुए कहा कि अविनाश आज देश के सर्वाधिक वर्सेटाइल मीडिया पर्सनालिटी है, जो पत्रकारिता ,फिल्म लेखन, गीत लेखन, फिल्म निर्माण सहित बहुत सारी विधाओं में विश्व स्तर का काम कर रहे हैं। कार्यक्रम के आयोजक विष्णु ने अविनाश त्रिपाठी के बारे में बोलते हुए कहा कि अविनाश त्रिपाठी ने सबसे ज्यादा 750 लघु फिल्मों का का निर्माण और निर्देशन कर अपनी प्रतिभा को बड़ी ऊंचाई दी है। स्नेहा इवेंट कंपनी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित उत्तर प्रदेश के बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष और प्रसिद्ध फिल्म निर्माता तरुण राठी ने भी अविनाश त्रिपाठी की बहुआयामी प्रतिभा की बहुत प्रशंसा की। गौरतलब है कि अविनाश, जयपुर के प्रसिद्ध निजी विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य कर चुके है। अविनाश के लिखे गीत, प्रसिद्ध बॉलीवुड सिंगर शान, कविता कृष्णमूर्ति, अनवेषा ,अभिषेक रे ,अनुपमा राग सहित बहुत सारे प्रसिद्ध कलाकार गा चुके हैं। अविनाश अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल के फाउंडर डायरेक्टर भी है जो कलाकारों को विश्व स्तर का प्लेटफार्म प्रदान करती है। अविनाश ने हाल ही में कई बड़े प्रोडक्शन हाउस के साथ एक स्क्रीन्राइटर के तौर पर अनुबंध भी किया है। महाराष्ट्र ड्रीम अचीवर्स अवार्ड में अविनाश के अलावा मास्क टीवी के के मालिक संजय भट्ट, प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और बिग बॉस प्रतिभागी पंडित जनार्दन, और प्रसिद्ध फिल्म निर्माता तरुण राठी को भी यह पुरस्कार दिया गया।
टेन इंस्पायरिंग यंग माइंड अवार्ड (TIYMA) के विजेता आज प्रतिष्ठित पुरस्कार ट्राफियां प्राप्त करेंगे
Forest Mountains
23 April 2022
भोपाल.कॉलेज के छात्रों के लिए एक वीडियो प्रतियोगिता #MyVideoFor2022 का आयोजन Metromirror.com और forwardindiaforum.org द्वारा इस विषय पर किया गया था:
वर्ष 2022 में सरकार, मीडिया और समाज से मेरी उम्मीदें।
Snow Forest Mountains
आईएचएम सभागार, भोपाल में आज प्रस्तुत किए गए टीआईवाईएमए पुरस्कारों के विजेता निम्नलिखित हैं। प्रख्यात जूरी सदस्यों ने वीडियो प्रविष्टियों का मूल्यांकन किया।
  1. सुप्रियासिन्हा, एमसीयू भोपाल
  2. श्रुति गोयल, एलएनसीटी भोपाल
  3. गोसियाबानो, एमसीयू भोपाल
  4. संचितश्रीवास्तव, जेएलयू भोपाल
  5. नूपुरकुमारी, सेज भोपाल
  6. अदीब खान, एलएनसीटी भोपाल
  7. संगम शर्मा, एमसीयू भोपाल
  8. कपिल मिश्रा एमसीयू भोपाल
  9. अरुणिमा, एमसीयू भोपाल
  10. तन्वी मंगल डीसीबीएम, इंदौर।
प्रोफेसर संजय द्विवेदी, महानिदेशक, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर सम्मानित अतिथि डॉ. आनंद कुमार सिंह, प्रिंसिपल आईएचएम भोपाल, प्रोफेसर पुष्पेंद्र पाल सिंह, एडिटर इन चीफ, रोजगारौर निर्माण, डीआर सोनलसोदिया, प्रिंसिपल डीसीबीएम, इंदौर और प्रदीप करंबेलकर, स्टार्ट अप निवेशक और मेंटर थे।
प्रो. के.जी सुरेश वीसी, एमसीयू और डॉ. अनूप स्वरूप, संस्थापक वीसी जेएलयू, उपस्थित नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने अपनी शुभकामनाएं वीडियो भेजीं और प्रतिभागियों के विचारों को जज करने के लिए अपनी तरह की इस पहली प्रतियोगिता के लिए Metromirror.com के प्रयासों की प्रशंसा की। प्रस्तुतियों का कौशल।
विभिन्न क्षेत्रों की लगभग 40 प्रमुख हस्तियों ने वीडियो प्रतियोगिता प्रचार अभियान #MyVideoFor2022 का समर्थन किया
प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि युवाओं को सरकार, मीडिया और समाज के बारे में खुलकर अपनी राय रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नियमित रूप से ऐसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाना चाहिए.
उन्होंने फॉरवर्ड इंडिया फोरम थिंक टैंक टीम MetroMirror.com के मुख्य संपादक शिवहर्ष सुहलका को अभिनव विचारों और छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने और प्रतिष्ठित TIYMA पुरस्कार जीतने का अवसर देने के लिए बधाई दी।
Snow Mountains

फिटनेस आइकॉन श्वेता राठौड़ को मिला वर्ल्ड वूमेन अचीवर्स अवॉर्ड
27 February 2020
भोपाल.फिटनेस आइकॉन श्वेता राठौड़ को मिला वर्ल्ड वूमेन अचीवर्स अवॉर्ड श्वेता राठौड़ को ईटी नाउ द्वारा हाल ही में प्रतिष्ठित वर्ल्ड वुमेन अचीवर्स अवार्ड 2020 से सम्मानित किया गया है। श्वेता फिटनेस आइकॉन हैं जिन्होंने फिटनेस के प्रति युवाओं और समाज को प्रेरित करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है। श्वेता राठौड़ इस अवॉर्ड को पाकर बेहद उत्साहित हैं। श्वेता राठौड़ कहती हैं "युवाओं को फिट रहने के लिए मैंने उन्हें काफी प्रेरित किया है। समाज के प्रति मेरे इस योगदान की वजह से मुझे इस अवॉर्ड के लिए चुना गया तो मुझे बेहद खुशी हो रही है क्योंकि मुझे लगता है कि फिटनेस हर इंडियन का मौलिक अधिकार है।"
आपको बता दें कि श्वेता ऐसी पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने मिस वर्ल्ड फिटनेस फिजिक, मिस एशिया फिटनेस फिजिक का खिताब जीता है और फिटनेस फिजिक में मिस इंडिया टाइटल के साथ हैट्रिक बनाई है। श्वेता राठौड़ कहती हैं "मेरा सपना भारत को हमारी सरकार की पहल की तर्ज पर ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर लाना है।"
उललेखनीय है कि श्वेता राठौड़ एक एनजीओ 'गॉड्स ब्यूटीफुल चाइल्ड' भी चलाती है। यह एन जी आे विशेष रूप से वंचित बच्चों को उनके विकास और महिला सशक्तीकरण के लिए प्रोत्साहित करती है। एक तरह से श्वेता राठौड़ एक इंस्पायरिंग फिटनेस आइकॉन हैं, जो आज के युथ को फिट रहने का मंत्र देती रहती हैं।

10घंटों की सर्जरी में निकाले 324 लीपोमास, सर्जन ने बनाया रिकॉर्ड
25 February 2020
नई दिल्ली: हॉलीवुड के जाने-माने एक्टर व मॉडल के लिपोमास (वसायुक्त गांठ) का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। यह पहली बार था, जब किसी सर्जन ने लगातार 10 घंटों तक सर्जरी कर एक दिन में 324 लीपोमास निकाले।
सर्जरी की खास बात यह थी, कि इसमें किसी चीरे या टांकों की आवश्यकता नहीं पड़ी। वहीं, यदि पारंपरिक प्लास्टिक सर्जरी की बात की जाए, तो उसमें पूरे शरीर में लगभग 1300 टांके लगाने पड़ते। डॉक्टर आशीष भनोट की माइक्रो-इन्सिजन तकनीक मल्टिपल लिपोमास का इलाज करती है। इसमें केवल 3 एमएम के माइक्रो इन्सिजन से इलाज पूरा हो जाता है, जिसमें किसी टांके की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ये घाव इतने छोटे होते हैं कि समय के साथ वे खुद ही भर जाते हैं।
मरीज अपने करियर के पीक पर था, कि तभी उसे पूरे शरीर में गांठें महसूस होने लगीं। ये गांठें विशेषरूप से जांघों, पेट के निचले हिस्से, सीने, हाथों और कमर को प्रभावित कर रही थीं। हालांकि, एक्टर के शरीर में कोई दर्द या असहजता नहीं थी, लेकिन उसके जीवन की गुणवत्ता धीरे-धीरे खराब होती जा रही थी। दरअसल, उसे कैमरा फेस करने में समस्या हो रही थी, और दिन-ब-दिन आत्मविश्वास खोता जा रहा था।
कई जगहों पर जांच कराने के बाद मरीज को सर्जरी की सलाह दी गई। सलाह के अनुसार एक्टर ने न्यू यॉर्क में एक प्लास्टिक सर्जन से लिपोमा सर्जरी कराई। समस्या यह थी कि सर्जन एक दिन में केवल 5 लिपोमा निकाल पाया। सर्जरी की प्रक्रिया के चलते मरीज को बड़े-बड़े चीरे लगाए गए, जिसके कारण उसे ठीक होने में लगभग 2 हफ्ते का समय लग गया। दुर्भाग्य से, एक चीरा संक्रमित हो गया, जिसके ठीक होने के बाद वहां कट मार्क्स और टांकों के निशान पड़ गए, जो उसके प्रोफेशन के लिए एक अच्छी बात नहीं थी।
चूंकि, एक्टर के पूरे शरीर में 100 से ऊपर लिपोमास थे, इसलिए उसे इलाज के लिए एक लंबे ब्रेक की आवश्यकता थी। इस समस्या के चलते एक्टर का करियर दांव पर लग गया था। इसके बाद मरीज को डॉक्टर आशीष भनोट की माइक्रो इन्सिजन तकनीक के बारे में जानकारी मिली। जानकारी मिलते ही मरीज ने फोन पर उनकी टीम से बात की और इलाज के लिए ओम क्लिनिक्स पहुंच गया।
नई दिल्ली स्थित ओम क्लिनिक्स के निदेशक, डॉक्टर आशीष भनोट ने बताया कि, “मरीज की जांच करने पर उसके शरीर में 324 लीपोमास की पहचान हुई। मरीज को इलाज की पूरी प्रक्रिया और रिकवरी के समय के बारे में समझाया गया। 324 लिपोमास को एक दिन में निकालना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण काम था, लेकिन मैंने समय बर्बाद न करते हुए सर्जरी शुरू की। इस पूरी सर्जरी को पूरा होने में 10 से ज्यादा घंटे लगे, लेकिन अच्छी बात यह थी कि मैं सभी गांठों को निकालने में सफल रहा। सर्जरी के बाद तेज रिकवरी के साथ, मरीज को अस्पताल से तीन दिनों में ही डिस्चार्ज कर दिया गया।”
मल्टिपल लीपोमा की पारंपरिक प्लास्टिक सर्जरी में बड़े चीरे और टांके लगाने पड़ते हैं, जिसके कारण व्यक्ति में संक्रमण और दर्द का खतरा रहता है। इस प्रकार की सर्जरी के बाद रिकवरी में बहुत ज्यादा समय लगता है, जिसके कारण न सिर्फ मरीज का समय बर्बाद हुआ बल्कि पैसा भी बर्बाद हुआ। वहीं, माइक्रो इन्सिजन तकनीक की मदद से एक्टर के शरीर में एक भी टांका लगाने की जरूरत नहीं पड़ी। इलाज के लिए लगाए गए चीरे इतने छोटे थे कि कुछ ही समय में वे खुद-ब-खुद भर गए।
लीपोमास एक प्रकार के फैटी लंप्स (वसायुक्त गांठे) होते हैं, जो त्वचा और मसल लेयर के बीच में विकसित होते हैं। इन्हें ट्यूमर के नाम से जाना जाता है, जो आमतौर पर कैंसरस नहीं होते हैं। ये सॉफ्ट होते हैं और छूने पर इधर-उधर भागते हैं। यह त्वचा के नीचे होने वाले सबसे आम ट्यूमरों में शामिल है।
डॉक्टर आशीष भनोट ने आगे बताया कि, “इस माइक्रो इन्सिजन तकनीक से पहले, इतने सारे लीपोमास को निकालना संभव नहीं था, क्योंकि रुटीन प्लास्टिक या कॉस्मेटिक सर्जरी में जो चीरा लगाया जाता है वह लीपोमास जितना बड़ा होता है। इसके अनुसार यदि एक चीरे पर 4 टांके लगाए जाते, तो 324 चीरों के लिए 1296 टांके लगाने पड़ते, जिससे न सिर्फ मरीज को गंभीर दर्द होता बल्कि उसे लंबे समय के लिए बेड रेस्ट पर रखा जाता। इसके अलावा मरीज को गंभीर संक्रमण होने के साथ शरीर पर घाव के निशान भी पड़ सकते थे।”
डॉक्टर आशीष भनोट पहले भी एक दिन में 180 लीपोमास निकाल चुके थे, लेकिन इस मामले के साथ उन्होंने एक नया रिकॉर्ड बना दिया। एक मरीज पर 10 घंटे की सर्जरी अपने आप में एक रिकॉर्ड नंबर की तरह है।

राष्ट्र स्तरीय प्रतियोगिता में अक्षिता हुंका की कहानी चयनित
सबसे कम उम्र की लेखिका चुनी गयीं अक्षिता

27 December 2019
जुलाई 2019 में बुकोहॉलिक्स एवं पेपर टाउन द्वारा राष्ट्रीय स्तर की ओपन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता में 800 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी कहानियां दी थीं जिसमें से 27 कहानियों को चयनित किया गया है। सभी चयनित कहानियों को "The Love I Know" नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया है। "The Love I Know" 27 लघुकथाओं का संग्रह है जिसमें सभी कहानीकारों ने उनके अनुसार प्रेम को परिभाषित किया है।

अक्षिता की लिखी कहानी "Kia's Meemaw" एक स्कूल की छात्रा और एक बुजुर्ग महिला के प्रेम की कहानी है जो एक ओल्ड ऐज होम में रहती हैं।
इस प्रतियोगिता में दिल्ली से लेकर केरल तक और जयपुर से लेकर शिलॉन्ग तक के लेखकों की कहानियाँ शामिल हैं। अक्षिता न सिर्फ मध्यप्रदेश से चयनित एकमात्र लेखिका है बल्कि सबसे युवा लेखिका भी है। अक्षिता अभी कक्षा 10 की छात्रा हैं।


कृष्ण कुमार और ददनराम बैगा आई.टी.आई. में बने प्रशिक्षक
10 May 2018
शहडोल जिले में ग्राम करकटी के कृष्ण कुमार बैगा और ग्राम बोड़री के ददनराम बैगा ने आज आई.टी.आई. में प्रशिक्षक के पद पर कार्य कर रहे हैं। इन्ही की तरह प्रदेश के अन्य युवा भी शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों से कौशल प्रशिक्षण लेकर शासकीय नौकरी प्राप्त करने में सफलता अर्जित कर रहे हैं। कृष्ण कुमार बैगा ने 12वीं परीक्षा पास करने के बाद बड़े भाई कैलाश बैगा की सलाह पर मोटर व्हीकल ट्रेड मैकेनिक का 2 साल का प्रशिक्षण प्राप्त किया। कौशल उन्नयन के प्रशिक्षण के दौरान ही बैगा का चयन आईटीआई खरगौन में प्रशिक्षक के पद पर हो गया। ददनराम बैगा आई.टी.आई. शहडोल में श्रमिक के रूप में कार्यरत थे। इन्होंने कटिंग स्वींग का प्रशिक्षण प्राप्त किया और आज आई.टी.आई. सिंगरौली में प्रशिक्षक के पद पर सेवाएँ दे रहे हैं।
जरबेरा फूलों की खेती से 30 लाख सालाना कमा रहे कृषक शरद सिंह
9 May 2018
एक एकड़ से कम रकबे में जरबेरा फूल उत्पादन से छिन्दवाड़ा जिले के किसान शरद सिंह सालाना 30 लाख रुपये की आय अर्जित कर रहे हैं। कृषक शरद सिंह ने 4 हजार वर्ग मीटर में 3 साल पहले 58 लाख रुपये की लागत से पॉली-हाऊस बनाया। पॉली-हाऊस में जरबेरा फूलों के उत्पादन से लगातार 30 लाख रुपये सालाना से ज्यादा की कमाई कर कृषक शरद ने इतिहास रचा है। कृषक शरद को पॉली-हाऊस बनाने के लिये 50 प्रतिशत शासकीय अनुदान के रूप में 28 लाख रुपये की मदद मिली थी। इसे पॉली-हाऊस से सालाना 7-8 लाख जरबेरा फूलों की स्टिक प्राप्त होती है। यह स्टिक 5 रुपये प्रति स्टिक के भाव से कुल 35 से 40 लाख रुपये में बाजार में बिकती है। तमाम खर्चें निकालकर उन्हें शुद्ध रूप से 30 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय होती है। कृषक शरद सिंह ने साबित कर दिया है कि फूलों की व्यावसायिक खेती को नई तकनीक से किया जाये, तो यह बहुत फायदेमंद व्यवसाय है। मार्केट में फूलों की बिक्री की कोई समस्या नहीं है। शरद के जरबेरा फूल नागपुर की मंडी में बिकते हैं। इन फूलों की सुन्दरता और बड़े आकार के कारण मार्केट में इनकी माँग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
रोशन लाल ने बनाई गन्ना बुवाई की अनोखी "बड चीपर मशीन
25 February 2018
नरसिंहपुर जिले के विकासखंड गोटेगाँव के ग्राम मेख के किसान रोशनलाल विश्वकर्मा ने ऐसी मशीन बनाई है, जिससे खेत में गन्ना की बुवाई में 90 प्रतिशत तक बीज की बचत होती है। मशीन की उपयोगिता को देखते हुए देश के गन्ना उत्पादक उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तामिलनाडु आदि प्रदेशों में ही नहीं, बल्कि ब्राजील, केन्या, इथोपिया जैसे देशों में भी इसकी माँग बढ़ गई है। कृषक रोशनलाल अपनी मशीन बड चिपर के लिए न केवल प्रदेश में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरस्कृत हो चुके हैं। इन्हें जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा कृषक फैलो सम्मान से भी अलंकृत किया गया है। अभी हाल ही में उन्हें राजस्थान राज्य के उदयपुर में किसान वैज्ञानिक के रूप में सम्मानित किया गया है। रोशनलाल बताते हैं कि गन्ना लगाने की सामान्य पद्धति में सीधे गन्ने के टुकड़ों को खेतों में लगाया जाता है, ऊपर से मिट्टी पूर दी जाती है। इसके बाद इसमें पानी देकर गन्ने को दबाना पड़ता है। इस पद्धति में एक एकड़ में 35 से 40 क्विंटल गन्ना बीज लगता है। इनके द्वारा बनाई गई बड चिपर मशीन से गन्ने के टुकड़ों से केवल उसकी आँख (बड) सुरक्षित निकाल ली जाती है। गन्ने की इसी आँख (बड) को खेत में सीधे लगाया जा सकता है या इस बड से पॉलीथिन में या प्लास्टिक की ट्रे से गन्ने की पौध भी तैयार की जा सकती है। गन्ने की आँख से गन्ने के कल्ले निकलते हैं। बड चिपर मशीन से गन्ना लगाने में केवल गन्ने की आँख वाला छोटा-सा डेढ़ इंच का गन्ने का टुकड़ा ही लगाना होता है। शेष गन्ने का उपयोग गुड या शक्कर बनाने में किया जाता है। इस विधि में एक एकड़ में केवल डेढ़ क्विंटल गन्ना ही लगता है। सामान्य पद्धति से गन्ने के बीजोपचार में अधिक मेहनत लगती है। बड चीपर वाली पद्धति में गन्ने का बीजोपचार आसान हो जाता है। इससे गन्ने में कोई रोग नहीं लगता और अधिक पैदावार होती है। पुरानी पद्धति से गन्ना लगाने में औसतन एक एकड़ में 300 से 400 क्विंटल गन्ना पैदा होता है, वहीं बड पद्धति से लगाने में 400 से 500 क्विंटल गन्ना पैदा होता है। इसके अन्य फायदे भी हैं। खेत में गन्ने के बीज का परिवहन आसान होता है, श्रम की बचत होती है, मजदूर भी कम लगते हैं और किसान की आय में वृद्धि होती है। रोशनलाल ने मशीन का अविष्कार वर्ष 2003 में किया था। वर्ष 2006 से गन्ना किसानों को मशीन देना प्रारंभ किया। इन्होंने इस मशीन का पेटेंट भी करा लिया है। इस मशीन के 3 मॉडल तैयार किये हैं। पहला मॉडल हाथ से चलाने वाली बड चिपर मशीन, दूसरा मॉडल पैरों से चलाई जाने वाली फुट मशीन और तीसरा मॉडल मोटर द्वारा चलित पॉवर मशीन है। गन्ना उत्पादक लोगों की माँग पर मशीन को देश-विदेश भिजवाते हैं। हस्तचलित मशीन केवल 1200 रुपये में उपलबध कराते हैं। बड चिपर की बिक्री से उन्हें साल-भर में करीब 5 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है। रोशनलाल अब तक 10 हजार से अधिक मशीन देश में और 100 से अधिक मशीन विदेशों में सप्लाई कर चुके हैं।
मध्य्प्रदेश के श्री ओपी रावत बने मुख्य निर्वाचन आयुक्त
22 January 2018
मध्यप्रदेश केडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा केअधिकारी श्री ओ पी रावत मंगलवार 23 जनवरी को देश के भारत निर्वाचन आयोग में मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त का पदभार संभालेंगे। श्री रावत अब तक आयोग के निर्वाचन आयुक्त थे ।श्री रावत की गिनती देश के ईमानदार आई ए एस अफसरों में की जाती है। श्री रावत मध्‍यप्रदेश कैडर के पहले आईएएस अधिकारी है, जो भारत निर्वाचन आयोग के इस सर्वोच्‍च पद पर पहुंचे। साथ ही निर्वाचन आयुक्‍त के रिक्‍त होने वाले पद पर अशोक लबासा को नियुक्‍त किया गया है। उल्लेखनीय है कि देश के मुख्‍य निर्वाचन अायुक्‍त अचल कुमार ज्‍योति का कार्यकाल 22 जनवरी को पूरा हो रहा है। श्री ओ पी रावत का कार्यकाल मात्र 11 माह का रहेगा, लेकिन उन्‍हें इस वर्ष  के अंत तक मप्र समेत आठ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव कराने हैं। उनके 11 माह के कार्यकाल में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक समेत नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के विधानसभा चुनाव होंगे। वे दिसंबर 2018 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु ( दोनों में से जो भी पहले हो) तक रहता है। श्री रावत वर्ष 2013 में केंद्र सरकार में भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्रालय में सचिव (लोक उपक्रम) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें 13 अगस्त 2015 को चुनाव आयोग में आयुक्‍त नियुक्‍त किया था। मध्य प्रदेश में जनसम्पर्क, आदिम जाति कल्याण, वाणिज्यिक कर और आबकारी विभाग सहित कई महत्वपूर्ण विभागों में अपनी सेवाएं दे चुके श्री ओपी रावत 2013 में रिटायर हो गए थे। उसके बाद उन्हें सरकार ने अगस्त 2015 में चुनाव आयोग में आयुक्त पद पर नियुक्त किया था। बता दें की हाल ही में एमपी कैडर की स्नेहलता श्रीवास्तव भी लोकसभा की पहली महिला महासचिव नियुक्त हुईं हैं। इस पद पर उनका कार्यकाल 1 दिसंबर 2017 से 30 नवंबर 2018 तक है।
झोपड़ी में रहने वाली किसान की बेटी बनी सहायक जेल अधीक्षक
29 December 2017
दृढ़ इच्छा शक्ति हो और कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो ,तो कोई भी बाधा किसी को लक्ष्य प्राप्त करने से नही रोक सकती। यह साबित किया है झाबुआ जिले के छोटे से गांव नवापाड़ा में झोपडे मे रहने वाले किसान राधुसिह चौहान की बेटी रंभा ने। रंभा चौहान का चयन एमपीपीएससी परीक्षा 2017 में सहायक जेल अधीक्षक के पद पर हुआ है। किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाली वह गांव की एकमात्र लड़की है। झाबुआ जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर स्थित गांव नवापाड़ा गांव मे छोटी उम्र में आदिवासी लड़कियों की शादी करने की परंपरा है, लेकिन रंभा के माता-पिता ने पढ़ाई के महत्व को समझते हुए बेटी का विवाह नहीं किया। उन्होंने बेटी को पढ़ाने का संकल्प लिया और लगातार प्रोत्साहित करते रहे। माँ ने कहा कि वो नही पढ़ पाई इसका उसे हमेशा अफसोस रहता है। माँ ने रंभा से कहा कि तुम पढ़ाई पूरी करना और जब तक कोई नौकरी नहीं मिल जाये तब तक रूकना मत। रंभा माता-पिता की प्रेरणा से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही। रंभा की शैक्षणिक शुरूआत नवापाड़ा गांव के सरकारी स्कूल से हुई। गांव में आगे की पढ़ाई की सुविधा नहीं होने से वह 18 किमी दूर झाबुआ प्रतिदिन आना जाना करने लगी। इसके लिए उसे रोज डेढ़ किलोमीटर तक पैदल भी चलना पड़ता था, क्योंकि पारा से ही झाबुआ के लिए बस मिलती थी। बावजूद इसके पढ़ाई के उत्साह में कमी नहीं आने दी क्योंकि मन में कुछ कर गुजरने का लक्ष्य था। रंभा पढ़ाई के साथ-साथ खेती के काम में भी अपने परिवार की हमेशा मदद करती रही है। रंभा के पिता राधुसिह चौहान और माता श्यामा चौहान ने कहा कि वे पढ़ाई नहीं कर पाये, इसका मलाल मन में हमेशा रहता था। पर सोच रखा था की बेटियों को जरूर पढ़ायेंगे। गांव में उत्सव जैसा माहौल है। गांव के लोग और रिश्तेदार बधाई देने रंभा के घर पहुँच रहे हैं और रंभा के साथ-साथ उसके माता-पिता का भी पुष्पहार से स्वागत कर रहे हैं। रंभा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम महिला बछेन्द्री पाल से काफी प्रभावित है। वह गांव की लड़कियों से भी कहती है कि जो मैं कर सकती हूँ, आप क्यों नहीं। मेहनत करो, सफलता जरूर मिलेगी। रंभा ने बताया कि पीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए शासन द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि से काफी मदद मिली। समय पर प्रोत्साहन राशि मिल जाने से कोचिंग की फीस भर पाये और आगे मेन्स एवं इन्टरव्यू की तैयारी में आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। योजना के बारे में जब मैंने माँ को बताया तो उन्होंने कहा कि ये तो बहुत अच्छा है, नौकरी भी। मिलेगी और पैसा भी बस तुम मेहनत मे कमी मत करना तुम्हारा जीवन संवर जाएगा। फिर क्या था, मैंने दोगुने उत्साह के साथ मेहनत करना शुरू कर दिया और नतीजे के रूप में मान-सम्मान के साथ प्रशासनिक नौकरी सामने हैं।