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मध्यप्रदेश सरकार - उपलब्धियों का संसार

METRO MIRROR



मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के 7 वर्ष मध्यप्रदेश-2012 एक नज़र में फ्लेगशिप योजनाएँ

फ्लेगशिप योजनाएँ

मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर-कान्ट्रेक्टर योजना

प्रदेश के अधोसंरचना विकास कार्यों में योगदान के लिये प्रदेश के युवा अभियंताओं को कान्ट्रेक्टर के रूप में क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से 'मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर-कांट्रेक्टर योजना'' तैयार की गई है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की 16 जनवरी, 2013 को युवा पंचायत में की गई घोषणा के अनुपालन में 14 अगस्त 2013 को मंत्रि-परिषद् ने योजना को मंजूरी दी।
योजना के क्रियान्वयन के लिये लोक निर्माण विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। योजना में किसी भी संकाय के इंजीनियरिंग में डिग्रीधारी 500 युवा अभियंता को 6 माह का प्रशिक्षण (इन्टर्नशिप) दिया जायेगा। प्रारंभिक वर्ष में प्रायोगिक तौर पर 500 युवा अभियंता को प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा गया है। आगामी वर्षों में लक्ष्य और उपलब्धि का पुनरावलोकन कर लक्ष्य प्रतिवर्ष निर्धारित किया जायेगा। प्रशिक्षण की छह माह की अवधि को तीन भाग में विभाजित किया गया है। इसमें दो माह एकेडेमिक ट्रेनिंग दी जायेगी। कार्यालयीन ज्ञान तथा विभाग के संबंध में जानकारी के लिये एक माह और मैदानी प्रशिक्षण तीन माह का होगा।
प्रशिक्षु को मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना आवश्यक है। आवेदक डिग्री करने के 3 वर्ष के अंदर ही आवेदन कर सकता है। आवेदकों की संख्या अधिक होने पर प्रशिक्षु का चयन लॉटरी द्वारा किया जा सकेगा। प्रशिक्षुओं के चयन में राज्य सरकार द्वारा जारी सेवा भर्ती नियमों में अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला वर्ग के लिये निर्धारित आरक्षण कोटे का पालन किया जायेगा।
प्रशिक्षण अवधि में स्नातक अभियंता को 5000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जायेगा। मैदानी प्रशिक्षण के समय मैदानी भत्ते के रूप में 2000 रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त दिया जायेगा। योजना में प्रशिक्षित युवा इंजीनियर कांट्रेक्टर को निविदा शर्तों में प्रावधान अनुसार उप ठेके (सब लेट्टिंग) के माध्यम से प्रतिष्ठित ठेकेदारों से भी जोड़ा जायेगा। प्राप्त अनुभव से युवा आगामी ठेके ले सकेंगे।
प्रशिक्षण के बाद युवा इंजीनियरों को राज्य शासन की केन्द्रीयकृत पंजीयन प्रणाली के अंतर्गत 'सी' श्रेणी में पंजीकृत किया जा सकेगा, लेकिन मध्यप्रदेश अनुज्ञापन मण्डल (विद्युत) विनियमन 1960 की पूर्ति के लिये विद्युत वितरण, ट्रांसमिशन और उत्पादन से संबंधित कार्यों के लिये ठेकेदारों को 'ए' और 'बी' श्रेणी के विद्युत लायसेंस धारक होने की आवश्यकता यथावत बनी रहेगी। योजना में प्रशिक्षित इंजीनियर मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना में 25 लाख रुपये तक ऋण प्राप्त कर सकेंगे।



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मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना

युवाओं को स्वयं के उद्योग-व्यवसाय शुरू करने में मदद के लिए विगत एक अप्रैल से लागू की गई मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना लागू की गई है। योजना में 50 हजार युवा को सहायता देने का लक्ष्य है। यह लक्ष्य अभी तक शुरू की गई सभी स्व-रोजगार योजनाओं की तुलना में सबसे ज्यादा है।
योजना का क्रियान्वयन ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा शहरी क्षेत्रों में वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग के माध्यम से किया जायेगा। इसका उद्देश्य सभी वर्ग के युवाओं को स्वयं का उद्योग, सेवा व्यवसाय स्थापित करने के लिये बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवाना है। हितग्राहियों को मार्जिन-मनी सहायता तथा ब्याज अनुदान की सुविधा दी जायेगी। योजना में आय सीमा का कोई बंधन नहीं है। प्रचलित योजनाओं में निर्धारित अहर्ताओं के अनुसार हितग्राहियों को लाभान्वित किया जाता रहेगा। मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना में गारंटी शुल्क का भुगतान तथा ब्याज अनुदान जैसी विशिष्ट सुविधाएँ दी जायेगी। अतः प्रचलित योजनाओं के ऐसे हितग्राही, जो मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना का लाभ प्राप्त करने की पात्रता रखते हैं, उन्हें वर्तमान सुविधाओं के अतिरिक्त इस योजना की सुविधाएँ भी दी जायेंगी।
आईटीआई, डिप्लोमा, इंजीनियरिंग, अन्य अधिकृत संस्थाओं द्वारा दिये गये माड्यूलर एम्प्लायबल स्किल्स प्रमाण-पत्र रखने वाले आवेदकों को प्राथमिकता दी जायेगी। साथ ही गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की सर्वे सूची में अंकित हितग्राहियों, अनुसूचित-जाति, जनजाति, निःशक्तजन और महिला हितग्राहियों के साथ-साथ उद्यमिता विकास कार्यक्रम में प्रशिक्षित हितग्राहियों को भी प्राथमिकता दी जायेगी।
वित्तीय सहायता के लिये दो तरह की श्रेणियाँ निर्धारित की गई हैं। एक श्रेणी में 50 हजार रुपये तक की परियोजना में तथा दूसरी श्रेणी में 50 हजार से अधिक और 25 लाख तक की परियोजनाओं के लिये सहायता दी जायेगी।
प्रथम श्रेणी में परियोजना लागत पर मार्जिन मनी सहायता 20 प्रतिशत (अधिकतम 10 हजार रुपये) होगी। परियोजना लागत पर ब्याज अनुदान 5 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष तक (2000 रुपये अधिकतम प्रतिवर्ष) दिया जायेगा। गारंटी शुल्क एक प्रतिशत की दर से अधिकतम 500 रुपये तथा गारंटी सेवा शुल्क 0.5 प्रतिशत की दर से (4 वर्ष के लिये) अधिकतम 1000 रुपये दी जायेगी।
दूसरी श्रेणी के हितग्राहियों को पूँजीगत लागत तथा कार्यशील पूँजी पर ब्याज अनुदान 5 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष तक देय होगा। गारंटी शुल्क 1 से 1.5 प्रतिशत, अधिकतम 37 हजार 500 रुपये दी जायेगी। गारंटी सेवा शुल्क (4 वर्ष के लिये) 0.5 से 0.75 प्रतिशत, अधिकतम 75 हजार रुपये दी जायेगी।


निःशुल्क पैथालॉजी जाँच योजना

प्रदेश शासन द्वारा लोगों को स्वस्थ और खुशहाल जीवन उपलब्ध करवाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अब राज्य सरकार द्वारा सभी शासकीय चिकित्सालयों में निःशुल्क चिकित्सकीय जाँचों की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। योजना में विभिन्न स्तर के चिकित्सा संस्थानों में अनिवार्यतः उपलब्ध करवाई जाने वाली पैथालॉजी जाँच सुविधाओं को तय सूची के अनुसार उपलब्ध करवाया जायेगा। सूची के अनुसार जिला चिकित्सालयों में 38 तरह की पैथालॉजी जाँच निःशुल्क रूप से करवाई जायेगी। सिविल अस्पतालों में 29, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 25, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 16 और उप स्वास्थ्य केन्द्रों और आरोग्य केन्द्रों पर 5 प्रकार की जाँच की निःशुल्क रूप से सुविधा आम-आदमी के लिये उपलब्ध करवाई जा रही है।
भविष्य में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 28, सिविल अस्पतालों में 32 एवं जिला चिकित्सालयों में 48 तरह की जाँच की निःशुल्क व्यवस्था की जायेगी। यह सुविधा समस्त एपीएल, बीपीएल बाह्य रोगियों एवं अस्पताल में भर्ती रोगियों को उपलब्ध रहेगी। जाँच के लिये आवश्यक सामग्री और उपकरण चिकित्सा संस्थाओं में सुनिश्चित करवाये गये हैं। जाँचों में कोई व्यवधान न आये, इसके लिये लेब टेक्नीशियन एवं लेब सहायकों के पद भी शीघ्र भरे जा रहे हैं।
शासकीय अस्पतालों में पैथालॉजिकल जाँचों के अलावा उपलब्धता के अनुसार ई.सी.जी., सोनोग्राफी, ईको-कार्डियोग्राफी एवं एक्स-रे की सुविधा भी निःशुल्क उपलब्ध करवाई जायेगी। इनके लिये किसी प्रकार का कोई शुल्क रोगियों से नहीं लिया जायेगा।


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अटल ज्योति अभियान

ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में 24 घण्टे तथा खेती के लिये कम से कम 10 घंटे बिजली देने के लिये अटल ज्योति अभियान लागू किया गया। अभियान को जुलाई माह तक प्रदेश के सभी 50 जिलों में लागू कर दिया गया है। भरपूर बिजली मिलने से गाँव में लघु और कुटीर उद्योगों का जाल बिछने और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बल मिलने की शुरूआत हो गई है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल निःशुल्क औषधि वितरण योजना

प्रदेश के 1595 स्वास्थ्य केन्द्र पर नवम्बर 2012 से सरदार वल्लभ भाई पटेल निःशुल्क औषधि वितरण योजना की शुरूआत की गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश के सभी जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक योजना का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। योजना के तहत रोगियों को आवश्यक दवाएँ निःशुल्क प्राप्त होंगी। दवा या औषधि के उपलब्ध न होने पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा दवा क्रय कर उपलब्ध करवाई जा रही है। औषधि वितरण योजना में चिकित्सक के दवा पर्चे का रिकार्ड रखा जायेगा और इसका नियमित ऑडिट भी होगा। योजना में शीघ्र ही अनुश्रवण की समीक्षा कम्प्यूटर द्वारा की जायेगी और क्रियान्वयन स्तर की समीक्षा करते हुए जिलों की रेंकिंग भी की जा रही है।

मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना

मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना प्रदेश के 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को उनके जीवन काल में एक बार प्रदेश के बाहर के निर्धारित तीर्थ-स्थानों में से किसी एक स्थान की यात्रा के लिए राज्य सरकार सहायता देती है। प्रथमतः आई.आर.सी.टी.सी. (रेलवे) के पैकेज के अनुसार यात्रियों को भेजा जाएगा। योजना 3 सितम्बर 2012 को रामेश्वरम् की यात्रा के साथ प्रारंभ हुई।

तीर्थ दर्शन योजना में राज्य शासन ने वर्तमान में श्री बद्रीनाथ, श्री केदारनाथ, श्री जगन्नाथपुरी, श्री द्वारकापुरी, हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णोदेवी, शिरडी, तिरूपति, अजमेर शरीफ, काशी, गया, अमृतसर, रामेश्वरम, सम्मेद शिखर, श्रवण बेलगोला और बेलांगणी चर्च, नागापट्टनम तीर्थ को शामिल किया है।


मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना

गरीब परिवारों को महँगाई की मार से राहत देने के उद्देश्य से अप्रैल 2008 से शुरू की गई मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना को नया स्वरूप दिया गया है। जून 2013 से लागू नये स्वरूप में गेहूँ और चावल की रियायती दर को और कम कर दिया है तथा आयोडीनयुक्त नमक और शक्कर को इसमें शामिल किया गया है। वर्तमान में लगभग 18 लाख अंत्योदय और 56 लाख बीपीएल परिवारों को मिलाकर प्रति परिवार पाँच सदस्य के मान से करीब 3.5 लाख लोगों अर्थात् प्रदेश की आधी आबादी नये स्वरूप में गेहूँ एक रुपये किलो तथा चावल 2 रुपये किलो के मूल्य पर उपलब्ध करवाया जा रहा है। पूरे प्रदेश में साथ ही एक रुपये किलो की दर से आयोडीनयुक्त नमक भी दिया जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने इन परिवारों को रियायती दर पर साढ़े तेरह रुपये किलो के हिसाब से दी जाने वाली शक्कर की आपूर्ति को जारी रखने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना

ग्रामीण क्षेत्र में सामान्य क्षेत्र के पांच सौ और आदिवासी क्षेत्र के 250 से कम आबादी वाले राजस्व ग्रामों में ग्राम सड़क बनाने के लिये वर्ष 2010-11 से मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की गई है। इसके अंतर्गत 2013 तक ऐसे सभी ग्रामों के बारहमासी सड़कों से जोड़ने का लक्ष्य है। से ग्राम प्रधानमंत्र ग्राम सड़क योजना के दायरे में नहीं आते हैं। तीन चरणों में 19 हजार 386 कि.मी. ग्रेवल सड़के बनाई जायेगी। इस कार्य पर 3294 करोड़ रूपये खर्च होगा। प्रथम चरण में 27820 सड़कों तथा 11954 पुल-पुलियों को स्वीकृति दी गई है।

इस योजना से ऐसे छोटे गांवों में बारहमासी सड़के बन रही है जो प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के दायरे में नहीं आते। इन सड़कों के बनने से इन गांव का जनजीवन सुधार रहा है और वहां विभिन्न प्रकार की सामाजिक और आर्थिक विकास गतिविधियों को बल मिला है।


मुख्यमंत्री पेयजल योजना

ग्रामीण क्षेत्रों में लागू इस योजना का उद्देश्य ऐसे गाँवों में पेयजल सुविधा उपलब्ध कराना है। जहां की जनसंख्या एक हजार से कम और पाँच से अधिक हो और वहां पेयजल की कोई सुविधा उपलब्ध न हो। योजना के तहत प्रदेश के 1500 गाँव में पाँच करोड़ रूपये की लागत से 1200 से अधिक पेयजल स्त्रोत विकसित किये जा रहे हैं। आगामी वर्षों में 13 हजार से अधिक गाँवों में सतही पेयजल योजनाएं बनाई जायेंगी।

मुख्यमंत्री पेयजल योजना के क्रियान्वयन की दिशा में सभी 50 जिलों में जिला स्तरीय पेजयल समीक्षा समिति की बैठक में एक हजार 482 गाँवों के लिये लक्ष्य से 200 अधिक 1 हजार 207 पेयजल योजनाएं स्वीकृत की गई हैं जिन पर क्रियान्वयन भी शुरू हो गया है।
इस योजना से ऐसे छोटे गांवों में पेयजल के साधन उपलब्ध हो रहे है जहां कोई साधन नहीं था।


मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना

इसका उद्देश्य खेतिहर मजदूरों तथा उनके परिवारों का जीवन स्तर सुधारने के साथ ही उन्हें जरूरत अथवा मुसीबत के वक्त सुरक्षा प्रदान करना है।
योजना के तहत राज्य के 18 से 60 वर्ष आयु के खेतिहर मजदूरों के परिवार की स्त्री को प्रसूति व्यय और छः सप्ताह की मजदूरी का भुगतान , पति को पितृत्व अवकाश के साथ दो सप्ताह की मजदूरी का भुगतान , बच्चों को पहली कक्षा से स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिये छात्रवृत्ति , पांचवीं कक्षा तथा उसके आगे तक प्रथम श्रेणी में पास करने वाले विद्यार्थियों को नगद पुरस्कार। विवाह सहायता योजना के तहत कन्याओं को मदद तथा आम आदमी बीमा योजना के अंतर्गत लाभ दिये जाते हैं।

योजना का लाभ लेने के लिये आवेदक को निर्धारित प्रारूप में ग्राम पंचायत के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना होता है। इसके बाद उसे फोटोयुक्त परिचय पत्र दिया जाता है। जिसके आधार पर वह उपरोक्त सभी लाभ प्राप्त करता है।
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के साथ हमेशा यह विडंबना रही है कि कोई भी संगठन या परेशानी आ जाने पर उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्राप्त नहीं होती। बीमार पड़ने अथवा घर में बच्चा होने जैसे अवसरों पर उन्हें बहुत अधिक आर्थिक कष्ट झेलना पड़ता है क्योंकि वे काम पर नहीं जा पाते। साथ ही वह अपने बच्चों को भी पैसे के अभाव में ठीक से पढ़ा भी नहीं पाते। इस योजना के क्रियान्वयन में इन मजदूरों को पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा मिली।


मुख्यमंत्री कन्यादान योजना

इस योजना का उद्देश्य गरीब, जरूरतमंद, निराश्रित/निर्धन परिवारों की विवाह योग्य कन्या/विधवा/ परित्याक्ता के विवाह के लिये आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना है। यह सहायता सामूहिक विवाह में ही दी जाती है। इसकी शर्त यह है कि कन्या ने विवाह की निर्धारित आयु पूरी कर ली हो। पूर्व में इसके तहत 6500 रूपये की सहायता कन्या की गृहस्थी की व्यवस्था के लिये तथा एक हजार रूपये सामूहिक विवाह आयोजन के खर्चे र्की पूर्ति के लिये दी जाती थी। अब इस राशि को बढ़ाकर दस हजार रूपये कर दिया या है। इसमें नौ हजार रूपये कन्या की गृहस्थी के लिये और एक हजार रूपये सामूहिक विवाह आयोजन खर्च के लिये है।

भारतीय समाज में कन्या के विवाह की चिन्ता हर गरीब परिवार में विशेष रूप से बहुत होती है। उनके पास अपने रोजमर्रा के खर्च की पूर्ति के लिये ही पर्याप्त पैसा नहीं होता , तो वे बेटी की शादी के लिये एक मुश्त खर्च जुटाने के लिये कर्ज का सहारा लेते है या कोई चीज बेचते हैं। गरीब परिवारों को इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की विशेष पहल पर यह योजना शुरु की गई। इस योजना में सामूहिक विवाह किये जाते हैं जिससे आपसी सद्भाव भी बढ़ता है और शादियों पर अनावश्यक होने वाले खर्च पर भी रोक लगती है। इसकी एक विशेषता यह भी है कि इसका लाभ सभी समुदायों को मिलता है। ऐसे आयोजनों में हिन्दु और मुसलमान दोनों समुदायों के विवाह एक ही परिसर में होते हैं जिससे सम्प्रदायिक सद्भाव की भावना का विकास होता है।


मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग स्व-रोजगार योजना

प्रदेश में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2008-09 से पिछड़े वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को कृषि, उद्योग, सेवा व्यवसाय आदि में रोजगार उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग स्व-रोजगार योजना शुरू की गई।
इस योजना में हितग्राहियों को बैंक के माध्यम से अधिकतम 25 लाख रुपये तक का ऋण स्वीकृत किये जाने का प्रावधान है। स्वीकृत ऋण में 25 प्रतिशत पूंजी अनुदान एवं 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिये जाने का भी प्रावधान रखा गया है।
पिछड़े वर्ग के लोग अधिकतर आर्थिक रुप से कमजोर होते हैं। वे अगर कोई रोजगार शुरु करना चाहे तो उन्हें उसके लिये पैसा जुटाने में बहुत तकलीफ होती है। बैंको के माध्यम से भी कर्ज आदि प्राप्त करने में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस योजना से खुद का रोजगार शुरु करने वाले पिछड़े वर्ग के लोगों को काफी सहायता मिली है।


विक्रमादित्य नि:शुल्क शिक्षा योजना

राज्य सरकार द्वारा गरीबों में भेदभाव को समाप्त करते हुए सामान्य वर्ग के निर्धन परिवारों के विकास और कल्याण की दिशा में सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग गठित कर आयोग की अनुशंसा पर विक्रमादित्य निःशुल्क शिक्षा योजना लागू की गई है। योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे के सामान्य निर्धन वर्ग के विद्यार्थियों को स्नातक स्तर पर निःशुल्क उच्च शिक्षा प्रदान करना है। योजना में निर्धन वर्ग के ऐसे विद्यार्थियों को स्नातक स्तर पर निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है, जिन्होंने 12 वीं बोर्ड परीक्षा में 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किये हो और उनके अभिभावकों की वार्षिक आय 42 हजार रुपए से कम हो।

खेत तालाब योजना

इस योजना का उद्देश्य कृषि के समग्र विकास के लिए सतही तथा भूमिगत जल की उपलब्धता को बढ़ावा है। सभी वर्गों के किसानों को इसका लाभ दिया जाता है। किसान स्वेच्छा से तालाब के तीन मॉडलों में से एक का चयन कर सकता है। सभी वर्गों के किसानों को लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है , जिसकी अधिकतम सीमा 16 हजार 350 रुपए है।

खेत तालाब बारिश का पानी रोक कर उसे सिंचाई में उपयोग के लिए काफी कारगर सिध्द हुये हैं। पहले बारिश का पानी बेकार बह जाता था। एक तालाब से काफी बड़े क्षेत्र में पानी की सुविधा हो जाती है।


मुख्यमंत्री आवास योजना

प्रदेश में बड़ी संख्या में आवासहीन परिवारों को अपने स्वयं के आवास निर्माण करने के लिये मुख्यमंत्री आवास योजना शुरु की गई।
इस योजना से ऐसे गरीब परिवारों को अपना मकान बनाने में मदद मिली है जो इंदिरा आवास योजना के दायरे में नहीं आते। अगर यह योजना शुरु नहीं होती तो उन्हें अपना मकान कभी प्राप्त नहीं हो सकता था।


दीनदयाल चलित अस्पताल योजना

जून 2006 से लागू योजना का उद्देश्य प्रदेश के सुदूर आदिवासी अंचलों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाना है। इसमें एक चलित वाहन का निर्माण कराया गया है, जिसमें डॉक्टर, स्टाफ, जरूरी उपकरण तथा दवाएं उपलब्घ हैं। यह वाहन आदिवासी क्षेत्रों के गांवों तथा हाट बाजारों में सभी वर्गो र्के लोगों को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराता है।
दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी लोग बीमारी की स्थिति में आमतौर पर अस्पताल नहीं जा पाते। सुविधाओं की कमी के चलते वे वहाँ जाने से भी बचते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें गांव और हाट बाजारों में ही इलाज की सुविधा मिल गई है। यह उनके लिए वरदान से कम नहीं है।


बीमारी सहायता निधि

जिला/राज्य बीमारी सहायता निधि के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के व्यक्ति को घातक और जान लेवा बीमारी होने पर डेढ़ लाख रुपए तक निःशुल्क चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई जाती है, इसमें 25 हजार से 75 हजार रुपए तक की सहायता प्रभारी मंत्री और जिला कलेक्टर द्वारा तथा 75 हजार से डेढ़ लाख तक की सहायता स्वास्थ्य मंत्री द्वारा स्वीकृत की जाती है।
गंभीर बीमारी की स्थिति में गरीब व्यक्ति तो इलाज की बात सोच भी नहीं पाता। इसमें जितनी बड़ी राशि खर्च होती है , वह उनके पास नहीं होती। इस योजना से गरीबों को बहुत राहत मिली है।


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लाड़ली लक्ष्मी योजना

वर्ष 2006 से लागू की गई इस योजना का उद्देश्य बालिकाओं के शैक्षिक और आर्थिक स्तर में सुधार लाकर उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला रखने के साथ-साथ कन्या जन्म के प्रति समाज के दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। योजना के तहत बालिका के जन्म के बाद उसके पक्ष में प्रति वर्ष छः हजार रूपये के राष्ट्रीय विकास पत्र पांच वर्ष तक शासन द्वारा क्रय किये जाते हैं। इस प्रकार यह राशि तीस हजार रूपये होती है। बालिका के कक्षा छठवीं में प्रवेश पर उसे दो हजार रूपये , नौवी में प्रवेश पर चार हजार रूपये , ग्यारहवीं में प्रवेश पर 7500 रूपये तथा ग्यारहवीं और बाहरवीं की पढ़ाई के समय दो वर्ष तक दौ सौ रूपये प्रतिमाह दिये जाते हैं। बालिका के 21 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर एवं 18 वर्ष के पूर्व विवाह न करने तथा बारहवीं कक्षा की परीक्षा में सम्मिलित होने पर एक मुश्त राशि का भुगतान किया जायेगा। यह राशि एक लाख रूपये होती है।

योजना के तहत एक जनवरी 2006 के पश्चात जन्म लेने वाली बालिकाओं को , जिनके माता पिता ने दो जीवित बच्चों के रहते हुए परिवार नियोजन अपना लिया हो तथा जो आंगनवाड़ी केन्द्रों में पंजीकृत हो तथा आयकर दाता न हो , उन्हें इसका लाभ मिलता है।
इस योजना के क्रियान्वयन से कन्या जन्म को लेकर समाज की सोच में सकारात्मक बदलाव आने लगा है। कन्या जन्म को अभिशाप मानने की प्रवृत्ति में कमी आ रही है और उसे बोझ मानने की मानसिकता भी बदल रही है। साथ ही बालिका शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है और बाल विवाह की प्रवृत्ति पर भी इससे प्रभवी अंकुश लग रहा है।


प्रतिभा किरण

योजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्र में गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की मेधावी छात्राओं को शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन स्वरूप आर्थिक सहायता प्रदान करना है। यह लाभ उन छात्राओं को मिलता है , जिन्होंने शहर की पाठशाला से 12 वीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की हो। उसे उत्तीर्ण वाले वर्ष में ही उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेना जरूरी है। उसे परम्परागत उपाधि पाठयक्रम के लिए प्रतिवर्ष 500 रुपए प्रतिमाह 10 माह तक तथा तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा पाठयक्रम के लिए 750 रुपए प्रतिमाह का प्रोत्साहन दिया जाता है।
शहरी गरीब परिवारों में मेधावी लड़कियां कॉलेज में पढ़ना चाहती हैं। लेकिन इसमें पैसे की कमी आड़े आती है। इस योजना के क्रियान्वयन से अब यह अड़चन दूर हो गयी हैं।


गांव की बेटी योजना

योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभावान बालिकाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ओर प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है। प्रत्येक गांव से प्रति वर्ष 12 वीं कक्षा प्रथमश्रेणी में उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं को हर वर्ष 500 रुपए प्रतिमाह की दर से 10 माह तक छात्रवृत्ति दी जाती है।

हर गांव में मेधावी बालिकाएं होती हैं। बारहवीं उत्तीर्ण करने के बाद वे कॉलेज में पढ़ना तो चाहती है, लेकिन कॉलेज शहरों-कस्बों में होते हैं, साथ ही, अधिकतर परिवारों की स्थिति ऐसी नहीं होती कि वे लड़कियों का कॉलेज की पढ़ाई का खर्च उठा सकें। यहाँ तक कि सक्षम परिवार भी यह खर्च उठाने से बचते हैं।


नि:शुल्क सायकिल वितरण योजना

वर्ष 2004 से लागू इस योजना का उद्देश्य प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण कर चुकी छात्राओं को आगे शिक्षा जारी रखने के लिये प्रोत्साहित करना है।
योजना के तहत अपने गांव से दूसरे गांव की शासकीय शाला में कक्षा नौ में प्रवेश करने वाली बालिकाओं को राज्य शासन द्वारा नि:शुल्क सायकिल प्रदान की जाती है। इसका लाभ ग्रामीण क्षेत्र की अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति , अन्य पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग की बालिकाओं को मिलता है। वर्ष 2009 से इसका विस्तार करते हुए सभी प्रवर्ग की बालिकाओं को इसका लाभ दिया जाने लगा है।

इस योजना का और विस्तार करते हुए ऐसी बालिकाओं को भी नि:शुल्क सायकिलें दी जाने लगी हैं जिनके गावं में माध्यमिक शाला नहीं है और जो किसी अन्य गांव में स्थित शासकीय माध्यमिक शाला में छठवीं कक्षा में प्रवेश लेती हैं।
योजना लागू होने से पहले ऐसी लाखों बालिकाएं थीं , जो प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद सिर्फ इसलिए घर में बैठ जाती थीं , क्योंकि आगे की पढ़ाई के लिए मिडिल , हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूल गांव के बाहर थें और उनके पास वहाँ जाने का साधन नहीं था। पैदल जाना कठिन भी था और असुरक्षित भी। इस योजना से अब यह समस्या दूर हो गई है।


दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना

सितम्बर 2004 से लागू इस योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे के सभी वर्गो र्के परिवारों को बीमार पड़ने पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। इसमें 20 हजार रुपए की सीमा तक निःशुल्क जाँच एवं उपचार की पात्रता एक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में दी जा सकती है। प्रत्येक पात्र परिवार को एक परिवार स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है, जिसने परिवार का विवरण दर्ज होता है। भर्ती होकर इलाज कराने पर इलाज तथा जाँच का विवरण भी इस कार्ड में दर्ज किया जाता है।

गरीब परिवारों में किसी सदस्य के बीमार होने पर मानों मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ता है। इस योजना से इन परिवारों को बहुत राहत के साथ आश्वस्तता मिली है।


 
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