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Text of PM’S address at the diamond jubilee celebration ceremony of CBI
3 April 2023
Delhi:केंद्रीय मंत्रिमंल के मेरे सहयोगी डॉक्टर जितेंद्र सिंह जी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित डोभाल जी, कैबिनेट सेक्रेटरी, डायरेक्टर सीबीआई, अन्य अधिकारीगण, देवियों और सजन्नों! आप सभी को CBI के 60 वर्ष पूरे होने, हीरक जयंती के इस अवसर पर बहुत-बहुत बधाई।
देश की प्रीमियम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के रूप में 60 वर्ष का सफर आपने पूरा किया है। ये 6 दशक, निश्चित रूप से अनेक उपलब्धियों के रहे हैं। आज यहां सीबीआई के मामलों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का संग्रह भी जारी किया गया है। ये सीबीआई के बीते वर्षों के सफर को दिखाता है।
कुछ शहरों में सीबीआई का नया दफ्तर हो, ट्विटर हैंडल हो, अन्य व्यवस्थाएं, जिनका आज शुभारंभ हुआ है, वो निश्चित रूप से सीबीआई को और सशक्त करने में अहम भूमिका निभाएंगी। सीबीआई ने अपने काम से, अपने कौशल से सामान्य जन को एक विश्वास दिया है। आज भी जब किसी को लगता है कि कोई केस असाध्य है, तो आवाज़ उठती है कि मामला सीबीआई को दे देना चाहिए। लोग आंदोलन करते हैं कि केस उनसे ले करके सीबीआई को दे दो। यहां तक कि पंचायत स्तर पर भी कोई मामला आता है, तो लोग कहते हैं- अरे भई, इसको तो सीबीआई के हवाले करना चाहिए। न्याय के, इंसाफ के एक ब्रांड के रूप में सीबीआई हर ज़ुबान पर है।
सामान्य जन का ऐसा भरोसा जीतना कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। और इसके लिए पिछले 60 वर्षों में जिन-जिन ने योगदान दिया है इस संगठन में रहे सभी अधिकारी, सभी कर्मचारी बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं। अभी यहां कई साथियों को उत्कृष्ठ सेवा के लिए पुलिस मेडल से भी सम्मानित किया गया है। जिनका सम्‍मान करने का मुझे अवसर मिला है, जिनको सम्‍मान प्राप्‍त हुआ है, उनको, उनके परिवारजनों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई।
साथियों,
इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर अतीत की उपलब्धियों के साथ ही, आने वाले समय की, भविष्य की चुनौतियों पर मंथन भी उतना ही आवश्यक है। आपने ये जो चिंतन शिविर किया है, इसका उद्देश्य भी अपने-आपको अपग्रेट रखना, अपने-आपको अपडेट करना और इसमें पुराने अनुभवों से सीख लेते हुए, भविष्य के रास्ते निकालने हैं, निर्धारित करने हैं। ये भी ऐसे समय में हो रहा है जब देश ने अमृतकाल की यात्रा का आरंभ किया है। कोटि-कोटि भारतीयों ने आने वाले 25 सालों में भारत को विकसित बनाने का संकल्प लिया है। और विकसित भारत का निर्माण, professional और efficient institutions के बिना संभव नहीं है। और इसलिए सीबीआई पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
साथियों,
पिछले 6 दशकों में सीबीआई ने multi-dimensional और मल्टी-डिसिप्लिनरी जांच एजेंसी के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। आज सीबीआई का दायरा काफी बड़ा हो चुका है। बैंक फ्रॉड से लेकर, वाइल्ड लाइफ से जुड़े हुए अपराधों, यानी यहां से यहां तक, महानगर से ले करके जंगल तक अब सीबीआई को दौड़ना पड़ रहा है। ऑर्गेनाइज्ड क्राइम से लेकर, साइबर क्राइम तक के मामले, सीबीआई देख रही है।
लेकिन मुख्य रूप से सीबीआई की जिम्मेदारी भ्रष्टाचार से देश को मुक्त करने की है। भ्रष्टाचार, कोई सामान्य अपराध नहीं होता। भ्रष्टाचार, गरीब से उसका हक छीनता है, भ्रष्‍टाचार अनेक अपराधों का सिलसिला शुरू करता है, अपराधों को जन्म देता है। भ्रष्टाचार, लोकतंत्र और न्याय के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा होता है। विशेष रूप से जब सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार हावी रहता है, तो वो लोकतंत्र को फलने-फूलने नहीं देता। जहां भ्रष्टाचार होता है, वहां सबसे पहले युवाओं के सपने बलि चढ़ जाते हैं, युवाओं को उचित अवसर नहीं मिलते हैं। वहां सिर्फ एक विशेष इकोसिस्टम ही फलता-फूलता है। भ्रष्टाचार, प्रतिभा का सबसे बड़ा दुश्मन होता है, और यहीं से भाई-भतीजावाद, परिवारवाद पनपता रहता है और अपना शिकंजा मजबूत करता रहता है। जब भाई-भतीजवाद और परिवारवाद बढ़ता है, तो समाज का, राष्ट्र का सामर्थ्य कम होता जाता है। और जब राष्ट्र का सामर्थ्य कम होता है, तो विकास अवश्‍य प्रभावित हो जाता है। दुर्भाग्य से, गुलामी के कालखंड से, करप्शन की एक legacy हमें मिली है। लेकिन दुख इस बात का है कि आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक इस legacy को हटाने के बजाय किसी न किसी रूप में कुछ लोग उसको सशक्त करते रहे।
साथियों,
आप याद कीजिए, 10 वर्ष पहले, जब आप गोल्डन जुबली मना रहे थे, तब देश क्या स्थिति थी? तब की सरकार के हर फैसले, हर प्रोजेक्ट, सवालों के घेरे में थे। करप्शन के हर केस में, पहले के केस से, बड़ा होने की होड़ लगी हुई थी, तूने इतना किया तो मैं इतना करके दिखाऊंगा। आज देश में इकॉनॉमी के साइज़ के लिए लाख करोड़ यानि ट्रिलियन डॉलर की चर्चा होती है। लेकिन तब, घोटालों की साइज़ के लिए लाख करोड़ की टर्म मशहूर हुई थी। इतने बड़े-बड़े घोटाले हुए, लेकिन आरोपी निश्चिंत थे। उन्हें पता था कि तब का सिस्टम उनके साथ खड़ा है। और इसका असर क्या हुआ? देश का व्यवस्था पर भरोसा टूट रहा था। पूरे देश में करप्शन के खिलाफ आक्रोश लगातार बढ़ रहा था। इससे पूरा तंत्र छिन्न-भिन्न होने लगा, लोग फैसला लेने से बचने लगे, पॉलिसी पैरालिसिस का माहौल बन गया। इसने देश का विकास ठप कर दिया। देश में आने से निवेशक डरने लगे। करप्शन के उस कालखंड ने भारत का बहुत ज्यादा नुकसान किया।
साथियों,
साल 2014 के बाद हमारा पहला दायित्व, व्यवस्था में भरोसे को फिर कायम करने का रहा और इसलिए हमने काले धन को लेकर, बेनामी संपत्ति को लेकर, मिशन मोड पर एक्शन शुरु किया। हमने भ्रष्टाचारियों के साथ-साथ, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले कारणों पर, प्रहार करना शुरु किया। आप याद कीजिए, सरकारी टेंडर प्रक्रियाएं, सरकारी ठेके, ये सवालों के सबसे बड़े घेरे में थीं। हमने इनमें पारदर्शिता को प्रोत्साहन दिया। आज जब हम 2G और 5G स्पेक्ट्रम के आवंटन की तुलना करते हैं, तो अंतर साफ-साफ नज़र आता है। आप भी जानते हैं अब केंद्र सरकार के हर विभाग में खरीदारी के लिए GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस की स्थापना की गई है। आज हर विभाग ट्रांसपेरेंसी के साथ इसी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अधिक से अधिक खरीदारी कर रहा है।
साथियों,
आज हम इंटरनेट बैंकिंग की बात करते हैं, UPI से रिकॉर्ड ट्रांजेक्शन की बात करते हैं। लेकिन हमने 2014 से पहले का फोन बैंकिंग वाला दौर भी देखा है। ये वो दौर था, जब दिल्ली में प्रभावशाली राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के फोन पर हज़ारों करोड़ रुपए के बैंक लोन मिला करते थे। इसने हमारी अर्थव्यवस्था के आधार, हमारे बैंकिंग सिस्टम को बर्बाद कर दिया था। बीते वर्षों में हम बहुत मेहनत करके अपने बैंकिंग सेक्टर को मुश्किलों से बाहर निकाल करके लाए हैं। फोन बैंकिंग के उस दौर में कुछ लोगों ने 22 हज़ार करोड़ रुपए देश के बैंकों के लूट लिए और विदेश भाग गए। हमने Fugitive Economic Offenders कानून बनाया। अभी तक विदेश भागे इन आर्थिक अपराधियों की, 20 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।
साथियों,
भ्रष्टाचारियों ने देश का खजाना लूटने का एक और तरीका बना रखा था, जो दशकों से चला आ रहा था। ये था, सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से लूट। पहले की सरकारों में जो मदद गरीब लाभार्थियों के लिए भेजी जाती थी, वो बीच में ही लूट ली जाती थी। राशन हो, घर हो, स्कॉलरशिप हो, पेंशन हो, ऐसी अनेक सरकारी स्कीम्स में असली लाभार्थी खुद को ठगा हुए महसूस करते थे। और एक प्रधानमंत्री ने तो कहा था, एक रुपया जाता है 15 पैसा पहुंचता है, 85 पैसों की चोरी होती थी। पिछले दिनों मैं सोच रहा था हमने DBT के द्वारा करीब 27 लाख करोड़ रुपये नीचे लोगों ने पहुंचाया है। अगर उस हिसाब से देखता तो 27 लाख करोड़ में से करीब-करीब 16 लाख करोड़ कहीं चले गए होते। आज जनधन, आधार, मोबाइल की ट्रिनिटी से हर लाभार्थी को उसका पूरा हक मिल रहा है। इस व्यवस्था से 8 करोड़ से अधिक फर्जी लाभार्थी सिस्टम से बाहर हुए हैं। जो बेटी पैदा नहीं हुई वो विधवा हो जाती थी और विधवा पेंशन चलता था। DBT से देश के करीब सवा 2 लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचे हैं।
साथियों,
एक समय था जब सरकारी नौकरियों में इंटरव्यू पास कराने के लिए भी जम करके भ्रष्टाचार होता था। हमने केंद्रीय भर्तियों की ग्रुप-सी, ग्रुप-डी भर्तियों से इंटरव्यू खत्म कर दिए। एक समय में यूरिया के भी घोटाले होते थे। हमने यूरिया में नीम कोटिंग कर इस पर भी लगाम लगा दी। डिफेंस डील्स में भी घोटाले आम थे। बीते 9 वर्षों में डिफेंस डील्स पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया है। अब तो हम भारत में ही अपनी ज़रूरत का रक्षा सामान बनाने पर बल दे रहे हैं।
साथियों,
भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई को लेकर ऐसे अनेक कदम आप भी बता सकते हैं, मैं भी गिना सकता हूं। लेकिन अतीत के हर अध्याय से हमें कुछ न कुछ सीखने की ज़रूरत है। दुर्भाग्य से, भ्रष्टाचार से जुड़े मामले वर्षों तक खींचते चले जाते हैं। ऐसे मामले भी आए हैं, जिसमें FIR होने के 10 साल बाद भी, सजा की धाराओं पर चर्चा चलती रहती है। आज भी जिन मामलों पर एक्शन हो रहे हैं, वो कई-कई साल पुराने हैं।
जांच में देरी दो तरीके से समस्या को जन्म देती है। एक तरफ, भ्रष्टाचारी को सजा देर से मिलती है, तो दूसरी तरफ निर्दोष परेशान होता रहता है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि कैसे हम इस प्रोसेस को तेज बनाएं और भ्रष्टाचार में दोषी को सजा मिलने का रास्ता साफ हो पाए। हमें Best international practices को स्टडी करना होगा। जांच अधिकारियों की Capacity building पर फोकस करना होगा।
और साथियों, आपके बीच, मैं एक बात फिर स्पष्ट करना चाहता हूं। आज देश में करप्शन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राजनीति की इच्छाशक्ति की कोई कमी नहीं है। आपको कहीं पर भी हिचकने, कहीं रुकने की ज़रूरत नहीं है।
मैं जानता हूं कि जिनके खिलाफ आप एक्शन ले रहे हैं, वो बहुत ताकतवर लोग हैं। बरसों-बरस तक वो सरकर का, सिस्टम का हिस्सा रहे हैं। संभव है कई जगह, किसी राज्य में आज भी वे सत्ता का हिस्सा हों। बरसों-बरस तक उन्होंने भी एक इकोसिस्टम बनाया है। ये इकोसिस्टम अक्सर उनके काले कारनामों को कवर देने के लिए, आप जैसी संस्थाओं की छवि बिगाड़ने के लिए, एक्टिव हो जाता है। एजेंसी पर ही हमला बोलता है।
ये लोग आपका ध्यान भटकाते रहेंगे, लेकिन आपको अपने काम पर फोकस रखना है। कोई भी भ्रष्टाचारी बचना नहीं चाहिए। हमारी कोशिशों में कोई भी ढील नहीं आनी चाहिए। ये देश की इच्छा है, ये देशवासियों की इच्छा है। और मैं आपको भरोसा दिलाता हूं देश आपके साथ देश है, कानून आपके साथ है, देश का संविधान आपके साथ है।
साथियों,
बेहतर परिणामों के लिए अलग-अलग एजेंसियों के बीच के silos को भी खत्म करना बहुत आवश्यक है। Joint और multidisciplinary investigation आपसी विश्वास के माहौल में ही संभव होगा। अब देश की geographical boundaries उससे बाहर भी पैसों का, लोगों का, goods & services का बड़े पैमाने पर मूवमेंट हो रहा है। जैसे-जैसे भारत की आर्थिक शक्ति बढ़ रही है तो अड़चनें पैदा करने वाले भी बढ़ रहे हैं।
भारत के सामाजिक तानेबाने पर, हमारी एकता और भाईचारे पर, हमारे आर्थिक हितों पर, हमारे संस्थानों भी नित्‍य-प्रतिदिन प्रहार बढ़ते चले जा रहे हैं। और इसमें ज़ाहिर तौर पर करप्शन का पैसा लगता है। इसलिए, हमें क्राइम और करप्शन के मल्टीनेशनल नेचर को भी समझना होगा, स्टडी करना होगा। उसके root cause तक पहुंचना होगा। आज हम अक्सर देखते हैं कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी के कारण क्राइम ग्लोबल हो रहे हैं। लेकिन यही टेक्नॉलॉजी, यही इनोवेशन समाधान भी दे सकते हैं। हमें इन्वेस्टिगेशन में फॉरेंसिंक साइंस के उपयोग का और ज्यादा विस्तार करना होगा।
साथियों
साइबर क्राइम जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए हमें इनोवेटिव तरीके खोजने चाहिए। हम tech enabled entrepreneurs और youngsters को अपने साथ जोड़ सकते हैं। आपके संगठन में ही कई techno- savvy युवा होंगे, जिनका बेहतर उपयोग किया जा सकता है।
साथियों,
मुझे बताया गया है कि सीबीआई ने 75 ऐसी प्रथाओं को compile किया है, जिन्हें समाप्त किया जा सकता है। हमें एक समयबद्ध तरीके से इस पर काम करना चाहिए। बीते वर्षों में सीबीआई ने खुद को evolve किया है। ये प्रक्रिया, बिना रुके, बिना थके, ऐसे ही चलती रहनी चाहिए।
मुझे पूरा विश्‍वास है ये चिंतन शिविर एक नए आत्‍मविश्‍वास को जन्‍म देगा, ये चिंतन शिविर नए आयामों तक पहुंचने के रास्‍तें बनाएगा, ये चिंतन शिविर गंभीर से गंभीर, कठिन से कठिन समस्‍याओं को सुलझाने के तौर-तरीके मे आधुनिकता ले आएगा। और हम ज्‍यादा प्रभावी होंगे, ज्‍यादा परिणामकारी होंगे और सामान्‍य नागरिक न बुरा करना चाहता है न बुरा उसको पसंद है। हम उसके भरोसे आगे बढ़ना चाहते हैं जिसके दिल में सच्‍चाई जिंदा है। और वो संख्‍या कोटि-कोटि जनों की है, कोटि-कोटि जनों की है। इतना बड़ा सामर्थ्‍य हमारे साथ खड़ा है। हमारे विश्‍वास में कहीं कमी की गुंजाइश नहीं है सा‍थियो।
इस हीरक महोत्‍सव के महत्‍वपूर्ण अवसर पर मैं आपको अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। आप अपने लिए 15 साल में क्‍या करेंगे, और अपने माध्‍यम से 2047 तक क्‍या अचीव करेंगे, ये दो लक्ष्‍य तय करके आगे बढ़ना चाहिए। 15 साल इसलिए कि जब आप 75 के होंगे तब आप कितने सामर्थ्‍यवान, समर्पित, संकल्‍पवान होंगे, और जब देश 2047 में शताब्‍दी मनाता होगा, तब इस देश की आशा-अपेक्षाओं के अनुरूप आप किस ऊंचाई पर पहुंचे होंगे, वो दिन देश देखना चाहता है।
मेरी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
धन्यवाद !

यूनानी चिकित्सा पद्धति में नवीन शोध निरंतर हो
आयुष राज्य मंत्री श्री कावरे की अध्यक्षता में हुई साधारण सभा की बैठक

15 March 2023
भोपाल:युष राज्य मंत्री श्री रामकिशोर कावरे ने कहा है कि प्राचीन यूनानी चिकित्सा पद्धति में निरंतर शोध किये जाने की आवश्यकता है। नवीन शोध से ही रोगियों का बेहतर इलाज किया जा सकता है। राज्य मंत्री श्री कावरे मंगलवार को भोपाल के हकीम सैयद जियाउल हसन शासकीय (स्वशासी) यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय की साधारण सभा को संबोधित कर रहे थे। बैठक में आयुक्त आयुष श्रीमती सोनाली पोंक्षे वायंगणकर भी मौजूद थीं।
प्राचार्य डॉ. मेहमूदा बेगम ने बताया कि पंडित खुशीलाल आयुर्वेद संस्थान परिसर में शासकीय यूनानी चिकित्सालय महाविद्यालय के पास लगभग 5.25 करोड़ रूपये की लागत से कन्या छात्रावास का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, प्रयास किया जा रहा है कि छात्रावास 1 जुलाई 23 से प्रारंभ हो जाय। बताया गया कि यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय में इस वर्ष से पीजी कोर्स प्रारंभ हो गये हैं। अब महाविद्यालय में नवीन शोध कार्य में तेजी आयेगी। प्रदेश में यूनानी पद्धति का एक सरकारी कॉलेज और तीन महाविद्यालय प्राइवेट सेक्टर में संचालित हो रहे हैं। बैठक में राज्य मंत्री श्री कावरे ने महाविद्यालय में विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए खेल-कूद और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के निर्देश दिये। उन्होंने बजट की समीक्षा की और प्राप्त राशि का शत-प्रतिशत उपयोग करने के लिए कहा। आयुष आयुक्त श्रीमती वायंगणकर ने कॉलेज और निर्माणाधीन हॉस्टल में अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था रखे जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को स्व-रोजगार के अवसर जुटाने के लिए ठोस प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाय। बैठक में महाविद्यालय की वार्षिक गतिविधियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया।

G-20 मीटिंग- विदेशी मेहमानों ने किया हेरिटेज वॉक
17 February 2023
इंदौर: भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप (AWG) की पहली मीटिंग की मेजबानी इंदौर कर रहा है। मीटिंग में जी-20 सदस्य देशों, अतिथि देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लगभग सौ प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। 3 दिन तक चलने वाली इस मीटिंग की सोमवार से शुरुआत हुई। पहले दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एग्रीकल्चर एक्जीबिशन का उद्घाटन किया। इसमें बाजरा और इसके मूल्य वर्धित खाद्य उत्पादों के साथ-साथ पशुपालन और मत्स्य पालन के स्टॉल इस प्रदर्शनी का प्रमुख आकर्षण हैं।.
सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि श्रीअन्न को धरती से समाप्त नहीं होने दिया जाएगा। इसे लोगों को उपहार में देने की परंपरा शुरू करना है। हमें देश-दुनिया के लिए अन्न की व्यवस्था करना है। लेकिन हमें धरती के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना है। केमिकल फर्टिलाइजर के कारण कई तरह की बीमारियों ने जन्म लिया है। हमें प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना चाहिए, लेकिन शोषण से बचना चाहिए।.
सीएम ने मीटिंग को संबोधित करते हुए कहा कि ये धरती केवल इंसानों के लिए नहीं, कीट-पतंगों, जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों की भी धरती है। लेकिन केमिकल फर्टिलाइजर के कारण इनका धरती पर रहना मुश्किल हो गया है। हमें इनका भी ध्यान रखना है। हम मध्यप्रदेश में 15.5 लाख हैक्टेयर में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इसे हम लगातार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदेश किसानों की आय बढ़ाने के साथ लोगों और धरती के स्वास्थ्य की भी रक्षा करने की दिशा में काम कर रहे हैं। हम किसाानों की आय बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का भी उपयोग कर रहे हैं। जी-20 का ये सम्मेलन नई तकनीकों के साथ हमारे किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगा।.
सीएम ने कहा कि मध्यप्रदेश वो स्टेट है, जहां टाइगर हैंड शेक करने आता है।
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हमारे जैविक खाद्यान्नों में मिलेट्स की मांग सबसे ज्यादा
जी-20 समूह के देशों से आए प्रतिनिधियों को संबोधित करने के बाद सीएम ने मीडिया से भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारे जैविक खाद्यान्नों में मिलेट्स की मांग सबसे ज्यादा है। इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होंने लहरी बाई के बीज बैंक की तारीफ की। सीएम ने कहा कि मध्यप्रदेश मिलेट्स की राजधानी है। मार्केटिंग, खरीदने और सप्लाय की पूरी व्यवस्थाएं की हैं।'
सीएम ने कहा दुनिया की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने का काम हम करेंगे। खाद्य सुरक्षा में मध्यप्रदेश का अहम रोल रहेगा। अब तक मध्यप्रदेश में 60 हजार किसानों ने प्राकृतिक खेती के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इसे हम और बढ़ा रहे हैं। एक से दूसरा किसान सीखे, उन्हें पता चले कि इससे क्या फायदे हैं। इससे आय भी बढ़ती है। हम किसी भी किसान पर इसे थोंप नहीं सकते। किसान खुद ही तैयार हो रहे हैं।
मेहमानों ने की हेरिटेज वॉक
पहले दिन सोमवार को विदेशी मेहमानों ने बोलिया छतरी राजबाड़ा से गोपाल मंदिर तक हेरिटेज वॉक कर इन्हें निहारा। मेहमानों को मध्यप्रदेश की संस्कृति संबंधी गिफ्ट भी दिए जाएंगे। गिफ्ट में पर्यटन, एग्रीकल्चर आदि विभाग की भूमिका रहेगी।

#ArmyDay पहली बार महिला ऑफिसर ने किया परेड को लीड, जानिए इनके बारे में
16 January 2020
नई दिल्ली: सेना दिवस 2020 (Army Day 2020) के मौके पर आज दिल्ली छावनी स्थित परेड ग्राउंड में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने परेड की सलामी ली. सेना प्रमुख ने इस मौके पर जवानों को सम्मानित भी किया. आज का सेना दिवस समारोह इसलिए भी खास रहा क्योंकि पहली बार कोई महिला ऑफिसर परेड एडजुटेंट (Adjudent) के रूप में शामिल हुईं. जिन्होंने सेना दिवस की परेड में सभी पुरुष कॉन्टिजेंट्स को लीड किया. यह सम्मान पाने वाली पहली महिला ऑफिसर बनीं कैप्टन तान्या शेरगिल (Tanya Shegill).
तान्या शेरगिल सेना सिग्नल्स कोर्प में तैनात हैं. मार्च 2017 में उन्हें ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई से कमीशन मिला. तान्या ने इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्यूनिकेशंस में बीटेक किया है. इनके पिताजी सेना की 101 मीडियम रेजिमेंट में रहे, वहीं तान्या के दादाजी आर्म्ड रेजिमेंट और परदादा सिख रेजिमेंट में रहे हैं.
बता दें कि पिछले साल गणतंत्र दिवस की परेड में पहली बार एक महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी ने सेना सेवा कोर के दस्ते की अगुवाई की थी.
आर्मी डे के मौके पर सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने अपने संबोधन में पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी. सेना प्रमुख ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, 'आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हमारे पास बहुत विकल्प हैं. हमारी नजर दुनिया में होने वाली हर गतिविधि पर है. आतंकवाद के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस की नीति है, आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकिचाएंगे नहीं. सैनिक ही भारतीय सेना की सबसे बड़ी ताकत है'
यह भी पढ़ें- #ArmyDay पर सेना प्रमुख की पाकिस्तान को चेतावनी, 'आतंकवाद का जोरदार जवाब देगी सेना'
जनरल नरवणे ने सैनिको को आश्वस्त करते हुए कहा, 'आप निश्चिंत रहें कि सरकार आपकी जंगी जरूरतों को हर हाल में पूरा करेगी. भारतीय सेना और असम राइफल की मुस्तैदी की वजह से पूर्वोत्तर में सुरक्षा हालात में सुधार आया है. वहां अलगाववादी पर कड़ी नजर रखी जा रही है. सेना प्रमुख ने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना ऐतिहासिक कदम था.'

प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन

9 November 2019
मेरे प्यारे देशवासियों,
मैं दिन भर पंजाब में था और दिल्ली पहुंचने के बाद मेरा मन कर रहा था कि आपसे भी कुछ संवाद करूं। आज सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे महत्वपूर्ण मामले पर फैसला सुनाया है, जिसके पीछे सैकड़ों वर्षों का एक दीर्घकालीन इतिहास है। पूरे देश की ये इच्छा थी कि इस मामले की अदालत में हर रोज़ सुनवाई हो, जो हुई, और आज निर्णय आ चुका है। दशकों तक चली न्याय प्रक्रिया और उस पूरी प्रक्रिया का अब समापन हुआ है।
साथियों, पूरी दुनिया ये तो मानती ही है की भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है आज दुनिया ने ये भी जान लिया है की भारत का लोकतंत्र कितना जीवंत है और कितना मज़बूत है। फैसला आने के बाद जिस प्रकार हर वर्ग ने, हर समुदाय ने, हर पंथ के लोगों ने, पूरे देश ने खुले दिल से इसे स्वीकार किया है, वो भारत की पुरातन संस्कृति, परंपराओं और सद्भाव की भावना को प्रतिबिंबित करता है।
भाइयों और बहनों, भारत जिसके लिये जाना जाता है और हम इस बात का गर्व से उल्लेख भी करते हैं - विविधता में एकता, आज यह मंत्र अपनी पूर्णता के साथ खिला हुआ नज़र आता है, गर्व होता है। हज़ारों साल बाद भी किसी को विविधता में एकता, भारत के इस प्राणतत्व को समझना होगा तो वो आज के ऐतिहासिक दिन का, आज की घटना का ज़रूर उल्लेख करेगा। और यह घटना इतिहास के पन्नो से उठाई हुई नहीं है, सवा सौ करोड़ देशवासी खुद आज एकनया इतिहास रच रहे हैं, इतिहास के अंदर एक नया स्वर्णिम पृष्ठ जोड़ रहे हैं।
साथियों, भारत की न्यायपालिका के इतिहास में भी आज का ये दिन एक स्वर्णिम अध्याय की तरह है। इस विषय पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सबको सुना, बहुत धैर्य से सुना और पूरे देश के लिए खुशी की बात है कि फैसला सर्वसम्मति से आया । एक नागरिक के नाते हम सब जानते है परिवार में भी छोटा मसला सुलझाना हो तो कितनी दिक्कत होती है। ये कार्य सरल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के पीछे दृढ़ इच्छाशक्ति के दर्शन कराएं हैं । और इसलिए, देश के न्यायधीश, न्यायालय और हमारी न्यायिक प्रणाली आज विशेष रूप से अभिनन्दन के अधिकारी हैं।
साथियों, आज 9 नवंबर है , 9 नवंबर ही वो तारीख थी, जब बर्लिन की दीवार गिरी थी। दो विपरीत धाराओं ने एकजुट होकर नया संकल्प लिया था। आज 9 नवंबर को करतारपुर साहिब कॉरिडोर की शुरुआत हुई है। इसमें भारत का भी सहयोग रहा है, पाकिस्तान का भी। आज अयोध्या पर फैसले के साथ ही, 9 नवंबर की ये तारीख हमें साथ रहकर आगे बढ़ने की सीख भी दे रही है। आज के दिन का संदेश जोड़ने का है-जुड़ने का है और मिलकर जीने का है। इस विषय को, इन सारी बातों को लेकर कहीं भी, कभी भी, किसी के मन में कोई कटुता रही हो,
तो आज उसे तिलांजलि देने का भी दिन है। नए भारत में भय, कटुता, नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं है।
साथियों, सर्वोच्च न्यायालय के आज के फैसले ने देश को ये संदेश भी दिया है कि कठिन से कठिन मसले का हल संविधान के दायरे में ही आता है, कानून के दायरे में ही आता है। हमें, इस फैसले से सीख लेनी चाहिए कि भले ही कुछ समय लगे, लेकिन फिर भी धैर्य बनाकर रखना ही सर्वोचित है। हर परिस्थिति में भारत के संविधान, भारत की न्यायिक प्रणाली, यह हमारी महान परंपरा उसपर हमारा विश्वास अडिग रहे, ये बहुत महत्वपूर्ण है।
साथियों, सर्वोच्च अदालत का ये फैसला हमारे लिए एक नया सवेरा लेकर आया है। इस विवाद का भले ही कई पीढ़ियों पर असर पड़ा हो, लेकिन इस फैसले के बाद हमें ये संकल्प करना होगा कि अब नई पीढ़ी, नए सिरे से न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी। आइए एक नई शुरुआत करते हैं। अब नए भारत का निर्माण करते हैं। हमें अपना विश्वास और विकास इस बात से तय करना है कि मेरे साथ चलने वाला कहीं पीछे तो नहीं छूट रहा। हमें सबको साथ लेकर, सबका विकास करते हुए और सबका विश्वास हासिल करते हुए आगे ही आगे बढ़ते ही जाना बढ़ना है।
साथियों, राम मंदिर के निर्माण का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है। अब देश के हर नागरिक पर राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। इसके साथ ही, एक नागरिक के तौर पर हम सभी के लिए देश की न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना, नियम-कायदों का सम्मान करना,
ये दायित्व भी पहले से अधिक बढ़ गया है। अब समाज के नाते, हर भारतीय को अपने कर्तव्य, अपने दायित्व को प्राथमिकता देते हुए काम करना हमारे लिए, उज्जवल भविष्य के लिए बहुत अनिवार्य है। हमारे बीच का सौहार्द, हमारी एकता, हमारी शांति, हमारा सद्भाव, हमारा स्नेह, देश के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमें भविष्य की ओर देखना है, भविष्य के भारत के लिए काम करते रहना है। भारत के सामने, चुनौतियां और भी हैं, लक्ष्य और भी हैं, मंजिलें और भी हैं। हर भारतीय, साथ मिलकर, साथ चलकर ही इन लक्ष्यों को प्राप्त करेगा, मंजिलों तक पहुंचेगा। मैं फिर एक बार आज 9 नवंबर के इस महत्वपूर्ण दिन को याद करते हुए, आगे बढ़ने का संकल्प लेते हुए, आप सबको आने वाले त्योहारों की, कल ईद का एक पवित्र त्यौहार है, उसके लिए भी बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूँ । धन्यवाद !

मोदी सरकार के 100 दिन

12 September 2019
मोदी सरकार पुन: निर्वाचित होने के बाद अपने 100 दिन पूरे करने वाली है। इन 100 दिनों के लिए नवगठित सरकार ने अपने लिए एक एजेंडा तय किया था, जिसे देश के समावेशी विकास को तीव्रगति देने के लिए महत्वपूर्ण समझा गया है।
सर्वप्रथम तो इस बात के लिए सरकार की प्रशंसा की जानी चाहिए कि पहले कभी भी लोकसभा के एक सत्र में इतने सारे कार्यों को पूरा नहीं किया गया था। अनेक बिलों और कानूनों पर चर्चा करके कैबिनेट के अनुमोदन के बाद मूर्त रुप दिया गया है।
संविधान के अनुच्छेद 370 और 35-ए को समाप्त करके जम्मू एवं कश्मीर राज्य को दो संघीय प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख के रुप में परिवर्तित करना एक ऐतिहासिक फैसला है। पुराने राज्य के स्थान पर कश्मीर में अब दो केन्द्र शासित प्रदेश बन गये है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि स्वतंत्रता के बाद भारत के एकीकरण की प्रक्रिया जिसे देश के प्रथम गृह मंत्री लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने प्रांरभ किया था, उसे देश के यशस्वी प्रधान मंत्री के नेतृत्व में माननीय गृह मंत्री भाई अमित शाह जी ने अंतिम पड़ाव पर पहुंचाया है। आज यह सोचकर व देखकर गर्व हो रहा है कि देश कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक है। देश में एक संविधान और एक झंडा है। मां भारती के सर पर अब कश्मीर रूपी मुकुट सुसज्जित है।
दूसरी ऐतिहासिक उपलब्धि मैं तीन तलाक के खात्मे को मानता हूं जिसने देश की लाखों मुस्लिम बहनों के जीवन को प्रभावित किया है। तलाक की लटकी तलवार का डर अब उनके जीवन से समाप्त हो चुका है। धर्म की आड़
लेकर मुस्लिम महिलाओं पर तलाक रुपी अत्याचार करने वालों पुरुषों को अब जेल की हवा खानी होगी और जुर्माना भी भरना होगा।
तीसरा प्रभावी कदम मेरे विचार में आंतकवाद पर एक सुनियोजित व दूरदर्शी नीति को दर्शाता है। एनआईए को अधिक शक्तिशाली बनाना जो अब किसी संगठन के अलावा आंतकवाद में लिप्त किसी व्यक्ति को भी आंतकवादी घोषित कर सकती है, एक साहसपूर्ण कदम है। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्ट्रेशन के माध्यम से बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रत्यर्पण करने की योजना के साथ जम्मू एवं कश्मीर राज्य का पुनर्गठन किया जाना देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सहायक होगा और आंतकवाद के खात्में की ओर एक साहसिक एवं प्रभावी कदम होगा।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने हमेशा से ही किसानों की चिंता की है। किसान सम्मान निधि और किसानों की पेंशन योजना उनके इसी चिंतन को दर्शाता है।
भारत को एक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से बीजेपी की पिछली सरकार ने टैक्स का सरलीकरण करके पूरे देश को एकीकृत इकाई बनाने के लिए जीएसटी जैसा एक महत्वपूर्ण कदम पहले ही उठाया था। विकास को गति देने के लिए अभी हाल ही में उसी कड़ी में 10 बैंकों का विलय करके 4 बैंक बनाये गये है, जिससे उनके पास कैपिटल की पर्याप्तता होगी है व अधिक कर्ज देने और व्यवसाय करने में सक्षम होगें। हाल में रिजर्व बैंक के द्वारा 1.76 लाख करोड़ की राशि भी सरकार को मुहैया करायी गई है, जिससे धन की पर्यापत्ता होगी और अनेक व्यवसायों को गति देने के लिए धन उपलब्ध हो सकेगा।
बुनियादी ढांचे में लगातार हो रहें कार्यों से देश में सड़क, रेल व जल मार्गों की संख्या बढ़ रही है। भारत का चन्द्रयान-2 मिशन चांद के नजदीक पहुंच रहा है और 7 सितम्बर, 2019 को वहां उतरने वाला है।
ऊपर जिन बातों की चर्चा की गई है, वे सरकार के कार्यक्रम एवं उपलब्धियां हैं जो कई सरकारें समय-समय पर करती आई है। परंतु एक महत्वपूर्ण एवं अप्रत्याशित बात जो देखने को मिलती है वह है लोगों का सरकार के प्रति उनका नजरिया। 2014 में कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार से त्रस्त जनता ने माननीय नरेन्द्र मोदी जी में एक साफ सुधरी छवि वाला एक ऐसा समर्पित व देशभक्त नेता देखा था जिसमें नेतृत्व की प्रमाणित क्षमता थी और जो देश को प्रगति और विकास के मार्ग पर ले जाने में समर्थ प्रतीत होता था। धीरे-धीरे उन धारणाओं को देश-व्यापी समर्थन मिला और बीजेपी ने अपने बल पर पूर्ण बहुमत हासिल किया। प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश को एक मजबूत व स्थायी सरकार मिली। लोगों की आशा एवं अपेक्षा को पंख लग गये।
सरकार ने भी जनता को निराश नहीं किया और पहले दिन से ही अनेक योजनाओं पर कार्य करना आरंभ किया। मोदी जी ने स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय योजना लॉन्च की और 2 अक्टूबर, 2019 तक गांधी जी सपनों का स्वच्छ भारत बनाने का आह्वान किया। सभी के लिए बैंक खाते, अपना घर, जैसे सशक्तिकरण की नीतियों पर कार्य शुरू किया। जीएसटी व नोटबंदी से काले धन पर प्रभारी प्रहार हुआ। बैंको के धन लेकर फरार हुए भगोड़ों पर कड़े कदम उठाये गए। इसके अलावा जनता को लाभ पहुंचाने वाले अनेक योजनाओं को कार्यान्वित किया गया।
इन कार्यों व योजनाओं का परिणाम यह हुआ कि 2019 के चुनावों में जनता ने अपना जबर्दस्त समर्थन देकर फिर से एक स्थायी एवं और अधिक मजबूत सरकार बनायी। अकेले बीजेपी को 303 सीटों पर विजय दिलाई। कुछ एक राज्यों को छोड़कर भारत भगवा हो गया। माननीय मोदी जी ने अपने पहले के नारे – “सबका साथ, सबका विकास” – में एक नया मूल मंत्र जोड़ा है – “सबका विश्वास”
100 दिनों के कार्यों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जनता का सरकार पर विश्वास बढ़ता जा रहा है। यह सर्वविदित है कि बढ़ते विश्वास का सीधा संबंध बढ़ती अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं से है। देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत तीव्रतम गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यस्था है। सरकार का लक्ष्य 5 वर्षों में 5 ट्रिलियन के जीडीपी को प्राप्त करने का है। पर साथ में चुनौतियां भी हैं – रोजगार सृजन का, निर्यात को गति देने का, रुपये की मजबूती का और विकसित देशों का भारत में निवेश करने के लिए आवश्यक विश्वास व भरोसे का।
लेकिन हम एक युवा देश हैं और सरकार की जन-केन्द्रित नीतियां देश को आगे ले जाने में सक्षम है। वैश्विक आर्थिक मंदी, अमेरिका-ईरान तनाव व कुछ अन्य विकट राजनीतिक और सामरिक चुनौतियां हमारे समक्ष हैं। परन्तु भारत अब ऐसा देश है, जो चुनौतियों के बीच अपनी राह निकालने में सक्षम है और अपनी पौराणिक व सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में पुन: विश्व पटल पर अपनी साख स्थापित करने के लिए तत्पर है।
यह भी उल्लेख करना मैं अत्यंत महत्वपूर्ण मानता हूं कि मंत्रिमंडल गठन के उपरान्त जनजातीय समुदायों जनजातीय क्षेत्र के प्रशासन एवं शिक्षण सहित स्वरोजगार के साथ जनजातीय चरित्र को नये दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ाने की महती कार्ययोजना प्रारंभ हुई है।

Prime Minister Shri Narendra Modi’s address to the Nation from the ramparts of the Red Fort on the 73rd Independence Day- August, 15, 2019

15 August 2019
मेरे प्‍यारे देशवासियो,
स्‍वतंत्रता के इस पवित्र दिवस पर, सभी देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं।
आज रक्षा-बंधन का भी पर्व है। सदियों से चली आई यह परंपरा भाई-बहन के प्‍यार को अभिव्‍यक्‍त करती है। मैं सभी देशवासियों को, सभी भाइयों-बहनों को इस रक्षा-बंधन के पावन पर्व पर अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। स्‍नेह से भरा यह पर्व हमारे सभी भाइयों-बहनों के जीवन में आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने वाला हो, सपनों को साकार करने वाला होऔर स्‍नेह की सरिता को बढ़ाने वाला हो।
आज जब देश आजादी का पर्व मना रहा है, उसी समय देश के अनेक भागों में अति वर्षा के कारण, बाढ़ के कारण लोग कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। कइयों ने अपने स्‍वजन खोए हैं। मैं उनके प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करता हूं और राज्‍य सरकार, केंद्र सरकार, एनडीआरएफ सभी संगठन, नागरिकों का कष्‍ट कम कैसे हो, सामान्‍य परिस्थिति जल्‍दी कैसे लौटे, उसके लिए दिन-रात प्रयास कर रहे हैं।
आज जब हम आजादी के इस पवित्र दिवस को मना रहे हैं, तब देश की आजादी के लिए जिन्‍होंने अपना जीवन दे दिया, जिन्‍होंने अपनी जवानी दे दी, जिन्‍होंने जवानी जेलों में काट दी, जिन्‍होंने फांसी के फंदे को चूम लिया, जिन्‍होंने सत्‍याग्रह के माध्‍यम से आजादी के बिगुल में अहिंसा के स्‍वर भर दिए। पूज्य बापू के नेतृत्‍व में देश ने आजादी पाई।मैं आज देश के आजादी के उन सभी बलिदानियों को, त्‍यागी-तपस्वियों को आदरपूर्वक नमन करता हूं।
उसी प्रकार से देश आजाद होने के बाद इतने वर्षों में देश की शांति के लिए, सुरक्षा के लिए, समृद्धि के लिए लक्षावधी लोगों ने अपना योगदान दिया है। मैं आज आजाद भारत के विकास के लिए, शांति के लिए, समृद्धि के लिए जनसामान्‍य की आशाओं-आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए जिन-जिन लोगों ने योगदान किया है, आज मैं उनको भी नमन करता हूं।
नई सरकार बनने के बाद लालकिले से मुझे आज फिर से एक बार आप सबका गौरव करने का अवसर मिला है। अभी इस नई सरकार को दस हफ्ते भी नहीं हुए हैं, लेकिन दस हफ्ते के छोटे से कार्यकाल में भी सभी क्षेत्रों में, सभी दिशाओं मेंहर प्रकार के प्रयासों को बल दिया गया है, नये आयाम दिए गए हैं और सामान्‍य जनता ने जिन आशा, अपेक्षा, आकांक्षाओं के साथ हमें सेवा करने का मौका दिया है, उसको पूर्ण करने में एक पल का भी विलंब किये बिना,हम पूरे सामर्थ्य के साथ, पूरे समर्पण भाव के साथ, आपकी सेवा में मग्‍न हैं।
दस हफ्ते के भीतर-भीतर ही अनुच्‍छेद 370 का हटना, 35A का हटना सरदार वल्‍लभ भाई पटेल के सपनों को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है।दस हफ्ते के भीतर-भीतर हमारे मुस्लिम माताओं और बहनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाना, आतंक से जुड़े कानूनों में आमूल-चूल परिवर्तन करके उसको एक नई ताकत देने का, आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के संकल्‍प को और मजबूत करने का काम, हमारे किसान भाइयों-बहनों को प्रधानमंत्री सम्‍मान निधि के तहत 90 हजार करोड़ रुपया किसानों के खाते में transferकरने का एक महत्‍वपूर्ण काम आगे बढ़ा है।
हमारे किसान भाई-बहन, हमारे छोटे व्‍यापारी भाई-बहन, उनकोकभी कल्‍पना नहीं थी कि कभी उनके जीवन में भी पेंशन की व्‍यवस्‍था हो सकती है। साठ साल की आयु के बाद वे भी सम्‍मान के साथ जी सकते हैं। शरीर जब ज्‍यादा काम करने के लिए मदद न करता हो, उस समय कोई सहारा मिल जाए, वैसी पेंशन योजना को भी लागू करने का काम कर दिया है।
जल संकट की चर्चा बहुत होती है, भविष्‍य जल संकट से गुजरेगा, यह भी चर्चा होती है, उन चीजों को पहले से ही सोच करके, केंद्र और राज्‍य मिलकर के योजनाएं बनाएं इसके लिए एक अलग जल-शक्ति मंत्रालय का भी निर्माण किया गया है।
हमारे देश में बहुत बड़ी तादाद में डॉक्‍टरों की जरूरत है, आरोग्‍य की सुविधाएं और व्‍यवस्‍थाओं की आवश्यकता है। उसको पूर्ण करने के लिए नए कानूनों की जरूरत है, नई व्‍यवस्‍थाओं की जरूरत है, नई सोच की जरूरत है, देश के नौजवानों को डॉक्‍टर बनने के लिए अवसर देने की जरूरत है। उन चीजों को ध्‍यान में रखते हुए Medical Education को पारदर्शी बनाने के लिए अनेक महत्‍वपूर्ण कानून हमने बनाए हैं, महत्‍वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
आज पूरे विश्‍व में बच्‍चों के साथ अत्‍याचार की घटनाएं सुनते हैं। भारत भी हमारे छोटे-छोटे बालकों को असहाय नहीं छोड़ सकता है। उन बालकों की सुरक्षा के लिए कठोर कानून प्रबंधन आवश्‍यक था। हमने इस काम को भी पूर्ण कर लिया है।
भाइयो-बहनो, 2014 से 2019, पांच साल मुझे सेवा करने का आपने मौका दिया। अनेक चीजें ऐसी थीं... सामान्‍य मानव अपनी निजी आवश्‍यकताओं के लिए जूझता था। हमनें पांच साल लगातार प्रयास किया कि हमारे नागरिकों की जो रोजमर्रा की जिदंगी की आवश्‍यकताएं हैं, खासतौर पर गांव की, गरीब की, किसान की, दलित की, पीड़ित की, शोषित की, वंचित की, आदिवासी की,उन पर बल देने का हमने प्रयास किया है और गाड़ी को हम ट्रैक पर लाए और उस दिशा में आज बहुत तेजी से काम चल रहा है। लेकिन वक्‍त बदलता है। अगर 2014 से 2019 आवश्‍यकताओं की पूर्ति का दौर था, तो 2019 के बाद का कालखंड देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति का कालखंड है, उनके सपनों को साकार करने का कालखंड है और इसलिए 21वीं सदी का भारतकैसा हो, कितनी तेज गति से चलता हो, कितनी व्‍यापकता से काम करता हो, कितनी ऊंचाई से सोचता हो,इन सभी बातों को ध्‍यान में रखते हुए, आने वाले पांच साल के कार्यकाल को आगे बढ़ाने का एक खाका हम तैयार करके एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं।
2014 में, मैं देश के लिए नया था। 2013-14 में चुनाव के पूर्व, भारत-भ्रमण करके मैं देशवासियों की भावनाओं को समझने का प्रयास कर रहा था।लेकिन हर किसी के चेहरे पर एक निराशा थी, एक आशंका थी।लोग सोचते थे क्‍या यह देश बदल सकता है? क्‍या सरकारें बदलने से देश बदल जाएगा? एक निराशा जन-सामान्‍य के मन में घर कर गई थी। लम्‍बे कालखंड के अनुभव का यह परिणाम था- आशाएं लम्‍बी टिकती नहीं थीं, पल-दो पल में आशा, निराशा के गर्त में डूब जाती थी। लेकिन जब 2019 में, पांच साल के कठोर परिश्रम के बाद जन-सामान्‍य के लिए एकमात्र समर्पण भाव के साथ, दिल-दिमाग में सिर्फ और सिर्फ मेरा देश, दिल-दिमाग में सिर्फ और सिर्फ मेरे देश के करोड़ों देशवासी इस भावना को लेकर चलते रहे, पल-पल उसी के लिए खपाते रहेऔर जब 2019 में गए, मैं हैरान था। देशवासियों का मिजाज बदल चुका था। निराशा, आशा में बदल चुकी थी, सपने, संकल्‍पों से जुड़ चुके थे, सिद्धि सामने नजर आ रही थी और सामान्‍य मानव का एक ही स्‍वर था- हां, मेरा देश बदल सकता है। सामान्‍य मानव की एक ही गूंज थी- हां, हम भी देश बदल सकते हैं, हम पीछे नहीं रह सकते।
130 करोड़ नागरिकों के चेहरे के ये भाव, भावनाओं की यह गूंज हमें नई ताकत, नया विश्‍वास देती है।
सबका साथ-सबका विकास का मंत्र ले करके चले थे, लेकिन पांच साल के भीतर-भीतर ही देशवासियों ने सबके विश्‍वास के रंग से पूरे माहौल को रंग दिया। ये सबका विश्‍वास ही पांच सालों में पैदा हुआ जो हमें आने वाले दिनों में और अधिक सामर्थ्‍य के साथ देशवासियों की सेवा करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।
इस चुनाव में मैंने देखा थाऔर मैंने उस समय भी कहा था- न कोई राजनेता चुनाव लड़ रहा था, न कोई राजनीतिक दल चुनाव लड़ रहा था, न मोदी चुनाव लड़ रहा था, न मोदी के साथी चुनाव लड़ रहे थे, देश का आम आदमी, जनता-जनार्दन चुनाव लड़ रही थी, 130 करोड़ देशवासी चुनाव लड़ रहे थे, अपने सपनों के लिए लड़ रहे थे। लोकतंत्र का सही स्‍वरूप इस चुनाव में नजर आ रहा था।
मेरे प्‍यारे देशवासियो, समस्‍याओं का समाधान- इसके साथ-साथ सपनों, संकल्‍प और सिद्धि का कालखंड- हमें अब साथ-साथ चलना है। यह साफ बात है कि समस्याओं का जब समाधान होता है, तो स्वावलंबन का भाव पैदा होता है। समाधान से स्वावलंबन की ओर गतिबढ़ती है। जब स्वावलंबन होता है, तो अपने-आप स्‍वाभिमान उजागर होता है और स्‍वाभिमान का सामर्थ्‍य बहुत होता है। आत्‍म-सम्‍मान का सामर्थ्‍य किसी से भी ज्‍यादा होता है और जब समाधान हो, संकल्‍प हो, सामर्थ्‍य हो, स्‍वाभिमान हो,तब सफलता के आड़े कुछ नहीं आ सकता है और आज देश उस स्‍वाभिमान के साथ सफलता की नई ऊंचाइयों को पार करने के लिये, आगे बढ़ने के लिये कृत-निश्चय है। जब हम समस्याओं का समाधान देखते हैं, तो टुकड़ों में नहीं सोचना चाहिए। तकलीफें आयेंगी, एक साथ वाह-वाही के लिये हाथ लगाकर छोड़ देना, यह तरीका देश के सपनों को साकार करने के काम नहीं आयेगा। हमें समस्याओं को जड़ों से मिटाने की कोशिश करनी होगी। आपने देखा होगा हमारी मुस्लिम बेटियां, हमारी बहनें, उनके सिर पर तीन तलाक की तलवार लटकती थी, वे डरी हुई जिंदगी जीती थीं। तीन तलाक की शिकार शायद नहीं हुई हों, लेकिन कभी भी तीन तलाक की शिकार हो सकती हैं, यह भय उनको जीने नहीं देता था, उनको मजबूर कर देता था। दुनिया के कई देश, इस्लामिक देश, उन्होंने भी इस कुप्रथा को हमसे बहुत पहले खत्म कर दिया, लेकिन किसी न किसी कारण से हमारी इन मुस्लिम माताओं-बहनों को हक देने में हम हिचकिचाते थे। अगर इस देश में, हम सती प्रथा को खत्म कर सकते हैं, हम भ्रूण हत्या को खत्म करने के कानून बना सकते हैं, अगर हम बाल-विवाह के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं, हम दहेज में लेन-देन की प्रथा के खिलाफ कठोर कदम उठा सकते हैं, तो क्यों न हम तीन तलाक के खिलाफ भी आवाज उठाएं और इसलिए भारत के लोकतंत्र की spirit को पकड़ते हुये, भारत के संविधान की भावना का, बाबा साहेब अंबेडकर की भावना का आदर करते हुये, हमारी मुस्लिम बहनों को समान अधिकार मिले, उनके अंदर भी एक नया विश्वास पैदा हो, भारत की विकास यात्रा में वे भी सक्रिय भागीदार बनें, इसलिये हमने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया। ये निर्णय राजनीति के तराजू से तौलने के निर्णय नहीं होते हैं, सदियों तक माताओं-बहनों के जीवन की रक्षा की गारंटी देते हैं।
उसी प्रकार से मैं एक दूसरा उदाहरण देना चाहता हूं - अनुच्छेद 370, 35A। क्या कारण था? इस सरकार की पहचान है - हम समस्याओं को टालते भी नहीं हैं और न ही हम समस्याओं को पालते हैं। अब समस्याओं को टालने का भी वक्त नहीं है, अब समस्याओं का पालने का भी वक्त नहीं है। जो काम पिछले 70 साल में नहीं हुआ, नई सरकार बनने के बाद, 70 दिन के भीतर-भीतर अनुच्‍छेद 370 और 35A को हटाने का काम भारत के दोनों सदनों ने, राज्यसभा और लोकसभा ने, दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया। इसका मतलब यह हुआ कि हर किसी के दिल में यह बात थी, लेकिन प्रारंभ कौन करे, आगे कौन आये, शायद उसी का इंतजार था और देशवासियों ने मुझे यह काम दिया और जो काम आपने मुझे दिया मैं वही करने के लिए आया हूं। मेरा अपना कुछ नहीं है।
हम जम्मू-कश्मीर reorganisation की दिशा में भी आगे बढ़े। 70 साल हर किसी ने कुछ-न-कुछ प्रयास किया, हर सरकार ने कोई-न-कोई प्रयास किया लेकिन इच्छित परिणाम नहीं मिले और जब इच्छित परिणाम नहीं मिले हैं, तो नये सिरे से सोचने की, नये सिरे से कदम बढ़ाने की आवश्‍यकता होती है। और जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख के नागरिकों की आशा-आकांक्षा पूरी हो, यह हम सब का दायित्‍व है। उनके सपनों को नये पंख मिले, यह हम सब की जिम्‍मेदारी है। और उसके लिए 130 करोड़ देशवासियों को इस जिम्‍मेदारी को उठाना है और इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए, जो भी रुकावटें सामने आई हैं, उनको दूर करने का हमने प्रयास किया है।
पिछले 70 साल में इन व्‍यवस्‍थाओं ने अलगाववाद को बल दिया है, आतंकवाद को जन्‍म दिया है, परिवारवाद को पोसा है और एक प्रकार से भ्रष्‍टाचार और भेदभाव की नींव को मजबूती देने का ही काम किया है। और इसलिएवहां की महिलाओं को अधिकार मिलें। वहां के मेरे दलित भाइयो-बहनो को, देश के दलितों को जो अधिकार मिलता था, वो उन्हें नहीं मिलता था। हमारे देश के जनजातीय समूहों को, tribalsको जो अधिकार मिलते हैं, वो उनको भी मिलने चाहिए। वहां हमारे कई ऐसे समाज और व्‍यवस्‍था के लोग चाहे वह गुर्जर हों, बकरवाल हों, गद्दी हों, सिप्‍पी हों, बाल्‍टी हों - ऐसी अनेक जनजातियां, उनको राजनीतिक अधिकार भी मिलने चाहिए। उसे देने की दिशा में, हम हैरान हो जाएंगे, वहां के हमारे सफाई कर्मचारी भाइयों और बहनों पर कानूनी रोक लगा दी गई थीं। उनके सपनों को कुचल दिया गया था। आज हमने उनको यह आजादी देने का काम किया है।
भारत विभाजन हुआ, लाखों-करोड़ों लोग विस्‍थापित होकर आये उनका कोई गुनाह नहीं था लेकिन जो जम्‍मू-कश्‍मीर मेंआकर बसे, उनको मानवीय अधिकार भी नहीं मिले, नागरिक के अधिकार भी नहीं मिले। जम्‍मू-कश्‍मीर के अन्‍दर मेरे पहाड़ी भाई-बहन भी हैं। उनकी भी चिंता करने की दिशा में हम कदम उठाना चाहते हैं।
मेरे प्‍यारे देशवासियो, जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख सुख-समृद्धि और शांति के लिए भारत के लिए प्रेरक बन सकता है। भारत की विकास यात्रा में बहुत बड़ा योगदान दे सकता है। उसके पुराने उन महान दिवसों को लौटाने का हम सब प्रयास करें। उन प्रयासों को लेकर यह जो नई व्‍यवस्‍था बनी है वह सीधे-सीधे नागरिकों के हितों के लिए काम करने के लिए सुविधा पैदा करेगी। अब देश का, जम्‍मू-कश्‍मीर का सामान्‍य नागरिक भी दिल्‍ली सरकार को पूछ सकता है। उसको बीच में कोई रुकावटें नहीं आएंगी। यह सीधी-सीधी व्‍यवस्‍था आज हम कर पाए हैं। लेकिन जब पूरा देश, सभी राजनीतिक दलों के भीतर भी, एक भी राजनीतिक दल अपवाद नहीं हैं, अनुच्‍छेद 370,35Aको हटाने के लिए कोई प्रखर रूप से तो कोई मूक रूप से समर्थन देता रहा है। लेकिन राजनीति के गलियारों में चुनाव के तराजू से तोलने वाले कुछ लोग 370 के पक्ष में कुछ न कुछ कहते रहते हैं। जो लोग 370 के पक्ष में वकालत करते हैं, उनको देश पूछ रहा है, अगर ये अनुच्‍छेद 370, यह 35Aइतना महत्‍वपूर्ण था,इतना अनिवार्य था, उसी से भाग्य बदलने वाला थातो 70 साल तक इतना भारी बहुमत होने के बावजूद आप लोगों ने उसको permanent क्‍यों नहीं किया? Temporary क्‍यों बनाए रखा? अगर इतना conviction था, तो आगे आते और permanent कर देते। लेकिन इसका मतलब यह है, आप भी जानते थेजो तय हुआ है, वह सही नहीं हुआ है, लेकिन सुधार करने की आप में हिम्‍मत नहीं थी, इरादा नहीं था। राजनीतिक भविष्‍य पर सवालिया निशान लगते थे। मेरे लिए देश का भविष्‍य ही सब कुछ है, राजनीतिक भविष्‍य कुछ नहीं होता है।
हमारे संविधान निर्माताओं ने, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल जैसे महापुरुषों ने, देश की एकता के लिए, राजकीय एकीकरण के लिए उस कठिन समय में भी महत्‍वपूर्ण फैसले लिए, हिम्‍मत के साथ फैसले लिए। देश के एकीकरण का सफल प्रयास किया। लेकिन Article 370 के कारण, 35A के कारण कुछ रुकावटें भी आई हैं।
आज लाल किले सेमैं जब देश को संबोधित कर रहा हूं, मैं यह गर्व के साथ कहता हूं कि आज हर हिन्‍दुस्तानी कह सकता है- One Nation, One Constitution और हम सरदार साहब का एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत, इसी सपने को चरितार्थ करने में लगे हुए हैं। तब ये साफ-साफ बनता है कि हम ऐसी व्‍यवस्‍थाओं को विकसित करेंजो देश की एकता को बल दें, देश को जोड़ने के लिए cementing force के रूप में उभर करके आएं और यह प्रक्रिया निरंतर चलनी चाहिए। वह एक समय के लिए नहीं होती है, अविरल होनी चाहिए।
GST के माध्‍यम सेहमने One Nation, One Tax, उस सपने को साकार किया है। उसी प्रकार सेपिछले दिनों ऊर्जा के क्षेत्र में One Nation, One Grid इस काम को भी हमने सफलतापूर्वक पार किया।
उसी प्रकार से One Nation, One Mobility Card - इस व्‍यवस्‍था को भी हमने विकसित किया है। और आज देश में व्‍यापक रूप से चर्चा चल रही है, “एक देश, एक साथ चुनाव’’। यह चर्चा होनी चाहिए, लोकतांत्रिक तरीके से होनी चाहिए और कभी न कभी “एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत’’ के सपनों को साकार करने के लिए और भी ऐसी नई चीजों को हमें जोड़ना होगा।
मेरे प्‍यारे देशवासियो, देश को नई ऊंचाइयों को पार करना है, देश को विश्‍व के अंदर अपना स्‍थान प्रस्‍थापित करना है। तो हमें अपने घर में भी गरीबी से मुक्ति के भान को बल देना ही होगा। यह किसी के लिए उपकार नहीं है। भारत के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए, हमें गरीबी से मुक्‍त होना ही होगा। गत पांच वर्ष में गरीबी कम करने की दिशा में, लोग गरीबी से बाहर आएं, बहुत सफल प्रयास हुए हैं। पहले की तुलना में ज्‍यादा तेज गति से और ज्‍यादा व्‍यापकता से इस दिशा में सफलता प्राप्‍त हुई है।लेकिन फिर भी गरीब व्‍यक्ति, सम्‍मान अगर उसको प्राप्‍त हो जाता है, उसका स्‍वाभिमान जग जाता है तो वह गरीबी से लड़ने के लिए सरकार का इंतजार नहीं करेगा।वो अपने सामर्थ्‍य से गरीबी को परास्‍त करने के लिए आएगा। हम में से किसी से भी ज्‍यादा विपरीत परिस्थितियों से जूझने की ताकत अगर किसी में है, तो मेरे गरीब भाइयों-बहनों में है। कितनी ही ठंड क्‍यों न हो, वो मुठ्ठी बंद करके गुजारा कर सकता है। उसके भीतर यह सामर्थ्‍य है। आइये उस सामर्थ्‍य के हम पुजारी बनें और इसलिए उसकी रोजमर्रा की जिंदगी की कठिनाइयों को हम दूर करें।
क्‍या कारण है कि मेरे गरीब के पास शौचालय न हो, घर में बिजली न हो, रहने के लिए घर न हो, पानी की सुविधा न हो, बैंक में खाता न हो, कर्ज लेने के लिए साहूकारों के घर जा करके एक प्रकार से सब कुछ गिरवी रखना पड़ता हो। आइये, गरीबों के आत्‍म-सम्‍मान, आत्‍म-विश्‍वास को, उनके स्‍वाभिमान को ही आगे बढ़ाने के लिए, सामर्थ्‍य देने के लिए हम प्रयास करें।
भाइयो-बहनो, आजादी के 70 साल हो गए। बहुत सारे काम सब सरकारों ने अपने-अपने तरीके से किए हैं। सरकार किसी भी दल की क्‍यों न हो, केंद्र की हो, राज्‍य की हो, हर किसी ने अपने-अपने तरीके से प्रयास किए हैं। लेकिन यह भी सच्‍चाई है कि आज हिन्‍दुस्‍तान में करीब-करीब आधे घर ऐसे हैं, जिन घरों में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। उनको पीने का पानी प्राप्‍त करने के लिए मशक्‍कत करनी पड़ती है। माताओं-बहनों कोसिर पर बोझ उठा करके, मटके लेकरदो-दो, तीन-तीन, पांच-पांचकिलोमीटर जाना पड़ता है। जीवन का बहुत सारा हिस्‍सा सिर्फ पानी में खप जाता हैऔर इसलिएइस सरकार ने एक विशेष काम की तरफ बल देने का निर्णय लिया है और वह है - हमारे हर घर में जल कैसे पहुंचे? हर घर को जल कैसे मिले? पीने का शुद्ध पानी कैसे मिले? और इसलिए आज मैं लाल किले से घोषणा करता हूं कि हम आने वाले दिनों में जल-जीवन मिशन को आगे ले करके बढ़ेंगे। यह जल-जीवन मिशन, इसके लिए केंद्र और राज्‍य सरकार साथ मिलकर काम करेंगे और आने वाले वर्षों में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा रकम इस जल-जीवन मिशनके लिए खर्च करने का हमने संकल्‍प लिया है। जल संचय हो, जल सिंचन हो, वर्षा की बूंद-बूंद पानी को रोकने का काम हो, समुद्री पानी को या Waste Water को Treatment करने का विषय हो, किसानों के लिए ‘Per Drop, More Crop’, Micro Irrigation का काम हो, पानी बचाने का अभियान हो, पानी के प्रति सामान्‍य से सामान्‍य नागरिक सजग बने, संवेदनशील बने, पानी का महत्व समझें, हमारे शिक्षा कर्मों में भीबच्‍चों को भी बचपन से ही पानी के महत्व की शिक्षा दी जाए। पानी संग्रह के लिए, पानी के स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए हम लगातार प्रयास करें और हम इस विश्‍वास के साथ आगे बढ़ें कि पानी के क्षेत्र में पिछले 70 साल में जो काम हुआ है, हमें 5 साल में चार गुना से भी ज्‍यादा उस काम को करना होगा। अब हम ज्‍यादा इंतजार नहीं कर सकते और इस देश के महान संत, सैकड़ों साल पहले,संत तिरुवल्लुवर जी ने उस समय एक महत्‍वपूर्ण बात कही थी, सैकड़ों साल पहले, तब तो शायद किसी ने पानी के संकट के बारे में सोचा भी नहीं होगा, पानी के महत्वके बारे में भी नहीं सोचा होगा, और तब संत तिरुवल्लुवर जी ने कहा था“नीर इन्ड़्री अमियादू, उल्ग:, नीर इन्ड़्री अमियादू, उल्ग:,” यानि जब पानी समाप्‍त हो जाता है, तो प्रकृति का कार्य थम जाता है, रूक जाता है। एक प्रकार से विनाश प्रारंभ हो जाता है।
मेरा जन्‍म गुजरात में हुआ, गुजरात में तीर्थ क्षेत्र है महुडी, जो उत्‍तरी गुजरात में है। जैन समुदाय के लोग वहां आते-जाते रहते हैं। आज से करीब 100 साल पहले वहां एक जैन मुनि हुए, वह किसान के घर में पैदा हुए थे, किसान थे, खेत में काम करते थे लेकिन जैन परंपरा के साथ जुड़ करके वह दीक्षित हुए और जैन-मुनि बने।
करीब 100 साल पहले वह लिखकर गए हैं। बुद्धि सागर जी महाराज ने लिखा है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब पानी किराने की दुकान में बिकेगा। आप कल्‍पना कर सकते हैं 100 साल पहले एक संत लिख कर गए कि पानी किराने की दुकान में बिकेगा और आज हम पीने का पानी किराने की दुकान से लेते हैं। हम कहां से कहां पहुंच गए।
मेरे प्‍यारे देशवासियो, न हमें थकना है, न हमें थमना है, न हमें रूकना है और न हमें आगे बढ़ने से हिचकिचाना है। यह अभियान सरकारी नहीं बनना चाहिए। जल संचय का यह अभियान, जैसे स्‍वच्‍छता का अभियान चला था, जन सामान्‍य का अभियान बनना चाहिए। जन सामान्‍य के आदर्शों को लेकर, जन सामान्‍य की अपेक्षाओं को लेकर, जन सामान्‍य के सामर्थ्‍य को लेकर हमें आगे बढ़ना है।
मेरे प्‍यारे देशवासियो, अब हमारा देश उस दौर में पहुंचा है जिसमें बहुत-सी बातों से अब हमें अपने आपको छुपाए रखने की जरूरत नहीं है। चुनौतियों को सामने से स्‍वीकार करने का वक्‍त आ चुका है। कभी राजनीतिक नफा-नुकसान के इरादे से हम निर्णय करते हैं लेकिन इससे देश की भावी पीढ़ी का बहुत नुकसान होता है।
वैसा ही एक विषय है जिसको मैं आज लाल किले से स्‍पष्‍ट करना चाहता हूं। और वह विषय है, हमारे यहां हो रहा बेतहाशा जनसंख्‍या विस्‍फोट।यह जनसंख्‍या विस्‍फोट हमारे लिए, हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए अनेक नए संकट पैदा करता है लेकिन यह बात माननी होगी कि हमारे देश में एक जागरूक वर्ग है, जो इस बात को भली-भांति समझता है। वे अपने घर में शिशु को जन्‍म देने से पहले भली-भांति सोचता है कि मैं कहीं उसके साथ अन्‍याय तो नहीं कर दूंगा। उसकी जो मानवीय आवश्‍यकताएं हैं उनकी पूर्ति मैं कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा, उसके जो सपने हैं, वो सपने पूरा करने के लिए मैं अपनी भूमिका अदा कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा। इन सारे parameters से अपने परिवार का लेखा-जोखा लेकर हमारे देश में आज भी स्वः प्रेरणा से एक छोटा वर्ग परिवार को सीमित करके, अपने परिवार का भी भला करता है और देश का भला करने में बहुत बड़ा योगदान देता है। ये सभी सम्‍मान के अधिकारी हैं, ये आदर के अधिकारी हैं। छोटा परिवार रखकर भी वह देश भक्ति को ही प्रकट करते हैं। वो देशभक्ति को अभिव्‍यक्‍त करते हैं। मैं चाहूंगा कि हम सभी समाज के लोग इनके जीवन को बारीकी से देखें कि उन्‍होंने अपने परिवार में जनसंख्‍या वृद्धि से अपने-आपको बचा करके परिवार की कितनी सेवा की है। देखते ही देखते एक दो पीढ़ी नहीं, परिवार कैसे आगे बढ़ता चला गया है, बच्‍चों ने कैसे शिक्षा पाई है, वह परिवार बीमारी से मुक्‍त कैसे है, वह परिवार अपनी प्राथमिक आवश्‍यकताओं को कैसे बढ़िया ढंग से पूरा करता है।हम भी उनसे सीखें और हमारे घर में किसी भी शिशु के आने से पहले हम सोचें कि जो शिशु मेरे घर में आएगा, क्‍या उसकी आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए मैंने अपने-आपको तैयार कर लिया है? क्‍या मैं उसको समाज के भरोसे ही छोड़ दूंगा? मैं उसको उसके नसीब पर ही छोड़ दूंगा? कोई मां-बाप ऐसा नहीं हो सकता है, जो अपने बच्‍चों को जन्म देकर इस प्रकार की जिंदगी जीने के लिए मजबूर होने दें और इसलिए एक सामाजिक जागरूकता की आवश्‍यकता है।
जिन लोगों ने यह बहुत बड़ी भूमिका अदा की है, उनके सम्‍मान की आवश्‍यकता है, और उन्‍हीं के प्रयासों के उदाहरण लेकर समाज के बाकी वर्ग, जो अभी भी इससे बाहर हैं, उनको जोड़कर जनसंख्‍या विस्‍फोट- इसकी हमें चिंता करनी ही होगी।
सरकारों को भी भिन्‍न-भिन्‍न योजनाओं के तहत आगे आना होगा। चाहे राज्‍य सरकार हो, केंद्र सरकार हो- हर किसी को इस दायित्‍व को निभाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा। हम अस्‍वस्‍थ समाज नहीं सोच सकते, हम अशिक्षित समाज नहीं सोच सकते। 21वीं सदी के भारत मेंसपनों को पूरा करने का सामर्थ्‍य व्‍यक्ति से शुरू होता है, परिवार से शुरू होता है लेकिन अगर आबादी शिक्षित नहीं है, तंदुरूस्‍त नहीं है, तो न ही वह घर सुखी होता है, न ही वह देश सुखी होता है।
जन आबादी शिक्षित हो, सामर्थ्‍यवान हो, Skilled हो और अपनी इच्‍छा और आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने के लिए, उपयुक्‍त माहौल प्राप्‍त करने के लिए संसाधन उपलब्‍ध हों, तो मैं समझता हूं कि देश इन बातों को पूर्ण कर सकता है।
मेरे प्‍यारे देशवासियो, आप भलीभांति जानते हैं कि भ्रष्‍टाचार, भाई-भतीजावाद ने हमारे देश का कल्‍पना से परे नुकसान किया है और दीमक की तरह हमारे जीवन में घुस गया है। उसको बाहर निकालने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। सफलताएं भी मिली हैं, लेकिन बीमारी इतनी गहरी है, बीमारी इतनी फैली हुई है कि हमें और अधिक प्रयास, और वह भी सिर्फ सरकारी स्‍तर पर नहीं, हर स्‍तर पर करते ही रहना पड़ेगा, और ऐसा निरंतर करते रहना पड़ेगा।एक बार में सारा काम नहीं होता, बुरी आदतें - पुरानी बीमारी जैसी होती हैं, कभी ठीक हो जाती हैं, लेकिन मौका मिलते ही फिर से बीमारी आ जाती हैं। वैसे ही यह एक ऐसी बीमारी है, जिसको हमने निरंतर Technology का उपयोग करते हुए इसको निरस्‍त करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। हर स्‍तर पर ईमानदारी और पारदर्शिता को बल मिले, इसके लिए भी भरसक प्रयास किए गए हैं।
आपने देखा होगा पिछले पांच साल में भी, इस बार आते ही सरकार में बैठे हुए अच्‍छे-अच्‍छे लोगों की छुट्टी कर दी गई। हमारे इस अभियान में जो रुकावट बनते थे, उनसे कहा गया कि आप अपना कारोबार कर लीजिए, अब देश को आपकी सेवाओं की जरूरत नहीं है।
मैं स्‍पष्‍ट मानता हूं, व्‍यवस्‍थाओं में बदलाव होना चाहिए, लेकिन साथ-साथ सामाजिक जीवन में भी बदलाव होना चाहिए। सामाजिक जीवन में बदलाव होना चाहिए, उसके साथ-साथ व्‍यवस्‍थाओं को चलाने वाले लोगों के दिल-दिमाग में भी बदलाव बहुत अनिवार्य होता है। तभी जाकर हम इच्छित परिणामों को प्राप्‍त कर सकते हैं।
भाइयो और बहनो, देश आजादी के इतने साल बाद एक प्रकार से परिपक्‍व हुआ है। हम आजादी के 75 साल मनाने जा रहे हैं। तब यह आजादी सहज संस्कार, सहज स्वभाव, सहज अनुभूति, यह भी आवश्यक होती है। मैं अपने अफसरों के साथ जब बैठता हूं तो एक बात करता हूं, सार्वजनिक रूप से तो बोलता नहीं था लेकिन आज मन कर रहा है तो बोल ही दूं। मैं अपने अफसरों के बीच बार-बार कहता हूं कि क्या आजादी के इतने सालों के बाद रोजमर्रा की जिंदगी में, सरकारों का जो दखल है सामान्य नागरिक के जीवन में, क्या हम उस दखल को कम नहीं कर सकते?खत्म नहीं कर सकते हैं? आजाद भारत का मतलब मेरे लिए यह है कि धीरे-धीरे सरकारेंलोगों की जिंदगी से बाहर आएं, लोग अपनी जिंदगी के निर्णय करने के लिये आगे बढ़ने के लिये, सारे रास्ते उनके लिये खुले होने चाहिए, मन-मर्जी पड़े उस दिशा में, देश के हित में और परिवार की भलाई के लिये स्वयं के सपनों के लियेआगे बढ़ें, ऐसा Eco-systemहमको बनाना ही होगा। और इसलिये सरकार का दवाब नहीं होना चाहिए लेकिन साथ-साथ जहां मुसीबत के पल हों, तो सरकार का अभाव भी नहीं होना चाहिए। न सरकार का दवाब हो, न सरकार का अभाव हो, लेकिन हम सपनों को लेकर आगे बढ़ें। सरकार हमारे एक साथी के रूप मेंहर पल मौजूद हो। जरूरत पड़े तो लगना चाहिए कि हां कोई है, चिंता का विषय नहीं है।क्या उस प्रकार की व्यवस्थाएं हम विकसित कर सकते हैं?
हमने गैर-जरूरी कई कानूनों को खत्म किया है। गत 5 वर्ष में एक प्रकार से मैंने प्रतिदिन एक गैर-जरूरी कानून खत्म किया था। देश के लोगों तक शायद यह बात पहुंची नहीं होगी। हर दिन एक कानून खत्म किया था, करीब-करीब 1450 कानून खत्म किये थे। सामान्य मानव के जीवन से बोझ कम हो। अभी सरकार को 10 हफ्ते हुए, अभी तो इन 10 हफ्तों में 60 ऐसे कानूनों को खत्म कर दिया है।
Ease of living यह आजाद भारत की आवश्यकता है और इसलिये हम Ease of living पर बल देना चाहते हैं, उसी को आगे ले जाना चाहते हैं।आज Ease of doing business में हम काफी प्रगति कर रहे हैं। पहले 50 में पहुंचने का सपना है, उसके लिये कई reform करने की जरूरत होगी, कई छोटी-मोटी रुकावटें हैं। कोई व्यक्ति छोटा सा उद्योग करना चाहता है या कोई छोटा-सा काम करना चाहता है, तो यहां form भरो, उधर form भरो, इधर जाओ, उस office जाओ, सैंकड़ों ऑफिसों में चक्कर लगाने जैसी परेशानियों में उलझा रहता है, उसका मेल ही नहीं बैठता है। इनको खत्म करते-करते, reform करते-करते, केंद्र और राज्यों को भी साथ लेते-लेते, नगरपालिका-महानगरपालिकाओं को भी साथ लेते-लेते, हम Ease of doing business के काम में बहुत कुछ करने में सफल हुये हैं। और दुनिया में भी विश्वास पैदा हुआ है कि भारत जैसा इतना बड़ा Developing देश इतना बड़ा सपना देख सकता है और इतनी बड़ी jump लगा सकता है। Ease of doing business तो एक पड़ाव है, मेरी मंजिल तो है Ease of living - सामान्य मानव के जीवन में उसको सरकारी काम में कोई मशक्कत न करनी पड़े, उसके हक उसको सहज रूप से मिले और इसलिए हमें आगे बढ़ने की जरूरत है, हम उस दिशा में काम करना चाहते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारा देश आगे बढ़े, लेकिन incremental progress, उसके लिये देश अब ज्यादा इंतजार नहीं कर सकता है, हमें high jump लगानी पड़ेंगी, हमें छलांग लगानी पड़ेगी, हमें हमारी सोच को भी बदलना पड़ेगा। भारत को Global benchmark के बराबर लाने के लिये हमारे आधुनिक infrastructure,उसकी ओर भी जाना पड़ेगा और कोई कुछ भी कहे कोई कुछ भी लिखे, लेकिन सामान्‍य मानव का सपना अच्‍छी व्‍यवस्‍थाओं का होता है। अच्‍छी चीज उसे अच्‍छी लगती हैं, उसकी उसमें रूचि बनती है। और इसलिए हमने तय किया है कि इन कालखंड में 100 लाख करोड़ रुपया आधुनिक Infrastructure के लिए लगाए जाएंगे, जिससे रोजगार भी मिलेगा, जीवन में भी नई व्‍यवस्‍था विकसित होंगी जो आवश्‍यकताओं की पूर्ति भी करेगी। चाहे सागरमाला प्रोजक्‍ट हो, चाहे भारतमाला प्रोजेक्‍ट हो, चाहे आधुनिक रेलवे स्‍टेशन बनाने हों या बस स्‍टेशन बनाने हों या एयरपोर्ट बनाने हों, चाहे आधुनिक अस्‍पताल बनाने हों, चाहे विश्‍व स्‍तर के educational institutions का निर्माण करना हो, infrastructure की दृष्टि से भी इन सभी चीजों को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं। अब देश में seaport की भी आवश्‍यकता है। सामान्य जीवन का भी मन बदला है। हमें इसे समझना होगा।
पहले एक जमाना था कि अगर कागज पर सिर्फ निर्णय हो जाए कि एक रेलवे स्‍टेशन फलाना इलाके में बनने वाला है, तो महीनों तक, सालों तक एक सकारात्‍मक गूंज बनी रहती थी कि चलो हमारे यहां नजदीक में अब नया रेलवे स्‍टेशन आ रहा है। आज वक्‍त बदल चुका है। आज सामान्‍य नागरिक रेलवे स्‍टेशन मिलने से संतुष्‍ट नहीं है, वो तुरंत पूछता है, वंदे भारत एक्सप्रेस हमारे इलाके में कब आएगी? उसकी सोच बदल गई है। अगर हम एक बढ़िया से बढ़िया बस स्‍टेशन बना दें, FIVE STAR रेलवे स्‍टेशन बना दें तो वहां का नागरिक ये नहीं कहता है साहब आज बहुत बढ़िया काम किया है। वो तुरंत कहता है- साहब हवाई अड्डा कब आएगा? यानी अब उसकी सोच बदल चुकी है। कभी रेलवे के stoppage से संतुष्‍ट होने वाला मेरा देश का नागरि‍क बढ़िया से बढ़िया रेलवे स्‍टेशन मिलने के बाद तुरंत कहता है- साहब बाकी तो ठीक है, हवाई अड्डा कब आएगा?
पहले किसी भी नागरिक को मिलें तो कहता था- साहब, पक्‍की सड़क कब आएगी? हमारे यहां पक्‍की सड़क कब बनेगी? आज कोई मिलता है तो तुरंत कहता है- साहब, 4 lane वाला रोड बनेगा कि 6 lane वाला? सिर्फ पक्‍की सड़क तक वो सीमित रहना नहीं चाहता और मैं मानता हूं आकांक्षी भारत के लिए ये बहुत बड़ी बात होती है।
पहले गांव के बाहर बिजली का खंभा ऐसे ही नीचे लाकर सुला दिया हो तो लोग कहते हैं कि चलो भाई बिजली आई, अभी तो खंभा नीचे पड़ा हुआ है, गाड़ा भी नहीं है। आज बिजली के तार भी लग जाएं, घर में मीटर भी लग जाएं तो वो पूछता है- साहब, 24 घंटे बिजली कब आएगी? अब वो खंभे, तार और मीटर से संतुष्‍ट नहीं है।
पहले जब मोबाइल आया, तो उनको लगता था मोबाइल फोन आ गया। वो एक संतोष का अनुभव करता था। लेकिन आज वो तुरंत चर्चा करने लगता है कि data की speed क्‍या है?
ये बदलते हुए मिजाज को, बदलते हुए वक्‍त को हमें समझना होगा और उसी प्रकार से Global Benchmark के साथ हमें अपने देश को आधुनिक infrastructure के साथ - clean energy हो, gas based economy हो, gas grid हो, e-mobility हो, ऐसे अनेक क्षेत्रों में हमें आगे बढ़ना है।
मेरे प्‍यारे देशवासियो, आमतौर पर हमारे देश में सरकारों की पहचान ये बनती रही कि सरकार ने फलाने इलाके के लिए क्‍या किया, फलाने वर्ग के लिए क्‍या किया, फलाने समूह के लिए क्‍या किया? आमतौर पर क्‍या दिया, कितना दिया, किसको दिया, किसको मिला, उसी के आसपास सरकार और जनमानस चलते रहे और उसको अच्‍छा भी माना गया। मैं भी, शायद उस समय की मांग रही होगी, आवश्यकता रही होगी लेकिन अब किस को क्‍या मिला, कैसे मिला, कब मिला, कितना मिला। इन सबके रहते हुए भी हम सब मिल करके देश को कहां ले जाएंगे, हम सब मिल करके देश को कहां पहुंचाएगे, हम सब मिल करके देश के लिए क्‍या achieve करेंगे, इन सपनों को ले करके जीना, जूझना और चल पड़ना ये समय की मांग है। और इसलिए 5 Trillion Dollar Economy का सपना संजोया है। 130 करोड़ देशवासी अगर छोटी-छोटी चीजों को लेकर चल पड़े तो 5 Trillion Dollar Economy, कई लोंगो को मुश्किल लगता है, वो गलत नहीं हो सकते, लेकिन अगर मुश्किल काम नहीं करेंगे तो देश आगे कैसे बढेगा? मुश्किल चुनौतियों को नहीं उठाएंगे तो चलने का मिजाज़ कहां से बनेगा? मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी हमें हमेशा ऊंचे निशान रखने चाहिए और हमने रखा है। लेकिन वो हवा में नहीं है। आजादी के 70 साल बाद हम दो Trillion Dollar Economy पर पहुंचे थे, 70 साल की विकास यात्रा ने हमें दो Trillion Dollar Economy पर पहुंचाया था। लेकिन 2014 से 2019, पांच साल के भीतर-भीतर हम लोग दो Trillion से तीन Trillion पहुंच गए, एक Trillion Dollar हमने जोड़ दिया। अगर पांच साल में, 70 साल में जो हुआ उसमें इतना बड़ा jump लगाया तो आने वाले पांच साल में हम 5 Trillion Dollar Economy बन सकते है, और ये सपना हर हिन्‍दुस्‍तानी का होना चाहिए। जब Economy बढ़ती है तो जीवन भी बेहतर बनाने की सुविधा बनती है। छोटे-से-छोटे व्‍यक्ति के सपनों को साकार करने के लिए अवसर पैदा होते हैं। और ये अवसर पैदा करने के लिए देश के आर्थिक क्षेत्र में हमें इस बात को आगे ले जाना है।
जब हम सपना देखते हैं कि देश के किसान की आय दो गुनी होनी चाहिए, जब हम सपना देखते है कि आजादी के 75 साल में हिन्‍दुस्‍तान में कोई परिवार, गरीब से गरीब भी, उसका पक्‍का घर होना चाहिए। जब हम सपना देखते हैं कि आजादी के 75 साल हों तब देश के हर परिवार के पास बिजली होनी चाहिए, जब हम सपना देखते है कि आजादी के 75 साल हो, तब हिन्‍दुस्‍तान के हर गांव में Optical Fiber Network हो, Broadband की Connectivity हो, Long Distance Education की सुविधा हो।
हमारी समुद्री संपत्ति, Blue Economy इस क्षेत्र को हम बल दें। हमारे मछुआरे भाइयों-बहनों को हम ताकत दें। हमारे किसान अन्‍नदाता है, ऊर्जादाता बनें। हमारे किसान, ये भी Exporter क्‍यों न बनें। दुनिया के अंदर हमारे किसानों के द्वारा पैदा की हुई चीजों का डंका क्यों न बजे। इन सपनों को ले करके हम चलना चाहते हैं। हमारे देश को Export बढ़ाना ही होगा, हम सिर्फ दुनिया, हिन्‍दुस्‍तान को बाजार बना करके देखे, हम भी दुनिया के बाजार में पहुंचने के लिए भरसक प्रयास करें।
हमारे हर District में दुनिया के एक-एक देश की जो ताकत होती है, छोटे-छोटे देशों की, वो ताकत हमारे एक-एक District में होती है। हमें इस सामर्थ्‍य को समझना है, इस सामर्थ्‍य को हमें Channelize करना है और हमारे हर जिले Export Hub बनने की दिशा में क्‍यों न सोचें, हर जिले का अपना Handicraft है, हर जिले के अंदर अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। अगर किसी जिले के पास इत्र की पहचान है, तो किसी जिले के पास साड़ियों की पहचान है, किसी जिले के बर्तन मशहूर है, तो किसी जिले में मिठाई मशहूर है। हर एक के पास विविधता है, सामर्थ्‍य है, हमने Global Market के लिएzero defect, zero effect से उसका manufacturing कैसे हो और इस विविधता से दुनिया को परिचित कराते हुए अगर हम उसके export पर बल देंगे, दुनिया के मार्केट को capture करने की दिशा में हम काम करेंगे, तो देश के नौजवानों को रोजगार मिलेगा। हमारे small scale industries को, micro level industries को इसके कारण एक बहुत बड़ी ताकत मिलेगी और हमें उस ताकत को बढ़ाना है।
हमारा देश Tourist Destination के लिए दुनिया के लिए अजूबा हो सकता है, लेकिन किसी न किसी कारण से जितनी तेजी से हमें वह काम करना चाहिए, वो हम नहीं कर पाए हैं। आइये, हम सभी देशवासी तय करें कि हमें देश के tourism पर बल देना है। जब tourism बढ़ता है, कम से कम पूंजी‍निवेश में ज्‍यादा से ज्‍यादा रोजगार मिलता है। देश की economy को बल मिलता है और दुनियाभर के लोग आज भारत को नये सिरे से देखने के लिए तैयार हैं। हम सोचें कि दुनिया हमारे देश में कैसे आए, हमारे tourism के क्षेत्र को कैसे बल मिले और इसके लिए Tourist Destination की व्‍यवस्‍था हो, सामान्‍य मानव की आमदनी बढ़ाने की बात हो, बेहतर शिक्षा, नये रोजगार के अवसर प्राप्‍त हों, मध्‍यम वर्ग के लोगों के बेहतर सपनों को साकार करने के लिए, ऊंची उड़ान के लिए सारे launching pad उनके लिए available होने चाहिए। हमारे वैज्ञानिकों के पास बेहतर संसाधनों की पूरी सुविधा हो, हमारी सेना के पास बेहतर इंतजाम हो, वो भी देश में बना हुआ हो, तो मैं मानता हूं ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जो 5 trillion dollar economy के लिए भारत को एक नई शक्ति दे सकते हैं।
मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनो, आज देश में आर्थिक सिद्धि प्राप्‍त करने के लिए बहुत ही अनुकूल वातावरण है।जब Government stable होती है, policy predictable होती है, व्‍यवस्‍थाएं stable होती है तो दुनिया का भी एक भरोसा बनता है। देश की जनता ने यह काम करके दिखाया है। विश्‍व भी भारत की political stability को बड़े गर्व और आदर के साथ देख रहा है। हमें इस अवसर को जाने नहीं देना चाहिए। आज विश्‍व हमारे साथ व्यापार करने को उत्‍सुक है। वह हमारे साथ जुड़ना चाहता है। आज हमारे लिए गर्व का विषय है कि महंगाई को control करते हुए हम विकास दर को बढ़ाने वाले एक महत्‍वपूर्ण समीकरण को ले करके चले हैं। कभी विकास दर तो बढ़ जाती है, लेकिन महंगाई control में नहीं रहती है। कभी महंगाई बढ़ जाती है तो विकास दर का ठिकाना नहीं होता है। लेकिन यह ऐसी सरकार है जिसने महंगाई को control भी किया और विकास दर को आगे भी बढ़ाया।
हमारे अर्थव्‍यवस्‍था के fundamentals बहुत मजबूत हैं। यह मजबूती हमें आगे ले जाने के लिए भरोसा देती है। उसी प्रकार से जीएसटी जैसी व्‍यवस्‍था विकसित करके, IBC जैसे reform लाना अपने आप में एक नया विश्‍वास पैदा करना चाहते हैं। हमारे देश में उत्‍पादन बढ़े, हमारी प्राकृतिक संपदा की processing बढ़ें, value addition हो, value addition वाली चीजें दुनिया के अंदर export हों और दुनिया के अनेक देशों तक export हों। हम क्‍यों न सपना देखें कि दुनिया का कोई देश ऐसा नही होगा, जहां कोई न कोई चीज भारत से न जाती हों, हिन्‍दुस्‍तान का कोई जिला ऐसा नहीं होगा जहां से कुछ न कुछ export न होता हो। अगर इन दोनों चीजों को लेकर हम चले, तो हम आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। हमारी कंपनियां, हमारे उद्यमी वे भी दुनिया के बाजार में जाने के सपने देखते हैं। दुनिया के बाजार में जाकर भारत के रुतबे को वहां आवाज देने की ताकत दें, हमारे निवेशक ज्‍यादा कमाएं, हमारे निवेशक ज्‍यादा निवेश करें, हमारे निवेशक ज्‍यादा रोजगार पैदा करें - इसको प्रोत्‍साहन देने के लिए हम पूरी तरह से आगे आने को तैयार हैं।
हमारे देश में कुछ ऐसी गलत मान्‍यताओं ने घर कर लिया है। उन मान्‍यताओं से बाहर निकलना पड़ेगा। जो देश की wealth को create करता है, जो देश की wealth creation में contribute करता है, वे सब देश की सेवा कर रहे हैं। हम wealth creator को आशंका की नजरों से न देखें,उनके प्रति हीन भाव से न देखें। आवश्‍यकता है देश में wealth create करने वालों का भी उतना ही मान-सम्‍मान और प्रोत्‍साहन होना चाहिए। उनका गौरव बढ़ना चाहिए और wealth create नहीं होगी तो wealth distribute भी नहीं होगी। अगर wealth distribute नहीं होगी तो देश के गरीब आदमी की भलाई नहीं होगी। और इसलिए तो wealth creation, यह भी हमारे जैसे देश के लिए एक महत्‍वपूर्ण अहमियत रखता है और उसको भी हमें आगे ले जाना है। जो लोग wealth create करने में लगे हैं, मेरे लिए वह भी हमारे देश की wealth हैं। उनका सम्‍मान और उनका गौरव इस कदम को नई ताकत देगा।
मेरे प्‍यारे देशवासियो, आज शांति और सुरक्षा विकास के अनिवार्य पहलू हैं। दुनिया आज असुरक्षा से घिरी हुई है। दुनिया के किसी न किसी भाग में, किसी न किसी रूप में मौत का साया मंडरा रहा है। विश्‍व शांति की समृद्धि के लिए भारत को अपनी भूमिका अदा करनी होगी। वैश्विक परिवेश में भारत मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता है और भारत आतंक फैलाने वालों के खिलाफ मजबूती के साथ लड़ रहा है। विश्‍व के किसी भी कोने में आतंक की घटना मानवतावाद के खिलाफ छेड़ा हुआ युद्ध है। इसलिए यह आह्वान है कि विश्वभर की मानवतावादी शक्तियां एक हों। आतंकवाद को पनाह देने वाले, आतंकवाद को प्रोत्‍साहन देने वाले, आतंकवाद को export करने वाले, ऐसी सारी ताकतों को दुनिया के सामने उनके सही स्‍वरूप में प्रस्‍तुत करते हुए दुनिया की ताकत को जोड़कर आतंकवाद को नष्‍ट करने के प्रयासों में भारत अपनी भूमिका अदा करें, हम यही चाहते हैं।
कुछ लोगों ने सिर्फ भारत को ही नहीं हमारे पड़ोस के देशों को भी आतंकवाद से तबाह करके रखा हुआ है। बांग्लादेश भी आतंकवाद से जूझ रहा है, अफगानिस्‍तान भी आतंकवाद से जूझ रहा है। श्रीलंका के अंदर चर्च में बैठे हुए निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। कितनी बड़ी दर्दनाक बाते हैं और इसलिए आतंकवाद के खिलाफ जब हम लड़ाई लड़ते हैं तब हम इस पूरे भू-भाग की शांति और सुरक्षा के लिए भी हमारी भूमिका अदा करने के लिए भी सक्रिय काम कर रहे हैं।
हमारा पड़ोसी, हमारा एक अच्‍छा मित्र अफगानिस्‍तान चार दिन के बाद अपनी आजादी का जश्‍न मनाएगा और यह उनकी आजादी का 100वां साल है।मैं आज लाल किले से अफगानिस्‍तान के मेरे मित्रों को, जो चार दिन के बाद 100वीं आजादी का उत्‍सव मनाने जा रहें हैं, अनेक-अनेक शुभकानाएं देता हूं।
आतंक और हिंसा का माहौल बनाने वालों को, उनको फैलाने वालों को, भय का वातारवरण पैदा करने वालों को नेस्तानाबूत करना सरकार की नीति, सरकार की रणनीति और उसमें हमारी स्‍पष्‍टता साफ है। हमें कोई हिचकिचाहट नहीं है। हमारे सैनिकों ने, हमारे सुरक्षा बलों ने, सुरक्षा एजेंसियों ने बहुत प्रशंसनीय काम किया है। संकट की घड़ी में भी देश को शांति देने के लिए यूनिफार्म में खड़े हुए सब लोगों ने आज अपने जीवन की आहूति देकर हमारे कल को रोशन करने के लिए जीवन खपाया है। मैं उन सबको salute करता हूं। मैं उनको नमन करता हूं। लेकिन समय रहते Reform की भी बहुत आवश्‍यकता होती है।
आपने देखा होगा हमारे देश में सैन्‍य व्‍यवस्‍था, सैन्‍य शक्ति, सैन्‍य संसाधन - उसके Reform पर लंबे अरसे से चर्चा चल रही है। अनेक सरकारों ने इसकी चर्चा की है। अनेक commission बैठे हैं, अनेक रिपोर्ट आई हैं और सारे रिपोर्ट करीब-करीब एक ही स्‍वर को उजागर करते रहे हैं।19- 20 का फर्क है, ज्‍यादा फर्क नहीं है, लेकिन इन बातों को लगातार कहा गया है। हमारी तीनों सेना - जल, थल, नभ, उनके बीच coordination तो है, हम गर्व कर सकें, ऐसी हमारी सेना की व्‍यवस्‍था है। किसी भी हिन्‍दुस्‍तानी को गर्व हो, ऐसा हो। वे अपने-अपने तरीके से आधुनिकता के लिए भी प्रयास करते हैं।लेकिन आज जैसे दुनिया बदल रही है, आज युद्ध के दायरे बदल रहे हैं, रूप-रंग बदल रहे हैं। आज जिस प्रकार से Technology Driven व्‍यवस्‍थाएं बन रही हैं, तब भारत को भी टुकड़ों में भी सोचने से नहीं चलेगा। हमारी पूरी सैन्‍यशक्ति को एकमुश्‍त होकर एक साथ आगे बढ़ने की दिशा में काम करना होगा। जल, थल, नभ में से एक आगे रहे दूसरा दो कदम पीछे रहे, तीसरा तीन कदम पीछे रहे, तो नहीं चल सकता। तीनों एक साथ एक ही ऊंचाई पर आगे बढ़ें। coordination अच्‍छा हो, सामान्‍य मानव की आशा-आकांक्षाओं के अनुरूप हों, विश्‍व में बदलते हुए युद्ध के और सुरक्षा के माहौल के अनुरूप हो, इन बातों को ध्‍यान में रखते हुए आज मैं लाल किले से एक महत्‍वपूर्ण निर्णय की घोषणा करना चाहता हूं। इस विषय के जो जानकार हैं, वह बहुत लम्‍बे अर्से से इसकी मांग करते रहे हैं।
आज हमने निर्णय किया है कि अब हम Chief of defense - CDS की व्‍यवस्‍था करेंगे और इस पद के गठन के बाद तीनों सेनाओं को शीर्ष स्‍तर पर प्रभावी नेतृत्‍व मिलेगा। हिन्‍दुस्‍तान की सामरिक दुनिया की गति में ये CDS एक बहुत अहम और reform करने का जो हमारा सपना है, उसके लिए बल देने वाला काम है।
मेरे प्‍यारे देशवासियो, हम लोग भाग्‍यवान हैं कि हम एक ऐसे कालखंड में जन्‍मे हैं, हम एक ऐसे कालखंड में जी रहे हैं, हम एक ऐसे कालखंड में हैं जब हम कुछ न कुछ करने का सामर्थ्‍य रखते हैं। कभी-कभी मन में हमेशा रहता है कि जब आजादी की जंग चल रही थी, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे महापुरुष अपने बलिदान के लिए स्‍पर्धा कर रहे थे। महात्‍मा गांधी के नेतृत्‍व में आजादी के दीवाने घर-घर, गली-गली जा करके आजादी के सपनों का साकार करने के लिए देश को जगा रहे थे। हम उस समय नहीं थे, हम पैदा नहीं हुए थे, देश के लिए हमें मरने का मौका नहीं मिला,लेकिन देश के लिए जीने का मौका जरूर मिला है। और ये सौभाग्‍य है कि ये कालखंड ऐसा है, ये वर्ष हमारे लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है। पूज्‍य बापू महात्‍मा गांधी, इनकी 150वीं जन्‍म-जयंती का ये पर्व है। ऐसे अवसर हमें अपने कालखंड में मिले, ये अपने-आप में हमारा सौभाग्‍य है। और दूसरा हमारी आजादी के 75 साल, देश की आजादी के लिए मर-मिटने वालों का स्‍मरण हमें कुछ करने की प्रेरणा देता है। इस अवसर को हमें खोने नहीं देना है। 130 करोड़ देशवासियों के हृदय में महात्‍मा गांधी के सपनों के अनुरूप, देश की आजादी के दीवानों के सपनों के अनुरूप आजादी के 75 साल और गांधी के 150 साल, इस पर्व को हमारी प्रेरणा का महान अवसर बना करके हमें आगे बढ़ना है।
मैंने इसी लाल किले से 2014 में स्‍वच्‍छता के लिए बात कही थी। 2019 में कुछ ही सप्‍ताह के बाद, मुझे विश्‍वास है, भारत अपने-आपको open defecation free घोषित कर पाएगा। राज्‍यों ने, गांवों ने, नगर पालिकाओं ने- सबने, मीडिया ने जन-आंदोलन खड़ा कर दिया। सरकार कहीं नजर नहीं आई, लोगों ने उठा लिया और परिणाम सामने हैं।
मेरे प्‍यारे देशवासियो, मैं एक छोटी-सी अपेक्षा आज आपके सामने रखना चाहता हूं। इस 02 अक्‍तूबर को हम भारत को single use plastic, क्‍या इससे देश को मुक्ति दिला सकते हैं। हम निकल पड़ें, टोलियां बना करके निकल पड़े school, college हम सब पूज्‍य बापू को याद करते हुए और घर में प्‍लास्टिक हो - single use plastic या बाहर चौहराएं पर पड़ा हो, गंदी नाली में पड़ा हो, वह सब इकट्ठा करें, नगरपालिकाएं, महानगर-पालिकाएं, ग्राम पंचायत सब इसको जमा करने की व्‍यवस्‍था करें। हम प्‍लास्टिक को विदाई देने की दिशा में 2 अक्‍टूबर को पहला मजबूत कदम उठा सकते हैं क्‍या?
आइए मेरे देशवासियो, हम इसको आगे बढ़ाएं।और फिर मैं Start-up वालों को, Technician को, उद्यमियों को आग्रह करता हूं कि हम इन प्लास्टिक के Recycle के लिये क्या करें? जैसे highways बनाने के लिये प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है। ऐसी बहुत-सी विधाएं हो सकती हैं, लेकिन जिसके कारण अनेक समस्याएं पैदा हो रही हैं, उससे मुक्ति के लिये हमें ही अभियान छेड़ना होगा। लेकिन साथ-साथ हमें alternate व्यवस्थाएं भी देनी पड़ेंगी। मैं तो सभी दुकानदानों से आग्रह करूंगा, आप अपने दुकान पर हमेशा Board लगाते हैं, एक Board यह भी लगा दीजिये, कृपा करके हमसे प्लास्टिक की थैली की अपेक्षा न करें। आप अपने घर से कपड़े का थैला लेकर आइए या तो हम कपड़े का थैला भी बेचेंगे, ले जाइये। हम एक वातावरण बनायें। दीवाली पर जहां हम लोगों को भांति-भांति के गिफ्ट देते हैं, क्यों न इस बार और हर बार कपड़े के थैले लोगों को गिफ्ट करें, ताकि कोई कपड़े का थैला लेकर मार्किट जायेगा, तो आपकी company की advertisement भी होगी। आप सिर्फ डायरी देते हैं, तो शायद कुछ नहीं होता है, Calendar देते हैं तो कुछ नहीं होता है, थैला देंगे, तो जहां जायेगा तो थै

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह ने असंभव को संभव कर दिखाया

7 August 2019
संसद का वर्तमान सत्र उपलब्धियों की दृष्टि से अत्‍यंत सफल रहा है। दरअसल, इस दौरान कई ऐतिहासिक विधेयक पारित किए गए हैं। तीन तलाक कानून, आतंक पर कठोर प्रहार करने वाले कानून और अनुच्‍छेद 370 पर निर्णय - ये सभी निश्चित तौर पर अप्रत्‍याशित हैं। आम धारणा कि अनुच्‍छेद 370 पर भाजपा द्वारा किया गया वादा सिर्फ एक नारा है, जिसे पूरा नहीं किया जा सकता है, पूरी तरह से गलत साबित हुई है। सरकार की नई कश्‍मीर नीति पर आम जनता की ओर से जो जबर्दस्‍त समर्थन मिल रहा है, उसे देखते हुए कई विपक्षी दलों ने आम जनता के सुर में सुर मिलाना ही उचित समझा है। यही नहीं, राज्‍यसभा में इस निर्णय का दो तिहाई बहुमत से पारित होना निश्चित तौर पर कल्‍पना से परे है। मैंने इस निर्णय के असर के साथ-साथ जम्‍मू-कश्‍मीर के मुद्दे को सुलझाने के अन‍गिनत विफल प्रयासों के इतिहास का विश्‍लेषण किया।
विफल प्रयासों का इतिहास
विलय के प्रस्‍ताव (इंस्‍ट्रूमेंट ऑफ एक्‍सेशन) पर अक्‍टूबर, 1947 में हस्‍ताक्षर किए गए थे। पश्चिमी पाकिस्‍तान से लाखों की संख्‍या में शरणार्थी पलायन कर भारत आ गए थे। पंडित नेहरू की सरकार ने उन्‍हें जम्‍मू और कश्‍मीर में बसने की अनुमति नहीं दी थी। पिछले 72 वर्षों से कश्‍मीर पाकिस्‍तान का अपूर्ण एजेंडा रहा है। पंडित जी ने हालात का आकलन करने में भारी भूल की थी। वह जनमत संग्रह के पक्ष में थे और उन्‍होंने संयुक्‍त राष्‍ट्र को इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने की अनुमति दे दी। उन्‍होंने शेख मोहम्‍मद अब्‍दुल्‍ला पर भरोसा करके उन्‍हें इस राज्‍य की बागडोर सौंपने का निर्णय लिया। फिर इसके बाद वर्ष 1953 में उनका विश्‍वास शेख साहब पर से उठ गया और उन्‍हें जेल में बंद कर दिया। दरअसल, शेख ने इस राज्‍य को अपने व्‍यक्तिगत साम्राज्‍य में तब्‍दील कर दिया था। उस समय जम्‍मू-कश्‍मीर राज्‍य में कोई कांग्रेस पार्टी नहीं थी। कांग्रेसी दरअसल नेशनल कांफ्रेंस के सदस्‍य थे। कांग्रेस की एक सरकार नेशनल कांफ्रेंस के नाम से बना दी गई थी। इसके प्रमुख बख्‍शी गुलाम मोहम्‍मद थे। नेशनल कांफ्रेंस के नेतृत्‍व ने ‘जनमत संग्रह मोर्चा’ के नाम से एक अलग समूह बना दिया था। लेकिन नेशनल कांफ्रेंस का रूप धारण कर कांग्रेस आखिरकार चुनाव कैसे जीत पाती? वर्ष 1957, 1962 और 1967 के चुनावों में नि:संदेह धांधली हुई थी। अब्‍दुल खालिक नामक अधिकारी, जो श्रीनगर और डोडा दोनों के ही कलक्‍टर थे, को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया था। इस अधिकारी ने घाटी में किसी भी विपक्षी उम्‍मीदवार का नामांकन नहीं होने दिया था। इन तीनों चुनावों में ज्‍यादातर कांग्रेसी निर्विवादित ही निर्वाचित हो गए थे। कश्‍मीर घाटी की जनता का केन्‍द्र सरकार में कोई विश्‍वास नहीं रह गया था।
विशेष दर्जा देने और राज्‍य की बागडोर शेख साहब को सौंपने तथा बाद में कांग्रेस सरकारों के सत्‍तारूढ़ होने का यह प्रयोग एक ऐतिहासिक भूल साबित हुआ। पिछले सात दशकों के इतिहास से यह पता चलता है कि इस अलग दर्जे की यात्रा अलगाववाद की ओर रही है, न कि एकीकरण की ओर। इससे अलगाववादी भावना विकसित हो गई। पाकिस्‍तान ने इस हालात से लाभ उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
श्रीमती इंदिरा गांधी ने इसके बाद शेख साहब को रिहा करने और बाहर से कांग्रेस का समर्थन सुनिश्चित कर एक बार फिर उनकी सरकार बनाने का एक प्रयोग किया। यह प्रयोग वर्ष 1975 में किया गया था। हालांकि, कुछ ही महीनों के भीतर शेख साहब के सुर बदल गए और श्रीमती गांधी को यह स्‍पष्‍ट रूप से अहसास हो गया कि उन्‍हें नीचा दिखाया गया है।
शेख साहब के निधन के बाद इसकी बागडोर नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्‍ठ नेताओं जैसे कि मिर्जा अफजल बेग को सौंपी जानी चाहिए थी, लेकिन शेख साहब कश्‍मीर को अपनी पारिवारिक जागीर में तब्‍दील करना चाहते थे। फारूक अब्‍दुल्‍ला इस तरह से शेख साहब के उत्‍तराधिकारी के रूप में मुख्‍यमंत्री बन गए।
मुख्य धारा की पार्टी को मजबूती प्रदान करने की जगह 1984 के आरंभ में कांग्रेस ने सरकार को अस्थिर कर दिया। शेख साहब के दामाद गुल मोहम्मद की अगुवाई में नेशनल कांफ्रेंस के बागी गुट के साथ मिलकर और जोड़-तोड़ करके रातों-रात मुख्यमंत्री बदल दिया गया। शाह को मुख्यमंत्री बनाया गया। जाहिर तौर पर नया मुख्यमंत्री हालात पर काबू नहीं पा सका। उसके बाद के वक्तव्यों से सीधे तौर पर साबित होता था कि उनकी हमदर्दी अलगाववादियों के साथ है। 1987 में श्री राजीव गांधी ने एक बार फिर से नीतियों को बदल दिया और फारूख अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। चुनाव में भी धांधली हुई। कुछ उम्मीदवार जिन्हें जोड़-तोड़ करके हराया गया था, वे बाद में अलगाववादी और तो और आतंकवादी तक बन गये।
1989-90 तक, हालात काबू से बाहर हो गये तथा अलगाववाद के साथ-साथ आतंकवाद की भावना जोर पकड़ने लगी। कश्मीरी पंडित जो कि कश्मीरियत का अनिवार्य भाग थे, उन्हें इस तरह के अत्याचार बर्दाश्त करने पड़े, जिस तरह के अत्याचार अतीत में केवल नाजियों ने ही किये थे। जातीय संहार किया गया और कश्मीरी पंडितों को घाटी से बाहर खदेड़ दिया गया। जब अलगाववाद और उग्रवाद जोर पकड़ रहे थे, विभिन्न राजनीतिक दलों की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार ने तीन नये प्रकार के प्रयास किये। उन्होंने अलगाववादियों के साथ बातचीत करने की कोशिश की, जो व्यर्थ साबित हुई। सरकारों द्वारा कश्मीर समस्या को द्विपक्षीय मामले के रूप में पाकिस्तान के साथ बातचीत करके हल करने की कोशिश की गई। सरकारें समस्या का समाधान तलाशने के लिए समस्या के जन्मदाता के साथ बातचीत कर रही थीं। बातचीत का प्रयोग विफल होने के बाद केन्द्र की बहुत सी सरकारों ने व्यापक राष्ट्रीय हित में जम्मू कश्मीर की तथाकथित मुख्यधारा वाली पार्टियों के साथ समायोजन करने का फैसला किया। दो राष्ट्रीय दलों ने एक अवस्था पर दो क्षेत्रीय पार्टियों – पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस पर भरोसा करने का प्रयोग किया। उन्हें सत्ता पर आसीन कराया ताकि क्षेत्रीय पार्टियों की मदद से वे जनता के साथ संवाद कर सकें। हर मौके पर यह प्रयोग विफल रहा। क्षेत्रीय पार्टियों ने नई दिल्ली में एक जबान बोली तो श्रीनगर में दूसरी जबान में बात की। अलगाववादियों के तुष्टिकरण का सबसे खराब प्रयास गुपचुप रूप से संविधान में अनुच्छेद 35ए को सरकाने का 1954 का फैसला था। इसमें भारतीय नागरिकों की दो श्रेणियों के बीच भेदभाव किया गया और इसकी परिणति कश्मीर को देश के शेष भाग से दूर करने में हुई। इस बीच जमात ने उदार घाटी को सूफीवाद से वहाबवाद में परिवर्तित करने के लिये बड़ा अभियान छेड़ दिया।
अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के अंतर्गत विशेष दर्जा प्रदान करने की ऐतिहासिक भूलों की देश को राजनीतिक और वित्तीय, दोनों रूप से कीमत चुकानी पड़ी। आज, जबकि इतिहास को नए सिरे से लिखा जा रहा है, उसने ये फैसला सुनाया है कि कश्मीर के बारे में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की दृष्टि सही थी और पंडित जी के सपनों का समाधान विफल साबित हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की कश्‍मीर नीति
पिछले सात दशकों में समस्‍या को सुलझाने के लिए विभिन्‍न प्रयास किये गये, प्रधानमंत्री मोदी ने वैकल्पिक राह पर चलने का निर्णय लिया। सैकड़ों की संख्‍या में अलगाववादी नेताओं और हथियारबंद आतंकवादियों ने राज्‍य और देश को बंधक बना रखा था। देश ने हज़ारों नागरिकों और सुर‍क्षाकर्मियो को खोया। विकास पर खर्च करने की बजाय हम सुरक्षा पर खर्च कर रहे हैं। वर्तमान निर्णय यह स्‍पष्‍ट करता है कि जिस तरह देश के अन्‍य भागों में कानून का शासन है उसी तरह कश्‍मीर में कानून का शासन लागू होगा। सुरक्षा के कदम कड़े किये गये हैं। बड़ी संख्‍या में आतंकवादियों का सफाया किया गया है। उनकी संख्‍या में काफी कमी आई है। अलगाववादियों को दी गई सुरक्षा वापस ली गई, आयकर विभाग तथा एनआईए ने ऐसे गैर-कानूनी संसाधनों का पता लगाया जो इन अलगाववादियों और आतंकवादियों को मिल रहे थे। इन दोनों श्रेणियों के बीच पिछले 10 महीनों में सैकड़ों लोग पीडि़त हुए हैं, लेकिन कश्‍मीर घाटी की बाकी आबादी ने दशकों बाद शांति का युग देखा है। अब घाटी में कश्‍मीरी मुस्लिम के अलावा किसी अन्य के नहीं रहने से लोग आतंकवाद का शिकार हो रहे हैं। बहुत लोग भय के कारण अन्‍य राज्‍यों में चले गये हैं। कानून और व्‍यवस्‍था कठोरता से लागू की गई और कानून तोड़ने वाले किसी व्‍यक्ति को छोड़ा नहीं गया। लाखों कश्‍मीरी लोगों की जिंदगी सुरक्षित की गई और इन कदमों से मुट्ठीभर अलगाववादियों पर दबाव बनाया गया। पिछले 10 महीनों में किसी तरह का विरोध नहीं हुआ है। यहां तक की श्रीनगर में भी नहीं। अगला तार्किक कदम स्‍पष्‍ट रूप से उन कानून की फिर से समीक्षा करना है जो अलगाववादी मानसिकता को जन्‍म देते हैं। देश के साथ राज्‍य का पूर्ण एकीकरण करना पड़ा।
पीडीपी तथा नेशनल कांफ्रेंस द्वारा यह दलील दी गई कि अनुच्‍छेद 370 तथा अनुच्‍छेद 35ए को खं‍डित करने से कश्‍मीर भारत से टूटकर अलग हो जायेगा क्‍योंकि यह देश और कश्‍मीर के बीच एक मात्र सशर्त संपर्क है। यह दलील स्‍पष्‍ट रूप से दोषपूर्ण है। अक्‍टूबर 1947 में परिग्रहण दस्‍तावेज़( इंस्‍ट्रूमेंट ऑफ एक्‍सेशन) पर हस्‍ताक्षर किया गया। किसी भी व्‍यक्ति द्वारा एक बार भी अनुच्‍छेद 370 या अनुच्‍छेद 35ए का जिक्र नहीं किया गया। अनुच्‍छेद 370 संविधान में 1950 में आया। संविधान सभा में बहस 10 मिनट से भी कम हुई। सरकारी पक्ष के नेता चर्चा में शामिल नहीं हुए और एन. गोपालस्‍वामी आयंगर ने इस वचन के साथ प्रस्‍ताव रखा कि यह अस्‍थाई व्‍यवस्‍था है। इस विषय पर केवल एक सदस्‍य ने अपनी राय रखी। अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के इस सदस्‍य ने अनुच्‍छेद 370 का विरोध नहीं किया। उन्‍होंने यह मांग की कि इसे उनके क्षेत्र में भी लागू किया जाये। आज केवल एक देश है जहां प्रत्‍येक नागरिक बराबर है। प्रारंभ में पंडित जी ने उच्‍चतम न्‍यायालय और चुनाव आयोग का क्षेत्राधिकार जम्‍मू-कश्‍मीर तक बढ़ाने की अनुमति नहीं दी। उन्‍होंने यह महसूस नहीं किया कि वे एक उपराष्‍ट्र बना रहे हैं। शेख साहब को हटाने और उन्‍हें जेल में डालने के बाद ही इन संस्‍थानों का क्षेत्राधिकार जम्‍मू-कश्‍मीर तक हुआ। स्थिति को बदलने के निर्णय में स्‍पष्‍टता, विज़न तथा संकल्‍प की आवश्‍यकता थी। इसमें राजनीतिक साहस की भी जरूरत थी। प्रधानमंत्री ने संपूर्ण स्‍पष्‍टता और संकल्‍प के साथ इतिहास बनाया है।
कश्‍मीर के नागरिकों पर अनुच्‍छेद 370 और अनुच्‍छेद 35ए का नकारात्‍मक प्रभाव
भारत का कोई नागरिक कश्‍मीर जाकर बस सकता है, वहां के विकास के लिए निवेश कर सकता है और रोजगार का सृजन कर सकता है। आज वहां कोई उद्योग नहीं है, मुश्किल से कोई निजी अस्‍पताल है, निजी क्षेत्र द्वारा कोई विश्‍वसनीय शैक्षिक संस्‍थान स्‍थापित नहीं किया गया है। भारत के सबसे सुंदर राज्‍य में होटल श्रृंखलाओं से भी निवेश नहीं हो पाता है। इतना ही नहीं, स्‍थानीय लोगों के लिए कोई नया रोजगार नहीं है, राज्‍य के लिए कोई राजस्‍व नहीं है। इससे राज्‍य के सभी क्षेत्रों में निराशा बढ़ी है। ये संवैधानिक प्रावधान पत्‍थर की लकीर नहीं है। कानून की निर्धारित प्रक्रिया के माध्‍यम से इन्‍हें हटाया जाना था अथवा बदला जाना था। यहां तक कि संसद अथवा राज्‍य विधानसभा द्वारा अनुच्‍छेद 35ए स्‍वीकृत नहीं था। यह अनुच्‍छेद 368 को चुनौती देता है, जिसके द्वारा संविधान के संशोधन की प्रक्रिया निर्धारित है। एक कार्यपालक अधिसूचना द्वारा इसे पिछले दरवाजे से लाया गया था। यह भेदभाव को अनुमति देता है और इसे न्‍याय से परे बताता है।
दो क्षेत्रीय दलों की भूमिका
दो क्षेत्रीय पार्टियों के नेता भिन्‍न बातें बोलते हैं। अक्‍सर नई दिल्‍ली में दिए गए उनके वक्‍तव्‍य आश्‍वासन देने वाले होते हैं। किंतु श्रीनगर में वे भिन्‍न रूप में बोलते हैं। उनका रवैया अलगाववादी वातावरण से प्रभावित है। यह एक ऐसा कटु सत्‍य है कि दोनों ने सरजमीं पर समर्थन खो दिया है। कई राष्‍ट्रीय पार्टियों ने खुद को गुमराह होने के लिए छोड़ दिया है। राष्‍ट्रीय एकता के एक मुद्दे को धर्मनिरपेक्षता का एक मुद्दा बना दिया गया है। इन दोनों में साझा कुछ भी नहीं है।
इस पहल के व्‍यापक समर्थन ने कई विपक्षी दलों को भी पहल का समर्थन करने के लिए बाध्‍य कर दिया है। उन्‍होंने वास्‍तविकता का अनुभव किया है और वे लोगों की नाराजगी का सामना नहीं करना चाहते। यह एक पछतावा है कि कांग्रेस पार्टी की विरासत ने पहले तो समस्‍या का सृजन किया और फिर उसे बढ़ाया, अब वह कारण ढूंढने में विफल है। उदाहरणस्‍वरूप जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय में राहुल गांधी ने जब ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग को समर्थन दिया था, तब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भी अलग राय थी। यह सरकार के इस फैसले के लिए लागू होता है। कांग्रेस के लोग व्‍यापक तौर पर इस विधेयक का समर्थन करते हैं। उनकी निजी और सार्वजनिक टिप्‍पणियां इस दिशा मे हैं, किंतु एक दिग्‍भ्रमित के रूप में राष्‍ट्रीय पार्टी भारत की जनता से अपनी विरक्ति बढ़ा रही है। नया भारत एक बदला हुआ भारत है। केवल कांग्रेस ही इसे महसूस नहीं करती है। कांग्रेस नेतृत्‍व पतन की ओर अग्रसर है।

मन की बात 2.0’ की पहली कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ (30.06.2019)

30 June 2019
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। एक लम्बे अंतराल के बाद, फिर से एक बार, आप सबके बीच, ‘मन की बात’, जन की बात, जन-जन की बात, जन-मन की बात इसका हम सिलसिला प्रारम्भ कर रहे हैं। चुनाव की आपाधापी में व्यस्तता तो बहुत थी लेकिन ‘मन की बात’का जो मजा है, वो गायब था। एक कमी महसूस कर रहा था। अपनों के बीच बैठ के, हल्के-फुल्के माहौल में, 130 करोड़ देशवासियों के परिवार के एक स्वजन के रूप में, कई बातें सुनते थे, दोहराते थे और कभी-कभी अपनी ही बातें, अपनों के लिए प्रेरणा बन जाती थी। आप कल्पना कर सकते हैं कि ये बीच का कालखण्ड गया होगा, कैसा गया होगा। रविवार, आख़िरी रविवार - 11 बजे, मुझे भी लगता था कि अरे, कुछ छूट गया – आपको भी लगता था ना ! जरुर लगता होगा। शायद, ये कोई निर्जीव कार्यक्रम नहीं था। इस कार्यक्रम में जीवन्तता थी, अपनापन था, मन का लगाव था, दिलों का जुड़ाव था, और इसके कारण, बीच का जो समय गया, वो समय बहुत कठिन लगा मुझे। मैं हर पल कुछ miss कर रहा था और जब मैं ‘मन की बात’ करता हूँ तब, बोलता भले मैं हूँ, शब्द शायद मेरे हैं, आवाज़ मेरी है, लेकिन, कथा आपकी है, पुरुषार्थ आपका है, पराक्रम आपका है। मैं तो सिर्फ, मेरे शब्द, मेरी वाणी का उपयोग करता था और इसके कारण मैं इस कार्यक्रम को नहीं आपको miss कर रहा था।एक खालीपन महसूस कर रहा था।एक बार तो मन कर गया था कि चुनाव समाप्त होते ही तुरंत ही आपके बीच ही चला आऊँ। लेकिन फिर लगा – नहीं, वो Sunday वाला क्रम बना रहना चाहिये। लेकिन इस Sunday ने बहुत इंतज़ार करवाया।खैर, आखिर मौक़ा मिल ही गया है। एक पारिवारिक माहौल में ‘मन की बात’, छोटी-छोटी,हल्की-फुल्की, समाज, जीवन में, जो बदलाव का कारण बनती है एक प्रकार से उसका ये सिलसिला, एक नये spirit को जन्म देता हुआ और एक प्रकार से New India के spirit को सामर्थ्य देता हुआ ये सिलसिला आगे बढ़े।
कई सारे सन्देश पिछले कुछ महीनों में आये हैं जिसमें लोगों ने कहा कि वो ‘मन की बात’ को miss कर रहे हैं। जब मैं पढता हूँ, सुनता हूँ मुझे अच्छा लगता है। मैं अपनापन महसूस करता हूँ। कभी-कभी मुझे ये लगता है कि ये मेरी स्व से समष्टि की यात्रा है।ये मेरी अहम से वयम की यात्रा है।मेरे लिए आपके साथ मेरा ये मौन संवाद एक प्रकार से मेरी spiritual यात्रा की अनुभूति का भी अंश था। कई लोगों ने मुझे चुनाव की आपाधापी में, मैं केदारनाथ क्यों चला गया, बहुत सारे सवाल पूछे हैं। आपका हक़ है, आपकी जिज्ञासा भी मैं समझ सकता हूँ और मुझे भी लगता है कि कभी मेरे उन भावों को आप तक कभी पहुँचाऊँ,लेकिन, आज मुझे लगता है कि अगर मैं उस दिशा में चल पड़ूंगा तो शायद ‘मन की बात’ का रूप ही बदल जाएगा और इसलिए चुनाव की इस आपाधापी, जय-पराजय के अनुमान, अभी पोलिंग भी बाकी था और मैं चल पड़ा। ज्यादातर लोगों ने उसमें से राजनीतिक अर्थ निकाले हैं।मेरे लिये, मुझसे मिलने का वो अवसर था। एक प्रकार से मैं, मुझे मिलने चला गया था। मैं और बातें तो आज नहीं बताऊंगा, लेकिन इतना जरुर करूँगा कि ‘मन की बात’ के इस अल्पविराम के कारण जो खालीपन था, केदार की घाटी में, उस एकांत गुफा में, शायद उसने कुछ भरने का अवसर जरूर दिया था। बाकी आपकी जिज्ञासा है - सोचता हूँ कभी उसकी भी चर्चा करूँगा। कब करूँगा मैं नहीं कह सकता, लेकिन करूँगा जरुर, क्योंकि आपका मुझ पर हक़ बनता है।जैसे केदार के विषय में लोगों ने जानने की इच्छा व्यक्त की है, वैसे एक सकारात्मक चीजों को बल देने का आपका प्रयास, आपकी बातों में लगातार मैं महसूस करता हूँ।‘मन की बात’ के लिए जो चिट्ठियाँ आती हैं, जो input प्राप्त होते हैं वो routine सरकारी कामकाज से बिल्कुल अलग होते हैं। एक प्रकार से आपकी चिट्ठी भी मेरे लिये कभी प्रेरणा का कारण बन जाती है तो कभी ऊर्जा का कारण बन जाती है। कभी-कभी तो मेरी विचार प्रक्रिया को धार देने का काम आपके कुछ शब्द कर देते हैं।लोग, देश और समाज के सामने खड़ी चुनौतियों को सामने रखते हैं तो उसके साथ-साथ समाधान भी बताते हैं। मैंने देखा है कि चिट्ठियों में लोग समस्याओं का तो वर्णन करते ही हैं लेकिन ये भी विशेषता है कि साथ-साथ, समाधान का भी, कुछ-न-कुछ सुझाव, कुछ-न-कुछ कल्पना, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में प्रगट कर देते हैं। अगर कोई स्वच्छता के लिए लिखता है तो गन्दगी के प्रति उसकी नाराजगी तो जता रहा है लेकिन स्वच्छता के प्रयासों की सराहना भी करता है। कोई पर्यावरण की चर्चा करता है तो उसकी पीड़ा तो महसूस होती है, लेकिन साथ-साथ उसने, ख़ुद ने जो प्रयोग किये हैं वो भी बताता है - जो प्रयोग उसने देखे हैं वो भी बताता है और जो कल्पनायें उसके मन में हैं वो भी चित्रित करता है। यानी एक प्रकार से समस्याओं का समाधान समाजव्यापी कैसे हो, इसकी झलक आपकी बातों में मैं महसूस करता हूँ। ‘मन की बात’ देश और समाज के लिए एक आईने की तरह है। ये हमें बताता है कि देशवासियों के भीतर अंदरूनी मजबूती, ताकत और talent की कोई कमी नहीं है। जरुरत है, उन मजबूतियों और talent को समाहित करने की, अवसर प्रदान करने की, उसको क्रियान्वित करने की। ‘मन की बात’ ये भी बताता है कि देश की तरक्की में सारे 130 करोड़ देशवासी मजबूती और सक्रियता से जुड़ना चाहते हैं और मैं एक बात जरुर कहूँगा कि‘मन की बात’ में मुझे इतनी चिट्ठियाँ आती हैं, इतने टेलीफोन call आते हैं, इतने सन्देश मिलते हैं, लेकिन शिकायत का तत्व बहुत कम होता है और किसी ने कुछ माँगा हो, अपने लिए माँगा हो, ऐसी तो एक भी बात, गत पांच वर्ष में, मेरे ध्यान में नहीं आयी है। आप कल्पना कर सकते हैं, देश के प्रधानमंत्री को कोई चिट्ठी लिखे, लेकिन ख़ुद के लिए कुछ मांगे नहीं, ये देश के करोड़ों लोगों की भावना कितनी ऊँची होगी।मैं जब इन चीजों को analysis करता हूँ – आप कल्पना कर सकते हैं मेरे दिल को कितना आनंद आता होगा, मुझे कितनी ऊर्जा मिलती होगी। आपको कल्पना नहीं है कि आप मुझे चलाते हैं, आप मुझे दौड़ाते हैं, आप मुझे पल-पल प्राणवान बनाते रहते हैं और यही नाता मैं कुछ miss करता था। आज मेरा मन खुशियों से भरा हुआ है। जब मैंने आखिर में कहा था कि हम तीन-चार महीने के बाद मिलेंगे, तो लोगों ने उसके भी राजनीतिक अर्थ निकाले थे और लोगों ने कहा कि अरे ! मोदी जी का कितना confidence है, उनको भरोसा है।Confidence मोदी का नहीं था - ये विश्वास, आपके विश्वास के foundation का था। आप ही थे जिसने विश्वास का रूप लिया था और इसी के कारण सहज रूप से आख़िरी ‘मन की बात’ में मैंने कह दिया था कि मैं कुछ महीनों के बाद फिर आपके पास आऊँगा।Actually मैं आया नहीं हूँ - आपने मुझे लाया है, आपने ही मुझे बिठाया है और आपने ही मुझे फिर से एक बार बोलने का अवसर दिया है। इसी भावना के साथ चलिए ‘मन की बात’ का सिलसिला आगे बढ़ाते हैं।
जब देश में आपातकाल लगाया गया तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा था, राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था, जेल के सलाखों तक, आन्दोलन सिमट नहीं गया था। जन-जन के दिल में एक आक्रोश था। खोये हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी। दिन-रात जब समय पर खाना खाते हैं तब भूख क्या होती है इसका पता नहीं होता है वैसे ही सामान्य जीवन में लोकतंत्र के अधिकारों की क्या मज़ा है वो तो तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेता है।आपातकाल में, देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है। जिसका उसने जीवन में कभी उपयोग नहीं किया था वो भी अगर छिन गया है तो उसका एक दर्द, उसके दिल में था और ये इसलिए नहीं था कि भारत के संविधान ने कुछ व्यवस्थायें की हैं जिसके कारण लोकतंत्र पनपा है।समाज व्यवस्था को चलाने के लिए, संविधान की भी जरुरत होती है, कायदे, कानून, नियमों की भी आवश्यकता होती है, अधिकार और कर्तव्य की भी बात होती है लेकिन, भारत गर्व के साथ कह सकता है कि हमारे लिए, कानून नियमों से परे लोकतंत्र हमारे संस्कार हैं, लोकतंत्र हमारी संस्कृति है, लोकतंत्र हमारी विरासत है और उस विरासत को लेकरके हम पले-बड़े लोग हैं और इसलिए उसकी कमी देशवासी महसूस करते हैं और आपातकाल में हमने अनुभव किया था और इसीलिए देश, अपने लिए नहीं, एक पूरा चुनाव अपने हित के लिए नहीं, लोकतंत्र की रक्षा के लिए आहूत कर चुका था। शायद, दुनिया के किसी देश में वहाँ के जन-जन ने, लोकतंत्र के लिए, अपने बाकी हकों की, अधिकारों की,आवश्यकताओं की, परवाह ना करते हुए सिर्फ लोकतंत्र के लिए मतदान किया हो,तो ऐसा एक चुनाव, इस देश ने 77 (सतत्तर) में देखा था। हाल ही में लोकतंत्र का महापर्व, बहुत बड़ा चुनाव अभियान, हमारे देश में संपन्न हुआ। अमीर से लेकर ग़रीब, सभी लोग इस पर्व में खुशी से हमारे देश के भविष्य का फैसला करने के लिए तत्पर थे।
जब कोई चीज़ हमारे बहुत करीब होती है तो हम उसके महत्व को underestimate कर देते हैं, उसके amazing facts भी नजरअंदाज हो जाते हैं। हमें जो बहुमूल्य लोकतंत्र मिला है उसे हम बहुत आसानी से granted मान लेते हैं लेकिन, हमें स्वयं को यह याद दिलाते रहना चाहिए कि हमारा लोकतंत्र बहुत ही महान है और इस लोकतंत्र को हमारी रगों में जगह मिली है - सदियों की साधना से, पीढ़ी-दर-पीढ़ी के संस्कारों से, एक विशाल व्यापक मन की अवस्था से। भारत में, 2019 के लोकसभा चुनाव में, 61 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिया,sixty oneCrore। यह संख्या हमें बहुत ही सामान्य लग सकती है लेकिन अगर दुनिया के हिसाब से मैं कहूँ अगर एक चीन को हम छोड़ दे तो भारत में दुनिया के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा लोगों ने voting किया था।जितने मतदाताओं ने 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट दिया, उनकी संख्या अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है, करीब दोगुनी है। भारत में कुल मतदाताओं की जितनी संख्या है वह पूरे यूरोप की जनसंख्या से भी ज्यादा है। यह हमारे लोकतंत्र की विशालता और व्यापकता का परिचय कराती है। 2019 का लोकसभा का चुनाव अब तक के इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव था। आप कल्पना कर सकते हैं, इस प्रकार के चुनाव संपन्न कराने में कितने बड़े स्तर पर संसाधनों और मानवशक्ति की आवश्यकता हुई होगी। लाखों शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों की दिन-रात मेहनत से चुनाव संभव हो गया।लोकतंत्र के इस महायज्ञ को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए जहाँ अर्द्धसैनिक बलों के करीब 3 लाख सुरक्षाकर्मियों ने अपना दायित्व निभाया,वहीँ अलग-अलग राज्यों के 20 लाख पुलिसकर्मियों ने भी, परिश्रम की पराकाष्ठा की। इन्हीं लोगों की कड़ी मेहनत के फलस्वरूप इस बार पिछली बार से भी अधिक मतदान हो गया। मतदान के लिए पूरे देश में करीब 10 लाख polling station, करीब 40 लाख से ज्यादा ईवीएम (EVM) मशीन, 17 लाख से ज्यादा वीवीपैट (VVPAT) मशीन, आप कल्पना कर सकते हैं कितना बड़ा ताम-झाम। ये सब इसलिए किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके, कि कोई मतदाता अपने मताधिकार से वंचित ना हो। अरुणाचल प्रदेश के एक रिमोट इलाके में, महज एक महिला मतदाता के लिए polling station बनाया गया। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि चुनाव आयोग के अधिकारियों को वहाँ पहुँचने के लिए दो-दो दिन तक यात्रा करनी पड़ी - यही तो लोकतंत्र का सच्चा सम्मान है। दुनिया में सबसेज्यादा ऊंचाई पर स्थित मतदान केंद्र भी भारत में ही है। यह मतदान केंद्र हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्फिति क्षेत्र में 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसके अलावा, इस चुनाव में गर्व से भर देने वाला एक और तथ्य भी है। शायद,इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि महिलाओं ने पुरुषों की तरह ही उत्साह से मतदान किया है। इस चुनाव में महिलाओं और पुरुषों का मतदान प्रतिशत करीब-करीब बराबर था। इसी से जुड़ा एक और उत्साहवर्धक तथ्य यह है कि आज संसद में रिकॉर्ड 78 (seventy eight) महिला सांसद हैं। मैं चुनाव आयोग को, और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को, बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और भारत के जागरूक मतदाताओं को नमन करता हूँ।
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने कई बार मेरे मुहँ से सुना होगा, ‘बूके नहीं बुक’, मेरा आग्रह था कि क्या हम स्वागत-सत्कार में फूलों के बजाय किताबें दे सकते हैं। तब से काफ़ी जगह लोग किताबें देने लगे हैं। मुझे हाल ही में किसी ने ‘प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियाँ’ नाम की पुस्तक दी। मुझे बहुत अच्छा लगा। हालांकि, बहुत समय तो नहीं मिल पाया, लेकिन प्रवास के दौरान मुझे उनकी कुछ कहानियाँ फिर से पढ़ने का मौका मिल गया। प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में समाज का जो यथार्थ चित्रण किया है, पढ़ते समय उसकी छवि आपके मन में बनने लगती है। उनकी लिखी एक-एक बात जीवंत हो उठती है। सहज, सरल भाषा में मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने वाली उनकी कहानियाँ मेरे मन को भी छू गई। उनकी कहानियों में समूचे भारत का मनोभाव समाहित है। जब मैं उनकी लिखी ‘नशा’ नाम की कहानी पढ़ रहा था, तो मेरा मन अपने-आप ही समाज में व्याप्त आर्थिक विषमताओं पर चला गया। मुझे अपनी युवावस्था के दिन याद आ गए कि कैसे इस विषय पर रात-रात भर बहस होती थी। जमींदार के बेटे ईश्वरी और ग़रीब परिवार के बीर की इस कहानी से सीख मिलती है कि अगर आप सावधान नहीं हैं तो बुरी संगति का असर कब चढ़ जाता है, पता ही नहीं लगता है। दूसरी कहानी, जिसने मेरे दिल को अंदर तक छू लिया, वह थी ‘ईदगाह’, एक बालक की संवेदनशीलता, उसका अपनी दादी के लिए विशुद्ध प्रेम, उतनी छोटी उम्र में इतना परिपक्व भाव। 4-5 साल का हामिद जब मेले से चिमटा लेकर अपनी दादी के पास पहुँचता है तो सच मायने में, मानवीय संवेदना अपने चरम पर पहुँच जाती है। इस कहानी की आखिरी पंक्ति बहुत ही भावुक करने वाली है क्योंकि उसमें जीवन की एक बहुत बड़ी सच्चाई है, “बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था – बुढ़िया अमीना, बालिका अमीना बन गई थी।”
ऐसी ही एक बड़ी मार्मिक कहानी है ‘पूस की रात’। इस कहानी में एक ग़रीब किसान जीवन की विडंबना का सजीव चित्रण देखने को मिला। अपनी फसल नष्ट होने के बाद भी हल्दू किसान इसलिए खुश होता है क्योंकि अब उसे कड़ाके की ठंड में खेत में नहीं सोना पड़ेगा। हालांकि ये कहानियाँ लगभग सदी भर पहले की हैं लेकिन इनकी प्रासंगिकता, आज भी उतनी ही महसूस होती है। इन्हें पढ़ने के बाद, मुझे एक अलग प्रकार की अनुभूति हुई।
जब पढ़ने की बात हो रही है, तभी किसी मीडिया में, मैं केरल की अक्षरा लाइब्ररी के बारे में पढ़ रहा था। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये लाइब्रेरी इडुक्की(Idukki) के घने जंगलों के बीच बसे एक गाँव में है। यहाँ के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पी.के. मुरलीधरन और छोटी सी चाय की दुकान चलाने वाले पी.वी. चिन्नाथम्पी, इन दोनों ने, इस लाइब्रेरी के लिए अथक परिश्रम किया है। एक समय ऐसा भी रहा, जब गट्ठर में भरकर और पीठ पर लादकर यहाँ पुस्तकें लाई गई। आज ये लाइब्ररी, आदिवासी बच्चों के साथ हर किसी को एक नई राह दिखा रही है।
गुजरात में वांचे गुजरात अभियान एक सफल प्रयोग रहा। लाखों की संख्या में हर आयु वर्ग के व्यक्ति ने पुस्तकें पढ़ने के इस अभियान में हिस्सा लिया था।आज की digital दुनिया में, Google गुरु के समय में, मैं आपसे भी आग्रह करूँगा कि कुछ समय निकालकर अपने daily routine में किताब को भी जरुर स्थान दें। आप सचमुच में बहुत enjoy करेंगे और जो भी पुस्तक पढ़े उसके बारे में NarendraModi App पर जरुर लिखें ताकि ‘मन की बात’ के सारे श्रोता भी उसके बारे में जान पायेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे इस बात की ख़ुशी है कि हमारे देश के लोग उन मुद्दों के बारे में सोच रहे हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी बड़ी चुनौती है। मैं NarendraModi App और Mygov पर आपके Comments पढ़ रहा था और मैंने देखा कि पानी की समस्या को लेकर कई लोगों ने बहुत कुछ लिखा है। बेलगावी (Belagavi)के पवन गौराई, भुवनेश्वर के सितांशू मोहन परीदा इसके अलावा यश शर्मा, शाहाब अल्ताफ और भी कई लोगों ने मुझे पानी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में लिखा है। पानी का हमारी संस्कृति में बहुत बड़ा महत्व है। ऋग्वेद के आपः सुक्तम् में पानी के बारे में कहा गया है :
आपो हिष्ठा मयो भुवः, स्था न ऊर्जे दधातन, महे रणाय चक्षसे,
यो वः शिवतमो रसः, तस्य भाजयतेह नः, उषतीरिव मातरः।

अर्थात, जल ही जीवन दायिनी शक्ति, ऊर्जा का स्त्रोत है। आप माँ के समान यानि मातृवत अपना आशीर्वाद दें। अपनी कृपा हम पर बरसाते रहें। पानी की कमी से देश के कई हिस्से हर साल प्रभावित होते हैं। आपको आश्चर्य होगा कि साल भर में वर्षा से जो पानी प्राप्त होता है उसका केवल 8% हमारे देश में बचाया जाता है। सिर्फ-सिर्फ 8% अब समय आ गया है इस समस्या का समाधान निकाला जाए। मुझे विश्वास है, हम दूसरी और समस्याओं की तरह ही जनभागीदारी से, जनशक्ति से, एक सौ तीस करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य, सहयोग और संकल्प से इस संकट का भी समाधान कर लेंगे। जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है। इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे। कुछ दिन पहले मैंने कुछ अलग करने का प्रयास किया। मैंने देश भर के सरपंचों को पत्र लिखा ग्राम प्रधान को। मैंने ग्राम प्रधानों को लिखा कि पानी बचाने के लिए, पानी का संचय करने के लिए, वर्षा के बूंद-बूंद पानी बचाने के लिए, वे ग्राम सभा की बैठक बुलाकर, गाँव वालों के साथ बैठकर के विचार-विमर्श करें। मुझे प्रसन्नता है कि उन्होंने इस कार्य में पूरा उत्साह दिखाया है और इस महीने की 22 तारीख को हजारों पंचायतों में करोड़ों लोगों ने श्रमदान किया। गाँव-गाँव में लोगों ने जल की एक-एक बूंद का संचय करने का संकल्प लिया।
आज, ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मैं आपको एक सरपंच की बात सुनाना चाहता हूँ। सुनिए झारखंड के हजारीबाग जिले के कटकमसांडी ब्लॉक की लुपुंग पंचायत के सरपंच ने हम सबको क्या सन्देश दिया है।
“मेरा नाम दिलीप कुमार रविदास है।पानी बचाने के लिए जब प्रधानमंत्री जी ने हमें चिट्ठी लिखी तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ कि प्रधानमंत्री ने हमें चिट्ठी लिखी है। जब हमने 22 तारीख को गाँव के लोगों को इकट्ठा करके, प्रधानमंत्री कि चिट्ठी पढ़कर सुनाई तो गाँव के लोग बहुत उत्साहित हुए और पानी बचाने के लिए तालाब की सफाई और नया तालाब बनाने के लिए श्रम-दान करके अपनी अपनी भागीदारी निभाने के लिए तैयार हो गए। बारिश से पहले यह उपाय करके आने वाले समय में हमें पानी कि कमी नहीं होगी। यह अच्छा हुआ कि हमारे प्रधानमंत्री ने हमें ठीक समय पर आगाह कर दिया।”
बिरसा मुंडा की धरती, जहाँ प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहना संस्कृति का हिस्सा है। वहाँ के लोग, एक बार फिर जल संरक्षण के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। मेरी तरफ से, सभी ग्राम प्रधानों को, सभी सरपंचों को, उनकी इस सक्रियता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनायें। देशभर में ऐसे कई सरपंच हैं, जिन्होंने जल संरक्षण का बीड़ा उठा लिया है। एक प्रकार से पूरे गाँव का ही वो अवसर बन गया है। ऐसा लग रहा है कि गाँव के लोग, अब अपने गाँव में, जैसे जल मंदिर बनाने के स्पर्धा में जुट गए हैं। जैसा कि मैंने कहा, सामूहिक प्रयास से बड़े सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। पूरे देश में जल संकट से निपटने का कोई एक फ़ॉर्मूला नहीं हो सकता है। इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग तरीके से, प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन सबका लक्ष्य एक ही है, और वह है पानी बचाना, जल संरक्षण।
पंजाब में drainage lines को ठीक किया जा रहा है। इस प्रयास से water logging की समस्या से छुटकारा मिल रहा है। तेलंगाना के Thimmaipalli (थिमाईपल्ली) में टैंक के निर्माण से गाँवों के लोगों की जिंदगी बदल रही है। राजस्थान के कबीरधाम में, खेतों में बनाए गए छोटे तालाबों से एक बड़ा बदलाव आया है। मैं तमिलनाडु के वेल्लोर (Vellore)में एक सामूहिक प्रयास के बारे में पढ़ रहा था जहाँ नागनदी (Naagnadhi)को पुनर्जीवित करने के लिए 20 हजार महिलाएँ एक साथ आई। मैंने गढ़वाल की उन महिलाओं के बारे में भी पढ़ा है, जो आपस में मिलकर rainwater harvesting पर बहुत अच्छा काम कर रही हैं। मुझे विश्वास है कि इस प्रकार के कई प्रयास किये जा रहे हैं और जब हम एकजुट होकर, मजबूती से प्रयास करते हैं तो असम्भव को भी सम्भव कर सकते हैं। जब जन-जन जुड़ेगा, जल बचेगा। आज ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं देशवासियों से 3 अनुरोध कर रहा हूँ।
मेरा पहला अनुरोध है – जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया। आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें। हम सब साथ मिलकर पानी की हर बूंद को बचाने का संकल्प करें और मेरा तो विश्वास है कि पानी परमेश्वर का दिया हुआ प्रसाद है, पानी पारस का रूप है। पहले कहते थे कि पारस के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है। मैं कहता हूँ, पानी पारस है और पारस से, पानी के स्पर्श से, नवजीवन निर्मित हो जाता है। पानी की एक-एक बूंद को बचाने के लिए एक जागरूकता अभियान की शुरुआत करें। इसमें पानी से जुड़ी समस्याओं के बारे में बतायें, साथ ही, पानी बचाने के तरीकों का प्रचार-प्रसार करें। मैं विशेष रूप से अलग-अलग क्षेत्र की हस्तियों से, जल संरक्षण के लिए,innovative campaigns का नेतृत्व करने का आग्रह करता हूँ। फिल्म जगत हो, खेल जगत हो, मीडिया के हमारे साथी हों, सामाजिक संगठनों से जुड़ें हुए लोग हों, सांस्कृतिक संगठनों से जुड़ें हुए लोग हों, कथा-कीर्तन करने वाले लोग हों, हर कोई अपने-अपने तरीके से इस आंदोलन का नेतृत्व करें। समाज को जगायें, समाज को जोड़ें, समाज के साथ जुटें। आप देखिये, अपनी आंखों के सामने हम परिवर्तन देख पायेंगें।
देशवासियों से मेरा दूसरा अनुरोध है। हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कईपारंपरिकतौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं। मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को share करने का आग्रह करता हूँ। आपमें से किसी को अगर पोरबंदर,पूज्य बापू के जन्म स्थान पर जाने का मौका मिला होगा तो पूज्य बापू के घर के पीछे ही एक दूसरा घर है, वहाँ पर, 200 साल पुराना पानी काटांका(Water Storage Tank) है और आज भी उसमें पानी है और बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था है, तो मैं, हमेशा कहता था कि जो भी कीर्ति मंदिर जायें वो उस पानी के टांके को जरुर देखें। ऐसे कई प्रकार के प्रयोग हर जगह पर होंगे।
आप सभी से मेरा तीसरा अनुरोध है। जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों का, स्वयं सेवी संस्थाओं का, और इस क्षेत्र में काम करने वाले हर किसी का, उनकी जो जानकारी हो, उसे आप share करें ताकि एक बहुत ही समृद्ध पानी के लिए समर्पित, पानी के लिए सक्रिय संगठनों का, व्यक्तियों का, एक database बनाया जा सके। आइये, हम जल संरक्षण से जुड़ें ज्यादा से ज्यादा तरीकों की एक सूची बनाकर लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करें। आप सभी #JanShakti4JalShaktiहैशटैग का उपयोग करके अपना content share कर सकते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे और एक बात के लिए भी आपका आभार व्यक्त करना है और दुनिया के लोगों का भी आभार व्यक्त करना है। 21, जून को फिर से एक बार योग दिवस में जिस सक्रियता के साथ, उमंग के साथ, एक-एक परिवार के तीन-तीन चार-चार पीढ़ियाँ,एक साथ आ करके योग दिवस को मनाया।Holistic Health Care के लिए जो जागरूकता आई है उसमें योग दिवस का माहात्म्य बढ़ता चला जा रहा है। हर कोई, विश्व के हर कोने में, सूरज निकलते ही अगर कोई योग प्रेमी उसका स्वागत करता है तो सूरज ढ़लते की पूरी यात्रा है। शायद ही कोई जगह ऐसी होगी, जहाँ इंसान हो और योग के साथ जुड़ा हुआ न हो, इतना बड़ा, योग ने रूप ले लिया है। भारत में, हिमालय से हिन्द महासागर तक, सियाचिन से लेकर सबमरीन तक, air-force से लेकर aircraft carriers तक, AC gyms से लेकर तपते रेगिस्तान तक, गांवो से लेकर शहरों तक – जहां भी संभव था, ऐसी हर जगह पर ना सिर्फ योग किया गया, बल्कि इसे सामूहिक रूप से celebrate भी किया गया।
दुनिया के कई देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, जानी-मानी हस्तियों,सामान्य नागरिकों ने मुझे twitter पर दिखाया कि कैसे उन्होंने अपने-अपने देशों में योग मनाया। उस दिन, दुनिया एक बड़े खुशहाल परिवार की तरह लग रही थी।
हम सब जानते हैं कि एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए स्वस्थ और संवेदनशील व्यक्तियों की आवश्यकता होती है और योग यही सुनिश्चित करता है। इसलिए योग का प्रचार-प्रसार समाज सेवा का एक महान कार्य है। क्या ऐसी सेवा को मान्यता देकर उसे सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए? वर्ष 2019 में योग के promotion और development में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए Prime Minister’s Awards की घोषणा, अपने आप में मेरे लिए एक बड़े संतोष की बात थी।यह पुरस्कार दुनिया भर के उन संगठनों को दिया गया है जिसके बारे में आपने कल्पना तक नहीं की होगी कि उन्होंने कैसे योग के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। उदाहरण के लिए, ‘जापान योग निकेतन’ को लीजिए, जिसने योग को,पूरे जापान में लोकप्रिय बनाया है।‘जापानयोग निकेतन’ वहां के कई institute और training courses चलाता है या फिर इटली की Ms. Antonietta Rozzi उन्हीं का नाम ले लीजिए, जिन्होंने सर्व योग इंटरनेशनल की शुरुआत की और पूरे यूरोप में योग का प्रचार-प्रसार किया। ये अपने आप में प्रेरक उदाहरण हैं। अगर यह योग से जुड़ा विषय है, तो क्या भारतीय इसमें पीछे रह सकते हैं? बिहार योग विद्यालय, मुंगेर उसको भी सम्मानित किया गया, पिछले कई दशकों से, योग को समर्पित है। इसी प्रकार, स्वामी राजर्षि मुनि को भी सम्मानित किया गया। उन्होंने life mission और lakulish yoga university की स्थापना की। योग का व्यापक celebration और योग का सन्देश घर-घर पहुँचाने वालों का सम्मान दोनों ने ही इस योग दिवस को खास बना दिया।
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारी यह यात्रा आज आरम्भ हो रही है। नये भाव, नई अनुभूति, नया संकल्प, नया सामर्थ्य, लेकिन हाँ, मैं आपके सुझावों की प्रतीक्षा करता रहूँगा। आपके विचारों से जुड़ना मेरे लिए एक बहुत बड़ी महत्वपूर्ण यात्रा है।‘मन की बात’ तो निमित्त है। आइये हम मिलते रहे, बातें करते रहे। आपके भावों को सुनता रहूँ, संजोता रहूँ, समझता रहूँ। कभी-कभी उन भावों को जीने का प्रयास करता रहूँ। आपके आशीर्वाद बने रहें। आप ही मेरी प्रेरणा है, आप ही मेरी ऊर्जा है। आओ मिल बैठ करके ‘मन की बात’ का मजा लेते-लेते जीवन की जिम्मेदारियों को भी निभाते चलें। फिर एक बार अगले महीने ‘मन की बात’ के लिए फिर से मिलेंगें। आप सब को मेरा बहुत-बहुत धन्यवाद।

नमस्कार।

प्रधानमंत्री मोदी ने दिया साल 2019 का अपना पहला इंटरव्यू
देखिए क्या कहा मोदी ने जानते हैं इस स्पेशल इंटरव्यू की खास बाते

1 January 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 का अपना पहला इंटरव्यू साल के पहले दिन दिया। प्रधानमंत्री ने राम मंदिर पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि राम मंदिर पर सरकार कोई अध्यादेश नहीं लाएगी। कानूनी प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद ही सरकार कोई कदम उठाएगी। पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके वकीलों ने इस मुद्दे को भटकाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस 70 साल से इस मुद्दे को लटकाए हुए है। वहीं पाकिस्तान से जुड़े सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि एक लड़ाई में पाकिस्तान नहीं सुधरनेवाला है। पाकिस्तान के सुधरने में अभी वक्त लगेगा। पीएम मोदी ने कहा कि उरी हमले के बाद मैं बहुत बेचैन हो गया था। 2014 में प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद मन की बात के जरिए देश की जनता से संवाद स्थापित करने के साथ ही बीच में वे इंटरव्यू के जरिए भी अपनी बात लोगों तक पहुंचाते रहे हैं। आज का इंटरव्यू इसलिए भी अहम माना जा रहा कि अब लोकसभा चुनाव में चंद महीने ही बाकी रह गए हैं। विपक्ष की तरफ से खासतौर पर राहुल गांधी की तरफ से लगातार सरकार पर हमले किए जा रहे हैं। राफेल को लेकर राहुल लगातार पीएम मोदी को निशाना बना रहे हैं। पीएम मोदी करीब डेढ़ घंटे के इंटरव्यू में 40 सवालों का जवाब देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल डील, सर्जिकल स्ट्राइक और विदेश दौरों समेत कई मुद्दों पर सवालों के जवाब दिए हैं। इसके साथ ही पिछले साढ़े चार साल में केंद्र सरकार की उपलब्धियों से जुड़े सवालों का जवाब भी दिया।
क्या कहा पीएम मोदी ने-
# यह फैसला मैं जनता पर छोड़ता हूं कि उन्हें मेरा काम अच्छा लगा या नहीं, मुझे बतौर पीएम अपना काम काफी अच्छा लगा। मुझे हर काम में आनंद आया है, मैं खुश होकर काम करता हूं: पीएम मोदी
# सर्जिकल स्ट्राइक की तारीख 2 बार बदली गई, सर्जिकल स्ट्राइक बहुत बड़ा जोखिम था, कार्रवाई के लिए मैंने सेना को खूली छूट दी: पीएम मोदी
# अंतरराष्ट्रीय फोरम काफी हो गए हैं लेकिन पीएम से निचले स्तर का व्यक्ति जाता है तो उसकी चर्चा नहीं होती। पहले ऐसा होता था कि जब कोई जाता था तो पता भी नहीं चलता था, मेरा ऐसा नहीं है, मैं जाता हूं तो सबसे मिलता हूं, काम करता हूं तो लोगों को पता चलता है: पीएम मोदी
# सेना के अफसरों ने यह जानकारी दी, डिटेल रिपोर्ट दी, बात वहीं खत्म हो गई लेकिन कुछ लोगों ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने शुरू कर दिए, पाकिस्तान के लिए ऐसा करना जरूरी था लेकिन उसी समय हमारे कुछ नेताओं ने भी ऐसा करना शुरू कर दिया, उसी समय सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण शुरू हो गया था: पीएम मोदी
# सर्जिकल स्ट्राइक पर सियासत न हो, सर्जिकल स्ट्राइक पर अनाप शनाप बोलना गलत था, सेना के गौरव गान को राजनीतिकीकरण कहना गलत: पीएम मोदी
# राफेल डील में मुझ पर कोई आरोप नहीं है, राफेल पर मैंने हमेशा खुलकर बोला है, राफेल पर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आ चुका है, राहुल गांधी पत्थर मारकर ना भागे, उनको बार-बार राफेल बोलने की बीमारी है: राफेल डील पर बोले पीएम मोदी
# बीजेपी ऊंची जाति वालों की पार्टी नहीं, प्रधानमंत्री की जाति सब जानते हैं, बीजेपी में SC समाज के सबसे ज्यादा सांसद: पीएम मोदी
# हमारे साथी दल भी ताकतवर बनान चाहते हैं, जो हमसे जुड़ता है फलता-फूलता है, पूर्ण बहुमत के बाद भी गठबंधन धर्म निभाया: उद्धव ठाकरे पर बोले पीएम मोदी
# भारत की जनता चुनाव की दशा निर्धारित करेगी, एजेंडा तय करेगी, यह चुनाव देश की जनता बनाम गठबंधन के बीच है, मोदी तो जनता के प्यार और विश्वास का प्रतीक है: पीएम मोदी
# मायावती के एनडीए में जाने पर बोले पीएम मोदी- कौन किसके साथ जाएगा टीवी पर नहीं बता सकता
# महागठबंधन खुद को बचाने वाले नेताओं का गुट है, महागठबंधन का टारगेट सिर्फ मोदी है, महागठबंधन के नेता सिर्फ मोदी को गाली देते है। विपक्षी दल खुद को बचाने के लिए सहारा ढूंढ रहे हैं: पीएम मोदी
# तीन तलाक धार्मिक मसला नहीं है, यह समानता का मामला है। दुनिया के कई मुस्लिम देशों में तीन तलाक पर कानूनन रोक है, पाकिस्तान में भी तीन तलाक पर पाबंदी है: ट्रिपल तलाक पर बोले पीएम मोदी
# केरल में, कर्नाटक में, जम्मू में, असम में हमारे कार्यकर्ताओं को मारा गया, यह सिर्फ मेरी पार्टी का नहीं बल्कि सभी पार्टियों के लिए सोचने का विषय है: पीएम मोदी
# हम पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का शिकार हुए, चुनाव में हमारे लोगों को मारा गया, हिंसा की राजनीति लोकतंत्र के लिए सही नहीं: पीएम मोदी
# हम धर्म पूछकर गांव में बिजली नहीं पहुंचाते, धर्म देखकर उज्जवला का कनेक्शन नहीं देते, दूसरे की भावना का भी ख्याल रखा जाए: पीएम मोदी
# मॉब लिंचिंग सभ्य समाज को शोभा नहीं देती, मॉब लिंचिंग का समर्थन सरासर गलत है, मॉब लिंचिग की एक भी घटना गलत है: देश के मुसलमानों से बोले पीएम मोदी
# राम मंदिर का मसला सुप्रीम कोर्ट में है, संविधान के दायरे में राम मंदिर बनेगा, कांग्रेस अपने वकीलों को राम मंदिर पर रुकावट डालने से रोके: पीएम मोदी
# कर्जमाफी के बावजूद किसान कर्जदार कैसे बनता है, हमारा लक्ष्य किसान को मजबूत बनाना है, किसान को बीज से बाजार तक सुविधा देनी होगी: पीएम मोदी
# झूठ बोलना और गलत बात फैलाना, यह लॉलिपॉप है, जैसे कि उन्होंने कहा किसानों का सारा कर्ज माफ कर दिया। सच यह है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है, उनके अपने सर्कुलर देख लीजिए, उन्हें झूठ नहीं बोलना चाहिए: पीएम मोदी
# मिडिल क्लास की चिंता हमारा दायित्व है, मिडिल क्लास के लिए हमें सोच बदलनी पड़ेगी, मिडिल क्लास स्वाभिमान से जीने वाला वर्ग है। आयुष्मान भारत योजना से मिडिल क्लास को फायदा हुआ: पीएम मोदी
# जीएसटी से पहले 30-40% टैक्स था, जीएसटी के आने के बाद करों के भुगतान को आसान बनाया गया, रोजमर्रा की जरूरत वाली चीजों को सस्ता किया गया: पीएम मोदी
# GST से छोटे व्यापारियों को थोड़ी परेशानी हुई, हम उनकी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं, हम जीएसटी को लगातार सरल बना रहे है, इस पर हो-हल्ला ठीक नहीं: पीएम मोदी
# जीएसटी सर्वसम्मति से संसद में पास हुआ, टैक्स स्लैब में बदलाव जारी रहेगा: पीएम मोदी
# इस देश के भूतपूर्व वित्त मंत्री को आज कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, कानून के हिसाब से सबको चलना पड़ेगा: पीएम मोदी
# जो लोग इस सरकार के कार्यकाल में देश छोड़कर भागे हैं उन्हें आज या कल वापस जरूर लाया जाएगा। रणनीतिक प्रयास, कानूनी प्रक्रिया और संपत्तियों तो जब्त किया गया है। जिन्होंने देश का पैसा चुराया है उन्हें हर पैसे का हिसाब चुकाना होगा: पीएम मोदी
# आखिर भागना क्यों पड़ा? अगर पहले जैसी सरकार होती तो उन्हें भागना नहीं पड़ता। उन्हें भागना इसलिए पड़ा क्योंकि उन्हें पता है कि देश में रहेंगे तो कानूनों का पालन करना पड़ेगा, अब भागे हैं तो वापस लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। संपत्तियां जब्त की जा रही हैं और विदेशों में भी संपत्तियां जब्त हो रही हैं। नीतियों के जरिए भी ऐसे लोगों को वापस लाने का काम किया जा रहा है: पीएम मोदी
# कांग्रेस की संस्कृति परिवारवाद, फर्स्ट फैमिली और भ्रष्टाचार की है। मैं कहता आया हूं कि कांग्रेस को अपनी संस्कृति से बाहर आने की जरूरत है। कांग्रेस को भी कांग्रेस से मुक्ति चाहिए: पीएम मोदी
# जो लोग कहते हैं कि बीजेपी मोदी और अमित शाह के नाम पर चलती है वो लोग बीजेपी को न तो जानते हैं और न समझते हैं। बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, हर स्तर पर अलग-अलग कार्यकर्ता लगे हुए हैं इसलिए पार्टी पर लोगों का भरोसा बड़ा है, पूरे आत्मविश्वास के साथ हमारी पार्टी आगे बढ़ रही है, मॉरल डाउन होने का सवाल नहीं है: पीएम मोदी
# लोगों को गठबंधन में लाने के लिए विपक्षी नेता बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन सामान्य मानव सभी बातों को समझता है। मेरा देश के नागरिकों पर, देश के युवाओं पर भरोसा है: पीएम मोदी
# देश में मोदी लहर बरकरार है, विरोधी भी मोदी का मैजिक मानते हैं-पीएम मोदी
# छत्तीसगढ़ में साफ-साफ नतीजा आया लेकिन दो राज्यों में हंग असेंबली है..15 साल की एंटी एंकमबैंसी का असर है.. स्वभाविक है जो कमी हुई है हम उसकी चर्चा भी कर रहे हैं।
# पर्यावरण से लेकर स्पेस और स्पोर्ट्स में और खेती में देश ने नई उपलब्धि हासिल की-पीएम मोदी
# 2018 बहुत ही सफल वर्ष रहा, आयुष्मान भारत योजना में 6-7 लाख लोग लाभान्वित-पीएम मोदी
# फर्स्ट फैमिली, जिनकी चार पीढ़ियों ने देश को चलाया वो बेल पर हैं, वो भी वित्तीय अनियमितता के चलते-पीएम मोदी
# मैंने लोगों से कहा था कि कालाधन है तो सरकार को पेनाल्टी दो, लेकिन लोगों ने समझा कि मोदी भी औरों की तरह बोल रहा है-मोदी
# नोटबंदी सरकार के लिए झटका नहीं, मैंने लोगों को एक साल पहले ही सावधान कर दिया था-पीएम मोदी
# उर्जित पटेल पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं था, आरबीआई गवर्नर के तौर पर उन्होंने अच्छा काम किया-पीएम मोदी
# उर्जित पटेल ने निजी वजहों से इस्तीफा दिया था, उन्होंने अपनी इच्छा से इस्तीफा दिया था, उर्जित पटेल 6-7 महीने से मुझसे कह रहे थे-मोदी
# 2019 का चुनाव जनता बनाम गठबंधन का चुनाव होगा-पीएम मोदी
# उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले ने मुझे बेचैन कर दिया था-पीएम मोदी
# केवल एक लड़ाई से पाकिस्तान नहीं सुधरेगा, एक लड़ाई से कुछ हासिल नहीं होगा। पाकिस्तान के सुधरने में अभी वक्त लगेगा-पीएम मोदी
# राम मंदिर पर पीएम मोदी का बड़ा बयान, 'कानूनी प्रक्रिया के बाद ही राम मंदिर पर कोई फैसला किया जाएगा.
# राम मंदिर पर अध्यादेश नहीं लाएगी सरकार, कांग्रेस के वकीलों ने कानूनी प्रक्रिया में बाधा डाली-पीएम मोदी

बीते साल २०१८ के कुछ यादगार पल आइये जानते हैं कैसा रहा साल
31 December 2018

1. साल 2018 बहुत ही यादगार और बेहतरीन साबित हुआ और इस साल भारत मे काफी कुछ घाटा आइए जानते हैं क्या क्या खास रहा बात करते हैं पहले महीने से

2018 के गणतंत्र दिवस के साथ शुरू करते हैं, क्या नया है? पहली बार, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की एक नव-गठित सभी महिला बाइकर्स ने गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर अपनी शुरुआत की । गणतंत्र दिवस परेड के दौरान राजपथ उस समय बहुत खास हो गया जब सीमा भवानी की महिलाएं दनदनाती हुईं बाइक पर आईं। इन महिलाओं को बाइक पर करतब देख दर्शक दीर्घा में बैठा हर शख्स खड़ा हो गया और तालियों से इनका स्वागत करता नजर आया। क्या पीएम मोदी, क्या राष्ट्रपति कोविंद या फिर 10 एसियान देशों से आए विशेष अतिथि सभी एकसाथ खड़े होकर सभी महिलाओ के सम्मान किया और खूब तारीफ भी हुई ।
जनवरी माह मे ही भारत की होनहार इंडियन नेशनल ब्लाइण्ड क्रिकेट टीम शरजाह मे पाकिस्तान से भिड़ी और 308 रनो का पीछा करते हुए बेहतरीन जीत दर्ज कर पाकिस्तान को हराया और अपना खिताब बचाया जो टीम 2014 मे विजय हुई थी वो अपनी साख बचाने मे सक्षम रही ।
2. महाराष्ट्र सरकार ने लगाया प्लास्टिक पर पूरी तरह बेन

जून माह मे महाराष्ट्र सरकार ने प्लास्टिक पर पूरी तरह बेन लगा कर एक बड़ा फैसला लिया जो की बड़ा कारगर सिद्ध हुआ ।जिसके चलते वह प्लास्टिक के या थेरमकोल के इसतमाल करने और पकड़े जाने पर 5000 से 10000 का जुर्माना लगाने और 3 माह जेल भेजने का भी प्रावधान बना ।
3. भारतीय महिला क्रिकेटर और कप्तान रह चुकी मिताली राज T20 मै 2000 रन बनाने वाली पहली महिला क्रिकेटर बनी

जून माह मै ही जब India’s Women’s T20 Asia Cup कप का आयोजन हुआ भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने जोरदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन कर सर्वाधिक 2000 रन बनाने का रेकॉर्ड आपने नाम किया ।
4. ग्लोबल इवैंट मै दीपा करमाकर ने पहली बार गोल्ड जीत कर भारत का नाम रोशन किया

जुलाई में तुर्की में आयोजित एफआईजी आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक वर्ल्ड चैलेंज कप में, दीपा करमाकर स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट बनकर इतिहास रच दिया। पहली बार में, स्कोर 5.400 का कम था, जबकि उसे निष्पादन के लिए 8.700 (कुल 14.100 तक) मिले, और अपने दूसरे प्रयास में, कुल 14.200 का स्कोर किया, जिसने 14.150 का औसत दिया। घुटने की चोट के कारण लगभग दो साल बाद कोर्ट पर लौटने के बाद यह शानदार उपलब्धि हासिल की। इंडोनेशिया के रिफदा इरफानलुथफी दूसरे स्थान पर रहे, जबकि स्थानीय प्रतिभागी, गोकसू उक्टास सानली ने कांस्य जीता।
5. सोनम वांगचुक और भारत वासवानी ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार जीता

रेमन मैगसेसे पुरस्कार के छह विजेताओं में से दो, इस साल भारतीय के एशिया के नोबेल पुरस्कार से प्रसिद्ध थे। मनोचिकित्सक भारत वासवानी को मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए उनके काम की सफलता के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया। जबकि 3 इडियट्स में आमिर खान के किरदार की प्रेरणा सोनम वांगचुक को लद्दाख के युवाओं के जीवन को बेहतर बनाने में विज्ञान का उपयोग करने के लिए सम्मानित किया गया था।
6. सुनील छेत्री दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्कोरर बने

इस साल भारत में आयोजित इंटरकांटिनेंटल कप के दौरान, भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें लोगों से कहा गया कि वे स्टेडियम में, कम से कम अपने घरेलू मैदान पर मैचों में भाग लें। यह दलील वायरल हो गई, और उस ट्वीट के लिए देश के हर मैच के लिए स्टेडियम भरा हुआ था। केन्या के खिलाफ फाइनल में, जो छेत्री का 100 वां अंतरराष्ट्रीय मैच भी हुआ, छेत्री ने एक गोल किया, जिससे भारत को 3-0 से जीत मिली। उनकी कुल टैली अब 64 गोल की हो गई है। उनसे अधिक स्कोर करने वाले दुनिया के एकमात्र फुटबॉल खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो (85) और लियोनेल मेस्सी (65) हैं।
7. भारत को अपनी पहली सर्व-महिला स्वाट टीम मिली

अगस्त में, भारत की पहली सभी महिला कमांडो टीम को औपचारिक रूप से केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दिल्ली पुलिस में शामिल किया गया था। 36 महिलाएं 15 महीने के कठोर प्रशिक्षण से गुज़रीं, जहाँ उन्हें हथियार संभालना, आतंकवाद का मुकाबला करना और क्राव मागा सिखया गया। इस टीम ने भारत के इतिहास में एक अलग छाप छोड़ी क्योंकि यह देश में विशेष हथियार और रणनीति (स्वाट) टीम पर पुरुष पकड़ को तोड़ने वाली पहली टीम बनी।
8. भारतीय वायु सेना को अपनी पहली महिला फाइटर पायलट मिली

फरवरी में, 24 वर्षीय अवनी चतुर्वेदी फाइटर जेट उड़ाने वाली भारत की पहली महिला बनीं। उन्होने ने MiG-21 Bison उड़ाया, जो दुनिया में सबसे अधिक टेक ऑफ और लैंडिंग गति रखता है। उनका पहला एकल प्रशिक्षण 30 मिनट तक चला और संयुक्त राज्य अमेरिका, इज़राइल और यूके जैसे देशों की वैश्विक सूची में भारत को शामिल किया गया, जिसमें महिलाएं सक्रिय भूमिका निभा रही थीं।
9. एक भारतीय मूल के इंजीनियर विकास सथाए ने ऑस्कर जीता

मार्च में, पुणे में जन्मे इंजीनियर विकास सथाए उस टीम का हिस्सा थे जिसने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए ऑस्कर जीता था। सथाये और उनकी टीम के इनोवेशन - शॉटओवर K1 - को मिड-एयर सीक्वेंस को फिल्माने में एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में मान्यता दी गई है और इसका इस्तेमाल डंकरीक और गार्जियन ऑफ़ गालमोंग अन्य जैसी फिल्मों में किया गया है।
10. विश्व का पहला थर्मल बैटरी प्लांट आंध्र प्रदेश में बनाया गया था

अगस्त में, दुनिया का पहला बैटरी संयंत्र का अनावरण किया गया था। इसका निर्माण भारत एनर्जी स्टोरेज टेक्नोलॉजी (BEST) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया है, और इसका उद्देश्य नवीकरणीय संसाधनों के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाना है। यह बैटरी तापमान अंतर द्वारा बनाई गई ऊर्जा का उपयोग करेगी। इस तकनीक का उपयोग सुदूर क्षेत्रों में, पहाड़ियों या द्वीपों की तरह प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। यह कम कार्बन पदचिह्न को बनाए रखते हुए दूरसंचार, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, इलेक्ट्रिक ग्रिड और अधिक के लिए ऊर्जा को स्टोर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
11. 80 फुट के पैर, 70 फुट के हाथ, ऊंचाई 600 फुट - सरदार पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा

सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का 31 अक्टूबर को उनकी जयंती पर उद्घाटन हुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भव्य तरीके से आयोजित समारोह में इस मूर्ति के उद्घाटन भूत बेहतरीन ढंग से किया गया। अपनी ऊंचाई के कारण यह प्रतिमा अब दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बन गई है. दुनिया में अब दूसरे स्थान पर चीन में स्प्रिंग टेंपल में बुद्ध की मूर्ति है, जिसकी ऊंचाई 153 मीटर है. गुजरात सरकार को उम्मीद है कि इस विशालकाय मूर्ति को देखने के लिए देश ही नहीं विदेशों के पर्यटक भी आएंगे. इस नाते सरकार की ओर से पर्यटकों के ठहरने के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है. सरकार आमदनी के लिए टिकट भी लगाएगी. यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं यह भारत के इंजीनियरिंग कौशल तथा परियोजना प्रबंधन क्षमताओं का सम्मान भी है।

मानव सशक्तिकरण के लिए स्वच्छ पर्यावरण
3 October 2018
संयुक्त राष्ट्र ने कल मुझे ‘चैम्पियन्स ऑफ द अर्थ अवॉर्ड’ से सम्मानित किया। यह सम्मान प्राप्त करके मैं बहुत अभिभूत हूं लेकिन महसूस करता हूं कि यह पुरस्कार किसी व्यक्ति के लिए नहीं है। यह भारतीय संस्कृति और मूल्यों की स्वीकृति है, जिसने हमेशा प्रकृति के साथ सौहार्द बनाने पर बल दिया है। जलवायु परिवर्तन में भारत की सक्रिय भूमिका को मान्यता मिलना और संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेस तथा यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक श्री इरिक सोलहिम द्वारा भारत की भूमिका की प्रशंसा करना प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। मानव और प्रकृति के बीच विशेष संबंध रहे हैं। प्रकृति माता ने हमारा पालन-पोषण किया है। प्रारंभिक सभ्यताएं नदियों के तट पर स्थापित हुईं। प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से रहने वाले समाज फलते-फूलते हैं और समृद्ध होते हैं। मानव समाज आज एक महत्वपूर्ण चौराहे पर खड़ा है। हमने जो रास्ता तय किया है वह न केवल हमारा कल्याण निर्धारित करेगा, बल्कि हमारे बाद इस ग्रह पर आने वाली पीढ़ियों को भी खुशहाल रखेगा। लालच और आवश्यकताओं के बीच अंसतुलन ने गंभीर पर्यावरण असंतुलन पैदा कर दिया है। हम या तो इसे स्वीकार कर सकते हैं या पहले की तरह ही चल सकते हैं या सुधार के उपाय कर सकते हैं। इन बातों से यह निर्धारित होगा कि कैसे एक समाज सार्थक परिवर्तन ला सकता है। पहली आंतरिक चेतना है। इसके लिए अपने गौरवशाली अतीत को देखने से बेहतर कोई स्थान नहीं हो सकता। प्रकृति के प्रति सम्मान भारत की परम्परा के मूल में है। अथर्ववेद में पृथ्वी सूक्त शामिल है जिसमें प्रकृति और पर्यावरण के बारे में अथाह ज्ञान हैं। इसे अथर्ववेद में बहुत ही सुंदरता के साथ लिखा गया है। “यस्यां समुद्र उत सिन्धुरापो यस्यामन्नं कृष्टयः संबभूवुः । यस्यामिदं जिन्वति प्राणदेजत्सा नो भूमिः पूर्वपेयेदधातु ॥३॥” अर्थात्- माता पृथ्‍वी अभिनंदन। उनमें सन्निहित हैं महासागर और नदियों का जल; उनमें सन्निहित है भोजन जो भूमि की जुताई द्वारा वे प्रकट करती हैं; उनमें निश्चित रूप सभी जीवन समाहित हैं; वे हमें जीवन प्रदान करें। ऋषियों ने पंचतत्‍व- पृथ्‍वी, वायु, जल, अग्नि, आकाश के बारे में लिखा है और यह बताया है कि किस तरह हमारी जीवन प्रणाली इन तत्‍वों की समरसता पर आधारित है। प्रकृति के तत्‍वों से अलौकिकता प्रकट होती है। महात्‍मा गांधी ने पर्यावरण के बारे में बहुत गहराई से लिखा है। उन्‍होंने ऐसी जीवन शैली को व्‍यवहार में उतारा, जिसमें पर्यावरण के प्रति भावना प्रमुख है। उन्‍होंने ‘आस्‍था का सिद्धांत’ प्रतिपादित किया, जिसने हमें यानी वर्तमान पीढ़ी को यह दायित्‍व दिया है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को एक स्‍वच्‍छ धरा प्रदान करें। उन्‍होंने युक्तिसंगत खपत का आह्वान किया, ताकि विश्‍व को संसाधनों की कमी का सामना न करना पड़े। समरस जीवन शैली का पालन करना हमारे लोकाचार का अंग है। जब हमें अनुभव होगा कि हम एक समृद्ध परम्‍परा के ध्‍वज-वाहक हैं, तब हमारे कार्यकलाप पर अपने आप सकारात्‍मक प्रभाव पड़ने लगेगा। दूसरा पक्ष जन जागरण का है। हमें पर्यावरण संबंधी प्रश्‍नों पर यथासंभव बातचीत करने, लिखने, चर्चा करने की आवश्‍यकता है। इसके साथ पर्यावरण संबंधी विषयों पर अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्‍साहन देना भी महत्‍वपूर्ण है। इस तरह अधिक से अधिक लोगों को हमारे समय की गंभीर चुनौतियों को जानने और उन्‍हें दूर करने के प्रयासों के बारे में सोचने का अवसर मिलेगा। जब हम एक समाज के रूप में पर्यावरण संरक्षण से अपने मजबूत रिश्‍तों के बारे में जागरूक होंगे और उसके बारे में नियमित रूप से चर्चा करेंगे, तब सतत पर्यावरण की दिशा में हम स्‍वयं सक्रिय हो जाएंगे। इसीलिए सकारात्‍मक बदलाव लाने के लिए मैं सक्रियता को तीसरे पक्ष के रूप में रखता हूं। इस संदर्भ में मुझे यह बताते हुए प्रसन्‍नता हो रही है कि भारत के 130 करोड़ लोग स्‍वच्‍छ और हरित पर्यावरण की दिशा में सक्रिय हैं और उसके लिए बढ़-चढ़कर काम कर रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन में हम यह अग्रसक्रियता देखते हैं जो भविष्य में सतत विकास से सीधे जुड़ी है। देशवासियों के आशीर्वाद से 85 मिलियन आवासों की पहली बार शौचालयों तक पहुंच बनी है और 400 मिलियन से अधिक भारतीयों को अब खुले में शौच करने की आवश्यकता नहीं है। स्वच्छता का दायरा 39 प्रतिशत से बढ़कर 95 प्रतिशत हो गया है। प्राकृतिक परिवेश पर दबाव कम करने की खोज में यह ऐतिहासिक प्रयास हैं। उज्ज्वला योजना में भी हम यही अग्रसक्रियता देखते हैं जिसकी वजह से घरों में होने वाला वायु प्रदूषण बहुत कम हुआ है क्योंकि भोजन पकाने की अस्वस्थ विधियों से स्वास्थ्य संबंधी रोगों में काफी बढ़ोतरी हो रही थीं। अभी तक पांच करोड़ से अधिक उज्ज्वला कनेक्शन बांटे जा चुके हैं और इसकी वजह से महिलाओं और उनके परिवारों के लिए एक बेहतर और स्वच्छ जीवन सुनिश्चित हुआ है। भारत अपनी नदियों की सफाई करने की दिशा में काफी तेजी से बढ़ रहा है। भारत की जीवन रेखा कही जाने वाली नदी गंगा नदी कई हिस्सों में काफी प्रदूषित हो चुकी थी और नमामि गंगे मिशन इस ऐतिहासिक गलती में परिवर्तन कर रहा है। सीवेज के उपयुक्त निपटारे पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। हमारे शहरी विकास प्रयासों अमृत और स्मार्ट सिटी मिशन का मूल तत्व शहरी क्षेत्रों में होने वाली वृद्धि और पर्यावरण देखभाल में संतुलन बनाना है। किसानों को बांटे गए 13 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्डों से उन्हें काफी लाभ हो रहा है और इससे जमीन की उत्पादकता तथा उसकी पोषकता में बढ़ोतरी होगी जिससे आने वाली पीढ़ियों को मदद मिलेगी। पर्यावरण क्षेत्र में कौशल भारत में हमने समन्वित उद्देश्य अपनाए हैं और विभिन्न योजनाओं जिनमें हरित कौशल विकास कार्यक्रम शामिल है, की शुरुआत की है जिससे पर्यावरण, वानिकी, वन्यजीव और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में वर्ष 2021 तक 7 मिलियन युवाओं को कुशल बनाना है। इससे पर्यावरण क्षेत्र में कुशल रोजगारों और उद्यमिता के लिए अनेक अवसर पैदा होंगे। हमारा देश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर विशेष ध्यान दे रहा है और पिछले चार वर्षों में इस क्षेत्र काफी सुगम और वहन करने योग्य बन गया है। उजाला योजना के तहत करीब 31 करोड़ एलईडी बल्ब बांटे गए। योजना की वजह से जहां एक तरफ एलईडी बल्बों की कीमतें कम हुई वहीं बिजली के बिलों और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई। भारत की पहल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देखी जा रही है। मुझे इस बात का गर्व है कि भारत पेरिस में 2015 में हुई सीओपी-21 वार्ता में आगे रहा है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत के मौके पर मार्च, 2018 में दुनिया के कई देशों के नेता नई दिल्ली में इकट्ठा हुए। यह गठबंधन सौर ऊर्जा की क्षमताओं का बेहतर इस्तेमाल करने की एक पहल है। इसके जरिए दुनिया के उन देशों को साथ लाने का प्रयास किया गया है जहां सूरज की ऊर्जा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। ऐसे समय में जबकि दुनिया में जलवायु परिवर्तन की बात हो रही है भारत से जलवायु न्याय का आह्वान किया गया है। जलवायु न्याय का अर्थ समाज के उन गरीब और हाशिये पर खड़े लोगों के अधिकारों और हितों से जुड़ा है जो जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। जैसा कि मैंने पहले भी लिखा है, हमारी आज की गतिविधियों का प्रभाव आने वाले समय की मानव सभ्यता पर भी पड़ेगा और यह अब हम पर निर्भर करता है कि सतत भविष्य के लिए वैश्विक जिम्मेदारी की शुरुआत हम ही करें। विश्व को पर्यावरण के क्षेत्र में एक ऐसी मिसाल की तरफ बढ़ने की आवश्यकता है जो सिर्फ सरकारी नियमों तथा कानूनों तक ही न हो बल्कि इसमें पर्यावरण जागरूकता भी हो। इस दिशा में जो व्यक्ति और संगठन लगातार मेहनत कर रहे हैं मैं उन्हें बधाई देना चाहूंगा क्योंकि वे हमारे समाज में चिरस्मरणीय बदलाव के अग्रदूत बन चुके है। इस दिशा में उनके प्रयत्नों के लिए मैं सरकार की ओर से हर तरह की मदद का आश्वासन देता हूं। हम सब मिलकर एक स्वच्छ पर्यावरण बनाएंगे जो मानव सशक्तिकरण की दिशा में आधारशिला होगी।
परीक्षा पर चर्चा – छात्रो के साथ प्रधानमंत्री की बातचीत
16 February 2018
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज परीक्षा संबंधी विषयों पर छात्रों के साथ एक ‘टाउन हॉल’ सत्र में बातचीत की। उन्होंने यहां तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में छात्रों के प्रश्नों के जवाब दिये। छात्रों ने विभिन्न टेलिवीजन समाचार चैनलों, नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप और माय-गव प्लेटफार्म के जरिये उनसे सवाल पूछे। संवाद की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे छात्रों, उनके माता-पिता और उनके परिवार का मित्र होने के नाते ‘टाउन हॉल’ सत्र में आए हैं। उन्होंने कहा कि वे विभिन्न मंचों के जरिये देशभर के 10 करोड़ लोगों से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने अपने अध्यापकों को याद करते हुए कहा कि उनके अध्यापकों ने उनमें ऐसे मूल्यों का निरूपण किया, जिससे उनके भीतर का छात्र आज भी जीवित है। उन्होंने सबका आह्वान किया कि वे अपने अंदर के छात्र को जीवित रखें। 2 घंटे चले इस आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री ने कई तरह के सवालों के जवाब दिए, जिनमें घबराहट, चिंता, एकाग्रता, दबाव, मातापिता की आकांक्षा और अध्यापकों की भूमिका जैसे प्रश्न शामिल थे। उन्होंने अपने उत्तर में हाजिर जवाबी के साथ तरह-तरह के उदाहरण दिए। उन्होंने आत्मविश्वास के महत्व को रेखांकित करने तथा परीक्षा के दबाव और चिंता के मद्देनजर स्वामी विवेकानंद का उदाहरण दिया। उन्होंने कनाडा के स्नोबोर्डर मार्क मैकमॉरिस का उदाहरण देते हुए कहा कि 11 महीने पूर्व उन्हें घातक चोट लगी थी और उनका जीवन खतरे में पड़ गया था, जिसके बावजूद उन्होंने शीतकालीन ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता है। एकाग्रता के विषय में प्रधानमंत्री ने महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की सलाह को याद किया जिसका जिक्र रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में किया गया था। तेंदुलकर ने कहा था कि खेलते समय वे केवल उसी गेंद पर विचार करते थे, जो सामने होती थी। पिछली और अगली गेंदों के बारे में नहीं सोचते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि योग से एकाग्रता में सुधार होता है। साथियों के दबाव के संबंध में प्रधानमंत्री ने ‘प्रतिस्पर्धा’ (दूसरों के साथ स्पर्धा) के बजाय ‘अनुस्पर्धा’ (अपने आप से स्पर्धा) के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने द्वारा किए गए पिछले कार्य से बेहतर काम करना चाहिए। हर माता-पिता बच्चों के लिए कुर्बानी देते हैं। इसका उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों की उपलब्धियों को सामाजिक प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं। उन्होंने कहा कि हर बच्चे के पास कोई न कोई अनोखी प्रतिभा होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आईक्यू (बौद्धिक कौशल) और ईक्यू (भावनात्मक कौशल), दोनों का छात्र जीवन में बहुत महत्व होता है। समय के समायोजन के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों के लिए पूरे साल की कोई समय सारणी या कोई टाइम-टेबल व्यवहारिक नहीं होता। आवश्यकता है कि लचीला रुख अपनाते हुए समय का पूरा उपयोग किया जाए। ‘’
कृषि 2022- किसानों की आय दुगुनी करने’’ संबंधी विषय पर दो दिवसीय राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन 19-20 फरवरी 2018 को आयोजित होगा
कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय, राष्‍ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर (एनएएससी), पूसा, नई दिल्‍ली में ‘’कृषि 2022- किसानों की आय दुगुनी करने’’ संबंधी विषय पर एक राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का आयोजन कर रहा है। यह एक दो दिवसीय सम्‍मेलन है जिसे क्रमश: 19 और 20 फरवरी, 2018 को आयोजित किया जायेगा। यह सम्‍मेलन कृषि और किसान कल्‍याण से संबंधित विभिन्‍न महत्‍वपूर्ण मुद्दों तथा उनके उचित समाधान को ढूंढने के लिए माननीय प्रधानमंत्री के सुझाव पर आयोजित किया जा रहा है। इस सम्‍मेलन का मुख्‍य उद्देश्‍य ऐसी उचित सिफारिशों पर आम सहमति बनाना है जो 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने संबंधी सरकार के दृष्‍टिकोण को कार्यात्‍मकता का जामा पहना सकें। सम्‍मेलन के आयोजन का मंतव्‍य ऐसा व्‍यवहारिक समाधान खोजना है जिन्‍हें देश में किसानों के लाभार्थ कार्यान्‍वित किया जा सके। सरकार भागीदारों के सुझावों की अपेक्षा करती है और उचित सुझावों का अपनाने के लिए उत्‍सुक हे, इससे दीर्घावधि गतिविधियों को चलाने के अतिरिक्‍त कृषि क्षेत्र के साथ-साथ अनेकों उप-क्षेत्रों में तत्‍काल परिणाम प्राप्‍त करने में सहायता मिलेगी, इसमें प्राथमिक क्षेत्र में मानव पक्ष अर्थात किसानों पर जोर दिया जाएगा। इसका सार किसानों के लिए कृषि होगा। इस सम्‍मेलन के लिए 7 प्रमुख विषय चुने गए हैं जिनमें से कुछ विषयों के उप-विषय भी हैं, सम्‍मेलन के प्रतिभागियों में किसान, किसान समितियां, वैज्ञानिक, अर्थशास्‍त्री, शिक्षाविद, व्‍यापारिक उद्योग, व्‍यवसायिक समितियां एवं जींसों, नीति निर्धारक और अधिकारी शामिल हैं । इस सम्‍मेलन के संबंध में अधिकारियों को विभिन्‍न विषय और उप-विषय दिए गए हैं ताकि संबंधित मुद्दों को बहुपक्षीय एवं विस्‍तृत संस्‍तुतियों के परिपेक्ष्‍य में जांचा-परखा जा सके। कृषि, बागबानी, पशुपालन, डेयरी, मछलीपालन विपणन एवं सहकारिता जैसे विभिन्‍न क्षेत्रों से जुड़े वरिष्‍ठ अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया है क्‍योंकि राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य स्‍तर की नीतियों एवं कार्यक्रमों को बनाने में संबंधित क्षेत्र में उनके गहरे अनुभवों का लाभ उठाया जा सके। यह भी आशा की जाती है कि इस दिशा में एक कार्यान्‍वयन कार्यनीति बनाने के साथ-साथ दिए गए सुझावों से उत्‍पन्‍न निष्‍कर्षों का उपयोग वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने संबंधी विषय सरकार की कार्यनीति में शामिल किया जाएगा। इस कार्यनीति को अंतरमंत्रालयी समिति अंतिम रूप दे रही है। सम्‍मेलन के पहले दिन विभिन्‍न गणमान्‍य व्‍यक्‍ति अर्थात कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री, भारत सरकार, हिमाचल प्रदेश के राज्‍यपाल, उपाध्‍यक्ष, नीति आयोग, कृषि एवं किसान कल्‍याण राज्‍य मंत्री सदस्‍य (कृषि), नीति आयोग आदि शामिल होंगे। संक्षिप्‍त उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र आरंभ होगा। सम्‍मेलन के तकनीकी सत्रों में सदस्‍य (कृषि), नीति आयोग और मंत्रालय के संयुक्‍त सचिवों द्वारा संबंधित स्‍कीमों के बारे में प्रस्‍तुतियां दी जाएंगी। दूसरे दिन अर्थात 20 फरवरी, 2018 को प्रत्‍येक विषय से संबंधित समूह मध्‍यान्‍ह भोजन तक अपनी प्रस्‍तुतियों और सिफारिशों को अन्‍तिम रुप देंगे तथा अंतिम सत्र में अपनी प्रस्‍तुतियां देंगे जिनका प्रारंभ 4.30 बजे अपरान्‍ह माननीय प्रधानमंत्री की मौजूदगी में होगा। हिमाचल प्रदेश के राज्‍य पाल श्री आचार्य देवव्रत से इस सम्‍मेलन में दोनों दिन अपनी सहभागिता देने और विचार-विमर्शों में मार्ग दर्शन करने का आग्रह किया गया है क्‍योंकि वे कृषि के प्रति समर्पित रहे हैं। इस सम्‍मेलन में भाग लेने के लिए देश भर से तीन सौ प्रतिभागियों का चुनाव किया गया है जो विभिन्‍न पृष्‍ठभूमि वाले होने के साथ-साथ अपने क्षेत्र में विशेष अनुभव एवं विशेषज्ञता रखते हैं। :
इस सम्‍मेलन में विचार-विमर्श को व्‍यापक एवं सार्थक बनाने के लिए इस मंत्रालय ने निम्‍नलिखित प्रयास किये हैं
इस सम्‍मेलन में प्रतिभागियों को कोआर्डिनेटर(सरकार से बाहर का प्रतिनिध) के नेतृत्‍व में प्रत्‍येक को अलग विषय दिया गया है तथा उनकी सहायता के लिए मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव स्‍तर के अधिकारी को लगाया गया है। सभी प्रतिभागियों को ख्‍याति प्राप्‍त संस्‍थानों/संगठनों द्वारा तैयार किए गए सभी विषयों से संबंधित सामग्री का बैकग्राउंड मैटिरियल उपलब्‍ध कराया गया है। कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय तथा अन्‍य मंत्रालयों एवं विभागों द्वारा विभिन्‍न स्‍कीमों तथा कार्यक्रमों तथा मिशनों से संबंधित तैयार की गई एक हस्‍तपुस्‍तिका प्रतिभागियों को दी गई है। यह पुस्‍तिका कृषि क्षेत्र से संबंधित है जिसे प्रतिभागियों की जानकारी के लिए तैयार किया गया है। यह भी उल्‍लेखनीय है कि सम्‍मेलन में उपलब्‍ध सहायक, इलैक्‍ट्रॉनिक प्‍लेटफार्म-ईमेल, वाटसअप ग्रुप आदि का उपयोग करते हुए पिछले एक माह से कार्यशाला से पूर्व विचार-विमर्श कर विषयों की जानकारी में समर्थ है। विषयों के कुछ कोआर्डिनेटरों ने व्‍यवहारिक तौर पर बैठकें भी की हैं। माननीय प्रधान मंत्री ने 20 फरवरी, 2018 को होने वाले अंतिम सत्र में भाग लेने तथा सभी प्रस्‍तुतिकरण को देखने के लिए अपनी सहमति दे दी है। इसलिए माननीय प्रधान मंत्री भी कृषि विकास एवं किसान कल्‍याण से संबंधित अपने दृष्‍टिकोण एवं जानकारी को सम्‍मेलन में साझा करेंगे। यह मंत्रालय परामर्श एवं दिशा-निर्देशों के लिए विभिन्‍न केन्‍द्रीय मंत्रियों को इस सम्‍मेलन में आमंत्रित कर रहा है। वास्‍तव में, इस मंत्रालय को उप राष्‍ट्रपति, गृह मंत्री, सड़क परिवहन एवं हाइवे तथा जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनर्रूद्धार मंत्री एवं हिमाचल प्रदेश के राज्‍यपाल से प्राप्‍त परामर्श का लाभ पहले ही प्राप्‍त हो चुका है। इस मंत्रालय ने देश में किसानों से संबंधित विषयों पर व्‍यापक विचार-विमर्श किया था। यह आशा की जाती है कि कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह, कृषि एवं किसान कल्‍याण राज्‍य मंत्री श्री परषोत्‍तम रूपाला जी, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत एवं श्रीमती कृष्‍णा राज जी के नेतृत्‍व में आयोजित इस सम्‍मेलन में हुई परिचर्चा एवं विचार-विमर्श से प्राप्‍त महत्‍वपूर्ण जानकारियों से कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय अवश्‍य ही लाभांवित होगा।
श्री रामविलास पासवान ने 16 से 28 फरवरी, 2018 तक मनाए जाने वाले स्‍वच्‍छता पखवाड़े की शुरूआत की
केंद्रीय उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री रामविलास पासवान ने आज नई दिल्‍ली में कृषि भवन के बाहर के कुछ क्षेत्र में साफ-सफाई की। श्री पासवान ने खाद्य और वितरण प्रणाली विभाग के 16 से 28 फरवरी, 2018 तक मनाए जाने वाले स्‍वच्‍छता पखवाड़े के पहले दिन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को स्‍वच्‍छता की शपथ भी दिलाई। केंद्रीय मंत्री ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के अधिकारियों से राष्‍ट्रव्‍यापी स्‍वच्‍छता अभियान से पूरे मन से जुड़ने का आग्रह किया। श्री पासवान ने उनके मंत्रालय के अधिकारियों से भी इस अभियान में शामिल होने का आग्रह करते हुए अपने घरों, कार्यालयों, आसपास के स्‍थानों, कस्‍बों और शहरों को स्‍वच्‍छ रखने को कहा। इस अवसर पर उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्‍य मंत्री श्री सी आर चौधरी, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग में सचिव श्री रवि कांत तथा अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। स्‍वच्‍छता और साफ-सफाई रखने के महत्‍व पर अधिकारियों के साथ ही आम जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए यह पखवाड़ा आयोजित किया जा रहा है। स्‍वच्‍छता पखवाड़े के दौरान उचित शौचालयों के प्रावधान, पेयजल की आपूर्ति सहित विभाग और इससे संबंधित कार्यालयों में अधिक साफ-सफाई को बढ़ावा देने के लिए विभिन्‍न स्‍वच्‍छता गतिविधियां चलाई जाएगी। इनमें कार्य स्‍थलों पर गुणवत्‍तापरक खाद्यान्‍नों के बारे में जानकारी देना, जुलूसों, वार्ताओं, नुक्‍कड़ नाटकों और नारों के जरिए जनता को स्‍वच्‍छता के बारे में जागरूक करना शामिल है। छात्रों और निवासियों को स्‍वच्‍छता अभियान में शामिल होने को प्रोत्‍साहित करने के लिए दिल्‍ली के चयनित स्‍कूलों और स्‍थानों का दौरा भी किया जाएगा। विभाग के सबसे स्‍वच्‍छ सेक्‍शन को ट्रॉफी भी प्रदान की जाएगी। पखवाड़े के दौरान संबंधित संगठनों द्वारा पौधारोपण अभियान भी चलाया जाएगा। राज्‍यों के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभागों से भी पखवाड़े के दौरान अपने-अपने क्षेत्रों में स्‍वच्‍छता के संदेश फैलाने का आग्रह किया गया है।
देहरादून में असैन्य हवाई पट्टी को सक्रिय बनाना
भारतीय वायु सेना द्वारा असैन्य हवाई पट्टी को सक्रिय बनाने के सामान्य अभ्यास के तहत देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से 2 एसयू-30 एमके1 विमानों का संचालन किया जाएगा। ये दोनों विमान जॉली ग्रांट की हवाई पट्टी से 19 फरवरी, 2018 से 2 दिनों के लिए संचालित होंगे और पूरे इलाके से परिचित होने के बाद अपने वास्तविक ठिकाने पर पहुंच जाएंगे।
अपराध से बचने का सबसे प्रभावी उपाय उसका पता लगाना है : श्री राजनाथ सिंह
केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि अपराध से बचने का सबसे प्रभावी तरीका उसका पता लगाना है। आज यहां दिल्‍ली पुलिस के 71वें स्‍थापना दिवस परेड को संबोधित करते हुए उन्‍होंने दिल्‍ली पुलिस के वरिष्‍ठ अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपराध नियंत्रण रणनीति को आधुनिकतम बनाएं। पुलिस बल को नवीनतम प्रौद्योगिकियों से लैस होने का सुझाव देते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आपराधिक जांच में फोरेंसिक महत्‍वपूर्ण पहलू है। उन्‍होंने कहा कि सरकार राष्‍ट्रीय राजधानी में और फोरेंसिक प्रयोगशालाएं स्‍थापित कर रही है तथा जल्‍दी ही अपराध और अपराध ट्रैकिंग नेटवर्क तथा प्रणाली पूरी तरह से कार्य करने लगेगी जिससे दिल्‍ली पुलिस की क्षमताएं बढ़ जाएंगी। केंद्रीय गृहमंत्री ने हाल ही में अपहृत बालक को बचाने और आतंकवादी जुनैद को पकड़ने में दिल्‍ली पुलिस को मिली सफलता के लिए उसकी सराहना की है। जुनैद एक दशक से भी अधिक समय से पुलिस की गिरफ्त से बाहर था। उन्‍होंने दिल्‍ली पुलिस की सफलता की गाथा में सामुदायिक पुलिसिंग और खुफिया जानकारी प्रबंधन प्रणाली की सराहना की। सर्वश्रेष्‍ठ पुलिस थाने का पुरस्‍कार प्रदान करने पर श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्‍मेलन में सिफारिश के अनुसार पुलिस थानों के वर्गीकरण से स्‍वस्थ प्रतिस्‍पर्धा बढ़ेगी। लातिन अमेरिका के बोगोटा शहर का उदाहरण देते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कैसे पुलिस ने एक समय आपराधिक गतिविधियों का गढ़ रहे इस शहर को सुरक्षित शहर में तब्दील किया। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रभावी रणनीति से दिल्‍ली और मुंबई जैसे महानगरों में भी अपराध का ग्राफ 70 प्रतिशत तक कम हो सक‍ता है। उन्‍होंने कहा कि कोई भी अपराधी पुलिस की पकड़ से निकल नहीं सकता। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दिल्‍ली देश की राजधानी है और देशवासी दिल्‍ली पुलिस को न केवल एक राज्‍य की पुलिस बल्कि उसे पूरे राष्‍ट्र की पुलिस के रूप में देखते हैं,इसलिए देशवासियों को दिल्‍ली पुलिस से काफी आशाएं भी है। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री ने पुलिस पदक प्रदान किए और प्रभावी परेड की सलामी भी ली। उन्‍होंने दिल्‍ली पुलिस के शहीद कोष में पांच करोड़ रूपये का योगदान देने की भी घोषणा की।

PM’s Statement on Union Budget 2018-19
1 February 2018
मैं वित्त मंत्री माननीय अरुण जेटली जी को इस बजट के लिए बधाई देता हूँ। ये बजट न्यू इंडिया की नींव को सशक्त करने वाला बजट है। इस बजट में देश के एग्रीकल्चर से लेकर देश के इंफ्रास्ट्रक्चर तक पर पूरा ध्यान दिया गया है। अगर बजट में गरीब और मध्यम वर्ग की चिंताओं को दूर करने वाली हेल्थ की योजनाएं हैं तो देश के छोटे उद्यमियों की वेल्थ बढ़ाने वाली योजनाएं भी हैं। फूड प्रोसेसिंग से लेकर फाइबर ऑप्टिक्स तक, सड़क से लेकर शिपिंग तक, युवा से लेकर सीनियर सिटिजन तक, ग्रामीण भारत से लेकर आयुष्मान भारत तक, डिजिटल इंडिया से लेकर स्टार्ट अप इंडिया तक, ये बजट देश के सवा सौ करोड़ लोगों की आशा-अपेक्षाओं को मजबूत करने वाला बजट है। ये देश के विकास को गति देने वाला बजट है। ये बजट farmer friendly, common man friendly, business environment friendly और साथ ही साथ Development friendly भी है। इसमें Ease of doing business के साथ ही Ease of Living पर फोकस किया गया है। मध्यम वर्ग के लिए ज़्यादा savings, 21वीं सदी के भारत के लिए New Generation Infrastructure और बेहतर health assurance - यह सभी Ease of Living की दिशा में ठोस क़दम हैं। हमारे देश के किसानों ने खाद्यान्न और फल-सब्जियों का रिकॉर्ड उत्पादन करके देश के विकास में ऐतिहासिक योगदान दिया है। किसानों की स्थिति को और मजबूत करने और उनकी आय बढ़ाने की दिशा में इस बजट में कई कदम प्रस्तावित हैं। गांव और कृषि के क्षेत्र में लगभग साढ़े 14 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड आबंटन किया गया है। 51 लाख नए घर, 3 लाख किलोमीटर से ज्यादा की सड़कें, लगभग 2 करोड़ शौचालय, पौने दो करोड़ घरों में बिजली का कनेक्शन, इसका सीधा लाभ दलितो, पीड़ितों, शोषितों, वंचितों को मिलेगा। ये ऐसे कार्य हैं जो विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में अपने साथ रोजगार के नए मौके भी लेकर आएंगे। किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलवाने की घोषणा की मैं सराहना करता हूं। किसानों को इस फैसले का पूरा लाभ मिल सके, इसके लिए केंद्र सरकार, राज्यों के साथ चर्चा करके एक पुख्ता व्यवस्था विकसित करेगी। सब्जी और फल पैदा करने वाले किसानों के लिए ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ एक कारगर कदम साबित होगा। हमने देखा है, किस तरह दूध के क्षेत्र में अमूल ने दूध उत्पादक किसानों को उचित दाम दिलवाया। हमारे देश में उद्योग के विकास के लिए क्लस्टर बेस्ड अप्रोच से हम परिचित हैं। अब देश के अलग-अलग जिलों में कृषि से संबंधित वहां के उत्पादों को ध्यान में रखते हुए कृषि क्लस्टर अप्रोच के साथ काम किया जाएगा। देश के अलग-अलग जिलों में पैदा होने वाले कृषि उत्पादों को ध्यान में रखते हुए, उन जिलों की एक पहचान बनाकर, उस विशेष कृषि उत्पाद के लिए स्टोरेज, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की व्यवस्था विकसित करने की योजना का मैं स्वागत करता हूं। हमारे देश में कॉपरेटिव सोसायटी को इनकम टेक्स में छूट है। लेकिन ‘फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन’ -FPO जो इन्ही की तरह काम करते हैं, उन्हे यह लाभ नहीं मिलता है। इसलिए किसानों की मदद के लिए बने इन ‘फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन’ -FPO को इनकम टैक्स में सहकारी समितियों की तरह ही छूट का निर्णय प्रशंसनीय है। महिला सेल्फ हेल्प ग्रुपों को इन ‘फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन’ की मदद के साथ ऑर्गैनिक, एरोमैटिक और हर्बल खेती के साथ जोड़ने की योजना भी किसानों की आय बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इसी तरह, गोबर-धन योजना, गांव को स्वच्छ रखने के साथ-साथ किसानों एवं पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने में मदद करेगी। हमारे यहां किसान खेती के साथ-साथ उससे जुड़े और भी अलग-अलग व्यवसाय करते हैं। कोई मछली पालन, कोई पशुपालन, कोई पोल्ट्री, कोई मधुमक्खी पालन से जुड़ा है। ऐसे अतिरिक्त कामों के लिए बैंकों से कर्ज लेने में किसानों को कठिनाई होती रही है। किसान क्रेडिट कार्ड के द्वारा अब मछली पालन और पशुपालन के लिए भी लोन की व्यवस्था किया जाना, बहुत प्रभावी कदम है। भारत के 700 से अधिक जिलों में करीब-करीब 7 हजार ब्लॉक या प्रखंड हैं। इन ब्लॉक में लगभग 22 हजार ग्रामीण व्यापार केंद्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण, नवनिर्माण और गांवों से उनकी कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दिया गया है। आने वाले दिनों में ये केंद्र, किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार और कृषि आधारित ग्रामीण एवं कृषि अर्थव्यवस्था के नए ऊर्जा केंद्र बनेंगे। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत अब गांवों को ग्रामीण हाट, उच्च शिक्षा केंद्र और अस्पतालों से जोड़ने का काम भी किया जाएगा। इस वजह से गांव के लोगों का जीवन और आसान होगा। हमने Ease Of Living की भावना का विस्तार उज्जवला योजना में भी देखा है। ये योजना देश की गरीब महिलाओं को न सिर्फ धुंए से मुक्ति दिला रही है बल्कि उनके सशक्तिकरण का भी बड़ा माध्यम बनी है। मुझे खुशी है कि इस योजना का विस्तार करते हुए अब इसके लक्ष्य को 5 करोड़ परिवार से बढ़ाकर 8 करोड़ कर दिया गया है। इस योजना का लाभ बड़े स्तर पर देश के दलित, आदिवासी एवं पिछड़ों को मिल रहा है। अनुसूचित जाति और जनजाति के विकास के लिए इस बजट में करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। हमेशा से निम्न मध्यम वर्ग और गरीब के जीवन की एक बड़ी चिंता रही है बीमारी का इलाज। बजट में प्रस्तुत की गई नई योजना ‘आयुष्मान भारत’ इन सभी वर्गों को इस बड़ी चिंता से मुक्त करेगी। इस योजना का लाभ देश के लगभग 10 करोड़ गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों को मिलेगा। यानि करीब-करीब 45 से 50 करोड़ लोग इसके दायरे में आएंगे। इन परिवारों को चिन्हित अस्पतालों में प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी। सरकारी खर्चे पर शुरू की गई यह दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी हेल्थ एश्योरेंस योजना है। देश की सभी बड़ी पंचायतों में, लगभग डेढ़ लाख हेल्थ वेलनेस सेंटर की स्थापना करने का कदम प्रशंसनीय है। इससे गांव में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं और सुलभ होंगी। देशभर में 24 नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना से लोगों को इलाज में सुविधा तो बढ़ेगी ही युवाओं को मेडिकल की पढ़ाई में भी आसानी होगी। हमारा प्रयास है कि देश के हर तीन संसदीय क्षेत्रों के बीच में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज अवश्य हो। इस बजट में सीनियर सिटिजन्स की अनेक चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कई फैसले लिए गए हैं। प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के तहत अब सीनियर सीटिजन 15 लाख रुपए तक की राशि पर कम से कम 8 प्रतिशत का ब्याज प्राप्त करेंगे। बैंकों और पोस्ट ऑफिस में जमा किए गए उनके धन पर 50 हजार तक के ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। स्वास्थ्य बीमा के 50 हजार रुपए तक के प्रीमियम पर इनकम टैक्स से छूट मिलेगी। वैसे ही गंभीर बीमारियों के इलाज पर एक लाख रुपए तक के खर्च पर इनकम टैक्स से राहत दी गई है। लंबे अरसे से हमारे देश में सूक्ष्म – लघु और मध्यम उद्योग यानि MSME को बड़े-बड़े उद्योगों से भी ज्यादा दर पर टैक्स देना पड़ता रहा है। इस बजट में सरकार ने एक साहसपूर्ण कदम उठाते हुए सभी सूक्ष्म–लघु और मध्यम उद्योग यानि MSME के टैक्स रेट में 5 प्रतिशत की कटौती कर दी है। अब इन्हें 30 प्रतिशत की जगह 25 प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा। MSME उद्योगों को आवश्यक पूंजी मिले, आवश्यक वर्किंग कैपिटल मिले, इसके लिए बैंक एवं NBFC के द्वारा ऋण की व्यवस्था को और आसान कर दिया गया है। इस प्रकार Make in India के मिशन को भी ताकत मिलेगी। बड़े उद्योगों में NPA के कारण सूक्ष्म-लघु और मध्यम उद्योग तनाव महसूस कर रहे हैं। किसी और के गुनाह की सजा छोटे उद्यमियों को नहीं मिलनी चाहिए। इसलिए सरकार बहुत जल्द MSME सेक्टर में NPA और Stressed Account की मुश्किल को सुलझाने के लिए ठोस कदम की घोषणा करेगी। रोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए और employee को सोशल सेक्योरिटी देने की दिशा में सरकार ने एक दूरगामी सकारात्मक निर्णय लिया है। इससे informal से formal की ओर बढ़ने का अवसर मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। अब सरकार नए श्रमिकों के EPF अकाउंट में तीन साल तक 12 प्रतिशत का योगदान खुद करेगी। इसके अलावा महिलाओं को रोजगार के ज्यादा अवसर मिलें, और उनकी Take Home Salary बढ़े, इसके लिए नई महिला कर्मचारियों का तीन वर्षों के लिए EPF में योगदान अब 12 प्रतिशत से कम करके 8 प्रतिशत किया जा रहा है। हालांकि इस अवधि में employer का योगदान 12 प्रतिशत ही रहेगा। कामकाजी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण कदम है। आधुनिक भारत के सपने को साकार करने के लिए, सामान्य लोगों की Ease of living को बढ़ाने के लिए और विकास को स्थायित्व देने के लिए भारत में Next Generation Infrastructure अत्यंत आवश्यक है। रेल - मेट्रो, हाईवे - आईवे, पोर्ट- एयर पोर्ट, पावर ग्रिड- गैस ग्रिड, सागरमाला-भारतमाला, डिजिटल इंडिया से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर बजट में काफी बल दिया गया है। इनके लिए लगभग 6 लाख करोड़ रुपए की राशि का आबंटन किया गया है। ये पिछले वर्ष की तुलना में लगभग एक लाख करोड़ रुपए ज्यादा है। इन योजनाओं से देश में रोजगार की अपार संभावनाएं बनेंगी। वेतनभोगी, मध्यम वर्ग को दी गई टैक्स राहत के लिए भी मैं वित्त मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं। ये बजट हर भारतीय की आशाओं-आकांक्षाओ पर खरा उतरने वाला बजट है। इस बजट ने सुनिश्चित किया है- किसान को फ़सल की अच्छी क़ीमत कल्याणकारी योजनाओं से ग़रीब के उत्थान को संबल Tax paying citizen की ईमानदारी का सम्मान Right tax structure से उद्यमियों की मेहनत को समर्थन देश के लिए Senior Citizen के योगदान की वंदना, मैं एक बार फिर वित्त मंत्री और उनकी टीम को Ease Of Living बढ़ाने वाले औऱ न्यू इंडिया की नींव को मजबूत करने वाले, इस बजट के लिए हृदय से ब
राष्ट्रपति ने सद्गुरु कबीर महोत्सव को संबोधित किया
11 November 2017
राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने आज (10 नवंबर, 2017) भोपाल में सद्गुरु कबीर महोत्सव को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में ‘राष्ट्रीय कबीर सम्मान’ गठित करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस सम्मान से उन कवियों को प्रोत्साहन मिलता है, जिन्होंने संत कबीर की परंपरा को आगे बढ़ाया। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और उनके योगदान की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा कि सद्गुरु कबीर केवल महान आध्यात्मिक नेता ही नहीं थे, बल्कि समाज सुधारक भी थे। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष किया और इन कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रयास भी किया। राष्ट्रपति ने कहा कि संत कबीर द्वारा दिखाए गए समानता और सद्भाव के रास्ते हमारे समाज के लिए प्रेरणा हैं। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर ‘मध्य प्रदेश में कबीर’ पुस्तक की पहली प्रति प्राप्त की। राष्ट्रपति ने बाद में भोपाल में रानी झांसी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति कल अमरकंटक में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्व विद्यालय के दूसरे दीक्षान्त समारोह को संबोधित करेंगे
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भाजपा सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु
27 May. 2017
अमित शाह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इन तीन वर्षों में कई क्षेत्रों में असाधारण काम करके मील का पत्थर स्थापित किया है और एक महान भारत की नींव डालने का काम किया है:
लोकतंत्र में सरकार के कामकाज का सबसे बड़ा पैमाना जनादेश होता है। 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद देश में हुए सभी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने जनाधार को बढ़ाया है और ज्यादातर चुनावों में विजय प्राप्त की है:
देश की जनता यह मानती है कि मोदी सरकार गरीबों की सरकार है, देश के गौरव को बढ़ाने वाली सरकार है, पारदर्शी व निर्णायक सरकार है। देश की जनता मानती है कि श्री नरेन्द्र मोदी जी आजादी के बाद देश के सबसे लोकप्रिय लोकनेता बन कर उभरे हैं:
इन तीन सालों में देश की जनता का आत्मविश्वास बढ़ाने, दुनिया में देश की प्रतिष्ठा व मान-सम्मान में वृद्धि करने और देश की सोच के स्केल को बदलने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सफल हुए हैं:
इन तीन वर्षों में देश की राजनीति से परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण के अभिशाप को ख़त्म करने का काम हुआ है जो देश की राजनीति के लिए एक शुभ संकेत है:
आजादी के 70 सालों में जो चीजें हम अचीव नहीं कर पाए, मोदी सरकार ने इन तीन वर्षों में इसे अचीव किया है, इसलिए हमने तीन साल के पूरे होने पर अपने लोकसंपर्क अभियान का नारा बनाया है - साथ है, विश्वास है, हो रहा विकास है:
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार एक निर्णायक सरकार है, त्वरित फैसले लेने वाली सरकार है और योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने वाली सरकार है:
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सभी दलों को साथ लाकर जीएसटी के माध्यम से ‘एक राष्ट्र, एक कर' के स्वप्न को साकार करके दिखाया है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है
सर्जिकल स्ट्राइक करके सेना के जवानों ने जो वीरता दिखाई और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जिस राजनीतिक दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया, उससे भारत दुनिया में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है:
स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, स्किल इंडिया और मुद्रा योजना के माध्यम से देश भर में लगभग 8 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है:
आजादी के 70 साल बाद भी बिजली से वंचित देश के 18 हजार गाँवों में से लगभग 13 हजार से अधिक गाँवों में बिजली पहुंचाने का कार्य पूरा कर लिया गया है, बाकी बचे गाँवों में भी 2018 तक बिजली पहुंचाने का काम पूरा कर लिया जाएगा:
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में भारत आज दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, महंगाई काबू में है, विदेशी मुद्रा भंडार अपने रिकॉर्ड स्तर पर है, सेंसेक्स 31000 को पार कर गई है, निफ्टी भी अपने उच्चतम स्तर पर है:
सार्वजनिक जीवन में शुचिता लाने के लिए और चुनावी राजनीति में से काले-धन के दुष्प्रभाव को निरस्त करने के लिए कैश में लिए जाने वाले चंदे की रकम को दो हजार रुपये तक सीमित करने का साहस भी नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है:
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज, शुक्रवार को भाजपा के केन्द्रीय मुख्यालय में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भाजपा सरकार के तीन बेमिसाल वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया और मोदी सरकार की उपलब्धियों और गरीब-कल्याण की नीतियों पर विस्तार से चर्चा की।
साथ है, विश्वास है, हो रहा विकास है
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इन तीन वर्षों में कई क्षेत्रों में असाधारण काम करके मील का पत्थर स्थापित किया है और एक महान भारत की नींव डालने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इन तीन सालों में देश की जनता का आत्मविश्वास बढ़ाने, दुनिया में देश की प्रतिष्ठा व मान-सम्मान में वृद्धि करने और देश की सोच के स्केल को बदलने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन तीन वर्षों में देश की राजनीति में आमूल-चूल परिवर्तन आया है, इन तीन वर्षों में हमारे विरोधी भी हमारी सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा सकते। उन्होंने कहा कि इन तीन वर्षों में देश की राजनीति में से परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण के अभिशाप को ख़त्म करने का काम हुआ है जो देश की राजनीति के लिए एक शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 सालों में जो चीजें हम अचीव नहीं कर पाए, मोदी सरकार ने इन तीन वर्षों में उन चीजों को हासिल करने में सफलता अर्जित की है और इसलिए हमने भाजपा सरकार के तीन साल के पूरे होने पर लोकसंपर्क अभियान का नारा बनाया है - साथ है, विश्वास है, हो रहा विकास है।
संवेदनशील, पारदर्शी एवं निर्णायक सरकार श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक मान्यता देने की 1955 से लंबित मांग को पूरा कर के देश के करोड़ों पिछड़े लोगों को सम्मान से जीने का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि 40 सालों से लंबित पूर्व सैनिकों की ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (ओआरओपी) को पूरा करके संवेदनशील भाजपा सरकार ने लगभग 8000 करोड़ रुपये की राशि को पूर्व सैनिकों के खाते में सीधा पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि एक साथ 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करके भारत एक ग्लोबल लीडर के रूप में दुनिया में उभरा है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक करके सेना के जवानों ने जो वीरता दिखाई और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जिस राजनीतिक दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया, उससे भारत दुनिया में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक राष्ट्रवादी सरकार का परिचय देते हुए शत्रु संपत्ति बिल को क़ानून बनाकर इसपर एक्शन लिया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नोटबंदी, फर्जी कंपनियों के खिलाफ एक्शन और बेनामी संपत्ति का क़ानून लाकर मोदी सरकार ने काले-धन को ख़त्म करने की दिशा में निर्णायक पहल की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने चुनाव सुधार की एक नई सोच देश की जनता और सभी राजनीतिक दलों के सामने रखने का काम किया ताकि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक के सारे चुनाव एक ही दिन कराया जा सके और जनता के ऊपर से चुनाव खर्च के बोझ को कम किया जा सके। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सभी दलों को साथ लाकर जीएसटी के माध्यम से ‘एक राष्ट्र, एक कर' के स्वप्न को साकार करके दिखाया है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि ग्यारह सौ से ज्यादा अप्रासंगिक कानूनों को ख़त्म करके मोदी सरकार ने क़ानून के जंगल में मंगल का काम किया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा के लिए 48000 करोड़ रुपया आवंटित करके गरीबों की जिन्दगी को आसान बनाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम पर भीम एप शुरू करके गरीबों को डिजिटल ट्रांजेक्शन का सबसे पॉपुलर एप उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि विकलांगों को दिव्यांग का नाम देकर और उनकी भलाई के लिए कई योजनायें लाकर मोदी सरकार ने एक संवेदनशील सरकार होने का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि मैटरनिटी की छुट्टी को 26 सप्ताह तक बढ़ा कर मोदी जी ने इस देश के करोड़ों गर्भवती महिलाओं को खुद के और बच्चे की स्वास्थ्य की देखभाल करने का मौक़ा दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार एक निर्णायक सरकार है, त्वरित फैसले लेने वाली सरकार है और योजनाओं को समाज के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाने वाली सरकार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में हमने देश को पॉलिसी पैरालिसिस वाली सरकार के स्थान पर एक निर्णायक सरकार देने का काम किया है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि नार्थ-ईस्ट के विकास के लिए भी मोदी सरकार ने काफी कार्य किये हैं। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से भारतीय संस्कृति को पूरी दुनिया में सम्मान दिलाने का काम मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि हलके लड़ाकू विमान ‘तेजस' को वायु सेना में सम्मिलित करके ‘मेक इन इंडिया' इनिशिएटिव को बहुत बड़ा बल प्रदान किया गया है, साथ ही, सेना के आधुनिकीकरण को भी बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि पेरिस जलवायु सम्मेलन में भारत की भूमिका को पूरी दुनिया ने सराहा है और भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस मामले में भी ग्लोबल लीडर के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि लाल बत्ती के वीआईपी कल्चर को बदलने का काम भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', नमामि गंगे और स्वच्छता अभियान के माध्यम से जनसमस्याओं को जन-भागीदारी से सुलझाने की पहल भी मोदी सरकार ने की है।
11. सरकार की प्रमुख पहलों का निर्माण समाज के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य गांधीजी की 150वीं जयंती के साथ 02 अक्तूबर, 2019 तक भारत को स्वच्छ बनाना है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बहाली के लिए मनरेगा जैसे कार्यक्रमों पर बढ़े व्यय से रोजगार में वृद्धि हो रही है। 110 करोड़ से अधिक लोगों तक अपनी वर्तमान पहुंच के साथ आधार लाभों के सीधे अंतरण, आर्थिक नुकसान रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद कर रहा है। डिजिटल भारत कार्यक्रम डिजिटल ढांचे के सर्वव्यापक प्रावधान और नकदीरहित आर्थिक लेन-देन साधनों के द्वारा एक ज्ञानपूर्ण अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहा है। स्टार्ट-अप इंडिया और अटल नवाचार मिशन जैसी पहलें नवाचार और नए युग की उद्यमिता को प्रोत्साहन दे रही हैं। कौशल भारत पहल के अंतर्गत, राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन 2022 तक 30 करोड़ युवाओं को कौशलयुक्त बनाने के लिए कार्य कर रहा है।
उपलब्धियों भरा वर्ष श्री शाह ने कहा कि मैं यह गर्व के साथ कहना चाहता हूँ कि पिछला वित्तीय वर्ष कई मायनों में बेमिसाल उपलब्धियों वाला वर्ष रहा। उन्होंने कहा कि 2016-17 वित्तीय वर्ष में यूरिया का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, इस वित्तीय वर्ष में सबसे ज्यादा इथेनॉल का उत्पादन हुआ, सबसे ज्यादा घरेलू गैस कनेक्शन वितरित किये गए, सबसे ज्यादा कोयले का उत्पादन हुआ, सबसे ज्यादा विद्युत् उत्पादन हुआ, सबसे ज्यादा पूंजी रेलवे के विकास के लिए दी गई, सबसे ज्यादा राजमार्ग बनाए गए, सबसे ज्यादा तेज गति से ग्रामीण सड़कें बनाई गयी, सबसे ज्यादा सॉफ्टवेयर का निर्यात किया गया और सबसे ज्यादा मोटर गाड़ी व टू व्हीलर का उत्पादन हुआ। उन्होंने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर है, यही बताता है कि श्री नरेन्द्र मोदी सरकार किस तरह से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इन तीन वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने न्यू इंडिया की नींव रखने का काम किया है, वे देश को महान भारत बनाने की दिशा में आगे लेकर बढ़े हैं।
सोशल सेक्टर में सुधार भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत देश भर में लगभग साढ़े 28 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक अकाउंट खोले गए हैं और उन्हें देश के अर्थतंत्र की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा और जीवन सुरक्षा बीमा के अंतर्गत लगभग 13 करोड़ नागरिकों को सुरक्षा कवच दिया गया है, उज्ज्वला योजना के माध्यम से देश के दो करोड़ गरीब महिलाओं को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है, गिव इट अप के तहत लगभग एक करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी सब्सिडी छोड़ी है, जेनेरिक दवाओं के माध्यम से देश के गरीब लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने का काम किया गया है, स्टैंट के दाम 80% तक कम किये गए हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी बिजली से वंचित देश के 18 हजार गाँवों में से लगभग 13 हजार से अधिक गाँवों में बिजली पहुंचाने का कार्य पूरा कर लिया गया है, बाकी बचे गाँवों में भी 2018 तक बिजली पहुंचाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुद्रा बैंक के माध्यम से साढ़े साथ करोड़ युवाओं को स्वरोजगार के लिए काफी आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 2018 तक लेप्रोसी और कालाजार से मुक्त होने का लक्ष्य रखा है, 2020 तक चेचक से मुक्ति पाने का लक्ष्य तय किया है, इस दिशा में देश तेज गति से आगे बढ़ रहा है। माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा देश भर में लगभग साढ़े चार करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है, मिशन इन्द्रधनुष के माध्यम से साढ़े सात करोड़ बच्चों के टीकाकरण का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि स्किल इंडिया के माध्यम से युवाओं के स्किल अपग्रेडेशन का कार्य तेज गति से प्रगति पर है। स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, स्किल इंडिया और मुद्रा योजना के माध्यम से देश भर में लगभग 8 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम मजदूरी में 42% की वृद्धि हुई है, यूनिवर्सल पीएफ अकाउंट के माध्यम से मजदूरों की बहुत सारी समस्याओं का अंत किया गया है। उन्होंने कहा कि एक गरीब और बूढ़े मजदूरों के पेंशन को न्यूनतम एक हजार करके सम्मान देने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्ग तीन और वर्ग चार की नौकरी में से इंटरव्यू को ख़त्म करने का काम भी मोदी सरकार ने किया है, भाजपा की सभी राज्य सरकारों ने भी इस पारदर्शी मॉडल को अपनाया है।
भारत: दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में भारत आज दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, महंगाई काबू में है, विदेशी मुद्रा भंडार अपने रिकॉर्ड स्तर पर है, एक साल में विदेशी मुद्रा सेंसेक्स 31000 को पार कर गई है और निफ्टी भी अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है। उन्होंने कहा कि बिजली उपलब्धता में भारत 2014 में दुनिया में 99वें स्थान पर था जबकि आज हम 76 स्थान ऊपर उठ कर 26वें स्थान पर आ गए हैं जो कि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास दर पांच प्रतिशत से ऊपर रहा है। उन्होंने कहा कि आईएमएफ के अनुसार भारत का विकास दर 7.2 फीसदी रहने की संभावना है जबकि कांग्रेस की यूपीए सरकार 2014 में इसे 4.8 फीसद में छोड़ कर गई थी। उन्होंने कहा कि लगातार तीसरे वर्ष कृषि विकास दर में वृद्धि दर्ज की गई है, कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय कृषि विकास दर ऋणात्मक थी जबकि मोदी सरकार में यह लगातार 4% से ऊपर है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल कॉम्पिटिटिव इंडेक्स में हम 71वें स्थान से 39वें स्थान पर आ गाये हैं। उन्होंने कहा कि नेमुरा के अनुसार, निर्यात में शुरुआती गिरावट के बात लगातार वृद्धि का दौर जारी है और मार्च महीने में यह सालाना आधार पर 27.6 प्रतिशत बढ़ा है। एफडीआई में 45% की वृद्धि हुई है, एक्सपोर्ट में तेजी आई है, ब्याज दरों में कटौती करने में हमें सफलता मिली है, राजकोषीय खाते को 3.9 प्रतिशत तक रखने में हम सफल हुए हैं और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर संग्रह में लगभग 20% की वृद्धि दर्ज की गई है जो आजादी के बाद से सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष जहां भारत में प्रति व्यक्ति आय 93,293 रुपये थी, वहीं इस वित्त वर्ष यह 103,007 रुपये रहने का अनुमान है।
काले धन पर प्रहार भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इन तीन वर्षों में काले-धन के रास्ते को बंद करने के लिए कई कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला लेते हुए काले-धन के खिलाफ लड़ाई की अपनी प्रतिबद्धता दर्शाई, फर्जी कंपनियों के खिलाफ एक्शन और बेनामी संपत्ति का क़ानून लाकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की मोदी सरकार ने काले-धन को रोकने की दिशा में निर्णायक पहल की। उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन और स्पेक्ट्रम की पारदर्शी नीलामी सुनिश्चित की गई और इससे भ्रष्टाचार को ख़त्म करने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि मनी लॉन्डरिंग के जरिये अर्जित की गई बेनामी संपत्ति में से लगभग 15 हजार करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति सीज की गई है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई की कटिबद्धता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि लगभग 9.36 लाख करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी गई है, साइप्रस, सिंगापुर और मॉरीशस रूट बंद करके काले धन को वापिस लाने को अर्थतंत्र में वापस लाने के रास्ते बंद किये गए हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में शुचिता लाने के लिए और चुनावी राजनीति में से काले-धन के दुष्प्रभाव को निरस्त करने के लिए कैश में लिए जाने वाले चंदे की रकम को दो हजार रुपये तक सीमित करने का साहस भी नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है।
किसानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध सरकार माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि किसानों की भलाई के लिए मोदी सरकार ने कई इनिशिएटिव लिए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए स्वायल हेल्थ कार्ड, नीम कोटेड यूरिया, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, ई-मंडी इत्यादि योजनाओं के माध्यम से किसानों के जीवन-स्तर को ऊपर उठाने के लिए कार्य किये गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से खेत से लेकर खलिहान तक किसानों की फसल को सुरक्षित करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि रबी और खरीफ फसलों के मिनिमम सपोर्ट प्राइस में सरकार द्वारा लगातार तीसरी बार वृद्धि की गई है, दलहन फसलों को एमएसपी पर खरीद कर सरकार ने दाल उत्पादक किसानों को काफी राहत प्रदान की गयी है, किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये किसानों की सुविधा में बढ़ोत्तरी की गई है। उन्होंने कहा कि आपदा के समय किसानों को सहायता देने के सभी पैमानों में बढ़ोत्तरी की गई है। किसानों को दी जाने वाली आवंटित राशि को लगभग दोगुना कर दिया गया है, गन्ना किसानों का भुगतान लगभग - लगभग पूरा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि नीम कोटेड यूरिया के मदद से पेस्टीसाइड के उपयोग और खाद के उपयोग में कमी लाई गई है, साथ ही खादों के दाम में भी आजादी के बाद पहली बार कमी आई है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में तेज प्रगति श्री शाह ने कहा कि आजादी के बाद सबसे तेज गति से राजमार्गों का निर्माण मोदी सरकार में हो रहा है, राजमार्गों को लेवी फ्री एवं क्रोसिंग फ्री बनाने का काम किया जा रहा है, जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ी सुरंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया, आज ही प्रधानमंत्री जी ने असम को अरुणाचल प्रदेश से जोड़ने वाली देश की सबसे लंबी सड़क पुल भूपेन हजारिक का उद्घाटन किया है। उन्होंने कहा कि विद्युत् उत्पादन क्षमता में एक तिहाई जबकि विद्युत् ट्रांसमिशन में एक चौथाई बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने कहा कि रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए करोड़ों का निवेश किया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में लगभग 30 करोड़ एलइडी बल्ब बांटे गए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष लगभग 28 लाख विदेशी पर्यटकों को देश में लाने का काम किया गया है, इसमें लगभग 13% की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि ग्राम सड़क योजना में लगभग 130 किलोमीटर सड़क रोज बनाया गया है, उड़ान के माध्यम से सस्ती हवाई यात्रा की शुरुआत की गई है, सागरमाला में कार्य प्रगति पर है और नाविक नेविगेशन में भी दुनिया के कई देश भारत के साथ आ रहे हैं, होम लोन की दर को कम करके लोगों को राहत दी गयी है और सस्ते घर के सपने को साकार करने का काम हुआ है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार के कामकाज का सबसे बड़ा पैमाना जनता का जनादेश होता है। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद देश में हुए सभी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने जनाधार को बढ़ाया है और ज्यादातर चुनावों में विजय प्राप्त की है, यह मोदी सरकार को जनता का सर्टिफिकेट है। उन्होंने कहा कि देश की जनता यह मानती है कि मोदी सरकार गरीबों की सरकार है, देश के गौरव को बढ़ाने वाली सरकार है, पारदर्शी व निर्णायक सरकार है। उन्होंने कहा कि देश की जनता मानती है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी आजादी के बाद से देश के सबसे लोकप्रिय लोकनेता बन कर उभरे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा शुरू की गयी योजनायें
1. प्रधानमंत्री जन धन योजना 2. प्रधानमंत्री आवास योजना 3. प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना 4. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना 5. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना 6. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना 7. अटल पेंशन योजना 8. सांसद आदर्श ग्राम योजना 9. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 10. प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना 11. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना 12. प्रधानमंत्री जन औषधि योजना 13. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 14. मेक इन इंडिया 15. स्वच्छ भारत अभियान 16. किसान विकास पत्र 17. सॉइल हेल्थ कार्ड स्कीम 18. डिजिटल इंडिया 19. स्किल इंडिया 20. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना 21. मिशन इन्द्रधनुष 22. दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना 23. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना 24. पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते योजना 25. अटल मिशन फॉर रेजुवेनशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत योजना) 26. स्वदेश दर्शन योजना 27. पिल्ग्रिमेज रेजुवेनशन एंड स्पिरिचुअल ऑग्मेंटशन ड्राइव (प्रसाद योजना) 28. नेशनल हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटशन योजना (ह्रदय योजना) 29. उड़ान स्कीम 30. नेशनल बाल स्वछता मिशन 31. वन रैंक वन पेंशन (OROP) स्कीम 32. स्मार्ट सिटी मिशन 33. गोल्ड मोनेटाईजेशन स्कीम 34. स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया 35. डिजिलॉकर 36. इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम 37. श्यामा प्रसाद मुखेर्जी रुर्बन मिशन 38. सागरमाला प्रोजेक्ट 39. ‘प्रकाश पथ’ – ‘वे टू लाइट’ 40. उज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना 41. विकल्प स्कीम 42. नेशनल स्पोर्ट्स टैलेंट सर्च स्कीम 43. राष्ट्रीय गोकुल मिशन 44. पहल – डायरेक्ट बेनिफिट्स ट्रांसफर फॉर LPG (DBTL) कंस्यूमर्स स्कीम 45. नेशनल इंस्टीटूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति आयोग) 46. प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना 47. नमामि गंगे प्रोजेक्ट 48. सेतु भारतं प्रोजेक्ट 49. रियल एस्टेट बिल 50. आधार बिल 51. क्लीन माय कोच 52. राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान 53. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 54. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना 55. उन्नत भारत अभियान 56. टी बी मिशन 2020 57. धनलक्ष्मी योजना 58. नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम 59. गंगाजल डिलीवरी स्कीम 60. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान 61. विद्यांजलि योजना 62. स्टैंड अप इंडिया लोन स्कीम 63. ग्राम उदय से भारत उदय अभियान 64. सामाजिक अधिकारिता शिविर 65. रेलवे यात्री बीमा योजना 66. स्मार्ट गंगा सिटी 67. मिशन भागीरथ 68. विद्यालक्ष्मी लोन स्कीम 69. स्वयं प्रभा 70. प्रधानमंत्री सुरक्षित सड़क योजना 71. शाला अश्मिता योजना 72. प्रधानमंत्री ग्राम परिवहन योजना 73. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान – National Health Protection Mission 74. राईट टू लाइट स्कीम (आने वाली योजना) 75. राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 76. उड़ान – उडे देश का आम नागरिक 77. डिजिटल ग्राम 78. ऊर्जा गंगा 79. सौर सुजाला योजना 80. एक भारत श्रेष्ठ भारत 81. शहरी हरित परिवहन योजना (GUTS) 82. नोटबंदी 83. प्रधानमंत्री युवा योजना 84. भारत नेशनल कार असेसमेंट प्रोग्राम (NCAP) 85. अमृत OR AMRIT (अफोर्डेबल मेडिसिन एंड रिलाएबल इम्प्लांट्स फॉर ट्रीटमेंट) 86. राष्ट्रीय आदिवासी उत्सव 87. प्रवासी कौशल विकास योजना 88. प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना 89. गर्भवती महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता योजना 90. वरिष्ठ नागरिकों के लिए Fixed Deposit स्कीम – वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना 2017 91. प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान 92. यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम 93. जन धन खाता धारकों के लिए बीमा योजना 94. महिला उद्यमियों के लिए स्टार्ट-अप इंडिया योजना 95. मछुआरों के लिए मुद्रा लोन योजना 96. ग्रीन अर्बन मोबिलिटी स्कीम 97. राष्ट्रीय वयोश्री योजना 98. MIG के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना लोन स्कीम 99. पॉवेरटेक्स इंडिया स्कीम 100. भारत के वीर पोर्टल 101. व्यापारियों के लिए भीम आधार एप 102. भीम रेफेरल बोनस स्कीम और कैशबैक स्कीम 103. शत्रु सम्पति कानून 104. डिजिधन मेला 105. राष्ट्रीय जनजातीय कार्निवल 106. यूनिवर्सल बेसिक आय योजना


भारत के गणतंत्र दिवस 2017 की पूर्व संध्या पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का राष्ट्र के नाम संदेश
25 Jan. 2017
प्यारे देशवासियो,

हमारे राष्ट्र के अड़सठवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं भारत और विदेशों में बसे आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूं। मैं सशस्त्र बलों, अर्द्धसैनिक बलों और आंतरिक सुरक्षा बलों के सदस्यों को अपनी विशेष बधाई देता हूं। मैं उन वीर सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने और कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। भाइयो और बहनो,
2. 15 अगस्त, 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ, हमारे पास अपना कोई शासन दस्तावेज नहीं था। हमने 26 जनवरी, 1950 तक प्रतीक्षा की, जब भारतीय जनता ने इसके सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता तथा लैंगिक और आर्थिक समता के लिए स्वयं को एक संविधान सौंपा। हमने भाईचारे, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को प्रोत्साहित करने का वचन दिया। उस दिन हम विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गए।
3. लोगों के विश्वास और प्रतिबद्धता ने हमारे संविधान को जीवन प्रदान किया और हमारे राष्ट्र के संस्थापकों ने, बुद्धिमत्ता और सजगता के साथ भारी क्षेत्रीय असंतुलन और बुनियादी आवश्यकताओं से भी वंचित विशाल नागरिक वर्ग वाली एक गरीब अर्थव्यवस्था की तकलीफों से गुजरते हुए, नए राष्ट्र को आगे बढ़ाया।
4. हमारे संस्थापकों द्वारा निर्मित लोकतंत्र की मजबूत संस्थाओं को यह श्रेय जाता है कि पिछले साढ़े छ: दशकों से भारतीय लोकतंत्र अशांति से ग्रस्त क्षेत्र में स्थिरता का मरूद्यान रहा है। 1951 में 36 करोड़ की आबादी की तुलना में, अब हम 1.3 अरब आबादी वाले एक मजबूत राष्ट्र हैं। उसके बावजूद, हमारी प्रति व्यक्ति आय में दस गुना वृद्धि हुई है, गरीबी अनुपात में दो तिहाई की गिरावट आई है, औसत जीवन प्रत्याशा दुगुनी से अधिक हो गई है, और साक्षरता दर में चार गुना बढ़ोतरी हुई है। आज हम विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था हैं। हम वैज्ञानिक और तकनीकी जनशक्ति के दूसरे सबसे बड़े भंडार, तीसरी सबसे विशाल सेना, न्यूक्लीयर क्लब के छठे सदस्य, अंतरिक्ष की दौड़ में शामिल छठे सदस्य और दसवीं सबसे बड़ी औद्योगिक शक्ति हैं। एक निवल खाद्यान्न आयातक देश से भारत अब खाद्य वस्तुओं का एक अग्रणी निर्यातक बन गया है। अब तक की यात्रा घटनाओं से भरपूर, कभी-कभी कष्टप्रद, परंतु अधिकांश समय आनंददायक रही है।
5. जैसे हम यहां तक पहुंचे हैं वैसे ही और आगे भी पहुंचेंगे। परंतु हमें बदलती हवाओं के साथ तेजी से और दक्षतापूर्वक अपने रुख मंर परिवर्तन करना सीखना होगा। प्रगतिशील और वृद्धिगत विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्नति से पैदा हुए तीव्र व्यवधानों को समायोजित करना होगा। नवाचार, और उससे भी अधिक समावेशी नवाचार को एक जीवनशैली बनाना होगा। शिक्षा को प्रौद्योगिकी के साथ आगे बढ़ना होगा। मनुष्य और मशीन की दौड़ में, जीतने वाले को रोजगार पैदा करना होगा। प्रौद्योगिकी अपनाने की रफ्तार के लिए एक ऐसे कार्यबल की आवश्यकता होगी जो सीखने और स्वयं को ढालने का इच्छुक हो। हमारी शिक्षा प्रणाली को, हमारे युवाओं को जीवनपर्यंत सीखने के लिए नवाचार से जोड़ना होगा।

प्यारे देशवासियो,
6. हमारी अर्थव्यवस्था चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद, अच्छा प्रदर्शन करती रही है। 2016-17 के पूर्वाद्ध में, पिछले वर्ष की तरह, इसमें 7.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई , और इसमें निरंतर उभार दिखाई दे रहा है। हम मजबूती से वित्तीय दृढ़ता के पथ पर अग्रसर हैं और हमारा मुद्रास्फीति का स्तर आरामदायक है। यद्यपि हमारे निर्यात में अभी तेजी आनी बाकी है, परंतु हमने विशाल विदेशी मुद्रा भंडार वाले एक स्थिर बाह्य क्षेत्र को कायम रखा है।
7. काले धन को बेकार करते हुए और भ्रष्टाचार से लड़ते हुए, विमुद्रीकरण से आर्थिक गतिविधि में, कुछ समय के लिए मंदी आ सकती है। लेन-देन के अधिक से अधिक नकदीरहित होने से अर्थव्यवस्था की पारदर्शिता बढ़ेगी।

भाइयो और बहनो,
8. स्वतंत्र भारत में जन्मी, नागरिकों की तीन पीढ़ियाँ औपनिवेशिक इतिहास के बुरे अनुभवों को साथ लेकर नहीं चलती हैं। इन पीढ़ियों को स्वतंत्र राष्ट्र में शिक्षा प्राप्त करने, अवसरों को खोजने और एक स्वतंत्र राष्ट्र में सपने पूरे करने का लाभ मिलता रहा है। इससे उनके लिए कभी-कभी स्वतंत्रता को हल्के में लेना; असाधारण पुरुषों और महिलाओं द्वारा इस स्वतंत्रता के लिए चुकाये गए मूल्यों को भूल जाना; और स्वतंत्रता के पेड़ की निरंतर देखभाल और पोषण की आवश्यकता को विस्मृत कर देना आसान हो जाता है। लोकतंत्र ने हम सब को अधिकार प्रदान किए हैं। परंतु इन अधिकारों के साथ-साथ दायित्व भी आते हैं, जिन्हें निभाना पड़ता है। गांधीजी ने कहा, ‘आजादी के सर्वोच्च स्तर के साथ कठोर अनुशासन और विनम्रता आती है। अनुशासन और विनम्रता के साथ आने वाली आजादी को अस्वीकार नहीं किया जा सकता; अनियंत्रित स्वच्छंदता असभ्यता की निशानी है, जो अपने और दूसरों के लिए समान रूप से हानिकारक है।’

प्यारे देशवासियो,
9. आज युवा आशा और आकांक्षाओं से भरे हुए हैं। वे अपने जीवन के उन लक्ष्यों को लगन के साथ हासिल करते हैं, जिनके बारे में वे समझते हैं कि वे उनके लिए प्रसिद्धि, सफलता और प्रसन्नता लेकर आएंगे। वे प्रसन्नता को अपना अस्तित्वपरक उद्देश्य मानते हैं जो स्वाभाविक भी है। वे रोजमर्रा की भावनाओं के उतार-चढ़ाव में, और अपने लिए निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति में प्रसन्नता खोजते हैं। वे रोजगार के साथ-साथ जीवन का प्रयोजन भी ढूंढते हैं। अवसरों की कमी से उन्हें निराशा और दुख होता है जिससे उनके व्यवहार में क्रोध, चिंता, तनाव और असामान्यता पैदा होती है। लाभकारी रोजगार, समुदाय के साथ सक्रिय जुड़ाव, माता-पिता के मार्गदर्शन, और एक जिम्मेवार समाज की सहानुभूति के जरिए उनमें समाज अनुकूल आचरण पैदा करके इससे निपटा जा सकता है।

भाइयो और बहनो,
10. मेरे एक पूर्ववर्ती ने मेरी मेज पर फ्रेम किया हुआ कथन छोड़ा जो इस प्रकार था: ‘शांति और युद्ध में सरकार का उद्देश्य शासकों और जातियों की महिमा नहीं है बल्कि आम आदमी की खुशहाली है।’ खुशहाली जीवन के मानवीय अनुभव का आधार है। खुशहाली समान रूप से आर्थिक और गैर आर्थिक मानदंडों का परिणाम है। खुशहाली के प्रयास सतत विकास के साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं, जिसमें मानव कल्याण, सामाजिक समावेशन और पर्यावरण को बनाए रखना शामिल है। हमें अपने लोगों की खुशहाली और बेहतरी को लोकनीति का आधार बनाना चाहिए।
11. सरकार की प्रमुख पहलों का निर्माण समाज के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य गांधीजी की 150वीं जयंती के साथ 02 अक्तूबर, 2019 तक भारत को स्वच्छ बनाना है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बहाली के लिए मनरेगा जैसे कार्यक्रमों पर बढ़े व्यय से रोजगार में वृद्धि हो रही है। 110 करोड़ से अधिक लोगों तक अपनी वर्तमान पहुंच के साथ आधार लाभों के सीधे अंतरण, आर्थिक नुकसान रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद कर रहा है। डिजिटल भारत कार्यक्रम डिजिटल ढांचे के सर्वव्यापक प्रावधान और नकदीरहित आर्थिक लेन-देन साधनों के द्वारा एक ज्ञानपूर्ण अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहा है। स्टार्ट-अप इंडिया और अटल नवाचार मिशन जैसी पहलें नवाचार और नए युग की उद्यमिता को प्रोत्साहन दे रही हैं। कौशल भारत पहल के अंतर्गत, राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन 2022 तक 30 करोड़ युवाओं को कौशलयुक्त बनाने के लिए कार्य कर रहा है।
भाइयो और बहनो,
12. मुझे पूरा विश्वास है कि भारत का बहुलवाद और उसकी सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषायी और धार्मिक अनेकता हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। हमारी परंपरा ने सदैव ‘असहिष्णु’ भारतीय नहीं बल्कि ‘तर्कवादी’ भारतीय की सराहना की है। सदियों से हमारे देश में विविध दृष्टिकोणों, विचारों और दर्शन ने शांतिपूर्वक एक दूसरे के साथ स्पर्द्धा की है। लोकतंत्र के फलने-फूलने के लिए, एक बुद्धिमान और विवेकपूर्ण मानसिकता की जरूरत है। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए विचारों की एकता से अधिक, सहिष्णुता, धैर्य और दूसरों कासम्मान जैसे मूल्यों का पालन करने की आवश्यकता होती है। ये मूल्य प्रत्येक भारतीय के हृदय और मस्तिष्क में रहने चाहिए; जिससे उनमें समझदारी और दायित्व की भावना भरती रहे।
प्यारे दशवासियो,
13. हमारा लोकतंत्र कोलाहलपूर्ण है। फिर भी जो लोकतंत्र हम चाहते हैं वह अधिक हो, कम न हो। हमारे लोकतंत्र की मजबूती इस सच्चाई से देखी जा सकती है कि 2014 के आम चुनाव में कुल 83 करोड़ 40 लाख मतदाताओं में से 66 प्रतिशत से अधिक ने मतदान किया। हमारे लोकतंत्र का विशाल आकार हमारे पंचायती राज संस्थाओं में आयोजित किए जा रहे नियमित चुनावों से झलकता है। फिर भी हमारे कानून निर्माताओं को व्यवधानों के कारण सत्र का नुकसान होता है जबकि उन्हें महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस करनी चाहिए और विधान बनाने चाहिए। बहस, परिचर्चा और निर्णय पर पुन:ध्यान देने के सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए।
14. जबकि हमारा गणतंत्र अपने अड़सठवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि हमारी प्रणालियां श्रेष्ठ नहीं हैं। त्रुटियों की पहचान की जानी चाहिए और उनमें सुधार लाना चाहिए। स्थायी आत्मसंतोष पर सवाल उठाने होंगे। विश्वास की नींव को मजबूत बनाना होगा। चुनावी सुधारों पर रचनात्मक परिचर्चा करने और स्वतंत्रता के बाद के उन शुरुआती दशकों की परंपरा की ओर लौटने का समय आ गया है जब लोक सभा और राज्य विधान सभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित किए जाते थे। राजनीतिक दलों के विचार-विमर्श से इस कार्य को आगे बढ़ाना चुनाव आयोग का दायित्व है।

प्यारे देशवासियो,
15. भयंकर रूप से प्रतिस्पर्द्धी विश्व में, हमें अपनी जनता के साथ किए गए वादे पूरा करने के लिए पहले से अधिक परिश्रम करना होगा।

० हमें और अधिक परिश्रम करना होगा क्योंकि गरीबी से हमारी लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। हमारी अर्थव्यवस्था को अभी भी गरीबी पर तेज प्रहार करने के लिए दीर्घकाल में 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि करनी होगी। हमारे देशवासियों का पांचवां हिस्सा अभी तक गरीबी रेखा से नीचे बना हुआ है। गांधीजी का प्रत्येक आंख से हर एक आंसू पोंछने का मिशन अभी भी अधूरा है।
० हमें अपने लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए और प्रकृति के उतार-चढ़ाव के प्रति कृषि क्षेत्र को लचीला बनाने के लिए और अधिक परिश्रम करना है। हमें जीवन की श्रेष्ठ गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, गांवों के हमारे लोगों को बेहतर सुविधाएं और अवसर प्रदान करने होंगे।
० हमें विश्वस्तरीय विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के सृजन द्वारा युवाओं को और अधिक रोजगार अवसर प्रदान करने के लिए अधिक परिश्रम करना है। घरेलू उद्योग की स्पर्द्धात्मकता में गुणवत्ता, उत्पादकता और दक्षता पर ध्यान देकर सुधार लाना होगा।
० हमें अपनी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा और संरक्षा प्रदान करने के लिए और अधिक परिश्रम करना है। महिलाओं को सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने में सक्षम बनना चाहिए। बच्चों को पूरी तरह से अपने बचपन का आनंद उठाने में सक्षम होना चाहिए।
० हमें अपने उन उपभोग तरीकों को बदलने के लिए और अधिक परिश्रम करना है जिनसे पर्यावरणीय और पारिस्थिकीय प्रदूषण हुआ है। हमें बाढ़, भूस्खलन और सूखे के रूप में, प्रकोप को रोकने के लिए प्रकृति को शांत करना होगा।
० हमें और अधिक परिश्रम करना होगा क्योंकि निहित स्वार्थों द्वारा अभी भी हमारी बहुलवादी संस्कृति और सहिष्णुता की परीक्षा ली जा रही है। ऐसी स्थितियों से निपटने में तर्क और संयम हमारे मार्गदर्शक होने चाहिए।
० हमें आतंकवाद की बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए और अधिक परिश्रम करना है। इन शक्तियों का दृढ़ और निर्णायक तरीके से मुकाबला करना होगा। हमारे हितों की विरोधी इन शक्तियों को पनपने नहीं दिया जा सकता।
० हमें अपने उन सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों की बेहतरी को सुनिश्चित करने के लिए और अधिक परिश्रम करना है, जो आंतरिक और बाह्य खतरों से हमारी रक्षा करते हैं।
० हमें और अधिक परिश्रम करना है क्योंकि;
हम सभी अपनी मां के लिए एक जैसे बच्चे हैं;
और हमारी मातृभूमि, हम में से प्रत्येक से, चाहे हम कोई भी भूमिका निभाते हों;
हमारे संविधान में निहित मूल्यों के अनुसार;
निष्ठा, समर्पण और दृढ़ सच्चाई के साथ;
अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए कहती है।
जय हिंद!

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। पिछले महीने हम सब दिवाली का आनंद ले रहे थे।
Our Correspondent :28 November 2016
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। पिछले महीने हम सब दिवाली का आनंद ले रहे थे। हर वर्ष की तरह इस बार दिवाली के मौके पर, मैं फिर एक बार जवानों के साथ दिवाली मनाने के लिये, चीन की सीमा पर, सरहद पर गया था।ITBPके जवान, सेना के जवान - उन सबके साथ हिमालय की ऊंचाइयों में दिवाली मनाई। मैं हर बार जाता हूँ, लेकिन इस दिवाली का अनुभव कुछ और था। देश के सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने, जिस अनूठे अंदाज़ में, यह दिवाली सेना के जवानों को समर्पित की, सुरक्षा बलों को समर्पित की, इसका असर वहाँ हर जवानों के चेहरे पर अभिव्यक्त होता था। वो भावनाओं से भरे-भरे दिखते थे और इतना ही नहीं, देशवासियों ने जो शुभकामनायें-सन्देश भेजे, अपनी ख़ुशियों में देश के सुरक्षा बलों को शामिल किया, एक अद्भुत response था। और लोगों ने सिर्फ़ सन्देश भेजे, ऐसा नहीं, मन से जुड़ गए थे; किसी ने कविता लिखी, किसी ने चित्र बनाए, किसी ने कार्टून बनाए, किसी ने वीडियो बनाए, यानि न जाने हर घर सेनानियों की जैसे चौकी बन गया था। और जब भी ये चिट्ठियाँ मैं देखता था, तो मुझे भी बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि कितनी कल्पकता है, कितनी भावनायें भरी हैं और उसी में से MyGov को विचार आयाकि कुछ चुनिन्दा चीज़ें निकाल करके उसकी एक Coffee Table Book बनाई जाए। काम चल रहा है, आप सबके योगदान से, देश के सेना के जवानों की भावनाओं को आप सबकी कल्पकता से, देश के सुरक्षा बलों के प्रति आपका जो भाव-विश्व है, वह इस ग्रन्थ में संकलित होगा। सेना के एक जवान ने मुझे लिखा - प्रधानमंत्री जी, हम सैनिकों के लियेहोली, दिवाली हर त्योहार सरहद पर ही होता है, हर वक्त देश कीहिफाज़त में डूबे रहते हैं। हाँ, फिर भी त्योहारों के समय घर की याद आ ही जाती है। लेकिन सच कहूँ, इस बार ऐसा नहीं लगा। ऐसा कतई feel नहीं हुआ कि त्योहार है और मैं घर नहीं हूँ। ऐसा महसूस हुआ मानो हम भी, सवा-सौ करोड़ भारतवासियों के साथ दिवाली मनारहे हैं। मेरे प्यारे देशवासियो, जो अहसास इस दिवाली, इस माहौल में जो अनुभूति, हमारे देश के सुरक्षा बलों के बीच, जवानों के बीच जगा है, क्या ये सिर्फ़ कुछ मौकों पर ही सीमित रहना चाहिये? मेरी आपसे appeal है कि हम, एक समाज के रूप में, राष्ट्र के रूप में, अपनास्वभाव बनाएँ, हमारी प्रकृति बनाएँ। कोई भी उत्सव हो, त्योहार हो, खुशी का माहौल हो, हमारे देश के सेना के जवानों को हम किसी-न- किसी रूप में ज़रूर याद करें। जब सारा राष्ट्र सेना के साथ खड़ा होता है, तो सेना की ताक़त 125 करोड़ गुना बढ़ जाती है। कुछ समय पहले मुझे जम्मू-कश्मीर से, वहाँ के गाँव के सारे प्रधान मिलने आये थे।Jammu-Kashmir Panchayat Conference के ये लोग थे। कश्मीर घाटी से अलग-अलग गाँवों से आए थे। क़रीब 40-50 प्रधान थे। काफ़ी देर तक उनसे मुझे बातें करने का अवसर मिला। वे अपने गाँव के विकास की कुछ बातें लेकर के आए थे, कुछ माँगें लेकर के आएथे, लेकिन जब बात का दौर चल पड़ा, तो स्वाभाविक था, घाटी के हालात, क़ानून व्यवस्था, बच्चों का भविष्य, ये सारी बातें निकलना बड़ा स्वाभाविक था। और इतने प्यार से, इतने खुलेपन से, गाँव के इन प्रधानों ने बातें की, हर चीज़ मेरे दिल को छूने वाली थी। बातों-बातों में, कश्मीर में जो स्कूलें जलाई जाती थीं, उसकी चर्चा भी हुई और मैंने देखा कि जितना दुःख हम देशवासियों को होता है, इन प्रधानों को भी इतनी ही पीड़ा थी और वो भी मानते थे कि स्कूल नहीं, बच्चों का भविष्य जलाया गया है। मैंने उनसे आग्रह किया था कि आप जाकर के इन बच्चों के भविष्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करें। आज मुझे ख़ुशी हो रही है कि कश्मीर घाटी से आए हुए इन सभी प्रधानों ने मुझे जो वचन दिया था, उसको भली-भाँति निभाया; गाँव में जाकर के सब दूर लोगों को जागृत किया।अभी कुछ दिन पहले जब Board की exam हुई, तो कश्मीर के बेटे और बेटियों ने क़रीब 95%, पचानबे फ़ीसदी कश्मीर के छात्र-छात्राओं ने Board की परीक्षा में हिस्सा लिया।Board की परीक्षाओं में इतनी बड़ी तादाद में छात्रों का सम्मिलित होना, इस बात की ओर इशारा करता है कि जम्मू-कश्मीर के हमारे बच्चे उज्ज्वल भविष्य के लिये, शिक्षा के माध्यम से - विकास की नई ऊँचाइयों को पाने के लिये कृतसंकल्प हैं। उनके इस उत्साह के लिये, मैं छात्रों को तो अभिनन्दन करता हूँ, लेकिन उनके माता-पिता को, उनके परिजनों को, उनके शिक्षकों को और सभी ग्राम प्रधानों को भी ह्रदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। प्यारे भाइयो और बहनों, इस बार जब मैंने ‘मन की बात’ के लिये लोगों के सुझाव मांगे, तो मैं कह सकता हूँ कि एकतरफ़ा ही सबके सुझाव आए। सब कहते थे कि 500/- और 1000/- वाले नोटों पर और विस्तार से बातें करें। वैसे 8 नवम्बर, रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन करते हुए, देश में सुधार लाने के एक महाभियान का आरम्भ करने की मैंने चर्चा की थी। जिस समय मैंने ये निर्णय किया था, आपके सामने प्रस्तुत रखा था, तब भी मैंने सबके सामने कहा था कि निर्णय सामान्य नहीं है, कठिनाइयों से भरा हुआ है। लेकिन निर्णय जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही उस निर्णय को लागू करना है। और मुझे ये भी अंदाज़ थाकि हमारे सामान्य जीवन में अनेक प्रकार की नयी–नयी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। और तब भी मैंने कहा था कि निर्णय इतना बड़ा है, इसके प्रभाव में से बाहर निकलने में 50 दिन तो लग ही जाएँगे। और तब जाकर के normal अवस्था की ओर हम क़दम बढ़ा पाएँगे।70 साल से जिस बीमारियों को हम झेल रहे हैं उस बीमारियों से मुक्ति का अभियान सरल नहीं हो सकता है। आपकी कठिनाइयों को मैं भली-भांति समझ सकता हूँ। लेकिन जब मैं आपका समर्थन देखता हूँ, आपका सहयोग देखता हूँ; आपको भ्रमित करने के लिये ढेर सारे प्रयास चल रहे हैं, उसके बावजूद भी, कभी-कभी मन को विचलित करने वाली घटनायें सामने आते हुए भी, आपने सच्चाई के इस मार्ग को भली-भांति समझा है, देशहित की इस बात को भली-भांति आपने स्वीकार किया है। पाँच सौ और हज़ार के नोट और इतना बड़ा देश, इतनी करेंसियों की भरमार, अरबों-खरबों नोटें और ये निर्णय - पूरा विश्व बहुत बारीक़ी से देख रहा है, हर कोई अर्थशास्त्री इसका बहुत analysis कर रहा है, मूल्यांकन कर रहा है। पूरा विश्व इस बात को देख रहा है कि हिन्दुस्तान के सवा-सौ करोड़ देशवासी कठिनाइयाँ झेल करके भी सफलता प्राप्त करेंगे क्या! विश्व के मन में शायद प्रश्न-चिन्हहो सकता है! भारत को भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों के प्रति, सिर्फ़ श्रद्धा ही श्रद्धा है, विश्वास ही विश्वास है कि सवा-सौ करोड़ देशवासी संकल्प पूर्ण करके ही रहेंगे। और हमारा देश, सोने की तरह हर प्रकार से तप करके, निखर करके निकलेगा और उसका कारण इस देश का नागरिक है, उसका कारण आप हैं, इस सफलता का मार्ग भी आपके कारण ही संभव हुआ है। पूरे देश में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय स्वराज संस्थाओं की सारी इकाइयाँ, एक लाख तीस हज़ार bank branch, लाखों बैंक कर्मचारी, डेढ़ लाख से ज़्यादा पोस्ट ऑफिस, एक लाख से ज़्यादा बैंक-मित्र - दिन-रात इस काम में जुटे हुए हैं, समर्पित भाव से जुटे हुए हैं। भाँति-भाँति के तनाव के बीच, ये सभी लोग बहुत ही शांत-चित्त रूप से, इसे देश-सेवा का एक यज्ञ मान करके, एक महान परिवर्तन का प्रयास मान करके कार्यरत हैं। सुबह शुरू करते हैं, रात कब पूरा होगा, पता तक नहीं रहता है, लेकिन सब कर रहे हैं। और उसी का कारण है कि भारत इसमें सफल होगा, ये स्पष्ट दिखाई दे रहा है। और मैंने देखा है कि इतनी कठिनाइयों के बीच बैंक के, पोस्ट ऑफिस के सभी लोग काम कर रहे हैं। और जब मानवता के मुद्दे की बात आ जाए, तो वो दो क़दम आगे दिखाई देते हैं। किसी ने मुझे कहा कि खंडवा में एक बुज़ुर्ग इंसान का accident हो गया। अचानक पैसों की ज़रूरत पड़ गई। वहाँ स्थानीय बैंक के कर्मचारी के ध्यान में आया और मुझे ये जान करके खुशी हुई कि ख़ुद जाकर के उनके घर, उस बुज़ुर्ग को उन्होंने पैसे पहुँचाए, ताकि इलाज़ में मदद हो जाए। ऐसे तो अनगिनत किस्से हर दिन टी.वी. में, मीडिया में, अख़बारों में, बातचीत में सामने आते हैं। इस महायज्ञ के अन्दर परिश्रम करने वाले, पुरुषार्थ करने वाले इन सभी साथियों का भी मैं ह्रदय से धन्यवाद करता हूँ। शक्ति की पहचान तो तब होती है, जब कसौटी से पार उतरते हैं। मुझे बराबर याद है, जब प्रधानमंत्री के द्वारा जन-धन योजना का अभियान चल रहा था और बैंक के कर्मचारियों ने जिस प्रकार से उसको अपने कंधे पर उठाया था और जो काम 70 साल में नहीं हुआ था, उन्होंने करके दिखाया था। उनके सामर्थ्य का परिचय हुआ। आज फिर एक बार, उस चुनौती को उन्होंने लिया है और मुझे विश्वास है कि सवा-सौ करोड़ देशवासियों का संकल्प, सबका सामूहिक पुरुषार्थ, इस राष्ट्र को एक नई ताक़त बना करके प्रशस्त करेगा। लेकिन बुराइयाँ इतनी फैली हुई हैं कि आज भी कुछ लोगों की बुराइयों की आदत जाती नहीं है। अभी भी कुछ लोगों को लगता है कि ये भ्रष्टाचार के पैसे, ये काले धन, ये बेहिसाबी पैसे, ये बेनामी पैसे, कोई-न-कोई रास्ता खोज करके व्यवस्था में फिर से ला दूँ। वो अपने पैसे बचाने के फ़िराक़ में गैर-क़ानूनी रास्ते ढूंढ़रहे हैं। दुःख की बात ये है कि इसमें भी उन्होंने ग़रीबों का उपयोग करने का रास्ता चुनने का पसंद किया है।ग़रीबों को भ्रमित कर, लालच या प्रलोभन की बातें करके, उनके खातों में पैसे डाल करके या उनसे कोई काम करवा करके, पैसे बचाने की कुछ लोग कोशिश कर रहे हैं। मैं ऐसे लोगों से आज कहना चाहता हूँ - सुधरना, न सुधरना आपकी मर्ज़ी, क़ानून का पालन करना, न करना आपकी मर्ज़ी, वो क़ानून देखेगा क्या करना? लेकिन, मेहरबानी करके आप ग़रीबों की ज़िंदगी के साथ मत खेलिए। आप ऐसा कुछ न करें कि record परग़रीब का नाम आ जाए और बाद में जब जाँच हो, तब मेरा प्यारा ग़रीब आपके पाप के कारण मुसीबत में फँस जाए। और बेनामी संपत्ति का इतना कठोर क़ानून बना है, जो इसमेंलागू हो रहा है, कितनी कठिनाई आएगी। और सरकार नहीं चाहती है कि हमारे देशवासियों को कोई कठिनाई आए। मध्यप्रदेश के कोई श्रीमान आशीष ने इस पाँच सौ और हज़ार के माध्यम से भ्रष्टाचार और काले धन के ख़िलाफ़ जो लड़ाई छेड़ी गयी है, उन्होंने मुझे टेलीफ़ोन किया है, उसे सराहा है: - “सर नमस्ते, मेरा नाम आशीष पारे है। मैं ग्राम तिराली, तहसील तिराली, ज़िला हरदा, मध्यप्रदेश का एक आम नागरिक हूँ। आप के द्वारा जो मुद्रा हज़ार-पाँच सौ के नोट बंद किए गए हैं, यह बहुत ही सराहनीय है। मैं चाहता हूँ कि ‘मन की बात’ में कई उदाहरण लोगों को बताइए कि लोगों ने असुविधा सहन करने के बावजूद भी उन्होंने राष्ट्र उन्नति के लिये यह कड़ा क़दम के लिए स्वागत किया है, जिससे लोग एक तरह सेउत्साहवर्द्धित होंगे और राष्ट्र निर्माण के लिए cashless प्रणाली बहुत आवश्यक है और मैं पूरे देश के साथ हूँ और मैं बहुत खुश हूँ कि आपने हज़ार-पाँच सौ के नोट बंद करा दिए।’ वैसा ही मुझे एक फ़ोन कर्नाटक के श्रीमान येलप्पावेलान्करजी की तरफ़ से आया है: - ‘मोदी जी नमस्ते, मैं कर्नाटक का कोप्पल डिस्ट्रिक्ट का इस गाँव से येलप्पा वेलान्करबात कर रहा हूँ। आपको मन से मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, क्योंकि आपने कहा था कि अच्छे दिन आएँगे, लेकिन किसी ने भी नहीं सोचा कि ऐसा बड़ा क़दम आप उठाएँगे।पाँच सौ का और हज़ार का नोट, ये सब देखकर के काला धन और भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाया। हर एक भारत के नागरिक को इससे अच्छे दिन कभी नहीं आएँगे।इसी के लिए मैं आपको मनपूर्ण धन्यवाद करना चाहता हूँ। कुछ बातें मीडिया के माध्यम से, लोगों के माध्यम से, सरकारी सूत्रों के माध्यम से जानने को मिलती हैं, तो काम करने का उत्साह भी बहुत बढ़ जाता है। इतना आनंद होता है, इतना गर्व होता है कि मेरे देश में सामान्य मानव का क्या अद्भुत सामर्थ्य है। महाराष्ट्र के अकोला में National Highway NH-6 वहाँ कोई एक restaurant है। उन्होंने एक बहुत बड़ा board लगाया है कि अगर आप की जेब में पुराने नोट हैं और आप खाना खाना चाहते हैं, तो आप पैसों की चिंता न करें, यहाँ से भूखा मत जाइए, खाना खा के ही जाइए और फिर कभी इस रास्ते से गुजरने का आ जाए आपको मौका, तो ज़रूर पैसे दे कर के जाना। और लोग वहाँ जाते हैं, खाना खाते हैं और 2-4-6 दिन के बाद जब वहाँ से फिर से गुजरते हैं, तो फिर से पैसे भी लौटा देते हैं। ये है मेरे देश की ताक़त, जिसमें सेवा-भाव, त्याग-भाव भी है और प्रामाणिकता भी है। मैं चुनाव में चाय पर चर्चा करता था और सारे विश्व में ये बात पहुँच गई थी। दुनिया के कई देश के लोग चाय पर चर्चा शब्द भी बोलना सीख गए थे। लेकिन मुझे पता नहीं कि चाय पर चर्चा में, शादी भी होती है। मुझे पता चला कि 17 नवम्बर को सूरत में, एक ऐसी शादी हुई, जो शादी चाय पर चर्चा के साथ हुई। गुजरात में सूरत में एक बेटी ने अपने यहाँ शादी में जो लोग आए, उनको सिर्फ़ चाय पिलाई और कोई जलसा नहीं किया, न कोई खाने का कार्यक्रम, कुछ नहीं - क्योंकि नोटबंदी के कारण कुछ कठिनाई आई थी पैसों की। बारातियों ने भी उसे इतना ही सम्मान माना।सूरत के भरत मारू और दक्षा परमार - उन्होंने अपनी शादी के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ़, कालेधन के खिलाफ़, ये जो लड़ाई चल रही है, उसमें जो योगदान किया है, ये अपने आप में प्रेरक है। नवपरिणीत भरत और दक्षा को मैं बहुत-बहुत आशीर्वाद भी देता हूँ और शादी के मौके को भी इस महान यज्ञ में परिवर्तित करके एक नये अवसर में पलट देने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। और जब ऐसे संकट आते हैं, लोग रास्ते भी बढ़िया खोज लेते हैं। मैंने एक बार टीवी न्यूज़ में देखा, रात देर से आया था, तो देख रहा था। असम में धेकियाजुली करके एक छोटा सा गाँव है।Tea-worker रहते हैं और Tea-worker को साप्ताहिक रूप से पैसे मिलते हैं। अब 2000 रुपये का नोट मिला, तो उन्होंने क्या किया? चार अड़ोस-पड़ोस की महिलायें इकट्ठी हो गयी और चारों ने साथ जाकर के ख़रीदी की और 2000 रुपये का नोट payment किया, तो उनको छोटी currency की जरुरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि चारों ने मिलकर ख़रीदा और तय किया कि अगले हफ़्ते मिलेंगे, तब उसका हिसाब हम कर लेंगे बैठ करके। लोग अपने-आप रास्ते खोज रहे हैं। और इसका बदलाव भी देखिए! सरकार के पास एक message आया, असम के Tea garden के लोग कह रहे हैं कि हमारे यहाँ ATM लगाओ। देखिए, किस प्रकार से गाँव के जीवन में भी बदलाव आ रहा है। इस अभियान का कुछ लोगों को तत्काल लाभ मिल गया है। देश को तो लाभ आने वाले दिनों में मिलेगा, लेकिन कुछ लोगों को तो तत्काल लाभ मिल गया है। थोड़ा हिसाब पूछा, क्या हुआ है, तो मैंने छोटे-छोटे जो शहर हैं, वहाँ की थोड़ी जानकारी पाई। क़रीब 40-50 शहरों की जानकारी जो मुझे मिली कि इस नोट बंद करने के कारण उनके जितने पुराने पैसे बाक़ी थे, लोग पैसे नहीं देते थे tax के - पानी का tax नहीं, बिजली का नहीं, पैसे देते ही नहीं थे और आप भली-भाँति जानते हैं - ग़रीब लोग 2 दिन पहले जा कर के पाई-पाई चुकता करने की आदत रखते हैं। ये जो बड़े लोग होते हैं न, जिनकी पहुँच होती है, जिनको पता है कि कभी भी उनको कोई पूछने वाला नहीं है, वो ही पैसे नहीं देते हैं। और इसके लिए काफ़ी बकाया रहता है। हर municipality को tax का मुश्किल से 50% आता है। लेकिन इस बार 8 तारीख़ के इस निर्णय के कारण सब लोग अपने पुराने नोटें जमा कराने के लिए दौड़ गए। 47 शहरी इकाइयों में पिछले साल इस समय क़रीब तीन-साढ़े तीन हज़ार करोड़ रुपये का tax आया था। आपको जानकर के आश्चर्य होगा, आनंद भी होगा - इस एक सप्ताह में उनको 13 हज़ार करोड़ रुपये जमा हो गया। कहाँ तीन-साढ़े तीन हज़ार और कहाँ 13 हज़ार! और वो भी सामने से आकर के। अब उन municipality में 4 गुना ये पैसा आ गया, तो स्वाभाविक है, ग़रीब बस्तियों में गटर की व्यवस्था होगी, पानी की व्यवस्था होगी, आंगनबाड़ी की व्यवस्था होगी। ऐसे तो कई उदाहरण मिल रहे हैं कि जिसमें इसका सीधा-सीधा लाभ भी नज़र आने लगा है। भाइयो-बहनो, हमारा गाँव, हमारा किसान ये हमारे देश की अर्थव्यवस्था की एक मज़बूत धुरी हैं। एक तरफ़ अर्थव्यवस्था के इस नये बदलाव के कारण, कठिनाइयों के बीच, हर कोई नागरिक अपने आपको adjust कर रहा है। लेकिन मैं मेरे देश के किसानों का आज विशेष रूप से अभिनंदन करना चाहता हूँ। अभी मैं इस फ़सल की बुआई के आँकड़े ले रहा था। मुझे ख़ुशी हुई, चाहे गेहूँ हो, चाहे दलहन हो, चाहे तिलहन हो; नवम्बर की 20 तारीख़ तक का मेरे पास हिसाब था, पिछले वर्ष की तुलना में काफ़ी मात्रा में बुआई बढ़ी है। कठिनाइयों के बीच भी, किसान ने रास्ते खोजे हैं। सरकार ने भी कई महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं, जिसमें किसानों को और गाँवों को प्राथमिकता दी है। उसके बाद भी कठिनाइयाँ तो हैं, लेकिन मुझे विश्वास है कि जो किसान हमारी हर कठिनाइयाँ, प्राकृतिक कठिनाइयाँ हो, उसको झेलते हुए भी हमेशा डट करके खड़ा रहता है, इस समय भी वो डट करके खड़ा है। हमारे देश के छोटे व्यापारी, वे रोजगार भी देते हैं, आर्थिक गतिविधि भी बढ़ाते हैं। पिछले बजट में हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया था कि बड़े-बड़े mall की तरह गाँव के छोटे-छोटे दुकानदार भी अब चौबीसों घंटा अपना व्यापार कर सकते हैं, कोई क़ानून उनको रोकेगा नहीं। क्योंकि मेरा मत था, बड़े-बड़े mall को 24 घंटे मिलते हैं, तो गाँव के ग़रीब दुकानदार को क्यों नहीं मिलना चाहिये? मुद्रा-योजना से उनको loan देने की दिशा में काफी initiative लिए। लाखों-करोड़ों रुपये मुद्रा-योजना से ऐसे छोटे-छोटे लोगों को दिए, क्योंकि ये छोटा कारोबार, करोड़ों की तादाद में लोग करते हैं और अरबों-खरबों रुपये के व्यापार को गति देते हैं। लेकिन इस निर्णय के कारण उनको भी कठिनाई होना स्वाभाविक था। लेकिन मैंने देखा है कि अब तो हमारे इन छोटे-छोटे व्यापारी भी technology के माध्यम से, Mobile App के माध्यम से, मोबाइल बैंक के माध्यम से, क्रेडिट कार्ड के माध्यम से, अपने-अपने तरीक़े से ग्राहकों की सेवा कर रहे हैं, विश्वास के आधार पर भी कर रहे हैं। और मैं अपने छोटे व्यापारी भाइयो-बहनों से कहना चाहता हूँ कि मौका है, आप भी digital दुनिया में प्रवेश कर लीजिए। आप भी अपने मोबाइल फ़ोन पर बैंकों की Appdownload कर दीजिए। आप भी क्रेडिट कार्ड के लिए POS मशीन रख लीजिए।आप भी बिना नोट कैसे व्यापार हो सकता है, सीख लीजिए। आप देखिए, बड़े-बड़े मॉल technology के माध्यम से अपने व्यापार को जिस प्रकार से बढ़ाते हैं, एक छोटा व्यापारी भी इस सामान्य user friendly technology से अपना व्यापार बढ़ा सकता है। बिगड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता है, बढ़ाने का अवसर है। मैं आप को निमंत्रण देता हूँ किcashless society बनाने में आप बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं, आप अपने व्यापार को बढ़ाने में, mobile phone पर पूरीbanking व्यवस्था खड़ी कर सकते हैं और आज नोटों के सिवाय अनेक रास्ते हैं, जिससे हम कारोबार चला सकते हैं।technological रास्ते हैं, safeहै, secure हैऔर त्वरित है। मैं चाहूँगा कि आप सिर्फ़ इस अभियान को सफल करने के लिए मदद करें, इतना नहीं, आप बदलाव का भी नेतृत्व करें और मुझे विश्वास है, आप बदलाव का नेतृत्व कर सकते हैं।आप पूरे गाँव के कारोबार में ये technology के आधार पर काम कर सकते हैं, मेरा विश्वास है।I मैं मज़दूर भाइयों-बहनों को भी कहना चाहता हूँ, आप का बहुत शोषण हुआ है।कागज़ पर एक पगार होता है और जब हाथ में दिया जाता है, तब दूसरा होता है। कभी पगार पूरा मिलता है, तो बाहर कोई खड़ा होता है, उसको cut देना पड़ता है और मज़दूर मजबूरन इस शोषण को जीवन का हिस्सा बना देता है।इस नई व्यवस्था से हम चाहते हैं कि आपका बैंक में खाता हो, आपके पगार के पैसे आपके बैंक में जमा हों, ताकि minimum wagesका पालन हो। आपको पूरा पैसा मिले, कोई cut ना करे। आपका शोषण न हो। और एक बार आपके बैंक खाते में पैसे आ गए, तो आप भी तो छोटे सेमोबाइल फ़ोन पर - कोई बड़ा smart phoneकी ज़रूरत नहीं हैं,आजकल तो आपका mobile phone भी ई-बटुवे का काम करता है- आप उसी mobile phone से अड़ोस-पड़ोस की छोटी-मोटी दुकानमें जो भी खरीदना है, खरीद भी सकते हैं, उसी से पैसे भी दे सकते हैं। इसलिए मैं मज़दूर भाइयों-बहनों को इस योजना में भागीदार बनने के लिए विशेष आग्रह करता हूँ, क्योंकि आखिरकार इतना बड़ा मैंने निर्णय देश के ग़रीब के लिये, किसान के लिये, मज़दूर के लिये, वंचित के लिये, पीड़ित के लिये लिया है, उसका benefit उसको मिलना चाहिए। आज मैं विशेष रूप से युवक मित्रों से बात करना चाहता हूँ। हम दुनिया में गाजे-बाजे के साथ कहते हैं कि भारत ऐसा देश है कि जिसके पास 65% जनसंख्या, 35 साल से कम उम्र की है।आप मेरे देश के युवा और युवतियाँ, मैं जानता हूँ, मेरा निर्णय तो आपको पसन्द आया है।मैं ये भी जानता हूँ कि आप इस निर्णय का समर्थन करते हैं।मैं ये भी जानता हूँ कि आप इस बात को सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाने के लिए बहुत योगदान भी करते हैं।लेकिन दोस्तो, आप मेरे सच्चे सिपाही हो, आप मेरे सच्चे साथी हो।माँ भारती की सेवा करने का एक अद्भुत मौका हमारे सामने आया है, देश को आर्थिक ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर आया है। मेरे नौजवानो, आप मेरी मदद कर सकते हो क्या? मुझे साथ दोगे, इतने से बात बनने वाली नहीं है।जितना आज की दुनिया का अनुभव आपको है, पुरानी पीढ़ी को नहीं है।हो सकता है, आपके परिवार में बड़े भाई साहब को भी मालूम नहीं होगा और माता-पिता, चाचा-चाची, मामा-मामी को भी शायद मालूम नहीं होगा।आप App क्या होती है, वो जानते हो, online bankingक्या होता है, जानते हो, online ticket booking कैसे होता है, आप जानते हो।आपके लिये चीज़ें बहुत सामान्य हैं और आप उपयोग भी करते हो।लेकिन आज देश जिस महान कार्य को करना चाहता है, हमारा सपना है cashless society.ये ठीक है कि शत-प्रतिशतcashless society संभव नहीं होती है। लेकिन क्यों न भारत less-cash society की तो शुरुआत करे।एक बार अगर आज हम less-cash society की शुरुआत कर दें, तो cashless society की मंज़िल दूर नहीं होगी। और मुझे इसमें आपकी physical मदद चाहिए, ख़ुद का समय चाहिए, ख़ुद का संकल्प चाहिए। और आप मुझे कभी निराश नहीं करोगे, मुझे विश्वास है, क्योंकि हम सब हिंदुस्तान के ग़रीब की ज़िंदगी बदलने की इच्छा रखने वाले लोग हैं। आप जानते हैं,cashless society के लिये, digital banking के लिये या mobile banking के लिये आज कितने सारे अवसर हैं। हर बैंक online सुविधा देता है। हिंदुस्तान के हर एक बैंक की अपनी mobile app है। हर बैंक का अपना wallet है।wallet का सीधा-सीधा मतलब है e-बटुवा। कई तरह के card उपलब्ध हैं। जन-धन योजना के तहत भारत के करोड़ों-करोड़ ग़रीब परिवारों के पास Rupay Card है और 8 तारीख़ के बाद तो जो Rupay Card का बहुत कम उपयोग होता था, गरीबों ने Rupay Card का उपयोग करना शुरू किया और क़रीब-करीब 300% उसमें वृद्धि हुई है। जैसे mobile phone में prepaid card आता है, वैसा बैंकों में भी पैसा ख़र्च करने के लिये prepaid card मिलता है। एक बढ़िया platform है, कारोबार करने की UPI, जिससे आप ख़रीदी भी कर सकते हैं, पैसे भी भेज सकते हैं, पैसे ले भी सकते हैं। और ये काम इतना simple है जितना कि आप WhatsApp भेजते हैं। कुछ भी ना पढ़ा-लिखा व्यक्ति होगा, उसको भी आज WhatsApp कैसे भेजना है, वो आता है, forward कैसे करना है, आता है। इतना ही नहीं,technology इतनीसरल होती जा रही है कि इस काम के लिए कोई बड़े smart phone की भी आवश्यकता नहीं है। साधारण जो feature phone होता है, उससे भी cash transfer हो सकती है। धोबी हो, सब्ज़ी बेचनेवाला हो, दूध बेचनेवाला हो, अख़बार बेचनेवाला हो, चाय बेचनेवाला हो, चने बेचनेवाला हो, हर कोई इसका आराम से उपयोग कर सकता है। और मैंने भी इस व्यवस्था को और अधिक सरल बनाने के लिए और ज़ोर दिया है। सभी बैंक इस पर लगी हुई हैं, कर रही हैं।और अब तो हमने ये onlinesurcharge का भी ख़र्चा आता था, वो भी cancel कर दिया है। और भी इस प्रकार के कार्ड वगैरह का जो ख़र्चा आता था, उसे आपने देखा होगा पिछले 2-4 दिन में अख़बारों में, सारे ख़र्चे ख़त्म कर दिए, ताकि cashless society की movement को बल मिले। मेरे नौजवान दोस्तो, ये सब होने के बाद भी एक पूरी पीढ़ी ऐसी है कि जो इससे अपरिचित है।और आप सभी लोग, मैं भली-भांति जानता हूँ, इस महान कार्य में सक्रिय हैं।WhatsApp पर जिस प्रकार केcreative message आप देते हैं -slogan, कवितायेँ, किस्से, cartoon, नयी-नयी कल्पना, हंसी-मज़ाक - सब कुछ मैं देख रहा हूँ और चुनौतियों के बीच ये हमारी युवा पीढ़ी की जो सृजन शक्ति है, तो ऐसा लग रहा है, जैसे ये भारत भूमि की विशेषता है कि किसी ज़माने में युद्ध के मैदान में गीता का जन्म हुआ था, वैसे ही आज इतने बड़े बदलाव के काल से हम गुजर रहे हैं, तब आपके अन्दर भी मौलिक creativity प्रकट हो रही है।लेकिन मेरे प्यारे नौजवान मित्रो, मैं फिर एक बार कहता हूँ, मुझे इस काम में आपकी मदद चाहिए।जी-जी-जी, मैं दुबारा कहता हूँ, मुझे आपकी मदद चाहिए और आप, आप मुझे विश्वास है मेरे देश के करोड़ों नौजवान इस काम को करेंगे।आप एक काम कीजिए, आज से ही संकल्प लीजिए कि आप स्वयं cashless society के लिए ख़ुद एक हिस्सा बनेंगे।आपके mobile phone पर onlineख़र्च करने की जितनीtechnology है, वो सब मौजूद होगी। इतना ही नहीं, हर दिन आधा-घंटा, घंटा, दो घंटा निकाल करके कम से कम 10 परिवारों को आप ये technology क्या है,technology का कैसे उपयोग करते हैं, कैसे अपनी बैंकों की App download


आज वेटिकन सिटी में मदर टेरेसा को संत घोषित किया जाएगा
5 September 2016
जन्म: 26 अगस्त, 1910, स्कॉप्जे, (अब मसेदोनिया में)
मृत्यु: 5 सितंबर, 1997, कलकत्ता, भारत
कार्य: मानवता की सेवा, ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना
ऐसा माना जाता है कि दुनिया में लगभग सारे लोग सिर्फ अपने लिए जीते हैं पर मानव इतिहास में ऐसे कई मनुष्यों के उदहारण हैं जिन्होंने अपना तमाम जीवन परोपकार और दूसरों की सेवा में अर्पित कर दिया। मदर टेरेसा भी ऐसे ही महान लोगों में एक हैं जो सिर्फ दूसरों के लिए जीते हैं। मदर टेरेसा ऐसा नाम है जिसका स्मरण होते ही हमारा ह्रदय श्रध्धा से भर उठता है और चेहरे पर एक ख़ास आभा उमड़ जाती है। मदर टेरेसा एक ऐसी महान आत्मा थीं जिनका ह्रदय संसार के तमाम दीन-दरिद्र, बीमार, असहाय और गरीबों के लिए धड़कता था और इसी कारण उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन उनके सेवा और भलाई में लगा दिया। उनका असली नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ (Agnes Gonxha Bojaxhiu ) था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि मदर टेरेसा एक ऐसी कली थीं जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही गरीबों, दरिद्रों और असहायों की जिन्दगी में प्यार की खुशबू भर दी थी।
प्रारंभिक जीवन
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कॉप्जे (अब मसेदोनिया में) में हुआ। उनके पिता निकोला बोयाजू एक साधारण व्यवसायी थे। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है। जब वह मात्र आठ साल की थीं तभी उनके पिता परलोक सिधार गए, जिसके बाद उनके लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी उनकी माता द्राना बोयाजू के ऊपर आ गयी। वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। उनके जन्म के समय उनकी बड़ी बहन की उम्र 7 साल और भाई की उम्र 2 साल थी, बाकी दो बच्चे बचपन में ही गुजर गए थे। वह एक सुन्दर, अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थीं। पढाई के साथ-साथ, गाना उन्हें बेहद पसंद था। वह और उनकी बहन पास के गिरजाघर में मुख्य गायिका थीं। ऐसा माना जाता है की जब वह मात्र बारह साल की थीं तभी उन्हें ये अनुभव हो गया था कि वो अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगायेंगी और 18 साल की उम्र में उन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया। तत्पश्चात वह आयरलैंड गयीं जहाँ उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी। अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं।
भारत आगमन
सिस्टर टेरेसा आयरलैंड से 6 जनवरी, 1929 को कोलकाता में ‘लोरेटो कॉन्वेंट’ पंहुचीं। वह एक अनुशासित शिक्षिका थीं और विद्यार्थी उनसे बहुत स्नेह करते थे। वर्ष 1944 में वह हेडमिस्ट्रेस बन गईं। उनका मन शिक्षण में पूरी तरह रम गया था पर उनके आस-पास फैली गरीबी, दरिद्रता और लाचारी उनके मन को बहुत अशांत करती थी। 1943 के अकाल में शहर में बड़ी संख्या में मौते हुईं और लोग गरीबी से बेहाल हो गए। 1946 के हिन्दू-मुस्लिम दंगों ने तो कोलकाता शहर की स्थिति और भयावह बना दी।
मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी वर्ष 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों की जीवनपर्यांत मदद करने का मन बना लिया। इसके बाद मदर टेरेसा ने पटना के होली फॅमिली हॉस्पिटल से आवश्यक नर्सिग ट्रेनिंग पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता आ गईं और वहां से पहली बार तालतला गई, जहां वह गरीब बुजुर्गो की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रहीं। उन्होंने मरीजों के घावों को धोया, उनकी मरहमपट्टी की और उनको दवाइयां दीं। धीरे-धीरे उन्होंने अपने कार्य से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन लोगों में देश के उच्च अधिकारी और भारत के प्रधानमंत्री भी शामिल थे, जिन्होंने उनके कार्यों की सराहना की।
मदर टेरेसा के अनुसार, इस कार्य में शुरूआती दौर बहुत कठिन था। वह लोरेटो छोड़ चुकी थीं इसलिए उनके पास कोई आमदनी नहीं थी – उनको अपना पेट भरने तक के लिए दूसरों की मदद लेनी पड़ी। जीवन के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर उनके मन में बहुत उथल-पथल हुई, अकेलेपन का एहसास हुआ और लोरेटो की सुख-सुविधायों में वापस लौट जाने का खयाल भी आया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 7 अक्टूबर 1950 को उन्हें वैटिकन से ‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ की स्थापना की अनुमति मिल गयी। इस संस्था का उद्देश्य भूखों, निर्वस्त्र, बेघर, लंगड़े-लूले, अंधों, चर्म रोग से ग्रसित और ऐसे लोगों की सहायता करना था जिनके लिए समाज में कोई जगह नहीं थी। ‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ का आरम्भ मात्र 13 लोगों के साथ हुआ था पर मदर टेरेसा की मृत्यु के समय (1997) 4 हजार से भी ज्यादा ‘सिस्टर्स’ दुनियाभर में असहाय, बेसहारा, शरणार्थी, अंधे, बूढ़े, गरीब, बेघर, शराबी, एड्स के मरीज और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों की सेवा कर रही हैं मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम खोले । ‘निर्मल हृदय’ का ध्येय असाध्य बीमारी से पीड़ित रोगियों व गरीबों का सेवा करना था जिन्हें समाज ने बाहर निकाल दिया हो। निर्मला शिशु भवन’ की स्थापना अनाथ और बेघर बच्चों की सहायता के लिए हुई। सच्ची लगन और मेहनत से किया गया काम कभी असफल नहीं होता, यह कहावत मदर टेरेसा के साथ सच साबित हुई। जब वह भारत आईं तो उन्होंने यहाँ बेसहारा और विकलांग बच्चों और सड़क के किनारे पड़े असहाय रोगियों की दयनीय स्थिति को अपनी आँखों से देखा। इन सब बातों ने उनके ह्रदय को इतना द्रवित किया कि वे उनसे मुँह मोड़ने का साहस नहीं कर सकीं। इसके पश्चात उन्होंने जनसेवा का जो व्रत लिया, जिसका पालन वो अनवरत करती रहीं।
सम्मान और पुरस्कार
मदर टेरेसा को मानवता की सेवा के लिए अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए। भारत सरकार ने उन्हें पहले पद्मश्री (1962) और बाद में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (1980) से अलंकृत किया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें वर्ष 1985 में मेडल आफ़ फ्रीडम 1985 से नवाजा। मानव कल्याण के लिए किये गए कार्यों की वजह से मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। उन्हें यह पुरस्कार ग़रीबों और असहायों की सहायता करने के लिए दिया गया था। मदर तेरस ने नोबेल पुरस्कार की 192,000 डॉलर की धन-राशि को गरीबों के लिए एक फंड के तौर पर इस्तेमाल करने का निर्णय लिया।
मृत्यु
बढती उम्र के साथ-साथ उनका स्वास्थ्य भी बिगड़ता गया। वर्ष 1983 में 73 वर्ष की आयु में उन्हें पहली बार दिल का दौरा पड़ा। उस समय मदर टेरेसा रोम में पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने के लिए गई थीं। इसके पश्चात वर्ष 1989 में उन्हें दूसरा हृदयाघात आया और उन्हें कृत्रिम पेसमेकर लगाया गया। साल 1991 में मैक्सिको में न्यूमोनिया के बाद उनके ह्रदय की परेशानी और बढ़ गयी। इसके बाद उनकी सेहत लगातार गिरती रही। 13 मार्च 1997 को उन्होंने ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के मुखिया का पद छोड़ दिया और 5 सितम्बर, 1997 को उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के समय तक ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ में 4000 सिस्टर और 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं काम कर रही थीं जो विश्व के 123 देशों में समाज सेवा में कार्यरत थीं। मानव सेवा और ग़रीबों की देखभाल करने वाली मदर टेरेसा को पोप जॉन पाल द्वितीय ने 19 अक्टूबर, 2003 को रोम में “धन्य” घोषित किया।
मदर टेरेसा के अनमोल विचार

मैं चाहती हूँ कि आप अपने पड़ोसी के बारे में चिंतित रहें। क्या आप अपने पड़ोसी को जानते हैं?
यदि हमारे बीच शांति की कमी है तो वह इसलिए क्योंकि हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे से संबंधित हैं।
यदि आप एक सौ लोगों को भोजन नहीं करा सकते हैं, तो कम से कम एक को ही करवाएं।
यदि आप प्रेम संदेश सुनना चाहते हैं तो पहले उसे खुद भेजें। जैसे एक चिराग को जलाए रखने के लिए हमें दिए में तेल डालते रहना पड़ता है।
अकेलापन सबसे भयानक ग़रीबी है।
अपने क़रीबी लोगों की देखभाल कर आप प्रेम की अनुभूति कर सकते हैं।
अकेलापन और अवांछित रहने की भावना सबसे भयानक ग़रीबी है।
प्रेम हर मौसम में होने वाला फल है, और हर व्यक्ति के पहुंच के अन्दर है।
आज के समाज की सबसे बड़ी बीमारी कुष्ठ रोग या तपेदिक नहीं है, बल्कि अवांछित रहने की भावना है।
प्रेम की भूख को मिटाना, रोटी की भूख मिटाने से कहीं ज्यादा मुश्किल है।
अनुशासन लक्ष्यों और उपलब्धि के बीच का पुल है।
सादगी से जियें ताकि दूसरे भी जी सकें।
प्रत्येक वस्तु जो नहीं दी गयी है खोने के सामान है।
हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते लेकिन हम कार्यों को प्रेम से कर सकते हैं।
हम सभी ईश्वर के हाथ में एक कलम के सामान है।
यह महत्वपूर्ण नहीं है आपने कितना दिया, बल्कि यह है की देते समय आपने कितने प्रेम से दिया।
खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते। लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं।
दया और प्रेम भरे शब्द छोटे हो सकते हैं लेकिन वास्तव में उनकी गूँज अन्नत होती है।
कुछ लोग आपकी ज़िन्दगी में आशीर्वाद की तरह होते हैं तो कुछ लोग एक सबक की तरह।

प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’
29 February 2016
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार! आप रेडियो पर मेरी ‘मन की बात’ सुनते होंगे, लेकिन दिमाग इस बात पर लगा होगा – बच्चों के exam शुरू हो रहे हैं, कुछ लोगों के दसवीं-बारहवीं के exam शायद 1 मार्च को ही शुरू हो रहे हैं। तो आपके दिमाग में भी वही चलता होगा। मैं भी आपकी इस यात्रा में आपके साथ शरीक होना चाहता हूँ। आपको आपके बच्चों के exam की जितनी चिंता है, मुझे भी उतनी ही चिंता है। लेकिन अगर हम exam को, परीक्षा को देखने का अपना तौर-तरीका बदल दें, तो शायद हम चिंतामुक्त भी हो सकते हैं।
मैंने पिछली मेरी ‘मन की बात’ में कहा था कि आप NarendraModiApp पर अपने अनुभव, अपने सुझाव मुझे अवश्य भेजिए। मुझे खुशी इस बात की है – शिक्षकों ने, बहुत ही सफल जिनकी करियर रही है ऐसे विद्यार्थियों ने, माँ-बाप ने, समाज के कुछ चिंतकों ने बहुत सारी बातें मुझे लिख कर के भेजी हैं। दो बातें तो मुझे छू गईं कि सब लिखने वालों ने विषय को बराबर पकड़ के रखा। दूसरी बात इतनी हजारों मात्रा में चीज़ें आई कि मैं मानता हूँ कि शायद ये बहुत महत्वपूर्ण विषय है। लेकिन ज़्यादातर हमने exam के विषय को स्कूल के परिसर तक या परिवार तक या विद्यार्थी तक सीमित कर दिया है। मेरी App पर जो सुझाव आये, उससे तो लगता है कि ये तो बहुत ही बड़ा, पूरे राष्ट्र में लगातार विद्यार्थियों के इन विषयों की चर्चायें होती रहनी चाहिए।
मैं आज मेरी इस ‘मन की बात’ में विशेष रूप से माँ-बाप के साथ, परीक्षार्थियों के साथ और उनके शिक्षकों के साथ बातें करना चाहता हूँ। जो मैंने सुना है, जो मैंने पढ़ा है, जो मुझे बताया गया है, उसमें से भी कुछ बातें बताऊंगा। कुछ मुझे जो लगता है, वो भी जोड़ूंगा। लेकिन मुझे विश्वास है कि जिन विद्यार्थियों को exam देनी है, उनके लिए मेरे ये 25-30 मिनट बहुत उपयोगी होंगे, ऐसा मेरा मत है।
मेरे प्यारे विद्यार्थी मित्रो, मैं कुछ कहूँ, उसके पहले आज की ‘मन की बात’ का opening, हम विश्व के well-known opener के साथ क्यूँ न करें। जीवन में सफलता की ऊँचाइयों को पाने में कौन-सी चीज़ें उनको काम आईं, उनके अनुभव आपको ज़रूर काम आएँगे। भारत के युवाओं को जिनके
प्रति नाज़ है, ऐसे भारतरत्न श्रीमान सचिन तेंदुलकर, उन्होंने जो message भेजा है, वह मैं आपको

सुनाना चाहता हूँ:

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“नमस्कार, मैं सचिन तेंदुलकर बोल रहा हूँ। मुझे पता है कि exams कुछ ही दिनों में start होने वाली हैं। आप में से कई लोग tense भी रहेंगे। मेरा एक ही message है आपको कि आपसे expectations आपके माता-पिता करेंगे, आपके teachers करेंगे, आपके बाकी के family members करेंगे, दोस्त करेंगे। जहाँ भी जाओगे, सब पूछेंगे कि आपकी तैयारी कैसी चल रही है, कितने percent आपका स्कोर करोगे। यही कहना चाहूँगा मैं कि आप ख़ुद अपने लिए कुछ target set कीजियेगा, किसी और के expectation के pressure में मत आइयेगा। आप मेहनत ज़रूर कीजियेगा, मगर एक realistic achievable target खुद के लिए सेट कीजिये और वो target achieve करने के लिए कोशिश करना। मैं जब Cricket खेलता था, तो मेरे से भी बहुत सारे expectations होते थे। पिछले 24 साल में कई सारे कठिन moments आये और कई-कई बार अच्छे moments आये, मगर लोगों के expectations हमेशा रहते थे और वो बढ़ते ही गये, जैसे समय बीतता गया, expectations भी बढ़ते ही गए। तो इसके लिए मुझे एक solution find करना बहुत ज़रूरी था। तो मैंने यही सोचा कि मैं मेरे खुद के expectations रखूँगा और खुद के targets set करूँगा। अगर वो मेरे खुद के targets मैं set कर रहा हूँ और वो achieve कर पा रहा हूँ, तो मैं ज़रूर कुछ-न-कुछ अच्छी चीज़ देश के लिए कर पा रहा हूँ। और वो ही targets मैं हमेशा achieve करने की कोशिश करता था। मेरा focus रहता था ball पे और targets अपने आप slowly-slowly achieve होते गए। मैं आपको यही कहूँगा कि आप, आपकी सोच positive होनी बहुत ज़रूरी है। positive सोच को positive results follow करेंगे। तो आप positive ज़रूर रहियेगा और ऊपर वाला आपको ज़रूर अच्छे results दे, ये मुझे, इसकी पूरी उम्मीद है और आपको मैं best wishes देना चाहूँगा exams के लिए। एक tens।on free जा के पेपर लिखिये और अच्छे results पाइये। Good Luck!” दोस्तो, देखा, तेंदुलकर जी क्या कह रहे हैं। ये expectation के बोझ के नीचे मत दबिये। आप ही को तो आपका भविष्य बनाना है। आप खुद से अपने लक्ष्य को तय करें, खुद ही अपने target तय करें - मुक्त मन से, मुक्त सोच से, मुक्त सामर्थ्य से। मुझे विश्वास है कि सचिन जी की ये बात आपको काम आएगी। और ये बात सही है | प्रतिस्पर्द्धा क्यों? अनुस्पर्द्धा क्यों नहीं। हम दूसरों से स्पर्द्धा करने में अपना समय क्यों बर्बाद करें। हम खुद से ही स्पर्द्धा क्यों न करें। हम अपने ही पहले के सारे रिकॉर्ड तोड़ने का तय क्यों न करें। आप देखिये, आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पायेगा और अपने ही पिछले रिकॉर्ड को जब तोड़ोगे, तब आपको खुशी के लिए, संतोष के लिए किसी और से अपेक्षा भी नहीं रहेगी। एक भीतर से संतोष प्रकट होगा।
दोस्तो, परीक्षा को अंकों का खेल मत मानिये। कहाँ पहुँचे, कितना पहुँचे? उस हिसाब-किताब में मत फँसे रहिये। जीवन को तो किसी महान उद्देश्य के साथ जोड़ना चाहिए। एक सपनों को ले कर के चलना चाहिए, संकल्पबद्ध होना चाहिए। ये परीक्षाएँ, वो तो हम सही जा रहे हैं कि नहीं जा रहे, उसका हिसाब-किताब करती हैं; हमारी गति ठीक है कि नहीं है, उसका हिसाब-किताब करती हैं। और इसलिए विशाल, विराट ये अगर सपने रहें, तो परीक्षा अपने आप में एक आनंदोत्सव बन जायेगी। हर परीक्षा उस महान उद्देश्य की पूर्ति का एक कदम होगी। हर सफलता उस महान उद्देश्य को प्राप्त करने की चाभी बन जायेगी। और इसलिए इस वर्ष क्या होगा, इस exam में क्या होगा, वहाँ तक सीमित मत रहिये। एक बहुत बड़े उद्देश्य को ले कर के चलिये और उसमें कभी अपेक्षा से कुछ कम भी रह जाएगा, तो निराशा नहीं आएगी। और ज़ोर लगाने की, और ताक़त लगाने की, और कोशिश करने की हिम्मत आएगी। जिन हज़ारों लोगों ने मुझे मेरे App पर मोबाइल फ़ोन से छोटी-छोटी बातें लिखी हैं। श्रेय गुप्ता ने इस बात पर बल दिया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है। students अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपनी health का भी ध्यान रखें, जिससे आप exam में स्वस्थतापूर्वक अच्छे से लिख सकें। अब मैं आज आखिरी दिन ये तो नहीं कहूँगा कि आप दंड-बैठक लगाना शुरू कर दीजिये और तीन किलोमीटर, पाँच किलोमीटर दौड़ने के लिए जाइये। लेकिन एक बात सही है कि खास कर के exam के दिनों मे आप का routine कैसा है। वैसे भी 365 दिवस हमारा routine हमारे सपनों और संकल्पों के अनुकूल होना चाहिये। श्रीमान प्रभाकर रेड्डी जी की एक बात से मैं सहमत हूँ। उन्होंने ख़ास आग्रह किया हैं, समय पर सोना चाहिए और सुबह जल्दी उठकर revision करना चाहिए। examination centre पर प्रवेश-पत्र और दूसरी चीजों के साथ समय से पहले पहुँच जाना चाहिए। ये बात प्रभाकर रेड्डी जी ने कही है, मैं शायद कहने की हिम्मत नहीं करता, क्योंकि मैं सोने के संबंध में थोड़ा उदासीन हूँ और मेरे काफ़ी दोस्त भी मुझे शिकायत करते रहते हैं कि आप बहुत कम सोते हैं। ये मेरी एक कमी है, मैं भी ठीक करने की कोशिश करूँगा। लेकिन मैं इससे सहमत ज़रूर हूँ। निर्धारित सोने का समय, गहरी नींद - ये उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि आपकी दिन भर की और गतिविधियाँ और ये संभव है। मैं भाग्यवान हूँ, मेरी नींद कम है, लेकिन बहुत गहरी ज़रूर है और इसके लिए मेरा काम चल भी जाता है। लेकिन आपसे तो मैं आग्रह करूँगा। वरना कुछ लोगों की आदत होती है, सोने से पहले लम्बी-लम्बी टेलीफ़ोन पर बात करते रहते हैं। अब उसके बाद वही विचार चलते रहते हैं, तो कहाँ से नींद आएगी? और जब मैं सोने की बात करता हूँ, तो ये मत सोचिए कि मैं exam के लिए सोने के लिए कहा रहा हूँ। गलतफ़हमी मत करना। मैं exam के time पर तो आपको अच्छी परीक्षा देने के लिए तनावमुक्त अवस्था के लिए सोने की बात कर रहा हूँ। सोते रहने की बात नहीं कर रहा हूँ। वरना कहीं ऐसा न हो कि marks कम आ जाये और माँ पूछे कि क्यों बेटे, कम आये, तो कह दो कि मोदी जी ने सोने को कहा था, तो मैं तो सो गया था। ऐसा नहीं करोगे न! मुझे विश्वास है नहीं करोगे। वैसे जीवन में, discipline सफलताओं की आधारशिला को मजबूत बनाने का बहुत बड़ा कारण होती है। एक मजबूत foundation discipline से आता है। और जो unorganized होते हैं, Indiscipline होते हैं, सुबह करने वाला काम शाम को करते हैं, दोपहर को करने वाला काम रात देर से करते हैं,उनको ये तो लगता है कि काम हो गया, लेकिन इतनी energy waste होती है और हर पल तनाव रहता है। हमारे शरीर में भी एक-आध अंग, हमारे body का एक-आध part थोड़ी-सी तकलीफ़ करे, तो आपने देखा होगा कि पूरा शरीर सहजता नहीं अनुभव करता है। इतना ही नहीं, हमारा routine भी चरमरा जाता है। और इसलिए किसी चीज़ को हम छोटी न मानें। आप देखिये, अपने-आपको कभी जो निर्धारित है, उसमें compromise करने की आदत में मत फंसाइए। तय करें, करके देखें। दोस्तो, कभी-कभी मैंने देखा है कि जो student exam के लिए जाते हैं, दो प्रकार के student होते हैं, एक, उसने क्या पढ़ा है, क्या सीखा है, किन बातों में उसकी अच्छी ताक़त है - उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। दूसरे प्रकार के student होते हैं - यार, पता नहीं कौन-सा सवाल आयेगा, पता नहीं कैसा सवाल आयेगा, पता नहीं कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा, पेपर भारी होगा कि हल्का होगा? ये दो प्रकार के लोग देखे होंगे आपने। जो कैसा पेपर आयेगा, उसके tension में रहता है, उसका उसके परिणाम पर भी नकारात्मक प्रभाव होता है। जो मेरे पास क्या है, उसी विश्वास से जाता है, तो कुछ भी आ जाये, वो निपट लेता है। इस बात को मुझसे भी अच्छी तरह अगर कोई कह सकता है, तो checkmate करने में जिनकी मास्टरी है और दुनिया के अच्छों-अच्छों को जिसने checkmate कर दिया है, ऐसे Chess के champ।on विश्वनाथन आनंद, वो अपने अनुभव बतायेंगे। आइये, इस exam में आप checkmate करने का तरीका उन्हीं से सीख लीजिए:

“Hello, this is Viswanathan Anand. First of all, let me start off by wishing you all the best for your exams. I will next talk a little bit about how I went to my exams and my experiences for that. I found that exams are very much like problems you face later in life. You need to be well rested, get a good night’s sleep, you need to be on a full stomach, you should definitely not be hungry and the most important thing is to stay calm. It is very very similar to a game of Chess. When you play, you don’t know, which pawn will appear, just like in a class you don’t know, which question will appear in an exam. So if you stay calm and you are well nourished and have slept well, then you will find that your brain recalls the right answer at the right moment. So stay calm. It is very important not to put too much pressure on yourself, don’t keep your expectations too high. Just see it as a challenge – do I remember what I was taught during the year, can I solve these problems. At the last minute, just go over the most important things and the things you feel, the topics you feel, you don’t remember very well. You may also recall some incidents with the teacher or the students, while you are writing an exam and this will help you recall a lot of subject matter. If you revise the questions you find difficult, you will find that they are fresh in your head and when you are writing the exam, you will be able to deal with them much better. So stay calm, get a good night’s sleep, don’t be over-confident but don’t be pessimistic either. I have always found that these exams go much better than you fear before. So stay confident and all the very best to you.”
विश्वनाथन आनंद ने सचमुच में बहुत ही महत्वपूर्ण बात बताई है और आपने भी जब उनको अन्तर्राष्ट्रीय Chess के गेम में देखा होगा, कितनी स्वस्थता से वो बैठे होते हैं और कितने ध्यानस्थ होते हैं। आपने देखा होगा, उनकी आँखें भी इधर-उधर नहीं जाती हैं। कभी हम सुनते थे न, अर्जुन के जीवन की घटना कि पक्षी की आँख पर कैसे उनकी नज़र रहती थी। बिलकुल वैसे ही विश्वनाथन को जब खेलते हुए देखते हैं, तो बिलकुल उनकी आँखें एकदम से बड़ी target पर fix रहती हैं और वो भीतर की शांति की अभिव्यक्ति होती है। ये बात सही है कि कोई कह दे, इसलिये फिर भीतर की शांति आ ही जायेगी, ये तो कहना कठिन है। लेकिन कोशिश करनी चाहिये! हँसते-हँसते क्यों न करें! आप देखिये, आप हँसते रहेंगे, खिलखिलाहट हँसते रहेंगे exam के दिन भी, अपने-आप शांति आना शुरू हो जाएगी। आप दोस्तों से बात नहीं कर रहे हैं या अकेले चल रहे हैं, मुरझाए-मुरझाए चल रहे हैं, ढेर सारी किताबों को last moment भी हिला रहे हैं, तो-तो फिर वो शांत मन हो नहीं सकता है। हँसिए, बहुत हँसते चलिए, साथियों के साथ चुटकले share करते चलिए, आप देखिए, अपने-आप शांति का माहौल खड़ा हो जाएगा।
मैं आपको एक बात छोटी सी समझाना चाहता हूँ। आप कल्पना कीजिये कि एक तालाब के किनारे पर आप खड़े हैं और नीचे बहुत बढ़िया चीज़ें दिखती हैं। लेकिन अचानक कोई पत्थर मार दे पानी में और पानी हिलना शुरू हो जाए, तो नीचे जो बढ़िया दिखता था, वो दिखता है क्या? अगर पानी शांत है, तो चीज़ें कितनी ही गहरी क्यों न हों, दिखाई देती हैं। लेकिन पानी अगर अशांत है, तो नीचे कुछ नहीं दिखता है। आपके भीतर बहुत-कुछ पड़ा हुआ है। साल भर की मेहनत का भण्डार भरा पड़ा है। लेकिन अशांत मन होगा, तो वो खज़ाना आप ही नहीं खोज पाओगे। अगर शांत मन रहा, तो वो आपका खज़ाना बिलकुल उभर करके आपके सामने आएगा और आपकी exam एकदम सरल हो जायेगी। मैं एक बात बताऊं मेरी अपनी – मैं कभी-कभी कोई लेक्चर सुनने जाता हूँ या मुझे सरकार में भी कुछ विषय ऐसे होते हैं, जो मैं नहीं जानता हूँ और मुझे काफी concentrate करना पड़ता है। तो कभी-कभी ज्यादा concentrate करके समझने की कोशिश करता हूँ, तो एक भीतर तनाव महसूस करता हूँ। फिर मुझे लगता है, नहीं-नहीं, थोड़ा relax कर जाऊँगा, तो मुझे अच्छा रहेगा। तो मैंने अपने-आप अपनी technique develop की है। बहुत deep breathing कर लेता हूँ। गहरी साँस लेता हूँ। तीन बार-पांच बार गहरी साँस लेता हूँ, समय तो 30 सेकिंड, 40 सेकिंड, 50 सेकिंड जाता है, लेकिन फिर मेरा मन एकदम से शांत हो करके चीज़ों को समझने के लिए तैयार हो जाता है। हो सकता है, ये मेरा अनुभव हो, आपको भी काम आ सकता है। रजत अग्रवाल ने एक अच्छी बात बतायी है। वो मेरी App पर लिखते हैं - हम हर दिन कम-से-कम आधा घंटे दोस्तों के साथ, परिवारजनों के साथ relax feel करें। गप्पें मारें। ये बड़ी महत्वपूर्ण बात रजत जी ने बताई है, क्योंकि ज्यादातर हम देखते हैं कि हम जब exam दे करके आते हैं, तो गिनने के लिए बैठ जाते हैं, कितने सही किया, कितना गलत किया। अगर घर में माँ-बाप भी पढ़े लिखे हों और उसमें भी अगर माँ-बाप भी टीचर हों, तो-तो फिर पूरा पेपर फिर से लिखवाते हैं –
बताओ, तुमने क्या लिखा, क्या हुआ! सारा जोड़ लगाते हैं, देखो, तुम्हें 40 आएगा कि 80 आएगा, 90 आएगा! आपका दिमाग जो exam हो गयी, उसमें खपा रहता है। आप भी क्या करते हैं, दोस्तों सेफ़ोन पर share करते हैं, अरे यार, उसमें तुमने क्या लिखा! अरे यार, उसमें तुम्हारा कैसा गया! अच्छा, तुम्हें क्या लगा। यार, मेरी तो गड़बड़ हो गयी। यार, मैंने तो गलती कर दी। अरे यार, मुझे ये तो मालूम था, लेकिन मुझे याद नहीं आया। हम उसी में फँस जाते हैं। दोस्तो, ये मत कीजिये। exam के समय हो गया, सो हो गया। परिवार के साथ और विषयों पर गप्पें मारिए। पुरानी हँसी-खुशी की यादें ताज़ा कीजिए। कभी माँ-बाप के साथ कहीं गये हों, तो वहाँ के दृश्यों को याद करिए। बिलकुल उनसे निकल करके ही आधा घंटा बिताइए। रजत जी की बात सचमुच में समझने जैसी है।

दोस्तो, मैं क्या आपको शांति की बात बताऊँ। आज आपको exam देने से पहले एक ऐसे व्यक्ति ने आपके लिए सन्देश भेजा है, वे मूलतः शिक्षक हैं और आज एक प्रकार से संस्कार शिक्षक बने हुए हैं। रामचरितमानस, वर्तमान सन्दर्भ में उसकी व्याख्या करते-करते वो देश और दुनिया में इस संस्कार सरिता को पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे पूज्य मुरारी बापू ने भी विद्यार्थियों के लिए बड़ी महत्वपूर्ण tip भेजी है और वे तो शिक्षक भी हैं, चिन्तक भी हैं और इसलिए उनकी बातों में

दोनों का मेल है: -
“मैं मुरारी बापू बोल रहा हूँ। मैं विद्यार्थी भाइयों-बहनों को यही कहना चाहता हूँ कि परीक्षा के समय में मन पर कोई भी बोझ रखे बिना और बुद्धि का एक स्पष्ट निर्णय करके और चित को एकाग्र करके आप परीक्षा में बैठिये और जो स्थिति आई है, उसको स्वीकार कर लीजिए। मेरा अनुभव है कि परिस्थिति को स्वीकार करने से बहुत हम प्रसन्न रह सकते हैं और खुश रह सकते हैं। आपकी परीक्षा में आप निर्भार और प्रसन्नचित्त आगे बढ़ें, तो ज़रूर सफलता मिलेगी और यदि सफलता न भी मिली, तो भी fail होने की ग्लानि नहीं होगी और सफल होने का गर्व भी होगा। एक शेर कह कर मैं मेरा सन्देश और शुभकामना देता हूँ – लाज़िम नहीं कि हर कोई हो कामयाब ही, जीना भी सीखिए नाकामियों के साथ। हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री का ये जो ‘मन की बात’ का कार्यक्रम है, उसको मैं बहुत आवकार देता हूँ। सबके लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामना।
धन्यवाद।”
पूज्य मुरारी बापू का मैं भी आभारी हूँ कि उन्होंने बहुत अच्छा सन्देश हम सबको दिया। दोस्तो, आज एक और बात बताना चाहता हूँ। मैं देख रहा हूँ कि इस बार जो मुझे लोगों ने जो अपने अनुभव बताये हैं, उसमें योग की चर्चा अवश्य की है। और ये मेरे लिए खुशी की बात है कि इन दिनों मैं दुनिया में जिस किसी से मिलता हूँ, थोड़ा-सा भी समय क्यों न मिले, योग की थोड़ी सी बात तो कोई न कोई करता ही करता है। दुनिया के किसी भी देश का व्यक्ति क्यों न हो, भारत का कोई व्यक्ति क्यों न हो, तो मुझे अच्छा लगता है कि योग के संबंध में इतना आकर्षण पैदा हुआ है, इतनी जिज्ञासा पैदा हुई है और देखिये, कितने लोगों ने मुझे मेरे मोबाइल App पर, श्री अतनु मंडल, श्री कुणाल गुप्ता, श्री सुशांत कुमार, श्री के. जी. आनंद, श्री अभिजीत कुलकर्णी, न जाने अनगिनत लोगों ने meditation की बात की है, योग पर बल दिया है। खैर दोस्तो, मैं बिलकुल ही आज ही कह दूँ, कल सुबह से योग करना शुरू करो, वो तो आपके साथ अन्याय होगा। लेकिन जो योग करते हैं, वो कम से कम exam है इसलिए आज न करें, ऐसा न करें। करते हैं तो करिये। लेकिन ये बात सही है कि विद्यार्थी जीवन में हो या जीवन का उत्तरार्द्ध हो, अंतर्मन की विकास यात्रा में योग एक बहुत बड़ी चाभी है। सरल से सरल चाभी है। आप ज़रूर उस पर ध्यान दीजिए।
हाँ, अगर आप अपने नजदीक में कोई योग के जानकार होंगे, उनको पूछोगे तो exam के दिनों में पहले योग नहीं किया होगा, तो भी दो-चार चीज़ें तो ऐसे बता देंगे, जो आप दो-चार-पाँच मिनट में कर सकते हैं। देखिये, अगर आप कर सकते हैं तो! हाँ, मेरा उसमें विश्वास बहुत है। मेरे नौजवान साथियो, आपको परीक्षा हॉल में जाने की बड़ी जल्दी होती है। जल्दी-जल्दी पर अपने bench पर बैठ जाने का मन करता है? क्या ये चीज़ें हड़बड़ी में क्यों करें? अपना पूरे दिन का समय का ऐसा प्रबंधन क्यों न करें कि कहीं ट्रैफिक में रुक जाएँ, तो भी समय पर हम पहुँच ही जाएँ। वर्ना ऐसी चीज़ें एक नया तनाव पैदा करती हैं। और एक बात है, हमें जितना समय मिला है, उसमें जो प्रश्नपत्र है, जो instructions हैं, हमें कभी-कभी लगता है कि ये हमारा समय खा जाएगा। ऐसा नहीं है दोस्तो। आप उन instructions को बारीकी से पढ़िए। दो मिनट-तीन मिनट-पाँच मिनट जाएगी, कोई नुकसान नहीं होगा। लेकिन उससे exam में क्या करना है, उसमें कोई गड़बड़ नहीं होगी और बाद में पछतावा नहीं होगा और मैंने देखा है कि कभी-कभार पेपर आने के बाद भी pattern नयी आयी है, ऐसा पता चलता है, लेकिन पढ़ लेते हैं instructions, तो शायद हम अपने आपको बराबर cope-up कर लेते हैं कि हाँ, ठीक है, चलो, मुझे ऐसे ही जाना है। और मैं आपसे आग्रह करूँगा कि भले आपके पाँच मिनट इसमें जाएँ, लेकिन इसको ज़रूर करें।
श्रीमान यश नागर, उन्होंने हमारे मोबाइल App पर लिखा है कि जब उन्होनें पहली बार पेपर पढ़ा, तो उन्हें ये काफी कठिन लगा। लेकिन उसी पेपर को दोबारा आत्मविश्वास के साथ, अब यही पेपर मेरे पास है, कोई नये प्रश्न आने वाले नहीं हैं, मुझे इतने ही प्रश्नों से निपटना है और जब दोबारा मैं सोचने लगा, तो उन्होंने लिखा है कि मैं इतनी आसानी से इस पेपर को समझ गया, पहली बार पढ़ा तो लगा कि ये तो मुझे नहीं आता है, लेकिन वही चीज़ दोबारा पढ़ा, तो मुझे ध्यान में आया कि नहीं-नहीं सवाल दूसरे तरीक़े से रखा गया है, लेकिन ये तो वही बात है, जो मैं जानता हूँ। प्रश्नों को समझना ये बहुत आवश्यक होता है। प्रश्नों को न समझने से कभी-कभी प्रश्न कठिन लगता है। मैं यश नागर की इस बात पर बल देता हूँ कि आप प्रश्नों को दो बार पढ़ें, तीन बार पढ़ें, चार बार पढ़ें और आप जो जानते हैं, उसके साथ उसको match करने का प्रयास करें। आप देखिये, वो प्रश्न लिखने से पहले ही सरल हो जाएगा।
मेरे लिए आज खुशी की बात है कि भारतरत्न और हमारे बहुत ही सम्मानित वैज्ञानिक सी.एन.आर. राव, उन्होंने धैर्य पर बल दिया है। बहुत ही कम शब्दों में लेकिन बहुत ही अच्छा सन्देश हम सभी विद्यार्थियों को उन्होंने दिया है। आइये, राव साहब का message सुनें:-
“This is C.N.R. Rao from Bangalore. I fully realise that the examinations cause anxiety. That too competitive examinations. Do not worry, do your best. That’s what I tell all my young friends. At the same time remember, that there are many opportunities in this country. Decide what you want to do in life and don’t give it up. You will succeed. Do not forget that you are a child of the universe. You have a right to be here like the trees and the mountains. All you need is doggedness, dedication and tenacity. With these qualities you will succeed in all examinations and all other endeavours. I wish you luck in everything you want to do. God Bless.” देखा, एक वैज्ञानिक का बात करने का तरीका कैसा होता है। जो बात कहने में मैं आधा घंटा लगाता हूँ, वो बात वो तीन मिनट में कह देते हैं। यही तो विज्ञान की ताकत है और यही तो वैज्ञानिक मन की ताकत है। मैं राव साहब का बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने देश के बच्चों को प्रेरित किया। उन्होंने जो बात कही है – दृढ़ता की, निष्ठा की, तप की, यही बात है – dedication, determination, diligence. डटे रहो, दोस्तो, डटे रहो। अगर आप डटे रहोगे, तो डर भी डरता रहेगा। और अच्छा करने के लिए सुनहरा भविष्य आपका इन्तजार कर रहा है। अब मेरे App पर एक सन्देश रुचिका डाबस ने अपने exam experience को share किया है। उन्होंने कहा कि उनके परिवार में exam के समय एक positive atmosphere बनाने का लगातार प्रयास होता है और ये चर्चा उनके साथी परिवारों में भी होती थी। सब मिला करके positive वातावरण।
ये बात सही है, जैसा सचिन जी ने भी कहा, positive approach, positive frame of mind positive energy को उजागर करता है। कभी-कभी बहुत सी बातें ऐसी होती हैं कि जो हमें प्रेरणा देती हैं, और ये मत सोचिए कि ये सब विद्यार्थियों को ही प्रेरणा देती हैं। जीवन के किसी भी पड़ाव पर आप क्यों न हों, उत्तम उदाहरण, सत्य घटनाएँ बहुत बड़ी प्रेरणा भी देती हैं, बहुत बड़ी ताकत भी देती हैं और संकट के समय नया रास्ता भी बना देती हैं। हम सब electricity bulb के आविष्कारक थॉमस एलवा एडिसन, हमारे syllabus में उसके विषय में पढ़ते हैं। लेकिन दोस्तो, कभी ये सोचा है, कितने सालों तक उन्होंने इस काम को करने के लिए खपा दिए। कितनी बार विफलताएँ मिली, कितना समय गया, कितने पैसे गए। विफलता मिलने पर कितनी निराशा आयी होगी। लेकिन आज उस electricity, वो bulb हम लोगों की ज़िंदगी को भी तो रोशन करता है। इसी को तो कहते हैं, विफलता में भी सफलता की संभावनायें निहित होती हैं।
श्रीनिवास रामानुजन को कौन नहीं जानता है। आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में से एक नाम –Indian Mathematician. आपको पता होगा, उनका formal कोई education mathematics में नहीं हुआ था, कोई विशेष प्रशिक्षण भी नहीं हुआ था, लेकिन उन्होंने Mathematical analysis, number theory जैसे विभिन्न क्षेत्रों में गहन योगदान किया। अत्यंत कष्ट भरा जीवन, दुःख भरा जीवन, उसके बावज़ूद भी वो दुनिया को बहुत-कुछ दे करके गए। जे. के. रॉलिंग एक बेहतरीन उदाहरण हैं कि सफलता कभी भी किसी को भी मिल सकती है। हैरी पॉटर series आज दुनिया भर में लोकप्रिय है। लेकिन शुरू से ऐसा नहीं था। कितनी समस्या उनको झेलनी पड़ी थी। कितनी विफलताएँ आई थीं। रॉलिंग ने खुद कहा था कि मुश्किलों में वो सारी ऊर्जा उस काम में लगाती थीं, जो वाकई उनके लिए मायने रखता था। Exam आजकल सिर्फ़ विद्यार्थी की नहीं, पूरे परिवार की और पूरे स्कूल की, teacher की सबकी हो जाती है। लेकिन parents और teachers के support system के बिना अकेला विद्यार्थी, स्थिति अच्छी नहीं है। teacher हो, parents हों, even senior students हों, ये सब मिला करके हम एक टीम बनके, unit बनके समान सोच के साथ, योजनाबद्ध तरीक़े से आगे बढ़ें, तो परीक्षा सरल हो जाती है।
श्रीमान केशव वैष्णव ने मुझे App पर लिखा है, उन्होंने शिकायत की है कि parents ने अपने बच्चों पर अधिक marks मांगने के लिए कभी भी दबाव नहीं बनाना चाहिये। सिर्फ़ तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिये। वो relax रहे, इसकी चिंता करनी चाहिये। विजय जिंदल लिखते हैं, बच्चों पर उनसे अपनी उम्मीदों का बोझ न डालें। जितना हो सके, उनका हौसला बढ़ायें। विश्वास बनाये रखने में सहायता करें। ये बात सही है। मैं आज parents को अधिक कहना नहीं चाहता हूँ। कृपा करके दबाव मत बनाइये। अगर वो अपने किसी दोस्त से बात कर रहा है, तो रोकिये मत। एक हल्का-फुल्का वातावरण बनाइए, सकारात्मक वातावरण बनाइए। देखिये, आपका बेटा हो या बेटी कितना confidence आ जायेगा। आपको भी वो confidence नज़र आयेगा।
दोस्तो, एक बात निश्चित है, ख़ास करके मैं युवा मित्रों से कहना चाहता हूँ | हम लोगों का जीवन, हमारी पुरानी पीढ़ियों से बहुत बदल चुका है। हर पल नया innovation, नई टेक्नोलॉजी, विज्ञान के नित नए रंग-रूप देखने को मिल रहे हैं और हम सिर्फ अभिभूत हो रहे हैं, ऐसा नहीं है। हम उससे जुड़ने का पसंद करते हैं। हम भी विज्ञान की रफ़्तार से आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं ये बात इसलिए कर रहा हूँ, दोस्तो कि आज National Science Day है। National Science Day, देश का विज्ञान महोत्सव हर वर्ष 28 फरवरी हम इस रूप में मनाते हैं। 28 फरवरी, 1928 सर सी.वी. रमन ने अपनी खोज ‘रमन इफ़ेक्ट’ की घोषणा की थी। यही तो खोज थी, जिसमें उनको नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ और इसलिए देश 28 फरवरी को National Science Day के रूप में मनाता है। जिज्ञासा विज्ञान की जननी है। हर मन में वैज्ञानिक सोच हो, विज्ञान के प्रति आकर्षण हो और हर पीढ़ी को innovation पर बल देना होता है और विज्ञान और टेक्नोलॉजी के बिना innovation संभव नहीं होते हैं। आज National Science Day पर देश में innovation पर बल मिले। ज्ञान, विज्ञान, टेक्नोलॉजी ये सारी बातें हमारी विकास यात्रा के सहज हिस्से बनने चाहिए और इस बार National Science Day का theme है ‘Make in India Science and Technology Driven innovations'. सर सी.वी. रमन को मैं नमन करता हूँ और आप सबको विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए आग्रह कर रहा हूँ।
दोस्तो, कभी-कभी सफलताएँ बहुत देर से मिलती हैं और सफलता जब मिलती है, तब दुनिया को देखने का नज़रिया भी बदल जाता है। आप exam में शायद बहुत busy रहे होंगे, तो शायद हो सकता है, बहुत सी ख़बरे आपके मन में register न हुई हों। लेकिन मैं देशवासियो को भी इस बात को दोहराना चाहता हूँ। आपने पिछले दिनों में सुना होगा कि विज्ञान के विश्व में एक बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण ख़ोज हुई है। विश्व के वैज्ञानिकों ने परिश्रम किया, पीढ़ियाँ आती गईं, कुछ-न-कुछ करती गईं और क़रीब-क़रीब 100 साल के बाद एक सफलता हाथ लगी। ‘Gravitational Waves’ हमारे वैज्ञानिको के पुरुषार्थ से, उसे उजागर किया गया, detect किया गया। ये विज्ञान की बहुत दूरगामी सफलता है। ये खोज न केवल पिछली सदी के हमारे महान वैज्ञानिक आइन्स्टाइन की theory को प्रमाणित करती है, बल्कि Physics के लिए महान discovery मानी जाती है। ये पूरी मानव-जाति को पूरे विश्व के काम आने वाली बात है, लेकिन एक भारतीय के नाते हम सब को इस बात की खुशी है कि सारी खोज की प्रक्रिया में हमारे देश के सपूत, हमारे देश के होनहार वैज्ञानिक भी उससे जुड़े हुये थे। उनका भी योगदान है। मैं उन सभी वैज्ञानिकों को आज ह्रदय से बधाई देना चाहता हूँ, अभिनन्दन करना चाहता हूँ। भविष्य में भी इस ख़ोज को आगे बढ़ाने में हमारे वैज्ञानिक प्रयासरत रहेंगे। अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों में भारत भी हिस्सेदार बनेगा और मेरे देशवासियो, पिछले दिनों में एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है। इसी खोज में और अधिक सफ़लता पाने के लिए Laser Interferometer Gravitational-Wave Observatory, short में उसको कहते हैं ‘LIGO’, भारत में खोलने का सरकार ने निर्णय लिया है। दुनिया में दो स्थान पर इस प्रकार की व्यवस्था है, भारत तीसरा है। भारत के जुड़ने से इस प्रक्रिया को और नई ताक़त मिलेगी, और नई गति मिलेगी। भारत ज़रूर अपने मर्यादित संसाधनों के बीच भी मानव कल्याण की इस महत्तम वैज्ञानिक ख़ोज की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनेगा। मैं फिर एक बार सभी वैज्ञानिकों को बधाई देता हूँ, शुभकामनायें देता हूँ। मेरे प्यारे देशवासियो, मैं एक नंबर लिखवाता हूँ आपको, कल से आप missed call करके इस नंबर से मेरी ‘मन की बात’ सुन सकते हैं, आपकी अपनी मातृभाषा में भी सुन सकते हैं। missed call करने के लिए नंबर है – 81908-81908. मैं दोबारा कहता हूँ 81908-81908.
दोस्तो, आपकी exam शुरू हो रही है। मुझे भी कल exam देनी है। सवा-सौ करोड़ देशवासी मेरी examination लेने वाले हैं। पता है न, अरे भई, कल बजट है! 29 फरवरी, ये Leap Year होता है। लेकिन हाँ, आपने देखा होगा, मुझे सुनते ही लगा होगा, मैं कितना स्वस्थ हूँ, कितना आत्मविश्वास से भरा हुआ हूँ। बस, कल मेरी exam हो जाये, परसों आपकी शुरू हो जाये। और हम सब सफल हों, तो देश भी सफल होगा। तो दोस्तो, आपको भी बहुत-बहुत शुभकामनायें, ढेर सारी शुभकामनायें। सफलता-विफलता के तनाव से मुक्त हो करके, मुक्त मन से आगे बढ़िये, डटे रहिये। धन्यवाद!


‘मन की बात’ - प्रधानमंत्री श्री मोदी
Our Correspondent :21 September 2015
मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार! ‘मन की बात’ का ये बारहवां एपिसोड है और इस हिसाब से देखें तो एक साल बीत गया। पिछले वर्ष, 3 अक्टूबर को पहली बार मुझे ‘मन की बात’ करने का सौभाग्य मिला था। ‘मन की बात’ - एक वर्ष, अनेक बातें। मैं नहीं जानता हूँ कि आपने क्या पाया, लेकिन मैं इतना ज़रूर कह सकता हूँ, मैंने बहुत कुछ पाया।
लोकतंत्र में जन-शक्ति का अपार महत्व है। मेरे जीवन में एक मूलभूत सोच रही है और उसके कारण जन-शक्ति पर मेरा अपार विश्वास रहा है। लेकिन ‘मन की बात’ ने मुझे जो सिखाया, जो समझाया, जो जाना, जो अनुभव किया, उससे मैं कह सकता हूँ कि हम सोचते हैं, उससे भी ज्यादा जन-शक्ति अपरम्पार होती है। हमारे पूर्वज कहा करते थे कि जनता-जनार्दन, ये ईश्वर का ही अंश होता है। मैं ‘मन की बात’ के मेरे अनुभवों से कह सकता हूँ कि हमारे पूर्वजों की सोच में एक बहुत बड़ी शक्ति है, बहुत बड़ी सच्चाई है, क्योंकि मैंने ये अनुभव किया है। ‘मन की बात’ के लिए मैं लोगों से सुझाव माँगता था और शायद हर बार दो या चार सुझावों को ही हाथ लगा पाता था। लेकिन लाखों की तादाद में लोग सक्रिय हो करके मुझे सुझाव देते रहते थे। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी शक्ति है, वर्ना प्रधानमंत्री को सन्देश दिया, mygov.in पर लिख दिया, चिठ्ठी भेज दी, लेकिन एक बार भी हमारा मौका नहीं मिला, तो कोई भी व्यक्ति निराश हो सकता है। लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगा।
हाँ... मुझे इन लाखों पत्रों ने एक बहुत बड़ा पाठ भी पढ़ाया। सरकार की अनेक बारीक़ कठिनाइयों के विषय में मुझे जानकारी मिलती रही और मैं आकाशवाणी का भी अभिनन्दन करता हूँ कि उन्होंने इन सुझावों को सिर्फ एक कागज़ नहीं माना, एक जन-सामान्य की आकांक्षा माना। उन्होंने इसके बाद कार्यक्रम किये। सरकार के भिन्न-भिन्न विभागों को आकाशवाणी में बुलाया और जनता-जनार्दन ने जो बातें कही थीं, उनके सामने रखीं। कुछ बातों का निराकरण करवाने का प्रयास किया। सरकार के भी हमारे भिन्न-भिन्न विभागों ने, लोगों में इन पत्रों का analysis किया और वो कौन-सी बातें हैं कि जो policy matters हैं? वो कौन-सी बातें हैं, जो person के कारण परेशानी हैं? वो कौन-सी बातें हैं, जो सरकार के ध्यान में ही नहीं हैं? बहुत सी बातें grass-root level से सरकार के पास आने लगीं और ये बात सही है कि governance का एक मूलभूत सिद्धांत है कि जानकारी नीचे से ऊपर की तरफ जानी चाहिए और मार्गदर्शन ऊपर से नीचे की तरफ जाना चाहिये। ये जानकारियों का स्रोत, ‘मन की बात’ बन जाएगा, ये कहाँ सोचा था किसी ने? लेकिन ये हो गया।
और उसी प्रकार से ‘मन की बात’ ने समाज- शक्ति की अभिव्यक्ति का एक अवसर बना दिया। मैंने एक दिन ऐसे ही कह दिया था कि सेल्फ़ी विद डॉटर (selfie w।th daughter) और सारी दुनिया अचरज हो गयी, शायद दुनिया के सभी देशों से किसी-न-किसी ने लाखों की तादाद में सेल्फ़ी विद डॉटर (selfie w।th daughter) और बेटी को क्या गरिमा मिल गयी। और जब वो सेल्फ़ी विद डॉटर (selfie w।th daughter) करता था, तब अपनी बेटी का तो हौसला बुलंद करता था, लेकिन अपने भीतर भी एक commitment पैदा करता था। जब लोग देखते थे, उनको भी लगता था कि बेटियों के प्रति उदासीनता अब छोड़नी होगी। एक Silent Revolution था।
भारत के tourism को ध्यान में रखते हुए मैंने ऐसे ही नागरिकों को कहा था, “Incredible India”, कि भई, आप भी तो जाते हो, जो कोई अच्छी तस्वीर हो, तो भेज देना, मैं देखूंगा। यूँ ही हलकी-फुलकी बात की थी, लेकिन क्या बड़ा गज़ब हो गया! लाखों की तादाद में हिन्दुस्तान के हर कोने की ऐसी-ऐसी तस्वीरें लोगों ने भेजीं। शायद भारत सरकार के tourism ने, राज्य सरकार के tourism department ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि हमारे पास ऐसी-ऐसी विरासतें हैं। एक platform पर सब चीज़ें आयीं और सरकार का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ। लोगों ने काम को बढ़ा दिया।
मुझे ख़ुशी तो तब हुई कि पिछले अक्टूबर महीने के पहले मेरी जो पहली ‘मन की बात’ थी, तो मैंने गाँधी जयंती का उल्लेख किया था और लोगों को ऐसे ही मैंने प्रार्थना की थी कि 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी की जयंती हम मना रहे हैं। एक समय था, खादी फॉर नेशन (Khadi for Nation). क्या समय का तकाज़ा नहीं है कि खादी फॉर फैशन (Khadi for Fashion) - और लोगों को मैंने आग्रह किया था कि आप खादी खरीदिये। थोडा बहुत कीजिये। आज मैं बड़े संतोष के साथ कहता हूँ कि पिछले एक वर्ष में करीब-करीब खादी की बिक्री डबल हुई है। अब ये कोई सरकारी advertisement से नहीं हुआ है। अरबों-खरबों रूपए खर्च कर के नहीं हुआ है। जन-शक्ति का एक एहसास, एक अनुभूति।
एक बार मैंने ‘मन की बात’ में कहा था, गरीब के घर में चूल्हा जलता है, बच्चे रोते रहते हैं, गरीब माँ - क्या उसे gas cylinder नहीं मिलना चाहिए? और मैंने सम्पन्न लोगों से प्रार्थना की थी कि आप subsidy surrender नहीं कर सकते क्या? सोचिये... और मैं आज बड़े आनंद के साथ कहना चाहता हूँ कि इस देश के तीस लाख परिवारों ने gas cylinder की subsidy छोड़ दी है - और ये अमीर लोग नहीं हैं। एक TV channel पर मैंने देखा था कि एक retired teacher, विधवा महिला, वो क़तार में खड़ी थी subsidy छोड़ने के लिए। समाज के सामान्य जन भी, मध्यम वर्ग, निम्न-मध्यम वर्ग जिनके लिए subsidy छोड़ना मुश्किल काम है। लेकिन ऐसे लोगों ने छोड़ा। क्या ये Silent Revolution नहीं है? क्या ये जन-शक्ति के दर्शन नहीं हैं?
सरकारों को भी सबक सीखना होगा कि हमारी सरकारी चौखट में जो काम होता है, उस चौखट के बाद एक बहुत बड़ी जन-शक्ति का एक सामर्थ्यवान, ऊर्जावान और संकल्पवान समाज है। सरकारें जितनी समाज से जुड़ करके चलती हैं, उतनी ज्यादा समाज में परिवर्तन के लिए एक अच्छी catalytic agent के रूप में काम कर सकती हैं। ‘मन की बात’ में, मुझे सब जिन चीज़ों में मेरा भरोसा था, लेकिन आज वो विश्वास में पलट गया, श्रद्धा में पलट गया और इसलिये मैं आज ‘मन की बात’ के माध्यम से फिर एक बार जन-शक्ति को शत-शत वन्दन करना चाहता हूँ, नमन करना चाहता हूँ। हर छोटी बात को अपनी बना ली और देश की भलाई के लिए अपने-आप को जोड़ने का प्रयास किया। इससे बड़ा संतोष क्या हो सकता है?
‘मन की बात’ में इस बार मैंने एक नया प्रयोग करने के लिए सोचा। मैंने देश के नागरिकों से प्रार्थना की थी कि आप telephone करके अपने सवाल, अपने सुझाव दर्ज करवाइए, मैं ‘मन की बात’ में उस पर ध्यान दूँगा। मुझे ख़ुशी है कि देश में से करीब पचपन हज़ार से ज़्यादा phone calls आये। चाहे सियाचिन हो, चाहे कच्छ हो या कामरूप हो, चाहे कश्मीर हो या कन्याकुमारी हो। हिन्दुस्तान का कोई भू-भाग ऐसा नहीं होगा, जहाँ से लोगों ने phone calls न किये हों। ये अपने-आप में एक सुखद अनुभव है। सभी उम्र के लोगों ने सन्देश दिए हैं। कुछ तो सन्देश मैंने खुद ने सुनना भी पसंद किया, मुझे अच्छा लगा। बाकियों पर मेरी team काम कर रही है। आपने भले एक मिनट-दो मिनट लगाये होंगे, लेकिन मेरे लिए आपका phone call, आपका सन्देश बहुत महत्वपूर्ण है। पूरी सरकार आपके सुझावों पर ज़रूर काम करेगी।
लेकिन एक बात मेरे लिए आश्चर्य की रही और आनंद की रही। वैसे ऐसा लगता है, जैसे चारों तरफ negativity है, नकारात्मकता है। लेकिन मेरा अनुभव अलग रहा। इन पचपन हज़ार लोगों ने अपने तरीके से अपनी बात बतानी थी। बे-रोकटोक था, कुछ भी कह सकते थे, लेकिन मैं हैरान हूँ, सारी बातें ऐसी ही थीं, जैसे ‘मन की बात’ की छाया में हों। पूरी तरह सकारात्मक, सुझावात्मक, सृजनात्मक - यानि देखिये देश का सामान्य नागरिक भी सकारात्मक सोच ले करके चल रहा है, ये तो कितनी बड़ी पूंजी है देश की। शायद 1%, 2% ऐसे फ़ोन हो सकते हैं जिसमें कोई गंभीर प्रकार की शिकायत का माहौल हो। वर्ना 90% से भी ज़्यादा एक ऊर्जा भरने वाली, आनंद देने वाली बातें लोगों ने कही हैं।
एक बात और ध्यान में मेरे आई, ख़ास करके specially abled - उसमें भी ख़ासकर के दृष्टिहीन अपने स्वजन, उनके काफी फ़ोन आये हैं। लेकिन उसका कारण ये होगा, शायद ये TV देख नहीं पाते, ये रेडियो ज़रूर सुनते होंगे। दृष्टिहीन लोगों के लिए रेडियो कितना बड़ा महत्वपूर्ण होगा, वो मुझे इस बात से ध्यान में आया है। एक नया पहलू मैं देख रहा हूँ, और इतनी अच्छी-अच्छी बातें बताई हैं इन लोगों ने और सरकार को भी संवेदनशील बनाने के लिए काफी है।
मुझे अलवर, राजस्थान से पवन आचार्य ने एक सन्देश दिया है, मैं मानता हूँ, पवन आचार्य की बात पूरे देश को सुननी चाहिए और पूरे देश को माननी चाहिए। देखिये, वो क्या कहना चाहते हैं, जरुर सुनिए –
“मेरा नाम पवन आचार्य है और मैं अलवर, राजस्थान से बिलॉन्ग करता हूँ। मेरा मेसेज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से यह है कि कृपया आप इस बार ‘मन की बात’ में पूरे भारत देश की जनता से आह्वान करें कि दीवाली पर वो अधिक से अधिक मिट्टी के दियों का उपयोग करें। इस से पर्यावरण का तो लाभ होगा ही होगा और हजारों कुम्हार भाइयों को रोज़गार का अवसर मिलेगा। धन्यवाद।”
पवन, मुझे विश्वास है कि पवन की तरह आपकी ये भावना हिन्दुस्तान के हर कोने में जरुर पहुँच जाएगी, फैल जाएगी। अच्छा सुझाव दिया है और मिट्टी का तो कोई मोल ही नहीं होता है, और इसलिए मिट्टी के दिये भी अनमोल होते हैं। पर्यावरण की दृष्टि से भी उसकी एक अहमियत है और दिया बनता है गरीब के घर में, छोटे-छोटे लोग इस काम से अपना पेट भरते हैं और मैं देशवासियों को जरुर कहता हूँ कि आने वाले त्योहारों में पवन आचार्य की बात अगर हम मानेंगे, तो इसका मतलब है, कि दिया हमारे घर में जलेगा, लेकिन रोशनी गरीब के घर में होगी।
मेरे प्यारे देशवासियो, गणेश चतुर्थी के दिन मुझे सेना के जवानों के साथ दो-तीन घंटे बिताने का अवसर मिला। जल, थल और नभ सुरक्षा करने वाली हमारी जल सेना हो, थल सेना हो या वायु सेना हो – Army, Air Force, Navy. 1965 का जो युद्ध हुआ था पाकिस्तान के साथ, उसको 50 वर्ष पूर्ण हुए, उसके निमित्त दिल्ली में इंडिया गेट के पास एक ‘शौर्यांजलि’ प्रदर्शनी की रचना की है। मैं उसे चाव से देखता रहा, गया था तो आधे घंटे के लिए, लेकिन जब निकला, तब ढाई घंटे हो गए और फिर भी कुछ अधूरा रह गया। क्या कुछ वहाँ नही था? पूरा इतिहास जिन्दा कर के रख दिया है। Aesthetic दृष्टि से देखें, तो भी उत्तम है, इतिहास की दृष्टि से देखें, तो बड़ा educative है और जीवन में प्रेरणा के लिए देखें, तो शायद मातृभूमि की सेवा करने के लिए इस से बड़ी कोई प्रेरणा नहीं हो सकती है। युद्ध के जिन proud moments और हमारे सेनानियों के अदम्य साहस और बलिदान के बारे में हम सब सुनते रहते थे, उस समय तो उतने photograph भी available नहीं थे, इतनी videography भी नहीं होती थी। इस प्रदर्शनी के माध्यम से उसकी अनुभूति होती है।
लड़ाई हाजीपीर की हो, असल उत्तर की हो, चामिंडा की लड़ाई हो और हाजीपीर पास के जीत के दृश्यों को देखें, तो रोमांच होता है और अपने सेना के जवानों के प्रति गर्व होता है। मुझे इन वीर परिवारों से भी मिलना हुआ, उन बलिदानी परिवारों से मिलना हुआ और युद्ध में जिन लोगों ने हिस्सा लिया था, वे भी अब जीवन के उत्तर काल खंड में हैं। वे भी पहुँचे थे। और जब उन से हाथ मिला रहा था तो लग रहा था कि वाह, क्या ऊर्जा है, एक प्रेरणा देता था। अगर आप इतिहास बनाना चाहते हैं, तो इतिहास की बारीकियों को जानना-समझना ज़रूरी होता है। इतिहास हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है। इतिहास से अगर नाता छूट जाता है, तो इतिहास बनाने की संभावनाओं को भी पूर्ण विराम लग जाता है। इस शौर्य प्रदर्शनी के माध्यम से इतिहास की अनुभूति होती है। इतिहास की जानकारी होती है। और नये इतिहास बनाने की प्रेरणा के बीज भी बोये जा सकते हैं। मैं आपको, आपके परिवारजनों को - अगर आप दिल्ली के आस-पास हैं - शायद प्रदर्शनी अभी कुछ दिन चलने वाली है, आप ज़रूर देखना। और जल्दबाजी मत करना मेरी तरह। मैं तो दो-ढाई घंटे में वापिस आ गया, लेकिन आप को तो तीन-चार घंटे ज़रूर लग जायेंगे। जरुर देखिये।
लोकतंत्र की ताकत देखिये, एक छोटे बालक ने प्रधानमंत्री को आदेश किया है, लेकिन वो बालक जल्दबाजी में अपना नाम बताना भूल गया है। तो मेरे पास उसका नाम तो है नहीं, लेकिन उसकी बात प्रधानमंत्री को तो गौर करने जैसी है ही है, लेकिन हम सभी देशवासियों को गौर करने जैसी है। सुनिए, ये बालक हमें क्या कह रहा है:
“प्रधानमंत्री मोदी जी, मैं आपको कहना चाहता हूँ कि जो आपने स्वच्छता अभियान चलाया है, उसके लिये आप हर जगह, हर गली में डस्टबिन लगवाएं।”
इस बालक ने सही कहा है। हमें स्वच्छता एक स्वभाव भी बनाना चाहिये और स्वच्छता के लिए व्यवस्थायें भी बनानी चाहियें। मुझे इस बालक के सन्देश से एक बहुत बड़ा संतोष मिला। संतोष इस बात का मिला, 2 अक्टूबर को मैंने स्वच्छ भारत को लेकर के एक अभियान को चलाने की घोषणा की, और मैं कह सकता हूँ, शायद आज़ादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ होगा कि संसद में भी घंटों तक स्वच्छता के विषय पर आजकल चर्चा होती है। हमारी सरकार की आलोचना भी होती है। मुझे भी बहुत-कुछ सुनना पड़ता है, कि मोदी जी बड़ी-बड़ी बातें करते थे स्वच्छता की, लेकिन क्या हुआ ? मैं इसे बुरा नहीं मानता हूँ। मैं इसमें से अच्छाई यह देख रहा हूँ कि देश की संसद भी भारत की स्वच्छता के लिए चर्चा कर रही है।
और दूसरी तरफ देखिये, एक तरफ संसद और एक तरफ इस देश का शिशु - दोनों स्वच्छता के ऊपर बात करें, इससे बड़ा देश का सौभाग्य क्या हो सकता है। ये जो आन्दोलन चल रहा है विचारों का, गन्दगी की तरफ नफरत का जो माहौल बन रहा है, स्वच्छता की तरफ एक जागरूकता आयी है - ये सरकारों को भी काम करने के लिए मजबूर करेगी, करेगी, करेगी! स्थानीय स्वराज की संस्थाओं को भी - चाहे पंचायत हो, नगर पंचायत हो, नगर पालिका हो, महानगरपालिका हो या राज्य हो या केंद्र हो - हर किसी को इस पर काम करना ही पड़ेगा। इस आन्दोलन को हमें आगे बढ़ाना है, कमियों के रहते हुए भी आगे बढ़ाना है और इस भारत को, 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती हम मनायेंगे, महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने की दिशा में हम काम करें।
और आपको मालूम है, महात्मा गांधी क्या कहते थे? एक बार उन्होंने कहा है कि आज़ादी और स्वच्छता दोनों में से मुझे एक पसंद करना है, तो मैं पहले स्वच्छता पसंद करूँगा, आजादी बाद में। गांधी के लिए आजादी से भी ज्यादा स्वच्छता का महत्त्व था। आइये,


दुनिया में हिन्दी का महत्व बढ़ रहा है- प्रधानमंत्री श्री मोदी
Our Correspondent :11 September 2015
हिन्दी को अन्य भारतीय भाषाओं से जोड़ना और डिजिटल दुनिया में उपयोग बढ़ाना होगा
हर पीढ़ी का दायित्व है भाषा को समृद्ध बनाये - प्रधानमंत्री श्री मोदी
भोपाल। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि दुनिया में भाषा के रूप में हिन्दी का महत्व बढ़ रहा है। हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने के लिए इसे अन्य भारतीय भाषाओं से जोड़ना होगा और डिजिटल दुनिया में उपयोग बढ़ाना होगा। हर पीढ़ी का दायित्व है कि भाषा को समृद्ध बनाये। प्रधानमंत्री श्री मोदी आज यहाँ दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन के उदघाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने सम्मेलन के उदघाटन समारोह में सम्मेलन पर केन्द्रित डाक टिकिट का लोकार्पण किया। साथ ही विश्व हिन्दी सम्मेलन की स्मारिका, गगनांचल पत्रिका के विशेषांक तथा प्रवासी साहित्य जोहानसबर्ग से आगे का विमोचन किया। सम्मेलन में 39 देश के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि हर पीढ़ी का दायित्व है कि उसके पास जो विरासत है उसे सुरक्षित रखें और आने वाली पीढ़ी को सौंपे। भाषा जड़ नहीं होती उसमें जीवन की तरह चेतना होती है। इस चेतना की अनुभूति भाषा के विकास और समृद्धि से होती है। भाषा में ताकत होती है जहाँ से भी गुजरती है वहाँ की परस्थिति से अपने में समाहित करती है। हिन्दुस्तान की सभी भाषाओं की उत्तम चीजों को हिन्दी भाषा की समृद्धि का हिस्सा बनाना चाहिए। मातृभाषा के रूप में हर राज्य के पास भाषा का खजाना है, इसे जोड़ने में सूत्रधार का काम करें। भाषाविदों का अनुमान है कि 21वीं सदी के अंत तक दुनिया की छह हजार भाषाओं में से 90 प्रतिशत के लुप्त होने की संभावना है। इसे चेतावनी समझकर अपनी भाषा का संरक्षण और संवर्धन करना होगा। हमारी भाषा में ज्ञान और अनुभव का भंडार है। भाषा के प्रति लगाव इसे समृद्ध बनाने के लिए होना चाहिए।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि डिजिटल दुनिया ने हमारे जीवन में गहरे तक प्रवेश कर लिया है। हमें हिन्दी और भारतीय भाषाओं को तकनीकी के लिए परिवर्तित करना होगा। बदले हुए तकनीकी परिदृश्य में भाषा का बड़ा बाजार बनने वाला है। भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है। भाषा हर किसी को जोड़ने वाली होना चाहिए। हर भारतीय भाषा अमूल्य है। भाषा की ताकत का अंदाजा उसके लुप्त होने के बाद होता है। हिन्दी भाषा का आंदोलन देश में ऐसे महापुरूषों ने चलाया जिनकी मातृभाषा हिन्दी नहीं थी, यह प्रेरणा देता है। भाषा और लिपि की ताकत अलग-अलग होती है। देश की सारी भाषाएँ नागरी लिपि में लिखने का आंदोलन यदि प्रभावी हुआ होता तो लिपि राष्ट्रीय एकता की ताकत के रूप में उभर कर आती। आज दुनिया के अलग-अलग देशों में हिन्दी का महत्व बढ़ रहा है। भारतीय फिल्मों ने भी दुनिया में हिन्दी को पहुँचाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दी सम्मेलन के माध्यम से हिन्दी को समृद्ध बनाने की पहल होगी और निश्चित परिणाम निकलेंगे।
विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने सम्मेलन को मध्यप्रदेश और भोपाल में आयोजित करने का कारण बताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश हिन्दी के लिये समर्पित राज्य है और भोपाल सफल आयोजन करने के लिये विख्यात है। श्रीमती स्वराज ने विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजनों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 32 वर्षों बाद यह भारत में आयोजित हो रहा है। पहला सम्मेलन 1975 में नागपुर में हुआ था। तब से भोपाल के दसवें सम्मेलन तक आयोजन का स्वरूप बदला है। पहले के सम्मेलन साहित्य केन्द्रित थे लेकिन दसवाँ सम्मेलन भाषा की उन्नति पर केन्द्रित है। उन्होंने कहा कि भाषा की उन्नति के लिये संवर्धन ही नहीं संरक्षण की भी जरूरत पड़ रही है। उन्होंने कहा कि विचार सत्रों में रिपोर्ट तत्काल लिखी जायेगी और भाग लेने वाले विद्वानों से अनुमोदन भी करवाया जायेगा ताकि समापन सत्र में अनुशंसाएँ पढ़ी जायें और उन पर अमल भी प्रारंभ हो जाये। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन परिणाम देने वाला होगा।
श्रीमती स्वराज ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा हिन्दी बोलने को प्रोत्साहित करने से हर नागरिक गौरव अनुभव करता है। इस सम्मेलन से प्रधानमंत्री के प्रयासों को गति मिलेगी और हिन्दी को अपेक्षित स्थान और सम्मान मिलेगा। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में हिन्दी के विस्तार और संभावनाओं पर आधारित विषय पर चर्चा होगी।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री और अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी को सम्मेलन के आयोजन की सहमति देने के लिये धन्यवाद दिया। श्री चौहान ने कहा कि जिस गुजरात से महात्मा गांधी ने हिन्दी का जयघोष किया था उसी गुजरात से आज श्री मोदी जी हिन्दी का मान बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की घोषणा भी गुजरात से हुई थी। श्री मोदी हिन्दी बोलने वाले प्रधानमंत्री हैं और उन्होंने देश-विदेश में हिन्दी का मान बढ़ाया है। यहाँ तक कि संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा में भी हिन्दी को सम्मान दिलाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश इस सम्मेलन के निष्कर्षों का अक्षरश: पालन करेगा।
विदेश राज्य मंत्री जनरल वी. के. सिंह ने आभार व्यक्त किया।
सम्मेलन का शुभारंभ हिन्दी के स्तुति गान के साथ हुआ। अतिथियों को अंग वस्त्र भेंट कर स्वागत किया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री रामनरेश यादव, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केसरी नाथ त्रिपाठी, राज्यपाल गोवा श्रीमती मृदुला सिन्हा, केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद, झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास, विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, गृह राज्य मंत्री डॉ. किरण रिजीजू, मॉरिशस की मानव संसाधन एवं विज्ञान मंत्री श्रीमती लीलादेवी दुक्कन, विदेश सचिव श्री अनिल वाधवा, आयोजन समिति के उपाध्यक्ष सांसद श्री अनिल माधव दवे सहित विभिन्न देश से आये हिंदी विद्वान और राज्य मंत्री मंडल के सदस्य उपस्थित थे।


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आकाशवाणी पर 'मन की बात' का मूल पाठ
मन की बात करने का मन नहीं हो रहा था आज। बोझ अनुभव कर रहा हूँ, कुछ व्यथित सा मन है। पिछले महीने जब बात कर रहा था आपसे, तो ओले गिरने की खबरें, बेमौसमी बरसात, किसानों की तबाही। अभी कुछ दिन पहले बिहार में अचानक तेज हवा चली। काफी लोग मारे गए। काफी कुछ नुकसान हुआ। और शनिवार को भयंकर भूकंप ने पूरे विश्व को हिला दिया है। ऐसा लगता है मानो प्राकृतिक आपदा का सिलसिला चल पड़ा है। नेपाल में भयंकर भूकंप की आपदा। हिंदुस्तान में भी भूकंप ने अलग-अलग राज्यों में कई लोगों की जान ली है। संपत्ति का भी नुकसान किया है। लेकिन नेपाल का नुकसान बहुत भयंकर है।
मैंने 2001, 26 जनवरी, कच्छ के भूकंप को निकट से देखा है। ये आपदा कितनी भयानक होती है, उसकी मैं कल्पना भली-भांति कर सकता हूँ। नेपाल पर क्या बीतती होगी, उन परिवारों पर क्या बीतती होगी, उसकी मैं कल्पना कर सकता हूँ।
लेकिन मेरे प्यारे नेपाल के भाइयो-बहनो, हिन्दुस्तान आपके दुःख में आपके साथ है। तत्काल मदद के लिए चाहे हिंदुस्तान के जिस कोने में मुसीबत आयी है वहां भी, और नेपाल में भी सहाय पहुंचाना प्रारंभ कर दिया है। सबसे पहला काम है रेस्क्यू ऑपरेशन, लोगों को बचाना। अभी भी मलबे में दबे हुए कुछ लोग जीवित होंगे, उनको जिन्दा निकालना हैं। एक्सपर्ट लोगों की टीम भेजी है, साथ में, इस काम के लिए जिनको विशेष रूप से ट्रेन किया गया है ऐसे स्निफ़र डॉग्स को भी भेजा गया है। स्निफर डॉग्स ढूंढ पाते हैं कि कहीं मलबे के नीचे कोई इंसान जिन्दा हो। कोशिश हमारी पूरी रहेगी अधिकतम लोगों को जिन्दा बचाएं। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद रिलीफ का काम भी चलाना है। रिहैबिलिटेशन का काम भी तो बहुत लम्बा चलेगा।
लेकिन मानवता की अपनी एक ताकत होती है। सवा-सौ करोड़ देश वासियों के लिए नेपाल अपना है। उन लोगों का दुःख भी हमारा दुःख है। भारत पूरी कोशिश करेगा इस आपदा के समय हर नेपाली के आंसू भी पोंछेंगे, उनका हाथ भी पकड़ेंगे, उनको साथ भी देंगे। पिछले दिनों यमन में, हमारे हजारों भारतीय भाई बहन फंसे हुए थे। युद्ध की भयंकर विभीषिका के बीच, बम बन्दूक के तनाव के बीच, गोलाबारी के बीच भारतीयों को निकालना, जीवित निकालना, एक बहुत बड़ा कठिन काम था। लेकिन हम कर पाए। इतना ही नहीं, एक सप्ताह की उम्र की एक बच्ची को जब बचा करके लाये तो ऐसा लग रहा था कि आखिर मानवता की भी कितनी बड़ी ताकत होती है। बम-बन्दूक की वर्षा चलती हो, मौत का साया हो, और एक सप्ताह की बच्ची अपनी जिन्दगी बचा सके तब एक मन को संतोष होता है।
मैं पिछले दिनों विदेश में जहाँ भी गया, एक बात के लिए बहुत बधाइयाँ मिली, और वो था यमन में हमने दुनिया के करीब 48 देशों के नागरिकों को बचाया था। चाहे अमेरिका हो, यू.के. हो, फ्रांस हो, रशिया हो, जर्मनी हो, जापान हो, हर देश के नागरिक को हमने मदद की थी। और उसके कारण दुनिया में भारत का ये “सेवा परमो धर्मः”, इसकी अनुभूति विश्व ने की है। हमारा विदेश मंत्रालय, हमारी वायु सेना, हमारी नौसेना इतने धैर्य के साथ, इतनी जिम्मेवारी के साथ, इस काम को किया है, दुनिया में इसकी अमिट छाप रहेगी आने वाले दिनों में, ऐसा मैं विश्वास करता हूँ। और मुझे खुशी है कि कोई भी नुकसान के बिना, सब लोग बचकर के बाहर आये। वैसे भी भारत का एक गुण, भारत के संस्कार बहुत पुराने हैं।
अभी मैं जब फ्रांस गया था तो फ्रांस में, मैं प्रथम विश्व युद्ध के एक स्मारक पर गया था। उसका एक कारण भी था, कि प्रथम विश्व युद्ध की शताब्दी तो है, लेकिन साथ-साथ भारत की पराक्रम का भी वो शताब्दी वर्ष हैI भारत के वीरों की बलिदानी की शताब्दी का वर्ष है और “सेवा परमो-धर्मः” इस आदर्श को कैसे चरितार्थ करता रहा हमारा देश , उसकी भी शताब्दी का यह वर्ष है, मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि 1914 में और 1918 तक प्रथम विश्व युद्ध चला और बहुत कम लोगों को मालूम होगा करीब-करीब 15 लाख भारतीय सैनिकों ने इस युद्ध में अपनी जान की बाजी लगा दी थी और भारत के जवान अपने लिए नहीं मर रहे थेI हिंदुस्तान को, किसी देश को कब्जा नहीं करना था, न हिन्दुस्तान को किसी की जमीन लेनी थी लेकिन भारतीयों ने एक अदभुत पराक्रम करके दिखाया थाI बहुत कम लोगों को मालूम होगा इस प्रथम विश्व युद्ध में हमारे करीब-करीब 74 हजार जवानों ने शहादत की थी, ये भी गर्व की बात है कि इस पर करीब 9 हजार 2 सौ हमारे सैनिकों को गैलेंट्री अवार्ड से डेकोरेट किया गया थाI इतना ही नहीं, 11 ऐसे पराक्रमी लोग थे जिनको सर्वश्रेष्ठ सम्मान विक्टोरिया क्रॉस मिला थाI खासकर कि फ्रांस में विश्व युद्ध के दरमियान मार्च 1915 में करीब 4 हजार 7 सौ हमारे हिनदुस्तानियों ने बलिदान दिया था। उनके सम्मान में फ्रांस ने वहां एक स्मारक बनाया है। मैं वहाँ नमन करने गया था, हमारे पूर्वजों के पराक्रम के प्रति श्रध्दा व्यक्त करने गया था।
ये सारी घटनायें हम देखें तो हम दुनिया को कह सकते हैं कि ये देश ऐसा है जो दुनिया की शांति के लिए, दुनिया के सुख के लिए, विश्व के कल्याण के लिए सोचता है। कुछ न कुछ करता है और ज़रूरत पड़े तो जान की बाज़ी भी लगा देता है। यूनाइटेड नेशन्स में भी पीसकीपिंग फ़ोर्स में सर्वाधिक योगदान देने वालों में भारत का भी नाम प्रथम पंक्ति में है। यही तो हम लोगों के लिए गर्व की बात है।
पिछले दिनों दो महत्वपूर्ण काम करने का मुझे अवसर मिला। हम पूज्य बाबा साहेब अम्बेडकर की 125 वीं जयन्ती का वर्ष मना रहे हैं। कई वर्षों से मुंबई में उनके स्मारक बनाने का जमीन का विवाद चल रहा था। मुझे आज इस बात का संतोष है कि भारत सरकार ने वो जमीन बाबा साहेब अम्बेडकर के स्मारक बनाने के लिए देने का निर्णय कर लिया। उसी प्रकार से दिल्ली में बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से एक इंटरनेशनल सेंटर बने, पूरा विश्व इस मनीषी को जाने, उनके विचारों को जाने, उनके काम को जाने। ये भी वर्षों से लटका पड़ा विषय था, इसको भी पूरा किया, शिलान्यास किया, और 20 साल से जो काम नहीं हुआ था वो 20 महीनों में पूरा करने का संकल्प किया। और साथ-साथ मेरे मन में एक विचार भी आया है और हम लगे हैं, आज भी हमारे देश में कुछ परिवार हैं जिनको सर पे मैला ढ़ोने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
क्या हमें शोभा देता है कि आज भी हमारे देश में कुछ परिवारों को सर पर मैला ढोना पड़े? मैंने सरकार में बड़े आग्रह से कहा है कि बाबा साहेब अम्बेडकर जी के पुण्य स्मरण करते हुए 125 वीं जयन्ती के वर्ष में, हम इस कलंक से मुक्ति पाएं। अब हमारे देश में किसी गरीब को सर पर मैला ढोना पड़े, ये परिस्थति हम सहन नहीं करेंगे। समाज का भी साथ चाहिये। सरकार ने भी अपना दायित्व निभाना चाहिये। मुझे जनता का भी सहयोग चाहिये, इस काम को हमें करना है।
बाबा साहेब अम्बेडकर जीवन भर शिक्षित बनो ये कहते रहते थे। आज भी हमारे कई दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित समाज में, ख़ास करके बेटियों में, शिक्षा अभी पहुँची नहीं है। बाबा साहेब अम्बेडकर के 125 वीं जयन्ती के पर्व पर, हम भी संकल्प करें। हमारे गाँव में, नगर में, मोहल्ले में गरीब से गरीब की बेटी या बेटा, अनपढ़ न रहे। सरकार अपना कर्त्तव्य करे, समाज का उसमें साथ मिले तो हम जरुर संतोष की अनुभूति करते हैं। मुझे एक आनंद की बात शेयर करने का मन करता है और एक पीड़ा भी बताने का मन करता है।
मुझे इस बात का गर्व होता है कि भारत की दो बेटियों ने देश के नाम को रौशन किया। एक बेटी साईना नेहवाल बैडमिंटन में दुनिया में नंबर एक बनी, और दूसरी बेटी सानिया मिर्जा टेनिस डबल्स में दुनिया में नंबर एक बनी। दोनों को बधाई, और देश की सारी बेटियों को भी बधाई। गर्व होता है अपनों के पुरुषार्थ और पराक्रम को लेकर के। लेकिन कभी-कभी हम भी आपा खो बैठते हैं। जब क्रिकेट का वर्ल्ड कप चल रहा था और सेमी-फाइनल में हम ऑस्ट्रेलिया से हार गए, कुछ लोगों ने हमारे खिलाड़ियों के लिए जिस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया, जो व्यवहार किया, मेरे देशवासियो, ये अच्छा नहीं है। ऐसा कैसा खेल हो जिसमें कभी पराजय ही न हो अरे जय और पराजय तो जिन्दगी के हिस्से होते हैं। अगर हमारे देश के खिलाड़ी कभी हार गए हैं तो संकट की घड़ी में उनका हौसला बुलंद करना चाहिये। उनका नया विश्वास पैदा करने का माहौल बनाना चाहिये। मुझे विश्वास है आगे से हम पराजय से भी सीखेंगे और देश के सम्मान के साथ जो बातें जुड़ी हुई हैं, उसमें पल भर में ही संतुलन खो करके, क्रिया-प्रतिक्रिया में नहीं उलझ जायेंगे। और मुझे कभी-कभी चिंता हो रही है। मैं जब कभी देखता हूँ कि कहीं अकस्मात् हो गया, तो भीड़ इकट्ठी होती है और गाड़ी को जला देती है। और हम टीवी पर इन चीजों को देखते भी हैं। एक्सीडेंट नहीं होना चाहिये। सरकार ने भी हर प्रकार की कोशिश करनी चाहिये। लेकिन मेरे देशवासियो बताइये कि इस प्रकार से गुस्सा प्रकट करके हम ट्रक को जला दें, गाड़ी को जला दें.... मरा हुआ तो वापस आता नहीं है। क्या हम अपने मन के भावों को संतुलित रखके कानून को कानून का काम नहीं करने दे सकते हैं? सोचना चाहिये।
खैर, आज मेरा मन इन घटनाओं के कारण बड़ा व्यथित है, ख़ास करके प्राकृतिक आपदाओं के कारण, लेकिन इसके बीच भी धैर्य के साथ, आत्मविश्वास के साथ देश को भी आगे ले जायेंगे, इस देश का कोई भी व्यक्ति...दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, आदिवासी हो, गाँव का हो, गरीब हो, किसान हो, छोटा व्यापारी हो, कोई भी हो, हर एक के कल्याण के मार्ग पर, हम संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहेंगे।
विद्यार्थियों की परीक्षायें पूर्ण हुई हैं, ख़ास कर के 10 वीं और 12 वीं के विद्यार्थियों ने छुट्टी मनाने के कार्यक्रम बनाए होंगे, मेरी आप सबको शुभकामनाएं हैं। आपका वेकेशन बहुत ही अच्छा रहे, जीवन में कुछ नया सीखने का, नया जानने का अवसर मिले, और साल भर आपने मेहनत की है तो कुछ पल परिवार के साथ उमंग और उत्साह के साथ बीते यही मेरी शुभकामना है।


Text of Prime Minister’s ‘Mann ki Baat’ on All India Radio
आज फिर मुझे आप से मिलने का सौभाग्य मिला है। आपको लगता होगा कि प्रधानमंत्री ऐसी बातें क्यों करता है। एक तो मैं इसलिए करता हूँ कि मैं प्रधानमंत्री कम, प्रधान सेवक ज्यादा हूँ। बचपन से मैं एक बात सुनते आया हूँ और शायद वही ‘मन की बात’ की प्ररेणा है। हम बचपन से सुनते आये हैं कि दुःख बांटने से कम होता है और सुख बांटने से बढ़ता है। ‘मन की बात’ में, मैं कभी दुःख भी बांटता हूँ , कभी सुख भी बांटता हूँ। मैं जो बातें करता हूँ वो मेरे मन में कुछ पीड़ाएं होती हैं उसको आपके बीच में प्रकट करके अपने मन को हल्का करता हूँ और कभी कभी सुख की कुछ बातें हैं जो आप के बीच बांटकर के मैं उस खुशी को चौगुना करने का प्रयास करता हूँ।
मैंने पिछली बार कहा था कि लम्बे अरसे से मुझे हमारी युवा पीढ़ी की चिंता हो रही है। चिंता इसलिए नहीं हो रही है कि आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया है, चिंता इसलिए हो रही है कि किसी मां का लाल, किसी परिवार का बेटा, या बेटी ऐसे दलदल में फंस जाते हैं तो उस व्यक्ति का नहीं, वो पूरा परिवार तबाह हो जाता है। समाज, देश सब कुछ बरबाद हो जाता है। ड्रग्स, नशा ऐसी भंयकर बीमारी है, ऐसी भंयकर बुराई है जो अच्छों अच्छों को हिला देती है।
मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में काम करता था, तो कई बार मुझे हमारे अच्छे-अच्छे अफसर मिलने आते थे, छुट्टी मांगते थे। तो मैं पूछता था कि क्यों ? पहले तो नहीं बोलते थे, लेकिन जरा प्यार से बात करता था तो बताते थे कि बेटा बुरी चीज में फंसा है। उसको बाहर निकालने के लिए ये सब छोड़-छाड़ कर, मुझे उस के साथ रहना पड़ेगा। और मैंने देखा था कि जिनको मैं बहुत बहादुर अच्छे अफसर मानता था, वे भी सिर्फ रोना ही बाकी रह जाता था। मैंनें ऐसी कई माताएं देखी हैं। मैं एक बार पंजाब में गया था तो वहां माताएं मुझे मिली थी। बहुत गुस्सा भी कर रही थी, बहुत पीड़ा व्यक्त कर रही थीं।
हमे इसकी चिंता समाज के रूप में करनी होगी। और मैं जानता हूँ कि बालक जो इस बुराई में फंसता है तो कभी कभी हम उस बालक को दोशी मानते हैं। बालक को बुरा मानते हैं। हकीकत ये है कि नशा बुरा है। बालक बुरा नही है, नशे की लत बुरी है। बालक बुरा नही है हम अपने बालक को बुरा न माने। आदत को बुरा मानें, नशे को बुरा मानें और उससे दूर रखने के रास्ते खोजें। बालक को ही दुत्कार देगें तो वो और नशा करने लग जाएगा। ये अपने आप में एक Psycho-Socio-Medical problem है। और उसको हमें Psycho-Socio-Medical problem के रूप में ही treat करना पड़ेगा। उसी के रूप में handle करना पड़ेगा और मैं मानता हूँ कि कुछ समस्याओं का समाधान मेडिकल से परे है। व्यक्ति स्वंय, परिवार, यार दोस्त, समाज, सरकार, कानून, सब को मिल कर के एक दिशा में काम करना पड़ेगा। ये टुकड़ों में करने से समस्या का समाधान नहीं होना है।
मैंने अभी असम में डी0जी0पी0 की Conference रखी थी। मैंने उनके सामने मेरी इस पीड़ा को आक्रोश के साथ व्यक्त किया था। मैंने पुलिस डिपार्टमेंट में इसकी गम्भीर बहस करने के लिये, उपाय खोजने के लिए कहा है। मैंने डिपार्टमेंट को भी कहा है कि क्यों नहीं हम एक टोल-फ्री हैल्पलाईन शुरू करें। ताकि देश के किसी भी कोने में, जिस मां-बाप को ये मुसीबत है कि उनके बेटे में उनको ये लग रहा है कि ड्रग की दुनिया में फंसा है, एक तो उनको दुनिया को कहने में शर्म भी आती है, संकोच भी होता है, कहां कहें? एक हैल्पलाईन बनाने के लिए मैंने शासन को कहा है। वो बहुत ही जल्द उस दिशा में जरूर सोचेंगे और कुछ करेंगे।
उसी प्रकार से, मैं जानता हूँ ड्रग्स तीन बातों को लाता है और मैं उसको कहूँगा, ये बुराइयों वाला Three D है – मनोरंजन के Three D की बात मैं नहीं कर रहा हूँ।

एक D है Darkness, दूसरा D है Destruction और तीसरा D है Devastation।

नशा अंधेरी गली में ले जाता है। विनाश के मोड़ पर आकर खड़ा कर देता है और बर्बादी का मंजर इसके सिवाय नशे में कुछ नहीं होता है। इसलिये इस बहुत ही चिंता के विषय पर मैंने चर्चा की है।
जब मैंने पिछले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस बात का स्पर्श किया था, देश भर से करीब सात हजार से ज्यादा चिट्ठियां मुझे आकाशवाणी के पते पर आईं। सरकार में जो चिट्ठियां आईं वो अलग। ऑनलाइन, सरकारी पोर्टल पर, MyGov.in पोर्टल पर, हजारों ई-मेल आए। ट्विटर, फेसबुक पर शायद, लाखों कमेन्ट्स आये हैं। एक प्रकार से समाज के मन में पड़ी हुई बात, एक साथ बाहर आना शुरू हुआ है। मैं विशेषकर, देश के मीडिया का भी आभारी हूँ कि इस बात को उन्होनें आगे बढ़ाया। कई टी. वी. ने विशेष एक-एक घंटे के कार्यक्रम किये हैं और मैंने देखा, उसमें सिर्फ सरकार की बुराइयों का ही कार्यक्रम नहीं था, एक चिन्ता थी और मैं मानता हूं, एक प्रकार से समस्या से बाहर निकलने की जद्दो-जहद थी और उसके कारण एक अच्छा विचार-विमर्श का तो माहौल शुरू हुआ है। सरकार के जिम्मे जो बाते हैं, वो भी Sensitised हुई हैं। उनको लगता है अब वे उदासीन नहीं रह सकते हैं। मैं कभी-कभी, नशे में डूबे हुए उन नौजवानों से पूछना चाहता हूँ कि क्या कभी आपने सोचा है आपको दो घंटे, चार घंटे नशे की लत में शायद एक अलग जिन्दगी जीने का अहसास होता होगा। परेशानियों से मुक्ति का अहसास होता होगा, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जिन पैसों से आप ड्रग्स खरीदते हो वो पैसे कहां जाते हैं? आपने कभी सोचा है? कल्पना कीजिये! यही ड्रग्स के पैसे अगर आतंकवादियों के पास जाते होंगे! इन्हीं पैसों से आतंकवादी अगर शस्त्र खरीदते होंगे! और उन्हीं शस्त्रों से कोई आतंकवादी मेरे देश के जवान के सीने में गोलियां दाग देता होगा! मेरे देश का जवान शहीद हो जाता होगा! तो क्या कभी सोचा है आपने? किसी मां के लाल को मारने वाला, भारत मां के प्राण प्रिय, देश के लिए जीने-मरने वाले, सैनिक के सीने में गोली लगी है, कहीं ऐसा तो नहीं है न? उस गोली में कहीं न कहीं तुम्हारी नशे की आदत का पैसा भी है, एक बार सोचिये और जब आप इस बात को सोचेंगे, मैं विश्वास से कहता हूँ, आप भी तो भारत माता को प्रेम करते हैं, आप भी तो देश के सैनिकों को सम्मान करते हैं, तो फिर आप आतंकवादियों को मदद करने वाले, ड्रग-माफिया को मदद करने वाले, इस कारोबार को मदद कैसे कर सकते हैं।
कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि जब जीवन में निराशा आ जाती है, विफलता आ जाती है, जीवन में जब कोई रास्ता नहीं सूझता, तब आदमी नशे की लत में पड़ जाता है। मुझे तो ऐसा लगता है कि जिसके जीवन में कोई ध्येय नहीं है, लक्ष्य नहीं है, उंचे इरादे नहीं हैं, एक वैक्यूम है, वहां पर ड्रग का प्रवेश करना सरल हो जाता है। ड्रग से अगर बचना है, अपने बच्चे को बचाना है तो उनको ध्येयवादी बनाइये, कुछ करने के इरादे वाले बनाइये, सपने देखने वाले बनाइये। आप देखिये, फिर उनका बाकी चीजों की तरफ मन नही लगेगा। उसको लगेगा नहीं, मुझे करना है।
आपने देखा होगा, जो खिलाड़ी होता है…ठण्ड में रजाई लेकर सोने का मन सबका करता है, लेकिन वो नहीं सोता है। वो चला जाता है खुले मैदान में, सुबह चार बजे, पांच बजे चला जाता है। क्यों ? ध्येय तय हो चुका है। ऐसे ही आपके किसी बच्चे में, ध्येयवादिता नहीं होगी तो फिर ऐसी बुराइयों के प्रवेश का रास्ता बन जाता है।
मुझे आज स्वामी विवेकानन्द के वो शब्द याद आते हैं। हर युवा के लिये वो बहुत सटीक वाक्य हैं उनके और मुझे विश्वास है कि वाक्य, बार-बार गुनगुनायें स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है – ‘एक विचार को ले लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो। उस विचार को जीवन में उतार लो। अपने दिमाग, मांसपेशियां, नसों, शरीर के प्रत्येक हिस्से को उस विचार से भर दो और अन्य सभी विचार छोड़ दो’।
विवेकानन्द जी का यह वाक्य, हर युवा मन के लिये है, बहुत काम आ सकता है और इसलिये, मैं युवकों से कहूँगा ध्येयवादी बनने से ही बहुत सी चीजों से बचा जा सकता।
कभी-कभी यार दोस्तों के बीच रहते हैं तो लगता है ये बड़ा Cool है। कुछ लोगों को लगता है कि ये Style statement है और इसी मन की स्थिति में कभी- कभी पता न रहते हुए ही, ऐसी गम्भीर बीमारी में ही फंस जाते हैं। न ये Style statement है और न ये Cool है। हकीकत में तो ये बरबादी का मंजर है और इसलिए हम सब के हृदय से अपने साथियों को जब नशे के गौरव गान होते हो, अब अपने अपने मजे की बाते बताते हो, तालियां बजाते हो, तब ‘No’ कहने की हिम्मत कीजिए, reject करने की हिम्मत कीजिए, इतना ही नही, उनको भी ये गलत कर रहे हो, अनुचित कर रहे हो ये कहने की आप हिम्मत जताइए।
मैं माता- पिता से भी कहना चाहता हूँ। हमारे पास आज कल समय नही हैं दौ़ड़ रहे हैं। जिंदगी का गुजारा करने के लिए दौड़ना पड़ रहा है। अपने जीवन को और अच्छा बनाने के लिये दौड़ना पड़ रहा है। लेकिन इस दौड़ के बीच में भी, अपने बच्चों के लिये हमारे पास समय है क्या ? क्या कभी हमने देखा है कि हम ज्यादातर अपने बच्चों के साथ उनकी लौकिक प्रगति की ही चर्चा करते हैं? कितने marks लाया, exam कैसे गई, ज्यादातर क्या खाना है ? क्या नहीं खाना है ? या कभी कहाँ जाना है? कहां नहीं जाना है , हमारी बातों का दायरा इतना सीमित है। या कभी उसके हृदय के भीतर जाकर के अपने बच्चों को अपने पास खोलने के लिये हमने अवसर दिया है? आप ये जरूर कीजिये। अगर बच्चे आपके साथ खुलेंगे तो वहां क्या चल रहा है पता चलेगा। बच्चे में बुरी आदत अचानक नहीं आती है, धीरे धीरे शुरू होती है और जैसे-जैसे बुराई शुरू होती है तो घर में उसका बदलाव भी शुरू होता है। उस बदलाव को बारीकी से देखना चाहिये। उस बदलाव को अगर बारीकी से देखेंगे तो मुझे विश्वास है कि आप बिल्कुल beginning में ही अपने बालक को बचा लेंगे। उसके यार दोस्तों की भी जानकारी रखिये और सिर्फ प्रगति के आसपास बातों को सीमित न रखें। उसके जीवन की गहराई, उसकी सोच, उसके तर्क, उसके विचार उसकी किताब, उसके दोस्त, उसके मोबाइल फोन्स….क्या हो रहा है? कहां उसका समय बीत रहा है, अपने बच्चों को बचाना होगा। मैं समझता हूं जो काम मां-बाप कर सकते हैं वो कोई नहीं कर सकता। हमारे यहां सदियों से अपने पूर्वजों ने कुछ बातें बड़ी विद्वत्तापूर्ण कही हैं। और तभी तो उनको स्टेट्समैन कहा जाता है। हमारे यहां कहा जाता है -

5 वर्ष लौ लीजिये
दस लौं ताड़न देई
5 वर्ष लौ लीजिये
दस लौं ताड़न देई
सुत ही सोलह वर्ष में
मित्र सरिज गनि देई
सुत ही सोलह वर्ष में
मित्र सरिज गनि देई

कहने का तात्पर्य है कि बच्चे की 5 वर्ष की आयु तक माता-पिता प्रेम और दुलार का व्यवहार रखें, इसके बाद जब पुत्र 10 वर्ष का होने को हो तो उसके लिये डिसिप्लिन होना चाहिये, डिसिप्लिन का आग्रह होना चाहिये और कभी-कभी हमने देखा है समझदार मां रूठ जाती है, एक दिन बच्चे से बात नहीं करती है। बच्चे के लिये बहुत बड़ा दण्ड होता है। दण्ड मां तो अपने को देती है लेकिन बच्चे को भी सजा हो जाती है। मां कह दे कि मैं बस आज बोलूंगी नहीं। आप देखिये 10 साल का बच्चा पूरे दिन परेशान हो जाता है। वो अपनी आदत बदल देता है और 16 साल का जब हो जाये तो उसके साथ मित्र जैसा व्यवहार होना चाहिये। खुलकर के बात होनी चाहिये। ये हमारे पूर्वजों ने बहुत अच्छी बात बताई है। मैं चाहता हूं कि ये हमारे पारिवारिक जीवन में इसका कैसे हो उपयोग।
एक बात मैं देख रहा हूं दवाई बेचने वालों की। कभी कभी तो दवाईयों के साथ ही इस प्रकार की चीज आ जाती हैं जब तक डॉक्टर के Prescription के बिना ऐसी दवाईयां न दी जायें। कभी कभी तो कफ़ सिरप भी ड्रग्स की आदत लेने की शुरूआत बन जाता है। नशे की आदत की शुरूआत बन जाता है। बहुत सी चीजे हैं मैं इसकी चर्चा नहीं करना चाहता हूं। लेकिन इस डिसिप्लिन को भी हमको स्वीकार करना होगा।
इन दिनों अच्छी पढ़ाई के लिये गांव के बच्चे भी अपना राज्य छोड़कर अच्छी जगह पर एडमिशन के लिये बोर्डिंग लाइफ जीते हैं, Hostel में जीते हैं। मैंने ऐसा सुना है कि वो कभी-कभी इस बुराइयों का प्रवेश द्वार बन जाता है। इसके विषय में शैक्षिक संस्थाओं ने, समाज ने, सुरक्षा बलों ने सभी ने बड़ी जागरूकता रखनी पड़ेगी। जिसकी जिम्मेवारी है उसकी जिम्मेवारी पूरा करने का प्रयास होगा। सरकार के जिम्मे जो होगा वो सरकार को भी करना ही होगा। और इसके लिये हमारा प्रयास रहना चाहिये।
मैं यह भी चाहता हूं ये जो चिट्ठियां आई हैं बड़ी रोचक, बड़ी दर्दनाक चिट्ठियां भी हैं और बड़ी प्रेरक चिट्ठियां भी हैं। मैं आज सबका उल्लेख तो नहीं करता हूं, लेकिन एक मिस्टर दत्त करके थे, जो नशे में डूब गये थे। जेल गये, जेल में भी उन पर बहुत बंधन थे। फिर बाद में जीवन में बदलाव आया। जेल में भी पढ़ाई की और धीरे धीरे उनका जीवन बदल गया। उनकी ये कथा बड़ी प्रचलित है। येरवड़ा जेल में थे, ऐसे तो कईयों की कथाएं होंगी। कई लोग हैं जो इसमें से बाहर आये हैं। हम बाहर आ सकते हैं और आना भी चाहिये। उसके लिये हमारा प्रयास भी होना चाहिये, उसी प्रकार से। आने वाले दिनों में मैं Celebrities को भी आग्रह करूंगा। चाहे सिने कलाकार हों, खेल जगत से जुड़े हुए लोग हों, सार्वजनिक जीवन से जुड़े हुए लोग हों। सांस्कृतिक सन्त जगत हो, हर जगह से इस विषय पर बार-बार लोगों को जहां भी अवसर मिले, हमें जागरूक रखना चाहिये। हमें संदेश देते रहना चाहिये। उससे जरूर लाभ होगा। जो सोशल मीडिया में एक्टिव हैं उनसे मैं आग्रह करता हूं कि हम सब मिलकर के Drugs Free India hash-tag के साथ एक लगातार Movement चला सकते हैं। क्योंकि इस दुनिया से जुड़े हुए ज्यादातर बच्चे सोशल मीडिया से भी जुड़े हुए हैं। अगर हम Drugs Free India hash-tag, इसको आगे बढायेंगे तो एक लोकशिक्षा का एक अच्छा माहौल हम खड़ा कर सकते हैं।
मैं चाहता हूं कि इस बात को और आगे बढायें। हम सब कुछ न कुछ प्रयास करें, जिन्होंने सफलता पाई है वो उसको Share करते रहें। लेकिन मैंने इस विषय को इसलिये स्पर्श किया है मैंने कहा कि दुख बांटने से दुख कम होता है। देश की पीड़ा है, ये मैं कोई उपदेश नहीं दे रहा हूं और न ही मुझे उपदेश देने का हक है। सिर्फ अपना दुख बांट रहा हूं, या तो जिन परिवारों में ये दुख है उस दुख में मैं शरीक होना चाहता हूं। और मैं एक जिम्मेवारी का माहौल Create करना चाहता हूं। हो सकता है इस विषय में मत-मतान्तर हो सकते हैं। लेकिन कहीं से तो शुरू करना पड़ेगा।
मैंने कहा था कि मैं खुशियां भी बांटना चाहता हूं। मुझे गत सप्ताह ब्लाइंड क्रिकेट टीम से मिलने का मौका मिला। World Cup जीत कर आये थे। लेकिन जो मैंने उनका उत्साह देखा, उनका उमंग देखा, आत्मविश्वास देखा, परमात्मा ने जिसे आंखें दिये है, हाथ-पांव दिये हैं सब कुछ दिया है लेकिन शायद ऐसा जज्बा हमारे पास नहीं है, जो मैंने उन ब्लांइड क्रिकेटरों में देखा था। क्या उमंग था, क्या उत्साह था। यानि मुझे भी उनसे मिलकर उर्जा मिली। सचमुच में ऐसी बातें जीवन को बड़ा ही आनंद देता है।
पिछले दिनों एक खबर चर्चा में रही। जम्मू कश्मीर की क्रिकेट टीम ने मुम्बई जाकर के मुम्बई की टीम को हराया। मैं इसे हार-जीत के रूप में नहीं देख रहा हूं। मैं इस घटना को दूसरे रूप में देख रहा हूँ। पिछले लम्बे समय से कश्मीर में बाढ़ के कारण सारे मैदान पानी से भरे थे। कश्मीर संकटों से गुजर रहा है हम जानते हैं कठिनाइयों के बीच भी इस टीम ने जो Team- Spirit के साथ, बुलन्दी के के हौसले के साथ, जो विजय प्राप्त किया है वो अभूतपूर्व है और इसलिये कठिनाइंयां हैं, विपरीत परिस्थितियां हो, संकट हो उसके बाद भी लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जा सकता है, ये जम्मू कश्मीर के युवकों ने दिखाया है और इसलिये और इसलिये मुझे इस बात को सुन करके विशेष आनन्द हुआ, गौरव हुआ और मैं इन सभी खिलाडि़यों को बधाई देता हूं।
दो दिन पहले यूनाइटेड नेशन ने, योग को, पूरा विश्व 21 जून को योग दिवस के रूप में माने इसके लिये स्वीकृति दी है। भारत के लिये बहुत ही गौरव का, आनन्द का अवसर है। सदियों से हमारे पूर्वजों ने इस महान परम्परा को विकसित किया था, उससे आज विश्व जुड़ गया। योग व्यक्तिगत जीवन में तो लाभ करता था, लेकिन योग ने ये भी दिखा दिया वो दुनिया को जोड़ने का कारण बन सकता है। सारी दुनिया योग के मुद्दे पर यू.एन. में जुड़ गई। और मैं देख रहा हूं कि सर्वसम्मति से प्रस्ताव दो दिन पहले पारित हुआ। और 177 देश, Hundred and Seventy Seven Countries Co-Sponsor बनी। भूतकाल में नेल्सन मंडेला जी के जन्म दिन को मनाने का निर्णय हुआ था। तब Hundred and Sixty Five Countries Co- Sponsor बनी थी। उसके पूर्व International Toilet Day के लिये प्रयास हुआ था तो Hundred and Twenty Two Countries Co- Sponsor हुई थी। उससे पहले 2 अक्तूबर को Non-Violence Day के लिये Hundred and Forty Countries Co- Sponsor बनी थी। इस प्रकार के प्रस्ताव से Hundred and Seventy Seven Countries ने Co-Sponsor बनना यानि एक World Record हो गया है। दुनिया के सभी देशों का मैं आभारी हूं जिन्होंने भारत की इस भावना का आदर किया। और विश्व योग दिवस मनाने का निर्णय किया। हम सबका दायित्व बनता है कि योग की सही भावना लोगों तक पहुंचे।
पिछले सप्ताह मुझे मुख्यमंत्रियों की मीटिंग करने का अवसर मिला था। मुख्यमंत्रियों की मीटिंग तो 50 साल से हो ही रही है, 60 साल से हो रही है। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री के निवास स्थान पर मिलना हुआ और उससे भी अधिक हमने एक Retreat का कार्यक्रम प्रारंभ किया, जिसमें हाथ में कोई कागज नहीं, कोई कलम नहीं, साथ में कोई अफसर नहीं, कोई फाइल नहीं। सभी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बराबर के मित्र के रूप में बैठे। दो ढाई घण्टे तक समाज के, देश के भिन्न भिन्न विषयों पर बहुत गम्भीरतापूर्वक बातें की, हल्के फुल्के वातावरण में बातें कीं। मन खोलकर के बातें कीं। कहीं उसको राजनीति की छाया नहीं दी। मेरे लिये ये बहुत ही आनन्ददायक अनुभूति थी। उसको भी मैं आपके बीच Share करना चाहता हूं।
पिछले सप्ताह मुझे Northeast जाने का अवसर मिला। मैं तीन दिन वहां रहा। मैं देश के युवकों को विशेष आग्रह करता हूं कि आपको अगर ताज महल देखने का मन करता है, आपको अगर सिंगापुर देखने का मन करता है, आपको कभी दुबई देखने का मन करता है। मैं कहता हूं दोस्तो, प्रकृति देखनी है, ईश्वर का प्राकृतिक रूप देखना है तो आप Northeast जरूर जाइये। मैं पहले भी जाता था। लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में जब गया, तो वहां की शक्ति को पहचानने का प्रयास किया। अपार शक्तियों की संभावनाओं से भरा हुआ हमारा Northeast है। इतने प्यारे लोग हैं, इतना उत्तम वातावरण है। मैं सचमुच में बहुत आनन्द लेकर आया हूं। कभी कभी लोग पूछते हैं न? मोदी जी आप थकते नहीं हैं क्या? मैं कहता हूं Northeast जाकर के तो लगता है कि कहीं कोने भी थकान हुई होगी, वो भी चली गई। इतना मुझे आनन्द आया। और जो प्यार दिया वहां के लोगों ने जो मेरा स्वागत सम्मान वो तो एक बात है। लेकिन जो अपनापन था वो सचमुच में, मन को छूने वाला था, दिल को छूने वाला था। मैं आपको भी कहूंगा, ये सिर्फ मोदी को ही ये मजा लेने का अधिकार नहीं है भारत के हर देश वासी को है। आप जरूर इसकी मजा लीजिये।
अगली ‘मन की बात’ होगी तब तो 2015 आ जायेगी। 2014 का ये मेरा शायद ये आखिरी कार्यक्रम है। मेरी आप सबको क्रिसमस की बहुत बहुत शुभकामनायें हैं। 2015 के नववर्ष की मैं Advance में आप सबको बहुत बहुत शुभकामनायें देता हूं। मेरे लिये ये भी खुशी की बात है कि मेरे मन की बात को Regional Channels की जो Radio Channels हैं आपके जो प्रादेशिक चैनल हैं उसमें जिस दिन सुबह मेरे ‘मन की बात’ होती है उस दिन रात को 8 बजे प्रादेशिक भाषा में होती है। और मैंने देखा है कुछ प्रादेशिक भाषा में तो आवाज भी मेरे जैसे कुछ लोग निकालते हैं। मैं भी हैरान हूं कि इतना बढि़या काम हमारे आकाशवाणी के साथ जो कलाकार जुड़े हुए हैं वो कर रहे हैं मैं उनको भी बधाई देता हूं। और ये लोगों तक पहुंचने के लिये मुझे बहुत ही अच्छा मार्ग दिखता है। इतनी बड़ी मात्रा में चिट्ठियां आई हैं। इन चिट्ठियों को देखकर के हमारे आकाशवाणी ने इसका जरा एक तरीका ढूंढा है। लोगों को सहूलियत हो इसलिये उन्होंने पोस्ट-बॉक्स नम्बर ले लिया है। तो ‘मन की बात’ पर अगर आप कुछ बात कहना चाहते हैं तो आप पोस्ट-बॉक्स पर लिख सकते है अब।

मन की बात,

पोस्ट बॉक्स 111,

आकाशवाणी, नई दिल्ली।

मुझे इंतजार रहेगा आपके पत्रों का। आपको पता नहीं है, आपके पत्र मेरे लिये प्रेरणा बन जाते हैं। आपके कलम से निकली एक-आध बात देश के काम आ सकती है। मैं आपका आभारी हूं। फिर हम 2015 में जनवरी में किसी न किसी रविवार को जरूर 11 बजे मिलेंगे बाते करेंगे। बहुत बहुत धन्यवाद।


आस्था
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के कथन व सोच पर मलेशिया की सर्वोच्च अदालत ने भी अपनी मोहर लागा दी है । दोनों की सोच में अंतर नहीं नज़र आता,मलेशिया की अदालत के फैसले के मुताबित अल्लाह मुसलमानों के लिए ही है,तथा इसका प्रयोग कोई और नहीं कर सकता ।
परन्तु सच तो ये है की अल्लाह, भगवन व गॉड एक ही है और इन्हे किसी दायरे में नहीं बांधा जा सकता ये इंसान की आस्था पर निर्भर करता है और जिस तरह स्वामी स्वरूपानंद ने कहा की साईं बाबा की पूजा ना की जाये वो कोई भगवन नहीं है ,ऐसा कह कर वो करोड़ो लोगो की आस्था को ठेस पंहुचा रहे है । भारत व विदेश में कई लोग ऐसे है जो साईं बाबा के भक्त है और उनपर आस्था रखते है ।
भारत एक स्वतंत्र देश है यहाँ हर कोई अपनी इच्छा अनुसार अपनी श्रद्धा रख सकता है । किसी को भी अपना अराध्या मान कर पूजा कर सकता है तथा ऐसा करना किसी भी व्यक्ति की निजी आस्था से जुड़ा है तथा किसी व्यक्ति की आस्था पर सवाल उठाना गलत होगा । ये कोई बंधन नहीं है ये अपनी सोच व श्रद्धा है ।
क्या स्वामीजी उन करोड़ों लोगों को रोक सकतें है जो साईं बाबा पर आस्था रखते है ?
किसी की आस्था को खत्म करना इत्ता आसान नहीं होता इसका सबसे बड़ा उदहारण हिन्दू धर्म की कृष्ण भक्त मीरा बाई है ।
स्वामी जी कहतें है की ये एक पैसा कमाने का जरिया है,उनका कहना है की मंदिर के नाम पर कमाई की जा रही है,परन्तु भारत में और भी कई ऐसे मंदिर है जिनमे हर साल करोड़ों का चढ़ावा आता है उसका उदाहरण बालाजी मंदिर है ।
स्वामीजी का तर्क है की साईं बाबा की पूजा करने से हिन्दू धर्म बंट जायेगा,आखिर ये समाज पाना मुश्किल है कि साईं बाबा की पूजा करने पर कैसे हिन्दू धर्म बंट सकता है ?
क्या ये बात सत्य नहीं है कि गुलामी के काल में विदेशी ताकतों ने सदियों तक हिन्दू धर्म को खत्म करने के अनेक उपाय व प्रयास किये पर क्या वो इसमें सफल हो पाएं ?
तो आज कैसे हो सकतें है ?
इसका भी उदाहरण है की गुलामी के काल में कई शासकों ने हिन्दू धर्म के मंदिर तोड़ दिए थे परन्तु लोगों का विश्वास हिन्दू धर्म पर आज भी अटूट है । हिन्दू धर्म की मान्यता क्या है,कैसे है,और कब से है ये हर हिन्दू जानता है तथा मानता भी है ।
ऐसे में इन तर्कों पर विवाद अवश्य पैदा हो सकता है परन्तु आस्था नहीं थम सकती ।
यही कहना सही होगा की हर व्यक्ति को अधिकार है अपने अराध्या पर विश्वास रखने का,उनसे ये हक़ छीनने के बारेme सक्चना भी घातक हो सकता है । पर इंसान के अपने कुछ तर्क होते है जिनके आधार पर वो अपने अराध्या की पूजा करता है व उनपे आस्था रखता है।

-प्रियंका पारे


प्रधानमंत्री का विकास का वादा - स्कैम से स्किल इंडिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को १२ घंटे चली चर्चा में ये विश्वास दिलाया की आने वाले अगले पांच सालों में वे सभी वादें पूरे करेंगे जिनका उल्लेख राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में किया था ।
संसद में अपने पहले भाषण में मोदी ने मुख्य रूप से गरीबों और अल्पसंख्यकों को सशक्त बना कर देश के विकास की बात की ।
संसद में मोदी ने अपने सपनों का भी उल्लेख किया तथा इंडिया को " स्कैम इंडिया से स्किल इंडिया " बनाने की बात कही । उन्होंने अपने शब्दों में कहा की वो देश के विकास के लिए हर क्षेत्र और सेक्टर में विकास को बढ़ाने की पूरी कोशिश करेंगे तथा उन्होंने मुख्य रूप से खेती को उन्नत बनाने व ढांचागत विकास पर जोर डाला तथा सभी दलों से सहयोग की मांग की साथ ही कुछ अधूरा रह जाने पे माफ़ी मांगी ।
प्रधानमंत्री जी ने एक घंटे में पूरे देश के हर तरह के विकास की बात कही, गरीबों से लेकर महिलाओं की सुरक्षा तक उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किये ।
उन्होंने युवा ताकत को लेकर कहा की हमारे यहाँ ६५ फीसदी युवा है, जबकि हमारा पडोसी देश चीन अब बूढ़ा हो रहा है ,ये हमारे लिए आनंदपूर्ण है और हमें युवा ताकत का उपयोग देश की उन्नती के लिए करना चाहिए ।
गरीबों को लेकर मोदी ने कहा की हमारी पहली प्राथमिकता गरीबों का स्तर ऊचा करना है ,२०२२ में जब हम अपना ७५वां स्वतंत्रा दिवस मनाएं तब तक हमारे देश का विकास इतना हो की एक भी नागरिक बिजली,पानी, शौचालय से अछूता न हो ।
मोदी ने नेताओं से महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कारों के प्रति सोच व रवैया बदलने की अपील की है । उन्होंने अपने शब्दों में कहा की "हम सभी को ऐसी घटनाओं का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करना बंद करना चाहिए । ऐसा करके हम अपनी माँ- बहनों की इज्जत और मर्यादा से खिलवाड़ कर रहे है |

-प्रियंका पारे


मोदी सरकार - बेहतर तालमेल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने मंत्रिमंडल के गठन में बेहतर तालमेल और बेहतर नतीजों के इरादे से 17 संबंधित मंत्रालयों के 7 समूह बना दिए। इनमें कुछ बुनियादी सुविधाओं वाले विभाग शामिल हैं।

प्रवासी मंत्रालय विदेश , कॉर्पोरेट को वित्त में जोड़ा

संप्रग-2 के काल में बनाए गए प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय को विदेश मंत्रालय से जोड़ दिया गया है। विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज इसे देखेंगी। इसी तरह कार्पोरेट मामलों को वित्त मंत्रालय से जोड़ दिया गया है जिसे वित्त मंत्री अरूण जेटली देखेंगे।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र में प्रधानमंत्री ने परिवहन, हाईवे और जहाजरानी को मिला दिया है जिसके प्रमुख नितिन गडकरी बनाए गए हैं।

बिजली, कोयला और अक्षय ऊर्जा एक साथ

अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा संयोजन के तहत बिजली, कोयला और अक्षय उर्जा को मिला दिया गया है। पीयूष गोयल को इसका स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है।
शहरी विकास, आवास और गरीबी उन्मूलन जैसे संबंधित मंत्रालयों को भी एक में मिला कर उसका मंत्री एम वेंकैया नायडु को बनाया गया है। इसी तरह ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पेय जल तथा सफाई के महकमों का एक समूह बनाते हुए उसे गोपीनाथ मुंडे को सौंपा गया है।
गोवा के श्रीपद नाईक को संस्कृति एवं पर्यटन का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है।


अमेरिकी मीडिया भी नरेंद्र मोदी का मुरीद
अमेरिकी मीडिया ने प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह को व्यापक कवरेज दी है और दक्षिण एशियाई देशों के नेताओं को आमंत्रित करने के उनके फैसले की सराहना की है। लॉस एंजिलिस टाइम्स ने शीर्षक दिया नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, बदलाव के संकेत|
द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा, चाय बेचने वाले के बेटे मोदी ने विश्व के सबसे बड़े के लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के रूप में सपथ ली और छोटा मंत्रिमंडल रखा । भारतीयों को एक शानदार भविष्य का वायदा किया । इस अखबार ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और आर्थिक सुधारों के लिए एक नई सरकार की पेशकश की।

द शिकागो ट्रिब्यून ने कहाकि पहली बार, भारत ने सभी आठ दक्षेस राष्ट्रो के प्रमुखों को समारोह में आमंत्रित किया और सभी ने प्रतिनिधि भेजे।
अखबार ने कहा कि हालांकि शरीफ की मौजूदगी सबसे प्रमुख थी


मोदी से नाराज़ हुए रामदेव
हरिद्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान में सक्रिय रहे योगगुरू बाबा रामदेव अब उनसे नाराज बताए जा रहे हैं। यही वजह है कि रामदेव सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ-ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए और अपने स्थान पर बालकृष्ण के साथ 40 प्रतिनिधियों को भेजा। मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए रामदेव ने संकल्प लिया था।
सूत्रों के अनुसार रामदेव की नाराजगी का कारण मंत्री पद बांटने में उनकी बात नहीं मानी गई। इसके अलावा योगगुरू चाहते थे कि नेहरू-गांधी परिवार को शपथ-ग्रहण समारोह में नहीं बुलाया जाए। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि बाबा रामदेव दिल्ली इसलिए नहीं आए कि वे नौ माह से अधिक समय से हरिद्वार से बाहर थे। संस्था के कई काम रूके थे। योगगुरू ने जो सत्ता बदलने का प्रण किया था वह पूरा किया।
उनका कहना है कि जीत की खुशी में शरीक होने के लिए तो पूरा देश है। शपथ ग्रहण में नहीं आने को उनकी नाराजगी से जोड़कर पेश न किया जाए।


शेहला मसूद हत्याकांड :
प्यार, जलन और महत्वकांक्षा की दास्तान

भोपाल के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद हत्याकांड की सीबीआई द्वारा की गयी जाँच लगभग पूरी हो गयी. 11 महीने पहले हुए इस हत्याकांड ने शहर के साथ ही प्रदेश के राजनीतिक गलियारों मे सनसनी फैला दी थी. सीबीआई ने दावा किया है कि उसने पूरा मामला सुलझा लिया है, लेकिन कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं. ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब तलाशना बाकी है. बहरहाल जो भी हो इस चर्चित हत्याकांड में कई ऐसे खुलासे हुए हैं जिसमें प्यार, जलन और महत्वकांक्षा की कहानी सामने आई है जिसने प्रदेश ही नही बल्कि पूरे देश को झझकोर कर रख दिया.
इस पूरे मामले के केंद्र बिंदु रहे भाजपा विधायक ध्रुव नारायण सिंह को सीबीआई ने क्लीनचिट दे दी है जबकि पाँच लोगो को आरोपी करार दिया है. इनमें जाहिदा, सबा, शाकिब डेजर, ताबिश और इरफान शामिल है. इस मामले मे जो तथ्य सामने आए हैं उसके अनुसार जाहिदा को शेहला की ध्रुव नारायण सिंह से करीबी पसंद नही थी. शेहला की ध्रुव से करीबी न केवल जाहिदा को बैचेन कर रही थी बल्कि भविष्य के लिए ख़तरा भी महसूस करा रही थी. ज़ाहिदा को शेहला की ध्रुव से नज़दीकी जब बर्दास्त के बाहर हो गई तो उसने शेहला को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. इस काम में उसका साथ दिया उसकी सहेली सबा फारूखी ने. वहीं अन्य साथियों मे शाकिब डेजर, ताबिश और इरफान शामिल थे.
इरफान की गिरफ्तारी के बाद हुआ था खुलासा
इस हत्याकांड का सनसनीखेज खुलासा कानपुर स्थित बेकनगंज थाना क्षेत्र में इरफान उर्फ श्याम की गिरफ्तारी के बाद हुआ था. इरफान के अनुसार शेहला मसूद की हत्या का कांट्रेक्ट शार्प शूटर शानू के साथ तीन लोगों ने लिया था। शानू की दो माह पहले गैंगवार में डीआईजी आफिस के सामने हत्या कर दी गयी थी। आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई को हत्या का ठेका देने वाली महिला ज़ाहिदा परवेज की गिरफ्तारी के बाद अहम सुराग मिले थे। इसी के बाद तलाक महल निवासी इरफान उर्फ श्याम को एसटीएफ के सीओ त्रिवेणी सिंह ने मंगलवार रात घर के पास से एक तमंचा व कारतूस समेत गिरफ्तार कर लिया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इरफान मुख्य रूप से चरस की तस्करी का काम करता है। सीबीआई के भोपाल मुख्यालय पर हत्या की मुख्य आरोपी ज़ाहिदा व उसके साथी के गिरफ्तारी के बाद हत्याकांड में उसके हाथ का पता चला। इरफान शहर के कुख्यात अपराधी रहे शानू ओलंगा का दाहिना हाथ है। शानू को इसी साल जनवरी माह में डीआईजी आफिस के सामने गोलियों से भून दिया गया था। इरफान के मुताबिक शेहला की हत्या का ठेका शानू ओलंगा ने लिया था। शेहला की हत्या करने से पहले उसने भोपाल जाकर एक सप्ताह तक उनकी गतिविधियों की रैकी की थी। इसके बाद घटना को अंजाम दिया।
अवैध संबंध को वजह बताया था
इसके बाद जाहिरा परवेज को गिरफ्तार कर लिया गया था. ज़ाहिदा ने शेहला की हत्या कराने का अपराध कबूल कर लिया था. शुरुआती पूछताछ में ज़ाहिदा ने शेहला की हत्या के पीछे अपने पति से उसके अवैध संबंध को वजह बताया था. यद्यपि सीबीआई को आशंका थी कि इसके पीछे कोई गहरी साजिश हो सकती है. उसके अनुसार उसके पति और शेहला के बीच अवैध संबंध होने की आशंका थी। इसी कारण उसने शेहला को मरवाने का फैसला किया। उसके इस कबूलनामा पर पुलिस को यकीन नहीं था. हालाँकि सीबीआई के अनुसार जाँच में दूसरी ही बात सामने आई. खुद ज़ाहिदा के ध्रुव के साथ अवैध संबंध थे. वहीं खुद ध्रुव के कई महिलाओं के साथ संबंध होने की जानकारी सामने आई. गौरतलब है कि आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद को भोपाल स्थित उनके घर के बाहर 11 अगस्त 2011 को सुबह 11:19 बजे उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे पिछले साल 16 अगस्त को अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोध आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन करने जा रही थी. पुलिस को उनकी हत्या का कोई भी चश्मदीद गवाह भी नहीं मिला था। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने हत्यारे का सुराग देने के लिए 10 लाख रुपये इनाम की घोषणा की थी. 28 फ़रवरी को सीबीआई ने भोपाल की ही एक इंटीरियर डिज़ाइनर ज़ाहिदा परवेज़ को शेहला की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.
पल-पल की जानकारी रखती थी.
सीबीआई के अनुसार आरोपी जाहिदा परवेज शेहला की पल-पल की जानकारी रख रही थी. मसलन, वो कहां-कहां जाती है, किससे मिलती है? अण्णा के आंदोलन में क्यों शामिल हुई? सीबीआई के अनुसार शेहला मसूद को उसके ऑफिस के कर्मचारी ने हत्या के तीन दिन पहले ही आगाह कर दिया था कि जाहिदा परवेज उसकी पल-पल की जानकारी रख रही है। यह बात शेहला के कर्मचारी इरशाद ने सीबीआई को बयान में दिए। उसे सीबीआई ने गवाह बनाते हुए बयान को चार्जशीट में शामिल किया है। हालाँकि आरोपी जाहिदा और सबा फारुखी की वकील नफीस खान का कहना है कि सीबीआई ने पन्नों की संख्या बढ़ाने के मकसद से अनावश्यक चीजें चार्जशीट में शामिल की हैं। सीबीआई ने चार्जशीट में जाहिदा की निजी तस्वीरों को बिना वजह शामिल कर दिया है। साथ ही अखबारों की ऐसी कतरनों को भी शामिल किया है जिसका मामले से कोई लेना-देना ही नहीं है। संदेह के घेरे में चल रहे ध्रुव के बयानों को सीबीआई ने शामिल हीं नहीं किया है। सीबीआई द्वारा जब्त सबूत में कई ऐसे राज छुपे हुए हैं जिनका खुलासा होना बाकी है. उल्लेखनीय है कि सीबीआई द्वारा जाहिदा के ऑफिस से जब्त सीडी सुर्खियों में रही थी। तब जाहिदा ने सीबीआई कोर्ट इंदौर में कहा था कि वह सीडी शेहला और ध्रुव की है जबकि सीडी उसकी और ध्रुव की निकली थी।
अब आगे क्या ?
शेहला मसूद की हत्या के मामले की सुनवाई अब इंदौर में हो या भोपाल में? इस बात का फैसला आगामी 11 जून को होगा। इंदौर में सीबीआई की विशेष अदालत ने सीबीआई और आरोपियों के वकील की दलील सुनने के बाद यह बात कही। इधर चार्जशीट दाखिल किए जाने के दूसरे दिन आरोपी जाहिदा परवेज व सबा फारुखी ने कोर्ट में पेशी के बाद मीडिया के सवालों के जवाब में दोहराया कि आखिर सीबीआई ने गुनहगार को बचाकर बेगुनाहों को फंसा दिया। शुक्रवार को सीबीआई जार्चशीट पेश की थी। शनिवार को इस मामले के पांचों आरोपी जाहिदा, सबा, शाकिब डेजर, ताबिश और इरफान को मजिस्ट्रेट डॉ. शुभ्रा सिंह के समक्ष पेश किया गया। इस मामले की सुनवाई इंदौर में करने के संबंध में सीबीआई ने अपील प्रस्तुत करते हुए प्रमाण के तौर पर कुछ दस्तावेज पेश किए, वहीं दूसरी तरफ आरोपियों की ओर से मामले की सुनवाई भोपाल की सीबीआई अदालत में कराने की मांग की गई। अगली सुनवाई 11 जून को होगी। इससे पूर्व सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक हेमंत शुक्ला ने सभी आरोपियों को चार्ज शीट की कॉपियां उपलब्ध कराई। कोर्ट में मौजूद जाहिदा-सबा की वकील नफीसा खान ने चालान की कॉपियां अपने पास रखी, जबकि शेष तीनों आरोपियों की ओर से कोई वकील मौजूद नहीं होने पर चालान की प्रति वे अपने साथ जेल ले गए।
इस मामले के खुलासे मे सबसे ज़्यादा मदद ज़ाहिदा की डायरी से मिली. डायरी के कुछ अंश इस तरह हैं-
2 मई 2009 - आज ध्रुव पहली बार मेरे ऑफिस आए। उनके आने को लेकर मैं बहुत खुश थी।
14 मई 2009- आज मेरे पति असद पहली बार ध्रुव से मिले। उन दोनों की मीटिंग मैंने पहले ही तय कर दी थी लेकिन बेवकूफ असद 8 बजे ही सो गए थे। मैंने उन्हें जिद करके कहा कि वो ध्रुव से नहीं मिलेंगे तो उसे काम नहीं मिलेगा।
1 जुलाई 2009 - ध्रुव मेरे ऑफिस आए हमने एक दूसरे को गले भी लगाया फिर हमने मस्ती के लिए सब कुछ किया।
14 जुलाई 2009- आज मेरे से बहुत बड़ी गलती हुई। मैंने ध्रुव के रिलायंस के नंबर पर एसएमएस कर दिया। उसमें लिखा की मेरी जान हो तुम, आई लव यू। यह मैसेज ध्रुव की पत्नी वंदना ने देख लिया। इसके बाद दोनों में झगड़ा हुआ और हम दोनों में कुछ दिन बातचीत बंद हो गई।
18 जुलाई 2009 -गलती से सबक लेकर हमने तय किया था कि आगे से हम कोडवर्ड में बात करेंगे।
3 फरवरी 2010- मुझे यह चीज परेशान कर रही है कि उसके शेहला, माहिरा सभी से अब तक रिलेशन हैं।
19 फरवरी 2010 - वो बहुत सारी जगह जाते हैं, कई महिलाओं से उनके शारीरिक संबंध हैं।
13 फरवरी 2010 -ध्रुव मैं तुमसे नफरत करती हूं। क्या फायदा ऐसे रिश्ते का। कोई काम के नहीं हैं ये रिश्ते। जाओ ध्रुव आपको शेहला या निशि का साथ मुबारक हो, मेरी किस्मत में तुम नहीं हो शायद।


 
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