अविनाश त्रिपाठी महाराष्ट्र ड्रीम अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित
19 April 2023
भोपाल.जयपुर के प्रसिद्ध लेखक, गीतकार और फिल्ममेकर अविनाश त्रिपाठी को, मुंबई के जुहू में आयोजित भव्य कार्यक्रम में महाराष्ट्र ड्रीम अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया। अविनाश को उनकी सामाजिक विषयों पर फिल्म और रचनात्मक लेखन के लिए यह प्रसिद्ध अवार्ड दिया गया। प्रसिद्ध उद्योगपति कैप्टन डॉ ए डी मानेक ने अविनाश त्रिपाठी को अवार्ड देते हुए कहा कि अविनाश आज देश के सर्वाधिक वर्सेटाइल मीडिया पर्सनालिटी है, जो पत्रकारिता ,फिल्म लेखन, गीत लेखन, फिल्म निर्माण सहित बहुत सारी विधाओं में विश्व स्तर का काम कर रहे हैं। कार्यक्रम के आयोजक विष्णु ने अविनाश त्रिपाठी के बारे में बोलते हुए कहा कि अविनाश त्रिपाठी ने सबसे ज्यादा 750 लघु फिल्मों का का निर्माण और निर्देशन कर अपनी प्रतिभा को बड़ी ऊंचाई दी है। स्नेहा इवेंट कंपनी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित उत्तर प्रदेश के बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष और प्रसिद्ध फिल्म निर्माता तरुण राठी ने भी अविनाश त्रिपाठी की बहुआयामी प्रतिभा की बहुत प्रशंसा की। गौरतलब है कि अविनाश, जयपुर के प्रसिद्ध निजी विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य कर चुके है। अविनाश के लिखे गीत, प्रसिद्ध बॉलीवुड सिंगर शान, कविता कृष्णमूर्ति, अनवेषा ,अभिषेक रे ,अनुपमा राग सहित बहुत सारे प्रसिद्ध कलाकार गा चुके हैं। अविनाश अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल के फाउंडर डायरेक्टर भी है जो कलाकारों को विश्व स्तर का प्लेटफार्म प्रदान करती है। अविनाश ने हाल ही में कई बड़े प्रोडक्शन हाउस के साथ एक स्क्रीन्राइटर के तौर पर अनुबंध भी किया है। महाराष्ट्र ड्रीम अचीवर्स अवार्ड में अविनाश के अलावा मास्क टीवी के के मालिक संजय भट्ट, प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और बिग बॉस प्रतिभागी पंडित जनार्दन, और प्रसिद्ध फिल्म निर्माता तरुण राठी को भी यह पुरस्कार दिया गया।
टेन इंस्पायरिंग यंग माइंड अवार्ड (TIYMA) के विजेता आज प्रतिष्ठित पुरस्कार ट्राफियां प्राप्त करेंगे
23 April 2022
भोपाल.कॉलेज के छात्रों के लिए एक वीडियो प्रतियोगिता #MyVideoFor2022 का आयोजन Metromirror.com और forwardindiaforum.org द्वारा इस विषय पर किया गया था:
वर्ष 2022 में सरकार, मीडिया और समाज से मेरी उम्मीदें।
आईएचएम सभागार, भोपाल में आज प्रस्तुत किए गए टीआईवाईएमए पुरस्कारों के विजेता निम्नलिखित हैं। प्रख्यात जूरी सदस्यों ने वीडियो प्रविष्टियों का मूल्यांकन किया।
- सुप्रियासिन्हा, एमसीयू भोपाल
- श्रुति गोयल, एलएनसीटी भोपाल
- गोसियाबानो, एमसीयू भोपाल
- संचितश्रीवास्तव, जेएलयू भोपाल
- नूपुरकुमारी, सेज भोपाल
- अदीब खान, एलएनसीटी भोपाल
- संगम शर्मा, एमसीयू भोपाल
- कपिल मिश्रा एमसीयू भोपाल
- अरुणिमा, एमसीयू भोपाल
- तन्वी मंगल डीसीबीएम, इंदौर।
प्रोफेसर संजय द्विवेदी, महानिदेशक, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर सम्मानित अतिथि डॉ. आनंद कुमार सिंह, प्रिंसिपल आईएचएम भोपाल, प्रोफेसर पुष्पेंद्र पाल सिंह, एडिटर इन चीफ, रोजगारौर निर्माण, डीआर सोनलसोदिया, प्रिंसिपल डीसीबीएम, इंदौर और प्रदीप करंबेलकर, स्टार्ट अप निवेशक और मेंटर थे।
प्रो. के.जी सुरेश वीसी, एमसीयू और डॉ. अनूप स्वरूप, संस्थापक वीसी जेएलयू, उपस्थित नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने अपनी शुभकामनाएं वीडियो भेजीं और प्रतिभागियों के विचारों को जज करने के लिए अपनी तरह की इस पहली प्रतियोगिता के लिए Metromirror.com के प्रयासों की प्रशंसा की। प्रस्तुतियों का कौशल।
विभिन्न क्षेत्रों की लगभग 40 प्रमुख हस्तियों ने वीडियो प्रतियोगिता प्रचार अभियान #MyVideoFor2022 का समर्थन किया
प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि युवाओं को सरकार, मीडिया और समाज के बारे में खुलकर अपनी राय रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नियमित रूप से ऐसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाना चाहिए.
उन्होंने फॉरवर्ड इंडिया फोरम थिंक टैंक टीम MetroMirror.com के मुख्य संपादक शिवहर्ष सुहलका को अभिनव विचारों और छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने और प्रतिष्ठित TIYMA पुरस्कार जीतने का अवसर देने के लिए बधाई दी।
फिटनेस आइकॉन श्वेता राठौड़ को मिला वर्ल्ड वूमेन अचीवर्स अवॉर्ड
27 February 2020
भोपाल.फिटनेस आइकॉन श्वेता राठौड़ को मिला वर्ल्ड वूमेन अचीवर्स अवॉर्ड श्वेता राठौड़ को ईटी नाउ द्वारा हाल ही में प्रतिष्ठित वर्ल्ड वुमेन अचीवर्स अवार्ड 2020 से सम्मानित किया गया है। श्वेता फिटनेस आइकॉन हैं जिन्होंने फिटनेस
के प्रति युवाओं और समाज को प्रेरित करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है। श्वेता राठौड़ इस अवॉर्ड को पाकर बेहद उत्साहित हैं। श्वेता राठौड़ कहती हैं "युवाओं को फिट रहने के लिए मैंने उन्हें काफी प्रेरित किया है। समाज के प्रति मेरे इस योगदान
की वजह से मुझे इस अवॉर्ड के लिए चुना गया तो मुझे बेहद खुशी हो रही है क्योंकि मुझे लगता है कि फिटनेस हर इंडियन का मौलिक अधिकार है।" आपको बता दें कि श्वेता ऐसी पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने मिस वर्ल्ड फिटनेस फिजिक, मिस एशिया फिटनेस
फिजिक का खिताब जीता है और फिटनेस फिजिक में मिस इंडिया टाइटल के साथ हैट्रिक बनाई है। श्वेता राठौड़ कहती हैं "मेरा सपना भारत को हमारी सरकार की पहल की तर्ज पर ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर लाना है।" उललेखनीय है कि श्वेता राठौड़ एक एनजीओ 'गॉड्स
ब्यूटीफुल चाइल्ड' भी चलाती है। यह एन जी आे विशेष रूप से वंचित बच्चों को उनके विकास और महिला सशक्तीकरण के लिए प्रोत्साहित करती है। एक तरह से श्वेता राठौड़ एक इंस्पायरिंग फिटनेस आइकॉन हैं, जो आज के युथ को फिट रहने का मंत्र देती रहती हैं।
10घंटों की सर्जरी में निकाले 324 लीपोमास, सर्जन ने बनाया रिकॉर्ड
25 February 2020
नई दिल्ली: हॉलीवुड के जाने-माने एक्टर व मॉडल के लिपोमास (वसायुक्त गांठ) का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। यह पहली बार था, जब किसी सर्जन ने लगातार 10 घंटों तक सर्जरी कर एक दिन में 324 लीपोमास निकाले। सर्जरी की खास बात
यह थी, कि इसमें किसी चीरे या टांकों की आवश्यकता नहीं पड़ी। वहीं, यदि पारंपरिक प्लास्टिक सर्जरी की बात की जाए, तो उसमें पूरे शरीर में लगभग 1300 टांके लगाने पड़ते। डॉक्टर आशीष भनोट की माइक्रो-इन्सिजन तकनीक मल्टिपल लिपोमास का इलाज करती है।
इसमें केवल 3 एमएम के माइक्रो इन्सिजन से इलाज पूरा हो जाता है, जिसमें किसी टांके की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ये घाव इतने छोटे होते हैं कि समय के साथ वे खुद ही भर जाते हैं। मरीज अपने करियर के पीक पर था, कि तभी उसे पूरे शरीर में गांठें
महसूस होने लगीं। ये गांठें विशेषरूप से जांघों, पेट के निचले हिस्से, सीने, हाथों और कमर को प्रभावित कर रही थीं। हालांकि, एक्टर के शरीर में कोई दर्द या असहजता नहीं थी, लेकिन उसके जीवन की गुणवत्ता धीरे-धीरे खराब होती जा रही थी। दरअसल, उसे
कैमरा फेस करने में समस्या हो रही थी, और दिन-ब-दिन आत्मविश्वास खोता जा रहा था। कई जगहों पर जांच कराने के बाद मरीज को सर्जरी की सलाह दी गई। सलाह के अनुसार एक्टर ने न्यू यॉर्क में एक प्लास्टिक सर्जन से लिपोमा सर्जरी कराई। समस्या यह थी
कि सर्जन एक दिन में केवल 5 लिपोमा निकाल पाया। सर्जरी की प्रक्रिया के चलते मरीज को बड़े-बड़े चीरे लगाए गए, जिसके कारण उसे ठीक होने में लगभग 2 हफ्ते का समय लग गया। दुर्भाग्य से, एक चीरा संक्रमित हो गया, जिसके ठीक होने के बाद वहां कट मार्क्स
और टांकों के निशान पड़ गए, जो उसके प्रोफेशन के लिए एक अच्छी बात नहीं थी। चूंकि, एक्टर के पूरे शरीर में 100 से ऊपर लिपोमास थे, इसलिए उसे इलाज के लिए एक लंबे ब्रेक की आवश्यकता थी। इस समस्या के चलते एक्टर का करियर दांव पर लग गया था। इसके
बाद मरीज को डॉक्टर आशीष भनोट की माइक्रो इन्सिजन तकनीक के बारे में जानकारी मिली। जानकारी मिलते ही मरीज ने फोन पर उनकी टीम से बात की और इलाज के लिए ओम क्लिनिक्स पहुंच गया। नई दिल्ली स्थित ओम क्लिनिक्स के निदेशक, डॉक्टर आशीष भनोट ने बताया
कि, “मरीज की जांच करने पर उसके शरीर में 324 लीपोमास की पहचान हुई। मरीज को इलाज की पूरी प्रक्रिया और रिकवरी के समय के बारे में समझाया गया। 324 लिपोमास को एक दिन में निकालना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण काम था, लेकिन मैंने समय बर्बाद न करते
हुए सर्जरी शुरू की। इस पूरी सर्जरी को पूरा होने में 10 से ज्यादा घंटे लगे, लेकिन अच्छी बात यह थी कि मैं सभी गांठों को निकालने में सफल रहा। सर्जरी के बाद तेज रिकवरी के साथ, मरीज को अस्पताल से तीन दिनों में ही डिस्चार्ज कर दिया गया।” मल्टिपल लीपोमा की पारंपरिक प्लास्टिक सर्जरी में बड़े चीरे और टांके लगाने पड़ते हैं, जिसके कारण व्यक्ति में संक्रमण और दर्द का खतरा रहता है। इस प्रकार की सर्जरी के बाद रिकवरी में बहुत ज्यादा समय लगता है, जिसके कारण न सिर्फ मरीज का समय बर्बाद
हुआ बल्कि पैसा भी बर्बाद हुआ। वहीं, माइक्रो इन्सिजन तकनीक की मदद से एक्टर के शरीर में एक भी टांका लगाने की जरूरत नहीं पड़ी। इलाज के लिए लगाए गए चीरे इतने छोटे थे कि कुछ ही समय में वे खुद-ब-खुद भर गए। लीपोमास एक प्रकार के फैटी लंप्स
(वसायुक्त गांठे) होते हैं, जो त्वचा और मसल लेयर के बीच में विकसित होते हैं। इन्हें ट्यूमर के नाम से जाना जाता है, जो आमतौर पर कैंसरस नहीं होते हैं। ये सॉफ्ट होते हैं और छूने पर इधर-उधर भागते हैं। यह त्वचा के नीचे होने वाले सबसे आम ट्यूमरों
में शामिल है। डॉक्टर आशीष भनोट ने आगे बताया कि, “इस माइक्रो इन्सिजन तकनीक से पहले, इतने सारे लीपोमास को निकालना संभव नहीं था, क्योंकि रुटीन प्लास्टिक या कॉस्मेटिक सर्जरी में जो चीरा लगाया जाता है वह लीपोमास जितना बड़ा होता है। इसके
अनुसार यदि एक चीरे पर 4 टांके लगाए जाते, तो 324 चीरों के लिए 1296 टांके लगाने पड़ते, जिससे न सिर्फ मरीज को गंभीर दर्द होता बल्कि उसे लंबे समय के लिए बेड रेस्ट पर रखा जाता। इसके अलावा मरीज को गंभीर संक्रमण होने के साथ शरीर पर घाव के निशान
भी पड़ सकते थे।” डॉक्टर आशीष भनोट पहले भी एक दिन में 180 लीपोमास निकाल चुके थे, लेकिन इस मामले के साथ उन्होंने एक नया रिकॉर्ड बना दिया। एक मरीज पर 10 घंटे की सर्जरी अपने आप में एक रिकॉर्ड नंबर की तरह है।
राष्ट्र स्तरीय प्रतियोगिता में अक्षिता हुंका की कहानी चयनित सबसे कम उम्र की लेखिका चुनी गयीं अक्षिता
27 December 2019
जुलाई 2019 में बुकोहॉलिक्स एवं पेपर टाउन द्वारा राष्ट्रीय स्तर की ओपन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता में 800 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी कहानियां दी थीं जिसमें से 27 कहानियों को चयनित किया गया है। सभी चयनित कहानियों को "The Love I Know"
नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया है। "The Love I Know" 27 लघुकथाओं का संग्रह है जिसमें सभी कहानीकारों ने उनके अनुसार प्रेम को परिभाषित किया है। अक्षिता की लिखी कहानी "Kia's Meemaw" एक स्कूल की छात्रा और एक बुजुर्ग महिला के प्रेम की कहानी है जो एक ओल्ड ऐज होम में रहती हैं। इस प्रतियोगिता में दिल्ली से लेकर केरल तक और जयपुर से लेकर शिलॉन्ग तक के लेखकों की कहानियाँ
शामिल हैं। अक्षिता न सिर्फ मध्यप्रदेश से चयनित एकमात्र लेखिका है बल्कि सबसे युवा लेखिका भी है। अक्षिता अभी कक्षा 10 की छात्रा हैं।
कृष्ण कुमार और ददनराम बैगा आई.टी.आई. में बने प्रशिक्षक
10 May 2018
शहडोल जिले में ग्राम करकटी के कृष्ण कुमार बैगा और ग्राम बोड़री के ददनराम बैगा ने आज आई.टी.आई. में प्रशिक्षक के पद पर कार्य कर रहे हैं। इन्ही की तरह प्रदेश के अन्य युवा भी शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों से कौशल प्रशिक्षण लेकर शासकीय नौकरी प्राप्त
करने में सफलता अर्जित कर रहे हैं। कृष्ण कुमार बैगा ने 12वीं परीक्षा पास करने के बाद बड़े भाई कैलाश बैगा की सलाह पर मोटर व्हीकल ट्रेड मैकेनिक का 2 साल का प्रशिक्षण प्राप्त किया। कौशल उन्नयन के प्रशिक्षण के दौरान ही बैगा का चयन आईटीआई खरगौन
में प्रशिक्षक के पद पर हो गया। ददनराम बैगा आई.टी.आई. शहडोल में श्रमिक के रूप में कार्यरत थे। इन्होंने कटिंग स्वींग का प्रशिक्षण प्राप्त किया और आज आई.टी.आई. सिंगरौली में प्रशिक्षक के पद पर सेवाएँ दे रहे हैं।
जरबेरा फूलों की खेती से 30 लाख सालाना कमा रहे कृषक शरद सिंह
9 May 2018
एक एकड़ से कम रकबे में जरबेरा फूल उत्पादन से छिन्दवाड़ा जिले के किसान शरद सिंह सालाना 30 लाख रुपये की आय अर्जित कर रहे हैं। कृषक शरद सिंह ने 4 हजार वर्ग मीटर में 3 साल पहले 58 लाख रुपये की लागत से पॉली-हाऊस बनाया। पॉली-हाऊस में जरबेरा फूलों के उत्पादन से
लगातार 30 लाख रुपये सालाना से ज्यादा की कमाई कर कृषक शरद ने इतिहास रचा है। कृषक शरद को पॉली-हाऊस बनाने के लिये 50 प्रतिशत शासकीय अनुदान के रूप में 28 लाख रुपये की मदद मिली थी। इसे पॉली-हाऊस से सालाना 7-8 लाख जरबेरा फूलों की स्टिक प्राप्त
होती है। यह स्टिक 5 रुपये प्रति स्टिक के भाव से कुल 35 से 40 लाख रुपये में बाजार में बिकती है। तमाम खर्चें निकालकर उन्हें शुद्ध रूप से 30 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय होती है। कृषक शरद सिंह ने साबित कर दिया है कि फूलों की व्यावसायिक
खेती को नई तकनीक से किया जाये, तो यह बहुत फायदेमंद व्यवसाय है। मार्केट में फूलों की बिक्री की कोई समस्या नहीं है। शरद के जरबेरा फूल नागपुर की मंडी में बिकते हैं। इन फूलों की सुन्दरता और बड़े आकार के कारण मार्केट में इनकी माँग दिनों-दिन
बढ़ती जा रही है।
रोशन लाल ने बनाई गन्ना बुवाई की अनोखी "बड चीपर मशीन
25 February 2018
नरसिंहपुर जिले के विकासखंड गोटेगाँव के ग्राम मेख के किसान रोशनलाल विश्वकर्मा ने ऐसी मशीन बनाई है, जिससे खेत में गन्ना की बुवाई में 90 प्रतिशत तक बीज की बचत होती है। मशीन की उपयोगिता को देखते हुए देश के गन्ना उत्पादक उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक,
तामिलनाडु आदि प्रदेशों में ही नहीं, बल्कि ब्राजील, केन्या, इथोपिया जैसे देशों में भी इसकी माँग बढ़ गई है। कृषक रोशनलाल अपनी मशीन बड चिपर के लिए न केवल प्रदेश में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरस्कृत हो चुके हैं। इन्हें जवाहर लाल नेहरू कृषि
विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा कृषक फैलो सम्मान से भी अलंकृत किया गया है। अभी हाल ही में उन्हें राजस्थान राज्य के उदयपुर में किसान वैज्ञानिक के रूप में सम्मानित किया गया है। रोशनलाल बताते हैं कि गन्ना लगाने की सामान्य पद्धति में सीधे गन्ने
के टुकड़ों को खेतों में लगाया जाता है, ऊपर से मिट्टी पूर दी जाती है। इसके बाद इसमें पानी देकर गन्ने को दबाना पड़ता है। इस पद्धति में एक एकड़ में 35 से 40 क्विंटल गन्ना बीज लगता है। इनके द्वारा बनाई गई बड चिपर मशीन से गन्ने के टुकड़ों से केवल
उसकी आँख (बड) सुरक्षित निकाल ली जाती है। गन्ने की इसी आँख (बड) को खेत में सीधे लगाया जा सकता है या इस बड से पॉलीथिन में या प्लास्टिक की ट्रे से गन्ने की पौध भी तैयार की जा सकती है। गन्ने की आँख से गन्ने के कल्ले निकलते हैं। बड चिपर मशीन
से गन्ना लगाने में केवल गन्ने की आँख वाला छोटा-सा डेढ़ इंच का गन्ने का टुकड़ा ही लगाना होता है। शेष गन्ने का उपयोग गुड या शक्कर बनाने में किया जाता है। इस विधि में एक एकड़ में केवल डेढ़ क्विंटल गन्ना ही लगता है। सामान्य पद्धति से गन्ने के
बीजोपचार में अधिक मेहनत लगती है। बड चीपर वाली पद्धति में गन्ने का बीजोपचार आसान हो जाता है। इससे गन्ने में कोई रोग नहीं लगता और अधिक पैदावार होती है। पुरानी पद्धति से गन्ना लगाने में औसतन एक एकड़ में 300 से 400 क्विंटल गन्ना पैदा होता है,
वहीं बड पद्धति से लगाने में 400 से 500 क्विंटल गन्ना पैदा होता है। इसके अन्य फायदे भी हैं। खेत में गन्ने के बीज का परिवहन आसान होता है, श्रम की बचत होती है, मजदूर भी कम लगते हैं और किसान की आय में वृद्धि होती है। रोशनलाल ने मशीन का अविष्कार
वर्ष 2003 में किया था। वर्ष 2006 से गन्ना किसानों को मशीन देना प्रारंभ किया। इन्होंने इस मशीन का पेटेंट भी करा लिया है। इस मशीन के 3 मॉडल तैयार किये हैं। पहला मॉडल हाथ से चलाने वाली बड चिपर मशीन, दूसरा मॉडल पैरों से चलाई जाने वाली फुट
मशीन और तीसरा मॉडल मोटर द्वारा चलित पॉवर मशीन है। गन्ना उत्पादक लोगों की माँग पर मशीन को देश-विदेश भिजवाते हैं। हस्तचलित मशीन केवल 1200 रुपये में उपलबध कराते हैं। बड चिपर की बिक्री से उन्हें साल-भर में करीब 5 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती
है। रोशनलाल अब तक 10 हजार से अधिक मशीन देश में और 100 से अधिक मशीन विदेशों में सप्लाई कर चुके हैं।
मध्य्प्रदेश के श्री ओपी रावत बने मुख्य निर्वाचन आयुक्त
22 January 2018
मध्यप्रदेश केडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा केअधिकारी श्री ओ पी रावत मंगलवार 23 जनवरी को देश के भारत निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पदभार संभालेंगे। श्री रावत अब तक आयोग के निर्वाचन आयुक्त थे ।श्री रावत की गिनती देश के ईमानदार आई ए एस अफसरों
में की जाती है। श्री रावत मध्यप्रदेश कैडर के पहले आईएएस अधिकारी है, जो भारत निर्वाचन आयोग के इस सर्वोच्च पद पर पहुंचे। साथ ही निर्वाचन आयुक्त के रिक्त होने वाले पद पर अशोक लबासा को नियुक्त किया गया है। उल्लेखनीय है कि देश के मुख्य
निर्वाचन अायुक्त अचल कुमार ज्योति का कार्यकाल 22 जनवरी को पूरा हो रहा है। श्री ओ पी रावत का कार्यकाल मात्र 11 माह का रहेगा, लेकिन उन्हें इस वर्ष के अंत तक मप्र समेत आठ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव कराने हैं। उनके 11 माह के
कार्यकाल में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक समेत नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के विधानसभा चुनाव होंगे। वे दिसंबर 2018 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु ( दोनों
में से जो भी पहले हो) तक रहता है। श्री रावत वर्ष 2013 में केंद्र सरकार में भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्रालय में सचिव (लोक उपक्रम) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें 13 अगस्त 2015 को चुनाव आयोग में आयुक्त नियुक्त
किया था। मध्य प्रदेश में जनसम्पर्क, आदिम जाति कल्याण, वाणिज्यिक कर और आबकारी विभाग सहित कई महत्वपूर्ण विभागों में अपनी सेवाएं दे चुके श्री ओपी रावत 2013 में रिटायर हो गए थे। उसके बाद उन्हें सरकार ने अगस्त 2015 में चुनाव आयोग में आयुक्त
पद पर नियुक्त किया था। बता दें की हाल ही में एमपी कैडर की स्नेहलता श्रीवास्तव भी लोकसभा की पहली महिला महासचिव नियुक्त हुईं हैं। इस पद पर उनका कार्यकाल 1 दिसंबर 2017 से 30 नवंबर 2018 तक है।
झोपड़ी में रहने वाली किसान की बेटी बनी सहायक जेल अधीक्षक
29 December 2017
दृढ़ इच्छा शक्ति हो और कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो ,तो कोई भी बाधा किसी को लक्ष्य प्राप्त करने से नही रोक सकती। यह साबित किया है झाबुआ जिले के छोटे से गांव नवापाड़ा में झोपडे मे रहने वाले किसान राधुसिह चौहान की बेटी रंभा ने। रंभा चौहान का चयन एमपीपीएससी
परीक्षा 2017 में सहायक जेल अधीक्षक के पद पर हुआ है। किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाली वह गांव की एकमात्र लड़की है। झाबुआ जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर स्थित गांव नवापाड़ा गांव मे छोटी उम्र में आदिवासी लड़कियों की शादी करने
की परंपरा है, लेकिन रंभा के माता-पिता ने पढ़ाई के महत्व को समझते हुए बेटी का विवाह नहीं किया। उन्होंने बेटी को पढ़ाने का संकल्प लिया और लगातार प्रोत्साहित करते रहे। माँ ने कहा कि वो नही पढ़ पाई इसका उसे हमेशा अफसोस रहता है। माँ ने रंभा
से कहा कि तुम पढ़ाई पूरी करना और जब तक कोई नौकरी नहीं मिल जाये तब तक रूकना मत। रंभा माता-पिता की प्रेरणा से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही। रंभा की शैक्षणिक शुरूआत नवापाड़ा गांव के सरकारी स्कूल से हुई। गांव में आगे की पढ़ाई की सुविधा नहीं
होने से वह 18 किमी दूर झाबुआ प्रतिदिन आना जाना करने लगी। इसके लिए उसे रोज डेढ़ किलोमीटर तक पैदल भी चलना पड़ता था, क्योंकि पारा से ही झाबुआ के लिए बस मिलती थी। बावजूद इसके पढ़ाई के उत्साह में कमी नहीं आने दी क्योंकि मन में कुछ कर गुजरने
का लक्ष्य था। रंभा पढ़ाई के साथ-साथ खेती के काम में भी अपने परिवार की हमेशा मदद करती रही है। रंभा के पिता राधुसिह चौहान और माता श्यामा चौहान ने कहा कि वे पढ़ाई नहीं कर पाये, इसका मलाल मन में हमेशा रहता था। पर सोच रखा था की बेटियों को जरूर
पढ़ायेंगे। गांव में उत्सव जैसा माहौल है। गांव के लोग और रिश्तेदार बधाई देने रंभा के घर पहुँच रहे हैं और रंभा के साथ-साथ उसके माता-पिता का भी पुष्पहार से स्वागत कर रहे हैं। रंभा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम महिला बछेन्द्री पाल से काफी
प्रभावित है। वह गांव की लड़कियों से भी कहती है कि जो मैं कर सकती हूँ, आप क्यों नहीं। मेहनत करो, सफलता जरूर मिलेगी। रंभा ने बताया कि पीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए शासन द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि से काफी मदद मिली। समय पर प्रोत्साहन
राशि मिल जाने से कोचिंग की फीस भर पाये और आगे मेन्स एवं इन्टरव्यू की तैयारी में आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। योजना के बारे में जब मैंने माँ को बताया तो उन्होंने कहा कि ये तो बहुत अच्छा है, नौकरी भी। मिलेगी और पैसा भी बस तुम
मेहनत मे कमी मत करना तुम्हारा जीवन संवर जाएगा। फिर क्या था, मैंने दोगुने उत्साह के साथ मेहनत करना शुरू कर दिया और नतीजे के रूप में मान-सम्मान के साथ प्रशासनिक नौकरी सामने हैं।
तीन बहनों ने एक साथ पीएच.डी. कर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवाया
3 September 2016
जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने दी बधाई जनसंपर्क, जल संसाधन और संसदीय कार्य और रीवा के प्रभारी मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने रीवा जिले की तीन बहनों सुश्री अर्चना मिश्रा, सुश्री अंजना और सुश्री अंशू को पीएच.डी. पूर्ण
होने और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज होने पर हार्दिक बधाई दी है। मंत्री डॉ. मिश्रा ने कहा कि निश्चित ही यह एक विशेष उपलब्धि है। रीवा जिले के छोटे-से गाँव रकरिया के एक मध्यमवर्गीय परिवार की तीन बहनों ने अवधेश
प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा से अपनी पीएच.डी. एक साथ पूरी की। विपरीत परिस्थितियों में की गई कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का ही परिणाम है कि तीनों ने महत्वपूर्ण शोध पूरा कर अपना नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाया है।
मंत्री डॉ. मिश्रा ने आशा व्यक्त कि है कि मध्यप्रदेश में बेटियाँ सरकार और समाज के सहयोग से विभिन्न क्षेत्र में इसी तरह कामयाबी हासिल करती रहेंगी।
सुष्मिता ने कविता को गाकर बनाया वीडियो,सोशल नेटवर्किंग पर किया शेयर
18 May 2016
मुंबई। I have but one desire, To flow yet not be lost, To embrace another, yet grow at any cost. I commit not to you, But the highest self I know. I keep what I surrender, An arrow in the chamber. When time raises a bow, I shall let it go. सोशल मीडिया खासकर इंस्टाग्राम पर एक्टिव होने के बाद सुष्मिता सेन की पर्सनैलिटी का अलग पहलू सामने आ रहा है। एक्टिंग से इतर वे विचारों को शब्दों में पिरोकर व्यक्त कर रही हैं। उन्होंने लिखा, "मुझे लिखना पसंद है। इसमें शक्ति है
शोर को कविता में बदलने की। विजन को मिशन बनाने की। ये कुछ पंक्तियां है, उस कविता की जाे मैंने लिखी है, "लेट इट गो।' मेरे लिए यह अलग अनुभव है, इस तरह की भावनाओं को साझा करना, लेकिन अब मैंने तय कर लिया है, लेट इट गो।' इस कविता को
गाते हुए उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें उनकी बेटी साथ हैं। पहले उन्होंने अपने पिता सुबीर सेन के साथ एक तस्वीर साझा की और लिखा, "मैं अपने बाबा, मेरी आध्यात्मिक शक्ति के साथ। लोग आपका नाम भूल जाते हैं, आप कहां से आए हो,
आपने जो महान काम किए, सब भूल जाते हैं। लेकिन उन्हें एक बात याद रहती है कि किस अहसास ने आपको जागृत किया। वो अहसास बनिए। वैसे प्रसिद्ध होइए। ये मेरे बाबा ने सिखाया है। प्रणाम बाबा।'
अपार्टमेंट पोर्टल बना करोड़ों का बिजनेस वेंचर
09 May 2016
मुजफ्फरनगर में पढ़ रहे सुमित ने स्कूल की पढ़ाई को कभी गंभीरता से नहीं लिया। जब वे ग्यारहवीं क्लास में थे, तब उन्हें डिस्ट्रिक्ट लेवल के मैथ्स कॉम्पीटिशन के लिए स्कूल ने उन्हें चुना। 100 अंक के पेपर में 16 अंक का एक सवाल छूटने के बाद सुमित को कोई उम्मीद
नहीं थी। ऐसे में जब वे डिस्ट्रिक्ट टॉपर घोषित हुए तो वे अचंभित थे।
इंटर्नशिप से बनाया खुद को काबिल
इस प्रतियोगिता में मिली जीत ने सुमित को बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित किया।
12वीं में उन्होंने आईआईटी की परीक्षा दी, लेकिन असफल हो गए। हालांकि 12वीं में उन्होंने अच्छे अंक हासिल किए। इसके बाद आईआईटी की तैयारी के लिए सुमित कोटा चले गए और पूरी शिद्दत से पढ़ाई की। इस बार उन्होंने आईआईटी एग्जाम अच्छी रैंक से
पास किया और आईआईटी रुड़की में दाखिला लिया। इस कामयाबी ने सुमित को नई ऊर्जा से भर दिया और उन्हें अपना वेंचर शुरू करने के लिए प्रेरित किया। इसी के चलते फर्स्ट ईयर में उन्होंने स्टार्टअप्स में इंटर्नशिप जॉइन कर ली। थर्ड ईयर के दौरान
उनके एक सीनियर ने उन्हें बेंगलुरू स्थित अपने स्टार्टअप में इंटर्नशिप का ऑफर दिया। यहां सुमित ने अपनी बिजनेस स्किल्स को मजबूत बनाया।
स्टार्टअप के लिए छोड़ी जॉब
कॉलेज के बाद सुमित ने ऑरैकल जॉइन किया। लेकिन
इस कॉर्पोरेट जॉब में उनका मन कभी नहीं लगा। लगभग एक वर्ष बीत जाने के बाद उन्होंने जॉब से इस्तीफा दे दिया और बिना समय बर्बाद किए मार्केट और टेक्नोलॉजी का अध्ययन करने लगे। ऑरैकल में उनके साथी रहे ललित ने भी कंपनी से इस्तीफा दे दिया।
दोनों ने स्टार्टअप शुरू करने की इच्छा के चलते साथ काम करने का फैसला किया और शुरुआत टेलीमार्केटिंग कॉल्स को बैन करने की सर्विस 'बैन करो' से की।
सीवेज ब्लॉकेज में मिला आइडिया
इसी दौरान बेंगलुरू में रहते
हुए सुमित के अपार्टमेंट के सामने सीवेज में ब्लॉकेज की समस्या खड़ी हुई। इस दौरान उन्होंने देखा कि बहुत कम रेजीडेंट एक दूसरे को जानते थे, जिसके कारण समस्या का निदान मुश्किल हो रहा था। इसी के चलते सुमित और उनके दोस्ताें ने एक ऐसा प्लेटफॉर्म
शुरू करने का फैसला किया जो लोगों को एक साथ ला सके। इस तरह वर्ष 2007 में कॉमनफ्लोर डॉट काम की शुरुआत हुई। लोगों ने इसे सराहा और इसके साथ जुड़ने लगे। आज यह कंपनी एक विश्वसनीय प्रॉपर्टी पोर्टल के तौर पर पहचानी जाती है, जो अपार्टमेंट
के मालिकों और घर की तलाश करने वालों के बीच सेतु का काम कर रही है। कंपनी के कामयाब सफर की गणना आंकड़ों में की जाए तो 2008-09 में कंपनी का रेवेन्यू 3 करोड़ के करीब रहा जो 2014-15 में बढ़कर 44 करोड़ को पार कर गया।
कंपनी : कॉमनफ्लोर डॉट कॉम फाउंडर : सुमित जैन क्या खास : रियल एस्टेट के लिए बनाया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म
"अमूल" के प्रबंध संचालक ने कार्पोरेट फिल्म "संकल्प" को नेशनल अवार्ड प्रदान किया
20 February 2016
भोपाल:पब्लिक रिलेशन सोसायटी आॅफ इंडिया नई दिल्ली द्वारा मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा निर्मित कॉर्पोरेट फिल्म ‘‘संकल्प‘‘ आॅनलाईन कनेक्शन सेवा के वृत्त चित्र को नेशनल द्वितीय पुरस्कार मिला है। इसी प्रकार कंपनी के न्यूज लेटर ‘‘मध्यक्षेत्र विद्युत
संदेश‘‘ को पब्लिक रिलेशन सोसायटी आॅफ इंडिया को प्रथम पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में पब्लिक रिलेशन सोसायटी आॅफ इंडिया के 37वें सम्मेलन में ‘‘अमूल‘‘ के प्रबंध संचालक श्री आर.एस.सोढी (एमडी गुजरात को आॅपरेटिव
मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन, आणद) ने प्रदान किया। इस अवसर पर गुजरात सरकार के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री रवि सक्सेना पी.आर.एस.आई. के नेशनल प्रेसिडेंट श्री अजीत पाठक सहित समूचे देश के 250 से अधिक मीडिया प्रोफेशनल, जनसंपर्क अधिकारी
एवं पत्रकारिता एवं संचार के विद्यार्थी शामिल हुए। मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की ओर से वरिष्ठ प्रकाशन अधिकारी श्री मनोज द्विवेदी, डीजीएम (आईटी) श्री आदर्श दुबे एवं श्रीमती हनी शर्मा ने पुरस्कार प्राप्त किया। कंपनी के प्रबंध
संचालक श्री विवेक पोरवाल एवं मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन/प्रशासन) श्री रत्नाकर झा ने कंपनी के कार्मिकों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।
भोपाल के डॉ. अरहम का दुनिया के टॉप सर्जन में चयन नाईस फ्रांस में हुई अंर्तराष्ट्रीय कार्यशाला में लिया भाग
17 December 2015
भोपाल के जाने-माने युवा नाक,कान तथा गला विशेषज्ञ डॉ. सैयद अरहम हुसैन का दूरबीन पद्धति से कान के ऑपरेशन करने के लिए दुनिया के 10 टॉप सर्जन में शुमार हो गया। डॉ. अरहम ने हाल ही में नाईस फ्रांस में हुई एक अंर्तराष्ट्रीय कार्यशाला एवं प्रतियोगिता में भाग
लिया। उन्होंने इस मौके पर अपना शोध पत्र का भी प्रस्तुतीकरण वीडियों के माध्यम से दिया। अंर्तराष्ट्रीय स्तर की इस कार्यशाला में भाग लेने वाले सर्जन विशेषज्ञों ने भी उनके शोध कार्य की काफी सराहना की। उल्लेखनीय है कि डॉ. अरहम बिना कांटे, नयी दूरबीन पद्धति से कान के ऑपरेशन करने के लिए विख्यात है। डॉ. अरहम अब तक 2300 सफल ऑपरेशन कर चुके है। उन्होंने बिना कांटे दूरबीन पद्धति से कान का ऑपरेशन करने का तरीका तथा औजार भी खुद इजाद किये
है। वे पिछले 14 वर्षों से यह ऑपरेशन कर रहे है।
स्टार्टअप से मल्टीनेशनल कंपनी का मुकाम
दुनिया की अग्रणी कंपनियों की नींव रखने वाले मुश्किलों और चुनौतियां का सामना करके सफल हो सकते हैं, तो फिर मैं क्यों नहीं? इसी जज्बे के साथ नवीन ने अपने स्टार्टअप को सफल कहानी में तब्दील किया।
कंपनी : इनमोबी संस्थापक : नवीन तिवाड़ी क्या खास : गूगल के एडमॉब के बाद इनमोबी आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल एडवरटाइजिंग प्लेटफॉर्म है।
1977 में जन्मे नवीन तिवाड़ी मध्यमवर्गीय परिवार से हैं, जहां पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी
करने को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती थी। वर्ष 2000 में इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद नवीन को हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एमबीए में दाखिला मिला। यहां उन्होंने देखा कि अांत्रप्रेन्योर्स और बिजनेस लीडर्स उन्हीं की तरह थे। वे अांत्रप्रेन्योरशिप
के प्रति प्रेरित हुए। इसी दौरान नवीन को एचबीएस में अपने साथी स्टूडेंट्स के लिए भारत का एक ट्रिप आयोजित करने का मौका मिला। इसी ट्रिप के बीच उन्हें मोबाइल डील्स और मोबाइल सर्च से जुड़ा आंत्रप्रेन्योरशिप का आइडिया आया।
स्टार्टअप से पहले लिया जरूरी अनुभव
अपने आइडिया को उद्यम में तब्दील करने से पहले नवीन काे अनुभव की जरूरत महसूस हुई। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए उन्होंने मैक्किंजे एंड कंपनी में नौकरी कर ली। इसके अलावा नवीन ने कई टेक कंपनियों
के टॉप मैनेजमेंट के साथ भी काम किया और फिर वेंचर कैपिटल फर्म, चार्ल्स रिवर वेंचर्स जॉइन की। यहां नवीन भारत मंे निवेश की रणनीति तैयार करने का काम किया करते थे। अपने आइडिया और अनुभवों को साथ लेकर नवीन ने 2007 में अपनी कंपनी की
नींव रखी और एसएमएस आधारित सर्च सर्विस पर फोकस करते हुए कंपनी का नाम एमखोज रखा। कंपनी की स्थापना के लिए एंजेल फंडिंग से मिला 5 लाख डॉलर का फंड मददगार साबित हुआ। 2009 में नवीन ने कंपनी को मोबाइल-डिवाइस एडवरटाइजिंग फर्म में तब्दील
कर, इसका नाम इनमोबी रख दिया।
165 देशाें तक फैला कारोबार
गूगल के एडमॉब नेटवर्क के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल एडवरटाइजिंग नेटवर्क के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली कंपनी इनमोबी आज भारत, यूके, यूएस, चीन
और ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के 165 से भी ज्यादा देशाें के 80 करोड़ से अिधक यूजर्स तक अपना कारोबार पहुंचा रही है।
लॉन्च के साथ ही चुनौितयां भी
अपने शुरुआती दौर को याद करते हुए नवीन कहते हैं, आंत्रप्रेन्योर बनने
का फैसला अपने साथ असफलता का जोखिम भी लाता है। लॉन्च होने के बाद इनमोबी की राह आसान नहीं थी। अब की तुलना में पहले देश के निवेशकों को आकर्षित कर पाना बेहद मुश्किल था। विदेशी निवेशकों को यह समझाना कि भारत में भी अच्छे प्रॉडक्ट
(सॉफ्टवेयर) बनाए जा सकते हैं, सबसे बड़ी चुनौती थी। लेकिन नवीन ने घुटने न टेकने की ठान ली। शुरुआत के चार महीनों तक निवेशकों और ग्राहकों को आकर्षित करने का प्रयास करने के बाद नवीन फंड जुटाने में कामयाब हुए। आज कंपनी पूरी दुनिया
मंे 800 मिलियन स्मार्टफोन यूजर्स को जोड़ने में सफल हो पाई है। यही नहीं एमआईटी के टेक्नोलाॅजी रिव्यू में इनमोबी को दुनिया की 50 सबसे चर्चित रहने वाली कंपनियों में शामिल किया गया है।
ब्लॉग काे इंटर्नशिप पोर्टल में बदलने वाला कामयाब आंत्रप्रेन्योर
आईआईटी से इंजीनियरिंग के बाद राजस्थान के सर्वेश, यूके की एक कंपनी में बतौर बिजनेस एनालिस्ट नौकरी करने लगे। 2008 में वे भारत लौटे और एक बैंक के साथ काम करने लगे। इस जॉब के साथ ही सर्वेश ने हॉबी-प्रोजेक्ट के तौर पर वर्डप्रेस ब्लॉग की शुरुआत की जिसका नाम
रखा इंटर्नशाला। इस ब्लॉग के जरिए वे शिक्षा, टेक्नोलॉजी और स्किल गैप जैसे विषयों पर अपने विचार रखा करते थे। इसी बीच आईआईटी मद्रास से ग्रेजुएशन करने के बाद लंदन बिजनेस स्कूल से एमबीए करके लौटे सर्वेश के एक दोस्त को भारत में एक
महीने की इंटर्नशिप की तलाश थी, जिसे ढूंढ पाने में वह कामयाब नहीं हो पाया। कमी में मिला बिजनेस आइडिया सर्वेश को समझ आ गया कि देश में ऐसा कोई प्लेटफाॅर्म नहीं था जो इंटर्नशिप्स
के लिए स्टूडेंट्स को सही इंडस्ट्रीज से जोड़ने में मदद कर सके। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए उन्हाेंने एक इंटर्न के नजरिए से ब्लॉग लिखना शुरू किया और इंटरनेट पर उपलब्ध स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी इंटर्नशिप की जानकारी अपने दोस्तों
और आईआईटी मद्रास के स्टूडेंट्स व एल्युमनाई के साथ शेयर करना शुरू किया। शुरुआत के कुछ ही दिनों के अंदर आईआईटी मद्रास एल्युमनाई ऑफिस ने पूरे एल्युमनाई बेस को इंटर्नशाला की जानकारी का ई-मेल भेज दिया। यहीं से इंटर्नशाला को आगे
बढ़ने का प्रोत्साहन मिल गया। ब्लॉग बना इंटर्नशिप वेबसाइट धीरे-धीरे वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ने लगा। स्टूडेंट्स इस कॉन्सेप्ट को काफी पसंद कर रहे थे। विज्ञापनों के जरिए मिलने वाले आवेदनों की संख्या भी तेजी से बढ़ने
लगी। इस तरह इंटर्नशाला चर्चा में आई और भारत की कंपनियों ने इसके जरिए इंटर्नशिप की रिक्तियां निकालीं और इंटर्न्स हायर करना शुरू किया। इन्हीं विज्ञापनों की बदौलत सर्वेश की कमाई भी होने लगी। अब तक सर्वेश की नौकरी भी जारी थी लेकिन
इंटर्नशाला की कामयाबी ने उन्हें इतना आत्मविश्वास दे दिया कि वे अब अपना पूरा ध्यान इस पर दे सकते थे। इसी सोच के साथ सर्वेश ने नौकरी छोड़कर पूरी तरह इंटर्नशाला की कमान संभालने का फैसला कर लिया। लाखों स्टूडेंट्स काे प्लेटफॉर्म
सर्वेश के घर के छोटे से कमरे से शुरू हुई इंटर्नशाला आज 25 लोगों की टीम के साथ गुड़गांव की एक कॉर्पोरेट बिल्डिंग से संचालित हो रही है। इंटर्नशिप के साथ-साथ ट्रेनिंग के क्षेत्र में काम कर रहे इस इंटर्नशिप पोर्टल पर 2,50,000
इंटर्न्स और 10,000 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं और वर्तमान में इंटर्नशाला को हर महीने करीब 5 लाख स्टूडेंट्स विजिट करते हैं। लगभग 80,000 इंटर्न्स हर साल इंटर्नशाला के माध्यम से हायर किए जा रहे हैं। ब्लॉग के रूप में शुरू की गई इंटर्नशाला
आज देश की महत्वपूर्ण इंटर्नशिप वेबसाइट का मुकाम हासिल कर चुकी है।
मेरे सपने तो नींद में ही सच हो गए
"मेरा हिंदुस्तान अलवर के इमरान में बसा है'। ये शब्द शुक्रवार रात करीब सवा बारह बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन में कहे थे। उस वक्त इमरान सो रहा था। साढ़े बारह बजे उसके दोस्त राजेश ने फोन करके उसे उठाया और कहा कि टीवी पर पीएम ने तेरा जिक्र किया है।
इमरान ने बताया-दोस्त की बातें सुनकर ऐसा लगा, मानो गहरी नींद में ही मेरे सपने सच हो गए हों। 3 साल में 52 एंड्रॉयड ऐप और 100 से ज्यादा वेबसाइट्स तैयार करने वाले इमरान के घर टीवी नहीं है। उसने एप बनाने की किसी से ट्रेनिंग नहीं
ली। बकौल इमरान, दोस्त की बातें सुनकर मैंने यूट्यूब पर मोदीजी का भाषण सुना। कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले ही बधाइयों के फोन आने लगे। अब तक आ रहे हैं। बीएसएनएल के अधिकारी भी घर आए थे। मंत्री रविशंकर प्रसाद और चेयरमैन से बात कराई।
मुझे बताया गया कि मुझे आजीवन मुफ्त ब्रॉडबैंड सर्विस दी गई है। कल रात से घर और गांव में त्यौहार जैसा माहौल है। अपनी कहानी बताते हुए इमरान ने कहा- बचपन से ही साइंस-मैथ्स की पढ़ाई का जुनून था। हम लोग गरीब हैं, जैसे-तैसे 12वीं
की पढ़ाई पूरी की। मेरा सपना आईआईटी करके वैज्ञानिक बनना था। लेकिन घरवालों ने मेरी शादी कर दी। भैया की किताबों को पढ़कर और गूगल की मदद से एप बनाने के आइडिया सीखे। मेरे दो भाई इशाक और इदरीस सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। अब तक गणित का
राजा, किड्स जीके, डेली जीके जैसे टॉपिक पर 52 तरह के एप तैयार किए हैं।
मेरे एप्स देश को समर्पित इमरान ने कहा-सुबह उठते ही मुझे अखबारों की हेडलाइन पढ़ने का शौक है। इसके बाद स्कूल
और फिर दिन-भर कंप्यूटर में बीत जाता है। दिल्ली के विज्ञान भवन में मैंने सारे एप्स देश के बच्चों को समर्पित कर दिए थे। इन्हें मानव विकास मंत्रालय की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। मेरा अगला कदम एप्स पर वीडियो अपलोड करना
रहेगा। बच्चे वीडियो देखकर जल्दी समझ सकते हैं। मेरे सपने तो नींद में ही सच हो गए
25 लाख से ज्यादा लोग इन्हें डाउनलोड कर चुके हैं। 7 एप तो ऐसे हैं जिन्हें एक करोड़ लोग रोज देखते हैं। सबसे पहले मैने वेबसाइट
जीके टॉक बनाई। इसे तत्कालीन जिला कलेक्टर आशुतोष पेंडणेकर ने देखा और मुझे बुलवाया। उन्होंने जीके टॉक की तारीफ करते हुए डाइट की वेबसाइट बनाने को कहा। मैंने कहा-मेरे पास एंड्राइड फोन नहीं है तो उन्होंने अपना टेबलेट पीसी दे दिया।
तब से बस एप बना रहा हूं। एप को लेकर रोज 100 से ज्यादा ईमेल और 50 फोन आते हैं। मेरी बेटी सामिया भी मेरी मदद करती है। एप्स की डिजाइन का काम सामिया ही देखती है।
ऑटो चलाने वाले श्रीकांत अब प्लेन उड़ाते हैं
वह कहा करता था, 'तीन पहिए मेरी जिंदगी हैं। इन्हीं से दुनिया देखनी है।' और वाकई, उसने अपने सपने को सच कर दिखाया। महज चार साल पहले वह नागपुर की सड़कों पर ऑटो चलाता था। आज इंडिगो एयरलाइन्स के विमान उड़ाता है। यह शख्स हैं,
श्रीकांत पंतवणे। खुद 12वीं तक पढ़े थे। अंग्रेजी आती नहीं थी। पिता चौकीदारी करते थे। परिवार के माली हालात, इन्हें तो क्या किसी भी सदस्य को बड़े सपने देखने की इजाजत देने को राजी नहीं थे। पर इन्होंने देख लिए। एक बार ऑटो से किसी
सामान की डिलीवरी करने नागपुर एयरपोर्ट गए थे। वहीं पहली बार रनवे पर चीखते हवाई जहाज के पहियों की आवाज कान में पड़ी। कोई फ्लाइट उतरी थी। कुछ देर बाद यूनीफॉर्म पहने सामने से आ रहे कुछ लोगों पर नजर पड़ी। उनके बारे में जानने की ज्यादा
इच्छा हुई तो एयरपोर्ट के बाहर चाय की दुकान पर खड़े कुछ पढ़े-लिखे से दिखने वाले लोगों से पूछ बैठे। उन्होंने बताया कि वे यूनीफॉर्म वाले लोग पायलट हैं। विमान उड़ाते हैं। रहा नहीं गया तो उन्हीं लोगों से यह भी पूछ लिया कि पायलट कैसे
बनते हैं? लेकिन उन्होंने जो बताया, उससे एक बार तो हिम्मत जवाब ही देने लगी। जितना खर्च, जितनी पढ़ाई-लिखाई चाहिए थी, वह तो कुछ भी नहीं था। लेकिन अब तक ठान लिया था कि पायलट ही बनना है। उन्हीं लोगों में से किसी ने बताया था कि 12वीं
की पढ़ाई के बाद ही पायलट की ट्रेनिंग के लिए सरकार से स्कॉलरशिप मिल जाती है। सो, फिर किताबें उठाईं और तैयारी शुरू कर दी। दिन में ऑटो चलाना। इसके बाद रात में पढ़ाई करना। रोज का सिलसिला हो गया। जरूरत को देखते हुए फिजिक्स पर ज्यादा
ध्यान दिया। आिखर 2011 में स्कॉलरशिप मिल गई। उसी के दम पर मध्यप्रदेश के सागर में चाइम्स एविएशन अकादमी में दाखिला भी मिल गया। लेकिन यहां नया संघर्ष। एक तो अंग्रेजी सीखना जरूरी था। दूसरा किताबें खरीदना तो दूर उनकी फोटो कॉपी कराने
के भी पैसे नहीं थे। इसलिए, लाइब्रेरी की मदद ली। हर रात दो बजे तक वहीं गुजरती। वहीं बैठकर अंग्रेजी सीखते। असेसमेंट की तैयारी करते। नतीजा, हर असेसमेंट में सबसे ऊपर नाम होता। दो साल में कोर्स पूरा हो गया पर नौकरी नहीं मिली।
इसलिए नागपुर में ही एक कंपनी में काम कर लिया। पर दिल की लगी अभी बुझी नहीं थी। सो, फिर तैयारी की। एक और स्कॉलरशिप की मदद से 2013 के आखिर में हैदराबाद के सेंट्रल ट्रेनिंग एस्टेब्लिशमेंट में दाखिला लिया। वहीं से इंडिगो
के लिए कैंपस सिलेक्शन हुआ। आखिर अप्रैल 2015 में उनके सपनों को हकीकत के पंख लगे। श्रीकांत कंपनी के को-पायलट बने। अब वे सच में हवा में उड़ते हैं। आसमान से बातें किया करते हैं।
इशारों से सीखा बैडमिंटन खेलना, आत्मविश्वास से पाया मुकाम
"ये हौसला कैसे झुके, ये आरजू कैसे रुके...' "डोर' फिल्म का यह गीत हमेशा मुसीबतों से लड़ने की प्रेरणा देता है। शहर की 07 वर्षीय गौरांशी शर्मा शारीरिक कमजोरियों के बावजूद मुसीबत से लड़ने की मिसाल बन चुकी हैं। सुन और बोल पाने में असमर्थ गौरांशी के आत्मविश्वास
और बुलंद हौसलों ने उसे बैडमिंटन का पाॅपुलर प्लेयर बना दिया है। अपने खेल से सभी की चहेती गौरांशी के मम्मी-पापा भी सुन अौर बाेल नहीं सकते। वे इशारों से अपनी बेटी को खेलने की प्ररेणा देते हैं।
जैसे ही गौरांशी टीटी नगर स्टेडियम के बैडमिंटन कोर्ट पर पहुंचती हैं, तो साथी खिलाड़ियों के चेहरे खिल उठते हैं। आशा निकेतन बधिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पहली कक्षा में पढ़ रहीं गौरांशी बैडमिंटन और स्विमिंग की प्लेयर हैं। इसके अलावा वे पेंटिंग और डांसिंग में भी अव्वल है। गौरांशी को उनके अच्छे खेल की वजह से इंटरनेशनल प्लेयर्स से भी सराहना मिल चुकी है। बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और अोलिंपिक पदक विजेता कुश्ती प्लेयर सुशील कुमार एप्रीशिएशन के
साथ गौरांशी को पुरस्कृत भी कर चुके हैं।
स्टेट लेवल में सेमीफाइनल तक खेला
गौरांशी भेल में आयोजित स्व. एसपी सिंह मेमोरियल बैडमिंटन
टूर्नामेंट की अंडर-10 कैटेगरी में सेमीफाइनल तक खेल चुकी हैं। बैडमिंटन कोच रश्मि मालवीय गौरांशी को इशारों में टिप्स देती हैं। रश्मि मालवीय ने बताया कि गौरांशी में गजब का आत्मविश्वास और पैशन है। वह बहुत जल्दी अॉब्जर्व करती हैं।
दूसरे खिलाड़ियों के साथ हमने भी साइन लैंग्वेज सीख लिए हैं। अब उसे समझाना आसान हो गया है।
हर मोड़ पर बढ़ाया हौसला
गौरांशी के
पेरेंट्स गौरव और प्रीति शर्मा ने इशारों में बताया, ‘हम दोनों बोल अौर सुन नहीं सकते। हमने जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। जब गौरांशी का जन्म हुआ तब हमारी जिंदगी में खुशियां आईं। डॉक्टरों ने हमें बताया कि वह भी सुन-बोल नहीं
सकती तो हमें बड़ा झटका लगा। हमने उसका हर मोड़ पर हौसला बढ़ाया। गौरांशी ने इसे अपनी ताकत बनाई और पढ़ाई के साथ बैडमिंटन, स्वीमिंग, पेंटिंग और डांस में बेस्ट परफॉर्मेंस देती रही और हम उस के साथ इसी तरह रहेंगे हमेशा......."
दामिनी त्रिपाठी
श्री आत्मदीप : वर्षो तक इंडियन एक्सप्रेस के ब्यूरोचीफ रहे श्री आत्मदीप की फ़रवरी २०१४ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया था , उन्होनें पिछले एक साल में सूचना के अधिकार के तहत लंबित अनेकों प्रकरणों को प्राथमिकता से निपटाया और कई सूचना
अधिकारियों को दंडित और जुर्माने के आदेश दिये ।
16 साल के दिव्य ने लिखी आईआईटी तैयारी पर किताब
आगर-मालवा | महज16 साल की उम्र में आगर निवासी 11वीं के छात्र दिव्य गर्ग ने आईआईटी की तैयारी पर 272 पेज की पुस्तक लिख दी। पुस्तक का नाम 'लाइफ एट रेस टू आईआईटी' है। इसमें तैयारी के महत्वपूर्ण टिप्स बताए गए हैं। दिव्य ने आईआईटी की तैयारी का मन बनाया तो एक
भी ऐसी मनमाफिक पुस्तक नहीं मिली जिसमें परीक्षा की तैयारी के बारे में बताया गया हो। दिव्य ने परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों से संपर्क कर समस्याओं को करीब से जाना और पुस्तक लिख डाली। पुस्तक में दो दोस्तों आर्यन और सिद्धांत
की कहानी है जो आईआईटी की तैयारी में आने वाली बाधाएं बताते हुए कामयाबी हासिल करते हैं। मई-2012 में शुरू की पुस्तक सालभर बाद मई-13 में पूरी की। हमेशा क्लास तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में जिले में अव्वल आने वाले दिव्य के पिता की
स्टेशनरी की दुकान है। माता गृहिणी हैं। पुस्तक नई दिल्ली से प्रकाशित हो चुकी है।
50 प्रभावशाली लोगों में अरुंधति भट्टाचार्य भी
12 September 2014
मुंबई | एसबीआईकी पहली महिला चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य को 50 सबसे प्रभावशाली लोगों में शुमार किया गया है। ब्लूमबर्ग मैग्जीन की सूची में भट्टाचार्य एकमात्र महिला हैं, जिन्हें बैंकर्स कैटेगरी में जगह दी गई है।
मोदी के स्वागत समारोह की एंकर होंगी 'मिस अमेरिका' नीना
12 September 2014
वाशिंगटन। अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में 28 सितंबर को आयोजित होने वाले भव्य समारोह की एंक¨रग मिस अमेरिका नीना दावुलुरी करेंगी। यह समारोह भारतीय मूल के अमेरिकियों द्वारा आयोजित किया जा रहा है। मोदी इस महीने के अंत में अमेरिका की यात्रा
पर रवाना होंगे। मेडिसन स्क्वायर गार्डन में आयोजित होने वाले इस समारोह में बीस हजार से अधिक भारतीय अमेरिकियों के उपस्थित रहने की उम्मीद है। अमेरिका में किसी राष्ट्राध्यक्ष के स्वागत में आयोजित किया जाने
वाला यह अब तक का सबसे बड़ा रिसेप्शन कहा जा रहा है।
इंडियन अमेरिकन कम्युनिटी फाउंडेशन (आइएसीएफ) के प्रवक्ता आनंद शाह ने कहा, 'दुनिया के सबसे महान लोकतंत्र के नागरिक सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता के भाषण को सुनने के लिए उत्सुक
हैं।'
कौन है नीना दावुलुरी
25 वर्षीय नीना वर्ष 2014 में मिस अमेरिका का खिताब जीतने वाली भारतीय मूल की पहली महिला हैं। वह इससे पहले मिस न्यूयॉर्क भी रह चुकी हैं। नीना अपने पिता की तरह डॉक्टर बनना चाहती हैं। वह अमेरिका
की मशहूर न्यूज एंकर भी हैं। नीना की जीत को भारतीय अमेरिकियों के लिए ठीक वैसा ही बताया गया था जैसी यहूदी समुदाय के लिए बेस मेरसन की जीत थी। मेरसन वर्ष 1945 में मिस अमेरिका का खिताब जीतने वाली यहूदी समुदाय की पहली महिला थीं।
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