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फीचर पद्म विभूषण और पद्मश्री कलाकारों की ओजस्वी प्रस्तुतियों से गुंजायमान होगा 50वां खजुराहों नृत्य समारोह 18 Feb 2024 खजुराहो में 20 फरवरी से शुरू होगा शास्त्रीय नृत्य समागम, 26 फरवरी को होगा समापन "कथक कुंभ" में 1500 से अधिक कलाकार बनायेंगे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भोपाल।विश्वविख्यात शास्त्रीय नृत्य उत्सव 'खजुराहो नृत्य समारोह' का 50वां संस्करण पद्म विभूषण और पद्मश्री कलाकारों की ओजस्वी प्रस्तुतियों से गुंजायमान होगा। पद्मश्री रंजना गौहर की मनमोहक कथक प्रस्तुति के साथ 20 फरवरी को शुरू हुआ यह सफर 26 फरवरी को पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह के नाट्य कथा 'मीरा' पर समाप्त होगा। विश्व धरोहर स्थल- खजुराहो मंदिर समूह में भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों पर केंद्रित यह देश का शीर्षस्थ समारोह है। सभी प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों जैसे भरतनाट्यम, ओडीसी, कथक, मोहिनीअटेम में प्रसिद्ध और नामचीन कलाकार शास्त्रीय नृत्यों के समृद्ध सांस्कृतिक रूप को प्रस्तुत करेंगे। संस्कृति विभाग के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खान संगीत एवं कला अकादमी द्वारा पर्यटन विभाग, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद के संयुक्त प्रयासों से महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। स्वर्ण जयंती वर्ष को अविस्मरणीय बनाने के लिए आगंतुक भव्य समारोह में प्रत्येक कदम के साथ संस्कृति और दिव्यता की लय का अनुभव करेंगे। समारोह के पहले दिन पद्मश्री रंजना गौहर और साथियों द्वारा ओडिसी समूह की मनमोहक प्रस्तुति के साथ समारोह की शुरुवात होगी। साथ ही दिल्ली की सुधाना शंकर के भरतनाट्यम नृत्य की ओजस्वी प्रस्तुति मंदिर की शिलाओं को सजीव कर उठेगी। दूसरे दिन शेंकी सिंह द्वारा कथक, पुणे की कलावर्धनी नृत्य कंपनी की सयाली काने द्वारा भरतनाट्यम समूह नृत्य, भुवनेश्वर की अरूपा गायत्री पांडा द्वारा ओडिसी और श्रीगणेश नृत्य कला मंदिर मुंबई की मनाली देव द्वारा कथक समूह नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। समारोह का तीसरा दिन पद्म श्री पुरु दाधीच, हर्षिता धाधीच और समूह के कथक समूह नृत्य के नाम रहेगा। इसके साथ साक्षी शर्मा द्वारा कथक, दिल्ली की कस्तूरी पटनायक द्वारा ओडिसी समूह नृत्य, केरल के विद्या प्रदीप द्वारा मोहिनी-अट्टम की प्रस्तुति दी जाएगी। समारोह के चौथे दिन 23 फरवरी को पद्मश्री नलिनी कमलिनी और समूह द्वारा कथक समूह नृत्य, मौमिता घोष वत्स द्वारा ओडिसी नृत्य, मार्गी मधु और समूह द्वारा कोच्चि कुडिअट्टम त्रयी, सुचित्रा हरमलाकर और साथी द्वारा कथक समूह नृत्य और रोशाली राजकुमार और समूह द्वारा मणिपुरी समूह नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। पांचवे दिन आराधना ओडिसी डांस फाउंडेशन के पंचानन भुआन द्वारा छाऊ ओडिसी समूह नृत्य, अमीरा पाटनकर और समूह द्वारा कथक नृत्य, राजश्री होल्ला और रेखा सतीश द्वारा कुचिपुड़ी युगल और अनु सिन्हा और समूह द्वारा कथक समूह नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। समारोह के छठवें दिन 25 फरवरी को पुणे के प्रेरणा देशपांडे द्वारा कथक, दिल्ली के पंडित राजेंद्र गंगानी द्वारा एकल कथक, बैंगलोर की नव्या नटराजन द्वारा भरतनाट्यम नृत्य और विधि नागर और साथियों द्वारा कथक समूह नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। महोत्सव का समापन पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह के निर्देशन में नाट्य कथा 'मीरा' के साथ होगा। साथ ही राजश्री वरियार द्वारा भरतनाट्यम नृत्य, यास्मीन सिंह और समूह द्वारा कथक समूह नृत्य, कृपा फड़के और साथियों द्वारा मैसूर भरतनाट्यम समूह नृत्य और अनुराधा सिंह द्वारा कथक की मनमोहक प्रस्तुति होगी। नृत्य समारोह में महासमागम में शास्त्रीय नृत्य कला और संस्कृति पर आधारित विभिन्न गतिविधियां भी आकर्षण का केंद्र रहेंगी। भारतीय नृत्य शैलियों और कलायात्रा को प्रदर्शित करने के लिए नेपथ्य सहित विभिन्न गतिविधियाँ, कलावार्ता - कलाकारों के बीच संवाद, हुनर - देशज ज्ञान और कला परंपरा का मेला, वरिष्ठ चित्रकार शंकर शिंदे के कला अवदान पर आधारित चित्र प्रदर्शनी प्रणति, समष्टि: टेराकोटा और सिरेमिक राष्ट्रीय प्रदर्शनी-कार्यशाला, वर्तनी: अंतर्राष्ट्रीय छापाकला, लयशाला: उत्सव के दौरान महान गुरुओं के साथ शिष्यों का संगम और कार्यशाला होगी। समारोह के 50वें वर्ष को खास और यादगार बनाने के लिए "कथक कुंभ" का आयोजन किया जा रहा है। लगभग 1500 से अधिक कलाकार 1800 कथक नृत्य की समवेत प्रस्तुति के साथ नया "विश्व रिकॉर्ड" बनाएंगे। इसके साथ ही पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण के रूप में स्काई डाइविंग फेस्टिवल का आयोजन 20 से 25 फरवरी तक किया जा रहा है। यहाँ साहसिक प्रेमी 10 हजार फीट की ऊंचाई से खजुराहो के पुरातात्विक उत्कृष्टता के विरासत प्रतीकों को निहार सकेंगे। साथ ही कैंपिंग, विलेज टूर, वॉक विद पारधी, ई-बाइक टूर, सेगवे टूर और वॉटर स्पोर्ट्स भी पर्यटकों को नया अनुभव देने के लिए तैयार होंगे। 'हमसे कहानियां कहानियों से हम' 10 Feb 2024 भोपाल।रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में क्लब लिटरेटी के सहयोग से एक साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम का शीर्षक 'हमसे कहानियां कहानियों से हम' था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री लोकेश गुल्यानी थे, जो एक बहुत ही प्रसिद्ध कहानी लेखक हैं। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ सीमा रायजादा थीं, जो क्लब लिटरेटी की संस्थापक और एमएलबी कॉलेज में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं। अन्य अतिथियों में प्रवेश डीन डॉ. रितु कुमारन और छात्र कल्याण डीन श्री अंकित पंडित शामिल थे। मानविकी विभाग की डीन डॉ. रूचि मिश्रा तिवारी ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और मानविकी विभाग के स्टाफ और 7 उत्कृष्टता केंद्रों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मानविकी विभाग में दो छात्र क्लब बनाए गए हैं, एक इतिहास क्लब विरासत, दूसरा साहित्यिक क्लब सृजन को आज लॉन्च किया गया । उन्होंने शैक्षणिक क्षेत्र में उनके प्रयासों के लिए स्टाफ और छात्रों की सराहना की। कार्यक्रम का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के मानविकी विभाग के साहित्य छात्रों द्वारा साहित्यिक क्लब श्रीजन का शुभारंभ था। क्लब और रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए। श्री लोकेश गुल्यानी के साथ साहित्यिक वार्ता का संचालन हिंदी की सहयोगी प्रोफेसर डॉ मौनमी परिहार ने किया। छात्रों ने कई सवाल पूछे और श्री लोकेश गुल्यानी ने उनके द्वारा लिखी दो कहानियाँ सुनाईं। यह एक बहुत ही शानदार कार्यक्रम था। सभी छात्रों ने कहानियों के वर्णन का आनंद लिया और विश्वविद्यालय के साहित्यिक आयोजनों में सक्रिय भाग लेने का फैसला किया। डॉ सीमा रायजादा ने अपने संबोधन में छात्रों को समाज में अपनी जगह बनाने और अपनी प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए कहा। प्रो वाइस चांसलर डॉ. संगीता जौहरी ने छात्रों से अनुरोध किया कि वे इस तरह के और भी कार्यक्रम आयोजित करें और साहित्य के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा आयोजन करें। सृजन क्लब की अध्यक्ष सुहानी धाकड़ और सचिव गर्व सिंह लुडेरीया हैं।* मध्यप्रदेश में 8 फरवरी से स्काई डाइविंग फेस्टिवल- प्रमुख सचिव श्री शुक्ला 02 Feb 2024 भोपाल।प्रदेश में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा 8 फरवरी से स्काई डाइविंग फेस्टिवल की शुरुआत की जाएगी। उज्जैन में 8 फरवरी और खजुराहो में 20 फरवरी से शुरू होने वाला स्काई डाइविंग फेस्टिवल एक बार फिर रोमांच और मनोरंजन की सौगात पेश करेगा। प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति एवं प्रबंध संचालक टूरिज्म बोर्ड श्री शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि स्काई-डाइविंग फेस्टिवल के प्रथम एवं द्वितीय संस्करण की सफलता व एडवेंचर गतिविधि के प्रति पर्यटकों के उत्साह को देखते हुए इस वर्ष उज्जैन में तृतीय संस्करण एवं खजुराहो में प्रथम संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। उज्जैन में दताना एयरस्ट्रिप पर 8 से 17 फरवरी तक और खजुराहो में 20 से 25 फरवरी तक एडवेंचर लवर्स असमान में उड़ने के रोमांच का अनुभव कर पाएंगे। स्काई डाइविंग करने का समय सुबह 8 से शाम 5 बजे तक है। बुकिंग www.skyhighindia.com पर की जा सकती है। प्रमुख सचिव श्री शुक्ला ने बताया कि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल खजुराहो में 20 फरवरी से 26 फरवरी तक 50वें खजुराहो नृत्य समारोह का आयोजन होगा। महोत्सव के स्वर्ण जंयती अवसर को खास बनाने के लिए दुनिया का सबसे रोमांचक खेल स्काई डाईविंग फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है। देशभर के रोमांचप्रेमी इस दौरान 10 हजार फीट की ऊंचाई से खजुराहो में पुरातात्विक उत्कृष्टता के प्रतीक धरोहरों को निहार सकेंगे। खजुराहो नृत्य समारोह की शुरुआत वर्ष 1975 में की गई थी और तब से आज तक संस्कृति विभाग अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी द्वारा इसका सफल आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष नृत्य और कला के इस असीम संगम की स्वर्ण जंयती है, जिसे लेकर विशेष तैयारियां की जा रही है। इसी के तहत स्काई डाईविंग फेस्टिवल होगा, जिसमें देशभर से रोमांच प्रेमी खजुराहो पहुंचेंगे। आधुनिक और बेहद सुरक्षित होगी राईड स्काई डाईविंग का संचालन डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डी.जी.सी.ऐ) DGCA एवं यूनाइटेड स्टेट पैराशूट एसोसिएशन (यू.एस.पी.ए.) USPA द्वारा प्रमाणित संस्था "स्काई-हाई इंडिया" द्वारा किया जा रहा है। स्काई डाइविंग में उपयोग किए जाने वाला एयरक्राफ्ट नागरिक विमानन निदेशालय से पंजीकृत है। संस्था द्वारा उच्चतम मानकों के साथ प्रशिक्षित स्काई डाइवर के सहयोग से स्काई डाइविंग कराई जायेगी।प्रदेश की संस्कृति को जन-जन तक पहुँचाएगी जन-अभियान परिषद 5 Jun 2023 भोपाल।प्रदेश की संस्कृति को जन जन तक पहुँचाने में जन-अभियान परिषद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्रों में सहयोग के उद्देश्य को लेकर संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर और वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा की उपस्थिति में मंत्रालय में संस्कृति विभाग और जन-अभियान परिषद के बीच एमओयू साइन हुआ। संस्कृति विभाग की ओर से संचालक संस्कृति श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने और जन-अभियान परिषद की ओर से कार्यपालक निदेशक डॉ. धीरेंद्र कुमार पांडे ने हस्ताक्षर किए। जन-अभियान परिषद के महानिदेशक श्री बी. आर. नायडू उपस्थित रहे। एमओयू विभिन्न शैक्षिक, सांस्कृतिक तथा कला से संबंधित कार्यक्रमों का संयुक्त रूप से आयोजन, संचालन, मेजबानी और प्रचार-प्रसार करने पर केंद्रित है। समझौता ज्ञापन की अवधि 3 वर्ष की होगी, जिसे आपसी सहमति से बढ़ाया जा सकेगा। एमओयू का उद्देश्य एमओयू का उद्देश्य संस्कृति विभाग तथा मध्यप्रदेश जन-अभियान परिषद के बीच सक्रिय रूप से भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ एक संस्थागत ढाँचा प्रदान करना है। परिषद संस्कृति विभाग के सांस्कृतिक अधिदेश को पूर्ण करने और सुदृढ़ करने के साथ राज्य की संस्कृति और उसके विकास तथा प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने में मदद करेगा।राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय का नाम महाराजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय रखा जाना चाहिए-मंत्री सुश्री ठाकुर प्रदेश की लोक संस्कृति और कला को करे संरक्षित मंत्रालय में विश्वविद्यालय की साधारण परिषद की चतुर्थ बैठक सम्पन्न 3 may 2023 भोपाल.राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय का नाम महाराजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय रखा जाना चाहिए। इससे न केवल ग्वालियर बल्कि पूरे प्रदेश का मान बढ़ेगा। यह बात संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने मंत्रालय में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की साधारण परिषद की चतुर्थ बैठक के दौरान कहीं। साधारण परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और उपाध्यक्ष मंत्री सुश्री ठाकुर हैं। साधारण परिषद ने विश्वविद्यालय ने नाम बदलने संबंधी प्रस्ताव का अनुमोदन किया। साधारण परिषद की बैठक में विश्वविद्यालय का प्रगति विवरण और वित्तीय प्रतिवेदन पढ़ा गया। मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि प्रदेश की लोक कला, लोक नृत्य, लोक नाट्य, लोक गायन आदि को संरक्षित करने का प्रयास करें। साथ ही नए विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने के लिए सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम बनाए। संगीत और कला भारतीय संस्कृति का प्राण है। मंत्री सुश्री ठाकुर ने निर्देश दिए कि वर्ष 2014 की साधारण परिषद में हुए निर्णय का पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। सदस्यों की समिति बनाकर पुराने निर्णय के पालन का मूल्यांकन भी करें। साथ ही हर वर्ष साधारण परिषद की बैठक आयोजित करें। मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय की कमियों और अभावों को समय-समय पर दूर किए जाने की दिशा में कार्य करेंगे। विश्वविद्यालय की कीर्ति और कार्यप्रणाली को सुस्थापित करेंगे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति एवं परिषद के सचिव प्रोफेसर पंडित साहित्य कुमार नाहर, परिषद के सदस्यगण प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन श्री शिव शेखर शुक्ला, उप सचिव उच्च शिक्षा श्री डी.पी. सिंह, संचालक संस्कृति श्री अदिति कुमार त्रिपाठी, विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री दिनेश पाठक, श्री सुंदरलाल मालवीय, श्री चंद्रप्रताप सिंह सिकरवार, श्री अतुल अधौलिया, श्रीमती अनीता करकरे और श्रीमती रेखा भटनागर उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में अब वायुयान से भी यात्रा करेंगे श्रद्धालु 13 April 2023 भोपाल.मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई घोषणा के अनुसार प्रदेश के श्रद्धालु अब मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में विभिन्न तीर्थ-स्थलों की यात्राएँ वायुयान से भी कर सकेंगे। इस संबंध में राज्य शासन द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है। अपर मुख्य सचिव धार्मिक न्यास और धर्मस्व डॉ. राजेश राजौरा ने बताया है कि आगामी 21 मई से 19 जुलाई तक योजना में 25 जिलों के तीर्थ-यात्री वायुयान से यात्रा करेंगे। एसीएस डॉ. राजौरा ने बताया है कि मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में प्रदेश के श्रद्धालु प्रयागराज, शिरडी, मथुरा-वृंदावन और गंगासागर की यात्राएँ वायुयान से करेंगे। तीर्थ-यात्राओं के लिये कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। इस संबंध में जिला कलेक्टर्स को निर्देश जारी कर दिये गये हैं। उन्होंने बताया है कि तीर्थ-यात्री नियमित विमान सेवा से तीर्थ-यात्रा करेंगे। प्रत्येक वायुयान में 33 सीट उपलब्ध रहेंगी। प्रत्येक जिले से 32 तीर्थ-यात्री एवं एक अनुरक्षक (एस्कार्ट) के रूप में शासकीय अधिकारी जायेंगे। योजना का क्रियान्वयन इण्डियन रेलवे केटरिंग एण्ड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईआरटीसी) द्वारा किया जा रहा है। इसलिये आईआरटीसी द्वारा नियत एक टूर मैनेजर भी तीर्थ-यात्रियों के साथ यात्रा करेगा। एसीएस डॉ. राजौरा ने बताया कि तीर्थ-दर्शन यात्रा के लिये तीर्थ-यात्रियों की आयु 65 वर्ष से अधिक होनी चाहिये और वे आयकर दाता नहीं होना चाहिये। जिले के लिये निर्धारित सीटों से अधिक आवेदन प्राप्त होने की स्थिति में लॉटरी से चयन किया जायेगा। अधिक जानकारी के लिये धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व संचालनालय के दूरभाष नम्बर 0755-2767116 तथा ई-मेल dndvmp@gmail.com, dharmasva.mantralaya@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है। एसीएस डॉ. राजौरा ने बताया है कि 21 मई को भोपाल से प्रयागराज, 23 मई को आगर-मालवा से शिरडी वाया इंदौर एयरपोर्ट, 25 मई को बैतूल से वृंदावन वाया भोपाल एयरपोर्ट, 26 मई को देवास से शिरडी वाया इंदौर एयरपोर्ट, 3 जून को खण्डवा से गंगासागर वाया इंदौर एयरपोर्ट, 4 जून को हरदा से प्रयागराज वाया भोपाल एयरपोर्ट, 6 जून को मंदसौर से शिरडी वाया इंदौर एयरपोर्ट, 8 जून को नर्मदापुरम से मथुरा-वृंदावन वाया भोपाल एयरपोर्ट, 9 जून को नीमच से शिरडी वाया इंदौर एयरपोर्ट, 15 जून को बड़वानी से गंगासागर वाया इंदौर एयरपोर्ट, 16 जून को इंदौर से गंगासागर, 18 जून को दमोह से प्रयागराज वाया भोपाल एयरपोर्ट, 19 जून को बुरहानपुर से गंगासागर वाया इंदौर एयरपोर्ट, 19 जून को ही रतलाम से शिरडी वाया इंदौर एयरपोर्ट, 20 जून को शाजापुर से शिरडी वाया इंदौर एयरपोर्ट, 22 जून को सागर से मथुरा-वृंदावन वाया भोपाल एयरपोर्ट, 23 जून को खरगौन से गंगासागर वाया इंदौर एयरपोर्ट, 23 जून को ही उज्जैन से शिरडी वाया इंदौर एयरपोर्ट, 2 जुलाई को विदिशा से प्रयागराज वाया भोपाल एयरपोर्ट, 3 जुलाई को अलीराजपुर से शिरडी वाया इंदौर एयरपोर्ट, 4 जुलाई को राजगढ़ से मथुरा-वृंदावन वाया भोपाल एयरपोर्ट, 6 जुलाई को सीहोर से मथुरा-वृंदावन वाया भोपाल एयरपोर्ट, 7 जुलाई को धार से शिरडी वाया इंदौर एयरपोर्ट, 16 जुलाई को रायसेन से प्रयागराज वाया भोपाल एयरपोर्ट और 19 जुलाई को झाबुआ से शिरडी वाया इंदौर एयरपोर्ट से तीर्थ-यात्री दर्शन के लिये रवाना होंगे। गंगासागर जाने वाले सभी तीर्थ-यात्री वाया कोलकाता एयरपोर्ट पहुँचेंगे। हिंदू नववर्ष पर जरूर निभाएं ये 5 शुभ परंपराएं 21 March 2023 भोपाल: गुड़ी पड़वा की शुरुआत चैत्र प्रतिप्रदा से होती है और इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ भी हो जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार नववर्ष का प्रारंभ 22 मार्च बुधवार 2023 को हो रहा है। इसे विक्रम संवत भी कहते हैं, जो प्राचीन हिन्दू पंचांग और कैलेंडर पर आधारित है। 58 ईसा पूर्व राजा विक्रमादित्य ने खगोलविदों की मदद से इसे व्यवस्थित करके प्रचलित किया था। इसे नवसंवत्सर भी कहते हैं। आओ जानते हैं इसकी 5 शुभ परंपराएं। घर की सजावट सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ सफाई करने के बाद घर को तोरण, मांडना या रंगोली आदि से सजाया जाता है। इस दिन नव संवत्सर का पूजन, नवरात्र घटस्थापना, ध्वजारोपण आदि विधि-विधान किए जाते हैं। प्रत्येक राज्य में इस पर्व को वहां की स्थानीय संस्कृति और परंपरा के अनुसार मनाते हैं।ध्वजा लहराना और गुड़ी लगाना लोग प्रातः जल्दी उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान करते हैं। स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद मराठी समाज गुड़ी को बनाकर उसकी पूजा करके घर के द्वारा पर ऊंचे स्थान पर उसे स्थापित करते हैं, जबकि अन्य समाज के लोग धर्म ध्वजा को मकान के उपर लहराते हैं। गुड़ी पड़वा दो शब्दों से मिलकर बना हैं। जिसमें गुड़ी का अर्थ होता हैं विजय पताका और पड़वा का मतलब होता है प्रतिपदा। इस दिन सभी हिन्दू अपने घरों पर भगवा ध्वज लहराकर उसकी पूजा करते हैं। इस कार्य को विधि पूर्वक किया जाता है जिसमें किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहिए।पारंपरिक व्यंजन इस दिन श्रीखंड का सेवन करके ही दिन की शुरुआत करते हैं। इसी के साथ घर आए मेहमानों को श्रीखंड खिलाया जाता है और श्रीखंड का वितरण भी किया जाता है। ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है। इसी के साथ इस दिन पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं जैसे पूरन पोली, पुरी और मीठे चावल जिन्हें लोकप्रिय रूप से सक्कर भात कहा जाता है| हर प्रांत के अपने अलग व्यंजन होते हैं।जुलूस का आयोजन और मिलन समारोह इस दिन जुलूस का आयोजन भी होता है। लोग लोग नए पीले परिधानों में तैयार होते हैं और एक दूसरे से मिलकर नव वर्ष की बधाई देते हैं। लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ उत्सव का आनंद लेते हैं और सड़क पर जुलूस का हिस्सा बनते हैं।अन्य परंपराएं इस दिन कड़वे नीम का सेवन आरोग्य के लिए अच्छा माना जाता है। इस दिन कोई अच्छा कार्य किया जाता है। जैसे प्याऊ लगाना, ब्राह्मणों या गायों को भोजन कराना। इस दिन बहिखाते नए किए जाते हैं। इस दिन से दो दिन के लिए दुर्गा सप्तशति का पाठ या राम विजय प्रकरण का पाठ की शुरुआत की जाती है। इस दिन नए संकल्प लिए जाते हैं। इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण से पंचांग का भविष्यफल सुना जाता है। इस दिन हनुमान पूजा, दुर्गा पूजा, श्रीराम, विष्णु पूजा, श्री लक्ष्मी पूजा और सूर्य पूजा विशेष तौर पर की जाती है।भोमवती अमावस्या, चैत्र अमावस्या, गुड़ी पड़वा भारत देश संपूर्ण संस्कृतिक देश है, जहाँ विभिन्न समुदाय, विभिन्न मौसम, विभिन्न परंपरा, विभिन्न धर्म और विभिन्न राज्यों के लोग कई छोटे-बड़े पर्व किसी उत्सव की भांति मनाते हुए अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हैं। इसी कारण समस्त दुनियाभर में भारत अकेला ऐसा देश है, जहाँ सबसे ज्यादा अलग-अलग प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। हर त्यौहार अपने राज्य व अपनी संस्कृति को दर्शाता है, जिसे देखकर ही उसकी महत्वता के बारे में पता चलता है।ऐसे में इसी महत्व को समझते हुए आपके लिए हम भारत के त्योहारों से जुड़ी संपूर्ण जानकारी "आज कौन सा त्यौहार है" के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। जिसकी मदद से आप हर दिन के अनुसार जानेंगे कि आज कौन सा त्यौहार है और कौन-कौन से त्यौहार आने वाले हैं। साथ ही इसमें आपको कौन सा त्यौहार किस दिन पड़ेगा? हर त्यौहार के लिए शुभ मुहूर्त का समय क्या होगा? आज का त्यौहार मनाने की सही विधि क्या रहेगी? हर त्यौहार के पीछे की कहानी व उसका ज्योतिषीय व धार्मिक महत्व क्या है? और किस त्यौहार में किसकी पूजा का विधान है? इन सभी सवालों के जवाब भी आपको इसी पृष्ठ पर मिलेंगे। आज का मुहूर्त सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य आने वाले 15 मुहूर्तों में से अभिजित मुहूर्त का क्रम आँठवा है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक की समयावधि को 15 समान भागों में विभाजित किया जाता है जिसका मध्य भाग अभिजित मुहूर्त के नाम से जाना जाता है।अभिजीत मुहूर्त 11:59 AM - 12:47 PM मुहूर्त अवधि 00:48 mintus ज्योतिषचार्य परामर्श किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए ज्योतिषचार्य से परामर्श करना होता है। होरा तालिका द्वारा हम बिना ज्योतिषचार्य के, शुभ और अशुभ समय को जान सकते है। ज्योतिष शास्त्र ने इसके लिए शुभ और अशुभ मुहूर्त की गणना के लिये होरा चक्र का निर्माण किया है।समय हिंदू कैलेंडर में शादी, सगाई, गृहप्रवेश, धार्मिक समारोह आदि जैसे विशेष अवसरों के लिए शुभ समय का चयन करने की एक प्रणाली है। यह वैदिक ज्योतिष प्रणाली पर आधारित है, जो ग्रहों की स्थिति और किसी पर उनके प्रभाव पर विचार करती है। खजुराहो नृत्य समारोह, देश-विदेश के कलाकार होंगे शामिल, जानिए हर डिटेल 17 February 2023 छतरपुर: 48वां खजुराहो नृत्य समारोह 20 फरवरी से शुरू होगा। यह 26 फरवरी तक चलेगा। समारोह के दौरान देश और विदेश के नामचीन कलाकार अपने नृत्य की प्रस्तुतियां देंगे। इस दौरान राष्ट्रीय कालिदास सम्मान और रूपंकर कला पुरस्कार भी दिए जाएंगे। राज्यपाल मंगुभाई पटेल आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव में 48वां 'खजुराहो नृत्य समारोह-2022' का शुभारंभ करेंगे। पर्यटन, संस्कृति और अध्यात्म मंत्री उषा ठाकुर, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा और सांसद वीडी शर्मा भी उपस्थित रहेंगे। संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि समारोह पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी मंदिर प्रांगण में होगा। यह भगवान की भक्ति और नृत्य का बेजोड़ संगम होगा। नृत्य समारोह में देश और विश्व के विख्यात कलाकार अपनी नृत्य प्रस्तुतियां देंगे। नृत्य के लिए राष्ट्रीय कालिदास सम्मान और मध्यप्रदेश राज्य रूपंकर कला पुरस्कार भी समारोह में प्रदान किए जाएंगे। समारोह के दौरान नृत्य के लिए सुनयना हजारी लाल को वर्ष 2019-20 और शांता-वी.पी. धनंजयन को वर्ष 2020-21 के लिए राष्ट्रीय कालिदास सम्मान प्रदान किया जाएगा। साथ ही राज्य रूपंकर कला पुरस्कार वर्ष 2022 के लिए प्रदान किए जाएंगे। उनकी कृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने के साथ कला प्रेमी पर्यटन का लुत्फ भी उठाएंगे। पर्यटन विभाग ने पर्यटकों के लिए क्षेत्र विशेष की संस्कृति, धरोहर, परंपराओं, रीति-रिवाजों और खान-पान से रूबरू कराने सभी आवश्यक इंतजाम किए हैं। उत्सव में हेरिटेज रन, ग्लेम्पिंग विलेज टूर, वाटर राफ्टिंग, ई बाइक टूर, खजुराहो के आस-पास भ्रमण जैसी रोचक गतिविधियों में हिस्सा लेने के साथ स्थानीय संस्कृति, कला और स्थानीय बुंदेली व्यंजनों के स्वाद से पर्यटक परिचित होंगे। समारोह के पहले दिन 20 फरवरी को स्व. पंडित बिरजू महाराज के शिष्य कलाश्रम नई दिल्ली द्वारा कत्थक समूह और शांता-वी.पी. धनंजयन और साथियों द्वारा भरतनाट्यम समूह नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। दूसरे दिन सुजाता महापात्रा द्वारा ओडिसी, निरुपमा राजेंद्र द्वारा भरतनाट्यम कथक समागम और जयरामा राव एवं साथी द्वारा कुचिपुड़ी समूह नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। तीसरे दिन 22 फरवरी को नीना प्रसाद त्रिवेंद्रम द्वारा मोहिनीअट्टम, पार्श्वनाथ उपाध्याय बेंगलुरु द्वारा भरतनाट्यम समूह और टीना तांबे मुंबई द्वारा कथक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। चौथे दिन सोनिया परचुरे मुंबई द्वारा कत्थक, कलामंडलम सुनील एवं पेरिस लक्ष्मी कोट्टायम केरल द्वारा कथकली-भरतनाट्यम, रागिनी नगर नई दिल्ली द्वारा कथक और दानुका अर्यावंसा श्रीलंका द्वारा उदारता नेतुमा नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। समारोह के पाँचवे दिन वसंत किरण एवं साथी कादिरी आंध्र प्रदेश द्वारा कुचिपुड़ी समूह नृत्य, शर्वरी जमेनिस और साथी पुणे द्वारा कथक और संध्या पूरेचा एवं साथी मुंबई द्वारा भरतनाट्यम समूह नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। छठवें दिन देविका देवेंद्र एस मंगलामुखी जयपुर द्वारा कथक, रुद्राक्ष फाउंडेशन भुवनेश्वर द्वारा ओडिसी समूह और नयनिका घोष एवं साथी दिल्ली द्वारा कथक समूह नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। खजुराहो नृत्य समारोह के अंतिम दिन 26 फरवरी को श्वेता देवेंद्र एवं क्षमा मालवीय भोपाल द्वारा भरतनाट्यम-कथक, तपस्या इंफाल द्वारा मणिपुरी समूह और शमा भाटे एवं साथी पुणे द्वारा कथक समूह नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। शनि प्रदोष व्रत के साथ आ रहा है महाशिवरात्रि का महापर्व, जानिए अति शुभ संयोग 17 February 2023 महाशिवरात्रि 2023: महाशिवरात्रि का दिन शिव पूजा का सबसे बड़ा दिन होता है। महाशिव रात्रि के बाद ही शिवरात्रि आती है। इस बार अधिकमास होने से महाशिवरात्रि का पर्व जल्द ही आ रहा है। फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा। आओ जानते हैं शुभ संयोग। प्रदोष व्रत : 18 तारीख शनिवार के दिन है और इसी दिन त्रयोदशी यानि प्रदोष का व्रत भी रखा जाएगा। त्रयोदशी समाप्ती के बाद चतुर्दशी प्रारंभ हो जाएगी। चतुर्दशी तिथि प्रारंभ और समापन : फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 05 पर प्रारंभ हो रही है और अगले दिन 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। 18 तारीख को ही क्यों मनाई जा रही महाशिवरात्रि : महाशिवरात्रि का पर्व चार प्रहर में करने का विधान है। इसमें भी रात्रि के आठवें मुहूर्त का महत्व है। चूंकि चतुर्दशी तिथि 19 फरवरी की शाम को समाप्त हो रही है इसलिए महाशिवरात्रि 18 तारीख की रात्रि को ही मनाई जाएगी। अति शुभ संयोग 18 फरवरी 2023 :- सर्वार्थ सिद्धि योग- शाम 05:42 से अगले दिन प्रात: 07:05 तक। यानी सर्वार्थ सिद्धि योग में महाई जाएगी महाशिवरात्रि। वरियान : महाशिवरात्रि पर रात्रि 07 बजकर 35 मिनट से वरियान योग प्रारंभ होगा जो अगले दिन दोपहर 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल पूजा मुहूर्त : 24:09:26 से 25:00:20 तक रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है। महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त : 06:57:28 से 15:25:28 तक 19, फरवरी को शुभ मुहूर्त 18 फरवरी 2023- अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:29 से 01:16 तक। अमृत काल : दोपहर 12:02 से 01:27 तक। गोधूलि मुहूर्त : शाम को 06:37 से 07:02 तक। | |||
रॉक आर्ट सोसायटी ऑफ इण्डिया का 24वां राष्ट्रीय अधिवेशन आरंभ 27 February 2020 भोपाल.रॉक आर्ट सोसायटी ऑफ इण्डिया के 24वें राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ प्रमुख सचिव संस्कृति श्री पंकज राग ने किया। अधिवेशन शैल चित्रकला अध्ययन की विधा के संस्थापक डॉ. वी.एस. वाकणकर को समर्पित है। राज्य संग्रहालय में 29 फरवरी तक चलने वाले इस अधिवेशन के दौरान 6 अकादमिक सत्रों में 25 विषयों पर विचार-विमर्श होगा। शुभारंभ अवसर पर सोसायटी की पत्रिका 'पुराकला'' के 29वें अंक का विमोचन किया गया। श्री पंकज राग ने शुभारंभ-सत्र में कहा कि मानव के सांस्कृतिक विकास के प्रथम चरण के महत्वपूर्ण साक्ष्यों को प्रस्तुत करते हुये शैल चित्र देश की अमूल्य धरोहर हैं। भारत में वर्ष वर्ष 1867-68 से आरंभ हुई शैल चित्रों की खोज निरंतर जारी है। प्रदेश में विद्यमान शैलचित्र कला स्थलों के विश्लेषण, डाक्यूमेंटेशन, संरक्षण और इन स्थलों के विकास का कार्य निरंतर जारी है। शुभारंभ सत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के भूतपूर्व महानिदेशक डॉ. राकेश तिवारी ने अपने व्याख्यान में भारत में शैलचित्र कला-अध्ययन के विकास क्रम प्रस्तुत किया। उन्होंने डॉ. वाकणकर के योगदान की भी सविस्तार जानकारी दी। इस अवसर पर पुरातत्वविद श्री के.के. मोहम्मद, डॉ.एस.बी. ओटा, प्रोफेसर गिरिराज कुमार, प्रोफेसर आर.सी.अग्रवाल सहित विरासत संरक्षक तथा अन्य विषय-विशेषज्ञ उपस्थित थे। तीन दिवसीय इस अधिवेशन में शैलचित्र कला स्थलों के संरक्षण, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की संरक्षण नीति, आदि पर विचार विमर्श होगा। अधिवेशन का समापन 29 फरवरी को सांय 4:30 बजे होगा। ‘जैसे प्यार अंधा होता है, वैसे ही हम हैं‘ - ‘पवित्र प्रेम‘ पर एक सीरीज 16 February 2020 दिल्ली, यह कहानी निश्चित रूप से आपके मन को प्रसन्न्ा कर देगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फोटोग्राफर नीरज गेरा दिल्ली में एक दिन एक नेत्रहीन जोड़े - दीपक और आरती से मिले, जब वह युगल राजीव चैक मेट्रो स्टेशन की ओर बढ़ रहा था। उनकी खूबसूरत बाॅन्डिंग को देखकर वह विस्मित रह गये और उनसे बात करने की अपनी इच्छा को रोक नहीं पाये। जब वे दोनों अपनी प्रेम कहानी को सुंदर शब्दों में साझा कर रहे थे, तो नीरज के मन में एक विचार चलने लगा कि क्यों न उन दोनों की प्रेम कहानी पर एक फोटो सीरीज तैयार की जाये। एक ऐसी सीरीज जिसमें पवित्र प्रेम को दर्शाया जाये, जो बाहरी लुक्स और दिखावे से परे हो। आरती ने बताया कि उसे एहसास ही नहीं हुआ कि कब दीपक के साथ बातचीत एक प्रेम प्रस्ताव में तब्दील हो गई, जिससे उनके दिलों में असीम चमक और रंग उत्पन्न्ा हो गये। जन्म से दृष्टिहीन दंपत्ति ने एक सुंदर और रंगीन जीवन की कल्पना करनी शुरू कर दी और उनके सपने उनके अंधकारपूर्ण जीवन की सीमाओं से आगे निकल गये। दीपक, जो आरती के स्वभाव और आवाज का दीवाना है, वर्तमान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा से अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहा है। जबकि दीपक की आवाज और बातचीत का अंदाज़ पसंद करने वाली आरती दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस काॅलेज से शिक्षा प्राप्त कर रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फोटोग्राफर नीरज गेरा ने कहा, ‘सेक्रेड लव‘ एक नेत्रहीन युगल (दीपक और आरती, दोनों 21 साल के हैं) की एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रेम कहानी है। मोबाइल फोन का उपयोग करने में दृष्टिबाधित लोगों की मदद करने वाली प्रौद्योगिकी और मोबाइल एप्लिकेशन ने उनकी प्रेम कहानी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक असामान्य प्रेम कहानी, जो एक मामूली फ्रेंड रिक्वेस्ट के साथ शुरू हुई। दरअसल दीपक ने आरती की प्रोफाइल में कुछ समानताएं खोजने के बाद यह रिक्वेस्ट भेजी थी। आरती को पता था कि इस रिक्वेस्ट को स्वीकार करने से उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाएगा।‘ नीरज गेरा ने यह भी कहा कि ‘उनका अद्भुत प्यार निर्विवाद रूप से लाखों जोड़ों को बाहरी सुंदरता से आगे बढ़ते हुए मन की संुदरता पर ध्यान देने और शारीरिक दिखावे पर न जाकर व्यक्ति की आंतरिक सुंदरता की सराहना करने के लिए प्रेरित करेगा।‘ आरती ने कहा, ‘भले ही हम खुद इस फोटो सीरीज को नहीं देख पा रहे हैं, लेकिन लोगों से मिलने वाली तारीफ हमें निश्चित रूप से रोमांचित कर देगी।‘ नीरज गेरा, दिल्ली में रहने वाले एक बहु-प्रतिभाशाली, आध्यात्मिक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित व पुरस्कृत फोटोग्राफर, समाज सुधारक, सर्टिफाइड लाइफ कोच, आर्ट आॅफ लिविंग के फैकल्टी मैम्बर और एक प्रेरक वक्ता हैं। वह ह़यूमेनीफाइ फाउंडेशन नामक एक एनजीओ के फाउंडर चेयरमैन हैं। वह एक खुशहाल दुनिया का सपना देखते हैं। एक ऐसी दुनिया जो प्रेम, सकारात्मकता, खुशी और ज्ञान से परिपूर्ण हो। वह अपने गुरु श्री श्री रविशंकर से बहुत अधिक प्रेरित हैं। उनके काम में एसिड अटैक, लैंगिक भेदभाव, मासिक धर्म की स्वच्छता से जुड़े मिथक और कलंक जैसे विभिन्न सामाजिक मुद्दे शामिल हैं। सामाजिक कार्यों ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित उनकी एक श्रृंखला- ‘सेके्रड ट्रांसफाॅर्मेेशन‘ में एसिड हमले के बची युवतियों की भावनात्मक यात्रा को दर्शाया गया है, जिससे उन्हें एसिड हमलों के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाने में मदद मिली। उनकी श्रृंखला को विभिन्न प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले, जैसे कि इंटरनेशनल फोटोग्राफर आॅफ दि ईयर (2016), सेपिक अवार्ड (जर्मनी), सिपा अवार्ड (सिंगापुर), गोल्डन आॅर्किड अवार्ड (इटली) आदि। उनकी एक और श्रृंखला ‘सेके्रड स्टेंस‘ मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने पर केंद्रित है। उनकी फोटो सीरीज ने इस संवेदनशील विषय को अच्छे से पकड़ा है और उनकी पीड़ा को उजागर किया है। वह महिलाओं की प्रगति के साथ-साथ उनके सशक्तिकरण के लिए भी काम कर रहे हैं और साथ ही समाज के कमजोर वर्ग पर ध्यान दे रहे हैं। उन्हें उनके उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों के लिए ‘एंजेल आॅफ सोशल रिफाॅर्म अवार्ड‘ भी मिला है। नीरज आर्ट ऑफ लिविंग के वरिष्ठ फैकल्टी मैम्बर हैं और योग व अध्यात्म के मामले में लोगों का मार्गदर्शन करते हैं। इसके अलावा, वह एक फोटो डाॅक्युमेंटरी निर्माता, ब्लॉगर, लेखक और संपादक भी हैं। इससे भी बढ़कर, वह एक सफल उद्यमी हंै। वह अपने नेक इरादों के साथ भलाई के कार्यों में दृढ़ता से विश्वास करते हंै। वास्तव में वह एक ऐसी धन्य आत्मा हैं, जो जीवन को समझने में लोगों की मदद करती है। वह एक ऐसे कलाकार हैं, जिसका काम और समर्पण बहुतों को प्रेरित करता रहेगा। लिंग रूप में शिव के प्रकट होने का पर्व है महाशिवरात्रि, शिव-पार्वती विवाह की सही तिथि मार्गशीर्ष मास में 21 February 2020 पूरे भारत में महाशिवरात्रि पर्व को शिव-पार्वती विवाह की तिथि के रूप में मनाया जा रहा है, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि शिव-पार्वती का विवाह फाल्गुन (फरवरी-मार्च) मास में नहीं, बल्कि मार्गशीर्ष माह (नवंबर-दिसंबर) में हुआ था। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव पहली बार लिंग रूप में प्रकट हुए थे। कुछ विद्वानों का मानना है कि शिवलिंग में शिव और पार्वती दोनों समाहित हैं, दोनों ही एक साथ पहली बार इस स्वरूप में प्रकट हुए थे, इस कारण महाशिवरात्रि को भी शिव-पार्वती विवाह की तिथि के रूप में मनाया जाता है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा ने बताया कि रुद्रसंहिता जो शिव महापुराण का ही एक अंश है, उसके मुताबिक शिव-पार्वती के विवाह की तिथि मार्गशीर्ष माह (अगहन मास) के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है, जो इस वर्ष 1 दिसंबर को है। वहीं, ईशान संहिता में वर्णन है कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इसी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। ईशान संहिता: शिव के लिंग रूप में प्रकट होने का दिन शिवरात्रि ज्योतिषाचार्य पं. मिश्रा ने कहा कि ईशान संहिता ग्रंथ में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मध्य रात्रि में भगवान शिव, लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी द्वारा की गई थी। इसलिए महाशिवरात्रि पर्व को भगवान शिव के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है और शिवलिंग की पूजा की जाती है। माघकृष्ण चतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि शिवलिंगतयोद्रूत: कोटिसूर्यसमप्रभ॥ (ईशान संहिता) शिव पुराण: शिव विवाह की तिथि मार्गशीर्ष में शिवपुराण के 35 वें अध्याय में रूद्र संहिता के अनुसार महर्षि वसिष्ठ ने राजा हिमालय को भगवान शिव और पार्वती विवाह के लिए समझाते हुए विवाह का मुहूर्त मार्गशीर्ष माह में होना तय किया था। जिसके बारे में इस संहिता ग्रंथ के 58 से 61 वें श्लोक में बताया गया है। ज्योतिषाचार्य पं. मिश्रा ने कहा कि शिवपुराण में बताए गए नक्षत्र और माह के अनुसार ये दिन इस साल 1 दिसंबर को पड़ रहा है। भारत भवन में सिरेमिक और चित्र प्रदर्शनी देखने का उत्साह प्रदर्शित 17 February 2020 भोपाल.बहु कला केंद्र भारत भवन के 38वें वर्षगांठ समारोह में फिल्म प्रदर्शन, नाटक प्रदर्शन और गायन के कार्यक्रमों में प्रतिदिन विद्यार्थियों के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों की उत्साहजनक उपस्थिति देखने को मिल रही है। वर्षगांठ के चौथे दिन भारतीय भाषाओं के कवियों ने अंतरंग सभागार में काव्य पाठ किया। प्रमुख सचिव संस्कृति श्री पंकज राग, हिंदी कवि राजेश जोशी, लीलाधर जगूडी, अरुण कमल, गुजराती कवि श्री शीतांशु, उड़िया कवि सुश्री प्रवासनी, असमिया कवि निलिम कुमार, मराठी कवि सुश्री कल्पना दुधाल और अन्य आमंत्रित कवियों सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी इस मौके पर उपस्थित थे। संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने 13 फरवरी को ग्यारह दिवसीय समारोह का शुभारंभ किया था। भारत भवन की कला दीर्घा में उन्होंने पहली बार लगाई गई अंतरराष्ट्रीय सिरेमिक कला प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया था, जो आगामी 15 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर दो बजे से देखी जा सकती है। यह प्रदर्शनी कला-प्रेमियों को काफी लुभा रही है। जिन देशों के सिरेमिक आर्टिस्ट की कलाकृतियाँ भारत भवन के कला दीर्घा में प्रदर्शित की गई हैं, उनमें भारत के अलावा इजराइल, फ्रांस, यू.एस.ए, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, चाईना, कोरिया, जापान आदि शामिल हैं। प्रदर्शनी में आस्ट्रेलिया के विप्पो श्रीविलासा अपनी बनाई कलाकृति के संबंध में बताया कि उन्होंने इस कलाकृति में मनुष्य और पशु के मिश्रित स्वरूप को एक पुष्प को आधार बनाकर कलात्मक रूप दिया है। भारत के टेराकोटा शिल्प से जुड़े कलाकारों की कलाकृतियाँ भी कला-प्रेमियों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। शम्पा शाह और रेखा अग्रवाल के साथ ही कच्छ की सुश्री सारा अपनी कला को प्रदर्शनी में प्रदर्शित करते हुए काफी प्रसन्न थीं। गोंड चित्रकला को देखने आए हर आयु वर्ग के दर्शक भारत भवन की कलादीर्घा में गोंड कला वर्ष के अवसर पर लगाई गई गोंड चित्रकारों की चित्र प्रदर्शनी ने सभी आयु वर्ग के दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। मध्यप्रदेश के प्रतिभावान गोंड चित्रकारों ने जनजातीय संग्रहालय की दीर्घाओं में भी यह चित्र प्रदर्शित किए हैं। विज्ञापन बड़ा रोग, परन्तु बिना विज्ञापन पत्रिकाओं का ज़िंदा रहना मुश्किल : श्री रघु ठाकुर युगतेवर पत्रिका के संपादक श्री कमलनयन पांडेय 12वें पं. बृजलाल द्विवेदी सम्मान से सम्मानित 10 February 2020 भोपाल. प्रख्यात साहित्यकार एवं युगतेवर पत्रिका के संपादक श्री कमलनयन पांडेय को 12वें पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया गया। रविवार को भोपाल के गांधी भवन में मीडिया विमर्श एवं मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सम्मान समारोह में उनको सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता एवं विचारक श्री रघु ठाकुर ने कहा कि पत्रकारिता की डिग्री के लिए साहित्य पढ़ना भले जरूरी न हो लेकिन एक अच्छा इंसान होने के लिए साहित्य पढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के लिए विज्ञापन एक रोग है, किंतु विज्ञापन के बिना पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन कठिन कार्य है। समाजवादी चिंतक श्री रघु ठाकुर ने कहा कि आज के अखबारों में नेताओं के बारे में, उनके निजी जीवन के बारे में तो बहुत कुछ छपता है लेकिन साहित्यकारों के बारे में, उनके निजी जीवन के बारे में नहीं छपता है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों के बारे में, उनके सृजन के बारे में लोगों को जानकारी देनी चाहिए, अखबारों में साहित्यकारो को प्रमुखता से स्थान देना चाहिए। अगर अखबार पढ़ने से तनाव पैदा होता है तो होना भी चाहिए : अगर अखबार पढ़ने से तनाव पैदा होता है, बेचैनी होती है, तो होनी भी चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त खामियां और समस्याओं को बदलने की शक्ति होनी चाहिए। अगर समाज में लोगों के साथ अन्याय हो रहा है तो उसके लिए बेचैनी होनी चाहिए, उसके साथ खड़ा होना चाहिए। सच्चा राष्ट्रवादी वही होगा जो सच्चा विश्ववादी होगा : राष्ट्रवाद के संबंध में अपनी बात रखते हुए रघु ठाकुर ने कहा कि एक सच्चा राष्ट्रवाद वही होगा जो सच्चा विश्ववादी होगा। अगर सभी देश अपनी सीमाओं को छोड़ने के लिए तैयार हो जाए तभी असली राष्ट्रवाद की नींव रखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि मीडिया और राष्ट्रवाद के बीच संघर्ष की स्थिति नहीं होनी चाहिए। पत्रकारिता के केंद्र में मनुष्य होता है : प्रो. कमल दीक्षित कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. कमल दीक्षित ने कहा कि पत्रकारिता देश और समाज के लिए नहीं होती बल्कि मनुष्यता के लिए होती है। इसलिए पत्रकारिता के केंद्र में मनुष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारिता सामाजिक सरोकारों और मूल्यों से कट गई है। मीडिया का मूल्यानुगत होना आवश्यक है। पिछले कुछ वर्षों से हम इसी दिशा में प्रयास कर रहे हैं। समाज के लिए जरूरी है असहमति : श्री कमलनयन पांडेय त्रैमासिक पत्रिका युगतेवर के संपादक श्री कमलनयन पांडेय ने कहा कि समाज में असहमति जरूरी है। जहां असहमति नहीं होती है, वहां सत्य का विस्फोट नहीं होता है। उन्होंने कहा कि शब्द सिर्फ शब्द नहीं होता है। शब्द संस्कृति होता है, प्रतीक होता है। उन्होंने प्रतीकों पर आधारित पत्रकारिता पर जोर देते हुए कहा कि जब रचनाकार रचना करता है तो वह प्रतीकों में रच बस जाता है। श्री पांडेय ने कहा कि शब्दों और प्रतीकों का अपना उत्कर्ष और अपकर्ष होता है। उन्होंने आदि पत्रकार नारद का उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ लोग उन्हें चुगलखोर की संज्ञा देते हैं लेकिन यह सत्य नहीं है। उन्होंने कहा कि नारद हमेशा कमजोर और शोषित वर्ग के लिए खड़े रहे और संचार संवाद का काम किया। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार के रूप में आज भी नारद जीवित हैं। लघु पत्रिका को परिभाषित करते हुए श्री पांडेय ने कहा कि जो संसाधन में सीमित हो लेकिन उद्देश्यों में महान हो उसे लघु पत्रिका कहते हैं। उन्होंने कहा कि लघु पत्रिकाओं ने सीमित दायरे में ही सही लेकिन पाठकों को सामाजिक सरोकारों से जोड़े रखा है। तमाम वैश्वीकरण और स्थानीयता के संघर्ष के बीच लघु पत्रिकाएं स्थानीयता को बचाने में पूरी ताकत से लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि लघु पत्रिकाओं का भविष्य आन्दोलनों में ही है। अंत में लघु पत्रिकाएं ही जनसंघर्ष और जनता का मंच बनेंगी। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार व व्यंगकार श्री गिरीश पंकज ने युगतेवर के संपादक श्री कमलनयन पांडेय का उदाहरण देते हुए कहा कि बड़े कार्य करने के लिए स्थान विशेष मायने नहीं रखता है। आप कहीं से भी बड़ा कार्य कर सकते हैं। उन्होंने लगातार 14 वर्षों से मीडिया सरोकारों पर केंद्रित अनवरत प्रकाशित हो रही त्रैमासिक पत्रिका मीडिया विमर्श की भी सराहना की। विशिष्ट अतिथि और मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह ने कहा कि लघु पत्रिकाएं एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होती हैं, संग्रहणीय होती हैं। अखबारों की तरह हम उन्हें फेंकते नहीं है बल्कि संग्रहित कर के रखते हैं। मीडिया विमर्श का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस पत्रिका के भी सभी अंक संग्रहणीय होते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात पत्रकार श्री विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि पत्रकारिता को सामाजिक सरोकारों और मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पहले बाजार नहीं थे, बाजार पहले भी थे। लेकिन आज बाजार सेवक की बजाय स्वामी बन गया है। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता की चिंता व्यक्ति करते हुए कहा कि एक समय था, जब अखबारों में हिंदी के गद्य शामिल किए जाते थे। लेकिन आज जबरन अंग्रेजी के शब्दों को जोड़ा जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन दिल्ली से आईं साहित्यकार डॉ. पूनम मटिया ने किया। स्वागत भाषण श्रीकांत सिंह ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. बीके रीना ने किया। पत्रकारिता पर केंद्रित दो पुस्तकों का विमोचन : कार्यक्रम में पत्रकारिता पर केंद्रित दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का भी विमोचन हुआ। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अध्येयता डॉ. सौरभ मालवीय एवं श्री लोकेंद्र सिंह की पुस्तक "राष्ट्रवाद और मीडिया" और मीडिया प्राध्यापक प्रो. संजय द्विवेदी एवं वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार डॉ. वर्तिका नंदा की पुस्तक "नये समय में अपराध पत्रकारिता" का विमोचन हुआ। लता मंगेशकर सम्मान अलंकरण से विभूषित होंगे पार्श्व गायिका सुमन 5 February 2020 भोपाल.संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ 6 फरवरी की शाम बास्केटबॉल ग्राउंड, इंदौर में आयोजित गरिमामय समारोह में प्रतिष्ठित पार्श्व गायिका सुमन कल्याणपुर को वर्ष 2017 एवं प्रसिद्ध संगीत निर्देशक कुलदीप सिंह को वर्ष 2018 के 'राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान' से विभूषित करेंगी। दोनों हस्तियों को सम्मान के अंतर्गत दो-दो लाख रुपए की राशि, सम्मान पट्टिका, शाल एवं श्रीफल प्रदान किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष से संस्कृति विभाग ने लगभग सात वर्ष से बंद लता मंगेशकर सुगम संगीत प्रतियोगिता की फिर से शुरुआत की है। इसमें पहले संभागीय स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था, जिनमें प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त कलाकारों को राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होने का अवसर प्रदान किया गया। इस प्रतियोगिता में पुरस्कृत हुए कलाकारों को कार्यक्रम के आरंभ में गाने का अवसर प्रदान किया जाएगा और पुरस्कार भी दिए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि सम्मान समारोह के पश्चात सुश्री सुमन कल्याणपुर के गाए यादगार गीतों की प्रस्तुति सुश्री मंगला खाडिलकर के संयोजन में की जाएगी। इसके पश्चात बॉलीवुड गायिका मोनाली ठाकुर अपने बड़े आर्केस्ट्रा के साथ गीत-संगीत की यादगार प्रस्तुतियाँ देंगी। समारोह में प्रवेश नि:शुल्क है। यह आयोजन संस्कृति विभाग की ओर से इंदौर जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। 12वें पं. बृजलाल द्विवेदी साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित होंगे श्री कमलनयन पाण्डेय 4 February 2020 भोपाल.मीडिया विमर्श के सारस्वत आयोजन में 9 फरवरी को त्रैमासिक पत्रिका ‘युगतेवर’ (सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश) के संपादक कमलनयन पाण्डेय को प्रतिष्ठित साहित्यक पत्रकारिता सम्मान 'पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान' से सम्मानित किया जाएगा। सम्मान समारोह का आयोजन गांधी भवन में सुबह 11:30 बजे से होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात गाँधीवादी-समाजवादी चिन्तक श्री रघु ठाकुर, मुख्य वक्ता वरिष्ठ संपादक प्रो. कमल दीक्षित, विशिष्ट अतिथि साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के पूर्व निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह और प्रख्यात व्यंग्यकार श्री गिरीश पंकज होंगे। समारोह की अध्यक्षता सप्रे संग्रहालय के संस्थापक एवं पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ संपादक श्री विजयदत्त श्रीधर करेंगे। उल्लेखनीय है कि 12वें पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति सम्मान से सम्मानित श्री कमलनयन पाण्डेय साहित्यिक पत्रकारिता के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर होने के साथ-साथ जाने-माने साहित्यकार और लेखक भी हैं। 38 वर्षों से वे समकालीन लेखन को समर्पित साहित्यिक पत्रिका ‘युगतेवर’ का संपादन कर रहे हैं। पूर्व में यह पत्रिका ‘तेवर’ नाम से भी प्रकाशित होती रही है, 2006 में इसका नाम ‘युगतेवर’ कर दिया गया। मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक प्रो. संजय द्विवेदी ने बताया कि आयोजन में अनेक साहित्यकार, बुद्धिजीवी और पत्रकार हिस्सा लेंगे। पुरस्कार के निर्णायक मंडल में सर्वश्री विश्वनाथ सचदेव (पूर्व संपादक: नवभारत टाइम्स,मुंबई), रमेश नैयर (पूर्व निदेशक: छत्तीसगढ़ हिंदी ग्रंथ अकादमी, रायपुर) तथा डॉ. सच्चिदानंद जोशी (सदस्य सचिव: इंदिरा गांधी कला केंद्र, दिल्ली) शामिल हैं। इसके पूर्व यह सम्मान वीणा (इंदौर) के संपादक स्व. श्यामसुंदर व्यास, दस्तावेज (गोरखपुर) के संपादक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कथादेश (दिल्ली) के संपादक हरिनारायण, अक्सर (जयपुर) के संपादक डॉ. हेतु भारद्वाज, सद्भावना दर्पण (रायपुर) के संपादक गिरीश पंकज, व्यंग्य यात्रा (दिल्ली) के संपादक डॉ. प्रेम जनमेजय, कला समय (भोपाल) के संपादक विनय उपाध्याय, संवेद (दिल्ली) के संपादक किशन कालजयी, अक्षरा (भोपाल) के संपादक कैलाशचंद्र पंत, अलाव (दिल्ली) के संपादक रामकुमार कृषक और प्रेरणा(भोपाल) के संपादक अरुण तिवारी को दिया जा चुका है। त्रैमासिक पत्रिका 'मीडिया विमर्श' द्वारा प्रारंभ किए गए इस अखिल भारतीय सम्मान के तहत साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले संपादक को ग्यारह हजार रुपये, शाल, श्रीफल, प्रतीक चिह्न और सम्मान पत्र से अलंकृत किया जाता है। राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से विभूषित होंगे 2 February 2020 भोपाल.मध्यप्रदेश शासन द्वारा शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में स्थापित राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से कथक नृत्यांगना गुरु उमा शर्मा एवं वरिष्ठ नृत्य गुरु जतिन गोस्वामी को विभूषित किया जाएगा। यह सम्मान खजुराहो में 20 फरवरी को नृत्य समारोह के शुभारंभ अवसर पर प्रदान किया जायेगा। नृत्य गुरू जतिन गोस्वामी को वर्ष 2017 और उमा शर्मा को वर्ष 2018 के लिए यह सम्मान दिया जाएगा। इस सम्मान के अंतर्गत 2 लाख रूपये की राशि एवं सम्मान पट्टिका प्रदान की जाएगी। राष्ट्रीय कालीदास सम्मान के लिये नृत्य गुरू उमा शर्मा और जतिन गोस्वामी का चयन निर्णायक मंडल द्वारा किया गया। निर्णायक मंडल में कटक की सुश्री मीरा दास, दिल्ली की सुश्री गीता चंद्रन, श्री राजा रेड्डी और सुश्री शशि प्रभा तिवारी तथा मुम्बई की सुश्री संध्या पुरेचा शामिल थीं। गुरु जतिन गोस्वामी प्रतिष्ठित वरिष्ठ नर्तक एवं कोरियोग्राफर हैं। इन्होंने नृत्य की शिक्षा अपने पिता और वरिष्ठ गुरुओं से प्राप्त की। छोटी-सी उम्र से ही इनको नृत्य के प्रति लगाव था। इन्होंने उत्तर-पूर्व के शास्त्रीय नृत्य को देशव्यापी प्रतिष्ठा प्रदान की। इनका स्थान एक दुर्लभ नृत्य परम्परा संरक्षित करने में योगदान की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। गुरु उमा शर्मा प्रतिष्ठित कथक नृत्य गुरु हैं। इन्होंने जयपुर घराने की कथक परम्परा के बाद शंभु महाराज एवं बिरजू महराज का भी मार्गदर्शन प्राप्त किया। उमा जी पद्मश्री एवं पद्मभूषण जैसे सम्मान से अलंकृत कथक नृत्यांगना हैं। पारम्परिक कलाओं का उत्सव "लोकरंग" 29 January 2020 भोपाल.पारम्परिक कलाओं के उत्सव 'लोकरंग' का तीसरा दिन मंगलवार 28 जनवरी कव्वाली, नृत्य-नाटिका, जनजातीय और लोक-नृत्य की प्रस्तुतियों से सरोबार रहा। उत्सव की शुरूआत 'देशराग' से हुई, जिसमें सुप्रसिद्ध कव्वाल नियाजी ब्रदर्स और साथियों ने अमीर खुसरो की रचना 'छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके....,' की प्रस्तुति से संगीत सभा का समां बांधा, श्रोता मंत्र-मुग्ध हो गये। इसके बाद कलात्मक अभिव्यक्ति की मिसाल रही आदि शिल्पी में प्रस्तुत नृत्य-नाटिका। इसका निर्देशन भोपाल के चन्द्रमाधव बारीक ने किया। लोक-नर्तको के कलात्मक अभिनय-कौशल से नृत्य प्रेमी काफी प्रभावित हुए। 'धरोहर' और 'लोकराग' के अंतर्गत दशहरे पर अच्छी फसल की पैदावार होने पर किया जाने वाला नृत्य—गायन मनकुराम नेताम के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। सोंगी मुखौटा नृत्य नासिक,महाष्ट्र द्वारा प्रस्तुत किया गया। यह नृत्य चैत्र पूर्णिमा पर सप्तश्रृंगारदेवी की पूजा के साथ होली के त्यौहार पर करते हैं। इसमें नर्तक पुरूष कलाकारों द्वारा नरसिंह, कालभैरव, वेताल के मुखौटे पहन कर लय, ताल, के साथ जोशपूर्ण नृत्य किया जाता है। ढिमसा जनजातीय नृत्य के. के. एस. इन्द्रजा (विशाखापटनम) के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। यह आंध्रप्रदेश के अक्रू स्थान की महिलाएँ शादी और त्यौहारों के शुभअवसर पर भगवान को याद करते हुए प्रस्तुत करती हैं। ढोलू कुनीथा नृत्य भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रस्तुत किया जाता है। कर्नाटक के श्री हेमंथ मनजप्पा के निर्देशन में इस नृत्य की प्रस्तुति सराहनीय रही। 'बैगा जनजातीय गायन' हुआ, जो दशहरा पर फसलों की पैदावार अच्छी हो जाने पर ईश्वर को आभार देते हुए किया जाता है। देशान्तर में आस्ट्रेलिया के नृत्यों में आस्ट्रेलियन वॉस डांस,मार्डन हॉका, इन सफारी, स्पेशल गर्ल्स की थीम पर नृत्यों को आस्ट्रेलिया की महिला नृतकों द्वारा प्रस्तुत किया गया। 'लोकरंग' उत्सव में बच्चों की गतिविधियों के कार्यक्रम 'उल्लास' के अंतर्गत कठपुतली में गांधीजी के जीवन पर आधरित नाट्य प्रस्तुति हुई। इसके बाद फिल्म रेड वैलून का शो हुआ। बच्चों ने बिना कागज को काटे कुर्सी,मेज और खिलौने बनाये। विहान ग्रुप ने कविता,कहानी की प्रस्तुति दी, जिसमें सभी स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया। वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा क्यों की जाती है, जानिए महत्व और पूजा विधि 29 January 2020 भोपाल.वसंत पंचमी का दिन हिन्दू कैलेंडर में पंचमी तिथि को मनाया जाता है। जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच में व्याप्त रहती है, उस दिन को ही सरस्वती पूजा के लिए सही माना जाता है। हिन्दू कैलेंडर में सूर्योदय और दोपहर के मध्य के समय को पूर्वाह्न के नाम से भी जाना जाता है। वसंत पंचमी के दिन किसी भी समय मां सरस्वती की पूजा की जा सकती है लेकिन पूर्वान्ह का समय पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है। सभी शिक्षा केंद्रों व विद्यालयों में पूर्वान्ह के समय ही सरस्वती पूजा कर माता सरस्वती का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है। वसंत पंचमी का महत्व भारतीय पंचांग में 6 ऋतुएं होती हैं। इनमें से बसंत को 'ऋतुओं का राजा' कहा जाता है। बसंत फूलों के खिलने और नई फसल के आने का त्योहार है। ऋतुराज बसंत का बहुत महत्व है। ठंड के बाद प्रकृति की छटा देखते ही बनती है। इस मौसम में खेतों में सरसों की फसल पीले फूलों के साथ, आमों के पेड़ों पर आए फूल, चारों तरफ हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को और भी खुशनुमा बना देती है। यदि सेहत की दृष्टि से देखा जाए तो यह मौसम बहुत अच्छा होता है। इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों में नई चेतना का संचार होता है। इस ऋतु को काम बाण के लिए भी अनुकूल माना जाता है। यदि हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक देखा जाए तो इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। यही कारण है कि यह त्योहार हिन्दुओं के लिए बहुत खास है। इस त्योहार पर पवित्र नदियों में लोग स्नान आदि करते हैं और इसके साथ ही वसंत मेले आदि का भी आयोजन किया जाता है। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती की पूजा क्यों की जाती है? सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्माजी ने मनुष्य और जीव-जंतु योनि की रचना की। इसी बीच उन्हें महसूस हुआ कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण सभी जगह सन्नाटा छाया रहता है। इस पर ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल छिड़का जिससे 4 हाथों वाली एक सुंदर स्त्री, जिसके एक हाथ में वीणा थी तथा दूसरा हाथ वरमुद्रा में था तथा अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी, प्रकट हुई। ब्रह्माजी ने वीणावादन का अनुरोध किया जिस पर देवी ने वीणा का मधुर नाद किया। जिस पर संसार के समस्त जीव-जंतुओं में वाणी व जल धारा कोलाहल करने लगी तथा हवा सरसराहट करने लगी। तब ब्रह्माजी ने उस देवी को 'वाणी की देवी सरस्वती' का नाम दिया। मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादिनी और वाग्देवी आदि कई नामों से भी जाना जाता है। ब्रह्माजी ने माता सरस्वती की उत्पत्ति वसंत पंचमी के दिन की थी, यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष वसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का जन्मदिन मानकर पूजा-अर्चना की जाती है सरस्वती व्रत की विधि वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। प्रात:काल सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के उपरांत मां भगवती सरस्वती की आराधना का प्रण लेना चाहिए। इसके बाद दिन के समय यानी पूर्वाह्न काल में स्नान आदि के बाद भगवान गणेशजी का ध्यान करना चाहिए। स्कंद पुराण के अनुसार सफेद पुष्प, चंदन, श्वेत वस्त्रादि से देवी सरस्वतीजी की पूजा करना चाहिए। सरस्वतीजी का पूजन करते समय सबसे पहले उनको स्नान कराना चाहिए। इसके पश्चात माता को सिन्दूर व अन्य श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद फूलमाला चढ़ाएं। देवी सरस्वती का मंत्र- मिठाई से भोग लगाकर सरस्वती कवच का पाठ करें। मां सरस्वतीजी के पूजा के वक्त इस मंत्र का जाप करने से असीम पुण्य मिलता है- लोक कलाकारों के लिये सशक्त मंच है लोकरंग : मंत्री डॉ. साधौ 27 January 2020 भोपाल.संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने गणतंत्र दिवस 26 जनवरी की शाम रवीन्द्र भवन भोपाल में पांच दिवसीय लोकरंग समारोह का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि लोकरंग एक ऐसा मंच है, जहाँ लोक कलाकारों को खुला आकाश मिलता है, प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिलता है। यह मंच कलाकारों को प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर उभारने में सहायक होता है। लोकरंग का शुभारंभ रवीन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर हुआ। इस मौके पर मंत्री डॉ. साधौ का पारम्परिक लोक वाद्य यंत्रों की कर्णप्रिय धुनों से स्वागत किया गया। लोकरंग में पांचों दिन देश के विभिन्न प्रान्तों के लोक कलाकार अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे। शुभारंभ अवसर पर मण्डला, डिण्डोरी और छिन्दवाड़ा जिले के गोंड लोक नर्तकों ने पारम्परिक लोक नृत्य और स्वागत गीत प्रस्तुत किया। पुरस्कार वितरण मंत्री डॉ. साधौ ने लोकरंग समारोह में राज्य स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में प्रदर्शित झांकियों में से निर्णायक मंडल के चयन के आधार पर निर्वाचन कार्यालय की झाँकी को पहला, जेल विभाग की झाँकी को दूसरा और गृह विभाग की झाँकी को तीसरा पुरस्कार प्रदान किया। पर्यटन विभाग को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। समारोह में श्रेष्ठ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुति के लिए छात्र छात्राओं को भी लोकरंग समारोह में पुरस्कार दिए गए। साथ ही, विभिन्न परेड दल और सात स्कूल के कुल 124 विद्यार्थी शानदार कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए पुरस्कृत किए गए। गोंड चित्र प्रदर्शनी और विशेष पुस्तिका संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ ने समारोह में गोंड चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन और गोंडवाना चित्रकला पर प्रकाशित विशेष पुस्तिका का लोकार्पण किया। लोक नाट्य 'राजा पेमल शाह'' का समारोह में प्रभावी मंचन हुआ। गोंड आख्यान आधारित नाटक में अभिनेता शहबाज खान इसके सूत्रधार थे। निर्देशक रामचंद्र सिंह थे। प्रमुख सचिव संस्कृति श्री पंकज राग ,संचालक जनजातीय संग्रहालय राजेश मिश्र और अभिनेता राजीव वर्मा आदि उपस्थित थे। कव्वाली और नृत्य-नाटिका लोकरंग समारोह के तीसरे दिन 28 जनवरी को देशराग में उत्तरप्रदेश के कव्वाल अपनी प्रस्तुति देंगे। आदि शिल्पी के अंतर्गत चन्द्रमाधव बारीक के निर्देशन में नृत्य नाटिका प्रस्तुत होगी। इसी शाम 6 राज्यों के जनजातीय नृत्य होंगे। देशान्तर में आस्ट्रेलिया के कलाकार नृत्य कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। निमाड़ के गणगौर और महाराष्ट्र के पारम्परिक गायन से सजेगी शाम लोकरंग समारोह के चौथे दिन 29 जनवरी को देशराग में महाराष्ट्र का पोवाड़ा गायन और मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल का गणगौर प्रस्तुत किया जायेगा। चौथी शाम को भी धरोहर में 6 राज्यों के जनजातीय लोकनर्तक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। देशान्तर में रूस के कलाकार नृत्य प्रस्तुत करेंगे। समारोह के पांचवें और आखरी दिन 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्य-तिथि के अवसर पर सूफी गायक ध्रुव सांगड़ी का गायन होगा। चित्र और पुस्तक प्रदर्शनी लोकरंग समारोह में उल्लास के अंतर्गत आगामी 30 जनवरी तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से बच्चों के रूझान अनुसार गतिविधियों का आयोजन हो रहा है। इसी तरह, प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से गोण्डों के कथा साक्ष्य की चित्र प्रदर्शनी गोण्डवानी,सौन्दर्य की नदी नर्मदा के जनजातीय कथा चित्रों की प्रदर्शनी और शाश्वत, मिट्टी के खेल-खिलौनों की एकाग्र प्रदर्शनी लगायी गई है। जनजातीय चित्र शिविर एवं जनजातीय चित्र सृजन सह-विक्रय की व्यवस्था भी है। विविध माध्यमों के शिल्प सृजन-सह विक्रय होगा। संस्कृति, कला और साहित्य आधारित पुस्तकें एवं अलग-अलग माध्यमों में शिल्प विक्रय की प्रदर्शनी आकर्षण का केन्द्र है। व्यंजन मेला स्वाद के अंतर्गत लोकरंग के विशाल परिसर में व्यंजन मेला भी लगाया गया है। पाक कला में माहिर विभिन्न राज्यों के जनजातीय देशज व्यंजनों के व्यंजनकार खास शैली में व्यंजन तैयार कर रहे हैं। मेले में कला प्रेमियों को विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन लुभा रहे हैं। संस्कृति मंत्री द्वारा फिल्म के मुहूर्त शॉट का शुभारंभ 13 December 2019 भोपाल.संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने आज खरगोन जिले के महेश्वर में फिल्म 'ए सुटेबल बॉय' के मुहूर्त शॉट का क्लैप देकर शुभारंभ किया। यह फिल्म जोर प्रोडक्शन कम्पनी, मुम्बई द्वारा बनाई जा रही है। मुहूर्त शॉट का नर्मदा नदी के तट पर श्री काशी विश्वनाथ घाट पर फिल्मांकन किया गया। इस अवसर पर फिल्म की डायरेक्टर सुश्री मीरा नायर और प्रोड्यूसर श्री एलन गार्ज भी उपस्थित थे। गाँधी कथा में शामिल हुईं संस्कृति मंत्री 10 December 2019 भोपाल.संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वें जन्मवर्ष में गाँधीवादी चिंतक एवं कथाकार डॉ. शोभना राधाकृष्ण द्वारा प्रस्तुत गाँधी-कथा में शामिल हुईं। भारत-भवन में हुई गांधी-कथा के पूर्व स्वाति भगत और साथियों ने भजन की सांगीतिक प्रस्तुति दी। डॉ. शोभना राधाकृष्ण अनेक देशों में गाँधी कथा प्रस्तुत कर चुकी हैं। इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति श्री पंकज राग सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। राज्यपाल श्री टंडन ने 550वें प्रकाश पर्व पर दी बधाई 11 November 2019 भोपाल.राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने नागरिकों को सिक्ख धर्म के संस्थापक संत गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं। राज्यपाल श्री टंडन ने कहा है कि गुरूनानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं से शांति और सेवा के मार्ग पर चलने का संदेश मिलता है। उन्होंने कहा कि गुरूनानक देव जी ने समाज से अन्याय और असमानता को समाप्त करने, सत्य करूणा और प्रेम के मानवीय मूल्यों का पालन करते हुए सत्य और शांतिपूर्ण जीवन का पथ प्रदर्शन किया है। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने 550वें प्रकाश पर्व पर दी नागरिकों को बधाई 11 November 2019 भोपाल.मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने सिक्ख धर्म के संस्थापक संत गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर नागरिकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं। श्री कमल नाथ ने शुभकामना संदेश में कहा कि संत गुरु नानक देव जी ने मानवता की सेवा करने का जो संदेश वर्षों पहले दिया था, उसका महत्व आज और ज्यादा बढ़ गया है। उन्होंने कहा था कि सभी मनुष्य समान हैं, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, सम्प्रदाय में जन्मे हों। श्री कमल नाथ ने कहा कि आज इसी संदेश को आगे बढ़ाते हुए समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक सौहार्द्र स्थापित करने की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति और ज्ञान को फैलाने विश्वविद्यालय आगे आयें 5 NOvember 2019 भोपाल.राज्यपाल श्री लाल जी टंडन ने कहा है कि इतिहास के पन्नों में छिपे भारतीय संस्कृति, ज्ञान, दर्शन और कौशल को देश-दुनिया के सामने लाने के विशेष प्रयास किये जाने चाहिये। भारतीय संस्कृति और ज्ञान को फैलाने विश्वविद्यालय आगे आयें। उन्होंने कहा किविश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान और संस्कृति की उपादेयता को देश-दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने का कार्य करें। इससे नई पीढ़ी में अपनी संस्कृति के प्रति सम्मान और गौरव का भाव बढ़ेगा। श्री टंडन आज राजभवन में अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय और महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय की समीक्षा कर रहे थे। राज्यपाल श्री टंडन ने पाणिनि विश्वविद्यालय की समीक्षा के दौरान कहा कि विश्वविद्यालय अपनी भूमिका को समझकर संस्कृत और संस्कृति के सामंजस्य के साथ उनके प्रसार के प्रयास करे। भारतीय मनीषियों के ज्ञान को विश्व के सामने लाने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं वरन् पूरी संस्कृति है। संस्कृत की शास्त्रार्थ परंपरा भारतीय संस्कृति की विलक्षणता है। इसी कारण भारत में बड़े से बड़ा सामाजिक परिवर्तन बिना रक्तपात के हुआ है जबकि दुनिया के किसी भी देश में यह संभव नहीं हुआ। राज्यपाल श्री टंडन ने अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की समीक्षा के दौरान कहा कि जिस देश की धरती के ज्ञान पर दुनिया के शोध और अनुसंधान, तकनीकी-चिकित्सकीय विज्ञान आधारित है उसी देश के विद्यार्थियों को विदेशी भाषा में ज्ञान प्राप्त करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को बदलने के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालय उद़देश्यों को पूरा करने में सफल हो इसके लिए सभी प्रकार का सहयोग मिलना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रबंधन को विश्वविद्यालय का विजन डॉक्यूमेंट तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अन्य भाषाओं के पुस्तकीय ज्ञान को हिन्दी में उपलब्ध कराने के दायित्व को अंगीकार करे। अन्य विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय कर इस दिशा में प्रभावी प्रयास किये जाने चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों की सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो तथा उनकी प्रकृति और दायित्वों के अनुरूप उन्हें अनुदान प्राप्त हो। उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और नीति निर्धारित कर आवंटन की आवश्यकता बताई। इस अवसर पर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री हरिरंजन राव, राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे और विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थे। भारत भवन में तलत अजीज की संगीतमय ग़ज़ल संध्या 31 October 2019 भोपाल. संस्कृति विभाग द्वारा आज भारत भवन में आयोजित मशहूर ग़ज़ल गायक तलत अजीज के ग़ज़ल कार्यक्रम को सुनने बड़ी तादाद में लोग पहुंचे। बड़ी झील के किनारे खुले मंच पर उनका स्वागत संस्कृति मंत्री डॉ विजय लक्ष्मी साधौ ने पुष्प-गुच्छ से किया। मंत्री डॉ साधौ ने तलत जी के साथी कलाकारों का भी स्वागत किया। तलत जी ने संस्कृति विभाग, म.प्र. शासन के आमंत्रण के लिए शुक्रिया अदा किया। कैसे सुकून पाऊं तुझे देखने के बाद... से शुरू कर तलत अजीज ने अनेक लोकप्रिय गजलें सुनाई। मप्र की स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर हुए इस कार्यक्रम को सुनने भारत भवन के मुक्ताकाश बहिरंग में बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी पहुंचे। इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति श्री पंकज राग भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में मशहूर गायिका नूरजहां का गाया हुआ ... 'मैंने एक आशियाना बनाया था.. अब भी शायद वो जल रहा होगा...' को भी अपने अंदाज में पेश किया तलत अजीज ने..। इसके अलावा 'आज जाने की जिद न करो...' और 'आईना मेरी पहले सी सूरत मांगे..' जैसी मशहूर गजलें भी पेश कीं।मशहूर ग़ज़ल गायक तलत अजीज के इस कार्यक्रम में वैसे तो उनके द्वारा पेश की गई सभी गजलें सभी को पसंद आईं, पर फिल्म उमराव जान (1981) की ग़ज़ल 'जिंदगी...जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें....'को बहुत सराहा गया।इसके साथ ही उन्होंने बशीर बद्र जी को याद करते हुए उनके सेहतमंद होने की कामना की। तलत जी ने बद्र साहब की रचना 'सरे राह मुझे कुछ भी कहा नहीं...कभी उसके घर में गया नहीं..' भी सुनाई। इसके बाद 'फिर छिड़ी रात,बात फूलों की,रात है या बारात फूलों की..' से तलत जी ने समा बांध दिया। मंत्री डॉ. साधौ द्वारा स्थापना दिवस कार्यक्रम की तैयारियों का निरीक्षण 31 October 2019 भोपाल.चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष तथा संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने आज लाल परेड ग्राउंड पहुँचकर मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस समारोह की तैयारियों का निरीक्षण किया। डॉ. साधौ ने गौंड शैली में निर्मित मंच, बैठक व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था आदि की जानकारी प्राप्त की। प्रमुख सचिव, संस्कृति श्री पंकज राग और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ द्वारा "महात्मा गाँधी" प्रदर्शनी का शुभारंभ 2 October 2019 भोपाल.संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने आज राज्य संग्रहालय में 'महात्मा गाँधी'' प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। डॉ. साधौ ने प्रदर्शनी को युवाओं के लिये प्रेरक और इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय से अवगत होने का महत्वपूर्ण माध्यम बताया। उन्होंने पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय की इस पहल की प्रशंसा की। प्रदर्शनी में 'महात्मा गाँधी, उनका जीवन एवं स्वाधीनता आन्दोलन में योगदान' विषय पर दुर्लभ अभिलेखों एवं छायाचित्रों को समावेशित किया गया है। पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय की यह प्रदर्शनी 18 अक्टूबर तक जारी रहेगी। नागरिकों के लिये प्रदर्शनी प्रतिदिन सुबह 10:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुली रहेगी। प्रमुख सचिव संस्कृति श्री पंकज राग उपस्थित थे । दुर्लभ चित्रों की श्रृंखला राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जीवन और स्वतंत्रता आन्दोलन की गतिविधियों का चित्रण प्रदर्शनी में किया गया है। देश के समाचार पत्रों में स्वतंत्रता प्राप्ति से संबंधित प्रकाशित समाचारों का संकलन प्रदर्शनी की विशेषता है। इसमें गाँधी जी के मध्यप्रदेश के विभिन्न स्थानों के भ्रमण से संबंधित दुर्लभ श्वेत-श्याम चित्रों का संयोजन भी किया गया है। प्रदर्शनी में ग्वालियर से प्रकाशित अर्द्ध साप्ताहिक जया जी प्रताप के 6 सितम्बर 1947 के अंक का मुख्य पृष्ठ बताता है कि गाँधी जी ने देश में साम्प्रदायिक स्थिति बिगड़ने पर आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया था। इसी तरह, इलाहबाद से प्रकाशित सत्याग्रह संग्राम के अंक में धरसाना काण्ड का ब्यौरा है। इसमें गाँधी जी की तस्वीर और पन्ना लाल वर्मा के जप्तशुदा साहित्य का भी विवरण है। प्रदर्शनी में भारत की स्वतंत्रता के लिये वर्ष 1917 में गाँधी जी द्वारा किये गये चम्पारण सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह का भी उल्लेख है। वर्ष 1918 में रॉलेट एक्ट पारित होने के बाद गाँधी जी द्वारा ब्रिटिश राज के विरूद्ध शुरू किये गये असहयोग आंदोलन, विदेश वस्तुओं के बहिष्कार, सरकारी नौकरियाँ छोड़ने और सरकार से प्राप्त तमगे वापिस लौटाने जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों से जुड़े चित्र और प्रकाशन भी प्रदर्शनी का हिस्सा हैं। गाँधी जी का अस्पृश्यता, अज्ञानता, मद्यपान के विरूद्ध आंदोलन और वर्ष 1930 के सविनय अविज्ञा आंदोलन के चित्र भी यहाँ प्रदर्शित किये गये हैं। संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ ने स्वर साम्राज्ञी सुश्री लता मंगेशकर को दी जन्म दिन की बधाई 27 September 2019 भोपाल.संस्कृति मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ ने प्रख्यात पार्श्व गायिका, स्वर साम्राज्ञी सुश्री लता मंगेशकर को उनके 90वें जन्म दिन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें दी हैं। डॉ. साधौ ने शुभकामना संदेश में कहा कि मध्यप्रदेश में जन्मी लताजी का गायन अद्वितीय है। उन्होंने हिंदी, मराठी, बांग्ला सहित कई भारतीय भाषाओं में गीतों को मधुर स्वर दिया। संगीत और गायन की दुनिया में लताजी का योगदान अविस्मरणीय है। संस्कृति मंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन ने लताजी के नाम पर प्रतिष्ठित सम्मान स्थापित किया है। अब इस सम्मान समारोह को भव्य स्वरूप देने का निर्णय लिया गया है। मंत्री डॉ.साधौ ने लताजी के स्वस्थ और सुदीर्घ जीवन की कामना की है। सिर्फ 5 मिनट में करना है मां दुर्गा को खुश तो करें कुंजिका स्तोत्र का पाठ 26 September 2019 नवरात्रि के नौ दिनों में विधि-विधान पूर्वक दुर्गा सप्तशती के पाठ से माता की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है, ऐसी मान्यता है। जो लोग नियमित दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं उन्हें संपूर्ण पाठ करने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है। जो लोग सिर्फ नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं उन्हें संपूर्ण पाठ करने में लगभग तीन घंटे का समय लग सकता है। वर्तमान समय में सभी लोग पर काम का दबाव बना रहता है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ कर पाना बहुत से लोगों के लिए कठिन हो सकता है। इस स्थिति में दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का फल प्राप्त करने के लिए एक आसान उपाय का वर्णन दुर्गा सप्तशती में किया गया है। अगर आप भी सिर्फ 5 मिनट में दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्याय, कवच, कीलक, अर्गला, न्यास के पाठ का पुण्य प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके लिए यह उपाय काफी उपयोगी हो सकता है। भगवान शिव ने पार्वती से कहा है कि दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का जो फल है वह सिर्फ कुंजिका स्तोत्र के पाठ से प्राप्त हो जाता है। कुंजिका स्तोत्र का मंत्र सिद्ध किया हुआ इसलिए इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। जो साधक संकल्प लेकर इसके मंत्रों का जप करते हुए दुर्गा मां की आराधना करते हैं मां उनकी इच्छित मनोकामना पूरी करती हैं। इसमें ध्यान रखने योग्य बात यह है कि कुंजिका स्तोत्र के मंत्रों का जप किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं करना चाहिए। किसी को क्षति पहुंचाने के लिए कुंजिका स्तोत्र के मंत्र की साधना करने पर साधक का खुद ही अहित होता है।
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः भवेत् ॥1॥ न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् । न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥2॥ कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् । अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ 3॥ गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति। मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् । पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥4॥ अथ मंत्र:- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।" ॥ इति मंत्रः॥ "नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि। नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषामर्दिन ॥1॥ नमस्ते शुंभहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन ॥2॥ जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे। ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥3॥ क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते। चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥ 4॥ विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण ॥5॥ धां धीं धू धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी। क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु॥6॥ हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥7॥ अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥ पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥ 8॥ सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्र सिद्धिं कुरुष्व मे॥ इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥ यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् । न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥'' । इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् । नवरात्रि 2019 शुभ संयोग : इस बार नवदुर्गा के 9 दिनों में बन रहे हैं ये 6 महासंयोग 25 September 2019 2019 में नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक रहेगी। शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर दिन रविवार से आरंभ है। इस दिन महानवमी दोपहर 12.38 तक है। उसके बाद विजया दशमी यानी दशहरा की तिथि आरंभ हो जाएगी। विजयादशमी 8 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। विजया दशमी के दिन शुभ रवि योग बन रहा है। इस बार नवरात्रि में बन रहे शुभ योग : इस बार की नवरात्रि में कई शुभ संयोग रहने वाले हैं। जिसमें पूजा करने से 9 गुना फल प्राप्त होगा। नवरात्रि के आरंभ के 6 दिन विशेष योग रहेंगे। जिसमें से 2 दिन अमृतसिद्धि, 2 दिन सर्वार्थ सिद्धि और 2 रवि योग हैं। 30 सितंबर को अमृत सिद्धि योग, 1 अक्टूबर को रवि योग, 2 अक्टूबर को अमृत और सिद्धि योग, 3 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि, 4 अक्टूबर को रवि योग, 5 अक्टूबर को रवि योग, किस दिन किस देवी की पूजा होगी : नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यानी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माता के इन रूपों की विधि विधान पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। कैसे हुई शारदीय नवरात्रि की शुरुआत : मान्यता है कि शारदीय नवरात्र की शुरुआत भगवान राम ने की थी। भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा शुरू की और उन्होंने लगातार नौ दिनों तक शक्ति की विधिवत पूजा की थी और तब जाकर उन्होंने लंका पर जीत हासिल की। यही वजह है कि शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। शंकर व्याख्यान माला 26 सितम्बर को 24 September 2019 भोपाल. आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा जनजातीय संग्रहालय में 26 सितम्बर को शाम 6.30 बजे से ''शंकर व्याख्यान माला'' कार्यक्रम किया जा रहा है। अलवर (राजस्थान) के स्वामी मुक्तानंद पुरी ''भक्ति आन्दोलन के संतों की वाणी में अद्वेत दर्शन'' पर व्याख्यान देंगे। इस अवसर पर ध्रुवा बैंड के साथ डॉ.संजय द्विवेदी आचार्य शंकर द्वारा विरचित स्त्रोतों का गायन करेंगे। प्रवेश नि:शुल्क रहेगा। साहित्यकारों का सभ्यता और समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान 22 September 2019 भोपाल.जनसंपर्क, विधि और विधायी कार्य मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा है कि साहित्यकारों का सभ्यता और समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मंत्री श्री शर्मा हिन्दी भवन में मध्यप्रदेश नव लेखक संघ के सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। मंत्री श्री शर्मा ने नव लेखकों को शाल, श्रीफल और मोमेंटो देकर सम्मानित भी किया। हस्त-शिल्प विकास के लिये मध्यप्रदेश ने छत्तीसगढ़ से किया एम.ओ.यू 20 September 2019 भोपाल.मध्यप्रदेश ने हस्तशिल्प विकास के लिये छत्तीसगढ़ के साथ एम.ओ.यू. (करारनामा) साइन किया है। रायपुर में आज बायर-सेलर मीट में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में मध्यप्रदेश के हाथकरघा आयुक्त श्री राजीव शर्मा और छत्तीसगढ़ हस्त-शिल्प विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री हेमंत पहारे ने एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किये। एम.ओ.यू. के अनुसार मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के हस्त-शिल्पियों और बुनकरों के उत्पादों की बिक्री में शासन स्तर पर सहयोग किया जायेगा। इससे हस्त-शिल्पियों और बुनकरों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। मध्यप्रदेश रायपुर में मृगनयनी एम्पोरियम शुरू करेगा और छत्तीसगढ़ के मशहूर कोकून हार की मध्यप्रदेश के मृगनयनी एम्पोरियम में बिक्री की जायेगी। संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ द्वारा प्रख्यात कवि श्री माणिक वर्मा के निधन पर शोक व्यक्त 17 September 2019 भोपाल.संस्कृति मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ ने वरिष्ठ साहित्यकार श्री माणिक वर्मा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। डॉ. साधौ ने शोक संदेश में कहा कि श्री वर्मा विश्व विख्यात भारतीय कवि थे। उन्होंने सत्तर, अस्सी और नब्बे के दशक में मंच पर अपनी काव्य रचनाओं से अद्भुत लोकप्रियता हासिल की। डॉ. साधौ ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना की है। मंत्री डॉ. साधौ द्वारा नवोदित चित्रकारों की प्रदर्शनी का शुभारंभ 13 September 2019 संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने आज स्वराज भवन कला विथिका में रिद्धी-सिद्धी संस्था की तीन दिवसीय चित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए चित्रकला एक ऐसी विधा है, जो निरर्थक विषयों और विकारों से बचाती है। कला संस्थाएँ नवोदित और उभरते चित्रकारों को कला-प्रदर्शन का महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध करवा रही हैं। डॉ. साधौ ने उदीयमान चित्रकारों से चर्चा की और श्रेष्ठ कला के लिए उनकी सराहना की। प्रदर्शनी में 18 चित्रकारों के बनाए चित्र प्रदर्शित किए गए। इनमें से 14 चित्रकारों को पहली बार मंच मिला है। प्रदर्शनी में सुश्री मंजू मिश्रा के बनाए एक्रेलिक और आयल चित्र तथा ऋषभ निगम, अनु प्रकाश, आरती गोयल और मृणाल मेहता के बनाए पोट्रेट, प्रियंका यदु के साफ्ट पेस्टल चारकोल, विद्योतमा कोल्हे के पारम्परिक महाराष्ट्रीय वारली कोन वर्क, हर्षना रामटेके के माडर्न एब्सट्रेक्ट, अंजू निगम और श्रुति परिहार के मधुबनी शैली के चित्र, श्रुति जैन के कलर पैंसिल चित्र को कला प्रेमी दर्शकों ने पसंद किया। दुष्यन्त संग्रहालय में 'कुछ भी नहीं ' का लोकार्पण सम्पन्न 8 September 2019 भोपाल. दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय द्वारा रविवार को विपिन बिहारी वाजपेई की पुस्तक 'कुछ भी नहीं' का लोकार्पण समारोह वरिष्ठ पत्रकार और लेखक श्री महेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ । इस समारोह के मुख्य अतिथि श्री राजेश बादल थे। समारोह के सारस्वत अतिथि के रूप में श्री घनश्याम सक्सेना और विशिष्ट अतिथि श्री इसरार गुणेश उपस्थित थे । श्री महेश श्रीवास्तव ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जीवन की अभिव्यक्ति ही कविता है. वाजपेयी जी की इन कविता में ये तत्व अंतर्निहित है. उनकी कविता का जीवन के अभिप्राय से ओतप्रोत है. मुख्या अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री राजेश बादल ने कहा कि मानवीय मूल्यों की कविता ही जीवित रहती है. वाजपेयी जी कविताये मानवीय मूल्यों का पर्याय है. विशेष अतिथि के रूप में श्री घनश्याम सक्सेना और डॉ इसरार गुणेश ने भी अपने विचार रखे. पुस्तक पर घनश्याम मैथिल अमृत, गोकुल सोनी, कान्ता राय और वर्षा चौबे अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी प्रस्तुत की। आरम्भ में संग्रहालय के अध्यक्ष श्री अशोक निर्मल ने स्वागत भाषण दिया और अंत में निदेशक राजुरकर राज ने आभार व्यक्त किया. समारोह का सञ्चालन श्री महेश सक्सेना ने किया. श्री महाकालेश्वर मंदिर को "स्वच्छ आइकॉनिक स्थल का पुरस्कार मिला 6 September 2019 स्वच्छ भारत मिशन में महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन को जल शक्ति मंत्रालय एवं पेयजल और स्वच्छता विभाग, भारत सरकार द्वारा फेज-2 में फर्स्ट रनरअप 'स्वच्छ आइकॉनिक स्थल'' घोषित किया गया है। आज दिल्ली में यह पुरस्कार केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने उज्जैन कलेक्टर श्री शशांक मिश्रा को दिया। द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर के हर कोने में स्वच्छता एवं सुंदरता दिखाई पड़ती है। यहाँ पर आधुनिक मशीनों से साफ-सफाई करवाई जा रही है। इसीलिये स्वच्छता के सभी मानकों पर मंदिर की व्यवस्थाएँ खरी उतरी हैं। इस दौरान जिला पंचायत, उज्जैन के सीईओ श्री नीलेश पारिख और महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक श्री सुजान सिंह रावत उपस्थित थे। श्री गणेश स्थापना विधि : कैसे करें स्वागत श्री गणेश का 2 September 2019 श्री गणेश, गजानन, विनायक, लंबोदर, वक्रतुंड और एकदंत के नाम से पुकारे जाने वाले भगवान श्री गणेश का 2 सितम्बर को पृथ्वी पर शुभागमन हो रहा है। प्रथम पूज्य श्री गणेश हमारे अति विशिष्ट, सौम्य और आकर्षक देवता हैं। उनके आगमन के साथ ही पृथ्वी पर चारों तरफ रौनक, रोमांच और रोशनी बिखर जाती है। इस सुंदर देवता से हर वर्ग, हर उम्र के व्यक्ति का लगाव है। ऐसे मेहमान जो मोहित करते हैं, मुग्ध करते हैं, मन को भाते हैं, क्योंकि वे आते हैं बिना किसी अपेक्षा के और देकर जाते हैं हमारी अपेक्षा से कई-कई गुना ज्यादा....असंख्य आशीर्वाद, अनगिनत शुभता और मांगल्य। स्वागत, वंदन, अभिनंदन की इस बेला में हर दिल से यही निकलता है- स्पर्श पाकर तव चरण का धन्य यह आंगन हुआ... सूर्य-तारे-चंद्रमा, आलोक कण-कण में हुआ... स्वागतम्, सुस्वागतम् .. . हे अतिथि सुस्वागतम्.... दीजिए आशीष हमको, पूर्ण हो मनोकामना, स्नेह सिंचित मार्गदर्शन, दीजिए शुभकामना... स्वागतम्, सुस्वागतम् .. . हे अतिथि सुस्वागतम्.... क्या करें श्री गणेश जी के आगमन से पहले घर को सजाएं। संवारें। निखारें। इतना खूबसूरत हो उनके आने से पहले आपका घर कि देखते ही वे प्रसन्न हो जाए। मुस्कुरा उठें और कहें कि बस अब कहीं नहीं जाना.. यहीं रहना है। सुख, सुविधा, आराम, खुशियां जितनी आप गणपति के समक्ष रखेंगे उतनी ही और उससे कहीं ज्यादा आपको प्रतिसाद में मिलेगी। उनके स्थापना का स्थान स्वच्छ करें। सबसे पहले स्थान को पानी से धोएं। कुमकुम से एकदम सही व्यवस्थित स्वास्तिक बनाएं। चार हल्दी की बिंदी लगाएं। एक मुट्ठी अक्षत रखें। इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं। स्थान को रोशनी से सुसज्जित करें। चारों तरफ रंगोली, फूल, आम के पत्ते और अन्य सजावटी सामग्री से स्थान को सुंदर और आकर्षक बनाएं। संग्रहालय जीवंत परंपरा का संवाहक है. दुष्यंत संग्रहालय में हुआ तेरह विभूतियों का सम्मान 1 September 2019 भोपाल. "दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय विचार का आन्दोलन बन गया है. अभी देश में विचार का संकट है"-ये विचार व्यक्त किये वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश बादल ने. वे संग्रहालय में आयोजित दुष्यंत कुमार स्मारक व्याख्यानमाला में 'ये सूरत बदलनी चाहिए' विषय पर बोल रहे थे. उन्होंने अन्जय तिवारी स्मृति रंग सम्मान समारोह की अध्यक्षता भी की. मुख्य अतिथि प्रख्यात रंगकर्मी और अभिनेता श्री राजीव वर्मा थे. जबकि स्मृति सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि दुष्यंत कुमार के सुपुत्र श्री आलोक त्यागी थे. श्री राजीव वर्मा ने कहा कि संग्रहालय जीवंत परंपरा का संवाहक है. वहीँ श्री आलोक त्यागी ने कहा कि मंच पर जिन लोगों का सम्मान हुआ है, उन्होंने सचमुच ही सूरत बदलने का काम किया है. इस अवसर पर आरम्भ में दुष्यंत कुमार की हस्तलिखित ग़ज़ल का 'बयान' पर अनावरण भी किया गया. सुनील दुबे वृक्षमित्र के सहयोग से संग्रहालय परिसर में पौधारोपण भी किया गया. समारोह के पहले चरण में अंजय तिवारी स्मृति सम्मान से प्रसिद्ध रंगकर्मी श्री बद्र वस्ती और श्री हेमंत देवलेकर को सम्मानित किया गया. मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ द्वारा संगीत निदेशक श्री खैय्याम के निधन पर शोक व्यक्त 20 August 2019 मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने मूर्धन्य संगीत निदेशक पद्मभूषण श्री मोहम्मद ज़हूर खैय्याम के निधन पर शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री श्री नाथ ने कहा कि श्री खैय्याम के चले जाने से एक युग का अंत हो गया। उनका संगीत भारतीय धरोहर है। उन्होंने हमेशा शास्त्रीय अनुशासन से बँधा संगीत दिया। प्रयोगधर्मी संगीत प्रतिभा से उन्होंने फिल्म संगीत को समृद्ध किया। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों एवं प्रशंसकों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है। अंतर्राष्ट्रीय देशज जन दिवस पर दी जाएगी कोल जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति 9 August 2019 इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय देशज जन दिवस के अवसर पर संग्रहालय दिनांक 09 अगस्त 2019 को संग्रहालय परिसर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे सर्वप्रथम संग्रहालय के पारम्परिक तकनीक मुक्ताकाश प्रदर्शनी परिसर में प्रातः 11 बजे से कोल जनजातीय कलाकारों के द्वारा पारम्परिक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। लोकरुचि व्याख्यान – इसके पश्चात् दोपहर 03.30 बजे संग्रहालय स्थित शैलकला भवन परिसर स्थित सभागार में लोकरुचि व्याख्यान माला के अंतर्गत विशेष व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है।जिसमें में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज, बेंगलूरु के प्रो. शारदा श्रीनिवासन “मेटल वर्किंग ट्रेडिशन्स एंड इंडिजेनस कम्युनिटीज़” विषय पर व्याख्यान देंगे। देशज ज्ञान परम्पराओं का प्रदर्शन - अंतर्राष्ट्रीय देशज जन दिवस के अवसर पर दिनांक 09-10 अगस्त 2019 के मध्य संग्रहालय स्थित संग्रहालय स्थित पारम्परिक तकनीक मुक्ताकाश प्रदर्शनी में 02 दिवसीय पारंपरिक तकनीक का जीवंत प्रदर्शन कार्यक्रम कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें मणिपुर, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ, बिहार के विभिन्न जनजाति एवं लोक कलाकारों द्वारा पारंपरिक तकनीक का जीवंत प्रदर्शन दर्शको के समक्ष किया गया। इस में नमक निर्माण (मणिपुर), सरसों से तेल निकलना (छत्तीसगढ), एदुल्लूमोटा सिचाई की देशज उपकरण (अधर प्रदेश), भूसा निकलने हेतू ढेंकी, लोहा पिघलने की तकनीक (मैतेई, मणिपुर), पीतल गलाकर मूर्ति बनाने की तकनीक - डोकरा (पश्चिम बंगाल), लोहा बनाने की तकनीक-भाती (बिहार) का जीवंत प्रदर्शन उक्त राज्यों से आये पारंपरिक कलाकरों द्वारा किया जाएगा। ? इस अवसर पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल स्थित विभिन्न स्कूलों से कक्षा 7 वीं से 10 वीं तक के 30-40 विद्यार्थियों एवं 4-5 शिक्षकों के दल को इस कार्यशाला में भाग लेने हेतु आमंत्रित करता है। इस कार्यशाला का समय प्रातः 10 से सायं 05 बजे होगा। आपसे निवेदन है कि उपरोक्त समाचार को अपने लोकप्रिय अफ़साने का अफ़साना" कार्यक्रम 14 जुलाई को 12 July 2019 मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा अफ़साना निगारी पर आधारित 'अफ़साने का अफ़साना' कार्यक्रम 14 जुलाई को सुबह 11.30 बजे से स्वराज भवन, रवीन्द्र भवन परिसर में होगा। पद्मश्री श्री मंजूर एहतेशाम कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। संचालन भोपाल की रूशदा जमील करेंगी। कार्यक्रम में सर्वश्री फै़याज रफ़अत, लखनऊ, इकबाल मसूद, भोपाल, असलम जमशेदपुरी, मेरठ, सलमान अब्दुस्समद, दिल्ली, सुश्री अतिया तबस्सुम, बिलासपुर एवं शिफाली पांडेय, भोपाल को आमंत्रित किया गया है। सचिव डॉ. नुसरत मेहदी ने लेखकों, साहित्यकारों, शायरों, विद्यार्थियों और शोधार्थियों से कार्यक्रम में शिरकत करने की अपील की है। ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र ऊर्जा का स्तम्भ - शिवराज सिंह चौहान 27 January 2019 भोपाल २६ जनवरी - ब्रह्माकुमारीज का सेवाकेंद्र ऊर्जा का स्तम्भ है। यहां आकर शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है। मैं अपनी बहनों के पास आया हूँ। मुझे यहां आकर पारिवारिक अनुभूति होती है। मैं यहां की गतिविधियों से जुड़ना चाहता हूं उक्त उदगार मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान जी ने ब्रह्माकुमारिज राज योग भवन अरेरा कॉलोनी भोपाल में ब्रह्मकुमारीज के शिपिंग एविएशन एवं टूरिज्म प्रभाग की ओर से आयोजित मेरा देश मेरी शान अभियान का उदघाटन करते हुए व्यक्त किये. सात दिवसीय अभियान 26 जनुअरी से शुरू होकर 1 फरवरी को खजुराहो में समाप्त होगा। शिवराज जी ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश में अनेक स्थान हैं जी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपुर हैं। अपने माउंट आबू प्रवास का अनुभव सुनाते हुए उन्होंने कहा कि मुझे माउंट आबू जाकर अत्यधिक शांति की अनुभूति हुई। वहां की व्यवस्था देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। दादी जानकी जी अभी भोपाल आई थीं। समय की व्यस्तता के कारण उनसे नही मिल सका। परंतु में उनसे माउंट आबू जाकर उनसे मिलना चाहता हूं। ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा सिखाया जा रहा योग एवं ज्ञान हर व्यक्ति को सीखना चाहिए। ब्रह्माकुमारीज़ के शिपिंग एविएशन एवं टूरिज्म प्रभाग की ओर से मेरा भारत मेरी शान अभियान का शुभारंभ समारोह में भोपाल सांसद भ्राता आलोक संजर ने कहा कि गाय, गीता और गंगा का भारतीय संस्कृति में सम्माननीय स्थान है। ये हमारे देश की धरोहर है। हम किसी भी कीमत पर इनका महत्व कम नही होने देंगे। उन्होंने आगे कहा कि सांसद का मुख्य कार्य संविधान का अध्ययन करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान में समय के साथ परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्होंने ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने विदेशों में भारतीय संस्कृति का महत्व प्रतिस्थापित किया है। एवं गीता की महत्ता प्रतिपादित की। उसका प्रभाव यह हुआ कि बहुत की कम लोन की दर में भारत मे बुलेट ट्रेन के लिए जापान ने ऋण दिया है। ब्रह्माकुमारी भोपाल जोन की निदेशिका एवं ब्रह्माकुमारीज़ प्रशासक वर्ग की राष्ट्रीय संयोजिका राजयोगिनी अवधेश दीदी ने सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई दी और कहा कि आज के इस शुभ अवसर पर मेरा देश मेरी शान अभियान की शुरुआत हो रही है। इससे निश्चित ही भारतीय संस्कृति की रक्षा में मदद मिलेगी। देश के प्रति प्रेम जागृत करने हेतु यह अभियान निकाला जा रहा है। शिपिंग एविएशन एवं टूरिज्म प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका मुम्बई से पधारी कमलेश दीदी ने कहा कि आज ज्यादतर लोग विदेश जाते हैं । जबकि उन्होंने भारत के सभी स्थान नही देखे होते। भारत मे अनेक स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हैं। हमे विदेश जाने के पूर्व भारत के उन स्थानों का भ्रमण करना चाहिए। कार्यक्रम का कुशल संचालन बी के डॉ रीना बहन ने किया। बी के डॉ रीना बहन ने बताया कि तिरंगे के तीन रंग साहस, शांति एवं समृद्धि के प्रतीक हैं। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि अपनी आंतरिक शक्तियों का विकास कर भारत देश को मजबूत बनायें। अपने अंदर साहस की शक्ति जागृत कर आत्मा के मूल शांत स्वरूप में स्थित राह परमात्मा पिता शिव से शक्तियां ग्रहण कर भारत को समृद्ध बनाने का दृढ़ संकल्प धारण करें। तभी सच्चे अर्थों में गणतंत्र मनाना सार्थक सिद्ध होगा । विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह जी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए अभियान की सफलता की शुभकामनाये दीं। ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने सभी को राजयोग के बारे में बताया एवं अनुभूति कराई। कार्यक्रम में बी के आकृति बहन ने सुन्दर स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया । दुष्यंत संग्रहालय का राष्ट्रिय अलंकारं समारोह संपन्न नरेंद्र कोहली भारतीयता और उसके परंपरा का उत्खनन करते हैं : चौबे 30 December 2018 भोपाल. नरेंद्र कोहली भारतीयता और उसकी परंपरा का उत्खनन करते हैं . परंपरा की चेतना और उसके प्रवहमानता से परिचय कराते हैं. नरेंद्र कोहली के पात्र भारतीयता की पहचान कराते हैं.-यह उद्गार दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय के स्थापना प्रसंग पर राष्ट्रीय अलंकरण समारोह में श्री संतोष चौबे व्यक्त किए श्री संतोष चौबे मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. उन्होंने संग्रहालय के कार्यों की प्रशंसा करते हुए यह घोषणा भी की कि दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय में रविंद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय अपना शोध केंद्र स्थापित करेगा. समारोह में दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय द्वारा प्रख्यात व्यंग्यकार डॉक्टर नरेंद्र कोहली को राष्ट्रीय दुष्यंत कुमार अलंकरण से अलंकृत किया गया. इसके अलावा डॉ गंगा प्रसाद गुप्त बरसैया को आंचलिक भाषा सम्मान और रायपुर के श्री गिरीश पंकज को सुदीर्घ साधना सम्मान प्रदान किया गया. स्मृति अलंकरनों की श्रंखला में डॉक्टर जवाहर करनावत को अखिलेश जैन सम्मान और श्री राकेश पांडे को डॉ विजय शिरधोंकर सम्मान से अलंकृत किया गया. श्री नरेंद्र कोहली ने अपने सम्मान का उत्तर देते हुए संग्रहालय की परंपरा की प्रशंसा की और कहा कि सभी तरफ सम्मानों और पुरस्कारों की खींचतान होती है ऐसे में दुष्यंत संग्रहालय एक अलग तरह की परंपरा से रचनाकारों को प्रणाम करता है यह प्रेरक और प्रशंसनीय है. डॉक्टर देवेंद्र दीपक ने पुस्तक संस्कृति का उल्लेख करते हुए कहा कि संग्रहालय इस परंपरा को बनाए हुए हैं , यह एक विशेष उल्लेखनीय बात है. सरकार चाहे जितनी स्मार्ट सिटी स्थापित कर ले लेकिन उसमें साहित्य संस्कृति और कला नहीं है तो ऐसी स्मार्टनेस कोई मायने नहीं रखती है. समारोह के प्रातःकालीन सत्र में रचना पाठ का आयोजन किया गया जिसमें अलंकृत रचनाकारों ने रचना पाठ किया ज्ञान लालवानी और अशोक मनवानी सिंधी साहित्य सभा में मनोनीत 1 August 2018 राजधानी के दो रचनाकारों को अखिल भारत सिंधी बोली और साहित्य सभा में मनोनीत किया गया है। श्री ज्ञान लालवानी को क्षेत्रीय सचिव और अशोक मनवानी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के रूप में संस्था में शामिल किया गया है। अखिल भारत सिंधी बोली और साहित्य सभा स्वतंत्रता के पश्चात देश में सिंधी भाषा और साहित्य के संवर्धन के लिए कार्य करने वाली सबसे पुरानी और सबसे बड़ी संस्था है। सभा द्वारा प्रति वर्ष सिंधी भाषा संरक्षण, संवर्धन के साथ ही, सिंधी साहित्य, चित्रकला, नाटक और अन्य ललित कलाओं में श्रेष्ठ कार्य करने वाले सिंधी भाषी साहित्यकारों, कलाधर्मियों को पुरस्कृत किया जाता है। हाल ही में श्री शंभू जयसिंघानी (नई दिल्ली) इस संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया है। पूर्व में श्री सुंदर अगनानी (जयपुर) ने इस संस्था में बीस वर्ष तक बतौर अध्यक्ष उत्कृष्ट कार्य किया। अस्वस्थ होने की वजह से गत माह उन्होंने इस दायित्व को छोड़ा। सभा की ओर से भोपाल में अक्टूबर माह में विशेष आयोजन किया जाएगा। गूरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर भोपाल स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम मे शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति की जायेगी-श्रीमती मधुमिता नकवी द्व्रारा 20 July 2018 भोपाल । आज दिनांक 20 जुलाई 2018 को सांय कालीन गूरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर '"'रामकृष्ण मिशन आश्रम"' स्वामी आत्मानंदमार्ग ,प्रेस काम्प्लेस के पास एम .पी. नगर मे संगीत समारोह का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम मे मध्यप्रदेश की शास्त्रीय गायक श्रीमती मधुमिता नकवी द्व्यरा शास्त्रीय गायन मे राग जोग की प्रस्तुति की जायेगी। जिसमे मुख्यत: बड़ा ख्याल मे -परम सुख पायो ,तब से तेरो नाम जपते आयो ,छोटा ख्याल मे -साजन मेरे घर आयो ,बगेश्री मे-बदरवा बरसो न,जाए पिया के देश ,जपो रे मन राम -कृष्ण के भजन एवं कालीजी के भजनो के साथ समापन किया जायेगा। राग दरवारी मे निवध्द था ,हमारे घर आयो-राग राहि भेरव गायन की प्रस्तुति की जायेगी। श्रीमती नकवी द्वारा प्रदेश एवं देश के विभिन्न मंचो पर अपनी प्रस्तुतिया दी है। आप शास्त्रीय गायन के क्षेत्र मे प्रदेश मे विशिष्ट स्थान रखती है। उक्त संगीतमय प्रस्तुति मे श्रीमती मधुमिता नकवी के साथ हारमोनियम संगत श्रीमती प्रतिभा दास मजूमदार ,तबला-श्री सलीम अल्लावाले ,वायलिन-राघवेंद्र विश्वास,म्रदंग-रवि दुवेदी ने संगत दिया जायेगा । कार्यक्रम मे काफी बड़ी संख्या मे श्रध्द्लुजनों के उपस्थित होने की संभावना है। हम जब ना होंगे तो रो रो के दुनिया ढूंढेगी मेरे निशान'... महाकवि गोपालदास नीरज 20 July 2018 नई दिल्ली. महाकवि और पद्मभूषण से सम्मानित गोपालदास नीरज का गुरुवार शाम निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे। उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था। परिजनों ने बताया कि उन्हें बार-बार सीने में संक्रमण की शिकायत हो रही थी। नीरज सोमवार को अपनी बेटी से मिलने आगरा पहुंचे थे। अगले ही दिन उनकी तबीयत बिगड़ गई। 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरवली गांव में जन्मे गोपालदास नीरज को 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। कवि सम्मेलनों में अपार लोकप्रियता के चलते नीरज को मुंबई से गीतकार के रूप में नई उमर की नई फसल के गीत लिखने का निमन्त्रण मिला जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। पहली ही फ़िल्म 'नई उमर की नई फसल' में उनके लिखा और मोहम्मद रफी का गाया गीत 'कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे' और मुकेश का गया 'देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जायेगा' बेहद लोकप्रिय हुए। फिल्मों में गीत लेखन का सिलसिला 'मेरा नाम जोकर', 'शर्मीली' और 'प्रेम पुजारी' जैसी अनेक चर्चित फिल्मों में कई वर्षों तक जारी रहा। मायानगरी मुंबई की ज़िन्दगी से भी उनका जी बहुत जल्द उचट गया और वे फिल्म नगरी को अलविदा कहकर फिर उत्तर प्रदेश वापस लौट आये और फिर अपनी माटी के होकर रह गए। फिल्म फेयर पुरस्कार:नीरज जी को फ़िल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये सत्तर के दशक में लगातार तीन बार यह पुरस्कार दिया गया। मुख्यमंत्री श्री चौहान से मिले संतूर वादक श्री शर्मा और योग गुरु श्रीमती हंसा 21 Jun 2018 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से प्रसिद्ध संतूर वादक पद्मविभूषण श्री शिवकुमार शर्मा और महिला योग गुरु श्रीमती हंसा जयदेव योगेन्द्र ने आज मुख्यमंत्री निवास में सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पद्मविभूषण श्री शर्मा को शाल-श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया। श्री चौहान ने भेंट के दौरान इंस्टीट्यूट की निदेशक महिला योग गुरु श्रीमती हंसा जयदेव योगेन्द्र की पुस्तक 'योगा फॉर आल' का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने योग के प्रसार में श्रीमती हंसा के प्रयासों की सराहना की। श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल से अब योग विश्व में जनांदोलन बन गया है। शिर्डी साईं बाबा फाउंडेशन अब मंत्रो के जरिये युवापीढ़ी में नई ऊर्जा और जोश पैदा करेगी'
मुंबई। साईं बाबा फाउंडेशन (एसएसबीएफ) के प्रबंध ट्रस्टी व फिल्म और धारावाहिकों के निर्माता तथा अभिनेता आशिम खेत्रपाल ने ३० धार्मिक मंत्रों की रिकॉर्डिंग शनिवार ९ जून २०१८ को मुंबई के अँधेरी (वेस्ट) में स्थित ए टू स्टूडियो में शुरू किया।जिसमें 'शिव मंत्र',' गणेश मंत्र','साई मंत्र' जैसे ३० धार्मिक मंत्रो की रिकॉर्डिंग गायक आशिम खेत्रपाल की आवाज में रिकॉर्ड हो रहा है और जिसे संगीतकार अमर प्रभाकर देसाई ने संगीत से संवारा है।और यह पूरा काम मशहूर लेखक विकास कपूर के देखरेख में हो रहा है। धार्मिक मंत्रों की रिकॉर्डिंग के बारे में आशिम खेत्रपाल ने कहा," मंत्रो में बड़ी शक्ति होती है।उसके सुनने भर से हमें नई शक्ति और जोश मिलता है।आज सभी लोग परेशान है,चाहे किसी भी रूप में।यह सभी मंत्र काफी काम करते है,इससे लोगों को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी।जोकि आप कभी भी सुन सकते है,जिससे मन एकाग्र हो जाता है।जब भी हम किसी भी धार्मिक स्थल पर जाते है तो हमको मानसिक शांति मिलती है।जिसका कारण है वहाँ पर चलने वाले वैदिक मंत्र,उपदेश,श्लोक इत्यादि।" धारावाहिक' ॐ नमः शिवाय','श्री गणेश','जय संतोषी माँ' जैसे सुपरहिट धार्मिक धारावाहिको और फिल्मों में पिछले २२ साल से लेखक के तौर पर मशहूर लेखक विकास कपूर ने कहा," आज लोग धीरे धीरे लोग मंत्र की शक्ति को लोग भूलते जा रहे है। यह एक तरह से मैडिटेशन का काम करता है।और हमारे शरीर में नई शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है। हमलोग शिरडी साईं बाबा फाउंडेशन की तरफ से यह कोशिश कर रहे है कि आज की युवा पीढ़ी जागृत हो और इन मंत्रो की शक्ति को समझे। " भोपाल में नज्म-शायरी और सरगोशियाँ की इक शाम आपके नाम 14 मई को 12 May 2018 भोपाल में नज्म-शायरी और सरगोशियाँ की इक शाम आपके नाम का आयोजन सोमवार 14 मई को शाम 7 बजे होटल अशोक लेक व्यू, श्यामला हिल्स में किया गया है। पद्मश्री डॉ ज्ञान चतुर्वेदी श्रीमती ममता तिवारी की कृतिया सरगोशियाँ एवं यूं भी कभी कभी [द्वितीय संस्करण] का लोकार्पण करेंगे। साथ ही डॉ ज्ञान चतुर्वेदी कविता पाठ की महफ़िल मे भी शिरकत करेंगें। डॉ ज्ञान चतुर्वेदी कविता पाठ की महफ़िल में शिरकत करेंगें। कविता पाठ की महफ़िल में कवि श्री विनय उपाध्याय, शायर श्री बद्र वास्ती, कवित्री श्रीमती सुनीता सिंह, श्रीमती सीमा पाठक, तथा श्रीमती ममता तिवारी नज्म- शायरी और सरगोशियाँ की इक शाम आपके नाम में अपनी-अपनी रचनाओं से समा बांधेंगे। 18 मई को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस : 15 जगह लगेंगी छायाचित्र प्रदर्शनी 11 May 2018 पुरातत्व विभाग द्वारा 18 मई को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जायेगा। इस दिन प्रदेश में 15 स्थानों पर छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई जाएगी। भोपाल के राज्य संग्रहालय में 'विश्व के प्रमुख संग्रहालय'' विषय पर छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई जाएगी। आयुक्त पुरातत्व श्री अनुपम राजन ने बताया है कि रानी दुर्गावती संग्रहालय जबलपुर में 'शिवलिंगम', तुलसी संग्रहालय रामवन (सतना) में 'राग-रागिनी', केन्द्रीय संग्रहालय इंदौर में 'शिवपुत्र कार्तिकेय', त्रिवेणी संग्रहालय उज्जैन में 'शिवपुत्र गणेश कार्तिकेय', महाराजा छत्रसाल संग्रहालय धुवेला (पन्ना) में 'महाकाल के अद्भुत श्रृंगार', गूजरी महल संग्रहालय ग्वालियर में 'भारतीय चित्रकला में रामकथा', जिला पुरातत्व संग्रहालय व्यंकट भवन रीवा में 'मध्यप्रदेश की छत्रियाँ' यशोवर्मन पुरातत्व संग्रहालय मंदसौर में 'भीम बैटिका के शैलचित्र', पुरातत्व संग्रहालय दमयंती महल दमोह में 'गौरी पुत्र गणेश' जिला पुरातत्व संग्रहालय पन्ना में 'कांस्य प्रतिमाओं में शैव प्रतिमाएँ', पुरातत्व संग्रहालय कसरावद (खरगौन) में 'देवी पार्वती', जिला पुरातत्व संग्रहालय भिण्ड में 'मध्यप्रदेश की कोठियाँ', देवी अहिल्याबाई होलकर संग्रहालय महेश्वर (खरगौन) में 'शिल्पकला में नायिकाएँ' और जिला पुरातत्व संग्रहालय विदिशा में 'मध्यप्रदेश के जैन स्मारक' विषय पर छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई जाएगी। खुशी के लिये नहीं, खुश होकर काम करने से मिलेगी खुशी - स्वामी सुखबोधानन्द 4 May 2018 वेद मर्मज्ञ एवं प्रखर आध्यात्मिक गुरू स्वामी सुखबोधानन्द ने कहा है कि खुशी के लिये काम करने से खुशी नहीं मिलेगी, बल्कि खुश होकर काम करने से खुशी मिलेगी। यंत्रवत जीवन और प्रतिक्रिया करने की प्रवृत्ति से मुक्ति पाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि परेशानियों और समस्याओं को सकारात्मक दृष्टि से देखने पर वे भी गुरू बन जाती हैं। स्वामी सुखबोधानन्द ने आज यहां प्रशासन अकादमी में आनन्द विभाग के अंतर्गत राज्य आनन्द संस्थान द्वारा आयोजित 'आनन्द व्याख्यान' में यह विचार व्यक्त किये। मन की भीतर की स्थिति है आनन्द मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि सकारात्मक विचार ही सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी प्रकार का दर्शन आनन्द को प्राप्त करने का मार्ग बताता है। साम्यवाद और पूंजीवाद ने भी आनन्द प्राप्ति का रास्ता दिखाया था, लेकिन कालांतर में सही साबित नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि आनन्द और सुख में भेद नहीं समझने के कारण ऐसा होता है। उन्होंने कहा कि आनन्द मन की भीतर की स्थिति है, जबकि सुख बाहरी परिस्थितियों से निर्मित होता है। श्री चौहान ने कहा कि केवल अधोसंरचनाएं खड़ी करने से आनन्द नहीं मिलता। अर्थपूर्ण जीवन जीना महत्वपूर्ण है। समृद्ध लोग भी दुखी रहते हैं और अभाव में रहने वाले भी खुश रहते हैं। इसलिये मनोदशा को सकारात्मक बनाने की कला सीखना होगा। प्रत्येक क्षण में है आनन्द स्वामी सुखबोधानंद ने आनन्द की चारित्रिक विशेषताओं और जीवन में उसकी उपस्थिति पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आनन्द को भविष्य में देखने की प्रवृत्ति और आदत बना लेने से निराशा और दुख ही हाथ आयेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान ही सब कुछ है, इसलिए आनन्द भी वर्तमान में ही उपस्थित है। यह मन के भीतर है। उन्होंने कहा कि जब सब दरवाजे बंद हो जाते हैं, तब ईश्वर नया द्वार खोल देता है। इसलिए प्रत्येक क्षण में आनन्द है। प्रत्येक पल में जीवन है। प्रत्येक पल ऊर्जावान है। वर्तमान में भूतकाल का हस्तक्षेप नहीं होने दें स्वामीजी ने कहा कि राग और द्वेष का रूपांतरण प्रेम में करने के लिए भक्ति की जरूरत पड़ती है। इसलिए भक्ति प्रमुख तत्व है। स्वामी ने कहा कि भविष्य माया है। सिर्फ वर्तमान ही सच है और वर्तमान में ही आनन्द व्याप्त है। उसकी अनुभूति करने की आवश्यकता है। आश्चर्य तत्व की प्रधानता होना चाहिए। उन्होने कहा कि वर्तमान में भूतकाल का हस्तक्षेप नहीं होने दें, इसके प्रति भी सचेत रहें। आनंद का दूसरा स्वरूप ऊर्जा है। आनन्द विभाग के मंत्री श्री लाल सिंह आर्य ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान निरंतर नवाचार करने वाले मुख्यमंत्री हैं। आनन्द विभाग की स्थापना इसका उदाहरण है। उन्होंने बताया कि बहुत कम समय में आनन्द विभाग की गतिविधियों का प्रदेशव्यापी विस्तार हुआ है। पूरे देश में इसकी सराहना हो रही है। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द विभाग श्री इकबाल सिंह बैंस और आनन्द क्लबों के सदस्य उपस्थित थे। संस्कृत भाषा के व्यापक प्रसार से भारत की प्राचीन संस्कृति का होगा संरक्षण 18 March 2018 भोपाल में आज हुए राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में संस्कृत भाषा के विद्वानों का मत था कि संस्कृत भाषा के व्यापक प्रसार से ही सही मायनों में प्राचीन भारतीय संस्कृति का संरक्षण किया जा सकता है। इसके लिये प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा प्रभावी नीति तैयार करने पर जोर दिया गया। सम्मेलन में संस्कृत विद्यालयों के प्रतिभाशाली बच्चों को पुरूस्कृत किया गया। सम्मेलन के विभिन्न सत्र में, क्षेत्रीय सहसंगठन मंत्री विद्या भारती, प्रो. श्री निरंजन शर्मा, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान लखनऊ के प्रो. आजाद मिश्र, नई दिल्ली के प्रो. देवेन्द्र मिश्र, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. भगवतशरण शुक्ल और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मुंबई के प्रो. भारतभूषण मिश्र ने विचार रखे। सम्मेलन में डॉ. सम्पदानंद मिश्र पुंडुचेरी ने बताया कि उनके द्वारा संस्कृत भाषा के प्रसार के लिये 24 घंटे का रेडियो कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा है जिसे दुनिया के 124 देश में रूचि के साथ सुना जा रहा है। सम्मेलन में प्रो. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी और संस्कृत विद्यवान श्री मनमोहन उपाध्याय ने कहा कि संस्कृत प्राचीन भाषा है। इसके विकास से छात्र अन्य विषयों का कुशलता पूर्वक अध्ययन कर सकेंगे। आयुक्त लोक शिक्षण श्री नीरज दुबे ने संस्कृत को रोजगार के साथ जोड़े जाने पर बल दिया। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के निर्देशक श्री पी.आर. तिवारी ने बताया कि भोपाल में सर्वसुविधा युक्त चार मंजिला नवीन भवन के लिये 8 करोड़ 38 लाख रूपये मंजूर किये गये है। इस भवन में 200 सीटर का ऑडीटोरियम, गेस्ट हाउस और कार्यालय की व्यवस्था है। प्रदेश का पहला शासकीय माध्यमिक कन्या आवासीय संस्कृत विद्यालय भोपाल से प्रारंभ किये जाने की स्वीकृति प्राप्त हो गई है। जहाँ कक्षा 6 से 8 तक संस्कृत माध्यम में शिक्षा दी जायेगी। इस विद्यालय के साथ 90 सीटर छात्रावास, नि:शुल्क भोजन एवं समस्त सुविधाएं रहेगी। यहाँ छात्राएँ पारस्परिक एवं आधुनिक पद्धतियों के माध्यम से अध्ययन करेंगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में शिक्षण सत्र 2016-17 में 168 विद्यालय को सम्बद्धता प्रदान की गयी हैं। सम्मेलन में सांस्कृतिक संध्या में संस्कृत बैण्ड की प्रस्तुति हुई। स्वामी जयेन्द्र सरस्वती के निधन से देश ने श्रेष्ठ संत खोया 28 February 2018 उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने कांची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती के देहावसान पर गहन दु:ख व्यक्त किया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि देश ने संत परम्परा का एक श्रेष्ठ मनीषी खो दिया है। मंत्री श्री पवैया ने शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती को वेदांत का उत्कृष्ठ विद्वान बताते हुए कहा कि उन्होंने देश में चारों ओर भ्रमण कर संस्कृत भाषा और नैतिकता का जन-जागरण किया है। उन्होंने अपने आध्यात्मिक व्यक्तित्व से देश के ज्वलंत विषयों को प्रभावित किया। वे न केवल हिन्दू समाज, बल्कि सभी पंथों में आदर की दृष्टि से देखे जाते रहेंगे। भोपाल में हो रही है हैप्पीनेस इंडेक्स इंटरनेशनल वर्कशॉप 21 February 2018 नई दिल्ली. 26 सेकंड के वीडियो क्लिप से चर्चा में आई मलयालम अभिनेत्री प्रिया प्रकाश वारियर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। प्रिया ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने, आपराधिक कार्रवाई रोकने और दूसरे राज्यों को भी ऐसा नहीं करने का निर्देश देने की मांग की है। प्रिया के वकील हरीश बीरन ने तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया, जिसे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने स्वीकार कर लिया। फिल्म ‘अरु अदार लव’ के गाने ‘मानिक्य मलाराया पूवी’ को लेकर तेलंगाना में प्रिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। - शिकायत में कहा गया है कि गाने में पैगम्बर मोहम्मद की पत्नी का जिक्र कर मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत की गई हैं। बुक लॉंच कार्यक्रम कल शाम 5 बजे 16 February 2018 क्लब लिटराटी द्वारा कल स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में एक बुक लॉंच कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है । इस कार्यक्रम में 2009 बैच के आईएएस अधिकारी तरुण पिथोड़े की दूसरी किताब "Happiness" लॉंच की जाएगी । रियल एस्टेट रेगुलरिटी अथॉरिटी के अध्यक्ष व मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव श्री एंटनी डिसा इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे । इंग्लिश में लिखी गयी किताब में लेखक ने 'लोगों को बेहतर जीवन जीने में मदद करने के लिए कई बेहतरीन आइडियाज सामने रखे हैं ' । इससे पूर्व इंग्लिश व हिन्दी में प्रकाशित हुई तरुण की पहली किताब " आई एम पॉसिबल" हर आयु वर्ग के लोगों द्वारा काफी पसंद की गयी थी । मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी तरुण कुमार पिथोड़े ने भोपाल स्थित मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रद्योगिकी संस्थान ने बी टेक किया है । वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने से पहले भारतीय इंजीनियरिंग सेवा में भी रह चुके हैं । सीहोर के पहले वे राजगढ़ जिले के कलेक्टर थे तथा उससे पहले उन्होने प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के डायरेक्टर के रूप में कार्य किया । स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में कल शाम 5 बजे आयोजित होने वाला कार्यक्रम सभी शहरवासियों के लिए ओपन है । इच्छुक व्यक्ति 4.45 तक लाइब्रेरी पहुँचकर इस कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं । कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार है कार्यक्रम का नाम - बुक लॉंच कार्यक्रम दिनांक - 17 फरवरी 2018 शनिवार समय - शाम 5 बजे स्थान - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी आयोजक - क्लब लिटराटी किताब का नाम - Happiness : A New Model of Human Behaviour लेखक - तरुण कुमार पिथोड़े मुख्य अतिथि - एंटनी डिसा श्रवणबेलगोला की तीर्थ यात्रा ट्रेन के जिला क्रम में परिवर्तन 16 February 2018 मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अन्तर्गत जैन तीर्थ श्रवणबेलगोला को जाने वाली विशेष ट्रेन के जिलों के क्रम और अनुरक्षकों की संख्या में परिवर्तन किया गया है। इसमें अब आगर-मालवा जिले को भी शामिल किया गया है। यह ट्रेन शाजापुर से 27 फरवरी को प्रारंभ होकर इंदौर, उज्जैन, भोपाल होते हुए श्रवणबेलगोला जाने वाली थी। अब यह यात्रा इसी तारीख को शाजापुर से प्रारंभ होकर इंदौर-उज्जैन-हबीबगंज (भोपाल) होते हुए श्रवणबेलगोला जायेगी। इस ट्रेन में शाजापुर से 120 बर्थ (8 सुरक्षा), उज्जैन से 125 (3 सुरक्षा), इंदौर से 170 (3 सुरक्षा) भोपाल से 275 (5 सुरक्षा) सीहोर से 100 (2 सुरक्षा) रायसेन से 110 बर्थ (2 सुरक्षा) आवंटित की गई है। हरदा जिले के तीर्थ यात्री हबीबगंज (भोपाल) से ट्रेन में बैठेंगे। इनके लिए 25 बर्थ (1 सुरक्षा) आवंटित की गई है। आगर-मालवा जिले के तीर्थ यात्री उज्जैन से ट्रेन में बैठेंगे। इनके लिए 50 बर्थ (1 सुरक्षा) आवंटित की गई हैं। यह विशेष ट्रेन 4 मार्च को श्रवणबेलगोला से रवाना होकर हबीबगंज (भोपाल) से होते हुए उज्जैन, इंदौर से शाजापुर वापस जाएगी आदिवासी लोक कला को जन-जन तक पहुँचाना आवश्यक- राज्यपाल 15 February 2018 राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन में ट्रायल पेंटिग वर्कशाप का उदघाटन करते हुए कहा कि आदिवासी लोक कला को स्कूलों में अतिरिक्त पाठ्यक्रम के रूप में शुरू किया जाये तथा इसकी प्रतियोगिता आयोजित की जायें। प्रायमरी, मिडिल और हायर सेकेण्डरी तीन स्तर पर सिलेबस तैयार किये जायें । स्कूलों में इस विषय में रूचि लेने वाले छात्रों की प्रतियोगिता आयोजित कर प्रमाण-पत्र दिया जाये तथा विजेता छात्रों की अंकसूची में अतिरिक्त बोनस अंक जोड़ें। उन्होंने कहा कि आदिवासी लोक कला को जन-जन तक पहुँचाने और इसके प्रचार-प्रसार की बहुत आवश्यकता है। इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख सचिव डॉ.एम मोहनराव, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव, आयुक्त आयुष श्रीमती शिखा दुबे, संचालक श्री अक्षय कुमार सिंह , समन्वयक जनजाति संग्रहालय श्री अशोक मिश्र, और निदेशक श्रीमती वंदना पांड्या भी उपस्थित थीं। राज्यपाल ने स्वास्तिक की आकृति बनाकर वर्कशाप का शुभारंभ किया। राजभवन परिसर में स्थित क्षिप्रा अतिथिगृह में 15 फरवरी से 23 फरवरी, 2018 तक चलने वाले इस वर्कशाप का आयोजन संस्कृति विभाग, आदिवासी लोक कला परिषद और लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, भोपाल द्वारा आयोजित किया गया है। इस वर्कशाप में दस भील और दस गौंड जाति के कलाकार पर अपनी पेंटिंग का प्रदर्शन करेंगे। वर्कशाप प्रतिदिन प्रात: 11 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगी। बड़वाले महादेव मंदिर पहुंचे मुख्यमंत्री श्री चौहान 13 February 2018 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज सपत्निक यहां पुराने शहर स्थित बड़वाले महादेव मंदिर पहुंचे और पूर्जा-अर्चना की। उन्होंने प्रदेश की समृद्धि की कामना करते हुए प्रदेशवासियों को महाशिवरात्रि की बधाई और शुभकामनाएं दी। श्री चौहान ने शिव बारात में शामिल होने वाले पारंपरिक रथ को भी खींचा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हिन्दू संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा में शिव की आराधना का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि विष पीकर अमृत देने वाले आदिदेव शिव स्वयं में सृष्टि निर्माता मंगलकारी देव हैं। मुख्यमंत्री के साथ भोपाल के महापौर श्री आलोक शर्मा भी थे। भारत भवन की 36वीं वर्षगाँठ के दस दिवसीय समारोह का शुभारंभ आज 12 February 2018 बहुकला केन्द्र भारत भवन की 36वीं वर्षगाँठ को समारोहपूर्वक भोपाल में 13 से 23 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। इस समारोह में कला प्रदर्शनियाँ, गायन, वादन, कला शिविर, लोक संगीत, नृत्य, कविता-पाठ, कहानी-पाठ, फिल्म नाटक पर केन्द्रित प्रस्तुतियाँ होंगी। प्रमुख सचिव संस्कृति एवं न्यासी सचिव भारत भवन श्री मनोज श्रीवास्तव ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि समारोह का शुभारंभ 13 फरवरी की शाम 6.30 बजे लब्ध प्रतिष्ठित नृत्यांगना सुश्री सोनल मानसिंह करेंगी। शाम 6.45 बजे श्री रामसिंह उर्वेती के चित्रों की प्रदर्शनी का शुभारंभ होगा। इसके बाद शाम 7 बजे 'संकल्प से सिद्धि'' में सुश्री सोनल मानसिंह द्वारा परिकल्पित और निर्देशित भरतनाट्यम पर आधारित नृत्य-नाटिका की प्रस्तुति होगी। समारोह के दूसरे दिन 14 फरवरी को दोपहर 2 बजे बैजूबावरा फिल्म का प्रदर्शन होगा। शाम 7 बजे श्रीमती अश्विनी भिड़े देशपाण्डे तथा संजीव अभ्यंकर का शास्त्रीय गायन होगा। तीसरे दिन 15 फरवरी को शाम 7 बजे दयाशंकर की डायरी नाटक की प्रस्तुति होगी। इसका निर्देशन सुश्री नादिरा बब्बर ने किया है। चौथे दिन 16 फरवरी को दोपहर 12 बजे चित्रकला शिविर का शुभारंभ होगा। यह शिविर 23 फरवरी तक चलेगा। शाम 7 बजे श्री मोहित टाकलकर द्वारा निर्देशित मैथमेजिशियन नाटक की प्रस्तुति होगी। अगले दिन 17 फरवरी को शाम 7 बजे श्री जय देशमुख द्वारा निर्देशित 'नट सम्राट'' नाटक की प्रस्तुति होगी। यह प्रस्तुति एकरंग थिएटर सोसायटी भोपाल द्वारा की जाएगी। पाँचवे दिन 18 फरवरी को दोपहर 11 बजे कहानी पाठ होगा। इसमें श्री अशोक मिश्र, श्री उदयन वाजपेयी, श्री जयशंकर, श्री तरुण भटनागर एवं श्री रिजवानुल हक कहानी पाठ करेंगे। रात्रि में सुश्री गगन गिल, श्री पंकज राग, श्री एकान्त श्रीवास्तव, श्री कुमार अनुपम, श्री विवेक निराला, सुश्री राजुला शाह, सुश्री बाबुआ कोहली एवं सुश्री उपासना झा कविता पाठ करेंगे। छठवें दिन 19 फरवरी को दोपहर 2 बजे 'चोखेरवाली' फिल्म का प्रदर्शन होगा। रात्रि में श्री मधुसूदन कर्था तथा साथी कलाकारों द्वारा चेण्डा मेलम समूह वादन और इसके बाद श्री अनूपरंजन पाण्डे के निर्देशन में 'बस्तर बैण्ड'' की आकर्षक प्रस्तुति होगी। 20 फरवरी को शाम 7 बजे 'मीरा'' नृत्य-नाटिका की प्रस्तुति होगी। इसे सुश्री लता सिंह मुंशी और साथी कलाकार प्रस्तुति देंगे। 21 फरवरी की शाम 7 बजे मध्यप्रदेश के लोक अंचलों की प्रस्तुतियाँ होंगी। अगले दिन 22 फरवरी को शाम 7 बजे श्री रोजू मजूमदार और श्री कदरी गोपालनाथ की बांसुरी और सेक्सोफोन जुगलबंदी होगी। भारत भवन की 36वीं वर्षगाँठ के आखरी दिन 23 फरवरी को शाम 7 बजे सातवीं समकालीन भारतीय कला द्वैवार्षिकी में ग्रेण्ड अवार्ड तथा विशेष प्रशंसा पुरस्कार प्राप्त कलाकारों का सम्मान होगा। किसी जरूरतमंद को रास्ता देने तुम झुक गए विंध्याचल इसलिए तुम पहाड़ हो 12 February 2018 शनिवार-रविवार 10-11 फरवरी 2018 दो दिवसीय कार्यक्रम के समापन सत्र में रविवार 11 फरवरी को देश के जाने माने कवियों साहित्यकारों लेखकों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। राज्य संग्रहालय में आयोजित यह कविता पाठ मुक्तिबोध के जन्म के सौ वर्ष पूर्ण होने पर उनके लिए समर्पित किया गया। कविता पाठ से पहले प्रगतिशील लेखक संघ के इतिहास पर केंद्रित पुस्तक का विमोचन हुआ। इसके बाद आयोजित कविता पाठ में देश भर से कवियों ने अपनी प्रतिरोधी स्वर की कविताओं का पाठ किया। इनमें सर्वश्री मलय, राजेश जोशी, राजेन्द्र शर्मा, कुमार अंबुज, कात्यायनी, हरिओम राजोरिया, मोहन कुमार डहेरिया, नीलेश रघुवंशी, अनिल करमेले और अरबाज़ खान अपनी कविताएं सुनाईं। युवा कवि अरबाज खान ने नमाजियों के बीच बच्चों की ऊधम पट्टी पर केंद्रित कविता सुनाई। उन्होंने दूसरी कविता में उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी को इसलिए मार दिया जाएगा कि उसके रिश्तेदार और धर्मबंधु अलग देश में हैं। उड़ती चिडिय़ा का धोखा देकर मेरा भी खतना किया गया इसलिए मैं मारा जाऊंगा। अनिल करमेले ने अपनी कविताओं का पाठ किया टेलीग्राफ सहित चार कविताओं का पाठ किया। मोहन डहेरिया ने कौन गा रहा है ये गीत से श्रोताओं को प्रभावित किया। हरिओम राजोरिया ने पता न था से कविता के माध्यम से मनुष्य की गरिमा के हनन को व्यक्त किया। उन्होंने विरासत और अन्य कविताओं का पाठ किया। नीलेश रधुवंशी ने अपनी कविता साइकिल में बताया कि साइकिल चलाते हुए जमीन पर रहते हुए भी दो इंच ऊंची उठी मैं राजेंद्र शर्मा ने चब्बनी कविता के माध्यम से मनुष्य की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला। दिल्ली से आई कात्यायनी ने आस्था कविता के माध्यम से बताया कि आस्था की आंखें नहीं होतीं / वह संसस में भीम की तरह प्रवेश कर सकती है/ तर्क को गहरे गढ्डे में दफन कर सकती है/ इतिहास की कपाल क्रिया कर फिर से लिख सकती है। कुमार अंबुज ने इंसान के गलत तरीकों से अमर होने की आकांक्षा को रखांकित किया। राजेश जोशी ने शिवालिक की पहाडिय़ां कविता के माध्यम से समाज के तथाकथित बड़े लोगों की प्रवृत्यिों पर आक्षेप किया। उनकी कविता में वे बताते हैं कि उन्होंने कई बार विंध्याचल के कानों में जोर जोर से चिल्ला कर कहा / कि ऋषियों की बातों पर भरोसा छोड़, तुम्हीं ने मुझे सिखाया कि झुक जाना छोटा हो जाना नहीं है। किसी जरूरतमंद को रास्ता देने तुम झुक गए इसलिए तुम पहाड़ हो। वरिष्ठ कवि मलय ने अपनी कविता में पानी, कैसे छोड़ दूं यह दुनिया आदि कविताएं सुनाईं। दो दिवसीय इस सम्मेलन में तमिलनाडू, झारखंड, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, से आए साहित्यकारों लेखकों सांस्कृतिक कार्यकताओं ने विचार विनियम करते हुए नई ऊर्जा और चेतना का संचार हुआ। साहित्य का अर्थ है आत्मा से संवाद' 4 February 2018 भोपाल, 04 फरवरी, 2018। समाचार-पत्र जो काम नहीं कर सकते, वह काम साहित्य करता है। साहित्य के शब्द आत्मा से संवाद करते हैं। जब हम एकांत में होते हैं तो साहित्य के शब्द गुनगुनाते हैं। जब हम आत्मा के पास जाते हैं, तब भी हम साहित्य से संवाद करते हैं। यह विचार वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विजय बहादुर सिंह ने पंडित बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान समारोह में व्यक्त किए। मीडिया विमर्श की ओर से आयोजित समारोह में दसवाँ पं. बृजलाल द्विवेदी सम्मान साहित्यिक पत्रिका 'अलाव' के संपादक रामकुमार कृषक को दिया गया। साहित्यिक पत्रकारिता की निष्पक्षता के संबंध में डॉ. सिंह ने कहा कि पत्रकारिता राजनीति के पक्ष में खड़ी हो सकती है, किंतु साहित्य कभी किसी के पक्ष या विपक्ष में नहीं लिखा जाता। उन्होंने कहा कि साहित्य सत्य पर टिका होता है। जब कभी सच संदिग्ध दिखाई देता है, तो लोग सच जानने के लिए साहित्य के पास जाते हैं। महाभारत और रामायण यह कभी झूठे नहीं पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में शब्द को ब्रह्म कहा गया है। वेद-उपनिषद ब्रह्म हैं। डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि शब्द के ब्रह्म होने की सबसे अधिक संभावना जिस क्षेत्र में बनती है, वह साहित्य का क्षेत्र है। कवि में निवास करती है संस्कृति : साहित्यकार डॉ. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि कवि में एक पूरी संस्कृति निवास करती है। जब पूछा जाता है कि आपकी संस्कृति क्या है, तब हम कहते हैं कि महाभारत और रामायण हमारी संस्कृति है। अर्थात् कवि हमारी संस्कृति की पहचान होते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी विश्वविद्यालय कवि नहीं बना सकता। कवि पैदा होते हैं। जिस प्रकार पीपल का वृक्ष उगता है, पहाड़ से नदी निकलती है, उसी तरह कवि भी नैसर्गिक होता है। त्रुटियों की अपेक्षा समाधान की बात हो : कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि हम वर्तमान परिदृश्य की त्रुटियों की ओर ध्यान देते हैं। संगोष्ठियों में सामाजिक संवाद के माध्यमों को विवादित बना कर चल देते हैं। हम समाधान और सहमति के लिए संवाद क्यों नहीं करते हैं? उन्होंने कहा कि उस समय की प्रतीक्षा है जब विमर्श में शामिल होने वाले विभिन्न विचारधारा के विद्वान सहमति बनाकर उठना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि सामाजिक संवाद में पक्षहीन हस्तक्षेप होना चाहिए। प्रो. कुठियाला ने कहा कि नये मीडिया में युवाओं द्वारा जो सृजन किया जा रहा है, वह समाज में प्रभाव उत्पन्न कर रहा है। यह माध्यम बहुत तेजी से विस्तारित हुआ है। इसलिए हमें इस माध्यम की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के बौद्धिक आयोजनों में हमें विचार करना चाहिए कि समाज से नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। पत्रकारिता एक लोकतांत्रिक कर्म : समारोह में सम्मानित साहित्यकार एवं संपादक रामकुमार कृषक ने कहा कि पत्रकारिता एक लोकतांत्रिक, जनतांत्रिक कर्म है। इसका पक्ष-विपक्ष हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यधारा की पत्रकारिता की पहुँच समाज में व्यापक होती है। वहीं, साहित्यिक पत्रकारिता की पहुँच सीमित होती है। ऐसे में साहित्यिक पत्रकारिता के प्रयासों को जब हम सम्मान देते हैं तो इसका अर्थ होता है कि हम मूल्यों से जुड़े रहना चाहते हैं। अपनी पत्रिका अलाव के संबंध में उन्होंने कहा कि अगस्त, 1988 में अपने कुछ मित्रों के साथ उन्होंने इसकी शुरुआत की थी। वह यात्रा 51वें अंक तक पहुँच गई है। हमारी कोशिश रही है कि अपने समय के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और भाषा-साहित्य से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से बात की जाए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि हम जिस पत्रकारिता को जी रहे हैं, उसे गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकारों ने सींचा है। साहित्यिक पत्रकारिता एवं साहित्यकार आज मुख्यधारा की पत्रकारिता को समृद्ध करने में अपना योगदान दे सकते हैं। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि भारत में पत्रकारिता का गौरवशाली इतिहास रहा है। जब भी देश का प्रश्न आता है, पत्रकारिता अपने सभी प्रकार के हित छोड़कर देशहित में सामने आती है। इससे पूर्व वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पंकज ने श्री कृषक के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वे विचारों की ऐसी खेती करते हैं, जिसकी फसल अलाव के रूप में सामने आती है, जो समाज का बौद्धिक पोषण करती है। उन्होंने हम देखते हैं कि आज साहित्यकारों के अनेक चश्मे हैं। किंतु, एक चश्मा ऐसा भी होना चाहिए जो वंचित समाज की पीड़ा को देख सके। मतभेद कभी भी मनभेद में परिवर्तित नहीं होने चाहिए। आज हम देखते हैं कि मतभेद न केवल मनभेद में बदले हैं, बल्कि हिंसक भी हो गए हैं। श्री पंकज ने कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता के संपादकों को समाज को बेहतर बनाने के प्रयास करने चाहिए। इस अवसर पर कवि एवं पत्रकार डॉ. सुधीर सक्सेना ने कहा कि आज बड़े समाचार-पत्रों में साहित्य के लिए स्थान सिकुड़ता जा रहा है। जबकि एक समय में समाचार-पत्र साहित्य की नर्सरी हुआ करते थे। उन्होंने इस पुरस्कार के संबंध में कहा कि मीडिया विमर्श का यह सम्मान साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में स्थापित हो चुका है। दस वर्षों में कभी भी पुरस्कार को लेकर कोई विवाद की स्थिति नहीं बनी। मीडिया विमर्श के चयन मण्डल ने सदैव ही श्रेष्ठता का चयन किया है। कार्यक्रम की शुरुआत में स्वागत भाषण एवं पुरस्कार की पृष्ठभूमि मीडिया विमर्श के कार्यकारी संपादक प्रो. संजय द्विवेदी ने रखी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुभद्रा राठौर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सौरभ मालवीय ने किया। इस अवसर पर शहर के गणमान्य नागरिक, देशभर से आए पत्रकार एवं संचार के क्षेत्र में कार्यरत लोग उपस्थित रहे। पुस्तकों का विमोचन : इस अवसर पर दो पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। युवा पत्रकार केशव पटेल की पुस्तक 'न्यू मीडिया : न्यू फ्रंटियर्स ऑफ कम्युनिकेशन' और युवा पत्रकार हेमंत पाणिग्रह की पुस्तक 'मोदी युग : एक मूल्यांकन'। मोदी युग : एक मूल्यांकन प्रो. संजय द्विवेदी की पुस्तक 'मोदी युग' की समीक्षाओं का संकलन है। दसवाँ बृजलाल द्विवेदी सम्मान आज 3 February 2018 भोपाल, 03 फरवरी, 2018। हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता का प्रतिष्ठित सम्मान 'पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान' रविवार को सुबह 11 बजे 'अलाव' (दिल्ली) के संपादक रामकुमार कृषक को दिया जाएगा। सम्मान समारोह का आयोजन गांधी भवन में किया जाएगा। मीडिया विमर्श की ओर से दिए जाने वाले इस सम्मान का यह दसवाँ वर्ष है। पिछले वर्ष यह सम्मान 'अक्षरा' (भोपाल) के संपादक कैलाशचंद्र पंत को दिया गया था। मीडिया विमर्श के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी ने बताया कि आयोजन के मुख्यअतिथि वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी होंगे और अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला करेंगे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रख्यात समालोचक डॉ. विजय बहादुर सिंह होंगे। साथ ही डॉ. सुधीर सक्सेना (संपादक : दुनिया इन दिनों) तथा गिरीश पंकज कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि होंगे। उन्होंने बताया कि रामकुमार कृषक साहित्यिक पत्रकारिता के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर होने के साथ-साथ देश के जाने-माने संस्कृतिकर्मी, कवि एवं लेखक हैं। 1989 से वे लोकोन्मुख साहित्य चेतना पर केंद्रित महत्वपूर्ण पत्रिका 'अलाव' का संपादन कर रहे हैं। गजल और गीत विधाओं में विशेष योगदान के साथ-साथ कहानी, संस्मरण, साक्षात्कार और आलोचना आदि गद्य विधाओं में भी उल्लेखनीय स्थान। सात कविता संग्रहों के अलावा विविध विधाओं में एक दर्जन से अधिक किताबें प्रकाशित।1978 से 1992 तक राजकमल प्रकाशन में संपादक और संपादकीय प्रमुख रहे। श्री द्विवेदी ने बताया कि त्रैमासिक पत्रिका 'मीडिया विमर्श' द्वारा प्रारंभ किए गए इस अखिल भारतीय सम्मान के अंतर्गत साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले संपादक को ग्यारह हजार रुपये, शाल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र से अलंकृत किया जाता है। मीडिया विमर्श के आयोजन में सम्मानित होगें ‘अलाव’ के संपादक रामकुमार कृषक 30 January 2018 भोपाल, 30 जनवरी, 2018। हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को सम्मानित किए जाने के लिए दिया जाने वाला पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान इस वर्ष ‘अलाव’ (दिल्ली) के संपादक श्री रामकुमार कृषक को दिया जाएगा। सम्मान कार्यक्रम आगामी 4, फरवरी, 2018 को गांधी भवन, भोपाल में दिन में 11 बजे आयोजित किया गया है। मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी ने बताया कि आयोजन के मुख्यअतिथि वरिष्ठ पत्रकार डा. हिमांशु द्विवेदी होंगें तथा अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला करेंगे। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता प्रख्यात समालोचक डा. विजय बहादुर सिंह रहेंगे। साथ ही डा. सुधीर सक्सेना(संपादकः दुनिया इन दिनों) तथा श्री गिरीश पंकज कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि होगें। श्री रामकुमार कृषक साहित्यिक पत्रकारिता के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर होने के साथ-साथ देश के जाने-माने संस्कृतिकर्मी,कवि एवं लेखक हैं। 1989 से वे लोकोन्मुख साहित्य चेतना पर केंद्रित महत्वपूर्ण पत्रिका ‘अलाव’ का संपादन कर रहे हैं।पुरस्कार के निर्णायक मंडल में सर्वश्री विश्वनाथ सचदेव, रमेश नैयर, डा. सच्चिदानंद जोशी शामिल हैं। इसके पूर्व यह सम्मान वीणा(इंदौर) के संपादक स्व. श्यामसुंदर व्यास, दस्तावेज(गोरखपुर) के संपादक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कथादेश (दिल्ली) के संपादक हरिनारायण, अक्सर (जयपुर) के संपादक डा. हेतु भारद्वाज, सद्भावना दर्पण (रायपुर) के संपादक गिरीश पंकज, व्यंग्य यात्रा (दिल्ली) के संपादक डा. प्रेम जनमेजय,कला समय के संपादक विनय उपाध्याय (भोपाल) संवेद के संपादक किशन कालजयी(दिल्ली) और अक्षरा(भोपाल) के संपादक कैलाशचंद्र पंत को दिया जा चुका है। त्रैमासिक पत्रिका ‘मीडिया विमर्श’ द्वारा प्रारंभ किए गए इस अखिलभारतीय सम्मान के तहत साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले संपादक को ग्यारह हजार रूपए, शाल, श्रीफल, प्रतीकचिन्ह और सम्मान पत्र से अलंकृत किया जाता है। कौन हैं रामकुमार कृषकः 1 अक्टूबर, 1943 को अमरोहा (मुरादाबाद-उप्र) के एक गांव गुलड़िया में जन्मे रामकुमार कृषक ने मेरठ विश्वविद्यालय से हिंदी में एमए की उपाधि और प्रयाग विवि से साहित्यरत्न की उपाधि प्राप्त की। दिल्ली में लंबे समय पत्रकारिता की। अध्यापन और लेखन करते हुए आठवें दशक के प्रमुख प्रगतिशील-जनवादी कवियों में शुमार हुए। गजल और गीत विधाओं में विशेष योगदान के साथ-साथ कहानी, संस्मरण, साक्षात्कार और आलोचना आदि गद्य विधाओं में भी उल्लेखनीय स्थान। सात कविता संग्रहों के अलावा विविध विधाओं में एक दर्जन से अधिक किताबें प्रकाशित।1978 से 1992 तक राजकमल प्रकाशन में संपादक और संपादकीय प्रमुख रहे। 1989 से अलाव पत्रिका के संपादक। मध्यप्रदेश की सुख-समृद्धि का आधार है नर्मदा नदी : मुख्यमंत्री श्री चौहान 24 January 2018 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की सुख-समृद्धि का आधार है। नर्मदा जल भारतीय संस्कृति में आस्था, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि माँ नर्मदा की गोद में मल-जल की एक बूँद भी नहीं जाने दी जायेगी। इसके लिये नर्मदा नदी से लगे शहरों में सीवरेज वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जा रहे हैं। ये ट्रीटमेंट प्लांट आने वाले डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जायेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज नरसिंहपुर जिले के बरमानकलां में नर्मदा जयंती कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने बरमानकलां में अंत्योदय मेले में 11 हजार 263 हितग्राहियों को 96.28 करोड़ के हित-लाभ-पत्र वितरित किये। श्री चौहान ने 25 करोड़ की लागत के 10 निर्माण एवं विकास कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण भी किया। 2 जुलाई को नर्मदा कछार में 8 करोड़ पौधे लगेंगे मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा नदी किसी ग्लेशियर से नहीं निकलती है। नर्मदा के दोनों तटों पर लगे पेड़ वर्षा का जल सोखते हैं और बूँद-बूँद करके नर्मदा में छोड़ते हैं। इससे ही नर्मदा नदी में जल की आपूर्ति होती है। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के संरक्षण के लिये दोनों तटों पर पेड़-पौधे लगाना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष 2 जुलाई को नर्मदा केचमेंट क्षेत्र में 8 करोड़ पौधे लगाये जायेंगे। पिछले वर्ष नर्मदा के तटों पर 6 करोड़ 63 लाख पौधे लगाये गये थे। मुख्यमंत्री द्वारा विकास कार्यों की घोषणाएँ मुख्यमंत्री ने बरमानकलां में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, रैन-बसेरा भवन, रानी कोठी के जीर्णोद्धार, राजमार्ग-26 से बरमानकलां में नर्मदा तट तक के पहुँच मार्ग को चौड़ा करने और घाटों का सौंदर्यीकरण कराने की भी घोषणा की। कार्यक्रम में बताया गया कि जिले में 71 नर्मदा सेवा समितियाँ गठित की गई हैं। नदी के 32 प्रमुख घाटों पर नियमित नर्मदा आरती और साफ-सफाई की योजना तैयार की गयी है। नर्मदा के 21 घाटों के सौंदर्यीकरण की करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये की परियोजना मंजूरी के लिये राज्य सरकार को भेजी गई है। इस अवसर पर लोक निर्माण, विधि-विधायी कार्य और नरसिंहपुर जिले के प्रभारी मंत्री श्री रामपाल सिंह, सांसद श्री राव उदय प्रताप सिंह, विधायक श्री जालम सिंह पटेल, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री संदीप पटेल, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र फौजदार, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती शीलादेवी ठाकुर, अन्य जन-प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे जयपुर में मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी सर्वश्रेष्ठ घोषित 24 January 2018 राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद नई दिल्ली और राजस्थान उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में जयपुर में हुई तीन-दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देशभर की 14 अकादमियों में से मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी को सर्वाधिक सक्रिय और सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया है। राजस्थान उर्दू अकादमी के सचिव श्री मोअज़्ज़म अली ने अपनी तक़रीर में कहा कि मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी का नाम फ़ज़ल ताबिश के ज़माने में उभरा था। उसके बाद वहाँ सन्नाटा रहा, लेकिन आज इस अकादमी ने फ़ज़ल ताबिश के कामों को आगे बढ़ाने के साथ ही तालीम, ज़बान और अदब तीनों से मुताल्लिक अपनी सरगर्मियों के हवाले से अद्भुत प्रयास किये हैं। कॉन्फ्रेंस में अकादमी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिव मौजूद थे। मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की सचिव डॉ. नुसरत मेहदी ने अकादमी की गतिविधियों, कार्यक्रमों और आयोजनों की जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश में उर्दू अकादमी की गतिविधियों को बढ़ाने, भव्यता प्रदान करने एवं नई योजनाएँ लागू करवाने का पूरा श्रेय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है। कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद और देश की विभिन्न उर्दू अकादमियों के मध्य बेहतर तालमेल के साथ उर्दू भाषा, साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में कारगर कदम उठाने पर बल दिया गया। आदि शंकराचार्य के एकात्मवाद में है दुनिया की समस्याओं का हल 22 January 2018 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी दुनिया की सारी समस्याओं का हल आदि शंकराचार्य के एकात्मवाद में है। विश्व शांति का मार्ग युद्ध में नहीं है बल्कि आदि शंकर के अद्ववैत दर्शन में है। उन्होंने कहा कि अद्ववैत दर्शन के प्रसार के लिये ओंकारेश्वर में आदि शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास स्थापित किया जायेगा। न्यास के माध्यम से नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुन-र्जागरण का कार्य किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज आदि शंकराचार्य की दीक्षा-स्थली ओंकारेश्वर में एकात्म यात्रा की पूर्णता पर आयोजित एकात्म पर्व को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य श्री अमित शाह का वीडियो संदेश दिखाया गया। चार स्थान से शुरू हुई यात्रा यह एकात्म यात्रा सामाजिक समरसता और एकात्मता का संदेश देने के लिये आदि शंकराचार्य से जुड़े चार धार्मिक स्थानों से 19 दिसम्बर को प्रारंभ हुई थी। इन स्थानों में अमरकंटक, उज्जैन, रीवा का पचमठा एवं ओंकारेश्वर शामिल हैं। यात्रा के दौरान जगह-जगह जनसंवाद किये गये। यात्रा को भारी जन-समर्थन मिला। यात्रा की पूर्णता पर ओंकारेश्वर में अद्वैत वेदान्त दर्शन के विश्व स्तर पर प्रसार के लिये आचार्य शंकर संग्रहालय और अंतर्राष्ट्रीय वेदान्त संस्थान तथा ओंकार पर्वत पर आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊँची विशाल धातु प्रतिमा स्थापना के लिये भूमि-पूजन किया गया। इस मौके पर एकात्मता का संकल्प भी लिया गया। सब में है एक ही चेतना - मुख्यमंत्री श्री चौहान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शंकराचार्य ने पूरे भारत को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बाँधा तथा समूचे विश्व को एकात्मता का संदेश दिया। केवल मनुष्य ही नहीं अपितु समस्त जड़, चेतन में आत्मिक एकता है। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर में वेदांत संस्थान बनाया जाएगा जो विश्व को अद्वैत वेदांत दर्शन की जानकारी देगा। ओंकारेश्वर में ब्रह्मा पुरी, विष्णु पुरी एवं शिव पुरी को आकाशीय फुटओवर ब्रिज से जोड़ा जाएगा। आदि शंकर संस्थान में आधुनिक तकनीक से माया और ब्रह्म के शंकर के संदेश को दिखाया जाएगा। साथ ही शंकर के जीवन-दर्शन एवं जीवन चरित को ऑडियो-वीडियो के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि ओंकारेश्वर में स्थापित किया जा रहा आदि शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं नैतिक पुनर्जागरण का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर की यह पवित्र भूमि सांस्कृतिक एवं आत्मिक पुनर्जागरण का केंद्र बनेगी। आदि शंकराचार्य की गुफा का जीर्णोद्धार किया जायेगा, आदि शंकर स्मृति केन्द्र बनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि एकात्म यात्रा में 23 हज़ार ग्राम-पंचायतों से 30 हज़ार धातु कलश आए हैं, जो आदि शंकराचार्य की यहाँ स्थापित होने वाली प्रतिमा का आधार बनेंगे। राष्ट्रीय सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि केरल से निकलकर आदि शंकर ने हम सबको यह संदेश दिया कि हम सब एक हैं। आज आदि शंकर से प्रेरणा प्राप्त कर हम यह संदेश सारे विश्व को दें। भारत की शक्ति संरक्षक की है, विध्वंसक की नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने एकात्म यात्रा आयोजित कर अद्भुत एवं प्रशंसनीय कार्य किया है। श्री अमित शाह का वीडियो संदेश कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह का वीडियो संदेश दिखाया गया। इसमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नर्मदा यात्रा एवं एकात्म यात्रा के माध्यम से सांस्कृतिक एकता का उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को हृदय से साधुवाद दिया और कहा कि आदिशंकर के योगदान को ओंकारेश्वर में मूर्त रूप देने का श्री चौहान का यह उत्कृष्ट प्रयास है। यहां पर आदि शंकराचार्य को गुरु मिले, यह स्थान जनता की अपार श्रद्धा एवं आस्था का केंद्र है। पूज्य स्वामी श्री अवधेशानंदगिरि जी महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी श्री अवधेशानंदगिरि ने कहा कि आदि शंकराचार्य के संदेश को प्रसारित करने वाली यह महती यात्रा है। मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि नर्मदा के तट पर एक और कुंभ का आयोजन हुआ। उन्होंने शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि ओंकारेश्वर पाटलीपुत्र और तक्षशिला जैसा विश्व प्रसिद्ध केन्द्र बने। स्वामी सत्यमित्रानंदजी भारत माता मंदिर के स्वामी सत्यमित्रानंदजी ने कहा कि सारे संसार में एक ही तत्व व्याप्त है। आँखें अलग-अलग हैं पर देखने वाला एक है। यह अद्वैतवाद का संदेश है। मुख्यमंत्री ने आदि शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास बनाकर पूरे देश को बाँधने वाली योजना बनाई है, यह अति विशिष्ट एवं दिव्य है। वे इसके लिए बधाई के पात्र है। श्री सत्यमित्रानंदजी ने न्यास के लिए 5 लाख की राशि देने की घोषणा की। सदगुरू श्री जग्गी वासुदेव ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक श्री जग्गी वासुदेव ने कहा कि भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश को आध्यात्मिक केन्द्र बनाने का पावन कार्य किया जा रहा है। ओंकारेश्वर में स्थापित किये जाने वाला वेदांत केन्द्र ज्ञान का भंडार होगा। यहाँ से पूरे विश्व को ज्ञान प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य आने वाली पीढ़ी को सर्वाधिक प्रभावित करेंगे, क्योंकि उनमें बौद्धिक विलक्षणता एवं तार्किकता थी। उनका ज्ञान बुद्धि की कसौटी पर खरा उतरता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान गुरू के चरणों में बैठने से मिलता है। हमारी संस्कृति विनम्रता की है। हमने नदी, पहाड़ एवं प्रकृति के अवयवों से ज्ञान प्राप्त किया। हमें हमारी इसी संस्कृति की पुन-र्स्थापना करनी है। इसी तरह अन्य संत और मनीषियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। भव्य समारोह में पधारे धर्माचार्य और अतिथिगण इस अवसर पर चिन्मय मिशन के प्रमुख पूज्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मुख्यमंत्री द्वारा घोषित न्यास की स्थापना के लिये मिशन की ओर से 25 लाख रुपये की राशि देने की घोषणा की। महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी परमानंद गिरि, पूज्य स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, पूज्य स्वामी संवित सोमगिरि और पूज्य स्वामी अखिलेश्वरानंद, रामकृष्ण मिशन के स्वामी सुप्रतिप्तानंद, चिन्मय मिशन के स्वामी प्रबोधानंद, प्रजापति ब्रह्माकुमारी की अवधेश दीदी, कबीर पंथ के प्रहलाद टिपानिया, आर्ट ऑफ लिविंग के भव्यतेज, प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामथ, प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री चरणजीत यादव, विष्णु फाउंडेशन चेन्नई के स्वामी हरिप्रसाद, माता अमृतानंदन, स्वामी प्रजनानामृतानंद, श्रंगेरी पीठ से श्री गौरीशंकर, स्वरूपानंद आश्रम केरल के स्वामी शेवर गिरि, धर्माचार्य डॉ डेविड फाईले दिल्ली विभिन्न धर्मों के धर्मगुरू, संत-महात्मा, मनीषी तथा भारतीय जनता पाटी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद श्री नंदकुमार सिंह चौहान, ऊर्जा मंत्री श्री पारसचंद्र जैन, संस्कृति राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा, मुख्यमंत्री श्री चौहान की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह, जन-प्रतिनिधि और देशभर से आये समाजसेवी तथा विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में आम जनता मौजूद थी। वैदिक मंत्रों एवं शंखनाद से हुआ शुभारम्भ मुख्यमंत्री श्री चौहान ने धर्माचार्यों और अन्य अतिथियों का शॉल-श्रीफल से अभिनंदन किया। पूर्व में श्री चौहान आदि शंकराचार्य की चरण पादुकाएँ और श्रीमती साधना सिंह चौहान द्वादश कलश सिर पर लेकर मंच पर पहुँचे। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वस्ति-वाचन और आदि शंकराचार्य के श्लोकों के वाचन से हुआ। कार्यक्रम स्थल पर मुख्य मंच के आसपास चारों मठों और चार वेदों ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद एवं यजुर्वेद के दर्शन पर आधारित मंचों का निर्माण किया गया था, जो भारतीय संस्कृति का संदेश दे रहे थे। मंच पर आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा की प्रतिकृति का अनावरण भी किया गया। कलाकारों ने दिया सांस्कृतिक एकता का संदेश प्रदेश की जीवन-रेखा नर्मदा नदी के पावन तट पर आयोजित प्राणी मात्र में एकात्मता और सांस्कृतिक एकता का संदेश देते इस कार्यक्रम में मणिपुर और उड़ीसा के कलाकारों द्वारा शंखघोष, पश्चिम बंगाल के कलाकारों द्वारा पुरूलिया छाऊ नृत्य तथा असम के बिहू नृत्य खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किये गये। भोपाल के ध्रुवा बैंड द्वारा सांस्कृतिक चेतना और भावनात्मक एकता की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। इस दौरान देशभर से आये कलाकारों ने गीत-संगीत एवं नृत्य के माध्यम से सांस्कृतिक एकता के संदेश को रेखांकित किया। पुरातत्व संग्रहालयों के उन्नयन के लिये 877.51 लाख रूपये स्वीकृत 21 January 2018 संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय के अधीन संग्रहालय और स्थानीय संग्रहालयों में उन्नयन और विकास कार्य करवाये जाकर नया स्वरूप दिया गया है। वर्ष 2017-18 में अब तक विदिशा, राजगढ़, मंदसौर, भोपाल, सतना, जबलपुर, शहडोल एवं इंदौर के संग्रहालय में उन्नयन एवं विकास कार्य कराये जा चुके हैं। पुरातत्व आयुक्त श्री अनुपम राजन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय सहायता के तहत स्थानीय संग्रहालयों के उन्नयन एवं विकास कार्य के लिये 877.51 लाख रूपये की मंजूरी दी गई है। स्वीकृत राशि में से राज्य संग्रहालय भोपाल, गुजरी महल संग्रहालय ग्वालियर एवं नवीन संग्रहालय सिरोंज जिला विदिशा में विकास कार्य कराये जायेंगे। श्री राजन ने पुरातत्व विभाग की वित्तीय वर्ष 2017-18 की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि रायसेन जिले की ग्राम पंचायत हर्रई के ग्राम ढावला में शिव मंदिर के मलवा सफाई कार्य में 4 मंदिर के अवशेष प्रकाश में आये हैं। ये अवशेष 11वीं-12वीं शती ई. के इस क्षेत्र के परमार कालीन शिल्पकला के प्रमाण दर्शाते हैं। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष में अब तक खण्डवा, धार, खरगोन, उज्जैन, बुरहानपुर एवं सीहोर जिले की 12 तहसीलों के 751 ग्रामों का सर्वेक्षण और मुरैना, बैतूल एवं सीहोर जिले की 14 तहसीलों में पूर्ण रूप से सर्वेक्षित कार्य कराये जा चुके हैं। भिण्ड जिले के गोहद किला में करवाये गये अनुरक्षण कार्य के लिये यूनिस्को के बैंकाक स्थित कार्यालय द्वारा 'यूनेस्को एशियन पेसिफिक हैरिटेज अवार्ड-2107' दिये जाने की घोषणा की गई है। उल्लेखनीय है कि विभिन्न देशों के 43 प्रोजेक्टस में से अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण विशेषज्ञों की समिति द्वारा भारत के 7 प्रोजेक्ट्स का चयन अवार्ड के किया गया है। इसमें गोहद के किला को यह गौरव हासिल हुआ है। ओंकारेश्वर में सांस्कृतिक न्यास एवं वेदांत संस्था की स्थापना की जाएगी : मुख्यमंत्री श्री चौहान 18 January 2018 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज होशंगाबाद जिले के बाबई में एकात्म यात्रा में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में कहा है कि दुनिया से आतंकवाद एवं नस्लवाद की समाप्ति आदि गुरू शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत दर्शन से ही संभव है। श्री चौहान ने इस मौके पर ओंकारेश्वर में आदि गुरू शंकराचार्य सांस्कृतिक न्यास एवं वेदांत संस्था की स्थापना कराने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने जनसंवाद में कहा कि परमात्मा को प्राप्त करने के तीन रास्ते हैं। पहला ज्ञान, दूसरा भक्ति और तीसरा कर्म। उन्होंने कहा कि अधिकांश व्यक्ति कर्म के मार्ग पर चलते हैं। कर्म वह है जब एक शिक्षक बच्चों को सही तरीके से पढ़ाये, कर्म वह है जब एक डॉक्टर मरीज का उपचार सही तरीके से करे, कर्म वह है जब एक इंजीनियर पुल का निर्माण बेहतर तरीके से करे और कर्म वह है जब जनप्रतिनिधि शुद्ध मन से जनता की सेवा करे। डॉ. श्रीकृष्ण गोपाल ने जनसंवाद कार्यक्रम में कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य का जन्म तो केरल में हुआ, लेकिन अध्ययन करने के लिए वे नर्मदा तट के किनारे आए थे। केदार नाथ से केरल तक भारत एक है। इस विश्वास के आधार पर उन्होंने दक्षिण के मठ में उत्तर के एवं उत्तर के मठ में दक्षिण के पुजारियों की नियुक्ति की। डॉ. गोपाल ने कहा कि आदि गुरू का दर्शन आज भी श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि आदि गुरू ने नर्मदा नदी के तट पर दीक्षा प्राप्त की। इससे मध्य प्रदेश की धरती धन्य हुई। महामण्डलेश्वर अखिलेश्वरानंद ने कहा कि पचमठा से शुरू हुई एकात्म यात्रा के प्रति आम जनता में आदर का भाव है। एकात्म यात्रा में शामिल हुए मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री श्री चौहान बाबई में एकात्म यात्रा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री आदि गुरू शंकराचार्य की सांकेतिक चरण पादुका को सिर पर रखकर पैदल जनसंवाद स्थल तक पहुंचे। श्री चौहान ने इस अवसर पर स्कूलों में हुई चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। जनसंवाद कार्यक्रम में धुव्रा बैण्ड के 9 सदस्यीय दल ने आदि गुरू शंकराचार्य विरजित संस्कृत श्लोकों एवं स्त्रोतों की शानदार प्रस्तुति दी। धुव्रा बैण्ड ने म.प्र. गान की भी संस्कृत में प्रस्तुति दी। उल्लेखनीय है कि धुव्रा बैण्ड विश्व का एक मात्र ऐसा संगीत बैण्ड है जो संस्कृत भाषा में अपनी प्रस्तुति देती है। धुव्रा बैण्ड की इस अनोखी एवं शानदार प्रस्तुति नेसभी लोगों का मन मोह लिया। धुव्रा बैण्ड पचमठा से एकात्म यात्रा में शामिल हुआ है और 22 जनवरी को ओंकारेश्वर में भी प्रस्तुति देगा। एकात्म यात्रा के जनसंवाद कार्यक्रम में जिले के प्रमुख विभागों ने जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रदर्शनी भी लगाई। जनसंवाद कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से होशंगाबाद जिले के अटल बाल पालकों ने भेट की और जिले को कुपोषण मुक्त करने हेतु किए जा रहे प्रयासों एवं अनुभव से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। जनसंवाद कार्यक्रम में म.प्र. विधान सभा के अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा, यात्रा के समन्वयक श्री शिव चौबे, सांसद श्री उदय प्रताप सिंह, विधायक श्री सरताज सिंह, श्री विजयपाल सिंह और श्री ठाकुर दास नागवंशी, राज्य अंत्योदय समिति के सदस्य श्री हरिशंकर जयसवाल, नगरपालिका होशंगाबाद के अध्यक्ष श्री अखिलेश खंडेलवाल, आचार्य उमेश, आचार्य बलराम, साध्वी संयम भारती, जनप्रतिनिधिगण, ग्रामीणजन एवं प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधिगण मौजूद थे। आदि गुरू श्री शंकराचार्य ज्ञान, भक्ति एवं कर्म के त्रिवेणी संगम : मुख्यमंत्री श्री चौहान 18 January 2018 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने शाजापुर में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में कहा कि एकात्म यात्रा से मध्यप्रदेश की धरती से जगत के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। यह यात्रा हर प्रकार के भेदभाव मिटाकर सामाजिक समरसता का भाव जागृत कर रही है। उन्होंने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य का अद्वैत दर्शन ही समाज से भेदभाव मिटा सकता है। समाज को एकजुट कर सामाजिक समरसता का मूलमंत्र देने वाला भी अद्वैत वाद है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आदि गुरू श्री शंकराचार्य ज्ञान, भक्ति एवं कर्म का त्रिवेणी संगम हैं। मुख्यमंत्री ने जनसंवाद में उपस्थित विशाल जनसमुदाय को एकात्मवाद का संकल्प दिलवाया और एकात्म यात्रा पर आधारित चित्रकला एवं अन्य प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर श्री वी. भागैया ने कहा कि आदि गुरू ने न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व को अद्वैत दर्शन दिया है। विश्व-कल्याण, सामाजिक एकता, सामाजिक समरसता के लिए अद्वैत दर्शन एक मात्र उपाय है। संत स्वामी आध्यात्मानंद जी महाराज अहमदाबाद ने आदि गुरू शंकराचार्य के जीवन वृत्त पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर की धरती को पवित्र किया है। स्वामी श्री संवित सोमगिरी जी महाराज बिकानेर ने कहा कि एकात्म यात्रा से देश और प्रदेश में ऐसा वातावरण निर्मित हुआ है कि संपूर्ण देश अब मध्यप्रदेश की ओर देख रहा है। उन्होंने कहा कि एकात्म यात्रा प्रेम, आनंद, सौहार्द एवं आत्मीयता की यात्रा है। प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संतगणों का पुष्पहार एवं शाल पहनाकर स्वागत किया। इस मौके पर चैन्नई के समूह द्वारा आदि गुरू शंकराचार्य के जीवन वृत पर आधारित नाटिका का मंचन किया एवं नृत्य नाटिका 'भज गोविन्दम-भज गोविन्दम' प्रस्तुत की। एकात्म यात्रा में शामिल हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान मुख्यमंत्री श्री चौहान एकात्म यात्रा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ध्वज हाथ में लेकर और मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह ने सिर पर कलश रखकर नगर भ्रमण किया। यात्रा का नगर के गणमान्य नागरिकों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। इस मौके पर प्रभारी मंत्री श्री दीपक जोशी, सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह चौहान, सांसद श्री मनोहर ऊँटवाल, श्री वी. भागैया, ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष श्री विजेन्द्र सिंह सिसोदिया, पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष श्री रायसिंह सेंधव, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड चेयरमेन श्री सुरेश आर्य, यात्रा के प्रदेश सह संयोजक श्री नारायण व्यास, जनअभियान परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय, विधायकगण, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक अध्यक्ष श्री शिवनारायण पाटीदार, जिला यात्रा प्रभारी श्री गिरीराज भाई मण्डलोई एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। जनसंवाद में स्वामी श्री संवित सोमगिरी जी महाराज बिकानेर, स्वामी भूमानंद जी महाराज जोधपुर, स्वामी नर्मदानंद जी महाराज ओंकारेश्वर, स्वामी आध्यात्मानंद जी महाराज अहमदाबाद एवं संत श्री रघुनाथदास जी, रामदास जी, त्रिलोकदास जी, श्री बालकदास जी, श्री हरिदास जी, श्री गोविन्द दास जी, श्री उमेशनाथ जी, श्री तिलकनाथ भी मौजूद थे आज से इन्टरनेशनल पाँच दिवसीय स्प्रिचुअल फिल्म फेस्टिबल 18 January 2018 प्रदेश में चल रही एकात्म यात्रा के सांस्कृतिक आयाम के रूप में भोपाल में 5 दिवसीय स्प्रिचुअल फिल्म फेस्टीवल एक साथ तीन सांस्कृतिक स्थल भारत भवन, जनजातीय संग्रहालय एवं राज्य संग्रहालय में आयोजित किया जा रहा है। इसमें विश्व सिनेमा की चुनिंदा आध्यात्म केन्द्रित फिल्में, जिनका सतत रूप से महत्व रहा है, को प्रदर्शित किया जायेगा। प्रमुख सचिव,संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि संस्कृति विभाग द्वारा आईएसएफएफआई कोलकाता के समन्वय से यह आयोजन किया जा रहा है। आदि शंकराचार्य पर केन्द्रित फिल्म के प्रदर्शन से होगा शुभारंभ भोजपुरी साहित्य अकादमी द्वारा समन्वित इस समारोह का शुभारंभ 19 जनवरी को सुबह 11 बजे भारत भवन में प्रख्यात फिल्मकार श्री जी.वी.अय्यर की आदि शंकराचार्य पर केन्द्रित फिल्म के प्रदर्शन से होगा। इसी स्थान पर गौर हरि दास्तान, उप्पिना काकड़ा आदि फिल्म का प्रदर्शन होने के साथ ही ' चेतना जगाता सिनेमा' विषय पर परिचर्चा होगी। राज्य संग्रहालय में इसी दिन दोपहर 2 बजे से फिल्म प्रदर्शन एवं कार्यशाला आयोजित होगी। इसमें फिल्म समीक्षा को लेकर संवाद,मुक्ति भवन, बुद्धा एवं द थिंकिंग बॉडी फिल्मों के प्रदर्शन होंगे। दूसरे दिन भारत भवन में सुबह 10 बजे से कॉफीन मेकर, डॉ. प्रकाश बाबा ऑमटे, रेधा एवं अदामिन्ते माकान अबू फिल्म प्रदर्शन,सिनेमा में आध्यात्म की धूरि, संगीत एवं कला पर चर्चा होगी। जनजातीय संग्रहालय में सुबह 10 बजे से योग कार्यशाला, इन सर्च आफ शंकरा, आउकास्ट दर हाऊस देट केरोल बिल्ट एवं पाथ टू हेप्पीनेस आदि का फिल्म प्रदर्शन होगा। तीसरे दिन 21 जनवरी को भारत भवन में सुबह 11 बजे से यात्रिक, रस-यात्रा, अवेक द लाइफ ऑफ योगानन्द आदि फिल्मों के प्रदर्शन के साथ ही परिचर्चा होगी। इसी दिन सुबह 10 बजे से जनजातीय संग्रहालय में कार्यशाला के अलावा ' बेक्कू द कैट फिल्म का प्रदर्शन होगा। चौथे दिन के समारोह की शुरूआत भारत भवन में सुबह 10 बजे से कठोपनिषद, सौबाला,खोभ आदि फिल्मों के प्रदर्शन के साथ ही कार्यशाला, उद्बोधन एवं संवाद सत्र आयोजित होंगे। इसी दिन जनजातीय संग्रहालय में सुबह 10 बजे से ही फोटोग्राफी कार्यशाला एवं फिल्म बनारस द अनएक्सप्लोर्ड को दिखाया जायेगा। समारोह के आखरी दिन 23 जनवरी को भारत भवन में सुबह 10 बजे से अल्जीरिया ए ह्यूमेनिटेरियन एक्सपीडिशन, स्वामी विवेकानंद, समाधि मया द इल्यूजन एवं धुन में ध्यान फिल्मों का प्रदर्शन होगा। फेस्टिबल का समापन इसी दिन भारत भवन में शाम 6 बजे से होगा। प्रमुख सचिव ने बताया है कि इन्टरनेशनल स्प्रिचुअल फिल्म फेस्टिबल में देश- दुनिया के प्रतिष्ठित फिल्मकलाकार, सिने-विश्लेषकों, मीडिया एवं आलोचकों की भागीदारी हो रही है । । इसमें अनंत नारायण महादेवन, अजीत राय, रत्नोत्तमा सेनगुप्ता, डी.आर.कार्तिकेय, राजीव मेहरोत्रा, सोमा घोष, अखिलेश, मानसी महाजन, बिन्नी सरीन,यू.राधाकृष्णन, टी.एस. नागभरणा एवं चन्द्रशेखर तिवारी विभिन्न संवाद, परिचर्चा सत्रों में विचार प्रसतुत करेंगे। समारोह को फिल्मकार सुश्री सुमना मुखर्जी क्यूरेट करेंगी। भोपाल में 26 से 30 जनवरी तक लोकरंग राष्ट्रीय समारोह 17 January 2018 संस्कृति विभाग द्वारा प्रति वर्ष गणतंत्र दिवस को लोकपर्व के रूप में राष्ट्रीय समारोह 'लोकरंग'' का प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन किया जाता है। तीन दशक की इस कला यात्रा में लोकरंग ने अपनी जनोन्मुखी पहचान और सर्वव्यापी प्रतिष्ठा बनाई है। इस वर्ष भी यह समारोह 26 से 30 जनवरी तक बीएचईएल दशहरा मैदान भोपाल में आयोजित होगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1986 से प्रारंभ हुए इस आयोजन का यह 33वाँ वर्ष है। प्रमुख सचिव, संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया है कि परम्परा के बहुवर्णी उत्सव लोकरंग को प्रति वर्ष किसी एक विषय पर एकाग्र आयोजन परिकल्पित किया जाता है। इस वर्ष के समारोह का केन्द्रीय विषय 'कलाओं के नाग'' (सर्प) रखा गया है। समारोह में इस वर्ष सुषिर वाद्यों पर वृहद प्रदर्शनी, चित्र शैलियों में नाग अंकन पर एकाग्र प्रदर्शनी, विश्व के अन्य देशों के हिन्दू मंदिर और स्थापत्य पर एकाग्र प्रदर्शनी, शक्ति के 108 स्वरूपों की पहली चित्र प्रदर्शनी का संयोजन किया जायेगा। लोकरंग के इस भव्य आयोजन में समवेत नृत्य-नाट्य प्रस्तुति 'पिथौरा एक अनोखी भीली जलकथा', जनजातीय और लोक के प्रदर्शनकारी नृत्य रूपों का प्रदर्शन, शिल्प मेला, बच्चों के लिये गतिविधियाँ, व्यंजन मेला मुख्य आकर्षण होंगे। लोकरंग के अंतिम दिन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्य-तिथि के अवसर पर भक्ति संगीत संध्या भी होगी। आदि गुरू शंकराचार्य के प्रयासों से भारतीय संस्कृति आज भी अक्षुण्ण है 11 January 2018 देश में एक नहीं अनेक मत-मतान्तर दिखाई देते हैं। ऐसे में आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा बताए गए अद्वैतवाद दर्शन में विश्व की समस्याओं का समाधन निहित है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात आज विदिशा में एकात्म यात्रा में जन-संवाद को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि विश्व में आंतकवाद जैसी प्रवृत्तियों को समाप्त करने और शांति स्थापित करने की दिशा में शंकराचार्य का एकात्म दर्शन सही दिशा दे सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शंकराचार्य द्वारा समाज सुधार के लिए दो हजार वर्ष पूर्व किये गये प्रयास अकल्पनीय हैं। उन्होंने देश को पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण से जोड़ने का जो कार्य किया, वह अद्वितीय है। आज भी उत्तराखण्ड में स्थित बद्रीनाथ मंदिर में दक्षिण भारत के नम्बूदिरी ब्राह्मण पुजारी हैं। यह देश को एक करने के लिए शंकराचार्य द्वारा देश की संस्कृति को जोड़ने का अभूतपूर्व प्रयास है। उन्होंने देश को ''जियो और जीने दो'' का दर्शन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ''वसुधैव कुटुम्बकम'' के माध्यम से सारी दुनिया को एक ही परिवार मानना और सभी प्राणियों को एक समान दर्जा देना शंकराचार्य की विशेषता थी। उन्होंने विश्व के कल्याण का आव्हान किया और कहा कि सभी में एक ही चेतना है। छोटे-बड़े के बीच कोई भेद नहीं है। शंकराचार्य के प्रयासों से भारतीय संस्कृति आज भी अक्षुण्ण है। हमें इस संस्कृति का संवर्धन कर इसकी रक्षा करनी चाहिए। शंकराचार्य भगवान शंकर के अवतार थे, जिन्होंने मात्र 32 वर्ष की आयु में संसार त्याग दिया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस अवसर पर संकल्प लिया कि वे सभी त्यौहार समाज के सभी वर्गो के साथ मनाकर एकात्म यात्रा के मूल स्वरूप को सार्थक करेंगे। जीव, जगत और जगदीश मूलभूत एकात्म भाव को आत्मसात कर स्वयं को और समाज को उन्नत करने का कार्य करेंगे। सरसंघ संचालक श्री मोहन भागवत ने कहा कि हमारे देश के सभी पंथ-संप्रदाय एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं। हम प्रवचनों के माध्यम से दी गई सीख को अपने आचरण में उतारें। ऊँच-नीच से परे रहकर समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए काम करें। ऐसा करने से ही शंकराचार्य के वेदांत दर्शन को हम आत्मसात कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अद्वैत वेदांत की भावना को मिलकर आगे बढ़ाएं। अद्वैत वेदांत ही सम्पूर्ण विश्व को मैत्री का संदेश देता है। स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि यात्रा के दौरान सामाजिक समरसता का अभूतपूर्व स्वरूप देखने को मिला। स्वामी अखिलेश्वरानंद ने प्रदेश सरकार द्वारा नर्मदा के प्रवाह को अविरल रखने के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि नदियों को ''सदा नीरा'' रखने के लिए समुचित प्रयास जरूरी हैं। इसके पूर्व सरसंघ चालक श्री मोहन भागवत, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, उद्यानिकी राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा तथा साधु-संतों ने प्रतीक स्वरूप लाई गई शंकराचार्य की चरण पादुका का पूजन किया। कार्यक्रम में विदिशा जनपद पंचायत की सभी ग्राम पंचायतों और नगरपालिका के सभी वार्डों से एकात्म यात्रा के लिए धातु कलश एकत्र कर जन-संवाद कार्यक्रम स्थल पर लाए गए, यहाँ कलशों का पूजन किया गया। धु्रवा बैंड द्वारा संस्कृत भाषा में अपनी आकर्षक प्रस्तुतियां दी गई। पुलिस परेड ग्राउण्ड में हुए कार्यक्रम में विधायक द्वय श्री कल्याण सिंह ठाकुर, श्री वीर सिंह पवार, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी, एकात्म यात्रा के जिला समन्वयक श्री श्यामसुन्दर शर्मा, नगरपालिका अध्यक्ष श्री मुकेश टण्डन समेत अन्य जन-प्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि तथा यात्रा में शामिल हुए सहभागी तथा बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित थे। एकात्म यात्रा को अदभुत जनसमर्थन : मुख्यमंत्री श्री चौहान 11 January 2018 एकात्म यात्रा आगामी 22 जनवरी को ओंकारेश्वर पहुँचेगी। यात्रा के समापन कार्यक्रम में आदि गुरू शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा, शंकर संग्रहालय और वेदांत संस्थान स्थल का भूमि पूजन किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहाँ एकात्म यात्रा के संबंध में समीक्षा बैठक ली। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैठक में कहा कि एकात्म यात्रा को अदभुत जनसमर्थन मिल रहा है। इसमें समाज के हर वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं। अद्वैत दर्शन में वर्तमान की सभी समस्याओं का समाधान है। यात्रा के समापन के अवसर पर आयोजित भव्य और गरिमामय समारोह के माध्यम से दुनिया को अद्वैत दर्शन का संदेश दिया जायेगा। इस विचार के प्रसार के लिये सांस्कृतिक एकता न्यास की स्थापना की जायेगी। समापन समारोह में धार्मिक और आध्यात्मिक धर्मगुरू उनके अनुयायी और बुद्धिजीवी वर्ग के प्रतिनिधि शामिल होंगे। आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा ओंकार पर्वत पर स्थापित की जायेगी। यात्रा में शामिल हुए 17 लाख से ज्यादा लोग बैठक में बताया गया कि मुख्य समारोह बड़वाह-ओंकारेश्वर मार्ग पर ग्राम थापना में आयोजित होगा। इसके लिये 800 से ज्यादा विषय-विशेषज्ञों और धर्माचार्यों को आमंत्रित किया जा रहा है। गत 19 दिसम्बर से प्रारंभ हुई यह यात्रा अब तक दो हजार 231 ग्रामों और शहरों से गुजरी है तथा यात्रा के दौरान 6 हजार 624 किलो मीटर दूरी तय की गई है। यात्रा के दौरान 17 लाख से अधिक लोग शामिल हुये हैं तथा 20 हजार 519 धातु पात्र अब तक संकलित किये गये हैं। चार यात्राएं ओंकारेश्वर, उज्जैन, पचमठा और अमरकंटक से निकली है। इसके अलावा एक यात्रा केरल के कालड़ी से शुरू हुई है जो पूरे देश में घूम रही है। यह पाँचों यात्राएं ओंकारेश्वर पहुँचेगी। कार्यक्रम स्थल का आकल्पन आदि गुरू शंकराचार्य के जीवन की प्रमुख घटनाओं के चित्र तैयार कर किया जायेगा। बैठक में जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पांडेय, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री एस.के. मिश्रा, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री विवेक अग्रवाल, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री हरिरंजन राव, आयुक्त जनसंपर्क श्री पी. नरहरि, कमिश्नर एवं आई.जी. इंदौर, कलेक्टर और एस.पी. खण्डवा सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। वेदान्त दर्शन परमात्मा के दर्शन का सशक्त मार्ग: मंत्री श्री पवैया 11 January 2018 उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने कहा है कि वेदान्त दर्शन जड़, चेतन और प्राणी मात्र में परमात्मा के दर्शन का सशक्त मार्ग है। साधु-संत चलते-फिरते तीर्थ हैं, उनके एक ही मंच पर दर्शन का सौभाग्य मिलना गौरवपूर्ण क्षण का एहसास कराता है। श्री पवैया महर्षि आश्रम में आयोजित महर्षि महेश योगी जन्म शताब्दी वर्ष पूर्णता समारोह को संबोधित कर रहे थे। मंत्री श्री पवैया ने विद्यार्थियों और युवाओं का आव्हान किया कि शिक्षा के भौतिक ज्ञान के साथ-साथ विद्यावान बनकर राष्ट्र की सेवा में सक्रिय भागीदारी निभायें। उन्होंने महर्षि योगी द्वारा प्रतिपादित उच्च आदर्शों और ज्ञान की परम्पराओं को आत्मसात करने की जरूरत बताई। संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेन्द्र पटवा ने कहा कि मानव जन्म की सार्थकता तभी होगी, जब हम अपनी संस्कृति, परम्पराओं और रीति-रिवाजों को कायम रखते हुए सकारात्मक वातावरण निर्मित कर अपने जीवन का आनंद ले सकें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विकास कार्य के साथ-साथ संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। सांसद श्री आलोक संजर ने कहा कि जीवन के आनंद को खोजने के लिए व्यक्ति इधर-उधर भटकता है जबकि आनंद हमारे बीच में ही विद्यमान है, उसकी अनुभूति की आवश्यकता है। मंत्री द्वय एवं सांसद की मौजूदगी में महर्षि महेश योगी जन्म शताब्दी में हुए पिछले वर्ष 102 कान्फ्रेंस की रिपोर्ट पर आधारित चित्रमय दर्शन पुस्तक, बाल एवं सीट कलेण्डर का विमोचन किया गया। मंत्री द्वय ने पूज्य पाद स्वामी वसुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, अयोध्या एवं अन्य धार्मिक स्थलों से आए साधु-संतों से आशीर्वाद प्राप्त किया। समारोह के सूत्रधार ब्रम्हृचारी डॉ. गिरीश ने जन्म शताब्दी समारोह की उपयोगिता रेखांकित करते हुए बताया कि महर्षि के ब्रम्हृ वाक्य, 'जीवन आनंद है' के फलितार्थ करने के लिए 11 से 13 जनवरी तक आशीर्वाद दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इसमें देश-विदेश से साधु-संत, विद्वान एवं विद्यार्थी शामिल होंगे। मुरैना में स्वामी विवेकानन्द स्मृति समारोह 11-12 जनवरी को 9 January 2018 मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा स्वामी विवेकानन्द समारोह 11-12 जनवरी को मुरैना में आयोजित किया जायेगा। पहले दिन दोपहर में निबंध, लेखन प्रतियोगिता होगी। इसमें विद्यालय और महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं भाग लेंगी। दूसरे दिन 'वर्तमान परिदृश्य में स्वामी विवेकानन्द के विचारों की प्रासांगिता' विषय पर व्याख्यान होगें। डॉ. लखनलाल खरे (करैरा) एवं डॉ. राम कुमार सिंह (मुरैना) के वक्तव्य होगे। कार्यक्रम की अध्यक्ष्ता डॉ. भागीरथ कुमरावत करेंगे। तृतीय और अंतिम सत्र में सरस्वती विद्या मंदिर में रात्रि 6 बजे रचनापाठ होगा। इसमें स्थानीय साहित्यकार श्री राम प्रबल श्रीवास्तव, श्री सीताराम बघेल, श्री मुन्नालाल 'मृदुल' श्री वासुदेव 'व्यग्र', श्री रवि तोमर एवं श्रीमती संध्या सुरभि अपना पाठ करेंगे। श्री प्रमोद प्रयासी कार्यक्रम का संचालन करेंगे। पुरातत्व आयुक्त श्री राजन ने किया शिवलिंगम प्रदर्शनी का शुभारंभ 9 January 2018 पुरातत्व आयुक्त श्री अनुपम राजन ने राज्य संग्रहालय, श्यामला हिल्स, भोपाल में 'शिवलिंगम' छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। आठ दिवसीय यह प्रदर्शनी 6 जनवरी तक लगेगी। आम जन सुबह 10.30 बजे से 5.30 बजे शाम तक अवलोकन कर सकते हैं। 'शिवलिंगम' छायाचित्र प्रदर्शनी आकर्षण शिवलिंग शिव का प्रतीक है, जो उनके निश्छल ज्ञान और तेज को प्रतिबिम्बित करता है। शिव का अर्थ है 'कल्याणकारी, लिंग का अर्थ है- 'सृजन'। सृजनहार के रूप में और उत्पादकता शक्ति के रूप में लिंग की पूजा होती है। स्कंध पुराण में लिंग का आशय 'लय' (प्रलय) बताया गया है। प्रलय के समय अग्नि में सब भस्म होकर शिवलिंग में समा जाता है और सृष्टि के आदि में लिंग से सब प्रकट होता है। लिंग मानव सभ्यता के प्राचीन धार्मिक प्रतीक में से एक है। शिवलिंग की महत्ता, उसकी रचना, दुर्लभता के साथ स्थापित स्थल पर भी निर्भर करती है। शिवलिंगों के कई रूपों का निर्माण विभिन्न कालक्रमों में किया गया है। प्राकृतिक रूप से नदी के बहाव के साथ अद्भुत शिवलिंगों का निर्माण होता है। सिंधु घाटी की सभ्यता से लेकर इतिहास में सामान्य शिवलिंग, एकमुखी शिवलिंग, चतुर्मुखी शिवलिंग, पंचमुखी शिवलिंग और अष्टमुखी आदि शिवलिंग निर्मित हुए हैं। लिंगाकृति में कभी-ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सूर्य तो कभी पार्वती, गणेश या नन्दी आदि की प्रतिमाओं की रचना की गई है। इन्हीं सभी प्रतिमाओं को लेकर शिवलिंग, मुखलिंग एवं लिंगोद्भव प्रतिमाओं पर केन्द्रित तकरीबन 70 छायाचित्रों की प्रदर्शनी राज्य संग्रहालय श्यामला हिल्स भोपाल के प्रदर्शनी कक्ष में लगाई गई है। उल्लेखनीय है कि सानफ्रांसिस्को के संग्रहालय की 4-5वीं शती ई. की शिव की जटाधारी प्रतिमा, इसी काल का विदिशा में उदयगिरि का मनोहारी एक मुखलिंग, 5वीं से 6वीं शती ई. की मध्यप्रदेश की ही एकमुखी शिवलिंग प्रतिमाएँ इस प्रदर्शनी में देखी जा सकती है, जो खोह, भूमरा, नचना आदि स्थलों से प्राप्त हैं। इसी तरह उत्तरप्रदेश के मथुरा की अद्भुत मुखलिंगी प्रतिमाएँ भी प्रदर्शनी का आकर्षण हैं। एकात्म यात्रा की पूर्व संध्या पर 1.21 लाख दीप जलाकर कर रचा इतिहास 8 January 2018 रतलाम में जन-अभियान परिषद की नगर विकास प्रस्फुटन समिति ने एकात्म यात्रा की पूर्व संध्या पर आदिगुरू शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन को जन-जन तक पहुँचाने के लिये झाली तालाब में 1 लाख 21 हजार दीप एक साथ प्रज्ज्वलित किये। दीप यज्ञ में सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोगों ने दीप प्रज्ज्वलन कर भारतीय संस्कृति की अनेकता में एकता की पहचान का परिचय दिया। प्रस्फुटन समिति ने रतलाम जिले के प्रमुख स्वयंसेवी, धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों के साथ शहर के युवा वर्ग और महिलाओं को पंजीयन के माध्यम से इस मुहीम से जोड़ा था। इसके लिये 15 दिनों से तैयारी चल रही थी। गायत्री परिवार द्वारा एकात्म से सामाजिक समरसता और सद्भाव को पोषित करने के लिये वैदिक रीति से दीप यज्ञ का आयोजन किया गया। लोगों ने 36 स्थानों पर दीप दान किया। इस अवसर पर आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रचित नर्मदाष्टक गान के साथ 108 दीप माला से माँ भारती की आरती की गई। रतलाम के लोगों ने तन-मन-धन से योगदान देकर दीपक को एकात्मता का प्रतीक मानकर दीप दान को अनूठा बनाया। उज्जैन में आज से तीन दिवसीय शैव महोत्सव 4 January 2018 महाकाल की पवित्र नगरी उज्जैन में शुक्रवार 5 जनवरी से तीन दिवसीय द्वादश ज्योतिर्लिंग सम्मेलन 'शैव महोत्सव'' का आयोजन किया जा रहा है। यह महोत्सव भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। महोत्सव में सभी मंदिरों के अधिदैविक, अधिभौतिक एवं आध्यात्मिक महात्म्य, पूजन एवं परम्पराओं पर चर्चा की जायेगी। इस दौरान विभिन्न सत्रों में कर्मकाण्ड, वेद-वेदांग, सामाजिक समरसता आदि विषयों पर संगोष्ठी आयोजित कर मंथन किया जायेगा। महोत्सव में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 'श्री महाकालेश्वर वेद अलंकरण'' सम्मान भी दिया जायेगा। आयोजन का उद्देश्य शैव महोत्सव के आयोजन का उद्देश्य विश्व-स्तर पर द्ववादश ज्योतिर्लिंग के महात्म्य को प्रसारित करना है। हिन्दू धर्म-संस्कृति एवं दर्शन पर गहन विचार-मंथन एवं चिन्तन कर उन्हें समसामयिक संदर्भ में प्रतिपादित करना, हिन्दू धर्म संस्थानों की गरिमा के अनुरूप वेदोक्त पूजा पद्धति की साम्य के साथ निरूपित करना, वेदोक्त एवं पुराणिक संदर्भों के अनुरूप आधुनिक प्रबंधन तकनीक एवं संसाधनों का प्रयोग करते हुए पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के अनुकूल उत्कृष्ट व्यवस्था का निर्माण करना एवं इसके लिये द्वादश ज्योतिर्लिंगों के व्यवस्था प्रबंधन एवं समन्वयन करना, सामाजिक लोक उत्तरदायित्व के कार्यों का विस्तार किये जाने पर विचार एवं इसके माध्यम से सामाजिक समरसता के स्थापन का कार्य करना शामिल है। राष्ट्रोत्थान के लिये द्वादश ज्योतिर्लिंग संस्थानों की प्रतिभागिता एवं समन्वय, शैव एवं वैष्णव देवस्थान जो कि आदिकाल से राष्ट्रीय चेतना के केन्द्र रहे हैं, के गौरव की पुनर्स्थापना तथा आध्यात्मिक मनोभाव के साथ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य है। शैव महोत्सव में प्रबोधन के विषय शैव महोत्सव में भगवान के निराकार स्वरूप का विवेचन और विभिन्न शैव दर्शनों का प्रतिपादन होगा। साथ ही आगम/तंत्र ग्रंथ, पुराण, स्मृति वेदांत में भगवान के साकार स्वरूप का विवेचन किया जायेगा। मंदिरों की व्यवस्था एवं प्रबंधन पर पौराणिक सन्दर्भों को दृष्टिगत रखते हुए आधुनिक प्रबंधन पद्धति एवं संस्थान का प्रयोग करते हुए उत्कृष्ट व्यवस्था का निर्माण किया जायेगा। सामाजिक एवं शैक्षिक प्रकल्पों के माध्यम से सामाजिक समरसता की चेतना का प्रसार कैसे किया जाये, इस विषय पर चर्चा की जायेगी। गौ-सेवा, शिक्षा, जैविक कृषि, शून्य बजट कृषि एवं भारतीय चिकित्सा पद्धति पर चिन्तन भी किया जायेगा। शोभायात्रा का मार्ग शैव महोत्सव के दौरान 5 जनवरी को शाम 4 बजे भव्य शोभायात्रा श्री महाकालेश्वर मंदिर से निकलेगी। शोभायात्रा का मार्ग महाकाल मंदिर से कोट मोहल्ला चौराहा, गुदरी चौराहा, रामानुजकोट, कार्तिक चौक, दानीगेट, ढाबा रोड, कंठाल चौराहा, सतीगेट, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए वापस महाकाल मंदिर पर सम्पन्न होगी। शैव कला संगम एवं प्रदर्शनी शैव महोत्सव के अंतर्गत 5, 6 एवं 7 जनवरी को बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति, भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों के चित्रों तथा सभी वेदों के वैज्ञानिक पक्ष पर आधारित चित्र एवं शैवदर्शन पर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। इसमें चित्रकारों को आमंत्रित कर उनके चित्रांकनों का भी प्रदर्शन किया जायेगा। यह प्रदर्शनी स्वामी सन्तदास उदासीन आश्रम नृसिंह घाट रोड पर आयोजित की गई है। कार्यक्रम की रूपरेखा शैव महोत्सव-2018 के अंतर्गत प्रथम दिवस 5 जनवरी को आयोजन स्थल सन्तदास उदासीन आश्रम नृसिंह घाट पर प्रात: 8 से 9 बजे तक पंजीयन के उपरान्त प्रात: 9.30 से 11.30 तक उद्घाटन सत्र होगा, 11.45 से 1.30 तक उद्बोधन सत्र होगा तथा दोपहर 1.30 से 3 बजे तक महाप्रसादी के पश्चात सायं 4 बजे से शोभायात्रा श्री महाकालेश्वर मंदिर से प्रारंभ होगी। शैव महोत्सव के द्वितीय दिवस 6 जनवरी को प्रात: 9.30 से 11 बजे तक उद्बोधन सत्र होगा, 11.15 से एक बजे तक द्वितीय उद्बोधन सत्र होगा। एक बजे से 2.30 तक महाप्रसादी के पश्चात दोपहर 3 बजे से 4.30 बजे तक तृतीय उद्बोधन सत्र होगा। चतुर्थ उद्बोधन सत्र का समय सायं 4.45 से 6.30 तक रहेगा। सायं 6.30 बजे से 9 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। सभी उद्बोधन सत्र सभी चार व्यासपीठों पर समानान्तर रूप से आयोजित होंगे। शैव महोत्सव के तृतीय एवं अंतिम दिवस पर प्रात: 9 बजे से 10 बजे तक स्वामी सन्तदास उदासीन आश्रम नृसिंह घाट पर आयोजित कार्यक्रम में अनुभव कथन होंगे। समापन सत्र प्रात: 10.30 से प्रारंभ होगा, जो कि महाप्रसादी भोजन के साथ सम्पन्न होगा। एकात्म यात्रा का 9 जनवरी को विदिशा में प्रवेश 29 December 2017 एकात्म यात्रा 9 जनवरी को विदिशा जिले में प्रवेश करेगी और 11 जनवरी को विदिशा जिला मुख्यालय पर जनसंवाद के उपरांत भोपाल के लिए रवाना होगी। एकात्म यात्रा के भव्य आयोजन और व्यापक प्रचार-प्रसार के लिये कल एसएटीआई के कैलाश सत्यार्थी सभागृह में बैठक आहूत की गई। बैठक में एकात्म यात्रा के रूटचार्ट की विस्तृत जानकारी दी गई। व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु ग्रामों की दीवारों पर लेखन कार्य, मुख्य जनसंवाद स्थलों पर की जाने वाली व्यवस्थाओं से अवगत कराया गया। नगरपालिका अध्यक्ष श्री मुकेश टण्डन ने कहा कि निकाय क्षेत्रों के सभी वार्डो से एक-एक कलश पवित्र मिट्टी जन-संवाद स्थलों पर संग्रहित की जाएगी। निकाय क्षेत्र में यात्रा के भव्य स्वागत के लिये लोगों का आव्हान किया गया है। कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने एकात्म यात्रा के रूटचार्ट के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि नौ जनवरी की सुबह सांची से एकात्म यात्रा विदिशा जिले में प्रवेश करेगी। नगर के विभिन्न संगठनों, सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि यात्रा में शामिल होंगे। इस दौरान विदिशा, गुलाबगंज मैरिज गार्डन, बासौदा नौलखी मंदिर, सिरोंज श्री कृष्ण गौशाला, लटेरी थाना परिसर में जन-संवाद होंगे। विदिशा में 11 जनवरी को मुख्य संवाद कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक शामिल होंगे। बैठक में विदिशा जिला व्यापार महासंघ के अध्यक्ष श्री मुन्ना भैया जैन, श्री संदीप डोंगर सिंह समेत अन्य जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं यात्रा हेतु नियुक्त ग्राम समन्वयक तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थे। संतों के दिखाए सन्मार्ग से ही कल्याण होगा : मुख्यमंत्री श्री चौहान 27 December 2017 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज ओरछा में श्री रामराजा मंदिर में दर्शन किये। श्री चौहान ने ओरछा में श्री मुरारी बापू की रामकथा भी सुनी तथा संतों का आशीर्वाद लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बापूजी स्वयं भक्ति, ज्ञान और कर्म योग के संत शिरोमणि हैं। उन्होंने कहा कि जब हर क्षेत्र में लोग अपने दायित्वों का ईमानदारी और निष्ठा से निर्वहन करेंगे, तभी देश और समाज की प्रगति होगी तथा सबका विकास होगा। श्री चौहान ने कहा िक संतों के दिखाये सन्मार्ग पर चलने से ही सभी का कल्याण होगा। इस अवसर पर प्रभारी मंत्री श्री रूस्तम सिंह, विधायक श्री अनिल जैन, श्रीमती अनीता नायक, श्री के.के. श्रीवास्तव, ओरछा विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र सिंह राठौर और अन्य जन-प्रतिनिधि मौजूद रहे। पांच जनवरी 2018 से उज्जैन में तीन दिवसीय भव्य शैव महोत्सव 23 December 2017 महाकाल की नगरी उज्जैन में पांच से सात जनवरी 2018 तक तीन दिवसीय शैव महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसमें प्रतीक रूप में सभी बारह ज्योतिर्लिंगों का समागम होगा। शैव दर्शन एवं परंपरा से जुडे संत-महात्मा बड़ी संख्या में शामिल होंगे। पांच जनवरी को भव्य शोभा यात्रा के साथ इसका शुभारंभ होगा। सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियां शोभा यात्रा का मुख्य आकर्षण होंगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहां निवास पर शैव महोत्सव की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि इसे भव्य आध्यात्मिक समागम बनाने में किसी प्रकार की कमी नहीं होगी। सभी संतों को आदरपूर्वक आमंत्रित किया जायेगा। उन्होने आम श्रद्धालुओं के अलावा विदयार्थियों को भी इस महोत्सव से जोड़ने के निर्देश दिये। शैव महोत्सव 2018 के माध्यम से हिन्दू धर्म, संस्कृति एवं दर्शन पर गहन विचार-मंथन कर वर्तमान संदर्भों में इसके महत्व को प्रसारित किया जायेगा। इस दौरान विभिन्न सत्रों में आध्यात्मिक विषयों पर वेदाचार्यों द्वारा चिंतन होगा। इस तीन दिवसीय शैव महोत्सव में शोभायात्रा, शैव कला संगम एवं प्रदर्शनी, वेद अलंकरण, डाक टिकट विमोचन मुख्य आकर्षण होंगे। शैव महोत्सव केन्द्रीय आयोजन समिति उज्जैन द्वारा पूरी तैयारियां की जा रही है। समिति के संरक्षक मुख्यमंत्री श्री चौहान एवं अध्यक्ष श्री माखन सिंह चौहान और उपाध्यक्ष श्री दिनेश चन्द्र हैं। बैठक में श्री माखन सिंह चौहान, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री अशोक बर्णवाल, उज्जैन आयुक्त श्री एम.बी.ओझा, कलेक्टर श्री संकेत भेंडवे महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के प्रतिनिधि उपस्थित थे। प्रसिद्ध पयर्टन स्थल "कुकुरू" में तीन दिवसीय फेस्टीवल 26 दिसम्बर से होगा शुरू
बैतूल जिले में सतपुड़ा की हसीन वादियों के बीच बसे प्रसिद्ध पयर्टन स्थल 'कुकुरू' में 26 से 28 दिसम्बर तक सैलानियों के लिए ईको टूरिज्म, एडवेंचर स्पोर्ट्स के फेस्टीवल का भव्य आयोजन किया जायेगा। इसके समीप स्थित कुर्सी जलाशय में जारबिंग बाल बनाना राइड मोटरवोट एंव टेंट कैंपिग जैसी गतिविधियाँ आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहेंगी।
ज्ञातव्य है कि कुकुरू के बिट्रिश कालीन काफी बागान वेलीआफ फ्लॉवर्स, हिल्स व्यू, सिपना उदगम स्थल बुच प्वाइंट, भौडिया कुण्ड का सनसेट, देड़पानी की पवन चक्की एवं लोकलदरी का आकर्षण पर्यटन सैलानियों के लिए मौजूद रहेगा।
ओंकारेश्वर वेदान्त दर्शन का अदभुत केन्द्र बनेगा – मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ओंकारेश्वर वेदान्त दर्शन के अदभुत केन्द्र के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर में आदिशंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित कर उनके योगदान को चिरस्मरणीय बनाया जायेगा। समाज ठीक दिशा में चले, इसलिये सन्तों के नेतृत्व में आदिशंकराचार्य के अद्वैतवाद का प्रचार-प्रसार किया जायेगा। आज सनातन धर्म बचा है तो वह शंकराचार्य की देन है। वे न होते तो भारत का यह स्वरूप ही न होता। उन्होंने उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम को जोड़ा। सांस्कृतिक रूप से देश को एक किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यह बात आज उज्जैन में एकात्म यात्रा का शुभारंभ करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक अदभुत बात है कि बद्रीनाथ मन्दिर में केरल के नंबुरिपाद ब्राह्मण पुजारी हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग की कल्पना भी शंकराचार्यजी ने की। दुनिया के सामने आज जितने संकट हैं, उन सबका समाधान अद्वैत वेदान्त में है। शंकराचार्य सर्वज्ञ थे। ओंकारेश्वर में गुरू से ज्ञान प्राप्त कर वे भारत भ्रमण पर निकल गये और स्थान-स्थान पर शास्त्रार्थ कर अपनी विद्वता स्थापित की। वे सभी रूढ़ियों को समाप्त करने वाले सन्यासी थे। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन के माध्यम से सारी दुनिया को एक ही परिवार के रूप में मानना, प्राणियों को भी अपने समान दर्जा देना उनकी विशेषता थी। आदि शंकराचार्य ने कहा कि धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो। प्राणियों में सद्भावना हो। उन्होंने विश्व कल्याण का आव्हान किया और कहा कि एक ही चेतना सभी में है। कोई भी छोटा-बड़ा नहीं है। पशु, पक्षी, पेड़, पौधों सभी को उन्होंने एक समान माना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एकात्म यात्रा में अद्वैत वेदान्त का प्रचार-प्रसार तो होगा ही, माता, बहनों, बेटियों का सम्मान करने की शिक्षा भी दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने बच्चियों के साथ दुराचार करने वालों को मृत्युदण्ड देने का प्रावधान किया है। एकात्म यात्रा के माध्यम से पर्यावरण बचाने, भेदभाव मिटाने का सन्देश भी दिया जायेगा।
इसके पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, स्वामी परमात्मानन्द सरस्वती, स्वामी विश्वेरानन्द, सन्त रामेश्वरदासजी, स्वामी अतुलेश्वरानन्द सरस्वती एवं अन्य गणमान्य सन्तों द्वारा आदिशंकराचार्य के चित्र के संमुख दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इसके बाद पादुका पूजन किया एवं एकात्म यात्रा का ध्वज यात्रा के लिये सौंपा गया। कार्यक्रम में सभी सन्तों की ओर से स्वामी परमात्मानन्द एवं स्वामी विश्वेरानन्द द्वारा मुख्यमंत्री को रूद्राक्ष की माला पहनाकर आशीर्वाद दिया गया।
आचार्य परिषद के सचिव सन्त परमात्मानन्द सरस्वतीजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति वेद पर आधारित है और निरन्तर है। विश्व में कई संस्कृतियां खड़ी हुईं और नष्ट हो गईं, लेकिन भारतीय संस्कृति आज भी जीवित है। हमें इस संस्कृति का संवर्धन कर इसकी रक्षा करना होगी। हिन्दू धर्म ऐसा धर्म और संस्कृति है, जो सर्वग्राही है। द्वैत होने पर भी अद्वैत का दर्शन कराने वाली हमारी संस्कृति है। शंकराचार्य ने हमारे पारम्परिक व सामाजिक मूल्य को समृद्ध किया। मातृ देवो भव:, अतिथि देवो भव: के सिद्धान्त का पालन करते हुए शंकराचार्य ने सन्यास लेने के बाद भी परम्पराओं को तोड़ते हुए अपनी मां का अन्तिम संस्कार किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने एकात्म यात्रा के माध्यम से आन्तरिक विकास करने का बीज स्थापित कर दिया है।
सन्त विश्वेश्वरानन्दजी ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने अदभुत कार्य किया। वे सैकड़ों वर्ष पूर्व दक्षिण में जन्मे और ओंकारेश्वर में आकर उन्होंने सन्यास ग्रहण किया। तत्कालीन समय में हमारा देश विभक्त हो रहा था, उसको जोड़ने का काम उन्होंने किया। आदिशंकराचार्य की देन हमारे देश के तीर्थ हैं। जब हम बद्रीनाथ और रामेश्वरम जाते हैं तो उन्हें स्मरण करते हैं। सभी तीर्थों की पृष्ठभूमि में कोई है तो वह आचार्य शंकर हैं। उन्होंने देश की तीन बार पदयात्रा की। शास्त्रार्थ करके वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना करने में उनका महती योगदान है। वे हमारे धर्म, संस्कृति के आधार स्तंभ हैं। चारों दिशाओं में स्थापित चारों मठों की सुरक्षा करने का दायित्व हमारा है। बत्तीस वर्ष की आयु में उन्होंने शरीर त्याग दिया। शंकराचार्य ने समाज को एक किया और समरसता प्रदान की है।
एकात्म यात्रा के उज्जैन प्रखण्ड के प्रभारी श्री राघवेन्द्र गौतम ने बताया कि ओंकारेश्वर में 108 फीट ऊंची शंकराचार्य जी की मूर्ति की स्थापना होगी और इसके लिये धातु संग्रहण करने के लिये एकात्म यात्रा निकाली जा रही है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मौजूद सभी सन्तगणों का पुष्पहारों से नमन कर स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आदिशंकराचार्य के जीवन पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता के विजेता देव परमार, आध्या द्विवेदी एवं सिद्धार्थ वर्मा को प्रमाण-पत्र एवं पुरस्कार वितरित किया।
उज्जैन से प्रारम्भ हुई आदिशंकराचार्य की एकात्म यात्रा
आदिशंकराचार्य की प्रतिमा के लिए धातु संग्रहण तथा जन-जागरण के लिये उज्जैन से आरम्भ हुई एकात्म यात्रा अपने भव्यतम स्वरूप में निर्धारित स्थल चारधाम से अपने भ्रमण पर रवाना हुई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह चौहान ध्वज थामकर हरसिद्धि मंदिर तक यात्रा के साथ चले। उज्जैन की धर्मपरायण जनता ने अपने घर से निकलकर यात्रा का भव्य स्वागत किया। शहर में स्थान-स्थान पर मंच स्थापित किये गये तथा नागरिकों ने पुष्पवर्षा की। यात्रा में सन्त समाज, जनप्रतिनिधि, आम नागरिक, स्त्री-पुरूष, बच्चे बड़ी संख्या में यात्रा के साथ चल रहे थे। यात्रा के आगे-आगे घुड़सवार पुलिस चल रही थी।
एकात्म यात्रा उज्जैन में चारधाम मन्दिर से निकलकर हरसिद्धि चौराहा, बड़ा गणेश मन्दिर, महाकाल मन्दिर, चौबीस खंबा माता मन्दिर, पटनी बाजार, गोपाल मन्दिर, छत्रीचौक, सतीगेट, कण्ठाल चौराहा, नईसड़क, दौलतगंज, मालीपुरा, देवासगेट, चामुण्डा माता चौराहा से आगर रोड होती हुई तराना की ओर निकली। इस दौरान यात्रा में शामिल महिलाएं अपने सिर पर कलश थामकर चल रही थीं। कई महिलाओं के समूह बैण्ड की धुन पर नृत्य करते हुए वातावरण में भक्तिरस घोल रहे थे। नर-नारियों का समूह जयघोष करते हुए यात्रा के साथ आगे बढ़ रहा था। सन्तों एवं साधुओं का समूह जयकारे के साथ यात्रा में नेतृत्वकर्ता के रूप में सम्मिलित रहा। यात्रा में सम्मिलित रथ आदिशंकराचार्य के वृहताकार चित्र तथा उनसे जुड़े प्रतीकों से युक्त था। शंकराचार्य के चित्र पर नागरिकों द्वारा स्थान-स्थान पर पुष्प-वर्षा की गई।
एकात्म यात्रा उज्जैन से प्रारम्भ होकर नजरपुर, मालीखेड़ी, बिछड़ौद होते हुए शाम को तराना पहुंचेगी। यात्रा 20 दिसम्बर को तराना से इटावा, छड़ावद, तिलावद, नान्देड़, माकड़ोन, रूपाखेड़ी, घोंसला, खेड़ा खजूरिया होते हुए दोपहर 2 बजे महिदपुर पहुंचेगी। महिदपुर से रवाना होकर डेलची, महिदपुर रोड, रूपेटा होते हुए यात्रा सायं 5 बजे नागदा पहुंचेगी। नागदा से चौकी जुनार्दा, उमरना, उमरनी, बुरानाबाद होते हुए यात्रा सायं 7 बजे खाचरौद पहुंचेगी। अगले दिन 21 दिसम्बर को खाचरौद से मड़ावदा, कमठाना, भाटपचलाना, कमेड़, रूनिजा होते हुए यात्रा दोपहर 12 बजे बड़नगर पहुंचेगी। बड़नगर से मौलाना, खरसोदखुर्द, धुरैरी, सरसाना, दंगवाड़ा, बलेड़ी, नरसिंगा होते हुए यात्रा दोपहर 3 बजे इंगोरिया पहुंचेगी। इंगोरिया से कड़ोदा, पितावली, छड़ोदा, तलावती, रलायता, बछोड़ा, गिरोता, ओसारा, पाड़ल्या होते हुए यात्रा सायं 6 बजे इन्दौर जिले के गौतमपुरा पहुंचेगी। यह यात्रा इन्दौर, देवास, राजगढ़, गुना, अशोक नगर, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, दतिया होते हुए ओंकारेश्वर पहुंचेगी। यह यात्रा 12 जिलों में होकर लगभग 2175 किलो मीटर की दूरी तय करेगी।
भोपाल हाट में लघु भारत के दर्शन : जनसम्पर्क मंत्री डॉ. मिश्र
जनसम्पर्क, जल-संसाधन और संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने आज शाम भोपाल हाट में 13 दिवसीय आदि महोत्सव का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री विश्वास सारंग ने की। भारत सरकार के आदिवासी कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत ट्रायफेड के इस कार्यक्रम में देश भर के आदिवासी शिल्पियों द्वारा विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री की व्यवस्था की गई है। जनसम्पर्क मंत्री डॉ. मिश्र ने कहा कि भोपाल हाट में एक लघु भारत का निर्माण देखने को मिला। अलग-अलग प्रदेशों की संस्कृतियों को एक ही स्थान पर देखना विलक्षण अनुभव है। इसके साथ ही यहाँ विशिष्ट भारतीय संस्कृति और भाषाई एकता भी देखने को मिली है। जनसम्पर्क मंत्री ने कहा कि आदि महोत्सव जैसे कार्यक्रम शिल्पियों के आर्थिक उन्नयन में भी मददगार हैं। डॉ. मिश्र ने आदि महोत्सव की सराहना करते हुए कहा कि आदिवासी शिल्प की वस्तुओं को खरीदकर हुनरमंद कलाकारों को प्रोत्साहित किया जाए। सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री विश्वास सारंग ने कहा कि आदिवासी शिल्पी आदि महोत्सव के माध्यम से स्वावलम्बन प्राप्त करने के साथ ही परम्पराओं को सहेजने का महत्वपूर्ण कार्य भी कर रहे हैं। ट्रायफेड, नई दिल्ली के एमडी श्री प्रवीर कृष्ण ने संस्था की गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर ट्रायफेड के संचालक मण्डल के सदस्य श्री यशवंत सिंह दरबार और क्षेत्रीय प्रबंधक श्री जे.एस. शेखावत उपस्थित थे। महोत्सव में 100 से भी अधिक स्टॉलों के माध्यम से आदिवासी कलाकृतियों का प्रदर्शन और विक्रय किया गया है। महोत्सव में 25 राज्यों के 100 से अधिक आदिवासी कलाकार भाग ले रहे हैं। महोत्सव का विशेष आकर्षण प्रतिदिन शाम 6.30 बजे से होने वाला आदिवासी गीत-संगीत और नृत्य है। महोत्सव में जम्मू-कश्मीर से लेकर तमिलनाडु और गुजरात से लेकर नागालैण्ड तथा सिक्किम की आदिवासी कलाकृतियाँ एवं कपड़ों का प्रदर्शन-सह-बिक्री की जा रही है। महोत्सव में आदिवासियों में डिजिटल और ई-कॉमर्स को प्रोत्साहित करने के लिये सभी स्टॉलों पर क्रेडिट एवं डेबिट-कार्ड के माध्यम से पेमेंट की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। इसके लिये आदिवासी कारीगरों को एसबीआई द्वारा विशेष ट्रेनिंग दी गई है। भारत की जनसंख्या में 8 प्रतिशत से अधिक आदिवासी हैं। इस तरह भारत में 10 करोड़ से भी ज्यादा आदिवासी जनसंख्या है। आदिवासियों की अपनी एक अलग अनूठी, मौलिक संस्कृति और कला मूल्य हैं। इसमें इनकी अनोखी प्राकृतिक सादगी झलकती है। इससे कोई भी प्रभावित हुए बिना नही रह सकता। भारतीय आदिवासियों का हस्तशिल्प विश्व विख्यात है। इसमें सूती, ऊनी और सिल्क की हाथ से बुने हुए वस्त्र, लकड़ी, धातु एवं टेराकोटा की आकर्षक कला-कृतियाँ प्रमुख हैं। बदलते परिवेश में आदिवासी कला को आधुनिक समाज से जोड़ने, आदिवासी कला और संस्कृति से आधुनिक समाज को अवगत कराने के लिये आदिवासी संस्कृति, व्यंजन और व्यवसाय की थीम पर आदि महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। अद्वैत वेदांत दर्शन से ही वैश्विक समस्याओं का समाधान सम्भव
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिगुरू शंकराचार्य के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए रीवा में एकात्म यात्रा का भव्य शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य ने देश को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधा, देश के चारों कोनों में चार प्रमुख मठों की स्थापना की। आज भी ये मठ सनातन धर्म की आस्था का केन्द्र हैं। उनके विचारों और अद्वैत दर्शन ने भारतवर्ष के धार्मिक और सांस्कृतिक संकट को दूर किया जिससे सनातन धर्म की पुनः स्थापना हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि अद्वेत वेदांत दर्शन से ही वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य काशी से महेश्वर जाते हुए रीवा के पचमठा आश्रम में कई दिनों तक रूके थे। उनकी ज्ञान ज्योति और आध्यात्मिक शक्ति का आशीर्वाद इस क्षेत्र को मिला था। इसलिये विन्ध्य की धरा वंदनीय है। उन्होंने कहा कि पचमठा आश्रम का सर्वांगीण विकास किया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अद्वैत वेदांत द्वारा ही भौतिकता की अग्नि का शमन होगा। आदिगुरू शंकराचार्य के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए संतों के नेतृत्व में एकात्म यात्रा निकाली जा रही है। यात्रा के दौरान ओंकारेश्वर में 22 जनवरी को पूरे प्रदेश से एकत्रित मिट्टी एवं धातु से प्रतिमा निर्माण का भूमिपूजन होगा। ओंकारेश्वर में अद्वैत वेदांत का केन्द्र भी बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार भौतिक संसाधनों तथा अधोसंरचना के विकास के साथ लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का भी प्रयास कर रही है। संतों के आशीर्वाद से एकात्म यात्रा अपने उद्देश्य को प्राप्त करेगी।
जगतगुरू स्वामी परमानंद जी ने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य के विचारों से जन-जन को मार्गदर्शन मिलेगा। एकात्म यात्रा का नेतृत्व कर रहे संत स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा कि आदिगुरू ने ओंकारेश्वर में दीक्षा ली थी। अपने गुरू से आशीर्वाद लेकर पूरे देश में भ्रमण कर वेद का विरोध करने वालों को परास्त किया था। उनके पावन चरण से रीवा की धरती भी पावन हुई थी जिसे वर्तमान में पचमठा आश्रम कहा जाता है। उद्योग, वाणिज्य तथा खनिज मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि संतों के मार्गदर्शन में एकात्म यात्रा आदिगुरू शंकराचार्य के विचार जन-जन तक ले जायेगी।
आदि महोत्सव राष्टीय जनजातीय उत्सव का भोपाल हाट में आयोजन -दिनांक 19 -31 दिसंबर-2017
जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन कार्येरत संस्था भारतीय जन जातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्रायफेड) द्रारा भोपालहाट में आदिमहोत्सव के नाम से राष्टीय जनजातीय उत्सव का आयोजन किया जा रहा है | इस उत्सव का उत्घाटन म.प्र.शासन के जल संसाधन विकास व जन संपर्क मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा के द्रारा दिंनाक 19.12.2017 को शाम 5:०० बजे किया जायेगा| इस उत्सव की अध्यक्षता म.प्र. शासन के सहकारिता राज्य मंत्री श्री विश्वास सारंग करेंगे| ट्रायफेड के बोर्ड के डायरेक्टर श्री पटेल व श्री यशवंत सिंह दरबार भी इस मोंके पर उपस्थिक रहेंगे| ये उत्सव दिंनाक 31 दिसंबर तक चलेगा |ये उत्सव आदिवासी हस्तकला,संस्कृति,खान-पान और हस्तशिल्प व्यापार को प्रदर्शित करेगा| यहाँ पर मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार की आदिवासी हस्त्कलाओ,पेन्टिंग्स ज्वेलरी व विभिन्न प्रकार की टेक्सटेल आईटस की प्रदशनी व बिक्री की जाएगी | इस उत्सव में 28 राज्यों के 150 आदिवासी कलाकार 65 दुकानों में अपनी उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे |इस मेले का मुख्य आकषर्ण विभिन्न प्रकार के जन जातीय व्यंजन होंगे जो की विभिन्न राज्यों के जनजातिय रसोईयो द्रारा बनाये जायेंगे| उपरोक्त के अलावा इस मेले में जनजातीय नृत्य व संगीत का आयोजन भी प्रतिदिन शाम को 6.00 बजे से 8.00 बजे तक किया जायेगा |राष्टीय महत्व के नगद रहित कारोबार को बढावा देने के लिये इस मेले में पहली बार डेबिट/क्रेडिट कार्ड द्रारा भुगतान स्वीकार किया जायेगा | एकात्म यात्रा सामाजिक सरोकारों से जुड़ा सांस्कृतिक अभियान : मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि एकात्म यात्रा सामाजिक सरोकारों से जुड़ा सांस्कृतिक अभियान है। यात्रा के दौरान आगामी 19 दिसम्बर से 22 जनवरी तक सामाजिक समरसता का संदेश दिया जायेगा। इस अभियान में बेटी बचाओ और महिला सुरक्षा को भी जोड़ा गया है। यात्रा के दौरान बलात्कारी को फांसी की सजा का कानून लागू कराने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से एकात्म यात्रा की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी यात्रा को सर्वव्यापी बनाने के लिए समाज के हर वर्ग को इससे जोड़ें। इस अद्वितीय और अदभूत अभियान का नेत्तृव संत गण करेंगे। आदि शंकराचार्य ने भारत को सांस्कृतिक रूप से एक किया था। उन्होंने अद्वेत दर्शन दिया और देश की चारों दिशाओं में चार धामों की स्थापना की। ओंकारेश्वर में उनकी विशाल प्रतिमा स्थापित की जायेगी। एकात्म यात्रा के दौरान प्रदेश की प्रत्येक पंचायत और नगरों के वार्डो से धातु के कलश में मिट्टी एकत्रित की जायेगी जिसका उपयोग प्रतिमा के आधार निर्माण में किया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यात्रा का उद्देश्य समाज को एकात्म करना है। प्रदेश के उज्जैन, ओंकारेश्वर, पचमठा और अमरकंटक से यह यात्रा निकलेगी । यात्रा के दौरान जनसंवाद के कार्यक्रम होंगे। इस दौरान स्थानीय भजन मंडलिया प्रस्तुति देंगी। संकल्प पत्र का वाचन किया जायेगा। हर जिले में दो मुख्य जनसंवाद के कार्यक्रम होंगे। संभाग मुख्यालय पर आदि शंकराचार्य स्त्रोत का समूह गायन होगा। इसके अलावा चित्रकला, निबंध और श्लोक गायन प्रतियोगिता भी होगी।
जनअभियान परिषद यात्रा का समन्वय करेगी। संत गण, समाजसेवी, बुदिजीवी सहित समाज के हर वर्ग को इससे जोड़ा जायेगा। आगामी 22 जनवरी को ओंकारेश्वर में पूरे प्रदेश की सहभागिता से प्रतिमा स्थापना का कार्यक्रम आयोजित होगा। यह यात्रा प्रदेश में सामाजिक समरसता और एकता का जन-जागरण अभियान है। इसके माध्यम से संस्कार देने की प्राचीन परम्परा को पुनर्जीवित किया जा रहा है। बताया गया है कि यात्रा के साथ युवा बैंड भी रहेगा।
संस्कृति राज्य मंत्री श्री पटवा ने नॉलेज कलेण्डर को सराहा
संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेन्द्र पटवा ने वर्ष 2018 के नॉलेज कलेण्डर की परिकल्पना को सराहा है। कलेण्डर के प्रबंधक श्री राजीव जैन ने श्री पटवा को नॉलेज कलेण्डर की प्रति भेंट की। श्री पटवा ने कहा कि इस अनूठे प्रयोग ने कलेण्डर को देखने का नजरिया बदला है। नॉलेज कलेण्डर का यह दूसरा साल है। वर्ष 2017 के कलेण्डर में हुए प्रयोग की सर्वत्र सराहना हुई है। वर्ष 2018 का कलेण्डर अधिक पठनीय, संग्रहणीय और आकर्षक भी है भारत की संस्कृति अनुपम है : राज्यपाल प्रो. सोलंकी
हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा है कि किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी संस्कृति में निहित है। भारत की संस्कृति अनुपम है। इस संस्कृति में अन्याय के ऊपर न्याय और अधर्म के ऊपर धर्म के मूल्य संस्थापित हैं। राज्यपाल प्रो. सोलंकी आज यहाँ मानस भवन में वर्ष 2015 एवं 2016 के अखिल भारतीय एवं प्रादेशिक पुरस्कारों से रचनाकारों को अलंकृत कर रहे थे। राज्यपाल श्री सोलंकी ने इस अवसर पर 'समारोह चित्रावली'' का लोकार्पण भी किया। राज्यपाल ने संस्कृति विभाग को इस प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन के लिये बधाई दी। संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेन्द्र पटवा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
श्रेष्ठ कृतियों के रचनाकारों का अलंकरण समारोह 12 दिसम्बर को
श्रेष्ठ कृतियों के रचनाकारों का अलंकरण समारोह 12 दिसम्बर को शाम 5 बजे मानस भवन श्यामला हिल्स भोपाल में होगा। हरियाणा राज्य के राज्यपाल श्री कप्तान सिंह सोलंकी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेन्द्र पटवा करेंगे। प्रमुख सचिव, संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव सारस्वत अतिथि होंगे।
साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि अलंकरण समारोह में वर्ष 2015 एवं 2016 के अलंकृत रचनाकारों को अखिल भारतीय पुरस्कार एवं प्रादेशिक पुरस्कार से नवाजा जाएगा।
इस वर्ष राष्ट्रीय तानसेन सम्मान से अलंकृत होंगे पंडित कशालकर
शास्त्रीय संगीत के सुप्रतिष्ठित गायक पंडित उल्लास कशालकर को मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2017 का राष्ट्रीय तानसेन सम्मान प्रदान किया जायेगा। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में स्थापित इस सम्मान के अंतर्गत दो लाख रुपये की आयकर-मुक्त राशि, सम्मान पट्टिका, शॉल-श्रीफल प्रदान किया जाता है। पंडित उल्हास कशालकर को 22 दिसम्बर को ग्वालियर में प्रतिष्ठित तानसेन संगीत समारोह में इस सम्मान से विभूषित किया जायेगा। पंडित उल्हास कशालकर को सम्मान से विभूषित करने का निर्णय हाल में चयन समिति की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। समिति में शास्त्रीय गायक पंडित सत्यजीत देशपाण्डे, पखावज वादक पंडित डालचन्द शर्मा, गिटार वादिका डॉ. कमला शंकर, संगीत समीक्षक मंजरी सिन्हा एवं रवीन्द्र मिश्र शामिल थे। पंडित उल्हास कशालकर वर्तमान में पुणे में निवास करते हैं। वे घरानेदार संगीत परम्परा के निष्णात गायक हैं। उनका जन्म संगीत को समर्पित घराने में हुआ। उनके पिता पंडित एन.डी. कशालकर जाने-माने संगीतज्ञ थे एवं वकालत उनका पेशा था। उनके ही सान्निध्य में उल्हास कशालकर ने संगीत का संस्कार पाया। इन्हें पंडित राजाभाऊ कोगजे एवं प्रोफेसर प्रभाकर राव खर्डनवडीस का मार्गदर्शन भी मिला। पंडित उल्हास कशालकर ने संगीत के क्षेत्र में अपनी अथक साधना एवं सर्जनात्मक परिश्रम से बड़ी ऊँचाई अर्जित की है। देश-विदेश में इनके गायन की उत्कृष्ट सभाएँ हुई हैं। इनकी सुदीर्घ शिष्य परम्परा है। पंडित कशालकर पद्मश्री, संगीत नाटक अकादमी सम्मान, बसवराज राजगुरु पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। तीर्थ यात्रियों को प्रमुख तीर्थ के साथ निकटवर्ती तीर्थ के दर्शन भी होंगे
खेल एवं युवा कल्याण, धर्मस्व एवं धार्मिक न्यास विभाग की परामर्शदात्री समिति की बैठक में सदस्यों ने तीर्थ यात्रियों को प्रमुख तीर्थ के साथ निकटवर्ती तीथों के दर्शन कराने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि तीर्थ यात्रियों की सूची संबंधित क्षेत्र के विधायक को उपलब्ध करवाना भी सुनिश्चित करें। खेल एवं युवा कल्याण, धर्मस्व एवं धार्मिक न्यास मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने बैठक की अध्यक्षता की। समिति के सदस्य विधायक श्री दिव्यराज सिंह, श्री दिलीप सिंह परिहार तथा पंडित आशीष गोविन्द शर्मा बैठक में मौजूद थे। श्रीमती सिंधिया ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशानुसार तीर्थ यात्राओं के रूट में प्रमुख तीर्थ के साथ निकटवर्ती तीर्थों को भी संयोजित किया गया है। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में रामेश्वरम्-मदुरई (सात दिवस), तिरूपति-श्री कालहस्ती (सात दिवस), द्वारका-सोमनाथ (सात दिवस), पुरी-गंगासागर (आठ दिवस), हरिद्धार-ऋषिकेश- अमृतसर- वेष्णोदेवी (सात दिवस) तथा काशी-गया (आठ दिवस) का पैकज बनाकर यात्राओं का आयोजन किया जायेगा। धर्मस्व मंत्री ने बताया कि योजना में प्रारंभिक स्टेशन पर यात्रियों के स्वागत के लिए फूल माला, तिलक एवं स्वागत बैंड की व्यवस्था भी की जा रही है। इसके अतिरिक्त यात्रा के दौरान लूडो, सॉप-सीढी, कैरेम एवं ढोलक मंजिरा आदि भी यात्रियों के मनोरंजन के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। बैठक में सदस्यों ने खेल एवं युवा कल्याण विभाग के विधायक कप प्रतियोगिता में उस क्षेत्र के प्रचलित खेलों को प्राथमिकता दिए जाने की अनुशंसा की। श्री महाकाल मंदिर में होगा शैव महोत्सव : पूजन एवं परम्पराओं पर होगा वैचारिक मंथन
द्वादश ज्योतिर्लिंग सम्मेलन शैव महोत्सव के रूप में 5 से 7 जनवरी 2018 तक श्री महाकाल मंदिर उज्जैन में मनाया जावेगा। यह आयोजन भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के संयुक्त तत्वावधान में उज्जैन में होगा। शैव महोत्सव के प्रथम दिन भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। महोत्सव में भारत के वैदिक विद्वान को वैदिक अलंकरण सम्मान दिया जाएगा। सभी मंदिरों के अधिदैविक, अधिभैतिक एवं आध्यात्मिक महात्मय, पूजन एवं परम्पराओं पर चर्चा की जाएगी। इस दौरान विभिन्न सत्रों में कर्मकाण्ड, वेद-वेदांग, सामाजिक समरसता आदि विषयों पर संगोष्ठी आयोजित कर मंथन किया जाएगा। शैव महोत्सव का उद्देश्य एक ऐसा मंच तैयार करना है, जिसके माध्यम से बारह ज्योतिर्लिंगों के विषय में किसी भी स्थान पर कोई चर्चा होती है, तो धार्मिक एवं राष्ट्र उत्थान के महत्व को ध्यान में रखते हुए सभी एक साथ उस विषय पर सहमति दे सकें। महोत्सव में प्राचीन परम्पराओं तथा पद्धतियों एवं सामाजिक समरसता का ध्यान रखते हुए जातिगत भेद दूर करने का संदेश दिया जाएगा। महोत्सव में धर्म, दर्शन, कर्मकाण्ड, प्रबन्धन, पूजा-पद्धति, उपासना, परम्परा आदि का आदान-प्रदान भी होगा। बारह ज्योतिर्लिंग के सम्मेलन में शैव के अतिरिक्त अन्य मंदिरों श्री तिरूपति बालाजी, श्री वैष्णव देवी, पद्मनाभ मंदिर, द्वारका, पुरी आदि के पुजारी एवं प्रबंधन अधिकारियों के अतिरिक्त आध्यात्मिक एवं सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाएगा। मंदिर प्रबन्ध समिति द्वारा सभी मंदिरों की अनादिकाल से चली आ रही पूजा-पद्धति, उत्सवों, परम्पराओं का संग्रह कर एक पुस्तक का प्रकाशन भी होगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा शैव महोत्सव के सफल संचालन के लिए 17 उप-समितियां बनायी गई हैं। देश के बारह ज्योर्तिलिंग देश के बारह ज्योर्तिलिंग में श्री सोमनाथ मंदिर सौराष्ट्र, श्री मल्लिकार्जुन मंदिर, श्री महाकालेश्वर मंदिर, श्री ओंकारेश्वर मंदिर, श्री वैद्यनाथ मंदिर, श्री भीमाशंकर मंदिर, श्री रामेश्वरम् मंदिर, श्री नागेश्वर मंदिर, श्री विश्वनाथ मंदिर, श्री त्रयंम्बकेश्वर मंदिर, श्री केदारनाथ मंदिर और श्री घुश्मेश्वर मंदिर शामिल है। भोपाल में दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष कार्यशाला
भोपाल में 28 नवम्बर से दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष कार्यशाला शुरू हो रही है। स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह कार्यशाला का शुभारंभ इस दिन प्रात: 11.30 बजे करेंगे। कार्यशाला बागसेवनिया स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता एवं वर्तमान समय में प्रासंगिकता विषय पर परिचर्चा में राष्ट्रीय स्तर के संस्कृत एवं ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्ववान भाग लेंगे। कार्यशाला में मुख्य रूप से व्यक्ति व समाज पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव, आजीविका निर्धारण में ज्योतिष की भूमिका, रोगों के निदान एवं समाधान में ज्योतिष शास्त्र की भूमिका और प्राकृतिक आपदाओं के फलादेश में ज्योतिष की भूमिका पर विशेष रूप से चर्चा होगी। कार्यशाला का समापन 29 नवम्बर को होगा। समापन समारोह में स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह और स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री श्री दीपक जोशी मौजूद रहेंगे। समापन समारोह शाम 4 बजे होगा। भोपाल का राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान देश के 12 संस्थानों में से एक है, जहां पिछले 7 सालों से भोपाल के अक्षांश एवं देशांतर पर आधारित श्री भोजराज पंचांग तथा ज्योतिष मीमांसा शोध पत्रिका का प्रकाशन, अनुसंधान एवं प्रायोगिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ज्योतिष प्रयोगशाला की स्थापना, ज्योतिष परिचय पाठ्यक्रम एवं वस्तु परिचय पाठ्यक्रम के साथ एक वर्षीय वास्तुशास्त्र डिप्लोमा का संचालन किया जा रहा है। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का उद्देश्य संस्कृत भाषा और साहित्य का ज्ञान, ज्योतिष, वास्तु, कर्मकाण्ड आदि के अध्ययन की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ रोजगारोन्मुखि पाठ्यक्रम का संचालन करना है भोपाल में 28-29 नवम्बर को राष्ट्रीय ज्योतिष कार्यशाला
महर्षि पतंजलि संस्थान और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान द्वारा 28 एवं 29 नवम्बर, 2017 को भोपाल में दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष कार्यशाला आयोजित की जा रही है। 'ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता एवं वर्तमान समय में प्रासंगिकता' विषय पर होने वाली इस कार्यशाला में राष्ट्रीय स्तर के संस्कृत एवं ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान भाग लेंगे। स्कूल शिक्षा मंत्री कुँवर विजय शाह 28 नवम्बर को प्रात: 10.30 बजे बागसेवनिया स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय में कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का संचालन राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान का संचालन केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता है। भोपाल का राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान देश के 12 संस्थानों में से एक है, जहाँ पिछले 7 सालों से भोपाल के अक्षांश एवं देशांतर पर आधारित श्री भोजराज पंचांग तथा ज्योतिष मीमांसा शोध पत्रिका का प्रकाशन, अनुसंधान एवं प्रायोगिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ज्योतिष प्रयोगशाला की स्थापना, ज्योतिष परिचय पाठ्यक्रम एवं वास्तु परिचय पाठ्यक्रम के साथ एक वर्षीय वास्तुशास्त्र डिप्लोमा का संचालन किया जा रहा है। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का उद्देश्य संस्कृत भाषा और साहित्य का ज्ञान, ज्योतिष, वास्तु, कर्मकाण्ड आदि के अध्ययन की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम का संचालन करना है। चीन में मध्यप्रदेश के हस्तशिल्पी ने किया बाग प्रिंट कला का प्रदर्शन
विश्व भर में अपनी पहचान बना चुकी मध्यप्रदेश की बाग हस्तशिल्प कला ने चीन में भी लोकप्रियता हासिल की है। भारत की ओर से चीन में दूसरी बार बाग प्रिंट का प्रदर्शन किया गया है। हाल ही में मध्यप्रदेश के बाग प्रिंट में राष्ट्रीय एवं पुरस्कार विजेता मोहम्मद बिलाल खत्री ने ‘‘चाइना (गुझाओ) में अन्तर्राष्ट्रीय फॉक कल्चर टूरिज्म प्रोडक्ट एक्सपो-2017 में परम्परागत आदिवासी बाग प्रिन्ट हस्तकला का जीवंत प्रदर्शन किया। चीन के गुझाओ प्रांत के गुयांग शहर में हुई एक्सपो में विश्व के 50 देशों ने हिस्सा लिया। बाग प्रिन्टर्स श्री खत्री ने चीन की भौगोलिक एंव सांस्कृतिक परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए आधुनिक एंव परम्परागत परिधान डिजाइन किए थे। इन परिधानों को चीन वासियो को उनके आधुनिक परिधानों के साथ भारतीय कलेवर की परम्परागत रिमिक्स के साथ प्रस्तुत किया गया था। बाग प्रिन्ट कृतियों को चीन वासियो ने पसंद किया। फॉक एक्सपो की डायरेक्टर सुश्री सन युकि ने बाग प्रिन्ट की सराहना करते हुए बाग प्रिन्ट के कलाकारों को आगे और भी मौके दिए जाने की बात कही। मोहम्मद बिलाल खत्री चीन के दोंगयोंग में वर्ल्ड क्राफ्ट्स काउंसिल की 50 वी गोल्डन जुबली सेलीब्रेशन समिट एंव एक्जीबिशन-2014 मे भी यादगार प्रदर्शन कर चुके हैं। साथ ही रूस के कालुगा गॉव मे तीसरे अर्न्तराष्ट्रीय इथनोमिर एस्पो 2014, रूस की मॉस्को स्टेट युनिवर्सिटी फॉर द हुमनिटीज के फाईन आर्ट के स्टूडेंट्स को बाग प्रिन्ट कला की मास्टर क्लासेस देकर प्रशिक्षण दिया। वर्ष 2014, मॉस्को में इन्डिया शो 2014, रूस की सेन्ट पीटर्सबर्ग स्टेट अकादमी ऑफ आर्ट एंड डिजाईन कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी मे बाग प्रिन्ट हस्तकला की मास्टर क्लासेस 2014, बेहरीन फेस्टीवल ऑफ इंडिया-2012, ईरान के इस्फ़हान मे समुर्घ इंटरनेशनल हैंडीक्राफ्ट्स एक्जीबिशन-2016 सहित देश के कई महानगरो मे भी अपनी कला का जीवंत प्रदर्शन कर चुके हैं। इंदिरा गांधी सौहार्द्र और मिश्रीलाल गंगवाल सद्भावना पुरस्कार घोषित
राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2012 के इंदिरा गांधी साम्प्रदायिक उपद्रव रोकथाम एवं सौहार्द्र पुरस्कार और भैया श्री मिश्रीलाल गंगवाल सद्भावना पुरस्कार की घोषणा कर दी गयी है। इंदिरा गांधी साम्प्रदायिक उपद्रव रोकथाम एवं सौहार्द्र पुरस्कार के लिए श्री कवीन्द्र कियावत तत्कालीन कलेक्टर खण्डवा और श्री हरिनाराणचारी मिश्रा तत्कालीन पुलिस अधीक्षक खण्डवा का चयन किया गया है। प्रत्येक को 15-15 हजार रुपये और प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया जाएगा। इसी प्रकार भैया श्री मिश्रीलाल गंगवाल सद्भावना पुरस्कार शुभम विकलांग एवं समाज-सेवा समिति और कादम्बिनी शिक्षा एवं समाज कल्याण सेवा समिति, भोपाल को दिया जाएगा। प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये और प्रशस्ति-पत्र दिये जाएंगे। इस संबंध में पूर्व में जारी आदेश को निरस्त कर दिया गया है।
भारत भवन में बुरहानपुर उत्सव 20 से 22 नवम्बर को
बुरहानपुर की भाषा, भूषा, भोजन सहित नृत्य, संगीत और लोक-कलाओं से राजधानी भोपाल के लोगों को रू-ब-रू करवाने के लिये संस्कृति विभाग द्वारा भारत भवन में 20 से 22 नवम्बर तक प्रतिदिन शाम 6:30 बजे बुरहानपुर उत्सव किया जा रहा है। उत्सव में नृत्य, संगीत, कवि सम्मेलन, मुशायरा जैसे कार्यक्रम किए जाएंगे। साथ ही बुरहानपुर के प्रसिद्ध व्यंजन भी रसास्वादन के लिये उपलब्ध होंगे। राज्य सरकार द्वारा पहली बार किसी जिले के प्रसिद्ध कलाकारों को एक साथ भारत भवन में कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।
बुरहानपुर उत्सव में 20 नवम्बर को शहनाई वादन, शास्त्रीय गायन तथा नृत्य की प्रस्तुति होगी। दूसरे दिन 21 नवम्बर को कत्थक, गुजराती गरबा, ठिलिया पाटी के साथ ही बाँसुरी वादन, कीर्तन, भजन तथा आदिवासी नृत्य होंगे। अंतिम दिन 22 नवम्बर को कवि सम्मेलन तथा मुशायरा होगा। उत्सव में बुरहानपुर का प्रसिद्ध काँच तरंग, बंजारा नृत्य सहित हवेली संगीत, लावणी पर आधारित प्रस्तुतियां भी होंगी। उत्सव में आनंद मेला के अंतर्गत बुरहानपुरी व्यंजनों जैसे दरावा-चुड़वा, मावा जलेबी, देग वाले दाल-चावल, ज़र्दा (मीठे चावल), केला चिप्स, तुरखाटी सेंव, मसाला सेंव, प्याज के पत्ते के चावल, निमाड़ी दाल-बाटी, तली हुई उन्दीयू, वाल की सब्जी, दाल पकवान, कमल ककड़ी की सब्जी ठेसा, ज्वार की रोटी, भरित पूरी, छोटी सूरती, भाखड़ बड़ी आदि के स्टॉल भी लगाए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि बुरहानपुर में निमाड़-महाराष्ट्र की मिली-जुली संस्कृति विकसित हुई जिस पर गुजरात तथा वनवासी परम्पराओं का गहरा प्रभाव पड़ा। साथ ही राजस्थान, सिंध का असर भी यहाँ की जीवन-शैली और कला पर झलकता है। फारूकी और मुगल काल में मुशायरा, कव्वाली तथा अन्य कला अभिव्यक्तियों का चलन यहाँ रहा है जो आज भी बरकरार है। बुरहानपुर में सिखों के प्रथम गुरू नानक देव जी एवं दसवें गुरू श्री गोविन्द सिंह जी आ चुके हैं। गुरू दशमेश ने गुरूवाणी की कई रचनाएँ लिखी, उनके द्वारा कई रागों की उत्पत्ति की गई। यहाँ वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में हवेली संगीत और गुरूद्वारों में राग, जैन संप्रदाय के मंदिरों में भगवान महावीर पर लिखित रचनाएँ गायी जाती हैं। ऐसा शहर जहाँ विभिन्न पंथ समाजजनों द्वारा लोक गीत एवं संगीत और संस्कृति को सहेजा गया। प्रसिद्ध संगीतज्ञ श्री पुंडलिक विठ्ठल और मृदंगाचार्य श्री गोविंदराव बुरहानपुरकर का संबंध इस नगर से रहा। भारत रत्न पंडित श्री भीमसेन जोशी, श्री पुरणादास जी सहित गुलाम अली, अमीर खाँ साहब, अल्लारखा साहब आदि कलाकारों की कला और अदा को इस शहर की आबो-हवा ने सुना, समझा और अपनाया है।
मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में अब तक सवा पाँच लाख से अधिक तीर्थ-यात्री लाभान्वित
मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में अब तक 5 लाख 26 हजार बुजुर्ग तीर्थ-यात्रियों को तीर्थ-दर्शन करवाये गये हैं। योजना में अब तक 526 ट्रेन संचालित की गई हैं। यह जानकारी आज यहाँ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई समीक्षा में दी गई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिये कि गुरू गोविन्दसिंह जी के जन्म-स्थान पटना साहिब तथा श्रवण बेलगोला के लिये योजना की ट्रेन शीघ्र शुरू करें। बैठक में मुख्य सचिव श्री बी.पी. सिंह भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि इस वर्ष मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में 200 ट्रेन संचालित की जायें। तीर्थ-यात्रियों के लिये ऐसे रूट बनाये जायें जिसमें वे एक से अधिक स्थानों का भ्रमण कर सकें। तीर्थ-स्थान के समीप स्थित ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण स्थल का भी भ्रमण करायें। यात्रियों को तीर्थ-स्थान के विषय में संक्षिप्त जानकारी भी दें।
बैठक में बताया गया कि जारी वर्ष में योजना का लाभ दो लाख तीर्थ-यात्रियों को दिया जायेगा। योजना में पाँच वर्ष पूर्ण होने के बाद पहले यात्रा कर चुके यात्रियों को तीर्थ-यात्रा का एक अवसर और दिया जायेगा।
बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त श्री ए.पी. श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व श्री मनोज श्रीवास्तव और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री एस.के. मिश्रा सहित संबंधित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे
राष्ट्रीय लता मंगेशकर अलंकरण से गीत-संगीत क्षेत्र की तीन विभूतियाँ विभूषित वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया ने आज इंदौर में मध्यप्रदेश शासन के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान अलंकरण से सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री ऊषा खन्ना को वर्ष 2012, सुप्रसिद्ध गायक श्री उदित नारायण को वर्ष 2015 और सुप्रसिद्ध संगीतकार श्री अनु मलिक को वर्ष 2016 के लिए सम्मानित किया। अलंकरण समारोह की अध्यक्षता पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
श्री सुरेन्द्र पटवा ने की।
श्री मलैया ने इस अवसर पर कहा कि गीत-संगीत को बढ़ावा देने के लिए स्थापित इस पुरस्कार से अब तक 28 विभूतियों को सम्मानित किया जा चुका है। सम्मानित हस्तियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्होंने कहा कि यह अलंकरण समारोह हर वर्ष नियमित रूप से होना चाहिए। पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री श्री पटवा ने कहा कि प्रदेश में प्रतिभाओं को निखरने का अवसर देने के लिए प्रतिभा खोज प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है।
श्री उदित नारायण ने कहा कि लता मंगेशकर के नाम से सम्मान मिलना माँ सरस्वती का आशीर्वाद मिलने के बराबर है। श्री अनु मलिक ने कहा कि लता मंगेशकर जी के नाम से स्थापित पुरस्कार अपने-आप में सबसे बड़ा सम्मान है। सुश्री ऊषा खन्ना ने कहा कि लता मंगेशकर के नाम से पुरस्कार मिलना मेरे लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है।
महापौर श्रीमती मालिनी गौड़, विधायक श्री सुदर्शन गुप्ता, श्री रमेश मेंदोला और सुश्री ऊषा ठाकुर, इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री शंकर लालवानी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कविता पाटीदार, संभागायुक्त और आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री संजय दुबे और प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव, भी मौजूद थे।
संगीत उत्सव 21-22 अक्टूबर को भोपाल में होगा
राजधानी भोपाल में दो दिवसीय 'हदय-दृश्यम' संगीत उत्सव का आयोजन 21 अक्टूबर से किया जा रहा है। इस संगीत समारोह में पहले दिन 21 अक्टूबर को शाम 5 बजे शौर्य स्मारक पर अमन एण्ड अयान बंगस और शाम 6 बजे गौहर महल में पंडित विश्व मोहन भट्ट का कार्यक्रम होगा। इसी दिन शाम 7 बजे भारत भवन में जोए अल्वेरश और अनुराधा पाल तथा रात 9 बजे इकबाल मैदान पर धारूव संगारी का कार्यक्रम होगा।
प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि संगीत उत्सव के दूसरे दिन 22 अक्टूबर की शाम 5 बजे शौर्य स्मारक पर शैफाली एण्ड परपल स्टूडियो की प्रस्तुति और शाम 6 बजे गौहर महल परिसर में ड्रम्स ऑफ इडिया के तहत उस्ताद फजल कुरैशी की प्रस्तुति होगी। इसी दिन शाम 7 बजे भारत भवन में शबीर खान एण्ड सबरास की प्रस्तुति और रात 9 बजे इकबाल मैदान पर भूपेन्द्रर एण्ड मिताली की प्रस्तुति होगी। संगीत के रसिकों के लिए प्रवेश नि:शुल्क रहेगा।
सामाजिक संस्था 'गांधी विचार मंच' ने अनूठे ढंग से गाँधी जयंती मनाई
मुंबई। सामाजिक संस्था 'गांधी विचार मंच' द्वारा गाँधी जयंती के अवसर पर यानि २ अक्टूबर को एक कार्यक्रम का आयोजन मालाड (वेस्ट) में स्टेशन के सामने स्थित ऑफिस में किया था।संस्था 'गांधी विचार मंच' के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मनमोहन गुप्ता ने गाँधी जी के फोटो पर हारफूल चढाकर व् मिठाई बांटकर गाँधी जयंती मनाई। और इस अवसर पर गाँधी जी के ऊपर लिखी पुस्तक एम् एम् मिठाईवाला के सामने मुफ्त में जनता को वितरित किया गया। मनमोहनजी का मानना है कि इससे लोगों को गाँधीजी के बारे में और उनके विचारों के बारे में लोगों को सही जानकारी मिलेगी और जनता उनके बताये रास्ते पर चलकर देश को प्रगति के रास्ते पर लेकर जाएगी। सचमुच इससे ज्यादा अनूठे ढंग से गाँधी जयंती नहीं मनाई जा सकती है। लोग गाँधी जयंती और गाँधीजी के बारे थोड़ा बहुत जरूर जानते है लेकिन उनके बारे में और उनके विचारों के बारे में पूरी जानकारी बहुत कम लोगों को होगी। लेकिन मुफ्त में पुस्तक मिलने पर लोग उसे पढ़ेंगे और गाँधी जी के विचारों को सही ढंग से जानेंगे। इस अवसर पर सामाजिक संस्था 'गांधी विचार मंच' के सभी लोग व रितेश मेढ़िया, महेशभाई, जयप्रकाश पांडे इत्यादि उपस्थित होकर कार्यक्रम को शोभा को बढ़ाया।
१४ वां अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन राजस्थान में राकेश अचल शामिल होंगे
ग्वालियर/राजस्थान में आगामी १ से १२ अक्टूबर तक आयोजित होने वाले १४ वे अंतर् राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में शामिल होने के लिए ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यसेवी राकेश अचल ३० सितंबर को राजस्थान के लिए रवाना होंगे .ग्यारह दिन के इस सम्मेलन में देश भर के साहित्यकार शामिल हो रहे हैं. इस सम्मेलन के तहत राजस्थान के जयपुर,अजमेर,बीकानेर,माउन्ट आबू और उदयपुर में विभिन्न सत्रों का आयोजन किया जाएगा इस सम्मेलन में राजस्थान की ९ प्रमुख संस्थाएं भी शामिल होंगीं .
सम्मेलन के समन्वयक श्री जयप्रकाश मानस के अनुसार सम्मेलन का उद्घाटन प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ शरद पगारे करेंगे .उन्होंने बताया की सम्मेलन के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल अजमेर में गीत और गजल के सामर्थ्य तथा सरोकार पर अपना वक्तव्य देंगे .उल्लेखनीय है की इससे पहले ये सम्मेलन यूएई,चीन,कम्बोडिया,वियतनाम,थाईलैंड ,श्रीलंका,नेपाल और अन्य देशों में भी समपन्न हो चुके हैं .
सेंट्रल लाइब्रेरी में "हिन्दी उत्सव -2017"
युवाओं में हिन्दी की समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शासकीय मौलाना आज़ाद केन्द्रीय पुस्तकालय भोपाल आगामी शुक्रवार और शनिवार को दो दिवसीय हिन्दी उत्सव का आयोजन करने का जा रहा है । इस उत्सव में शहर के सही लोगों के लिए ओपन तीन प्रतियोगिताओं का आयोजन किता जाएगा । इन प्रतियोगिताओं में बाग लेने के लिए कोई भी व्यक्ति लाइब्रेरी आ सकता है ।
छात्र जीवन में व्हाइटअप और फेसबुक से बचना चाहिए
दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय में ओपन बुक्स ऑनलाइन की त्रैमासिक साहित्यिक संगोष्ठी दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय के सभागार में वरिष्ठ साहित्यकार रामप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में ओपनबुक्स ऑनलाईन डॉट कॉम की त्रैमासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ. विशिष्ट अतिथि ग़ज़लकार जहीर कुरेशी एवं जयप्रकाश त्रिपाठी उपस्थित रहें। बलराम धाकड़ ने ." आभासी संसार और वास्तविक संसार का साहित्य" विषय पर बीज वक्तव्य देते हुए आभासी और वास्तविक संसार के साहित्य को एक दूसरे का सम्पूरक बताया। जयप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि आभासी संसार मे साहित्य को उचित मार्गदर्शन आवश्यक है। रामप्रकाश त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आभासी संसार उत्तर आधुनिकता की देन है। जिन्हें छंद और शब्द की समझ नहीं है वह भी आभासी संसार के खुद को महाकवि मान लेते हैं। ओपन बुक्स ऑनलाइन का परिचय देते हुए कल्पना भट्ट ने कहा कि यह एक ऐसी साहित्यिक वेबसाइट हैं जो साहित्य की पाठशाला भी है और प्रकाशन भी। साहित्यिक पत्रिका कविकुम्भ की संपादिका रंजीता सिंह ने अपनी पत्रिका के विषय मे बताया।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवि गीतकार अशोक निर्मल द्वारा किया गया।
व्याख्यान के बाद काव्य पाठ हुआ।जहीर कुरेशी ने ग़ज़ल सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। मिथिलेश वामनकर ने किसान के जीवन पर आधारित ग़ज़ल सुनाई । इसके अतिरिक्त रंजीता सिंह, दिनेश प्रभात, ऋषि श्रृंगारी, ममता बाजपेयी, तिलकराज कपूर, हरिवल्लभ शर्मा, विमल कुमार शर्मा, दिनेश मालवीय, सीमा हरि शर्मा, शशि बंसल, हरिओम श्रीवास्तव, सीमा पाण्डे, अरविंद जैन, रक्षा दुबे, प्रतिभा पांडे, मोतीलाल आलम चन्द्र , अर्पणा शर्मा ने भी काव्य पाठ किया।
"मीट द ऑथर कार्यक्रम" कल स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी द्वारा क्लब लिटराटी के सहयोग से कल एक "मीट द ऑथर" कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। लखनऊ के प्रसिद्द उपन्यासकार,कवि व मोटिवेशनल स्पीकर चंद्रशेखर वर्मा इस कार्यक्रम में शहर के पाठकों से रूबरू होंगे। चंद्र शेखर वर्मा के दादाजी श्री भगवती चरण वर्मा भी हिंदी के जाने माने साहित्यकार रहे हैं। कार्यक्रम शाम 6 बजे स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में आयोजित होगा।
सबके लिए ओपन इस कार्यक्रम में शहर का कोई भी पाठक भाग ले सकता है।
नर्मदा नदी में खनन संक्रियाएँ निलंबित राज्य शासन के निर्णय के परिपालन में नर्मदा नदी के प्राकृतिक पर्यावरण के परिरक्षण और नर्मदा नदी से रेत के उत्खनन के वैज्ञानिक अध्ययन आदि कारणों से खनिज साधन विभाग द्वारा नर्मदा नदी पर स्थित रेत खदानों में खनन संक्रियाओं को आगामी आदेश तक तत्कालिक रूप से निलंबित किया गया है।
इसमें मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम द्वारा नर्मदा नदी पर संचालित रेत खदाने भी शामिल है। यह आदेश अनूपपुर, डिण्डोरी, सिवनी, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, खण्डवा, देवास, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, धार, सीहोर और रायसेन कुल 16 जिलों पर लागू होगा।
खनिज साधन विभाग द्वारा नर्मदा नदी की रेत खदानों के पट्टाधारी/ठेकेदारों को उनके स्वीकृत पट्टों/ठेकों को समय पूर्व समाप्त करने के नोटिस जारी किये गये हैं। राज्य शासन द्वारा रेत खनिज के ठेकेदारों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिये 15 दिवस का समय दिया गया है।
खजुराहो नृत्य समारोह का कथक नृत्य से हुआ शुभारंभ 43वें खजुराहो नृत्य समारोह का शुभारंभ खजुराहो में पश्चिम मंदिर समूह के पास मुक्ताकाशी मंच पर अतिथियों ने दीप जला कर किया। समारोह का शुभारंभ नई दिल्ली के कलाकार श्री अनुज मिश्रा के कथक नृत्य से हुआ। इसके बाद कोलकाता की कलाकार संचिता भटटाचार्य द्वारा ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। अंत में गुड़गाँव की जयश्री आचार्य द्वारा कथक की समूह प्रस्तुति दी गई। शुभारंभ अवसर पर प्रदेश के 10 कलाकार को 21-21 हजार रूपये के मध्य प्रदेश राज्य रूपंकर कला पुरस्कार प्रदान किये गये।
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संस्कृति मंत्री द्वारा उस्ताद जिया फरीदुद्दीन डागर के निधन पर शोक व्यक्त रामनवमी रामनवमी का त्यौहार चैत्र शुक्ल की नवमी मनाया जाता है. इस वर्ष यह त्यौहार 19 अप्रैल 2013 को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है. हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था अत: इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रुप में मनाते हैं. यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है. . रामनवमी का महत्व ‘मध्यप्रदेश की भूतपूर्व रियासतें’ प्रदर्शनी राज्य संग्रहालय में 19 से 26 मार्च तक संस्कृति विभाग के लिए 132 करोड़ से अधिक राशि का प्रावधान चंडालिका नृत्य-नाटिका का मंचन ध्रुपद की महक से जीवंत होते सुर शुभा ने बाँधा मधुर संगीत का सुरीला शमां भगवान जगन्नाथ की 135 वीं रथयात्रा शुरू मणिपुर की मिट्टी से बनीं आपातानी की मूर्तियां मानव संग्रहालय में एक और अट्रैक्शन
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