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बाल पहेली


1. प्लूटो अब शामिल नहीं है अब यह है कि सौर मंडल में कितने ग्रह हैं?
2. सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह क्या है?
3. सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह क्या है?
4. सौर मंडल में सबसे ग्रह क्या है?
5. सूर्य से छठे ग्रह एक व्यापक अंगूठी प्रणाली सुविधाएँ, इस ग्रह का नाम क्या है?
6. रासायनिक तत्व यूरेनियम क्या ग्रह के नाम पर रखा गया था?
7. सौर प्रणाली में क्या ग्रह सूर्य से सबसे दूर है?
8. सौर प्रणाली में दूसरा सबसे छोटा ग्रह क्या है?
9. क्या ग्रह पृथ्वी के आकार में सबसे करीब है?
10. चंद्रमा टाइटन क्या ग्रह की कक्षाओं?
11. क्या ग्रह 'लाल ग्रह' उपनाम है?
12. सही है या गलत? नेपच्यून शनि ग्रह से भी बड़ा है.
13. गलीली चन्द्रमाओं क्या ग्रह की परिक्रमा?
14. क्या ग्रह सूर्य के सबसे करीब है?
15. सूर्य से सातवें ग्रह क्या है?
16. सही है या गलत? वीनस पृथ्वी की तुलना में अधिक वायुमंडलीय दबाव है?
17. ट्राइटन क्या ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा है?
18. रात आसमान में प्रतिभाशाली ग्रह क्या है?
19. सूर्य से तीसरा ग्रह क्या है?
20. फोबोस और डीमोस क्या ग्रह के चांद हैं?



ग्रह प्रश्नोत्तरी जवाब

1. 8
2. पारा
3. बृहस्पति
4. वीनस
5. सैटर्न
6. यूरेनस
7. नेपच्यून
8. मंगल ग्रह
9. वीनस
10. सैटर्न
11. मंगल ग्रह
12. झूठी
13. बृहस्पति
14. पारा
15. यूरेनस
16. सच
17. नेपच्यून
18. वीनस
19. धरती
20. मंगल ग्रह


प्रियंका पारे

राष्ट्र स्तरीय प्रतियोगिता में अक्षिता हुंका की कहानी चयनित
सबसे कम उम्र की लेखिका चुनी गयीं अक्षिता

27 December 2019
जुलाई 2019 में बुकोहॉलिक्स एवं पेपर टाउन द्वारा राष्ट्रीय स्तर की ओपन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता में 800 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी कहानियां दी थीं जिसमें से 27 कहानियों को चयनित किया गया है। सभी चयनित कहानियों को "The Love I Know" नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया है। "The Love I Know" 27 लघुकथाओं का संग्रह है जिसमें सभी कहानीकारों ने उनके अनुसार प्रेम को परिभाषित किया है।
अक्षिता की लिखी कहानी "Kia's Meemaw" एक स्कूल की छात्रा और एक बुजुर्ग महिला के प्रेम की कहानी है जो एक ओल्ड ऐज होम में रहती हैं।
इस प्रतियोगिता में दिल्ली से लेकर केरल तक और जयपुर से लेकर शिलॉन्ग तक के लेखकों की कहानियाँ शामिल हैं। अक्षिता न सिर्फ मध्यप्रदेश से चयनित एकमात्र लेखिका है बल्कि सबसे युवा लेखिका भी है। अक्षिता अभी कक्षा 10 की छात्रा हैं।

मोगली बाल उत्सव 24 से 30 मार्च तक
5 February 2019
राज्य स्तरीय मोगली बाल उत्सव 24 मार्च से 30 मार्च 2019 तक प्रदेश के 6 राष्ट्रीय उद्यानों में होगा। इस संबंध में आयुक्त लोक शिक्षण द्वारा प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये है। उत्सव प्रदेश के 6 अभयारण्यों में होगा। इन सभी अभयारण्यों में अलग-अलग जिलों के छात्र-छात्राएँ शामिल होंगे। विभिन्न अभयारण्यों में उत्सव की तिथियाँ और शामिल होने वाले जिलों के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रीय उद्यान कान्हा जिला मण्डला में (8 जिले) मण्डला, जबलपुर, डिण्डोरी, बैतूल, देवास, रतलाम, आगर-मालवा और शाजापुर 24 से 26 मार्च तक, राष्ट्रीय उद्यान पन्ना में (8 जिले) सागर, दमोह, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, सतना, रीवा और कटनी 24 से 26 मार्च तक, राष्ट्रीय उद्यान पेंच जिला सिवनी में (9 जिले) सिवनी, बालाघाट, छिन्दवाड़ा, नीमच, मंदसौर, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी और उज्जैन 24 से 26 मार्च तक, राष्ट्रीय उद्यान बॉधवगढ़ जिला उमरिया में (8 जिले) उमरिया, शहडोल, अनूपपुर, सिंगरौली, सीधी, रायसेन, नरसिंहपुर और राजगढ़ 28 से 30 मार्च तक, माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में (9 जिले) श्योपुर, मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर और विदिशा 28 से 30 मार्च तक तथा राष्ट्रीय उद्यान मढ़ई जिला होशंगाबाद में (9 जिले) जिले के होशंगाबाद, भोपाल, सीहोर, इंदौर, धार, बुरहानपुर, खण्डवा, हरदा, उज्जैन जिले के छात्र-छात्राएँ शामिल होंगे। 28 से 30 मार्च की अवधि में शामिल होंगे। उत्सव में प्रत्येक जिले से 8 छात्र-छात्राएँ शामिल होंगे। इनमें कनिष्ठ वर्ग से दो छात्र-दो छात्राएँ तथा वरिष्ठ वर्ग से दो छात्र- दो छात्राएँ होंगी। छात्राओं के साथ दल प्रभारी एक शिक्षिका तथा छात्रों के साथ एक शिक्षक दल प्रभारी के रूप में उत्सव में सहभागिता करेंगे।

aaराष्ट्रीय बालरंग समारोह के माध्यम से बच्चों का किया जाता है समग्र विकास


20 December 2017

स्कूल शिक्षा मंत्री कुँवर विजय शाह ने कहा है कि राष्ट्रीय बालरंग समारोह देशभर के बच्चों का घर है। यहाँ बच्चों का समग्र रूप से विकास किया जाता है। उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने से आये बच्चे जो सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देते हैं, उन्हें और निखारने की जरूरत है। इसके लिये भविष्य में कला जगत के वरिष्ठ कलाकारों को भी आमंत्रित किया जायेगा। स्कूल शिक्षा मंत्री कुँवर विजय शाह आज भोपाल के इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय में राष्ट्रीय बालरंग समारोह को संबोधित कर रहे थे। बालरंग समारोह के दूसरे दिन विभिन्न राज्यों के बच्चों ने अपने-अपने राज्यों की संस्कृति के अनुरूप आकर्षक लोक-नृत्य प्रस्तुत किये। राष्ट्रीय बालरंग समारोह में 26 राज्यों के करीब 600 और प्रदेश के स्कूलों के करीब 10 हजार बच्चे भागीदारी कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री कुँवर शाह ने कहा कि बालरंग समारोह पूरी तरह से बच्चों द्वारा बच्चों के लिये किया जाता है। इस बार नये प्रयोगों के साथ बालरंग का आयोजन किया गया है। जहाँ एक ओर छात्र सांस्कृतिक और साहित्यिक प्रतियोगिताओं में अपना हुनर दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बच्चे ही शेफ के रूप में फुड स्टॉल्स पर लोगों को अलग-अलग व्यंजनों से रू-ब-रू करा रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि छात्रों में प्रतिभा के विकास के लिये उन्हें मंच संचालन, मंच एवं कार्यक्रम प्रबंधन, पत्रकारिता जैसे व्यक्तित्व विकास के पहलुओं से भी परिचित कराया जा रहा है। बाल-पत्र का प्रकाशन छात्र पत्रकारों ने इसी उद्देश्य से किया है। बालरंग समारोह में सुरक्षा एवं अनुशासन का कार्य एनसीसी केडेट्स एवं स्काउट गाइड के जिम्मे ही सौंपा गया है। इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो. सरित कुमार चौधुरी ने अपने संबोधन में कहा कि देशभर के विभिन्न राज्यों से आये बच्चे संग्रहालय को देखें और यहाँ की विरासत के बारे में अपने राज्यों में जाकर अन्य बच्चों को भी बतायें, जिससे वे भी भविष्य में भोपाल आ सकें। निदेशक श्री चौधुरी ने बताया कि स्कूली बच्चों के लिये प्रति वर्ष किये जाने वाले इस आयोजन का उद्देश्य स्थानीय बच्चों को विभिन्न राज्यों की संस्कृति, सभ्यता, रहन-सहन, खान-पान इत्यादि से परिचित कराने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में देश द्वारा की गई प्रगति की जानकारी प्रदान करना है, ताकि बच्चों में नेतृत्व, प्रबंधन, टीम भावना विकसित की जा सके। कार्यक्रम में संचालक लोक शिक्षण श्रीमती अंजू पवन भदौरिया और अपर संचालक श्री डी.एस. कुशवाह भी मौजूद थे। राष्ट्रीय बालरंग समारोह में उत्तर प्रदेश के छात्रों ने अवधि लोक-नृत्य, अरुणाचल प्रदेश के बच्चों ने मुक्को लोक-नृत्य, असम के छात्रों ने बगरूबा डांस, जम्मू-कश्मीर के छात्रों ने डोंगरी लोक-नृत्य, नागालैण्ड के बच्चों ने जिलियोंग डांस की प्रस्तुति दी। गुजरात के छात्रों ने पूरे उत्साह के साथ गरवा लोक-नृत्य, जय अंबे, जय अंबे की प्रस्तुति दी। मध्यप्रदेश के बच्चों ने बुंदेलखण्ड का बधाई लोक-नृत्य प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय स्कूल बैण्ड प्रतियोगिता में 9 राज्यों के बच्चों ने बालक एवं बालिका वर्ग में प्रस्तुतियाँ दीं। बालरंग समारोह में 21 दिसम्बर को तीसरे दिन राष्ट्रीय स्तर की लोक-नृत्य प्रतियोगिता में विजेता छात्रों की प्रस्तुति होगी। पुरस्कार वितरण समारोह दोपहर एक बजे होगा


aaअटल बाल पालक से सुपोषित हुईं अदिति और काव्या


20 December 2017

ढाई वर्ष की अदिति और डेढ़ वर्ष की काव्या का जीवन अटल बाल पालक योजना से कुपोषणमुक्त हो गया है। महिला-बाल विकास विभाग की इस नवाचार योजना ने दोनों बच्चियों को कुपोषित से स्वस्थ बच्चों की श्रेणी में ला खड़ा किया है। होशंगाबाद जिले की अदिति केवट का जन्म के समय वजन केवल 2.300 ग्राम था। अति कम वजन की अदिति को अटल बाल पालक के रूप में श्री मोहम्मद आदिल फाजिल ने अप्रैल में गोद लिया। महिला-बाल विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा अदिति के पिता केवलराम केवट और माता रेखा केवट की काउंसिलिंग कर उन्हें व्यक्तिगत स्वच्छता रखने संबंधी आदतों की जानकारी दी गई। आँगनवाड़ी केन्द्र पर अदिति की नियमित रूप से आयुर्वेदिक तेल से मालिश शुरू की गई। साथ ही उसे विशेष आहार के रूप में पौष्टिक सोया-सत्तू, सोया-बिस्कुट, आँगनवाड़ी केन्द्र पर मीनू के अनुसार नाश्ता एवं भोजन निर्धारित समय पर दिया गया। परिणामस्वरूप अदिति के वजन में बढ़ोत्तरी हुई। अब वर्तमान में उसका वजन 10 किलो 800 ग्राम हो गया है। महिला-बाल विकास विभाग तथा अटल बाल पालक के प्रयासों से अदिति अति कम वजन से सामन्य वजन की श्रेणी में आ गई है। अदिति के माता-पिता आँगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा महिला-बाल विकास विभाग की सराहना करते हुए कहते हैं कि आज उनकी बेटी कुपोषण के अभिशाप से मुक्त हो गई है। ब्यावरा की काव्या राजपूत का वजन भी जन्म के समय मात्र 2 किलोग्राम था। अटल बाल पालक योजना के तहत कलेक्टर श्री अविनाश लवानिया ने काव्या को गोद लिया। श्री लवानिया ने उसके पिता कन्हैयालाल और माता संध्या को काव्या को नियमित स्तनपान कराने तथा उन्हें स्वच्छता संबंधी आदतें अपनाने की समझाइश दी। आँगनवाड़ी केन्द्र में प्रतिदिन काव्या की तेल से मालिश शुरू की गई और उसे आँगनवाड़ी केन्द्र के मीनू अनुसार नाश्ता, सोया और नट्स, केला और दूध का पौष्टिक आहार दिया जाने लगा। कलेक्टर के प्रयासों से काव्या अब अति कम वजन की श्रेणी से बाहर आ गई है। काव्या के माता-पिता अपनी बेटी के वर्तमान स्वस्थ जीवन से काफी खुश हैं, क्योंकि वह अब सामान्य बच्चों की तरह अपना जीवन जी रही है


 
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