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::फ़्लैश-बैक 2019:: |
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मंत्री-मंडल के ऐतिहासिक फैसलों का साल रहा वर्ष 2019
बीता साल मध्यप्रदेश के लिये उल्लेखनीय रहा। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ के नेतृत्व में प्रदेश के मंत्री-मंडल ने पिछले एक वर्ष में ऐतिहासिक फैसले लिए। इन फैसलों ने प्रदेश को एक नई गति दी, विकास के नए कीर्तिमान गढ़े और दी कमजोर वर्गों को नई ताकत। प्रदेश में निवेश को मिला प्रोत्साहन और मंदी से गुजर रहे रियल एस्टेट को मिले आगे बढ़ने के अवसर।
किसानों के हित में
प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था के आधार स्तंभ किसानों को राहत देने के एक बड़े फैसले के साथ 5 जनवरी को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में नए मंत्री-मंडल की पहली बैठक हुई। इस बैठक में प्रदेश के किसानों के ऋण माफ करने का फैसला हुआ। देश में अब तक के इतिहास में किसी राज्य द्वारा किसानों के हित में लिया गया संभवत: यह पहला बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय था।
ऊर्जा
बिजली उपभोक्ताओं को भी मंत्री-मंडल ने एक नई सौगात दी। कुल 100 यूनिट तक की खपत पर 100 रुपये तक बिजली बिल देने, 150 यूनिट बिजली जलने पर 50 यूनिट पर निर्धारित बिजली दर लेने और 100 यूनिट पर 100 रुपये का फिक्स चार्ज लेने का फैसला लिया गया। इससे गरीबों के साथ मध्यम वर्ग को भी बड़ी राहत मिली। साथ ही, दस हार्स पावर तक के कृषि उपभोक्ताओं की विद्युत बिल राशि को आधा करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए इंदिरा किसान ज्योति योजना लागू की गई।
पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण
प्रदेश की आधी से अधिक आबादी पिछड़े वर्ग की है। मुख्यमंत्री ने मंत्री-मण्डल की सहमति से पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया। मंत्री-मण्डल द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिये भी 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी गई।
रोजगार और सामाजिक न्याय
मध्यप्रदेश में वर्ष 2019 में रियल एस्टेट को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर गाइड लाइन दर में 20 प्रतिशत की कमी करने का निर्णय लिया गया। गरीब परिवारों को कन्या विवाह और निकाह योजना में दी जाने वाली 28 हजार रुपये की सहायता राशि को बढ़ाकर 51 हजार रुपये किया गया। युवाओं को रोजगार देकर आत्म-निर्भर बनाने के लिए युवा स्वाभिमान योजना लागू की गई। निराश्रितों और बुजुर्गों को दी जाने वाली पेंशन 300 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये की गई। प्रदेश की जीवन-दायिनी माँ नर्मदा एवं ताप्ती नदियों के संरक्षण के लिए न्यास का गठन किया गया।
आदिवासियों को संरक्षण और सम्मान
राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में आदिवासी वर्ग के हितों का संरक्षण करते हुए तेंदूपत्ता संग्रहण दर प्रति मानक बोरा दो हजार से बढ़ाकर 2500 रुपए करने का निर्णय लिया। तेंदूपत्ता मजदूरी और बोनस राशि का भुगतान नगद करने का भी निर्णय हुआ। आदिवासी संस्कृति के देव स्थानों के संरक्षण के लिए शासन द्वारा उनका जीर्णोद्धार करने का निर्णय हुआ। आदिवासी भाइयों को ऋण से पूरी तरह मुक्ति दिलाने के लिए साहूकारी ऋण माफ करने का फैसला लेकर उसे क्रियान्वित किया गया। निरस्त वन अधिकार दावों का पुनरीक्षण तेजी से और पूरी पारदर्शिता से करने के लिए "वन मित्र" सॉफ्टवेयर तैयार किया गया। आदिम जाति कल्याण विभाग की शालाओं में नियोजित अतिथि शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि करने का फैसला भी वर्ष 2019 में हुआ।
नई रेत नीति
प्रदेश में अवैध रेत उत्खनन पर पूरी तरह से अंकुश लगाने और इस संपदा से सरकार के राजस्व में वृद्धि करने के लिए मंत्री-मण्डल ने नई रेत नीति को मंजूरी दी। इसके साथ ही, गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन को मंजूरी दी गई। इससे अधिक से अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सकेगी। छतरपुर में 364 हेक्टेयर (वन भूमि) क्षेत्र की बंदर हीरा खदान 30.05 प्रतिशत अधिकतम बोली पर आदित्य बिड़ला ग्रुप की कम्पनी को दी गई। इससे राज्य सरकार को प्रतिवर्ष 600 करोड़ राजस्व मिलेगा।
निवेश को प्रोत्साहन
खनिज उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन के अंतर्गत लैंड पूलिंग योजना 2019 को प्रायोगिक तौर पर लागू करने की नीति स्वीकृत की गई। इंदौर को जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह ट्रस्ट से जोड़ने के लिए इंदौर-मनमाड़ नई रेल लाइन परियोजना के लिए पहली किश्त के रूप में 36 करोड़ 89 लाख रुपए स्वीकृत किए गए। औद्योगिक इकाइयों के लिए रूफ टॉप सौर परियोजना को मंजूरी मिली। अंतर्राष्ट्रीय निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से डाटा सेंटर स्थापना के लिए भूमि मूल्य पर 75 प्रतिशत की छूट देने का भी निर्णय लिया गया। इसी वर्ष उद्यमियों और स्टार्ट अप को प्रोत्साहन देने के लिए एमएसएमई विकास नीति का अनुमोदन किया गया।
पर्यटन
राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में पर्यटन क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने के लिए नयी ब्रांडेड होटल प्रोत्साहन नीति बनाई और पर्यटन नीति 2016 में आवश्यक संशोधन को मंजूरी दी। मंत्री-मण्डल द्वारा रिसॉर्ट बार लायसेंस को सरल बनाने का प्रस्ताव भी स्वीकृत किया गया। पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर निर्मित करने के लिए बेड एंड ब्रेकफास्ट योजना अनुमोदित की गई।
स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का सुदृढ़ीकरण
प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए ग्रामीण उप स्वास्थ्य केन्द्रों में ए.एन.एम. के दो हजार नियमित पदों पर अगले दो वर्ष में चरणबद्ध तरीके से नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया। अस्पतालों में विशेषज्ञों की कमी को दूर करने के उद्देश्य से सेवानिवृत विशेषज्ञों एवं स्नातकोत्तर चिकित्सा अधिकारियों की संविदा नियुक्ति के लिए अंतिम अनुमोदन का अधिकार प्रशासकीय विभाग को दिया गया। चिकित्सा महाविद्यालयों में सातवाँ वेतनमान लागू किया गया। चिकित्सा विशेषज्ञों की शासकीय चिकित्सालयों में उपलब्धता बढ़ाने के लिए 6 पत्रोपाधि पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी गई। मध्यप्रदेश स्वास्थ्य क्षेत्र निवेश प्रोत्साहन नीति 2019 को स्वीकृति दी गई। मुख्यमंत्री सुषेण चिकित्सक प्रोत्साहन योजना लागू करने का निर्णय लिया गया।
महिलाओं के हक में
गत एक वर्ष में मंत्री-मंडल की बैठकों में महिलाओं के हित में भी महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। महिला हेल्पलाइन को सशक्त बनाने के लिए 27 पदों पर आऊटसोर्स से नियुक्ति की मंजूरी दी गई। महिला हेल्पलाइन 181 को वन स्टाप सेंटर तथा अन्य हेल्पलाइन से जोड़ने का फैसला लिया गया। प्रदेश के 6 शहर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, छतरपुर और जबलपुर में महिला सुरक्षा आधारित सेफ सिटी कार्यक्रम संचालित करने की मंजूरी दी गई।
खिलाड़ियों को प्रोत्साहन
खिलाड़ियों को उच्च तकनीकी प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से तकनीकी विषय-विशेषज्ञों की सेवाओं के लिए नवीन मार्गदर्शी सिद्धांतों को स्वीकृत किया गया। भोपाल में वॉटर स्पोर्ट्स नोड की स्थापना के लिए रक्षा मंत्रालय को 0.607 हेक्टेयर शासकीय भूमि आवंटित करने का निर्णय लिया गया।
अन्य निर्णय
प्रदेश मंत्री-मण्डल ने प्रमुख और व्यापक जनहित के फैसलों के अलावा भी वर्ष 2019 में अन्य महत्वपूर्ण फैसले लिये। इनमें सूचना प्रौद्योगिकी संचालनालय का गठन, छिंदवाड़ा में विश्वविद्यालय और उद्यानिकी महाविद्यालय की स्थापना, 3 दिसंबर को अधिवक्ता दिवस के रूप में मनाने, भोपाल-इंदौर मेट्रो रेल के लिए त्रिपक्षीय करार, मदरसों में मध्यान्ह भोजन, मध्यप्रदेश भू-संपदा नीति तथा मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2019 का अनुमोदन, अधिमान्य वरिष्ठ पत्रकारों की सम्मान निधि बढ़ाकर 10 हजार रुपए करने और मुख्यमंत्री बागवानी एवं खाद्य प्र-संस्करण योजना को लागू करने जैसे निर्णय हैं।
2019- विवेकपूर्ण और साहसिक निर्णयों का वर्ष
मध्यप्रदेश के लोकोन्मुखी प्रशासनिक इतिहास में नि:संदेह, वर्ष 2019 विवेकपूर्ण और साहसिक निर्णयों तथा सार्थक आयोजनों के वर्ष के रूप में याद रखा जाएगा। मुख्यमंत्री के रूप में श्री कमल नाथ के नेतृत्व वाली नई सरकार ने 2 लाख रुपये तक के कृषि ऋण को माफ करने का अपना पहला साहसिक निर्णय लिया। नतीजतन, लगभग 20 लाख किसानों को अब तक राहत मिली और बाकी को राहत मिलना जारी है। यह एक बहुप्रतीक्षित निर्णय था। किसानों द्वारा की गई आत्म-हत्याओं के लिए मुख्य रूप से ऋणग्रस्तता और प्राकृतिक आपदाओं से फसलों की विफलता जैसे कारण बताए गए थे। प्रासंगिक राजस्व कानूनों के तहत किसानों को सामान्य प्रावधानों से अलग हटकर राहत की जरूरत महसूस की जा रही थी।
सरकार ने तुरंत कृषि ऋणों को माफ करने का अपना पहला आदेश जारी कर अपने पहले वादे का सम्मान किया। खाली हो चुके सरकारी खजाने को देखते हुए निर्णय पर प्रारंभिक रूप से संदेह व्यक्त किया गया। यह प्रभावशाली शुरुआत थी। इसके बाद विवेकपूर्ण फैसलों की एक श्रृंखला-सी बन गई। शासन को मज़बूती देना और नई चुनौतियों का सामना कर समाधान निकालना आवश्यक था। वर्ष के अंत तक यह स्पष्ट हो गया कि पहले की सरकार की घोषणाओं और प्रयासों के लिए बजटीय प्रावधान ही नहीं किए गए थे।
जनजातीय बहुल क्षेत्रों में गैरकानूनी रूप से साहूकारी का प्रचलन हमेशा एक समस्या रही है। छोटी-छोटी रकम की जरूरतों के लिए जनजातीय परिवारों को अनौपचारिक रूप से काम कर रहे साहूकारों पर निर्भर रहना होता है और वे तनावपूर्ण जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाते हैं। कई वर्षों तक कर्ज़ से दबे रहते हैं। कर्ज में डूबे ऐसे आदिवासी परिवारों के पक्ष में दूसरे साहसिक निर्णय ने काफी हलचल पैदा की। जनजातीय क्षेत्रों में ज्यादा ब्याज दर पर उधार देने की साहूकारी प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य को लेकर इसकी व्यापक रूप से सराहना की गई। परिणामस्वरूप, कई आदिवासी परिवार साहूकारों की ऋणग्रस्तता के चक्र से बाहर आ गए।
अर्थ-व्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में अच्छे फैसले और रणनीतिक प्रयास देखे गए। मध्यप्रदेश को आदिवासी कलाओं की विरासत के संरक्षण का विशेषाधिकार पहले ही मिला है। जाने-माने कलाकार स्वर्गीय जनगढ़ सिंह श्याम ने मध्यप्रदेश को दुनिया भर में आदिवासी कला के केन्द्र के रूप में पहचान दिलाई थी। हाल ही में भज्जू सिंह श्याम को गोंड चित्रों की परंपरा को समृद्ध बनाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। गोंड चित्रकला की विशिष्ट परंपरा और शैली को आगे बढ़ाने के लिए कई गोंड जनजातीय चित्रकार स्व-प्रेरणा से आगे आ रहे हैं। गोंडी बोली में प्राथमिक कक्षाओं के लिए पठन सामग्री को गोंड जनजाति समुदाय के छात्रों के लिए तैयार करने के निर्णय को सराहना मिली। दुनिया भर में देशज लोगों की लुप्तप्राय हो रही बोलियों और भाषाओं के मद्देनजर यह निर्णय महत्वपूर्ण हो जाता है। भाषाई पहचान के संकट के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की जा रही है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इनकी रक्षा तभी हो सकती है, जब इन्हें ज्यादा से ज्यादा बोला और पढ़ा जाए। इसी तरह, 2019 को गोंड कला वर्ष घोषित किया गया।
बिना देखभाल के घूम रहे गो-वंशीय पशुओं के लिए गौ-शाला निर्माण के राज्य सरकार के एक और महत्वपूर्ण निर्णय ने देशव्यापी ध्यान आकर्षित किया है। गहन समीक्षा के दौरान यह तथ्य सामने आया कि अनाथ पशुओं के लिए कोई सरकारी स्वामित्व वाली या संचालित गौ-शाला नहीं है। ऐसे पशु यातायात के लिए खतरा बन रहे हैं, साथ ही खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुँचा रहे हैं। इस निर्णय के तुरंत बाद, कई लोग गौ-शाला बनाने के लिए भूमि और सामग्री दान करने की सरकार की घोषणा के समर्थन में सामने आए। कुछ औद्योगिक घराने इस उद्देश्य के लिए अपने सीएसआर फंड देने की पेशकश कर रहे हैं। कुमार मंगलम बिड़ला ने उच्च तकनीकी युक्त गौ-शालाओं के निर्माण की घोषणा की।
इस वर्ष अन्य पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने और सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से गरीब तबके के लोगों के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण करके लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी की गई। खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वाले वास्तव में आम आदमी के सबसे बड़े दुश्मन हैं। मिलावट-मुक्त भोजन का उपयोग करने के बारे में दुनिया में लोगों में चेतना बढ़ रही है। दुनिया भर में सरकारें लोक स्वास्थ्य के प्रति चेतना और साक्षरता बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं। मध्यप्रदेश जैसे राज्य लोक स्वास्थ्य को खतरे में डालकर मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री की अनुमति के लिए कभी तैयार नहीं हो सकते। हाल ही में, मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ एक सतत अभियान चलाने का दूरगामी प्रभाव वाला निर्णय लिया गया। इस अभियान को खुले मन से लोगों का समर्थन मिल रहा है।
इसी वर्ष रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर गाइड-लाइन दर को 20 प्रतिशत तक कम करने की रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों द्वारा व्यापक रूप से सराहना की गई। सबसे उत्साहजनक उपलब्धि मध्यप्रदेश को तब मिली, जब टाइगर राज्य का दर्जा दोबारा हासिल हुआ। इसका श्रेय नि:संदेह रणनीतिक वन्य-जीव संरक्षण प्रयासों और राष्ट्रीय उद्यानों के कुशल प्रबंधन को जाता है। इंदौर में मैग्नीफिसेन्ट मध्यप्रदेश, छिंदवाड़ा में कॉर्न फेस्टिवल और भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय हर्बल मेले जैसे आयोजनों की काफी चर्चा रही।
वर्षांत में सरकार ने अपना 'विजन-टू-डिलीवरी'' रोडमैप 2020-25 बनाया। इसका अनावरण पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने किया। डॉ. सिहं ने आर्थिक प्रगति तेज करने की सोच और प्रयासों की स्पष्टता के लिए राज्य सरकार की सराहना की। एक वर्ष के कम समय में 365 वादे पूरे हुए।
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