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पर्यावरण |
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देश में तेंदुओं की सर्वाधिक संख्या 3907 मध्यप्रदेश में 29 Feb 2024 केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने रिपोर्ट जारी की वन मंत्री श्री नागर सिंह चौहान ने वन्य जीव प्रबंधन की जिम्मेदारी निभा रहे विभागीय अमले को दी बधाई भोपाल।देश में तेंदुओं की सर्वाधिक संख्या 3907 मध्यप्रदेश में है। वर्ष 2018 में 3421 थी। इसके बाद महाराष्ट्र में 1985, कर्नाटक में 1,879 और तमिलनाडु में 1,070 हैं। वन मंत्री श्री नागर सिंह चौहान ने वन्य जीव संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े वन विभाग के अमले को बधाई दी है। टाइगर रिजर्व या सबसे अधिक तेंदुए की आबादी वाले स्थल- आंध्रप्रदेश के श्रीशैलम में नागार्जुन सागर और इसके बाद मध्यप्रदेश में पन्ना और सतपुड़ा हैं। यह तथ्य आज नई दिल्ली में भारत में तेंदुओं की स्थिति पर जारी रिपोर्ट में रेखांकित हुआ है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने रिपोर्ट जारी की। वन राज्य मंत्री श्री दिलीप अहिरवार ने कहा कि वन्य जीव हमारे जंगल की शान है। भारत में तेंदुओं की आबादी 13,874 (रेंज: 12,616 - 15,132) व्यक्ति होने का अनुमान है। यह 2018 में 12852 (12,172-13,535) व्यक्तियों के समान क्षेत्र की तुलना में स्थिर आबादी का प्रतिनिधित्व करती है। यह अनुमान तेंदुए के निवास स्थान की 70 प्रतिशत आबादी को दर्शाता है। इसमें हिमालय और देश के अर्धशुष्क हिस्सों का नमूना नहीं लिया गया है, क्योंकि यह बाघों का निवास स्थान नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि पांचवें चक्र में तेंदुओं की आबादी का अनुमान राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा, राज्य वन विभागों के सहयोग से किया जा रहा है। चतुर्वर्षीय "बाघों की निगरानी, शिकारियों, शिकार और उनके आवास की निगरानी" अभ्यास के एक भाग के रूप में यह प्रयास किया गया था। इससे बाघ संरक्षण प्रयासों को गति मिली है। मध्य भारत में तेंदुओं की आबादी की स्थिर या थोड़ी बढ़ती दिखाई देती है (2018: 8071, 2022: 8820), शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानी इलाकों में गिरावट देखी गई (2018: 1253, 2022: 1109)। यदि हम उस क्षेत्र को देखें जिसका पूरे भारत में 2018 और 2022 दोनों में नमूना लिया गया था, तो प्रतिवर्ष 1.08 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानों में, प्रतिवर्ष -3.4 प्रतिशत की गिरावट हो रही है, जबकि सबसे बड़ी वृद्धि दर मध्य भारत और पूर्वी घाट में 1.5 प्रतिशत थी। भारत में तेंदुए की आबादी के आकलन का पांचवां चक्र (2022) 18 बाघ राज्यों के भीतर वन आवासों पर केंद्रित है, जिसमें चार प्रमुख बाघ संरक्षण परिदृश्य शामिल हैं। 2000 एमएसएल (30 प्रतिशत क्षेत्र) से ऊपर गैर-वन निवास, शुष्क और उच्च हिमालय में तेंदुए के लिए नमूना नहीं लिया गया था। इस चक्र के दौरान शिकार के अवशेषों और शिकार की बहुतायत का अनुमान लगाने के लिए 6,41,449 किमी तक पैदल सर्वेक्षण किया। कैमरा ट्रैप को रणनीतिक रूप से 32,803 स्थानों पर रखा गया था, जिससे कुल 4,70,81,881 तस्वीरें आईं और इनमें से तेंदुए की 85,488 तस्वीरें प्राप्त हुईं। ये निष्कर्ष तेंदुए की आबादी के संरक्षण में संरक्षित क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं। जबकि बाघ अभयारण्य महत्वपूर्ण गढ़ों के रूप में काम करते हैं, संरक्षित क्षेत्रों के बाहर संरक्षण अंतराल को संबोधित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। संघर्ष की बढ़ती घटनाएं तेंदुओं और समुदायों दोनों के लिए चुनौतियां पैदा करती हैं। चूँकि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर तेंदुओं का जीवित रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, आवास संरक्षण को बढ़ाने और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए सरकारी एजेंसियों, संरक्षण संगठनों और स्थानीय समुदायों को शामिल करनेवाले सहयोगात्मक प्रयास आवश्यक हैं। तेंदुआ एक रहस्यमय प्राणी है, जो गरिमा का अनुभव प्रदान करता है और भारत में अपने क्षेत्र में बढ़ते खतरों का सामना कर रहा है। उनके प्राकृतिक आवास को नुकसान, मानव-वन्यजीव संघर्ष और अवैध शिकार के बीच, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने तेंदुए की आबादी के आकलन के पांचवें चक्र का आयोजन किया, जिससे इन मायावी बड़ी बिल्लियों की स्थिति और प्रवृत्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त की गई। बाघ रेंजवाले राज्यों और विविध परिदृश्यों को शामिल करते हुए, व्यापक सर्वेक्षण में तेंदुए की बहुतायत का आकलन करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके मजबूत वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान कैमरा ट्रैपिंग, आवास विश्लेषण और जनसंख्या के संयोजन की एक सावधानीपूर्वक प्रक्रिया के माध्यम से, तेंदुओं के वर्गीकरण और संरक्षण चुनौतियों में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि का पता चला। पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रतिदिन पौधरोपण संकल्प के 3 वर्ष पूरे संकल्प के 3 साल पूरे होने पर कल रविन्द्र भवन में आयोजित होगा पर्यावरण सम्मेलन पर्यावरण सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा, मंत्री श्री प्रहलाद पटेल समेत कई नेता होंगे शामिल 19 Feb 2024 भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रतिदिन पौधरोपण के संकल्प को 3 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। पर्यावरण संरक्षण के तीन साल पूरे होने पर मंगलवार को भोपाल के रविन्द्र भवन में प्रातः 11 बजे पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में देश भर के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होंगे। श्री चौहान ने 19 फरवरी 2021 को नर्मदा जयंती के दिन अमरकंटक में प्रतिदिन पौधरोपण का संकल्प लिया था और अमरकंटक के शंभू धारा में पहला पौधा रौपा था। पूर्व मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण को जीवन का मिशन बनाकर प्रतिदिन पौधरोपण के संकल्प को जारी रखा है। इसी कड़ी में पौधरोपण को जन-जन का अभियान बनाने के लिए पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने 1095 दिन में लगाए 3238 से अधिक पौधे 19 फरवरी 2021 को नर्मदा जयंती के अवसर पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अमरकंटक में गुल बकावली और साल का पौधा लगाकर प्रतिदन पौधरोपण का प्रण लिया था, तब से अब तक हर दिन तीन पौधे के हिसाब से 1095 दिनों में 3238 पौधे लगाए हैं, उनके साथ अब तक 2000 से अधिक लोग पौधरोपण कर चुके है। हैं। संकल्प के तीन साल पूरे होने पर देश के जाने माने लोगों ने भेजी शुभकामनाएं पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रतिदिन पौधरोपण संकल्प के तीन साल पूरे होने पर देश-प्रदेश के प्रमुख लोगों ने अपनी शुभकामनाएं भेजी हैं। प्रसिद्ध गीतकार श्री शंकर महादेवन, शान, श्री नीति मोहन, श्री मनोज मुंतशिर ने वीडियो जारी कर शुभकामनाएं दी हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा जी, हार्टफुलनेस के प्रमुख श्री कमलेश डी पटेल दाज जी, करणाधाम प्रमुख श्री सुदेश शांडिल्य जी महाराज समेत कई पर्यावरणविदों ने शिव संकल्प के तीन साल पूरे होने पर बधाई संदेश भेजा है। प्रतिदिन पौधरोपण से स्मार्ट सिटी पार्क हो रहा हराभरा पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के पौधरोपण के आह्वान के बाद, जनवरी 2022 से श्यामला हिल्स स्थित स्मार्ट सिटी उद्यान में अपने जन्मदिवस, विवाह वर्षगांठ या परिजनों की स्मृति में पौधे लगाने के लिए आने वाले लोगों की संख्या बढ़ती चली गई। पूर्व मुख्यमंत्री ने अधिकतर पौधे स्मार्ट सिटी उद्यान में ही लगाए हैं, निरंतर पौधरोपण होने से आज स्मार्ट सिटी पार्क हराभरा दिखाई देता है। कल भी पर्यावरण सम्मेलन में विभिन्न अतिथि 108 पौधे स्मार्ट सिटी पार्क में लगाएंगे। स्मार्ट सिटी पार्क में श्री चौहान ने पारिजात, सप्तपर्णी, अशोक, कदम्ब, हरसिंगार, बेल पत्र, मौलश्री, शीशम, मुनगा, करंज, गुलमोहर, कचनार, हर्र, मधुकामिनी, अर्जुन, नीम, आंवला, विलायती इमली, हल्दू, नीला गुलमोहर, बॉटल ब्रश, कपूर आदि के पौधे लगाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने 16 राज्यों एवं देश-विदेश के लोगों के साथ किया पौध-रोपण पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, गुयाना गणराज्य के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफ़ान अली, सूरीनाम गणराज्य के राष्ट्रपति श्री चंद्रिकाप्रसाद संतोखी के साथ भी पौधरोपण किया। पूर्व मुख्यमंत्री ने अन्य राज्यों के प्रवास के दौरान लगभर 16 अलग अलग राज्यों में भी पौधरोपण किया। पूर्व मुख्यमंत्री की अपील से मैं से हम में बदला पौधरोपण अभियान पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रतिदिन पौधरोपण के संकल्प के बाद प्रदेशवासियों से भी पौधरोपण की अपील की। सभी अपने जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ, परिजनों की स्मृति सहित अन्य शुभ अवसरों पर पौधरोपण जरूर करें। उनके आह्वान के परिणामस्वरूप राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश में पौधरोपण की गतिविधि को विस्तार मिला। श्री चौहान की अपील के बाद देश एवं प्रदेश में यह परंपरा बन गई है। धीरे-धीरे इस अभियान ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि तीन साल में लाखों की संख्या में पौधरोपण हुआ और कई अन्य लोगों ने भी अपने जन्मदिवस व अन्य शुभ अवसरों पर पौधरोपण करने का संकल्प लिया। इस तरह श्री चौहान का व्यक्तिगत प्रण, समाज का प्रण बन गया। पर्यावरण सम्मेलन होगा खास कई गणमान्य जन होंगे शामिल पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के पौधरोपण संकल्प के 3 साल पूरे होने पर आयोजित रविन्द्र भवन में मंगलवार को आयोजित होने वाला पर्यावरण सम्मेलन कई मायनों में विशेष रहने वाला है। जहां कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण एवं संरक्षण को लेकर विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की जाएगी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा, ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री श्री प्रहलाद पटेल के साथ कई नेताओं के साथ ही कार्यक्रम में हार्टफुलनेस संस्था के प्रमुख श्री कमलेश डी पटेल दाजजी, जानेमाने पर्यावरणविद श्री अनिल प्रकाश जोशी, गीतकार श्री समीर अनजान के साथ कई पर्यावरण कई जाने माने पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ साथ, पतंजलि परिवार, गायत्री परिवार, रामकृष्ण परिवार समेत कॉलेज के छात्र, रहवासी समिति के सदस्य, व्यापारी संघ, लॉयंस क्लब, कर्मचारी संघ, चैम्बर ऑफ कॉमर्स, सभी समाज के पदाधिकारी, रामकृष्ण मिशन, मराठी, किरार, कुणबी समाज, संस्कार भारतीय विध्यापीठ, कटारा पौधरोपण, भाजपा के सदस्य, युवा मोर्चा के सदस्य, नर्मदा सेवा समिति और पौधरोपण कार्य में जुटे हुए सभी एनजीओ के सदस्य मुख्य रूप से सम्मिलित होंगे। विश्व पर्यावरण दिवस के नाम 13 Feb 2024 भोपाल।वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में छात्र-छात्राओं में वन, वन्यप्राणियों एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता तथा प्रकृति संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने की दृष्टि से भोपाल शहर एवं उसके आस-पास के ग्रामों के शासकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिये एक दिवसीय नेचर कैम्प आयोजित किये जा रहे हैं। इसी क्रम में आज दिनांक 13.फरवरी को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस आवासीय वालिका छात्रावास दीपशिखा स्कूल टी.टी. नगर भोपाल के 50 छात्रों एवं 02 शिक्षकों ने उक्त नेचर कैम्प में भाग लिया। कार्यक्रम में स्रोत व्यक्ति रूप में भोपाल बर्ड्स से भो, खालिक उपस्थित रहे। विषय विशेषज्ञ द्वारा प्रतिभागियों को पक्षी दर्शन, तितली, कन्यप्राणी दर्शन, स्थल पर विद्यमान वानिकी गतिविधियों की जानकारी, वन, वन्यप्राणी व पर्यावरण से संबधित रोचक गतिविधियों कराई गई एवं जानकारी प्रदान कर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया गया। वन विहार के विभिन्न स्थलों पर विद्यमान वानिकी गतिविधियों की जानकारी, वन, वन्यप्राणी व पर्यावरण से संबंधित जानकारी प्रदान कर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया गया। इसके अतिरिक्त बाघ, तेंदुआ, भालू, मगर, घड़ियाल, चीतल, सांभर, नीलगाय आदि वन्यप्राणियों का भी अवलोकन किया। इस दौरान श्री एस. के. सिन्हा, सहायक संचालक वन विहार, श्री रविकांत जैन इकाई प्रभारी पर्यटन एवं श्री विजयबाबू नंदवंशी बायोलॉजिस्ट तथा अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे। विश्व पर्यावरण दिवस के नाम 5 Jun 2023 भोपाल। एकांत पार्क नये भोपाल के हृदय स्थल में स्थित एक शहर का जंगल है। प्रसिद्ध चार इमली की ढाल से शुरू होकर शाहपुरा झील तक यह पार्क 80 एकड़ में फैला हुआ है। यह पार्क 1996 में 2.44 करोड़ की लागत से कैपिटल प्रोजेक्ट अथॉरिटी द्वारा विकसित किया गया था। यह भोपाल के निवासियों के लिए वॉकिंग और जॉगिंग के लिए बहुत लोकप्रिय है। मैं विगत 20 वर्षों से इस पार्क में वॉकिंग कर रहा हूँ। एकॉंत पार्क का वन क्षेत्र tropical dry deciduous forest है। यहाँ पर कुल 96 tree species हैं जो 80 genera से संबंधित हैं। यहाँ पर अनेक पक्षी और reptilian species के प्राणी हैं। पार्क के एक बड़े क्षेत्र में चमगादड़ों की कॉलोनी है। सीवेज शुद्धिकरण की प्राकृतिक व्यवस्था यहाँ पर है। इतना सुंदर स्थान होने के पश्चात भी यहाँ की कुछ गंभीर समस्याएं हैं जिन पर शासन और प्रशासन के उत्तरदायी लोगों को ध्यान देना चाहिए। १- पानी के निकास के प्राकृतिक बहाव अब गंदे नालों में परिवर्तित हो चुके हैं। यह इस पार्क की सबसे बड़ी समस्या है। ये नाले देखने में ख़राब लगने के अतिरिक्त दुर्गंध भी उत्पन्न करते हैं जो वॉकिंग और जॉगिंग करने वालों के लिए ख़तरनाक भी हो सकती है। इन नालों को ऊपर से कांक्रीट स्लैब से ढकने की आवश्यकता है और इन कांक्रीट स्लैब के ऊपर मिट्टी डालकर वनस्पति के लिए छोड़ देना चाहिए। २- इस पार्क में प्लास्टिक और गुटके आदि के रैपर जगह जगह बिखरे रहते हैं जिन्हें तत्काल उठाने की आवश्यकता है। ऐसी चीज़ें लेकर आने वाले व्यक्तियों को सचेत करना आवश्यक है। प्लास्टिक के थोड़े से टुकड़े भी यहाँ की नैसर्गिक सुन्दरता पर धब्बा लगा देते हैं। ३- पार्क में बड़ी संख्या में कुत्ते घूमते रहते हैं और ये यहाँ के स्थायी निवासी हो चुके हैं। कुछ लोग तो इन्हें भोजन भी खिलाते हैं। इन कुत्तों के पूरे वंश को यहाँ से नगर निगम द्वारा हटाया जाना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि कुत्तों का घूमना न केवल इस पार्क की शोभा को प्रभावित करता है अपितु यह लोगों के लिए भी ख़तरा हो सकता है। आशा है यह खुला पत्र संबंधित अधिकारियों को कोई कारगार और स्थायी कार्रवाई करने में सहायक होगा। वन्य-प्राणी बाघ एवं तेंदुए के 8 शिकारियों को किया गिरफ्तार 4 Jun 2023 भोपाल। टाइगर स्ट्राइक फोर्स जबलपुर और भोपाल के दल द्वारा संयुक्त कार्यवाही कर राष्ट्रीय पशु बाघ एवं वन्य प्राणी तेंदुआ का शिकार कर उनके अवयवों का अवैध व्यापार करने वाले 2 गिरोह के 8 आरोपी को अभिरक्षा में लिया गया है। इनमें एक पूर्व सरपंच और एक जनशिक्षक शामिल है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री जे.एस. चौहान ने बताया कि आरोपियों के पास से बाघ की खाल एक नग, तेन्दुए की खाल एक नग और 2 नग पंजे बरामद किए गए। इनमें से 4 आरोपी बाघ के खाल के अवैध व्यापार और 4 आरोपी तेन्दुए की खाल एवं पंजो के अवैध व्यापार से लिप्त थे। इन आरोपियों के विरूद्ध वन्य प्राणी-संरक्षक अधिनियम 1972 की यथा संशोधित 2022 की विभिन्न सुसंगत धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं। "सिग्नेचर कैम्पेन" में 38 पर्यटकों ने ली शपथ 12 May 2023 भोपाल। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल स्थित स्नेक पार्क में हुए "सिग्नेचर कैम्पेन" में 38 पर्यटकों को शपथ दिलाई गई। इन पर्यटकों ने पर्यावरण की रक्षा के लिए निर्धारित 7 बिन्दु को अपनी जीवन शैली में दायित्व निभाने का संकल्प भी लिया। बायोलॉजिस्ट श्री विजय बाबू नंदवंशी ने मिशन लाईफ कैम्पेन संबंधी अहम जानकारी से अवगत भी कराया। वन विभाग के खिलाड़ियों ने 90 पदक हासिल कर बढ़ाया प्रदेश का गौरव : वन मंत्री डॉ. शाह 10 May 2023 भोपाल। वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा है कि भारतीय वन खेलकूद प्रतियोतिगता में प्रदेश के वन विभाग के खिलाड़ियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर 90 पदक हासिल किए और मध्यप्रदेश का गौरव बढ़ाया है। वन मंत्री डॉ. शाह संभागीय वन विश्राम गृह के सभागार में विजेता खिलाडियों को सम्मानित कर रहे थे। वन मंत्री डॉ. शाह ने कहा कि वन विभाग के खिलाड़ी हर बार राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। पंचकुला (हरियाणा) में हुई 26वीं अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता में प्रदेश में 190 सदस्यीय दल को भेजा गया था। खिलाड़ियों ने विभिन्न खेलों में 34 स्वर्ण, 32 रजत एवं 24 कांस्य पदक प्राप्त कर नया इतिहास रचा है। इसके अलावा 24 खिलाड़ियों ने चौथा स्थान भी प्राप्त किया। अपर मुख्य सचिव वन श्री जे.एस. कंसोटिया, प्रधान वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री रमेश कुमार गुप्ता ने सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री अरविन्द्र कुमार जैन की प्रतियोगिता में विशिष्ट भूमिका की प्रशंसा की और उन्होंने उम्मीद की कि भविष्य में भी पदकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। सफल सिद्ध हो रही चीता परियोजना चौरागढ़ पहुँचने के लिए रोप-वे का प्रस्ताव वन्य-प्राणी संरक्षण क्षेत्र में हो रहा अच्छा कार्य : मुख्यमंत्री श्री चौहान मंत्रालय में हुई म.प्र. राज्य वन्य-प्राणी बोर्ड की 24वीं बैठक 21 April 2023 भोपाल.मध्यप्रदेश में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाकर मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान, श्योपुर में बसाए गए चीतों का व्यवहार सामान्य है और वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। विशेषज्ञों द्वारा चीतों की निगरानी का कार्य 24 घंटे किया जा रहा है। चीता परियोजना सफल सिद्ध हो रही है। चार शावक भी जन्मे हैं। चीता मित्रों सहित स्थानीय निवासी वन्य पर्यटन से आर्थिक रूप से लाभान्वित भी होने लगे हैं। राज्यवार बाघों की संख्या के आंकड़े जुलाई 2023 तक आने की संभावना है। कान्हा टाइगर रिजर्व में 27 से 29 अप्रैल को वन्य-प्राणी संरक्षण और प्रबंधन पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी होगी, जिसमें अनेक विषय-विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज मंत्रालय सभाकक्ष में मध्यप्रदेश राज्य वन्य-प्राणी बोर्ड की बैठक में यह जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में वन्य-प्राणी संरक्षण क्षेत्र में अच्छा कार्य हो रहा है। वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, विधायक श्री संजय शाह सहित बोर्ड के सदस्य, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव वन श्री जे.एन. कंसोटिया और वरिष्ठ प्रशासनिक एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में कूनो पालपुर में चीता परियोजना, माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की पुनर्स्थापना और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बारहसिंघा स्थापना से संबंधित विषयों पर चर्चा हुई। विभिन्न क्षेत्रों में यातायात, संचार, ऊर्जा और पेयजल सहित विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए बोर्ड द्वारा आवश्यक स्वीकृति भी प्रदान की गई। बताया गया कि नर्मदापुरम जिले में पचमढ़ी में सतपुड़ा अंचल के प्रमुख श्रद्धा स्थल चौरागढ़ तक रोप-वे की स्थापना के लिए पहल की गई है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस विषय पर संबंधित पक्षों पर विचार करने के बाद आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। महावत के पद भरने और उन्हें विद्यालयीन शिक्षा के बिना भी हुनरमंद और शिक्षित मानकर प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक प्रावधान करने पर चर्चा हुई। अखिल भारतीय बाघ गणना अखिल भारतीय बाघ गणना संबंधी जानकारी में बताया गया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गत 9 अप्रैल को कर्नाटक के मैसूर में अखिल भारतीय बाघ सह-परभक्षी गणना अनुमान 2022 का विमोचन किया है। इसके अनुसार मध्य भारत भू-भाग में बाघों की संख्या में सबसे ज्यादा वृद्धि की बात सामने आई है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत भी है कि मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। राज्यवार बाघों की संख्या के आँकड़े विधिवत रूप से जुलाई 2023 में आने की संभावना है।मध्यप्रदेश के 6 टाइगर रिजर्व हैं बेहतर श्रेणी में बताया गया कि 4 वर्ष के अंतराल में देश के सभी टाइगर रिजर्व में प्रबंधन और प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाता है। यह मूल्यांकन भारत सरकार विषय-विशेषज्ञों से करवाती है। मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व बेहतर श्रेणियों में शामिल हैं। वर्ष 2022 की मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के 2 टाइगर रिजर्व कान्हा और सतपुड़ा को उत्कृष्ट श्रेणी में, पेंच, बांधवगढ़ और पन्ना टाइगर रिजर्व को बहुत अच्छी श्रेणी में और संजय टाइगर रिजर्व को अच्छी श्रेणी में रखा गया है। बैठक में बुरहानपुर, हरदा और ओंकारेश्वर अभयारण्य के गठन के प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई। बोर्ड की पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों और उनके क्रियान्वयन का ब्यौरा दिया गया।जी-20 देशों के प्रतिनिधियों ने बाघ संरक्षण और प्रबंधन की प्रशंसा की जानकारी दी गई कि मध्यप्रदेश के विश्व धरोहर स्थल खजुराहो में गत फरवरी माह में जी-20 शिखर सम्मेलन में आए 20 देश के डेलीगेट्स ने पन्ना टाइगर रिजर्व में भ्रमण कर बाघ के दर्शन किए और यहाँ किए गए बाघ संरक्षण एवं प्रबंधन की प्रशंसा की।प्रदेश से 200 टन महुआ 110 रूपये प्रति किलो की दर से लंदन होगा निर्यात 16 April 2023 भोपाल.वन विभाग के सहयोग से मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ की प्रतिबद्धता और अथक प्रयासों से प्रदेश से 200 टन महुआ 110 रूपये प्रति किलो के भाव से लंदन निर्यात किए जाने का अनुबंध हुआ है। यह अनुबंध पिछले साल के अंत में 9वें अंतर्राष्ट्रीय वन मेला में लंदन की M/S O- Forest की भारतीय इकाई मधुवन्या के साथ हुआ। राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री पुष्कर सिंह ने बताया कि महुआ से पृथक से तीन गुना मुनाफा प्राप्त होगा। अनुबंधित महुआ की आपूर्ति वर्ष 2023 में की जाएगी। इसके लिए उमरिया, अलीराजपुर, नर्मदापुरम, सीहोर, सीधी और खण्डवा जिला यूनियन के साथ एग्रीमेंट साइन किए जा रहे है। नर्मदापुरम के सहेली वन धन विकास केन्द्र द्वारा पिछले वर्ष 18 क्विंटल खाद्य ग्रेड महुआ लंदन निर्यात किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि वनमंडल में महुआ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 35 रूपये प्रति किलो है। लघु वनोपज की इस अद्भुत पहल से 35 रूपये प्रति किलो का महुआ 110 रूपये प्रति किलो की दर से निर्यात किया जाएगा। खाद्य ग्रेड महुआ नेट के माध्यम से संग्रहीत लघु वनोपज संघ द्वारा खाद्य ग्रेड महुआ को नेट के माध्यम से संग्रहीत कराया जाएगा। इसके लिए संग्राहकों को प्रक्रिया का प्रशिक्षण भी दिया गया है। संग्राहकों को नेट वितरण जिला यूनियन से होगा। इस विधि से संग्रहीत महुआ का फूल मिट्टी और खरवतवार रहित होते है। इससे गुणवत्ता पूर्ण महुआ संग्रहण करने से बाजार में उनकी खासी कीमत प्राप्त होती है।मुख्य मार्गों के साथ गली-मोहल्लों को भी स्वच्छ बनायें 27 March 2023 भोपाल : पर्यावरण मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग ने कहा है कि नगरीय प्रशासन, शहर के मुख्य मार्गों की सफाई के साथ गली-मोहल्लों की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान दें। प्रदूषण नियंत्रण में इसका काफी प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण से संबंधित अधिकांश साहित्य अंग्रेजी भाषा में हैं। लोगों को पर्यावरण का महत्व, संरक्षण और उपाय सरल ढ़ंग से उनकी भाषा में समझाएं। मंत्री श्री डंग ने यह बात सोमवार को भोपाल में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की केन्द्रीय नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम अंतर्गत एक दिवसीय कार्यशाला में कही। इसमें एनसीएपी में शामिल मध्यप्रदेश के 7 शहर- भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, उज्जैन और देवास के नगर पालिक निगम आयुक्त, जिला पुलिस अधीक्षक, सिटी लेवल इंप्लिमेंटेशन कमेटी के स्टेक होल्डर्स और विभिन्न विभागों के अधिकारी भाग ले रहे हैं। मंत्री श्री डंग ने कहा कि पर्यावरण विभाग द्वारा नगर निगमों को पर्यावरण-संरक्षण के लिए 36 करोड़ रूपये की राशि दी गई है। अच्छा काम करने पर यह राशि बढ़ाई जा सकती है। नगर निगम विभिन्न विभागों के समन्वय से वायु गुणवत्ता सुधार में सामूहिक प्रयास करें। शहरों के अलावा गाँव और कस्बों में भी जागरूकता बढ़ाएँ। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में आरंभ पर्यावरण-संरक्षण के अंकुर कार्यक्रम में अब तक 5 करोड़ पौध-रोपण हो चुका है, इसका आने वाले समय में बड़ा लाभ मिलेगा। प्रमुख सचिव पर्यावरण श्री गुलशन बामरा ने कहा कि शहरों में वायु प्रदूषण औद्योगिकीकरण, निर्माण कार्य, घूल-कण और लकड़ी-कचरा आदि जलाने तथा वाहनों के धुएँ आदि से होता है। इनको नियंत्रित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो नगर निगम शहर के वायु गुणवत्ता सुधारने का कार्य नहीं करेंगे उनकों मिलने वाली राशि में कटौती की जायेगी। वहीं अच्छा काम करने वालों की राशि में वृद्धि भी की जा सकेगी। कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञों और आईआईटी कानपुर के डॉ. मुकेश शर्मा ने "भारत में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम", एआरएआई पुणे के श्री मौक्तिक बावसे ने "सोर्स एपोर्शनमेंट स्टडी एण्ड एमिशन इनवेन्टरी ऑफ भोपाल सिटी" और सीआईआई नई दिल्ली के श्री शिखर जैन ने "एयरशेड वेसिन एण्ड सोर्स एपोर्शनमेंट स्टडी ऑफ इंदौर सिटी" पर प्रस्तुतिकरण दिया। सभी 7 शहर के नगर निगम आयुक्त ने अपने क्षेत्र के वायु गुणवत्ता सुधार के लिए किये जा रहे कार्यों और अनुभवों को साझा किया। सदस्य सचिव मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड श्री चन्द्रमोहन ठाकुर, संचालक श्री ए. मिश्रा, अपर आयुक्त नगर निगम भोपाल श्री अवधेश शर्मा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। संगीता पटेल ने नर्मदा किनारे पर्यावरण संतुलन के लिए रोपे हजारों पौधे 27 March 2023 धार धार जिले के छोटे से गांव नवादपुरा में रहने वाली संगीता पटेल ने नर्मदा किनारे के क्षेत्र को पुन: हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया है। सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर में हजारों पेड़-पौधे डूब गए थे। इससे क्षेत्र में होने वाले जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण असंतुलन को रोकने के लिए संगीता सात वर्ष से गांव और आसपास की नर्मदा किनारे की पहाड़ियों पर चार हजार से अधिक पौधे लगाकर पेड़ बना चुकी हैं। साथ ही उनके मार्गदर्शन में क्षेत्र में 20 हजार से अधिक पौधों का रोपण किया जा चुका है। कुक्षी तहसील का नर्मदा से महज पांच किमी की दूरी पर बसा है आदर्श गांव नवादपुरा। 36 वर्षीय संगीता पटेल महज प्राथमिक स्तर तक शिक्षित हैं। 20 हजार पौधे रोपे, जिनमें से कई बन गए पेड़ साल 2017 में गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर में क्षेत्र में बड़ी संख्या बड़े पेड़ और पौधे डूब गए थे। इससे क्षेत्र में तापमान एक से दो डिग्री बढ़ा। इससे आगामी समय में जलवायु परिवर्तन पर भी प्रभाव पड़ना था। इस चिंता को लेकर संगीता ने खुद लगभग चार हजार पौधे रोपे। साथ ही परिवार की निजी पाइप लाइन से नर्मदा नदी का पानी इन पौधों को सिंचाई के लिए उपलब्ध करवा रही हैं। उन्होंने गांव की 20 महिलाओं और ग्रामीणों के सहयोग से शासन की भागीदारी से क्षेत्र के नर्मदा किनारे वीरान पहाड़ियों पर 20 हजार पौधे रोपे हैं, जिसमे से अब कई पेड़ बन चुके हैं और क्षेत्र में पर्यावरण संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं।महिला पंचायत का गौरव, अब मोटे अनाज की ओर बढ़ाए कदम संगीता पटेल और उनकी टीम ने जिस प्रकार गांव में पर्यावरण संरक्षण के कार्य किए हैं, उसका प्रतिफल यह भी मिला कि साल 2022 में पंचायत चुनाव में उनके मार्गदर्शन में पहली बार ग्राम में महिला पंचायत निर्विरोध चुनी गई। इस गांव में प्लास्टिक डिस्पोजल प्रतिबंधित है। अब वे गोशाला में गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की आगामी मुहिम पर कार्य करेंगी, जिससे जलाऊ लकड़ी के नाम से पेड़-पौधों की कटाई रुक सके। गांव में मोटे अनाज पैदा करने के लिए महिलाओं का यह समूह आगे आया है। जैविक खाद, दवाइयों के साथ जैविक मोटे अनाज को लेकर गांव में छह एकड़ में पैदावार की जा रही है। जैविक खाद से महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर संगीता पटेल और उनकी महिला साथी पर्यावरण को लेकर मृदा संरक्षण पर भी कार्य कर रही हैं। उनकी टीम यहां की शासकीय गोशाला में गाय के गोबर से जैविक खाद और दवाइयां तैयार करती है। गाय के गोबर से दीपावली पर दीपक तोरण और गणेश चतुर्थी पर गोबर से बनी मूर्तियां बाजार में बेचती हैं, जिससे पिछड़ा वर्ग और आदिवासी समुदाय से जुड़ी महिलाओं की आय में वृद्धि होने से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। पर्यावरण संरक्षण के कार्य के साथ आय भी हो रही है। मंत्री श्री चौहान के साथ साईकिल यात्रियों ने किया पौध-रोपण 20 February 2023 वृक्षा-रोपण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लखनऊ से साइकिल यात्रा पर निकले हैं दो युवा मुख्यमंत्री ने बरगद, खिरनी और सारिका इंडिका के पौधे लगाए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने श्यामला हिल्स स्थित उद्यान में बरगद, खिरनी और सारिका इंडिका के पौधे लगाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ किशोर कुमार संगीत अकादमी भोपाल की श्रीमती अंजना मालवीय ने अपने जन्म-दिवस पर पौध-रोपण किया। डॉ. राजेश कुमार मालवीय, डॉ. पवन, डॉ. स्वतंत्र चौरसिया, डॉ. नयन राम, कुमारी राजान्शी तथा बालक ऋदम साथ थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश के श्री सुंदरम तिवारी तथा श्री ऋतुराज ने भी पौधे लगाए। दोनों युवा वृक्षा-रोपण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लखनऊ से साइकिल यात्रा पर निकले हैं। वे अपनी यात्रा के दौरान स्कूल, कॉलेजों के विद्यार्थियों तथा सामाजिक संगठनों को वृक्षा-रोपण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इनके द्वारा अब तक लगभग 14 हजार किलोमीटर की यात्रा की जा चुकी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दोनों युवाओं को सुरक्षित यात्रा के लिए शुभकामनाएँ देते हुए वृक्षा-रोपण के पुनीत कार्य को निरंतर जारी रखने के लिए प्रेरित किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ श्री ऋषभ राय ने भी अपने जन्म-दिवस पर पौध-रोपण किया। श्री ओमप्रकाश राय और श्री ऋतिक राय भी साथ थे। शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण मंत्री श्री पी.सी. शर्मा शिवाजी जयंती पर भोपाल के लिंक रोड नम्बर-वन पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। पार्षद श्री अमित शर्मा और कुणवी पाटील समाज समिति के पदाधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रधानमंत्री श्री मोदी के पर्यावरण-संरक्षण के अभियान में मध्यप्रदेश अग्रणी रहेगा : मुख्यमंत्री श्री चौहान 19 February 2023 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और मंत्रि-परिषद के सदस्यों ने आज राजा भोज विमानतल परिसर में प्रकृति की सेवा संकल्प के 2 वर्ष पूर्ण होने पर विशाल वृक्षारोपण कार्यक्रम में पौधे लगाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान के नियमित पौध-रोपण के संकल्प और उसके क्रियान्वयन के 2 वर्ष पूर्ण होने पर यह कार्यक्रम किया गया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी क्लाईमेट चेंज के खतरों को कम करने के लिए पर्यावरण-संरक्षण का अभियान संचालित कर रहे हैं। उनका मानना है कि हमें धरती को किसी भी तरह बचाना है। इसके लिए पौध-रोपण का अभियान निरंतर चलना चाहिए। भोजन की तरह ऑक्सीजन भी मनुष्य की आवश्यकता है। एक पेड़ पर न जाने कितनी जिन्दगियाँ पलती हैं। पेड़ छाँव देने के साथ ही पक्षियों का बसेरा और असंख्य कीट-पतंगों का आश्रय स्थल और जीवन का आधार हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य का ध्यान रखते हुए विभिन्न स्तर पर पर्यावरण बचाने का कार्य कर रहे हैं। उनके संकल्प के अनुरूप मध्यप्रदेश अग्रणी भूमिका का निर्वाह करेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सांसों का प्रबंध हमें ही करना है। यह धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए तैयार हो, इसलिए हम सभी का कर्त्तव्य है पौधे लगाएं। हम पेड़ लगाते हैं तो इनसे हमें ही ऑक्सीजन मिलती है। मध्यप्रदेश को हरा-भरा रखने का संदेश दें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में पौधे लगाने के अभियान में मीडिया का काफी सहयोग रहा है और इसके लिए मीडिया के बंधुओं का हम सभी आभार व्यक्त करते हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 2 वर्ष में प्रतिदिन किए गए पौध-रोपण की विस्तृत जानकारी दर्शाने वाली सचित्र पुस्तिका का विमोचन किया। इसकी ई-कॉपी mpinfo.org पर देखी जा सकती है। सबसे बड़ा मानव निर्मित वन बनेगा, श्रीराम आस्था मिशन ने देखभाल लिया दायित्व मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भोपाल एयरपोर्ट के पास इस विशाल मानव निर्मित वन की देखभाल का दायित्व श्रीराम आस्था मिशन ने लिया है। यह प्रदेश का सबसे बड़ा मानव निर्मित वन होगा। यहाँ कुल एक लाख 40 हजार पेड़ लगाए जाएंगे। श्रीराम वन में 120 प्रजाति के पौधे रोपने की योजना है। पेड़-पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी मिशन की रहेगी। पौध-रोपण से संबंध भी हो रहे प्रगाढ़ मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पौध-रोपण अभियान से अनेक अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही परिवारों द्वारा जन्म-दिवस और विवाह वर्षगाँठ और अनेक अवसर पर पौधे लगाने के कार्य से दिन की शुरुआत की जाती है। पति-पत्नी जब मिल कर विवाह वर्षगाँठ पर पौधा लगाते हैं तो उनका प्रेम संबंध प्रगाढ़ होता है। इसी तरह बच्चों के जन्म-दिन पर पौधे लगाना सभी को प्रसन्नता देता है। बच्चों को भी छोटी उम्र से अच्छे कार्य के संस्कार प्राप्त होते हैं। वे इस भाव को समझते हैं की पेड़ लगाना मतलब धरती माता का श्रृंगार करना है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि माता-पिता और परिवार के अन्य दिवंगत सदस्यों की स्मृति में पौधा लगाना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। अंकुर अभियान में लगाए पौधों का रिकार्ड रखने की व्यवस्था मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि अंकुर अभियान में 15 लाख से अधिक लोगों ने सहभागिता की है। कुल 37 लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। अभियान में इन पौधों का रिकार्ड भी रखा जा रहा है। विदेश से आए अनेक लोग ने अपने लगाए पौधों की जानकारी क्यूआर कोड से प्राप्त करने की सुविधा का उपयोग किया है। वायु दूत एप्लीकेशन इस कार्य में सहयोगी बनी है। यह अभियान विराट जन-आंदोलन बन रहा है। आज विकास यात्राओं की शुरुआत के समय भी पौधे लगाने का कार्य किया गया। मध्यप्रदेश में अभियान को दिन-प्रतिदिन मिल रही लोकप्रियता मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि 19 फरवरी 2021 से नर्मदा मैया के उद्गम स्थल अमरकंटक से प्रतिदिन पौधा लगाने की उनकी शुरुआत को जन-समर्थन मिल रहा है। गत 2 वर्ष में एक भी दिन ऐसा नहीं बीता जब पौधा न लगाय़ा हो। कोरोना काल में भी मॉस्क और सेनेटाइजर के उपयोग के साथ एहतियात बरतते हुए अकेले ही पौधा लगाने का कार्य किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि 12 राज्य में उन्होंने पेड़ लगाए हैं। राज्यों में पौधा लगाने के समय वहाँ के लोगों को सुखद आश्चर्य भी होता है कि प्रवास पर रह कर भी यह कार्य किया जा सकता है। प्रदेश में अनेक स्थान पर पौधा लगाने का कार्य जन-सहयोग से हुआ है। भोपाल के स्मार्ट उद्यान के अलावा इन्दौर के ग्लोबल गार्डन में प्रवासी भारतीय सम्मेलन के अतिथियों, जी-20 देशों की बैठक में आए प्रतिनिधियों ने भी पौधे लगाए। भोपाल में विभिन्न धर्मगुरुओं, सामाजिक संस्थाओं, मीडिया प्रतिनिधियों, विद्यार्थियों, चिकित्सकों, खिलाड़ियों, सिने और नाटक जगत के प्रतिनिधियों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग साथ में पौधे लगाते हैं। देश-विदेश तक यही संदेश गया है कि मध्यप्रदेश पेड़ लगवाना भी सिखाता है। नागरिकों में पर्यावरण प्रेम बढ़ा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी इस अभियान की लोकप्रियता श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 17 सितम्बर 2022 को अफ्रीका से लाए गए चीतों को छोड़ते समय देखी है। प्रधानमंत्री ने भी वहाँ पौधा लगाया था। मध्यप्रदेश में अभियान को दिन-प्रतिदिन मिल रही लोकप्रियता मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जहाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए सांसों का प्रबंध वृक्षा-रोपण से किया जा रहा है। वहीं धरती को बचाने के लिए सोलर एनर्जी के प्रयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। जहाँ ओंकारेश्वर में पानी पर पैनल बिछा कर सौर ऊर्जा उत्पादन की पहल हुई है, वहीं रायसेन जिले के विश्व धरोहर स्थल साँची को देश की प्रथम सोलर सिटी बनाने का कार्य किया जा रहा है। आगामी 3 मई को विधिवत कार्यक्रम के माध्यम से पूरे विश्व तक सोलर सिटी का संदेश जाएगा। सांसद श्री विष्णु दत्त शर्मा ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान को निरंतर 2 वर्ष से प्रतिदिन पौधा लगाने के कार्य के लिए बधाई दी। अन्य मंत्री गण ने भी मुख्यमंत्री श्री चौहान को बधाई दी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभी जन-प्रतिनिधियों और नागरिकों का पौध-रोपण अभियान में सहयोग के लिए आभार माना। मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ मंत्री गण ने भी पौधे लगाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पौध-रोपण पर केंद्रित चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान को अनेक स्वैच्छिक संगठनों के सदस्यों ने तस्वीरें और पुस्तकें भेंट की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने एक पुराने वट वृक्ष का अवलोकन किया जो किसी अन्य स्थान से उखाड़ने के बाद यहाँ वैज्ञानिक तकनीक से स्थापित किया गया है। भोपाल की महापौर श्रीमती मालती राय ने आभार माना। ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिये करें अधिकाधिक पौधा-रोपण - मंत्री श्री शर्मा 19 February 2020 जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा समन्वय भवन में पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ (सीपीआरए) के सक्षम-2020 कार्यक्रम के समापन सत्र में शामिल हुए। उन्होंने लोगों से कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिये अधिक से अधिक पौधा-रोपण करें। श्री शर्मा ने कहा कि अगर समय रहते हम जागरूक नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ी इसका नुकसान भुगतेगी। जनसम्पर्क मंत्री ने लोगों को 'ईंधन अधिक न खपाएं-आओ पर्यावरण बचाएँ'' की शपथ दिलाई। बच्चों को पुरस्कार वितरित मंत्री श्री शर्मा ने गाँधी भवन में ब्राइट कॅरियर कॉन्वेंट स्कूल के वार्षिक उत्सव में बच्चों को पुरस्कार वितरित किये। कार्यक्रम में बच्चों ने बेटी बचाओ अभियान पर आधारित नाट्य रूपांतरण और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं। शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण मंत्री श्री पी.सी. शर्मा शिवाजी जयंती पर भोपाल के लिंक रोड नम्बर-वन पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। पार्षद श्री अमित शर्मा और कुणवी पाटील समाज समिति के पदाधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए। बच्चे पर्यावरण संरक्षण के सच्चे संवाहक, इन्हें जागरूक बनाना जरूरी 29 January 2020 भोपाल.स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी शासकीय एमएलबी हायर सेकेण्डरी स्कूल, बरखेड़ा में आयोजित 'एक पृथ्वी-पांडा फेस्ट-2020'' में शामिल हुए। डॉ. चौधरी ने कहा कि बच्चे पर्यावरण संरक्षण के सच्चे संवाहक हैं। इन्हें जागरूक बनाना जरूरी है। उन्होंने पांडा फेस्ट आयोजन की सराहना की। मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि मानव जीवन का अस्तित्व कायम रखने के लिये पर्यावरण का संरक्षण किया जाना बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि जल, वायु और पेड़-पौधे ईश्वर प्रदत्त जीवनदायिनी बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा हैं। इनका अंधाधुंध दोहन प्रकृति और जीवन, दोनों के लिये प्राणघातक हैं। इसे सख्ती से रोकना होगा। प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरूण शमी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और ईको सिस्टम के संतुलन के लिये बड़े पैमाने पर काम करने की आवश्यकता है। इसमें आम नागरिकों की भागीदारी बहुत जरूरी है। बच्चों को पर्यावरण संरक्षण यज्ञ से जोड़कर हम उनका भविष्य संवार सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों में पर्यावरण की रक्षा के लिये जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से वर्ल्ड वाइल्ड फेडरेशन द्वारा इस दिशा में किये जा रहे प्रयास से भविष्य में अच्छे परिणाम आयेंगे। वर्ल्ड वाइल्ड फेडरेशन की डॉयरेक्टर श्रीमती संगीता सक्सेना ने बताया कि 'एक पृथ्वी-पांडा फेस्ट'' के माध्यम से पर्यावरण और वन्य-प्राणी सुरक्षा, जल-संरक्षण, ऊर्जा-संरक्षण, जैविक-खेती, जैव-विविधिता संरक्षण एवं पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले खतरों से बचाने के लिये 5 विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। इनमें बच्चों को जागरूक बनाना भी शामिल है, जिससे बच्चे खुद समाधान निकालकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कारगर प्रयास करें। मंत्री डॉ. चौधरी ने फेस्ट में बच्चों को पुरस्कृत किया और उनके द्वारा बनाये गये मॉडल्स का निरीक्षण किया। फेस्ट-2020 में भोपाल एवं रायसेन जिले के 12 स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया। इस मौके पर हाई स्कूल नांदौर जिला रायसेन के बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर नई दिल्ली में होने वाले पांडा फेस्ट में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करने के लिये चुने गये हैं। वन्य प्राणी प्रबंधन और रोजगार सृजन में उपयोग हो कैम्पा निधि : मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ 8 January 2020 मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि कैम्पा निधि का उपयोग वन्य प्राणी क्षेत्र प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने और स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने में किया जाये। श्री कमल नाथ ने मंत्रालय में कैम्पा की राज्य प्राधिकरण की शासी निकाय की बैठक में यह निर्देश दिये। वन मंत्री श्री उमंग सिंघार बैठक में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि कैम्पा निधि के उपयोग के संबंध में नीतिगत प्राथमिकताएँ तय की जाएं। उन्होंने कहा कि जब वे वन एवं पर्यावरण मंत्री थे, तब इसकी शुरुआत हुई थी। उन्होंने कहा कि इसके जरिए वन्य प्राणी क्षेत्रों में व्यवस्थाओं को मजबूत बनाने के साथ वहाँ आस-पास रह रहे लोगों के लिए आजीविका के साधन उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया जाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि निधि का चिन्हित क्षेत्रों में उपयोग हो, जिससे स्थानीय लोगों की रोजगार क्षमता में वृद्धि हो सके और स्थायी संपत्ति का निर्माण हो। उन्होंने इसके लिये वार्षिक कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य प्राणियों को प्रभावित किये बिना राष्ट्रीय उद्यानों की पर्यटक क्षमता का निर्धारण फिर से किया जाये। बैठक में कैम्पा निधि के संबंध में अतिरिक्त मुख्य सचिव वन श्री ए.पी. श्रीवास्तव ने प्रस्तुतीकरण दिया। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन श्री के.के. सिंह, प्रमुख सचिव लोक निर्माण श्री मलय श्रीवास्तव, अपर सचिव वन श्री अतुल खरे एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। समरधा ईको जंगल कैम्प बना बच्चों के आकर्षण का केन्द्र 29 November 2019 ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा भोपाल के पास समरधा, कठोतिया और केरवा में विकसित जंगल कैम्प विद्यार्थियों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। पिछले दिनों विदिशा के ट्रिनिटी कॉन्वेन्ट हायर सेकेन्ड्री के 60 छात्र-छात्राओं ने समरधा जंगल कैम्प का लुत्फ उठाया। छात्र-छात्राओं ने इस घने जंगल में ट्रैकिंग में रूचि दिखाई। छात्र-छात्राओं ने बोर्ड द्वारा जारी ट्रेजर हंट, नदी पार जाना, गांव का भ्रमण, टीम गेम्स और अन्य गतिविधियों में भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। वन समिति द्वारा तैयार किया गया स्थानीय खाना भी बच्चों ने बहुत पसंद किया। समरधा जंगल कैम्प भोपाल से 30 किलोमीटर स्थित है। पूर्व में यह नवाबों की शिकारगाह के रूप में जाना जाता था। यहां पर लगभग 65 प्रजाति के पक्षी, 20 प्रजाति के वन्य प्राणी और 45 प्रजाति के वृक्ष पाये जाते हैं। ईको पर्यटन बोर्ड द्वारा शुरू किये गये एडवेंचर स्पोर्ट्स में बच्चे बहुत आनन्द लेते हैं और जंगल के प्रति एक आत्मीय संबंध स्थापित करते है। इन गतिविधियों से स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है। सिंगरौली में फ्लाई ऐश प्रबंधन पर राष्ट्रीय कार्यशाला 13 September 2019 पर्यावरण मंत्री श्री सज्जन सिंह वर्मा 14 सितम्बर को सिंगरौली में थर्मल पॉवर संयंत्रों की राख के बेहतर प्रबंधन की राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे। कार्यशाला में प्राप्त निष्कर्षों से फ्लाई ऐश समस्या के निराकरण में काफी मदद मिलेगी। राष्ट्रीय कार्यशाला में डॉ. विमल कुमार सेक्रेटरी जनरल सी-फॉर्म शामिल होंगे। डॉ. विमल कुमार पूर्व मिशन निदेशक एवं प्रमुख फ्लाई ऐश यूनिट डी.एस.टी. केन्द्र सरकार में रह चुके है। श्री प्रशांत प्रिसिंपल साईंटिस्ट, सीएसआईआर-धनबाद, डॉ दिनेश गोयल पूर्व ई.डी. एसटीईपी थॉपर यूनिवर्सिटी पटियाला, श्री यू.के. गुरू विट्ठल चीफ साईंटिस्ट सीएसआईआर- नई दिल्ली, डॉ. एस. मुरली प्रिंसिपल साईंटिस्ट सीएसआईआर-भोपाल और श्री एच.के. शर्मा डायरेक्टर मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विषय विशेषज्ञ के रूप में व्याख्यान देंगे। प्रदेश में थर्मल पॉवर संयंत्रों से उत्पन्न राख के पर्यावरणीय प्रबंधन के लिये उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति में प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण, प्रमुख सचिव लोक निर्माण, आयुक्त मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल, सचिव ऊर्जा, सचिव खनिज साधन तथा सदस्य सचिव मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शामिल हैं। भवन, सड़क, फ्लाई ओवर आदि के निर्माण में राख से बने उत्पादों का उपयोग, निर्माण कार्यों और लो-लाईंग एरिया की भराई में टॉप स्वाईल के स्थान पर राख का उपयोग, मनरेगा, स्वच्छ भारत अभियान, नगरीय एवं ग्रामीण आवास योजनाओं तथा इण्डस्ट्रियल एस्टेट में अधोसंरचना विकास कार्यों में राख से बने उत्पादों का उपयोग के निर्देश निर्माण एजेन्सियों को दिये गये हैं। सात खदानों को अनुमति फ्लाई ऐश की अनुपयोगी खदान में भराव के लिये खदानों को चिन्हित किया गया है। सात खदानों को फ्लाई ऐश भराव की अनुमति दी गयी है। वर्तमान में एनसीएल सिंगरौली की गोरमी खदान में फ्लाई ऐश भराव कार्य शुरू कराया गया है। लो-लाइंग एरिया में फ्लाई ऐश से फिलिंग की अनुमति दी गई है। निर्माण कार्यो में फ्लाई ऐश का उपयोग बढ़ाने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। वन्य-प्राणी फोटो प्रतियोगिता के लिये प्रविष्टि आमंत्रित 7 September 2019 भोपाल.हर साल की तरह इस वर्ष भी वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में एक से सात अक्टूबर तक वन्य-प्राणी सप्ताह मनाया जायेगा। इस दौरान होने वाली वन्य-प्राणी फोटोग्राफी प्रतियोगिता के लिये 20 सितम्बर तक कार्यालय संचालक वन विहार द्वारा 5 फोटोग्राफ लिये जायेंगे। प्रतियोगिता के लिये शौकिया एवं व्यवसायिक फोटोग्राफर वन्य-प्राणियों के 12'x18' साइज के फोरेक्स शीट पर तैयार फोटोग्राफ भेज सकते हैं। ये फोटोग्राफ वन्य-प्राणी सप्ताह के दौरान प्रदर्शनी में रखे जायेंगे। उत्कृष्ट फोटोग्राफ को पुरस्कृत भी किया जायेगा। पुरस्कृत फोटोग्राफ को छोड़कर शेष फोटो 10 अक्टूबर के बाद प्रतिभागियों को वापिस कर दिये जायेंगे। पुरस्कृत फोटोग्राफ वन विहार की धरोहर होगा। उत्कृष्ट फोटोग्राफ को वन विहार में सात अक्टूबर को होने वाले राज्य-स्तरीय वन्य-प्राणी सप्ताह के समापन दिवस पर पुरस्कृत किया जायेगा। प्रदेश में 374 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का निष्पादन 20 August 2019 प्रदेश में अब तक करीब 374 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का वैज्ञानिक पद्धति से निष्पादन किया गया है। यह कार्य 8 कलेक्शन सेन्टर, एक रिसाईक्लर और एक मैन्युफैक्चर के माध्यम से किया जा रहा है। ई-वेस्ट में कम्प्यूटर्स, लेपटाप, टेलीपीजन सेट, डीवीडी प्लेयर्स, मोबाइल फोन, सीएफएल आदि इलेक्ट्रानिक सामान शामिल हैं। प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में ई-वेस्ट प्रबंधन नियम लागू है। इस नियम का उद्देश्य इलेक्ट्रानिक्स अपशिष्ट को वैज्ञानिक तकनीक से नष्ट किया जाना है। नियम में प्रत्येक ई-वेस्ट का निष्पादन केवल केन्द्रीय अथवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पंजीकृत रिसाईक्लर्स के माध्यम से ही किये जाने का प्रावधान है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ई-वेस्ट निष्पादन के लिये कार्यशालाओं के माध्यम से नवीन वैज्ञानिक पद्धतियों की जानकारी नियमित रूप से दी जा रही है। जैव चिकित्सा अपशिष्ट का प्रबंधन प्रदेश में जैव चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन का कार्य वैज्ञानिक पद्धति से किया जा रहा है। इन अपशिष्टों को 4 श्रेणियों में बाँटा गया है। उनके उपचार की विभिन्न पद्धतियाँ जैसे इन्सीरिनेशन, आटोक्लेविंग, माइक्रोवेविंग रासायनिक उपचार, कटिंग, थ्रेडिंग तथा भूमि में गहरा गाड़ना आदि विकल्प के रूप में हैं। आबादी वाले क्षेत्रों के चिकित्सालय और निजी नर्सिंग होम के लिये जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम प्रभावशील हैं। इसके मुताबिक शहरी क्षेत्रों में भस्मक विधि पर आधारित अपशिष्ट निपटान व्यवस्था अनिवार्य है। नियमों के पालन के लिये वर्तमान में इंदौर, भोपाल, जबलपुर, सतना, रतलाम, सीहोर, उमरिया, ग्वालियर, अशोकनगर एवं सिवनी जिलों में निजी क्षेत्र के कॉमन इन्सीनेटर सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय इन सेन्टर्स की निगरानी कर रहे हैं। जैव-विविधता संरक्षण की कार्य-योजना बनाई जाएगी - मंत्री श्री सिंघार 30 July 2019 वन मंत्री श्री उमंग सिंघार ने कहा है कि वन, वनवासी और प्रदेशवासियों की समन्वित सहभागिता से प्रदेश की जैव-विविधता संरक्षण कार्य-योजना बनायी जायेगी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश ने एक बार फिर बाघ गणना में देश को गौरवान्वित किया है। भारत में मध्यप्रदेश प्रथम बाघ गणना चक्र-2006 में 300 बाघों के साथ प्रथम स्थान पर आया था। वर्ष 2018 में हुई चौथी बाघ गणना चक्र में भी प्रदेश ने अधिकतम बाघों की संख्या के साथ सर्वप्रथम स्थान हासिल किया है। श्री सिंघार ने कहा कि प्रदेश में बाघों का संरक्षण वनवासियों की सहभागिता से किया जाता रहेगा। वन विहार में आया सफेद कोबरा 2 August 2018 वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में बैतूल से एक सफेद कोबरा (एल्बिनो) साँप रेस्क्यू कर लाया गया है। इस विलक्षण साँप को बैतूल जिले के सारणी परिक्षेत्र से पकड़ा गया है। यह साँप बहुत आकर्षक और सुंदर दिखता है। प्रकृति ने कोबरा साँप को काला रंग दिया है, परंतु जेनेटिक मॉडिफिकेशन के कारण कभी-कभी एल्बिनो प्राणी जन्म लेता है। प्रकृति के विरुद्ध हुए ये प्राणी ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं। विपरीत रंग होने के कारण ये शिकारी की नजर से नहीं बच पाते हैं। इस साँप को वन विहार में वन्य-प्राणी चिकित्सक की देखरेख में साँपों के लिये बनाये गये ट्रांजिट सेंटर में रखा गया है। स्वास्थ्य परीक्षण के साथ सफेद कोबरा की निरंतर निगरानी की जा रही है। विलुप्त बाघों ने पन्ना टाइगर रिजर्व को बनाया शोध एवं अध्ययन केन्द्र 3 July 2018 पन्ना टाईगर उद्यान की स्थापना यूं तो वर्ष 1981 में हुई थी, जिसे वर्ष 1994 में टाईगर रिजर्व के रूप में मान्यता मिली, लेकिन इसे आकर्षण का केन्द्र पन्ना टाईगर रिजर्व द्वारा चुनी गयी बाघों की विलुप्ति से पुनःस्थापना की कहानी ने बनाया है। आज यह न केवल देश-विदेश के पर्यटकों को लुभा रहा है, बल्कि देश-विदेश के अधिकारियो/कर्मचारियों के लिए शोध एवं अध्ययन का केन्द्र बन गया है। पन्ना टाईगर रिजर्व का कोर क्षेत्र 576 वर्ग किलो मीटर तथा बफर क्षेत्र 1021 वर्ग किलो मीटर में फैला हुआ है। विश्व प्रसिद्ध सांस्कृतिक पर्यटन स्थल खजुराहो से इसका पर्यटन प्रवेश द्वार ''मडला'' महज 25 किलो मीटर दूर है। बाघों से आबाद रहने वाला पन्ना टाईगर रिजर्व विभिन्न कारणों से फरवरी 2009 में बाघ विहीन हो गया था, जिसके बाद विपरित परिस्थितियों में पार्क प्रबंधन द्वारा भारतीय वन जीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों की मदद से सितंबर 2009 में पन्ना बाघ पुनः स्थापना योजना की व्यापक रूप रेखा तैयार की गयी। योजना के अन्तर्गत 4 बाघिन और 2 वयस्क नर बाघों को बांधवगढ़, कान्हा एवं पेंच टाईगर रिजर्व से पन्ना टाईगर रिजर्व में लाया गया ताकि यहां पर बाघों की वंश वृद्धि हो सके। यह इतना आसान भी न था। योजना के मुताबिक पेंच टाईगर रिजर्व से लाया गया नर बाघ टी-3 10 दिन रहने के बाद यहां से दक्षिण दिशा में कही निकल कर नजदीकी जिलों के वन क्षेत्रों में लगभग एक माह तक स्वछंद विचरण करता रहा। पार्क प्रबंधन ने हार नही मानी। पार्क की टीम लगातार बाघ का पीछा करती रही। पार्क के 70 कर्मचारियों की टीम मय 4 हाथियों द्वारा दिसंबर 2009 को दमोह जिले के तेजगढ़ जंगल से इस बाघ को फिर से पन्ना टाईगर रिजर्व में लाया गया। पुनर्स्थापित किए गए बाघ में होमिंग (अपने घर लौटने की प्रवृत्ति) कितनी प्रबल होती है इसे पहली बार देखा गया। इस बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य को अपने दृढ़ निश्चय से सफल बनाकर पन्ना पार्क टीम ने अपनी दक्षता साबित की है। बाघ टी-3 की उम्र अब 15 हो गयी है और अब वह अपने ही वयस्क शावकों से अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। बाघ टी-3 से पन्ना बाघ पुनर्स्थापना की सफलता की श्रृंखला प्रारंभ हो गयी। पार्क की सुरक्षा प्रबंधन एवं सृजन की अभिनव पहल को पहली ऐतिहासिक सफलता तब मिली, जब बाघिन टी-1 ने वर्ष 2010 को 4 शावकों को जन्म दिया। जिसके बाद बाघिन टी-2 ने भी 4 शावकों को जन्म दिया। इसके बाद से यह सिलसिला निरंतर जारी है। बाघिन टी-1, टी-2 एवं कान्हा से लायी गयी अर्द्ध जंगली बाघिनों टी-4, टी-5 एवं इनकी संतानों द्वारा अब तक लगभग 70 शावकों को जन्म दिया जा चुका है। जिनमें से जीवित रहे 49 बाघों में से कुछ ने विचरण करते हुए सतना, बांधवगढ़ तथा पन्ना एवं छतरपुर के जंगलों में आशियाना बना लिया है। बाघों की पुनर्स्थापना की इस सफलता की कहानी को सुनने और इससे सीख लेने प्रति वर्ष भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को एक सप्ताह के लिए भेजा जाने लगा है। इतना ही नहीं, कम्बोडिया एवं उत्तर पूर्व के देशों तथा भारत के विभिन्न राज्यों से भी बाघ पुनर्स्थापना का अध्ययन करने एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अधिकारी एवं कर्मचारी यहां आ रहे हैं। पिछले वर्षो में पर्यटकों विशेषकर विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। वर्ष 2015-16 में कुल 36730 पर्यटक, वर्ष 2016-17 में कुल 38545 पर्यटक एवं वर्ष 2017-18 में मई 2018 तक की स्थिति में कुल 27234 पर्यटकों की संख्या दर्ज की गयी है। इसके अलावा पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की बढती संख्या के लिए रहवास प्रबंधन, मानव एवं वन्य प्राणी द्वंद का समाधान तथा पर्यटन से लगभग 500 स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्रदाय किया जा रहा है। वर्ष 2017-18 में 30 ग्रामों में संसाधन विकसित करने हेतु 60 लाख रूपये पार्क प्रबंधन द्वारा प्रदाय किए गए है। साथ ही स्थानीय 68 युवकों को आदर आतिथ्य का प्रशिक्षण खजुराहो में दिलाकर उन्हें 3 सितारा एवं 5 सितारा होटलों में रोजगार दिलाया गया है। वायु प्रदूषण से मुक्ति संभवः अमरीकी विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट ने सुझाए वायु प्रदूषण से निपटने के 13 तरीके, अगर सुझाव पर अमल हुआ तो देशभर में 40% कम हो जायेगा वायु प्रदूषण 30 May 2018 नई दिल्ली। 30 मई 2018। अमेरिका की लुसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी (एलएसयू) की एक नयी रिपोर्ट में उन 13 उपायों के बारे में बताया गया है जिससे देश में वायु प्रदूषण को 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है। साथ ही, हर साल होने वाली 9 लाख लोगों को मौत से बचाया जा सकता है। इन 13 उपायों को अपनाकर सर्दियों के समय दिल्ली सहित उत्तर भारत के पीएम 2.5 स्तर को 50 से 60 फीसदी तक कम भी किया जा सकता है। इस रिपोर्ट में प्रदूषण के विभिन्न कारणों से निपटने के लिये बनी नीतियों का विश्लेषण किया गया है जिसमें थर्मल पावर प्लांट (चालू, निर्माणाधीन और नये पावर प्लांट), मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग, ईंट भट्ठी, घरों में इस्तेमाल होने वाले ठोस ईंधन, परिवहन, पराली को जलाना, कचरा जलाना, भवन- निर्माण और डीजल जनरेटर का इस्तेमाल जैसी बातें शामिल हैं। ग्रीनपीस के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया का कहना है, “हम लोग पहली बार विस्तृत और व्यावहारिक नीतियों को सामने रख रहे हैं जिससे सर्दियों में उत्तर भारत के वायु प्रदूषण को घटाकर आधा कम किया जा सकता है। हम पर्यावरण मंत्रालय से गुजारिश करते हैं कि वे इन उपायों को स्वच्छ वायु के लिये तैयार हो रहे राष्ट्रीय कार्ययोजना में शामिल करे और पावर प्लांट के लिये दिसंबर 15 में अधिसूचित उत्सर्जन मानकों को कठोरता से पालन करे। साथ ही अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर कठोर मानकों को लागू करके प्रदूषण नियंत्रित करे।” रिपोर्ट के लेखक होंगलियांग जेंग कहते हैं, “हमारे शोध बताते हैं कि थर्मल पावर प्लांट के उत्सर्जन को कम करके, औद्योगिक ईकाइयों के उत्सर्जन मानको को मजबूत बनाकर और घरों में कम जिवाश्म ईंधन जलाकर, ईंट भट्टियों को जिग-जैग पद्धति में शिफ्ट करके तथा वाहनों के लिये कठोर उत्सर्जन मानक लागू करके वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। हालांकि 13 उपायों के साथ-साथ एक व्यापक योजना बनाकर ही वायु प्रदूषण को 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है और हर साल होने वाले 9 लाख लोगों की मौत से बचा जा सकता है।” रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले कारकों से निपटने के लिये थर्मल पावर प्लांट और उद्योगों के कठोर उत्सर्जन मानकों को लागू करने के बाद ही वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लायी जा सकती है। इसलिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना को मज़बूत बनाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा मांगे गए जन सुझावों के रूप में सीविल सोसाइटी संगठनों, कार्यकर्ताओं,वकीलों और अन्य विशेषज्ञों द्वारा दिये गए सुझावों में भी थर्मल पावर प्लांट के उत्सर्जन मानको को कठोरता से लागू करने की मांग की गयी थी। सुनील कहते हैं, “एलएसयू के शोघ ने एकबार फिर वही बातें दुहराई है जिसकी मांग देश के लोग बहुत लंबे से समय से कर रहे हैं जिसमें थर्मल पावर प्लांट और उद्योगों के लिये कठोर उत्सर्जन मानक बनाया जाना भी शामिल है। हालांकि पर्यावरण मंत्रालय लगातार थर्मल पावर प्लांट को उत्सर्जन मानकों के लिये छूट देने की कोशिश में है। दिसंबर 2015 में पर्यावरण मंत्रालय ने थर्मल पावर प्लांट को दो सालों के भीतर उत्सर्जन मानकों को पूरा करने की अधिसूचना जारी की थी, जिसे अब वे अवैद्य तरीके से पांच साल और बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के ड्राफ्ट में भी मंत्रालय ने विभिन्न सेक्टरों जैसे थर्मल पावर प्लांट और उद्योगों के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य को शामिल नहीं किया है। सुनील अंत में कहते हैं, “इस रिपोर्ट में शामिल नीतियों के विश्लेषण से भारत के स्वच्छ वायु आंदोलन को बड़ी मदद मिलेगी। अगर पर्यावरण मंत्रालय लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है तो उसे जल्द से जल्द राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में क्लीन एयर कलेक्टिव के सुझावों के साथ-साथ एलएसयू द्वारा इस रिपोर्ट में शामिल 13 उपायों को भी शामिल करना चाहिए, जिससे सच में भारत की हवा को साफ बनायी जा सके।” बाघ प्रदेश बन रहा है मध्यप्रदेश 4 May 2018 मध्यप्रदेश में निरंतर किये जा रहे प्रयासों से बाघों की संख्या बढ़ रही है। किशोर होते बाघों को वर्चस्व की लड़ाई और मानव द्वंद से बचाने के लिये वन विभाग ने अभिनव योजना अपनायी है। वन विभाग अनुकूल वातावरण का निर्माण कर बाघों को ऐसे अभयारण्यों में शिफ्ट कर रहा है, जहाँ वर्तमान में बाघ नहीं हैं। पन्ना में बाघ पुनर्स्थापना से विश्व में मिसाल कायम करने के बाद वन विभाग ने सीधी के संजय टाइगर रिजर्व में भी 6 बाघों का सफल स्थानांतरण किया है। बाघ शून्य हो चुके पन्ना में आज लगभग 30 बाघ हैं। अब नौरादेही अभयारण्य में बाघ पुनर्स्थापना का कार्य प्रगति पर है। मध्यप्रदेश केवल प्रदेश में ही नहीं देश में भी बाघों का कुनबा बढ़ा रहा है। जल्द ही प्रदेश उड़ीसा के सतकोसिया अभयारण्य को भी 3 जोड़े बाघ देगा। वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार स्वयं नौरादेही पहुँचकर ऑपरेशन का जायजा ले रहे हैं। जबलपुर से 140 किलोमीटर दूर दमोह, सागर और नरसिंहपुर जिले में 1197 वर्ग किलोमीटर में फैले नौरादेही अभयारण्य में बहुत पहले कभी बाघ रहे होंगे। यह जंगल देश की दो बड़ी नदियों गंगा और नर्मदा का कछार होने के कारण यहाँ पानी की कमी नहीं है। वन विभाग ने पन्ना की तर्ज पर देश के सबसे बड़े इस अभयारण्य में बाघ आबाद करना शुरू कर दिया है। पिछले 18 अप्रैल को यहाँ कान्हा से ढ़ाई वर्षीय एक बाघिन और 29 अप्रैल को बाँधवगढ़ से लगभग पाँच वर्षीय बाघ का स्थानांतरण किया गया है। बाघिन तो नये वातावरण में रम गई है, पर बाघ को नये आवास का अभ्यस्त बनाने के लिये विभाग काफी मशक्कत कर रहा है। नौरादेही की टीम ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की टीम के साथ मिलकर युद्ध स्तर पर मात्र तीन दिनों में दोनों के लिये विशेष रूप से अलग-अलग बाड़ा तैयार किया है। प्रबंधन ने इन्हें एन-1 और एन-2 का नाम दिया है। बाघ का जोड़ा आने से स्थानीय लोगों में काफी उत्साह और गर्व की भावना है। वे इन्हें राधा-किसन के नाम से पुकारने लगे हैं। वनमंडलाधिकारी श्री रमेशचन्द विश्वकर्मा ने बताया कि शुरू में एक-दो दिन असहज रहने के बाद बाघिन ने नये वातावरण के साथ सामंजस्य शुरू कर दिया है। वह शिकार भी कर रही है और एक हेक्टयेर में बने अपने बाड़े में स्वाभाविक रूप से दिनचर्या व्यतीत कर रही है। पास में स्थित मचान और एक वाहन के माध्यम से वन अधिकारी-कर्मचारी 24 घंटे बाघिन के स्वास्थ्य और सुरक्षा की निगरानी कर रहे हैं। बाघ ने स्वयं को बाड़े से आजाद कर दो-ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित नाले के किनारे प्राकृतिक रूप से बनी खोह में अपना ठिकाना बना रखा है। दो सौ किलोग्राम से अधिक वजन वाला यह बाघ काफी तन्दरूस्त और शक्तिशाली है। शुरूआती दिनों में असहज रहने के बाद वह भी नये माहौल में घुलने-मिलने लगा है। बाघ के रेस्क्यू के लिये बांधवगढ़ से हाथी की टीम के साथ दल आ गया है। वन विभाग बाघ पर सतत निगरानी रखे हुए हैं। कुछ दिनों के बाद बाघ की पसंद को देखते हुए निर्णय लिया जायेगा कि इसे वापस बाड़े में पहुँचायें या उन्मुक्त जंगल में विचरण करने दें। अभयारण्य में बसे गाँव के लोग भी इस काम में मदद कर रहे हैं। अभयारण में 69 गाँव थे, जिनमें से 10 गाँव का विस्थापन कर मुआवजा दिया जा चुका है। सात गाँव के विस्थापन की प्रक्रिया जारी है। इनमें 4 सागर और 3 नरसिंहपुर जिले के हैं। ग्रामीण भी खुश हैं कि अब उन्हें जंगल में होने वाली दिक्कतों से दो-चार नहीं होना पड़ रहा है। घर में बिजली है, कहीं आने-जाने के लिये सड़क और साधन हैं। तेंदुआ, सियार आदि जंगली जानवरों का भय भी नहीं रहा। रिक्त गाँवों में बड़ी मात्रा में घास विकसित की गई है। इससे शाकाहारी प्राणियों की संख्या बढ़ने से बाघों को भरपूर शिकार मिलेगा। विस्थापन से मानव हस्तक्षेप खत्म होने से जंगल अपने प्राकृतिक स्वरूप में आता जा रहा है। यहाँ के भारतीय भेड़िया के साथ भालू, सांभर, चीतल, चिंकारा, जंगली बिल्ली आदि की संख्या बढ़ी है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान से भी सात खेप में यहाँ 125 चीतल आ चुके हैं। दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में 14 शहर भारत केः डब्लूएचओ रिपोर्ट 2 May 2018 ऩई दिल्ली। 2 मई 2018। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने वर्ष 2016 में दुनिया के सबसे 15 प्रदूषित शहरों की सूची जारी की है, जिनमें 14 शहर भारत के हैं। हालांकि रिपोर्ट में शामिल पूरी दुनिया के 859 शहरों की वायु गुणवत्ता के आंकड़ों को देखें तो यह चिंता बढ़ाने वाली है। भारत के 14 शहरों का इसमें शामिल होना इसलिए भी चिंता पैदा करती है क्योंकि अभी हमारे देश में वायु प्रदूषण संकट से निपटने के लिये बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इसी साल के शुरू में ग्रीनपीस इंडिया ने जारी अपनी रिपोर्ट एयरोप्किल्पिस 2 में भी 280 भारतीय शहरों के आंकडों को शामिल किया था।इस रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया था कि 80 प्रतिशत शहरों की हवा सांस लेने योग्य नहीं है, जो डब्लूएचओ की रिपोर्ट से भी ज्यादा खतरनाक तस्वीर पेश करती है। डाटा की कमी एक बड़ी चुनौती विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस रिपोर्ट को तैयार करने में सिर्फ 32 भारतीय शहरों के आंकड़ें को शामिल किया है। इसमें उत्तर प्रदेश के सिर्फ चार शहरों के आकड़ों लिए गए हैं। जबकि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मिलकर देश के 300 शहरों में वायु गुणवत्ता की निगरानी करते हैं। फिर भी, चौंकाने वाला तथ्य यह है कि डब्लूएचओ ने सिर्फ 32 शहरों का डाटा लिया है। शायद यह इसलिए हुआ है कि बाकी सभी शहरों के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। अगर यह आंकड़े डब्लूएचओ के पास उपलब्ध होते तो लिस्ट में और भी कई भारतीय शहरों के नाम शामिल हो सकते थे! राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम में शामिल 100 अयोग्य शहरों के बीच अंतर पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम के भीतर 100 अयोग्य शहरों को चिन्हित किया है, हालांकि इस कार्यक्रम में डब्लूएचओ रिपोर्ट में शामिल सबसे प्रदूषित 14 शहरों में से 3 शहर गया, पटना और मुजफ्फरपुर गायब हैं। ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, "डब्लूएचओ की रिपोर्ट अपने आप में पूरा नहीं है क्योंकि उसमें कई साल के पुराने आंकड़ों को मिला दिया गया है जबकि वास्तव में भारत में स्थिति और भी खराब है। इसलिए यह जरुरी है कि राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम में प्रदूषण को कम करने के लिये स्पष्ट लक्ष्य और निश्चित समय सीमा को शामिल किया जाये।" चीन की वायु गुणवत्ता में तुलनात्मक रूप से सुधार अगर हम कुछ साल पहले के आंकड़ों देखें तो हम पाते हैं कि 2013 में विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में चीन के कई शहरों का नाम आते थे, लेकिन पिछले सालों में चीन के शहर कार्ययोजना बनाकर, समयसीमा निर्धारित करके और अलग-अलग प्रदूषण कारकों से निपटने के लिये स्पष्ट योजना बनाकर वायु गुणवत्ता में काफी सुधार कर लिया है। लेकिन इसी स्पष्टता का अभाव प्रस्तावित राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के ड्राफ्ट में स्पष्ट रूप से दिख रहा है। डब्लूएचओ रिपोर्ट की प्रमुख बातें- रिपोर्ट में यह बात भी सामने आयी है कि 70 लाख लोगों की पूरी दुनिया में मौत बाहरी और भीतर वायु प्रदूषण की वजह से होती है। वायु प्रदूषण से मरने वाले लोगों में 90 प्रतिशत निम्न और मध्य आयवर्ग के देश हैं जिनमें एशिया और अफ्रीका शामिल है। बाहरी वायु प्रदूषण की वजह से 42 लाख मौत 2016 में हुई, वहीं घरेलू वायु प्रदूषण जिसमें प्रदूषित ईंधन से खाना बनाने से होने वाला प्रदूषण शामिल है से 38 लाख लोगों की मौत हुई। पर्यावरण संरक्षण के लिए होलिका दहन में गोबर के कंडो का करें उपयोग
पर्यावरण मंत्री श्री अंतर सिंह आर्य ने होली के त्यौहार पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए नागरिकों से अपील की है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए होलिका दहन में लकड़ियों के स्थान पर गोबर के कंडों का उपयोग करें। श्री आर्य ने कहा है कि ऐसा करने से जीवनदायी ऑक्सीजन देने वाले वृक्षों को संरक्षण प्राप्त होगा। मंत्री श्री आर्य ने नागरिकों से सुखे गुलाल की होली खेलने की भी अपील की है। उन्होंने कहा है कि जल में मिलाये गए रंग से केवल उतना ही जल खराब नहीं होता, बल्कि रंगयुक्त जल साफ जल को भी खराब करता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक एवं सम्पूर्ण जल-स्रोतों के संरक्षण के लिए सूखे गुलाल की होली खेलें। जहां आवश्यकता हो, वहाँ प्राकृतिक फूलों से निर्मित रंगों का उपयोग करें। इससे शरीर और स्वास्थ पर अनुकूल प्रभाव होता है। साथ ही जल-स्रोतों के प्रभावित होने की संभावना भी नहीं रहती। पर्यावरण मंत्री श्री अंतर सिंह आर्य ने कहा कि इन प्रयासों से पर्यावरण को बचाने तथा कम वर्षा जैसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति से बचने में सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि नागरिक इसे अपना नैतिक दायित्व मानकर खुशी-खुशी होली का त्यौहार मनायें। रायसेन में प्रदेश के पहले तितली पार्क का लोकार्पण
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा ने आज रायसेन के गोपालपुर में प्रदेश के पहले तितली पार्क का लोकार्पण किया। वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में लोक निर्माण मंत्री श्री रामपाल सिंह भी मौजूद थे। तीन हेक्टेयर में बने पार्क में 65 प्रजातियों की तितलियाँ हैं। पार्क में तितलियों के जन्म लेने और पलने-बढ़ने के लिये अनुकूल वातावरण के साथ 137 तरह के पौधे लगाये गये हैं। तितलियों के मनोरम दर्शन के लिये ट्रेकिंग ट्रेक बनाया गया है। डॉ. सीतासरण शर्मा ने लोकार्पण कार्यक्रम में कहा कि तितली पार्क प्रकृति के संरक्षण में वन विभाग की महत्वपूर्ण पहल है। इससे पार्क में आने वाले बच्चे और लोगों का प्रकृति के सानिध्य के साथ सामान्य ज्ञान भी बढ़ेगा। वन मंत्री डॉ. शेजवार ने कहा कि रायसेन में बना यह तितली पार्क ईको पर्यटन के क्षेत्र में प्रदेश को नई पहचान देगा। उन्होंने तितली पार्क निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ईको टूरिज्म बोर्ड के अधिकारियों-कर्मचारियों की सराहना की। डॉ. शेजवार ने कहा कि यहाँ बने ऑडिटोरियम में बच्चों को तितली, वन्य जीव और प्रकृति की विस्तार से जानकारी देने की व्यवस्था की गई है। ऑडिटोरियम में प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी। ट्रेकिंग ट्रेक बच्चों के लिये रोमांचकारी होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में यहां मछली घर बनाने की भी योजना है। लोक निर्माण मंत्री श्री रामपाल सिंह ने कहा कि रायसेन जिले में आने वाले पर्यटक अब ऐतिहासिक धरोहरों के साथ तितली पार्क का भी आनंद ले सकेंगे। ईको टूरिज्म बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री पुष्कर सिंह ने तितली पार्क के निर्माण के बारे में विस्तृत जानकारी दी। अतिथियों ने तितली पार्क पर आधारित ब्रोशर का भी विमोचन किया। ब्रोशर में तितलियों की प्रजाति और जीवन-चक्र के बारे में जानकारी दी गई है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. शर्मा, वन मंत्री डॉ. शेजवार और लोक निर्माण मंत्री श्री सिंह ने वन विभाग द्वारा आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को और तितली विशेषज्ञ श्री सारंग महात्रे को पुरस्कृत किया। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अनीता किरार, साँची जनपद अध्यक्ष श्री एस.मुनियन, अपर मुख्य सचिव श्री दीपक खांडेकर, प्रधान वन संरक्षक श्री अनिमेष शुक्ला, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) श्री जितेन्द्र अग्रवाल, वन विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री रवि श्रीवास्तव सहित जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे। ओडिशा में दहाड़ेंगे मध्यप्रदेश के बाघ
राज्य शासन ने ओडिशा के सतकोशिया टाइगर रिजर्व को 3 जोड़ी बाघ देने की सैद्धांतिक सहमति दी है। दोनों ही राज्यों में राष्ट्रीय बाघ आंकलन-2018 के चलते बाघों का स्थानान्तरण संभवत: मार्च के अंतिम सप्ताह में होगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बाघों के स्थानान्तरण के लिये स्वीकृति दे दी है। कभी बाघों से आबाद रहे सतकोशिया टाइगर रिजर्व में मात्र एक बाघ का जोड़ा बचा है जो अपनी औसत आयु पार कर चुका है। पिछले कुछ दिनों से मात्र एक बाघ ही कैमरे में ट्रेप हो रहा है। इन बाघों के समाप्त होने से रिजर्व में बाघ का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। ऐसे में ओडिशा सरकार द्वारा लिखे गये पत्र और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एन.टी.सी.ए.) की तकनीकी समिति की बैठक के बाद राज्य शासन ने ओडिशा को 6 बाघ भेजने का निर्णय लिया है। इससे ओडिशा में बाघों का कुनबा वापस बढ़ सकेगा। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) श्री जितेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि सतकोसिया टाइगर रिजर्व के बाघों का जेनेटिक नेचर मध्यप्रदेश के बाँधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व के बाघों से मिलता-जुलता है। पूर्व में मध्यप्रदेश से ओडिशा तक बाघ कॉरिडोर होने के भी प्रमाण हैं। आशा है इससे मध्यप्रदेश के बाघ ओडिशा के नये वातावरण में आराम से अभ्यस्त हो जाएंगे। श्री अग्रवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश बाघ शून्य हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की पुर्नस्थापना के साथ 30 बाघों को सफलतापूर्वक स्थानान्तरित कर चुका है। ओडिशा को स्थानान्तरण के पहले उनके विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों को रिलीज प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ओडिशा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) श्री संबित त्रिपाठी ने पिछले दिनों इस संबंध में मध्यप्रदेश का दौरा भी किया है। भानपुर खंती की वायु गुणवत्ता में हुआ सुधार 6 February 2018 मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भानपुर खंती के आसपास के 9 स्थानों पर लगातार परिवेशीय वायु गुणवत्ता का मापन किया जा रहा है। गत 30 जनवरी को किये गये मापन में आरएसपीएन की मात्रा निर्धारित मानक 100 माइक्रोग्राम/घन मीटर से काफी अधिक 307 से 367 माइक्रोग्राम/घन मीटर पाई गई थी, जिसमें अब काफी सुधार आ गया है। प्रमुख सचिव-सह-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष श्री अनुपम राजन ने बताया कि 5 फरवरी, 2018 को खंती के आसपास के 9 स्थानों पर प्राप्त परिणाम केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रकाशित एयर क्वालिटी इण्डेक्स के अनुसार मध्यम स्तर पाया गया। वायु गुणवत्ता इण्डेक्स का स्तर 5 फरवरी को दामखेड़ा में 124.33, खेजड़ा में 117.48, भानपुर में 162.23, कोच फेक्ट्री में 178.41, करारिया में 154.92, कोलुआ में 155.22, मीनाल में 133.87, अयोध्या नगर में 128.30 और करोंद में 169.77 पाया गया। श्री राजन ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सभी 9 स्थानों पर निगरानी केन्द्र बनाकर लगातार 8-8 घंटे की शिफ्ट में सुबह 6 से 2, 2 से 10, 10 से अगले दिन सुबह 6 बजे तक प्रदूषण की मॉनीटरिंग की जा रही है। हर 4 घंटे में सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड गैसीय मात्रा की जाँच की जा रही है। लगातार पानी डालने से आग पर काबू पाने से आगजनित प्रदूषण हवा में समाप्त हो चला है। अभी वाहन, ध्वनि, नियमित दिनचर्या आदि से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण से ही वायु-स्तर प्रभावित है। मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. रीता कोरी ने बताया कि बोर्ड 2.5 माइक्रोग्राम और 10 माइक्रोग्राम साइज के पी.एम. (पर्टीकुलेट मेटर) का फिल्टर कर जाँच कर रहा है। छोटे 2.5 माइक्रोग्राम पी.एम. की क्षमता फेफड़ों के अंदर तक प्रवेश करने की होने के कारण इनको विशेष रूप से नियंत्रित किया गया है मंत्री श्रीमती माया सिंह का भानपुर खंती डम्पिग क्लोजर के लिए केन्द्र से 39 करोड़ देने का अनुरोध 31 January 2018 नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने नई दिल्ली में केन्द्रीय शहरी विकास, आवासीय एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी से भेंट की। श्रीमती माया सिंह ने शहरी विकास गतिविधियों के लिए भारत सरकार द्वारा मध्यप्रदेश को दी जाने वाली 2 हजार 434 करोड़ रूपये की राशि शीघ्र जारी किए जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नगरीय विकास गतिविधियों पर प्राथमिकता के साथ समयबद्ध कार्यक्रम के अनुसार कार्य किया जा रहा है। श्रीमती माया सिंह ने भोपाल शहर की डम्पिंग साइड भानपुरी खंती के क्लोजर हेतु 39 करोड़ तथा इंदौर और भोपाल शहर की मेट्रो परियोजनाओं के भारत सरकार के पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड तथा केन्द्रीय मंत्रि-परिषद से अपेक्षित अनुमति शीघ्र प्रदान करने का अनुरोध भी किया है। केन्द्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी से चर्चा के दौरान श्रीमती माया सिंह ने कहा कि भारत सरकार की शहरी विकास, शहरी आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश द्वारा उल्लेखनीय प्रगति दर्ज करवाई गई है। इसके लिए भारत सरकार द्वारा मध्यप्रदेश को समय-समय पर प्रशस्ति-पत्र भी प्रदान किया गया है। भारत सरकार के सहयोग से मध्यप्रदेश गत 3 वर्षो में प्रधानमंत्री आवास योजना, अमृत योजना, स्मार्ट सिटी योजना, स्वच्छ भारत मिशन, दीन दयाल डे-एनयूएलएम के क्रियान्वयन में देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी से है। श्रीमती माया सिंह ने कहा मध्यप्रदेश सरकार भोपाल और इंदौर में शीघ्र ही मेट्रो रेल सुविधा को मूर्तरूप प्रदान करना चाहती है। इसी क्रम में 'स्वच्छ भारत मिशन' के अंतर्गत नगरीय क्षेत्रों में डम्प किए गये कचरे के वैज्ञानिक निष्पादन के लिये पृथक से व्यवस्था की जाती है, तो नगरीय निकाय भविष्य में इससे आय अर्जित कर सकेंगे तथा शहरी क्षेत्र की कीमती जमीन भी डम्पिंग ग्राउण्ड से मुक्त होगी। इसी कड़ी में उन्होंने भोपाल के भानपुर खंती डम्पिंग क्लोजर हेतु 39 करोड़ रूपये की राशि शीघ्र प्रदान किए जाने का अनुरोध किया। नगरीय प्रशासन मंत्री ने कहा कि अमृत योजना के तहत वर्ष 2015-16 की 268 करोड़ 82 लाख रूपये तथा वर्ष 2016-17 की 345 करोड़ 12 लाख रूपये की राशि शीघ्र प्रदान करने किए जाने की अपेक्षा है। उन्होंने भारत सरकार द्वारा ऑफिस एडमिनिस्ट्रेशन और ऑफिस एक्सपेंन्स मद में भी लंबित राशि 31 करोड़ 23 लाख रूपये तथा प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत पूर्व में स्वीकृत राशि में से एक हजार 789 करोड़ रूपये की राशि शीघ्र प्रदान कराये जाने का अनुरोध केन्द्रीय मंत्री से किया। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री ने की मध्यप्रदेश की प्रगति की प्रशंसा केन्द्रीय शहरी विकास, आवासीय एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह से चर्चा के दौरान मध्य प्रदेश में शहरी विकास गतिविधियों के तहत केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की कार्य प्रणाली की प्रशंसा की। प्रमुख सचिव पर्यावरण श्री अनुपम राजन द्वारा भानपुर खंती का औचक निरीक्षण 31 January 2018 प्रमुख सचिव पर्यावरण-सह-अध्यक्ष प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड श्री अनुपम राजन ने भोपाल की भानपुर खंती में अचानक लगी आग और उससे वायु प्रदूषण की शिकायत पर बुधवार को अमले के साथ स्थल का औचक निरीक्षण किया। श्री राजन ने कचरा भण्डारण क्षेत्र के चारों ओर तार फेंसिंग अथवा बाउण्ड्री-वॉल निर्माण कराये जाने तथा स्थल की सतत निगरानी के लिये कैमरे लगाने के निर्देश दिये। श्री राजन द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए फायर बिग्रेड की दमकलों से लगातार पानी डालने को कहा गया है। क्षेत्रीय अधिकारी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आयुक्त नगर निगम को घटना के सबंध में कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। भानपुर खंती में आग लगने और उससे वायु प्रदूषण की शिकायत पर श्री राजन के साथ बोर्ड के सदस्य सचिव श्री ए.ए. मिश्रा, क्षेत्रीय अधिकारी भोपाल डॉ. पी.एस. बुंदेला, नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी श्री राकेश शर्मा सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी भी उपस्थित थे। बाघिन को पहनाया रेडियो-कॉलर
पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बाघिन पी-213 (33) को सफलतापूर्वक रेडियो-कॉलर पहनाकर हिनौता के जंगल में छोड़ दिया है। यह बाघिन पिछले कुछ महीनों से अमानगंज बफर परिक्षेत्र से लगे गाँव विक्रमपुर के आसपास घूम रही थी। कई बार मवेशियों के शिकार की सूचनाएँ भी मिली थीं। मानव-वन्यप्राणी द्वंद को देखते हुए वन विभाग ने बाघिन को रेडियो कॉलर पहनाकर कोर-क्षेत्र में छोड़ने का निर्णय लिया। रेडियो-कॉलर पहनाने से बाघिन के विचरण की लोकेशन लगातार मिलती रहेगी। बाघिन को राजा तालाब के पास ट्रेंकुलाइज कर रेडियो-कॉलर पहनाया गया। सारी कार्यवाही क्षेत्र संचालक श्री विवेक जैन के नेतृत्व में वन्य-प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता और टीम ने की। बाघिन स्वस्थ है और हिनौता परिक्षेत्र में स्वच्छंद विचरण कर रही है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने नवाचार भी करें वनाधिकारी : केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने गुरुवार को यहां वन विभाग की गतिविधियों की समीक्षा के दौरान कहा कि विकास के परिणाम स्वरूप जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के समाधान के लिये पूरी दुनिया एकजुट होकर कार्य-योजना बना रही है। दुनिया को इस समस्या से उबारने में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वन अधिकारियों को ईश्वरीय कार्य के साथ जुड़ने का मौका मिला है। वे रूटीन कामों के साथ ही ऐसे नवाचार भी करें जो देश और दुनिया में मिसाल बनें। उन्होंने कहा कि भारत में घने एवं स्वस्थ जंगल, नदी, हवा-पानी और संवेदनशील भाव विरासत में मिले हैं। अब हमारा कर्त्तव्य है कि भावी पीढ़ी को स्वस्थ और स्वच्छ प्राकृतिक विरासत सौंपें। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पृथ्वी के तापमान में इसी तरह वृद्धि जारी रही तो प्राणियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने मध्यप्रदेश में विगत 2 जुलाई 2017 को 7 करोड़ से अधिक पौधारोपण की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि 90 प्रतिशत से अधिक पौधे जीवित अवस्था में हैं। उन्होंने दूरस्थ अंचलों में वन विभाग द्वारा संचालित दीनदयाल योजना की भी सराहना की। उन्होंने वन अधिकारियों से कहा कि प्रयोगशाला और मैदानी कार्य का सम्मिश्रण करते हुए असाधारण लक्ष्य बनायें और उस पर काम करें।
प्रदेश में बाघों और तेंदुओं की संख्या बढ़ाने की दीर्घकालीन योजना बनेगी
प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत गैर-वानिकी कार्य के प्रकरणों से प्राप्त 5 प्रतिशत राशि टाईगर फांउडेशन सोसायटी में जमा करायी जायेगी। इस राशि से वन एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण और संवर्धन के कार्य कराये जा सकेंगे। कूनो-पालपुर अभ्यारण्य में प्रदेश के बाघों को रखा जायेगा। ये निर्णय आज मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में लिये गये। बैठक में वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैठक में कहा कि प्रदेश में बाघों और तेंदुओं की संख्या बढ़ाने की दीर्घकालीन योजना बनायें। करंट लगने से बाघ के मरने और बाघ के अवैध शिकार जैसी घटनाओं में सख्त कार्रवाई की जाये। बाघ संरक्षण के लिये वन विभाग समग्रता से विचार करे। इनके रहवासी क्षेत्र में आने से होने वाली जनहानि को रोका जाये। खरमोर और सोन चिरैया के संरक्षण के लिये ग्रासलैंड वृद्धि के प्रयास करें। वन ग्रामों में उज्जवला योजना के गैस सिलेंडर रिफिल करने का कार्य वन समितियों को देने पर विचार करें। इस अवसर पर बताया गया कि प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों में 21 ईको सेंसेटिव जोन की अधिसूचना जारी हो गयी है। बैठक में ग्वालियर जिले के घाटी गांव क्षेत्र में बिठौला से गोकुलपुर मार्ग और गिरवई से तिल्ली फेक्ट्री मार्ग के उन्नयन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। टाईगर क्षेत्रों के मार्गों पर वन्य पशुओं की वाहनों से होने वाली दुर्घटना रोकने के लिये उनके क्रासिंग वाले क्षेत्रों में स्पीड ब्रेकर बनाने पर सहमति दी गई। रातापानी अभ्यारण के अंतर्गत विनेका से बोरपानी तक की ग्रामीण सड़क निर्माण का अनुमोदन किया गया। इसी तरह घाटीगांव क्षेत्र में निरावली-मोहना मार्ग निर्माण का अनुमोदन किया गया। बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में वर्ष 2018 में होने वाली बाघ गणना की तैयारियां की जा रही हैं। प्रदेश में 144 ईको पर्यटन क्षेत्र चयनित किये गये हैं। वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिये चलाये जा रहे क्लोज टू माई हार्ट कार्यक्रम से प्रदेश में एक हजार लोग जुड़े हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान और वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार भी इस अभियान से जुड़े हैं। इसके लिये 300 रुपये का दान करना होता है। बैठक में अपर मुख्य सचिव वन श्री दीपक खाण्डेकर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री अनिमेष शुक्ल सहित वन्य प्राणी बोर्ड के अशासकीय सदस्य तथा संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में वन्यप्राणी सप्ताह 2017 का शुभारंभ
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में वन्यप्राणी सप्ताह 2017 का शुभारंभ डॉ. अनिमेष शुक्ला प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं बल प्रमुख मध्यप्रदेश वन विभाग द्वारा किया गया। अतिथियों ने पेंटिंग बनाकर वन्यप्राणी सप्ताह का शुभारंभ किया। वन विहार प्रबंधन द्वारा प्रतिभागियों को घास की चिट्ठी की रिंग एवं स्टीकर प्रदाय किये गये जिसे बच्चों द्वारा पसंद किया गया। वन विहार आने वाले पर्यटकों को भी घास की चिट्ठी दोनों प्रवेश द्वारों से दी गई। आगामी छ: दिनों में अन्य वन्यप्राणियों द्वारा लिखी गई चिट्ठियां प्रतिभागियों को तथा पर्यटकों को दी जाएंगी। वन विहार स्थित वीथिका में आज से 7 अक्टूबर 2017 तक के लिये वन्यप्राणियों के फोटोग्राफ्स की पदर्शनी लगाई गई है। वन्यप्राणी सप्ताह के प्रथम दिन आज वन विहार राष्ट्रीय उद्यान स्थित विहार वीथिका में चित्रकला प्रतियोगिता सम्पन्न हुई। इसमें प्रथम वर्ग कक्षा एक से चार तक के प्रतिभागियों हेतु वन विहार की तितलिया, दूसरा वर्ग पांच से आठ तथा तीसरा वर्ग कक्षा नौ से बारह हेतु ' 'वन विहार के पक्षी' विषय पर प्रतिभागियों ने चित्रकारी की। इसी प्रकार चौथ वर्ग महाविद्यालयीन विद्यार्थियों ने ' भारत की सांस्कृतिक धरोहर में वन्यप्राणी' तथा पांचवे वर्ग दिव्यांग छात्रों ने अपनी पसंद के विषय पर चित्रकारिता की। प्रतियोगिता में लगभग 55 शिक्षण संस्थाओं के लगभग 1080 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी), श्री जितेन्द्र अग्रवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन विकास निगम), श्री रवि श्रीवास्तव, मुख्य कार्यपालन अधिकारी ईको पर्यटन विकास बोर्ड श्री पुष्कर सिंह सदस्य सचिव जैव विविधता बोर्ड श्री आर. श्रीनिवास मूर्ति अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी श्री आलोक कुमार सेवानिवृत्त अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री आर.पी. सिंह तथा अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री सुधीर कुमार, श्री रमेश कुमार गुप्ता, श्री असीम श्रीवास्तव, श्री चितरंतन त्यागी, एस.के. मंडल वन संरक्षक भोपाल वनमंडल श्री एस.पी.एस. तिवारी राज्य वन्यप्राणी बोर्ड के सदस्य डॉ. सुरेन्द्र तिवारी संचालक वन विहार श्रीमती समीता राजौरा, सहायक संचालक वन विहार श्री शेखर जंगले अन्य वन अधिकारी तथा बड़ी संख्या में शालाओं के शिक्षक एवं विद्यार्थीगण तथा उनके अभिभावक एंव मीडियाकर्मी भी उपस्थित थे। आज के कार्यक्रम दिनांक 2 अक्टूबर को प्रात 6 बजे से 8.30 बजे तक पक्षी एवं जैव-विविधता शिविर, प्रात: 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक फोटोग्राफी प्रतियोगिता तथा पूर्वान्ह 9 बजे से 11 बजे तक रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। पब्लिक रिलेशन सोसायटी आफ इंडिया के भोपाल चैप्टर के वृक्षारोपण कार्यक्रम,
भोपालः आज बदलते पर्यावरण के करण जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रही है। पर्यावरण को बेहतर बनाने में वृक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वृक्ष कार्बन डाई आक्साइड सोखते हैं और आक्सीजन हमारे लिए छोड़ते हैं, जो हमें जीवन प्रदान करती है। वृक्षों के इसी महत्व को देखते हुए पब्लिक रिलेशन सोसायटी आफ इंडिया के भोपाल चैप्टर और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की ओर से वृक्षारोपण किया गया। जहां पब्लिक रिलेशन सोसायटी आफ इंडिया के भोपाल चैप्टर और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सदस्यों ने आस्था परिसर बिजली नगर गोविंदपुरा में वृक्षारोपण किया। पौधरोपण से पहले आरएसआई के सभी सदस्यों को मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के उप महाबंधक राजेश शर्मा ने विद्युत वितरण प्रक्रिया का डेमो डमी पावर स्टेशन पर ले जाकर दिया और विद्युत वितरण कंपनी के सभी 16 जिलों के कॉल सेन्टर की कार्यप्रणाली को समझाने के लिए सेन्टर का भ्रमण करवाया। पौधारोपण कार्यक्रम के अवसर पर सचिव डॉ. संजीव गुप्ता ने सभी सदस्यों द्वारा समाज हित में किये इस महत्वपूर्ण योगदान हेतु आभार व्यक्त किया। अरविन्द चतुर्वेदी ने कहा कि अधिक से अधिक पौधे लगाने के साथ नदियों को भी साफ रखना जरूरी है। संजय सीठा ने हवा में बढ़ते प्रदूषण पर चिन्ता व्यक्त की। कमल किषोर दुबे ने कहा कि पुराने समय से भारतीय संस्कृति में वृक्षों की पूजा की जाती रही है। अध्यक्ष पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि नमामि देवी नर्मदे जैसे जन अभियान से पर्यावरण को संरक्षित करने में आमजन की सहभामिता सुनिष्चित हुई है। हमकों अपने आस-पास के पर्यावरण को साफ एवं बचाने के लिए लगातार पौधारोपण के साथ ही जल स्त्रोतों के संरक्षण पर ध्यान देना होगा। पब्लिक रिलेषन सोसायटी ऑफ इंडिया के भोपाल चैप्टर द्वारा पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन गोविन्दपुरा के बिजली नगर स्थित आस्था परिसर में किया गया। जिसमें संस्थापक अध्यक्ष अरविन्द चतुर्वेदी, पूर्व अध्यक्षगण संजय सीठा, विजय बोन्द्रिया एवं प्रकाष साकल्ले, वर्तमान अध्यक्ष पुष्पेन्द्र पाल सिंह , सचिव डॉ. संजीव गुप्ता, कोषाध्यक्ष मनोज द्विवेदी, वरिष्ठ सदस्य विष्णु खन्ना, जगदीष कौषल एवं कमल किषोर दुबे, महिला विन्ग की संयोजक उमा भार्गव, संयुक्त सचिव गोविन्द चौरसिया एवं योगेष पटेल, विजया पाठक, महेन्द्र पवार, शुभ तिवारी, रत्नदीप बांगरे, शैलेन्द्र ओझा, शोभा खन्ना, आर. के. शर्मा सहित बड़ी संख्या में पी.आर.एस.आई. सदस्यों ने छायादार पौधे लगाये। वर्ष 2018 में प्रदेश में हो जायेंगे 350 से अधिक बाघ> 29 July 2017 परूस के सेंट पीटर्सवर्ग में वर्ष 2010 में हुए सम्मेलन में दुनिया में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का संकल्प लिया गया था। वर्ष 2010 में मध्यप्रदेश में 257, वर्ष 2014 में 308 बाघ थे। प्रदेश के 6 टाइगर रिजर्व एवं क्षेत्रीय वन मण्डलों से प्राप्त हो रहे कैमरा ट्रेप छायाचित्रों से वर्ष 2018 में इनकी संख्या 350 से अधिक होने का अनुमान है। इस प्रकार मध्यप्रदेश 8 वर्षों में बाघों की संख्या में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए अंतर्राष्ट्रीय संकल्प को पूरा करने में भरपूर योगदान दे रहा है। वर्ष 2014 में मध्यप्रदेश में 286 अलग-अलग बाघों के चित्र कैमरा ट्रेप में मिले थे, जो भारत के किसी भी प्रदेश से मिले बाघ चित्रों में सर्वाधिक थे। वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने यह जानकारी आज नई दिल्ली में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा विश्व बाघ दिवस पर विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में दी। डॉ. शेजवार ने केन्द्रीय मंत्री का विश्व बैंक, यूएनडीपी और केन्द्रीय वन मंत्रालय द्वारा अक्टूबर-2017 में की जा रही ग्लोबल वाइल्ड लाइफ कॉन्फ्रेंस के लिये मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व के चयन के लिये धन्यवाद भी दिया। पेंच टाइगर रिजर्व में जन-भागीदारी से किये जा रहे वन्य-प्राणी संरक्षण के उत्कृष्ट कार्य 18 देशों के प्रतिनिधि फील्ड विजिट के दौरान देखेंगे। डॉ. शेजवार ने बताया कि वन्य-प्राणी प्रबंधन को वैज्ञानिक दृष्टि से अधिक सुदृढ़ बनाने के लिये राज्य वन अनुसंधान संस्थान, जो पहले सामान्यत: वानिकी अनुसंधानों तक ही सीमित था, उसमें वन्य-प्राणी विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। इसी प्रकार जबलपुर में स्थापित नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विद्यालय में वन्य-प्राणी फॉरेंसिक एवं स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना की गयी है। कार्यक्रम के बाद केन्द्रीय वन मंत्री के साथ हुई वन-टू-वन बैठक में मध्यप्रदेश को खरबई और सागर में चिड़िया-घर-सह-रेस्क्यू सेंटर खोलने के लिये सैद्धांतिक सहमति दी गयी। डॉ. शेजवार ने वन्य-प्राणी अपराधों के अन्वेषण में सहायता के लिये इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट में राज्यों के वन विभागों को लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसी घोषित करने का भी अनुरोध किया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) श्री जितेन्द्र अग्रवाल और एप्को पर्यटन बोर्ड के कार्यपालन संचालक श्री पुष्कर सिंह भी मौजूद थे। राष्ट्रीय उद्यानों-अभयारण्यों में विकास कार्यों के प्रस्तावों को मंजूरी> 11 July 2017 प्रदेश के कान्हा और सतपुड़ा टाईगर रिजर्व को तीसरी एशियन मिनिस्ट्रीयल कान्फ्रेंस दिल्ली में वन्यप्राणी प्रबंधन के लिये पुरस्कृत किया गया है। प्रदेश में पाँच नये वाइल्ड लाईफ रेस्क्यू स्क्वाड का गठन किया गया है। इन्हें मिलाकर अब प्रदेश में 15 वाइल्ड लाईफ रेस्क्यू स्क्वाड हो गये हैं। राजस्व क्षेत्रों में फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले रोजड़ों को पकड़कर संरक्षित क्षेत्रों में छोड़ा गया है। यह जानकारी आज मंत्रालय में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न मध्यप्रदेश राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में दी गयी। बैठक में प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों के भीतर विकास कार्यों की अनुमति के प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी। वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, राज्य वन्यप्राणी बोर्ड के अशासकीय सदस्य, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक श्री अनिमेष शुक्ला, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) श्री जितेन्द्र अग्रवाल बैठक में उपस्थित थे। बैठक में मध्यप्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत स्थित ग्रामों के ग्रामीणों के अधिकारों के विनिश्चयन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गयी। संरक्षित क्षेत्रों के ग्रामों के विस्थापन के बाद पुनर्वासित वन भूमि को राजस्व भूमि में परिवर्तन करने तथा संरक्षित क्षेत्रों से राजस्व ग्रामों के विस्थापन के बाद रिक्त राजस्व भूमि को वन भूमि में परिवर्तित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गयी। बैठक में रातापानी अभयारण्य में बरखेड़ा से बुधनी तक प्रस्तावित तीसरी रेल लाईन निर्माण, सतपुड़ा टाईगर रिजर्व की सीमा के भीतर सोनतलाई-बागरातवा आंशिक दोहरीकरण बड़ी रेल लाईन परियोजना के लिये वन भूमि अर्जन, सोन घड़ियाल अभयारण्य में रीवा-सीधी-सिंगरौली नई रेल लाईन में सोन नदी पर भितरी-कुर्वाह पुल निर्माण, संजय टाईगर रिजर्व में कटनी-सिंगरौली रेलवे लाईन के दोहरीकरण और विद्युतीकरण की स्वीकृति दी गई। इसी तरह, संजय टाईगर रिजर्व में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क विकास योजना में चार पहुँच मार्गों के निर्माण, खिवनी अभयारण्य में नंदाखेड़ा से ओंकारा मार्ग निर्माण, सोन चिड़िया अभयारण्य घाटी गाँव में ए.बी. रोड-बसोटा रोड से चराईडान मार्ग, सोन घड़ियाल अभयारण्य में बहर-कोरसर मार्ग में गोपद नदी पर उच्च-स्तरीय पुल, राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य में चंबल नदी पर सोने का गुरजा पर उच्च-स्तरीय पुल, सोन घड़ियाल अभयारण्य में सोन नदी पर नकझर से बमुरी सिंहावल मार्ग में उच्च-स्तरीय पुल, सतपुड़ा टाईगर रिजर्व में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में रामपुर से भतौड़ी मार्ग का उन्नयन, सतपुड़ा टाईगर रिजर्व में पिपरिया-पचमढ़ी से घाना मार्ग निर्माण और सोन चिड़िया अभयारण्य में ग्राम धुंआ से तकियापुरा बसौटा मार्ग पर मरम्मत और तीन पुलिया निर्माण की स्वीकृति के प्रस्ताव का बैठक में अनुमोदन किया गया। इसी तरह सोन घड़ियाल अभयारण्य में सोन नदी पर सीधी-सिंहावल 132 के.व्ही. विद्युत पारेषण लाईन, रीवा-सीधी 220 के.व्ही. पारेषण लाईन, सोन नदी एवं बनास नदी पर 765 के.व्ही. विद्युत लाईन की स्वीकृति का अनुमोदन किया गया। सतपुड़ा टाईगर रिजर्व में रक्षा बलों के लिये राज्य मार्ग 19 और 19ए के तरफ के किनारों में ऑप्टिकल फायबर केबल लाईन बिछाने तथा नरसिंहगढ़ अभयारण्य में रक्षा बलों के लिये राज्य मार्ग-12 के किनारे ऑप्टिकल फायबर केबल लाईन बिछाने की अनुमति का अनुमोदन किया गया। इसी तरह विभिन्न अभयारण्य में दस किलोमीटर की परिधि में उत्खनन के प्रस्तावों की अनुमति का अनुमोदन किया गया। माधव राष्ट्रीय उद्यान में मनीखेड़ा डेम से शिवपुरी तक पानी की पाइप लाइन सोन चिड़िया अभयारण्य में ग्राम धुंआ में खेल मैदान निर्माण, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान की दस किलोमीटर की परिधि में ग्राम अकबरपुर कोलार दशहरा मैदान भोपाल में स्टेडियम निर्माण के प्रस्ताव की स्वीकृति का अनुमोदन किया गया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैठक में वनरक्षकों के जीवन पर बनायी गयी दो फिल्मों की सी.डी. का विमोचन किया। पावर सेक्टर को कोयला से इतर अक्षय ऊर्जा पर ध्यान केन्द्रित करने की जरुरत : ग्रीनपीस इंडिया 8 September 2016 ऩई दिल्ली। 6 सितंबर 2016। आज दिल्ली के होटल ले मेरिडियन में हो रहे ‘इंडियन कोल - सस्टेनिंग द मोमेंटम’ नामक एक कॉन्फ्रेंस में, जहाँ कोयला और ऊर्जा मंत्रालय ने हिस्सा लिया, वहीं ग्रीनपीस इंडिया ने भी अपना प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया। ग्रीनपीस ने प्रदूषण फैलाने, व वैश्विक जलवायु परिवर्तन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले, इस कोयला उद्योग को जारी रखने पर सवाल उठाए, और ऊर्जा मंत्रालय को याद दिलाया कि अक्षय ऊर्जा ही भविष्य के लिये सबसे टिकाऊ और स्वच्छ माध्यम है, जिसमें देश की ऊर्जा जरुरतों को पूरा करने की क्षमता है। ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेनर सुनिल दहिया ने कहा, “इस समय हमें एक असफल इंडस्ट्री को बचाने की कोशिश करने के बजाय, भविष्य के लिये नयी संभावनाओं को तलाशने में ध्यान देना चाहिए। यदि ऊर्जा सेक्टर विकास के साथ अपनी गति बनाए रखना चाहे, तो इसे खुद को बदलना होगा। प्रधानमंत्री ने देश के लिये महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को रखा है जिन्हें पाने के लिये ऊर्जा क्षेत्र में निवेश व ध्यान दोनों केंद्रित करना होगा। भविष्य के हिसाब से यही सुरक्षित उपाय है, न कि हर कीमत पर कोयले को जारी रखने की सोच, जो देश के वर्तमान और भविष्य दोनों के लिये एक खतरा बन चुका है।” दिसंबर 2015 में, ग्रीनपीस इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पेरिस जलवायु परिवर्तन कॉन्फ्रेंस में की गयी घोषणा का स्वागत किया था, जिसमें उन्होंने 2022 तक 175 गिगावाट ऊर्जा अक्षय स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य रखा था। इस आईएनडीसी घोषणा से पहले भी, प्रेस सूचना ब्यूरो से जारी आधिकारिक विज्ञप्तियों में विभिन्न सरकारी संस्थाओं द्वारा अक्षय ऊर्जा के प्रति उत्साह दिखाया जाता रहा है। लेकिन एक विपरीत विंडबना में इसी सामानंतर सरकार कोयला में भी निवेश को प्रोत्साहित कर रही है और थर्मल पावर प्लांट को लगाने की योजना बना रही है। दहिया आगे कहते हैं, “स्वयं ऊर्जा मंत्री पीयुष गोयल के अनुसार, हमारे पास कोयला और बिजली का पहले से ही सरप्लस है। ऐसे मे सरकार को कोयला आधारित बिजली परियजोनाओं की बजाय अपने प्रयास भारत के अक्षय ऊर्जा की संभावनाओं को बढ़ाने में लगाना चाहिए। यही एक मात्र रास्ता है जिससे हम लोगों के स्वास्थ्य को, खत्म होते जंगल को, वन्यजीव और जीविका के साधनों को बचाते हुए, देश की ऊर्जा जरुरतों को पूरा कर सकते है, और वैश्विक जलवायु परिवर्तन को रोकने की कोशिश में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।” ग्रीनपीस इंडिया ने कोयला आधारित अर्थव्यवस्था से हटने की जरुरतों पर ध्यान आकर्षित करवाते हुए कोल सेक्टर से जुड़ी गंभीर चिंताओं की तरफ भी इशारा किया। उदाहरण के लिये सरकार को घने वन क्षेत्र वाले इलाके को कोयला खनन से बचाने के लिये एक पारदर्शी अक्षत नीति लाने की जरुरत है। आरटीआई से मिली सूचना के विश्लेषण के आधार पर ग्रीनपीस को पता चला है कि 825 में से 417 कोयला ब्लॉक नदी क्षेत्र में आते हैं। इन जगहों पर खनन से निश्चित ही देश के साफ जल स्रोत पर असर पड़ेगा। ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट ‘ट्रेशिंग टाइगरलैंड’ में यह तथ्य भी सामने आया था कि कोयला खनन की वजह से हजारों हेक्टेयर जंगल, बाघ, हाथियों व अन्य जीवों के निवास पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं एक और रिपोर्ट ‘आउट ऑफ साईट’ में दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों में वायु प्रदुषण की एक बड़ी वजह थर्मल पावर प्लांट का होना पता चला था। कोयला पावर प्लांट से निकलने वाले वायु प्रदुषण से 2012 में भारत में 80000 से 1.15 लाख लोगों के समयपूर्व मृत्यु होने का आकलन किया गया है। इसी साल जून में निवेशकों के लिये ग्रीनपीस द्वारा जारी एक ‘फाइनेंस ब्रिफिंग’ में यह बताया गया था कि पानी की कमी की वजह से कोल कंपनियों को 2,400 करोड़ का घाटा हुआ और कोयला में निवेश एक खराब सौदा साबित हो रहा है। दहिया अंत में कहते हैं, “भारत में कोयला सेक्टर को बढ़ावा देना निरर्थक है और इसका असर समाज के कई हिस्सों पर होगा मसलन वन समुदाय और किसान से लेकर शहर में रहने वाले लोगों और उर्जा क्षेत्र में सक्रिय निवेशकों और अन्य साझेदारो तक।” ग्रीनपीस इंडिया ने उर्जा मंत्रालय से यह मांग की है कि वह पेरिस समझौते में शामिल अक्षय ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में ठोस पहल करे। संस्था ने पर्यावरण मंत्रालय से भी यह उम्मीद की है कि वह कोयला खनन और थर्मल पावर प्लांट्स को दिए जा रहे क्लियरेंस पर रोक लगाए, अक्षय श्रेणी के वन क्षेत्र की पहचान करे और वर्तमान में चल रहे पावर प्लांट्स पर वायु प्रदूषण को रोकने के लिये जारी मानकों का कठोरता से पालन करवाये।
हमारी भावनाओं के केन्द्र में है सफेद शेर - राजेन्द्र शुक्ल पर्यावरणीय अनापत्ति की अपेक्षा से छूट वाले कार्यों की सूची जारी 11 March 2016 खनन संबंधी पर्यावरणीय अनापत्ति की अपेक्षा नहीं वाले कार्यों की सूची जारी कर दी है। खनन संबंधी जिन मामलों में पर्यावरणीय अनापत्ति की अपेक्षा से छूट रहेगी, उनमें साधारण मिट्टी या बालू की कुम्हारों द्वारा मिट्टी के घड़े, लैंप, खिलौने आदि बनाने के लिए अनकी प्रथाओं के अनुसार निकासी। मिट्टी की टाइलें बनाने वालों द्वारा जो मिट्टी की टाइलें बनाते है, के लिए असाधारण मिट्टी या बालू की निकासी। किसानों द्वारा बाढ़ के पश्चात कृषि भूमि से बालू के जमाव को हटाना। ग्राम पंचायत में अवस्थित स्त्रोतों से बालू और साधारण मिट्टी को वैयक्तिक उपयोग या ग्राम में सामुदायिक कार्य के लिए प्रथा के अनुसार खनन करना शामिल है। इसी प्रकार सामुदायिक कार्य जैसे ग्रामीण तालाबों या टैंको से गाद हटाना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार और गांरटी स्कीमो, अन्य सरकारी प्रयोजित स्कीमों तथा सामुदायिक प्रयासों द्वारा ग्रामीण सड़कों, तालाबों, बांधों का संनिर्माण, बांधो, मेड़ों, बैराजों, नदी और नहरों की उनके अनुरक्षण तथा आपदा प्रबंधन के प्रयोजन के लिए तलमार्जन औद गाद निकालना। बंजारा और ओड़ द्वारा बालू के पारंपरिक उपजीविका कार्य। सिंचाई या पेयजल के लिए कुंगों की खुदाई। ऐसे भवनों की नींव के लिए खुदाई जिनके लिए पूर्व पर्यावरणीय अनापत्ति अपेक्षित नहीं है। जिला कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर किसी नहर, नाला, ड्रेन, जल निकाय आदि में होने वाली दरार को भरने के लिए साधारण मिट्टी या बालू का उत्खनन पर्यावरणीय अनापत्ति के किया जा सकेगा ताकि किसी आपदा या बाढ़ जैसी स्थिति से निपटा जा सके। इसके अलावा ऐसे कार्यकलाप जिन्हें राज्य सरकार द्वारा विधान या नियमों के अधीन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकारी की सहमति से गैर खननकारी कार्यकलाप घोषित किया है। दिल्ली में कार फ्री डे से पहले ग्रीनपीस ने किया वायु प्रदुषण के खिलाफ लोगों को जागरुक 23 October 2015 दिल्ली में प्रथम ‘कार फ्री डे’ से पहले ग्रीनपीस ने रविवार को दिल्ली हाट में वायु प्रदुषण के बारे में जानकारी देने के लिये एक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के माध्यम से पर्यावरण संस्था ग्रीनपीस ने लोगों को वायु प्रदुषण से बचाव के लिये जागरुक किया और सरकार से मांग की है कि राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एनएक्यआई) में जरुरी सुधार किये जायें, जिससे वायु प्रदुषण की सही-सही जानकारी लोगों को मिल सके। यह कार्यक्रम ग्रीनपीस के ‘स्वच्छ वायु राष्ट्र अभियान’ के तहत वॉलंटियरों द्वारा आयोजित किया गया था। वालंटियरों ने अनेक रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से लोगों को वायु प्रदुषण के खतरे से बचने के लिये बरते जाने वाले एहतियाती उपायों के बारे में बताया। कार्यक्रम में विशाल धरती के प्रतीक के रूप में एक बड़े ग्लोब को मास्क लगाया गया था। कार्यक्रम के दौरान वॉलंटियरों ने लोगों से बातचीत किया और वायु प्रदुषण से जुड़े आसान से सवाल-जवाब किये। इन गतिविधियों के माध्यम से ग्रीनपीस ने लोगों से वायु प्रदुषण पर सरकार से सटीक जानकारी मांगने के लिये प्रोत्साहित किया और सरकार से मांग की कि वह स्वच्छ वायु को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दिखाते हुए योजनाओं को अमलीजामा पहनाये। ग्रीनपीस इंडिया की कैंपेनर रुथ डिकॉस्टा ने कहा, “दिल्ली हाट आने वाले लोग अगर एहतियात नहीं बरतते हैं तो उनके स्वास्थ्य पर खतरा है। वर्तमान समय में वायु गुणवत्ता को लेकर सूचना और एहतियाती उपायों के अभाव में सैकड़ों लोगों खासकर बच्चे और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। तत्काल स्वास्थ्य पर कोई कुप्रभाव नहीं होने से लोग वायु प्रदुषण से खतरा महसूस नहीं कर पाते हैं। राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी सूचकांक लगाने के पीछे सरकार की अच्छी मंशा थी लेकिन यह प्रक्रिया तबतक अपूर्ण है जबतक कि लोगों को जागरुक नहीं किया जाये और मास्क लगाने, भारी प्रदुषण के दिन कार नहीं चलाने जैसे एहतियात नहीं बरते जायें।” पूरे देश में दिल्ली वायु प्रदुषण की प्रतीक बन गयी है। धीरे-धीरे यह समस्या सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रह जाएगी। हाल ही में ग्रीनपीस ने ताजा स्थिति की जांच के दौरान पाया कि एनएक्यूआई को लागू करने के निवेश, व बुनियादी ढांचे में काफी अन्तर है। सूचकांक के आकड़ों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिये केवल दिल्ली में 10 निगरानी स्टेशन हैं, वहीं चेन्नई, बेंगलूर और लखनऊ में तीन-तीन स्टेशन हैं, जबकि हैदराबाद में दो स्टेशन हैं और अन्य दस शहरों में केवल एक-एक स्टेशन ही हैं। यही नहीं, दिल्ली में भी राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के आकड़े निरर्थक हैं क्योंकि आंकड़ों के प्रसार के लिये कोई व्यवस्था नहीं है, स्थानीय प्रशासन द्वारा सबसे अधिक वायु प्रदुषण वाले दिन से निपटने के लिये कोई साझी योजना नहीं है, और न ही इन आकड़ों के आधार पर लोगों को प्रदुषण से निपटने के लिये कोई सूचना दी जाती है। ग्रीनपीस के कैंपेनर सुनील दहिया ने कहा, “सर्दी के दिनों में वायु प्रदुषण ज्यादा बढ़ जाता है। लोगों के पास पहले से ही कोई जानकारी नहीं है और दुर्भाग्य से राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक भी पारदर्शिता के अभाव में सीमित प्रभाव ही डाल पा रहा है। दिल्ली सरकार द्वारा प्रथम ‘कार फ्री डे’ का आयोजन किया जाना स्वागतयोग्य कदम है। पहली बार वायु प्रदुषण को लेकर चलाये जा रहे जागरुकता अभियान में लोगों को भी शामिल किया गया है, लेकिन यह अपने आप में बहुत छोटी पहल है। जबतक राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक में कोई ठोस सुधार नहीं की जाती, लोगों को एहतियाती कदम उठाने के लिये नहीं कहा जाता तबतक सुधार की गुंजाईश नहीं है। हम अपने इस कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को वायु प्रदुषण के बारे में जानने का अधिकार, स्वच्छ वायु का अधिकार आदि के बारे में जागरुक करने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रीनपीस इंडिया लोगों के अधिकार में विश्वास करता है और मानता है कि नागरिकों को जीने का अधिकार, स्वच्छ वायु का अधिकार है। अपने स्वच्छ वायु अभियान के माध्यम से ग्रीनपीस लोगों के अधिकार को मजबूती प्रदान करने की कोशिश कर रहा है। पर्यटन क्षेत्र में मध्यप्रदेश को मिले छह राष्ट्रीय पुरस्कार 13 August 2015 पर्यटन के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रदेश को एक साथ 6 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार से नवाजा गया है। राष्ट्रीय महत्व के प्रतिष्ठापूर्ण पुरस्कार राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने प्रदेश के पर्यटन राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा को शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रदान किये। समारोह में केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा भी उपस्थित थे। पर्यटन के समग्र विकास के लिए मध्यप्रदेश को द्वितीय पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ विरासत शहर का पुरस्कार ग्वालियर को मिला। बी. श्रेणी के पर्यटक स्थलों में जन-सुविधा प्रबंधन में खरगोन जिले की महेश्वर नगर परिषद को पहला, पर्यटकों के लिए अनुकूल रेलवे स्टेशन का पुरस्कार हबीबगंज को, बेस्ट मेंटेन्ड डिसएबल्ड फ्रेंडली मान्यूमेंट भोजपुर के शिव मंदिर को, मोस्ट इनोवेटिव एंड यूनिक टूरिज्म प्रोजेक्ट के लिए पर्यटन विकास निगम की इकाई 'सैरसपाटा'भोपाल को गौरव हासिल हुआ है। पुरस्कार का यह था पैमाना पर्यटन के समग्र विकास में द्वितीय पुरस्कार इसलिए मिला कि मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित पर्यटकों की सुविधा में यातायात के महत्व को ध्यान में रखते हुए पर्यटन स्थल की पहुँच के लिए एयर टेक्सी की समुचित व्यवस्था की गई। प्रमुख शहरों से बस सुविधा के मामले में अग्रणी राज्य के रूप में प्रदेश की पहचान बनी। इस व्यवस्था से देश के प्रमुख शहर- दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, हैदराबाद,कोलकाता एवं रायपुर आदि से हवाई यात्रा के जरिये पर्यटन स्थलों का पर्यटक लुत्फ लेते हैं। पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं के लिए 70 होटल संचालित किये गये हैं। इनमें तकरीबन 12 होटल आई.एस.ओ.सर्टिफिकेट प्राप्त हैं। तीन सितारा होटल, विरासत होटल एवं अन्य सुविधाओं को उपलब्ध करवाने में प्रदेश की उपलब्धि उल्लेखनीय आँकी गई है। पर्यटकों को पर्यटन क्षेत्र की अधिक जानकारी उपलब्ध हो इसके लिए उच्च गुणवत्ता, कम्प्यूटराइजेशन सुविधा के साथ ही एडवेंचर टूरिज्म,वॉटर टूरिज्म,ईको टूरिज्म, फिल्म टूरिज्म,पर्यटन स्थलों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार,सुरक्षा व्यवस्था, स्किल डेवलमेंट प्रोगाम तथा हुनर से रोजगार जैसी योजनाओं का अग्रणी रूप से क्रियान्वयन हुआ है। सर्वश्रेष्ठ विरासत शहर ग्वालियर के पुरस्कार की वजह रही कि ग्वालियर की शान मोहम्मद गौस का मकबरा,ग्वालियर का किला, जयविलास पैलेस,तानसेन का मकबरा, गुजरी महल,चतुर्भुज मंदिर आदि प्रमुख धरोहर यहाँ मौजूद हैं। ग्वालियर में सिंधिया और उनके पूर्ववर्ती शासकों द्वारा ग्वालियर को विरासत शहर के रूप में बसाया गया था। यहाँ प्रसिद्ध मंदिर, समाधि स्थल के साथ जय विलास पैलेस एवं गुजरी महल संग्रहालय में प्रसिद्ध पुरावशेष उपलब्ध हैं। होल्कर राजवंश की महारानी अहिल्याबाई की नगरी के नाम से महेश्वर शहर प्रसिद्ध है। यहाँ जन सुविधा प्रबंधन में स्वच्छ महेश्वर अभियान,बायो-टायलेट सुविधा, नर्मदा नदी के घाटों की साफ-सफाई एवं पर्यटकों की सुविधाओं का विशेष ध्यान दिया गया। इसके अलावा महेश्वर साड़ी उद्योग को स्व-सहायता समूह के प्रयास सराहनीय रहे हैं। यहाँ की महेश्वर साड़ी,वस्त्र, दुपट्टा, ड्रेस मटेरियल के मामले में विश्व में अपना स्थान बनाया है। बेस्ट टूरिस्ट फ्रेंडली रेलवे स्टेशन हबीबगंज की खासियत यह है कि यहाँ अत्याधुनिक सुविधाएँ मौजूद हैं। वातानुकूलित कक्ष,बायो टायलेट,रिटायरिंग कक्ष पर्यटक के लिए उपलब्ध हैं। अनवरत चलने वाली फूड प्लाजा,पूर्व भुगतान टेक्सी सुविधा,उच्च सुरक्षा,सी.सी.टी.वी.की सुविधा के अलावा पर्यटकों को पर्यटन क्षेत्रों की जानकारी के लिए जगह-जगह होर्डिंग तथा साइनेजेस लगाये गये हैं। बेस्ट मेंटेन्ड एंड डिसेबल्ड फ्रेंडली मान्यूमेंट भोजपुर का शिवमंदिर परमार शासक राजा भोज द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। पर्यटकों के लिए बगीचे में बेंच,जन-सुविधाएँ, सांस्कृतिक पटल,सूचना पटल बनवाये गये हैं। इन्टरप्रिटेशन सेंटर के साथ ही असहाय पर्यटकों के लिये रेम्प एवं व्हील चेयर आदि की सुविधायें मुहैया करवाई जाती हैं। मोस्ट इनोवेटिव एंड यूनिक टूरिज्म प्रोजेक्ट के लिये भोपाल स्थित 'सैर-सपाटा' की खासियत यह है कि यह स्थल पर्यटकों के घूमने एवं मनोरंजन के लिए उत्तम स्थान माना गया है। कुल 24.56 एकड़ क्षेत्र में विस्तारित सैर-सपाटा में संगीतबद्ध फव्वारा,बच्चों को खेलने के साधन, रेल (टॉय ट्रेन), 183.20 लम्बा तथा 3.50 मीटर चौड़े सस्पेंशन पुल का निर्माण किया गया है,यह पुल स्थापत्यकला के लिए मशहूर है। पर्यटन क्षेत्र में मध्यप्रदेश को मिले छह राष्ट्रीय पुरस्कार 13 August 2015 पर्यटन के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रदेश को एक साथ 6 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार से नवाजा गया है। राष्ट्रीय महत्व के प्रतिष्ठापूर्ण पुरस्कार राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने प्रदेश के पर्यटन राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा को शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रदान किये। समारोह में केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा भी उपस्थित थे। पर्यटन के समग्र विकास के लिए मध्यप्रदेश को द्वितीय पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ विरासत शहर का पुरस्कार ग्वालियर को मिला। बी. श्रेणी के पर्यटक स्थलों में जन-सुविधा प्रबंधन में खरगोन जिले की महेश्वर नगर परिषद को पहला, पर्यटकों के लिए अनुकूल रेलवे स्टेशन का पुरस्कार हबीबगंज को, बेस्ट मेंटेन्ड डिसएबल्ड फ्रेंडली मान्यूमेंट भोजपुर के शिव मंदिर को, मोस्ट इनोवेटिव एंड यूनिक टूरिज्म प्रोजेक्ट के लिए पर्यटन विकास निगम की इकाई 'सैरसपाटा'भोपाल को गौरव हासिल हुआ है। पुरस्कार का यह था पैमाना पर्यटन के समग्र विकास में द्वितीय पुरस्कार इसलिए मिला कि मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित पर्यटकों की सुविधा में यातायात के महत्व को ध्यान में रखते हुए पर्यटन स्थल की पहुँच के लिए एयर टेक्सी की समुचित व्यवस्था की गई। प्रमुख शहरों से बस सुविधा के मामले में अग्रणी राज्य के रूप में प्रदेश की पहचान बनी। इस व्यवस्था से देश के प्रमुख शहर- दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, हैदराबाद,कोलकाता एवं रायपुर आदि से हवाई यात्रा के जरिये पर्यटन स्थलों का पर्यटक लुत्फ लेते हैं। पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं के लिए 70 होटल संचालित किये गये हैं। इनमें तकरीबन 12 होटल आई.एस.ओ.सर्टिफिकेट प्राप्त हैं। तीन सितारा होटल, विरासत होटल एवं अन्य सुविधाओं को उपलब्ध करवाने में प्रदेश की उपलब्धि उल्लेखनीय आँकी गई है। पर्यटकों को पर्यटन क्षेत्र की अधिक जानकारी उपलब्ध हो इसके लिए उच्च गुणवत्ता, कम्प्यूटराइजेशन सुविधा के साथ ही एडवेंचर टूरिज्म,वॉटर टूरिज्म,ईको टूरिज्म, फिल्म टूरिज्म,पर्यटन स्थलों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार,सुरक्षा व्यवस्था, स्किल डेवलमेंट प्रोगाम तथा हुनर से रोजगार जैसी योजनाओं का अग्रणी रूप से क्रियान्वयन हुआ है। सर्वश्रेष्ठ विरासत शहर ग्वालियर के पुरस्कार की वजह रही कि ग्वालियर की शान मोहम्मद गौस का मकबरा,ग्वालियर का किला, जयविलास पैलेस,तानसेन का मकबरा, गुजरी महल,चतुर्भुज मंदिर आदि प्रमुख धरोहर यहाँ मौजूद हैं। ग्वालियर में सिंधिया और उनके पूर्ववर्ती शासकों द्वारा ग्वालियर को विरासत शहर के रूप में बसाया गया था। यहाँ प्रसिद्ध मंदिर, समाधि स्थल के साथ जय विलास पैलेस एवं गुजरी महल संग्रहालय में प्रसिद्ध पुरावशेष उपलब्ध हैं। होल्कर राजवंश की महारानी अहिल्याबाई की नगरी के नाम से महेश्वर शहर प्रसिद्ध है। यहाँ जन सुविधा प्रबंधन में स्वच्छ महेश्वर अभियान,बायो-टायलेट सुविधा, नर्मदा नदी के घाटों की साफ-सफाई एवं पर्यटकों की सुविधाओं का विशेष ध्यान दिया गया। इसके अलावा महेश्वर साड़ी उद्योग को स्व-सहायता समूह के प्रयास सराहनीय रहे हैं। यहाँ की महेश्वर साड़ी,वस्त्र, दुपट्टा, ड्रेस मटेरियल के मामले में विश्व में अपना स्थान बनाया है। बेस्ट टूरिस्ट फ्रेंडली रेलवे स्टेशन हबीबगंज की खासियत यह है कि यहाँ अत्याधुनिक सुविधाएँ मौजूद हैं। वातानुकूलित कक्ष,बायो टायलेट,रिटायरिंग कक्ष पर्यटक के लिए उपलब्ध हैं। अनवरत चलने वाली फूड प्लाजा,पूर्व भुगतान टेक्सी सुविधा,उच्च सुरक्षा,सी.सी.टी.वी.की सुविधा के अलावा पर्यटकों को पर्यटन क्षेत्रों की जानकारी के लिए जगह-जगह होर्डिंग तथा साइनेजेस लगाये गये हैं। बेस्ट मेंटेन्ड एंड डिसेबल्ड फ्रेंडली मान्यूमेंट भोजपुर का शिवमंदिर परमार शासक राजा भोज द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। पर्यटकों के लिए बगीचे में बेंच,जन-सुविधाएँ, सांस्कृतिक पटल,सूचना पटल बनवाये गये हैं। इन्टरप्रिटेशन सेंटर के साथ ही असहाय पर्यटकों के लिये रेम्प एवं व्हील चेयर आदि की सुविधायें मुहैया करवाई जाती हैं। मोस्ट इनोवेटिव एंड यूनिक टूरिज्म प्रोजेक्ट के लिये भोपाल स्थित 'सैर-सपाटा' की खासियत यह है कि यह स्थल पर्यटकों के घूमने एवं मनोरंजन के लिए उत्तम स्थान माना गया है। कुल 24.56 एकड़ क्षेत्र में विस्तारित सैर-सपाटा में संगीतबद्ध फव्वारा,बच्चों को खेलने के साधन, रेल (टॉय ट्रेन), 183.20 लम्बा तथा 3.50 मीटर चौड़े सस्पेंशन पुल का निर्माण किया गया है,यह पुल स्थापत्यकला के लिए मशहूर है। रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की धमकी को ग्रीनपीस ने दी चुनौती, मद्रास हाईकोर्ट में याचिका स्वीकार 13 August 2015 मध्यप्रदेश ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में एक बार फिर शानदार तरीके से अपना नाम दर्ज करवाया है। यह विश्व रिकार्ड हरियाली महोत्सव में 31 जुलाई, 2014 को एक ही दिन में 9 हजार 272 रोपण स्थल पर एक करोड़ 43 लाख 72 हजार 801 पौधे रोपण के लिये प्रदेश के नाम किया गया है। गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड ने विश्व रिकार्ड दर्ज कर अपनी वेबसाइट पर घोषित भी कर दिया है। प्रदेश को आधिकारिक प्रमाण-पत्र भी मिल गया है। पहला विश्व रिकार्ड भी शहडोल जिले में 22 जुलाई, 2013 को 55 लाख से अधिक पौध-रोपण के साथ मध्यप्रदेश के नाम ही है। हालाकि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड ने सत्यापन टीम की उपस्थिति वाले 17 लाख 8 हजार 181 पौधे को ही अपने रिकार्ड में शामिल किया था। हरियाली महोत्सव में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 31 जुलाई, 2015 को भोपाल में पौध-रोपण कर अभियान की शुरूआत की थी। इस दिन पूरे प्रदेश के सभी जिले में एक करोड़ 46 लाख पौधे गए थे। पौधरोपण में प्रदेश के मंत्री, विधायक, जन-प्रतिनिधि, न्यायाधीश अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ नागरिकों ने अति उत्साह से भाग लिया था। पौधरोपण विद्यालय, महाविद्यालय, सामुदायिक स्थलों, निजी भूमि ओर वन क्षेत्रों में किया गया था। वनों का महत्व, वनों की सुरक्षा में जन-सहयोग एवं वन क्षेत्रों के बाहर वृक्षारोपण के प्रति जागरूकता लाने के लिए प्रतिवर्ष वन विभाग द्वारा हरियाली महोत्सव का आयोजन किया जाता है। हरियाली महोत्सव का उद्देश्य पौधारोपण कार्यक्रम को जन-आंदोलन का रूप देना, वनों के संवर्धन एवं वृक्षों के प्रति आम-जनता में जागरूकता बढ़ाना एवं पर्यावरण संरक्षण में जन-भागीदारी बढ़ाना है। रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की धमकी को ग्रीनपीस ने दी चुनौती, मद्रास हाईकोर्ट में याचिका स्वीकार 29 July 2015 आज मद्रास हाईकोर्ट ने ग्रीनपीस इंडिया की याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें ग्रीनपीस ने तमिलनाडू सरकार की तरफ से जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी है। रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी ने ग्रीनपीस पर कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसे ग्रीनपीस ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। ग्रीनपीस इंडिया की सह-कार्यकारी निदेशक विनुता गोपाल ने कहा, “तमिलनाडू सोसाइटी रजिस्ट्रार की तरफ से हम पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से पूर्वाग्रह से ग्रसित और दुर्भावनापूर्ण तरीके से लगाए गए हैं। हमारे पास इस बात के कारण मौजूद हैं जिससे स्पष्ट है कि इस नोटिस के पीछे गृह मंत्रालय का हाथ है”। ग्रीनपीस इंडिया ने रजिस्ट्रार को कारण बताओ नोटिस के संबंध में बार-बार पत्र लिखा है। पहली बार लिखी चिट्ठी में उसने सभी आरोपों का जवाब देते हुए अपनी सफाई पेश कर दिया था। पिछले सभी चिट्ठियों में ग्रीनपीस ने उन दस्तावेजों को तमिलनाडू सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1975 के तहत देखे जाने की मांग की थी जिसके तहत उसपर मिथ्यारोपन किए गए हैं, लेकिन रजिस्टार ने इस मांग पर गौर ही नहीं किया। विनुता ने आगे कहा, “सोसाइटी रजिस्ट्रेशन को निरस्त करने की आशंका को देखते हुए ग्रीनपीस इंडिया के भविष्य पर खतरा पैदा हो गया है क्योंकि सोसाइटी के कानूनी आधार पर ही हमारी संस्था अस्तित्व में है। फिर भी हम इस खतरे का जवाब देते हुए अपने स्वच्छ ऊर्जा, साफ पानी और हवा के लिये अभियान को अनवरत जारी रखेंगे”। असहमति का दमन भारत के लिये अंतर्राष्ट्रीय शर्म की बातः ग्रीनपीस इंडिया 25 April 2015 नई दिल्ली। गृह मंत्रालय द्वारा असंतोष की आवाज को दबाने के खिलाफ एक तरफ देश के भीतर आवाज मजबूत हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ भारत को इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा रहा है। आज ग्रीनपीस इंडिया ने कहा कि सरकार की कार्रवाई से विश्व समुदाय में लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत की छवि कमजोर होगी। ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकारी निदेशक समित आईच ने कहा, “हमलोग लगातार कह रहे हैं कि गृह मंत्रालय द्वारा असहमति की आवाज को दबाने की कोशिश भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। गृह मंत्रालय आपातकाल जैसी स्थिति बना रहा है। भारतीय सिविल सोसाइटी पहले से ही एकजुट होकर सरकार के ‘मेरी बात मानो, नहीं तो अपना रास्ता नापो’ जैसे रवैये पर सवाल खड़ी कर रही है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि सरकार की इस कार्रवाई ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खिंचना शुरू कर दिया है। भारत अभी वैश्विक मंच पर कहीं अधिक सक्रिय भूमिका की मांग कर रहा है। ऐसे में देश के भीतर इस तरह की कार्रवाई से भारत के वैश्विक छवि को नुकसान उठाना पड़ेगा”। पिछले एक साल में, ग्रीनपीस इंडिया लगातार गृह मंत्रालय द्वारा जारी हमले को झेल रहा है। पिछले कुछ हफ्तों मे, गृह मंत्रालय ने ग्रीनपीस के सभी खातों को बंद कर दिया है, एफसीआरए पंजीकरण को निलंबित कर दिया है और कथित रुप से राजस्व विभाग को पत्र लिखकर इसके सोसाइटी पंजीकरण और चैरिटि स्टेट्स को बंद करने की धमकी दे रहा है। 40 देशों में काम करने वाली संस्था के रुप में ग्रीनपीस के लिये इस तरह की कार्रवाई अनोखा है। समित ने कहा, “अपने घरेलू और विदेशी आय खातों के सील होने के बाद हम संस्था के बंद होने के वास्तवित खतरे का सामना कर रहे हैं, जो कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिये अच्छा संकेत नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बरकरार रखा जाएगा और सरकार अपनी आलोचना करने वाले सीविल सोसाइटी की आवाज को स्वीकार करेगी”। भारतीय अदालत ने असहमति के अधिकार को बरकरार रखा है और ग्रीनपीस इंडिया उम्मीद करती है कि सरकार विरोध को दबाने की बजाय देश में एक स्वस्थ बहस को बढ़ावा देगी। ग्रीनपीस के समर्थन में एकजुट हुए देश भर के सामाजिक कार्यकर्ता 22 April 2015 नई दिल्ली। 21 अप्रैल 2015। देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर ग्रीनपीस इंडिया पर हो रहे सरकारी दमन की निंदा की। सरकार के दमन की कार्रवाई के खिलाफ 180 संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है। पत्र में सामाजिक न्याय और गरीब-मजलूमों के अधिकार के लिये आंदोलन का इतिहास रखने वाले संगठनों पर हो रही दमन की कार्रवाई को शर्मनाक और निराशाजनक कहा है। पत्र में कहा गया है, “ सरकार का यह कदम चौंकाने वाला है क्योंकि स्पष्ट न्यायिक घोषणाओं के बावजूद सरकार ने ग्रीनपीस इंडिया के खिलाफ तीसरी बार कार्रवाई की है। सरकार की यह कार्यवाई उन गंभीर मुद्दों से भटकाने का प्रयास है जिसे ग्रीनपीस इंडिया और दूसरे अनेक जन आंदोलन लगातार उठाते रहे हैं। इन मुद्दों में जंगल पर निर्भर आदिवासियों के अधिकारों का सम्मान और पारिस्थितिकीय रूप से टिकाऊ नीतियों की तरफ बढने की मांग करना शामिल है। जिसमें जलवायु परिवर्तन, बड़े स्तर पर खनन, लोगों के विस्थापन जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। इस तरह के मुद्दे पर्यावरण, टिकाऊ जन जीवन से भी जुड़ा हुआ है”। गृह मंत्रालय द्वारा कथित रुप से राजस्व विभाग को पत्र लिखकर ग्रीनपीस के चैरिटी स्टेट्स और सोसाइटी पंजीकरण को खत्म करने की मांग पर जवाब देते हुए ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकारी निदेशक समित आईच ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी, संवैधानिक अधिकारों और लोकतंत्र पर हमला बताया। समित ने कहा, “अब नये हमले में ग्रीनपीस के चैरिटी स्टेट्स पर सवाल खड़े करने का सरकार के पुराने रवैये जिसमें ग्रीनपीस के फंड अवरुद्ध किया गया था और प्रिया पिल्लई को ऑफलोड कर दिया गया था की तरह ही कोई औचित्य नहीं है। ग्रीनपीस इंडिया के पास छिपाने के लिये कुछ भी नहीं है और हमलोग लगातार टिकाऊ विकास व भारतीयों के भविष्य के लिये आंदोलन करते रहेंगे। इस तरह के दमन से हम और मजबूत ही होते हैं”। आज पुणे में भी सिविल सोसाइटी सदस्यों ने ग्रीनपीस इंडिया के समर्थन में एक प्रेस सम्मेलन आयोजित किया। गृह मंत्रालय के हमलों पर प्रतिक्रिया देते हुए ग्रीनपीस इंडिया बोर्ड अध्यक्ष और कल्पवृक्ष के आशीष कोठारी ने कहा, “गृह मंत्रालय द्वारा ग्रीनपीस इंडिया के खातों को बंद करना और उसके अंतर्राष्ट्रीय तथा घरेलू फंड पर रोक लगाना स्पष्ट रुप से अभिव्यक्ति की आजादी और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। इस कार्रवाई को सिविल सोसाइटी को दिये गए चेतावनी के रुप में भी देखा जा रहा है कि अगर वे विकास की नीतियों से असहमत होते हैं तो उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। यह भारत के लोकतंत्र के लिये खतरनाक संकेत है”। सामाजिक कार्यकर्ताओं में मेधा पाटेकर, अचिन वनायक, हर्ष मंदर, अरुणा रॉय, निखिल डे, बिट्टू सहगल, आशीष कोठारी, ललिता रामदास और कई दूसरे लोगों ने सरकार से अपील की है कि वह मनमाने और अलोकतांत्रिक कार्रवाई को बंद करे तथा भारतीय नागरिकों को मिले अभिव्यक्ति की आजादी के संवैधानिक अधिकारों का सम्मान करे। भूमि और जल संसाधनों के प्रबंधन वक्त की जरूरत है- श्री प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय सूचना और प्रसारण, संसदीय कार्य, पर्यावरण एवं वन मंत्री 05 June 2014 भोपाल। भूमि और जल संसाधनों के प्रबंधन वक्त की जरूरत है. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ फारेस्ट मैनेजमेंट और नेटवर्क ऑफ़ रूरल एंड अग्रेरियन स्टडीज द्वारा 'स्टडीइंग द रूरल' विषय पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय सूचना और प्रसारण, संसदीय कार्य, पर्यावरण एवं वन मंत्री, श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा की नए परिप्रेक्ष्य और परिवर्तन पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा की वाटरशेड प्रबंधन परियोजनाओं के क्रियान्वन से सिंचाई के लिए पानी की सुविधा उपलब्ध हुई जिससे किसानों को अत्यधिक लाभ मिला. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा की नई फसलों, नए पैटर्न और इंटरनेट जैसी नई तकनीकों से विपणन कृषि उत्पादन में बिचौलियों का हस्तक्षेप कम हुआ. मंत्री जी ने उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के परिणामस्वरूप हुए दूषित पानी पर जताई। साथ ही उन्होंने यह भी कहा की जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में पर्यावरण संरक्षण के लिए वन आवरण में वृद्धि की आवश्यकता है. इस अवसर पर बोलते हुए भारतीय वन प्रबंधन संस्थान के निदेशक डॉ गिरिधर किन्हल ने कहा की आईआईएफएम हमेशा से ही वन प्रबंधन शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी रहा है. केंद्रीय सूचना और प्रसारण, संसदीय कार्य, पर्यावरण एवं वन मंत्री, श्री प्रकाश जावड़ेकर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ फारेस्ट मैनेजमेंट और नेटवर्क ऑफ़ रूरल एंड अग्रेरियन स्टडीज द्वारा 'स्टडीइंग द रूरल' विषय पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए "अनुसंधान एवं ग्रामीण अध्ययन ग्रामीण विकास के लिए प्रासंगिक नीतियों के निर्माण के लिए मदद करता है" - श्रीमती अरुणा शर्मा, अपर मुख्य सचिव एवं उपायुक्त पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा सामाजिक न्याय, मध्य प्रदेश 05 June 2014 भोपाल। अनुसंधान एवं ग्रामीण अध्ययन ग्रामीण विकास के लिए प्रासंगिक नीतियों के निर्माण के लिए मदद करता है. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ फारेस्ट मैनेजमेंट और नेटवर्क ऑफ़ रूरल एंड अग्रेरियन स्टडीज द्वारा 'स्टडीइंग द रूरल' विषय पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव एवं उपायुक्त पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा सामाजिक न्याय, मध्य प्रदेश, श्रीमती अरुणा शर्मा ने कहा की ग्रामीण अर्थव्यवस्था तेजी से परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है और कृषि क्षेत्र के नीति निर्माताओं और प्रशासकों के लिए काफी महत्व रखती है. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा की नवीनतम कैग की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में 74 प्रतिशत संपत्ति की बढ़ोतरी हुई है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा की लोगों को सड़कों, इंटरनेट और वित्तीय कनेक्टिविटी जैसी शीर्ष गुणवत्ता वाली बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है. वर्तमान समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नए नज़रिये से देखे जाने की जरूरत है. इस अवसर पर बोलते हुए भारतीय वन प्रबंधन संस्थान के निदेशक डॉ गिरिधर किन्हल ने कहा की भारत के ग्रामीण जीवन राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि वस्तुओं के अधिकतम उत्पादन भारत के ग्रामीण जीवन राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि वस्तुओं के अधिकतम उत्पादन के बारे में है. ग्रामीण कार्यबल का दो तिहाई से अधिक हिस्सा अभी भी मुख्य रूप से कृषि के क्षेत्र में लगे हुए हैं, लेकिन उनकी उत्पादकता का स्तर कम है. नतीजतन, ग्रामीण और शहरी प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) के बीच की खाई बढ़ गई है. उन्होंने यह भी बताया की पूरे देश में मध्य प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा विकास दर हासिल की है. कार्यशाला फोर्ड फाउंडेशन और आईसीएसएसआर उत्तरी क्षेत्रीय केंद्र द्वारा प्रायोजित है. देश के सभी भागों से आये अनुसंधान विद्वानों ने इस कार्यशाला में भाग लिया. जनवादी आंदोलनों पर दमनकारी नीति अस्वीकार्यः महान संघर्ष समिति 05 June 2014 भोपाल। कई सामाजिक संगठनों के समर्थन के साथ महान संघर्ष समिति ने सरकार से सिंगरौली के महान जंगल में एस्सार व हिंडाल्को को प्रस्तावित कोयला खदान के विरोध में चल रहे आंदोलन पर शुरू दमनकारी नीति को समाप्त करने के लिए चेताया। आज भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन में महान संघर्ष समिति के सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि ग्राम सभा या कोई भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया दमनकारी वातावरण में आयोजित नहीं किया जा सकता है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री को तत्काल एस्सार के खदान को रद्द करने के के लिए कदम उठाने की जरुरत है जिससे महान के प्राचीन जंगलों को लूट से बचाया जा सके। करीब 54 गांवों के 50 हजार से अधिक लोगों की जीविका को रौंदते हुए एस्सार को खदान का लाइसेंस दिया गया है। महान संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से तत्काल इन गांवों में वनाधिकार कानून लागू करने की मांग की है। अमिलिया निवासी व महान संघर्ष समिति के सदस्य हरदयाल सिंह गोंड ने बताया, “हमलोग पुलिस और प्रशासन के दबाव को झेल रहे हैं और हमारा अपराध बस इतना है कि हम लगातार अपने जंगल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं’’। किसी भी तरह के मुआवजा को लेने से इन्कार करने वाले गोंड ने कहा कि अब हमसे अपने जंगल का मुआवजा लेने को कहा जा रहा है लेकिन सच्चाई है कि हम जंगल से जितना लेते हैं, उसका मुआवजा देना नामुमकिन है। इसलिए राज्य सरकार को हमारे अधिकार सुनिश्चित करने होंगे। सरकार उधोगपतियों के हाथ की जागीर नहीं हो सकती। करीब एक हफ्ते पहले ही जिला कलेक्टर एम सेलवेन्द्रन ने महान संघर्ष समिति और अन्य ग्रामीणों के साथ बैठक करके फर्जी ग्राम सभा पर बात की थी और नया ग्राम सभा आयोजित करवाने की घोषणा भी की थी। ग्रीनपीस की सीनियर कैंपेनर प्रिया पिल्लई ने कहा, “इस घोषणा के एक हफ्ते के भीतर ही ग्रीनपीस के संचार यंत्र (मोबाईल सिग्नल) और सोलर पैनल को अमिलिया गांव से जब्त कर लिया गया। उसी रात दो वनाधिकार कार्यकर्ताओं अक्षय और राहुल गुप्ता को बिना गिरफ्तारी वारंट के आधी रात को गिरफ्तार किया गया। हमलोगों को एफआईआर की कॉपी भी नहीं दिखायी गयी, जबकि इस संबंध में हमने सिंगरौली एसपी को चिट्ठी लिखकर उनसे सहयोग करने की बात कही है”। पिल्लई ने सवाल उठाया कि इस तरह की दमनकारी नीति का क्या मतलब है? राज्य प्रशासन क्यों महान क्षेत्र के लोगों का संवाद दुनिया से खत्म करना चाहता है। हर हाल में ग्राम सभा को परदे के पीछे आयोजित नहीं की जा सकती। अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी जंगल और अधिकार को बचाने के लिए संघर्षरत कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा की। सामाजिक कार्यकर्ता माधुरी बहन ने कहा, “सरकार की इस तरह की दमनकारी नीति स्वीकार नहीं की जा सकती। वनसत्याग्रहियों को सताया जा रहा है। कॉर्पोरेट हितों के लिए आम लोगों से वन और अन्य संसाधनों की चोरी देश के लिए आपदा साबित होगी। यह दुखद लेकिन सच है कि इस लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध के लिए भी जगह नहीं है”। ग्रीनपीस ने महान में कार्यकर्ताओं की अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, एशियन मानवाधिकार आयोग तथा संयुक्त राष्ट्र विशेष प्रतिवेदक को भी लिखा है । महान संघर्ष समिति और ग्रीनपीस कार्यकर्ताओं ने जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री जोएल ओराम को एक ज्ञापन सौंपकर मांग की कि सरकार महान में निष्पक्ष ग्राम सभा करवाए तथा लोगों के अधिकारों की रक्षा करे। संवाददाता सम्मेलन में “पावर फॉर द पीपुल” नाम से एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की गयी, जिसमें महान वन क्षेत्र के ग्रामीणों का महान जंगल में निर्भर सामाजिक और आर्थिक हालात का अध्ययन किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दो गांवों (अमिलिया और बुधेर) के 60 प्रतिशत लोगों के पास एक एकड़ से भी कम जमीन है। ग्रामीणों का आर्थिक स्रोत का आधार वनोपज ही है क्योंकि सिर्फ खेती से वे अपनी आर्थिक जरुरत पूरी नहीं कर पाते हैं। साथ ही 37 प्रतिशत लोगों के पास अपनी भूमी नहीं है, इनमें ज्यादातर वे गरीब लोग हैं जिन्हें सामुदायिक वनाधिकार नहीं दिया जा सका है। प्रिया पिल्लई ने बताया कि यह रिपोर्ट बताती है कि इन ग्रामीणों के आय का स्रोत वनोपज ही हैं। नतीजतन, अगर इन गरीबतम लोगों से ‘विकास’ के नाम पर जमीन ली जाती है तो ये मुआवजे के भी हकदार नहीं होंगे। जिला कलेक्टर ने एक साथ ही सामुदायिक वनाधिकार, मुआवजा और ग्राम सभा करवाने पर बात की लेकिन यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि प्रशासन इतने अनौपचारिक रुप से मुआवजा और वनाधिकार पर बात नहीं कर सकता। प्रस्तावित कोयला खदान से 54 गांवों के 50 हजार से ज्यादा लोगों की जीविका खत्म हो जाएगी। गोंड ने कहा, “सबसे पहले सभी 54 गांवों के सामुदायिक वनाधिकार को मान्यता मिलनी चाहिए और उन्हें परियोजना की जानकारी उनके मूल भाषा में दी जानी चाहिए। इसके बाद लोगों को निर्णय करने का अधिकार मिलना चाहिए कि उन्हें जंगल चाहिए या नहीं लेकिन अभी तक किसी भी गांव में एक भी सामुदायिक वनाधिकार कानून को लागू नहीं किया जा सका है”। महान कोल ब्लॉक परियोजना ने वनाधिकार कानून के अलावा वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत कई सारे नियमों का उल्लंघन किया है। प्रिया पिल्लई ने बताया कि इस परियोजना में वन सलाहाकार समिति के सलाहों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है। साथ ही वन व पर्यावरण मंत्रालय को संचयी आकलन रिपोर्ट के बारे में भी समझना चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र में कई और परियोजनाएँ भी आने वाली हैं। जड़ों से है जीवन 05 June 2014 कोई भी वृक्ष अपनी जड़ों के साथ जुड़ा होता है और अगर उसे जड़ से अलग कर दिया जाए तो वह सूख जाता है, उसी तरह किसी भी समाज की जड़ उसका अतीत होता है और अगर उसको उसके अतीत से काट दिया जाए, तो वह भी तरक़्क़ी नहीं कर पाता है। हमें भी अपने अतीत की संस्कृति से अपने नाते को दोबारा जोड़ना होगा। इसकी तीन आवश्यकताएं हैं- अरण्य हमारी भारतीय संस्कृति अरण्य संस्कृति थी। हमारे शिक्षा के केंद्र अर्थात आश्रम अरण्य में थे। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अरण्यों को पुनर्जीवित करने के लिए शांति निकेतन की स्थापना की। कमरों के अंदर पढ़ने का चलन तो अंग्रेज़ों ने पैदा किया था, क्योंकि उनका देश ठंडा था और घरों से बाहर बैठकर पढ़ाई नहीं हो सकती थी। इसलिए उन्होंने यह सारा जाल बुना। उनके आने से पहले तक तो भारत में सबकुछ खुले आसमान के नीचे होता था। आकाश के नीचे और प्रकृति के सान्निध्य में मनुष्य के विचारों को स्फूर्ति मिलती है, नए-नए विचार आते हैं। मनुष्य कमरे के अंदर उन्हीं विचारों को बार-बार दोहराता रहता है, जो उसके अंदर जमा होते हैं। चूंकि कमरे की इतनी कम परिधि होती है कि वह वहीं चक्कर काटता रहता है। भारत को अपने अतीत की ओर देखना चाहिए, अर्थात उसे पुन: वही जीवनपद्धति अपनानी चाहिए, जो उसे अरण्य संस्कृति से प्राप्त हुई थी। जिसमें चिंतन करने और नए विचार प्राप्त करने के लिए आसमान के नीचे, पेड़ों के नीचे और नदी किनारे बैठकर अध्ययन किया जाता था। जीवंत जल मनुष्य को ज़िंदा रहने के सभी साधन प्रकृति से मिलते हैं। जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और ऑक्सीजन कमरे के अंदर पैदा नहीं हो सकती है। उसे जल की भी आवश्यकता होती है और जल के बारे में ऑस्ट्रेलिया के एक विद्वान, सोवरगर ने ‘ज़िंदा जल’ नामक पुस्तक लिखी। उनके अनुसार हर जगह का पानी ज़िंंदा नहीं रहता है, जैसे नल के अंदर गया हुआ पानी स्वच्छंद रूप से, ख़ासकर पहाड़ी नदी में बहने वाले जल की अपेक्षा कम स्वच्छ होता है, क्योंकि वह पानी पहाड़ों से टकरा-टकराकर अपने को स्वच्छ रखता है और उसी पानी को जीवंत कहा जाता है। गतिमान जल ही स्वच्छ है, जीवंत है। बहुपयोगी वृक्ष हम वृक्षों को इसलिए उगाते हैं, ताकि हमें उनसे खाद्य की प्राप्ति हो। शुरू में अन्न, मनुष्य की खुराक नहीं थी। शुरू-शुरू में हम पशुपालक थे और पशुओं के साथ अपना जीवनयापन करते हुए फलों का सेवन करते थे। फिर धीरे-धीरे घास के बीजों को पकाकर खाना शुरू किया गया और इस तरह मनुष्य ने अन्न पैदा करना, उसे संग्रह करना और उसे पकाना शुरू कर दिया। जब से मनुष्य ने अन्न की खेती करना और उसे संग्रह करना शुरू किया, तभी से दुनिया में अधिकांश लड़ाइयां शुरू होने लगीं। अब समय आ गया है, जब पूरी मनुष्य जाति को अपने भविष्य के बारे में नए सिरे से सोचना होगा। फिर प्रकृति की ओर लौटना होगा। खर-दूषण आया कहां से? कई वर्ष पहले इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में प्रदूषण के बारे में एक गोष्ठी हो रही थी। तभी वहां एक ग्रामीण आ गया। उसने उन सभी बातों को सुनने के बाद पूछा कि ये खरदूषण कहां से आ गया? ये बड़े-बड़े साहब उससे इतना क्यों डर रहे हैं, आख़िर ये है कहां? कुछ दशक पहले तक लोगों ने प्रदूषण शब्द के बारे में सुना भी न था। मैंने किसी की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह इनकी पोशाक के अंदर छिपा हुआ है। इनकी जीवनशैली ही प्रदूषण को जन्म देती है। निर्माण पीछे पड़े हैं मुझे सन् 72 में संयुक्त राष्ट्र विज्ञान परिषद की पत्रिका में छपे एक कार्टून की याद आती है, जिसमें एक बौना आदमी एक बड़े पेड़ को अपनी बांह के बीच में पकड़कर दौड़े जा रहा है। किसी ने उससे पूछा- कहां जा रहे हो, ज़रा ठहरो। उसने कहा, देखता नहीं है कि सीमेंट की सड़क मेरा पीछा करती आ रही है। काफ़ी सालों से मनुष्य को सभी तरह की सुख-सुविधाएं प्रदान करने की लालसा के कारण आज ऐसे कई निर्माण कार्यों पर ज़ोर दिया जा रहा है, जिससे हमारी प्रकृति और हमारे स्वास्थ्य को घातक नुक़सान हो रहा है। अब भी चेत जाएं हम तो ग़नीमत होगी।' (इंडिया वाटर पोर्टल से साभार)
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अगले 48 घंटों में भारी बारिश की आशंका
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मानसून की अच्छी वर्षा से जलाशयों का जल स्तर बढ़ा
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